मैट्रिमोनियल साइड : ठगी का अनोखा संजाल

विवाह आंमत्रण की फर्जी साइड बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर की युवतियों और उनके परिवार वालों को लाखों रुपए ठगने का काम बड़े ही शातिराना अंदाज के साथ चालाकी के साथ जारी था. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, जांजगीर, सरगुजा आदि अनेक शहरों में अनेक युवतियां इस ठगी के संजाल में फंस कर ठगी की शिकार हो गई. आज जब सोशल मीडिया अपने सबाब पर है इसका जहां सकारात्मक पक्ष है वही नकारात्मक पक्ष भी है अगर आप जानकार नहीं हैं अगर आप सचेत नहीं हैं तो आपको खड़े-खड़े यहां ठग लिया जाता है.

ऐसे ही एक नाइजीरियन युवक ने बड़ी ही चालाकी और धुर्तता का परिचय देते हुए एक “मेट्रोमोनियल साइट”  बनाई और युवतियों को विदेशों में संपन्न युवकों के फोटो सपने दिखाकर शादी ब्याह का झूठ फैला कर उन्हें ठगना  और भारी राशि लेना शुरू कर दिया.

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छत्तीसगढ़ में ऐसी अनेक घटना  घटित हुई . मामला जब पुलिस के पास पहुंचा तब जांच पड़ताल तेजी से शुरू हुई.

पुलिस बताती है- फर्जी नाम से प्रोफ़ाइल बनाकर और देश के कई हिस्सों में युवतियों को शादी का झांसा देकर लाखों की ठगी करने वाले  एक विदेशी युवक को छत्तीसगढ़ की कोरिया पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त कर ली है.

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अंतर प्रांतीय ठगी के मामले का खुलासा करते हुए कोरिया पुलिस अधीक्षक चन्द्र मोहन सिंह ने हमारे संवाददाता को बताया कि प्रार्थी उपेन्द्र साहू पिता सुदामा प्रसाद साहू निवासी तलवापारा बैकुण्ठपुर की लिखित शिकायत पर थाना बैकुण्ठपुर में अपराध क्र. 84/2020 धारा 419,420 ता0हि0 का मुकदमा कायम किया। प्रार्थी ने अपनी शिकायत में बताया कि घटना दिनांक  जनवरी 2020 को इसकी छोटी बहन के साथ उक्त आरोपी रोहन मिश्रा के नाम से फर्जी वेबसाईट के माध्यम से शादी करने का

झांसा देकर एवं भारत में सेटल होने के नाम पर पीड़िता से 24,07,500  अर्थात चौबीस लाख सात हजार पांच सौ का ठगी की है. प्रकरण दर्ज कर अज्ञात आरोपी को पकड़ने हेतु पुलिस महानिरीक्षक रतन लाल डांगी सरगुजा रेंज के मार्गदर्शन में पुलिस अधीक्षक कोरिया चन्द्रमोहन सिह के निर्देशन में अति. पुलिस अधीक्षक डॉ.पंकज शुक्ला व उप पुलिस अधीक्षक  धीरेन्द्र पटेल के नेतृृत्व में सायबर टीम कोरिया द्वारा मामले की पतासाजी की जाने लगी.

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नाइजीरियन आरोपी गिरफ्तार

पुलिस ने जब जांच शुरू की तो प्रकरण में देखा गया कि कथित आरोपी  द्वारा व्हाट्सएप का उपयोग किया गया है. सायबर टीम द्वारा प्रकरण के सभी बिन्दुओं का बारीकी से विशलेषण कर आरोपी

की पहचान करने में सफलता मिल गई. आरोपी का नाम एजिडे पिटर चिनाका पिता एजिडे ओबिना उम्र 30 वर्ष निवासी

17 सेटेलाईट न्यू टॉउन लागोस नाईजीरिया हाल मुकाम टावर नं0 केएम 21 फ्लैट नं0 204 जेपी कोसमोस सेक्टर 134 नोएड़ा (उ0प्र0) था. यह  रोहन मिश्रा, अरूण राय इत्यादि नाम से धोखाधड़ी किया करता था.उपरोक्त अपराध की विवेचना के दौरान विशेष टीम को दिल्ली, नोएडा (उ0प्र0) रवाना किया गया था। टीम द्वारा आरोपी के ठिकाने पर दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार कर आरोपी से पुछताछ किया गया. आरोपी द्वारा अन्य राज्यो तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, झारखण्ड़, उडिसा, हिमाचल प्रदेश इन सभी राज्यों में भी अपने आप को डॅाक्टर, इंजीनियर, बिजनसमेन बताये हुये अपने झासे लेकर लाखो रूपये की ठगी की गई है. ठगी की रकम को कुछ अपने पास रख बाकी शेष रकम को नाईजीरिया ट्रांसफर कर देता था.

इसके पास से दो नग पासपोर्ट मिला जिसमें एक फर्जी पासपोर्ट, दो नग नाईजीरियन डेबिट कार्ड , एक नग एसबीआई डेबिट कार्ड ,चार नग मोबाईल हैण्डसेट, 14 नग सीम कार्ड, एक वाईफाई डिवाइस, एक नग लैपटॉप जप्त किया गया. आरोपी के पासपोर्ट एवं विजा का अवलोकन किया गया जिसकी मियाद समाप्त हो चूकी है. ऐसे में यह तत्व उभर कर सामने आया है कि नाइजीरिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश अमेरिका और ब्रिटेन से सोशल मीडिया के माध्यम से छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यों में ठगी बदस्तूर की जा रही है. यहां यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि सोशल मीडिया के द्वारा ठगी किए जाने के फल स्वरुप अधिकांश मामलों में आरोपी पुलिस के शिकंजे से बचते जाते हैं. ऐसे में यह प्रथम आवश्यकता होनी चाहिए की हम ठगों के झूठे फरेब में न फंसे.

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हाई वोल्टेज ड्रामा

हाई वोल्टेज ड्रामा : भाग 3

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

पता चला कि राममेहर ने कुछ समय पहले ही एक करोड़ 41 लाख रुपए की 4 बीमा पौलिसियां कराई थीं. उन बीमा पौलिसियों में उस ने पत्नी संतोष को नौमिनी बनाया था.

यह बात भी सामने आई कि लौकडाउन में उस की फैक्ट्री का कामकाज ठप हो गया था. फिर उस ने इतनी बड़ी रकम की पौलिसियां क्यों कराई?

इस के अलावा उस के मोबाइल की काल डिटेल्स में उस की एक महिला मित्र का पता चला. उस महिला मित्र से पूछताछ के बाद राममेहर के जीवित होने और उस की साजिश का पता चला गया. राममेहर ने बीमा पौलिसियों का पैसा हड़पने और कर्जदारों से छुटकारा पाने के लिए अपनी मौत का ड्रामा रचा था.

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राममेहर जीवित मिल गया और उस के नाटक से भी परदा उठ गया, लेकिन एक सवाल यह रह गया कि कार में जो शव मिला था, वह किस का था? हिसार के एसपी लोकेंद्र सिंह के अनुसार शव डाटा गांव के ही राममेहर उर्फ रमलू का था.

पुलिस के अनुसार, पूछताछ के बाद राममेहर की साजिश की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह थी—

राममेहर को व्यापार में घाटा हो रहा था. लौकडाउन में व्यापार बिलकुल ही ठप हो गया था. उस पर एकडेढ़ करोड़ रुपए का कर्ज भी था. उस ने पीएनबी और एचडीएफसी बैंक से पर्सनल लोन भी लिया था. वह शराब पीता था और उस की कई महिलाओं से दोस्ती भी थी. इन महिला मित्रों पर भी वह काफी पैसा खर्च करता था.

पैसे के लिए परेशान था

खर्चों के हिसाब से आमदनी नहीं होने से वह परेशान रहने लगा था. उस ने एकदो बार आत्महत्या करने की भी सोची. बाद में उस ने बीमा क्लेम हड़पने और कर्जदारों से छुटकारा पाने के लिए खुद को मृत घोषित करने की साजिश रची. इस साजिश के तहत उस ने इसी साल जुलाई में एक करोड़ 41 लाख रुपए की 4 बीमा पौलिसियां कराईं.

साजिश के तहत मारने के लिए उस ने अपने ही गांव के राममेहर उर्फ रमलू को चुना. गरीब रमलू डफली बजागा कर परिवार की गुजरबसर करता था. रमलू के परिवार में उस की बीवी और बूढ़ी मां के अलावा 3 बेटे और 3 बेटियां थीं. रमलू में शराब पीने की बुरी लत थी. वह गाबजा कर आसपास के गांवों में अनाज मांगने के लिए निकल जाता, तो कभी एकदो दिन बाद और कभी तीनचार दिन बाद घर लौटता था. इसलिए परिवार वाले उस की ज्यादा चिंता नहीं करते थे.

राममेहर ने 6 अक्टूबर को बैंक से 10 लाख 90 हजार रुपए निकलवाए. इस में से उस ने साढ़े 4 लाख रुपए एक महिला मित्र सुनीता को नकद दिए. कुछ रकम उस ने दूसरी महिला मित्र के बैंक खाते में जमा करा दी.

गरीब रमलू बना निशाना

राममेहर को उस दिन शाम को रमलू गांव के बाहर शराब पीते हुए मिल गया. उसे देख कर राममेहर की आंखें चमक गईं. उस ने घर पर फोन कर कहा कि वह हिसार जा रहा है. घर फोन करने के बाद राममेहर ने रमलू को अपनी कार में बैठा लिया. फिर उस ने शराब खरीदी.

कार को भाटलामहजद की सुनसान सड़क पर खड़ी कर दोनों शराब पीते रहे. कार की ड्राइविंग सीट पर राममेहर बैठा था, उस के पास वाली सीट पर रमलू. राममेहर ने खुद कम शराब पी. रमलू को वह रात तक शराब पिलाता रहा.

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रमलू जब शराब के नशे में पूरी तरह बेसुध हो गया, तो उस ने उसे गला दबा कर मार डाला. फिर उस ने अपनी कार के फ्यूल टैंक से डीजल निकाला. डीजल निकालने के लिए उस ने पहले से ही कार में पतली पाइप रखी हुई थी. रमलू और कार पर डीजल छिड़क कर उस ने आग लगा दी.

उस ने जलती हुई कार को एकदो मिनट तक देखा. इस के बाद पैदल ही ढाणी कुतुबपुर के लिए चल दिया. रास्ते में उस ने अपने बेटे और भांजे को घबराई हुई आवाज में फोन पर झूठी सूचना दे कर कहा कि उसे कुछ बदमाशों ने घेर लिया है.

ढाणी कुतुबपुर में पहले से ही उस की एक महिला मित्र की कार तैयार खड़ी थी. वह उस कार से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के लिए रवाना हो गया.

7 अक्टूबर की रात में वह बिलासपुर पहुंच गया. वहां वह अपने एक परिचित के पास रुका. परिचित से उस ने कहा कि वह बिलासपुर में जमीन खरीदना चाहता है, इसलिए आया है. इस बीच, उस ने अपने नए मोबाइल नंबरों से अपनी महिला मित्रों से संपर्क बनाए रखा.

पुलिस ने इस मामले में 12 अक्टूबर को राममेहर की महिला मित्र सुनीता को गिरफ्तार कर लिया. हांसी की जगदीश कालोनी की रहने वाली सुनीता 4 साल पहले तक राममेहर की फैक्ट्री में काम करती थी. इसी दौरान वह राममेहर के संपर्क में आई थी. रमलू को जला कर मारने का पता चलने पर पुलिस ने इस मामले में एससीएसटी एक्ट की धाराएं भी जोड़ दीं.

बाद में पुलिस ने राममेहर की दूसरी महिला मित्र रानी को भी इस मामले में गिरफ्तार कर लिया. वह रानी की कार से ही बिलासपुर गया था. उस ने वारदात वाले दिन रानी के खाते में करीब पांच लाख रुपए जमा कराए थे. रानी के खाते की चैकबुक व एटीएम कार्ड राममेहर के पास थे. उस की योजना थी कि खुद को मृत घोषित करने के बाद जरूरत पड़ने पर वह उस के खाते से पैसे निकाल लेगा.

राममेहर की असलियत उजागर होने के बाद उस की पत्नी संतोष न तो खुद को सुहागन कह पा रही है और न ही विधवा. राममेहर ने अपनी मौत का ड्रामा रच कर संतोष की सुहाग की सारी निशानियां मिटा दीं. उस के बेटेबेटियां भी पिता की करतूत से हैरान हैं. 70 साल का बूढ़ा पिता टेकचंद कहता है ‘हमारे ऐसे करम थे जो ऐसा कपूत पैदा हुआ. उस ने तो जिंदगी भर का बट्टा लगा दिया.’

राममेहर के लालच में रमलू बेमौत मारा गया. उस के घर में अब आंसू, लाचारी और बेबसी है. रमलू गाबजा कर परिवार पालता था. अब उस की पत्नी कृष्णा और 6 बच्चों का गुजारा कैसे होगा, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा. कृष्णा पर रमलू के छोटे भाई की स्वर्गवासी पत्नी के 5 बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी भी आ गई है.

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रमलू इस घटना से 2 दिन पहले गांव से गया था, वह वापस घर नहीं लौटा, तो घर वालों ने ज्यादा चिंता नहीं की, क्योंकि वह पहले भी कई बार 3-4 दिनों में लौटा था. राममेहर से पूछताछ के बाद पुलिस जब रमलू के घर पहुंची, तो सचाई का पता चलने पर उस के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. कार में जला शव रमलू का ही था, इस की पुष्टि के लिए पुलिस डीएनए जांच करा रही है.

हाई वोल्टेज ड्रामा : भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

रात को वह हिसार से अपने गांव डाटा लौट रहे थे, तभी रास्ते में 2 बाइक और एक कार में सवार बदमाशों ने उन्हें घेर लिया और रकम लूटने के बाद उन्हें कार में जिंदा जला दिया. हांसी पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ लूटपाट और हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

सवाल मुंह बाए खड़े थे

पुलिस ने जांच शुरू की तो कई तरह के अनसुलझे सवाल सामने आए. पहला तो यही कि लुटेरों को राममेहर के पास मोटी रकम होने की सूचना कैसे मिली? दूसरे हिसार में वह किनकिन लोगों से मिले थे? क्या उन से पैसों का लेनदेन भी किया था? एक महत्त्वपूर्ण सवाल यह भी था कि कार किस ज्वलनशील पदार्थ से जलाई गई थी?

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राममेहर का शव ड्राइवर के पास वाली सीट पर मिला था, एक सवाल यह भी था कि कार में क्या कोई दूसरा व्यक्ति भी था? और यह भी कि वह हिसार से अपने गांव डाटा सीधे रास्ते से जाने के बजाय लिंक रोड से क्यों जा रहे थे?

हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस ने राममेहर के मोबाइल की कालडिटेल्स निकलवाई. वारदात स्थल के आसपास 6 अक्तूबर की रात उस इलाके में एक्टिव रहे मोबाइल नंबरों का पता लगाया गया. मौकाएवारदात का सीन भी रिक्रिएट किया गया. कार में मिला शव राममेहर का ही है, इस की पुष्टि के लिए डीएनए जांच कराने का फैसला किया गया.

राममेहर ने हांसी में बैंक से जब रकम निकलवाई थी, तब उन के साथ और आसपास कौन लोग थे, इस का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई. बैंक से राममेहर के खाते की डिटेल्स भी निकलवाई गई.

राममेहर के परिवार के बारे में पुलिस को पता चला कि वह 7 बहनों के इकलौते भाई और सब से छोटे थे. उन की मां की एक साल पहले मृत्यु हो गई थी. परिवार में उस के पिता टेकचंद, पत्नी संतोष, 2 बेटियां और एक बेटा आशीष था.

दसवीं तक पढ़े राममेहर के पास करीब 15 एकड़ जमीन थी. वह खेतीबाड़ी के साथ व्यापार भी करते थे. पहले उन की डिस्पोजल की फैक्ट्री हांसी में बरवाला बाइपास पर थी.

करीब डेढ़ साल पहले उन्होंने वह फैक्ट्री बंद कर दी और बरवाला रोड पर ही डिस्पोजल आइटम्स के कच्चे माल की फैक्ट्री शुरू की. उन का माल हरियाणा के अलावा राजस्थान और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में भी जाता था.

राममेहर की मौत से डाटा और उस के आसपास के गांवों में रहने वाले लोग हैरान थे. हैरानी इस बात की थी कि उस इलाके में पहले कभी ऐसी वारदात न तो सुनी गई थी और न ही देखी गई थी. राममेहर की किसी से रंजिश या दुश्मनी होने की बात भी सामने नहीं आई.

राममेहर की मौत से उन के घर ही नहीं पूरे गांव में मातम छा गया था. सहारे की लाठी टूटने से बूढ़े पिता टेकचंद की आंखें पथरा गई थीं. पत्नी संतोष बेहोश और बेटियां बेसुध हो गई थीं. इस जघन्य वारदात से हिसार और हांसी के व्यापारियों में भी आक्रोश था.

अपराधियों तक पहुंचने के लिए पुलिस को अपनी जांच का दायरा बढ़ाना पड़ा. तकनीकी और वैज्ञानिक तरीकों से विभिन्न सवालों के जवाब खोजने के लिए पुलिस अपराधियों तक पहुंचने की कोशिश में जुट गई.

सीन औफ क्राइम यूनिट के विशेषज्ञों ने सवाल उठाए कि शव राममेहर का है या नहीं, इस का पता डीएनए जांच से ही चलेगा. उन्हें जिंदा जलाया या मार कर, यह हिस्टोपैथोलाजी जांच से साफ हो सकता था. जिस ज्वलनशील पदार्थ से कार को जलाया गया, वह पेट्रोलडीजल या कोई कैमिकल था?

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राममेहर का शव जिस सीट पर मिला था, वह पीछे की तरफ झुकी हुई थी. इस से इस बात की संभावना थी कि उन्हें कार से बाहर खींचने का प्रयास किया गया होगा, वह बाहर नहीं निकले तो उन्हें मारपीट कर मार डाला गया या अधमरा कर छोड़ दिया और फिर ज्वलनशील पदार्थ डाल कर जला दिया गया.

एक सवाल यह भी उठा कि बदमाश अगर चलती कार को रोकने की कोशिश करते तो दुर्घटना होती, लेकिन मौके पर इस के सबूत नहीं मिले. इस से अंदेशा हुआ कि किसी परिचित ने कार को रुकवा कर वारदात को अंजाम दिया होगा.

आखिर सामने आ ही गई सच्चाई

जांचपड़ताल में कुछ ऐसे सबूत सामने आए कि पुलिस अफसर भी चौंक गए. करीब 11 लाख रुपए लूट कर राममेहर को कार में जिंदा जलाने की सचाई का पुलिस ने वारदात के करीब 65 घंटे बाद ही पता लगा लिया.

राममेहर घटनास्थल से 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से जीवित मिल गया. हिसार पुलिस उसे बिलासपुर से गिरफ्तार कर हांसी ले आई.

राममेहर से की गई पूछताछ और सबूतों के आधार पर उस की साजिश से परदा उठ गया. राममेहर ने ऐसी खौफनाक साजिश क्यों रची, यह कहानी बताने से पहले यह जानना जरूरी है कि पुलिस उस तक पहुंची कैसे?

जांचपड़ताल में पुलिस को कार पर कोई खरोंच तक नहीं मिली थी. कार सड़क किनारे खड़ी थी, हैंड ब्रेक लगे थे. इस से साफ हो गया कि कार को इत्मीनान से रोका गया था. सड़क पर कार दौड़ाने का कोई सबूत नहीं मिला. कार सड़क के बीच नहीं साइड में खड़ी थी.

आसपास दूसरी कार और बाइक के टायरों के निशान नहीं मिले थे. अगर किसी को अनहोनी का खतरा हो तो वह गाड़ी को सड़क किनारे खड़ा नहीं करेगा और हैंडब्रेक तो बिल्कुल नहीं लगाएगा. कार को अंदर व बाहर एकसाथ कैमिकल डाल कर जलाया गया था ना कि कार में आग फैली थी.

पुलिस को मौके पर कार से राममेहर का मोबाइल नहीं मिला था, जबकि उस की अंतिम लोकेशन उसी जगह की थी. कंकाल बन चुका शव कार के ड्राइवर के पास वाली सीट पर था. बेटे और भांजे के पास राममेहर का फोन रात सवा 11 बजे आया था, लेकिन उन्होंने पुलिस को सूचना रात 12 बज कर 5 मिनट पर दी गई थी. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो कोई भी नहीं मिला, बाद में घरवाले जब मौके पर पहुंचे, तो कहा कि वे रास्ता भटक गए थे.

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आमतौर पर ऐसे मामलों में अवैध संबंध, बीमा क्लेम या अन्य किसी निजी स्वार्थ के लिए षडयंत्र रच कर खुद की मौत साबित करने की कोशिश की जाती है. इन्हीं सब बातों से शक उभरा, तो पुलिस ने गहराई से छानबीन की.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

हाई वोल्टेज ड्रामा : भाग 1

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

आशीष की सूचना पर पुलिस रात के सन्नाटे में तलाश करते हुए जब भाटलामहजद रोड पर पहुंची, तो दूर से ही कुछ जलता हुआ नजर आया. पास जा कर देखा, सड़क किनारे खड़ी एक इंडिगो कार जल रही थी. कार से हल्की लपटें अभी भी उठ रही थीं.

सड़क पर घुप अंधेरा था. कोई वाहन आजा नहीं रहा था. वैसे भी इस रोड पर रात के समय इक्कादुक्का वाहन ही गुजरते हैं. पुलिस वालों ने मोबाइल की टार्च जला कर देखा. कार में आगे ड्राइवर के पास वाली सीट पर एक आदमी बैठा था. वह भी जल चुका था. लपटें उठने के कारण कार का गेट नहीं खुल रहा था.

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कार के आसपास कोई नहीं था. पुलिस वालों ने आवाज लगाई, कोई है? लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. आवाज रात के सन्नाटे में गुम हो गई.

मौके के हालात से लग रहा था कि कार में कोई आदमी जिंदा जल गया है. अनुमान लगाया गया कि कार में करीब एक घंटा पहले आग लगी होगी, क्योंकि जब पुलिस पहुंची, तब तक लपटें कम हो गई थीं लेकिन पूरी तरह बुझी नहीं थी. यह बात 6 अक्टूबर की रात करीब सवा 12 बजे की है.

हरियाणा के हिसार जिले में एक शहर है हांसी. कार हांसी से करीब 17 किलोमीटर दूर भाटलामजहद रोड पर जलती हुई मिली थी. पुलिस यह समझने की कोशिश कर रही थी कि कार में कौन है और उस के साथ क्या हादसा हुआ है? तभी एक गाड़ी से कुछ लोग वहां आए. उन्होंने गाड़ी से उतर कर कार को देखा. कार में एक आदमी को जिंदा जला हुआ देख वे लोग रोने लगे.

रोतेसुबकते हुए एक युवक ने पुलिस को बताया कि उस का नाम आशीष है. उस ने ही पुलिस को फोन किया था.

आशीष ने आगे बताया कि वह पास के ही डाटा गांव का रहने वाला है. उस के पिता राममेहर जागलान की बरवाला रोड बाइपास पर डिस्पोजल आइटम्स के कच्चे माल की फैक्ट्री है.

पापा सुबह घर से कारोबार के सिलसिले में गए थे. उन के पास करीब 11 लाख रुपए थे. पैसे उन्होंने दिन में बैंक से निकलवाए थे. रात करीब सवा 11 बजे उन का फोन आया. फोन पर घबराई हुई आवाज में उन्होंने कहा कि महजदभाटला के बीच में कुछ गुंडों ने उन्हें घेर लिया है. ये लोग मुझ से पैसे छीन रहे हैं. जल्दी आ जाओ. ये मुझे मार डालेंगे.

आशीष ने बताया कि पापा ने मुझे फोन करने के बाद गगनखेड़ी के रहने वाले मेरी बुआ के लड़के विकास को भी काल कर यही बात कही थी. इस पर हम घर वालों के साथ गाड़ी से पापा को तलाश करने गांव से चल दिए थे. रास्ते में हम ने पुलिस को सूचना दी. राममेहर के भांजे विकास ने पुलिस को बताया कि मामा ने रात को मोबाइल पर काल कर कहा था कि बदमाश 2 मोटर साइकिल और एक गाड़ी में हैं.

लुटेरों का काम था?

आशीष व उस के घरवालों की बातों और मौके के हालात से मोटे तौर पर यह माना गया कि रात के समय राममेहर को कार में अकेले जाते देख कर बदमाशों ने लूटने की कोशिश की होगी. राममेहर ने लुटेरों का विरोध किया होगा. इसलिए उन्होंने राममेहर को कार में ही जिंदा जला दिया.

पुलिस ने आशीष से बदमाशों के बारे में पूछा, लेकिन कुछ पता होता तो वह बताता. पुलिस ने उस से राममेहर की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा, लेकिन आशीष को इस के बारे में भी कुछ पता नहीं था. बहरहाल, पुलिस को बदमाशों के बारे में कुछ पता नहीं चल सका.

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हैरत की बात यह थी कि भाटलामहजद रोड पर पहले कभी इस तरह की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई थी. आमतौर पर लूटपाट करने वाले मारपीट या हथियार से हमला कर जान लेते हैं, लेकिन जिंदा जलाने की घटना बिलकुल अनोखी थी.

फिर भी पुलिस ने राममेहर के बेटे आशीष और दूसरे लोगों से फौरी तौर पर पूछताछ की, लेकिन पुलिस को ऐसी कोई बात पता नहीं चली, जिस से बदमाशों का सुराग मिल पाता.

आधी रात से ज्यादा का समय हो चुका था. रात के अंधेरे में उस समय ज्यादा कुछ हो भी नहीं सकता था. इसलिए पुलिस ने एक कांस्टेबल को मौके पर छोड़ दिया और राममेहर के घर वालों को सांत्वना दे कर घर भेज दिया.

अगले दिन 7 अक्तूबर की सुबह पुलिस मौके पर पहुंच कर इस मामले की जांचपड़ताल में जुट गई. राममेहर के घर वाले भी वहां आ गए. कार की आग पूरी तरह बुझ चुकी थी. कार में आगे की सीट पर अधजले इंसान का कंकाल पड़ा था.

कंकाल के पास ही हनुमान जी का एक लौकेट मिला. लौकेट देख कर आशीष और दूसरे लोगों ने कहा कि यह राममेहर का है. इस से माना गया कि कार में जिंदा जलाया गया इंसान राममेहर था.

व्यापक छानबीन

वारदात खौफनाक थी, इसलिए एसपी लोकेंद्र सिंह सहित हिसार पुलिस के दूसरे अफसरों ने भी मौकामुआयना किया. सदर थाना पुलिस, एफएसएल, सीआईए, सायबर सेल और भाटला चौकी पुलिस ने अलगअलग एंगलों से जांच शुरू की.

प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अग्रोहा के मेडिकल कालेज भेज दिया. पोस्टमार्टम के बाद शव राममेहर के घरवालों को सौंप दिया गया. उन्होंने उसी दिन गांव में शव की अंत्येष्टि कर दी.

जली हुई कार में पुलिस को राममेहर का मोबाइल नहीं मिला. यह भी पता नहीं चला कि मोबाइल जल गया या बदमाश ले गए. दूसरी भी ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिस से बदमाशों का पता चलता.

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घर वालों से पूछताछ के आधार पर पुलिस को पता चला कि राममेहर ने 6 अक्तूबर को हांसी के एक्सिस बैंक से 10 लाख 90 हजार रुपए निकलवाए थे. उस दिन वह शाम करीब 5 बजे फैक्ट्री से व्यापार के सिलसिले में हिसार जाने के लिए निकले थे. उन्होंने शाम को घर फोन कर कहा था कि रात को देर से घर आएंगे.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

शराब, बहुपत्नी और हत्या!

छत्तीसगढ़ अपने वनांचल  एवं आदिवासी बाहुल्य होने के कारण दुनिया में पिछड़ेपन का एक नजीर माना जाता है. यहां अंधविश्वास, पिछड़ापन लिए हुए परंपराएं शराब के कारण होती हत्याएं कुछ ऐसी बातें हैं जो छत्तीसगढ़ को एक ऐसी छवि के रूप में प्रस्तुत करती है मानो यह विकास के, आधुनिकता के बहुत पीछे पीछे चल रहा है. कुछ मायने में यह सच भी है, यहां के अनेक जिले ऐसे हैं जो आदिवासी बाहुल्य हैं यहां जंगल हैं और लोग बेहद  गरीबी में जी रहे हैं. शिक्षा से कोसों दूर, विकास से कोसों दूर. ऐसे में सरकार कि जो जिम्मेदारी बनती है उससे वह कोसों दूर है. यहां घर-घर शराब बनती है और लोग शराब पीकर अपनी जिंदगी बर्बाद करते दिखाई देते हैं यही कारण है कि यहां अपराध बढ़ते चले जा रहे हैं और सरकार इसे रोक पाने में नाकाम सिद्ध हुई है.

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हाल ही में छत्तीसगढ़ के जशपुर में बहुपत्नी  के फेर में फंसे एक शख्स ने शराब के नशे में छोटी सी बात पर अपनी एक पत्नी की हत्या कर दी और बचाव के लिए उसे फांसी पर लटका दिया. अपने आप को चतुर समझने वाले इस शख्स के गिरेबान पर अंततः कानून की पकड़ यह एहसास कराती है कि कानून से बड़ा कोई नहीं और कोई कितनी ही चालाकी कर ले अपराध करके  बच नहीं सकता.

जशपुर जिले के थाना बगीचा में दिनांक 26 अगस्त 2020 को प्रार्थी कपिल राम निवासी हेठ गम्हरिया के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई कि उसकी पत्नी  ने 25-26 अगस्त के रात्रि  फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. पुलिस ने इस शिकायत पर जिस पर से मर्ग इंटिमेशन कायम कर जांच में लिया गया. मगर आगे चलकर डॉ के द्वारा पीएम रिपोर्ट में मृतिका विमला बाई का मृत्यु होमीसायडल ओर नाक मुंह को दबाकर हत्या करना लेख किया तो पुलिस ने जांच को गति दी  गवाहों का कथन लिया गया जिसमें मृतिका विमला कपिल की दूसरी पत्नी थी दोनों शराब पीकर आए दिन लड़ाई झगडा करते रहते थे. कपिल अपनी दूसरी पत्नी के चरित्र पर शंका करता था.

साड़ी मुंह में दाब, कर दी हत्या

घटना के दिन दोनों शराब पीकर लड़ाई झगड़ा करते रहे थे. बाद में  नाराज होकर विमला बिना बताए अपने बेटे दिलीप के यहां जा रही थी जिसको इसका लड़का विजय रात में अपने सौतेला बाप के घर छोड़ के आया जहां पर घर के अंदर कमरा में विमला सोने गई व वही कमरा से सटे दरवाजा के पास कपिल सोया  था, रात में नशा उतरने से बिना बताए  विमला के कहीं चले जाने के बात पर वाद विवाद कर चरित्र पर शंका करने लगा और साड़ी से पत्नी के मुंह को दबाकर उसी साड़ी से म्यार में गला में बांधकर टांग दिया व पुलिस को चकमा देने के लिए आत्महत्या का स्वरूप देने का प्रयास किया. मगर कहते हैं ना कि अपराधी लाख चतुराई करें कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकता. यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ जांच पड़ताल में अंततः पुलिस ने आरोपी को धर दबोचा और  अपराध क्रमांक 179/20 धारा 302, 201आईपीसी कायम कर अपराध सबूत पाए जाने से  गिरफ्तार कर जेल के सीखचों में डाल दिया.

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शराब है अपराध की जड़…

छत्तीसगढ़ में गरीबी और अशिक्षा का कारण शराब एक महत्वपूर्ण कड़ी है. सरकार की आदिवासियों को शराब पीने की छूट उन्हें अपराध के अंधेरे गर्त में ढकेल रही है. ऐसे अनेक अनेक उदाहरण आए दिन घटित होते रहते हैं और सुर्ख़ियों में रहते हैं. इसका मूल कारण शराब होता है जिसके सेवन करने के बाद नशे के अतिरेक में हत्या जैसे अपराध घटित हो जाते हैं. सामाजिक कार्यकर्ता शिव दास महंत कहते हैं कि छत्तीसगढ़ को अगर अपराध मुक्त और विकास मुखी बनाना है तो सरकार को यहां शराबबंदी करनी चाहिए.

अधिवक्ता डॉ उत्पल अग्रवाल के अनुसार अधिकांश हत्याओ के परि पार्श्व में शराब मूल कारण होता है अतः लोगों में यह जागरूकता आनी चाहिए कि शराब हमारे पतन का  कारण है इसका सेवन हम ना करें.

प्यार में इतना जोखिम क्यों

5 अगस्त, 2020 को बिहार के जिले सुपौल में नाजायज रिश्तों के चलते कुछ लोगों ने एक औरत और मर्द को जम कर पीटा. फिर स्थानीय लोगों और पंचायत में समाज के सामने उन दोनों के हाथपैर बांध कर मर्द के सिर के आधे बाल और मूंछें मुंड़वा दी गईं. औरत को भी आधा गंजा कर दिया गया.

पुलिस तफतीश के मुताबिक पीड़ित मर्द का अपने पड़ोस की ही एक औरत के घर पहले से आनाजाना था. इस बात की जानकारी आसपड़ोस के लोगों को भी थी. उस औरत का पति गांव से बाहर रह कर मजदूरी करता था और पिछले 8 महीने से घर नहीं आया था. उस रात भी वह गैरमर्द उस औरत के घर में था. आसपास के लोगों ने इकट्ठा हो कर उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया. इस के बाद स्थानीय जन प्रतिनिधियों और लोगों के सामने उन से जबरदस्ती माफीनामा भी लिखवाया गया.

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इसी तरह कुछ 29 सितंबर, 2020 को बरेली कालेज में आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए एक जोड़े से भी उन के मातापिता को बुला कर माफीनामा लिखवाया गया.

दरअसल, बरेली कालेज में नवीन भवन के पीछे एक लड़का और एक लड़की आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए थे. अनुशासन समिति ने उन दोनों को पकड़ कर कालेज बैरियर के पास ले जा कर पूछताछ की तो पता चला कि वे दोनों बाहरी हैं. बाद में चीफ प्रौक्टर ने दोनों के मातापिता को बुलाया और उन से माफीनामा लिखवाया.

इसी तरह हमें अकसर 2 प्यार करने वालों पर लोगों का गुस्सा टूटता दिख जाता है. सिर्फ गुस्सा ही नहीं कई बार तो औनर किलिंग, मर्डर और सरेआम फांसी पर लटका देने की घटनाएं भी सामने आती हैं. कभी पत्थरों से पीटा जाता है तो कभी उन के पूरे खानदान को समाज से बाहर कर दिया जाता है. आखिर प्यार में इतना जोखिम क्यों है? प्यार करने वालों को इतनी ज्यादती क्यों सहनी पड़ती है?

तथाकथित धर्मगुरुओं की चिढ़

प्यार करने वाले लोग अकसर धर्म, जाति, ऊंचनीच वगैरह की परवाह किए बगैर आर्यसमाजी शादी कर या कोर्ट मैरिज कर निबट जाते हैं. इस से तथाकथित धर्मगुरुओं को अपनी साख गिरती हुई महसूस होती है. उन्हें लगता है जैसे इस तरह के 2-4 उदाहरण भी समाज में कामयाब हो गए तो धर्म की दुकान बंद हो सकती है. वजह यह कि आम जनता, जो बेवकूफों की तरह इन के कहने पर रीतिरिवाजों में रुपए और समय लुटाती रहती है और इन की जेबें भरती रहती है, कहीं वह अच्छी सीख न ले ले.

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धर्म और भेदभाव फैला कर अपनी चांदी करने वाले धर्मगुरुओं को अपनी हुकूमत खो देने का डर होता है, इसलिए वे हमेशा लोगों की सोच को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं.

धर्मगुरुओं ने हमेशा से खुद को सब से ऊपर रखा है. मूढ़ लोगों के लिए उन का आदेश पत्थर की लकीर हो जाती है. स्वर्गनरक, पापपुण्य का डर दिखा कर वे अपनी जेबें भरते हैं. गैर जाति में प्यार और शादी को सामाजिक अपराध घोषित करना और प्रेमियों को सजा देने के लिए उकसाना उन का ऐसा ही एक ढकोसला है. ऐसी सामाजिक व्यवस्था फैलाने के पीछे का उन का मकसद लोगों के बीच डर पैदा करना है, ताकि लोग प्यार करने से पहले सौ बार सोचें. उन्हें पता चले कि ऐसा करने पर समाज द्वारा हुक्कापानी बंद होने का जोखिम उठाना पड़ सकता है.

बदला भी वजह

कई बार इनसान अपने जीवनसाथी को छोड़ कर किसी और के प्यार की गिरफ्त में आ जाता है. ऐसे में आप के पति या पत्नी का भरोसा टूटता है. आप के लिए उस के दिल में जो प्यार और यकीन होता है, वह खत्म हो जाता है. रिश्ते दरकने लगते हैं. दिल में एक फांस सी चुभ जाती है और जब तक वह आप से बदला न ले ले उस के दिल को चैन नहीं पड़ता. तभी तो अकसर देखा जाता है कि पति या पत्नी ने अपने जीवनसाथी के प्रेमी या प्रेमिका को चाकू से गोद डाला या जहर दे कर मौत की नींद सुला दिया.

जीवनसाथी की बेवफाई का दर्द इतना गहरा होता है और गुस्से की ज्वाला इतनी भयानक होती है कि उसे बुझाने के लिए इनसान जीवनसाथी या उस के प्रेमीप्रेमिका को बहुत बुरी मौत देने से नहीं घबराता. वह जानता है कि उसे जेल हो जाएगी, मगर फिर भी वह बदले की भावना पर कंट्रोल नहीं रख पाता, इसलिए याद रखिए कि नाजायज रिश्ते वाले प्यार का नतीजा बहुत बुरा होता है.

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पराया माल हड़पने के चक्कर में : भाग 2

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‘‘ठीक है, उसे दिल्ली जा कर ही उठा लो. एक टीम को फौरन दिल्ली रवाना कर दो.’’ अंशुमान भोमिया ने आदेशात्मक स्वर में कहा.

इस से पहले कि मीटिंग बरखास्त होती, एसपी ने एएसपी अनंत कुमार शर्मा को निर्देश देते हुए कहा, ‘‘भुवनेश की गैरमौजूदगी में जो भी कैफे चला रहा है, उसे और भुवनेश के घर वालों को फौरन तलब करो.’’

जब पुलिस टीमें मृतक दुर्गेश के व्यावसायिक क्रियाकलापों, प्रौपर्टी तथा परिचितों का दायरा खंगाल रही थीं, उसी दौरान पुलिस की नजरों से सोशल मीडिया पर वायरल होता एक मैसेज गुजरा, जिस में भुवनेश सफाई देता नजर आ रहा था कि उस का इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है. आखिर दुर्गेश की हत्या में उस का नाम क्यों उछाला जा रहा है?

हत्यारे ने दी सोशल मीडिया पर सफाई

इस से पहले कि पुलिस इस मामले को ठीक से समझ पाती, अगले दिन यानी 11 अगस्त को डीएसपी शिव भगवान गोदारा के पास एक फोन आया. फोन करने वाले आदमी ने अपना नाम भुवनेश बताते हुए पूछा, ‘‘साहब, इस मामले में मेरा नाम क्यों घसीटा जा रहा है? आखिर मुझ पर बेवजह क्यों शक किया जा रहा है, जबकि मैं तो दिल्ली में हूं.’’

उस का कहना था कि वह अगले दिन कोटा पहुंच जाएगा. डीएसपी गोदारा ने जब यह बात अंशुमान भोमिया को बताई तो एक पल के लिए वह भी चौंके, लेकिन अगले ही पल उन के चेहरे पर मुसकराहट तैर गई. उन्होंने कहा, ‘‘गोदारा, यह कहावत गलत नहीं है कि अपराध अपराधी के सिर पर चढ़ कर बोलता है. अपराधी ने खुद ही हमें भटकने से बचा लिया. यही है हमारा शिकार. तुरंत इस फोन का लोकेशन ट्रेस करवाओ ताकि पता चल सके कि फोन कहां से किया गया था.’’

पुलिस ने जब भुवनेश के पिता और उस के बाघा कैफे का कारोबार संभालने वाले निशांत से भुवनेश के बारे में पूछताछ की तो थोड़ी हीलाहवाली के बाद उस ने बताया, ‘‘साहब, वह दिल्ली जाने की बात कह रहे थे. दिल्ली में उन की ससुराल भी है. शायद वहीं गए हों.’’

पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो उस ने हिचकिचाते हुए कहा, ‘‘सर, मंगलवार शाम तक तो वह मेरे साथ ही थे, लेकिन उस के बाद मैं ने उन्हें नहीं देखा.’’

भुवनेश के पत्नी के साथ दिल्ली जाने की तसदीक हो चुकी थी. अंशुमान भोमिया थानाप्रभारी रामखिलाड़ी मीणा को दिल्ली जाने का निर्देश भी दे चुके थे. लिहाजा उन्होंने निशांत को हिरासत में ले कर उसे लौकअप में बंद किया और दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

रामखिलाड़ी मीणा पुलिस टीम के साथ 12 अगस्त शनिवार की सुबह दिल्ली पहुंच गए. उन्होंने भुवनेश की ससुराल में फोन किया तो फोन उस के बजाय उस की पत्नी भावना ने उठाया. मीणा ने जब भुवनेश से बात कराने को कहा तो उस ने यह कहते हुए फोन रख दिया कि वह अभी सो रहे हैं.

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भावना द्वारा पुलिस को दिए गए दोटूक जवाब से भिन्नाए मीणा फौरन उस की ससुराल पहुंच गए. भावना ने उन से झूठ बोला था कि भुवनेश सो रहा है, जबकि वह वहां था ही नहीं.

पुलिस ने भावना को लिया हिरासत में

भावना के झूठ पर गुस्से से उबलते हुए मीणा उस पर बरस पड़े, ‘‘इस का मतलब है कि भुवनेश ने ही दुर्गेश को गोली मारी है और इस साजिश में तुम भी उस की साथी हो.’’

मीणा ने संदिग्ध मानते हुए भावना को हिरासत में लिया तो वह जबरदस्त विरोध पर उतर आई. उस ने दराज से प्रिस्क्रिप्शन निकाल कर दिखाते हुए कहा, ‘‘देख लीजिए, हम लोग तो 9 अगस्त से यहीं पर हैं. यहां आ कर वह बीमार पड़ गए. उन का इलाज चल रहा है. यह पर्चियां भी हैं डाक्टर की.’’

मीणा ने उन पर्चियों की तरफ निगाह उठा कर भी नहीं देखी. एक पल में ही सारा माजरा समझ चुके मीणा ने कहा, ‘‘तो फिर तुम्हारा बीमार पति यहां से गायब क्यों है? तुम ने पुलिस को बहकाने की कोशिश क्यों की? तुम्हारे पति का मोबाइल यहां है तो वह कहां हैं? पुलिस से यह लुकाछिपी नहीं चलेगी.’’

मीणा भुवनेश की पत्नी भावना को ले कर कोटा पहुंचने तक अंशुमान भोमिया निशांत से पूरी कहानी उगलवा चुके थे.

इस हत्याकांड की जड़ में स्टेशन रोड स्थित दुर्गेश मालवीय की 10 करोड़ कीमत की बेशकीमती इमारत थी, जिस में भुवनेश बाघा कैफे चला रहा था. इस कैफे से उसे ढाईतीन लाख रुपए महीने की अच्छीखासी कमाई हो रही थी. कैफे का हिसाबकिताब भुवनेश का भरोसेमंद निशांत संभालता था. भुवनेश उसे 6 हजार रुपए महीना वेतन देता था. निशांत स्टूडेंट था. उस के लिए यह रकम काफी थी. इतने से पढ़ाई का और उस का खर्च निकल जाता था. उसे कभी कुछ और जरूरत होती तो भुवनेश मना नहीं करता था.

पिछले एक साल से भुवनेश काफी परेशान था. वजह थी कैफे की इमारत खाली करने के लिए बढ़ते दबाव की. जबकि इस कैफे से उसे अच्छीखासी कमाई हो रही थी. बात सिर्फ उस फ्लोर को खाली करने की ही नहीं थी, भुवनेश का इरादा उस पूरी इमारत को हड़पने का था.

जब दबाव ज्यादा बढ़ा तो भुवनेश ने दुर्गेश को यह कह कर बहला दिया कि वह अगस्त में ग्राउंड फ्लोर खाली कर देगा. दुर्गेश को टालने के लिए अब तक वह मोहलत मांगता आ रहा था. उस का इरादा उस जगह को खाली करने का कतई नहीं था.

दबंग प्रवृत्ति के भुवनेश ने इमारत खाली करने के बजाय उस में टाइल्स लगवाने का काम शुरू कर दिया. दुर्गेश ने उस के इरादे देखे तो वह बुरी तरह भड़क उठा और उस ने तत्काल बिल्डिंग खाली करने को कह दिया. यह जुलाई के अंतिम सप्ताह की बात है. निशांत पलपल की स्थिति से वाकिफ था. बिल्डिंग खाली करने का मतलब था, रोजीरोटी का जरिया खत्म हो जाना, जो उसे कतई मंजूर नहीं था. निशांत भुवनेश के सुखदुख का साथी था. एक दिन उस ने भुवनेश से पूछा, ‘‘अब क्या करोगे भाईसाहब?’’

भुवनेश ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, ‘‘तू फिक्र मत कर. कुछ ऐसा करेंगे कि सांप भी मर जाएगा और लाठी भी न टूटेगी. बस, तुझे मेरा साथ देना होगा.’’

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निशांत की इतनी मजाल नहीं थी कि उस के कहे को टाल दे. उस ने छाती चौड़ी कर के कहा, ‘‘आप कह कर तो देखें भाईसाहब, आप के लिए तो मैं जान दे सकता हूं.’’

‘‘जान देने की नहीं, लेने की बात कर.’’ भुवनेश ने कुटिल मुसकराहट के साथ निशांत का कंधा थपथपाते हुए कहा. बस इस के बाद दुर्गेश की हत्या की योजना बन गई.

दुर्गेश की जान लेने का मंसूबा बना कर भुवनेश ने पहले सुपारी देने के लिए अंडरवर्ल्ड को खंगाला. इस के लिए उस ने शूटर मुकेश खंगार उर्फ बच्चा और नंदू से संपर्क किया. लेकिन उन के द्वारा मांगी गई मोटी रकम की वजह से बात नहीं बनी. आखिर उस ने खुद ही दुर्गेश की हत्या का मन बना लिया.

इस काम में निशांत कदमदरकदम उस का साथ देता रहा. घर पर पिता से कहा कि तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह ससुराल जा कर इलाज कराएगा. इस के बाद भुवनेश पत्नी को ले कर मंगलवार 8 अगस्त को दिल्ली चला गया और दिल्ली के एक अस्पताल में भरती हो गया. यह सिर्फ एक दिखावा था.

इस तरह दिया गया हत्या को अंजाम

बुधवार 9 अगस्त की रात को भुवनेश कोटा आ गया. दिल्ली जाते समय वह अपना स्कूटर स्टेशन की पार्किंग में छोड़ गया था. वापसी में पार्किंग से स्कूटर ले कर वह घर पहुंचा और पिता को खबर न हो, इस तरह पिछवाड़े से घर में घुसा और चुपचाप अपने कमरे में जा कर सो गया.

अगले दिन गुरुवार 10 अगस्त की दोपहर को वह पीछे के रास्ते से घर से निकला और निशांत से मिला. भुवनेश के कहने पर निशांत घर से भुवनेश के पिता का स्कूटर ले आया. दोनों ने साथसाथ रेकी की. भुवनेश दुर्गेश की शाम की रोजमर्रा की बैठक के बारे में सब कुछ जानता था. लिहाजा उस ने रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों की लोकेशन देखी और उसी के हिसाब से आनेजाने का रास्ता चुना. उस ने वारदात का समय भी ऐसा चुना, जिस से वारदात के बाद तुरंत ट्रेन से भाग सके.

इस में वह कामयाब भी हो गया. लेकिन जैसा कि हर अपराधी कोई न कोई गलती करता है. उसी तरह उस ने भी की और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज को ले कर खामोश रहने के बजाय सफाई देने के लिए पुलिस को फोन कर दिया कि वह तो दिल्ली के अस्पताल में भरती था, वह कैसेदुर्गेश की हत्या कर सकता है?

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इस से वह तकनीकी जांच में फंस गया, क्योंकि जिस समय वह फोन कर के सफाई दे रहा था, उस समय उस के मोबाइल की लोकेशन कोटा की थी. इस मामले में एसपी अंशुमान भोमिया का अंदेशा सही निकला. उस की योजना की रहीबची बखिया दिल्ली से लौटी पुलिस टीम ने उधेड़ दी. हत्याकांड के ढाई महीने बीतने के बाद भी अभी भुवनेश पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. निशांत न्यायिक हिरासत में है. भुवनेश की पत्नी भावना भी अभी संदेह के बाहर नहीं है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

पराया माल हड़पने के चक्कर में

पराया माल हड़पने के चक्कर में : भाग 1

गुरुवार 10 अगस्त की रात के करीब 10 बजे कोटा रेलवे स्टेशन पर रोज की तरह अच्छीखासी गहमागहमी थी. अजमेर से जयपुर होती हुई कोटा पहुंचने वाली जबलपुर एक्सप्रेस निर्धारित समय से लगभग आधा घंटा देरी से पहुंची थी, इसलिए बाहर निकलती सवारियों, दुपहिया, तिपहिया वाहनों और कारों की आवाजाही के कोलाहल में ठीक से कुछ भी सुनाई देना मुश्किल हो रहा था. स्टेशन के बाहरी क्षेत्र को बजरिया कहते हैं, उसी से सटा डडवाड़ा रिहायशी इलाका है.

डडवाड़ा के रहने वाले प्रौपर्टी व्यवसाई दुर्गेश मालवीय रोज के इस शोरगुल के अभ्यस्त थे. उस समय वह स्टेशन के बाहर बने सुलभ कौंप्लेक्स के पास लगी बेंचों में से एक पर बैठे अपने करीबी दोस्त मंगेश कुमावत के साथ बातों में मशगूल थे. दुर्गेश भाजपा संगठन के स्थानीय पदाधिकारी थे और मंगेश कार्यकर्ता. उन के बीच पार्टी को ले कर ही बातें हो रही थीं.

दोनों आगेपीछे की बेचों पर बैठे थे. पलभर के लिए मंगेश स्टेशन से निकलती भीड़ को देखने लगे, तभी 2 धमाके हुए और दुर्गेश मालवीय चीख कर बेंच से नीचे लुढ़क गए. मंगेश ने मुंह घुमा कर देखा तो उन्हें एक हेलमेटधारी तेजी से बाईं ओर की कासिम गली की तरफ भागता नजर आया. उस ने मुंह पर रूमाल बांध रखा था. मंगेश ने पलट कर दुर्गेश की तरफ देखा तो उस की आंखें फटी रह गईं.

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दुर्गेश बेंच के नीचे गिरा छटपटा रहा था. उस की कनपटी से तेजी से खून बह रहा था. निस्संदेह पिछली बेंच पर बैठा दुर्गेश किसी शूटर की गोली का शिकार हुआ था. उस ने तुरंत दुर्गेश को संभालने की कोशिश की. इस बीच इलाके के तमाम लोग वहां आ गए थे.

घायल दुर्गेश को डाक्टरों ने मृत घोषित किया

दुर्गेश की हालत बहुत नाजुक थी. मंगेश ने अन्य लोगों की मदद से दुर्गेश को तुरंत एमबीएस अस्पताल पहुंचाया. इस घटना से वहां अफरातफरी सी मच गई थी, जिस से पूरा ट्रैफिक अस्तव्यस्त हो गया था. लोगों ने पुलिस को खबर की तो अतिरिक्त एडिशनल एसपी अनंत कुमार, डीएसपी शिव भगवान गोदारा और थाना भीममंडी के थानाप्रभारी रामखिलाड़ी  मीणा पहले घटनास्थल पर पहुंचे, उस के बाद अस्पताल. एसपी अंशुमान भोमिया को भी घटना की खबर मिल चुकी थी. वह भी अस्पताल पहुंच गए थे.

दुर्गेश के घर वालों को भी मामले की जानकारी मिल चुकी थी. वे भी अस्पताल आ गए थे. उन के रोनेधोने से अस्पताल का माहौल मातमी हो गया था. क्योंकि डाक्टर दुर्गेश को मृत घोषित कर चुके थे. थानाप्रभारी रामखिलाड़ी मीणा ने घटनास्थल का निरीक्षण कर वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की. लेकिन इस के अलावा कोई कुछ नहीं बता सका कि घटना इतनी जल्दी में घटी थी कि हत्यारे को कोई देख नहीं सका.

इस पूछताछ में पता चला कि दुर्गेश का प्रौपर्टी को ले कर किसी से विवाद चल रहा था. लेकिन बताने वालों के आतंकित चेहरों को देख कर साफ लग रहा था कि वे कुछ और भी जानते हैं.  पुलिस ने प्राथमिक काररवाई में आसपास के सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले और वीडियो फुटेज भी लिए, ताकि सभी सबूतों की कड़ी से कड़ी जोड़ कर देखा जा सके.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि हत्यारे ने दुर्गेश के सिर में 2 गोलियां मारी थीं. खास बात यह थी कि जिस तरह से टारगेट बना कर गोलियां दागी गई थीं, वह किसी शार्प शूटर का ही काम हो सकता था. गोलियां काफी नजदीक से चलाई गई थीं और दुर्गेश की मृत्यु घटनास्थल पर ही हो गई थी.

प्रौपर्टी को ले कर विवाद सामने आया

देर रात रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए दुर्गेश के बड़े भाई ओमप्रकाश मालवीय ने आशंका जताई थी कि दुर्गेश का एक भूखंड आकाशवाणी कालोनी में है, जिस पर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है. उसे ले कर मृतक का उन लोगों से विवाद चल रहा था. इस की शिकायत संबंधित थाने में भी दर्ज करवाई गई थी. ओमप्रकाश का कहना था कि मंगेश हत्यारे के पीछे भागा भी, लेकिन वह हाथ नहीं आया.

एसपी अंशुमान भोमिया ने हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए प्रशिक्षु आरपीएस सीमा चौहान के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की, जिस में एएसपी अनंत कुमार, डीएसपी शिव भगवान गोदारा, सीओ राजेश मेश्राम, थानाप्रभारी रामखिलाड़ी मीणा, शिवराज गुर्जर, हरीश भारती, विजय शंकर शर्मा, लोकेंद्र पालीवाल, महावीर सिंह और एसआई राजेश व दिनेश त्यागी को शामिल किया गया.

इस टीम में 6 थानाप्रभारियों के अलावा 15 जवान भी शामिल किए गए थे. हत्याकांड के खुलासे के लिए गठित पुलिस टीमों को स्टेशन तथा शहर के अन्य इलाकों में पूछताछ के लिए सक्रिय करने के बाद देर रात एसपी अंशुमान भोमिया ने एएसपी अनंत कुमार के साथ इस हत्याकांड के विभिन्न पहलुओं पर बात की.

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पुलिस को शक था कि शूटर से कराई है हत्या

अंशुमान भोमिया का कहना था कि यह कैसे संभव है कि कोई शख्स भीड़भाड़ वाले इलाके में, जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, इतना बेखौफ हो कर सधे अंदाज में एक आदमी को गोली मार कर भाग जाए? निस्संदेह वह कोई शातिर शूटर रहा होगा. हत्यारे ने जिस तरह अपने आप को सीसीटीवी कैमरों से बचाए रखा, जाहिर है कि उस ने या तो वारदात से पहले वहां की रैकी की होगी या फिर वह वहां के चप्पेचप्पे से वाकिफ था.

एक क्षण रुक कर उन्होंने आगे कहा, ‘‘हत्यारा जरूर मृतक का करीबी रहा होगा, जिसे उस की रोज की गतिविधियों की खबर थी. उसे पता था कि रात के 8-9 बजे के बीच दुर्गेश की वहां बैठक होती है.’’

भोमिया साहब ने आगे कहा, ‘‘घटनास्थल पर जद्दोजहद के कोई निशान नहीं मिले, जिस से यह मान लिया जाता कि वहां कोई झगड़ा हुआ था, जिसे छिपाया जा रहा है. यह मामला लूटपाट का भी नहीं है. वारदात का अकेला प्रत्यक्षदर्शी मंगेश कुमावत नहीं, सैकड़ों लोग हैं, जिन्होंने हत्यारे को दुर्गेश पर गोली चलाते देखा है. मुझे लगता है कि यह मामला सीधेसीधे रंजिश का है. ऐसी रंजिश, जिस में आदमी मरने या मारने पर उतारू हो जाता है.’’

‘‘लेकिन सर, रंजिश तो और भी कई तरीकों से निकाली जा सकती है. यह तो बड़े हौसले और दबंगई से अंजाम दिया गया कारनामा है. कोई शख्स भीड़ भरे इलाके में आया और अपने टारगेट को निशाना बना कर चलता बना.’’

एक पल रुक कर अनंत कुमार ने आगे कहा, ‘‘सर, यहां मृतक के दोस्त मंगेश के बारे में उन के भाई ओमप्रकाश मालवीय का बयान गलत है कि वह हत्यारे के पीछे भागे थे. क्योंकि उस स्थिति में तो उसे घायल दुर्गेश को संभालना चाहिए था.’’

‘‘बिलकुल सही कह रहे हो.’’ अंशुमान भोमिया ने संजीदा हो कर कहा, ‘‘तो फिर रंजिश की वजह जानने की कोशिश करनी होगी और जैसा कि मृतक का कारोबार यानी प्रौपर्टी का धंधा था, जरूर कोई वजह इसी से जुड़ी हो सकती है. हमें दो बातों पर ध्यान देना होगा. पहला, यह कि मृतक की संपत्ति कहांकहां है और दूसरे जैसा कि उस के बड़े भाई ओमप्रकाश मालवीय का कहना है कि वारदात संपत्ति को ले कर हो सकती है तो मृतक की ऐसी कौन सी प्रौपर्टी थी, जिसे ले कर दुर्गेश के किसी के साथ फसादी रिश्ते बन गए थे. ऐसी कड़वाहट पैदा हो गई थी कि नौबत यहां तक आ पहुंची.’’

पुलिस ने पता लगा लिया हत्यारे का

इस से पहले कि मीटिंग समाप्त होती, प्रशिक्षु आरपीएस सीमा चौहान ने वहां पहुंच कर जो कुछ बताया, वह एसपी अंशुमान भोमिया के अंदेशे को सही ठहराने वाला था. सीमा चौहान ने तफ्सील से खुलासा करते हुए कहा, ‘‘सर, हम ने मुकेश खंगार उर्फ बच्चा को हिरासत में लिया है. उस ने एक चौंकाने वाली बात बताई है. उस का कहना है कि उसे इस मर्डर की योजना की खबर पहले से थी. उस के अनुसार, भुवनेश शर्मा ने उस से संपर्क साधने की कोशिश की थी. लिहाजा भुवनेश ने दुर्गेश के लिए उन शूटरों को सुपारी दी होगी.’’

इस खुलासे ने अंशुमान भोमिया को हैरानी में डाल दिया था. उन्होंने पूछा, ‘‘कौन भुवनेश?’’

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सीमा चौहान ने बताया, ‘‘सर, दुर्गेश की सब से बड़ी प्रौपर्टी स्टेशन रोड स्थित तिमंजिला इमारत है, जिस की कीमत करोड़ों में बताई जाती है. इस इमारत का ग्राउंड फ्लोर दुर्गेश ने पूनम कालोनी में रहने वाले भुवनेश शर्मा को किराए पर दे रखा था. भुवनेश इस हिस्से में पिछले 5 सालों से बाघा कैफे चला रहा है. सुना है, भुवनेश को कैफे से हर महीने ढाईतीन लाख की कमाई होती है.

लेकिन पिछले साल दुर्गेश ने भुवनेश को ग्राउंड फ्लोर खाली करने को कह दिया था. काफी हीलाहवाली के बाद तय हुआ कि वह अगस्त में इमारत खाली कर देगा. लेकिन अगस्त की शुरुआत में दुर्गेश ने जब भुवनेश को ग्राउंड फ्लोर में टाइल्स लगवाते देखा तो उस का माथा ठनका. इस से पहले कि दुर्गेश उस से फ्लोर खाली करने को कहता, भुवनेश उसे नहीं मिला. पता चला कि वह अपनी पत्नी के साथ दिल्ली गया हुआ था.’’

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

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