Romantic Story in Hindi: भोर- भाग 2: क्यों पति का मजाक उड़ाती थी राजवी?

Writer- Kalpana Mehta

कई दिन दोनों खूब घूमे. शौपिंग, पार्टी जो भी राजवी का मन किया अक्षय ने उसे पूरा किया. फिर शुरू हुई दोनों की रूटीन लाइफ. वैसे भी सपनों की दुनिया में सब कुछ सुंदर सा, मनभावन ही होता है. जिंदगी की हकीकत तो वास्तविकता के धरातल पर आ कर ही पता चलती है. एक दिन अक्षय ने फरमाइश की, ‘‘आज मेरा इंडियन डिश खाने को मन कर रहा है.’’

‘‘इंडियन डिश? यू मीन दालचावल और रोटीसब्जी? इश… मुझे ये सब बनाना नहीं आता. मैं तो अपने घर में भी खाना कभी नहीं बनाती थी. मां बोलती थीं तब भी नहीं. और वैसे भी पूरा दिन रसोई में सिर फोड़ना मेरे बस की बात नहीं. मैं उन लड़कियों में नहीं, जो अपनी जिंदगी, अपनी खुशियां घरेलू कामकाज के जंजालों में फंस कर बरबाद कर देती हैं.’’

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चौंक उठा अक्षय. फिर भी संभलते हुए बोला, ‘‘अब मजाक छोड़ो, देखो मैं ये सब्जियां ले कर आया हूं. तुम रसोई में जाओ. तुम्हारी हैल्प करने मैं आता हूं.’’

दालसब्जी वगैरह मुझे तो भाती भी नहीं और बनाना भी मुझे आता नहीं

‘‘तुम्हें ये सब आता है तो प्लीज तुम ही बना लो न… दालसब्जी वगैरह मुझे तो भाती भी नहीं और बनाना भी मुझे आता नहीं. और हां, 2 दिनों के बाद तो मेरी स्टडी शुरू होने वाली है, क्या तुम भूल गए? फिर मुझे टाइम ही कहां मिलेगा इन सब झंझटों के लिए. अच्छा यही रहेगा कि तुम किसी इंडियन लेडी को कुक के तौर पर रख लो.’’

अक्षय का दिमाग सन्न रह गया. राजवी को हर रोज सुबह की चाय बनाने में भी नखरे करती थी और ठीक से कोई नाश्ता भी नहीं बना पाती थी. लेकिन आज तो उस ने हद ही कर दी थी. तो क्या यही है राजवी का असली रूप? लेकिन कुछ भी बोले बिना अक्षय औफिस के लिए निकल गया. पर यह सब तो जैसे शुरुआत ही थी. राजवी के उस नए रंग के साथ जब नया ढंग भी सामने आने लगा अक्षय के तो होश ही उड़ गए. एक दिन राजवी बिलकुल शौर्ट और पतले से कपड़े पहन कर कालेज के लिए निकलने लगी.

अक्षय ने उसे टोकते हुए कहा, ‘‘यह क्या पहना है राजवी? यह तुम्हें शोभा नहीं देता. तुम पढ़ने जा रही हो तो ढंग के कपड़े पहन कर जाओगी तो अच्छा रहेगा…’’

‘‘ये अमेरिका है मिस्टर अक्षय. और फिर तुम ने ही तो कहा था न कि तुम मौडर्न सोच रखते हो, तो फिर ऐसी पुरानी सोच क्यों?’’

‘‘हां कहा था मैं ने पर पराए देश में तुम्हारी सुरक्षा की भी चिंता है मुझे. मौडर्न होने की भी हद होती है, जिसे मैं समझता हूं और चाहता हूं कि तुम भी समझ लो.’’

‘‘मुझे न तो कुछ समझना है और न ही तुम्हारी सोच और चिंता मुझे वाजिब लगती है. और यह मेरी निजी लाइफ है. मैं अभी उतनी बूढ़ी भी नहीं हो गई कि सिर पर पल्लू रख कर व साड़ी लपेट कर रहूं. और बाई द वे तुम्हें भी तो सुंदर पत्नी चाहिए थी न? तो मैं जब सुंदर हूं तो दुनिया को क्यों न दिखाऊं?’’

अक्षय को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे?

राजवी के इस क्यों का कोई जवाब नहीं था अक्षय के पास. फिर जैसेजैसे दिन बीतते गए, दोनों के बीच छोटीमोटी बातों पर झगड़े बढ़ते गए. अक्षय को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे? भूल कहां हो रही है और इस स्थिति में क्या हो सकता है, क्योंकि अब पानी सिर के ऊपर शुरू हो चुका था. राजवी ने जो गु्रप बनाया था उस में अमेरिकन युवकों के साथ इंडियन लड़के भी थे. शर्म और मर्यादा की सीमाएं तोड़ कर राजवी उन के साथ कभी फिल्म देखने तो कभी क्लब चली जाती. ज्यादातर वह उन के साथ लंच या डिनर कर के ही घर आती. कई बार तो रात भर वह घर नहीं आती. अक्षय के पूछने पर वह किसी सहेली या प्रोजैक्ट का बहाना बना देती.

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अक्षय बहुत दुखी होता, उसे समझाने की कोशिश करता पर राजवी उस के साथ बात करने से भी कतराती. अक्षय को ज्यादा परेशानी तो तब हुई जब राजवी अपने बौयफ्रैंड्स को ले कर घर आने लगी. अक्षय उन के साथ मिक्स होने या उन्हें कंपनी देने की कोशिश करता तो राजवी सब के बीच उस के सांवले रंग और चश्मे को मजाक का विषय बना देती और अपमानित करती रहती. एक दिन इस सब से तंग आ कर अक्षय ने नीतू आंटी को फोन लगाया. उस ने ये सब बातें बताना शुरू ही किया था कि राजवी उस से फोन छीन कर रोने जैसी आवाज में बोलने लगी, ‘‘आंटी, आप ने तो कहा था कि तुम वहां राज करोगी. जैसे चाहोगी रह सकोगी. पर आप का यह भतीजा तो मुझे अपने घर की कुक और नौकरानी बना कर रखना चाहता है. मेरी फ्रीडम उसे रास नहीं आती.’’

अक्षय आश्चर्यचकित रह गया. उस ने तब तय कर लिया कि अब से वह न तो किसी बात के लिए राजवी को रोकेगा, न ही टोकेगा. उस ने राजवी को बोल दिया कि तुम अपनी मरजी से जी सकती हो. अब मैं कुछ नहीं बोलूंगा. पर थोड़े दिनों के बाद अक्षय ने नोटिस किया कि राजवी उस के साथ शारीरिक संबंध भी नहीं बनाना चाहती. उसे अचानक चक्कर भी आ जाता था. चेहरे की चमक पर भी न जाने कौन सा ग्रहण लगने लगा था.

अब वह न तो अपने खाने का ध्यान रखती थी न ही ढंग से आराम करती थी. देर रात तक दोस्तों और अनजान लोगों के साथ भटकते रहने की आदत से उस की जिंदगी अव्यवस्थित बन चुकी थी. एक दिन रात को 3 बजे किसी अनजान आदमी ने राजवी के मोबाइल से अक्षय को फोन किया, ‘‘आप की वाइफ ने हैवी ड्रिंक ले लिया है और यह भी लगता है कि किसी ने उस के साथ रेप करने की कोशिश…’’

अक्षय सहम गया. फिर वह वहां पहुंचा तो देखा कि अस्तव्यस्त कपड़ों में बेसुध पड़ी राजवी बड़बड़ा रही थी, ‘‘प्लीज हैल्प मी…’

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पास में खड़े कुछ लोगों में से कोई बोला, ‘‘इस होटल में पार्टी चल रही थी. शायद इस के दोस्तों ने ही… बाद में सब भाग गए. अगर आप चाहो तो पुलिस…’’

‘‘नहींनहीं…,’’ अक्षय अच्छी तरह जानता था कि पुलिस को बुलाने से क्या होगा. उस ने जल्दी से राजवी को उठा कर गाड़ी में लिटा दिया और घर की ओर रवाना हो गया. राजवी की ऐसी हालत देख कर उस कलेजा दहल गया था. आखिर वह पत्नी थी उस की. जैसी भी थी वह प्यार करता था उस को. घर पहुंचते ही उस ने अपने फ्रैंड व फैमिली डाक्टर को बुलाया और फर्स्ट ऐड करवाया. उस के चेहरे और शरीर पर जख्म के निशान पड़ चुके थे. दूसरे दिन बेहोशी टूटने के बाद होश में आते ही राजवी पिछली रात उस के साथ जो भी घटना घटी थी, उसे याद कर रोने लगी. अक्षय ने उसे रोने दिया. ‘जल्दी ही अच्छी हो जाओगी’ कह कर वह उसे तसल्ली देता रहा पर क्या हुआ था, उस के बारे में कुछ भी नहीं पूछा. खाना बनाने वाली माया बहन की हैल्प से उसे नहलाया, खिलाया फिर उसे अस्पताल ले जाने की सोची.

‘‘नहींनहीं, मुझे अस्पताल नहीं जाना. मैं ठीक हो जाऊंगी,’’ राजवी बोली.

दूरियां- भाग 3: क्यों अपने बेटे को दोषी मानता था उमाशंकर

वह कुछ अलग नहीं कर रही थी, ऐसा तो वह अपने मायके में भी करती थी. केवल रिश्ते का नाम यहां अलग था, पर रिश्ता तो वही था, पिता का. उस से गलतियां होती थीं, स्वाभाविक ही है, तो क्या हुआ, नेहा कहती, ‘‘ज्यादा मत सोचो भाभी, बहुत गड़बड़ हुई तो मैं अपनी जिम्मेदारी से भागूंगी नहीं.

“यह मत सोचना कि मैं ने अपनी आजादी पाने के लिए यह कदम उठाया… मैं तो केवल आप को उस घर में आप का अधिकार दिलाना चाहती हूं.

“पापा को थोड़ा सक्रिय भी होना पड़ेगा, वरना जंग लग जाएगी उन के शरीर में और फिर मन में. असहाय और अकेले होने की भावना से खुद को ही आहत करते रहेंगे और दूसरे पर निर्भर हो जाएंगे हर काम के लिए. उन्हें मन की उदासी से निकल कर पहले खुद के लिए और फिर दूसरों के लिए जीना सीखना होगा.

“अपने को दोषी मान कर और आत्मप्रताड़ना और स्वयं पर दया करते रहना, उन का स्वभाव सा बन गया है. हम केवल मदद कर सकते हैं, पर निकलना उन्हें खुद ही होगा…फिर चाहे उन्हें कुछ झटके ही क्यों न देने पड़ें.

“आसान नहीं है. पर भाभी, अब तो मुझे भी वह फोन पर बहुतकुछ सुना देते हैं. मजा आता है, कम से मुझे पैडस्टल से तो उतार रहे हैं.

“अब थोड़ी कम थकान महसूस करती हूं. पर, आप को थकाने के लिए सौरी. चलो भैया से थकान उतरवा लेना,’’ हंसी थी वह जोर से, तो अनुभा के चेहरे पर लाली छा गई थी.

जब रोज एक ही स्थिति से गुजरना पड़े तो वह आदत बन जाती है और फिर खलती नहीं है. उमाशंकर के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था. देख रहे थे कि बेटाबहू उन का कितना ध्यान रखते हैं. बेटे के साथ संवाद बढ़ गया था, क्योंकि अनुभा ने सेतु बनने से साफ मना कर दिया था. फिर नाराजगी करें तो भी किस बात पर, कब तक बेवजह नुक्स निकालते रहेंगे.

जब वह पार्क में सैर करने जाते हैं तो देखतेसुनते तो हैं कि बूढ़े मांबाप के साथ कितना बुरा व्यवहार करते हैं बेटाबहू… कुछ तो खाने के लिए तरसते रहते हैं. न समय पर खाना मिलता है, न दवा. और पैसे के लिए भी हाथ फैलाते रहो. महानगरीय जीवन की त्रासदी से अवगत हैं वह… भाग्यशाली हैं कि उन की दशा सुखद है. पेंशन का पैसा बैंक में ही पड़ा रहता है. जब जो चाहे खरीद लेते हैं, खर्च कर लेते हैं. तरुण तो एक बार कहने पर ही सारी चीजें जुटा देता है.

नेहा नहीं है तब भी जिंदगी मजे से कट रही है उन की. जब इनसान आत्ममंथन करने लगता है तो दिमाग में लगे जाले साफ होने लगते हैं.

पितापुत्र के बीच खिंची दीवार धीरेधीरे ही सही दरकने लगी थी. बहू बेटी नहीं बन सकती, यह मानने वाले उमाशंकर उसे  बहू का दर्जा देने लगे थे, उस के विजातीय होने के बावजूद.

नेहा ने जो दूरियां बनाई थीं, वे अनुभा को, तरुण को उन के पास ला रही थीं.

‘‘नेहा…’’ उमाशंकर ने जैसे ही आवाज लगाई तो उसे गले में ही रोक लिया. कमरे के भीतर ही सिमट गया नेहा का नाम.

‘‘अनुभा, मैं आज शाम को खिचड़ी ही खाऊंगा, साथ में सूप बना देना, अगर दिक्कत न हो तो…’’ रसोई के दरवाजे पर खड़े उमाशंकर ने धीमे स्वर में कहा. झिझक थी उन के स्वर में. समझती है अनुभा, वक्त लगेगा दूरियां खत्म होने में. एकएक कदम की दूरी ही बेशक तय हो, पर शुरुआत तो हो गई है.

वह इंतजार करेगी, जब पापा उसे बहू नहीं बेटी समझेंगे.

नेहा भी तो कब से उस दिन का इंतजार कर रही है. वह जानबूझ कर आती नहीं है मिलने भी कि कहीं पापा उसे देख फिर अनुभा के प्रति कठोर न हो जाएं.

‘‘बहुत ग्लानि होती है कई बार भाभी, मेरी वजह से आप को इतना सब झेलना पड़ रहा है,’’ कल जब अनुभा से बात हुई थी, तो नेहा ने कहा था.

‘‘गिल्टफीलिंग से बाहर निकलो, नेहा. सब ठीक हो जाएगा. आ जाओ थोड़े दिनों के लिए. तरुण भी मिस कर रहे हैं तुम्हें.’’

अनुभा ने सोचा कल ही नेहा को फोन कर के कहेगी कि उसे आ जाना चाहिए मिलने, बेटी है वह घर की. अनुभा को अधिकार दिलाने के चक्कर में अपना हक और अपने हिस्से के प्यार को क्यों छोड़ रही है वह…वह तो कितना तड़प रही है सब से मिलने के लिए. फोन पर चाहे जितनी बात कर लो, पर आमनेसामने बैठ कर बात करने का मजा ही कुछ और होता है. सारी भावनाएं चेहरे पर दिखती हैं तब.

‘‘अरे पापा बिलकुल बन जाएगा, मैं भी आज खिचड़ी ही खाऊंगा और साथ में सूप… वाह मजा आ जाएगा,’’ तरुण उन के साथ आ कर खड़ा हो गया था. दोनों साथसाथ खड़े थे. अपनेपन की एक सोंधी खुशबू खिचड़ी के लिए बनाए तड़के के साथ उठी और अनुभा को लगा जैसे आज देहरी पार कर उस ने सचमुच अपने घर में प्रवेश किया है.

मेरी गर्लफ्रेंड कभी कभी इतनी बेवकूफी भरी हरकत कर देती है कि मुझे अपनी पसंद पर शक होने लगता है, मैं क्या करूं ?

सवाल

मैं 22 साल का नौजवान हूं और अपने पड़ोस की एक 17 साल की लड़की को बहुत पसंद करता हूं और उस से शादी करना चाहता हूं. पर वह लड़की अभी नाबालिग है, इसलिए मैं बंध गया हूं. इतना ही नहीं, उस लड़की में बचपना भी बहुत है. वह कभीकभार इतनी बेवकूफी भरी हरकत कर देती है कि मुझे अपनी पसंद पर खुद ही शक होने लगता है.

हाल ही में उस लड़की ने भरे बाजार मुझे चूम लिया था और वहां से भाग गई थी. क्या मुझे उस लड़की से शादी करनी चाहिए?

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जवाब

जाहिर है कि वह लड़की नाबालिग होने के साथसाथ चुलबुली, नादान और अल्हड़ भी है, पर हिम्मत तो उस में गजब की है, जो भरे बाजार वह आप को चूम भी लेती है.

शादी को ले कर अभी जल्दबाजी न करें, क्योंकि मुमकिन यह भी है कि वह लड़की वाकई बेवकूफ हो, जो आगे चल कर आप के लिए अच्छीखासी मुसीबत बन सकती है. उसे दुनियादारी के बारे में समझाएं. अभी कम उम्र के चलते उस का बचपना गया नहीं है. उस के बालिग और समझदार होने तक इंतजार करें.

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Best of Manohar Kahaniya: बेईमानी की चाहत का नतीजा

सौजन्य- मनोहर कहानियां

5 नवंबर, 2017 की सुबह 9 बजे नवी मुंबई के उपनगर एवं थाना खांदेश्वर में ड्यूटी पर तैनात एआई गजानंद घाड़गे को बालासाहेब माने ने फोन कर के बताया कि साईंलीला हाउसिंग सोसायटी की इमारत के कमरा नंबर 12 से बहुत तेज दुर्गंध आ रही है. कमरे में बाहर से ताला बंद है. दुर्गंध से लगता है कि अंदर कोई लाश सड़ रही है.

गजानंद घाड़गे ने यह बात थानाप्रभारी अमर देसाई और इंसपेक्टर विजय वाघमारे को बताई. उन्होंने तत्काल इस मामले की डायरी तैयार कराई और एआई संतोष जाधव, गजानंद घाड़गे, सिपाही पांडुरंग सूर्यवंशी, अबू जाधव, सोमनाथ रणदिवे, संजय पाटिल और अभय जाधव को साथ ले कर घटनास्थल पर जा पहुंचे.

जिस कमरे से दुर्गंध आ रही थी, उस के सामने भीड़ लगी थी. पुलिस को देखते ही भीड़ एक किनारे हो गई. कमरे के सामने पहुंच कर पुलिस ने सूचना देने वाले उस कमरे के मालिक बालासाहब माने से पूछताछ की. पता चला कि उस कमरे में अंजलि पवार रहती थी. वह 5 महीने पहले ही वहां रहने आई थी. उसे यह कमरा उस की सहेली माया ने एक प्रौपर्टी डीलर के मार्फत दिलाया था. माया उस के सामने वाले 10 नंबर के कमरे में अपने एक पुरुष मित्र के साथ रहती थी. लेकिन वह 3-4 दिन से बाहर गई हुई थी.

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चूंकि उस कमरे की चाबी किसी के पास नहीं थी. इसलिए मजबूर हो कर दरवाजा तोड़ा गया. दरवाजा टूटते ही अंदर से बदबू का ऐसा झोंका आया, जिस से वहां खड़े लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया. पुलिस कमरे में घुसी तो फर्श पर जगहजगह खून के धब्बे नजर आए. बाथरूम का दरवाजा खुला था. उसी में बैडशीट में लपेट कर लाश रखी थी, जो कमरे के अंदर आते ही दिखाई दे गई थी. उसे कमरे में ला कर खोला गया तो उस में जो लाश निकली, वह उस कमरे में रहने वाली अंजलि पवार की थी. उस के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. शरीर पर कई गहरे घाव थे, दोनों हाथों की नसें भी कटी थीं.

लाश देख कर यही लगता था कि मृतका की हत्या 3-4 दिन पहले की गई थी. मामला हत्या का था, इसलिए थानाप्रभारी अमर देसाई ने इस बात की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को देने के साथसाथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी सूचना दी गई. सूचना पा कर थोड़ी ही देर में क्राइम टीम के साथ नवी मुंबई के डीसीपी विश्वास पांढरे और एसीपी प्रकाश निलेवाड़ घटनास्थल पर पहुंच गए.

क्राइम टीम का काम निपट गया तो अमर देसाई ने घटनास्थल की सारी औपचारिकताएं पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए पनवेल के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र भिजवा दिया. इस के बाद थाने लौट कर हत्या के इस मामले की जांच इंसपेक्टर विजय वाघमारे को सौंप दी.

विजय वाघमारे ने थानाप्रभारी अमर देसाई से सलाहमशविरा कर के जांच की रूपरेखा तैयार की और अपनी एक टीम बना कर हत्यारों तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी. दूसरी ओर नवी मुंबई के सीपी हेमंत नगराले और जौइंट सीपी मधुकर पांडेय के निर्देश पर नवी मुंबई क्राइम ब्रांच-2 की टीम भी हत्या के इस मामले की जांच में लग गई.

जांच का निर्देश मिलते ही क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर एस.पी. कोल्हटकर ने भी घटनास्थल का निरीक्षण कर के मामले की जानकारियां जुटाईं. कोल्हटकर की नजर मृतका की सहेली माया पर थी, इसलिए माया को क्राइम ब्रांच ने अपने औफिस बुला लिया. उस से की गई पूछताछ में जो पता चला, उस से क्राइम ब्रांच को उस के प्रेमी राजकुमार उर्फ राज पर शक हुआ. क्योंकि पुलिस को माया की बातों से राजकुमार शातिर प्रवृत्ति का लगा था. शंका की एक वजह यह भी थी कि वह उसी दिन से गायब था, जिस दिन अंजलि की हत्या हुई थी.

पुलिस ने माया से राजकुमार का मोबाइल नंबर ले कर सर्विलांस पर लगा दिया. इस का परिणाम भी मनचाहा मिला. सर्विलांस की मदद से राजकुमार को 14 नवंबर, 2016 को तलौजा के नावड़ा फाटक के पास से गिरफ्तार कर लिया गया.

28 साल का राजकुमार उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ के रहने वाले आदिनाथ पांडेय का बेटा था. आदिनाथ पांडेय काफी पहले रोजीरोटी के चक्कर में महाराष्ट्र के जिला रायपुर आ कर वहां की तहसील खालापुर के गांव शिवनगर में रहने लगे थे. गुजरबसर के लिए उन्होंने शिवनगर के बसस्टौप पर पान का खोखा रख लिया था. राजकुमार उन की एकलौती संतान था.

अधिक लाड़प्यार की वजह से वह बिगड़ गया था. आदिनाथ घर से सुबह जल्दी निकल जाते थे और देर रात लौटते थे, इसलिए वह बेटे पर ध्यान नहीं दे पाते थे. यही वजह थी कि जैसेजैसे वह बड़ा होता गया, वैसेवैसे उस की आदतें बिगड़ती गईं. पिता को समय नहीं मिलता था, मां कुछ कह नहीं पाती थी, इसलिए उसे न किसी का डर था न लिहाज. वह अपनी मनमरजी करने लगा. उस ने दोस्ती भी अपने जैसे लड़कों से कर ली, जिन्होंने उसे और बिगाड़ दिया.

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कमउम्र में ही वह शराब के साथसाथ शबाब का भी शौकीन हो गया. बाप की इतनी कमाई नहीं थी कि वह उस के जायजनाजायज खर्च पूरे करते, इसलिए अपने नाजायज खर्चे पूरे करने के लिए वह चोरियां और लूट करने लगा. लड़कियों के शौक ने ही उस की मुलाकात माया से करा दी. माया उस अड्डे की सब से खूबसूरत युवती थी, इसलिए उस की कीमत भी सब से ज्यादा थी. वह कभीकभी ही धंधे के लिए अड्डे पर आती थी. उस की ज्यादातर बुकिंग उन ग्राहकों के साथ ही होती थी, जो उसे होटल या गेस्टहाउस ले जाते थे.

माया का भाव बहुत ज्यादा था, जिसे अदा करना राजकुमार के वश में नहीं था. माया उसे भा जरूर गई थी, पर उस के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उस के पास जा पाता. ऐसे में उस की दाल कहां गलने वाली थी. पर उस ने हिम्मत नहीं हारी. उस ने मन ही मन तय कर लिया कि एक न एक दिन वह माया को अपनी बना कर रहेगा.

समय अपनी गति से चलता रहा. राजकुमार ने जब से माया को देखा था, तब से उस का दीवाना हो चुका था. माया उस के दिमाग में कुछ इस तरह छा गई थी कि सोतेजागते वह उसी के बारे में सोचा करता था. इस बीच उस ने कई बार माया के पास जाने की कोशिश की, लेकिन माया ने बिना पैसे के उसे भाव नहीं दिया, क्योंकि वह आदमी की नहीं, पैसों की कद्र करती थी.

राजकुमार को जब लगा कि बिना पैसों के वह माया तक नहीं पहुंच सकता तो पैसों के लिए उस ने एक बड़ी योजना बनाई. उस ने ज्वैलथीफ विनोद सिंह की तरह काम किया, जिस में वह सफल भी रहा. विनोद ने अकेले ही मुंबई और बंगलुरु की गहनों की कई दुकानों में सेंधमारी की थी. आजकल वह जेल में बंद है.

विनोद सिंह की तर्ज पर राजकुमार के पास पैसा आया तो उसे माया के पास पहुंचने में देर नहीं लगी. वह आए दिन माया के पास जाने लगा. धीरेधीरे दोनों के बीच की दूरियां खत्म हुईं तो दोनों एकदूसरे से अपना दुखदर्द बांटने लगे. राजकुमार माया को पहले से प्यार करता था, अब वह उस से विवाह के बारे में सोचने लगा. माया जिस मजबूरी के तहत उस अंधेरी गली में आई थी, उस मजबूरी को हल कर के वह उसे उजाले में लाने की कोशिश करने लगा.

दरअसल, माया यवतमाल के एक छोटे से गांव की रहने वाली थी. उस की पारिवारिक स्थिति काफी खराब थी. भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी. उस के पिता को टीबी हो गई थी, जिस के इलाज के लिए उसे पैसों की जरूरत थी. वह जिस के भी पास नौकरी या पैसों के लिए गई, उसी ने उसे काम देने के बजाय उस की सुंदरता पर ज्यादा ध्यान दिया.

मजबूर हो कर उस ने सोचा कि लोग उस की सुंदरता का फ्री में लाभ उठाएं, उस से अच्छा है कि वही क्यों न अपनी सुंदरता का लाभ उठाए. इस के बाद माया गांव के बिगड़े शरीफजादों के पास खुद ही जाने लगी. उन्हें वह अपना तन सौंपती और बदले में उन से अच्छा पैसा लेती. धीरेधीरे उस के देहव्यापार की बात गांव में फैलने लगी तो वह गांव छोड़ कर मुंबई आ गई.

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माया खुद अपनी मरजी से देहव्यापार में आई थी, इसलिए कोठा मालकिन ने उसे अपना धंधा स्वतंत्र रूप से करने की इजाजत दे दी. उस से वह सिर्फ अपने कोठे का किराया लिया करती थी. पहले तो माया ने राजकुमार की ओर ध्यान नहीं दिया. वह उसे अपना शरीर सौंप कर बदले में उस से कीमत लेती रही. लेकिन जब उसे लगा कि राजकुमार उसे सचमुच प्यार करता है तो उस का भी झुकाव उस की ओर होने लगा. वह भी उस से प्यार करने लगी.

अब दोनों के बीच शरीर और पैसों की बात खत्म हो गई. उन्हें जब भी मौका मिलता, वे शहर से बाहर घूमने निकल जाते, राजकुमार चोरी के पैसे से माया की जरूरतें पूरी कर रहा था.

जब राजकुमार को विश्वास हो गया कि माया भी उस से प्यार करने लगी है तो उस ने उस के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया. लेकिन यह बात माया को उचित नहीं लगी, इसलिए उस ने इंतजार करने को कहा.

माया ने राजकुमार को शादी के लिए भले ही इंतजार करने के लिए कहा था, लेकिन वह उस के साथ लिवइन में रहने लगी. रहते भले ही दोनों साथ थे, लेकिन दोनों किसी के काम में हस्तक्षेप नहीं करते थे. जबकि दोनों को परिणामों के बारे में अच्छी तरह पता था.

आखिर एक दिन मुंबई क्राइम ब्रांच ने राजकुमार को सेंधमारी की योजना बनाते हुए पकड़ लिया. इस मामले में उसे 6 महीने की सजा हुई. कुछ दिनों जेल में रहने के बाद 28 अक्तूबर, 2016 को वह पैरोल पर बाहर आया तो फिर लौट कर जेल नहीं गया. अंजलि और माया सहेलियां थीं. माया की तरह वह भी देह के धंधे में लिप्त थी. राजकुमार के जेल जाने के बाद अंजलि की माया से मुलाकात एक पिकनिक पौइंट पर हुई तो जल्दी ही दोनों में गहरी दोस्ती हो गई.

27 साल की स्वस्थ और सुंदर अंजलि अतिमहत्त्वाकांक्षी युवती थी. वह गुजरात के जिला बलसाड़ की रहने वाली थी. साधारण परिवार में जन्मी अंजलि के सपने काफी बड़े थे. लेकिन उस की शादी एक औटोचालक विपिन पवार से हो गई थी. वह नवी मुंबई के उपनगर खांदेश्वर में किराए पर औटो ले कर चलाता था.

इसे अपनी बदनसीबी समझ कर अंजलि विपिन के साथ रह रही थी. लेकिन उस की कमाई से वह खुश नहीं थी. क्योंकि आधी से अधिक कमाई की तो वह शराब ही पी जाता था, जो बचता था, उस से  घर का खर्च चलाना मुश्किल था.

कुछ दिनों तक तो अंजलि यह सब झेलती रही, लेकिन जब उस ने देखा कि अगर वह पति के सहारे रही तो इसी तरह घुटघुट कर मर जाएगी. इसलिए उस ने कुछ करने का विचार किया.

वह जिस बस्ती में रहती थी, वहां की कई लड़कियां और महिलाएं बीयरबारों में काम करती थीं. वे काफी सुखी थीं. अंजलि ने उन से बात की और उन के साथ जाने लगी.

बीयरबार में काम करतेकरते वह अधिक कमाई के लिए देहव्यापार भी करने लगी. इस काम में उसे अच्छी कमाई होने लगी. साथ ही वह ग्राहकों के साथ घूमने भी जाने लगी. ऐसे में ही उस की मुलाकात माया से हुई तो एक ही राह की राही होने की वजह से दोनों में दोस्ती हो गई. दोस्ती इतनी गहरी थी कि वे एकदूसरे के घर भी आनेजाने लगी थीं. पैसा आने लगा तो अंजलि के रहनसहन में पूरी तरह बदलाव आ गया. इस बदलाव की असलियत की जानकारी उस के पति विपिन को हुई तो उस ने अंजलि को समझाने के साथसाथ धमकाया भी, पर अंजलि को जो सुख इस काम में मिल रहा था, वह भला उसे कैसे छोड़ती.

घर में लड़ाईझगड़ा शुरू हुआ तो रोजरोज की किचकिच से तंग आ कर उस ने पति को ही छोड़ दिया. पति को छोड़ कर वह माया द्वारा दिलाए गए किराए के मकान में रहने लगी.

पैरोल पर जेल से छूट कर आया राजकुमार माया के पास पहुंचा तो अंजलि को देख कर उस पर मर मिटा. जब उसे पता चला कि अंजलि भी माया की तरह देहधंधा करती है तो उसे अपनी राह आसान नजर आई. उस ने सोचा कि वह जब चाहेगा, पैसे के बल पर या ऐसे ही उसे पा लेगा. अब वह उसे पाने का मौका ढूंढने लगा.

3 नवंबर, 2016 को माया अपने किसी ग्राहक के साथ गोवा चली गई. उसे बस पर बैठा कर राजकुमार लौट रहा था तो अपना खाना और शराब की बोतल साथ ले आया. शराब पीने के बाद उसे नशा चढ़ा तो उसे अंजलि की याद आई. उस की याद में वह खाना भूल गया.

उस समय तक रात के 12 बज चुके थे. सोसाइटी के लगभग सभी लोग सो चुके थे. धीरे से माया के घर से निकल कर उस ने अंजलि का दरवाजा खटखटाया तो उस ने दरवाजा खोल दिया. अंजलि के दरवाजा खोलते ही राजकुमार उस के कमरे में आ गया. अंजलि उस समय रात वाले आरामदायक कपड़ों में थी.

उसे उन कपड़ों में देख कर राजकुमार उत्तेजित हो उठा. उस ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘अंजलि, तुम्हारी सहेली मुझे अकेला छोड़ कर गोवा चली गई, जबकि इस समय मुझे उस की सख्त जरूरत महसूस हो रही है. सोचा, माया नहीं है तो उस की सहेली ही सही. तुम उस की कमी पूरी कर दो.’’

राजकुमार की मंशा भांप कर अंजलि ने उसे अपने कमरे में जाने को कहा तो वापस जाने के बजाए राजकुमार अंदर से दरवाजा बंद कर के उस के साथ जबरदस्ती करने लगा. अंजलि ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन हट्टेकट्टे राजकुमार से वह खुद को बचा नहीं सकी. आखिर राजकुमार मनमानी कर के ही माना.

मनमानी कर के राजकुमार जाने लगा तो अंजलि ने कहा, ‘‘तुम ने मेरे साथ जो किया है, ठीक नहीं किया. आने दो माया को, मैं उसी से नहीं, पुलिस से भी तुम्हारी शिकायत करूंगी.’’

अंजलि की इस धमकी से राजकुमार डर गया. नशे में वह था ही, फलस्वरूप अच्छाबुरा नहीं सोच सका. वह एक खतरनाक फैसला ले कर किचन में गया और वहां से सब्जी काटने वाली छुरी ला कर यह सोच कर अंजलि पर हमला कर दिया कि न यह रहेगी और न शिकायत करेगी.

अंजलि की हत्या कर के वह बाहर आया और दरवाजे पर ताला लगा कर माया के कमरे पर आ गया. अगले दिन वह तलौजा में रहने वाले अपने एक पुराने दोस्त के यहां चला गया, जहां से क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.

पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच पुलिस ने राजकुमार को थाना खांदेश्वर पुलिस के हवाले कर दिया, जहां इंसपेक्टर विजय वाघमारे ने उस के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर के उसे जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में ही था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

‘मेक इन इण्डिया’ और ‘डिफेंस काॅरिडोर’ आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होगा : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ‘मेक इन इण्डिया’ संकल्पना को साकार करने में उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर की महत्वपूर्ण भूमिका है. यह काॅरिडोर रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होगा. उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर एक ग्रीन-फील्ड परियोजना है. यह परियोजना डिफेंस तथा एयरोस्पेस उद्योग के लिए ही नहीं, अपितु परियोजना क्षेत्र में स्थापित, रक्षा क्षेत्र से सम्बन्ध न रखने वाली एमएसएमई इकाइयों तथा स्टार्टअप के लिए भी लाभकारी होगी.

मुख्यमंत्री जी आज सीआईआई-इण्डिजेनाइजेशन समिट ऑन डिफेंस एण्ड एयरोस्पेस-2021 (सीआईआई-आईएसडीए-2021) को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने विश्वास जताया कि इस समिट के माध्यम से ऐसे उपयोगी सुझाव प्राप्त होंगे, जो आदरणीय प्रधानमंत्री जी की भावना के अनुरूप रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उपयोगी सिद्ध होंगे. ‘इण्डिया मार्चिंग टुवड्र्स सेल्फ-रिलायन्स इन डिफेंस एण्ड एयरोस्पेस’ थीम पर आधारित इस समिट का आयोजन सीआईआई, यूपीडा तथा सोसाइटी आॅफ इण्डियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) द्वारा संयुक्त रूप से 28 जुलाई से 31 जुलाई, 2021 तक किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री जी के विकास के माॅडल को पूरी प्रतिबद्धता से लागू किया है. विगत 4 वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने जो पहल की है, उसने देश व दुनिया में उत्तर प्रदेश के सम्बन्ध में लोगों की धारणा में परिवर्तन किया है. अपराध और भ्रष्टाचार के प्रति राज्य सरकार की जीरो टाॅलरेन्स नीति से उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण हुआ है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2018 के केन्द्रीय बजट में देश में 02 डिफेंस काॅरिडोर स्थापित किये जाने की घोषणा की गयी थी. फरवरी, 2018 में आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा लखनऊ में ‘उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट’ का शुभारम्भ किया गया था. इस अवसर पर प्रधानमंत्री जी द्वारा उत्तर प्रदेश में डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर की स्थापना की घोषणा की गयी थी. इन्वेस्टर्स समिट में प्राप्त 4.68 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों में से 03 लाख करोड़ रुपए के एमओयू क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर में निवेश प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018’ लागू की. इस नीति को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए माह दिसम्बर, 2019 में कई महत्वपूर्ण संशोधन किये गये. उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर में निवेश के प्रोत्साहन के लिए नीतियों के अन्तर्गत प्रदान की जा रहीं अनेक प्रकार की छूट एवं सब्सिडी से, उत्तर प्रदेश सरकार देश में मार्गदर्शक की भूमिका निभा रही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर के तहत आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट, झांसी, कानपुर तथा लखनऊ में 06 नोड चिन्हित किये गये हैं. सभी 06 नोड्स में लगभग 1500 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है. इस परियोजना के प्रति निवेशकों एवं उद्यमियों के उत्साह को देखते हुए निर्देश दिये गये हैं कि जहां पर भूमि की मांग अधिक है, वहां भूमि क्रय की जाए. अलीगढ़ नोड में सड़क, बिजली एवं पानी की सुविधा विकसित करने की प्रक्रिया गतिमान है. अलीगढ़ नोड में लगभग 74 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गयी है, जिसका लगभग पूर्ण रूप से आवंटन 19 इकाइयों में हो चुका है. इनके माध्यम से कुल 1500 करोड़ रुपये का निवेश सम्भावित है. अलीगढ़ नोड का शिलान्यास अगस्त, 2021 में प्रस्तावित है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर के विकास में प्रधानमंत्री जी तथा रक्षा मंत्री जी का निरन्तर मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है. फरवरी, 2020 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डिफेंस एक्सपो का 11वां संस्करण सफलतापूर्वक आयोजित किया गया. यह एक यूनीक इवेन्ट थी. डिफेंस एक्सपो-2020 अपनी श्रेणी का अब तक का सबसे वृहद एवं सफलतम आयोजन रहा है. इसके माध्यम से डिफेंस इण्डस्ट्री से जुड़े पूरी दुनिया के प्रतिष्ठित उद्यमियों, कम्पनियों एवं निवेशकों को राज्य के डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर की विस्तृत जानकारी मिली. राज्य सरकार उन्हें यह अवगत कराने में सफल रही कि उत्तर प्रदेश में भारत का सबसे बड़ा एमएसएमई का बेस उपलब्ध है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र की इकाइयों की संख्या सर्वाधिक है. राज्य में एमएसएमई सेक्टर में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 03 करोड़ लोग कार्यरत हैं. राज्य सरकार द्वारा एमएसएमई सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ योजना तथा ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान’ योजना लागू की गई है. इन योजनाओं के उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था में एमएसएमई सेक्टर के महत्व को देखते हुए राज्य सरकार निरन्तर इस सेक्टर को सुदृढ़ कर रही है. वर्तमान सरकार द्वारा बैंकों से समन्वय करते हुए अब तक 70 लाख 69 हजार से अधिक एमएसएमई इकाइयों को 02 लाख 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक धनराशि का ऋण उपलब्ध कराया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि डिफेंस एक्सपो के आयोजन से रक्षा उद्योग व एयरोस्पेस सेक्टर में उत्तर प्रदेश में भारी निवेश को बल मिला. उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर के तहत अभी तक 41 अनुबन्ध किये गये हैं. इनमें से 23 निवेशक कम्पनियों के साथ 50 हजार करोड़ रुपए के निवेश के एमओयू डिफेंस एक्सपो-2020 के दौरान हस्ताक्षरित हुए. भारत सरकार के उपक्रम ओएफबी, एचएएल तथा बीईएल द्वारा आने वाले 05 वर्षाें में 2,317 करोड़ रुपये के निवेश की उद्घोषणा की गयी है. ओएफबी तथा एचएएल द्वारा लगभग 820 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है. इसके अलावा, निजी कम्पनियों का निवेश भी प्राविधानित है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार ने डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम के अन्तर्गत डिफेंस काॅरिडोर में प्रयोगशालाएं स्थापित करने का निर्णय लिया है. इससे उद्योग जगत, एमएसएमई इकाइयों तथा स्टार्ट-अप को टेक्नोलाॅजी परीक्षण, प्रोटोटाइपिंग, डिजाइन और डेवलपमेण्ट में सुविधा होगी. काॅमन फैसिलिटी सेण्टर की स्थापना के लिए देश की अग्रणी संस्थाओं से वार्ता की प्रक्रिया अन्तिम चरण में है. इन प्रतिष्ठानों में टाटा टेक्नोलाॅजी, सीमेन्स और दासाॅल्ट सिस्टम शामिल हैं.

प्रदेश के डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर से भारतीय नौसेना के जुड़ाव को गौरवपूर्ण बताते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गत वर्ष भारतीय नौसेना तथा डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर की कार्यदायी संस्था यूपीडा के मध्य एक एमओयू हस्ताक्षरित हुआ. राज्य सरकार ने आईआईटी, बीएचयू तथा आईआईटी, कानपुर में ‘सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस’ स्थापित किये हैं, जो भारतीय नौसेना के साथ मिलकर कार्य करेंगे. यह ‘सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस’ इण्डस्ट्रीज और एकेडमियों के बीच समन्वय करते हुए उद्यमियों एवं निवेशकों की जरूरतों के अनुरूप तकनीकी समाधान उपलब्ध कराएंगे. प्रदेश सरकार द्वारा इन संस्थाओं को अनुसंधान एवं विकास के लिए अग्रिम ग्राण्ट की प्रथम किश्त दी जा चुकी है. द्वितीय किश्त हेतु प्रस्ताव विचाराधीन है. आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अपने विजन में नवाचार और स्वदेशीकरण पर बल दिया है. इसके दृष्टिगत यह ‘सेण्टर आॅफ एक्सीलेंस’ महत्वपूर्ण योगदान करेंगे.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने भारत की अर्थव्यवस्था को 05 ट्रिलियन डाॅलर का बनाने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रदेश की बड़ी भूमिका है. राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश को 01 ट्रिलियन डाॅलर अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित करना है. राज्य सरकार ने इस दिशा में निरन्तर प्रयास किये. परिणामस्वरूप न केवल ‘ईज आॅफ डूइंग बिजनेस’ में प्रदेश की रैंकिंग बढ़कर दूसरी हो गयी है, बल्कि राज्य देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. राज्य सरकार विकास और समृद्धि की गति को और तेज करते हुए वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2021-22 तक प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय को दोगुनी करने के लिए प्रयत्नशील है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में निवेश का उत्तम वातावरण सृजित करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया है. नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति (2017) के साथ 20 से अधिक क्षेत्र-विशिष्ट निवेशोन्मुखी नीतियों के पारदर्शी कार्यान्वयन से, राज्य सरकार रोजगार सृजन के लिए निवेश और ‘मेक इन यूपी’ को बढ़ावा दे रही है. निवेश प्रोत्साहन में गतिशीलता लाने के लिए प्रदेश का ‘निवेश मित्र’ पोर्टल उद्यमियों को सेवाएं प्रदान कर रहा है. यह पोर्टल भारत के सबसे विशाल एवं व्यापक डिजिटल सिंगल विण्डो क्लीयरेंस प्लेटफाॅम्र्स में से एक है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार सम्पूर्ण राज्य में मैन्युफैक्चरिंग केन्द्रों की सुविधा के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे और त्वरित कनेक्टिविटी का विकास करा रही है. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे तथा बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया जा रहा है. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे भी निर्माणाधीन है. यह परियोजनाएं शीघ्र पूरी हो जाएंगी. राज्य सरकार ने मेरठ से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण का भी निर्णय लिया है. यह भारत के सबसे लम्बे एक्सप्रेस-वे में से एक होगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी तथा कुशीनगर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डे हैं. जेवर एवं अयोध्या में बनने वाले अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों को सम्मिलित करते हुए राज्य में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की संख्या बढ़कर 05 हो जाएगी. प्रदेश में वर्ष 2017 में मात्र 04 एयरपोर्ट लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर तथा आगरा क्रियाशील थे तथा कुल 25 गंतव्य स्थान हवाई सेवाओं से जुड़े थे. वर्तमान में 08 एयरपोर्ट लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, हिंडन, बरेली क्रियाशील हैं, जिनसे कुल 71 गंतव्य स्थानों के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं. ‘उड़ान योजना’ के तहत विभिन्न जनपदों में हवाई अड्डों का विकास कराया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट काॅरिडोर तथा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट काॅरिडोर उत्तर प्रदेश से गुजरते हैं. राज्य में दादरी, बोराकी तथा वाराणसी में मल्टीमोडल लाॅजिस्टिक/ट्रांसपोर्ट हब की स्थापना की जा रही है. वाराणसी से हल्दिया के बीच देश का पहला राष्ट्रीय जलमार्ग क्रियाशील है. रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत प्रदेश में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ काॅरिडोर का निर्माण कार्य प्रगति पर है. कानपुर तथा आगरा जनपदों में मेट्रो रेल परियोजना का कार्य तेजी से चल रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने उद्योगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं. लैण्ड बैंक में वृद्धि के लिए अनेक सुधार लागू किए गए. औद्योगिक भूमि के लिए एफआर को बढ़ाकर 3.5 कर दिया गया है. सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को मेगा एवं इससे उच्च श्रेणी के उद्योगों को, आवेदन की तिथि से 15 दिन के भीतर भूमि प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड काल खण्ड की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने अनेक नई नीतियां घोषित की हैं. प्रदेश में 250 मेगावाॅट क्षमता के डाटा सेण्टर उद्योग में 20,000 करोड़ रुपए के निवेश के लक्ष्य के साथ डाटा सेण्टर नीति-2021 घोषित की गई है. इसी प्रकार, गैर-आईटी आधारित स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने नई स्टार्ट अप नीति-2020 घोषित की है. इलेक्ट्राॅनिक्स सिस्टम डेवलपमेण्ट एण्ड मेनटेनेन्स और कम्पोनेण्ट निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए नई इलेक्ट्राॅनिक नीति-2020 के अन्तर्गत नवीनीकृत प्लाण्ट और मशीनरी पर स्थिर पूंजीगत निवेश के 40 प्रतिशत तक प्रोत्साहन प्रदान करने जैसे नीतिगत निर्णय लिए गए हैं.

समिट को अपर मुख्य सचिव गृह एवं यूपीडा के सीईओ श्री अवनीश कुमार अवस्थी, एसआईडीएम के प्रेसिडेंट श्री जयन्त पाटिल, एसआईडीएम यूपी चैप्टर के चेयरमैन श्री सचिन अग्रवाल, सीआईआई नाॅर्दर्न रीजन कमेटी आॅन डिफेंस एण्ड एयरोस्पेस के चेयरमैन श्री मनोज गुप्ता एवं को-चेयरमैन सुश्री अमिता सेठी ने भी सम्बोधित किया.

इस अवसर पर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री संजीव मित्तल, अपर मुख्य सचिव एमएसएमई एवं सूचना श्री नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, विशेष सचिव मुख्यमंत्री श्री अमित सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

भोजपुरी एक्ट्रेस Monalisa ने रोमांटिक अंदाज में सेलिब्रेट किया पति का बर्थडे, देखें Photos

भोजपुरी इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस मोनालिसा (Monalisa) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह आए दिन अपनी फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं.  वह अपनी प्रसनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़े हर अपडेट्स फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं.

हाल ही में एक्ट्रेस ने अपने पति विक्रांत का बर्थडे सेलिब्रेट किया है. यह जानकारी सोशल मीडिया से मिली है. दरअसल मोनालिसा ने सोशल मीडिया पर पति के साथ कुछ फोटोज शेयर की हैं. इन फोटोज में वह रोमांटिक पोज देते हुए नजर आ रही हैं.

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मोनालिसा ने इन तस्वीरों के शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि हैप्पी बर्थडे विक्रांत. भगवान तुम्हें खूब प्यार दे, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं.

 

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मोनालिसा अक्सर अपने पति के साथ फोटोज शेयर करती रहती हैं. बताया जाता है कि जब मोनालिसा ने भोजपुरी इंडस्ट्री से निकलकर हिन्दी टीवी इंडस्ट्री में कदम रखने का मन बनाया तो विक्रांत ने उनका पूरा साथ दिया.

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मोनालिसा इन दिनों हिन्दी टीवी सीरियल में नजर आ रही हैं. वह टीवी पर कई शोज में नजर आ चुकी हैं. दर्शकों को उनका निगेटिव रोल काफी पसंद आता है. मोनालिसा बिग बॉस का भी हिस्सा रह चुकी हैं.

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GHKKPM: पाखी करेगी आत्महत्या की कोशिश तो क्या करेगा विराट

टीवी सीरियल गुम है किसी के प्‍यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में आए दिन नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. कहानी का एंगल एक नया मोड़ ले रही है. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि विराट सई और आजिंक्य पर शक करता है, जिसकी वजह से दोनो में लड़ाई होती है. सई नाराज होकर घर से निकल जाती है और रास्ते में उसका एक्सीडेंट हो जाता है. शो के नए एपिसोड महाट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के आगे की कहानी.

शो में इन दिनों इमोशनल ट्रैक चल रहा है. सई को चोट पहुंचने की वजह से चौहान परिवार दुखी है. तो उधर सई घर वापस नहीं जाना चाहती है. तो वहीं पुलकित उसे अपने घर चलने के लिए कहता है. इसी बीच निनाद बताता है कि सई के कमरे में आजिंक्य पाखी की वजह से गया था. क्योंकि पाखी ने ही उसे मजबूर किया था.

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पाखी करेगी सुसाइड करने की कोशिश

विराट ये सुनकर आग बबूला हो जाएगा. वह पाखी पर बहुत गुस्सा करेगा और उसको तुरंत घर छोड़कर जाने के लिए कहेगा. पाखी किसी भी हाल में विराट को नहीं छोड़ना चाहती है. वह गुस्से में सुसाइड करने की कोशिश करेगी. वह अपना कलाई काट लेगी. तो वहीं भवानी उसे इस हालत में देख लेगी और अस्‍पताल लेकर जाएगी.

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सई और विराट करेंगे रोमांटिक डेट

शो में ये भी जल्द ही सई और विराट के बीच रोमांस देखने को मिलेगा. अश्‍व‍िनी और मोहित के समझाने पर सई घर जाने के लिए तैयार हुई है. अब विराट और सई के बीच नजदीकियां और बढ़ेंगी. अपकमिंग एपिसोड में निनाद के किरदार में भी बदलाव देखने को मिलेगा. वह सई को समझने लगेगा.

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जिंदगी के लमहे किस पल क्या रंग लेंगे, इस की किसी को खबर  नहीं होती. चंद घंटों पहले तक कौस्तुभ की जिंदगी कितनी सुहानी थी. पर इस समय तो हर तरफ सिवा अंधेरे के कुछ भी नहीं था. प्रतिभाशाली, आकर्षक और शालीन नौजवान कौस्तुभ को जो देखता था, तारीफ किए बिना नहीं रह पाता था. एम. एससी. कैमिस्ट्री में गोल्ड मैडलिस्ट कौस्तुभ पी. एच.डी करने के  साथ ही आई.ए.एस. की तैयारी भी कर रहा था. भविष्य के ऊंचे सपने थे उस के, मगर एक हादसे ने सब कुछ बदल कर रख दिया. आज सुबह की ही तो बात थी कितना खुश था वह. 9 बजे से पहले ही लैब पहुंच गया था. गौतम सर सामने खड़े थे. उन्हीं के अंडर में वह पीएच.डी. कर रहा था. अभिवादन करते हुए उस ने कहा, ‘‘सर, आज मुझे जल्दी निकलना होगा. सोच रहा हूं, अपने प्रैक्टिकल्स पहले निबटा लूं.’’

‘‘जरूर कौस्तुभ, मैं क्लास लेने जा रहा हूं पर तुम अपना काम कर लो. मेरी सहायता की तो यों भी तुम्हें कोई जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन मैं यह जानना जरूर चाहूंगा कि जा कहां रहे हो, कोई खास प्लान?’’ प्रोफैसर गौतम उम्र में ज्यादा बड़े नहीं थे. विद्यार्थियों के साथ दोस्तों सा व्यवहार करते थे और उन्हें पता था कि आज कौस्तुभ अपनी गर्लफ्रैंड नैना को ले कर घूमने जाने वाला है, जहां वह उसे शादी के लिए प्रपोज भी करेगा. कौस्तुभ की मुसकराहट में प्रोफैसर गौतम के सवाल का जवाब छिपा था. उन के जाते ही  कौस्तुभ ने नैना को फोन लगाया, ‘‘माई डियर नैना, तैयार हो न? आज एक खास बात करनी है तुम से…’’

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‘‘आई नो कौस्तुभ. शायद वही बात, जिस का मुझे महीनों से इंतजार था और यह तुम भी जानते हो.’’ ‘‘हां, आज हमारी पहली मुलाकात की वर्षगांठ है. आज का यह दिन हमेशा के लिए यादगार बना दूंगा मैं.’’ लीड कानों में लगाए, बातें करतेकरते कौस्तुभ प्रैक्टिकल्स की तैयारी भी कर रहा था. उस ने परखनली में सल्फ्यूरिक ऐसिड डाला और दूसरी में वन फोर्थ पानी भर लिया. बातें करतेकरते ही कौस्तुभ ने सोडियम मैटल्स निकाल कर अलग कर लिए. इस वक्त कौस्तुभ की आंखों  के आगे सिर्फ नैना का मुसकराता चेहरा घूम रहा था और दिल में उमंगों का ज्वार हिलोरें भर रहा था.

नैना कह रही थी, ‘‘कौस्तुभ, तुम नहीं जानते, कितनी बेसब्री से मैं उस पल का इंतजार कर रही हूं, जो हमारी जिंदगी में आने वाला है. आई लव यू …’’ ‘‘आई लव यू टू…’’ कहतेकहते कौस्तुभ ने सोडियम मैटल्स परखनली में डाले, मगर भूलवश दूसरी के बजाय उस ने इन्हें पहली वाली परखनली में डाल दिया. अचानक एक धमाका हुआ और पूरा लैब कौस्तुभ की चीखों से गूंजने लगा. आननफानन लैब का स्टाफ और बगल के कमरे से 2-4 लड़के दौड़े आए. उन में से एक ने कौस्तुभ की हालत देखी, तो हड़बड़ाहट में पास रखी पानी की बोतल उस के चेहरे पर उड़ेल दी. कौस्तुभ के चेहरे से इस तरह धुआं निकलने लगा जैसे किसी ने जलते तवे पर ठंडा पानी डाल दिया हो. कौस्तुभ और भी जोर से चीखें मारने लगा.

तुरंत कौस्तुभ को अस्पताल पहुंचाया गया. उस के घर वालों को सूचना दे दी गई. इस बीच कौस्तुभ बेहोश हो चुका था. जब वह होश में आया तो सामने ही उस की गर्लफ्रैंड नैना  उस की मां के साथ खड़ी थी. पर वह नैना को देख नहीं पा रहा था. हादसे ने न सिर्फ उस का अधिकांश चेहरा, बल्कि एक आंख भी बेकार कर दी थी. दूसरी आंख भी अभी खुल नहीं सकती थी, पट्टियां जो बंधी थीं. वह नैना को छूना चाहता था, महसूस करना चाहता था, मगर आज नैना उस से बिलकुल दूर छिटक कर खड़ी थी. उस की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह कौस्तुभ के करीब आए. कौस्तुभ 6 महीनों तक अस्पताल, डाक्टर, दवाओं, पट्टियों और औपरेशन वगैरह में ही उलझा रहा. नैना एकदो दफा उस से मिलने आई पर दूर रह कर  ही वापस चली गई. कौस्तुभ की पढ़ाई, स्कौलरशिप और भविष्य के सपने सब अंधेरों में खो गए. लेकिन इतनी तकलीफों के बावजूद कौस्तुभ ने स्वयं को पूरी तरह टूटने नहीं दिया था. किसी न किसी तरह हिम्मत कर सब कुछ सहता रहा, इस सोच के साथ कि सब ठीक हो जाएगा. मगर ऐसा हुआ नहीं. न तो लौट कर नैना उस की जिंदगी में आई और न ही उस का चेहरा पहले की तरह हो सका. अब तक के अभिभावक उस पर लाखों रुपए खर्च कर चुके थे. पर अपना चेहरा देख कर वह स्वयं भी डर जाता था.

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घर आ कर एक दिन जब कौस्तुभ ने नैना को फोन कर बुलाना चाहा, तो वह साफ मुकर गई और स्पष्ट शब्दों में बोली, ‘‘देखो कौस्तुभ, वास्तविकता समझने का प्रयास करो. मेरे मांबाप अब कतई मेरी शादी तुम से नहीं होने देंगे, क्योंकि तुम्हारे साथ मेरा कोई भविष्य नहीं. और मैं स्वयं भी तुम से शादी करना नहीं चाहती क्योंकि अब मैं तुम्हें प्यार नहीं कर पाऊंगी. सौरी कौस्तुभ, मुझे माफ कर दो.’’ कौस्तुभ कुछ कह नहीं सका, मगर उस दिन वह पूरी तरह टूट गया था. उसे लगा जैसे उस की दुनिया अब पूरी तरह लुट चुकी है और कुछ भी शेष नहीं. मगर कहते हैं न कि हर किसी के लिए कोई न कोई होता जरूर है. एक दिन सुबह मां ने उसे उठाते हुए कहा, ‘‘बेटे, आज डाक्टर अंकुर से तुम्हारा अपौइंटमैंट फिक्स कराया है. उन के यहां हर तरह की नई मैडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं. शायद तेरी जिंदगी फिर से लौटा दे वह.’’कौस्तुभ ने एक लंबी सांस ली और तैयार होने लगा. उसे तो अब कहीं भी उम्मीद नजर नहीं आती थी, पर मां का दिल भी नहीं तोड़ सकता था.

कौस्तुभ अपने पिता के साथ डाक्टर के यहां पहुंचा और रिसैप्शन में बैठ कर अपनी बारी का इंतजार करने लगा. तभी उस के बगल में एक लड़की, जिस का नाम प्रिया था, आ कर बैठ गई. साफ दिख रहा था कि उस का चेहरा भी तेजाब से जला हुआ है. फिर भी उस ने बहुत ही करीने से अपने बाल संवारे थे और आंखों पर काला चश्मा लगा रखा था. उस ने सूट पूरी बाजू का पहन रखा था और दुपट्टे से गले तक का हिस्सा कवर्ड था. लेकिन उस के चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा था. न चाहते हुए भी कौस्तुभ ने उस से पूछ ही लिया, ‘‘क्या आप भी ऐसिड से जल गई थीं?’’उस ने कौस्तुभ की तरफ देखा फिर गौगल्स हटाती हुई बोली, ‘‘जली नहीं जला दी गई थी उस शख्स के द्वारा, जो मुझे बहुत प्यार करता था.’’ कहतेकहते उस लड़की की आंखें एक अनकहे दर्द से भर गईं, लेकिन वह आगे बोली, ‘‘वह मजे में जी रहा है और मैं हौस्पिटल्स के चक्कर लगाती पलपल मर रही हूं. मेरी शादी किसी और से हो रही है, यह खबर वह सह नहीं सका और मुझ पर तेजाब फेंक कर भाग गया. एक पल भी नहीं लगा उसे यह सब करने में और मैं सारी जिंदगी के लिए…

‘‘इस बात को हुए 1 साल हो गया. लाखों खर्च हुए पर अभी भी तकलीफ नहीं गई. मांबाप कितना करेंगे, उन की तो सारी जमापूंजी खत्म हो गई है. अपने इलाज के लिए अब मैं स्वयं कमा  रही हूं. टिफिन तैयार कर मैं उसे औफिसों में सप्लाई करती हूं.’’

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Best of Manohar Kahaniya: मिल ही गई गुनाहों की सजा

सौजन्य- मनोहर कहानियां

चंडीगढ़ के एडीशनल सेशन जज एस.के. सचदेवा ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की सूची पर नजर  डाली, 16 गवाह थे. इन में पुलिस वालों के बयान तो लगभग एक जैसे थे कि लाश मिलने पर उन्होंने कौनकौन सी काररवाई की थी. अभियुक्तों की निशानदेही पर कैसे क्या बरामद किया गया था.

इस के अलावा गवाह के रूप में पेश हुए जनकदेव ने अजीब सा बयान दिया तो उसे मुकरा हुआ गवाह घोषित कर दिया गया. गुरमेल सिंह ने अपने बयान में बताया था कि सेक्टर-56 स्थित उस की दुकान पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिन की फुटेज उस ने पुलिस वालों को मुहैया करवाई थी.

संतोष कुमार का कहना था कि वह बद्दी (हिमाचल प्रदेश) की एक फैक्ट्री में मैकेनिक था और रिश्ते में अजय कुमार का साला था. 14 मई, 2016 को उसे उस की मौसी ने फोन कर के अजय की लाश मिलने की बात बताई थी. वह अगले दिन चंडीगढ़ के सिविल अस्पताल की मोर्चरी में अजय की लाश देखने गया था. तब पुलिस ने उस से लाश की लिखित शिनाख्त करवाई थी.

डा. ज्योति बरवा ने डा. रिशु जिंदल के साथ मिल कर लाश का पोस्टमार्टम किया था. डा. संजीव ने अदालत के सामने पेश हो कर मृतक की ब्लड ग्रुप संबंधी रिपोर्ट पेश की थी.

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अभियोजन पक्ष के गवाहों को निपटाने में अदालत को कई महीने का समय लग गया था. उस के बाद बचावपक्ष के गवाहों की बारी थी, जो 5 थे. दिनेश सिंह, बृजेश कुमार यादव, बलविंदर सिंह, किरन तथा खुशबू.

इन लोगों ने अपने बयान में क्या कहा, यह जानने से पहले इस मामले के बारे में जान लेना ठीक रहेगा.

रूबी कुमारी मूलरूप से बिहार की रहने वाली थी. जब वह 16 साल की थी, तभी उस की शादी अजय कुमार से हो गई थी. वह भी बिहार का ही रहने वाला था. लेकिन नौकरी की वजह से वह चंडीगढ़ में रहता था. शादी के बाद उस ने रूबी को गांव में ही मांबाप के पास छोड़ दिया था.

चंडीगढ़ से सटे मोहाली में वह गत्ता बनाने वाली एक फैक्ट्री में नौकरी करता था और चंडीगढ़ के सेक्टर-56 में छोटा सा मकान ले कर अकेला ही रहता था. साल में 2 बार 10-10 दिनों की छुट्टी ले कर वह गांव जाया करता था.

देखतेदेखते 13 साल का लंबा अरसा गुजर गया. इस बीच वह 3 बच्चों का पिता बन गया था. सन 2015 में अजय बीवीबच्चों को चंडीगढ़ ले आया. उस ने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में करवा दिया.

रूबी शरीर से चुस्तदुरुस्त थी. गांव में उस के पास साइकिल थी. चंडीगढ़ आ कर उस ने स्कूटर चलाना सीख लिया तो अजय ने उसे एक्टिवा स्कूटी दिलवा दी. अजय सुबह लोकल बस से नौकरी पर चला जाता. रूबी तीनों बच्चों को स्कूल पहुंचाती. इस के बाद खाना बना कर दोपहर को टिफिन ले कर वह स्कूटी से पति को फैक्ट्री में दे आती. शाम को छुट्टी के बाद अजय बस से घर आ जाता.

रूबी ने पति को कभी किसी तरह की शिकायत का मौका नहीं दिया था. अजय पत्नी से बहुत खुश था. वह अकसर कहता रहता था कि उस की जैसी पत्नी खुशनसीब इंसान को ही मिलती है. रूबी सुंदर भी थी, पति को रिझाने की उसे हर कला आती थी. पासपड़ोस की बुजुर्ग महिलाएं अपनी बहुओं को रूबी की मिसाल दिया करती थीं.

खैर, अजय का समय परिवार के साथ बहुत अच्छे से बीत रहा था. बुरे वक्त की उस ने कल्पना भी नहीं की थी, पर अचानक उस का बुरा वक्त आ गया.

14 मई, 2016 की सुबह एक बुजुर्ग सैर करते हुए सैक्टर-56 के सरकारी स्कूल के पास से गुजरे तो उन की नजर एक जगह वीराने में सीवरेज गटर के पास पड़े सफेद रंग के बोरे पर पड़ी. बोरे के पास पहुंच कर उन्होंने उसे टटोला तो उस में लाश होने की आशंका हुई.

उन्होंने तुरंत इस बात की सूचना 100 नंबर पर दे दी. थोड़ी ही देर में एक पीसीआर वैन वहां आ पहुंची. पुलिसकर्मियों ने उस बुजुर्ग से बात कर के इस बात की सूचना पलसौरा चौकी को दे दी. थोड़ी ही देर में हवलदार कुलदीप सिंह, 2 सिपाही परवीन कुमार और दविंदर सिंह के साथ इंसपेक्टर अमराओ सिंह मौके पर आ पहुंचे.

बोरा खोला गया तो उस में से एक लाश निकली, जिस की शिनाख्त अजय कुमार के रूप में हुई. अमराओ सिंह की तहरीर पर थाना सेक्टर-39 में इस मामले में भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. थानाप्रभारी इंसपेक्टर दिलशेर सिंह ने भी मौके पर जा कर मामले की जांच की.

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लाश की पहचान मोहाली की गत्ता फैक्ट्री में काम करने वाले अजय कुमार के रूप में हुई थी. वहां संपर्क करने पर पता चला कि वह चंडीगढ़ के सेक्टर-56 के मकान नंबर 589 में रहता था और पिछले 2 दिनों से ड्यूटी पर नहीं आया था.

पुलिस ने पंचनामा तैयार कर लाश मोर्चरी में रखवा दी. इस के बाद इंसपेक्टर दिलशेर के नेतृत्व में एक पुलिस टीम मृतक के पते पर पहुंची. वहां उन की मुलाकात अजय की पत्नी रूबी से हुई. उस के तीनों बच्चे भी घर पर थे. अजय के बारे में पूछने पर रूबी ने बताया कि उस के पति 12 मई की सुबह तैयार हो कर ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकले थे लेकिन अभी तक वापस नहीं आए.

पुलिस के यह पूछने पर कि उस ने इस बारे में पति की फैक्ट्री में पता किया था या फिर पुलिस चौकी में मिसिंग रिपोर्ट लिखाई थी, तो उस ने मना करते हुए कहा कि किसी बात पर उस का पति से झगड़ा हो गया था. नाराज हो कर वह पैदल ही घर से चले गए थे. उस ने सोचा कि गुस्सा ठंडा हो जाएगा तो खुद ही वापस आ जाएंगे.

‘‘वह 2 दिनों तक घर नहीं लौटे तो तुम्हें उन की कोई फिक्र नहीं हुई?’’ इंसपेक्टर दिलशेर सिंह ने पूछा.

‘‘फिक्र करने से क्या होता. वैसे भी वह कोई बच्चे तो थे नहीं. न मैं ने उन से झगड़ा किया था. झगड़ा उन्होंने ही शुरू किया था.’’ रूबी ने कहा.

तभी पास खड़ी उस की बड़ी बेटी ने कहा, ‘‘पापा तो मम्मी को समझा रहे थे, झगड़ा मम्मी ने ही शुरू किया था. पहले भी मम्मी पापा से लड़ती रहती थी.’’

पुलिस वालों का ध्यान उस लड़की की ओर गया. दिलशेर सिंह ने उस से प्यार से पूछा, ‘‘बेटा, तुम्हारी मम्मी पापा से किस बात के लिए लड़ती थी?’’

‘‘सुमन भैया की वजह से. पापा उन्हें पसंद नहीं करते थे, जबकि मम्मी ने उन्हें सिर चढ़ा रखा था.’’ लड़की ने बताया.

वह कुछ और कहती, इस से पहले रूबी ने उस के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘सुमन रिश्ते में हमारा भतीजा है सर. कभीकभार हम लोगों से वह मिलने आ जाता था जबकि मेरे पति को उस का यहां आना पसंद नहीं था. बस, इसी बात को ले कर हमारा कभीकभार झगड़ा हो जाता था. जब भी झगड़ा होता, वह नाराज हो कर चले जाते थे, फिर 2-3 दिनों बाद खुद ही वापस आ जाते थे.’’

‘‘पर इस बार वह नहीं लौटेंगे,’’ दिलशेर सिंह ने कहा. इस के बाद वह रूबी को अपने साथ जनरल अस्पताल ले गए, जहां मोर्चरी में रखा शव निकलवा कर उसे दिखाया तो वह उस की पहचान अपने पति के रूप में कर के छाती पीटपीट कर रोने लगी.

इस के बाद वह बेहोश सी हो कर जमीन पर लेट गई. अब तक सारा मामला दिलशेर सिंह की समझ में आ चुका था. मगर बिना किसी पुख्ता सबूत के वह किसी पर हाथ डालना नहीं चाहते थे. उन्होंने रूबी को अस्पताल से दवा दिलवा कर वापस घर भिजवा दिया.

इस के बाद उन्होंने रूबी के घर के आसपास की दुकानों के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की. इन में रूबी 13 व 14 मई की रात में 12 बज कर 14 मिनट 16 सेकेंड पर एक आदमी को अपनी स्कूटी पर बिठा कर ले जाती दिखाई दी. स्कूटी के पीछे बैठे व्यक्ति ने अपने हाथों से गोल सी कोई चीज संभाल रखी थी.

इस सबूत के मिलते ही पुलिस ने उसी शाम रूबी को उस के घर से उठा लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ शुरू की गई तो उस ने अपना गुनाह मानते हुए इस अपराध में 2 और लोगों के शामिल होने की बात बताई.

उस की निशानदेही पर पुलिस ने उसी रात सुमन कुमार और कुलप्रकाश नाम के लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया.

अगले दिन तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर के पुलिस ने उन का पुलिस रिमांड ले लिया. इस के बाद उन से विस्तार से पूछताछ की गई. इस पूछताछ में यह बात सामने आई कि रूबी जब बिहार में अपनी ससुराल में पति के बिना रहती थी तो उस के अपने से 6 साल छोटे सुमन कुमार से अवैध संबंध बन गए थे. दूर की रिश्तेदारी में सुमन अजय कुमार का भतीजा लगता था. लिहाजा इन दोनों के संबंधों पर कभी किसी को शक नहीं हुआ. इस बात का दोनों ही फायदा उठाते रहे.

अजय जब रूबी को अपने साथ चंडीगढ़ ले आया तो दोनों प्रेमी बिछुड़ गए. लिहाजा दोनों को ही एकदूसरे की याद सताने लगी. सुमन का जीजा कुलप्रकाश भी चंडीगढ़ में नौकरी करता था. वह उसी मकान की ऊपरी मंजिल में रहता था, जिस में रूबी अपने पति व बच्चों के साथ रह रही थी. नौकरी तलाश करने के बहाने सुमन अपने जीजा के पास आ गया.

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इस तरह वह और रूबी फिर से एकदूसरे के करीब हो गए. जब बच्चे स्कूल और बड़े अपने काम पर चले जाते तो सुमन और रूबी को मिलने का मौका मिल जाता था. रूबी चालाक और बातूनी थी. वह पति को खुश रखने का हरसंभव प्रयास करती. इस के अलावा उस ने पासपड़ोस में भी अपना अच्छा प्रभाव बना रखा था.

वैसे तो दोनों ही मिलने में बड़ी होशियारी दिखाते थे लेकिन एक दिन अजय घर पर जल्दी आ गया. उस दिन अजय ने दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ लिया. सुमन को डांट कर भगाने के बाद उस ने रूबी की खूब खबर ली. पतिपत्नी के बीच शुरू हुआ यह झगड़ा उन के बच्चों के स्कूल से आने के बाद तक चलता रहा.

अजय को पत्नी की हकीकत पता लग चुकी थी इसलिए अब वह टाइमबेटाइम घर आने लगा. घर पर उसे सुमन भले ही न मिलता लेकिन पतिपत्नी के बीच झगड़ा फिर से शुरू हो जाता. अजय के सक्रिय हो जाने पर रूबी और सुमन की मुलाकातों पर पहरा लग गया था. ऊपर से रोजरोज के झगड़े से रूबी भी आजिज आ गई थी. एक दिन रूबी ने सुमन से मुलाकात कर के इस समस्या का हल निकालने को कहा.

उस ने रूबी को बताया कि अजय को रास्ते से हटाने के अलावा दूसरा कोई हल नहीं है. इस के बाद दोनों ने अजय को मौत के घाट उतारने की योजना बना ली. योजना के अनुसार, 12 मई, 2016 की छुट्टी के बाद रूबी तीनों बच्चों को कोई बहाना कर के अपने एक परिचित के यहां छोड़ आई.

दरअसल, उस दिन अजय को बुखार था. दवा दिलवाने के बाद रूबी ने उसे सुला दिया. उसी रात सुमन चाकू ले कर उन के यहां आ पहुंचा. उस वक्त अजय गहरी नींद में था. रूबी ने नींद में सोए पति के गले पर चाकू से वार किए.

जब वह तड़पने लगा तो उस ने और सुमन ने उस के गले में दुपट्टा डाल कर कस दिया. जब उन्हें इत्मीनान हो गया कि यह मर चुका है तो उन्होंने उस के शव को मोटे कपड़े में लपेट कर घर में पड़े सफेद रंग के बोरे में ठूंस दिया. इस के बाद दोनों मौजमस्ती में डूब गए.

वे शव को ठिकाने लगाने का मौका ढूंढते रहे. पूरे दिन शव उन के घर में ही पड़ा रहा. 13 मई की रात में चंडीगढ़ में जबरदस्त आंधीतूफान आया था.

इस भयावह मौसम की परवाह न कर के रूबी ने आधी रात में अपनी स्कूटी नंबर सीएच04 6538 निकाली और पति के शव वाले बोरे के साथ सुमन को ले कर घर से निकल गई. एक गटर के पास उस ने स्कूटी रोक दी.

उन की योजना शव को गटर में फेंकने की थी मगर उन दोनों से उस का ढक्कन नहीं खुल पाया. तब वे उस बोरे को वहीं छोड़ कर वापस घर आ गए. घर लौट कर उन्होंने अपनी रासलीला रचाई.

कुलप्रकाश का कसूर यह था कि उसे सुमन और रूबी के संबंधों की जानकारी थी. अजय की हत्या के बाद सुमन उसे बुला कर लाया था तो उस ने न केवल शव को पैक करने में मदद की थी, बल्कि खूनआलूदा कपडे़ व चाकू वगैरह भी ले जा कर अलगअलग जगहों पर छिपा दिए थे, जो बाद में पुलिस ने उस की निशानदेही पर बरामद कर लिए थे.

पुलिस रिमांड की अवधि समाप्त होने पर तीनों को फिर से अदालत में पेश कर के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

निर्धारित समयावधि में दिलशेर सिंह ने केस का चालान तैयार कर निचली अदालत में पेश कर दिया, जहां से सेशन कमिट हो कर यह केस अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस.के. सचदेवा की अदालत में पहुंचा. अदालत में इस की विधिवत सुनवाई शुरू हुई. अभियोजन पक्ष के गवाहों को सुनने के बाद विद्वान जज ने बचाव पक्ष के गवाहों को सुनना शुरू किया.

दिनेश एक ठेकेदार था. कुलप्रकाश उस का मातहत था. बचावपक्ष के गवाह के रूप में दिनेश ने अदालत को बताया कि 14 मई, 2016 को वह कुलप्रकाश व 2 अन्य लोगों के साथ चंडीगढ़ के सेक्टर-9डी के शोरूम नंबर 26, 27 में काम कर रहा था कि दिन के साढ़े 10-पौने 11 बजे पल्सौरा चौकी की पुलिस आ कर कुलप्रकाश को पकड़ ले गई थी.

एक गवाह बृजेश कुमार यादव ने बताया कि वह मोहाली की उस गत्ता फैक्ट्री में नौकरी करता था, जहां मृतक काम करता था. 14 मई, 2016 को पुलिस ने गत्ता फैक्ट्री में पहुंच कर अजय के बारे में बृजेश से औपचारिक पूछताछ की थी.

बलविंदर मृतक अजय का पड़ोसी था, किरण कुलप्रकाश की पत्नी थी और खुशबू अजय की बेटी. कोर्ट में इन सभी के बयान दर्ज हुए. इन के बयानों में भी ऐसा कुछ खास नहीं था जो आरोपियों के बचाव के लिए कुछ करता.

इस के बाद दोनों पक्षों में बहस का दौर चला. इस जिरह में भाग लिया था पब्लिक प्रौसीक्यूटर मनिंदर कौर, सुमन के वकील विशाल गर्ग नरवाना, रूबी कुमारी की वकील प्रतिभा भंडारी एवं कुलप्रकाश के वकील पी.सी. राना ने.

विद्वान जज ने दोनों पक्षों को पूरी तवज्जो दे कर सुना. तमाम साक्ष्यों का निरीक्षण कर के अजय कुमार की हत्या में उक्त तीनों अभियुक्तों को दोषी पाते हुए न्यायाधीश ने 18 सितंबर, 2017 को अपना फैसला सुना दिया.

उन्होंने अपने फैसले में सुमन कुमार और रूबी कुमारी को भादंवि की धारा 302, 34 के तहत दोषी ठहराते हुए उम्रकैद के अलावा डेढ़ लाख रुपए जुरमाने की सजा सुनाई. उन्होंने कहा कि जुरमाना अदा न करने की सूरत में 6 महीने की सश्रम कैद और बढ़ा दी जाएगी.

इन दोनों को भादंवि की धारा 201 के तहत 3 साल की सश्रम कैद और 50 हजार रुपए जुरमाने की सजा सुनाई. जुरमाना अदा न कर पाने की स्थिति में एक महीने की अतिरिक्त सश्रम कैद की सजा भुगतने का आदेश दिया.

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न्यायाधीश ने कुलप्रकाश को भादंवि की धारा 302, 34 के अंतर्गत बामशक्कत उम्रकैद की सजा के अलावा डेढ़ लाख रुपए का जुरमाना अथवा 6 महीने की सश्रम कैद का फैसला सुनाया. सजा सुनाने के बाद तीनों दोषियों को चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल भेज दिया गया.

कथा तैयार करने तक तीनों दोषी बुड़ैल जेल में बंद थे.

 -कथा अदालत के फैसले पर आधारित

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