मार्मिक बदला – भाग 2 : रौनक से कौनसा बदला लेना चाहती थी रागिनी

‘‘आप लोग जाइए शौपिंग के लिए, मैं डाक्टर रौनक के साथ कुछ समय बिताना चाहूंगा. उन की दुखती रग छेड़ने के बाद उन का ध्यान बंटाना तो बनता है,’’ डा. कबीर ने कहा.

डा. रौनक उन्हें गैस्टहाउस के लौन में ही टहलते हुए मिल गए, उन्होंने धीरे से उन के कंधे पर हाथ रख दिया.

‘‘अरे, आप डा. कबीर?’’ डा. रौनक ने चौंक कर कहा, ‘‘आप तो शौपिंग के लिए गए थे?’’

‘‘मगर यहां परदेश में आप को अकेले उदास छोड़ना अच्छा नहीं लगा सो लौट आया, शौपिंग कल कर लेंगे.’’

‘‘मेरे लिए इतना सोचने के लिए बहुतबहुत धन्यवाद कबीर भाई,’’ डा. रौनक नम्रता से बोले, ‘‘मेरी उदासी तो मेरी परछाईं है, देशपरदेश की साथिन उस के लिए आप अपना प्रोग्राम खराब मत करिए.’’

‘‘काहे का प्रोग्राम यार,’’ डा. कबीर भी अनौपचारिक हो गए, ‘‘हर जगह हर चीज मिलती है, लेकिन चाहे 2 रोज को भी अपने शहर से दूर जाओ फैमिली के लिए वापसी में कुछ ले कर आने का रिवाज बन गया है. बस इसीलिए भाई लोग बाजार चले गए हैं.’’

‘‘आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं, बहुत पुराना रिवाज है यह. पापा जब भी दौरे पर जाते थे तो मां और बहनें अटकलें लगाने लगती थीं कि वे क्याक्या ले कर आएंगे.’’

‘‘और आप की पत्नी?’’

‘‘कह नहीं सकता, क्योंकि उस समय तो मेरी शादी ही नहीं हुई थी और शादी के बाद रागिनी को छोड़ कर कहीं जाना ही नहीं हुआ. बहुत ही कम समय मिला उस के साथ रहने को,’’ डा. रौनक ने गहरी सांस ले कर कहा.

‘‘उफ, आई एम सो सौरी,’’ डा. कबीर का स्वर भीग गया, ‘‘वैसे हुआ कैसे ये सब?’’

‘‘डाक्टर बनते ही पहली पोस्टिंग जम्मू के एक सीमावर्ती गांव में हुई थी. जगह सुंदर थी, खानेपीने की दिक्कत भी नहीं थी, लेकिन अकेलापन बहुत था और उसे ही बांटने के लिए मैं ने रागिनी से शादी कर ली. बहुत मजे में गुजर रही थी जिंदगी.

‘‘एक रात घंटी बजने पर जब मैं ने दरवाजा खोला तो मुंहसिर लपेटे 6-7 लोग

एकदम अंदर घुस आए. उन में से एक बुरी तरह जख्मी था. उन की वेशभूषा से ही मैं सम झ गया कि वे सब सीमापार के घुसपैठिए हैं. एक ने मु झ पर बंदूक तान कर कहा कि मैं उन के जख्मी साथी का इलाज करूं. उसे देखने के बाद मैं ने कहा कि उस के जख्म बहुत गहरे हैं और इलाज की दवाइयां मेरे पास नहीं हैं. मेरे पास तो तुरंत खून रोकने के लिए बांधने को पट्टी भी नहीं थी.

‘‘बीवी का दुपट्टा फाड़ कर बांधा और अपनी मोटरसाइकिल पर जा कर तुरंत जरूरी दवाइयां लाने को तैयार हो गया.

‘‘रागिनी जो गले से दुपट्टा खींचे जाने पर तिलमिलाई हुई थी चिल्ला कर बोली कि ये कहीं नहीं जाएंगे.’’

‘‘इस का तो बाप भी जाएगा और तेरी तो मैं अभी ऐसी की तैसी करता हूं,’’ दांत किटकिटाता एक बंदूकधारी रागिनी की ओर लपका.

‘‘इसे मारना नहीं हिरासत में रखना है असलम, तभी तो यह डाक्टर दवाइयां ले कर जल्दी से लौटेगा,’’ दूसरे बंदूकधारी ने उसे रोका.

‘‘ठीक कहते हो उस्ताद, तब तक इस औरत से हम खिदमत करवाते हैं. भूखे हैं कब से. चल, डाक्टर फौरन इलाज का सामान ले कर आ और देख पुलिसवुलिस को बुलाने की हिमाकत करी तो तेरी बीवी जिंदा नहीं बचेगी.’’

‘‘मेरे जिंदा रहने की फिक्र मत करना रौनक…’’ रागिनी चिल्लाई.

यही उस की गलती थी. घुसपैठिए सर्तक

हो गए और उन्होंने अपने एक साथी अकरम

को मेरे कपड़े पहना कर मेरी कमर में पिस्तौल सटा कर मेरे पीछे मोटरसाइकिल पर बैठा दिया. इस बीच रागिनी चिल्लाती रही कि मेरी परवाह मत करना.

‘‘उस के चिल्लाने से शायद मेरी हिम्मत बढ़ी और दवा की दुकान पर कई लोगों को देखते ही मैं चिल्ला पड़ा कि यह आतंकवादी है मु झे इस से बचाओ.’’

इस से पहले कि अकरम कुछ कर पाता कुछ लोगों ने उसे दबोच कर उस की पिस्तौल छीन ली. उस के बाद पुलिस और फिर मिलिटरी ने हमारे घर को घेर लिया. घर में चारों तरफ खिड़कियां थी जिन से घुसपैठिए गोलियां दाग कर किसी को घर के पास नहीं फटकने दे रहे थे और घर के करीब न कोईर् दूसरा घर था और न ही कोई पेड़, जिस पर चढ़ कर सिपाही छत पर पहुंच सकते.

‘‘रागिनी ने जिद कर के यह घर लिया ही इसलिए था कि ताक झांक का डर न होने से हम उन्मुक्त हो कर जीया करेंगे. कई घंटों तक अंदर से गोलाबारी बंद होने यानी घुसपैठियों के असले के खत्म होने का इंतजार करने के बाद हार कर हैलिकौप्टर के जरीए कमांडो छत पर उतारे गए. सब घुसपैठियों ने खुद को गोली मार दी.

‘‘रागिनी रसोई के फर्श पर बेसुध पड़ी थी. थोड़े से उपचार के बाद वह ठीक हो गई. उस ने बताया कि पहले तो घुसपैठिए उस से लगातार चाय, खाना बनवाते रहे, लेकिन मकान की घेराबंदी के बाद उन्होंने उस पर लातघूसें बरसाने शुरू कर दिए कि इसी के उकसाने पर डाक्टर पुलिस ले कर आया है. उस का कहना था कि इस के अलावा उन्होंने उस के साथ कुछ गलत नहीं किया. मु झे उस का यह कहना बिलकुल अविश्वसनीय लगा. इतनी खूबसूरत अकेली जवान औरत को कौन ऐसे ही छोड़ेगा और यह कहने के बाद कि यह हमारी खिदमत करेगी, हम भूखे हैं.

गुनाह जो छिप न सका

गुनाह जो छिप न सका- भाग 1

उत्तर प्रदेश के ऊसराहार थाने में सुबह के करीब 10 बजे एक सूचना मिली कि कौआ गांव के नाग देवता मंदिर के पास सड़क किनारे नाली में एक लाश पड़ी है.यह मैसेज पुलिस नियंत्रण कक्ष से प्रसारित किया गया था. थाने में उस समय इमरजेंसी ड्यूटी पर एसआई रामकुमार सिंह मौजूद थे. उन्होंने थानाप्रभारी गंगादास को इस सूचना से अवगत करा दिया. यह बात 22 जुलाई, 2022 की है.

लाश मिलने की खबर से ही थानाप्रभारी गंगादास ने आवश्यक पुलिसकर्मियों को साथ लिया और घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए. कौआ गांव से मीसापुरा जाने वाली सड़क पर नागदेव मंदिर के पास खेत किनारे नाली में उन्हें एक महिला की लाश पड़ी मिली. उस की उम्र 35 साल के आसपास थी. वह गुलाबी रंग की साड़ी और काला ब्लाउज पहने थी.

थानाप्रभारी ने शव का बारीकी से निरीक्षण किया तो महिला की दाहिनी कनपटी के ऊपर सिर पर गोली मारी गई थी. जिस जगह शव पड़ा था, वहां से कुछ दूर सड़क पर खून पड़ा था. खून के निशान नाली तक थे. सड़क पर नारियल, चावल, सिंदूर, पूजा सामग्री और टूटी चूडि़यां बिखरी पड़ी थीं. महिला की चप्पलें व पूजा की थाली भी सड़क पर पड़ी थी.

घटनास्थल व लाश का मुआयना करने के बाद थानाप्रभारी इस नतीजे पर पहुंचे कि नाग देवता मंदिर में पूजा कराने का झांसा दे कर महिला को लाया गया और सड़क पर गोली मार कर हत्या कर दी गई. इस के बाद शव को घसीट कर खेत किनारे बनी नाली में डाल दिया गया.

मामले की गंभीरता को देख कर थानाप्रभारी ने इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.
सूचना पाते ही एसएसपी जयप्रकाश सिंह, एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह, एएसपी कपिल देव सिंह तथा डीएसपी (भरथना) विजय सिंह घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौकाएवारदात पर डौग स्क्वायड तथा फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया.

पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा थानाप्रभारी गंगादास से घटना के संबंध में जानकारी ली.फोरैंसिक टीम ने पूजा की थाली से फिंगरप्रिंट लिए. इस के अलावा भी टीम ने कई अन्य सबूत जुटाए. टीम ने खून आलूदा मिट्टी का नमूना भी रासायनिक जांच हेतु सुरक्षित कर लिया. महिला पुलिसकर्मी पूनम ने मृत महिला की जामातलाशी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला.फिलहाल पुलिस के लिए सब से बड़ी समस्या लाश की शिनाख्त की थी. घटनास्थल पर कौआ गांव व उस के आसपास के गांव के लोग मौजूद थे. थानाप्रभारी गंगादास ने उन लोगों से पूछताछ की, लेकिन लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी.

थानाप्रभारी को उचित दिशानिर्देश दे कर पुलिस अधिकारी वहां से वापस लौट गए.
थानाप्रभारी ने घटनास्थल की जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव का पोस्टमार्टम हेतु इटावा के जिला अस्पताल भिजवा दिया. फिर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी.

गुनाह जो छिप न सका- भाग 3

थानाप्रभारी गंगादास ने ब्लांइड मर्डर का खुलासा करने तथा आरोपी को गिरफ्तार करने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. फिर एसएसपी जयप्रकाश सिंह ने सिविल लाइंस पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की और कातिल सतीश चंद्र यादव के द्वारा एक नहीं, 2 हत्याएं किए जाने का खुलासा किया.
मिथलेश कौन थी? वह सतीश के संपर्क में कैसे आई? सतीश ने मिथलेश और उस के पति गजेंद्र की हत्या क्यों की? यह सब जानने के लिए हम पाठकों को उन के अतीत की ओर ले चलते हैं.

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले का एक छोटा सा गांव है रमपुरा. यह ऊसराहार थानांतर्गत आता है. रमपुरा गांव से 2 किलोमीटर दूर नाग देवता का मंदिर है, जो आसपास के दरजनों गांवों में मशहूर है. आषाढ़ माह की पंचमी को यहां मेला लगता है. दरजनों संपेरे सांपों का दर्शन कराने यहां आते हैं.
नाग देवता मंदिर सुनसान जगह पर है. इसी रमपुरा गांव में रामसिंह यादव रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे सतीश चंद्र, उमेश चंद्र तथा एक बेटी उमा थी. राम सिंह किसान थे. किसानी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे.

नौकरी की तलाश में आया दिल्ली

3 भाईबहनों में सतीश बड़ा था. उस का विवाह कमला नाम की युवती से हुआ था. कमला साधारण रंगरूप की युवती थी. सतीश की उस से नहीं पटती थी. पति की उपेक्षा से कमला ससुराल में कम और मायके में ज्यादा रहती थी. सतीश पढ़ालिखा था, इसलिए उस का मन खेतखलिहान में नहीं लगता था. वह कोई नौकरी कर अपना जीवन खुशहाल बनाना चाहता था.

नौकरी के मकसद से सतीश दिल्ली आ गया. लेकिन यहां उसे मनपसंद नौकरी नहीं मिली. छोटीमोटी नौकरी से जब उस का मन भर गया तो उस ने ड्राइविंग सीख ली. उस ने कुछ दिन आटो चलाया फिर किसी कंपनी की कार चलाने लगा.कुछ समय बाद उसे नोएडा स्थित कटियार ट्रैवल एजेंसी में काम मिल गया और वह वहां टैक्सी चलाने लगा. इस काम में वह रम गया और पैसा कमाने लगा. नोएडा में ही उस ने किराए पर कमरा ले लिया.

सतीश चंद्र यादव जिस ट्रैवल एजेंसी में टैक्सी चलाता था, उसी में गजेंद्र भी टैक्सी चलाता था. चूंकि दोनों ड्राइवर थे, सो उन में खूब पटती थी. रात में अकसर दोनों साथ खातेपीते थे. गजेंद्र राजस्थान के झुंझनू जिले के पचेरी थाना के पचेरी छोटी खुर्द गांव का रहने वाला था. नोएडा में वह पत्नी मिथलेश व 2 बच्चों के साथ किराए के मकान में रहता था.एक रोज सतीश चंद्र गजेंद्र के घर पहुंचा. गजेंद्र उस समय घर पर ही था. गजेंद्र को देख कर सतीश बोला, ‘‘किसी काम से इधर आया था. मैं ने सोचा कि अब आज की चाय भाभी के हाथ की पी कर ही जाऊंगा.’’

‘‘बिलकुल मेरे भाई, चाय भी और नाश्ता भी. आज पहलीपहली बार आया है तो तुझे खाली थोड़ी न जाने दूंगा,’’ कहते हुए गजेंद्र ने सतीश का हाथ पकड़ कर उसे कुरसी पर बिठा लिया. फिर उस ने पत्नी को आवाज दी, ‘‘अरे मिथलेश, जरा 2-3 कप चाय और कुछ नाश्ता बनाओ तो फटाफट.’’
मिथलेश चायनाश्ता तैयार करने लगी तो गजेंद्र और सतीश इधरउधर की बातों में मशगूल हो गए.

पहली ही नजर में दोस्त की पत्नी मिथलेश पर आ गया दिल

कुछ देर बाद मिथलेश चाय और नाश्ता ले कर आई और जब झुक कर ट्रे मेज पर रखने लगी तो सतीश उसे ठगा सा देखता ही रह गया. सतीश सोच में पड़ गया. वह कभी गजेंद्र को देखता तो कभी मिथलेश को. जिस के दिलकश चेहरे पर गजब का आकर्षण था. गजेंद्र उस के सामने कहीं भी नहीं ठहरता था.
वह पहली ही नजर में मिथलेश का ऐसा दीवाना बन गया था कि उसे अपने दिल से निकाल नहीं पाया. इस के बाद तो सतीश अकसर गजेंद्र के घर आनेजाने लगा. वह मिथलेश के लिए उपहार भी लाने लगा.
गजेंद्र की आय इतनी नहीं थी कि वह पत्नी को उपहार आदि दे सके. सतीश ने वह कमी पूरी की तो मिथलेश भी सतीश की ओर आकर्षित हो गई. दोनों के बीच हंसीमजाक भी होने लगी. अब सतीश गजेंद्र की गैरमौजूदगी में भी मिथलेश से मिलने आने लगा.

एक रोज सतीश मिथलेश को अपनी टैक्सी में बिठा कर लक्ष्मीनगर, दिल्ली ले गया. बहाना था शौपिंग का. उसी रोज सतीश ने उसे अपने दिल की बात कह दी. मिथलेश ने भी स्वीकृति दे दी कि वह भी उसे चाहती है. दोनों कुछ देर एक सुनसान पार्क में बैठे रहे. वहीं पहली बार सतीश ने मिथलेश को बांहों में भर कर चूमा था.

गुनाह जो छिप न सका- भाग 2

ब्लाइंड मर्डर ने उड़ाई पुलिस की नींद

लाश की शिनाख्त के लिए उन्होंने मृतका का हुलिया तथा उस के फोटो के पोस्टर छपवा कर इटावा तथा उस के आसपास के जिलों के सभी सार्वजनिक स्थानों पर चिपकवा दिए. गुमशुदा तलाश केंद्र तथा इटावा के सभी 20 थानों से भी पता किया गया, लेकिन मृतका की शिनाख्त नहीं हो सकी. किसी भी थाने में इस हुलिए की महिला की गुमशुदगी की सूचना दर्ज नहीं थी.

कई दिन बीत जाने के बाद भी जब महिला के शव की शिनाख्त नहीं हो पाई, तब इस ब्लाइंड मर्डर का रहस्य उजागर करने के लिए एसएसपी जयप्रकाश सिंह ने पुलिस की एक टीम गठित की और इस टीम की जिम्मेदारी सौंपी एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह को. सहयोग के लिए क्राइम ब्रांच की टीम तथा एएसपी कपिल देव सिंह एवं डीएसपी (भरथना) विजय सिंह को भी लगाया गया.

गठित टीम ने सब से पहले कौआ गांव के लोगों से पूछताछ की. गांव के लोगों ने बताया कि घटनास्थल लगभग एक किलोमीटर दूर है और सुनसान जगह है. हत्या देर रात की गई थी. इसलिए हम ने न तो हत्यारोें को देखा और न ही गोली चलने की आवाज सुनी. उन्होंने यह भी कहा कि महिला उन के क्षेत्र की नहीं है. उसे दूरदराज क्षेत्र से किसी वाहन से लाया गया होगा.

ग्रामीणों से पूछताछ के बाद पुलिस टीम फिर से घटनास्थल पहुंची और खोजबीन शुरू की. खोजबीन के दौरान थानाप्रभारी गंगादास की निगाह कागज के एक टुकड़े पर पड़ी. उन्होंने उस टुकड़े को उठा कर देखा तो वह टोकननुमा पर्ची थी, जिस पर ‘कटियार ट्रैवल एजेंसी, नोएडा’ लिखा था. उन्होंने उस पर्ची को सुरक्षित कर लिया.थानाप्रभारी गंगादास ने घटनास्थल से पर्ची मिलने की जानकारी टीम के अन्य सदस्यों तथा एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह को दी. इस पर सत्यपाल सिंह ने टीम को नोएडा जाने तथा ट्रैवल एजेंसी के मालिक से पूछताछ करने का आदेश दिया. दरअसल, सत्यपाल सिंह को पर्ची देख कर अंधेरे में उजाले की एक किरण नजर आने लगी थी.

28 जून, 2022 को पुलिस टीम सैक्टर 49, नोएडा स्थित कटियार ट्रैवल एजेंसी पहुंची और अपने आने का मकसद तथा पर्ची दिखा कर एजेंसी मालिक से पूछताछ की. एजेंसी मालिक ने पर्ची देख कर बताया कि वह इस तरह की पर्ची टोकन 2 साल पहले अपने टैक्सी ड्राइवरों को देता था. लेकिन कोरोना काल में बंद कर दी थी.उस ने यह भी बताया कि 3 साल पहले उस की एजेंसी में सतीश चंद्र यादव नाम का ड्राइवर टैक्सी चलाता था. वह मूलरूप से इटावा जिले के रमपुरा गांव का रहने वाला था. कोरोना काल में उस की छुट्टी कर दी थी.

ट्रैवल एजेंसी की पर्ची ने पहुंचाया कातिल तक

रमपुरा गांव का नाम सुन कर थानाप्रभारी गंगादास का माथा ठनका, क्योंकि रमपुरा गांव उन के ही थाना क्षेत्र में था और जिस जगह महिला का कत्ल हुआ था, वहां से 2 किलोमीटर दूर रमपुरा गांव था.
अब उन के दिमाग में विचार कौंधा, ‘क्या उस अज्ञात महिला का कातिल सतीश चंद्र ही है? क्या वही उसे पूजा के बहाने वहां लाया था? क्या मृत महिला उस की पत्नी थी या फिर प्रेमिका?’
इन सब के जवाब तभी संभव थे, जब सतीश चंद्र पकड़ में आता. ट्रैवल एजेंसी के मालिक से पूछताछ कर पुलिस टीम वापस लौट गई.

टीम ने सारी जानकारी एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह को दी. श्री सिंह को लगा कि अब हत्या का खुलासा जल्द ही हो जाएगा. उन्होंने तुरंत सतीश चंद्र यादव को गिरफ्तार कर उस से सघन पूछताछ करने का आदेश पुलिस टीम को दिया.आदेश पाते ही पुलिस टीम ने सतीश के रमपुरा गांव स्थित घर पर दबिश डाली. लेकिन वह हाथ नहीं आया. सतीश चंद्र घर से फरार हो गया था. पुलिस टीम ने उस के कई संभावित ठिकानों पर भी उसे तलाश किया. लेकिन वह पुलिस को चकमा दे गया. आखिर ऊसराहार थानाप्रभारी गंगादास ने सतीश चंद्र यादव की टोह में खास खबरियों को लगा दिया.

एक नहीं 2 हत्याओं का राज उगला

पहली जुलाई, 2022 की सुबह 5 बजे एक खास मुखबिर ने थानाप्रभारी को सूचना दी कि सतीश इस समय भाऊपुर अंडरपास पर मौजूद है. चूंकि मुखबिर की सूचना महत्त्वपूर्ण थी, अत: गंगादास पुलिस टीम के साथ भाऊपुर अंडरपास जा पहुंचे. पुलिस को देख कर सतीश तेजी से भागा, लेकिन टीम ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया. सतीश को थाने लाया गया.थाने में जब उसे मृत महिला के फोटो दिखाए गए तो उस ने उसे पहचानने से साफ इंकार कर दिया. लेकिन उस की घबराहट और हावभाव बता रहे थे कि वह कुछ छिपा रहा है. तब उस पर सख्ती बरती गई. फिर वह मुंह खोलने को मजबूर हो गया.

सतीश ने बताया कि मृतक महिला उस के दोस्त गजेंद्र की पत्नी मिथलेश थी. जो राजस्थान के झुंझनू की रहने वाली है. इस के बाद सतीश ने एक नहीं, 2 मर्डर का खुलासा किया. उस ने मिथलेश के पति गजेंद्र की हत्या का भी खुलासा किया. इस खुलासे से पुलिस दंग रह गई.पुलिस ने सतीश की जामातलाशी ली तो उस के पास से एक तमंचा व 2 कारतूस बरामद किए. उस की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद कर ली. इस के अलावा मृतका मिथलेश का आधार कार्ड व कुछ जेवर भी बरामद कर लिए.

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