पराया माल हड़पने के चक्कर में : भाग 2

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‘‘ठीक है, उसे दिल्ली जा कर ही उठा लो. एक टीम को फौरन दिल्ली रवाना कर दो.’’ अंशुमान भोमिया ने आदेशात्मक स्वर में कहा.

इस से पहले कि मीटिंग बरखास्त होती, एसपी ने एएसपी अनंत कुमार शर्मा को निर्देश देते हुए कहा, ‘‘भुवनेश की गैरमौजूदगी में जो भी कैफे चला रहा है, उसे और भुवनेश के घर वालों को फौरन तलब करो.’’

जब पुलिस टीमें मृतक दुर्गेश के व्यावसायिक क्रियाकलापों, प्रौपर्टी तथा परिचितों का दायरा खंगाल रही थीं, उसी दौरान पुलिस की नजरों से सोशल मीडिया पर वायरल होता एक मैसेज गुजरा, जिस में भुवनेश सफाई देता नजर आ रहा था कि उस का इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है. आखिर दुर्गेश की हत्या में उस का नाम क्यों उछाला जा रहा है?

हत्यारे ने दी सोशल मीडिया पर सफाई

इस से पहले कि पुलिस इस मामले को ठीक से समझ पाती, अगले दिन यानी 11 अगस्त को डीएसपी शिव भगवान गोदारा के पास एक फोन आया. फोन करने वाले आदमी ने अपना नाम भुवनेश बताते हुए पूछा, ‘‘साहब, इस मामले में मेरा नाम क्यों घसीटा जा रहा है? आखिर मुझ पर बेवजह क्यों शक किया जा रहा है, जबकि मैं तो दिल्ली में हूं.’’

उस का कहना था कि वह अगले दिन कोटा पहुंच जाएगा. डीएसपी गोदारा ने जब यह बात अंशुमान भोमिया को बताई तो एक पल के लिए वह भी चौंके, लेकिन अगले ही पल उन के चेहरे पर मुसकराहट तैर गई. उन्होंने कहा, ‘‘गोदारा, यह कहावत गलत नहीं है कि अपराध अपराधी के सिर पर चढ़ कर बोलता है. अपराधी ने खुद ही हमें भटकने से बचा लिया. यही है हमारा शिकार. तुरंत इस फोन का लोकेशन ट्रेस करवाओ ताकि पता चल सके कि फोन कहां से किया गया था.’’

पुलिस ने जब भुवनेश के पिता और उस के बाघा कैफे का कारोबार संभालने वाले निशांत से भुवनेश के बारे में पूछताछ की तो थोड़ी हीलाहवाली के बाद उस ने बताया, ‘‘साहब, वह दिल्ली जाने की बात कह रहे थे. दिल्ली में उन की ससुराल भी है. शायद वहीं गए हों.’’

पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो उस ने हिचकिचाते हुए कहा, ‘‘सर, मंगलवार शाम तक तो वह मेरे साथ ही थे, लेकिन उस के बाद मैं ने उन्हें नहीं देखा.’’

भुवनेश के पत्नी के साथ दिल्ली जाने की तसदीक हो चुकी थी. अंशुमान भोमिया थानाप्रभारी रामखिलाड़ी मीणा को दिल्ली जाने का निर्देश भी दे चुके थे. लिहाजा उन्होंने निशांत को हिरासत में ले कर उसे लौकअप में बंद किया और दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

रामखिलाड़ी मीणा पुलिस टीम के साथ 12 अगस्त शनिवार की सुबह दिल्ली पहुंच गए. उन्होंने भुवनेश की ससुराल में फोन किया तो फोन उस के बजाय उस की पत्नी भावना ने उठाया. मीणा ने जब भुवनेश से बात कराने को कहा तो उस ने यह कहते हुए फोन रख दिया कि वह अभी सो रहे हैं.

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भावना द्वारा पुलिस को दिए गए दोटूक जवाब से भिन्नाए मीणा फौरन उस की ससुराल पहुंच गए. भावना ने उन से झूठ बोला था कि भुवनेश सो रहा है, जबकि वह वहां था ही नहीं.

पुलिस ने भावना को लिया हिरासत में

भावना के झूठ पर गुस्से से उबलते हुए मीणा उस पर बरस पड़े, ‘‘इस का मतलब है कि भुवनेश ने ही दुर्गेश को गोली मारी है और इस साजिश में तुम भी उस की साथी हो.’’

मीणा ने संदिग्ध मानते हुए भावना को हिरासत में लिया तो वह जबरदस्त विरोध पर उतर आई. उस ने दराज से प्रिस्क्रिप्शन निकाल कर दिखाते हुए कहा, ‘‘देख लीजिए, हम लोग तो 9 अगस्त से यहीं पर हैं. यहां आ कर वह बीमार पड़ गए. उन का इलाज चल रहा है. यह पर्चियां भी हैं डाक्टर की.’’

मीणा ने उन पर्चियों की तरफ निगाह उठा कर भी नहीं देखी. एक पल में ही सारा माजरा समझ चुके मीणा ने कहा, ‘‘तो फिर तुम्हारा बीमार पति यहां से गायब क्यों है? तुम ने पुलिस को बहकाने की कोशिश क्यों की? तुम्हारे पति का मोबाइल यहां है तो वह कहां हैं? पुलिस से यह लुकाछिपी नहीं चलेगी.’’

मीणा भुवनेश की पत्नी भावना को ले कर कोटा पहुंचने तक अंशुमान भोमिया निशांत से पूरी कहानी उगलवा चुके थे.

इस हत्याकांड की जड़ में स्टेशन रोड स्थित दुर्गेश मालवीय की 10 करोड़ कीमत की बेशकीमती इमारत थी, जिस में भुवनेश बाघा कैफे चला रहा था. इस कैफे से उसे ढाईतीन लाख रुपए महीने की अच्छीखासी कमाई हो रही थी. कैफे का हिसाबकिताब भुवनेश का भरोसेमंद निशांत संभालता था. भुवनेश उसे 6 हजार रुपए महीना वेतन देता था. निशांत स्टूडेंट था. उस के लिए यह रकम काफी थी. इतने से पढ़ाई का और उस का खर्च निकल जाता था. उसे कभी कुछ और जरूरत होती तो भुवनेश मना नहीं करता था.

पिछले एक साल से भुवनेश काफी परेशान था. वजह थी कैफे की इमारत खाली करने के लिए बढ़ते दबाव की. जबकि इस कैफे से उसे अच्छीखासी कमाई हो रही थी. बात सिर्फ उस फ्लोर को खाली करने की ही नहीं थी, भुवनेश का इरादा उस पूरी इमारत को हड़पने का था.

जब दबाव ज्यादा बढ़ा तो भुवनेश ने दुर्गेश को यह कह कर बहला दिया कि वह अगस्त में ग्राउंड फ्लोर खाली कर देगा. दुर्गेश को टालने के लिए अब तक वह मोहलत मांगता आ रहा था. उस का इरादा उस जगह को खाली करने का कतई नहीं था.

दबंग प्रवृत्ति के भुवनेश ने इमारत खाली करने के बजाय उस में टाइल्स लगवाने का काम शुरू कर दिया. दुर्गेश ने उस के इरादे देखे तो वह बुरी तरह भड़क उठा और उस ने तत्काल बिल्डिंग खाली करने को कह दिया. यह जुलाई के अंतिम सप्ताह की बात है. निशांत पलपल की स्थिति से वाकिफ था. बिल्डिंग खाली करने का मतलब था, रोजीरोटी का जरिया खत्म हो जाना, जो उसे कतई मंजूर नहीं था. निशांत भुवनेश के सुखदुख का साथी था. एक दिन उस ने भुवनेश से पूछा, ‘‘अब क्या करोगे भाईसाहब?’’

भुवनेश ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, ‘‘तू फिक्र मत कर. कुछ ऐसा करेंगे कि सांप भी मर जाएगा और लाठी भी न टूटेगी. बस, तुझे मेरा साथ देना होगा.’’

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निशांत की इतनी मजाल नहीं थी कि उस के कहे को टाल दे. उस ने छाती चौड़ी कर के कहा, ‘‘आप कह कर तो देखें भाईसाहब, आप के लिए तो मैं जान दे सकता हूं.’’

‘‘जान देने की नहीं, लेने की बात कर.’’ भुवनेश ने कुटिल मुसकराहट के साथ निशांत का कंधा थपथपाते हुए कहा. बस इस के बाद दुर्गेश की हत्या की योजना बन गई.

दुर्गेश की जान लेने का मंसूबा बना कर भुवनेश ने पहले सुपारी देने के लिए अंडरवर्ल्ड को खंगाला. इस के लिए उस ने शूटर मुकेश खंगार उर्फ बच्चा और नंदू से संपर्क किया. लेकिन उन के द्वारा मांगी गई मोटी रकम की वजह से बात नहीं बनी. आखिर उस ने खुद ही दुर्गेश की हत्या का मन बना लिया.

इस काम में निशांत कदमदरकदम उस का साथ देता रहा. घर पर पिता से कहा कि तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह ससुराल जा कर इलाज कराएगा. इस के बाद भुवनेश पत्नी को ले कर मंगलवार 8 अगस्त को दिल्ली चला गया और दिल्ली के एक अस्पताल में भरती हो गया. यह सिर्फ एक दिखावा था.

इस तरह दिया गया हत्या को अंजाम

बुधवार 9 अगस्त की रात को भुवनेश कोटा आ गया. दिल्ली जाते समय वह अपना स्कूटर स्टेशन की पार्किंग में छोड़ गया था. वापसी में पार्किंग से स्कूटर ले कर वह घर पहुंचा और पिता को खबर न हो, इस तरह पिछवाड़े से घर में घुसा और चुपचाप अपने कमरे में जा कर सो गया.

अगले दिन गुरुवार 10 अगस्त की दोपहर को वह पीछे के रास्ते से घर से निकला और निशांत से मिला. भुवनेश के कहने पर निशांत घर से भुवनेश के पिता का स्कूटर ले आया. दोनों ने साथसाथ रेकी की. भुवनेश दुर्गेश की शाम की रोजमर्रा की बैठक के बारे में सब कुछ जानता था. लिहाजा उस ने रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों की लोकेशन देखी और उसी के हिसाब से आनेजाने का रास्ता चुना. उस ने वारदात का समय भी ऐसा चुना, जिस से वारदात के बाद तुरंत ट्रेन से भाग सके.

इस में वह कामयाब भी हो गया. लेकिन जैसा कि हर अपराधी कोई न कोई गलती करता है. उसी तरह उस ने भी की और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज को ले कर खामोश रहने के बजाय सफाई देने के लिए पुलिस को फोन कर दिया कि वह तो दिल्ली के अस्पताल में भरती था, वह कैसेदुर्गेश की हत्या कर सकता है?

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इस से वह तकनीकी जांच में फंस गया, क्योंकि जिस समय वह फोन कर के सफाई दे रहा था, उस समय उस के मोबाइल की लोकेशन कोटा की थी. इस मामले में एसपी अंशुमान भोमिया का अंदेशा सही निकला. उस की योजना की रहीबची बखिया दिल्ली से लौटी पुलिस टीम ने उधेड़ दी. हत्याकांड के ढाई महीने बीतने के बाद भी अभी भुवनेश पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. निशांत न्यायिक हिरासत में है. भुवनेश की पत्नी भावना भी अभी संदेह के बाहर नहीं है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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पराया माल हड़पने के चक्कर में

पराया माल हड़पने के चक्कर में : भाग 1

गुरुवार 10 अगस्त की रात के करीब 10 बजे कोटा रेलवे स्टेशन पर रोज की तरह अच्छीखासी गहमागहमी थी. अजमेर से जयपुर होती हुई कोटा पहुंचने वाली जबलपुर एक्सप्रेस निर्धारित समय से लगभग आधा घंटा देरी से पहुंची थी, इसलिए बाहर निकलती सवारियों, दुपहिया, तिपहिया वाहनों और कारों की आवाजाही के कोलाहल में ठीक से कुछ भी सुनाई देना मुश्किल हो रहा था. स्टेशन के बाहरी क्षेत्र को बजरिया कहते हैं, उसी से सटा डडवाड़ा रिहायशी इलाका है.

डडवाड़ा के रहने वाले प्रौपर्टी व्यवसाई दुर्गेश मालवीय रोज के इस शोरगुल के अभ्यस्त थे. उस समय वह स्टेशन के बाहर बने सुलभ कौंप्लेक्स के पास लगी बेंचों में से एक पर बैठे अपने करीबी दोस्त मंगेश कुमावत के साथ बातों में मशगूल थे. दुर्गेश भाजपा संगठन के स्थानीय पदाधिकारी थे और मंगेश कार्यकर्ता. उन के बीच पार्टी को ले कर ही बातें हो रही थीं.

दोनों आगेपीछे की बेचों पर बैठे थे. पलभर के लिए मंगेश स्टेशन से निकलती भीड़ को देखने लगे, तभी 2 धमाके हुए और दुर्गेश मालवीय चीख कर बेंच से नीचे लुढ़क गए. मंगेश ने मुंह घुमा कर देखा तो उन्हें एक हेलमेटधारी तेजी से बाईं ओर की कासिम गली की तरफ भागता नजर आया. उस ने मुंह पर रूमाल बांध रखा था. मंगेश ने पलट कर दुर्गेश की तरफ देखा तो उस की आंखें फटी रह गईं.

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दुर्गेश बेंच के नीचे गिरा छटपटा रहा था. उस की कनपटी से तेजी से खून बह रहा था. निस्संदेह पिछली बेंच पर बैठा दुर्गेश किसी शूटर की गोली का शिकार हुआ था. उस ने तुरंत दुर्गेश को संभालने की कोशिश की. इस बीच इलाके के तमाम लोग वहां आ गए थे.

घायल दुर्गेश को डाक्टरों ने मृत घोषित किया

दुर्गेश की हालत बहुत नाजुक थी. मंगेश ने अन्य लोगों की मदद से दुर्गेश को तुरंत एमबीएस अस्पताल पहुंचाया. इस घटना से वहां अफरातफरी सी मच गई थी, जिस से पूरा ट्रैफिक अस्तव्यस्त हो गया था. लोगों ने पुलिस को खबर की तो अतिरिक्त एडिशनल एसपी अनंत कुमार, डीएसपी शिव भगवान गोदारा और थाना भीममंडी के थानाप्रभारी रामखिलाड़ी  मीणा पहले घटनास्थल पर पहुंचे, उस के बाद अस्पताल. एसपी अंशुमान भोमिया को भी घटना की खबर मिल चुकी थी. वह भी अस्पताल पहुंच गए थे.

दुर्गेश के घर वालों को भी मामले की जानकारी मिल चुकी थी. वे भी अस्पताल आ गए थे. उन के रोनेधोने से अस्पताल का माहौल मातमी हो गया था. क्योंकि डाक्टर दुर्गेश को मृत घोषित कर चुके थे. थानाप्रभारी रामखिलाड़ी मीणा ने घटनास्थल का निरीक्षण कर वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की. लेकिन इस के अलावा कोई कुछ नहीं बता सका कि घटना इतनी जल्दी में घटी थी कि हत्यारे को कोई देख नहीं सका.

इस पूछताछ में पता चला कि दुर्गेश का प्रौपर्टी को ले कर किसी से विवाद चल रहा था. लेकिन बताने वालों के आतंकित चेहरों को देख कर साफ लग रहा था कि वे कुछ और भी जानते हैं.  पुलिस ने प्राथमिक काररवाई में आसपास के सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले और वीडियो फुटेज भी लिए, ताकि सभी सबूतों की कड़ी से कड़ी जोड़ कर देखा जा सके.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि हत्यारे ने दुर्गेश के सिर में 2 गोलियां मारी थीं. खास बात यह थी कि जिस तरह से टारगेट बना कर गोलियां दागी गई थीं, वह किसी शार्प शूटर का ही काम हो सकता था. गोलियां काफी नजदीक से चलाई गई थीं और दुर्गेश की मृत्यु घटनास्थल पर ही हो गई थी.

प्रौपर्टी को ले कर विवाद सामने आया

देर रात रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए दुर्गेश के बड़े भाई ओमप्रकाश मालवीय ने आशंका जताई थी कि दुर्गेश का एक भूखंड आकाशवाणी कालोनी में है, जिस पर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है. उसे ले कर मृतक का उन लोगों से विवाद चल रहा था. इस की शिकायत संबंधित थाने में भी दर्ज करवाई गई थी. ओमप्रकाश का कहना था कि मंगेश हत्यारे के पीछे भागा भी, लेकिन वह हाथ नहीं आया.

एसपी अंशुमान भोमिया ने हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए प्रशिक्षु आरपीएस सीमा चौहान के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की, जिस में एएसपी अनंत कुमार, डीएसपी शिव भगवान गोदारा, सीओ राजेश मेश्राम, थानाप्रभारी रामखिलाड़ी मीणा, शिवराज गुर्जर, हरीश भारती, विजय शंकर शर्मा, लोकेंद्र पालीवाल, महावीर सिंह और एसआई राजेश व दिनेश त्यागी को शामिल किया गया.

इस टीम में 6 थानाप्रभारियों के अलावा 15 जवान भी शामिल किए गए थे. हत्याकांड के खुलासे के लिए गठित पुलिस टीमों को स्टेशन तथा शहर के अन्य इलाकों में पूछताछ के लिए सक्रिय करने के बाद देर रात एसपी अंशुमान भोमिया ने एएसपी अनंत कुमार के साथ इस हत्याकांड के विभिन्न पहलुओं पर बात की.

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पुलिस को शक था कि शूटर से कराई है हत्या

अंशुमान भोमिया का कहना था कि यह कैसे संभव है कि कोई शख्स भीड़भाड़ वाले इलाके में, जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, इतना बेखौफ हो कर सधे अंदाज में एक आदमी को गोली मार कर भाग जाए? निस्संदेह वह कोई शातिर शूटर रहा होगा. हत्यारे ने जिस तरह अपने आप को सीसीटीवी कैमरों से बचाए रखा, जाहिर है कि उस ने या तो वारदात से पहले वहां की रैकी की होगी या फिर वह वहां के चप्पेचप्पे से वाकिफ था.

एक क्षण रुक कर उन्होंने आगे कहा, ‘‘हत्यारा जरूर मृतक का करीबी रहा होगा, जिसे उस की रोज की गतिविधियों की खबर थी. उसे पता था कि रात के 8-9 बजे के बीच दुर्गेश की वहां बैठक होती है.’’

भोमिया साहब ने आगे कहा, ‘‘घटनास्थल पर जद्दोजहद के कोई निशान नहीं मिले, जिस से यह मान लिया जाता कि वहां कोई झगड़ा हुआ था, जिसे छिपाया जा रहा है. यह मामला लूटपाट का भी नहीं है. वारदात का अकेला प्रत्यक्षदर्शी मंगेश कुमावत नहीं, सैकड़ों लोग हैं, जिन्होंने हत्यारे को दुर्गेश पर गोली चलाते देखा है. मुझे लगता है कि यह मामला सीधेसीधे रंजिश का है. ऐसी रंजिश, जिस में आदमी मरने या मारने पर उतारू हो जाता है.’’

‘‘लेकिन सर, रंजिश तो और भी कई तरीकों से निकाली जा सकती है. यह तो बड़े हौसले और दबंगई से अंजाम दिया गया कारनामा है. कोई शख्स भीड़ भरे इलाके में आया और अपने टारगेट को निशाना बना कर चलता बना.’’

एक पल रुक कर अनंत कुमार ने आगे कहा, ‘‘सर, यहां मृतक के दोस्त मंगेश के बारे में उन के भाई ओमप्रकाश मालवीय का बयान गलत है कि वह हत्यारे के पीछे भागे थे. क्योंकि उस स्थिति में तो उसे घायल दुर्गेश को संभालना चाहिए था.’’

‘‘बिलकुल सही कह रहे हो.’’ अंशुमान भोमिया ने संजीदा हो कर कहा, ‘‘तो फिर रंजिश की वजह जानने की कोशिश करनी होगी और जैसा कि मृतक का कारोबार यानी प्रौपर्टी का धंधा था, जरूर कोई वजह इसी से जुड़ी हो सकती है. हमें दो बातों पर ध्यान देना होगा. पहला, यह कि मृतक की संपत्ति कहांकहां है और दूसरे जैसा कि उस के बड़े भाई ओमप्रकाश मालवीय का कहना है कि वारदात संपत्ति को ले कर हो सकती है तो मृतक की ऐसी कौन सी प्रौपर्टी थी, जिसे ले कर दुर्गेश के किसी के साथ फसादी रिश्ते बन गए थे. ऐसी कड़वाहट पैदा हो गई थी कि नौबत यहां तक आ पहुंची.’’

पुलिस ने पता लगा लिया हत्यारे का

इस से पहले कि मीटिंग समाप्त होती, प्रशिक्षु आरपीएस सीमा चौहान ने वहां पहुंच कर जो कुछ बताया, वह एसपी अंशुमान भोमिया के अंदेशे को सही ठहराने वाला था. सीमा चौहान ने तफ्सील से खुलासा करते हुए कहा, ‘‘सर, हम ने मुकेश खंगार उर्फ बच्चा को हिरासत में लिया है. उस ने एक चौंकाने वाली बात बताई है. उस का कहना है कि उसे इस मर्डर की योजना की खबर पहले से थी. उस के अनुसार, भुवनेश शर्मा ने उस से संपर्क साधने की कोशिश की थी. लिहाजा भुवनेश ने दुर्गेश के लिए उन शूटरों को सुपारी दी होगी.’’

इस खुलासे ने अंशुमान भोमिया को हैरानी में डाल दिया था. उन्होंने पूछा, ‘‘कौन भुवनेश?’’

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सीमा चौहान ने बताया, ‘‘सर, दुर्गेश की सब से बड़ी प्रौपर्टी स्टेशन रोड स्थित तिमंजिला इमारत है, जिस की कीमत करोड़ों में बताई जाती है. इस इमारत का ग्राउंड फ्लोर दुर्गेश ने पूनम कालोनी में रहने वाले भुवनेश शर्मा को किराए पर दे रखा था. भुवनेश इस हिस्से में पिछले 5 सालों से बाघा कैफे चला रहा है. सुना है, भुवनेश को कैफे से हर महीने ढाईतीन लाख की कमाई होती है.

लेकिन पिछले साल दुर्गेश ने भुवनेश को ग्राउंड फ्लोर खाली करने को कह दिया था. काफी हीलाहवाली के बाद तय हुआ कि वह अगस्त में इमारत खाली कर देगा. लेकिन अगस्त की शुरुआत में दुर्गेश ने जब भुवनेश को ग्राउंड फ्लोर में टाइल्स लगवाते देखा तो उस का माथा ठनका. इस से पहले कि दुर्गेश उस से फ्लोर खाली करने को कहता, भुवनेश उसे नहीं मिला. पता चला कि वह अपनी पत्नी के साथ दिल्ली गया हुआ था.’’

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शर्तों वाला प्यार: भाग 2

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उस की मौत अधिक खून बहने व सिर की हड्डी टूटने से हुई थी. दुष्कर्म की आशंका के चलते 2 स्लाइडें भी बनाई गईं.

पुलिस को मृतका का मोबाइल फोन न तो घटनास्थल से मिला था और न ही घर वालों ने उस की जानकारी दी थी. पुलिस ने इस बारे में मृतका की मां शिवदेवी तथा उस की बेटियों से पूछताछ की.

शिवदेवी ने कहा कि अन्नपूर्णा के पास मोबाइल नहीं था. लेकिन जब उस की बेटियों से अलग से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उस के पास मोबाइल था.

अगर उस के पास मोबाइल था, तो शिवदेवी ने क्यों मना किया, यह बात पुलिस की समझ से परे थी. लिहाजा पुलिस ने जब अपने तेवर सख्त किए तो घर वालों से पुलिस ने 3 मोबाइल फोन बरामद किए.

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पुलिस ने जब तीनों फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो एक फोन की डिटेल्स से पता चला कि अन्नपूर्णा हरिओम के अलावा कई अन्य युवकों से भी बात करती थी. काल डिटेल्स के आधार पर पुलिस ने 3 युवकों को पूछताछ के लिए उठाया.

इन में एक सोनू था, जो मृतका का पड़ोसी था. जांचपड़ताल से पता चला कि सोनू और अन्नपूर्णा के बीच प्रेमसंबंध थे. सोनू का उस के घर भी आनाजाना था.

सोनू अन्नपूर्णा पर खूब खर्चा करता था, यह पता चलते ही पुलिस ने 2 युवकों को तो छोड़ दिया पर सोनू से सख्ती से पूछताछ की. सोनू ने अन्नपूर्णा के साथ अपने प्रेमसंबंधों को तो स्वीकर किया लेकिन हत्या से साफ इनकार कर दिया. पुलिस ने उसे हिदायत दे कर थाने से भेज दिया.

पुलिस अधिकारियों को औनर किलिंग का भी शक था. उन का शक यूं ही नहीं था. उस के कई कारण थे. पहला कारण तो यह था कि परिजनों द्वारा बेटी की खोजबीन करना तो दूर पुलिस को सूचना तक नहीं दी थी. दूसरा कारण हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने में आनाकानी करना था और तीसरा कारण मोबाइल के लिए झूठ बोलना था.

हत्या के रहस्य को उजागर करने के लिए पुलिस ने मृतका की मां शिवदेवी, बुआ सुमन तथा बहन प्रियंका, प्रगति व नेहा से अलगअलग पूछताछ की. इन सभी के बयानों में विरोधाभास तो था, लेकिन हत्या की गुत्थी फिर भी नहीं सुलझ पाई. पड़ोसियों से भी पूछताछ की गई, पर पुलिस ऐसा कोई सबूत हासिल नहीं कर सकी, जिस से हत्या की गुत्थी सुलझ पाती.

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हत्याकांड का खुलासा करने के लिए पुलिस अधिकारियों ने जब बेंजीडीन टेस्ट कराने का निश्चय किया. बेंजीडीन टेस्ट से खून के उन धब्बों का पता चल जाता है, जो मिट गए हों या धोपोंछ कर मिटा दिए गए हों. इस टेस्ट में एक महीने बाद तक खून के निशान का पता चल जाता है. अन्नपूर्णा की हत्या हुए एक सप्ताह बीत गया था. अत: बेंजीडीन टेस्ट से खुलासा संभव था.

29 अप्रैल, 2019 को एसपी (पश्चिम) संजीव कुमार सुमन थाना बिठूर पहुंचे. थाने पर उन्होंने बेंजीडीन टेस्ट के लिए फोरेंसिक टीम को भी बुलवा लिया. इस के बाद थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने मृतका के घर वालों को थाने बुलवा लिया. थाने में फोरैंसिक टीम ने मृतका के मातापिता, भाई व बड़ी बहन पर टेस्ट किया तो रिपोर्ट पौजिटिव आई.

हत्या का शक परिवार वालों पर गहराया तो पुलिस अधिकारियों ने राकेश, उस की पत्नी शिवदेवी, बेटी प्रियंका तथा बेटे अमित को एक ही कमरे में आमनेसामने बिठा कर कहा कि तुम लोगों के खिलाफ हत्या का सबूत मिल गया है. बेंजीडीन टेस्ट में तुम लोगों के हाथों में मृतका के खून के रक्तकण मिले हैं. इसलिए तुम लोग सच बता दो कि तुम ने अन्नपूर्णा की हत्या क्यों की?

बेटी की हत्या के आरोप में अपने परिवार को फंसता देख राकेश हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘साहब, मैं ने या मेरे परिवार के किसी सदस्य ने अन्नपूर्णा की हत्या नहीं की. हम सब निर्दोष हैं. रही बात बेंजीडीन टेस्ट की तो अन्नपूर्णा की लाश उठाते समय हाथों में खून लग गया होगा. मेरी पत्नी व बेटी ने भी रोते समय अन्नपूर्णा के सिर पर हाथ रखा होगा, जिस से खून लग गया होगा.’’

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चुनावों की वजह से लटक गई जांच

पुलिस अधिकारियों को लगा कि राकेश जो कह रहा है, वह सच भी हो सकता है. अत: उन्होंने उन सभी को गिरफ्तार करने के बजाए थाने से घर भेज दिया. पुलिस जांच को आगे बढ़ाती उस के पहले ही लोकसभा चुनाव का आगाज हो गया.

पुलिस चुनाव की वजह से व्यस्त हो गई. जिस से जांच एकदम ढीली पड़ गई. या यूं कहें कि अन्नपूर्णा हत्याकांड की जांच ठंडे बस्ते में चली गई. लगभग डेढ़ माह तक पुलिस चुनावी चक्कर में व्यस्त रही.

चुनाव निपट जाने के बाद पुलिस अधिकारियों को अन्नपूर्णा हत्याकांड की फिर से याद आई. पुलिस अधिकारियों ने एक बार फिर समूचे घटनाक्रम पर विचारविमर्श किया. साथ ही जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया गया. इस के बाद पुलिस इस निष्कर्ष  पर पहुंची कि अन्नपूर्णा की हत्या औनर किलिंग का मामला नहीं है. उस की हत्या प्रेमसंबंधों में की गई थी.

अन्नपूर्णा के 2 युवकों से घनिष्ठ संबंध थे. एक ट्रांसपोर्टर हरिओम, जिस के दफ्तर में वह काम करती थी और दूसरा उस का पड़ोसी सोनू, जिस का उस के घर आनाजाना था. दोनों के प्यार के चर्चे भी आम थे. पुलिस अधिकारियों का मानना था कि हरिओम और सोनू में से कोई एक है जिस ने प्यार के प्रतिशोध में अन्नपूर्णा की हत्या की है.

पुलिस ने सब से पहले हरिओम को थाने बुलवाया और उस से करीब 4 घंटे तक सख्ती से पूछताछ की. लेकिन हरिओम ने हत्या का जुर्म नहीं कबूला. पुलिस को लगा कि हरिओम कातिल नहीं है तो उसे जाने दिया गया.

इस के बाद पुलिस ने सोनू को थाने बुलवाया और उस से भी कई राउंड में सख्ती से पूछताछ की गई. लेकिन सोनू टस से मस नहीं हुआ. सोनू को 3 दिन तक थाने में रखा गया और हर रोज सख्ती से पूछताछ की गई. पर सोनू ने हत्या का जुर्म नहीं कबूला. मजबूरन उसे भी थाने से घर भेज दिया गया.

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लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस को सफलता नहीं मिल रही थी. अंतत: पुलिस ने खुफिया तंत्र का सहारा लिया. थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने नारामऊ, मंधना और बिठूर क्षेत्र में अपने खास मुखबिर लगा दिए और खुद भी खोजबीन में लग गए.

2 अगस्त, 2019 की सुबह करीब 10 बजे एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को अन्नपूर्णा हत्याकांड के बारे में जो जानकारी दी उसे सुन कर उन के चेहरे पर मुसकान तैर आई. मुखबिर ने बताया कि अन्नपूर्णा के प्रेमी सोनू ने उस की हत्या अपने 2 अन्य साथियों के साथ मिल कर की थी. इन में उस का एक दोस्त नारामऊ गांव का विनीत है. जबकि दूसरे का नाम शिवम है. वह रामादेवीपुरम, पचौर रोड मंधना में रहता है.’’

मुखबिर की बात सुनने के बाद थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने सोनू के दोस्त विनीत व शुभम को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उन दोनों से अन्नपूर्णा की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उन दोनों ने बताया कि अन्नपूर्णा की हत्या उस के प्रेमी सोनू ने ही की थी. उन्होंने तो दोस्ती में उस का साथ दिया था.

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शर्तों वाला प्यार: भाग 1

कानपुर स्थित दलहन अनुसंधान केंद्र का सुरक्षाकर्मी के.पी. सिंह सुबह 8 बजे ड्यूटी पूरी कर अपने घर जा रहा था. जब वह बैरीबागपुर जाने वाली लिंक रोड पर पहुंचा तो उस ने रोड के किनारे एक युवती का शव पड़ा देखा. के.पी. सिंह ने यह सूचना जीटी रोड से गुजर रहे राहगीरों को दी तो कुछ ही देर में वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई. इसी बीच के.पी. सिंह ने फोन द्वारा सड़क किनारे लाश पड़ी होने की सूचना थाना बिठूर पुलिस को दे दी. यह बात 17 अप्रैल, 2019 की है.

सूचना पाते ही बिठूर थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ बताई गई जगह पर पहुंच गए. युवती की उम्र 20-22 साल के आसपास थी. उस के सिर और चेहरे पर ईंटपत्थर या किसी अन्य वजनी चीज से वार किया गया था.

सिर से निकले खून से जमीन लाल हो गई थी. युवती के गले में दुपट्टा लिपटा था. ऐसा लग रहा था कि हत्यारे ने उस का गला भी घोंटा हो. उस के हाथों में चोट के निशान भी थे. थानाप्रभारी ने इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी थी.

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घटनास्थल पर सैकड़ों लोगों की भीड़ थी, लेकिन कोई भी युवती को पहचान नहीं पाया. थानाप्रभारी अभी घटनास्थल की जांच कर ही रहे थे कि इसी बीच एक युवक वहां आया. उस ने पहले युवती की लाश को गौर से देखा, फिर फफक कर रो पड़ा. वह वहां मौजूद थानाप्रभारी से बोला, ‘‘साहब, यह मेरे भाई राकेश कुरील की बेटी अन्नपूर्णा है. इस की तो कल बारात आने वाली थी, पता नहीं किस ने इस की हत्या कर दी.’’

शादी से एक दिन पहले दुलहन की हत्या की बात सुन कर थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह स्तब्ध रह गए. उन्होंने लाश की शिनाख्त करने वाले युवक से पूछताछ की तो उसने अपना नाम राजेश कुरील बताया. विनोद कुमार ने उस से बात कर कुछ जरूरी जानकारी हासिल की. इसी बीच सूचना पा कर एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन तथा सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार सिंह भी आ गए. अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया था.

राजेश ने अपनी भतीजी अन्नपूर्णा की हत्या की खबर घर वालों को दी तो घर में कोहराम मच गया. घर में चल रही शादी की तैयारियां मातम में बदल गईं. राकेश की पत्नी शिवदेवी तथा बेटियां प्रियंका, प्रगति, नेहा तथा परिवार के अन्य सदस्य रोतेबिलखते घटनास्थल पर आ गए. शिवदेवी व उस की बेटियां अन्नपूर्णा के शव को देख फूटफूट कर रोने लगीं.

मोहल्ले में किसी ने नहीं सोचा था कि जिस घर में बारात आने की तैयारी हो रही हो, वहां से अर्थी उठेगी. मृतका अन्नपूर्णा की होने वाली सास लक्ष्मी भी उस की मौत की खबर पा कर पति शिवबालक व बेटे पुनीत के साथ घटनास्थल पर आ गई थी. वह कह रही थी, हमें तो बारात ले कर बहू को लेने आना था, लेकिन अर्थी देखने को मिली. पुनीत भी होने वाली पत्नी के शव को टुकुरटुकुर देख रहा था.

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घटनास्थल पर कोहराम मचा था. पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह रोतेबिलखते घर वालों को धैर्य बंधाया. घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए लाजपतराय चिकित्सालय भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका के पिता राकेश कुमार कुरील से कहा कि वह थाना बिठूर जा कर बेटी की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराए.

लेकिन राकेश तथा उस के घर वाले हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने में आनाकानी करने लगे. इस पर पुलिस अधिकारियों को संदेह हुआ कि आखिर वे लोग रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराना चाहते. उन्हें लगा कि कहीं यह मामला औनर किलिंग का तो नहीं है.

शक हुआ तो एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन ने राकेश कुरील से पूछताछ की. राकेश ने बताया कि उस ने अन्नपूर्णा की शादी कुरसौली गांव निवासी पुनीत के साथ तय की थी. 14 अप्रैल, 2019 को उस की गोदभराई तथा तिलक का कार्यक्रम संपन्न हुआ था, 18 अप्रैल को बारात आनी थी.

16 अप्रैल की शाम वह पत्नी शिवदेवी के साथ खरीदारी करने मंधना बाजार चला गया था. रात 9 बजे जब वह घर लौटा तो पता चला अन्नपूर्णा घर में नहीं है. यह सोच कर कि वह पड़ोस में रहने वाली अपनी बुआ के घर पर रुक गई होगी, इसलिए किसी ने ध्यान नहीं दिया. सुबह उस की मौत की खबर मिली.

‘‘तुम्हें किसी पर शक है?’’ एसपी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, मुझे किसी पर शक नहीं है, मेरी किसी से दुश्मनी भी नहीं है.’’ राकेश ने बताया.

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राकेश खुद आया शक के घेरे में

राकेश की बात सुन कर वहां खड़े सीओ अजय कुमार सिंह झल्ला पड़े, ‘‘राकेश, जब तुम्हें किसी पर शक नहीं है. कोई तुम्हारा दुश्मन भी नहीं है तो तुम्हारी बेटी की हत्या किस ने की? तुम्हीं लोगों ने उसे मौत के घाट उतार दिया होगा?’’

‘‘नहीं साहब, भला हम अपनी बेटी को क्यों और कैसे मारेेंगे?’’

‘‘इसलिए कि अन्नपूर्णा किसी दूसरे लड़के से प्यार करती होगी और उसी लड़के से शादी करने की जिद कर रही होगी, लेकिन तुम ने उस की बात न मान कर शादी दूसरी जगह तय कर दी होगी. जब उस ने तुम्हारा कहा नहीं माना तो तुम लोगों ने उसे मार डाला. इसीलिए तुम लोग उस की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने में आनाकानी कर रहे हो.’’ सीओ अजय कुमार ने कहा.

खुद को फंसता देख राकेश घबरा कर बोला, ‘‘साहब, हम बेटी के कातिल नहीं हैं. हम रिपोर्ट दर्ज कराने को तैयार हैं, लेकिन नामजद नहीं करा सकते.’’ इस के बाद राकेश ने थाने पहुंच कर भादंवि की धारा 302 के तहत अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. साथ ही हत्या का शक हरिओम पर जाहिर किया.

पुलिस अधिकारियों ने राकेश से हरिओम के संबंध में पूछताछ की तो उस ने बताया कि हरिओम गूवा गार्डन कल्याणपुर में रहता है और ट्रांसपोर्टर है. पहले उस के दफ्तर में उस की बेड़ी बेटी प्रियंका काम करती थी. प्रियंका की शादी हो जाने के बाद छोटी बेटी अन्नपूर्णा वहां काम करने लगी थी. हरिओम का उस के घर आनाजाना था. अन्नपूर्णा और हरिओम के बीच दोस्ती थी.

यह पता चलते ही पुलिस ने हरिओम को हिरासत में ले लिया. थाने में जब उस से अन्नपूर्णा की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. उस ने बताया कि अन्नपूर्णा उस के औफिस में काम करती थी. दोनों के बीच दोस्ती भी थी. दोनों के बीच अकसर फोन पर बातें भी होती थीं.

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हत्या से पहले भी अन्नपूर्णा ने उसे फोन किया था और बाजार से कपड़े खरीदने की बात कही थी. लेकिन अपने काम में व्यस्त होने की वजह से वह उस के साथ नहीं जा सका. हरिओम ने बताया कि अन्नपूर्णा की हत्या में उस का कोई हाथ नहीं है.

पुलिस को लगा औनर किलिंग का मामला

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों को लगा कि हरिओम सच बोल रहा है तो उन्होंने उसे थाने से यह कह कर भेज दिया कि जब भी उसे बुलाया जाएगा, उसे थाने आना पडे़गा. साथ ही उसे हिदायत भी दी गई कि वह बिना पुलिस को बताए कहीं बाहर न जाए.

अब तक की जांच से पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि अन्नपूर्णा की हत्या या तो अवैध संबंधों की वजह से हुई है या फिर यह औनर किलिंग का मामला है. उन्होंने इन्हीं दोनों बिंदुओं पर जांच आगे बढ़ाई. अगले दिन पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई.

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शर्तों वाला प्यार: भाग 4

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14 अप्रैल को मंधना स्थित गेस्ट हाउस में पहले गोद भराई की रस्म पूरी हुई फिर देर शाम धूमधाम से तिलक समारोह संपन्न हुआ. इस समारोह में हरिओम और सोनू भी शामिल हुए. समारोह के दौरान सोनू ने अन्नपूर्णा से मिलने का भरसक प्रयास किया, लेकिन वह मिल न सकी.

राकेश के घर में शादी की चहलपहल शुरू हो गई थी. रिश्तेनातेदारों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. घर में मंडप गड़ चुका था और मंडप के नीचे ढोलक की थाप पर मंगल गीत गाए जाने लगे थे.

इधर ज्योंज्यों शादी की तारीख नजदीक आती जा रही थी, त्योंत्यों सोनू की बेचैनी बढ़ रही थी. उसे अन्नपूर्णा की बेवफाई पर गुस्सा भी आ रहा था. आखिर जब उस की बेचैनी ज्यादा बढ़ी तो उस ने अन्नपूर्णा से आखिरी बार आरपार की बात करने का निश्चय किया.

उस ने इस बाबत अपने दोस्त विनीत और शुभम से बात की तो दोनों उस का साथ देने को राजी हो गए. विनीत नारामऊ में रहता था और उस की मोबाइल शौप थी. जबकि शुभम पंचोर रोड पर रहता था. दोनों को जब भी पैसों की जरूरत पड़ती, सोनू उन की मदद कर देता था. जिस से वह उस के अहसान तले दबे थे.

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16 अप्रैल, 2019 की रात 8 बजे सोनू मोटरसाइकिल से अन्नपूर्णा के घर के पास पहुंचा. उस के साथ उस के दोस्त विनीत और शुभम भी थे. सोनू ने मोटरसाइकिल सड़क किनारे ठेली लगा कर अंडे बेचने वाले के पास खड़ी कर दी. फिर उस ने विनीत को समझाबुझा कर अन्नपूर्णा को बुलाने भेजा.

विनीत अन्नपूर्णा के घर पहुंचा तो संयोग से वह उसे घर के बाहर ही मिल गई. विनीत ने उसे सोनू का संदेश दे कर साथ चलने को कहा. लेकिन अन्नपूर्णा ने साथ जाने और सोनू से बात करने से साफ इनकार कर दिया. इस पर विनीत ने अपने फोन पर अन्नपूर्णा की बात सोनू से कराई.

अन्नपूर्णा ने सोनू से फोन पर बात की और मिलने से साफ इनकार कर दिया. इस पर सोनू ने उस से कहा कि वह आखिरी बार उस से मिलना चाहता है. साथ ही धमकी भी दी कि यदि वह उस से मिलने न आई तो वह शादी वाले दिन ही उस के घर पर आत्महत्या कर लेगा.

प्रेमी बन गया कातिल

अन्नपूर्णा सोनू की धमकी से डर गई और उस से आखिरी बार मिलने को राजी हो गई. अन्नपूर्णा विनीत के साथ मोटरसाइकिल पर बैठ कर सोनू के पास पहुंची. सोनू अन्नपूर्णा और अपने दोनों दोस्तों के साथ मोटरसाइकिल से दलहन अनुसंधान केंद्र के पास लिंक रोड पर पहुंच गया. वहां उस ने मोटरसाइकिल रोक दी. तब तक रात के 9 बज चुके थे और लिंक रोड पर सन्नाटा पसरा था.

विनीत और शुभम तो मोटरसाइकिल से उतर कर किनारे खड़े हो गए. जबकि सोनू अन्नपूर्णा से बतियाने लगा. बातचीत के दौरान सोनू बोला, ‘‘अन्नपूर्णा तुम ने मेरे साथ बेवफाई क्यों की? प्यार मुझसे किया और शादी किसी और से कर रही हो, ऐसा नहीं हो सकता. मैं ने तुम पर लाखों रुपए खर्च किए हैं. उपहार में ज्वैलरी दी है. या तो तुम मेरे रुपए ज्वैलरी वापस कर दो या फिर मुझ से शादी करो.’’

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सोनू की बात सुन कर अन्नपूर्णा गुस्से में बोली, ‘‘सोनू, रुपए ज्वैलरी दे कर तुम ने मुझ पर कोई एहसान नहीं किया है. उस के बदले तुम ने मेरे शरीर का भी तो शोषण किया था. अब हिसाबकिताब बराबर. मेरा रास्ता अलग और तुम्हारा रास्ता अलग.’’

‘‘अन्नू, अभी हिसाबकिताब बरबार नहीं हुआ है. तुम मेरी दुलहन नहीं हुई तो मैं तुम्हें किसी और की दुलहन नहीं बनने दूंगा.’’ इतना कह कर सोनू ने मोटरसाइकिल से लोहे की रौड निकाली जिसे वह साथ लाया था और अन्नपूर्णा के सिर पर भरपूर प्रहार कर दिया. अन्नपूर्णा जमीन पर बिछ गई. इस के बाद उस ने 2-3 प्रहार और किए.

इसी बीच उस की नजर ईंट पर पड़ी. उस ने ईंट से प्रहार कर उस का सिर मुंह, कुचल डाला. उस ने हाथ व कमर पर भी प्रहार किए. अन्नपूर्णा कुछ देर तड़पी फिर सदा के लिए शांत हो गई. सोनू का रौद्र रूप देख कर विनीत और शिवम डर गए. इस के बाद सोनू दोस्तों के साथ घटनास्थल से भाग गया.

इधर सुबह 8 बजे दलहन अनुसंधान केंद्र के सुरक्षाकर्मी के.पी. सिंह ने लिंक रोड के किनारे एक युवती की लाश पड़ी देखी तो यह सूचना थाना बिठूर पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही बिठूर थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह घटनास्थल पहुंचे और जांच शुरू कर दी.

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लेकिन पुलिस जांच में उलझ गई. आखिर 3 महीने बाद अन्नपूर्णा की हत्या का खुलासा हुआ और कातिल पकड़े गए. अभियुक्तों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन की निशानदेही पर लोहे की रौड, खूनसनी ईंट तथा सोनू की मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली.

3 अगस्त, 2019 को पुलिस ने अभियुक्त सोनू, विनीत व शुभम को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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शर्तों वाला प्यार

शर्तों वाला प्यार: भाग 3

दूसरा भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- शर्तों वाला प्यार: भाग 2

थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने अन्नपूर्णा हत्याकांड का खुलासा करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन को दी तो उन्होंने अपने कार्यालय में प्रैसवार्ता कर अन्नपूर्णा हत्याकांड का खुलासा कर दिया.

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर से करीब 20 किलोमीटर दूर जीटी रोड पर एक कस्बा है मंधना. यह बिठूर थाने के अंतर्गत आता है. राकेश कुमार कुरील अपने परिवार के साथ इसी कस्बे के मोहल्ला नारामऊ में  रहता था.

उस के परिवार में पत्नी शिवदेवी के अलावा 4 बेटियां प्रियंका, अन्नपूर्णा, विनीता, नेहा तथा बेटा अमित था. राकेश कुमार एक फैक्ट्री में नौकरी करता था. वहां से मिलने वाले वेतन से ही वह अपने परिवार का भरण पोषण करता था. वह बड़ी बेटी प्रियंका का विवाह कर चुका था.

प्रियंका से छोटी अन्नपूर्णा थी. तीखे नयननक्ख और गोरी रंगत वाली अन्नपूर्णा अपनी अन्य बहनों से अधिक सुंदर थी. समय के साथ जैसे-जैसे उस की उम्र बढ़ रही थी, वैसेवैसे उस की सुंदरता में और निखार आता जा रहा था.

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बहन की जगह नौकरी मिली अन्नपूर्णा को

अन्नपूर्णा ने मंधना स्थित सरस्वती महिला इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली थी. इस के बाद वह गूवा गार्डन निवासी ट्रांसपोर्टर हरिओम के औफिस में काम करने लगी थी. इस के पहले उस की बड़ी बहन प्रियंका हरिओम के औफिस में काम करती थी. प्रियंका की जब शादी हो गई तब उस ने छोटी बहन अन्नपूर्णा को औफिस के काम पर लगा दिया था.

खूबसूरत अन्नपूर्णा ने अपनी चंचल अदाओं से ट्रांसपोर्टर हरिओम के दिल में हलचल मचा दी थी. हरिओम उसे चाहने लगा था. इतना ही नहीं वह अन्नपूर्णा पर पैसे खर्च करने लगा था.

अन्नपूर्णा के माध्यम से हरिओम ने उस के घर में भी पैठ बना ली थी. घर वाले आनेजाने पर विरोध न करें, इस के लिए उस ने अन्नपूर्णा के पिता को कर्ज के तौर पर रुपए भी दे दिए थे. धीरेधीरे हरिओम और अन्नपूर्णा नजदीक आते गए और दोनों के बीच मधुर संबंध बन गए.

अन्नापूर्णा औफिस के लिए घर से बनसंवर कर इतरातीइठलाती निकलती थी. एक रोज औफिस जाते समय अन्नपूर्णा पर सोनू की निगाह पड़ गई. वह उसे तब तक देखता रहा, जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई. सोनू अन्नपूर्णा के पड़ोस में ही रहता था. ऐसा नहीं था कि सोनू ने अन्नपूर्णा को पहली बार देखा था. लेकिन उस दिन वह उसे बहुत खूबसूरत लगी थी. उस दिन उस के मन में चाहत की लहर उठी थी.

सोनू, दबंग युवक था. अपने क्षेत्र में वह सट्टा और जुआ खिलवाता था. इस काले धंधे से उसे मोटी कमाई होती थी. उस के कई विश्वासपात्र दोस्त थे जिन्हें वह पैसे दे कर अपने साथ मिलाए रखता था. रहता भी खूब ठाटबाट से था. अन्नपूर्णा सोनू के मन को भायी तो वह उस का दीवाना हो गया. आतेजाते जब कभी नजरें टकरा जातीं तो दोनों मुसकरा देते थे.

सोनू की आंखो में अपने प्रति चाहत देख कर अन्नपूर्णा का मन भी विचलित हो उठा. वह भी उसे चाहने लगी. चाहत जब दोनों ओर से बढ़ी तो एक रोज सोनू ने अपने प्यार का इजहार कर दिया.

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सोनू की बात सुन कर अन्नापूर्णा के दिल में गुदगुदी होने लगी. शरमाते हुए वह बोली, ‘‘सोनू, जो हाल तुम्हारा है वही मेरा भी है. तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.’’

उस दिन के बाद सोनू और अन्नपूर्णा का प्यार परवान चढ़ने लगा. अन्नपूर्णा औफिस से छुट्टी के बाद सोनू के साथ सैरसपाटे के लिए निकल जाती. सोनू अन्नपूर्णा पर दिल खोल कर पैसे खर्च करने लगा. अन्नपूर्णा जिस चीज की डिमांड करती, सोनू उसे ला कर दे देता था.

सोनू के मार्फत अन्नपूर्णा ने ज्वैलरी भी बनवा ली थी और बैंक बैलेंस भी बना लिया था. दोनों के दिल का रिश्ता जुड़ा तो फिर देह का रिश्ता बनने में देर नहीं लगी.

हरिओम को जब पता चला कि अन्नपूर्णा सोनू के साथ घूमती है तो उस ने अन्नपूर्णा को लताड़ा. साथ ही उस की शिकायत उस के मातापिता से भी कर दी. हरिओम ने तो यहां तक कह दिया कि अन्नपूर्णा के पैर डगमगा गए हैं बेहतर होगा कि उस की शादी कर दी जाए. शादी में लाख डेढ़ लाख का जो भी खर्च आएगा, वह दे देगा.

राकेश को बेटी के डगमगाते कदमों की जानकारी हुई तो उस के होश उड़ गए. उसे लगा कि यदि अन्नपूर्णा सोनू के साथ भाग गई तो समाज में उस की नाक कट जाएगी. पूरे समाज में उस की बदनामी होगी. अत: उस ने उस के हाथ पीले करने का फैसला कर लिया.

उस ने इस बाबत पत्नी शिवदेवी से बात की. पत्नी ने भी उस की शादी करने पर सहमति जता दी. इस के बाद राकेश बेटी के लिए लड़का खोजने लगा. थोड़ी मशक्कत के बाद उसे पुनीत पसंद आ गया.

पुनीत के पिता शिवबालक कुरील बिठूर थाना क्षेत्र के गांव कुरसौली में रहते थे. वहां उन की पुश्तैनी जमीन थी. उन के 3 बच्चों में पुनीत सब से बड़ा था. वह पढ़ालिखा स्मार्ट युवक था. साथ ही एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी करता था. राकेश ने विनीत को देखा तो उस ने उसे अपनी बेटी अन्नपूर्णा के लिए पसंद कर लिया. इस के बाद पुनीत और अन्नपूर्णा ने एकदूसरे को देखा. फिर शादी के लिए दोनों राजी हो गए.

14 अप्रैल, 2019 को गोद भराई, तिलक तथा 18 अप्रैल को शादी की तारीख तय हुई. इस के बाद दोनों परिवार शादी की तैयारी में जुट गए.

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सोनू नहीं चाहता था कि अन्नपूर्णा शादी करे

उधर सोनू को जब अन्नपूर्णा का विवाह तय हो जाने की जानकारी हुई तो उस ने अन्नपूर्णा पर शादी तोड़ देने की दबाव बनाया. लेकिन अन्नपूर्णा ने पारिवारिक मामला बता कर शादी तोड़ने से इनकार कर दिया. सोनू उस पर दबाव बनाता रहा और अन्नपूर्णा इनकार करती रही.

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भूल से हत्या,करंट से मौत!

छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य अंचल है जहां जंगल है और वन्य प्राणी है और जंगल के दंतैल प्राणियों से बचने के लिए गांव में अक्सर ग्रामीण कुछ ऐसे गैरकानूनी और खतरनाक हथकंडे अपनाते हैं कि वन्य प्राणी के साथ-साथ इंसान भी अपनी जान खो बैठते हैं.

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ऐसे में यह कल्पना बेहद मुश्किल की है कि कोई इंसान इन के फंदे में फंस जाता है और बेमौत मारा जाता है. आइए! आपको बताते हैं एक सच्चा घटनाक्रम जिसमें जंगली सूअर को मारने के लिए ग्रामीणों ने बिजली के नंगे तार गांव में बिछा दिए और मारा गया एक निरीह युवक जो अपनी प्रेमिका से मिलने जा रहा था….. आगे क्या हुआ, शायद इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते! हम आपको आगे वह सारा घटनाक्रम बता रहे हैं.

पहली घटना-

जिला कोरबा के बालकों के दोंदरो में एक ग्रामीण ने अपने फसल को बचाने के लिए चारों तरफ विद्युत करंट बिछा दिया. एक हाथी आया और करंट के चपेट में आकर मारा गया.

दूसरी घटना-

जिला रायगढ़ के धर्मजयगढ़ वन मंडल में ग्राम हाटी में एक ग्रामीण ने हाथी से बचने के लिए घर के आस-पास करंट के तार बिछा दिए. जिसमें एक व्यक्ति चपेट में आकर हलाक हो गया.

तीसरी घटना-

अंबिकापुर के एक ग्राम में ग्रामीणों ने हाथियों से बचने के लिए आसपास करंट बिछा दिया जिसमें दो व्यक्ति आकर मृत्यु का ग्रास बन गए. अनेक ग्रामीणों को इस कारण पुलिस ने जेल भेजा है.

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आनंद राठिया की मौत का रहस्य

आनंद राठिया नामक एक युवक की मौत के रहस्य से पर्दा उठाते हुए  हुए एडिशनल एसपी कीर्तन राठौर ने बताया कि प्रार्थी मनबहाल राठिया निवासी ग्राम चेहरचुवा द्वारा थाना करतला में रिपोर्ट दर्ज कराई  कि प्रार्थी का  सुपुत्र आनंद राठिया  8 सितंबर 2020 के रात्रि करीब 8 बजे घर से बिना बताये कहीं चला गया है. काफी खोजबीन करने पर भी पता नहीं चल रहा है. मामले में थाना करतला में गुम इंसान कायम कर आनंद राठिया का पतासाजी की जा रही थी.

प्रथम दृष्टया मामला प्रेम संबंध का प्रतीत हुआ एवं आनंद राठिया के संदिग्ध परिस्थितियों में गायब होने के कारण पुलिस अधीक्षक कोरबा अभिषेक मीणा द्वारा इस प्रकरण को गभीर मामला मानकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कीर्तन राठौर के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन कर आनंद राठिया के तलाश करने हेतु निर्देशित किया गया था. पुलिस अधीक्षक कोरबा अभिषेक मीणा को मुखबीर के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई कि दिनांक 8 सितंबर 2020 को ग्राम सुमरलोट के जंगल में ग्रामीणों द्वारा जंगली सुअर मारने हेतु विद्युत करंट प्रवाहित तार बिछाया गया था जिसकी चपेट में आने से आनंद राठिया की मृत्यु हो गई थी. ग्रामीणों द्वारा मृतक आनंद राठिया के मौत को छिपाने के उद्देश्य से आनंद राठिया के शव को ग्राम सुअरलोट दमक पहाडी धोरा डोगरी में मोहलाईन पेड़ के नीचे जंगल में ही गाड़ दिया गया है . पुलिस अधीक्षक  अभिषेक मीणा द्वारा उपरोक्त सूचना के तस्दीक हेतु अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  कीर्तन राठौर को तत्काल मौके पर भेजा गया.

करंट से मौत का खुलासा

मुखबीर से प्राप्त सूचना के आधार पर कार्यपालिक दण्डाधिकारी करतला के उपस्थिति में मृतक आनंद राठिया के शव को उखड़वाकर मर्ग पंचनामा कार्यवाही किया गया . संपूर्ण जांच पर पाया गया कि आरोपीगण मयाराम राठिया एवं उसके अन्य 23 साथियों द्वारा जंगली सुअर का शिकार करने के उद्देश्य से दिनांक 8 सितंबर 2020 को रात्रि में ग्राम खुंटाकुड़ा से ग्राम सुअरलोट के बीच पहाड़ी में लगभग 15 किलोमीटर दूरी तक नंगा जीआई तार में बिजली करंट जोड़ा गया था.

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रात्रि में मृतक आनंद राठिया जंगल में आरोपीगण द्वारा जोड़े गये बिजली करंट प्रवाहित तार के चपेट में आ गया जिससे मौके पर उसकी मौत हो गई आरोपीगण द्वारा मृतक आनंद राठिया के मौत को छिपाने के उद्देश्य से रात्रि में ही मृतक के शव को एक प्लास्टिक के चटाई में लपेटकर नईखार पहाड़ी के पास झाड़ी में छिपाकर रख दिये एवं दूसरे रात्रि में सभी लोग मृतक के शव को ग्राम सुअरलोट दमक पहाड़ी धौरा डोगरी मोहलाईन पेड़ के नीचे जंगल में गड्ढा खोदकर गाड़ दिये . मामले में आरोपी मयाराम राठिया सहित कुल 24 आरोपीगण के विरुद्ध थाना करतला में अपराध कमांक 181/2020 धारा 304,201,34 भा 0 द 0 वि 0 पंजीबद्ध कर विवेचना की गई . प्रकरण में अब तक 14 आरोपी गिरफ्तार कर लिये गये है शेष 10 आरोपी फरार है, जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जायेगा.

वो 6 घंटे : इस रेप कांड से हिल गई थी झारखंड की बुनियाद

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