सरकार अपनी तरफ से कुछ भी करने का वायदा नहीं कर रही. न सरकारी मशीनरी का वेतन रोका है, न फंसे मजदूरों को कोई राहत दे रहा है, न व्यापारियों को कर माफी की बात हो रही है, न किसानों को कुछ दिया जा रहा है. आखिर सरकार की नीति क्या  है, इस का जवाब है क्या?

ऐसे सवालों को दरकिनार करते हुए सरकार अपना ही राग अलाप रही है. वह कह रही है कि लोग काम करें, पर कैसे, बता नहीं रही. क्योंकि बसें, मैट्रो, रेलें सभी तो बन्द है. मजदूर, गरीब जिन के पास अपना साधन नहीं है, वे कैसे काम पर जा पाएंगे.

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सरकार ने काम को ले कर कुछ छूट तो दी है, पर अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए.

एक तरफ तो कह रही है कि काम करो, वहीं दूसरी तरफ आने-जाने की कोई सुविधा नहीं दे रही. फैक्ट्री में ही काम करो, वहीं रहो और सो जाओ. क्या महिलाएं इन शर्तों पर काम कर पाएंगी? वही कंपनी के मालिक भी ऐसी सोशल डिस्टेन्स की व्यवस्था कैसे कर पाएंगे?

भले ही कुछ सेक्टर में यह छूट 20 अप्रैल से दी जा रही हो, पर सरकार ने अपनी शर्तें भी जोड़ दी हैं. यानी मध्यम वर्ग और गरीब तबके की कमर को और तोड़ने का ही प्रयास किया गया है.

नई गाइडलाइन के तहत ट्रेनों में सुरक्षा से जुड़े लोग ही आजा सकेंगे. इस के अलावा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ान सेवाओं पर रोक रहेगी. बस, रेल, मेट्रो, ऑटो, तिपहिया टैक्सी बंद रहेंगे. स्कूल, शिक्षण संस्थाएं, कोचिंग संस्थान बंद रहेंगे. औद्योगिक गतिविधियों पर रोक जारी रहेगी. सिनेमा, जिम, माल बंद रहेंगे.

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