हर्ष ना था हर्षिता के ससुराल में: भाग 1

उस दिन जुलाई 2019 की 6 तारीख थी. सुबह के 10 बज चुके थे. कानपुर शहर के जानेमाने कागज व्यापारी पदम अग्रवाल अपनी 80 फुटा रोड स्थित दुकान पर कारोबार में व्यस्त थे. कागज खरीदने वालों और कर्मचारियों की चहलपहल शुरू हो गई थी. तभी 11 बज कर 21 मिनट पर पदम अग्रवाल के मोबाइल पर काल आई. उन्होंने मोबाइल स्क्रीन पर नजर डाली तो काल उन की बेटी हर्षिता की थी. काल रिसीव कर पदम अग्रवाल ने पूछा, ‘‘कैसी हो बेटी? ससुराल में सब ठीक तो है?’’

हर्षिता रुंधे गले से बोली, ‘‘पापाजी, यहां कुछ भी ठीक नहीं है. सासू मां झगड़ा कर रही हैं और मुझे प्रताडि़त कर रही हैं. उन्होंने मेरे गाल पर कई थप्पड़ मारे और झाडू से भी पीटा. पापा, मुझे ऐसा लग रहा है कि ये लोग मुझे जान से मारना चाहते हैं. इस षड्यंत्र में मेरी ननद परिधि और उस का पति आशीष भी शामिल हैं. सासू मां ने मुझ से कार की चाबी छीन ली है और दरवाजा लाक कर दिया है. पापा, आप जल्दी से मेरी ससुराल आ जाइए.’’

बेटी हर्षिता की व्यथा सुन कर पदम अग्रवाल का मन व्यथित हो उठा, गुस्सा भी आया. उन्होंने तुरंत अपने दामाद उत्कर्ष को फोन मिलाया, लेकिन उस का फोन व्यस्त था, बात नहीं हो सकी. तब उन्होंने अपने समधी सुशील अग्रवाल को फोन कर के हर्षिता के साथ उस की सास रानू अग्रवाल द्वारा मारपीट की जानकारी दी और मध्यस्तता की बात कही.

दुकान पर चूंकि भीड़ थी. इसलिए पदम अग्रवाल को कुछ देर रुकना पड़ा. अभी वह हर्षिता की ससुराल एलेनगंज स्थित एल्डोराडो अपार्टमेंट जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि 12 बज कर 42 मिनट पर उन के मोबाइल पर पुन: काल आई. इस बार काल उन के समधी सुशील अग्रवाल की थी.

उन्होंने काल रिसीव की तो सुशील कांपती आवाज में बोले, ‘‘पदम जी, आप जल्दी घर आ जाइए.’’ पदम उन से कुछ पूछते, उस के पहले ही उन्होंने फोन का स्विच औफ कर दिया.

ये भी पढ़ें- आखिरी मोड़ पर खड़ी पत्नी: भाग 2

समधी की बात सुन कर पदम अग्रवाल बेचैन हो गए. उन के मन में विभिन्न आशंकाएं उमड़नेघुमड़ने लगीं. वह कार से पहले घर  पहुंचे फिर वहां से पत्नी संतोष व बेटी गीतिका को साथ ले कर हर्षिता की ससुराल के लिए निकल पड़े. हर्षिता की ससुराल कानपुर शहर के कोहना थाने के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र एलेनगंज में थी. सुशील अग्रवाल का परिवार एलेनगंज के एल्डोराडो अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल के फ्लैट नं. 706 में रहता था.

क्षतविक्षत मिला हर्षिता का शव

पदम अग्रवाल सर्वोदय नगर में रहते थे. सर्वोदय नगर से हर्षिता की ससुराल की दूरी 5 कि.मी. से भी कम थी. उन्हें कार से वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. वह कार से उतर कर आगे बढे़ तो वहां का दृश्य देख कर वह अवाक रह गए.

अपार्टमेंट के बाहर फर्श पर उन की बेटी हर्षिता का क्षतविक्षत शव पड़ा था और सामने गैलरी में हर्षिता का पति उत्कर्ष, सास रानू, ससुर सुशील तथा ननद परिधि मुंह झुकाए खडे़ थे. पदम के पूछने पर उन लोगों ने बताया कि हर्षिता ने सातवीं मंजिल की खिड़की से कूद कर जान दे दी.

उन लोगों की बात सुन कर पदम अग्रवाल गुस्से से बोले, ‘‘मेरी बेटी हर्षिता ने स्वयं कूद कर जान नहीं दी. तुम लोगों ने दहेज के लिए उसे सुनियोजित ढंग से मार डाला है. मैं तुम लोगों को किसी भी हालत में नहीं छोड़ूंगा.

इसी के साथ उन्होंने मोबाइल फोन द्वारा थाना कोहना पुलिस को घटना की सूचना दे दी. उन्होंने अपने परिवार तथा सगे संबंधियों को भी घटना के बारे में बता दिया. खबर मिलते ही पदम के भाई मदन लाल, मनीष अग्रवाल, भतीजा गोपाल और साला मनोज घटनास्थल पर आ गए.

हर्षिता का क्षतविक्षत शव देख कर मां संतोष दहाड़ मार कर रोने लगी थीं. रोतेरोते वह अर्धमूर्छित हो गईं. परिवार की महिलाओं ने उन्हें संभाला और मुंह पर पानी के छींटे मार कर होश में लाईं. गीतिका भी छोटी बहन की लाश देख कर फफक रही थी. रोतेरोते वह मां को भी संभाल रही थी. मां बेटी का करूण रुदन देख कर परिवार की अन्य महिलाओं की आंखों में भी अश्रुधारा बहने लगी.

ये भी पढ़ें- भ्रष्ट पटवारी सब पर भारी

इधर जैसे ही कोहना थानाप्रभारी प्रभुकांत को हर्षिता की मौत की सूचना मिली, वह पुलिस टीम के साथ एल्डोराडो अपार्टमेंट आ गए. आते ही उन्होंने घटनास्थल को कवर कर दिया, ताकि कोई सबूतों से छेड़छाड़ न कर सके. मामला चूूंकि 2 धनाढ्य परिवारों का था. इसलिए उन्होंने तत्काल घटना की खबर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी.

खबर पाते ही एडीजी प्रेम प्रकाश, आईजी मोहित अग्रवाल, एसएसपी अनंत देव तिवारी, सीओ (कर्नलगंज) जनार्दन दुबे और सीओ (स्वरूप नगर) अजीत सिंह चौहान घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. साथ ही उपद्रव की आशंका से थाना काकादेव, स्वरूप नगर तथा कर्नलगंज से पुलिस फोर्स मंगवा ली.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो वह भी दहल उठे. हर्षिता  अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल की खिड़की से गिरी थी. अधिक ऊंचाई से गिरने के कारण उस के सिर की हड्डियां चकनाचूर हो गई थीं और चेहरा विकृत हो गया था. शरीर के अन्य हिस्सों की भी हड्डियां टूट गई थीं.

हर्षिता का रंग गोरा था और उस की उम्र 27 वर्ष के आसपास थी. पुलिस अधिकारियों ने फ्लैट नं. 706 की किचन के बराबर वाली उस खिड़की का भी मुआयना किया जहां से हर्षिता कूदी थी या फिर उसे फेंका गया था.

फ्लैट से पुलिस को कोई ऐसी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली जिस से साबित होता कि हर्षिता की हत्या की गई थी. फोरैंसिक टीम ने भी एक घंटे तक जांच कर के साक्ष्य जुटाए. निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने हर्षिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपत राय चिकित्सालय भिजवा दिया.

घटनास्थल पर अन्य लोगों के अलावा हर्षिता का पति उत्कर्ष तथा उस के माता पिता मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने सब से पहले मृतका के पति उत्कर्ष से पूछताछ की. उसने बताया कि वह हर्षिता से बहुत प्यार करता था, लेकिन उस के जाने से सब कुछ खत्म हो गया है. शादी के बाद वह दोनों बेहद खुश थे. मम्मीपापा भी उसे काफी प्यार करते थे. उसे अपना फोटोग्राफी का व्यवसाय शुरू कराने वाले थे, आनेजाने के लिए उसे कार भी दे रखी थी. कहीं आनेजाने पर कोई रोकटोक नहीं थी.

28 मई से 16 जून 2019 तक वे दोनों अमेरिका में रहे, तब भी भविष्य को ले कर सपने बुने लेकिन क्या पता था कि सारे सपने टूट जाएंगे. आज मैं और पापा फैक्ट्री में थे तभी मम्मी का फोन आया. हम लोग तुरंत घर आए. हर्षिता खिड़की से नीचे कैसे गिरी उसे पता नहीं है.

हर्षिता के ससुर सुशील कुमार अग्रवाल ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उन्हें अपनी फैक्ट्री मंधना से तांतियागंज में शिफ्ट करनी थी. माल ढुलाई के लिए वह आज सुबह 9 बजे ही फैक्ट्री पहुंच गए थे. उस समय घर में सबकुछ ठीकठाक था.

ये भी पढ़ें- आखिरी मोड़ पर खड़ी पत्नी: भाग 1

दोपहर 12.35 बजे पत्नी रानू ने फोन कर बताया कि बहू हर्षिता अपार्टमेंट की खिड़की से गिर गई है. यह पता चलते ही उन्होंने हर्षिता के पिता को फोन किया और फौरन घर आने को कहा. फिर बेटे उत्कर्ष को साथ ले कर घर के लिए चल दिए. घर पहुंचे तो वहां बहू हर्षिता की लाश नीचे पड़ी मिली.

मृतका हर्षिता की सास रानू अग्रवाल ने बताया कि सुबह 9 बजे के लगभग उत्कर्ष अपने पापा के साथ मंधना स्थित फैक्ट्री चला गया था. बरसात थमने के बाद नौकरानी आ गई. उस के आने के बाद वह एक जरूरी कुरियर करने जाने लगी. उस वक्त बहू हर्षिता सफाई कर रही थी. शायद वह खिड़की के पास कबूतरों द्वारा फैलाई गई गंदगी को साफ कर रही थी.

नौकरानी ने खोला भेद

वह कुरियर का पैकेट ले कर फ्लैट के दरवाजे के पास ही पहुंची थी कि नौकरानी के चिल्लाने की आवाज आई. वह वहां पहुंची तो देखा कि हर्षिता खिड़की से नीचे गिर गई है. नौकरानी ने उसे खींचने की कोशिश की लेकिन वह उसे बचा नहीं पाई. इस पर उस ने शेर मचाया और नीचे जा कर देखा. बहू की मौत हो चुकी थी. फिर उस ने जानकारी फोन पर पति को दी.

फ्लैट पर नौकरानी शकुंतला मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछताछ की. उस ने मालकिन रानू अग्रवाल के झूठ का परदाफाश कर दिया और सारी सच्चाई बता दी. शकुंतला ने बताया कि वह सुबह साढे़ 9 बजे फ्लैट पर पहुंची थी.

उस समय भैया (उत्कर्ष) और उन के पापा (सुशील) फैक्ट्री जा चुके  थे. भाभी (हर्षिता) और मालकिन रानू ही फ्लैट में मौजूद थी. किसी बात पर उन में विवाद हो रहा था.

मालकिन भाभी से कह रही थीं कि नौकरानी को 8 हजार रुपए दिए जाते हैं और तुम कमरे में पड़ी रहती हो. घर का काम नहीं कर सकतीं. इस के बाद दोनों में नौकझोंक होने लगी. इसी नौकझोंक में मालकिन ने भाभी को 2-3 थप्पड़ जड ़दिए और फिर झाडू उठा कर मारने लगीं. तब भाभी कार की चाबी ले कर बाहर जाने लगीं. पर मालकिन गेट पर खड़ी हो गईं.

ये भी पढ़ें- आधी अधूरी प्रेम कहानी: भाग 2

मेनगेट बंद कर ताला लगा लिया और चाबी अपने पास रख ली. गुस्से में भाभी ने सिर दीवार से टकराने की कोशिश की तो मैं ने मना किया. फिर वह खिड़की से नीचे कूदने लगीं तो मैं ने उन का हाथ पकड़ कर खींच लिया और कमरे में ले आई.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

पत्नी की डिलीवरी के पैसे नहीं चुकाए तो ससुराल वालों ने बच्चे को रख लिया गिरवी

जी हां हाल ही में ये अजीबो-गरीब खबर सामने आई की पत्नी की डिलीवरी के डेढ़ लाख रुपये पति नहीं चुका पाया तो उसके ससुराल वालों ने उसके डेढ़ साल के बच्चे को उसे देने से इंकार कर दिया कहा कि पहले पैसे चुकाओ फिर बच्चा ले जाओ. अब आप ही सोचिए ये कैसा जमाना है या ये कहें की यही कलयुग है.

दरअसल ये मामला हरियाणा के फतेहाबाद जिले का है. जिस व्यक्ति ने शिकायत की है उसका नाम सूरज है. उसकी पत्नी की डिलीवरी उसके ससुराल राजस्थान, गंगानगर में हुई थी और सूरज की पत्नी की डिलीवरी पर करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए थे. जो सूरज नहीं चुका पाया था और इसी कारण ससुराल वालों ने उसके बेटे को अपने यहां गिरवी रख लिया और डेढ़ लाख रुपये की मांग करने लगे.

सूरज ने इसकी शिकायत एसडीएम को भी की थी और एसडीएम ने इस बात की पुलिस से रिर्पोट भी मांगी थी. एसडीएम ने बताया कि जब सूरज की शादी हुई थी तब दोनों नाबालिक थे और इसलिए इस पर कार्रवाई करने में दिक्कत आ रही है. अब सूरज एसडीएम के गेट पर धरने पर बैठा है. सूरज ने बताया की मैं अपनी पत्नी के कहने पर बेटे को लेने  तो गया था लेकिन वहां मेरे साथ मारपीट की गई और मेरा बेटा देने से इंकार कर दिया कहा कि पहले पैसे लाओ फिर बेटा ले जाओ.

ये भी पढ़ें- वैध पार्किंग में ही रखें अपना वाहन, नहीं तो होगा भारी नुकसान

यहां तक की जब पुलिस से शिकायत की तब पुलिस वाले भी कार्रवाई के लिए दस हजार रुपये की मांग कर रहे हैं. इस बात की शिकायत एसडीएम से की फिर भी कहीं से मदद नहीं मिल रही है और इसी कारण से सूरज एसडीएम के गेट पर धरने पर बैठे हुए हैं. हालांकि एसडीएम ने कहा की शादी के वक्त दोनों के नाबालिक होने के कारण हमें बच्चा दिलाने में कानूनी दिक्कतें आ रही हैं लेकिन हम पूरा प्रयास करेंगे की सूरज और उनकी पत्नी को उनका बच्चा जल्दी वापस मिल जाए.

जरा सोचिए ऐसा भी कोई परिवार होगा जो पैसों के लिए अपनी ही बेटी के बच्चे को उससे और उसके पिता से दूर रखेंगा,लेकिन ये तो पूरा का पूरा कलयुगी परिवार निकला जिसने डेढ़ लाख में डिलीवरी क्या करवाई बच्चे को पैसों के लिए खुद के पास गिरवी रख लिया. जरा सोचिए की डेढ़ साल का बच्चा जिसे अपने मां की जरूरत होती है उसे उसकी मां से दूर कर लिया गया. बच्चे के पिता सूरज अपने बच्चे के लिए तरस रहें हैं लेकिन उसके ससुराल वालों को तनिक भी दया नहीं आई. इस तरह के मामले पर भला अब क्या राय दी जाए. आप स्वयं विचार कर लें.

ये भी पढ़ें- इंग्लैंड के इस गेंदबाज ने 5253 गेंदों के बाद फेंकी

सावधान! कहीं आप भी न हो जाए औनलाइन ठगी का शिकार

आज के इस डिजिटल युग में आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है क्योंकि एक बार ठगे जाने के बाद आप चहूं और मानसिक तनाव और परेशानियों से घिर जाते हैं. ऐसे मे आपका पैसा और समय दोनों ही नष्ट होता है.

आइए आज इस महत्वपूर्ण लेख में आपको कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम से अवगत कराएं ताकि आप डिजिटल क्रांति के इस युग मेंअतिरिक्त रुप से सावधान हो जाएं. यह इसलिए और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि शिक्षित वर्ग कहे जाने वाले डौक्टर भी औनलाइन ठगी के शिकार होकर सुर्खियां बन रहे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि आम आदमी की क्या बिसात है अगर वह ठगा जाएगा तो उसकी क्या बुरी गत होगी, यह बात आसानी से समझी जा सकती है-

ये भी पढ़ें- आधी अधूरी प्रेम कहानी: भाग 1

डॉक्टर साहब बने ठगी के शिकार

छत्तीसगढ़ के सरगुजा एक असाधारण व्यक्ति से औनलाइन ठगी का मामला सामने आया है, जी हां यहां आरोपियों ने एक डौक्टर को ठगी का शिकार बानया है. मामला सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर में रहने वाले एक नामचीन डौक्टर का है.

डौक्टर अपने माता पिता के इलाज के लिए बैंगलोर गए थे. वहां से लौटने के बाद आरोपियों ने डॉक्टर से 5 लाख रुपये की औनलाइन ठगी की. डॉक्टर ने इसकी रिपोर्ट अम्बिकापुर के कोतवाली पुलिस में दे दी है. पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है.

दरअसल इसी महीने डा. फैजल फिरदोसी अपने माता-पिता के इलाज के लिए बैंगलोर गए हुए थे, जहां उन्होंने एटीएम (ATM) से ही सारे भुगतान किए थे. उसके बाद 13 सितंबर को डा. फैजल के पास एक मैसेज आया, जिसमें उन्हें अपने केवाईसी के लिए इस लिंक को क्लिक कर जन्म तारीख और एटीएम नंबर डालने को कहा गया था, जिसके बाद डा. फैजल फिरदोसी ने उस मैसेज को फुलफिल करने के लिए जानकारी भी भर दी.

ये भी पढ़ें- दोस्त दोस्त ना रहा!

शिकायत के मुताबिक फिर 16 तारीख को ठगी करने वाले ने कौल कर पूछा कि डौक्टर साहब आपका केवाईसी हो गया है. एक रिफ्रेंस नंबर मोबाइल फोन पर आएगा उसे बता दीजिए. डौक्टर ने वो नंबर ठगों को बता दिया. फिर कुछ ही देर बाद दो बार करके पांच लाख रुपये निकाल लिए गए.

इसकी जानकारी लगते ही डौक्टर ने कोतवाली थाने पहुंच कर शिकायत की है. इधर पुलिस ने धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश करने के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है. पुलिस बैंगलोर के अस्पताल से जुड़े लोगों से भी पूछताछ की तैयारी कर रही है.

ये भी पढ़ें- चाचा के प्यार में फंसी भतीजी, क्या हुआ अंजाम?

दोस्त दोस्त ना रहा!

यह मामला है छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिला के पिथौरा थाना अंतर्गत ग्राम किशनपुर का. कैसा आश्चर्य है कि जिस मित्र के साथ नित्य का उठना बैठना था, घर आना जाना था, इंसान उसी की हत्या कर देता है आखिर ऐसा क्या हुआ? क्यों एक शख्स ने अपने ही मित्र की शराब पिलाकर हत्या कर दी आइए, आज आपको इस दर्दनाक घटनाक्रम से अवगत कराते हैं कि आखिर इस अपराध कथा में ऐसा क्या हो गया मशहूर गीतकार शैलेंद्र के लिखा गीत दोस्त दोस्त ना रहा …(फिल्म संगम) जीव॔त हो उठा .

दोस्त की पत्नी को छेड़ना पड़ा महंगा…

घटना के सम्बंध में पिथोरा थाना प्रभारी दीपेश जायसवाल ने हमारे संवाददाता को बताया कि मृतक दुर्गेश पिता कन्हैया यादव एवम आरोपी मनहरण उर्फ मोनो अच्छे दोस्त थे.मृतक दुर्गेश का मोनो के घर अक्सर आना जाना रहता था. परंतु दुर्गेश दोस्त की पत्नी को ही बुरी नजर से देखता था. एक दिन आरोपी की पत्नी सरोजा (काल्पनिक नाम) ने मोनो को उसके दोस्त दुर्गेश द्वारा उससे छेड़छाड़ करने की बात बताई. इसके बाद मोनो ने अपने दोस्त को ऐसा नही करने की नसीहत देते हुए समझाया था.

ये भी पढ़ें- शर्मनाक: रिमांड होम अय्याशी के अड्डे

परंतु विगत सप्ताह दुर्गेश पुनः मोनो के घर पहुच कर उससे छेड़छाड़ कर ही रहा था कि मोनो ने देख लिया.आरोपी मनहरण उर्फ मोनो द्वारा पुलिस को दिए बयान में बताया कि उक्त घटना के बाद से ही उसने दुर्गेश को ठिकाने लगाने की ठान ली थी और योजना बना कर विगत शनिवार को मोनो ने पहले ग्राम के समीप कन्टरा नाले में महुआ शराब बनाई और मृतक दुर्गेश यादव को शराब पीने नाला बुला लिया .जानकारी के अनुसार दुर्गेश के साथ उसका एक नाबालिग साथी सूरज भी आ धमका .

सभी शराब पीने के पहले मवेशियों के लिए चारा लेने निकले थे.चारा लेकर दोनों दोस्त दुर्गेश मोनो और नाबालिग सूरज ने मिल कर महुआ शराब पी.

इसके बाद सब वापस ग्राम जाने के लिए निकले. नाबालिग सूरज साइकल में चारा पीछे लेकर जा रहा था परंतु वह रास्ते मे ही अत्यधिक नशा होने के कारण गिर पड़ा। पीछे चल रहा दुर्गेश भी नशे में धुत्त था।वह भी सूरज को उठाते उठाते स्वयं भी वही गिर पड़ा. थोड़ी देर बाद ही दुर्गेश उठा और नशे की हालत में जिधर से वे आये थे वापस उसी दिशा में चल पड़ा और रास्ते मे पड़ने वाले तिरिथ राम के खेत मे ही गिर पड़ा. इसी स्थान पर मोनो ने पहले दुर्गेश को उसकी हत्या क्यो कर रहा है इसके बारे में बताया और उसका गला दबाकर उसकी हत्या कर दी.

ये भी पढ़ें- सोशल मीडिया: महिलाएं- झूठ के धंधे का फंदा

अपने दोस्त की हत्या करने के बाद वह घर आ पहुंचा और पत्नी को सारी घटना क्रम बयान कर नित्य के कामों में लग गया.

अंततः हत्या करना स्वीकारा

और जब दूसरे दिन गांव के एक व्यक्ति तीरथराम को अपने खेत में दुर्गेश की लाश मिली तो उसने पुलिस को इत्तला दी. पुलिस ने पंचनामा करने के बाद जांच प्रारंभ की और जांच प्रक्रिया पूछताछ में आरोपी मोनो ज्यादा देर टिक नही पाया और अंततः उसने अपना अपराध कबूल कर लिया.

और पुलिस इकबालिया बयान में बताया कि उसने अपने मित्र की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी, क्योंकि वह उसकी पत्नी सरोजा पर बुरी निगाह रखने लगा था,छेड़छाड़ करने लगा था. उसने उसे एक दफे समझाया भी था. बहरहाल स्थानीय पुलिस मनहरण उर्फ मोनो को रिमांड में जेल भेज दिया है.

सेक्स और नाते रिश्तों का टूटना

समाज में आज दिनोंदिन अपराधिक घटनाएं बढ़ती चली जा रही है. अक्सर हम देखते हैं की हत्या का कारण जर जोरू जमीन के इस ट्रायंगल में जोरू अधिकांश रहता है.पत्नी अथवा प्रेमिका के कारण अपराध निरंतर घटित हो रहे हैं. समाज का कोई ऐसा तंतु नहीं है जो इसे रोक सके थाम सके.

इस संदर्भ में सच्चाई यह है कि उपरोक्त हत्याकांड में अपराध घटित होने का सबसे अहम कारण है दुर्गेश का शराब पीकर अपने मित्र मनहरण की पत्नी को पाने का प्रयास करना और जब सरोजा ने सारा घटनाक्रम पति के समक्ष उजागर कर दिया और मनहरण ने दुर्गेश को समझाइश दी इसके बावजूद दुर्गेश अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो अंततः अपने सम्मान और पत्नी की इज्जत बचाने के लिए मनहरण ने अपने ही बचपन के मित्र दुर्गेश की गला घोटकर हत्या कर दी.

ये भी पढ़ें- बुराडी में चल रहा था औनलाइन जिस्मफरोशी का

ऐसी अनेक घटनाएं हमारे आसपास समाज में घटित हो रही हैं अगर कोई व्यक्ति बहक जाता है उसके पांव बहक जाते हैं उसका भी अंजाम अंततः ऐसे ही घटनाक्रम में जाकर समाप्त होता है. अच्छा होता मृतक अपनी मर्यादा में रहता, तो संभवतः यह घटनाक्रम घटित ही नहीं होता . जब जब कोई मित्र दुर्गेश की तरह आचरण करता है तो वह मौत का सामना करता है या फिर चौराहे पर पीटा जाता है.

शर्मनाक: रिमांड होम अय्याशी के अड्डे

समाजसेवा के नाम पर चलाए जा रहे आश्रयगृहों यानी रिमांड होम को सरकारी अफसरों और सफेदपोशों ने एक तरह का चकलाघर बना कर रख दिया है. इस के चलते अपनों से बिछड़ी और भटकी मासूम बच्चियां और आपराधिक मामलों में फंसी महिलाएं बंदी समाज के रसूखदारों की घिनौनी हरकतों की वजह से जिस्मफरोशी के दलदल में फंस कर रह जाती हैं.

कई लड़कियों ने बताया कि उन्हें नशे की हालत में ही जहांतहां भेजा जाता था. बेहोशी की हालत में उन के साथ क्याक्या किया जाता था, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं चलता था. उन्हें बस इतना ही पता चलता था कि उन के पूरे बदन में भयानक दर्द और जलन होती थी.

पटना के गायघाट इलाके में बने महिला रिमांड होम (उत्तर रक्षा गृह) में कुल 136 बंदी हैं. उन के नहाने और कपड़े धोने की बात तो दूर, पीने के पानी का भी ठीक से इंतजाम नहीं है. कमरों में रोशनी और हवा का आना मुहाल है. तन ढकने के लिए ढंग के कपड़े तक मुहैया नहीं किए जाते हैं. इलाज का कोई इंतजाम नहीं होने की वजह से बीमार संवासिनें तड़पतड़प कर जान दे देती हैं.

पिछले साल टाटा इंस्टीट्यूट औफ सोशल साइंसेज, मुंबई की रीजनल यूनिट ने बिहार के 110 सुधारगृहों और सुधार केंद्रों का सर्वे किया था. उस सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ था कि 3 केंद्र मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहे थे, जिस में मुजफ्फरपुर का बालिका सुधारगृह भी शामिल था. इस के अलावा मोतिहारी और कैमूर सुधार केंद्रों में भी मानवाधिकार के उल्लंघन का मामला सामने आया था.

ये भी पढ़ें- सोशल मीडिया: महिलाएं- झूठ के धंधे का फंदा

ताजा मामला यह है कि पटना के उत्तर रक्षा महिला सुधारगृह, गायघाट में बंगलादेश की 2 लड़कियां पिछले 4 सालों से बंद हैं. ढाका की रहने वाली मरियम परवीन और मौसमी को रेलवे पुलिस ने पटना जंक्शन पर गिरफ्तार किया था. वे मानव तस्करों के चंगुल में फंस गई थीं और किसी तरह भाग निकली थीं. बिहार सरकार की ओर से अब तक उन्हें वापस उन के देश भेजने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है.

मरियम परवीन ने बताया कि बंगलादेश की ही लैला नाम की एक औरत नौकरी दिलाने का झांसा दे कर उसे नेपाल ले गई थी. बाद में पता चला कि वह दलालों के चंगुल में फंस चुकी है. एक दिन मौका लगते ही वह भाग निकली. इन दोनों लड़कियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है, इस के बाद भी ये पिछले 4 सालों से रिमांड होम में रहने के लिए मजबूर हैं.

समाज कल्याण विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रिमांड होम के गेट के भीतर पुरानी और दबंग कैदियों का राज चलता है. उन की बात न मानने वाली कैदियों की थप्पड़ों, लातघूंसों और डंडों से पिटाई तक की जाती है, तो कभी खाना बंद करने का फरमान सुना दिया जाता है.

कुछ साल पहले एक ऐसी ही संवासिन पिंकी ने तो गले में फंदा लगा कर खुदकुशी कर ली थी. पिंकी की चीख रिमांड होम के अंधेरे कमरों की दीवारों में घुट कर रह गई थी. आज तक उस की मौत के गुनाहगारों का पता ही नहीं चल सका है.

गौरतलब है कि पटना के रिमांड होम में प्रेम प्रसंग के मामलों में 34 लड़कियां बंद हैं. बिहार के किशनगंज जिले की रहने वाली लड़की बेबी पिछले 22 महीने से रिमांड होम में कैद है. उस का गुनाह इतना ही है कि उस ने दूसरे धर्म के लड़के से प्यार किया. उस के घर वालों ने पहले तो उसे समझाया, पर वह अपने प्यार को पाने की जिद पर अड़ी रही तो आखिरकार गुस्से में आ कर बेबी के घर वालों ने उस के प्रेमी को मार डाला. उस के बाद लड़के के परिवार ने बेबी समेत उस के समूचे परिवार को हत्या का आरोपी बना दिया.

बेबी सिसकते हुए कहती है कि जिस से मुहब्बत की और साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं, उसे वह कैसे मार सकती है?

ये भी पढ़ें- बुराडी में चल रहा था औनलाइन जिस्मफरोशी का

पिछले साल बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के बालिका बाल सुधारगृह में बच्चियों के जिस्मानी शोषण के मामले का भंडाफोड़ हुआ था. सेवा, संकल्प एवं विकास समिति नाम की संस्था की ओट में जिस्मफरोशी का धंधा चलता था.

इस संस्था के संचालक ब्रजेश ठाकुर ने अपने घर, प्रिंटिंग प्रैस और बालिकागृह के बीच राज भरी दुनिया बना रखी थी. सीबीआई की टीम जब मुजफ्फरपुर के साहू रोड पर बने उस के घर पर पहुंची तो सीढि़यों की बनावट देख कर हैरान रह गई.

बालिकागृह में 4 सीढि़यां मिलीं और सभी बालिकागृह के मेन भवन तक पहुंचती हैं. एक सीढ़ी प्रिंटिंग प्रैस वाले कमरे में निकलती थी, एक उस के घर की ओर निकलती थी. मकान की तीसरी मंजिल को बालिका सुधारगृह बनाया गया था.

सांसद रह चुके पप्पू यादव साफतौर पर कहते हैं कि मुजफ्फरपुर के बालिका सुधारगृह की मासूम बच्चियों को रसूखदार लोगों के पास ‘मनोरंजन’ के लिए भेजा जाता था. छापेमारी के बाद पता चला कि पीडि़त लड़कियों की उम्र 6 से 15 साल के बीच है, जिन में से 13 लड़कियों की दिमागी हालत ठीक नहीं है.

पुलिस सूत्रों की मानें तो जांच के दौरान यह खुलासा होने लगा है कि कई बच्चियों को नेताओं और अफसरों के पास भेजा जाता था. बालिकागृह में भी हर शुक्रवार को महफिल सजती थी, जिस में कई सफेदफोश और वरदीधारी शामिल होते थे.

कुछ ऐसा ही धंधा पटना की ‘पेज थ्री क्वीन’ कही जाने वाली मनीषा दयाल और उस का पार्टनर चितरंजन भी चला रहा था. मनीषा दयाल की एनजीओ अनुमाया ह्यूमन रिसर्च फाउंडेशन को आसरा होम के संचालन का जिम्मा कैसे मिला, इस के पीछे भी बड़ी कहानी है. आसरा होम का काम मिलने से पहले मनीषा ने बदनाम ब्रजेश ठाकुर द्वारा चलाए जा रहे शैल्टर होम का मुआयना किया था. ब्रजेश ठाकुर की पैरवी से ही मनीषा दयाल को आसरा होम चलाने की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग ने दी थी.

पटना के राजीव नगर की चंद्रविहार कालोनी के नेपाली नगर में मनीषा दयाल का आसरा होम चलता था. आसरा होम को मिलने वाली सरकारी मदद की रकम में चितरंजन और मनीषा दयाल बड़े पैमाने पर हेराफेरी करते थे.

आसरा होम को चलाने के लिए सरकार की ओर से हर साल 76 लाख, 80 हजार, 400 रुपए देने का करार किया गया था. साल 2018-19 के लिए अब तक 67 लाख रुपए मिल चुके थे.

ये भी पढ़ें- वो 6 घंटे: पार्ट 3

आसरा होम के नाम पर करोड़ों रुपए जुटाने वाली मनीषा दयाल इतनी बेदर्द थी कि वह आसरा होम में रहने वाली औरतों और लड़कियों को ठीक से खाना तक नहीं देती थी. उस की गिरफ्तारी के बाद आसरा होम में रहने वाली संवासिनों की मैडिकल जांच की गई तो वे सभी कुपोषण की शिकार निकलीं.

डाक्टरों का कहना है कि इन संवासिनों की नाजुक हालत को देख कर यही लगता है कि इन्हें सही तरीके से खाना और पानी भी नहीं दिया जाता था.

महिला बंदियों को ले कर सोच बदलें :

सुषमा साहू राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू कहती हैं कि औरतों को सताने के मामलों में कहीं कोई कमी नहीं आई है. जेल और रिमांड होम की अंदर की बात तो दूर घरों में औरतों के साथ अच्छा रवैया नहीं अपनाया जाता है. वे मानती हैं कि जेलों और रिमांड होम में बंद कैदियों को दोबारा बसाने की सब से बड़ी समस्या है. ऐसी कैदियों को ले कर समाज की सोच बदलने की जरूरत है. उन्हें हुनरमंद बनाना होगा, तभी वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकेंगी. इस के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं और जल्दी ही इस का असर भी दिखाई देने लगेगा.

ये भी पढ़ें- नेग के 11000 नहीं दिए तो किन्नरों ने ली जान

कहानी सौजन्य– मनोहर कहानियां

बुराडी में चल रहा था औनलाइन जिस्मफरोशी का धंधा, इस हिसाब से लगाया जाता था रेट

बुराडी के संतनगर में ’18+ ब्यूटी टेंपल’ बाहर से आमतौर पर शांत दिखता था. सामने से यह स्पा सैंटर जितना छोटा दिखता था अंदर उस से कहीं बड़ा और आलीशान बनाया गया था. स्पा सैंटर के अंदर एक तहखाना बना हुआ था जिस में ग्राहकों के लिए तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध थी.

दिन ढलते बढ जाती थी हलचल

स्पा सैंटर से कुछ दूरी पर रहने वाले एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आमतौर पर दिन भर शांत रहने वाले इस स्पा सैंटर में दिन ढलते ही हलचल बढ जाती थी. लोगों की आवाजाही ज्यादा होने लगती थी. इस सैंटर में जब स्मार्ट ड्रैस पहनी कालेज जाने वाली लडकियां और लोगों का ज्यादा आनाजाना होने लगा तो अगलबगल रहने वाले लोगों को शक हुआ.

ये भी पढ़ें- वो 6 घंटे: इस रेप कांड से हिल गई थी झारखंड की

दिल्ली महिला आयोग को मिली शिकायत

लोगों की शिकायत पर दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के साथ बुराड़ी स्थित इस स्पा सैंटर में छापा मारा. छापे के बाद मीडिया में आई खबर के बाद स्थानीय लोगों को सहसा यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यहां औनलाइन सैक्स रैकेट चल रहा था.

दिल्ली महिला आयोग स्पा सेंटर से 4 लड़कियों को बचाया गया. इस मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. दिल्ली महिला आयोग की सदस्य प्रोमिला गुप्ता ने सरस सलिल से बातचीत करते हुए बताया,” देखिए, दिल्ली महिला आयोग के पास एक शिकायत आई थी, जिस में एक वैबसाइट के बारे में बताया गया था. हमें सूचना मिली थी कि इस की आड में यहां सैक्स रैकेट चलाया जा रहा है. शिकायत में कहा गया था कि बुराड़ी में एक स्पा में सैक्स रैकेट चल रहा है. शिकायत पर जब हम ने दिल्ली पुलिस के सहयोग से कार्यवाई की तो वहां का नजारा देख कर हैरान रह गए. दरअसल, वैबसाइट पर वहां लड़कियों की फोटो और रेट कार्ड डाल रखे थे. जब महिला आयोग ने जगह का निरीक्षण कराया तो पता चला कि बहुत बड़ा रैकट है और स्पा में बाउंसर और तहखाने हैं”

ये भी पढ़ें- वो 6 घंटे: पार्ट 2

कस्टमर की वेशभूषा में गए अधिकारी ने की तहकीकात

प्रोमिला गुप्ता ने आगे बताते हुए कहा, “दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस बारे में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच से तुरंत बात की. क्राइम ब्रांच ने अपनी एक टीम भेजी. तब दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल, सदस्य प्रोमिला गुप्ता, किरण नेगी व फिरदौस दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम के साथ बुराड़ी स्थित ‘18 प्लस ब्यूटी टेंपल’ स्पा पहुंचीं. “अपराध शाखा का एक औफिसर और डीसीडब्ल्यू का स्टाफ पहले कस्टमर बन कर स्पा में घुसा. उन को वहां लड़कियों की फ़ोटो और सैक्स के लिए रेट कार्ड स्क्रीन पर दिखाया गया. तभी डीसीडब्ल्यू की पूरी टीम और क्राइम ब्रांच की पूरी टीम स्पा सैंटर जा पहुंची. उन्होंने एकसाथ सभी कमरों का निरीक्षण किया.”

तहखाने के अंदर कई कमरे थे

प्रमिला गुप्ता बताती हैं, “वहां 3 फ्लोर पर छोटेछोटे तहखाने बने मिले, जहां पर बिस्तर थे. वहां से भारी मात्रा में कंडोम्स और अश्लील मैनू कार्ड मिले. 3 लड़कों ने बताया कि वे कस्टमर हैं और यहां सैक्स रैकट चल रहा है. वहां पर बड़े लोहे के गेट हैं जिन्हें बटन द्वारा खोला जाता है। 4 लड़कियां 3 कस्टमर और इस रैकेट को चलाने वाले 3 व्यक्तियों को पुलिस वाले स्थानीय थाने ले गए.

ये भी पढ़ें- नेग के 11000 नहीं दिए तो किन्नरों ने ली जान

“आगे की तफ्तीश पुलिस कर रही है. महिला आयोग पुलिस के संपर्क में है और जो भी दोषी होगा उस पर कडी कार्यवाई की जाएगी।”

अंधविश्वास से अपराध : वह डायन नहीं थी

अफवाहें बेलगाम होती हैं. उन की कोई सरहद नहीं होती. लेकिन ये जब हदों को लांघ जाती हैं, तो लोगों और समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा बन जाती हैं. ऐसी ही अफवाह ने एक 65 साला गरीब दलित औरत की जान ले ली.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के मुटनई गांव की रहने वाली दलित मान जाटव के लिए 2 अगस्त, 2017 जिंदगी की आखिरी तारीख बन गई. मान जाटव तड़के शौच के लिए खेतों में गई थीं. उन्हें कम दिखाई देता था. अंधेरे की वजह से वे रास्ता भटक कर बघेल समाज की बस्ती में निहाल सिंह के घर के बाहर पहुंच गईं.

इसी बीच एक लड़की ने उन्हें देख कर शोर मचा दिया, जिस के बाद लोग जाग गए और पहली ही नजर में मान जाटव को चोटी काटने वाली ‘डायन’ करार दे दिया गया.

इस के बाद मान जाटव के साथ रूह कंपा देने वाली हैवानियत हुई. निहाल सिंह के बेटे मनीष व सोनू समेत दूसरे लोगों ने उन्हें लाठीडंडों से पीटना शुरू कर दिया. वे चिल्ला रहे थे कि चोटी काटने वाली ‘डायन’ पकड़ी गई है, जबकि मान जाटव बचने की हरमुमकिन कोशिश कर रही थीं और उन्हें बता रही थीं कि वे ‘डायन’ नहीं हैं, बल्कि उन्हीं के गांव की हैं.

गुस्से के गुबार में मान जाटव की कोई भी सुनने को तैयार नहीं था. अंधविश्वास के चश्मे ने लोगों को एक बेकुसूर औरत को बेरहमी से पीटने वाला मर्द बना दिया था.

पीटने वाले लोग अंधविश्वास में बुरी तरह अंधे थे. इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे मान जाटव को यह कह कर पीपल के पेड़ के पास ले गए कि वहां पीटने से पीपल पर रहने वाले भूतप्रेत भी कभी किसी को परेशान नहीं करेंगे.

ये भी पढ़ें- जिस्म की खातिर किया इश्क

उन्होंने मान जाटव को अधमरा कर के उन्हें दूसरी जगह ले जा कर पटक दिया. शोरशराबा होने पर मान जाटव के परिवार वालों को पता चला, तो वे वहां पहुंचे और उन्हें अस्पताल ले गए, लेकिन चोटें इतनी गंभीर थीं कि उन की मौत हो गई.

अंधविश्वास की इस भेंट से गांव में तनाव पैदा हो गया. पुलिस पहुंची, तो आरोपी अपने घरों से फरार हो गए.

जांच में पता चला कि इलाके में औरतों व लड़कियों की चोटी काटने वाले कथित साए की अफवाह व दहशत थी. आरोपी परिवार की एक औरत की चोटी एक दिन पहले कट गई थी. इसी से उन्हें लगा कि ‘डायन’ चोटी काटने आई है.

अंधविश्वास ने मान जाटव को हमेशाहमेशा के लिए उन के परिवार से दूर कर दिया. उन का बेटा गुलाब कहता है, ‘पीटने वालों ने यह भी नहीं सोचा कि मेरी मां बुजुर्ग हैं. ऐसे तो कोई भी किसी को ‘डायन’ बता कर मार डालेगा.’

वैसे, इस बात में कोई दोराय नहीं है कि अगर मान जाटव का ताल्लुक किसी दबंग परिवार या ऊंची जाति से होता, तो शायद ही उन पर हमला होता. जब सामने वाले से ईंट का जवाब पत्थर से मिलने का डर हो, तो सारा गुरूर हवा हो जाता है.

यह वारदात कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा कर गई. अगर कानून का डर होता, तो शायद ऐसा करने से लोग डरते.

एसएसपी दिनेश चंद्र दुबे कहते हैं, ‘घटना के कुसूरवार बख्शे नहीं जाएंगे. लोगों को समझना चाहिए कि चुड़ैल, डायन या भूतप्रेत जैसा कुछ नहीं होता है. अफवाह फैलाने वालों की सूचना पुलिस को देनी चाहिए.’

दरअसल, ‘चोटीकटवा’ की यह अफवाह नए किरदार के रूप में आई. इस से पहले साल 2001 में ‘मंकी मैन’ ने भी खूब दहशत फैलाई थी. इस के बाद ‘मुंहनोचवा’ आ गया था. कभी ‘काली बिल्ली’, कभी ‘बच्चा चोर’, तो कभी लोगों के घरों में आग लगने के किस्से सुने जाते रहे थे.

हैरानी की बात यह है कि किसी का भी कभी ठोस नतीजा सामने नहीं आया. समय के साथ ऐसी घटनाएं और किस्से थम जाते हैं. ऐसी अफवाहों को वैज्ञानिक अंधविश्वास और मनोचिकित्सक ‘आईडैंटिटी डिसऔर्डर’ नामक बीमारी का नाम देते हैं.

अफवाहें और अंधविश्वास जिस तेजी से अपना काम करते हैं, वे कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन जाते हैं. इस के चक्कर में कभी किसी बेकुसूर को पीटा जाता है, तो कभी किसी की हत्या कर दी जाती है.

मान जाटव भी इसी का शिकार हुईं. ऐसी अफवाहों से जादूटोना व तंत्रमंत्र करने वालों की दुकानें जरूर चालू हो जाती हैं, क्योंकि समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो अंधविश्वास का शिकार हो कर हर मर्ज का इलाज ऐसी जगहों पर खोजते हैं. अंधविश्वास का फायदा उठा कर उन्हें जम कर लूटा

जाता है.

डायन या चुड़ैल जैसी कोई चीज दुनिया में नहीं होती, लेकिन ज्यादातर मामलों में अपढ़ व दलित औरतें ही इस का शिकार होती हैं.

नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश के झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्यों में यह बुराई फैली हुई है.

साल 2000 से साल 2012 के बीच ही जादूटोना करने के आरोप में देशभर में 2 हजार से ज्यादा लोगों की हत्याएं हुईं. इन में ज्यादातर औरतें ही थीं. बांझ, कुंआरी या विधवा औरतों को शिकार बनाना आसान होता है. ऊंची जाति वाले व दबंग लोग गरीब व आदिवासियों को डायन के रूप में बदनाम कर देते हैं.

संपत्ति का अधिकार छीनने, तंत्रमंत्र के काम को आबाद करने व भेदभाव के चलते भी ऐसी वारदातें होती हैं. यह लोगों की ओछी सोच को दिखाती है कि वे भूतप्रेत, डायन या चुड़ैल के नाम पर किसी की हत्या तक कर देते हैं.

ये भी पढ़ें- प्यार में हद पार करने का खतरनाक नतीजा

एक साल पहले झारखंड राज्य के रांची के मांडर गांव में डायन बता कर अलगअलग परिवार की 5 औरतों की हत्या कर दी गई थी. इस राज्य में हत्याओं का आंकड़ा 12 सौ के पार है.

बिहार के भागलपुर जिले में भी एक महिला को ‘डायन’ बता कर मार डाला गया. दरभंगा जिले के पीपरा में तो दबंगों ने एक दलित औरत को डायन बता कर न सिर्फ उस के साथ मारपीट की, बल्कि मूत्र पिलाने की कोशिश भी की.

दहशत में परिवार ने गांव ही छोड़ दिया. इस राज्य की 418 औरतें चंद सालों में ऐसे ही अंधविश्वास की भेंट चढ़ गईं.

असम में ‘डायन’ बता कर एक औरत का सिर काट दिया गया. समाज की ऐसी हैवानियत यह बताने के लिए काफी है कि अंधविश्वास का आईना कितना खौफनाक है.

इस बात में कोई दोराय नहीं है

कि अंधविश्वास से होने वाली घटनाएं सभ्य समाज को कलंकित करती हैं. लोगों को इस से बाहर निकलना चाहिए. अंधविश्वास और अफवाहें न फैलें,

ये भी पढ़ें- ए सीक्रेट नाइट इन होटल

इस के उपाय सरकार को भी करने होंगे, ताकि फिर कोई मान जाटव अंधविश्वासों के गुस्से का शिकार न हो.

साईको पीड़ित ने की मां की हत्या… और….!!

उस मांस के टुकड़ों को बरतन में रखकर वह उसे खाने की तैयारीमें था. तभी पुलिस आ पहुंची. छत्तीसगढ़ की इस लोमहर्षक घटना से बोतल्दा गांव से लेकर प्रदेश भर में आम जनमानस यह देख स्तब्ध रह गया. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अर्धविक्षिप्त युवक को मृतक माँ ने बड़ी मुश्किलों से पाला- पोसा था.
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पूरा मामला साइको बीमारी से संबंधित है. साइको पीड़ित युवक का इलाज परिवार जन नहीं कर सके अंततः उसका यह भयंकर परिणाम सामने आया है ऐसे में आप सकता है कि हम अपने आसपास ऐसे साइको विक्षिप्त लोगों पर निगाह पड़ते ही उनकी समुचित इलाज की पहल करें.

साइको पीड़ित सीताराम

जिला पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार  खरसिया थाना के दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित बोतल्दा गांव में एक अर्धविक्षिप्त युवक ने अपनी मां फुलोबाई उरांव (50 वर्ष) की दिनदहाड़े टांगी से मारकर हत्या कर दी. हत्या करने के बाद सिर का भेजा (मांस) निकालकर उसके टुकड़े-टुकड़े किये.  पड़ोसी से पुलिस को घटना की सूचना मिली और पुलिस दलबल के साथ तत्परता से पहुँच गई. आरोपी सीताराम उरांव (32 वर्ष) पिता बलेश्वर उराव  लंबे समय से अर्धविक्षिप्त है. और उसका इलाज नहीं कराया जा रहा था. इस दिल दह्लाने वाली घटना के पश्चात घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जुट गई और घटना की जानकारी आग की तरह चारो ओर फैलती चली गई.

ये भी पढ़ें- एक कोतवाल, रंगीन मिजाज 

पुलिस ने आरोपी को अपनी गिरफ्त में लेकर खानापूर्ति प्रारंभ कर दी अब सीतारामपुरा मां की हत्या के आरोप में जेल की सीखचो के पीछे होगा. इस घटना के बाद कई प्रश्न उठ खड़े होते हैं जैसे इस हत्या का दोषी कौन है क्या सीताराम मानसिक रूप से स्वस्थ होता तो क्या वह अपनी मां की हत्या कर सकता था?आज ऐसे प्रश्नों पर गंभीरता से चिंतन करने का समय है. आखिर इस घटना के पीछे दोषी कौन है क्या सीताराम दोषी है या उसका परिवार और अगर परिवार सक्षम था तो समाज और सरकार कहां है? यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि जो व्यक्ति अपने मां की हत्या कर सकता है क्या वह किसी और की हत्या नहीं कर सकता था आज ऐसे अनेक मामले देश विदेश में हो रहे हैं मगर इस और न को समाजिक संस्था चिंतन कर रही है और ना ही सरकार.

खानापूरी जारी है

पुलिस बड़े ही गर्व के साथ यह बता रही है कि हमने हत्या का मामला दर्ज कर लिया
है.खरसिया थाना के निरीक्षक एस आर साहू ने हमारे संवाददाता को बताया कि जिस समय यह घटना हुई उस समय घर के पिछवाड़े में आरोपित के छोटे भाई की पत्नी किसी काम में लगी थी. आरोपी सिरफिरा बेटा शराब का आदी था और नशा करने के लिए माँ से पैसे की मांग कर रहा था. पैसा नहीं होने के कारण माँ उसे पैसे नहीं दे पाई जिससे गुस्से में आकर बेटे ने टांगी से माँ की हत्या कर दी और सिर के अन्दर से भेजा निकालकर टुकड़े कर दिए. घर मे जब भाई की पत्नी आई व खून से लथपथ सास को देखा.

ये भी पढ़ें- ए सीक्रेट नाइट इन होटल

जानकारी मिलने पर ग्रामीण जमा हो गए और 112 को सूचना दी. 112 ने पुलिस को जानकारी दी जिसके बाद पुलिस ने पहुंचकर शव बरामद कर लिया. साहू ने बताया कि पुलिस ने कडाही में रखे मांस के टुकडे को बरामद कर लिया है. उसने पुलिस को बताया कि वह उस मांस को पकाने की तैयारी में था मगर इतने में छोटे भाई की पत्नी आ गई जिससे वह भाग निकला.पुलिस के अनुसार घर में आरोपित और उसकी माँ एक साथ रहते थे जबकि उसका छोटा भाई अपनी पत्नी और बच्चे के साथ दूसरे कमरे में रहता था. एक ही घर में दो चूल्हे जलते थे. आरोपित युवक पहले स्वस्थ और कामकाजी था तथा गाड़ी चलाकर अपना और माँ का पेट पालता था. ड्राइवरी के दौरान ही गांजा-शराब की उसे लत लग गई और बाद में अर्धविक्षिप्त भी हो गया. साईको पीड़ित होने के बाद उसने काम छूट गया जिसके बाद माँ ही अर्धविक्षिप्त को स्वयं कमाकर पाल रही थी और नशे के लिए बेटे को पैसे भी देती थी. लेकिन कब क्या हो जाये इसका कोई अन्दाजा भी नहीं लगा सकता । क्या कोई बेटा ऐसा भी कर सकता है कि अपनी ही माँ की हत्या कर उसके माँस के छोटे छोटे टुकड़े को पकाकर खा जाये।

एक कोतवाल, रंगीन मिजाज ….

यहां भी अपने रंग दिखा रहे हैं. इधर जब जब विवाह के फोटो वायरल हुए तो युवती के माता-पिता को जानकारी मिली. उन्होंने पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचकर अपनी लड़की को बरगला कर कोतवाल द्वारा विवाह किए जाने की शिकायत की है और मांग की है कि अगर कोतवाल ने विवाह किया है तो न्याय दिया जाए और कोतवाल पर कठोर कार्रवाई की जाए. यह कहानी है कांकेर जिला मुख्यालय स्थित कोतवाली थाना में पदस्थ थाना प्रभारी अमर सिंह कोमरे की. कानून की वर्दी पहनकर अमर सिंह द्वारा तीसरी शादी का मामला सामने आया है. पीड़ित मां के अनुसार, थाना प्रभारी अमर सिंह कोमरे ने चारामा क्षेत्र की रहने वाली 21 वर्षीय युवती को पहले अपने होटल में काम करने के लिए रखा था.

परिजनों ने युवती के कुछ दिनों तक वापस नहीं लौटने पर पतासाजी की, जिसमें पता चला की युवती वहीं रहकर काम कर रही है. उसे घर वापस लाने पर युवती फिर से भाग गई, जिसके बाद दोबारा युवती नहीं लौटी.

कानून के रखवाले की यह तीसरी शादी

छत्तीसगढ़ में इन दिनों अमर सिंह कोमरे अपनी आशिक मिजाजी और तीसरी शादी के कारण चर्चा में आ गए हैं मजे की बात यह है कि कोतवाल जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए उन्होंने एक युवती को पहले अपने कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर रखा फिर उसे होटल में रखा और अंततः उसकी मांग में सिंदूर भर दिया. सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह रही कि उन्होंने युवती से विवाह करने की बात छुपाई नहीं और साफ मन से स्वीकार कर लिया। युवती अपनी मां को कोतवाली प्रभारी के साथ अपनी मांग में सिंदूर भरी हुई फोटो भेज रही है, जिसके बाद से परिजन काफी परेशान हो उठे हैं .युवती के परिजनों ने बताया कि कोतवाल की उम्र लगभग 49 के पेटे में है, उसने पहले से ही दो शादी कर रखी है. इस मामले पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का कहना है कि परिजनों के आवेदन के आधार पर थाना प्रभारी को बुलाकर पूछताछ की गई है.

वर्दी पहन कोतवाल उड़ा रहे कानून की धज्जियां

छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य पिछड़ा हुआ राज्य है अगर से यह घटना किसी महानगर में घटित हुई होती तो आज राष्ट्रीय चैनलों पर प्रमुखता के साथ परोस दी जाती.इस पर चर्चा बहस के दौर शुरू हो जाते. मगर छत्तीसगढ़ के बस्तर में घटित यह महिला विरोधी एवं पुलिस की वर्दी की एक तरह से धज्जियां उड़ाने की घटना सुर्खियां नहीं बटोर पाई. कोतवाल के रूप में एक जिम्मेदार अफसर अगर पूर्व पत्नी और बच्चों को छोड़कर एक कमसिन युवती से विवाह कर ले तो यह कोई छोटी विसंगति नहीं है.मगर छत्तीसगढ़ के सरकार और पुलिस प्रशासन मानो आंखों में पट्टी बांधकर सो रहा है. यह मामला निजी नहीं हो सकता नियमत: हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कोई भी आम शख्स पहली पत्नी से तलाक के बगैर दूसरा विवाह नहीं कर सकता. यह जानकारी क्या छत्तीसगढ़ पुलिस को नहीं है जो उसका एक कारिंदा वर्दी पहनकर कानून को ठेंगा दिखा रहा है. इस संदर्भ में कांकेर पुलिस का दो टूक कहना है युवती ने कोतवाली प्रभारी के साथ शादी करना कबूल किया है. नियमों के आधार पर जो होगा कार्रवाई की जाएगी.

सोशल मीडिया क्राइम: नाइजीरियन ठगों ने किया कारनामा

यह ठगी की क्राइम स्टोरी पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे की ठगी के कैसे-कैसे नायाब नमूने लोगों ने इजाद कर लिए हैं. इस संदर्भ में कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ की
राजनांदगांव पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. सोशल मीडिया के जरिए आनलाइन ठगी करने वाले दो नाईनीरियन को पुलिस ने नईदिल्ली से गिरफतार किया है इनके नाम- किबी स्टेनली ओकवो और नवाकोर इमानुएल हैं.

दंपत्ति से 44 लाख की ठगी

पुलिस अधीक्षक कमललोचन कश्यप ने बताया कि राजनांदगांव निवासी श्रीमती सुनीता आर्य पति चैतूराम आर्य ने विगत एक दिसंबर को उक्त आरोपियों के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहा था कि जुलाई 2018 में किसी डेविड सूर्ययन नामक व्यक्ति उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी. तथा खुद को लंदन निवासी होना बताया. काफी दिनों तक दोनों के बीच चेटिंग होती रही और एक दिन उपरोक्त व्यक्ति ने कहा कि वह उसे मोबाइल, गोल्डन ज्वेलरी, रिंग, जूते, कोट, घडी चैनल, बैग इत्यादि सामान गिफट करना चाहता है परंतु उसका जहांज फिनलैण्ड में रूका पड़ा है, उसके बाद पीड़िता के पास एक व्यक्ति का फेान आया जिसने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और कहा कि उपरोक्त सामान चाहिऐ तो उसे 62500 रूपये जमा कराने होंगे. इस तरह क्राइम प्रारंभ हो गया विश्वास करके आगे दंपत्ति ने यूपी जमाने प्रारंभ कर दिए और धीरे धीरे 44लाख रुपए की चपत उन्हें लग गई.

ये भी पढ़ें- सुलज ना सकी वैज्ञानिक परिवार की मर्डर मिस्ट्री

ऐसे हुआ ठगी का एहसास

इधर पीड़िता ने उसके झांसे में आते हुए रकम जमा कर दी परंतु जब सामान नही पहुंचा तेा उसने डेविड सूर्ययन से संपर्क करना चाहा मगर उसका सोशल मीडिया एकाउंट और मोबाइल नम्बर बंद बताया जा रहा था. आश्चर्य कि इस तरह पीड़िता से कुल 44 लाख की आनलाइन धोखाधड़ी हो गई. उसके बाद पीड़िता ने राजनंदगांव पुलिस अधीक्षक एवं अधिकारियों से संपर्क किया जिन के निर्देश पर कोतवाली थाना में मामला दर्ज हुआ. रिपोर्ट
दर्ज करने के बाद पुलिस ने भादवि की धारा 420, 34 एवं 66 डी के तहत जुर्म दर्ज किया.

ये भी पढ़ें- समाज की डोर पर 2 की फासी

अंततः अपराधी पकड़े गए

पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जाल बिछाकर ठगों को दबोच लिया। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव पुलिस ने ऑनलाइन साइबर क्राइम को बहुत गंभीरता से लिया और इसके लिए एक क्राइम इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई जोशीला पुलिस कप्तान कश्यप को रिपोर्ट कर रही थी बहुत ही चालाकी से दोनों नाइजीरियन नागरिकों को पुलिस ने जाल में फंसाया और गिरफ्तार करके राजनंदगांव ले आई है पुलिस ने दोनों का बयान दर्ज किया उन्होंने स्वीकार किया कि यह काम वह विगत 2 वर्षों से कर रहे थे और अनेक लोगों को अपना शिकार बनाया है. पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया जहां से जमानत के अभाव में उन्हें जेल भेज दिया गया है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें