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मैं ने उन के पैर का पंजा व कुरता पकड़ कर ऊपर खींचने की कोशिश की, लेकिन बचा नहीं पाई. इस दौरान मालकिन पीछे खड़ी रहीं. उन्होंने मदद नहीं की.
नौकरानी शकुंतला के बयानों के बाद थानाप्रभारी प्रभुकांत ने पुलिस अधिकारियों के आदेश पर रानू अग्रवाल को महिला पुलिस के सहयोग से हिरासत में ले लिया. उसे हिरासत में लेते ही मृतका के मायके वालों का गुस्सा फूट पड़ा. महिलाएं हत्यारिन सास कह कर रानू पर टूट पड़ीं.
पुलिस ने बड़ी मशक्कत से रानू अग्रवाल को हमलावर महिलाओं से बचाया और उसे पुलिस सुरक्षा में जीप में बिठा कर थाना कोहना भेज दिया. पुलिस को शक था कि कहीं मायके वाले उत्कर्ष व उस के पिता सुशील कुमार पर भी हमला न कर दें. इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें भी थाने भेज दिया गया.
पुलिस अधिकारियों ने मृतका हर्षिता के पिता पदम अग्रवाल से घटना के संबंध में जानकारी ली तो वह फफक पडे़ और बोले, ‘‘मैं ने हर्षिता को बडे़ लाडप्यार से पालपोस कर बड़ा किया, पढ़ायालिखाया था. शादी भी बडे़ अरमानों के साथ की थी. उस की शादी में करीब 40 लाख रुपए खर्च किया था. इस के बावजूद ससुराल वालों का पेट नहीं भरा. शादी के कुछ दिन बाद ही वह रुपयों के लालच में बेटी को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगे थे.
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‘‘मार्च 2019 में समधी सुशील कुमार की बेटी परिधि की शादी थी. शादी के लिए उन्होंने हर्षिता के मार्फत 25 लाख रुपए मांगे थे. लेकिन उस ने मना कर दिया था. तब पूरा परिवार बेटी को प्रताडि़त करने लगा. फैक्ट्री शिफ्ट करने के लिए भी कभी 30 लाख तो कभी 40 लाख की मांग की थी.
‘‘आज 11.20 बजे हर्षिता ने फोन कर के सास द्वारा प्रताडि़त करने की जानकारी दी थी. उस ने जानमाल का खतरा भी बताया था. आखिर दहेज लोभियों ने मेरी बेटी को मार ही डाला. आप से मेरा अनुरोध है कि इन दहेज लोभियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर के इन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाने में मदद करें.’’
ससुराल वालों के खिलाफ हुआ केस दर्ज
पदम अग्रवाल की तहरीर पर कोहना थानाप्रभारी प्रभुकांत ने भादंवि की धारा 498ए, 304बी, 506 तथा दहेज अधिनियम की धारा 3/4 के अंतर्गत हर्षिता की सास रानू अग्रवाल, पति उत्कर्ष अग्रवाल, ससुर सुशील कुमार अग्रवाल, ननद परिधि और ननदोई आशीष जालौन के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली. मामले की जांच का कार्य सीओ (कर्नलगंज) जनार्दन दुबे को सौंपा गया.
7 जुलाई, 2019 को हर्षिता का जन्म दिन था. बर्थ डे पर ही उस की अरथी उठी. पदम अग्रवाल की लाडली बेटी का जन्म 7 जुलाई, 1991 को रविवार के दिन हुआ था. 28 साल बाद उसी तारीख और रविवार के दिन घर से बेटी की अरथी उठी.
उसी दिन उस के शव का पोस्टमार्टम हुआ. दोपहर बाद शव घर पहुंचा तो वहां कोहराम मच गया. लाल जोडे़ में सजी अरथी को देख कर मां संतोष बेहोश हो गई. महिलाओं ने उन्हें संभाला. हर्षिता को अंतिम विदाई देने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा.
हर्षिता की मौत का समाचार 7 जुलाई को कानपुर से प्रकाशित प्रमुख समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपा तो शहर वासियों में गुस्सा छा गया. लोग एक सुर से हर्षिता को न्याय दिलाने की मांग करने लगे. सामाजिक संगठन, महिला मंच, मुसलिम महिला संगठन, जौहर एसोसिएशन आदि ने घटना की घोर निंदा की और एकजुट हो कर हर्षिता को न्याय दिलाने का आह्वान किया.
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इधर विवेचक जनार्दन दुबे ने जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक बार फिर घटनास्थल का निरीक्षण किया. फ्लैट को ख्ांगाला और घटना की अहम गवाह नौकरानी शकुंतला का बयान दर्ज किया. साथ ही फ्लैट के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी देखीं. आरोपियों के बयान भी दर्ज किए गए. साथ ही मृतका के मातापिता का बयान भी लिया गया.
जांच के बाद ससुरालियों द्वार हर्षिता को प्रताडि़त करने का आरोप सही पाया गया. इस में सब से बड़ी भूमिका हर्षिता की सास रानू की थी. यह बात भी सामने आई कि उत्कर्ष और सुशील कुमार अग्रवाल भी हर्षिता को प्रताडि़त करते थे. रानू अग्रवाल हर्षिता को सब से ज्यादा प्रताडि़त करती थी.
जांच के बाद 7 जुलाई, 2019 को थाना कोहना पुलिस ने अभियुक्त रानू अग्रवाल, उत्कर्ष अग्रवाल तथा सुशील अग्रवाल को विधि सम्मत गिरफ्तार कर लिया. रानू अग्रवाल को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया. जहां से उसे जेल भेज दिया गया. दूसरे रोज 8 जुलाई को उत्कर्ष तथा सुशील को कोर्ट में पेश किया गया. जहां से उन दोनों को भी जेल भेज दिया गया.
हर्षिता की मौत के मामले में नामजद 5 आरोपियों में से 3 जेल चले गए थे, जबकि 2 आरोपी हर्षिता की ननद परिधि जालान तथा ननदोई आशीष जालान बाहर थे. सीओ जनार्दन दुबे की विवेचना में ये दोनों निर्दोष पाए गए. रिपोर्टकर्ता पदम अग्रवाल ने भी इन दोनों को क्लीन चिट दे दी थी. इसलिए विवेचक ने दोनों का नाम मुकदमे से हटा दिया.
हर्षिता की मौत के गुनहगारों को पुलिस ने हालांकि जेल भेज दिया था, लेकिन कानपुर वासियों का गुस्सा अब भी ठंडा नहीं पड़ा था. सामाजिक संगठन, महिला मंच आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेंस एसोसिएशन, मौलाना मोहम्मद अली जौहर एसोसिएशन महिला संगठन तथा स्कूली छात्राएं सड़कों पर प्रदर्शन कर रही थीं.
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10 जुलाई को भारी संख्या में महिलाएं छात्राएं तथा सामाजिक संगठनों के लोग मोतीझील स्थित राजीव वाटिका पर जुटे और हर्षिता की मौत के गुनहगारों को फांसी की सजा दिलाने के लिए शांति मार्च निकाला. इस दौरान हर किसी की आंखों में गम और चेहरे पर गुस्सा था.
हर्षिता की मौत को ले कर मुसलिम महिलाओं में भी आक्रोश था. इसी कड़ी में हर्षिता को न्याय दिलाने के लिए मौलाना मोहम्मद अली जौहर एसोसिएशन की महिला पदाधिकारियों ने हलीम मुसलिम कालेज चौराहे पर श्रद्धांजलि सभा की, फिर कैंडिल मार्च निकाला. कैंडिल मार्च का नेतृत्व जैनब कर रही थीं. मुसलिम महिलाएं हाथ में ‘जस्टिस फार हर्षिता’, ‘हत्यारों को फांसी दो’ लिखी तख्तियां लिए थीं.
पदम अग्रवाल ने विवेचक पर आरोप लगाया कि वह जांच को प्रभावित कर के आरोपियों को फायदा पहुंचा रहे हैं. इस की शिकायत उन्होंने डीएम विजय विश्वास पंत से की. साथ ही आईजी मोहित अग्रवाल व एसएसपी अनंतदेव को भी इस बात से अवगत कराया.
पदम अग्रवाल की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए आईजी मोहित अग्रवाल ने सीओ (कर्नलगंज) जनार्दन दुबे से जांच हटा कर सीओ (स्वरूपनगर) अजीत सिंह चौहान को सौंप दी. जांच की जिम्मेदारी मिलते ही अजीत सिंह चौहान ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा फ्लैट में जा कर बारीकी से जांच की. साथ ही पदम अग्रवाल, उन की पत्नी संतोष, बेटी गीतिका तथा हर्षिता के पड़ोसियों का बयान दर्ज किया. फोरैंसिक टीम को साथ ले कर उन्होंने क्राइम सीन को भी दोहराया.
कानपुर महानगर के काकादेव थाना क्षेत्र में पौश इलाका है सर्वोदय नगर. इसी सर्वोदय नगर क्षेत्र के मोती विहार में पदम अग्रवाल अपने परिवार के साथ रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी संतोष के अलावा 2 बेटियां गीतिका व हर्षिता थीं. पदम अग्रवाल कागज व्यापारी हैं. कागज का उन का बड़ा कारोबार है. 80 फुटा रोड पर उन का गोदाम तथा दुकान है. अग्रवाल समाज में उन की अच्छी प्रतिष्ठा है.
पदम अग्रवाल अपनी बड़ी बेटी गीतिका की शादी कर चुके थे. वह अपनी ससुराल में खुशहाल थी. गीतिका से छोटी हर्षिता थी, वह भी बड़ी बहन गीतिका की तरह खूबसूरत, हंसमुख तथा मृदुभाषी थी. उस ने छत्रपति शाहूजी महाराज (कानपुर) यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कर लिया था.
हर्षिता को फोटोग्राफी का शौक था. वह फोटोग्राफी से अपना कैरियर बनाना चाहती थी. इस के लिए उस ने न्यूयार्क इंस्टीट्यूट औफ फोटोग्राफी से प्रोफेशनल फोटोग्राफी का कोर्स पूरा कर लिया था.
हर्षिता जहां फोटोग्राफी के व्यवसाय की ओर अग्रसर थी, वहीं पदम अग्रवाल अपनी इस बेटी के हाथ पीले कर उसे ससुराल भेज देना चाहते थे. वह ऐसे घरवर की तलाश में थे, जहां उसे मायके की तरह सभी सुखसुविधाएं मुहैया हों. काफी प्रयास के बाद एक विचौलिए के मार्फत उन्हें उत्कर्ष पसंद आ गया.
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उत्कर्ष के पिता सुशील कुमार अग्रवाल अपने परिवार के साथ कानपुर के कोहना थाना क्षेत्र स्थित एल्डोराडो अपार्टमेंट की 7वीं मंजिल पर फ्लैट नंबर 706 में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी रानू अग्रवाल के अलावा बेटा उत्कर्ष तथा बेटी परिधि थीं. दोनों ही बच्चे अविवाहित थे.
सुशील कुमार धागा व्यापारी थे. मंधना में उन की अनुशील फिलामेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम से पौलिस्टर धागा बनाने की फैक्ट्री थी. उत्कर्ष अपने पिता सुशील के साथ धागे की फैक्ट्री को चलाता था. वह पढ़ालिखा और स्मार्ट था. पदम अग्रवाल ने उसे अपनी बेटी हर्षिता के लिए पसंद कर लिया. हर्षिता और उत्कर्ष ने एकदूसरे को देखा, तो वे दोनों भी शादी के लिए राजी हो गए. इस के बाद रिश्ता तय हो गया.
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