प्रधानमंत्री दामोदरदास मोदी ने 14 अप्रैल के ऐतिहासिक दिवस पर सुबह 10 बजे कोरोना विषाणु महामारी के बरक्स देश को संबोधित किया. जैसा कि हम जानते हैं यह खबर कल से ही वायरल थी कि मंगलवार को प्रधानमंत्री देश को संबोधित करने जा रहे हैं.और इसके साथ ही बड़ी बेताबी के साथ देश की भयाकांत जनता प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को सुनने के लिए बेताबी से इंतजार कर रही थी. कुछ लोगों को यह उम्मीद थी कि देश के सर्वे सर्वा होने की फल स्वरुप नरेंद्र मोदी लोक लुभावनी घोषणाएं करेंगे , तो बहुत लोग यह अपेक्षा कर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर प्रतीकात्मक रूप से संबोधन में उन्हें नमन करते हुए राजनीतिक “खिलंदड़ी” दिखा जाएंगे. और अगर कहेंगे कि देश की जनता तुम डांस करो तो देश की जनता उनके कहने पर सड़कों पर नृत्य भी करने लगेगी.
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दरअसल प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को देश की जनता को संबोधित करने में आनंद की अनुभूति होती है. क्योंकि आपके आह्वान पर देश की जनता वह सब करने लगती है जो अपने नेता या प्रधान मंत्री के कहे पर किया जाता है. और विरोधी यह सब देख कर कहते हैं- देखो! किस तरह देश रसातल को जा रहा है. सवाल है, देश को संबोधित कर दिशा देने का और आम गरीब जनता को मजबूत संबल देने का, आज 14 अप्रैल हमारे देश के संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के जन्म दिवस पर क्या नरेंद्र मोदी का संबोधन इन चुनौतियों पर खरा उतर है. इन प्रश्नों का प्रति उत्तर देना अभी जल्दबाजी होगी. क्योंकि इनका सही जवाब भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है.
नरेन्द्र मोदी का हाव भाव!
आज जब जैसे ही सुबह के 10 बजे, देश के सभी टीवी चैनलों पर जैसे समय थम गया. थोड़ी देर में नरेंद्र दामोदरदास मोदी प्रकट हुए उनके हाव भाव बदले हुए नजर आए कोरोना विषाणु के खिलाफ संदेश देते हुए उन्होंने चेहरा ढक रखा था जिसे सबसे पहले उन्होंने हटाया और देश की जनता को संबोधित करते हुए लगभग 20 मिनट तक अपनी बात विस्तार से रखी .आज मोदी के चेहरे पर बेहद गंभीरता दिखाई दे रही थी उनके एक एक शब्द में देश की जनता के लिए दिशा देते हुए संदेश था. उन्होंने अपने इस एक तरह से ऐतिहासिक भाषण में बाबा साहब को याद करने और नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ कोरोना विषाणु पर कई अहम बातें रखी इसमें सबसे महत्वपूर्ण था देश को आगामी 3 मई तक लाख डाउन पार्ट 2 से गुजारना होगा. जैसा कि उम्मीद थी वही हुआ 30 अप्रैल तक के लाक डाउन की अपेक्षा तो देश कर ही रहा था. जो 3 दिन और बढ़ गई. उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग की बात की. यह कहना भी नहीं भूले की उनकी सरकार ने कोरोना विषाणु के प्रसारण के पहले ही, देश को संभालने में कोई कोताही नहीं की है .और हां अगर नरेंद्र मोदी एक्शन प्लान नहीं बनाते तो देश में कोरोना के कारण भयावह तस्वीर आज देखने को मिलती. दरअसल, देश को संबोधित करने का कोई भी मौका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं छोड़ रहे हैं और ना ही यह बताने से गुरेज कर रहे हैं कि उनकी सरकार बेहतर से बेहतर कर रही है. मगर जमीनी हकीकत तो देश की आवाम जान ही रहीं है की किस तरह लोग सड़कों पर भूखे, नंगे, बदहवास घूम रहे हैं.
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लोगों के आंसू कौन पोछेगा?
निसंदेह देश की सरकार, चुनी हुई सरकार ऐसे विकट समय में एक गार्जियन की भूमिका निभाती है. आज का दौर महामारी के कारण आपात काल का समय है. भले ही घोषित रूप से देश में इमरजेंसी लागू नहीं हुई है. मगर यह समय इमरजेंसी से आगे का है क्योंकि आपातकाल तो अल्प समय के लिए ही होता है. मगर यह महामारी का समय, भीषण त्रासदी का दौर है. जो कब खत्म होगा, यह देश की सरकार भी नहीं जानती. ऐसे में चुनी हुई सरकार से देश की आवाम यही अपेक्षा कर सकती है देश की जनता को किस तरह इस महा संकट से निकाल कर के आप ले जायेंगे! यह समय सरकार के लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती का है, ऐसा समय शताब्दी में कभी कभी आता है. इन दिनों नरेंद्र मोदी के समय काल में यह जारी है. यही कारण है कि यह मोदी के परीक्षा का भी समय है. देश की गरीब गुरबा जनता पानी और खाने के लिए अगर घंटों इंतजार करती है, लाइन लगाती है चूल्हा नहीं जलता पीने का पानी नहीं है तो इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ देश की चुनी हुई सरकार ही हो सकती है. ऐसे में इस चुनौती और परीक्षा की घड़ी को कैसे नरेंद्र मोदी की सरकार पार करेगी, यह तो समय रेखांकित करेगा.