(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)
पता चला कि राममेहर ने कुछ समय पहले ही एक करोड़ 41 लाख रुपए की 4 बीमा पौलिसियां कराई थीं. उन बीमा पौलिसियों में उस ने पत्नी संतोष को नौमिनी बनाया था.
यह बात भी सामने आई कि लौकडाउन में उस की फैक्ट्री का कामकाज ठप हो गया था. फिर उस ने इतनी बड़ी रकम की पौलिसियां क्यों कराई?
इस के अलावा उस के मोबाइल की काल डिटेल्स में उस की एक महिला मित्र का पता चला. उस महिला मित्र से पूछताछ के बाद राममेहर के जीवित होने और उस की साजिश का पता चला गया. राममेहर ने बीमा पौलिसियों का पैसा हड़पने और कर्जदारों से छुटकारा पाने के लिए अपनी मौत का ड्रामा रचा था.
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राममेहर जीवित मिल गया और उस के नाटक से भी परदा उठ गया, लेकिन एक सवाल यह रह गया कि कार में जो शव मिला था, वह किस का था? हिसार के एसपी लोकेंद्र सिंह के अनुसार शव डाटा गांव के ही राममेहर उर्फ रमलू का था.
पुलिस के अनुसार, पूछताछ के बाद राममेहर की साजिश की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह थी—
राममेहर को व्यापार में घाटा हो रहा था. लौकडाउन में व्यापार बिलकुल ही ठप हो गया था. उस पर एकडेढ़ करोड़ रुपए का कर्ज भी था. उस ने पीएनबी और एचडीएफसी बैंक से पर्सनल लोन भी लिया था. वह शराब पीता था और उस की कई महिलाओं से दोस्ती भी थी. इन महिला मित्रों पर भी वह काफी पैसा खर्च करता था.
पैसे के लिए परेशान था
खर्चों के हिसाब से आमदनी नहीं होने से वह परेशान रहने लगा था. उस ने एकदो बार आत्महत्या करने की भी सोची. बाद में उस ने बीमा क्लेम हड़पने और कर्जदारों से छुटकारा पाने के लिए खुद को मृत घोषित करने की साजिश रची. इस साजिश के तहत उस ने इसी साल जुलाई में एक करोड़ 41 लाख रुपए की 4 बीमा पौलिसियां कराईं.
साजिश के तहत मारने के लिए उस ने अपने ही गांव के राममेहर उर्फ रमलू को चुना. गरीब रमलू डफली बजागा कर परिवार की गुजरबसर करता था. रमलू के परिवार में उस की बीवी और बूढ़ी मां के अलावा 3 बेटे और 3 बेटियां थीं. रमलू में शराब पीने की बुरी लत थी. वह गाबजा कर आसपास के गांवों में अनाज मांगने के लिए निकल जाता, तो कभी एकदो दिन बाद और कभी तीनचार दिन बाद घर लौटता था. इसलिए परिवार वाले उस की ज्यादा चिंता नहीं करते थे.
राममेहर ने 6 अक्टूबर को बैंक से 10 लाख 90 हजार रुपए निकलवाए. इस में से उस ने साढ़े 4 लाख रुपए एक महिला मित्र सुनीता को नकद दिए. कुछ रकम उस ने दूसरी महिला मित्र के बैंक खाते में जमा करा दी.
गरीब रमलू बना निशाना
राममेहर को उस दिन शाम को रमलू गांव के बाहर शराब पीते हुए मिल गया. उसे देख कर राममेहर की आंखें चमक गईं. उस ने घर पर फोन कर कहा कि वह हिसार जा रहा है. घर फोन करने के बाद राममेहर ने रमलू को अपनी कार में बैठा लिया. फिर उस ने शराब खरीदी.
कार को भाटलामहजद की सुनसान सड़क पर खड़ी कर दोनों शराब पीते रहे. कार की ड्राइविंग सीट पर राममेहर बैठा था, उस के पास वाली सीट पर रमलू. राममेहर ने खुद कम शराब पी. रमलू को वह रात तक शराब पिलाता रहा.
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रमलू जब शराब के नशे में पूरी तरह बेसुध हो गया, तो उस ने उसे गला दबा कर मार डाला. फिर उस ने अपनी कार के फ्यूल टैंक से डीजल निकाला. डीजल निकालने के लिए उस ने पहले से ही कार में पतली पाइप रखी हुई थी. रमलू और कार पर डीजल छिड़क कर उस ने आग लगा दी.
उस ने जलती हुई कार को एकदो मिनट तक देखा. इस के बाद पैदल ही ढाणी कुतुबपुर के लिए चल दिया. रास्ते में उस ने अपने बेटे और भांजे को घबराई हुई आवाज में फोन पर झूठी सूचना दे कर कहा कि उसे कुछ बदमाशों ने घेर लिया है.
ढाणी कुतुबपुर में पहले से ही उस की एक महिला मित्र की कार तैयार खड़ी थी. वह उस कार से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के लिए रवाना हो गया.
7 अक्टूबर की रात में वह बिलासपुर पहुंच गया. वहां वह अपने एक परिचित के पास रुका. परिचित से उस ने कहा कि वह बिलासपुर में जमीन खरीदना चाहता है, इसलिए आया है. इस बीच, उस ने अपने नए मोबाइल नंबरों से अपनी महिला मित्रों से संपर्क बनाए रखा.
पुलिस ने इस मामले में 12 अक्टूबर को राममेहर की महिला मित्र सुनीता को गिरफ्तार कर लिया. हांसी की जगदीश कालोनी की रहने वाली सुनीता 4 साल पहले तक राममेहर की फैक्ट्री में काम करती थी. इसी दौरान वह राममेहर के संपर्क में आई थी. रमलू को जला कर मारने का पता चलने पर पुलिस ने इस मामले में एससीएसटी एक्ट की धाराएं भी जोड़ दीं.
बाद में पुलिस ने राममेहर की दूसरी महिला मित्र रानी को भी इस मामले में गिरफ्तार कर लिया. वह रानी की कार से ही बिलासपुर गया था. उस ने वारदात वाले दिन रानी के खाते में करीब पांच लाख रुपए जमा कराए थे. रानी के खाते की चैकबुक व एटीएम कार्ड राममेहर के पास थे. उस की योजना थी कि खुद को मृत घोषित करने के बाद जरूरत पड़ने पर वह उस के खाते से पैसे निकाल लेगा.
राममेहर की असलियत उजागर होने के बाद उस की पत्नी संतोष न तो खुद को सुहागन कह पा रही है और न ही विधवा. राममेहर ने अपनी मौत का ड्रामा रच कर संतोष की सुहाग की सारी निशानियां मिटा दीं. उस के बेटेबेटियां भी पिता की करतूत से हैरान हैं. 70 साल का बूढ़ा पिता टेकचंद कहता है ‘हमारे ऐसे करम थे जो ऐसा कपूत पैदा हुआ. उस ने तो जिंदगी भर का बट्टा लगा दिया.’
राममेहर के लालच में रमलू बेमौत मारा गया. उस के घर में अब आंसू, लाचारी और बेबसी है. रमलू गाबजा कर परिवार पालता था. अब उस की पत्नी कृष्णा और 6 बच्चों का गुजारा कैसे होगा, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा. कृष्णा पर रमलू के छोटे भाई की स्वर्गवासी पत्नी के 5 बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी भी आ गई है.
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रमलू इस घटना से 2 दिन पहले गांव से गया था, वह वापस घर नहीं लौटा, तो घर वालों ने ज्यादा चिंता नहीं की, क्योंकि वह पहले भी कई बार 3-4 दिनों में लौटा था. राममेहर से पूछताछ के बाद पुलिस जब रमलू के घर पहुंची, तो सचाई का पता चलने पर उस के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. कार में जला शव रमलू का ही था, इस की पुष्टि के लिए पुलिस डीएनए जांच करा रही है.