एक ओर भारत सरकार दुनिया की नजरों में अच्छी इमेज बनाने की कोशिश में लगी है, वहीं पैसों की बरबादी भी सामने आ रही है.

अस्पताल बनाने, दवा तैयार करने व डाक्टरों की भरती को ले कर सरकार ज्यादा गंभीर नहीं है, बल्कि मिसाइल और मास्क, कोरोना किट खरीदने में लगी है. इस की कानोंकान किसी को खबर नहीं है. जब खबर उजागर होती है तो पता चलता है कि कोरोना किट के नाम पर हम ठगे गए हैं तो मास्क भी घटिया किस्म का दिया है. विपक्षी दल भी मूकदर्शक बना सरकार के साथ कदमताल कर रहा है.

एक ओर जहां कोरोना भय का माहौल है. सरकार अपनी तरफ से कुछ भी करने का वादा नहीं कर रही. इसी तरह फंसे मजदूरों को कोई राहत नहीं दे  रही. हजारों लोग जो बीच जगहों पर फंसे हुए हैं, उन को भी कोई सहूलियत नहीं दी जा रही. ये लोग अपने घर जाने को ले कर बेचैन हैं. अभी तक तो सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है इन लोगों को ले कर.

तरक्की का ढोल पीट कर यह सलाह दी गई है कि अपने घर से बाहर न जाएं. ताली बजाएं थाली पीटें, रोशनी करें. रोशनी के नाम पर तो मिनी दीवाली ही लोगों ने मना ली, पर उन बेचारों की सुध नहीं ली जो जहां फंसा हुआ है उसे उस की जगह तक पहुंचा दिया जाए.

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तरक्कीपसंद, अमनपसंद देश में ऐसी खुशहाली आएगी, सपने में भी नहीं सोचा था. जो जहां था वहीं का हो कर रह गया, ऐसा भी नहीं सोचा था. घरों में पत्नीबच्चे परेशान हैं. पता नहीं, अब कब वे माकूल दिन लौटेंगे.

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