Lockdown के चलते Ileana D’cruz का हौट लुक हुआ वायरल, देखें Photos

तेलगू फिल्म इंडस्ट्री की सर्वाधिक सफल अभिनेत्रियों में शुमार और अपने पहले हिंदी फिल्म बर्फी (Barfi) के जरिये सफलता के अर्जित करने वाली इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) ने दर्शकों पर अपनी अलग ही छाप छोडनें में कामयाब रहीं थी. इलियाना डिक्रूज नें बर्फी में अपने नेचुरल अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया था. इस फिल्म को बौक्स औफिस (Box Office) पर जबरदस्त सफलता मिली थी. इस फिल्म ने भारत सहित विदेशों में भी जबरदस्त कमाई  की थी. इस फिल्म को बौलीवुड की सफलतम फिल्मों की श्रेणीं में रखा गया है. फिल्म नें दुनिया भर से 175 करोड़ की कमाई की थी. इसके बाद इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) नें लगातार फटा पोस्टर निकला हीरो (Phata Poster Nikla Hero), मै तेरा हीरो (Main Tera Hero), और रुस्तम (Rustom) जैसी फिल्मों में काम किया. उनकी हालिया फिल्म पागलपंती थी.

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इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) जितना फिल्मों में सक्रिय हैं उससे कहीं ज्यादा वह सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहतीं हैं. वह आये दिन अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर हौट और सेक्सी फोटोज शेयर करती रहतीं हैं. इलियाना डिक्रूज नें इस Lockdown के दौरान कई ऐसी फोटोज शेयर की हैं जो उनके फैन्स की धडकनें बढानें वाली है. इलियाना नें हाल ही में अपनें इन्स्टाग्राम एकाउंट पर एक फोटो शेयर की हैं जिसमें वह व्हाइट बिकिनी पहनें नजर आ रही हैं. इस फोटो में वह शौर्ट बालों के साथ बड़े ही सेक्सी अंदाज में खड़ी हैं. इस फोटो को अब तक साढ़े आठ लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं.

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Ok. Excuse me while I strut off to get a tan🚶🏾‍♀️ #tb

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इसके अलावा भी इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) ने कई फोटोज शेयर किये हैं. इन फोटोज में वह ब्लैक बिकनी पहनें अलग – अलग पोज में नजर आ रहीं हैं. इन फोटोज को देख कर इनके फैन्स का दिल बल्ले – बल्ले कर उठेगा. कई फैन्स ने उनके इस लुक को काफी सराहा था. इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) की सेक्सी बौडी को देख कई फैन्स नें तो खुल कर उनके बदन के खूबसूरती के कसीदे गढ़े हैं.

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But there’s a buffet behind you 🍹🍺🥘🍔🍰 #tb

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एक यूजर नें अपने कमेन्ट में लिखा है “एकदम क्यूट एंड हौट” तो दूसरे यूजर नें लिखा है “यू लुक सुपर ब्यूटीफुल” तीसरे नें लिखा है “ऐसी अदा न दिखाया करों जान चली जाती है”. इलियाना द्वारा शेयर किये गए इन फोटोज के लिए जो सबसे अच्छी बात रहीं है वह यह है की व्हाइट बिकिनी वाले फोटो पर किसी भी यूजर नें कोई अश्लील कमैंट नहीं किया है.

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When the sea is calling out to you 🌊 #tb

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मजदूरों का कोई माई बाप नहीं

किसी भी देश की तरक्की में उन मेहनत कश  मजदूरों का योगदान ही सबसे अधिक होता  है. खेती किसानी, उद्योग धंधे, फैक्ट्री, विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य मजदूर के हाथ बिना पूरे नहीं होते. मैले कुचैले कपड़ों में दो जून की रोटी के लिए गर्मी,सर्दी और बरसात में विना रूक काम करने वाले मजदूर काम की तलाश में अपना घर-बार छोड़कर मीलों दूर निकल जाते है.

आजादी के सात दशक बीत गए, लेकिन देश से हम गरीबी दूर नहीं कर पाये हैं.2014 में अच्छे दिन आने का सपना दिखाने वाली मोदी सरकार इन मजदूरों को रोटी,कपड़ा और मकान नहीं दे पाई है.सरकार पी एम आवास योजना का कितना ही ढोल पीटे, लेकिन अभी भी मजदूरों के परिवार पालीथीन तानकर अपने आशियाने बना रहे हैं. अपनी  बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाने विवश हैं.

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कोरोना वायरस के फैलने को रोकने के लिए 24 मार्च की रात जब प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 21 दिन के लौक डाउन की घोषणा की तो पूरा देश अवाक रह गया. लौक डाउन की परिस्थितियों से निपटने किसी को मौका नहीं दिया गया और न ही कोई सुनियोजित तरीका अपनाया गया. जब मजदूरों को लगा कि वे शहर में विना काम धंधा 21 दिन नहीं रह सकते तो महिलाओं और छोटे छोटे बच्चों के साथ पैदल ही अपने गांव की ओर निकल पड़े. समाचार चैनलों ने जब मजदूरों के घर लौटने की खबर दिखाई तो राज्य सरकारों ने अपनी इज्जत बचाने इन्हें रोक कर भोजन पानी का इंतजाम किया. इन मजदूरों के जत्थे को सरकारी जर्जर भवनों में रोककर न तो सोशल डिस्टेंस का पालन हो रहा है और न ही मजदूरों की मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा रहा है. नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में जबलपुर की सीमा से सटे गांव में रूके मजदूरों के साथ महिलाओं और दुधमुंहे बच्चों को इस चिलचिलाती गर्मी में दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल पा रही.

चुनाव के समय गरीब, मजदूरों से वोट की वटोरने वाले इन सफेद पोश नेताओं को  इन मजदूरों से जैसे कोई सरोकार ही नहीं है .

हरियाणा में काम करने वाले नरसिंहपुर जिले के एक  गांव बरांझ के मजदूर सुन्दर कौरव ने बताया कि वह 10अप्रेल को एक मालगाड़ी के डिब्बे में बैठकर इटारसी आ गया. इटारसी से रेलवे ट्रैक के किनारे किनारे पैदल ही अपने गांव की ओर चल पड़ा.भूख प्यास से व्याकुल सुंदर को सर्दी खांसी के साथ बुखार आ गया तो सिहोरा स्टेशन के पास बोहानी गांव के मेडिकल स्टोर से दबा खरीदकर गांव की ओर जा रहा था,तभी चैक पोस्ट पर तैनात कर्मचारियों ने उसे रोककर पूछताछ की. सुन्दर की हालत देख कर कोरोना वायरस के संभावित लक्षणों के आधार पर उसे जिला अस्पताल भेज दिया है.जहां उसकी जांज कर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है.

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हर साल फसलों की कटाई के लिए नरसिंहपुर जिले के गांवों में छिंदवाड़ा, सिवनी,मंडला, डिंडोरी जिलों से बड़ी संख्या में मजदूर आते हैं. इस वार लाक डाउन की बजह से इन मजदूरों को उतना काम नहीं मिला.और वे गांवों से घर की ओर निकल पड़े. गांव के स्थानीय लोगों ने उनसे रूकने और भोजन पानी की व्यवस्था का आश्वासन दिया तो उनका कहना था कि वे अपने 12 से 14 साल के बच्चों और बूढ़े मां-बाप को घर पर छोड़ कर फसल कटाई के लिए आये थे.लौक डाउन लंबा चला तो हमारे घर के सदस्यों का क्या होगा, इसलिए वे अपने गांव लौटने पैदल चल पड़े.

जब चीन के बुहान शहर में कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ था, तो हमारे देश की सरकार ने चीन में लाखों डॉलर कमाने वाले अमीरों के साहबजादों को विशेष विमान से भारत बुला लियाथा, लेकिन भारत में कोरोना की महामारी फैलते ही इस देश के लाचार मजदूर को उसके गांव पहुंचाने कोई जनसेवक आगे नहीं आया.

इस सरकार को मजदूरों से ज्यादा चिंता तीर्थ यात्रा पर गये यात्रियों ,धर्म के ठेकेदारों और पुजारियों की ज्यादा थी, तभी तो वाराणसी में फंसे 900 तीर्थ यात्रियों को को आंध्रप्रदेश के राज्य सभा सांसद जीबीएल नरसिम्हा राव की पहल पर लक्जरी बसों में घर वापस भेजा गया.

14 अप्रैल को देश के प्रधान सेवक सुबह दस बजे यह सोचकर अपना संबोधन दे रहे थे मुंबई की सड़कों और धर्म शालाओं में मजदूर टेलीविजन देख रहे होंगे.किसी भी तरह की सूचना संचार की तकनीक से दूर जब यह अफवाह फैली कि आज‌लौक डाउन खत्म हो रहा है तो मजदूरों का हुजूम रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ने लगा. बांद्रा स्टेशन पर घर जाने को उमड़ी भीड़ बता रही है कि लौक डाउन में फंसे मेहनत कश मजदूर  रोजी-रोटी की खातिर अपने घर लौट जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें  तो पुलिस के डंडे और आंसू गैस का सामना करना पड़ा .

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देश के क‌ई हिस्सों से यह खबर आ रही हैं कि रेलवे के कोचों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया है. यैसे में ये राजनेताओं को यह बात नहीं सूझती कि इनही रेलवे कोचों में इन मजदूरों को उनके घर वापस पहुंचा दिया जाए. दरअसल इन मजदूरों का कोई माई बाप नहीं है.नेता इन्हें अपनी कठपुतली समझते हैं,वे जानते हैं कि जब इनसे वोट लेना होगी तो एक बोतल शराब हजार पांच सौ के नोटों से इन्हे बरगलाया जा सकता है.

मजदूरों नहीं तीर्थयात्रियों की है – सरकार

एक तरफ काफी संख्या में महानगरों में लाखों मजदूर दाने दाने के लिए मुँहताज हैं. किसी हाल में वे घर आना चाहते हैं. उसे सरकार किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं करा रही है. जिन नौजवानों के खून पसीने से देश भर की फैक्ट्रियाँ गुलजार रहती है. उनके हाँथों से बनाये गए उत्पादों का उपभोग सारी दुनिया के अमीर गरीब,राजा से लेकर रंक तक करते हैं.फैक्ट्रियों के मालिक इनके बल पर गुलछर्रे उड़ाते हैं.आज वे ही दाने दाने के लिए मौत के करीब पहुँच गये हैं.इन मजदूरों द्वारा जारी फोटो और वीडियो देखकर किसी भी संवेदनशील ब्यक्ति का दिल दहल जाएगा.

सरकार का ध्यान इन भूखे लाचार लोगों की तरफ नहीं है.इन मजदूरों की आवाज दिल्ली में राज कर रहे प्रधानसेवक और उनके लगुवे भगुवे तक नहीं पहुँच पा रही है.दूसरी तरफ तीर्थयात्रियों को धार्मिक स्थलों से लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का अवहेलना करते हुवे उनके घरों तक लग्जरी गाड़ियों से पहुँचाया जा रहा है.

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गुजरात के लोग किसी धार्मिक अनुष्ठान के लिए हरिद्वार गए थे.इसी बीच लॉक डाउन हो गया.जो जहाँ थे वहीं फँस गए लेकिन गृह मंत्री के निजी हस्तक्षेप के बाद इन यात्रियों को अपने घरों तक पहुँचाया गया.

दूसरी घटना है.काशी बनारस की जहाँ से हमारे प्रधानमंत्री जी सांसद हैं.इनके आवाज पर पूरे देश में लॉक डाउन है. लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं.जो जहाँ हैं वहीं रहें.लेकिन वाराणसी में महाराष्ट और उड़ीसा से आये एक हजार तीर्थ यात्री यहाँ फँस हुवे थे.तमिलनाडु,तेलंगाना,आंध्र प्रदेश,महाराष्ट और उड़ीसा के एक हजार से अधिक यात्रियों को 25 बसों और चार क्रूजर से सुरक्षाकर्मियों संग सभी लोगों को पहुँचाया गया.

पैंतालीस सीटों पर पैंतालीस यात्री.प्रधानमंत्री जी किस सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आप करवा रहे हैं.

इन तीर्थ यात्रियों की आवाजें लोगों के कानों तक तुरन्त पहुँच गयी.जबकि ये लोग होटल और धर्मशाला में थे.जिला प्रशासन इन लोगों को खाने पीने के साथ सारी सुविधाओं का ख्याल रखे हुवे थी.जबकि मजदूर कई राज्यों में भूख से बेहाल हैं.

इन घटनाओं से स्पष्ट हो गया कि यह सरकार मेहनतकशों के लिए नहीं.तोंद फुलाये टिका लगाये जो परजीवी हैं. उनके ही हितों की बात सोंचती है.

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भाकपा माले के राष्ट्रीय नेता एवं पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने कहा कि इस देश के मेहनतकश और श्रमिक वर्ग के लोगों अगर बात समझ में नहीं आयी तो अंग्रजों के गुलामी से भी बुरा हाल होने वाला है. इस कोरोना की वजह से गरीब,बेबस और लाचार लोग बेमौत मारे जायेंगे. यह सरकार पूंजीपतियों और धार्मिक ढकोसलेबाज लोगों को ही हर चीजों में प्राथमिकता देगी.

तरक्की की ओर हैं क्या

एक ओर भारत सरकार दुनिया की नजरों में अच्छी इमेज बनाने की कोशिश में लगी है, वहीं पैसों की बरबादी भी सामने आ रही है.

अस्पताल बनाने, दवा तैयार करने व डाक्टरों की भरती को ले कर सरकार ज्यादा गंभीर नहीं है, बल्कि मिसाइल और मास्क, कोरोना किट खरीदने में लगी है. इस की कानोंकान किसी को खबर नहीं है. जब खबर उजागर होती है तो पता चलता है कि कोरोना किट के नाम पर हम ठगे गए हैं तो मास्क भी घटिया किस्म का दिया है. विपक्षी दल भी मूकदर्शक बना सरकार के साथ कदमताल कर रहा है.

एक ओर जहां कोरोना भय का माहौल है. सरकार अपनी तरफ से कुछ भी करने का वादा नहीं कर रही. इसी तरह फंसे मजदूरों को कोई राहत नहीं दे  रही. हजारों लोग जो बीच जगहों पर फंसे हुए हैं, उन को भी कोई सहूलियत नहीं दी जा रही. ये लोग अपने घर जाने को ले कर बेचैन हैं. अभी तक तो सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है इन लोगों को ले कर.

तरक्की का ढोल पीट कर यह सलाह दी गई है कि अपने घर से बाहर न जाएं. ताली बजाएं थाली पीटें, रोशनी करें. रोशनी के नाम पर तो मिनी दीवाली ही लोगों ने मना ली, पर उन बेचारों की सुध नहीं ली जो जहां फंसा हुआ है उसे उस की जगह तक पहुंचा दिया जाए.

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तरक्कीपसंद, अमनपसंद देश में ऐसी खुशहाली आएगी, सपने में भी नहीं सोचा था. जो जहां था वहीं का हो कर रह गया, ऐसा भी नहीं सोचा था. घरों में पत्नीबच्चे परेशान हैं. पता नहीं, अब कब वे माकूल दिन लौटेंगे.

ऐसा नही है कि भारत में सभी समस्याओं का खात्मा हो गया है.  आज भी कई लोग तमाम दिक्कतों को सहन कर रहे हैं. तंगहाली में जीने को मजबूर हैं. गाड़ियां चल नहीं रही हैं, बसों के पहिये रुके हुए हैं, मैट्रो बंद हैं, ऐसे में कैसे जाएं घर और कैसे लौटें काम पर…

सरकारी इंतजाम नाकाफी हैं. हर ओर यही नजारा देखा जा सकता है. ऊपर से राज्य सरकार ने भी अपने यहां ज्यादा सख्ती कर रखी है. ऐसी सख्ती भी किस काम की, लोग यों ही अपनी जान खो रहे हैं.

एक घटना उत्तर प्रदेश के कानपुर की है. यहां 2 बहनों के गलेसड़े शव मिले हैं क्योंकि फ्लैट से बदबू उठ रही थी. दरवाजा खुला, तो पुलिस भी चौंकी.

हुआ यह कि किराए पर रह रहीं 2 लड़कियों के पास मकान मालिक ने पड़ोसी को किराया लेने भेजा. आसपास रह रहे लोगों ने कहा कि अंदर से बदबू आ रही है. आननफानन पुलिस को बुलाया गया. पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो अंदर का नजारा वीभत्स था. बंद फ्लैट में 2 लड़कियों के सड़ चुके शव पड़े थे.

जानकारी के मुताबिक, बर्रा के रहने वाले राजेश दिल्ली बीएसफ में तैनात है. इन का कानपुर के पनकी थाना क्षेत्र में फ्लैट है, जिस को 4 महीने पहले दोनों लड़कियों ने ओयो के माध्यम से बुक कर के किराए पर लिया था.

ये दोनों सगी बहनें थीं. मकान मालिक हर माह का किराया लेने के लिए फ्लैट में किसी न किसी को भेजते थे.

14 अप्रैल को जब उन का पड़ोसी किराया लेने पहुंचा तो उस को वहां रहने वाले लोगों ने बताया कि कुछ दिनों से फ्लैट से अजीब सी दुर्गंध आ रही है और फ्लैट में रहने वाली लड़कियां भी काफी दिनों से नहीं दिखाई पड़ी हैं.

ऐसा सुन कर इस की सूचना पुलिस को दी गई. सूचना पर पहुंची पुलिस और फॉरेन्सिक की टीम ने दरवाजा तोड़ा तो वहां का नजारा देख सभी के होश उड़ गए. दोनों बहनों के शव कमरे के फर्श पर पड़े थे और उन के गले में फंसी रस्सी कमरे में लगी खिड़की के सहारे बंधी हुई थी. दोनों के गले में एक ही रस्सी के कोने थे और शव बुरी तरह से सड़ चुके थे.

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शवों की स्थिति देख कर मामला भले ही सुसाइड का लग रहा था, लेकिन कमरे में लेटे शव और सिर्फ 2 हाथ ऊंची खिड़की से लटक कर सुसाइड नहीं हो सकता, यह भी दिख रहा था.

पुलिस ने दोनों युवतियों की पहचान करते हुए बताया कि दोनों सगी बहनें आभा शुक्ला और रेखा शुक्ला हैं. इन की मौत कैसे हुई, यह तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही साफ होगा. वहीं, फॉरेंसिक टीम ने मौके से बरामद सभी चीजों की बारीकी से जांच की. मौके से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है

वहीं दूसरी घटना भी उत्तर प्रदेश के कानपुर के ग्रामीण क्षेत्र सजेती क्षेत्र के मवई भच्छन गांव की है. यहां 10 अप्रैल की देर  रात कच्ची शराब की पार्टी हुई थी. जहरीली शराब पीने से  2 लोग मर गए, जबकि 6 बीमार हो गए. सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

एसएसपी अनंत देव ने बताया कि यह तो पता नहीं चल सका कि शराब कहां से आई थी. पर, शराब बोतल में थी.

सजेती क्षेत्र के मवई भच्छन गांव में प्रधान रणधीर सचान ने 10 अप्रैल की देर रात कच्ची शराब बनाने के लिए भट्ठी चढ़वाई थी और पार्टी आयोजित की थी.

सूचना पर इन्हें नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया. हालत गंभीर होने पर सभी को इलाज के लिए कानपुर भेज दिया गया. बीमारों में रणधीर सचान भी है. मरने से में अंकित फतेहपुर के अमौली पीएचसी में फार्मासिस्ट था, वहीं अनूप पेशे से ट्रक ड्राइवर था.

तीसरी घटना ने तो वाकई आंखें खोल दी और राज्य सरकार की पोल खोल कर रख दी . केरल से एक बेहद मार्मिक वीडियो सोशल मीडिया पर आया. अपने 65 साल के पिता को बीमार देख कर एक बेटा उन्हें अस्पताल ले जाने को सड़क पर दौड़ता दिखाई दिया.

बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस शख्स के घर से एक किलोमीटर पहले ही एक ऑटो को आगे बढ़ने से रोक दिया था. ये ऑटो मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए आया था, लेकिन जब पुलिस ने उसे रोक दिया तो बीमार बाप को वक्त पर अस्पताल पहुंचाने को उन का बेटा उन्हें गोद में ही ले कर सड़क पर दौड़ पड़ा.

यह  घटना केरल के पनलूर शहर की है. बीमार पिता को अस्पताल ले जाने के लिए उस के बेटे ने एक ऑटो को घर तक बुलाया था.

हालांकि पुलिस ने इस ऑटो को घर से एक किलोमीटर दूर की एक चेक पोस्ट पर ही रोक दिया. जब कोई और रास्ता नहीं मिला, तो इस शख्स का बेटा उसे गोद में उठा कर दौड़ पड़ा.

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सवाल यह है कि पुलिस ने आखिर बुजुर्ग बीमार को अस्पताल ले जाने की स्थिति में भी वाहनों को जाने की अनुमति क्यों नहीं दी?

सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने पुलिस के काम करने के तौरतरीकों को कठघरे में ला खड़ा किया है.

एक ओर सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आ रहा है, वहीं लोगों की सोच अभी भी दकियानूसी बातों  में उलझी हुई है और सोचने पर मजबूर करती है कि 21वीं सदी का भारत 18वीं सदी की गाथा लिख रहा है?

#coronavirus : ‘जान भी जहां भी’ की तर्ज पर काम तो कीजिए, कैसे पर…?

सरकार अपनी तरफ से कुछ भी करने का वायदा नहीं कर रही. न सरकारी मशीनरी का वेतन रोका है, न फंसे मजदूरों को कोई राहत दे रहा है, न व्यापारियों को कर माफी की बात हो रही है, न किसानों को कुछ दिया जा रहा है. आखिर सरकार की नीति क्या  है, इस का जवाब है क्या?

ऐसे सवालों को दरकिनार करते हुए सरकार अपना ही राग अलाप रही है. वह कह रही है कि लोग काम करें, पर कैसे, बता नहीं रही. क्योंकि बसें, मैट्रो, रेलें सभी तो बन्द है. मजदूर, गरीब जिन के पास अपना साधन नहीं है, वे कैसे काम पर जा पाएंगे.

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सरकार ने काम को ले कर कुछ छूट तो दी है, पर अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए.

एक तरफ तो कह रही है कि काम करो, वहीं दूसरी तरफ आने-जाने की कोई सुविधा नहीं दे रही. फैक्ट्री में ही काम करो, वहीं रहो और सो जाओ. क्या महिलाएं इन शर्तों पर काम कर पाएंगी? वही कंपनी के मालिक भी ऐसी सोशल डिस्टेन्स की व्यवस्था कैसे कर पाएंगे?

भले ही कुछ सेक्टर में यह छूट 20 अप्रैल से दी जा रही हो, पर सरकार ने अपनी शर्तें भी जोड़ दी हैं. यानी मध्यम वर्ग और गरीब तबके की कमर को और तोड़ने का ही प्रयास किया गया है.

नई गाइडलाइन के तहत ट्रेनों में सुरक्षा से जुड़े लोग ही आजा सकेंगे. इस के अलावा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ान सेवाओं पर रोक रहेगी. बस, रेल, मेट्रो, ऑटो, तिपहिया टैक्सी बंद रहेंगे. स्कूल, शिक्षण संस्थाएं, कोचिंग संस्थान बंद रहेंगे. औद्योगिक गतिविधियों पर रोक जारी रहेगी. सिनेमा, जिम, माल बंद रहेंगे.

हालांकि, 20 अप्रैल से चुनिंदा जगहों पर कुछ गतिविधियों को मंजूरी मिलेगी, पर सोशल डिस्टेनसिंग बनाए रखना होगा और दफ्तर, सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकना अनिवार्य किया गया है. सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर जुर्माना लगेगा. जिले में आनेजाने व एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर भी रोक रहेगी.

सरकार सुविधाओं के नाम पर लोगों को टॉफ़ी पकड़ा रही है. लोगों को भी सरकारी बोली बोलने को कहा गया है इसलिए किसी राजनीतिक नेताओं के बोल नहीं फूट रहे.

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वाहवाही सुनने की आदी सरकार ने कोरोना का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है कि हर कोई डरा सहमा घर में बंद रहने को मजबूर है.

भले ही 3 मई तक लौक डाउन है, पर इस तरह की छूट मिलने से लौक डाउन 2 कितना कामयाब हो सकेगा, यह तो 20 अप्रैल के बाद ही पता चल सकेगा.

19 दिन 19 कहानियां : कातिल बहन की आशिकी

इस साल गणतंत्र दिवस की बात है. अन्य शहरों की तरह इस मौके पर उत्तर प्रदेश के इटावा शहर में भी स्कूल, कालेज, व्यापारिक प्रतिष्ठान व मुख्य चौराहों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा रहा था. शहर का ही सराय एसर निवासी श्याम सिंह यादव भी अपने स्कूल में मौजूद था और बच्चों के रंगारंग कार्यक्रम को तन्मयता से देख रहा था. श्याम सिंह यादव एक प्राइवेट स्कूल में वैन चालक था. वैन द्वारा सुबह के समय बच्चों को स्कूल लाना फिर छुट्टी होने के बाद उन्हें उन के घर छोड़ना उस का रोजाना का काम था.

स्कूल में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम समाप्त होने के बाद श्याम सिंह ने स्कूल के बच्चों को घर छोड़ा, फिर वैन को स्कूल में खड़ा कर के वह दोपहर बाद अपने घर पहुंचा. घर में उस ने इधरउधर नजर दौड़ाई तो उसे बड़ी बेटी पूजा तो दिखाई पड़ी, लेकिन छोटी बेटी दीपांशु उर्फ रचना दिखाई नहीं दी. रचना को घर में न देख कर श्याम सिंह ने पूजा से पूछा, ‘‘पूजा, रचना घर में नहीं दिख रही है. कहीं गई है क्या?’’

‘‘पापा, रचना कुछ देर पहले स्कूल से आई थी, फिर सहेली के घर चली गई. थोड़ी देर में आ जाएगी.’’ पूजा ने बताया.

श्याम सिंह ने बेटी की बात पर यकीन कर लिया और चारपाई पर जा कर लेट गया. लगभग एक घंटे बाद उस की नींद टूटी तो उसे फिर बेटी की याद आ गई. उस ने पूजा से पूछा, ‘‘बेटा, रचना आ गई क्या?’’

‘‘नहीं पापा, अभी तक नहीं आई.’’ पूजा ने जवाब दिया.

‘‘कहां चली गई जो अभी नहीं आई.’’ श्याम सिंह ने चिंता जताते हुए कहा.

इस के बाद वह घर से निकला और पासपड़ोस के घरों में रचना के बारे में पूछा. लेकिन रचना का पता नहीं चला. फिर उस ने रचना के साथ पढ़ने वाली लड़कियों से उस के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि रचना आज स्कूल गई ही नहीं थी.

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श्याम सिंह का माथा ठनका. क्योंकि पूजा कह रही थी कि रचना स्कूल से वापस आई थी. श्याम सिंह के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगीं. उस के मन में तरहतरह के विचार आने लगे. श्याम सिंह की पत्नी सर्वेश कुमारी अपने बेटे विवेक के साथ कहीं रिश्तेदारी में गई हुई थी. श्याम सिंह ने रचना के गुम होने की जानकारी पत्नी को दी और तुरंत घर वापस आने को कहा.

शाम होतेहोते 17 वर्षीय दीपांशी उर्फ रचना के गुम होने की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई. कई हमदर्द लोग श्याम सिंह के साथ रचना की खोज में जुट गए. जब कोई जवान लड़की घर से गायब हो जाती है तो तमाम लोग तरहतरह की कानाफूसी करने लगते हैं. श्याम सिंह के पड़ोस की महिलाएं भी कानाफूसी करने लगीं.

श्याम सिंह ने लोगों के साथ तमाम संभावित जगहों पर बेटी को तलाशा, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. इटावा के रेलवे स्टेशन, रोडवेज व प्राइवेट बसअड्डे पर भी रचना को ढूंढा गया. लेकिन उस का कहीं कोई पता नहीं लगा.

जब रचना का कुछ भी पता नहीं चला, तब श्याम सिंह थाना सिविल लाइंस पहुंचा. उस ने वहां मौजूद ड्यूटी अफसर आर.पी. सिंह को अपनी बेटी दीपांशी उर्फ रचना के गुम होने की जानकारी दी. थानाप्रभारी ने दीपांशु उर्फ रचना की गुमशुदगी दर्ज कर ली. इस के बाद उन्होंने इटावा जिले के सभी थानों में रचना के गुम होने की सूचना हुलिया तथा उम्र के साथ प्रसारित करा दी.

बड़ी बेटी पर हुआ शक

रात 10 बजे तक श्याम सिंह की पत्नी सर्वेश कुमारी बेटे के साथ अपने घर पहुंच गई. पतिपत्नी ने सिर से सिर जोड़ कर परामर्श किया तो उन्हें बड़ी बेटी पूजा पर शक हुआ. उन्हें लग रहा था कि रचना के गुम होने का रहस्य पूजा के पेट में छिपा है. इसलिए श्याम सिंह ने पूजा से बड़े प्यार से रचना के बारे में पूछा.

लेकिन जब पूजा ने कुछ नहीं बताया तो श्याम सिंह ने उस की पिटाई की. इस के बाद भी पूजा ने अपनी जुबान नहीं खोली. रात भर श्याम सिंह व सर्वेश कुमारी परेशान होते रहे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर रचना कहां गुम हो गई.

अगले दिन 27 जनवरी की सुबह गांव के कुछ लोग तालाब की तरफ गए तो उन्होंने तालाब के किनारे पानी में एक बोरी पड़ी देखी. बोरी को कुत्ते पानी से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे. बोरी को देखने से लग रहा था कि उस में किसी की लाश है.

यह तालाब श्याम सिंह के घर के पिछवाड़े था, इसलिए बहुत जल्द उसे भी तालाब में संदिग्ध बोरी पड़ी होने की जानकारी मिल गई. खबर पाते ही वह तालाब किनारे पहुंच गया. उस ने बोरी पर एक नजर डाली फिर तमाम आशंकाओं के बीच बदहवास हालत में थाना सिविल लाइंस पहुंचा. थानाप्रभारी जे.के. शर्मा को उस ने तालाब किनारे मुंह बंद बोरी पड़ी होने की सूचना दी और आशंका जताई कि उस में कोई लाश हो सकती है.

सूचना मिलने पर थानाप्रभारी जे.के. शर्मा पुलिस टीम के साथ सराय एसर गांव के उस तालाब के किनारे पहुंचे, जहां संदिग्ध बोरी पड़ी थी. उन्होंने 2 सिपाहियों की मदद से बोरी को तालाब से बाहर निकलवाया. बोरी का मुंह खुलवा कर देखा गया तो उस में एक लड़की की लाश निकली.

लाश बोरी से निकाली गई तो उसे देखते ही श्याम सिंह फफक कर रो पड़ा. लाश उस की 17 वर्षीय बेटी दीपांशी उर्फ रचना की थी. रचना की लाश मिलने की खबर पाते ही उस की मां सर्वेश कुमारी रोतीबिलखती तालाब किनारे पहुंच गई.

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इधर थानाप्रभारी जे.के. शर्मा ने रचना की लाश मिलने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो कुछ देर में एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी तथा एडीशनल एसपी डा. रामयश सिंह घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और मृतका के पिता श्याम सिंह से इस बारे में पूछताछ की.

श्याम सिंह ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि रचना की हत्या का राज उन की बड़ी बेटी पूजा के पेट में छिपा है जो इस समय घर में मौजूद है. अगर उस से सख्ती से पूछताछ की जाए तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी.

अपनी ही बेटी पर छोटी बेटी की हत्या का आरोप लगाने की बात सुन कर एसएसपी त्रिपाठी भी चौंके. उन्होंने पूछा, ‘‘बड़ी बहन अपनी छोटी बहन की हत्या आखिर क्यों कराएगी?’’

‘‘साहब, मेरी बड़ी बेटी के लक्षण ठीक नहीं हैं. हो सकता है इस हत्या में पड़ोस का अनिल और उस का दोस्त अवध पाल भी शामिल रहे हों.’’ श्याम सिंह ने बताया.

श्याम सिंह की बातों से एसएसपी को मामला प्रेम प्रसंग का लगा. अत: उन्होंने थानाप्रभारी को निर्देश दिया कि वह डेडबौडी को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद आरोपियों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ करें. इस के बाद थानाप्रभारी जे.के. शर्मा ने मौके की काररवाई पूरी करने के बाद रचना का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

फिर उन्होंने महिला पुलिस के सहयोग से मृतका की बड़ी बहन पूजा यादव को हिरासत में ले लिया. इस के अलावा आरोपी अनिल व उस के दोस्त अवध पाल को भी सरैया चुंगी के पास से पकड़ लिया गया.

थाने में एडीशनल एसपी डा. रामयश सिंह की मौजूदगी में पुलिस ने सब से पहले श्याम सिंह की बड़ी बेटी पूजा यादव से पूछजाछ शुरू की. शुरू में तो पूजा अपनी बहन की हत्या से इनकार करती रही लेकिन जब थोड़ी सख्ती की गई तो उस ने बताया कि छोटी बहन रचना से उस का झगड़ा हुआ था. झगडे़ के बाद उस ने कमरा बंद कर फांसी लगा ली थी. इस से वह बुरी तरह डर गई. इसलिए शव को उस ने बोरी में भरा और साइकिल पर लाद कर घर से थोड़ी दूर स्थित तालाब में फेंक आई.

थानाप्रभारी जे.के. शर्मा ने अवध पाल से पूछताछ की तो उस ने पूजा से प्रेम संबंधों को तो स्वीकार कर लिया, पर हत्या व लाश ठिकाने लगाने में शामिल होने से साफ मना कर दिया. अनिल ने भी वारदात में शामिल होने से इनकार किया. उस ने कहा कि अवध पाल उस का दोस्त है. अवध पाल व पूजा की दोस्ती को मजबूत करने में उस ने बिचौलिए की भूमिका निभाई थी. लेकिन रचना की हत्या के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

पूजा के इस कथन पर पुलिस को यकीन तो नहीं हुआ, फिर भी जांच करने के लिए पुलिस पूजा के घर पहुंची. पुलिस ने कमरे में लगे पंखे को देखा, उस पर धूल जमी थी और उस के ब्लेड जैसे के तैसे थे. रस्सी या दुपट्टा भी नहीं मिला. कमरे में पुलिस को कोई ऐसा सबूत नहीं था, जिस से साबित होता कि रचना ने फांसी लगाई थी.

पुलिस को लगा कि पूजा बेहद शातिर है. वह पुलिस से झूठ बोल रही है. लिहाजा महिला पुलिसकर्मियों ने पूजा से सख्ती से पूछताछ की तो जल्द ही उस ने सच्चाई उगल दी. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी बहन रचना की हत्या कर डेडबौडी खुद ही तालाब में फेंकी थी. पूजा से पूछताछ के बाद उस की छोटी बहन की हत्या की जो कहानी सामने आई, चौंकाने वाली निकली—

उत्तर प्रदेश के इटावा शहर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में एक गांव है सराय एसर. शहर से नजदीक बसे इसी गांव में श्याम सिंह यादव अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी सर्वेश कुमारी के अलावा एक बेटा था विवेक तथा 2 बेटियां थीं पूजा और दीपांशी उर्फ रचना. श्याम सिंह यादव शहर के एक प्राइवेट स्कूल में वैन चलाता था. स्कूल से मिलने वाले वेतन से उस के परिवार का भरणपोषण हो रहा था.

श्याम सिंह के बच्चों में पूजा सब से बड़ी थी. चेहरेमोहरे से वह काफी सुंदर थी. पूजा जैसेजैसे सयानी होने लगी, उस के रूपलावण्य में निखार आता गया. उस के हुस्न ने बहुतों को दीवाना बना दिया था. अवध पाल भी पूजा का दीवाना था.

अवध पाल ने पूजा पर डाले डोरे

अवध पाल यादव, सरैया चुंगी पर रहता था. उस के भाई वीरपाल की दूध डेयरी थी. अवध पाल भी भाई के साथ दूध डेयरी पर काम करता था. अवध पाल का एक दोस्त अनिल यादव था जो सराय एसर में रहता था. अनिल, पूजा के परिवार का था और पूजा के घर के पास ही रहता था. अवध पाल का अनिल के घर आनाजाना था. उस के यहां आतेजाते ही अवध पाल की नजर पूजा पर पड़ी थी. वह उसे मन ही मन चाहने लगा था.

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अवध पाल भाई के साथ खूब कमाता था, इसलिए वह खूब बनठन कर रहता था. अवध पाल जिस चाहत के साथ पूजा को देखता था, उसे पूजा भी समझती थी. उस की नजरों से ही वह उस के मन की बात भांप चुकी थी. धीरेधीरे पूजा भी उस की दीवानी होने लगी. उस के मन में भी अवध पाल के प्रति आकर्षण पैदा हो गया.

पूजा पंचशील इंटर कालेज में पढ़ती थी. इसी कालेज में उस की छोटी बहन दीपांशी उर्फ रचना भी पढ़ती थी. पूजा इंटरमीडिएट की छात्रा थी जबकि दीपांशी 10वीं में पढ़ रही थी. पूजा घर से पैदल ही स्कूल जाती थी.

अवध पाल ने जब से पूजा को देखा था, तब से उस ने उसे अपने दिल में बसा लिया था. पूजा के स्कूल आनेजाने के समय वह उस के पीछेपीछे स्कूल तक जाता था. पूजा भी उसे कनखियों से देखती रहती थी.

पूजा की इस अदा से अवध पाल समझ गया कि पूजा भी उसे चाहने लगी है. दोनों के दिलों में प्यार की हिलोरें उमड़ने लगीं. प्यार के समंदर को भला कौन बांध कर रख सका है. वैसे भी कहते हैं कि जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है.

अवध पाल को पीछे आते देख कर एक दिन पूजा ठिठक कर रुक गई. उस का दिल जोरों से धड़क रहा था. पूजा के अचानक रुकने से अवध पाल भी चौंक कर ठिठक गया. आखिर उस से रहा नहीं गया और वह लंबेलंबे डग भरता हुआ पूजा के सामने जा कर खड़ा हो गया.

‘‘तुम आजकल मेरे पीछे क्यों पड़े हो?’’ पूजा ने माथे पर त्यौरियां चढ़ा कर अवध पाल से पूछा.

‘‘तुम से एक बात कहनी थी पूजा.’’ अवध पाल ने झिझकते हुए कहा.

‘‘बताओ, क्या कहना चाहते हो?’’ पूजा ने उस की आंखों में देखते हुए पूछा.

तभी अवध पाल ने अपनी जेब से कागज की एक परची निकाली और पूजा को थमा कर बोला, ‘‘घर जा कर इसे पढ़ लेना, सब समझ में आ जाएगा.’’

मन ही मन मुसकराते हुए पूजा ने वह कागज ले लिया और बिना कुछ बोले अपने घर चली गई. हालांकि पूजा को इस बात का अहसास था कि उस परची में क्या लिखा होगा, फिर भी वह उसे पढ़ कर अपने दिल की तसल्ली कर लेना चाहती थी. घर पहुंच कर पूजा ने अपने कमरे में जा कर अवध पाल का दिया हुआ कागज निकाल कर पढ़ा. उस पर लिखा था, ‘मेरी प्यारी पूजा, आई लव यू. मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हें देखे बगैर मुझे चैन नहीं मिलता. इसीलिए अकसर स्कूल तक तुम्हारे पीछे आता हूं. तुम अगर मुझे न मिली तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगा. तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा अवध पाल सिंह.’

पत्र पढ़ कर पूजा के दिल के तार झनझना उठे. उस की आकांक्षाओं को पंख लग गए. उस दिन पूजा ने उस पत्र को कई बार पढ़ा. पूजा के मन में सतरंगी सपने तैरने लगे थे. उसी दिन रात को पूजा ने अवध पाल के नाम एक पत्र लिखा.

पत्र में उस ने सारी भावनाएं उड़ेल दीं, ‘प्रिय अवध पाल, मैं भी तुम से इतना प्यार करती हूं जितना कभी किसी ने नहीं किया होगा. कह इसलिए नहीं सकी कि कहीं तुम बुरा न मान जाओ. तुम्हारे बिना मैं भी जीना नहीं चाहती. मैं तो चाहती हूं कि हर समय तुम्हारी बांहों के घेरे में बंधी रहूं. तुम्हारी पूजा.’

उस दिन मारे खुशी के पूजा को नींद नहीं आई. अगली सुबह वह कालेज जाने के लिए घर से निकली तो अवध पाल उसे पीछेपीछे आता दिखाई दिया. दोनों की नजरें मिलीं तो वे मुसकरा दिए. पूजा बेहद खुश नजर आ रही थी. सावधानी से पूजा ने अपना लिखा खत जमीन पर गिरा दिया और आगे चली गई.

पीछेपीछे चल रहे अवध पाल ने इधरउधर देखा और उस पत्र को उठा कर दूसरी तरफ चला गया. एकांत में जा कर उस ने पूजा का पत्र पढ़ा तो खुशी से झूम उठा. जो हाल पूजा के दिल का था, वही अवध पाल का भी था. पूजा ने पत्र का जवाब दे कर उस का प्यार स्वीकार कर लिया था.

शुरू हो गई प्रेम कहानी

दोपहर बाद जब कालेज की छुट्टी हुई तो पूजा ने गेट पर अवध पाल को इंतजार करते पाया. एकदूसरे को देख कर दोनों के दिल मचल उठे. वे दोनों एक पार्क में जा पहुंचे.

पार्क के सुनसान कोने में बैठ कर दोनों ने अपने दिल का हाल एकदूसरे को कह सुनाया. पार्क में कुछ देर प्यार की अठखेलियां कर के दोनों घर लौट आए. दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ तो मानो उन की दुनिया ही बदल गई. फिर दोनों अकसर मिलने लगे.

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पूजा और अवध पाल के दिलोदिमाग पर प्यार का ऐसा जादू चढ़ा कि उन्हें एकदूजे के बिना सब कुछ सूनासूना लगने लगा. जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में साथ बैठ कर अपने ख्वाबों की दुनिया में खो जाते. इसी प्यार के चलते दोनों ने साथसाथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं. एक बार मन से मन मिले तो फिर तन मिलने में भी देर नहीं लगी.

पूजा और अवध पाल ने लाख कोशिश की कि उन के प्रेम संबंधों का पता किसी को न चले. लेकिन प्यार की महक को भला कोई रोक सका है. एक दिन पूजा की छोटी बहन दीपांशी उर्फ रचना ने पूजा और अवध पाल को रास्ते में हंसीठिठोली करते देख लिया. रास्ते में तो उस ने कुछ नहीं कहा, लेकिन घर आ कर उस ने पापा और मम्मी के कान भर दिए.

कुछ देर बाद पूजा कालेज से घर आई तो मांबाप की त्यौरियां चढ़ी हुई थीं. श्याम सिंह ने गुस्से में उस से पूछा, ‘‘रास्ते में किस के साथ हंसीठिठोली कर रही थी? कौन है वह, जो हमारी इज्जत को नीलाम करना चाहता है? सचसच बता वरना…’’

पिता का गुस्सा देख कर पूजा सहम गई. वह जान गई कि उस के प्यार का भांडा फूट गया है, इसलिए झूठ बोलने से कुछ नहीं होगा. अत: वह सिर झुका कर बोली, ‘‘पापा, वह लड़का है अवध पाल. सरैया चुंगी में रहता है. वह अपने बड़े भाई वीरपाल के साथ डेयरी चलाता है. हम दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.’’

पूजा की बात सुनते ही श्याम सिंह का गुस्सा सीमा लांघ गया. उस ने पूजा की जम कर पिटाई की और उसे हिदायत दी कि आइंदा वह अवध पाल से न मिले. पूजा की मां सर्वेश कुमारी ने भी उसे खूब समझाया. पूजा पर लगाम कसने के लिए सर्वेश ने उस का कालेज जाना बंद करा दिया, साथ ही उस पर निगरानी भी रखने लगी. पूजा पर निगाह रखने के लिए श्याम सिंह और उस की पत्नी ने छोटी बेटी रचना को भी लगा दिया. पूजा जब भी कालेज जाने की बात कहती तो रचना उस के साथ होती और उस की हर गतिविधि पर नजर रखती.

पाबंदी लगी तो पूजा व अवध पाल का मिलनाजुलना बंद हो गया. इस से दोनों परेशान रहने लगे. अवध पाल ने अपनी परेशानी अपने दोस्त अनिल को बताई और इस मामले में मदद मांगी. अनिल रचना का नातेदार था और पास में ही रहता था. वह दोनों के प्यार से वाकिफ था, सो मदद करने को राजी हो गया.

इस के बाद अवध पाल ने अनिल को एक मोबाइल फोन दे कर कहा, ‘‘दोस्त, तुम पूजा के पड़ोसी हो. पूजा तुम्हारे परिवार की है. तुम उस के घर वालों पर नजर रखो और जब भी पूजा घर में अकेली हो तो उसे फोन दे कर मेरी बात करा दिया करना.’’

इस के बाद अनिल पूजा और अवध पाल के प्यार का राजदार बन गया. पूजा जब भी घर में अकेली होती तो अनिल उसे मोबाइल दे कर अवध पाल से बात करा देता. प्यार भरी बातें करने के बाद पूजा अनिल को मोबाइल वापस कर देती. कभीकभी पूजा बहाना कर के अनिल के घर चली जाती और मोबाइल से देर तक प्रेमी अवध पाल से बतिया कर वापस आ जाती.

परंतु पूजा और अवध पाल का मोबाइल पर बतियाना ज्यादा समय तक राज न रह सका. एक रोज रचना ने पूजा को बतियाते सुन लिया. यही नहीं, उस ने अनिल को मोबाइल वापस करते भी देख लिया. इस की जानकारी उस ने मांबाप को दी तो पूजा की पिटाई हुई.

इस के बाद तो यह सिलसिला बन गया. रचना जब भी पूजा को बतियाते हुए देख लेती तो मांबाप को बता देती. फिर उस की पिटाई होती. पूजा अब रचना को अपने प्यार का दुश्मन समझने लगी थी. वह प्रतिशोध की आग में जल रही थी.

24 जनवरी, 2019 को श्याम सिंह की पत्नी बेटे विवेक के साथ किसी काम से चरुआभानी, मैनपुरी रिश्तेदारी में चली गई. इस की जानकारी अनिल को हुई तो वह पूजा और अवध पाल का मिलाप कराने का प्रयास करने लगा, लेकिन रचना की कड़ी निगरानी की वजह से वह मिलाप न करा सका.

गुस्सा बना रचना की मौत की वजह

26 जनवरी, 2019 को गणतंत्र दिवस था. लगभग साढ़े 7 बजे श्याम सिंह यादव अपनी ड्यूटी चला गया. श्याम सिंह के जाने के बाद अनिल पूजा के घर पहुंच गया और उसे मोबाइल दे गया. कुछ देर बाद रचना भी किसी काम से पड़ोसी के घर चली गई. इसी बीच पूजा को मौका मिल गया और वह मोबाइल पर प्रेमी अवध पाल से बतियाने लगी.

पूजा, प्रेमी से रसभरी बातें कर ही रही थी कि रचना आ गई. उस ने मोबाइल पर बहन द्वारा बात करने का विरोध किया और धमकी देते हुए कहा कि आने दो पापा को तुम्हारे प्यार का भूत न उतरवाया तो मेरा नाम रचना नहीं.

रचना की धमकी से पूजा का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा और दोनों में कहासुनी होने लगी. इसी कहासुनी के बीच रचना ने पूजा के हाथ से मोबाइल छीन कर जमीन पर पटक दिया, जिस से वह टूट गया. इस के अलावा उस ने ऐसे गंदे शब्दों का प्रयोग किया, जिस से पूजा का गुस्सा और बढ़ गया. वह नफरत की आग में जल उठी.

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पूजा ने लपक कर रचना के गले में पड़ा स्कार्फ दोनों हाथों से पकड़ा और पूरी ताकत से उसे खींचने लगी. नफरत की आग में जल रही पूजा भूल गई कि जिस का वह गला कस रही है, वह उस की छोटी बहन है. पूजा के हाथ तभी ढीले हुए जब रचना की आंखें फट गईं और वह जमीन पर गिर पड़ी.

पूजा को यकीन नहीं हो रहा था कि उस की छोटी बहन की सांसें थम गई हैं. वह उसे हिलानेडुलाने लगी. नाम ले कर पुकारने लगी, ‘‘उठो रचना, उठो. मुझे माफ कर दो.’’

लेकिन रचना कैसे उठती. उस की तो दम घुटने से मौत हो चुकी थी. पूजा कुछ देर तक लाश के पास बैठी पछताती रही. फिर पकड़े जाने के डर से वह घबरा गई. पुलिस से बचने के लिए उस ने गले में लिपटा स्कार्फ निकाला और बक्से में छिपा दिया. फिर रचना के शव को प्लास्टिक की बोरी में तोड़मरोड़ कर भरा और बोरी का मुंह बंद कर दिया.

घर के पिछवाड़े कुछ ही कदम की दूरी पर तालाब था. घर के कमरे का एक दरवाजा इसी तालाब की ओर खुलता था. पूजा ने दरवाजा खोला, आवाजाही की टोह ली और फिर शव को साइकिल पर लाद कर तालाब किनारे फेंक दिया. फिर दरवाजा बंद कर साइकिल जहां की तहां खड़ी कर दी. टूटे मोबाइल को उस ने कबाड़ में फेंक दिया और घर साफसुथरा कर दिया.

दोपहर बाद जब श्याम सिंह घर आया तो उसे रचना नहीं दिखी. तब उस ने पूजा से पूछा. पूजा ने उसे गुमराह कर दिया. श्याम सिंह देर रात तक रचना की खोज में जुटा रहा. जब वह नहीं मिली तब वह वह थाना सिविल लाइंस चला गया और पुलिस जांच के बाद प्यार में बाधक बनी छोटी बहन की बड़ी बहन द्वारा हत्या किए जाने की सनसनीखेज घटना सामने आई.

पूजा से पूछताछ के बाद पुलिस ने 28 जनवरी, 2019 को उसे इटावा की अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. अनिल व अवध पाल के खिलाफ पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिला, जिस से उन्हें छोड़ दिया गया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Corona जागरूकता में भोजपुरी के दिग्गज कलाकार आये आगे

देश में कोरोना (COVID-19) एक बड़ा संकट बनता जा रहा है कोरोना संक्रमितों की संख्या में हर रोज भारी इजाफा देखा जा रहा है. इसको देखते हुए प्रधानमन्त्रीं नरेन्द्र मोदी (Naredra Modi) नें लौक डाउन को 3 मई तक के लिए आगे बढ़ा दिया है. लौक डाउन आगे बढ़ाने के पीछे का बस एक ही मकसद है की लोग अपने घरों से बाहर न निकलें. जिससे सोशल डिस्टेंस को बनाये रखनें में मदद मिल सके और कोरोना सक्रमण के फैलाव को रोका जा सके.

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उत्तर प्रदेश और बिहार में मजदूरों के पलायन के चलते यहाँ कोरोना संकट और भी गहरा गया है. इसका सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश पर पड़ा है. यहां हर रोज मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. चूँकि यूपी और बिहार में भोजपुरी सिनेमा को खूब पसंद किया जाता है और यहाँ भोजपुरी अभिनेताओं के फैन्स की संख्या भी करोड़ों में हैं. इस दशा में भोजपुरी अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने आगे बढ़ कर अपने फैन्स के लिए एक मोटिवेशनल वीडियों बनाया है. जिससे भोजपुरी बेल्ट के लोगों को घर में रहनें और सोशल डिस्टेंस के लिए मोटीवेट किया जा सके.

 

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Ek chhota sa prayaas tha poori bhojpuri industry ko ek saath laakar desh ki janta ko corona ke khilaaf jaagruk karne ka.Hum sabhi kalakaar ekta ke saath khade hain is mushqil daur mein.Main dhanyawaad dungi sabhi kalakaaron ka jinhone apne video bytes bheje aur unka bhi jo kisi kaaran se nahi bhej paaye.Hamara prayaas hai ki sabhi log lockdown ka paalan karein aur ghar se baahar bilkul na niklein.Corona ko haraana hai,desh ko jeetana hai.Jai hind,Jai bharat. #Manoj tiwari #Dinesh Lal yadav #Ravi kishan #Pawan singh #Khesari lal yadav#Pakhi hegde #Anjana singh #Yash Mishra #Smrity sinha #Vinay Anand #Kk Goswami#Seema singh #Sadhika randhawa #Poonam Dubey #Ritu Singh #Aditya ojha #Anara gupta#Shubham Tiwari #Prem singh #bhavna barthwal #payas pandit #Nehashree #Rohit Singh Matru#CP bhatt #Deepak sinha #Glory mohanta#Sanjay bhushan #Amrish singh #gunjanpant

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इस मोटिवेशनल वीडियों को बनाने का विचार भोजपुरी अभिनेत्री गुंजन पन्त (Gunjan Pant) और अमरीश सिंह (Amrish Singh) का है. इस वीडियो को सभी भोजपुरी कलाकारों नें अपने घरों में रहते हुए अपने मोबाईल से ही शूट किया है. जिसका एडिटिंग गोविन्द दूबे ( Govind Dubey) नें किया है.
इस वीडियो में भोजपुरी के सभी दिग्गज अभिनेता और अभिनेत्री लोगों से घर में रहनें और सोशल डिस्टेंस बनाये रखने की अपील करते नजर आ रहें हैं. वीडियो की शुरुआत गुंजन पन्त ने कोरोना से जुड़े पंक्तियों से करते हुए किया है. इसके बाद प्रधानमंत्री का सन्देश शामिल किया गया है.

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इसके बाद सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) और सांसद रवि किशन (Ravi Kishan) लोगों से अपील करते नजर आ रहें हैं. इस वीडियों में दिनेश लाल यादव (Dinesh Lal Yadav) ‘निरहुआ’ (Nirhua) , पवन सिंह( Pawan Singh), खेसारीलाल (Khesari Lal) ,पाखी हेगड़े (Pakhi Hedge), अंजना सिंह (Anjana Singh) ,गुंजन पन्त (Gunjan Pant), अमरीश सिंह(Amrish Singh), स्मृति सिन्हा (Smriti Singha), विनय आनंद (Vinay Anand), यश कुमार (Yash Kumar), केके गोस्वामी( K.K. Goswami), सीमा सिंह( Seema Singh), सौरव कुमार( Saurav Kumar), साधिका रंधवा(sadhika Randha), रितु सिंह(Ritu Singh), पूनम दूबे(Punam Dubey), अनारा गुप्ता( Anara Gupta) , शुभम तिवारी( Shubham Tiwari), आदित्य ओझा (Aditya Ojha), प्रेम सिंह (Prem Singh), भावना बरथवाल (Bhawna Barthwal), मटरू (Mataru), सीपी भट्ट(C.P. Bhtta), दीपक सिन्हा (Deepak Singha), पायस पंडित (Payas Pandit) , नेहा श्री ( Neha Shree), ग्लोरी मोहंता Glory Mohanta), नें अपने अपने तरीके से लोगों को मोटिवेट करने का प्रयास किया है.

इस वीडियो को बनाने वाले एक्टर्स का कहना को उम्हें विश्वास की भोजपुरी बेल्ट के लोग उनकी अपील जरुर सुनेगें और बेवजह न ही अपने घरों से बाहर निकलेंगे न ही सोशल डिस्टेंस के नियमों को तोड़ेंगे.
इस वीडियो को बनाने में अपनी अहम् भूमिका निभाने वाली गुंजन पन्त नें अपने इन्स्टाग्राम एकाउंट पर वीडियो शेयर करते हुए उसके कैप्शन में लिखा है “एक छोटा सा प्रयास था पूरी भोजपुरी इंडस्ट्री को एक साथ लेकर देश की जनता को कोरोना के खिलाफ जागरूक करने का. हम सभी कलाकार एकता के साथ खड़े हैं इस मुश्किल दौर में. मैं धन्यवाद दूंगी सभी कलाकारों का जिन्होंने अपने वीडियो भेजें और उनका भी जो किसी कारण से नहीं भेज पाए. हमारा प्रयास है कि सभी लोग लॉक डाउन का पालन करें और घर से बाहर बिल्कुल ना निकले. कोरोना को हराना है देश को जिताना है जय हिंद जय भारत.”

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रिलीज होते ही छा गया सपना चौधरी का ये नया गाना, देखें Video

सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का हाल ही में एक धमाल मचाने वाला वीडियो सौंग ‘गजबन छोरी’ (Gajban Chhori) यूट्यूब पर रिलीज हुआ है. वह इस वीडियो सौंग में अपने हौट लुक्स से अपने फैन्स के ऊपर बिजलियां गिरा रहीं हैं. सपना चौधरी हरियाणा के सबसे पौपुलर सिंगर और डांसर में शुमार हैं और उनके चाहनें वालों की संख्या करोड़ों में है.

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सपना चौधरी के हरियाणवी गानों को सभी भाषाओं के लोग पंसद करते हैं. हिंदी और भोजपुरी बेल्ट में सपना चौधरी (Sapna Choudhary)  के वीडियो सौंग सबसे ज्यादा देखे और सुने जाते हैं. सपना चौधरी अपने इस नए वीडियो सौंग में वेस्टर्न लुक में नजर आ रहीं हैं जिसमें उन्होंने जबरदस्त डांस किया है. माना जा रहा है लौकडाउन पीरियड के लिहाज से सपना के इस नए गाने को सुन कर लोग अपनी बोरियत कुछ हद तक कम करनें में कामयाब होंगे.

https://www.youtube.com/watch?v=qsSQLbm9jns

सपना चौधरी के इस नए वीडियो सौंग गजबन छोरी को पी एंड एम मूवीज (P&M Movies) के म्यूजिक लेबल पर लांच किया गया है. जिसको गाया है एमडी देसी रौक (MD Desirock) और सपना चौधरी नें. इस वीडियो सौंग के निर्माता पवन चावला (Pawan Chawla) हैं और संगीत लक्ष्य (Lakshya) ने दिया है. मिक्स एंड मास्टर का काम डी चंदू (D Chandu) नें किया है. इस वीडियो सौंग के सहायक निर्देशक परविंदर सुरलिया (Parvinder Surliya) है. नए वीडियो सौंग के छायांकन की जिम्मेदारी अमित बिश्नोई (Amit Bishnoi) नें निभाई है.

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‘गज बड़ पानी नै चाली’ तोड़ चुका है रिकार्ड

इस गाने के पहले सपना चौधरी के वीडियों सौंग ‘गज बड़ पानी नै चाली’ (Gajban Pani Ne Chali) को खूब पंसद किया गया था. इस गाने को शादी – विवाह के मौके पर भी खूब बजाया गया. इस वीडियो सौंग को यूट्यूब पर 19 करोड़ से भी ज्यादा बार देखा जा चुका है. सपना चौधरी ने इस हरियाणवी वीडियो सौंग पर स्‍टेज पर जबरदस्‍त डांस किया है. इसमें उन्‍होंने बेहतरीन स्‍टेप करके खूब ठुमके लगाए हैं.

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सपना चौधरी बिग बौस (Bigg Boss) में भी अपना जलवा बिखेर चुकी हैं. बिग बौस के घर में रहनें के दौरान वह खूब पौपुलर हुई थीं. सपना चौधरी के गाने टिक टौक पर भी बहुत ट्रेंड करते हैं जिसपर काफी सारे वीडियो बन चुके हैं.

Lockdown में देश बनता चाइल्ड पोर्नोग्राफी का होटस्पोट

देश में कोरोना लाकडाउन के बीच इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) की तरफ से देश के लिए शर्मनाक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में लाकडाउन के दौरान देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी में अप्रत्याशित और खतरनाक वृद्धि बताई गई है. आईसीपीएफ ने कहा कि ऑनलाइन मोनिटरिंग डेटा वेबसाइट दिखा रही है कि लाकडाउन के बाद लोगों में ‘चाइल्ड पोर्न’, ‘सैक्सी चाइल्ड’ और ‘टीन सैक्सी वीडियो’ की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस के साथ ही दुनिया की सब से बड़ी पोर्न वेबसाइट पोर्नहब से यह भी पता चलता है कि लाकडाउन के बाद 24 से 26 मार्च तक देश में चाइल्ड पोर्न की मांग में 95 प्रतिशत वृद्धि हुई है.

इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड ने इसे ले कर एक रिपोर्ट जारी की, जो भारत के 100 मुख्य शहरों के हालिया शोध पर है. जिस में दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, कोलकता इत्यादि शहर शामिल हैं. इस रिपोर्ट का नाम ‘चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल इन इंडिया’ है. इस के अनुसार दिसंबर 2019 के दौरान पब्लिक वेब पर 100 शहरों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री की कुल मांग 50 लाख प्रति माह थी जिस में अब अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट में हिंसक सामग्री की मांग में 200 प्रतिशत तक की वृद्धि का खुलासा किया गया है. यानी इन हिंसक सामग्री में जबरन सैक्स जैसे बच्चे का गला दबाना (चोपिंग), दर्दनाक सेक्स (ब्लीडिंग) और टॉर्चर इत्यादि आते हैं. इस रिपोर्ट में हिंसक सामग्री के बारे में बताने का मतलब भारतीय पुरुष की बच्चों के प्रति बढ़ती मानसिक दुराचार को दिखाती है साथ ही यह भी दिखाती है कि भारतीय पुरुष सामान्य पोर्नोग्राफी से संतुष्ट नहीं बल्कि हिंसक और बर्बर सामग्री की मांग करते है. यह कुरूप होती मानसिक सोच को दिखाती है.

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आईसीपीएफ ने अपनी इस रिपोर्ट में चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन की हालिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया जिस में पता चला कि लाकडाउन के 11 दिनों के भीतर देश भर से 92000 से अधिक इमरजेंसी कॉल आई. यह कॉल्स यौन दुर्व्यवहार और हिंसा से सुरक्षा को ले कर की गई थी. ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड’ की रिपोर्ट लाकडाउन अवधी के दौरान सामना किये जाने वाले अत्यधिक यौन खतरे की ओर इशारा करती है. साथ ही ‘चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल इन इंडिया’ की रिपोर्ट में बाल यौन शोषण सामग्री की बढती मांग दर्शाती है कि बच्चे लाकडाउन में यौन उत्पीड़क के निशाने पर सब से ज्यादा है. जाहिर है संभावना यह है कि उत्पीड़क और पीड़ित दोनों ही घरों में बंद है.

इस रिपोर्ट में ‘ईसीपीएटी’, ‘यूनाइटेड नेशन’ और ‘यूरोपोल’ की हालिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया. जिस में चाइल्ड ऑनलाइन ग्रूमिंग का जिक्र किया गया. ऑनलाइन ग्रूमिंग का मतलब इन्टरनेट में बच्चों को सोशल मीडिया में अजनबियों या जानपहचान वालों द्वारा भावनात्मक रिश्ता बना विश्वास में ले कर निजी फोटो या वीडियो की मांग करना. सोशल मीडिया में टीनेजर और बच्चों के साथ इस तरह के अपराध में भारी वृद्धि हुई है. खासकर व्हाट्सएप, फेसबुक में इस का अत्यधिक उपयोग हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार चाइल्ड पोर्न में विशेष उम्र ढूंढी जाती है. ख़ासकर ‘स्कूल गर्ल’ के कंटेंट को खोजा जाता है. इस में उम्र, क्रियाएँ तथा लोकेशन की खोज विशेष तौर पर की जाती है. इस के इतर खासतौर पर हिंसक विडियो की खोज की जाती है.

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भारत इस समय पूरी दुनिया में सब से ज्यादा पोर्न उपभोगी देश है. भारत में सामान्य 70 प्रतिशत ब्राउज़िंग पोर्न कंटेंट के लिए होती है. देश की स्थिति यह है कि अगर देश में कोई सनसनीखेज बलात्कार हो जाए तो पीड़ित महिला के नाम से वीडियो पोर्नसाईट पर ट्रेंड करने लगती है. प्रियंका रेड्डी के मामला इस का ताजा उदाहरण है. साथ ही एक हालिया रिपोर्ट में इस का एक सब से बड़ा कारण स्मार्टफोन का बढ़ता चलन है. स्मार्टफोन के कारण भारत में लाकडाउन के 3 हफ़्तों के दोरान पोर्नोग्राफी देखने में 20 परसेंट की उछाल आई है. किन्तु यह सारी रिपोर्टस भारत के लिए चिंता का विषय हैं. जाहिर है पोर्नोग्राफी एक समय के लिए किसी के लिए यौनकुंठा को निकालने का जरिया हो लेकिन इस से तरह तरह की मानसिक समस्याएं पैदा होती हैं. अपने पार्टनर के साथ अधिक अपेक्षाएं जुड़ जाती हैं. अलगाव और अवसाद जन्म लेते हैं. यौन अपराधों में बढ़ोतरी होती है. खासकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का बनना और देखना मानसिक संकीर्णता को दर्शाता है.

चाइल्ड पोर्न से जुड़ी यह रिपोर्ट खतरनाक होती स्थिति को दर्शाती है. भारत में फरवरी 2009 चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ संसद में विधेयक सफलतापूर्वक पास हुआ था. यानी चाइल्ड पोर्न को पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित किया गया. इस में बच्चों से जुड़े पोर्न वीडियो को प्रसारित और प्रचारित करने वाले को दंड का भी प्रावधान है. जिस में चाइल्ड पोर्न ब्राउज़िंग करने पर 10 लाख तक जुर्माना और 5 साल की सजा मिल सकती है. किंतु ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड’ की रिपोर्ट भारत के कमजोर आईटी एक्ट की कलह भी खोल रही है कि सब कुछ पता होते हुए भी इस में सरकार मजबूत कदम नहीं उठा पा रही.

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Corona का चक्रव्यूह, नरेन्द्र मोदी की अग्नि परीक्षा

प्रधानमंत्री दामोदरदास मोदी ने 14 अप्रैल के ऐतिहासिक दिवस पर सुबह 10 बजे कोरोना विषाणु महामारी के बरक्स देश को संबोधित किया. जैसा कि हम जानते हैं यह खबर कल से ही वायरल थी कि मंगलवार को प्रधानमंत्री देश को संबोधित करने जा रहे हैं.और इसके साथ ही बड़ी बेताबी के साथ देश की भयाकांत जनता प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को सुनने के लिए बेताबी से इंतजार कर रही थी. कुछ लोगों को यह उम्मीद थी कि देश के सर्वे सर्वा होने की फल स्वरुप नरेंद्र मोदी लोक लुभावनी घोषणाएं करेंगे , तो बहुत लोग यह अपेक्षा कर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर प्रतीकात्मक रूप से संबोधन में उन्हें नमन करते हुए राजनीतिक “खिलंदड़ी” दिखा जाएंगे.  और अगर कहेंगे कि देश की जनता तुम डांस करो तो देश की जनता उनके कहने पर सड़कों पर नृत्य भी करने लगेगी.

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दरअसल  प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को देश की जनता को संबोधित करने में आनंद की अनुभूति होती है. क्योंकि आपके आह्वान पर देश की जनता वह सब करने लगती है जो अपने नेता या प्रधान मंत्री  के कहे पर किया जाता है. और विरोधी यह सब देख कर कहते हैं- देखो! किस तरह देश रसातल को जा रहा है. सवाल है, देश को संबोधित कर दिशा देने का और आम गरीब जनता को मजबूत संबल देने का, आज 14 अप्रैल हमारे देश के संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के जन्म दिवस पर क्या नरेंद्र मोदी का संबोधन  इन चुनौतियों पर खरा उतर  है. इन प्रश्नों का  प्रति उत्तर देना अभी जल्दबाजी होगी. क्योंकि इनका सही जवाब भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है.

नरेन्द्र मोदी का हाव भाव!

आज जब जैसे ही सुबह  के 10 बजे, देश के सभी टीवी चैनलों पर जैसे समय थम गया. थोड़ी देर में नरेंद्र दामोदरदास मोदी प्रकट हुए उनके हाव भाव बदले हुए नजर आए कोरोना विषाणु के खिलाफ संदेश देते हुए उन्होंने चेहरा ढक रखा था जिसे सबसे पहले उन्होंने हटाया और देश की जनता को संबोधित करते हुए लगभग 20 मिनट तक अपनी बात विस्तार से रखी .आज मोदी के चेहरे पर बेहद गंभीरता दिखाई दे रही थी उनके एक एक शब्द में देश की जनता के लिए दिशा देते हुए संदेश था. उन्होंने अपने इस एक तरह से ऐतिहासिक भाषण में बाबा साहब को याद करने और नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ कोरोना विषाणु पर  कई अहम बातें रखी इसमें सबसे महत्वपूर्ण था देश को आगामी 3 मई तक लाख डाउन पार्ट 2 से गुजारना होगा. जैसा कि उम्मीद थी वही हुआ 30 अप्रैल तक के लाक डाउन की अपेक्षा तो देश कर ही रहा था. जो 3 दिन और बढ़ गई. उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग की बात की. यह कहना भी नहीं भूले की उनकी सरकार ने कोरोना विषाणु के प्रसारण के  पहले ही, देश को संभालने में कोई कोताही नहीं की है .और हां अगर नरेंद्र मोदी एक्शन प्लान नहीं बनाते तो देश में कोरोना के कारण भयावह तस्वीर आज देखने को मिलती. दरअसल, देश को संबोधित करने का कोई भी मौका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं छोड़ रहे हैं और ना ही यह बताने से गुरेज कर रहे हैं कि उनकी सरकार बेहतर से बेहतर कर रही है. मगर जमीनी हकीकत तो देश की आवाम जान ही रहीं है की किस तरह लोग सड़कों पर भूखे, नंगे, बदहवास  घूम रहे हैं.

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लोगों के आंसू कौन पोछेगा?

निसंदेह देश की सरकार, चुनी हुई सरकार ऐसे विकट समय में एक गार्जियन  की भूमिका निभाती है. आज का दौर महामारी के कारण आपात काल का समय है.   भले ही  घोषित रूप से देश में इमरजेंसी लागू नहीं हुई है. मगर यह समय इमरजेंसी से आगे का  है क्योंकि आपातकाल तो अल्प  समय के लिए ही होता है. मगर यह महामारी का समय, भीषण त्रासदी का दौर है. जो कब खत्म होगा, यह देश की सरकार भी नहीं जानती. ऐसे में चुनी हुई सरकार से देश की आवाम यही अपेक्षा कर सकती है देश की जनता को किस तरह इस महा संकट से निकाल कर के आप ले जायेंगे! यह समय सरकार के लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती का है, ऐसा समय शताब्दी में कभी कभी आता है. इन दिनों नरेंद्र मोदी के समय काल में यह जारी है. यही कारण है कि यह मोदी के परीक्षा का भी समय है. देश की गरीब गुरबा जनता पानी और खाने के लिए अगर घंटों इंतजार करती है, लाइन लगाती है चूल्हा नहीं जलता पीने का  पानी नहीं है  तो इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ देश की चुनी हुई सरकार ही हो सकती है. ऐसे में इस चुनौती और परीक्षा की घड़ी को कैसे नरेंद्र मोदी की सरकार पार करेगी, यह  तो समय रेखांकित करेगा.

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