उस दिन तारीख थी 21 जून. दोपहर करीब एक बजे का समय रहा होगा. सूरज अपने पूरे तेवर दिखा रहा था. लगता था जैसे आसमान से आग बरस रही हो. तेज गरमी और उमस के कारण बाजारों में ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. बिहार की राजधानी पटना में दीघा-आशियाना रोड पर आभूषणों का नामी शोरूम पंचवटी रत्नालय है. इस शोरूम में उस समय कोई ग्राहक नहीं था. शोरूम मालिक रत्नेश शर्मा को भूख लगी थी. वैसे भी दोपहर के भोजन का समय हो गया था.

उन्होंने सोचा कि कोई ग्राहक नहीं है तो क्यों न इस समय का सदुपयोग कर के भोजन कर लें. शोरूम में 8 कर्मचारी अपनीअपनी सीट पर बैठे ग्राहकों का इंतजार कर रहे थे. गार्ड दीपू श्रीवास्तव शोरूम के अंदर गेट पर बैठा हुआ था.

रत्नेश शर्मा इसी उधेड़बुन में थे कि भोजन करने बैठें या कुछ देर और रुकें. इतनी देर में 2 ग्राहक गेट खोल कर शोरूम में आए. ग्राहकों को देख कर रत्नेश शर्मा और शोरूम के कर्मचारियों के चेहरे पर खुशी आ गई. दोनों ग्राहकों ने एक शोकेस पर पहुंच कर कहा, ‘‘भैया, हमें डायमंड के ईयरिंग्स लेने हैं, कोई लेटेस्ट डिजाइन वाले दिखाओ.’’

शोरूम के कर्मचारी ने दोनों ग्राहकों को शोकेस के सामने रखी आरामदायक कुरसी पर बैठने का इशारा किया और अलमारी से डायमंड के ईयरिंग्स निकालने लगा. शोरूम कर्मचारियों को अचानक याद आया कि ये ग्राहक तो 1-2 बार पहले भी आए थे, लेकिन खरीदारी कुछ नहीं की थी.

कर्मचारियों ने उन में से एक ग्राहक को पहचान लिया था, लेकिन आमतौर पर कई बार ऐसा होता है कि ग्राहक को भले ही किसी दुकान पर कोई चीज पसंद न आए. लेकिन वह दोबारा उस दुकान पर खरीदारी करने पहुंचता है.

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