भोजपुरी फिल्म ‘विजेता’ का टीजर लौंच, खिलाड़ी के रूप में नजर आ रहे अरविन्द अकेला ‘कल्लू’

फिल्म में अरविन्द अकेला कल्लू के अपोजिट यामिनी सिंह है. इसके अलावा फिल्म में जो बड़े चेहरे दिखाई पड़ रहें हैं उसमें कनक पाण्डेय अवधेश मिश्रा, सुशील सिंह, अनूप अरोरा, देव सिंह का नाम प्रमुख है.

वर्ल्ड वाइड चैनल के बैनर तले बनी यह इस फिल्म का निर्देशन पराग पाटिल ने किया है. जो पहले भी भोजपुरी की कई हिट फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. फिल्म के निर्माता रत्नाकर कुमार और कहानी लेखक राकेश त्रिपाठी हैं.

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फिल्म की कहानी खेल और खिलाडियों पर आधारित है. इस फिल्म में प्यार- रोमांस और नफ़रत का जबरदस्त तडका भी देखने को मिलेगा. फिल्म को लेकर अरविन्द अकेला कल्लू काफी उत्साहित नजर आ रहें हैं. उन्होंने अपने फेसबुक आई डी पर टीजर लांच होने के बाद लाइव आकर लोगों से विजेता फिल्म के टीजर को देखने की अपील भी की है. उन्होंने अपने लाइव में कहा की विजेता उनकी अब तक आई फिल्मों से अलग हट कर फिल्म है.

उनका मानना है की इससे भोजपुरी बेल्ट में खिलाडियों का मनोबल बढ़ेगा. कल्लू ने फिल्म के टीजर का पोस्टर अपने फेसबुक, इन्स्टाग्राम पेज पर भी शेयर की है. फिलहाल वर्ल्ड वाइड भोजपुरी के यूट्यूब चैनल पर विजेता के टीजर को काफी पसंद किया जा रहा है. अभी फिल्म के रिलीज की कोई डेट तय नहीं हुई है।

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फिल्म का टीजर लिंक:

भोजपुरी फिल्मों को लेकर इस बिहारी एक्ट्रेस ने कही ये बड़ी बात

भोजपुरी में इन दिनों खूबसूरत हीरोइनों का बोलबाला है. बीते साल तक भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को ऐसी कई हीरोइनें मिली हैं जो न केवल छरहरे बदन और अपनी खूबसूरती के लिए दर्शकों में छाई हुई हैं बल्कि इन की संवाद अदायगी, डांस और कसी हुई अदाकारी ने दर्शकों पर अच्छी छाप छोड़ी है.

ऐसी ही एक अदाकारा हैं सोनालिका प्रसाद. इन दिनों भोजपुरी बैल्ट के दर्शकों में उन का नाम हर जबान पर सुना जा सकता है. अभी हाल ही में उन्होंने फिल्म ‘राजतिलक’ से सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ अपनी तरफ खींचने में कामयाबी पाई है.

‘गोल्डन गर्ल’ के नाम से जानी जाने वाली सोनालिका प्रसाद से फिल्म ‘कलाकार’ के सैट पर हुई एक मुलाकात में उन के फिल्मी सफर पर काफी लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश:

आप अपने परिवार के बारे में कुछ बताएं?

मैं मूल रूप से बिहार के पटना की रहने वाली हूं और वहीं से मैं ने अपनी ग्रेजुएशन की. इसी दौरान मेरे पापा, जो बैंक में कर्मचारी हैं, का ट्रांसफर मुंबई हो गया. पापा के ट्रांसफर के बाद मैं ने एक रिश्तेदार के साथ पटना में रह कर अपनी पढ़ाई पूरी की. इस के बाद मैं पापा के पास मुंबई आ गई.

फिल्मों में कैसे आना हुआ?

फिल्मों में आने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी, क्योंकि मेरा म्यूजिक से बहुत लगाव था, इसलिए मैं ने संगीत और कत्थक में डिप्लोमा किया. मैं जब 9वीं क्लास में थी, तब तक तो मैं सिंगर बनना चाहती थी, लेकिन आगे की पढ़ाई के चलते मैं ने इस इच्छा को बीच में ही दबा दिया.

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इस के बाद मेरे पापा की पहचान के एक आदमी ने मुझे पटना दूरदर्शन में डांस करने का मौका दिया. यहीं से मुझे एंकरिंग करने का औफर आया जिसे मैं ने स्वीकार कर लिया और बाद में तो मुझे जैसे कैमरे से प्यार सा हो गया. बाद में मैं ने हैदराबाद में एक बड़े टीवी न्यूज चैनल पर भी एंकरिंग की.

आप को अपनी पहली फिल्म हीरो अरविंद अकेला कल्लू के साथ करने को मिली. इतना बड़ा चांस आप को कैसे मिला?

न्यूज एंकरिंग छोड़ने के बाद पापा ने मुझे ऐक्टिंग करने की सलाह दी, जिस के बाद मैं ने कलर्स, जी टीवी, दूरदर्शन, सोनी टीवी, बिग मैजिक जैसे कई टीवी चैनलों के धारावाहिकों में काम किया. लेकिन मैं धारावाहिकों में काम कर के बोर हो चुकी थी, इसलिए मैं ने फिल्मों में काम करने का फैसला लिया और वह भी अपनी बोली यानी भाषा की फिल्मों में काम करने का.

इसी दौरान मेरे कई जानने वालों ने भोजपुरी के कई नामी फिल्मकारों से मेरी मुलाकात कराई. मेरे पहले से किए गए अभिनय की बदौलत मुझे ‘राजतिलक’ जैसी बड़ी फिल्म में बतौर लीड रोल अरविंद अकेला कल्लू के साथ काम करने का मौका मिला.

फिल्म ‘राजतिलक’ में अभिनय को ले कर क्या-क्या कठिनाइयां आईं?

फिल्म ‘राजतिलक’ में काम करने के दौरान मुझे कोई कठिनाई नहीं आई, क्योंकि मैं पहले भी कैमरे के सामने काम कर चुकी थी और मुझे अभिनय की बारीकियां पता थीं.

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आजकल हर भाषा की फिल्मों में कहानी के मुताबिक बोल्ड सीन और किसिंग सीन की मांग रहती है, अगर आप को इस तरह के सीन देने का औफर मिले तो क्या आप हामी भरेंगी?

आप ने यह बात बिलकुल सही कही कि आजकल हर फिल्म में किसिंग सीन रहते हैं. जहां तक मेरे बोल्ड सीन देने का सवाल है तो थोड़ा इस से मैं दूरी बनाती हूं. फिर भी फिल्म में किसिंग सीन को ले कर यह कहना चाहूंगी कि फिल्म मेकर अच्छे हैं और वे उसे अच्छे से शूट कर रहे हैं जिस में बेहूदगी न दिखे तो सीन की डिमांड के हिसाब से किसिंग सीन देने में कोई एतराज नहीं होगा.

भोजपुरी बदनाम इंडस्ट्री हो चुकी थी. अब यह इस इमेज से धीरेधीरे बाहर निकल रही है, फिर भी पूरी तरह से नहीं निकली है. ऐसे में आप ने भोजपुरी को ही क्यों चुना?

जहां तक भोजपुरी के बदनाम होने का सवाल है तो भाषा कोई भी बदनाम नहीं होती है. लोगों की सोच ने इसे बदनाम किया है. भोजपुरी इंडस्ट्री बहुतों को रोजगार देने में कामयाब रही है.

जहां तक मेरा भोजपुरी फिल्मों में ऐक्टिंग को चुनने का सवाल है तो अगर मैं मराठी होती तो मराठी चुनती, अगर मैं साउथ की होती तो साउथ की फिल्मों को चुनती, लेकिन मैं बिहारी हूं और भोजपुरी कल्चर से हूं इसलिए पहले मैं ने भोजपुरी फिल्मों में काम करने का फैसला लिया.

खुद को चुनौती देना कितना पसंद करती हैं?

चैलेंज लेने में मुझे बड़ा मजा आता है. मैं चाहती हूं कि मुझे हर फिल्म में चैलेंजिंग रोल मिले और मैं उस चैलेंज को अच्छे से पूरा भी करूं.

आप की आने वाली फिल्में कौन सी हैं?

मेरी आने वाली फिल्मों में प्रदीप पांडेय चिंटू के साथ ‘लैलामजनू’ है. इस में मेरे साथ अक्षरा सिंह भी हैं. इस फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है.

मेरी बाकी 2 और फिल्मों की शूटिंग पूरी हो चुकी है, जिन में से एक फिल्म का नाम ‘सड़क’ है, तो दूसरी का नाम ‘धनिया’. इन दोनों फिल्मों में मेरे अपोजिट राजू सिंह माही हैं.

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फिल्म सिटी के मुकाबले छोटे शहरों और गांव की गलियों में शूटिंग करना कितना मुश्किल रहता है?

आजकल प्रोडक्शन हाउसों ने हर जगह फिल्मों की शूटिंग को आसान बना दिया है. भोजपुरी इंडस्ट्री की छोडि़ए, बौलीवुड को ही देख लीजिए. पहले बौलीवुड की ज्यादातर फिल्में फिल्म सिटी और विदेशों में शूट होती थीं, लेकिन रियलिटी दिखाने के लिए अब फिल्मों की शूटिंग रियल लोकेशन पर की जाने लगी है. भोजपुरी में तो वैसे भी बौलीवुड से कम बजट की फिल्में बन रही हैं. ऐसे में फिल्म में हकीकत दिखाने के लिए गांव की गलियों में सीन शूट करना फिल्म में जान फूंकने का काम कर रहा है.

उत्तर प्रदेश, बिहार की लड़कियों के लिए आजाद खयाल होना और अपनी मनमरजी का कैरियर चुनना कितना आसान है?

उत्तर प्रदेश, बिहार के नजरिए से आजाद खयाल लड़की होना और अपनी मरजी का कैरियर चुनना अब मुश्किल नहीं रहा है. अब मां-बाप खुद ही अपने बच्चों को उन की मरजी का कैरियर चुनने में मदद कर रहे हैं.

आप की खूबसूरती का राज क्या है?

जैसा सभी हीरोइनें करती हैं, मैं भी अपनी डाइट पर खास ध्यान देती हूं. सुबह जल्दी उठती हूं, कसरत करती हूं और खुल कर जीती हूं.

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‘गौड फादर’ से प्रेरित भोजपुरी फिल्म ‘राजतिलक’ का बौक्स आफिस पर छाया जलवा

कैनवास बड़ा करके विश्व- स्तर की कहानियों की तरफ रुख करने वाली भोजपुरी फिल्म ‘राजतिलक’बहुत अलग तरीके की फिल्म है. यही वजह है कि फिल्म को पहले वीकेंड पर बौक्स औफिस पर जबरदस्त सफलता मिली है और फिल्म के सारे शो हाउसफुल चल रहे हैं.

‘मेहंदी लगा के रखना’’ जैसी खूबसूरत फिल्म के निर्माता रजनीश मिश्रा एक बार फिर एक अच्छी फिल्म लेकर आए हैं. अरविंद अकेला कल्लू, नवोदित अभिनेत्री सोनालिका प्रसाद, बेहरतरीन अभिनेता अवधेश मिश्रा, सुशील सिंह और संजय पांडेय स्टारर यह फुल एंटरटेनमेंट फिल्म है.

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फिल्म की कहानी भईया जी (अवधेश मिश्रा) के साम्राज्य और उनके बढ़ते दुश्मनों की है. भईरूा जी के दो बेटे (सुशील सिंह व अरविंद अकेला कल्लू) हैं. भईया जी अपने क्षेत्र वालों के लिए सरकार जैसे हैं. हर जगह उन्हीं का दबदबा है, सब उनकी बात मानने के साथ उनसे डरते हैं और उनकी इज्जत भी करते हैं.

उनके इलाके का विधायक ( संजय पांडे ) इस बात से काफी परेशान है, क्योंकि नेता होकर भी भईया जी की वजह से उसको कोई नहीं पूछता. विधायक एक कांट्रेक्टर पद्म सिंह को अपने क्षेत्र में कौन्ट्रैक्ट देने के लिए वादा कर देते हैं, जबकि भईया जी उस कौन्ट्रैक्ट को नहीं होने देना चाहते. क्योंकि उससे किसानों को काफी खतरा है. यह बात पद्म सिंह (देव सिंह) और विधायक अपने स्वाभिमान पर ले लेते हैं और भईया जी का साम्राज्य आगे बढ़ने से रोकने के लिए उनके बड़े बेटे की हत्या करवा देते है.

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यहीं से हमेशा गाने बजाने में ध्यान देने वाले कल्लू का रूप बदल जाता है और वह अपने पिता के दुश्मनों से भिड़ने आ जाता है. फिल्म में आगे विधायक और कांट्रेक्टर कैसे कल्लू और भईया जी से लड़ते हैं, कैसे कल्लू अपने पिता का स्वाभिमान वापस दिलाता है, यह देखना दिलचस्प और मनोरंजक है. फिल्म के निर्देशक, लेखक और संगीत रजनीश मिश्रा ने अपने करियर की शुरुआत बतौर संगीतकार की थी. पर बाद में लेखन और निर्देशन में कदम रखकर हिट फिल्म ’मेहंदी लगा के रखना’ के रूप में बनाई. अब ‘राजतिलक’ भी बौक्स आफिस पर धमाल मचा रही है.

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