Writer- ममता मेहता ‘पिंकी’ 

खूबसूरतजौर्जेट की हलके वर्क की यलो साड़ी पर मैं ने मैचिंग ऐक्सैसरीज पहन खुद को आईने में देख गर्वीली मुसकान छोड़ी. फिर बालों से निकली लट को हलके से घुमाते हुए मन ही मन सब के चेहरे शिखा, नेहा, रूपा, आशा, अंजलि, प्रिया, लीना याद किए कि आज तो सब की सब जल मरेंगी.

मन ही मन सुकून, गर्व और संतुष्टि की सांस लेते हुए मैं आखिरी लुक ले रही थी कि तभी आवाज आई, ‘‘ओ ऐश्वर्या राय, अब बख्शो इस आईने को और चलो. हम रिसैप्शन में ही जा रहे हैं किसी फैशन परेड में नहीं.’’

‘‘उफ्फ,’’ गुस्से से मेरी मुट्ठियां भिंच गईं कि जरा सा सजनासंवरना नहीं सुहाता इन्हें. मेरे चुप रहने का तो सवाल ही नहीं था अत: बोली, ‘‘रिसैप्शन में भी जाएंगे तो ढंग से ही तो जाएंगे न... आप के जैसे फटीचरों की तरह तो नहीं... समाज में सहेलियों में इज्जत है मेरी... समझे?’’

इन्होंने भी क्यों चुप रहना था. अत: बोले, ‘‘इज्जत मेरी वजह से है तुम्हारे मेकअप की वजह से नहीं. कमाता हूं... 4 पैसे लाता हूं... समाज में 2 पैसे लगाता हूं, तो तुम्हारी इज्जत बढ़ती है... आई बड़ी इज्जत वाली.’’

मैं ने पलटवार किया, ‘‘हां तो यही समझ लो. आप की, अपने घर की इज्जत बनाए रखने, स्टेटस बचाए रखने के लिए ही तो तैयार हो कर जाती हूं.’’

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‘‘तुम्हारे इस तरह बननेसंवरने के चक्कर में रिसैप्शन की पार्टी खत्म न हो जाए.’’

मैं भी तुनक कर बोली, ‘‘जब देखो तब जल्दीजल्दी... खुद को करना क्या पड़ता है... बस शर्ट डाली, पैंट चढ़ाई और हो गए तैयार... सिर पर इतने बाल भी नहीं हैं, जो उन्हीं को सैट करने में टाइम लगे.’’

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