‘अनुपमा’ के प्रोड्यूसर Rajan Shahi ने नई एंट्री को लेकर लगाई मुहर, नहीं होगी ‘वनराज शाह’ की छुट्टी

स्टार प्लस का पॉपुलर शो ‘अनुपमा’ लगातार सुर्खियों में छाया हुआ है. कई दिनों से खबर आ रही थी कि वनराज यानी सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) का ‘अनुपमा’ से पत्ता कटने वाला है. अब इस खबरों पर शो के प्रोड्यूसर राजन शाही (Rajan Shahi) ने चुप्पी तोड़ी है. आइए बताते हैं, क्या कहा है शो के प्रोड्यूसर ने.

‘अनुपमा’ के प्रोड्यूसर राजन शाही (Rajan Shahi)  ने कहा है कि शो में नई एंट्री जरूर होगी लेकिन इसका मलतब यह नहीं कि सुधांशु पांडे शो से बाहर हो रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार राजन शाही ने आगे कहा, ‘सुधांशु पांडे शो का एक अभिन्न हिस्सा हैं और वो हमारे वनराज शाह बने रहेंगे. जहां तक ​​नई एंट्री की बात है. इस शो में जल्द ही एक नया करैक्टर शामिल होगा लेकिन उसकी कास्टिंग अभी नहीं हुई है.

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उन्होंने आगे कहा कि अनुपमा शो को प्यार देने और इसे डेली लाइफ का हिस्सा बनाने के लिए मैं दर्शकों का आभारी हूं. हम दर्शकों का मनोरंजन करने में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे. नई की एंट्री को लेकर हम जल्द ही घोषणा करेंगे.

 

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शो के प्रोड्यूसर राजन शाही ने इस खबर पर मुहर लगा दी है कि सुधांशु पांडे शो में वनराज शाह बने रहेंगे. और दर्शकों को एंटरटेन करते रहेंगे.

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सीरियल ‘अनुपमा’ की करेंट ट्रैक की बात करे तो अनुपमा, वनराज शाह को अपनी डांस अकादमी के छोटा सा कैफे खोलने के लिए बोलती है, तो काव्य को इस बात पार काफी गुस्सा आता है. और वह उसे खरी-खोटी सुनाती है. तो दूसरी तरफ इस फैसले से बा और बाबूजी काफी खुश होंते हैं क्योंकि अनुपमा उनके बेटे वनराज को सपोर्ट करती दिखाई दे रही हैं.

दिव्यांका त्रिपाठी ‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’ में कम उम्र के एक्टर संग करेंगी रोमांस, पढ़ें खबर

छोटे पर्दे का सुपरहिट सीरियल बड़े अच्छे लगते हैं (Bade Acche Lagte Hain) को दर्शक आज भी याद करते है. इस शो में राम यानी राम कपूर और प्रिया यानी साक्षी तंवर की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया.  हाल ही में इस शो ने 10 साल पूरे किए हैं.

कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि इस शो का सीक्वल बनने वाला है. खबरों के मुताबिक एकता कपूर ने सीरियल ‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’ के लिए टीवी कलाकार दिव्यांका त्रिपाठी और नकुल मेहता (Nakuul Mehta And Divyanka Tripathi) को फाइनल कर लिया है.

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इसी बीच दिव्यांका त्रिपाठी के किरदार को लेकर मिली है. एक रिपोर्ट के अनुसार इस शो में दिव्यांका त्रिपाठी एक उम्रदराज महिला का किरदार निभाने वाली हैं. और वह ‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’ में खुद से कम उम्र के एक्टर का साथ रोमांस करने वाली हैं.

 

बताया जा रहा था कि एकता कपूर करण पटेल को सीरियल ‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’ में मेन लीड के तौर पर लेना चाहती हैं. इस शो में एक बार फिर से दिव्यांका त्रिपाठी और करण पटेल की जोड़ी नजर आ सकती है.

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‘ये है मोहब्बतें’ के रमन भल्ला और इशिता की जोड़ी  फैंस को बेहद पसंद आई थी. हालांकि ये भी बताया जा रहा है कि मेकर्स को करण पटेल की जगह किसी नए चेहरे की तलाश है. मेकर्स चाहते हैं कि नकुल मेहता, दिव्यांका त्रिपाठी के साथ स्क्रीन शेयर करें.

‘बड़े अच्छे लगते हैं’ के पहले सीजन में राम कपूर ने उम्रदराज बिजनेसमैन का किरदार निभाया था तो वहीं दूसरी तरफ साक्षी संवर (Sakshi Tanwar) ने कम उम्र की लड़की का किरदार निभाया था.

हकीकत- भाग 1: क्या रश्मि की मां ने शादी की मंजूरी दी?

राइटर- सोनाली करमरकर

मौसम बड़ा खुशनुमा और प्यारा था. रिमझिम बारिश की फुहार, मन को रिझाने वाली ठंडी हवा… आज यों लग रहा था, जैसे मन की सारी मुरादें पूरी होने वाली हों. गोविंद और रश्मि के प्यार को गोविंद की मां ने कुबूल कर लिया था.

गोविंद एक फाइनैंस कंपनी में मैनेजर था और रश्मि उस की जूनियर. साथ काम करतेकरते जाने कब दोनों के दिल के तार जुड़ गए और दोस्ती चाहत में बदल गई, पता ही नहीं चला.

गोविंद के बाबूजी उस के बचपन में ही गुजर गए थे. मां ने ही उसे आंखों में सपने लिए बड़ी मशक्कत से पाला था. उस ने अपनी मां को चिट्ठी लिख कर रश्मि के बारे में सब बता दिया था और उस की तसवीर भी भेजी थी. मां का जवाब उस के पक्ष में आया था. अगले हफ्ते मां खुद आने वाली थीं, अपनी होने वाली बहू से मिलने.

औफिस आने के बाद गोविंद ने जल्दी से रश्मि को अपने केबिन में बुलाया.

“क्या हुआ गोविंद?” रश्मि ने आते ही पूछा.

“रश्मि, तुम्हें तो पता ही था कि मैं ने मां को तुम्हारे बारे में बताया है. कल घर जाने के बाद मुझे उन का खत मिला,” गोविंद ने उदास हो कर कहा.

“क्या लिखा था उस खत में और तुम इतने उदास क्यों हो?” रश्मि ने घबराते हुए पूछा.

“बात ही ऐसी है रश्मि… मां ने हमेशा के लिए तुम्हें मेरे पल्ले बांधने का फैसला सुनाया है,” गोविंद ने गंभीरता से अपनी बात पूरी की.

गोविंद ने यह बात इतनी ज्यादा गंभीरता से कही थी कि पहले तो रश्मि समझ न सकी, पर जब समझी तो उस का चेहरा खुशी से खिल उठा.

“रश्मि, अब तो मां ने भी हां कह दिया है, तो तुम्हें भी अपने घर वालों से बात कर लेनी चाहिए. मैं वापस आने के बाद उन से मिलता हूं. अब तुम जाओ.

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“जानती हो न आज रात मुझे टूर के लिए निकलना है. उस के पहले अपने काम जल्दी से निबटाने हैं,” गोविंद ने वहां से तकरीबन भगाते हुए उस से कहा.

रश्मि भी गोविंद को रेलवे स्टेशन तक छोड़ने साथ गई. आते समय वह रास्तेभर सोचती रही कि शायद गोविंद ही उस के लिए बना है वरना 3 बार पक्की हुई उस की शादी टूटती नहीं. लेकिन इस बार उसे किसी तरह की अनहोनी का डर नहीं था. उस का प्यार… उस का गोविंद जो उस के साथ था.

पापा और मम्मी से किस तरह बात करे? इस बारे में रश्मि सोचती रही. उस की छोटी बहन की शादी हो चुकी थी. छोटे भाई ने भी अपनी पत्नी के साथ दूसरी जगह बसेरा बसा लिया था. अब अगर उस की शादी भी हो गई तो मम्मीपापा अकेले रहेंगे या भाई के पास रहेंगे, वह समझ नहीं पा रही थी. उसे कुछ पुराने दिन याद आ गए.

उन दिनों रश्मि घर में अकेली कमाने वाली थी. उसे जब कालेज की डिगरी मिली थी, उसी साल पापा की कंपनी बंद हो गई थी. वे सालों से उसी कंपनी में काम कर रहे थे. वे यह सदमा सह नहीं सके. वे दिनभर कमरे की छत को ताकते घर में पड़े रहते.

उस समय रश्मि के दोनों भाईबहन छोटे थे. रश्मि ने आगे बढ़ कर घर की जिम्मेदारी ली. उस ने एक नौकरी पकड़ ली. धीरेधीरे सब ‍ठीक हो गया.

शादी की तारीख भी तय हो गई, पर अचानक एक दिन लड़के वालों ने शादी तोड़ने का संदेशा भेज दिया.

“आखिर बात क्या है? आप उन के पास जा कर मिल आइए न,” मां ने बेचैन हो कर पापा से कहा.

“रिश्ता तोड़ते समय ही उन्होंने मिलने से मना कर दिया था. खैर, जाने दो. हमारी बेटी को इस से भी अच्छा लड़का मिलेगा,” पापा उन दोनों को समझाते रहे.

इस के बाद 2 बार रश्मि का रिश्ता जुड़ा और ‍फिर टूट गया. मन का बोझ बढ़ गया था. उस की जिंदगी जैसे एक ही ढर्रे पर चल रही थी, जिस में कोई रोमांचक मोड़ नहीं था.

सालभर तक तो यही सब चलता रहा और तभी अचानक कंपनी ने रश्मि का उसी शहर की दूसरी ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया. रश्मि भी एक ही जगह काम करकर के ऊब गई थी, सो वह भी खुशीखुशी दूसरी ब्रांच में चली गई.

नई ब्रांच में आना जैसे रश्मि के लिए फायदेमंद साबित हुआ. यहां की आबोहवा उसे अच्छे से रास आई. कंपनी का औफिस घर से दूर था, लेकिन बस सेवा उपलब्ध थी, इसलिए रश्मि को कोई परेशानी नहीं थी.

एक दिन अचानक रश्मि की गोविंद से मुलाकात हो गई जो वहां मैनेजर था. पहले उन दोनों की दोस्ती हुई और फिर दोस्ती चाहत में बदल गई. यह भी इत्तिफाक ही था कि अभी तक गोविंद की शादी भी नहीं हुई थी.

रश्मि अपने ही खयालों में खोई थी कि अचानक ड्राइवर ने बस को जोर से ब्रेक लगाया और वह हकीकत में लौट आई. बस में बैठेबैठे उस के खयालों में पुरानी यादें ताजा हो गई थीं. आज कितने दिनों के बाद उस का मूड अच्छा था. जिंदगी को ले कर मन में फिर से उम्मीद जागी थी.

रश्मि घर पहुंची तो मम्मी चाय बना रही थीं और पापा टैलीविजन देख रहे थे. रश्मि कपड़े बदल कर आई और मम्मी का हाथ बंटाने लगी. चाह कर भी वह मम्मी से शादी की बात नहीं कर पाई. इसी ऊहापोह में अगला दिन ‍भी निकल गया. गोविंद के आने से पहले उसे घर में बात करना जरूरी था.

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रश्मि जब शाम को औफिस से घर पहुंची, तो पापा तैयार बैठे थे और मां अच्छी सी साड़ी पहने आईने के सामने सिंगार कर रही थीं.

“सुनो, अब बेटी के ‍लिए चाय बनाने मत बैठ जाना. देर हो रही है. जल्दी करो भई,” पापा ने मम्मी को आवाज लगाई.

“सुनो बेटा, मैं और तुम्हारे पापा फिल्म देखने जा रहे हैं. तुम चाय बना कर पी लेना. और हां, रात के लिए रोटी भी सेंक लेना. हम साढ़े 9 बजे तक वापस आ जाएंगे,” कहते हुए मम्मी ने चप्पल पहनीं और बाहर निकल गईं.

रश्मि को लगा कि जब हर कोई अपनी पसंद का खयाल रख रहा है, तो उसे झिझक क्यों? अगली सुबह बड़ी हिम्मत कर के वह मम्मी के सामने खड़ी हो गई और बोली, “मम्मी, मुझे आप से कुछ कहना है. शायद आप को अटपटा लगे सुनने में… पर मैं ने अपना जीवनसाथी चुन लिया है…”

यह सुन कर मम्मी इस कदर चौंकी कि उन के हाथ का कलछा नीचे गिर गया.

“मम्मी, गोविंद मेरे मैनेजर हैं और उन्होंने मेरे बारे में अपनी मां से बात कर ली है. अगले हफ्ते उन की मां हमारे घर आ रही हैं… आप से मेरा हाथ मांगने,” रश्मि ने छूटते ही सारी बात एक ही सांस में कह डाली. ‍

Manohar Kahaniya : पावर बैंक ऐप के जरिए धोखाधड़ी- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में लौकडाउन और कर्फ्यू के कारण तमाम तरह की गतिविधियां लगभग बंद पड़ी थीं. इस दौरान पुलिस अपराध नियंत्रण की जगह या तो लोगों की मदद करने में जुटी थी या लौकडाउन का पालन कराने और लोगों को कोरोना संक्रमण से जागरुक करने में.

लेकिन इस दरम्यान कुछ ऐसा हुआ कि 30 मई, 2021 को दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पुलिस मुख्यालय में एक खास मकसद से एक आपात बैठक बुलानी पड़ी. इस बैठक में चुनिंदा पुलिस अधिकारी मौजूद थे. इस आपात बैठक में पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव के सामने क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन के साथ साइबर क्राइम सेल के संयुक्त आयुक्त प्रेमनाथ तथा इसी सेल के डीसीपी अनेष राय मौजूद थे. पुलिस कमिश्नर के सामने एक मोटी फाइल  रखी थी.

‘‘प्रवीर क्या तुम्हारी यूनिट को खबर है कि इन दिनों औनलाइन फ्रौड का कौन सा नया ट्रेंड सब से तेजी से अपना काम कर रहा है?’’ कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन से मुखातिब होते हुए पूछा.

‘‘औनलाइन फ्रौड के तो दरजनों तरीके हैं सर और साइबर क्रिमिनल इन सब के जरिए ही क्राइम कर रहे हैं. जब से कोरोना महामारी फैली है और लोग लौकडाउन के कारण घरों में बंद हैं, तब से तो आए दिन एक नया औनलाइन फ्रौड सामने आ रहा है. सौरी सर, लेकिन आप किस नए ट्रेंड की बातें कर रहे हैं?’’ प्रवीर रंजन पुलिस कमिश्नर की बात को स्पष्ट रूप से समझ नहीं सके तो उन्होंने संकोच करते हुए उन से साफतौर से बताने का आग्रह किया.

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‘‘मेरे सामने जो फाइल है इस में पिछले 2 महीने के दौरान औनलाइन मिली वो शिकायतें हैं, जिन में सैंकड़ों लोगों ने एक ही तरह से ठगी की शिकायत की है. सब के साथ एक ही तरह से ठगी की गई है. इन के अलावा न्यूजपेपर में अलग से आए दिन इसी तरह से ठगी की शिकायतों की खबरें छप रही हैं.

‘‘मुझे लगता है कि कोई गैंग है जो बड़े आर्गनाइज तरीके से इस तरह से ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहा है. अभी ये तो नहीं पता कि कितने लोगों के साथ अब तक ऐसी वारदात हो चुकी है, लेकिन जिस तेजी से ये गैंग काम कर रहा है उसे देख कर लगता है कि ठगी के शिकार लोगों की गिनती लाखों में हो सकती है.’’

पुलिस आयुक्त ने दिए कुछ हिंट

पुलिस आयुक्त श्रीवास्तव ने गंभीर होते हुए सीधे मुद्दे की बात शुरू कर दी, जिस के लिए उन्होंने यह बैठक बुलाई थी.

‘‘मेरे पास जितनी भी शिकायतें आई हैं, वे सब एक ही तरह की हैं. जिस में लोगों को गूगल प्लेस्टोर से कुछ खास तरह के ऐप डाउनलोड करने के लिंक भेजे जा रहे हैं. लोगों को इन ऐप्स ने 25-35 दिनों में निवेश राशि को दोगुना करने के दावों के साथ निवेश पर आकर्षक रिटर्न की पेशकश की. ये ऐप्स प्रति घंटा और दैनिक आधार पर रिटर्न की पेशकश कर रहे हैं. शुरू में लोगों को छोटे निवेश पर रिटर्न दिया जा रहा है और बड़ी रकम का निवेश होते ही निवेशक के मोबाइल पर ऐप ब्लौक हो जाता है.’’

विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन स्पष्ट बताते ही समझ गए कि पुलिस कमिश्नर ठगी के किस नए ट्रेंड की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सर, आप पावर ऐप बैंक की बात कर रहे हैं. सर, पिछले हफ्ते ही मुझे सीधे कुछ ऐसी शिकायतें मिली थीं और हम ने अखबारों में भी पढ़ा था, जिस के बाद मैं ने अपनी साइबर यूनिट को ऐसे मामलों की छानबीन करने के काम पर लगा दिया है. हम आलरेडी इस पर काम कर रहे हैं.’’

‘‘गुड प्रवीर, मुझे तुम से ऐसी ही उम्मीद थी. मैं चाहता हूं कि एक बड़ी टीम बना कर इस पर सीरियसली तुरंत ऐक्शन शुरू करो. लोग किस तरह इस ठगी से बच सकते हैं, इस के लिए भी एक एडवाइजरी बनाओ जिस से हम लोगों को ऐसे जालसाजों के चंगुल में फंसने से बचा सकें और उन्हें जागरुक कर सकें.’’ कहते हुए पुलिस आयुक्त श्रीवास्तव ने अपने सामने रखी मोटी फाइल प्रवीर रंजन की तरफ बढ़ा दी.

इस के बाद इसी मुद्दे पर खास हिदायतें देने के बाद मीटिंग खत्म हो गई और पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव मीटिंग से चले गए.

पुलिस कमिश्नर के जाने के बाद प्रवीर रंजन इस मामले को ले कर जौइंट सीपी प्रेमनाथ और डीसीपी अनेष राय के साथ काफी देर तक चर्चा करते रहे और कुछ देर की माथापच्ची के बाद बाकायदा एक रणनीति तैयार कर ली गई, ताकि जालसाजी का अनोखा जाल फैलाने वालों को पकड़ा जा सके.

तीनों अधिकारी कुछ देर बाद जब मीटिंग रूम से बाहर निकले तो उन के इरादे साफ थे कि इस मामले में जल्द ही बड़ा ऐक्शन शुरू होगा. क्योंकि किसी खास अपराध को ले कर अगर पुलिस आयुक्त खुद चिंता व्यक्त करें तो मातहतों के लिए ऐसा ऐक्शन लेना लाजिमी भी हो जाता है. वैसे भी जालसाजी का ये जो नया ट्रेंड सामने आया था, वो सीधे लाखोंकरोड़ों लोगों से जुड़ा था और इस के जरिए हर रोज लोगों के साथ धोखाधड़ी की शिकायतें सामने आ रही थीं.

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साइबर क्राइम की टीम जुटी जांच में

इस बैठक के बाद विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन ने साइबर अपराध प्रकोष्ठ के तेजतर्रार एसीपी आदित्य गौतम के नेतृत्व में इंसपेक्टर परवीन, इंसपेक्टर हंसराज, सबइंसपेक्टर अवधेश, सुनील, व हरजीत के साथ 3 दरजन पुलिसकर्मियों की एक बड़ी टीम तैयार की.

इस टीम के कई लोग पहले से ही जालसाजी के इस रैकेट को समझने के लिए इस पर काम कर रहे थे. साइबर क्राइम की टीम ने सब से पहले पावर बैंक ऐप और ईजीमनी ऐप की मोडस औपरेंडी का विश्लेषण किया कि वे कैसे काम करते हैं.

टीम के सदस्यों ने इन ऐप्स पर अपने खाते बनाए और इस के बाद उन्होंने इस में कुछ पैसे इनवेस्ट भी कर दिए ताकि पता लगाया जा सके कि पैसे किन खातों में और कहां ट्रांसफर होते हैं.

पुलिस ने लंबी कवायद के बाद आखिरकार पता लगा लिया कि ऐप्स में होने वाले इनवैस्टमेंट का पैसा किस पेमेंट गेटवे से हो कर किनकिन बैंक खातों में ट्रांसफर होता है और वे बैंक खाते किन लोगों के नाम पर खुले हैं. उन में जो मोबाइल नंबर दर्ज हैं, उन का संचालन कौन करता है. साइबर क्राइम की टीम ने ठगी के इस जाल की पूरी कड़ी तैयार कर ली, जिस के बाद शुरू हुआ ऐक्शन का काम.

2 जून, 2021 की सुबह एक ही समय में दिल्लीएनसीआर, पश्चिम बंगाल और बंगलुरु में एक साथ छापेमारी की गई और 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. इस में 2 चार्टर्ड एकाउंटेंट थे. इन की पहचान गुड़गांव निवासी अविक केडिया और दिल्ली के कटवारिया सराय निवासी रौनक बंसल के रूप में हुई.

पूछताछ में पता चला कि ठगी की रकम को ट्रांसफर करने के लिए जो मुखौटा कंपनियां बनाई गई थीं, वे इन्हीं दोनों ने तैयार की थीं.

मास्टरमाइंड हुआ गिरफ्तार

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में स्थित उलबेरिया में रहने वाला शेख रौबिन इस धोखाधड़ी के नेटवर्क का भारत में मास्टरमाइंड सरगना था. शेख रौबिन से पूछताछ और उस से बरामद हुए दस्तावेजों की छानबीन में पता चला कि वह कई बार चीन, सिंगापुर, दुबई और दूसरे देशों की यात्रा कर चुका था.

शेख रौबिन वीचैट और टेलीग्राम जैसे मोबाइल ऐप के जरिए कुछ चीनी लोगों के संपर्क में था. उन्होेंने शेख को अपने गूगल प्लेस्टोर पर अपलोड किए गए अपने मोबाइल ऐप पावर बैंक और सन लाइट फैक्ट्री के जरिए भारतीय लोगों से धोखाधड़ी करने के लिए एक ऐसा सिंडीकेट तैयार करने के लिए राजी किया था, जो अपना लाभ ले कर उन के लिए काम कर सकें.

धोखाधड़ी का पूरा प्लान जानने के बाद शेख रौबिन ने दिल्ली और गुड़गांव में सीए अविक केडिया और दिल्ली के रौनक बंसल से संपर्क किया. दोनों सीए ने अपने करीबी लोगों, रिश्तेदारों के नाम, पते और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर करीब 25 शैल कंपनियां बनाईं और उन्हें शेख रौबिन को 3 लाख रुपए इन का इस्तेमाल करने के लिए बेच दिया.

शेख ने इन सभी कंपनियों के नाम से देश के अलगअलग शहरों में करीब 30 से अधिक बैंक खाते खुलवाए और इन में अपने लोगों के नाम से फरजी आधार कार्ड व दस्तावेज बना कर खरीदे गए सिम कार्ड व मोबाइल नंबर दर्ज करा दिए.

शेख रौबिन ने बंगुलरु में एक तिब्बत मूल की युवती पेमा वांगमो के साथ मिल कर एक ऐसी फरजी स्टार्टअप कंपनी का गठन कर दिया, जो मल्टीलेवल मार्केटिंग के लिए ईजी मनी ऐप को प्रमोट करने लगी. पेमा के साथ बंगलुरु में सुकन्या और नागाभूषण नाम के उस के साथी भी उस की मदद करते थे.

अगले भाग में पढ़ेंपुलिस ने बैंक खाते कराए सीज

Family Story in Hindi- खुशियों की दस्तक: भाग 3

कौस्तुभ और प्रिया का शरीर अब जर्जर होता रहा था. कहते हैं न कि आप के शरीर का स्वास्थ्य बहुत हद तक मन के सुकून और खुशी पर निर्भर करता है और जब यही हासिल न हो तो स्थिति खराब होती चली जाती है. यही हालत थी इन दोनों की. मन से एकाकी, दुखी और शरीर से लाचार. बस एकदूसरे की खातिर दोनों जी रहे थे. पूरी ईमानदारी से एकदूसरे का साथ दे रहे थे. एक दिन दोनों बाहर बालकनी में बैठे थे, तो एक महिला अपने बच्चे के साथ उन के घर की तरफ आती दिखी. कौस्तुभ सहसा ही बोल पड़ा, ‘‘उस बच्चे को देख रही हो प्रिया, हमारा पोता भी अब इतना बड़ा हो गया होगा न? अच्छा है, उसे हमारा चेहरा देखने को नहीं मिला वरना मोहित की तरह वह भी डर जाता,’’ कहतेकहते कौस्तुभ की पलकें भीग गईं. प्रिया क्या कहती वह भी सोच में डूब गई कि काश मोहित पास में होता.

तभी दरवाजे पर हुई दस्तक से दोनों की तंद्रा टूटी. दरवाजा खोला तो सामने वही महिला खड़ी थी, बच्चे की उंगली थामे. ‘‘क्या हुआ बेटी, रास्ता भूल गईं क्या?’’ हैरत से देखते हुए प्रिया ने पूछा.

‘‘नहीं मांजी, रास्ता नहीं भूली, बल्कि सही रास्ता ढूंढ़ लिया है,’’ वह महिला बोली. वह चेहरे से विदेशी लग रही थी मगर भाषा, वेशभूषा और अंदाज बिलकुल देशी था. प्रिया ने प्यार से बच्चे का माथा चूम लिया और बोली, ‘‘बड़ा प्यारा बच्चा है. हमारा पोता भी इतना ही बड़ा है. इसे देख कर हम उसे ही याद कर रहे थे. लेकिन वह तो इतनी दूर रहता है कि हम आज तक उस से मिल ही नहीं पाए.’’

‘‘इसे भी अपना ही पोता समझिए मांजी,’’ कहती हुई वह महिला अंदर आ गई.

‘‘बेटी, हमारे लिए तो इतना ही काफी है कि तू ने हमारे लिए कुछ सोचा. कितने दिन गुजर जाते हैं, कोई हमारे घर नहीं आता. बेटी, आज तू हमारे घर आई तो लग रहा है, जैसे हम भी जिंदा हैं.’’

‘‘आप सिर्फ जिंदा ही नहीं, आप की जिंदगी बहुत कीमती भी है,’’ कहते हुए वह महिला सोफे पर बैठ गई और वह बच्चा भी प्यार से कौस्तुभ के बगल में बैठ गया. सकुचाते हुए कौस्तुभ ने कहा, ‘‘अरे, आप का बच्चा तो मुझे देख कर बिलकुल भी नहीं घबरा रहा.’’

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‘‘घबराने की बात ही क्या है अंकल? बच्चे प्यार देखते हैं, चेहरा नहीं.’’ ‘‘यह तो तुम सही कह रही हो बेटी पर विश्वास नहीं होता. मेरा अपना बच्चा जब इस की उम्र का था तो बहुत घबराता था मुझे देख कर. इसीलिए मेरे पास आने से डरता था. दादादादी के पास ही उस का सारा बचपन गुजरा था.’’

‘‘मगर अंकल हर कोई ऐसा नहीं होता. और मैं तो बिलकुल नहीं चाहती कि हमारा सागर मोहित जैसा बने.’’ इस बात पर दोनों चौंक कर उस महिला को देखने लगे, तो वह मुसकरा कर बोली, ‘‘आप सही सोच रहे हैं. मैं दरअसल आप की बहू सारिका हूं और यह आप का पोता है, सागर. मैं आप को साथ ले जाने के लिए आई हूं.’’ उस के बोलने के लहजे में कुछ ऐसा अपनापन था कि प्रिया की आंखें भर आईं. बहू को गले लगाते हुए वह बोली, ‘‘मोहित ने तुझे अकेले क्यों भेज दिया? साथ क्यों नहीं आया?’’ ‘‘नहीं मांजी, मुझे मोहित ने नहीं भेजा मैं तो उन्हें बताए बगैर आई हूं. वे 2 महीने के लिए पैरिस गए हुए हैं. मैं ने सोचा क्यों न इसी बीच आप को घर ले जा कर उन को सरप्राइज दे दूं. ‘‘मोहित ने आज तक मुझे बताया ही नहीं था कि मेरे सासससुर अभी जिंदा हैं. पिछले महीने इंडिया से आए मोहित के दोस्त अनुज ने मुझे आप लोगों के बारे में सारी बातें बताईं. फिर जब मैं ने मोहित से इस संदर्भ में बात करनी चाही तो उस ने मेरी बात बिलकुल ही इग्नोर कर दी. तब मुझे यह समझ में आ गया कि वह आप से दूर रहना क्यों चाहता है और क्यों आप को घर लाना नहीं चाहता.’’

‘‘पर बेटा, हम तो खुद भी वहां जाना नहीं चाहते. हमें तो अब ऐसी ही जिंदगी जीने की आदत हो गई है,’’ कौस्तुभ बोला.

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‘‘मगर डैडी, आज हम जो खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं, सब आप की ही देन है और अब हमारा फर्ज बनता है कि हम भी आप की खुशी का खयाल रखें. जिस वजह से मोहित आप से दूर हुए हैं, मैं वादा करती हूं, वह वजह ही खत्म कर दूंगी.’’ ‘‘मेरे अंकल एक बहुत ही अच्छे कौस्मैटिक सर्जन हैं और वे इस तरह के हजारों केस सफलतापूर्वक डील कर चुके हैं. कितना भी जला हुआ चेहरा हो, उन का हाथ लगते ही उस चेहरे को नई पहचान मिल जाती है. वे मेरे अपने चाचा हैं. जाहिर है कि वे आप से फीस भी नहीं लेंगे और पूरी एहतियात के साथ  इलाज भी करेंगे. आप बस मेरे साथ सिंगापुर चलिए. मैं चाहती हूं कि हमारा बच्चा दादादादी के प्यार से वंचित न रहे. उसे वे खुशियां हासिल हों जिन का वह हकदार है. मैं नहीं चाहती कि वह मोहित जैसा स्वार्थी बने और हमारे बुढ़ापे में वैसा ही सुलूक करे जैसा मोहित कर रहा है’’ प्रिया और कौस्तुभ स्तंभित से सारिका की तरफ देख रहे थे. जिंदगी ने एक बार फिर करवट ली थी और खुशियों की धूप उन के आंगन में सुगबुगाहट लेने लगी थी. बेटे ने नहीं मगर बहू ने उन के दर्द को समझा था और उन्हें उन के हिस्से की खुशियां और हक दिलाने आ गई थी.

Family Story in Hindi: विश्वास- भाग 3: क्या अंजलि अपनी बिखरती हुई गृहस्थी को समेट पाई?

अंजलि को बेटी का सवाल सुन कर तेज झटका लगा. उस ने अपना सिर झुका लिया. शिखा आगे एक भी शब्द न बोल कर अपने कमरे में लौट गई. दोनों मांबेटी ने तबीयत खराब होने का बहाना बना कर रात का खाना नहीं खाया. शिखा के नानानानी को उन दोनों के उखडे़ मूड का कारण जरा भी समझ में नहीं आया.

उस रात अंजलि बहुत देर तक नहीं सो सकी. अपने पति के साथ चल रहे मनमुटाव से जुड़ी बहुत सी यादें उस के दिलोदिमाग में हलचल मचा रही थीं. शिखा द्वारा लगाए गए आरोप ने उसे बुरी तरह झकझोर दिया था.

राजेश ने कभी स्वीकार नहीं किया था कि अपने दोस्त की विधवा के साथ उस के अनैतिक संबंध थे. दूसरी तरफ आफिस में काम करने वाली 2 लड़कियों और राजेश के दोस्तों की पत्नियों ने इस संबंध को समाप्त करवा देने की चेतावनी कई बार उस के कानों में डाली थी.

राजेश ने उसे प्यार से डांट कर भी खूब समझाया

तब खूबसूरत सीमा को अपने पति के साथ खूब खुल कर हंसतेबोलते देख अंजलि जबरदस्त ईर्ष्या व असुरक्षा की भावना का शिकर रहने लगी.

राजेश ने उसे प्यार से व डांट कर भी खूब समझाया पर अंजलि ने साफ कह दिया, ‘मेरे मन की सुखशांति, मेरे प्यार व खुशियों की खातिर आप को सीमा से हर तरह का संबंध समाप्त कर लेना होगा.’

‘मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिस से अपनी नजरों में गिर जाऊं. मैं कुसूरवार हूं ही नहीं, तो सजा क्यों भोगूं? अपने दिवंगत दोस्त की पत्नी को मैं बेसहारा नहीं छोड़ सकता हूं. तुम्हारे बेबुनियाद शक के कारण मैं अपनी नजरों में खुद को गिराने वाला कोई कदम नहीं उठाऊंगा,’ राजेश के इस फैसले को अंजलि किसी भी तरह से नहीं बदलवा सकी.

पहले अपने पति और अब अपनी बेटी के साथ हुए टकरावों में अंजलि को बड़ी समानता नजर आई. उस ने सीमा को ले कर राजेश पर चरित्रहीन होने का आरोप लगाया था और शिखा ने कमल को ले कर खुद उस पर.

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वह अपने को सही मानती थी, जैसे अब शिखा अपने को सही मान रही थी. वहां राजेश अपराधी के कटघरे में खड़ा हो कर सफाई देता था और आज वह अपनी बेटी को सफाई देने के लिए मजबूर थी.

अपने दिल की बात वह अच्छी तरह जानती थी. उस के मन में कमल को ले कर रत्ती भर भी गलत तरह का आकर्षण नहीं था. इस मामले में शिखा पूरी तरह गलत थी.

तब सीमा व राजेश के मामले में क्या वह खुद गलत नहीं हो सकती थी? इस सवाल से जूझते हुए अंजलि ने सारी रात करवटें बदलते हुए गुजार दी.

अगली सुबह शिखा के जागते ही अंजलि ने अपना फैसला उसे सुना दिया, ‘‘अपना सामान बैग में रख लो. नाश्ता करने के बाद हम अपने घर लौट रहे हैं.’’

अंजलि ने उसे अपने सीने से लगा लिया

‘‘ओह, मम्मी. यू आर ग्रेट. मैं बहुत खुश हूं,’’ शिखा भावुक हो कर उस से लिपट गई.

अंजलि ने उस के माथे का चुंबन लिया, पर मुंह से कुछ नहीं बोली. तब शिखा ने धीमे स्वर में उस से कहा, ‘‘गुस्से में आ कर मैं ने जो भी पिछले दिनों आप से उलटासीधा कहा है, उस के लिए मैं बेहद शर्मिंदा हूं. आप का फैसला बता रहा है कि मैं गलत थी. प्लीज मम्मा, मुझे माफ कर दीजिए.’’

अंजलि ने उसे अपने सीने से लगा लिया. मांबेटी दोनों की आंखों में आंसू भर आए. पिछले कई दिनों से बनी मानसिक पीड़ा व तनाव से दोनों पल भर में मुक्त हो गई थीं.

उस के बुलावे पर वंदना उस से मिलने घर आ गई. कमल के आफिस चले जाने के कारण अंजलि के लौटने की खबर कमल तक नहीं पहुंची.

वंदना को अंजलि ने अकेले में अपने वापस लौटने का सही कारण बताया, ‘‘पिछले दिनों अपनी बेटी शिखा के कारण राजेश और सीमा को ले कर मुझे अपनी एक गलती…एक तरह की नासमझी का एहसास हुआ है. उसी भूल को सुधारने को मैं राजेश के पास बेशर्त वापस लौट रही हूं.

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‘‘सीमा के साथ उस के अनैतिक संबंध नहीं हैं, मुझे राजेश के इस कथन पर विश्वास करना चाहिए था, पर मैं और लोगों की सुनती रही और हमारे बीच प्रेम व विश्वास का संबंध कमजोर पड़ने लगा.

‘‘अगर राजेश निर्दोष हैं तो मेरा झगड़ालू रवैया उन्हें कितना गलत और दुखदायी लगता होगा. बिना कुछ अपनी आंखों से देखे, पत्नी का पति पर विश्वास न करना क्या एक तरह का विश्वासघात नहीं है?

‘‘मैं राजेश को…उन के पे्रम को खोना नहीं चाहती हूं. हो सकता है कि सीमा और उन के बीच गलत तरह के संबंध बन गए हों, पर इस कारण वह खुद भी मुझे छोड़ना नहीं चाहते. उन के दिल में सिर्फ मैं रहूं, क्या अपने इस लक्ष्य को मैं उन से लड़झगड़ कर कभी पा सकूंगी?

‘‘वापस लौट कर मुझे उन का विश्वास फिर से जीतना है. हमारे बीच प्रेम का मजबूत बंधन फिर से कायम हो कर हम दोनों के दिलों के घावों को भर देगा, इस का मुझे पूरा विश्वास है.’’

अंजलि की आंखों में दृढ़निश्चय के भावों को पढ़ कर वंदना ने उसे बडे़ प्यार से गले लगा लिया.

Satyakatha- जब इश्क बना जुनून: भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

शाहिदा इस के लिए तैयार ही थी. उस ने किसी तरह का कोई विरोध नहीं किया तो रईस और शाहिदा के बीच अमित दाखिल हो गया.

इस तरह अमित और शाहिदा के अनैतिक संबंध बन गए. फिर तो अकसर अमित रईस की गैरमौजूदगी में उस के घर जाने लगा. अमित न तो रईस का रिश्तेदार था और न ही दोस्त. वह उस के घर आता भी उस की गैरमौजूदगी में था. इसलिए बिटिया से जब उस के घर आने का पता चला तो उसे शक हुआ. उस ने शाहिदा से उस के बारे में पूछा तो वह साफ मुकर गई. इस से रईस का शक और बढ़ गया.

इस तरह की बातें कहां ज्यादा दिनों तक छिपी रहती हैं. इस की वजह यह थी कि जैसेजैसे दिन बीतते गए, दोनों की मिलने की चाह बढ़ती गई और वे लापरवाह होते गए.

जब रईस को पूरा विश्वास हो गया कि उस की बीवी का अमित से गलत संबंध है तो वह शाहिदा को उस से मिलने से रोकने लगा. शाहिदा पहले तो मना करती रही कि उस का अमित से इस तरह का कोई संबंध नहीं है. पर रईस को उस की बात पर जरा भी विश्वास नहीं था. क्योंकि उस के पास पक्का सबूत था कि उस की पत्नी अब उस के प्रति वफादार नहीं रही. वह शाहिदा पर दबाव डालने लगा कि वह अमित से मिलनाजुलना छोड़ दे, वरना ठीक नहीं होगा.

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जब रईस का दबाव बढ़ता गया तो शाहिदा बेचैन हो उठी. इस की वजह यह थी अब तक शाहिदा पूरी तरह से अमित की हो चुकी थी. अब उसे अपने पति रईस से जरा भी लगाव नहीं रह गया था. इसलिए उस ने अमित से साफसाफ कह दिया कि अब वह हमेशाहमेशा के लिए उस की होना चाहती है. इस के लिए जरूरत पड़ेगी तो वह रईस को ठिकाने भी लगा सकती है. क्योंकि रईस जीते जी उन दोनों को एक नहीं होने देगा.

अमित शाहिदा के प्यार में पागल था. उस ने भी हर तरह से शाहिदा का साथ देने के लिए हामी भर दी. इस तरह एक खौफनाक कत्ल की साजिश रची जाने लगी.

अमित और शाहिदा रईस को ठिकाने लगाने के बारे में सोच ही रहे थे कि 21 मई, 2021 की शाम ऐसा संयोग बना कि बिना किसी योजना के ही अचानक उन्होंने रईस को ठिकाने लगा दिया.

हुआ यह कि उस दिन रईस समय से काफी पहले घर आ गया. घर पहुंचा तो उसे शाहिदा और अमित आपत्तिजनक स्थिति में मिले. बच्चे बाहर खेल रहे थे. कोई भी गैरतमंद पति अपनी पत्नी को किसी गैर के आगोश में देख लेगा तो उस के शरीर में आग लग ही जाएगी.

शाहिदा को अमित के पहलू में देख कर रईस को भी गुस्सा आ गया. वह शाहिदा और अमित की पिटाई करने लगा.

अमित और शाहिदा ने तो पहले से ही रईस को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रखी थी. जब उन दोनों की जान पर बन आई तो शाहिदा दौड़ कर किचन से चाकू उठा लाई, जिस से अमित ने गला काट कर रईस को मौत के घाट उतार दिया. इस के बाद लाश घर में ही छिपा दी.

पति की लाश घर में पड़ी थी. अगर लाश बरामद हो जाती तो दोनों पकड़े जाते. काफी सोचविचार कर रातोंरात अमित और शाहिदा ने रईस की लाश को उसी घर में गड्ढा खोद कर दफनाने का भयानक निर्णय ले लिया.

कमरे में गड्ढा खोद कर लाश को गाड़ना इसलिए मुश्किल था, क्योंकि कमरे में बच्चे सो रहे थे. लाश को ठिकाने लगाने के लिए शाहिदा ने अपने प्रेमी अमित के साथ किचन में एक गड्ढा खोद डाला.

किचन का वह गड्ढा इतना बड़ा नहीं था कि पूरी की पूरी लाश उस में आ जाती. इसलिए दोनों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए पहले लाश के 4 टुकड़े किए, उस के बाद वे टुकड़े बेतरतीब तरीके से एक के ऊपर एक रख कर दफना दिए.

जब यह सब हो रहा था, संयोग से शाहिदा और रईस की 6 साल की मासूम बेटी की आंखें खुल गईं. जब उस ने अपने पापा को 4 टुकड़ों में देखा तो सहम उठी. मारे डर के वह चीख उठी.

उस की चीख सुन कर शाहिदा और अमित घबरा गए. क्योंकि उस बच्ची ने अपनी आंखों से सब कुछ देख लिया था. बच्ची इतनी छोटी नहीं थी कि वह यह न जानती कि यह सब क्या हो रहा है? वह उन दोनों की पोल खोल सकती थी. इसलिए किसी न किसी तरह उस का मुंह बंद कराना था.

पिता की लाश को 4 टुकड़ों में देख कर वह वैसे ही सहमी हुई थी, वह तब और सहम गई जब उस की मां ने कहा कि अगर उस ने किसी को इस बारे में बताया तो वह उसे पानी के ड्रम में डुबो कर मार देगी और उस की लाश को भी उस के पापा की तरह काट कर गाड़ देगी.

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मां की यह धमकी सुन कर वह मासूम बुरी तरह डर गई और जा कर चुपचाप सो गई.

दोनों ने रईस की हत्या की साजिश काफी सोचविचार कर रची थी. तभी तो शाहिदा ने सीमेंट, टाइल्स और घर की मरम्मत का सामान पहले से ही मंगा कर रख लिया था.

रईस को इस सब का बिलकुल पता नहीं था. लेकिन जब उस ने इस सामान को देखा था, तब शाहिदा से पूछा जरूर था. शाहिदा ने कहा था कि वह किचन की मरम्मत कराना चाहती है. रईस को यह तो शक था नहीं कि शाहिदा उस की हत्या भी करवा सकती है, इसलिए उस ने शाहिदा की बात पर विश्वास कर लिया था.

अब रईस ठिकाने लग चुका था. उस की हत्या हो चुकी थी और उसी घर के किचन में दफन है, यह बात शाहिदा, उसकी बेटी और अमित के अलावा किसी और को पता नहीं थी.

लेकिन यह भी सच है कि हत्यारा कोई न कोई सबूत अवश्य छोड़ देता है. ऐसा ही रईस की हत्या के मामले में भी हुआ.

शाहिदा ने अमित के साथ मिल कर जो किया था, उस की मासूम बेटी ने सब देख लिया था, जिस की वजह से केस खुल गया. शातिर खिलाड़ी शाहिदा से पूछताछ के बाद पुलिस ने अमित को भी गिरफ्तार कर लिया.

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थाने में शाहिदा को देख कर अमित ने भी तुरंत अपना अपराध स्वीकार कर लिया. क्योंकि उसे पता था कि पुलिस को सारी सच्चाई पता चल चुकी है. इस के बाद सारी काररवाई पूरी कर थाना दहिसर पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

उलझे रिश्ते- भाग 3: क्या प्रेमी से बिछड़कर खुश रह पाई रश्मि

Writer- Ravi

रश्मि अपने पति के रूखे और ठंडे व्यवहार से तो परेशान थी ही उस की सास भी कम नहीं थीं. रश्मि ने फिल्मों में ललिता पंवार को सास के रूप में देखा था. उसे लगा वही फिल्मी चरित्र उस की लाइफ में आ गया है. हसीन ख्वाबों को लिए उड़ने वाली रश्मि धरातल पर आ गई. संभव के साथ जैसेतैसे ऐडजस्ट किया उस ने परंतु सास से उस की पटरी नहीं बैठ पाई. संभव को भी लगा अब सासबहू का एकसाथ रहना मुश्किल है. तब सब ने मिल कर तय किया कि संभव रश्मि को ले कर अलग घर में रहेगा. कुछ ही दूरी पर किराए का मकान तलाशा गया और रश्मि नए घर में आ गई. अब तक उस के 2 प्यारेप्यारे बच्चे भी हो चुके थे. शादी के 12 साल कब बीत गए पता ही नहीं चला. नए घर में आ कर रश्मि के सपने फिर से जाग उठे. उमंगें जवां हो गईं. उस ने कार चलाना सीख लिया. पेंटिंग का उसे शौक था. उस ने एक से बढ़ कर एक पोट्रेट तैयार किए. जो देखता वह देखता ही रह जाता. अपने बेटे साहिल को पढ़ाने के लिए रश्मि ने हिमेश को ट्यूटर रख लिया. वह साहिल को पढ़ाने के लिए अकसर दोपहर बाद आता था जब संभव घर होता था. 28-30 वर्षीय हिमेश बहुत आकर्षक और तहजीब वाला अध्यापक था. रश्मि को उस का व्यक्तित्व बेहद आकर्षक लगता था. खुले विचारों की रश्मि हिमेश से हंसबोल लेती. हिमेश अविवाहित था. उस ने रश्मि के हंसीमजाक को अलग रूप में देखा. उसे लगा कि रश्मि उसे पसंद करती है. लेकिन रश्मि के मन में ऐसा दूरदूर तक न था. वह उसे एक शिक्षक के रूप में देखती और इज्जत देती. एक दिन रश्मि घर पर अकेली थी. साहिल अपने दोस्त के घर गया था. हिमेश आया तो रश्मि ने कहा कि कोई बात नहीं, आप बैठिए. हम बातें करते हैं. कुछ देर में साहिल आ जाएगा.

रश्मि चाय बना लाई और दोनों सोफे पर बैठ गए. रश्मि ने बताया कि वह राधाकृष्ण की एक बहुत बड़ी पोट्रेट तैयार करने जा रही है. उस में राधाकृष्ण के प्यार को दिखाया गया है. यह बताते हुए रश्मि अपने अतीत में डूब गई. उस की आंखों के सामने सुधीर का चेहरा घूम गया. हिमेश कुछ और समझ बैठा. उस ने एक हिमाकत कर डाली. अचानक रश्मि का हाथ थामा और ‘आई लव यू’ कह डाला. रश्मि को लगा जैसे कोई बम फट गया है. गुस्से से उस का चेहरा लाल हो गया. वह अचानक उठी और क्रोध में बोली, ‘‘आप उठिए और तुरंत यहां से चले जाइए. और दोबारा इस घर में पांव मत रखिएगा वरना बहुत बुरा होगा.’’ हिमेश को तो जैसे सांप सूंघ गया. रश्मि का क्रोध देख उस के हाथ कांपने लगे.

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‘‘आ…आ… आप मुझे गलत समझ रही हैं मैडम,’’ उस ने कांपते स्वर में कहा.

‘‘गलत मैं नहीं समझ रही आप ने मुझे समझा है. एक शिक्षक के नाते मैं आप की इज्जत करती रही और आप ने मुझे क्या समझ लिया?’’ फिर एक पल भी नहीं रुका हिमेश. उस के बाद उस ने कभी रश्मि के घर की तरफ देखा भी नहीं. जब कभी साहिल ने पूछा रश्मि से तो उस से उस ने कहा कि सर बाहर रहने लगे हैं. रश्मि की जिंदगी फिर से दौड़ने लगी. एक दिन एक पांच सितारा होटल में लगी डायमंड ज्वैलरी की प्रदर्शनी में एक संभ्रात परिवार की 30-35 वर्षीय महिला ऊर्जा से रश्मि की मुलाकात हुई. बातों ही बातों में दोनों इतनी घुलमिल गईं कि दोस्त बन गईं. वह सच में ऊर्जा ही थी. गजब की फुरती थी उस में. ऊर्जा ने बताया कि वह अपने घर पर योगा करती है. योगा सिखाने और अभ्यास कराने योगा सर आते हैं. रश्मि को लगा वह भी ऊर्जा की तरह गठीले और आकर्षक फिगर वाली हो जाए तो मजा आ जाए. तब हर कोई उसे देखता ही रह जाएगा.

ऊर्जा ने स्वाति से कहा कि मैं योगा सर को तुम्हारा मोबाइल नंबर दे दूंगी. वे तुम से संपर्क कर लेंगे. रश्मि ने अपने पति संभव को मना लिया कि वह घर पर योगा सर से योगा सीखेगी. एक दिन रश्मि के मोबाइल घंटी बजी. उस ने देखा तो कोई नया नंबर था. रश्मि ने फोन उठाया तो उधर से आवाज आई,  ‘‘हैलो मैडम, मैं योगा सर बोल रहा हूं. ऊर्जा मैडम ने आप का नंबर दिया था. आप योगा सीखना चाहती हैं?’’‘‘जी हां मैं ने कहा था, ऊर्जा से,’’ रश्मि ने कहा.

‘‘तो कहिए कब से आना है?’’

‘‘किस टाइम आ सकते हैं आप?’’

‘‘कल सुबह 6 बजे आ जाता हूं. आप अपना ऐडै्रस नोट करा दें.’’

रश्मि ने अपना ऐड्रैस नोट कराया. सुबह 5.30 बजे का अलार्म बजा तो रश्मि जाग गई. योगा सर 6 बजे आ जाएंगे यही सोच कर वह आधे घंटे में फ्रैश हो कर तैयार रहना चाहती थी. बच्चे और पति संभव सो रहे थे. उन्हें 8 बजे उठने की आदत थी. रश्मि उठते ही बाथरूम में घुस गई. फ्रैश हो कर योगा की ड्रैस पहनी तब तक 6 बजने जा रहे थे कि अचानक डोरबैल बजी. योगा सर ही हैं यह सोच कर उस ने दौड़ कर दरवाजा खोला. दरवाजा खोला तो सामने खड़े शख्स को देख कर वह स्तब्ध रह गई. उस के सामने सुधीर खड़ा था. वही सुधीर जो उस की यादों में बसा रहता था.

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‘‘तुम योगा सर?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘हां.’’

फिर सुधीर ने, ‘‘अंदर आने को नहीं कहोगी?’’ कहा तो रश्मि हड़बड़ा गई.

‘‘हांहां आओ, आओ न प्लीज,’’ उस ने कहा. सुधीर अंदर आया तो रश्मि ने सोफे की तरफ इशारा करते हुए उसे बैठने को कहा. दोनों एकदूसरे के सामने बैठे थे. रश्मि को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोले, क्या नहीं. सुधीर कहे या योगा सर. रश्मि सहज नहीं हो पा रही थी. उस के मन में सुधीर को ले कर अनेक सवाल चल रहे थे. कुछ देर में वह सामान्य हो गई, तो सुधीर से पूछ लिया, ‘‘इतने साल कहां रहे?’’

सुधीर चुप रहा तो रश्मि फिर बोली, ‘‘प्लीज सुधीर, मुझे ऐसी सजा मत दो. आखिर हम ने प्यार किया था. मुझे इतना तो हक है जानने का. मुझे बताओ, यहां तक कैसे पहुंचे और अंकलआंटी कहां हैं? तुम कैसे हो?’’ रश्मि के आग्रह पर सुधीर को झुकना पड़ा. उस ने बताया कि तुम से अलग हो कर कुछ टाइम मेरा मानसिक संतुलन बिगड़ा रहा. फिर थोड़ा सुधरा तो शादी की, लेकिन पत्नी ज्यादा दिन साथ नहीं दे पाई. घरबार छोड़ कर चली गई और किसी और केसाथ घर बसा लिया. फिर काफी दिनों के इलाज के बाद ठीक हुआ तो योगा सीखतेसीखते योगा सर बन गया. तब किसी योगाचार्य के माध्यम से दिल्ली आ गया. मम्मीपापा आज भी वहीं हैं उसी शहर में. सुधीर की बातें सुन अंदर तक हिल गई रश्मि. यह जिंदगी का कैसा खेल है. जो उस से बेइंतहां प्यार करता था, वह आज किस हाल में है सोचती रह गई रश्मि. अजब धर्मसंकट था उस के सामने. एक तरफ प्यार दूसरी तरफ घरसंसार. क्या करे? सुधीर को घर आने की अनुमति दे या नहीं? अगर बारबार सुधीर घर आया तो क्या असर पड़ेगा गृहस्थी पर? माना कि किसी को पता नहीं चलेगा कि योगा सर के रूप में सुधीर है, लेकिन कहीं वह खुद कमजोर पड़ गई तो? उस के 2 छोटेछोटे बच्चे भी हैं. गृहस्थी जैसी भी है बिखर जाएगी. उस ने तय कर लिया कि वह सुधीर को योगा सर के रूप में स्वीकार नहीं करेगी. कहीं दूर चले जाने को कह देगी इसी वक्त.

‘‘देखो सुधीर मैं तुम से योगा नहीं सीखना चाहती,’’ रश्मि ने अचानक सामान्य बातचीत का क्रम तोड़ते हुए कहा.

‘‘पर क्यों रश्मि?’’

‘‘हमारे लिए यही ठीक रहेगा सुधीर, प्लीज समझो.’’

‘‘अब तुम शादीशुदा हो. अब वह बचपन वाली बात नहीं है रश्मि. क्या हम अच्छे दोस्त बन कर भी नहीं रह सकते?’’ सुधीर ने लगभग गिड़गिड़ाने के अंदाज में कहा.

‘‘नहीं सुधीर, मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगी, जिस से मेरी गृहस्थी, मेरे बच्चों पर असर पड़े,’’ रश्मि ने कहा. सुधीर ने लाख समझाया पर रश्मि अपने फैसले पर अडिग रही. सुधीर बेचैन हो गया. सालों बाद उस का प्यार उस के सामने था, लेकिन वह उस की बात स्वीकार नहीं कर रहा था. आखिर रश्मि ने सुधीर को विदा कर दिया. साथ ही कहा कि दोबारा संपर्क की कोशिश न करे. सुधीर रश्मि से अलग होते वक्त बहुत तनावग्रस्त था. पर उस दिन के बाद सुधीर ने रश्मि से संपर्क नहीं किया. रश्मि ने तनावमुक्त होने के लिए कई नई फ्रैंड्स बनाईं और उन के साथ बहुत सी गतिविधियों में व्यस्त हो गई. इस से उस का सामाजिक दायरा बहुत बढ़ गया. उस दिन वह बहुत से बाहर के फिर घर के काम निबटा कर बैडरूम में पहुंची तो न्यूज चैनल पर उस ने वह खबर देखी कि सुधीर ने दिल्ली मैट्रो के आगे कूद कर सुसाइड कर लिया था. वह देर तक रोती रही. न्यूज उद्घोषक बता रही थी कि उस की जेब में एक सुसाइड नोट मिला है, जिस में अपनी मौत के लिए उस ने किसी को जिम्मेदार नहीं माना परंतु अपनी एक गुमनाम प्रेमिका के नाम पत्र लिखा है. रश्मि का सिर घूम रहा था. उस की रुलाई फूट पड़ी. तभी संभव ने अचानक कमरे में प्रवेश किया और बोला, ‘‘क्या हुआ रश्मि, क्यों रो रही हो? कोई डरावना सपना देखा क्या?’’ प्यार भरे बोल सुन रश्मि की रुलाई और फूट पड़ी. वह काफी देर तक संभव के कंधे से लग कर रोती रही. उस का प्यार खत्म हो गया था. सिर्फ यादें ही शेष रह गई थीं.

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