ग्रामीण क्षेत्रों में लौक डाउन की वजह से दैनिक मजदूरों की हालत अत्यंत चिंताजनक हो गयी है. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर कृषि कार्य, भवन निर्माण, सरकारी योजना या बड़े बड़े ठीकेदारों द्वारा बनाये जा रहे सड़क, पुल पुलिया निर्माण में कार्य करने वाले लोगों का  काम पूर्णतः ठप्प है. इनके घरों में चूल्हा तभी जलता है जब दिन भर काम करते हैं. शाम को मजदूरी मिलती है. इनके घरों में महीने भर का राशन पानी नहीं रहता.

सुरेश राम भवन निर्माण के कार्यों में दैनिक मजदूरी का काम करते हैं. मजदूरी के रूप में 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है. पत्नी बच्चों के साथ साथ बृद्ध माता पिता हैं. कुल सात परिवार हैं. लॉक डाउन की वजह से काम धंधा बन्द है.

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मुन्नी एक आदमी के घर में खाना बनाने,बर्तन धोने और झाड़ू पोछा का काम करती है. लॉक डाउन की वजह से उसके मालिक ने काम छोडवा दिया है. इनके घरों में चूल्हा जुटना मुश्किल हो गया है.मुन्नी ने दिल्ली प्रेस को बतायी की भारतीय युवा मंच के कुछ युवा लोग मेरे घर पर आकर राशन और जरूरी सामान पन्द्रह दिन के लिए देकर गए हैं जिससे तत्काल में काम चल रहा है. अधिकांशतः घरों में काम करने वाली कामकाजी महिलाओं को उसके मालिक ने काम से हटा दिया है. इन महिलाओं के साथ भुखमरी की समस्या पैदा हो गयी है

.राजू पासवान राजमिस्त्री का काम करता है. काम धंधा बन्द होने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.घर में जमा किये हुवे पैसा पत्नी की बीमारी में समाप्त हो गए .

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