सदी के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को लेकर ट्रोलर्स ने कोरोना त्रासदी में फंसे लोगों की सहायता के लिए पीएम केयर फंड में सहयोग न करने के चलते तमाम तरीके से उनका मजाक बनाया था और उनकी बुराइयां भी की. लेकिन अमिताभ बच्चन ने हजारों दिहाड़ी मजदूरों को सीधे सहयोग किये जाने की बात कर उन सभी लोगों की बोलती बंद कर दी जो उन्हें ट्रोल कर रहे थे. उन्होंने औल इंडिया फिल्म एंप्लॉइज कन्फेडरेशन से जुड़े एक लाख दिहाड़ी मजदूरों के परिवार की मदद के लिए मासिक राशन मुहैया कराने का ऐलान किया है. अमिताभ बच्चन के कदम से अब चारो ओर उनकी सराहना हो रही है.

इन सबके बीच हर रोज अमिताभ बच्चन के तरह से किसी न किसी वीडियो और पोस्ट के जरिये लोगों में कोरोना से बचाव और निराशा से उबरने के लिए पोस्ट और वीडियो जारी किये जा रहें हैं. इन सभी के बीच अमिताभ बच्चन नें अपने ट्विटर, इन्स्टाग्राम, और फेसबुक एकाउंट पर अपने पिता और मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन के कविताओं की कुछ पंक्तियों को अपने आवाज में रिकार्ड कर शेयर किया है.

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अमिताभ बच्चन नें अपने पिता के कविता की जिन पंक्तियों को अपनी आवाज में रिकार्ड किया है. वह “है अंधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है.” उन्होंने छः पंक्तियों वाली इस कविता के तीसरे और अंतिम छठी  पंक्ति को रिकार्ड किया है. वीडियो के बैकग्राउंड में उनकी आवाज में रिकार्ड की गई इस इस कविता की पंक्तियां गूंज रहीं हैं. और उनके हाथ में उनके पिता के कविताओं की पुस्तक है जिसे वह पलट कर उसी कविता पर आ जातें हैं. यह पल बहुत ही भावुक करने वाला हैं कभी उनके चहेरे पर मुस्कराहट आ रही है तो कभी आंखों में आँसू. इस वीडियो को देख कर लगता है की अमिताभ बच्चन अपने पिता की यादों में खो से गयें हैं.

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