छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास का अंधेरा फैलता चला जा रहा है. इसके लिए शासन-प्रशासन सबसे अधिक दोषी है. क्योंकि आजादी के इतने साल बाद भी यहां शिक्षा की, जागरूकता की इतनी ज्यादा कमी है कि अभी भी गांव-गांव में "बैगा गुनिया" लोगों का इलाज करते हैं. लोगों की इन पर आस्था और विश्वास है. ऐसे में जब कभी विश्वास की नाव डगमगाती है तो बैगा गुनिया ही मारे जाते हैं. मजे की बात यह है कि वह बैगा गुनिया जो गांव का सबसे गुनी व्यक्ति माना जाता है जिसके हाथों में गांव की डोर होती है जब किसी  बात को लेकर अंधविश्वास के घेरे में आकर लोगों के हाथों मारा जाता है, तब भी गांव वाले यह नहीं सोचते कि जो व्यक्ति अपनी जान नहीं बचा सका, वह गांव के लोगों को भला कैसे भूत प्रेत आदि से बचा सकता है. दरअसल, पूरा मामला अंधविश्वास के मायाजाल का है. जिसका लाभ बैगा गुनिया उठाते हैं. कुल मिलाकर एक धंधा बन चुका है जिसे गांव गांव में मान्यता है . बहरहाल यह नाकामी नि: संदेह छत्तीसगढ़ सरकार की है.

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आइए! आज आपको हम ले चलते हैं छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल जहां नारायणपुर जिले के बेनूर थाना क्षेत्र में एक बैगा को घर से ले जाकर अंधविश्वास के फेर में हत्या कर दी गई. लंबे समय तक पुलिस आरोपियों को ढूंढती रही नगर मामला सुलझ नहीं पा रहा था, अंततः पुलिस को अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने में बड़ी सफलता मिली तो कई राज खुलकर सामने आ गए.

बैगा के हत्या की अंधी गुत्थी

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