निशा छत पर टकटकी लगाए रजत को उस वक्त तक देखती रही जब तक वह गली के नुक्कड़ पर नहीं पहुंच गया. गली के नुक्कड़ पर सुषमा स्कूटी लिए खड़ी थी.
रजत के पास आते ही सुषमा स्कूटी से उतर गई और रजत ने स्कूटी थाम ली. ड़्राइविंग सीट पर पर वह खुद बैठा, जबकि सुषमा पीछे की सीट पर बैठ गई. रजत ने एक नजर गली में मकान की छत पर खड़ी निशा को देखा और हाथ हिला कर ‘बाय’ करते हुए स्कूटी आगे बढ़ा दी.
उत्तर प्रदेश के मेरठ में रजपुरा गांव का रहने वाला रजत सिवाच उर्फ मोनू (27) मंगलपांडे नगर के बिजलीघर में सुपरवाइजर की नौकरी करता था. पिछले 4 साल से वह संविदा पर काम कर रहा था. सुषमा (परिवर्तित नाम) भी मंगलपांडे नगर के बिजली घर में ही काम करती थी.
ये भी पढ़ें- शक की फांस बनी नासूर
एक तो रजत और सुषमा के घर एकडेढ़ किलोमीटर के दायरे में थे, दूसरा उन का दफ्तर भी एक ही था. यहां तक कि दोनों का ड्यूटी का समय भी एक ही रहता था, इसलिए पिछले कुछ महीने से दोनों एक ही वाहन से आते जाते थे. कभी रजत अपनी बाइक से जाता तो वह सुषमा को उस के घर से साथ ले लेता था और अगर सुषमा को अपनी स्कूटी ले जानी होती तो वह रजत को अपने साथ ले लेती थी.
29 अप्रैल, 2020 की सुबह भी ऐसा ही हुआ. रजत की मोटरसाइकिल के गियर में कुछ खराबी आ गई थी, इसलिए पिछले एक सप्ताह से रजत सुषमा के साथ उस की स्कूटी से बिजली घर जा रहा था.
उस दिन सुबह करीब सवा 8 बजे वह सुषमा की स्कूटी पर उसे पीछे बैठा कर बिजली घर जा रहा था. जब वह मवाना रोड पर विजयलोक कालोनी के सामने एफआईटी के पास पहुंचा तो अचानक पीछे से तेजी से आए स्पलेंडर बाइक सवार 2 युवकों ने अपनी बाइक स्कूटी के सामने अड़ा दी. सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि रजत को ब्रेक लगा कर स्कूटी रोकनी पड़ी. वह गुस्से से चिल्लाया, ‘‘ओ भाई, होश में तो है भांग पी रखी है क्या?’
बाइक पर सवार दोनों युवकों ने रूमाल बांध कर मास्क पहना हुआ था इसलिए उन्हें पहचान पाना मुश्किल था.
इस से पहले कि सुषमा और रजत कुछ समझते बाइक सवार युवकों में से एक बाइक से उतरा और कमर में लगा रिवौल्वर निकाल कर तेजी से स्कूटी के पास जा कर रजत के जबड़े पर पिस्टल सटा कर गोली चला दी. इतना ही नहीं, उस ने एक गोली और चलाई जो रजत के भेजे में घुस गई.
एक के बाद एक 2 गोली लगते ही रजत स्कूटी से नीचे गिर गया. उस के शरीर से खून का फव्वारा छूट पड़ा. सब कुछ इतनी तेजी से अचानक हुआ था कि सुषमा कुछ भी नहीं समझ पाई, न ही उस की समझ में यह आया कि क्या करे. जब माजरा समझ में आया तो उस के हलक से चीख निकल गई और वह मदद के लिए चिल्लाने लगी. इतनी देर में वारदात को अंजाम दे कर दोनों बाइक सवार फरार हो गए.
दिनदहाड़े भरी सड़क पर हुई इस वारदात के कुछ ही देर बाद राहगीरों की भीड़ एकत्र हो गई, लोगों में दहशत थी. जिस जगह ये वारदात हुई थी वह इलाका रजत के घर से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर था. बदहवास सी सुषमा ने सब से पहले अपने मोबाइल से रजत के पिता जोगेंद्र सिंह को फोन किया.
जोगेंद्र सिंह ने तुरंत अपने भतीजे विपिन को फोन कर के ये बात बताई और परिवार के सदस्यों के साथ घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़े.
परिवार का एकलौता बेटा था रजत
रजत के ताऊ का लड़का विपिन चौधरी रजपुरा गांव का प्रधान है. जैसे ही उसे अपने चाचा से रजत के ऊपर गोली चलने की सूचना मिली तो वह लोगों को साथ ले कर कुछ मिनटों में ही विजयलोक कालोनी के पास पहुंच गया.
विपिन चौधरी के पहुंचने से पहले ही रजत की मौत हो चुकी थी. जिस जगह घटना घटी थी, वह इलाका गंगानगर थाना क्षेत्र में आता था. लिहाजा विपिन चौधरी ने तुरंत गंगानगर थाने के एसएचओ बृजेश शर्मा को फोन कर के अपने भाई के साथ घटी घटना की सूचना दे दी.
सुबह का वक्त ऐसा होता है जब रात भर की गश्त और निगरानी के बाद पुलिस नींद की उबासी में होती है. फिर भी पुलिस को घटनास्थल पर आने में मुश्किल से 10 मिनट का समय लगा.
घटना की सूचना मिलते ही एएसपी (सदर देहात) अखिलेश भदौरिया, एसपी देहात अविनाश पांडे, फोरैंसिक टीम और क्राइम ब्रांच की टीम के अफसरों को ले कर मौके पर पहुंच गए. थोड़ी देर बाद एसएसपी अजय साहनी भी घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस अधिकारियों ने घटना को ले कर सब से पहले वारदात की प्रत्यक्षदर्शी सुषमा से जानकारी ली, उस के बाद रजत के घर वालों के बयान दर्ज किए गए. लेकिन किसी ने भी यह नहीं बताया कि रजत की किसी से कोई दुश्मनी थी.
वहां पहुंची रजत की मां और पत्नी निशा दहाड़े मारमार कर रो रही थीं, जिस से माहौल बेहद गमगीन हो गया था. एसएसपी के निर्देश पर लिखापढ़ी कर के रजत के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.
पुलिस के साथ थाना गंगानगर पहुंचे परिवार वालों की तहरीर पर एएसपी अखिलेश भदौरिया ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंसं की धारा 302 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज करवा दिया. इस केस की जांच का काम एसएचओ बृजेश कुमार शर्मा को सौंपा गया. एसएसपी अजय साहनी ने गंगानगर पुलिस की मदद के लिए क्राइम ब्रांच की टीम को भी लगा दिया.
उसी शाम को पोस्टमार्टम के बाद रजत का शव उस के घर वालों को सौंप दिया गया. परिजनों ने उसी शाम रजत के शव का अंतिम संस्कार कर दिया.
इस दौरान जांच अधिकारी बृजेश शर्मा ने उस इलाके का फिर से निरीक्षण किया, जहां वारदात हुई थी. वारदात के बाद हत्यारे जिस दिशा में भागे थे, संयोग से वहां कई सीसीटीवी कैमरे लगे थे.
ये भी पढ़ें- प्रीति की कड़वी गोली : भाग 1
जांच अधिकारी के आदेश पर पुलिस ने उन सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज अपने कब्जे में ले ली.
एक पुरानी कहावत है कि हत्या जैसे हर अपराध के पीछे मुख्य रूप से 3 कारण होते है जर, जोरू और जमीन. यानी वारदात के पीछे या तो कोई पुरानी रंजिश हो सकती है, जिस की संभावना ना के बराबर थी. क्योंकि रजत के परिवार ने अपने बयान में साफ कर दिया था कि न तो उन की, न ही उन के बेटे की किसी से कोई रंजिश थी और न ही इस की संभावना थी.
वैसे भी रजत के बारे में अभी तक जो जानकारी सामने आई थी, उस के मुताबिक वह हंसमुख और मिलनसार प्रवृत्ति का लड़का था. वह केवल अपने काम से काम रखता था.
एक आशंका यह भी थी परिवार की कोई जमीनजायदाद या प्रौपर्टी का कोई मामला हो. लेकिन परिवार ने बताया कि उन के परिवार में प्रौपर्टी से जुड़ा हुआ कोई विवाद नहीं है.
रजत अपने परिवार का एकलौता बेटा था. उस के पिता के नाम काफी संपत्ति थी, ऐसे में संपत्ति के लिए भी उस की हत्या हो सकती थी.
इस के अलावा तीसरा अहम बिंदु था प्रेम प्रसंग. हत्या को जिस तरह से अंजाम दिया गया था, उस से इस बात की आशंका ज्यादा लग रही थी कि इस वारदात के पीछे कोई प्रेम त्रिकोण हो सकता है.
पुलिस उलझी जांच में
ये भी पढ़ें- मौत के आगोश में समाया ‘फूल’
जिस वक्त रजत की हत्या हुई, उस वक्त वह अपनी दोस्त सुषमा के साथ औफिस जा रहा था. यह भी पता चला कि दोनों अक्सर साथ ही दफ्तर आतेजाते थे. जांच अधिकारी बृजेश शर्मा के मन में अचानक सवाल उठा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि रजत और सुषमा के बीच कोई ऐसा संबध हो, जिस की वजह से रजत की हत्या कर दी गई हो.