अच्छे शेर की तलाश : नेताओं के पालने के शौक

मैं कुछ सम झ नहीं पाया. मु झे लगा कि वे वन्य पशु संरक्षण बिल के खिलाफ जा कर अपने बंगले में शेर बांधना चाहते हैं. मैं ने उन्हें याद दिलाना चाहा  झ्कि वन्य प्राणी संरक्षा बिल के चलते वे शेर नहीं पाल सकते. लेकिन नेताओं का क्या, कुछ भी कर सकते हैं.

उत्तर प्रदेश के एक नेता ने तो अपने बंगले में मगरमच्छ पाल रखे थे. नेता हैं तो अपने आलीशान बंगले में शेर, हाथी, गैंडा, हिरन, कछुआ कुछ भी रख सकते हैं. मु झे उन की शेर मंगवाने की वजह सम झ में नहीं आ रही थी. नेता तो कुछ भी पाल सकते हैं. गुंडे तो पालते ही हैं.

‘‘वह कवि सम्मेलनों या ऐसे ही किसी साहित्यिकफाहित्यिक कार्यक्रम में गा कर पढ़ते हैं न, उस वाले शेर की बात कर रहा हूं. लगता है कि तुम कवि सम्मेलनों में नहीं जाते?’’ उन्होंने मेरी जानकारी पर तरस खाते हुए कहा.

मु झे उन की इस 180 डिगरी की छलांग पर हैरानी हुई. बातबात में संस्कृत के श्लोक पढ़ने वाला आज उर्दू के शेर की बात कर रहा है. दल बदल तो नहीं कर लिया? वैसे भी अच्छे दिनों का सपना देखतेदेखते दोपहर हो गई है.

‘‘कहीं से भी लाओ, जल्दी लाओ. लाते रहो. काम आते जाएंगे. मु झे भाषण देना है. अब मैं घिसेपिटे भाषण देने

के बजाय शेर के जरीए अपनी बात कहूंगा,’’ उन्होंने कहा.

मैं शेर का मतलब सम झ तो गया था, लेकिन भाषण और शेर का नाता नहीं जोड़ पाया. मैं ने कलैंडर देखा. बजट या उस का संशोधन भी नहीं आया, जो वित्त मंत्री जातेजाते परंपरा के मुताबिक कोई शेर पढ़ें और ये भी उस का शेर में ही जवाब दें.

अपना तो शेरोशायरी से नाता कभी का टूट चुका था. कालेज के दिनों में तो जरूर मौकेबेमौके शेर ठूंस दिया करता था. साथ में पढ़ने वाली किसी लड़की की भी शादी हो गई तो उदासी का शेर गुनगुना लेता था. किसी लड़की ने खुद बात कर ली तो दिनभर रोमांटिक शेर जबान पर खेलता रहता था.

शादी के बाद जिंदगी से रोमांटिसिज्म विदा हो जाता है और उस की जगह रियलिज्म ले लेता है. अब तो ‘मेक इन इंडिया’ का नशा उतरने के बाद शेर की याद भी डराती है. बस याद आता है तो ‘अप्लाई अप्लाई बट नो रिप्लाई’.

अखबारों में बढ़ती रोजगारी और जमीन चूमने को बेचैन जीडीपी खबरों के चलते कोई शेर कैसे कह सकता है. सुनने की ही ताकत नहीं रही. फिर भी मैं ने उन्हें यकीन दिलाया कि जल्द ही शेर ढूंढ़ लाऊंगा.

‘‘कैसा शेर चाहिए आप को? खुशी का चाहिए या गम का? स्पिरिचुअल या रिवौलूशनल?’’ मैं ने जानना चाहा.

सच ही तो है. उन्हें गुस्से का शेर चाहिए हो और मैं मजाक का शेर पकड़ा दूं. खुशी का शेर चाहिए और मैं गम का ले आऊं तो बेइज्जती मेरी पढ़ाईलिखाई की होगी. उन का क्या, उन की शैक्षणिक योग्यता का पता तो उन्हें खुद को नहीं है.

‘‘सिचुएशनल… मु झे सिचुएशनल शेर चाहिए. आज की मांग सिचुएशनल शेर की है. कल तक जो अपने थे, वे आज बेगाने हो गए,’’ उन्होंने हताशा से शायराना अंदाज में कहा.

उन की बात में दम तो था. आजकल सामने वाले की खिल्ली उड़ाने के लिए शेरोशायरी का इस्तेमाल होने लगा है.

उन की फरमाइश पूरी करने के लिए मैं ने दोस्तों के घर जा कर शायरी की किताबें इकट्ठा कीं. सभी को हैरानी हो रही थी कि जो आदमी खर्चे कैसे कम करें, कम आमदनी में घर कैसे चलाएं, अखबार की रद्दी का सब से अच्छा भाव पाएं जैसे विषयों पर किताबें ढूंढ़ता रहता था, वह आज शेरोशायरी की किताबें मांग रहा है. उसे अब शायरी में फिर से कैसे दिलचस्पी हो आई. कहीं कोई ऐसावैसा चक्करवक्कर तो नहीं है.

लेकिन मैं ने सही बात नहीं बताई. मेरा ज्यादातर समय नौकरी ढूंढ़ने के साथसाथ शायरी की किताबें पढ़ने में जाने लगा. गालिब, मोमिन, अकबर इलाहाबादी से लगा कर साहिर लुधियानवी, कैफी आजमी, जां निसार, जावेद अख्तर, सरदार जाफरी, राहत इंदौरी, मुनव्वर राना तक को खंगाल डाला. कुछ शेर इस के लिए चुरा लिए तो कुछ उस के और 2 अलगअलग शेरों को जोड़ कर नया शेर बनाने की तिकड़म भी भिड़ाई.

सच कहूं तो खुद भी कुछ शेर लिख मारे. काफिया नहीं मिला तो क्या, भाषण देने वालों का शायरी से कोई मतलब नहीं होता. कभी सुना या देखा है नेता लोगों से मुशायरों में जाते हुए.

सब महाराष्ट्र के चलते हो रहा है, 2 हफ्ते बाद नेताजी ने मेरे चुने हुए सारे शेर खारिज कर दिए.

‘‘बयानों में शायरी का चलन वहीं से शुरू हुआ है. न वहां के नेता अपने अखबार में शेर पर शेर लिख कर सामने वाली पार्टी को ललकारते और न ही सामने वाले उस का जवाब शेर में देते. वह क्या, किसी ने कहा है कि मैं लहर हूं, लौट कर आऊंगा या ऐसा ही कुछ. अब तो इधर से एक शेर गया नहीं कि उधर से एक शेर दौड़ा चला आता है.

‘‘लगता है कि जिंदाबादमुरदाबाद के नारे घिस गए हैं जो शेर पर शेर चले आ रहे हैं. मेरे पास कोई शेर नहीं होता मौके पर. ऐसे में मैं खुद को पिछड़ा सम झने लगता हूं. तुम्हारी किताबों का एक भी शेर आज के हालात पर हो तो लगी शर्त.’’

वे बोले, ‘‘पढ़ाई के नाम पर फिल्में देखने या लड़कियों के साथ होटल में गुजारने के बजाय 2-4 शेर ही रट लेते, तो आज यह शर्मनाक नौबत नहीं आती. लगता है कि खुद ही शेर लिखना होगा.’’

मैं ने तो अपना काम कर दिया. रोज अखबार तो खरीदता ही था कि नौकरी का कोई इश्तिहार दिख जाए, लेकिन इस बार उन का कोई दहाड़ता शेर पढ़ने को मिल जाए, इस पर भी नजर दौड़ाने लगा हूं.

बहुत दिन हो गए, लेकिन उन का शेर मांद में ही रहा. उन्हें भी बिना शेर के चैन नहीं था. एक दिन मेरे घर आए और डांटने लगे कि मैं ने कोई नया शेर नहीं सु झाया. बड़ी देर तक वे हमारी दोस्ती का वास्ता देते रहे. मुसीबत के समय दोस्त ही काम आता है जैसी किताबी बातें करते रहे.

मैं सम झ गया कि अब मामला आईसीयू में ले जाने जितना गंभीर हो गया है. मैं उन्हें हाईवे के टोल नाके पर ले गया.

मैं ने उन से अदब से कहा, ‘‘कुछ पल गुजारिए टोल नाके पर, शेरों की बरात निकलेगी. इस रास्ते से दिनरात कई ट्रक गुजरते हैं. उन के पीछे देखते रहिए. नएनए शेर मिल जाएंगे.’’

हयात : जज्बातों का समंदर

‘‘कल जल्दी आ जाना.’’

‘‘क्यों?’’ हयात ने पूछा.

‘‘कल से रेहान सर आने वाले हैं और हमारे मिर्जा सर रिटायर हो रहे हैं.’’

‘‘कोशिश करूंगी,’’ हयात ने जवाब तो दिया लेकिन उसे खुद पता नहीं था कि वह वक्त पर आ पाएगी या नहीं.

दूसरे दिन रेहान सर ठीक 10 बजे औफिस में पहुंचे. हयात अपनी सीट पर नहीं थी. रेहान सर के आते ही सब लोगों ने खड़े हो कर गुडमौर्निंग कहा. रेहान सर की नजरों से एक खाली चेयर छूटी नहीं.

‘‘यहां कौन बैठता है?’’

‘‘मिस हयात, आप की असिस्टैंट, सर,’’ क्षितिज ने जवाब दिया.

‘‘ओके, वह जैसे ही आए उन्हें अंदर भेजो.’’

रेहान लैपटौप खोल कर बैठा था. कंपनी के रिकौर्ड्स चैक कर रहा था. ठीक 10 बज कर 30 मिनट पर हयात ने रेहान के केबिन का दरवाजा खटखटाया.

‘‘में आय कम इन, सर?’’

‘‘यस प्लीज, आप की तारीफ?’’

‘‘जी, मैं हयात हूं. आप की असिस्टैंट?’’

‘‘मुझे उम्मीद है कल सुबह मैं जब आऊंगा तो आप की चेयर खाली नहीं होगी. आप जा सकती हैं.’’

हयात नजरें झुका कर केबिन से बाहर निकल आई. रेहान सर के सामने ज्यादा बात करना ठीक नहीं होगा, यह बात हयात को समझे में आ गई थी. थोड़ी ही देर में रेहान ने औफिस के स्टाफ की एक मीटिंग ली.

‘‘गुडआफ्टरनून टू औल औफ यू. मुझे आप सब से बस इतना कहना है कि कल से कंपनी के सभी कर्मचारी वक्त पर आएंगे और वक्त पर जाएंगे. औफिस में अपनी पर्सनल लाइफ को छोड़ कर कंपनी के काम को प्रायोरिटी देंगे. उम्मीद है कि आप में से कोई मुझे शिकायत का मौका नहीं देगा. बस, इतना ही, अब आप लोग जा सकते हैं.’’

‘कितना खड़ूस है. एकदो लाइंस ज्यादा बोलता तो क्या आसमान नीचे आ जाता या धरती फट जाती,’ हयात मन ही मन रेहान को कोस रही थी.

नए बौस का मूड देख कर हर कोई कंपनी में अपने काम के प्रति सजग हो गया. दूसरे दिन फिर से रेहान औफिस में ठीक 10 बजे दाखिल हुआ और आज फिर हयात की चेयर खाली थी. रेहान ने फिर से क्षितिज से मिस हयात को आते ही केबिन में भेजने को कहा. ठीक 10 बज कर 30 मिनट पर हयात ने रेहान के केबिन का दरवाजा खटखटाया.

‘‘मे आय कम इन, सर?’’

‘‘जी, जरूर, मुझे आप का ही इंतजार था. अभी हमें एक होटल में मीटिंग में जाना है. क्या आप तैयार हैं?’’

‘‘जी हां, कब निकलना है?’’

‘‘उस मीटिंग में आप को क्या करना है, यह पता है आप को?’’

‘‘जी, आप मुझे कल बता देते तो मैं तैयारी कर के आती.’’

‘‘मैं आप को अभी बताने वाला था. लेकिन शायद वक्त पर आना आप की आदत नहीं. आप की सैलरी कितनी है?’’

‘‘जी, 30 हजार.’’

‘‘अगर आप के पास कंपनी के लिए टाइम नहीं है तो आप घर जा सकती हैं और आप के लिए यह आखिरी चेतावनी है. ये फाइल्स उठाएं और अब हम निकल रहे हैं.’’

हयात रेहान के साथ होटल में पहुंच गई. आज एक हैदराबादी कंपनी के साथ मीटिंग थी. रेहान और हयात दोनों ही टाइम पर पहुंच गए. लेकिन सामने वाली पार्टी ने बुके और वो आज आएंगे नहीं, यह मैसेज अपने कर्मचारी के साथ भेज दिया. उस कर्मचारी के जाते ही रेहान ने वो फूल उठा कर होटल के गार्डन में गुस्से में फेंक दिए. ‘‘आज का तो दिन ही खराब है,’’ यह बात कहतेकहते वह अपनी गाड़ी में जा कर बैठ गया.

रेहान का गुस्सा देख कर हयात थोड़ी परेशान हो गई और सहमीसहमी सी गाड़ी में बैठ गई. औफिस में पहुंचते ही रेहान ने हैदराबादी कंपनी के साथ पहले किए हुए कौंट्रैक्ट के डिटेल्स मांगे. इस कंपनी के साथ 3 साल पहले एक कौंट्रैक्ट हुआ था लेकिन तब हयात यहां काम नहीं करती थी, इसलिए उसे वह फाइल मिल नहीं रही थी.

‘‘मिस हयात, क्या आप शाम को फाइल देंगी मुझे’’ रेहान केबिन से बाहर आ कर हयात पर चिल्ला रहा था.

‘‘जी…सर, वह फाइल मिल नहीं रही.’’

‘‘जब तक मुझे फाइल नहीं मिलेगी, आप घर नहीं जाएंगी.’’

यह बात सुन कर तो हयात का चेहरा ही उतर गया. वैसे भी औफिस में सब के सामने डांटने से हयात को बहुत ही इनसल्टिंग फील हो रहा था. शाम के 6 बज चुके थे. फाइल मिली नहीं थी.

‘‘सर, फाइल मिल नहीं रही है.’’

रेहान कुछ बोल नहीं रहा था. वह अपने कंप्यूटर पर काम कर रहा था. रेहान की खामोशी हयात को बेचैन कर रही थी. रेहान का रवैया देख कर वह केबिन से निकल आईर् और अपना पर्स उठा कर घर निकल गई. दूसरे दिन हयात रेहान से पहले औफिस में हाजिर थी. हयात को देखते ही रेहान ने कहा, ‘‘मिस हयात, आज आप गोडाउन में जाएं. हमें आज माल भेजना है. आई होप, आप यह काम तो ठीक से कर ही लेंगी.’’

हयात बिना कुछ बोले ही नजर झुका कर चली गई. 3 बजे तक कंटेनर आए ही नहीं. 3 बजने के बाद कंटेनर में कंपनी का माल भरना शुरू हुआ. रात के 8 बजे तक काम चलता रहा. हयात की बस छूट गई. रेहान और उस के पापा कंपनी से बाहर निकल ही रहे थे कि कंटेनर को देख कर वे गोडाउन की तरफ मुड़ गए. हयात एक टेबल पर बैठी थी और रजिस्टर में कुछ लिख रही थी.

तभी मिर्जा साहब के साथ रेहान गोडाउन में आया. हयात को वहां देख कर रेहान को, कुछ गलत हो गया, इस बात का एहसास हुआ.

‘‘हयात, तुम अभी तक घर नहीं गईं,’’ मिर्जा सर ने पूछा.

‘‘नहीं सर, बस अब जा ही रही थी.’’

‘‘चलो, जाने दो, कोई बात नहीं. आओ, हम तुम्हें छोड़ देते हैं.’’

अपने पापा का हयात के प्रति इतना प्यारभरा रवैया देख कर रेहान हैरान हो रहा था, लेकिन वह कुछ बोल भी नहीं रहा था. रेहान का मुंह देख कर हयात ने ‘नहीं सर, मैं चली जाऊंगी’ कह कर उन्हें टाल दिया. हयात बसस्टौप पर खड़ी थी. मिर्जा सर ने फिर से हयात को गाड़ी में बैठने की गुजारिश की. इस बार हयात न नहीं कह सकी.

‘‘हम तुम्हें कहां छोड़ें?’’

‘‘जी, मुझे सिटी हौस्पिटल जाना है.’’

‘‘सिटी हौस्पिटल क्यों? सबकुछ ठीक तो है?’’

‘‘मेरे पापा को कैंसर है, उन्हें वहां ऐडमिट किया है.’’

‘‘फिर तो तुम्हारे पापा से हम भी एक मुलाकात करना चाहेंगे.’’

कुछ ही देर में हयात अपने मिर्जा सर और रेहान के साथ अपने पापा के कमरे में आई.

‘‘आओआओ, मेरी नन्ही सी जान. कितना काम करती हो और आज इतनी देर क्यों कर दी आने में. तुम्हारे उस नए बौस ने आज फिर से तुम्हें परेशान किया क्या?’’

हयात के पापा की यह बात सुन कर तो हयात और रेहान दोनों के ही चेहरे के रंग उड़ गए.

‘‘बस अब्बू, कितना बोलते हैं आप. आज आप से मिलने मेरे कंपनी के बौस आए हैं. ये हैं मिर्जा सर और ये इन के बेटे रेहान सर.’’

‘‘आप से मिल कर बहुत खुशी हुई सुलतान मियां. अब कैसी तबीयत है आप की?’’ मिर्जा सर ने कहा.

‘‘हयात की वजह से मेरी सांस चल रही है. बस, अब जल्दी से किसी अच्छे खानदान में इस का रिश्ता हो जाए तो मैं गहरी नींद सो सकूं.’’

‘‘सुलतान मियां, परेशान न हों. हयात को अपनी बहू बनाना किसी भी खानदान के लिए गर्व की ही बात होगी. अच्छा, अब हम चलते हैं.’’

इस रात के बाद रेहान का हयात के प्रति रवैया थोड़ा सा दोस्ताना हो गया. हयात भी अब रेहान के बारे में सोचती रहती थी. रेहान को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सजनेसंवरने लगी थी.

‘‘क्या बात है? आज बहुत खूबसूरत लग रही हो,’’ रेहान का छोटा भाई आमिर हयात के सामने आ कर बैठ गया. हयात ने एकबार उस की तरफ देखा और फिर से अपनी फाइल को पढ़ने लगी. आमिर उस की टेबल के सामने वाली चेयर पर बैठ कर उसे घूर रहा था. आखिरकार हयात ने परेशान हो कर फाइल बंद कर आमिर के उठने का इंतजार करने लगी. तभी रेहान आ गया. हयात को आमिर के सामने इस तरह से देख कर रेहान परेशान तो हुआ लेकिन उस ने देख कर भी अनदेखा कर दिया.

दूसरे दिन रेहान ने अपने केबिन में एक मीटिंग रखी थी. उस मीटिंग में आमिर को रेहान के साथ बैठना था. लेकिन वह जानबूझ कर हयात के बाजू में आ कर बैठ गया. हयात को परेशान करने का कोई मौका वह छोड़ नहीं रहा था. लेकिन हयात हर बार उसे देख कर अनदेखा कर देती थी. एक दिन तो हद ही हो गई. आमिर औफिस में ही हयात के रास्ते में खड़ा हो गया.

‘‘रेहान तुम्हें महीने के 30 हजार रुपए देता है. मैं एक रात के दूंगा. अब तो मान जाओ.’’

यह बात सुनते ही हयात ने आमिर के गाल पर एक जोरदार चांटा जड़ दिया. औफिस में सब के सामने हयात इस तरह रिऐक्ट करेगी, इस बात का आमिर को बिलकुल भी अंदाजा नहीं था. हयात ने तमाचा तो लगा दिया लेकिन अब उस की नौकरी चली जाएगी, यह उसे पता था. सबकुछ रेहान के सामने ही हुआ.

बस, आमिर ने ऐसा क्या कर दिया कि हयात ने उसे चाटा मार दिया, यह बात कोई समझ नहीं पाया. हयात और आमिर दोनों ही औफिस से निकल गए.

दूसरे दिन सुबह आमिर ने आते ही रेहान के केबिन में अपना रुख किया.

‘‘भाईजान, मैं इस लड़की को एक दिन भी यहां बरदाश्त नहीं करूंगा. आप अभी और इसी वक्त उसे यहां से निकाल दें.’’

‘‘मुझे क्या करना है, मुझे पता है. अगर गलती तुम्हारी हुई तो मैं तुम्हें भी इस कंपनी से बाहर कर दूंगा. यह बात याद रहे.’’

‘‘उस लड़की के लिए आप मुझे निकालेंगे?’’

‘‘जी, हां.’’

‘‘यह तो हद ही हो गई. ठीक है, फिर मैं ही चला जाता हूं.’’

रेहान कब उसे अंदर बुलाए हयात इस का इंतजार कर रही थी. आखिरकार, रेहान ने उसे बुला ही लिया. रेहान अपने कंप्यूटर पर कुछ देख रहा था. हयात को उस के सामने खड़े हुए 2 मिनट हुए. आखिरकार हयात ने ही बात करना शुरू कर दिया.

‘‘मैं जानती हूं आप ने मुझे यहां बाहर करने के लिए बुलाया है. वैसे भी आप तो मेरे काम से कभी खुश थे ही नहीं. आप का काम तो आसान हो गया. लेकिन मेरी कोई गलती नहीं है. फिर भी आप मुझे निकाल रहे हैं, यह बात याद रहे.’’

रेहान अचानक से खड़ा हो कर उस के करीब आ गया, ‘‘और कुछ?’’

‘‘जी नहीं.’’

‘‘वैसे, आमिर ने किया क्या था?’’

‘‘कह रहे थे एक रात के 30 हजार रुपए देंगे.’’

आमिर की यह सोच जान कर रेहान खुद सदमे में आ गया.

‘‘तो मैं जाऊं?’’

‘‘जी नहीं, आप ने जो किया, बिलकुल ठीक किया. जब भी कोई लड़का अपनी मर्यादा भूल जाए, लड़की की न को सम?ा न पाए, फिर चाहे वह बौस हो, पिता हो, बौयफ्रैंड हो उस के साथ ऐसा ही होना चाहिए. लड़कियों को छेड़खानी के खिलाफ जरूर आवाज उठानी चाहिए. मिस हयात, आप को नौकरी से नहीं निकाला जा रहा है.’’

‘‘शुक्रिया.’’

अब हयात की जान में जान आ गई. रेहान उस के करीब आ रहा था और हयात पीछेपीछे जा रही थी. हयात कुछ समझ नहीं पा रही थी.

रेहान ने हयात का हाथ अपने हाथ में ले लिया और आंखों में आंखें डालते हुए बोला, ‘‘मिस हयात, आप बहुत सुंदर हैं. जिम्मेदारियां भी अच्छी तरह से संभालती हैं और एक सशक्त महिला हैं. इसलिए मैं तुम्हें अपनी जीवनसाथी बनाना चाहता हूं.’’

हयात कुछ समझ नहीं पा रही थी. क्या बोले, क्या न बोले. बस, शरमा कर हामी भर दी.

दरिंदे से बदला: सोनाली का दर्द

पड़ोसी राजेश सिंह के घर मन रहे जश्न का शोर सोनाली के कानों में पिघले सीसे की तरह उतर रहा था. सारे खिड़कीदरवाजे बंद कर कानों को कस कर दबाए वह अपना सिर घुटनों में छिपा कर बैठी थी लेकिन रहरह कर एक जोर का कह कहा लगता और सारी मेहनत बेकार हो जाती.

पास बैठा सोनाली का पति सुरेंद्र भरी आवाज में उसे दिलासा देने में जुटा था, ‘‘ऐसे हिम्मत मत हारो… ठंडे दिमाग से सोचेंगे कि आगे क्या करना है.’’

सुरेंद्र के बहते आंसू सोनाली की साड़ी और चादर पर आसरा पा रहे थे. बच्चों को दूसरे कमरे में टैलीविजन देखने के लिए कह दिया गया था.

6 साल का विकी तो अपनी धुन में मगन था लेकिन 10 साल का गुड्डू बहुतकुछ समझने की कोशिश कर रहा था. विकी बीचबीच में उसे टोक देता मगर वह किसी समझदार की तरह उसे कोई नया चैनल दिखा कर बहलाने लगता था.

2 साल पहले तक सोनाली की जिंदगी में सबकुछ अच्छा चल रहा था. पति की साधारण सरकारी नौकरी थी, पर उन के छोटेछोटे सपनों को पूरा करने में कभी कोई अड़चन नहीं आई थी. पुराना पुश्तैनी घर भी प्यार की गुनगुनाहट से महलों जैसा लगता था. बूढ़े सासससुर बहुत अच्छे थे. उन्होंने सोनाली को मांबाप की कमी कभी महसूस नहीं होने दी थी.

एक दिन सुरेंद्र औफिस से अचानक घबराया हुआ लौटा और कहने लगा था, ‘कोई नया मंत्री आया है और उस ने तबादलों की झड़ी लगा दी है. मुझे भी दूसरे जिले में भेज दिया गया है.’

‘क्या…’ सोनाली का दिल धक से रह गया था. 2 घंटे तक अपने परिवार से दूर रहने से घबराने वाला सुरेंद्र अब

2 हफ्ते में एक बार घर आ पाता था. बच्चे भी बहुत उदास हुए, लेकिन कुछ किया नहीं जा सकता. मनचाही जगह पर पोस्टिंग मिल तो जाती, मगर उस की कीमत उन की पहुंच से बाहर थी.

हार कर सोनाली ने खुद को किसी तरह समझा लिया था. वीडियो काल, चैटिंग के सहारे उन का मेलजोल बना रहता था. जब भी सुरेंद्र घर आता था, सोनाली को रात छोटी लगने लगती थी. सुरेंद्र की बांहों में भिंच कर वह प्यार का इतना रस निचोड़ लेने की कोशिश करती थी कि उन का दोबारा मिलन होने तक उसे बचाए रख सके. उस के दिल की इस तड़प को समझ कर निंदिया रानी तो उन्हें रोकटोक करने आती नहीं थी. बिस्तर से ले कर जमीन तक बिखरे दोनों के कपड़े भी सुबह होने के बाद ही उन को आवाज देते थे.

जिंदगी की गाड़ी चलती रही, लेकिन अपनी दुनिया में मगन रहने वाली सोनाली एक बड़े खतरे से अनजान थी. उस खतरे का नाम राजेश सिंह था जो ठीक उन के पड़ोस में रहता था.

शरीर से बेहद लंबेतगड़े राजेश को न अपनी 55 पार कर चुकी उम्र का कोई लिहाज था और न ही गांव के रिश्ते से कहे जाने वाले ‘चाचा’ शब्द का. उस की गंदी नजरें खूबसूरत बदन की मालकिन सोनाली पर गड़ चुकी थीं.

दबंग राजेश सिंह हत्या, देह धंधा जैसे अनेक मामलों में फंस कर कई बार जेल जा चुका था लेकिन हमेशा किसी न किसी से पैरवी करा कर बाहर आ जाता था. सुरेंद्र का साधारण समुदाय से होना भी राजेश सिंह की हिम्मत बढ़ाता था.

राजेश सिंह का कोई तय काम नहीं था. बेटों की मेहनत पर खेतों से आने वाला अनाज खा कर पड़े रहना और चुनाव के समय अपनी जाति के नेताओं के पक्ष में इधर से उधर दलाली करना उस का पेशा था. हालांकि बेटे भी कोई दूध के धुले नहीं थे. बाकी सारा समय अपने दरवाजे पर किसीकिसी के साथ बैठ कर यहांवहां की गप हांकना राजेश सिंह की आदत थी.

सोनाली बाहर कम ही निकलती थी, लेकिन जब भी जाती और राजेश सिंह को पता चल जाता तो घर से निकलने से ले कर वापस लौटने तक वह उस को ही ताकता रहता. उस के उभारों और खुले हिस्सों को तो वह ऐसे देखता जैसे अभी खा जाएगा.

एक दिन सोनाली जब आटोरिकशा पर चढ़ रही थी तो उस की साड़ी के उठे भाग के नीचे दिख रही पिंडलियों को घूरने की धुन में राजेश सिंह अपने दरवाजे पर ठोकर खा कर गिरतेगिरते बचा. उस के साथ बैठे लोग जोर से हंस पड़े. सोनाली ने घूम कर उन की हंसी देखी भी, पर उन की भावना नहीं समझ पाई.

आखिर वह दिन भी आया जिस ने सोनाली का सबकुछ छीन लिया. उस के सासससुर किसी संबंधी के यहां गए हुए थे और छोटा बेटा विकी नानी के घर था. बड़ा बेटा गुड्डू स्कूल में था. बाहर हो रही तेज बारिश की वजह से मोबाइल नैटवर्क भी खराब चल रहा था जिस के चलते सोनाली और सुरेंद्र की ठीक से बात नहीं हो पा रही थी. ऊब कर उस ने मोबाइल फोन बिस्तर पर रखा और नहाने चली गई.

सोनाली ने दोपहर के भोजन के लिए दालचावल चूल्हे पर पहले ही चढ़ा दिए थे और नहाने के बीच में कुकर की सीटियां भी गिन रही थी. हमेशा की तरह उस का नहाना पूरा होतेहोते कुकर ने अपना काम कर लिया. सोनाली ने जल्दीजल्दी अपने बालों और बदन पर तौलिए लपेटे और बैडरूम में भागी आई. बालों को झटपट पोंछ कर उस ने बिस्तर पर रखे नए सूखे कपड़े पहनने के लिए जैसे ही अपने शरीर पर बंधा तौलिया हटाया कि अचानक 2 मजबूत हाथों ने उसे पीछे से दबोच लिया.

अचानक हुए इस हमले से बौखलाई सोनाली ने पीछे मुड़ कर देखा तो हमलावर राजेश सिंह था जो छत के रास्ते उस के घर में घुस आया था और कमरे में पलंग के नीचे छिप कर उस का ही इंतजार कर रहा था. उस के मुंह से शराब की तेज गंध भी आ रही थी.

सोनाली चीखती, इस से पहले ही किसी दूसरे आदमी ने उस का मुंह भी दबा दिया. वह जितना पहचान पाई उस के मुताबिक वह राजेश सिंह का खास साथी भूरा था और उम्र में राजेश सिंह के ही बराबर था.

सोनाली के कुछ सोचने से पहले ही वे दोनों उसे पलंग पर लिटा कर वहां रखी उस की ही साड़ी के टुकड़े कर उसे बांध चुके थे. सोनाली के मुंह पर भूरा ने अपना गमछा लपेट दिया था.

इस के बाद राजेश सिंह ने पहले तो कुछ देर तक अपनी फटीफटी आंखों

से सोनाली के जिस्म को ऊपर से नीचे तक देखा, फिर उस के ऊपर झुकता चला गया.

काफी देर बाद हांफता हुआ राजेश सिंह सोनाली के ऊपर से उठा. भयंकर दर्द से जूझती, पसीने से तरबतर सोनाली सांयसांय चल रहे सीलिंग फैन को नम आंखों से देख रही थी. टैलीविजन पर रखा सोनाली, सुरेंद्र और बच्चों का ग्रुप फोटो गिर कर टूट चुका था. रसोईघर में चूल्हे पर चढ़े दालचावल सोनाली के सपनों की तरह जल कर धुआं दे रहे थे.

इस के बाद भूरा बेशर्मी से हंसता हुआ अपनी हवस मिटाने के लिए बढ़ा. राजेश सिंह बिस्तर पर पड़े सोनाली के पेटीकोट से अपना पसीना पोंछ रहा था.

भूरा ने अपने हाथ सोनाली के कूल्हों पर रखे ही थे कि तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई. राजेश सिंह ने दरवाजे की झिर्री से झांका तो गुड्डू की स्कूल वैन का ड्राइवर उसे साथ ले कर खड़ा था.

राजेश सिंह ने जल्दी से भूरा को हटने का इशारा किया. वह झल्लाया चेहरा लिए उठा और अपने कपड़े ठीक करने लगा.

‘तुम ने बहुत ज्यादा समय ले ही लिया इस के साथ, नहीं तो हम को भी मौका मिल जाता न,’ भूरा भुनभुनाया. लेकिन राजेश सिंह ने उस की बात पर ध्यान नहीं दिया और जैसेतैसे अपने कपड़े पहन कर जिधर से आया था, उधर से ही भाग गया.

जब दरवाजा नहीं खुला तो गुड्डू के कहने पर ड्राइवर ने ऊपर से हाथ घुसा कर कुंडी खोली. घुसते ही अंदर के कमरे का सब नजारा दिखता था. ड्राइवर के तो होश उड़ गए. उस ने शोर मचा दिया.

सुरेंद्र आननफानन आया. सोनाली के बयान पर राजेश सिंह और भूरा पर केस दर्ज हुए. दोनों की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन राजेश सिंह ने अपनी पहचान के नेता से बयान दिलवा लिया कि घटना वाले दिन वह और भूरा उस के साथ मीटिंग में थे. मैडिकल जांच पर भी सवाल खड़े कर दिए गए.

कुछ समाचार चैनलों और स्थानीय महिला संगठनों ने थोड़े दिनों तक अपनीअपनी पब्लिसिटी के लिए प्रदर्शन जरूर किए, बाद में अचानक शांत पड़ते गए.

सालभर होतेहोते राजेश सिंह और भूरा दोनों बाइज्जत बरी हो कर निकल आए. ऊपरी अदालत में जाने लायक माली हालत सुरेंद्र की थी नहीं.

आज राजेश सिंह के घर पर हो रही पार्टी सुरेंद्र और सोनाली के घावों पर रातभर नमक छिड़कती रही. इस के बाद राजेश सिंह और भी छुट्टा सांड़ हो गया. छत पर जब भी सोनाली से नजरें मिलतीं, वह गंदे इशारे कर देता. इस सदमे से सोनाली के सासससुर भी बीमार रहने लगे थे.

राजेश सिंह के छूट जाने से सोनाली के मन में भरा डर अब और बढ़ने लगा था. रातों को अपने निजी अंगों पर सुरेंद्र का हाथ पा कर भी वह बुरी तरह से चौंक कर जाग उठती थी.

कई बार सोनाली के मन में खुदकुशी का विचार आया, लेकिन अपने पति और बच्चों का चेहरा उसे यह गलत कदम उठाने नहीं देता था.

दिन बीतते गए. गुड्डू का जन्मदिन आ गया. केवल उस की खुशी के लिए सोनाली पूरे परिवार के साथ होटल चलने को राजी हो गई. खाना खाने के बाद वे लोग काउंटर पर बिल भर रहे थे कि तभी सामने राजेश सिंह दिखाई दिया. सफेद कुरतापाजामा पहने हुए वह एक पान की दुकान की ओट में किसी से मोबाइल फोन पर बात कर रहा था.

राजेश सिंह पर नजर पड़ते ही सोनाली के मन में उसी दिन का उस का हवस से भरा चेहरा घूमने लगा. उस के द्वारा फोन पर कहे जा रहे शब्द उसे वही आवाज लग रहे थे जो उस की इज्जत लूटते समय वह अपने मुंह से निकाल रहा था.

सोनाली का दिमाग तेजी से चलने लगा. उबलते गुस्से और डर को काबू में रख वह आज अचानक कोई फैसला ले चुकी थी. उस ने सुरेंद्र के कान में कुछ कहा.

सुरेंद्र ने बच्चों से खाने की मेज पर ही बैठ कर इंतजार करने को बोला और होटल के दरवाजे के पास आ कर खड़ा हो गया.

सोनाली ने आसपास देखा और राजेश सिंह के ठीक पीछे आ गई. वह अपनी धुन में था इसलिए उसे कुछ पता नहीं चला. सोनाली ने अपने पेटीकोट की डोरी पहले ही थोड़ी ढीली कर ली थी. उस ने राजेश सिंह का दूसरा हाथ पकड़ा और अपने पेटीकोट में डाल लिया.

राजेश सिंह ने चौंक कर सोनाली की तरफ देखा. वह कुछ समझ पाता, इससे पहले ही सोनाली उस का हाथ पकड़ेपकड़े रोते हुए चिल्लाने लगी, ‘‘अरे, यह क्या बदतमीजी है? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ऐसी घटिया हरकत करने की?’’

सोनाली के चिल्लाते ही सुरेंद्र होटल से भागाभागा वहां आया और उस ने राजेश सिंह पर मुक्कों की बरसात कर दी. वह मारतेमारते जोरजोर से बोल रहा था, ‘‘राह चलती औरत के पेटीकोट में हाथ डालेगा तू?’’

जिन लोगों ने राजेश सिंह का हाथ सोनाली के पेटीकोट में घुसा देख लिया था, वे भी आगबबूला हुए उधर दौड़े और उस को पीटने लगे.

भीड़ जुटती देख सुरेंद्र ने अपने जूते के कई जोरदार वार राजेश सिंह के पेट और गुप्तांग पर कर दिए और मौका पा कर भीड़ से निकल गया.

जब तक कुछ लोग बीचबचाव करते, तब तक खून से लथपथ राजेश सिंह मर चुका था. जो सजा उसे बलात्कार के आरोप में मिलनी चाहिए थी, वह उसे छेड़खानी के आरोप ने दिलवा दी थी.

भोजपुरी अंदाज में Rashmika Mandana ने पूछा पटना का हाल, Pushpa2 के ट्रेलर में पहुंची

इन दिनों भोजपुरी सिनमें किसी बौलीवुड (Bollywood) सिनेमा से कम पिछे नहीं है, इसकी टक्कर में टौलीवुड सिनेमा भी खड़ा है और इन में सब में तड़का अगर कोई लगा रही है तो वे एक्ट्रैस जो टौलीवुड(Tollywood) से बौलीवुड में अपनी जलवा बिखेर सभी का दिल जीत रही है और फैंस के दिलों पर राज कर रही है. जी हां, हम बात कर रहे है फिल्म ‘एनीमल’ (Animal) की एक्ट्रैस रश्मिका मंदाना(Rashmika Mandana) की. जिन्होंने रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) के साथ जबरदस्त एक्टिंग कर सभी को अपना फैन बना लिया और अब पुष्पा 2 (Pushpa2) के ट्रैलर पर पटना पहुंची है.

 

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बिहार के लिए 17 नवंबर बेहद ही खास दिन रहा. क्योंकि लंबे समय के बाद बिहार(Bihar) में फिल्म सिटी की मांग हो रही है और बिहार सरकार ने इसको लेकर पहले भी शुरु कर दि है. वही, राजधानी पटना(Patna) के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ब्लॉकबस्टर साउथ मूवी पुष्पा 2 की ट्रैलर भी रिलीज किया गया. इस ट्रैलर की खास बात ये रही है कि एक्टर अल्लू अर्जुन और एक्ट्रैस रश्मिका मंदाना मौजूद थे. जहां एक्ट्रैस ने अपनी स्टंनिग अंदाज से लोगों को दिल छू लिया. उनका वैलकैम बिहारी अंदाज में किया जो कियो लोग उनके फैन हो गए.

रश्मिका मंदाना ने पटना के लोगों से भोजपुरी अंदाज में वैलकम किया और कहा कि ‘का हाल बा’    ‘सब ठीकठाक बा नू…’ इस पर लोगों ने पहले हुटिंग शुरु कर दी. कराऊड भी जमकर था. पौपुलर फिल्म और एक्ट्रैस को इस अंदाज में देखने से कौन बचना चहता है. रश्मिका ने स्टेज पर ये भी कहा कि आप लोग जरूर जरूर 5 दिसंबर को मूवी देखिएगा.

वहीं, इस दौरान अल्लू अर्जुन(Allu Arjun) ने कहा कि ‘पुष्पा झुकेगा नहीं लेकिन पटना वालों के सामने आज पुष्पा झुकेगा. इस पर पटना ही भीड़ हंस कर उनका स्वागत करने लगी. अल्लू अर्जुन आगे कहते है कि मेरी हिंदी इतनी अच्छी नहीं है, लेकिन आप लोग का मैं धन्यवाद देता हूं. वही, एक्ट्रैस के भोजपुरी अंदाज से तो सभी खुशी थे कि जाते जाते मंच से रश्मिका ने सभी को ‘आई लव यू’ कह कर अलविदा लिया.

बता दें कि पुष्पा 2 के ट्रेलर लौन्चिंग के दौरान कई अन्य प्रोडक्शन से जुड़े सदस्य भी आज राजधानी पटना में मौजूद रहे. पटना के गांधी मैदान में लाखों की संख्या में लोग फिल्म के ट्रेलर देखने पहुंचे थे. वहीं, इस दौरान सुरक्षा को लेकर भी पुख्ते इंतजाम किए गए थे.

पति ने दिया बेवफा पत्नी और उसके लवर को अंजाम

मंगलवार की शाम लगभग 4 बजे का समय था. उसी समय आगरा जिले के थाना मनसुखपुरा में खून से सने हाथ और कपड़ों में एक युवक पहुंचा. पहरे की ड्यूटी पर तैनात सिपाही के पास जा कर वह बोला, ‘‘स…स…साहब, बड़े साहब कहां हैं, मुझे उन से कुछ बात कहनी है.’’

थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिंह उस समय थाना प्रांगण में धूप में बैठे कामकाज निपटा रहे थे. उन्होंने उस युवक की बात सुन ली थी, नजरें उठा कर उन्होंने उस की ओर देखा और सिपाही से अपने पास लाने को कहा. सिपाही उस शख्स को थानाप्रभारी के पास ले गया. थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिंह उस से कुछ पूछते, इस से पहले ही वह शख्स बोला, ‘‘साहब, मेरा नाम ऋषि तोमर है. मैं गांव बड़ापुरा में रहता हूं. मैं अपनी पत्नी और उस के प्रेमी की हत्या कर के आया हूं. दोनों की लाशें मेरे घर में पड़ी हुई हैं.’’

ऋषि तोमर के मुंह से 2 हत्याओं की बात सुन कर ओमप्रकाश सिंह दंग रह गए. युवक की बात सुन कर थानाप्रभारी के पैरों के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गई. वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मी ऋषि को हैरानी से देखने लगे.

थानाप्रभारी के इशारे पर एक सिपाही ने उसे हिरासत में ले लिया. ओमप्रकाश सिंह ने टेबल पर रखे कागजों व डायरी को समेटा और ऋषि को अपनी जीप में बैठा कर मौकाएवारदात पर निकल गए.

हत्यारोपी ऋषि तोमर के साथ पुलिस जब मौके पर पहुंची तो वहां का मंजर देख होश उड़ गए. कमरे में घुसते ही फर्श पर एक युवती व एक युवक के रक्तरंजित शव पड़े दिखाई दिए. कमरे के अंदर ही चारपाई के पास फावड़ा पड़ा था.

दोनों मृतकों के सिर व गले पर कई घाव थे. लग रहा था कि उन के ऊपर उसी फावडे़ से प्रहार कर उन की हत्या की गई थी. कमरे का फर्श खून से लाल था. थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत कराया.

डबल मर्डर की जानकारी मिलते ही मौके पर एसपी (पश्चिमी) अखिलेश नारायण सिंह, सीओ (पिनाहट) सत्यम कुमार पहुंच गए. उन्होंने थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिंह से घटना की जानकारी ली. वहीं पुलिस द्वारा मृतक युवक दीपक के घर वालों को भी सूचना दी गई.

कुछ ही देर में दीपक के घर वाले रोतेबिलखते घटनास्थल पर आ गए थे. इस बीच मौके पर भीड़ एकत्र हो गई. ग्रामीणों को पुलिस के आने के बाद ही पता चला था कि घर में 2 मर्डर हो गए हैं. इस से गांव में सनसनी फैल गई. जिस ने भी घटना के बारे में सुना, दंग रह गया.

दोहरे हत्याकांड ने लोगों का दिल दहला दिया. पुलिस ने आला कत्ल फावड़ा और दोनों लाशों को कब्जे में लेने के बाद लाशें पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दीं. इस के बाद थानाप्रभारी ने हत्यारोपी ऋषि तोमर से पूछताछ की तो इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला आगरा के थाना मनसुखपुरा के गांव बड़ापुरा के रहने वाले ऋषि तोमर की शादी लक्ष्मी से हुई थी. लक्ष्मी से शादी कर के ऋषि तो खुश था, लेकिन लक्ष्मी उस से खुश नहीं थी. क्योंकि ऋषि उस की चाहत के अनुरूप नहीं था.

ऋषि मेहनती तो था, लेकिन उस में कमी यह थी कि वह सीधासादा युवक था. वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं था. बड़ापुरा में कोई अच्छा काम न मिलने पर वह दिल्ली जा कर नौकरी करने लगा.

करीब 2 साल पहले की बात है. ससुराल में ही लक्ष्मी की मुलाकात यहीं के रहने वाले दीपक से हो गई. दोनों की नजरें मिलीं तो उन्होंने एकदूसरे के दिलों में जगह बना ली.

पहली ही नजर में खूबसूरत लक्ष्मी पर दीपक मर मिटा था तो गबरू जवान दीपक को देख कर लक्ष्मी भी बेचैन हो उठी थी. एकदूसरे को पाने की चाहत में उन के मन में हिलोरें उठने लगीं. पर भीड़ के चलते वे आपस में कोई बात नहीं कर सके थे, लेकिन आंखों में झांक कर वे एकदूसरे के दिल की बातें जरूर जान गए थे.

बाजार में मुलाकातों का सिलसिला चलने लगा. मौका मिलने पर वे बात भी करने लगे. दीपक लक्ष्मी के पति ऋषि से स्मार्ट भी था और तेजतर्रार भी. बलिष्ठ शरीर का दीपक बातें भी मजेदार करता था. भले ही लक्ष्मी के 3 बच्चे हो गए थे, लेकिन शुरू से ही उस के मन में पति के प्रति कोई भावनात्मक लगाव पैदा नहीं हुआ था.

लक्ष्मी दीपक को चाहने लगी थी. दीपक हर हाल में उसे पाना चाहता था. लक्ष्मी ने दीपक को बता दिया था कि उस का पति दिल्ली में नौकरी करता है और वह बड़ापुरा में अपनी बेटी के साथ अकेली रहती है, जबकि उस के 2 बच्चे अपने दादादादी के पास रहते थे.

मौका मिलने पर लक्ष्मी ने एक दिन दीपक को फोन कर अपने गांव बुला लिया. वहां पहुंच कर इधरउधर की बातों और हंसीमजाक के बीच दीपक ने लक्ष्मी का हाथ अपने हाथ में ले लिया. लक्ष्मी ने इस का विरोध नहीं किया.

दीपक के हाथों का स्पर्श कुछ अलग था. लक्ष्मी का हाथ अपने हाथ में ले कर दीपक सुधबुध खो कर एकटक उस के चेहरे पर निगाहें टिकाए रहा. फिर लक्ष्मी भी सीमाएं लांघने लगी. इस के बाद दोनों ने मर्यादा की दीवार तोड़ डाली.

एक बार हसरतें पूरी होने के बाद उन की हिम्मत बढ़ गई. अब दीपक को जब भी मौका मिलता, उस के घर पहुंच जाता था. ऋषि के दिल्ली जाते ही लक्ष्मी उसे बुला लेती फिर दोनों ऐश करते. अवैध संबंधों का यह सिलसिला करीब 2 सालों तक ऐसे ही चलता रहा.

लेकिन उन का यह खेल ज्यादा दिनों तक लोगों की नजरों से छिप नहीं सका. किसी तरह पड़ोसियों को लक्ष्मी और दीपक के अवैध संबंधों की भनक लग गई. ऋषि के परिचितों ने कई बार उसे उस की पत्नी और दीपक के संबंधों की बात बताई.

लेकिन वह इतना सीधासादा था कि उस ने परिचितों की बातों पर ध्यान नहीं दिया. क्योंकि उसे अपनी पत्नी पर पूरा विश्वास था, जबकि सच्चाई यह थी कि लक्ष्मी पति की आंखों में धूल झोंक कर हसरतें पूरी कर रही थी.

4 फरवरी, 2019 को ऋषि जब दिल्ली से अपने गांव आया तो उस ने अपनी पत्नी और दीपक को ले कर लोगों से तरहतरह की बातें सुनीं. अब ऋषि का धैर्य जवाब देने लगा. अब उस से पत्नी की बेवफाई और बेहयाई बिलकुल बरदाश्त नहीं हो रही थी. उस ने तय कर लिया कि वह पत्नी की सच्चाई का पता लगा कर रहेगा.

ऋषि के दिल्ली जाने के बाद उस की बड़ी बेटी अपनी मां लक्ष्मी के साथ रहती थी और एक बेटा और एक बेटी दादादादी के पास गांव राजाखेड़ा, जिला धौलपुर, राजस्थान में रहते थे.

ऋषि के दिमाग में पत्नी के चरित्र को ले कर शक पूरी तरह बैठ गया था. वह इस बारे में लक्ष्मी से पूछता तो घर में क्लेश हो जाता था. पत्नी हर बार उस की कसम खा कर यह भरोसा दिला देती थी कि वह गलत नहीं है बल्कि लोग उसे बेवजह बदनाम कर रहे हैं.

घटना से एक दिन पूर्व 4 फरवरी, 2019 को ऋषि दिल्ली से गांव आया था. दूसरे दिन उस ने जरूरी काम से रिश्तेदारी में जाने तथा वहां 2 दिन रुक कर घर लौटने की बात लक्ष्मी से कही थी. बेटी स्कूल गई थी. इत्तफाक से ऋषि अपना मोबाइल घर भूल गया था, लेकिन लक्ष्मी को यह पता नहीं था. करीब 2 घंटे बाद मोबाइल लेने जब घर आया तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था.

उस ने दरवाजा थपथपाया. पत्नी न तो दरवाजा खोलने के लिए आई और न ही उस ने अंदर से कोई जवाब दिया. तो ऋषि को गुस्सा आ गया और उस ने जोर से धक्का दिया तो कुंडी खुल गई.

जब वह कमरे के अंदर पहुंचा तो पत्नी और उस का प्रेमी दीपक आपत्तिजनक स्थिति में थे. यह देख कर उस का खून खौल उठा. पत्नी की बेवफाई पर ऋषि तड़प कर रह गया. वह अपना आपा खो बैठा. अचानक दरवाजा खुलने से प्रेमी दीपक सकपका गया था.

ऋषि ने सोच लिया कि वह आज दोनों को सबक सिखा कर ही रहेगा. गुस्से में आगबबूला हुए ऋषि कमरे से बाहर आया.

वहां रखा फावड़ा उठा कर उस ने दीपक पर ताबड़तोड़ प्रहार किए. पत्नी लक्ष्मी उसे बचाने के लिए आई तो फावड़े से प्रहार कर उस की भी हत्या कर दी. इस के बाद दोनों की लाशें कमरे में बंद कर वह थाने पहुंच गया.

ऋषि ने पुलिस को बताया कि उसे दोनों की हत्या पर कोई पछतावा नहीं है. यह कदम उसे बहुत पहले ही उठा लेना चाहिए था. पत्नी ने उस का भरोसा तोड़ा था. उस ने तो पत्नी पर कई साल भरोसा किया.

उधर दीपक के परिजन इस घटना को साजिश बता रहे थे. उन का आरोप था कि दीपक को फोन कर के ऋषि ने अपने यहां बहाने से बुलाया था. घर में बंधक बना कर उस की हत्या कर दी गई. उन्होंने शक जताया कि इस हत्याकांड में अकेला ऋषि शामिल नहीं है, उस के साथ अन्य लोग भी जरूर शामिल रहे होंगे.

मृतक दीपक के चाचा राजेंद्र ने ऋषि तोमर एवं अज्ञात के खिलाफ तहरीर दे कर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई.

पुलिस ने हत्यारोपी ऋषि से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया.

उधर पोस्टमार्टम के बाद लक्ष्मी के शव को लेने उस के परिवार के लोग नहीं पहुंचे, जबकि दीपक के शव को उस के घर वाले ले गए.

हालांकि मृतका लक्ष्मी के परिजनों से पुलिस ने संपर्क भी किया, लेकिन उन्होंने अनसुनी कर दी. इस के बाद पुलिस ने लक्ष्मी के शव का अंतिम संस्कार कर दिया. थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिंह मामले की तफ्तीश कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दो चूक पर, पति बना खूनी, अपनी ही पत्नी की कर दी हत्या

उत्तर प्रदेश के महानगर मुरादाबाद का एक इलाका है लाइनपार. समय के साथ अब यह इलाका काफी विकसित हो चुका है, जिस के चलते अब यहां की आबादी काफी बढ़ गई है. बात 9 मई, 2019 की है. रात के करीब साढ़े 11 बजे थे. दुर्गानगर, लाइनपार के अधिकांश लोग उस समय अपनेअपने घरों में सो चुके थे. तभी अचानक हुए एक फायर की आवाज ने कुछ लोगों की नींद उड़ा दी.

गोली की आवाज सुनते ही कुछ लोग अपनेअपने घरों से बाहर निकल आए और जानने की कोशिश करने लगे कि आवाज कहां से आई. पता चला कि गोली चलने की आवाज विष्णु शर्मा के घर से आई थी. उस के घर का दरवाजा भी खुला हुआ था.

लोगों ने जिज्ञासावश उस के घर में झांक कर देखा तो एक महिला फर्श पर गिरी पड़ी थी और फर्श पर काफी खून भी फैला हुआ था. यह देख कर किसी की भी उस के घर के अंदर जाने की हिम्मत नहीं हुई. मामले की गंभीरता को देखते हुए किसी ने फोन द्वारा सूचना थाना मझोला को दे दी. थानाप्रभारी विकास सक्सेना रात की गश्त पर निकलने वाले थे. उन्हें यह सूचना मिली तो पुलिस टीम के साथ वह दुर्गानगर के लिए रवाना हो गए.

दुर्गानगर में लोगों से पूछताछ करते हुए पुलिस विष्णु शर्मा के घर पहुंच गई. उस समय वहां खड़े पड़ोस के लोग कानाफूसी कर रहे थे. विष्णु शर्मा के घर का दरवाजा खुला हुआ था. थानाप्रभारी टीम के साथ उस के घर में घुस गए. उन के पीछेपीछे मोहल्ले के लोग भी आ गए. तभी उन्होंने देखा कि फर्श पर एक महिला लहूलुहान पड़ी हुई थी. वहीं पर एक शख्स खड़ा था. उस ने अपना नाम विष्णु शर्मा बताया. वहीं बिछी चारपाई पर एक देशी तमंचा भी रखा हुआ था.

पुलिस ने सब से पहले वह तमंचा अपने कब्जे में लिया. इस के बाद थानाप्रभारी और मोहल्ले के लोगों ने घायलावस्था में पड़ी महिला की नब्ज टटोली तो पता चला कि उस की मौत हो चुकी है. विष्णु शर्मा ने बताया कि मृतका उस की पत्नी आशु है. विष्णु ने बताया कि इस ने आत्महत्या कर ली है. तमंचा यह साथ लाई थी.
विष्णु की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंकते हुए बोले, ‘‘क्या यह तुम्हारे साथ नहीं रहती थी?’’

‘‘नहीं सर, यह पिछले काफी दिनों से दोनों बच्चों को ले कर अपने प्रेमी सनी के साथ कांशीराम नगर में रह रही थी.’’ विष्णु ने बताया. थानाप्रभारी ने इस बिंदु पर फिलहाल विस्तार से जांच करना जरूरी नहीं समझा. उन्होंने हत्या के इस मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना पा कर रात में ही सीओ (सिविल लाइंस) राजेश कुमार भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस ने अगले दिन जरूरी काररवाई कर के आशु की लाश पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा दी. चूंकि घटना के संबंध में पुलिस को विष्णु शर्मा से पूछताछ करनी थी, इसलिए वह उसे थाना मझोला ले गई. सीओ राजेश कुमार भी मझोला थाने पहुंच गए.

सीओ राजेश कुमार की मौजूदगी में थानाप्रभारी विकास सक्सेना ने विष्णु शर्मा से पूछताछ की. उस ने बताया, ‘‘करीब 8-9 महीने पहले आशु अपने पुराने प्रेमी सनी नागपाल के साथ भाग गई थी. अपनी दोनों बेटियों को भी वह साथ ले गई थी. पिछले कई दिनों से आशु मेरे ऊपर काफी दबाव बना रही थी कि मैं दोनों बेटियों को अपने पास रख लूं. लेकिन मैं ने उन्हें पास रखने से मना कर दिया था.

‘‘कल रात साढ़े 11 बजे उस ने आ कर दरवाजा पीटना शुरू कर दिया. जैसे ही मैं ने किवाड़ खोले, आशु अंदर आ गई. बाहर उस का प्रेमी सनी नागपाल और दोनों बेटियां खड़ी थीं. घर में घुसते ही वह मुझ से इस बात पर झगड़ने लगी कि मैं बेटियों को अपने पास रख लूं. जिद में मैं ने भी मना कर दिया.

‘‘तभी उस ने अपने साथ लाए तमंचे से खुद को गोली मार ली. मैं ने उसे रोकना भी चाहा लेकिन तब तक वह गोली चला चुकी थी. आशु के नीचे गिरते ही सनी नागपाल दोनों बच्चों को अपने साथ ले कर भाग गया.’’

पूछताछ के दौरान थानाप्रभारी को विष्णु शर्मा के मुंह से शराब की दुर्गंध आती महसूस हुई तो उन्होंने पूछा, ‘‘तुम ने शराब पी रखी है?’’
‘‘हां सर, मैं ने कल रात पी थी.’’ विष्णु शर्मा ने कहा.

दोनों पुलिस अधिकारियों को विष्णु की बातों में झोल नजर आ रहा था. इस की वजह यह थी कि जिस तमंचे से आशु को गोली लगी थी, वह उस की लाश से दूर चारपाई पर रखा था. ऐसा संभव नहीं था कि खुद को गोली मारने के बाद वह चारपाई पर तमंचा रखने जाए. अगर आशु ने खुद को गोली मारी होती तो तमंचा उस की लाश के नजदीक ही पड़ा होता.

सीओ राजेश कुमार के निर्देश पर थानाप्रभारी ने विष्णु शर्मा से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने कहा कि आशु की हत्या उस के हाथों ही हुई है. पत्नी की हत्या की उस ने जो कहानी बताई, वह हैरान कर देने वाली निकली—

आशु शर्मा का प्रेमी सनी नागपाल मूलरूप से मुरादाबाद के लाजपतनगर का रहने वाला था. उस के पिता कोयला कारोबारी हैं. उन्होंने कोयले का डिपो गोविंदनगर सरस्वती विहार में बना रखा था. डिपो के पास में ही आशु का घर था.

सनी नागपाल कारोबार के सिलसिले में अकसर कोयले की डिपो पर आता रहता था. वहीं पर उस की मुलाकात आशु से हुई थी. यह करीब 10 साल पुरानी बात है. यह मुलाकात पहले दोस्ती में बदली और फिर प्यार में. सनी नागपाल पैसे वाला था, इसलिए वह आशु पर दिल खोल कर पैसे खर्च करता था.

इसी दौरान आशु के घर वालों ने उस का रिश्ता शहर के ही दुर्गानगर निवासी विष्णु शर्मा से कर दिया. विष्णु उस समय बीए में पढ़ रहा था. सन 2009 में विष्णु शर्मा और आशु का सामाजिक रीतिरिवाज से विवाह हो गया.

विष्णु के पिता अशोक शर्मा थाना हयातनगर, संभल के कस्बा एंचोली के रहने वाले थे. वह खेतीकिसानी करते थे. उन के पास खेती की अच्छीखासी जमीन थी. विष्णु पत्नी के साथ मुरादाबाद में रहता था. आटा, दाल, चावल आदि सामान उस के गांव से आ जाता था. विष्णु व आशु दोनों हंसीखुशी से रह रहे थे.

इसी दौरान आशु ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. आशु अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी. लिहाजा विष्णु ने अपने खर्च से आशु को अंगरेजी विषय से एमए कराया. इसी दौरान आशु 2 बेटियों की मां बन गई. ग्रैजुएशन के बाद भी विष्णु बेरोजगार था. उस की सास कृष्णा शर्मा समाजवादी पार्टी की नेता थीं, उन्होंने पार्षद का चुनाव भी लड़ा था.

सास ने दिलाई नौकरी

अपनी पहुंच के चलते उन्होंने दामाद विष्णु की भारतीय खाद्य निगम में संविदा के आधार पर मुंशी के पद पर नौकरी लगवा दी. एफसीआई का गोदाम मुरादाबाद के लाइनपार में ही था, विष्णु के घर के एकदम पास था. वह मन लगा कर नौकरी करने लगा.

आशु शर्मा शुरू से ही जिद्दी और महत्त्वाकांक्षी थी. उस के शौक महंगे थे. मौल में शौपिंग करना, स्टाइलिश कपड़े पहनना उस का शगल था. शुरुआती सालों में विष्णु पत्नी की हर जरूरत पूरी करता रहा. लेकिन बाद में वह पत्नी की बढ़ती महत्त्वाकांक्षाओं और खर्च को पूरा करने में असफल हो गया तो उस ने पत्नी को मौल में शौपिंग करानी बंद कर दी.

घटना से करीब एक साल पहले आशु अचानक बिना बताए दोनों बेटियों को साथ ले कर घर से गायब हो गई. विष्णु व आशु के मायके वालों ने उसे बहुत तलाश किया, पर वह नहीं मिली. इस पर विष्णु ने पत्नी की गुमशुदगी थाना मझोला में दर्ज करवा दी.
बाद में पता चला कि वह अपने पुराने प्रेमी सनी नागपाल के साथ कांशीराम नगर में किराए का कमरा ले कर लिवइन रिलेशन में रह रही है. जब यह बात विष्णु और आशु के मायके वालों को पता चली तो उन्होंने आशु को समझाया और घर चलने को कहा. लेकिन आशु अपने प्रेमी सनी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुई.

आशु की शादी विष्णु से होने के बाद भी उस का प्रेमी सनी नागपाल उसे भूला नहीं था. 2 बच्चों की मां बनने के बाद भी आशु बनठन कर रहती थी. लगता ही नहीं था कि वह 2 बच्चों की मां है.

आशु जानती थी कि उस का प्रेमी सनी पैसे वाला है. उस की कभीकभी सनी से फोन पर बात होती रहती थी. सनी नागपाल उसे पहले की तरह ही चाहता था. साथसाथ गुजारे पुराने पलों को दोनों भूले नहीं थे. फलस्वरूप दोनों में फिर से नजदीकियां बढ़ने लगी.

आशु को लग रहा था कि विष्णु के साथ रह कर उस के सपने पूरे नहीं हो सकेंगे, लिहाजा वह पति को छोड़ कर प्रेमी सनी नागपाल के पास पहुंच गई.
इस के बाद दोनों तरफ के रिश्तेदारों ने कई बार पंचायत की लेकिन आशु की जिद की वजह से यह कोशिश भी नाकाम साबित हुई. करीब 10 महीने से आशु अपने प्रेमी सनी नागपाल के साथ रह रही थी.

उधर सनी नागपाल भी शादीशुदा था. उस की पत्नी का नाम सिमरन था और वह 2 बच्चों की मां थी. उस की बड़ी बेटी 9 साल की और बेटा 5 साल का था.
जब सनी नागपाल की पत्नी सिमरन को पता चला कि उस का पति अपनी प्रेमिका आशु के साथ कांशीराम नगर में रह रहा है, तो उस ने मार्च 2019 में महिला थाने में पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी.

रिपोर्ट दर्ज हो जाने के बाद महिला थाने की पुलिस ने सनी नागपाल को गिरफ्तार कर लिया. उस के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दे कर कहा कि जब ये दोनों बालिग हैं तो दोनों को साथ रहने की आजादी है.

आशु जब अपनी मरजी से विष्णु के साथ रह रही है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. इस के बाद पुलिस ने सनी नागपाल को 41ए का नोटिस दे कर थाने से ही जमानत पर रिहा कर दिया.

आशु को पति से प्रेमी लगा प्यारा

आशु शर्मा खुले हाथ खर्च करना चाहती थी, जो उस के पति विष्णु के बूते की बात नहीं थी, इसलिए वह पति को छोड़ कर प्रेमी सनी के साथ रह रही थी.

उधर सनी नागपाल ने आशु से कहा, ‘‘आशु, देखो मैं ने तुम्हारी खातिर अपनी पत्नी और दोनों बच्चों को छोड़ दिया है. इसलिए अब तुम भी अपनी दोनों बेटियों को विष्णु के पास छोड़ आओ. उन की परवरिश विष्णु करेगा. फिर हम दोनों आराम से रहेंगे.’’

घटना से एक दिन पहले आशु ने अपनी बड़ी बहन नीरज शर्मा से फोन पर बात की. तब उस ने कहा कि दीदी मैं अब बहुत परेशान हो गई हूं. अपनी दोनों बेटियों को विष्णु को सौंप कर सेटल होना चाहती हूं.उधर विष्णु को जब अपनी पत्नी की जुदाई बरदाश्त नहीं हुई तो उस ने शराब पीनी शुरू कर दी. आशु भी आए दिन विष्णु को फोन करती रहती थी कि बच्चे याद कर रहे हैं. वे अब तुम्हारे पास ही रहेंगे. क्योंकि बच्चों के असली पिता तुम ही हो.

आशु वाट्सऐप से बच्चों की तसवीरें विष्णु के फोन पर भेजती रहती थी. कई बार उस ने विष्णु को नानवेज खाते हुए भी फोटो भेजे थे. विष्णु पूरी तरह से शाकाहारी था, इसलिए उसे आशु पर बहुत गुस्सा आया कि उस ने बच्चों को नानवेज खाना सिखा दिया. उस ने पत्नी को बहुत समझाया कि वह बच्चों को नानवेज न खिलाए और उन्हें ले कर आ जाए, लेकिन वह नहीं मानी.

घटना वाले दिन 9 मई, 2019 की रात में आशु व सनी नागपाल ने दोनों बेटियों के साथ एक होटल में खाना खाया. वहीं पर दोनों ने प्लान बनाया कि दोनों बेटियों को विष्णु के हवाले कर आएंगे. आशु बोली, ‘‘रात घिरने दो. मैं जब विष्णु के पास जाऊंगी तो वह मेरी बात नहीं टालेगा. वैसे भी वह रात में ड्रिंक किए होगा. मेरी बात मान लेगा.’’

आशु की दोनों बेटियों ने मना किया कि हमें पापा के पास क्यों ले जा रहे हो. हम वहां पर क्या करेंगे. घर पर वह अकेले रहते हैं, खुद जब पापा ड्यूटी पर चले जाया करेंगे तो हमें कौन देखेगा. हम वहां बोर हो जाएंगे. पर आशु ने उन की बातों को अनसुना कर दिया.

योजना के अनुसार सनी नागपाल व आशु अपनी दोनों बेटियों के साथ 9 मई की रात करीब साढ़े 11 बजे विष्णु के दुर्गानगर स्थित घर पहुंचे. उस समय विष्णु गहरी नींद में सोया हुआ था. वहां पहुंच कर आशु ने दरवाजा पीटना शुरू किया. इस से विष्णु की नींद टूट गई. वह उठा और अपनी सुरक्षा के लिए अंटी में .315 बोर का तमंचा लोड करके रख लिया. उस समय वह शराब के नशे में था.
दरवाजे पर पहुंच कर विष्णु ने आवाज लगाई, ‘‘कौन है?’’

तो बाहर से आवाज आई, ‘‘मैं तुम्हारी पत्नी आशु हूं. कुंडी खोलो, कुछ बात करनी है.’’
‘‘बात करनी है तो कल दिन में आना.’’ विष्णु ने कहा.
तब आशु ने जोर दे कर कहा, ‘‘देखो कोई जरूरी बात करनी है. दरवाजा तो खोलो.’’
विष्णु ने दरवाजा खोला तो देखा, बाहर उस का सनी, जिस ने उस का घर उजाड़ दिया था, दोनों बेटियों को लिए खड़ा था.
विष्णु बोला, ‘‘बताओ, क्या काम है?’’

‘‘देखो, मुझे सेटल होना है. बच्चियां तुम्हारी हैं इसलिए इन्हें तुम्हारे हवाले करने आई हूं. आज से तुम इन दोनों की परवरिश करना.’’ आशु बोली.विष्णु ने साफ मना कर दिया कि जो लोग मांस खाते हैं, उन से उस का कोई संबंध नहीं है, ‘‘तुम ही बेटियों को मांस खिलाती हो.’’
इस बात को ले कर आशु व विष्णु में बहस होने लगी. बात मारपीट तक पहुंच गई. दोनों में मारपीट व गुत्थमगुत्था होने लगी. तभी विष्णु ने अंटी में लगा तमंचा निकाल लिया. तमंचा देख कर आशु पहले तो घबरा गई फिर उस ने तमंचा छीनने की कोशिश की. इसी दौरान विष्णु ने फायर कर दिया. गोली लगते ही आशु जमीन पर गिर पड़ी. कुछ देर छटपटाने के बाद उस की मृत्यु हो गई.

फायर की आवाज सुन कर मकान के बाहर खड़ा सनी उस की दोनों बेटियों को ले कर भाग खड़ा हुआ. विष्णु ने तमंचा वहीं चारपाई पर रख दिया.
विष्णु शर्मा से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर मुरादाबाद की जेल भेज दिया. उधर आशु का प्रेमी उस की दोनों बेटियों को ले कर रात में ही आशु की बहन नीरज शर्मा के घर पीतल बस्ती पहुंचा.
वह बोला, ‘‘आशु का विष्णु से झगड़ा हो गया है. तुम इन लड़कियों को अपने पास रख लो.’’

नीरज ने लड़कियों को रखने से मना कर दिया. आशु का फोन सनी नागपाल के पास था. पुलिस ने फोन किया तो फोन सनी नागपाल ने उठाया. पुलिस ने पूछा कि लड़कियां कहां हैं. उस ने बताया कि लड़कियां मेरे पास हैं. पर उस ने पुलिस को जगह नहीं बताई कि वह कहां है.

थानाप्रभारी विकास सक्सेना के नेतृत्व में एक टीम सनी नागपाल को उस के फोन की लोकेशन के आधार पर तलाशने लगी लेकिन उस के फोन की लोकेशन बारबार बदलती रही. इस के अलावा टीम उस के संभावित ठिकानों पर दबिश देने लगी.
सनी गिरफ्तारी से बचने के लिए साईं अस्पताल के सामने कांशीराम गेट के पास पहुंच गया. वहां से वह दिल्ली भागने की फिराक में था.

वह दिल्ली जाने वाली बस का इंतजार कर रहा था. तभी मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीम ने उसे हिरासत में ले लिया. यह 19 मई, 2019 की बात है. पुलिस ने सनी नागपाल से पूछताछ कर उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

सौजन्य- मनोहर कहानियां, जुलाई 2019

टीम इंडिया के कैप्‍टन Rohit Sharma दोबारा बने पापा, नन्‍हे हिटमैन की फोटो वायरल

कुछ महीने पहले यह चर्चा काफी तेज थे क‍ि रोहित(Rohit) की पत्‍नी रितिका(Ritika) प्रैग्‍नेंट है लेकिन इस पर कपल में से किसी ने खुल कर कुछ कहा नहीं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रोहित की वाइफ रितिका ने 15 नवंबर की देर रात को बेटे को जन्‍म दिया है. ऐसा कहा जा रहा है कि रोहित ने इसी वजह से स्‍पोर्ट्स से थोड़ा ब्रेक लिया था और टीम के साथ आष्‍ट्रेलिया (Australia) नहीं पहुंचे. अब ऐसा कहा जा रहा है कि वे 22 नवंबर से आष्‍ट्रेलिया के पर्थ में टेस्‍ट मैच खेल सकते हैं. रोहित और रीतिका साल 2015 में शादी के बंधन में बंधे थे. साल 2018 में उनकी बेटी सायरा का जन्‍म हुआ. यह कपल अकसर अपनी बेटी के साथ सैरसपाटे करते देखा जाता है. सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रहा है, जो न्‍यू बौर्न बेबी और उनके पैरेंट्स का बताया जा रहा है.

केएल राहुल भी इस लाइन ने

इन दिनों इंडियन क्रिकेट टीम (Indian Cricket team)से केवल गुड न्‍यूज ही आ रही है. पिछले दिनों यह खबर आई कि टीम इंडिया के बैट्समैन केएल राहुल भी पापा बनने वाले हैं. केएल राहुल की शादी एक्‍टर सुनील शेट्टी(Sunil Shetty) की बिटिया अथिया शेट्टी के साथ हुई है. जनवरी 2025 में अथिया बच्‍चे को जन्‍म दे सकती हैं. टीम इंडिया के फैंस को पता है कि साल 2024 में ही विराट कोहली(Virat Kohli) भी दोबारा पिता बने. कुछ दिन पहले उनके जन्‍मदिन पर उनकी पत्‍नी अनुष्‍का शर्मा (Anushka Sharma) ने उनकी एक फोटो पोस्‍ट की थी, जिसमें वह अपने बेटे और बेटी के साथ दिखे. विराट ने अपने बेटे का नाम अकाय रखा है.

टीम इंडिया का अगला टारगेट आष्‍ट्रेलिया

आष्‍ट्रेलिया के पर्थ में 22 नवंबर से मैच खेला जाएगा. इसके बाद 6 दिसंबर से एडीलेड में भी डेनाइट टेस्‍ट मैच होगा. कहा जा रहा है कि 32 साल बाद टीम इंडिया आष्‍ट्रैलिया में 5 टेस्‍ट मैचों की सीरीज खेलने पहुंची है. उम्‍मीद है कि इस साल पूरी टीम उसी देश में न्‍यू ईयर पार्टी के जश्‍न का आनंद ले क्‍योंकि सीरीज का पांचवा और आखिरी टेस्‍ट मैच 3 जनवरी को खेला जाएगा, जो सिडनी में होगा. वर्ल्‍ड टेस्‍ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए भारत को वहां पर 4 टेस्‍ट मैच जीतने होंगे इसलिए यह कहा जा सकता है कि टीम को पूरी तरह तैयार रहना होगा.

‘गजबन’ छोरी ने फिर किया कमाल, सपना चौधरी दूसरी बार बनीं बेटे की मां

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी (Sapna Choudhary) ने एक बार फिर से फैंस को सरप्राइज किया है. एक्ट्रेस दोबारा मां बन गई हैं जिसका खुलासा उन्होंने खुद एक स्टेज शो में किया. एक्ट्रेस का ये दूसरा बेटा है. पहले बेटे का नाम सपना ने पोरस रखा था और दूसरे बेटे के नाम का भी खुलासा पंजाबी सिंगर बब्बू मान ने सपना और उनके पति वीर साहू की मौजूदगी में किया.

 

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हरियाणवी डांसर सपना चौधरी अपने गानें, अदाओं और हरियाणी फिल्मों के लिए काफी मशहूर है. सपना चौधरी एक समय पर स्टेज डांसर हुआ करती थी, जहां लाखों की भीड़ उमड़ जाती थी. लेकिन ज्यादा पौपुलर सपना चौधरी तब हुई जब उनके सुसाइड केस की खबरे मीडिया में छा गई थी. इसके बाद सपना चौधरी को बिग बौस में एंट्री मिली थी. सपना चौधरी शो जीत तो नहीं पाई लेकिन शो से पौपुलेरिटी खूब हासिल की और आज भी उनके चाहने वालो की कमी नहीं है.

सपना चौधरी ने अपने फैंस को खुश खबरी दे दी है और अब उनकी दूसरी बार मां बनने की खबर वायरल हो रही है. एक्ट्रेस दोबारा मां बन गई हैं जिसका खुलासा उन्होंने खुद एक स्टेज शो में किया. एक्ट्रेस का ये दूसरा बेटा है. पहले बेटे का नाम सपना ने पोरस रखा था और दूसरे बेटे के नाम का भी खुलासा पंजाबी सिंगर बब्बू मान ने सपना और उनके पति वीर साहू की मौजूदगी में किया गया.

दूसरे बेटे का ये है नाम

सपना चौधरी ने पहली प्रेग्नेंसी के बाद अब दोबारी प्रेग्नेंसी भी फैंस से छिपाई. पहले बेटे के चार साल के होने के बाद अब सपना चौधरी दूसरी बार मां बन गई हैं और उनके बेटे का नाम शाह वीर है. जो एक मुस्लिम नाम है और मराठी क्लचर में काफी पौपुलर नाम है.

बब्बू मान ने किया खुलासा

सपना चौधरी और वीर साहू के दोबारा पेरेंट्स बनने की जानकारी पंजाबी सिंगर बब्बू मान (Babbu Maan) ने स्टेज पर दी. इसमें सपना चौधरी सूट पहने और सिर पर दुपट्टा डाले खड़ी दिखीं तो वहीं वीर साहू व्हाइट कलर का कुर्ता पायजामा पहने नजर आए. सामने हजारों की भीड़ है. तभी बब्बू मान अनाउंस करते हैं कि सपना और वीर के दूसरा बेटा हुआ है. बब्बू मान का ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

नवंबर को हुआ था नामकरण

सपना और वीर ने दूसरे बच्चे नामकरण 11 नवंबर को किया. बब्बू मान का ये जो इवेंट था वो हरियाणा के मदनहेड़ी गांव में रखा गया था. जहां पर पंजाब और हरियाणवी इंडस्ट्री के कई सितारे मेहमान बनकर आए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समारोह में 30 हजार लोग आए थे. जिसमें बब्बू मान ने लाइव परफौर्मेंस दी थी. लोगों ने जैसे ही सपना के दूसरे बेटे का नाम शाह वीर बताया तो वहां मौजूद लोगों ने खूब तालियां और सीटी बजाईं.

आपको बता दें, सपना चौधरी और वीर साहू ने साल 2020 में सीक्रेट वेडिंग की थी और उसके बाद ही पहले बच्चे के जन्म का ऐलान कर दिया था. हालांकि उस वक्त भी सपना ने प्रेग्नेंसी को छिपाकर रखा था और इस बार भी ऐसा ही किया था. लेकिन आपको बता दें, कि एक समय पर जब सपना चौधरी ऊंचाई की सीढ़ियां चढ़ रही थी तो उनका हमेशा यही कहना था कि वे शादी जैसे बंधन में नहीं बंधेगी

 जाने कौन है सपना चौधरी का पति

सपना चौधरी का दिल चुराने वाले वीर साहू है जो मूल रूप से हांसी से संबंध रखते हैं. वीर साहू पेशे से एक सिंगर, कंपोजर, लिरिसिस्ट और हरियाणवी एक्टर हैं. हरियाणवी इंडस्ट्री का वो जाना माना चेहरा हैं, जिन्हें बब्बू मान के नाम से भी जाना जाता है. वीर साहू कई हरियाणवी एल्बम में भी काम कर चुके है. उनके लुक्स और गानें के हरियाणवी लड़कियां फैंस है. दोनों का लंबे समय तक अफेयर रहा. फिर सपना और वीर साहू ने एक दूसरे से पहले सगाई कर ली. फिर बात शादी तक पहुंची औऱ अब दोनों दो बच्चे के पैरेंट्स बन चुके है.

सपना चौधरी के सुपरहिट गानें

मशहूर हरियाणवी डांसर सपना चौधरी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. सपना चौधरी और उनके गाने बहुत पौपुलर हैं सपना चौधरी अक्सर अपने खूबसूरत लुक्स से लोगों का दिल जीत लेती हैं. तो वहीं सपना के गानों के बिना कोई भी शादी- पार्टी पूरी नहीं होती है. इन गानों की लिस्ट में सपना चौधरी का पहला मशहूर गाना है.

  • ‘गजबन’ जो साल 2019 में आया है. इस गाने को खूब पसंद किया गया. ये गाना आज भी हर शादी- पार्टी की शान है.
  • सपना चौधरी का हरियाणवी गाना ‘दरोगा जी’ भी सुपरहिट गाना है.
  • सपना चौधरी का गाना ‘तू चीज लाजवाब’ भी अक्सर शादी- पार्टी में बजाया जाता है।
  • सपना चौधरी का गाना ‘सौलिड बाडी’ भी काफी पसंद किया जाता है, जो साल 2017 में आया.
  • सपना चौधरी का गाना ‘छोरी बिंदास’ भी साल 2017 में रिलीज हुआ था
  • सपना का गाना ‘मेहंदी वाली रात’ में सपना दुल्हन बनी हुई नजर आई थीं.

सपना चौधरी के ये सभी गानें शादियों की जान है जो हरियाणा, दिल्ली, फरीदाबाद की शान है.

दिव्या आर्यन : जब आर्यन से डिसूजा बनीं दिव्या

‘पता नहीं गाड़ियों में रात में भी एसी क्यों चलाया जाता है. माना कि गरमी से नजात पाने के लिए एसी का चलाया जाना बहुत जरूरी है, पर ऐसी भी क्या जरूरत, जो बेवजह भी इसे इस्तेमाल किया जाए,’ बस की खिड़की से बाहर देखते हुए दिव्या सोच रही थी.

मन नहीं माना तो दिव्या ने खिड़की को जरा सा खिसका भर दिया. एक हवा का तीखा कतरा आया और उस की जुल्फों से अठखेलियां करता हुआ गुजर गया. कोई टोक न दे, इसलिए दिव्या ने धीरे से खिड़की को वापस बंद कर दिया.

दिव्या आज अपने कसबे लालपुर से शहर को जा रही थी, जहां उसे कुछ दिन रुकना था, इसलिए उस ने शहर के एक होटल में एक सिंगल रूम की बुकिंग पहले से ही करा रखी थी.

‘चर्रचर्र…’ की आवाज के साथ बस रुकी. दिव्या ने बाहर की ओर देखा तो पाया कि पुलिस की चैकिंग थी.

पुलिस की सघन चैकिंग के बाद बस आगे बढ़ी. यहां से अब भी आधा सफर बाकी था.

‘अब तो लगता है कि मुझे पहुंचते हुए काफी रात हो जाएगी. और अगर ऐसा हुआ तो बसस्टैंड से होटल तक तो मुझे जाने में बड़ी परेशानी होगी,’ दिव्या सोच रही थी.

और वाकई जो दिव्या सोच रही थी, वैसा ही हुआ. बस को शहर पहुंचे हुए काफी रात हो गई. दिव्या ने अपना सामान उठाया और किसी रिकशे या कैब वाले को देखने लगी.

कई आटोरिकशे वाले खड़े थे, पर उन में से कुछ ने होटल तक जाने से ही मना कर दिया, तो कुछ सो रहे थे. कुछ में ड्राइवर थे ही नहीं.

तभी दिव्या की नजर कोने में खड़े एक आटोरिकशा पर पड़ी. वह लपक कर वहां गई तो देखा कि उस का ड्राइवर उस के अंदर बैठा हुआ सो रहा है.

‘‘ऐ आटो वाले… खाली हो… होटल रीगल तक चलोगे क्या?’’ दिव्या की आवाज पता नहीं क्यों तेज हो गई थी.

दिव्या की आवाज सुन कर आटोरिकशा वाला चौंक कर उठ गया और इधरउधर देखने लगा.

‘‘ज… जी… वह आखिरी बस आ गई क्या… मैं जरा सो गया था… हां, बताइए मैडम… कहां जाना है आप को?’’ आटोरिकशा वाले ने पूछा.

‘‘होटल रीगल जाना है मुझे,’’ दिव्या झुंझला उठी थी.

‘‘हां जी… अंदर बैठिए…’’ कह

कर आटोरिकशा वाले ने आटोरिकशा स्टार्ट कर के आगे बढ़ा दिया.

‘‘होटल रीगल यहां से कितनी दूर होगा?’’ दिव्या ने पूछा.

‘‘मैडम, कुछ नहीं तो कम से कम 16 किलोमीटर तो पड़ ही जाएगा… बात ऐसी है न मैडम कि यह बसस्टैंड शहर के काफी बाहर और सुनसान जगह पर बनवा दिया गया है, इसीलिए यहां से हर चीज दूर पड़ती है. पर, आप घबराइए मत. हम अभी आप को पहुंचाए देते हैं,’’ आटोरिकशा वाले ने कहा.

आटोरिकशा वाले का चेहरा तो नहीं दिख रहा था पर उस के कान में एक चेन में पिरोया हुआ कोई बुंदा पहना हुआ था उस ने, जो बारबार बाहर की चमक पड़ने पर रोशनी बिखेर देता था.

अचानक से आटोरिकशा के अंदर रोशनी सी भर गई. आटो वाले लड़के और दिव्या दोनों का ध्यान उस रोशनी पर गया. ये 4 लड़के थे, जो अपनी बाइक की हैडलाइट को जानबूझ कर आटोरिकशा के अंदर तक पहुंचा रहे थे.

अचानक से उस आटोरिकशा वाले ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, जितनी वह बढ़ा सकता था और मुख्य सड़क से हट कर किसी और सड़क पर आटोरिकशा चलाने लगा.

‘‘क्या हुआ… तुम इतनी तेज क्यों चला रहे हो… और आटोरिकशा को किस तरफ ले जा रहे हो… बात क्या है आखिर?’’ दिव्या ने कई सवाल दाग दिए.

‘‘जी… कुछ नहीं मैडम… आप डरिए नहीं… दरअसल, इस शहर में

कुछ भेडि़ए इनसानी भेष में रोज रात

को लड़कियों का मांस नोंचने के लिए निकल पड़ते हैं. और आज इन लोगों ने आप को अकेले देख लिया है… पर, आप डरिए नहीं. मैं इन के इरादे कामयाब नहीं होने दूंगा,’’ आंखों को रास्ते और साइड मिरर पर जमाए हुए आटोरिकशा वाला बोल रहा था.

पीछे आती हुई बाइकों ने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी और वे आटोरिकशा के बराबर में आने लगे.

आटोरिकशा वाले ने अचानक आटो को एक दिशा में लहरा दिया और आटोरिकशा के लहराने से बाइक वाला संभल नहीं पाया और उस की बाइक कंट्रोल से बाहर हो गई और वह सड़क के किनारे लहराता हुआ गिर गया.

अपने साथी को इस तरह गिरा देख कर उस का दूसरा साथी गुस्से में भर गया और बाइक चलाते हुए अंदर बैठी दिव्या के बराबर पहुंच गया, वैसे ही दिव्या ने अपने साथ में लाए हुए लेडीज छाते का एक जोरदार वार उस के हैलमैट पर किया. दूसरा सवार भी चारों खाने चित हो गया.

अपने 2 साथियों को इस तरह से चोटिल देख कर बाकी के दोनों सवारों का हौसला टूट सा गया और उन दोनों ने पीछे आना छोड़ कर अपनी बाइकों को मोड़ लिया.

उन गुंडों से पीछा छुड़ाने के चक्कर में आटोरिकशा मुख्य सड़क से भटक कर पास में छोटी सड़क पर चलने लगा था और आटोरिकशा वाला आटोरिकशा भगाता जा रहा था.

आटोरिकशा चला जा रहा था कि तभी अचानक आटोरिकशा से कुछ खटाक की आवाज आई और आटोरिकशा जहां का तहां खड़ा हो गया, जितना उस आटोरिकशा ड्राइवर को तकनीक के बारे में पता था, वह सबकुछ उस ने कर के देख लिया पर कुछ न हो सका.

‘‘मैडम, अफसोस की बात है कि हम शहर के किसी बाहरी हिस्से में आ गए हैं और वापसी का कोई उपाय नहीं है. अब हमें रात यहींकहीं काटनी होगी.’’

‘‘क्या मतलब… यहां कहां… और कैसे?’’

‘‘अब क्या करें मैडम मजबूरी है,’’ आटोरिकशा वाला बोला.

‘‘वह सामने आसमान में ऊंचाई पर एक लाल बल्ब चमक रहा है… वहां चलते हैं. जरूर वहां हमें सिर छिपाने लायक जगह मिल जाएगी,’’ अपनी उंगली दिखाते हुए आटोरिकशा वाले ने कहा और एक झटके से दिव्या का बैग उठा लिया और तेजी से चल पड़ा.

और उस का अंदाजा सही था. ये एक नई बन रही बहुमंजिला इमारत थी, जिस के एक हिस्से में कुछ मजदूर सो रहे थे और बाकी की इमारत पूरी तरह से खाली थी.

दोनों चलते हुए ऊपर वाले फ्लोर पर पहुंचे और एक कोने में सामान रख दिया.

यह सब दिव्या को बड़ा अजीब सा लग रहा था और वह यह भी सोच रही थी एक अजनबी के साथ वह इतनी देर से है, फिर भी उसे कोई असुरक्षा का भाव क्यों नहीं आ रहा है?

‘‘इधर आ जाइए मैडम… हवा अच्छी आ रही?है,’’ उस नौजवान ने बालकनी में आवाज देते हुए कहा.

‘‘वैसे, तुम्हारा नाम क्या है?’’ अचानक ही दिव्या ने पूछा.

‘‘जी… मेरा नाम आर्यन है,’’ नौजवान ने थोड़ा झिझकते हुए जवाब दिया.

‘‘वाह, क्या नाम है तुम्हारा… वैरी गुड,’’ दिव्या ने पर्स में रखे हुए बिसकुट आर्यन की ओर बढ़ाते हुए कहा.

‘‘जी मैडम… बात ऐसी है कि मेरी मां शाहरुख खान की बहुत बड़ी फैन थीं और जब फिल्म ‘मोहब्बतें’ रिलीज हुई न, तब मैं उन के पेट में था और तभी उस ने सोच लिया था कि अगर बेटा पैदा हुआ तो उस का नाम आर्यन रखेंगी.’’

आर्यन की सरल बातें सुन कर बिना मुसकराए नहीं रह सकी दिव्या.

‘‘दिखने में तो खूबसूरत लगते

हो और पढ़ेलिखे भी… फिर यह आटोरिकशा के अलावा कोई और नौकरी क्यों नहीं करते?’’ दिव्या ने पूछा.

‘‘मैडम, मैं ने एमए किया है, वह भी इंगलिश में… पर, आजकल इस पढ़ाई से कुछ नहीं होता. या तो बड़ीबड़ी डिगरी हो या फिर किसी की सिफारिश… और अपने पास दोनों ही नहीं थे, मरता क्या न करता, इसलिए आटोरिकशा ही चलाने लगा.’’

‘‘हम्म, मोहब्बतें… तो कुछ अपनी मोहब्बत के बारे में भी बताओ… किसी लड़की से प्यारव्यार भी हुआ है… या फिर,’’ दिव्या ने पूछा.

‘‘हां मैडम, मुझे भी प्यार हुआ तो था… पर अफसोस, लड़की ने धोखा दे दिया…

‘‘एक दिन की बात है, जब मैं आटोरिकशा ले कर घर वापस जा रहा था तभी सड़क के किनारे मैं ने देखा कि एक लड़का पड़ा हुआ है और उस के सिर से खून बह रहा है और भीड़ चारों तरफ खड़ी मोबाइल फोन से वीडियो बना रही है. कोई भी उस लड़के को अस्पताल ले कर नहीं जा रहा है.

‘‘उस लड़के के साथ में एक बदहवास सी लड़की भी थी, मुझे उन दोनों पर दया आई और इनसानियत के नाते मैं ने उन दोनों को अस्पताल पहुंचाया, वहां पर उस लड़के को जब खून की जरूरत पड़ी तो उस लड़की ने फिर मुझ से मदद मांगी और मुझ से कहा कि वह लड़का उस का भाई है.

‘‘मैं क्या करता, मैं ने अपना खून उस लड़के को दिया और उस की जान बचाई. उस लड़की ने मुझे खूब शुक्रिया कहा और बदले में मेरे को अपने घर का पता और अपना मोबाइल नंबर भी दिया और बदले में मेरा नंबर भी लिया, और फिर रोज सुबह ही उस लड़की का ह्वाट्सएप पर मैसेज आता और चैटिंग भी करती और मुझ से पूछती कि मैं उसे कैसी लगती हूं.

‘‘एक दिन मेरे मोबाइल पर उसी लड़की का फोन आया और उस ने मुझे अपने घर बुलाया. मैं भी उस से मिलने के लिए उतावला था, इसलिए उस के घर खूब तैयार हो कर पहुंच गया. पता नहीं क्यों मुझे लगने लगा था कि वह लड़की मुझ से प्यार करने लगी है, इसलिए मैं उस के लिए एक लाल गुलाब भी ले कर गया था.

‘‘जब मैं वहां पहुंचा तो उस ने मेरा खूब स्वागत भी किया, उस के घर में सिर्फ उस की मां ही रहती थीं, पर उस दिन वे कहीं गई हुई थीं.

‘‘जब मैं ने उस लड़की से पूछा कि उस का वह भाई कहां है, तो उस ने बताया कि वह भी मां के साथ कहीं गया है.

‘‘मैं ने मौका देख उस लड़की को शादी का प्रस्ताव दे डाला, अभी तक उस लड़की ने मेरा नाम नहीं पूछा था.

नाम पूछने पर जब मैं ने उसे अपना नाम आर्यन डिसूजा बताया, तब उस ने मेरे ईसाई होने पर ही सवाल खड़ा कर दिया. वह निराश हो कर कहने लगी कि मुझे भूल जाओ, मैं अब शादी तुम से नहीं कर सकती, क्योंकि मेरे मम्मीपापा कट्टर हिंदू हैं और वे किसी गैरधर्म वाले लड़के से मेरी शादी कभी नहीं करेंगे…

‘‘हालांकि उस के भाई को खून देने को ले कर किसी को कोई एतराज नहीं था, पर शादी की बात आते ही जातिधर्म सब आ गया…

‘‘बस मैडम, मेरी तो पहली और आखिरी कहानी यही थी,’’ इतना कह कर आर्यन चुप हो गया.

‘‘काफी अजीब कहानी है तुम्हारे प्यार की… पर है बहुत ही इमोशनल और नई सी… इस पर कोई फिल्म वाला एक फिल्म बना सकता है,’’ दिव्या ने हंसते हुए कहा.

‘‘हां जी, हो सकता है, पर आप ने अपने बारे में कुछ नहीं बताया… मसलन, आप के मांबाप…’’ आर्यन भी दिव्या की प्रेम कथा ही जानना चाहता था, पर वह बात कहने की हिम्मत नहीं कर पाया, इसलिए मांबाप के बारे में ही पूछ लिया.

‘‘मेरे पापा एक फार्मा कंपनी में काम करते थे, सेल्स का काम था तो अकसर ही घर के बाहर रहते… घर में सबकुछ था… ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं और जब घर आते तो हम सब को खूब समय और तोहफे भी देते…’’ कहतेकहते हुए चुप हो गई दिव्या.

‘‘जी… और आप की मां?’’

‘‘मां… अब उस के बारे में क्या बताऊं… उस का पेट हर तरह से भरा हुआ था, रुपए से, पैसे से… पर, कुछ औरतों को अपने जिस्म की भूख मिटाने के लिए रोज एक नया मर्द चाहिए होता है न… कुछ ऐसी ही थी मेरी मां… वे कहीं भी जाती, तो अपने लिए मुरगा तलाश ही लेतीं और उसे अपना फोन नंबर देतीं और जब वह आदमी घर तक आ जाता, तो मुझे किसी बहाने से घर के बाहर भेज देतीं और उस आदमी के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनातीं.

‘‘उन की ये हरकतें पापा को पता चलीं तो उन्होंने तुरंत ही उन्हें तलाक दे दिया और मुझे मां के पास ही छोड़ दिया.

‘‘तलाक के बाद जहां मां को संभल जाना चाहिए था, वहां वे और भी आजाद हो गईं… अब तो आदमी आते और दिनदिन भर घर पर ही पड़े रहते, बल्कि अब तो आदमी लोग शिफ्टों में आने लगे थे और मेरी मां जी भर कर सैक्स का मजा लेती थीं.

‘‘मां की हरकतें देख कर मैं ने अपने घर की छत पर जा कर खुदकुशी करने की कोशिश की… पर तभी मेरे पड़ोस में रहने वाले लड़के ने अपनी जान पर खेलते हुए मेरी जान बचाई.

‘‘मुझे भी किसी का सहारा चाहिए था, मैं उस लड़के के कंधे पर सिर रख कर खूब रोई.

‘‘उस लड़के ने मुझे ऐसे वक्त में सहारा दिया कि मुझे उस से प्यार हो जाना लाजिमी ही था, प्यार तो उस को भी मुझ से हो गया था, पर हमारी शादी के बीच मेरी मां का किरदार आ गया और उस लड़के ने मुझ से साफ कह दिया कि उस के मांबाप किसी ऐसी लड़की से उस की शादी नहीं करना चाहते, जिस की तलाकशुदा मां कई मर्दों से संबंध रखती हो…’’ इतना कह कर चुप हो गई थी दिव्या.

दोनों लोग चुप थे, रात का सन्नाटा भी बखूबी उन का साथ दे रहा था, हवा आ कर अब भी कभीकभी दिव्या की जुल्फों को उड़ा दे रही थी, जिन्हें वह परेशान हो कर बारबार संभालती थी.

‘‘पर मैडम… मेरी कहानी कुछ नई लग सकती है आप को… पर, आप की कहानी में तो सिर्फ दर्द के अलावा कुछ भी नहीं है,’’ आर्यन ने कहा.

दिव्या का कोई जवाब नहीं आया, सिर्फ एक छोटी सी सिसकी ही आई जिसे चाह कर भी वह छिपा न सकी.

‘‘तुम रो रही हो?’’ आर्यन ने पूछा.

बिना कोई जवाब दिए ही वह आर्यन के सीने से लिपट गई.

शायद बचपन से ले कर अब तक कोई कंधा नहीं मिला था उसे, जिस पर वह अपना सिर रख सके…

और आर्यन ने भी अपनी मजबूत बांहों का घेरा दिव्या के इर्दगिर्द डाल दिया था. अब वह खामोश बिल्डिंग उन के मिलन की गवाह बन रही थी.

सूरज की पहली किरण फूटी, पर वे दोनों अब भी किसी लता की तरह एकदूसरे से लिपटे हुए थे.

तभी दूर से एक दूध की गाड़ी आती दिखाई दी. दिव्या ने आर्यन का हाथ पकड़ा और आर्यन ने बैग उठाया. दोनों ने दौड़ कर उस गाड़ी में लिफ्ट मांगी.

‘‘हम कहां जा रहे हैं… और मेरा आटोरिकशा तो वहीं रह गया मैडम?’’ आर्यन ने पूछा.

‘‘अगर तुम्हें कोई दूसरा काम मिले तो करोगे?’’ दिव्या ने आर्यन से पूछा.

‘‘हां मैडम, क्यों नहीं करूंगा.’’

‘‘पर, हो सकता है कि तुम्हें उम्रभर मेरा साथ देना पड़े?’’

‘‘हां, पर तुम्हें साथ देना होगा तो ही करूंगा मैडम.’’

‘‘मैडम नहीं, दिव्या नाम है मेरा,’’ दिव्या ने कहा. बदले में आर्यन सिर्फ मुसकरा कर रह गया.

शहर आ गया था. वे दोनों पूछतेपाछते होटल रीगल पहुंच गए.

रिसैप्शन पर जा कर दिव्या ने मैनेजर से कहा, ‘‘मैं ने एक सिंगल बैडरूम बुक कराया था. मुझे आने में थोड़ी देर हो गई… पर ,अब मुझे एक सिंगल नहीं, बल्कि डबल बैडरूम चाहिए.’’

‘‘जी मैडम, किस नाम से रूम बुक था?’’ मैनेजर ने पूछा.

‘‘मेरा कमरा दिव्या नाम से बुक था, पर अब आप रजिस्टर में मेरे पति आर्यन डिसूजा और दिव्या डिसूजा का नाम लिख सकते हैं,’’ दिव्या ने आर्यन की तरफ देखते हुए कहा.

हम लोग सैक्स के दौरान कोई सावधानी नहीं बरत रहे, इस के बावजूद मैं गर्भवती नहीं हो पा रही, क्या करूं?

सवाल
मैं 25 वर्षीय युवती हूं. विवाह को 4 महीने हो चुके हैं. हम लोग सहवास के दौरान कोई सावधानी नहीं बरत रहे, इस के बावजूद मैं गर्भवती नहीं हो पा रही. मेरे पति जल्द बच्चा चाहते हैं. कृपया बताएं कि क्या हमें किसी डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए?

जवाब

अभी आप के विवाह को बहुत कम समय हुआ है. मौजमस्ती करें, जिंदगी का भरपूर लुत्फ उठाएं, क्योंकि इस तरह का समय दोबारा (परिवार की जिम्मेदारी पड़ने पर) नहीं मिलेगा. अभी संतानोत्पत्ति के लिए चिंतित नहीं होना चाहिए. कई बार गर्भ ठहरने में थोड़ा वक्त लगता है. यदि कुछ और समय बीतने पर भी आप गर्भधारण नहीं कर पातीं, तब आप दोनों किसी डाक्टर से परामर्श ले सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
सच्ची सलाह के लिए कैसी भी परेशानी टैक्स्ट या वौइस मैसेज से भेजें. मोबाइल नंबर : 08826099608.

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