मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने ‘नीरो कोरोना’ : रिपोर्ट पॉजिटिव भी नेगेटिव भी!

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को लेकर, आपने लापरवाही का ऐसा घटनाक्रम कहीं नहीं देखा होगा. आइए! आपको ले चलते हैं आज छत्तीसगढ़ – जहां भूपेश बघेल की सरकार है. जहां कोरोना नाम मात्र को नहीं था और आज कोरोना जयपुर, इंदौर, भोपाल रांची से भी आगे निकल रहा है.

जी हां! यह कमाल यहां डॉक्टरों ने दिखाया है की एक पेशेंट की दो रिपोर्ट आ गई – एक में बताया कोरोना नेगेटिव और दूसरे में कोरोना पॉजिटिव. है ना कमाल की बात.

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यहां छत्तीसगढ़ में सब कुछ संभव है.क्योंकि यहां मुखिया भूपेश बघेल का प्रशासनिक अश्व कहे जाने वाली व्यवस्था पर जरा भी अंकुश नहीं है. एक समय में जब छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता था. तब की हुई लापरवाही ने आज छत्तीसगढ़ को कोरोना वायरस की खंदक की लड़ाई के बीच ला खड़ा किया है. इसका खामियाजा यहां की आवाम झेल रही है. और सरकार केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर के रुपए पैसों की मदद मांग रही है. यह दृश्य देखकर बेहद कोफ्त होती है कि छत्तीसगढ़ किस तरह लूज पुंज हाथों में आकर तबाही की ओर बढ़ रहा है. जिसका सबसे ज्वलंत उदाहरण है यह एक मामला -जब एक युवक की कोरोना पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों रिपोर्ट आज सार्वजनिक हो करके सुर्खियों में है. और आम जनता सवाल पूछ रही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी! छत्तीसगढ़ में यह क्या हो रहा है और आप इस पर क्या एक्शन करने जा रहे हैं?

बेवजह मारा गया युवक!

सबसे दुखद स्थिति यह है कि बिलासपुर के “अपोलो अस्पताल” ने पॉजिटिव बताकर उसी के मुताबिक़  उपचार  किया और युवा मरीज की अंततः  तड़प-तड़प कर मौत हो गई.

दूसरी तरफ उसी युवक को-

“सिम्स” ने बताया निगेटिव. संपूर्ण घटनाक्रम इस प्रकार है कि अपोलो अस्पताल बिलासपुर में मनेंद्रगढ़ निवासी शुभम कुमार यादव नामक जिस युवक का कोविड-19 के पॉजिटिव मरीज के रूप में इलाज किया जा रहा था. उसी मरीज के कोरोना वायरस कोविड-19 की कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट को सिम्स द्वारा नेगेटिव बताया  है . अब, किस रिपोर्ट को सही मानें और किसे गलत…यह सवाल मनेंद्रगढ़ के मृतक शुभम कुमार यादव के परिजनों को हैरान कर रहा है. और हैरानी की बात ही है की अपोलो जैसा प्रतिष्ठित अस्पताल उस मरीज को कोविड-19 का पॉजिटिव बताकर इलाज कर रहा था जिसकी टेस्ट रिपोर्ट को छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (सिम्स) अपनी रिपोर्ट में नेगेटिव बता रहा है.

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यह एक उदाहरण है जो साफ बता रहा है कि  छत्तीसगढ़ में कोरोनावायरस कोविड-19 के नाम पर मरीजों के साथ इस तरह का जानलेवा खिलवाड़ किया जा रहा है. चिंता की स्थिति यह है कि सिम्स के द्वारा नेगेटिव बताए गए जिस शुभम यादव  को पॉजिटिव बता कर अपोलो अस्पताल के द्वारा पता नहीं कौन सा उपचार किया जा रहा था? जिससे उसकी मौत हो गई. प्रदेश शासन और जिला प्रशासन तथा सीएमएचओ बिलासपुर को इस मामले को गंभीरता से लेकर पूरी जांच करनी चाहिए मगर सभी विभाग मौन है, अगर जांच की जाती है तो  दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है.  क्या  प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग इसे भी गंभीर आपराधिक चूक का मामला नहीं मानता..?

क्या दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ताकि आगामी समय में कोरोना वायरस जैसे महामारी को लेकर के चिकित्सा प्रबंधन स्वास्थ्य अधिकारी कर्मचारी मुस्तैद रहें. यहां ऐसी अफरा-तफरी मची हुई है जिसे देखकर शर्म आती है क्योंकि शासन प्रशासन की नाक के नीचे किसी  एक की लाश, किसी को दे दी जाती है यहां कोरोना मरीज के मरने के बाद “शव” अदला बदली का खेल भी आंखें बंद करके जारी है. और शासन किसी पर कोई एक्शन नहीं ले रहा था गाज नहीं गिरा रहा.

नामी राजधानियां  पीछे हुईं

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कोरोना का जबरदस्त विस्फोट हुआ है.यहां हालात देश के गंभीर संक्रमण वाले शहरों से कहीं आगे निकल चुकी है राजधानी‌ रायपुर में कोरोना संक्रमण के वर्तमान के आंकड़ों को देखा जाए तो  रायपुर में जितने मरीज प्रतिदिन सामने आ रहे हैं और जितने अस्पतालों में भर्ती हैं, उतने कभी कोरोना संक्रमण के लिए चर्चित जयपुर, जोधपुर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, रांची, लखनऊ और कानपुर में नहीं है.जबकि रांची को छोड़कर बाकी सभी शहर आबादी के लिहाज से रायपुर से दो और तीन गुना ज्यादा बड़े हैं.

यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि भोपाल, जयपुर और लखनऊ जैसे बड़े महानगरों के साथ-साथ बड़े राज्यों की राजधानी भी है. हां राहत  की खबर यह है कि है कि रायपुर में मौतों का आंकड़ा कम है, इस मामले में भोपाल, इंदौर और जयपुर से रायपुर पीछे है.

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साथ ही यह भी सच है कि राजधानी रायपुर में मरीजों के स्वस्थ होने की दर यानी रिकवरी रेट भी इन शहरों से कम है.

विशेषज्ञों के अनुसार रायपुर में लगातार बढ़ रहे मरीजों में वे लोग ज्यादातर हैं जो प्राइमरी कांटेक्ट में आए हैं, इस कारण एक मोहल्ला या एक घर से बड़ी संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित निकल रहे हैं.

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल

सरकार अपने सिस्टम को दुरूस्त करने में लगातार  फ्लॉप सिद्ध  हुई है, यही कारण है कि रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण नगरों के के हालात लगातार बदतर होते जा रहे है.

जानकारी के अनुसार रायपुर में संक्रमण की जांच के लिए  जांच सेंटरों में कलेक्ट किए गए प्रभावितों के सैम्पल भी “गुम” हो रहे हैं.जिसके कारण भी सिर्फ चक्कर काटते पीड़ितों का संक्रमण बढ़ रहा है. वहीं उनकी जान जाने का खतरा बढ़ता जा रहा है.

रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम गुप्ता के अनुसार सरकार  से अपेक्षा है कि सिर्फ चापलूस अधिकारियों के द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के बाद खुश हो जाने वाले प्लान से वे बाहर आएं वहीं

राजस्थान के “भीलवाड़ा” या मध्यप्रदेश के “इंदौर मॉडल” को अपनाते हुए, कोरोना संक्रमण की रोकथाम में विफल रायपुर के प्रशासनिक सिस्टम पर अपनी तीव्र प्रखर दृष्टि डालें.

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“शिक्षा नीति” की “ढोल और ढोंग” की पोल

कोरोना वायरस संक्रमण काल में देश की शिक्षा व्यवस्था पर जो आघात लगा है उस पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करना आवश्यक है. इधर नरेंद्र मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू कर दी है जिसके विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं. क्योंकि किसी भी समाज में शिक्षा देश की “शिक्षा नीति” ही भविष्य की नींव को मजबूत बनाती है.

मगर कोरोना वायरस के आगमन के साथ देश की संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था तार तार हो गई है. देश के सत्ताधारी मुखिया और कार्यपालिका को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर शिक्षा को बुलंद बनाए रखने की तोड़ क्या हो सकती है. और ऐसे में आज जब देश में नई शिक्षा नीति लाद दी गई है  यह प्रसंग चर्चा का विषय है की कोरोना वायरस के इस समय में जब पहली प्राथमिकता लोगों की जिंदगी को बचाने की है लोगों को दो वक्त की रोटी मुहैया कराने की है. शिक्षा व्यवस्था के साथ किस तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. और भगवाधारी हरावल दस्ता  अपनी सोच को देश की युवा पीढ़ी के ऊपर लादने की षड्यंत्र पर अमल शुरू कर चुका  है.आज चिंता का विषय  है कि जब देश कोरोना के कारण त्राहि-त्राहि कर रहा है सत्ता में बैठी हुई नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार आहिस्ता से संपूर्ण शिक्षा नीति को ही बदल कर क्या देश को दुनिया के सबसे पीछे ले जाने की तैयारी कर रही है.

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सबसे बड़ी बात यह है कि जिस शक्ति और ताकत के साथ शिक्षा नीति का विरोध विपक्ष कांग्रेस को करना चाहिए था वह नहीं कर पा रही . दूसरी तरफ आज 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी नई शिक्षा नीति पर देश को संबोधित करने जा रहे है. आज प्रधानमंत्री एक कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे. मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदल दिया गया है और शिक्षा विभाग के रूप में उसे जाना जाएगा. यानी अब वह समय आ गया है जब धीरे धीरे संपूर्ण व्यवस्था और संस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन होगा. यहां यह भी जानना जरूरी होगा कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार अपने पुराने संघ के एजेंट पर आंखें बंद कर आगे बढ़ रही है. और कोई भी विरोध उसे स्वीकार नहीं है. इधर यह भी तथ्य सामने आ चुके हैं कि झारखंड सरकार नई शिक्षा नीति को सिरे से नकार चुकी है. वहां के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने ऐलान कर दिया है कि झारखंड में मोदी की शिक्षा नीति लागू नहीं होगी. अर्थात जहां-जहां भाजपा सरकारें नहीं है यथा पंजाब,राजस्थान, छत्तीसगढ़ ओडिशा आदि राज्यों में शिक्षा नीति का अश्वमेधी  घोड़ा रोक दिया जाएगा?

शिक्षा की लॉक डाउन में  बदहाली

एक तरफ नई शिक्षा नीति के तहत स्किल डेवलप ढोल पीटा जा रहा है दूसरी तरफ यह भी सत्य है कि कोरोना काल मे विगत चार माह से यदाकदा मिली मामूली छूटों के साथ जारी लॉक डाउन शिक्षा प्रणाली के लिए घातक सिद्ध हुआ है. मार्च के अंतिम सप्ताह में लगे लॉक डाउन से लेकर अभी स्कूल  कॉलेजों को किसी भी प्रकार की रियायत नही दी गई. इस बीच नए शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ होने का समय भी आ गया है. परंतु अभी भी महाविद्यालयो में परीक्षाएं रुकी हुई है. परीक्षा लेने के सम्बंध में  यू जी सी द्वारा जारी दिशा निर्देशों के बाद भी विश्वविद्यालय  तय नही कर पा रहे कि इतनी बड़ी पंजीकृत विद्यार्थियों की परीक्षा कैसे व किस तरह ली जाए.

कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा  स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश की अधिसूचना जारी कर आवेदन आमंत्रित किये जा रहे. परन्तु प्रवेश प्रक्रिया पूरी करके पढ़ाई कब शुरू  की जाएगी इसके विषय मे कॉलेज व विश्वविद्यालय कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं है. कोरोना काल मे बन्द पड़े उच्च शिक्षण संस्थाओं में सभी तरह की परीक्षाएं स्थगित है. इन परीक्षाओं में विश्वविद्यालयीन प्रवेश परीक्षाएं भी सम्मिलित है. अलग अलग ग्रेड व प्रतिशत पाकर हाई स्कूल परीक्षा पास किये विद्यार्थीगण विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने सबको समान अवसर उपलब्ध कराने वाले प्रवेश परीक्षा में बैठने की तैयारी कर रहे थे. परंतु अब संक्रमण के भय से प्रवेश परीक्षा न आयोजित कर मेरिट के आधार पर प्रवेश देने की नीति पर विचार किया जा रहा.

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इससे ऐसे प्रतिभाशाली विद्यार्थी जो आर्थिक सामाजिक स्वास्थ्यगत आदि कारणों से अच्छा ग्रेड या प्रतिशत नही ले प्राप्त कर सके वे अच्छे संस्थानों में मनमाफिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने से वंचित रह जाएंगे. इससे उनका भविष्य की दशा व दिशा निर्धारण खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. कमोबेश इसी हालात का सामना स्नातक करके मनचाहे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश की  चाहने वालों विद्यार्थियों को करना पड़ेगा.

स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के लिए जिस प्रकार की परीक्षा प्रणाली अपनाने की चर्चा की जा रही है प्रतियोगोगिता के स्तर को समाप्त करने वाला प्रतीत हो रहा है जो कि बेहद चिंताजनक है. दूसरी ओर स्कूल शिक्षा की स्थिति में अच्छी नही है.हाल  ही में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार कोरोना आपदा  के आर्थिक परिणामों के कारण वर्तमान सत्र में वैश्विक स्तर पर करीब ढाई करोड़ बच्चों पर स्कूल नहीं लौटने खतरा उत्पन्न हो गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना काल में शैक्षणिक संस्थानो के बन्द होने से विश्व की करीब 94 प्रतिशत छात्र आबादी प्रभावित हुई है. इस महामारी में वर्तमान शिक्षण प्रणाली में असमानता हो बढ़ा दिया है. कोरोना काल मे संपन्न वर्ग की तुलना में आर्थिक रुप कमजोर  व संवेदनशील वर्ग के बच्चे शिक्षा से ज्यादा दूर हुए है.  रिपोर्ट के अनुसार 2020 को दूसरी तिमाही में  निम्न आय वाले देशों में करीब 86 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर हो गए हैं वहीं उच्च आय वाले देशों में यह आंकड़ा मात्र 20 प्रतिशत ही है.

अभिनव प्रयास भी फ्लाप

यहां यह स्पष्ट है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था की हालत बदतर हो गई है. हालांकि देश प्रदेश की सरकार प्रयास कर रही है की एजुकेशन की गंगा प्रवाहमान रहे. इसे हेतू सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई प्रारंभ करायी मगर धीरे-धीरे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि इसमें बहुतेरी खामियां हैं और एक विकासशील देश के लिए यह मुफीद नहीं है. क्योंकि यहां  90% छात्र तो ऐसे हैं जिनके पास मोबाइल ही नहीं है. इसी तरह सरकार यह प्रयास भी कर रही है कि ग्रामीण अंचल में गांव-गांव में लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई जारी रहे. मगर यह भी  एक सफल शिक्षण प्रयोग नहीं माना जा  रहा है.

अतः  विशाल आबादी वाले निम्न आय श्रेणी में आने वाले विकासशील हमारे देश की हालत का अंदाज़ा  इस विजन में आसानी से लगाया जा सकता है. शिक्षाविद ऋषभदेव पांडेय के अनुसार विभिन्न राज्य सरकारे स्कूल शिक्षा को शुरू करने के लिए अभिनव प्रयास कर रही हैं. विभिन्न स्थानों पर ऑनलाइन कक्षाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है.छत्तीसगढ़ के सरगुजा बस्तर जैसे मोबाइल नेटवर्क विहीन अंदुरुनी पिछड़े क्षेत्रों ध्वनिविस्तार यंत्रों के माध्यम शिक्षण कार्य किया जा रहा है. जो कि अनुकरणीय पहल कही जा सकती है. परन्तु सरकार के उक्त प्रयासों को स्थानीय प्रशासन द्वरा कोरोना नियंत्रण के लिए बनाई गई रणनीतियां नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं.

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ऋषभदेव पांडे बताते हैं छत्तीसगढ़ प्रदेश में

कोरोना काल मे स्थानीय प्रशासन द्वारा शासकीय शिक्षकों की ड्यूटी कोरेंनटाइन केंद्र सहित गांव गांव के चौक  चौराहों पर लगा दी गई है.जो एक मजाक बनाकर पूरी शिक्षा व्यवस्था को चिड़ा रहा है. यही कारण है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में  शिक्षण कार्यं के लिए मानव संशाधन की कमी साफ दिखाई दे रही है.

इसी तरह शिक्षाविद बीएल साहू के अनुसार कोरोना संक्रमण को रोकने के प्रयासों के बीच विद्यार्थियों के लिये ऐसे नीति अपनानी होगी जिससे उनके स्वास्थ्य के साथ साथ उनके भविष्य के साथ किसी भी प्रकार का समझौता न हो. सरकार को उच्च शिक्षण संस्थानों में  स्नातक अंतिम वर्ष की  स्तरहीन परीक्षाएं आयोजित करने के स्थान पर कोरोना वैक्सीन आने तक यथास्थिति बनाए रखते हुए प्रवेश परीक्षा की गुंजाइश बरकरार रखने पर विचार करना चाहिए. पुराने विद्यार्थियों को जोड़े रखते हुए स्कूल शिक्षा से जुड़ने हेतु नए विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए कोरोना प्रोटोकाल का पालन सुनिश्चित कराते हुए शिक्षकों को उनके मूल कार्य करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए. शासन स्तर पर किये गए उपर्युक्त प्रयासों में क्रियान्वित होने पर ही हम कोरोना के शिक्षा प्रणाली पर पड़ रहे कुप्रभाव को कम करते हुए अशिक्षा के कारण उत्पन्न होने वाले सामाजिक समस्याओं को बढ़ाने से रोक सकते हैं.

अमिताभ बच्चन नें पढ़ी पिता की कविताएं, तो आंखों में छलके आंसू

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को लेकर ट्रोलर्स ने कोरोना त्रासदी में फंसे लोगों की सहायता के लिए पीएम केयर फंड में सहयोग न करने के चलते तमाम तरीके से उनका मजाक बनाया था और उनकी बुराइयां भी की. लेकिन अमिताभ बच्चन ने हजारों दिहाड़ी मजदूरों को सीधे सहयोग किये जाने की बात कर उन सभी लोगों की बोलती बंद कर दी जो उन्हें ट्रोल कर रहे थे. उन्होंने औल इंडिया फिल्म एंप्लॉइज कन्फेडरेशन से जुड़े एक लाख दिहाड़ी मजदूरों के परिवार की मदद के लिए मासिक राशन मुहैया कराने का ऐलान किया है. अमिताभ बच्चन के कदम से अब चारो ओर उनकी सराहना हो रही है.

इन सबके बीच हर रोज अमिताभ बच्चन के तरह से किसी न किसी वीडियो और पोस्ट के जरिये लोगों में कोरोना से बचाव और निराशा से उबरने के लिए पोस्ट और वीडियो जारी किये जा रहें हैं. इन सभी के बीच अमिताभ बच्चन नें अपने ट्विटर, इन्स्टाग्राम, और फेसबुक एकाउंट पर अपने पिता और मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन के कविताओं की कुछ पंक्तियों को अपने आवाज में रिकार्ड कर शेयर किया है.

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अमिताभ बच्चन नें अपने पिता के कविता की जिन पंक्तियों को अपनी आवाज में रिकार्ड किया है. वह “है अंधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है.” उन्होंने छः पंक्तियों वाली इस कविता के तीसरे और अंतिम छठी  पंक्ति को रिकार्ड किया है. वीडियो के बैकग्राउंड में उनकी आवाज में रिकार्ड की गई इस इस कविता की पंक्तियां गूंज रहीं हैं. और उनके हाथ में उनके पिता के कविताओं की पुस्तक है जिसे वह पलट कर उसी कविता पर आ जातें हैं. यह पल बहुत ही भावुक करने वाला हैं कभी उनके चहेरे पर मुस्कराहट आ रही है तो कभी आंखों में आँसू. इस वीडियो को देख कर लगता है की अमिताभ बच्चन अपने पिता की यादों में खो से गयें हैं.

अमिताभ बच्चन नें इसी से जुडा वीडियो अपने ट्विटर पर अपलोड कर लिखा है “बाबूजी और उनकी आशा भारी कविता को याद करता हूँ. बाबूजी कवि सम्मेलनों में  ऐसे ही गा के सुनाया करते थे”. (T 3495 – I reminisce my Father and his poem, which expresses hope and strength. The singing is exactly how Babu ji recited it at Kavi Sammelans, which I attended with him).

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उन्होंने अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में लिखा है “इन अकेली घड़ियों में, मैं बाबूजी और उनकी कविता को याद करता हूँ, जो आशा भरी हैं, शक्ति सम्पूर्ण गाने की धुन बिलकुल वैसी है जैसे बाबूजी कवि सम्मेलनों में गा के सुनाया करते थे. मैं उनके साथ होता था” (In these times of isolation I reminisce my Father and his poem , which expresses hope and strength. The singing is exactly how Babu ji recited and sang it at Kavi Sammelans, which I attended with him).

 

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In these times of isolation I reminisce my Father and his poem , which expresses hope and strength. The singing is exactly how Babu ji recited and sang it at Kavi Sammelans, which I attended with him .. इन अकेली घड़ियों में, मैं बाबूजी और उनकी कविता को याद करता हूँ, जो आशा भरी हैं, शक्ति सम्पूर्ण । गाने की धुन बिलकुल वैसी है जैसे बाबूजी कवि सम्मेलनों में गा के सुनाया करते थे । मैं उनके साथ होता था ।

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अमिताभ बच्चन ने इस कविता को उस समय अपलोड किया है जब कोरोना के चलते ओर निराशा है. ऐसे में इस कविता की यह पंक्तियाँ आशा की किरण पैदा करती है. इस कविता को रिकार्ड करने में उनकी बेटी श्वेता और नातिन का बड़ा हाथ है. जब की जिस वीडियो को अपलोड किया गया है उसे अमिताभ बच्चन ने अपने घर में ही रिकार्ड कराया है जिसे उनके ही फोन से अभिषेक बच्चन ने रिकार्ड किया है. उन्होंने अपने इस वीडियो को फेसबुक एकाउंट पर भी शेयर किया है.

हरिवंश राय बच्चन की वह पंक्तियां जिसे उन्होंने नें गाकर सुनाया है

क्या घड़ी थी, एक भी चिंता नहीं थी पास आई
कालिमा तो दूर, छाया भी पलक पर थी न छाई
आँख से मस्ती झपकती, बात से मस्ती टपकती
थी हँसी ऐसी जिसे सुन बादलों ने शर्म खाई
वह गई तो ले गई उल्लास के आधार, माना
पर अथिरता पर समय की मुस्कुराना कब मना है
है अंधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है.

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क्या हवाएं थी कि उजड़ा प्यार का वह आशियाना
कुछ न आया काम तेरे शोर करना, गुल मचाना
नाश की उन शक्तियों के साथ चलता ज़ोर किसका
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि, तुझे होगा बताना
जो बसे हैं वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से
पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है
है अंधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है.

शव-वाहन बना एम्बुलेंस

  • शव-वाहन बना जीवन रक्षक एम्बुलेंस..
  • एम्बुलेंस न मिलने पर शव-वाहन में लाये घायलों को..
  • शव वाहन चालक ने बचाई घायल वृद्धों की जान..
  • सड़क पर पड़े कर रहे थे एम्बुलेंस का इंतज़ार..
  • समय रहते पाहुंचे अस्पताल तो बच गई जान..

कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है और फिर अगर आपका जज्बा आपकी सोच पॉजिटिव हो तो मृत्यु को भी टाला जा सकता है. और बन सकता है मौत का वाहन भी जीवनरक्षक.

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जी हां ऐसा ही कुछ हुआ है मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में जहां एम्बुलेंस ने नहीं शव-वाहन ने लोगों की जानें बचाईं हैं. हमेशा लाशों को ढोने वाले शव-वाहन ने घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उन्हें मौत में मुँह से निकालकर उनकी जान बचाईं हैं.

घायल वृद्ध लक्ष्मणदास और रमेश ने बताया..

मामला छतरपुर शहर सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के राजनगर-खजुराहो रोड का है जहां तेज़ रफ़्तार 2 बाईक सवार आपने-सामने भिड़ गये. जिससे उनमें बैठे 2 वृद्ध गंभीर घायल हो गये जो अचेत अवस्था में सड़क पर पड़े थे उनसे काफी खून बह रहा था. जिन्हें अस्पताल ले जाने के लिए उनके साथी यहां-वहां लोगों से मदद मांग आस्पताल ले जाने की गुहार लगा रहे थे. और लोग भी एम्बुलेंस बुलाने की फिराक में थे तभी राजनगर क्षत्र के प्रतापपुरा गांव में मृतक के शव छोड़कर आ रहा शव-वाहन वहां से गुजरा और उसका चालक गोविंद घायलों को देख रूक गया. और खुद ही घायलों की मदद की बात कही, कि आप लोग मेरे शव-वाहन में इन घायलों को अस्पताल ले चलो क्यों कि एम्बुलेंस को फोन करने और यहां तक आने में 20 से 25 मिनिट लगेंगे, जिससे बेहतर है कि हमारे शव-वाहन में ही इन्हें ले चलो हम 10 से 15 मिनिट में जिला अस्पताल पहुंच जाएंगे और इनका इलाज हो जायेगा और जान बच जायेगी. रूक गये तो बहुत देर हो जायेगी जिससे कुछ भी अनहोनी हो सकती है.

मौजूद लोगों ने ऐसा ही किया शव-वाहन चालक गोविंद की बात मान तत्काल घायलों को शव वाहन में रखवा दिया. जहां घायलों को समय रहते जिला अस्पताल ले जाया गया. और डॉक्टरों ने उनका समय पर ईलाज कर दिया जिससे उनकी जान बच गई.

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मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि गर समय रहते शव-वाहन ने घायलों को अस्पताल नहीं पहुंचाया होता और वहीं रुककर एम्बुलेंस का इंतज़ार किया होता तो इनकी जानें भी जा सकतीं थीं.

हमेशा मृत लोगों के शवों को लाने ले जाने वाला “शववाहन” इस बार घायलों को अस्पताल लाकर उनका “जीवनरक्षक” वाहन “एम्बुलेंस” बन गया.  इसके लिये प्रसंशा का पात्र शव वाहन का ड्राईवर है.

Lockdown के दौरान यह भोजपुरी फिल्में आप बार-बार जरूर देखना चाहेंगे

35 करोड़ की आबादी वाले भोजपुरी बेल्ट में हिंदी फिल्मों की तरह भोजपुरी फ़िल्में (Bhojpuri Movie) भी दर्शकों को खासा पसंद है. भोजपुरी सिनेमा देखने वाले यूपी, बिहार के साथ ही दिल्ली, मुम्बई सहित देश के सभी राज्यों में फैलें हुयें हैं. क्यों की भोजपुरी बेल्ट के लोग काम के तलाश में पलायन कर जाते हैं. अब जब नौकरीपेशा से लेकर कामगार वर्ग लौक डाउन (LOCKDOWN) के चलते अपने घरों में बैठा हुआ है. तो इस खाली समय में मनोरंजन के साधनों की आवश्यकता बढ़ गई है. लोग अपने बोरियत को दूर करने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहें हैं.

लोगों के लिए इस बोरियत भरे समय में डिजिटल माध्यम और यूट्यूब सबसे बड़ा सहारा बन कर उभरा है. इस दौर में भोजपुरी सिनेमा को चाहने वाले सिनेमाहाल में तो जा नहीं सकतें हैं क्यों लॉक डाउन ने मनोरंजन के सभी साधनों पर तालाबंदी कर रखा है. इस स्थिति में भोजपुरी सिनेमा को चाहने वाले निराश न हों क्यों यहाँ हम आप को बता रहें हैं भोजपुरी की 10 बेहतरीन फिल्मों के बारें में. जिसे आप घर बैठे ही यूट्यूब पर हाई डेफिनेशन (HD) क्वालिटी में फ्री में देख सकतें हैं.

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दबंग सरकार…

इस फिल्म की कहानी दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है. फिल्म की कहानी से दर्शक खुद को जोड़ कर देखनें को मजबूर हो जातें हैं. फिल्म में खेसारी लाल यादव और आकांक्षा अवस्थी  के साथ ही सीपी भट्ट, दीपिका त्रिपाठी , कृष्ण कुमार , संजय पांडेय, समर्थ चतुर्वेदी , अनूप अरोरा , विनीत विशाल , अजय सिंह , जयशंकर पांडेय , सुभाष यादव , आयुषी तिवारी आदि हैं का जोरदार अभिनय देखने को मिलता है. फिल्म का निर्देशन निर्देशक योगेश राज मिश्रा ने किया है और लिखा है मनोज पांडेय नें.छायांकन अमिताभ चंद्रा का है तो संगीत धनञ्जय मिश्रा नें दिया है.

गदर…

इस फिल्म में पवन सिंह और निधि झा का रोमांश देखने लायक है. फिल्म में नेहा सिंह, सुशील सिंह, मोनालिसा, राजेश सिंह, प्रिया शर्मा, उमेश सिंह, राजू सिंह माही, लोटा तिवारी, हीरा यादव, रोहन सिंह राजपूत तथा सीमा सिंह का जबरदस्त अभिनय भी देखनें को मिलेगा. निर्देशन रमाकांत प्रसाद नें किया हैं और निर्माता भूपेंद्र विजय सिंह, बबलू एम गुप्ता और रवि सिन्घ राजपूत हैं.

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पटना से पाकिस्तान…

साल 2015 में रिलीज़ हुई इस फिल्म नें भोजपुरी बेल्ट के दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था. यह फिल्म अपनी कहानी और कलाकारों के अभिनय की बदौलत भोजपुरी की हिट फिल्मों में शुमार है. इस फिल्म को यूट्यूब पर साल 2016 में रीलीज किया गया. फिल्म ‘पटना से पाकिस्तान’ (Patna Se Pakistan) में दिनेश लाल यादव “निरहुआ” के अलावा काजल राघवानी, आम्रपाली दुबे, मनोज सिंह टाइगर “बतासा चाचा” सुशील सिंह और अशोक समर्थ ने मुख्य भूमिका निभाई है.

बहूरानी…

यह भोजपुरी की उन फिल्मों में शुमार है जो पारिवारिक होने के साथ ही महिला प्रधान फिल्म हैं. इस फिल्म के पटकथा व निर्देशक पराग पाटिल हैं व लेखक शिव प्रकाश सरोज. संगीतकार राम परवेश व दामोदर राव, गीतकार राजेश मिश्रा, एस. के. चैहान, शिव प्रकाश सरोज का है. फिल्म के छायांकन की जिम्मेदारी जगमिंदर सिंह नें निभाई है. फिल्म में शुभम तिवारी, अंजना सिंह, रविराज दीपू, पूनम दूबे, बालेश्वर सिंह, राम मिश्रा, मनोज टाईगर, सी पी भट्ट, बबलू यादव, जय प्रकाश सिंह, सुनीता सिंह, संजना सिंह, अमरेश त्रिपाठी, सीमा सिंह, दिव्या द्विवेदी, परी पाण्डेय, रोहित राज का जोरदार अभिनय देखने को मिलता है.

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प्रशासन…

इस फिल्म नें अत्याचार और भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार किया है. फिल्म में सुपरस्टार शुभम तिवारी एक जांबाज और ईमानदार पुलिस अफसर के रूप में लुट, खसोट, अत्याचार में लगे भ्रष्टाचारियों से लड़ते हुए दिखतें हैं. इस फिल्म में शुभम तिवारी के अपोजिट रानी चटर्जी की जोड़ी ने खूब धमाल मचाया था. फिल्म में शुभम तिवारी, रानी चटर्जी के अलावा अवधेश मिश्रा, बालेश्वर सिंह, मनोज सिंह टाईगर, राम मिश्रा, सोनू झा, देव सिंह, बिपिन सिंह, सपना, राकेश त्रिपाठी, बबलू यादव नें प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं.

लव और राजनीति…

इस फिल्म में रवि किशन के साथ अंजना सिंह ने की जोड़ी को खूब पसंद किया गया था. इन दोनों कलाकारों की रोमांटिक जोड़ी ने दर्शकों का दिल जीत लिया था. फिल्म के निर्देशक हर्ष आनंद हैं और निर्माता आशा देवी, सुचेता टैगोर हैं संगीत का एसआरके संगीत का है.

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बलम जी लव यू…

फिल्म मुख्य रूप से कुश्ती पर आधारित है, जो कि लव एंगल से जोड़ी गई है. इसमें खेसारी नें एक सीधे साधे लड़के का रोल निभाया है. तो काजल राघवानी नें एक तेजतर्रार पढ़ी लिखी लड़की का किरदार निभाया हैं. इस फिल्म में देव सिंह, अशोक समर्थ, काजल राघवानी, अक्षरा सिंह, शुभी शर्मा, स्मृति सिन्हा, संजय महानंद नें भी प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं.

मोकामा 0 किमी…

यह फिल्म बिहार के अंडरवर्ल्ड व गैंगवार पर आधारित है. इसमें भोजपुरी के सुपर स्टार दिनेश लाल और अभिनेत्री आम्रपाली दूबे व अंजना सिंह की जोड़ी ने जोरदार अभिनय किया है. फिल्म के निर्माता सुजीत तिवारी हैं साथ ही इस फिल्म में दिनेश लाल यादव (निरहुआ), आम्रपाली दुबे, सुशील सिंह, अंजना सिंह, के साथ संजय पांडे, मनोज टाइगर, प्रकाश जैस नें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

संघर्ष…

सबरंग भोजपुरी फिल्म अवार्ड में एक दर्जन से अधिक अवार्ड जीतनें वाली इस फिल्म में खेसारी लाल यादव, काजल राघवानी, रितु सिंह , अवधेश मिश्रा, महेश आचार्य, संजय महानंद, निशा झा, रीना रानी, सुबोध सेठ, प्रेरणा सुषमा, दीपक सिन्हा, देव सिंह, सुमन झा, यदुवेंद्र यादव ने अपनें अभिनय से जान फूंक दी है.  फिल्म में खेसारीलाल यादव और काजल राघवानी का मर्मस्पर्शी किरदार जहां मन को भावुक कर देता है, वहीं अवधेश मिश्रा का चरित्र समाज को सीख देता है.

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निरहुआ चलल ससुराल -2…

जबरदस्त एक्शन, रोमांच, और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में दिनेश लाल यादव निरहुआ के साथ आम्रपाली दुबे, देव सिंह, अवधेश मिश्रा, सुशील सिंह, मनोज सिंह टाइगर, अनूप अरोरा, प्रकाश जैस, माया यादव, किरण यादव, शकीला मजीद, सुबोध सेठ, गोपाल राय नें कमाल की एक्टिंग की है.

गहरी पैठ

कोरोना के कहर में तबलीगी जमात की नासमझी से जो समस्याएं बढ़ी हैं, उन्होंने केंद्र सरकार को फिर से हिंदू मुसलिम करने का कट्टर कार्ड थमा दिया है. देखा जाए तो देश की जनता को आराम से जीने का मौका देने का वादा दे कर जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अपना एक और दांव, दंगे चला कर अब घरघर में दहशत का माहौल खड़ा कर दिया है. किसी को भी देश का गद्दार कहने का हक खुद ब खुद लेने के बाद अब उन्होंने जगहजगह गोली मारो गद्दारों को नारा गुंजाना शुरू कर दिया है. बिना सुबूत, बिना गवाह, बिना अदालत, बिना दलील, बिना वकील के किसी को भी गद्दार कह कर उसे मार डालने का हक बड़ा खतरनाक है.

न सिर्फ मुसलमानों को डराया जा सकता है, इस नारे से हर उस को डराया जा सकता है, जिस ने अपनी अक्ल लगा कर भगवा भीड़ की मांग को पूरी करने से इनकार कर दिया हो.

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आज देश का दलित, किसान, मजदूर, बेरोजगार युवा, बलात्कारों से परेशान लड़कियां, छोटे व्यापारी सरकारी फैसलों से परेशान हैं. दलितों के घोड़ी पर चढ़ कर शादी करने पर मारपीट ही नहीं हत्या कर दी जाती है और जिस ने भी उस के खिलाफ आवाज उठाई, उसे गद्दार कह कर गोली मारने का हक ले लिया गया है. अगर किसान कर्ज माफ करने के लिए सरकार के खिलाफ मोरचा खोलें तो उन्हें गद्दार कहा जा सकता है. अगर व्यापारी नोटबंदी, जीएसटी और बैंकों के फेल होने पर होने वाले नुकसान की बात करें तो उन्हें गद्दार कहा जा सकता है. नागरिकता कानून ?की फुजूल की बात करने वाले को गद्दार कहने का हक है. छोटीबड़ी अदालतों में वकीलों के झुंड मौजूद हैं जो अपने हकों को मांगने वालों को गद्दार कह कर जज के सामने तक नहीं जाने दे रहे. जजों को गद्दार कह कर उन का रातोंरात तबादला कर दिया जा रहा है.

सारे देश में सरकार डिटैंशन सैंटर बनवा रही है जो आधी जेल की तरह हैं जहां नाममात्र का खाना मिलेगा, नाममात्र के कपड़े मिलेंगे, पर बरसों रहना पड़ सकता है. उन को गुलाम बना कर उन से काम कराया जा सकता है. लड़कियों को बदन बेचने पर मजबूर किया जा सकता है. यह हिटलर ने जरमनी में किया था. स्टालिन ने रूस में किया था. माओ ने चीन में किया था. कंबोडिया में पोलपौट ने किया था.

गद्दार कह कर कैसे सिर फोड़े जा सकते हैं. घरों को जला कर सजा दी जा सकती है. इस का नमूना दिल्ली में दिखा दिया गया. जिन्होंने किया वे आजाद घूम रहे हैं. जो शांति के लिए जिम्मेदार हैं, वे भड़काऊ भाषण देने में लगे हैं.

इस सब से मुसलमानों को तो लूटा जा ही रहा है, दलित और पिछड़े भी लपेटे में आ गए हैं. आज सरकारी नौकरियों में केवल ऊंचों को पद देने का हक एक बार फिर मिल गया है, क्योंकि या तो सरकारी काम ठेके पर दे दिए गए हैं या बंद कर दिए गए हैं. दहशत के माहौल की वजह से कोई बोल नहीं पा रहा. कन्हैया कुमार जो बिहार में भारी भीड़ जमा कर रहा था को अब दिल्ली की अदालतों में बुला कर परेशान करने की साजिश की जा रही है. चंद्रशेखर आजाद को बारबार लंबी जेल में भेज दिया जाता है. हार्दिक पटेल का मुंह बंद कर दिया गया है.

देश को अमन चाहिए, क्योंकि अगर पेट में आधा खाना ही हो, कपड़े फटे हुए हों तो भी अगर चैन हो तो जिंदगी कट जाती है. अब यह चैन भी गद्दार के नारे के नीचे दब रहा है.

पूरी दुनिया कोरोना की महामारी से जूझ रही है. लौकडाउन के बाद जरूरी कीमती सामान से लदे ट्रक जहां थे वहीं खड़े हैं. पहले भी हालात ट्रक ड्राइवरों के पक्ष में कहां थे. देखें तो देश के ट्रक ड्राइवरों की जिंदगी वैसे ही उबाऊ और खानाबदोशी होती है, उस पर हर नाके पर, हर सड़क पर बैठे खूंख्वारों से निबटना एक आफत होती है. सेव लाइफ फाउंडेशन का अंदाजा है कि ट्रक ड्राइवर हर साल तकरीबन 50,000 करोड़ रुपए रिश्वत में देते हैं. रिश्वत ट्रैफिक पुलिस वाले, टैक्स वाले, नाके वाले, चुंगी वाले, पोल्यूशन वाले तो लेते ही हैं, अब धार्मिक धंधे करने वाले भी जम कर लेने लगे हैं. धार्मिक धंधे वाले ट्रकों और टैक्सियों को रोक कर ड्राइवरों से उगाही करते हैं.

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कोई कह सकता है कि यह रिश्वत तो मालिक की जेब से जाती होगी, पर यह गलत है. बहुत से ट्रकों को लगभग ठेके पर दे दिया जाता है कि ट्रक पहुंचाओ, रास्ते में जो हो, भुगतो और एकमुश्त पैसा ले लो. ड्राइवर को ऐसे में अपने मुनाफे में कटौती नजर आती है. वह कानूनी, गैरकानूनी दोनों रोकटोक पर रिश्वत देने में हिचकिचाता है और अकसर झगड़ा हो जाता है और मारपीट तक हो जाती है तो नुकसान ट्रक ड्राइवर का ही होता है.

ड्राइवरों की जिंदगी वैसे ही बड़ी दुखद है. उन्हें 12 घंटे ट्रक चलाना होता है, इसलिए अकसर वे शराब और दवाओं का नशा करते हैं. देश की सड़कें बेहद खराब हैं जो ट्रक चलाने में ड्राइवर की हड्डीपसली दुखा देती हैं. आमतौर पर सड़कों पर लाइट नहीं होती. अंधेरे में चलाना मुश्किल होता है. भारत में अब तक सुरक्षित ट्रक नहीं बनने शुरू हुए हैं. ड्राइवरों के केबिन एयरकंडीशंड नहीं होते, उन ट्रकों के भी नहीं जिन में खाने के सामान या दवाओं के लिए रेफ्रीजरेटर लगे होते हैं, इसलिए बेहद गरमीसर्दी का मुकाबला करना पड़ता है. बहुत से ड्राइवरों को बदलते साथियों के साथ चलना होता है.

हमारे यहां ड्राइवरों को रास्ते में सोने के लिए ढाबों पर पड़ी चारपाइयां ही होती हैं, जिन पर न गद्दे होते हैं, न पंखे तक.

घरों से दूर रहने की वजह से ड्राइवर राह चलती बाजारू औरतों को पकड़ते हैं, पर वे लूटने की फिराक में रहती हैं. उन के गैंग अलग बने होते हैं जो परेशान करते हैं. ड्राइवरों को बीवियों की चिंता भी रहती है कि उन के पीछे वे औरों के साथ तो नहीं आंखें लड़ा रहीं.

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यही वजह है कि आज 1000 ट्रकों पर 400-500 ड्राइवर ही मिल रहे हैं. ट्रांसपोर्ट उद्योग को ड्राइवरों की कमी की वजह से भारी नुकसान होने लगा है. एक तरफ बेरोजगारी है, पर दूसरी तरफ ट्रेनिंग न मिलने की वजह से ड्राइवरों की कमी है. ट्रेनिंग तो आज सिर्फ जय श्रीराम कह कर मंदिर के धंधे कैसे चलाए जाएं की दी जा रही है.

Lockdown के बीच लोगों की सेवा में लगे सप्लाई वौरियर्स को बिग बी ने ऐसे किया सलाम

कोरोना में लगाए गए Lockdown के चलते उपजे हालातों से उबारने के लिए सुपरस्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) लगातार प्रयासरत हैं. चाहे वह दिहाड़ी मजदूरों को खाद्य राहत के रूप में सहयोग रहा हो यह लोगों को जागरूक करने की मुहिम हो. इसी कड़ी में बिग बी नें Lockdown के बीच लोगों की सेवा में लगे लोगों को एक वीडियो जारी कर सलाम किया है. उन्होंने नें लोगों के घरों तक खाद्य सामग्री मुहैया कराने की मुहिम में लगे लोगों की न केवल सराहना की बल्कि उनके जज्बे को सलाम भी किया. ऐसा उन्होंने इससे जुड़ा एक वीडियों शेयर कर किया है.

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ट्विटर, इन्स्टाग्राम और फेसबुक एकाउंट पर शेयर किये वीडियों की शुरुआत वह अपने चिरपरिचित अंदाज से करते हुए कहते हैं  भाइयों, बहनों देवियों और सज्जनों नमस्कार! मैं हूँ अमिताभ बच्चन. एक तरफ जब आज सारा देश प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर Lockdown का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहा है. वहीं दूसरी ओर ऐसे ऐसे निस्वार्थ कर्मयोद्धा भी हैं, जो हमारी रोजमर्रा की जरूरी है वस्तुएं हमें इतनी सहजता से उपलब्ध करवा रहें हैं और इस लड़ाई में एक बहुत ही अहम भूमिका निभा रहे हैं. इन सप्लाई वारियर्स या सप्लाई योद्धा की स्वार्थहीन निष्ठा अपने आप में बहुत बड़ा कारण है जिनकी वजह से कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जो Lockdown वह सफल हो रहा है.

उन्होंने कहा की मै इन सप्लाई वारियर्स का तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूँ, जिनमें शामिल हैं अपने घर परिवार से सैकड़ों मील दूर काम कर रहे लाखो ट्रक ड्राइवर, सामान की लोडिंग अनलोडिंग करने वाले हमारे भाई बहन, रेलवे रैक,कार्गो,बंदरगाहों पर कार्यरत कर्मचारी, भारतीय वायु सेना, एयर इन्डिया के पायलट्स और क्रू और वह तमाम लोग जो खाद्य पदार्थ और जरूरी दवाइयों की सप्लाई में जी-जान से काम कर रहें हैं. मै सभी स्थानीय दुकानदार और डिलीवरी में जुटे बहनों और भईयों जो दूध,सब्जी,फल, खाद्यान्न आदि हमारे घर पहुंचा रहे हैं या हमें दुकानों पर मुहैया करा रहे हैं उन सब का भी मै बहुत आभारी हूं.

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उन्होंने नें अपने वीडियो में कहा की मै उन सबका भी आभारी हूँ जिनकी वजह से जितनी भी जरूरी वस्तुएं हैं बहुत ही सहजता से आपको उपलब्ध हो रही हैं. बाकी देशवासियों से मेरा बहुत विनम्र निवेदन है कि आप निश्चिंत रहें इन सप्लाई वॉरियर्स के चलते आप को जरुरी चीजों की कहीं कोई कमी नहीं होगी. इसी लिए अनावश्यक चीजों को आप इकट्ठा न करें, जमाखोरी न करेंघर में रहें सुरक्षित रहें. मै एक बार फिर देश के इस महान सेवा के लिए सभी सप्लाई वारियर्स को कोटि-कोटि नमन करता हूँ नमस्कार! बिग बी द्वारा शेयर किये गए इस वीडियो को अब तक लाखों लोग देख चुकें हैं और इस पर लोगों नें बहुत ही अच्छे कमेन्ट और रिक्यशन दियें हैं.

इस Lockdown के चलते फिल्मों की शूटिंग बंद है और सभी एक्टर्स अपने घरों में हैं इसी कड़ी में अमिताभ बच्चन भी अपने घर पर में हैं लेकिन अगर उनके वर्तमान प्रोजेक्ट की बात करें तो वह जल्द ही फिल्म ब्राम्हस्त्र में नजर आने के साथ ही डायरेक्टर नागराज के फिल्म फिल्म का नाम झुंड में भी नजर आने वाले हैं  साथ ही वह  शूजीत सरकार के निर्देशन में बन रही फिल्म गुलाबो में भी नजर आने वाले हैं.

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