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कहानी
आज का इंसान: क्यों ठगा सा महसूस कर रहा था विजय
मुझे तो यह सुन कर अच्छा नहीं लगा था कि हमारा पारखी हार मान कर बैठने वाला है वरना कहीं नई जगह जाते.
Digital Team
,
Mar 18, 2021
भाग - 1
इनसान के चरित्र को पहचानने वाली पारखी नजरें थीं विजय के पास. पर न जाने क्यों सुनयना की बातों पर वह विश्वास कर बैठा. असलियत क्या थी यह तो वह नहीं जानता था पर आज अपने को ठगा सा महसूस करने लगा था.
भाग - 2
दूसरी शादी कर के घर बसाना आसान नहीं है. डाल से टूट चुकी हो तुम...अब कैसे संभलना है यह तुम्हें सोचना है.
भाग - 3
सुनयना के घर से कुछ लूटपाट कर ही ले जाना होता तो क्या उस के घर का ताला न तोड़ देता. आखिर वह मालिक था.
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