#lockdown: भूखे पेट की कुलबुलाहट, गांव वाले हो रहे परेशान

कोरोना का कहर बाहर ही नहीं, बल्कि पेट के भीतर भी जारी है. देशभर में तालाबंदी होने से तमाम राज्यों ने अपनी सीमाएं बंद कर रखी हैं. जो जहां है, वहीं का हो कर रह गया है. इतना ही नहीं, गांवों में बुरी हालत है क्योंकि गरीब दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं.

जी हां, वाकई गांवों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों को रोटी नहीं मिल पा रही है. भूख से कलपते इन गरीबों का खयाल कोई नहीं ले रहा.

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के बुजुर्गा गांव में वनवासी मुसहर बस्ती में कामगार और गरीब मजदूर परिवारों का हाल बड़ा ही बेहाल है. इन के पास तालाबंदी के चलते कोई काम नहीं है और न ही उन तक राशन पहुंच पाया है.

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ये गरीब मजदूर परिवार हर रोज खानेकमाने वाले हैं. इन दिनों इन लोगों को रोजीरोटी की किल्लत आ गई हैं. घर मे खाने को अनाज का दाना नहीं है. भूख मिटाने के लिए ये लोग सुबहसवेरे ही निकल पड़ते हैं खेतों की ओर. उन सूने पड़े खेतों में बचे हुए छोटे आलू बीन कर घर ला रहे हैं और इन आलू को नमक के साथ खा कर अपनी जिंदगी किसी तरह गुजरबसर करने को मजबूर हैं.

इन लोगों का कहना है कि वे ईंटभट्टों पर काम करते थे. लॉकडाउन के कारण काम बंद है. इस वजह से मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है. दुकानदार बिना पैसा लिए सामान देने को तैयार नहीं है.

हालात ये है कि जो आलू खेतों से चुन कर लाए थे वो भी खत्म हो रहे हैं और सरकारी मदद भी नहीं मिली है. ऐसे में इस बस्ती के सभी बच्चे और औरतें भी भूखे रहने को मजबूर हैं और बचे हुए आलू पर निर्भर हैं.

इस गांव में गरीब लोग सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब ही नहीं जानते और न ही साफसफाई का ध्यान रखते, सब एकदूसरे के साथ वैसे ही बिना किसी परहेज के रह रहे हैं. वे इस वक्त भोजन न मिलने के कारण ज्यादा परेशान हैं.

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गाजीपुर के डीएम को जब यह समस्या बताई गई तो वे जान कर हैरान हो गए. वे चौंकने वाले अंदाज में बोले कि ये सभी लोग तो चिन्हित हैं. पता नहीं, क्यों अब तक उन परिवारों में राहत सामान नहीं पहुंचा, मैं खुद हैरान हूं, वहीं प्रशासन का कहना है कि हम तत्काल उन गरीबों को खाद्यान्न मुहैया करा रहे हैं.

यह तो महज एक गांव की तसवीर है. न जाने कितने गांव होंगे जो इस तरह की भूख जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं.

है कोई उपाय किसी के पास इन गरीबों की भूख मिटाने का. नहीं तो ये बेचारे बेमौत मारे जाएंगे, कोरोना से नहीं भूख से.

#lockdown: खाली जेब लौटे मजदूरों की सुध कौन लेगा

हर साल लाखों लोगों का पलायन उत्तर प्रदेश और बिहार से दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, अहमदाबाद, पानीपत जैसे शहरों के लिए होता है. अपने परिवार को गाँव में छोड़ सैकड़ों किलोमीटर दूर रोजगार की तलाश में आने वाले इन कामगारों की दुश्वारियां यहाँ भी कम नहीं होती हैं. यहाँ आने के बाद इन्हें उनकी मेहनत के लिहाज से तो मजदूरी नहीं मिल पाती है ऊपर से कमरे का किराया, खाने की चिंता और गाँव में रह रहे अपने माँ-बाप, बीबी बच्चों के लिए पैसे बचाने की चिंता अलग होती है, ऐसे में यह मजदूर पैसों की बचत नहीं कर पाते हैं. अब जब से कोरोना जैसी महामारी देश में पैर पसार रही है तब से लॉक डाउन के चलते लोग अपने घरों में कैद होकर रह गएँ है. फैक्ट्रियों में उत्पादन बंद हैं, निर्माण कार्य से जुड़े सारे काम ठप पड़े हैं, या यह कह लिया जाए की रोजगार देनें वाले सभी जरियों पर पाबन्दी लगा दी गई है.

अब जब देश में कोरोना महामारी के चलते देश में लॉक डाउन लगाया गया है तो अपने गाँव घर से दूर रह रहे कामगारों के सामने काम बंद होने के चलते जो सबसे बड़ी समस्या आनी थी वह है पेट की भूख मिटाना. ऐसे में इन कामगारों के सामनें पलायन ही एक उपाय बचा था. जब की उन्हें पता था की कोरोना एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है. लेकिन उन लोगों नें अपने सामने आने वाले हालात को भांप कर पलायन करना ही उचित समझा. क्यों की यह लोग इन बड़े शहरों में बिमारी से मरें यह न मरें लेकिन भुखमरी से जरुर मर जाते.

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पलायन करने वाले कामगार जब सैकड़ों किलोमीटर पैदल, रिक्सा ट्रकों में जानवर की तरह किसी तरह से ठूंस कर अपने गाँव-घर पहुचें तो उनके चेहरे पर आया पसीना और निराशा उनके हालात को बयान कर रहें थे. उनके चेहरे से थकान साफ़ नजर आ रही थी. इसके साथ उन्हें पुलिसिया ज्यादती का शिकार भी होना पड़ा.

कोरोना के खौफ से अलग-थलग पड़ गए हैं कामगार
यह कामगार जैसे तैसे अपनें गाँवों में पहंच तो गए हैं लेकिन कोरोना के चलते अभी भी ये लोग अपने परिवारों से नहीं मिल सकतें हैं. क्यों की इन लोगों को 14 दिनों के लिए गाँव के बाहर किया गया है. वहीँ इन कामगारों के परिवारों में कोरोना का खौफ साफ़ देखा जा सकता है. क्वैरैंटीन यानी बिमारी के दौरान लोगों से अलग किये गए या एकांत में रखे गए इन कामगारों से इनके परिवार के लोग मोबाईल से हाल-चाल तो ले रहें हैं लेकिन सरकारी बंदिशों और कोरोना के खौफ के चलते यह लोग अपने परिवार के सदस्यों से भी नहीं मिल पा रहें हैं. इस दशा में यह कामगार घुटघुट जीनें को मजबूर हैं. क्वैरैंटीन में घर से दूर रह रहे इन कामगारों को अपने परिवार की चिंता भी सता रहीं हैं.

खाली जेब लौटे कामगारों के लिए नाकाफी है सरकारी सहायता-
गाँव और घर से बाहर लोगों से अलग किये गए इन कामगारों के सामने जो सबसे बड़ी चिंता है वह है पलायन के चलते उनकी खाली जेबें. क्यों की अचानक बंद हुए काम के कारण जिन फैक्ट्रियों और जगहों पर यह कामगार काम कर रहें थे वहां से उन्हें आने जाने के किराए भर के पैसे भी बड़ी मुश्किल से मिल पायें हैं. ऐसे में यह दिहाड़ी कामगार खाली जेबें लेकर ही पलायन करने को मजबूर हो गये. इस वजह गाँवों में रह रहे इनके परिवार के लोगों के सामनें भी संकट आ खड़ा हुआ है.

इस संकट से उबारने के लिए केन्द्र व विभिन्न राज्यों के सरकारों नें कई तरह की सहूलियतों को देनें का एलान किया है. लेकिन सरकारों द्वारा इन कामगारों जो सहूलियतें दिए जाने का वादा किया गया था. वह कई जगहों पर अभी तक मिल ही नहीं पाईं हैं और जहाँ मिल भी रहीं हैं वह नाकाफी हैं. क्यों की इससे बुनियादी जरूरतें भी नहीं पूरी होने वालीं हैं. परिवारों से अलग रखे गए इन कामगारों का कहना हैं की वह हर रोज 500 रूपये तक की कमाई वाली दिहाड़ी में जब परिवार का खर्चा बड़ी मुश्किल से चला पातें हैं तो सरकार के जरिये मुहैया कराये जा रहें चंद रुपयों से महीनें भर का खर्च चलना मुश्किल हैं. इसके अलावा जो अनाज भी वितरित किया जा रहा है वह भी महीनें भर के लिए नाकाफी है. लोगों का कहना सरकार को हम कामगारों पर विशेष ध्यान देनें की जरूरत हैं.

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देश के तरक्की में दिहाड़ी कामगारों का बड़ा रोल है अगर हालात के अधीन होकर यह टूट गये तो कोरोना जैसी महामारी से हम उबर भी जायेंगे लेकिन इससे अर्थव्यवस्था पर जो असर होगा उससे उबरनें में सालों लग सकतें हैं. इस लिए सरकार को दूसरी जरुरी चीजों की तरह कामगारों पर भी विशेष ध्यान देनें की जरूरत है. और जो भी सरकारी सहयोग दिया जा रहा है उसमें वाजिब बढ़ोतरी कर तेजी लाने की भी जरुरत है.

#lockdown: पलायन कर रहे लोगों से कितना बढ़ा कोरोना का खतरा

लौकडाउन के बावजूद लोग घर से बाहर निकल रहे हैं, न सिर्फ  निकल रहे हैं, बल्कि भीड़ भी इकट्ठी हो रही है अगर ये सब नहीं रुका तो इस बात में कोई दोराय नहीं है कि भारत पर बहुत बड़ा संकट आ सकता है ये बात खुद एक्सपर्ट्स कह रहे हैं. कोरोना जिस तरीके से फैलता है ऐसे में इन पलायन कर रहे मजदूरों को रोका नहीं गया यदि सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो स्थिति बहुत बिगड़ जाएगी फिर आप वो दिन भी दूर नहीं जब देश में कोरोना अपनी थर्ड स्टेज में पहुंच जाएगा. अब आप खुद सोचिए कि जो मजदूर पलायन कर रहें हैं वो एक साथ भीड़ में इकट्ठा होकर निकल रहे हैं वो कितने सारे लोगों के संपर्क में आ रहे हैं.

पैदल जा रहे हैं रास्ते में कई जगह रुक भी रहे हैं.सोशल डिस्टेंस की बात की जा रही है ताकि कोरोना अपनी थर्ड स्टेज पर न पहुंच पाए लेकिन फिर भी लोग मानने को तैयार नहीं है.लेकिन यहां पर बात ये भी है कि जो दिहाड़ी मजदूर हैं उनकी मजबूरी है पलायन करना क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उनका काम रुक गया है न कमा पा रहे हैं न खाने को कुछ है तो ऐसे में उनकी मजबूरी है पलायन करना लेकिन अब सबसे बड़ा खतरा यही है कि कोरोना और भी ज्यादा बढ़ सकता है.

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आज एक खबर राजस्थान के डूंगरपुर से आई जहां इंदौर से 2 बाप-बेटे बाइक से ट्रैवल करके अपने गांव राजस्थान के डूंगरपुर पहुंचे थे बाद में वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इन बाप बेटे ने कुल 300 किलोमीटर 6 घंटे 42 मिनट का सफर तय किया और इस सफर में ये बाप बेटे कितने लोगों से मिले होंगे? कहां-कहां रुके होंगे, कितनी चीजों को छुआ होगा, रास्ते में कितनों के संपर्क में आए होंगे और तो और अपने घर पहुंचकर कितने लोगों के संपर्क में आए होंगे? ये कुछ ऐसे सवाल चिंता बढ़ाने वाले हैं क्योंकि वो कोरोना पॉजिटिव हैं.

हालांकि सरकार प्रवासियों पर एक्शन लेती दिख रही है बहुत जल्द इस पर रोक भी लग जाएगी और ने भरोसा दिलाया है कि जो भी लोग फंसे हैं उनके खाने का भी पूरा खयाल रखा जाएगा उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. गृह मंत्रालय ने स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड को प्रवासियों की मदद में देने का ऐलान कर दिया है. देश के जिस भी हिस्से में प्रवासी फंसे हैं उन प्रवासीयों को गृह मंत्रालय डिजास्टर रिलीफ फंड से खाना,  रहना, मेडिकल केयर, कपड़े  उपलब्ध कराएगा क्योंकि लौकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

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कोरोना के चलते लौकडाउन की वजह से कई यात्री जम्मू में फंस गए हैं. ये यात्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए यहां आए थें. हालांकि इन लोगों के लिए खालसा एड फाउंडेशन की तरफ से लंगर की व्यवस्था भी की गई है.कई जगहों पर प्रशासन जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आया है.अब रेलवे ने भी गरीब लोगों के लिए खाने व्यवस्था की  है. रेलवे दिल्ली में चार मुख्य रेलवे स्टेशन जैसे निजामुद्दीन, नई दिल्ली, आनंद विहार और शकूर बस्ती स्टेशन के बाहर करीब 20 हजार लोगों को खाना खिलाएगी. चंडीगढ़ प्रशासन ने भी गुरुद्वारों की मदद से जरूरतमंदों के लिए खाना पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है.सभी जरूरतमंद लोगों को दोनो वक्त खाना दिया जा रहा है ताकि कोई भी भूखा ना रहे.लेकिन फिर भी अंत में सवाल वही की लोगों के पलायन से जो खतरा आता दिख रहा है अब तक उसे कैसे रोका जाए.

हद पर भुखमरी और महामारी, सरकार की नाकामी का नतीजा

जब न्यूज चैनल पर एक क्लिप दिखाया गया जिसमे एक प्रवासी मजदुर साइकिल पर अपने बीवी बच्चे को बिठाकर सैकड़ो किलोमीटर की दूरी तय कर रहा था उसका बच्च्चा  निढाल सा साइकिल के डंडे पर बैठा था , बैठा क्या था लेटा हुआ था और उसका माथा साइकिल के हैंडल पर टिका हुआ था, कसम से हलक से खाना नही उतरा.

सरकार की अदूरदर्शिता और अनियोजित कदम का नतीजा है कि लाखों दिहाड़ी मजदूर, ग़रीब तबक़े के लोग आज सड़कों पर भुखमरी और महामारी का शिकार होने के कगार पर हैं. सैंकड़ो किलोमीटर दूर अपने घरों की ओर पैदल जाने को मजबूर ये ग़रीब लोग. इनकी दुर्दशा को देखकर – जानकर सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. कल से लाखों की संख्या में ऐसे लोगों को यूपी सरकार ने बुलंदशहर जिले की बॉर्डर पर रोक रखा है. रोटी-पानी को तरसते इन लोगों का हाल बेहाल है. अभी टीवी पर देख रहा था कि एक पुलिस अधिकारी माइक पर घोषणा करते हुए इन्हें झिड़कते हुए कह रही थी कि बस यहीं बैठे रहो. आगे बढ़ने की कोशिश की तो ठीक नहीं रहेगा.

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जब संवाददाता ने उस अधिकारी से पूछा कि कल से इन्हें यहीं रोक रखा है, कब तक इन्हें आगे जाने की कोई व्यवस्था की जाएगी. जबाब मिला कि सरकार इस पर गंभीरता से सोच रही है. कोई निर्णय होने पर आगे के क़दम का ऐलान किया जाएगा. त्वरित फैसले लेने का ढो.ल पीटने वाली सरकार अभी तक कोई फैसला नहीं ले सकी है. मुसीबत में फंसे इन गरीबों के प्रति सरकार की ये हद दर्जे की बेदर्दी है. अधिकांश राज्य में कमोबेश यही स्थिति है.

दूसरी तरफ अमीरों एवं खाते-पीते घरों के लोगों को यही सरकार उन्हें चीन, इटली आदि देशों से विमान के ज़रिए सरकारी खर्चे पर इस देश में ससम्मान लाने का काम किया है. त्वरित कार्यवाही करने की राग अलापते हुए सरकार ने अपनी पीठ ख़ूब थपथपाई है.

15 लाख लोग जनवरी से इस देश में आए हैं. ये लोग ही बाहर से इस बीमारी को हमारे देश में लाए हैं. एयरपोर्ट पर रोककर उनको 14 दिन तक अलग रखकर उन पर निगरानी रखनी चाहिए थी. सरकारी तंत्र में घुसपैठ रखने वाली संभ्रांत वर्ग की कनिका कपूर तो बेरोकटोक पार्टियां करती रही और औरों को बीमारी का तोहफा बांटती रही.

आज सड़को पर फंसे ये ग़रीब अगर कावड़ियों के वेश में होते या फिर धार्मिक उन्माद से परिचालित होकर कहीं तोड़फोड़ करने के लिए आगे बढ़ रहे होते तो इनकी ख़ूब आवभगत होती. याद कीजिए पिछले कुछ सालों में यूपी के डीजीपी सड़कों पर हुड़दंग करते चलते कावड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा करते रहे हैं. सरकार की आंखों का तारा बनने की होड़ में कई धनाढ्य लोग धर्म की चादर ओढ़े हुड़दंगियों की खाने-पीने की मुफ़्त सेवा कर धन्य होते हैं. पर इन गरीबों के लिए कुछ सुविधा जुटाने में किसी की कोई रुचि नहीं.

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नोट: ताज़ा समाचार के अनुसार अब यूपी सरकार ने रोडवेज की कुछ बसें भेजने का फ़ैसला किया है. बेहिसाब भीड़ और बसों की संख्या सीमित.

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सिर पर बड़ी बड़ी गठरियां, चेहरे पर मायूसी और बच्चों को पीठ पर लादे पलायन करते दिल्ली में मजदूरों की तसवीरें आप भूले नहीं होंगे. ये वही मजदूर हैं, जिन से शहरों को गति मिली, सङकें और अस्पताल बन कर तैयार हुए पर जब मुसीबत आई तो दिल्ली बेबस दिखी. नेता घरों में रामायण और महाभारत देखने में व्यस्त रहे. बस कुछ बचा था तो डर और अफवाहों का माहौल, जिस की गिरफ्त में आए मजदूरों के दुखदर्द को सुनने वाला शायद कोई नहीं था.

मजदूरों के पलायन की तसवीरें इतनी भयावह थीं कि देख कर रौंगटे भी खड़े हो जाएं.

दिल्ली के बाद अब यूपी में भी कुछ ऐसी ही भयावह तसवीरें देखने को मिली हैं, जहां एक बार फिर गरीब मजदूरों की बेबसी का मजाक उड़ाया गया.

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सैनिटाइज के नाम पर इंसानियत को शर्मसार करती घटना

यह घटना उस वक्त घटी जब लौकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पहुंचे प्रवासी मजदूरों को बीच सड़क पर बैठा कर उन के ऊपर सैनेटाइजर का छिड़काव किया गया. घटना सामने आने के बाद कोरोना वायरस के खतरों के बीच सियासी घमासान भी शुरू हो गया और विपक्ष के नेताओं ने योगी सरकार की आलोचना करनी शुरू कर दी.

सैनिटाइज के नाम पर इंसानियत को शर्मसार करती इस घटना का तूल पकङना लाजिम भी था जब एक बस स्टैंड के पास सङक के एक कोने में मजदूरों के ऊपर पानी की बौछारें मारी जा रही थीं.

त्वचा के लिए नुकसानदेह है यह कैमिकल

इस पानी को सोडियम हाइपोक्लोराइड यानी लिक्विड ब्लीच के साथ मिलाया गया था. अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर यह काररवाई की गई थी जबकि चिकित्सकों के मुताबिक इस तरल ब्लीच को पानी में मिलाया जाना कतई उचित नहीं है. यह त्वचा पर लगाने पर जलन और खुजली भी पैदा कर सकता है. पानी में मिलाया गया यह कैमिकल आमतौर पर फर्श को साफ करने के लिए कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है.

मचा सियासी घमासान

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घटना का वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने ट्वीट करते हुए कहा, ”यूपी सरकार से गुजारिश है कि हम सब मिल कर इस आपदा के खिलाफ लड़ रहे हैं, लेकिन कृपा कर के ऐसे अमानवीय काम मत करिए. मजदूरों ने पहले ही बहुत दुख झेल लिए हैं. उन को कैमिकल डाल कर इस तरह नहलाइए मत. इस से उन का बचाव नहीं होगा बल्कि उन की सेहत के लिए और खतरे पैदा हो जाएंगे.”

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जवाब दे राज्य सरकार

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर पूछा कि यात्रियों पर सेनिटाइजेशन के लिए किए गए कैमिकल छिड़काव से उठे कुछ सवाल का जवाब आप देंगे कि-
• इस के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्या निर्देश हैं?
• कैमिकल से हो रही जलन का क्या इलाज है?
• भीगे लोगों के कपड़े बदलने की क्या व्यवस्था की गई?
• साथ में भीगे खाने के सामान की क्या वैकल्पिक व्यवस्था है?

तेवर में दिखीं बहनजी

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी योगी सरकार की आलोचना की और कहा,”देश में जारी जबरदस्ती लौकडाउन के दौरान जनउपेक्षा व जुल्मज्यादती की अनेक तसवीरें मीडिया में आम हैं पर प्रवासी मजदूरों पर यूपी के बरेली में कीटनााशक दवा का छिड़काव करना अमानवीयता का पराकाष्ठा है.”

यों भी इस घटना ने एकबारगी यह एहसास दिला ही दिया कि यह वही देश है जहां की मंदिरें भी जातपात में बंटी हुई हैं और जहां की धार्मिक आडंबरों में भी छूआछूत दिखता है. फिर तो ये मजदूर थे, जो हालात के मारे थे और शायद तभी योगी सरकार के राज में इन मजदूरों को कैमिकलयुक्त पानी का छिड़काव कर शुद्ध किया गया बिना यह जाने कि यह कैमिकल उलटे इन मजदूरों को और बीमार कर सकता है.
लौकडाऊन की घोषणा के बाद कमी तो केंद्र सरकार की भी रही जिस ने एकबारगी फिर से नोटबंदी की भयावहता की याद ताजा करा दी. देश तब भी अफरातफरी के माहौल में था और आज भी उसी हाल में है.

योगीराज में सब राम भरोसे

उधर योगी आदित्यनाथ के ही राज में एक और वायरल वीडियो ने यूपी की कानून व्यवस्था को कटघरे में ला खङा किया है, जिस में आगरा एक्सप्रेसवे पर एक बस में यात्रा कर रहे यात्रियों से 100 किलोमीटर की यात्रा के लिए 400 रूपए वसूले जा रहे थे. वायरल वीडियो में यह साफ है कि इस बस में पहले तो यात्रियों को बैठा दिया गया और फिर बाद में 400-400 रूपए वसूले गए, वह भी ऐसे हालात में जब मजदूरों की हालत पतली थी और जेब में नाममात्र के पैसे. वायरल वीडियो में लोग पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं कि उन की मिलीभगत से ही यह सब किया गया.

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वैसे भी योगी सरकार पर तो यह आरोप भी लग रहे हैं कि जब देश में कोरोना महामारी का रूप ले चुका था, तब उन के राज्य के कई मंत्री राम मंदिर निर्माण को ले कर कार्यक्रम में व्यस्त थे और कई घरों में बैठ कर रामायण और महाभारत देख रहे थे और देखें भी क्यों न क्योंकि यूपी में सब ‘राम भरोसे’ ही तो है.

#coronavirus: दुनिया कोरोना से जूझ रही है, ये अवैध शराब बेच रहे हैं

नंगी आंखों से न दिखने वाले एक वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई हुई है. हर देश में मातम सा छाया है, लोग अनजाने डर की गिरफ्त में हैं, न जाने कितने अपनी जान गंवा चुके हैं, पूरा संसार ठप हो चुका है, लोग अपने घरों में दुबके हैं, जो बेघर हैं उन्हें भी अपनी जान की फिक्र है, दो वक्त की रोटी का इंतजार है. इस के बावजूद बहुत से ऐसे असामाजिक तत्त्व हैं जो अब भी शराब जैसी सामाजिक बुराई की गैरकानूनी सप्लाई कर रहे हैं.

देश की राजधानी नई दिल्ली से सटे हरियाणा में ही ,फरीदाबाद जिले को ही देख लें. फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में तिगांव थाना पुलिस ने गांव मंझावली में 28 मार्च की शाम को दबिश दे कर देशी शराब ठेके के एक मुलाजिम और 2 ग्राहकों को गिरफ्तार कर केस दर्ज किया.

इसी तरह बल्लभगढ़ में ही क्राइम ब्रांच सैक्टर 65 की टीम ने शहर की भूदत्त कालोनी में 29 मार्च को सरेआम कार में गैरकानूनी तरीके से शराब बेच रहे एक नौजवान को गिरफ्तार कर लिया. उस के पास से अंगरेजी शराब की 10 पेटियां बरामद हुईं.

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क्राइम ब्रांच सैक्टर 65 के हैड कांस्टेबल संदीप ने बताया कि वे पुलिस टीम के साथ गश्त कर रहे थे कि एक मुखबिर ने उन्हें बताया कि संदीप नाम का एक आदमी किसी प्राइवेट स्कूल के पास कार में शराब बेच रहा है. पुलिस ने वहां दबिश दी और संदीप को धर दबोचा.

फरीदाबाद से सटे हथीन इलाके में बहीन थाना पुलिस ने निषेधाज्ञा के दौरान एक आदमी को गिरफ्तार कर उस के पास से अवैध देशी शराब पकड़ी. इसी तरह बल्लभगढ़ इलाके के गांव सागरपुर में पुलिस ने शराब की 29 बोतलें बरामद कीं.

इस सिलसिले में एएसआई अजय कुमार ने बताया कि मिली खबर के मुताबिक पुलिस उस दुकान पर पहुंची जहां से यह शराब बेची जा रही थी. वहां एक आदमी शराब लेने आया. दुकानदार ने दुकान के शटर के नीचे से उसे शराब का एक अद्धा पकड़ा दिया.  बस, तभी पुलिस ने उस दुकानदार को पकड़ लिया.

ये तो थे पुलिस की शाबाशी के काम पर बल्लभगढ़ में ही एक वर्दीधारी ने लौकडाउन के दौरान कार में बैठ कर शराब पी और लोगों को डरायाधमकाया भी.

रविवार, 29 मार्च का यह मामला बल्लभगढ़ के मलेरना रोड का था जहां एक पुलिस वाला अपने 3 साथियों के साथ कार में बैठ कर शराब पीता मिला. इतना ही नहीं, वह हंगामा भी कर रहा था. आते जाते लोगों को परेशान कर रहा था.

जब दूसरे पुलिस वाले वहां पहुंचे तो वह उन से भी उलझने लगा. पुलिस की चैकिंग में गाड़ी से शराब की बोतल, गिलास और कुछ फल भी मिले. इतने में वह पुलिस हवलदार वहां से भाग गया.

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लोकल लोग दबी जबान में बोल रहे थे कि वहां गई पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की, जबकि पुलिस बोल रही है कि उस हवलदार की पहचान कर ली गई है और उस पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी.

कोरोना: चीन, अमेरिका और नरेंद्र मोदी

दुनिया की महाशक्ति अमेरिका, चीन इत्यादि जो कभी किसी बड़े से बड़े ब्रह्मास्त्र यानी मिसाइलों को थामने की शक्ति रखते थे, आज  कोरोना  वायरस के  समक्ष बेबस दिखाई दे रहे हैं. एक अदद कोरोना वायरस के दंश झेलते हुए…! आज से पहले, कोई ऐसा कहता, सोचता तो उसे खारिज कर दिया जाता. हथियारों की होड़, ऊंची परमाणु शक्तियों से समृद्ध ऐश्वर्या पूर्ण जीवन और उच्च संस्था शीर्ष पर मानव सभ्यता, आज एक वायरस के समक्ष कैसी बेबस है. यह देखकर आप क्या यह महसूस नहीं करते हैं की एक दिन तो  ऐसा होना ही था.

दरअसल, कोरोना वायरस चीन की ईजाद है, वुहान शहर की प्रयोगशाला से वैज्ञानिकों, डॉक्टरों को धत्ता बता, उन्हें ही मार यह निकल पड़ा. कहते हैं, चीन इसके लिए दोषी है, जिसने संपूर्ण मानवता को खतरे में डाल दिया है. इस भूमिका के पश्चात इस लेख का जो विषय है हम उस पर आते हैं. कोरोना वायरस को लेकर जो स्थितियां हैं उससे प्रतीत होता है की चीन, अमेरिका सहित अन्य  प्रमुख  राष्ट्र  को नेस्तनाबूद करने आमदा है.दुनिया की  सबसे  ताकतवर हस्ती  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को झुकाना चीन का उद्देश्य पूर्ति होता दिखाई दे रहा है, दुनिया पर अपने वर्चस्व की रणनीति के तहत कोरोना वायरस की इजाद की गई है. और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जिस तरह अमेरिका के आगे पीछे घूम रहे थे, चीन को नीचा दिखाने की कोशिश उनकी बांडी लैंग्वेज से अक्सर दिखाई पड़ती थी के दुष्परिणाम स्वरूप भारत भी चीन के एजेंडे पर है.

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कोरोना :  चीन की मानसिकता

नरेंद्र दामोदरदास मोदी जैसे ही प्रधानमंत्री बने उन्होंने विश्व नेता बनने भूमिका बनानी शुरू कर दी. उनकी चाल ढाल, भाव भंगिमा ऐसी रही की भारत एक महाशक्तिशाली राष्ट्र है और उसके प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी विश्व को अपनी मुट्ठी में भींच लेंगे .

यही गतिविधि थी की नरेंद्र मोदी ने प्रथम कार्यकाल में “दुनिया भर” का चक्कर लगाया और हर जगह मोदी- मोदी के नारे लगवाए . चीन के राष्ट्रपति अमेरिका के राष्ट्रपति हो या जापान, जर्मनी के प्रमुख सब जगह बेवजह यह दिखाया गया की नरेंद्र मोदी एक सशक्त नेता हैं और जल्द ही दुनिया का नेतृत्व करेंगे.भारत  पुनः  विश्व गुरु बनेगा.दरअसल, जब कोई छोटा आदमी बड़ी-बड़ी बातें करता है तो उसे डपट दिया जाता है… यह मानसिकता हर जगह है. भले ही वह सही हो… नरेंद्र दामोदरदास मोदी के इन हाव भाव, एक्शन से चीन का चिढ़ना स्वाभाविक है.

पाकिस्तान का मामला हो या चीन का सीमा विवाद, नरेंद्र मोदी का एक्शन, चीन के प्रमुख को कतई पसंद नहीं आता होगा. यही कारण है की जब “कोरोना का प्रकोप”भारत में प्रसारित हो रहा है और चीन उस पर काबू पा चुका है तो उसका  प्रशिक्षण आदि तक चीन भारत को शेयर नहीं कर रहा है.

कोरोना : चीन की रणनीति

कोरोना को लेकर चीन की रणनीति को अभी  समीक्षक समझने का प्रयास कर रहे हैं. मगर जो तथ्य सामने आ रहे हैं उसमें यह तो स्पष्ट है  की कोरोना चीन की ईजाद है. क्षति होने के बाद भी चीन ने उस पर काबू पा लिया है और पुनः उसकी गाड़ी पटरी पर लौट रही है. पार्क,सड़कें खुल गई हैं मगर दूसरी तरफ विश्व में तबाही मची हुई है. अमेरिका,भारत सहित दुनिया के 182 देश कोरोना की चपेट में है. विश्व की अर्थव्यवस्था, मानव सभ्यता रसातल में जाने की परिस्थितियां निर्मित हो चुकी है. भारत में ही देखें, सारी ट्रेन, फैक्ट्रियां, सड़क बंद है.क्या यह भारत को घुटनों पर लाने के लिए पर्याप्त नहीं है.इन हालातों में भारत  50 वर्ष पीछे चला जाएगा.

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चीन से गुहार जरूरी

ऐसे समय में भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को, सारी कुंठाये भूल बिसार कर,चीन के राष्ट्अध्यक्ष से चर्चा करके मदद मांगनी चाहिए. भारत अर्थव्यवस्था, सामरिक शक्ति, और समृद्धि के समक्ष बेहद कमतर है, जब दुनिया के महा शक्तिशाली देश कोरोना से निजात नहीं पा पा रहे हैं तो भारत अपने दम पर कैसे विजय प्राप्त करेगा. ऐसे में चीन से सवांद करके उससे मदद मांगनी चाहिए .भारत-चीन भाई भाई का वास्ता देकर, एक पड़ोसी का वास्ता देकर भारत को मदद मांगनी चाहिए. चीन ही ऐसा उत्स है जहां से कोरोना प्रारंभ हुआ था, और वही है जो, इसे खत्म करने की ताकत रखता है यह दुनिया देख चुकी है.

#Lockdown: बेजुबानों का भी है शहर

लौकडाउन हो जाने से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों के तमाम हजारों गरीब कामगार अपने गांव लौट रहे हैं, वहीं जंगली जानवर भी कैद से निकल सड़कों पर उतर आए हैं.

इन जानवरों के सड़कों पर उतरने से घरों में रह रहे लोगों में भय बना हुआ है कि ये जानवर कहीं घरों में घुस कर हमला न कर दें, वहीं सड़कों से अपने गांव जा रहे लोग भी डरेसहमे हैं.

इन जानवरों के सड़कों पर दिख जाने से लोग भी अपने घरों की खिड़कियों से अजीब नजरों से देख रहे हैं और इन के फोटो मोबाइल में कैद कर रहे हैं.

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देहरादून, केरल, चंडीगढ़, नोएडा की सड़कों के अलावा भी कई जगहों पर ऐसे दुर्लभ प्रजाति के जानवरों को देखा गया.

हालांकि इंसानों पर हमले की कोई खबर नहीं है. ये जानवर अभी तो कैद से बाहर निकल खेतों को बर्बाद कर रहे हैं. इस वजह से किसानों को फसलों के और भी चौपट हो जाने की उम्मीद है.

विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे कस्तूरी बिलाव को भारतीय वन सेवा के कुछ अधिकारियों ने देखा है. केरल के कोझीकोड में सड़क पर घूमते कस्तूरी बिलाव का वीडियो साझा करते हुए कहा कि यह जीव गंभीर रूप से खतरे में हैं और अब सिर्फ 250 वयस्क बिलाव ही बचे हैं. कस्तूरी बिलाव को आखिरी बार 1990 में देखा गया था.

फ़िल्म कलाकार अर्जुन कपूर ने भी विलुप्त हो रही प्रजाति के जानवरों के वीडियो साझा किए हैं. केरल की सड़कों पर एक भारतीय कस्तूरी बिलाव का वीडियो है, जो दुर्लभ जानवरों की केटेगिरी में आता है. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर कैप्शन में लिखा है, मालाबार कस्तूरी बिलाव. यह बेहद दुर्लभ प्रजाति का जानवर है.

इस के अलावा नोएडा के सेक्टर-38 में नीलगाय सड़क पर घूमती दिखी है, वहीं चीतल देहरादून की सड़कों पर दौड़ता दिख रहा है. चंडीगढ़ में भी सड़क पर सांभर हिरण नजर आया है, वहीं मध्य प्रदेश की सड़कों पर जंगली जानवर घूमते नजर आ रहे हैं.

कोरोना वायरस के इस दौर ने यह सच्चाई उगल दी है कि प्रकृति कैसे खुद को संभाल कर फिर से मजबूत हो सकती है.

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शहरी इलाकों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में भी मौसम साफ हो जाने से हर तरह के पक्षी नजर आ रहे हैं और उन की चहचहाहट सुनाई दे रही है. वहीं इंसानी दखल कम होने से प्रकृति एक बार फिर से मजबूत हो रही है.

एक तरफ बेजबानों जंगली जानवरों का सड़क पर दिखना कौतूहल का विषय है, वहीं इन की भूख से बेहाली की सुध भी एक बड़ी चुनौती है.

Lockdown के बीच कुछ इस अंदाज में नजर आ रही हैं ये बौलीवुड एक्ट्रेसेस

इन दिनों बौलीवुड (Bollywood) के सभी एक्टर और ऐक्ट्रेस अपने घरों में समय बिता रहें है. इस खाली समय में बौलीवुड एक्ट्रेसेस की  सोशल मीडिया एकाउंट पर बहुत ही फनी, मोहक और मजेदार तस्वीरें आ रहीं हैं. इसमें किसी ने योगा की तस्वीरें और वीडियोज शेयर किया है तो किसी ने घर में झाड़ू लगाते हुए की तस्वीर शेयर की है. कोई घर में वर्क आउट करती नजर आ रहीं हैं है तो कोई कुत्तों को खाना खिला रहीं हैं. वहीं कोई घर में लेट कर किताबें पढने की तस्वीरें भी सामने आ रहीं हैं. इस लौक डाउन में हमने बौलीवुड की टौप एक्ट्रेसेस रूटीन के बारे में उनके इन्स्टाग्राम अकाउंट पर जा कर जाननें की कोशिश की तो मजेदार तस्वीरें सामनें आई.

पूर्व क्रिकेटर और अभिनेत्री मंदिरा बेदी (Mandira Bedi) नें अपने इन्स्टाग्राम एकाउंट पर वर्क आउट और योगा की तस्वीर और वीडियो शेयर कर लिखा है. की “मैं शांतिपूर्ण पक्षियों को चहकते हुए सुनना चाहतीं हूँ” (Core. In silence. I wanted to hear the birds chirping!).

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उर्वशी रौतेला (Urvashi Rautela) नें बिकनी में स्वीमिंग पुल में मस्ती करते हुए की वीडियो शेयर करते हुए उसके कैप्शन में लिखा है. आप व्यस्त रहने के लिए क्या कर रहे हैं? (Back when I used to take going outside for granted what are you doing to stay busy?) वहीं उन्होंने डांस करते हुए की एक वीडियो भी शेयर की है जिसमें वह फुल मस्ती करती हुई नजर आ रहीं है.

 

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Just another day… ❤️

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एक कमरा उसमें तीन चार लडकियां सब अपने में बिजी कोई टीवी देख रहा है तो कोई योगा कर रहा है कोई वर्क आउट में लगा है तो कोई पेंटिंग बना रहा है, है न यह तस्वीर निराली इसे शेयर किया इशिता दत्ता (Ishita Dutta) नें.

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Cleaning and tending to the garden for these last few days. This lockdown time has made me realise and remember that having help in any form is one of those few things we should always appreciate. Our lives become so much easier because of all our house help/staff but unfortunately, sometimes we only realise this in times like these. Today, I’m grateful for every single person who has made life easier for us in their own way. It is because of them that we can enjoy the gift of time to go out and pursue our dreams. When life gets back to normal, don’t forget to let them know that you value them. . . . . . #20DaysOfGratefulness #SwasthRahoMastRaho #GetFit2020 #stayhome #staysafe #blessed #gratitude #quarantinelife #selfisolation

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लौक डाउन का सबसे ज्यादा मजा कोई ले रहा है तो वह है शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty). वह अपने बच्चे,पति के साथ फुल मस्ती के मूड में दिखाई पड़ रहीं है. इन दिनों वह घर के काम निबटाने और योगा करने में ज्यादा बिजी हैं. उन्होंने दो वीडियो शेयर किए है एक में वह योगा कर रहीं हैं तो दूसरे में बगीचे की सफाई करती नजर आ रहीं है. उन्होंने वीडियो में अपील किया है नींद नहीं रहीं है है तो गार्डन हो घर हो उसकी सफाई करो. उन्होंने कहा की इससे बेटर वर्क आउट नहीं हो सकता है.

 

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Locked in …. #yogainthetimesofcorona #lockdown #day4

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एक्ट्रेस नेहा धूपिया (Neha Dhupia) बहुत सेक्सी अंदाज में योगा करते हुए की तस्वीरें शेयर की है और हैशटैग के साथ लिखा है “योगा इन द टाइम्स औफ कोरोना” (#yogainthetimesofcorona #lockdown #day4) जिसे ढेर सारे लाइक्स मिल रहें हैं.

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अमिषा पटेल (Ameesha Patel) नें सोफे पर लेट कर किताबें पढ़ते हुए का एक वीडियो शेयर किया है इसमें वह बड़े ही मोहक अंदाज में फ़्लाइंग किस देती नजर आ रहीं हैं. उन्होंने इस वीडियो के कैप्सन में लिखा है “किताबें हमें एक ही जगह पर रहकर दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करने की अनुमति देती हैं” कुछ उपयुक्त वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए) BE SAFE .. STAY HOME’’ (Books allow us to travel to different parts of the world by remaining in the same place .. (something Soo appropriate given the current scenario) BE SAFE .. STAY HOME).

अभिनेत्री सोनाली सहगल (Sonnalli Seygall) नें कई फोटोज व वीडियोज शेयर किया है. जिसमें वह अलग अलग अंदाज में नजर आ रहीं हैं. एक फोटो में सोनाली में बेहद सेक्सी अंदाज में पोज दिया है तो वहीँ दूसरी तरफ उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया है जिसमें वहढेर सारे पिल्लों के बीच नजर आ रहीं हैं. इस वीडियो में वह इन पिल्लों के लिए दूध लेकर आई हैं.

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#coronavirus: कोरोना के नाम पर भ्रम फैलाता अंधविश्वास

कोरोना वायरस से जहां पूरा विश्व परेशान है, लोगों की जिंदगियां खतरे में हैं, वैज्ञानिक तरीके ढूंढ़े जा रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर अंधविश्वास का बाजार गरम है.

और देशों की तरह भारत में भी कोरोना वायरस तेजी से पांव पसार रहा है मगर दूसरी तरफ सुरक्षा के तमाम उपायों की अपील के बावजूद धर्म के ठेकेदारों द्वारा अंधविश्वास फैला कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है.

यों भी भारत में धार्मिक अंधविश्वास तेजी से फैलता है और अनपढ़ों की बात तो छोङ दें, पढ़ेलिखे लोग भी इन अंधविश्वासों में पड़ कर खुद का मजाक उङाने के साथसाथ अपनी जान भी सांसत में डाल देते हैं.

इन दिनों कैसे-कैसे अंधविश्वास फैला कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है, आप भी जानिए :

रामचरितमानस के बालकांड में ‘बाल’ करेगा कोरोना का इलाज : सोशल मीडिया पर फैल रहे इस अफवाह ने एक बार फिर 90 के दशक में फैले अफवाह की याद ताजा करा दी जिस में यह दावा किया गया था कि मंदिरों, घरों में रखी गणेश की मूर्ति दूध पीने लगा है. इस अफवाह की वजह से लोगों का हुजूम मंदिरों में उमङ पङा था और हजारोंलाखों टन दूध नालियों में बहा दिए गए थे. तब दुनिया के आधुनिक देशों ने हमारा खूब मजाक उङाया था.

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आज जहां कोरोना वायरस महामारी बन चुका है, इस के खतरों के बीच आजकल सोशल मीडिया पर एक अंधविश्वास खूब फैलाया जा रहा है, जिस में यह दावा किया जा रहा है रामचरितमानस के बालकांड के पन्नों  को ध्यान से देखने पर उस में एक बाल दिख सकता है. यह बाल उसी को दिखेगा जो धर्म के रास्ते पर चलता है या भगवान की आराधना करता है. लोगों को बताया जा रहा है कि इस बाल को गंगाजल या जिस के पास गंगाजल उपलब्ध नहीं है वह घर में एक साफ लोटे में पानी भर ले और इस बाल को उस में डाल कर पूरे परिवार को यह पानी पिला दे तो उसे और उस के परिवार का कोरोना वायरस कुछ नहीं बिगाङ पाएगा.

पैर के दाएं अंगूठे में हलदी लगाने से कोरोना वायरस नहीं होगा : उत्तराखंड की रहने वाली रानी बिष्ट को किसी ने व्हाट्सअप पर भेजा,

“अभीअभी जानकारी मिली है कि ग्राम नागेलाव, वाया पीसांगन, जिला अजमेर के एक अस्पताल में एक बालिका का जन्म हुआ. बालिका ने जन्म लेते ही बोला कि भारत में जो कोरोना वायरस संक्रमण फैला हुआ है, उस के बचाव के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर हलदी का लेप (मेहंदी की तरह) लगाना है. इस से कोरोना का संक्रमण समाप्त हो जाएगा और सभी नागरिक सकुशल रहेंगे. यह कह कर बालिका की उसी समय मृत्यु हो गई. यह देख कर अस्पताल के डक्टर भी आश्चर्यचकित हो गए. अतः आप से निवेदन है कि आप भी तत्काल इस तरह का लेप अपने दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर लगा कर कोरोना वायरस संक्रमण से अपना एवं अपने परिवार के जीवन को बचाएं.’

रानी ने फोन पर बताया,”कोरोना वायरस से हमलोग काफी डरे हुए हैं और इसी डर की वजह से हम ने सोचा कि चलो क्या हरज है इस में, सो खुद भी लगाया और परिवार के अन्य लोगों को भी लगा दिए.”

जाहिर है, लोग ऐसा डर कर करते हैं.जाहिर है, पूजापाठ करने वाले लोग भी इसी डर की वजह से पत्थर की मूर्तियों के आगे अपना सिर झुकाते हैं. मगर इस बात से अनजान रहते हैं कि जीवन में तरक्की अथवा किसी कष्ट का समाधान पूजापाठ नहीं बल्कि कर्म करते रहने और वैज्ञानिक तरीके से जीने से मिलती है.

शास्त्रों और ग्रंथों का हवाला दे कर डर का माहौल बनाया जा रहा है : सोशल मीडिया पर आजकल शास्त्रों और ग्रंथों का हवाला दे कर यह दावा किया जा रहा है कि इस महामारी का उल्लेख सैकड़ों साल पहले साधुसंतों ने अपने लिखित ग्रंथों में किया था और यह दावा किया था कि पृथ्वी पर कलियुग का अंत महामारी और प्रलय से होगा. लाखोंकरोङ जीवजंतु मारे जाएंगे. अतः अधिक से अधिक लोग धर्म के रास्ते पर चलें और देवीदेवताओं व गुरूओं की आराधना करें.

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जाहिर, यह डर भी धर्म के उन्हीं पाखंडियों की ओर से फैलाया जा रहा है जो चाहते हैं कि लोग विज्ञान का रास्ता छोङ कर भगवान की आराधना में लगे रहें, पूजापाठ करें जिस से वे तो मजे में रहें, लुटतीपिटती जनता रहे.

सिलबट्टे को गोबर और बालटी से उठाने पर कोरोना से मुक्ति

ग्रामीण क्षेत्रों में एक अंधविश्वास का चलन जोरों पर है. इस में एक सिलबट्टे पर किसी बरतन अथवा बालटी रख कर उसे गोबर से पाट दिया जाता है. कुछ देर बाद उस बरतन को पकङ कर उठाने बोला जाता है. अफवाह फैला दिया गया है कि बरतन को पकङ कर उठाने से अगर सिलबट्टा छूट कर नहीं गिरा तो समझो उस के घर कोरोना वायरस का असर नहीं होगा. जिस का सिलबट्टा हट कर गिर जाएगा उसे खतरा है और इस के लिए उसे हवन व पूजापाठ कराना होगा.

यह एक कोरा अंधविश्वास है जो भौतिकी यानी फिजिक्स के सिद्धांत पर आधारित है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि गोबर भारी होता है और सिलबट्टे और बालटी के बीच आने से वैक्यूम हो जाता है यानी इस में हवा का दबाव होता है जो सिलबट्टे और बालटी को मजबूती से जकङ लेता है. यह थ्योरी भी उसी सिद्धांत पर कार्य करता है जो एक गिलास में भरे हुए पानी और कागज रख कर उलटा करने पर भी गिलास में से पानी का नहीं गिरने जैसा होता है. यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि विज्ञान पर आधारित एक चमत्कार है.

ऐसे बच सकते हैं कोरोना से

दुनियाभर के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जोर दे कर कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक इंसान में दूसरे इंसान में होता है. कोविड-19 नामक यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, खांसने और छूने के बाद उस का मानव शरीर में प्रवेश करने की वजह से होता है. अभी तक इस का कोई वैक्सीन अथवा दवा उपलब्ध नहीं है और जितना संभव हो लोगों से हाथ मिलाना, करीब जाना, भीङभाङ वाले इलाके से दूर रहना आदि से ही बचाव संभव है. विशेषज्ञों ने लोगों को इस दौरान धार्मिक जगहों पर भी जाने से मना किया है तो जाहिर है इस बीमारी का इलाज तथाकथित देवीदेवता आदि के हाथों में तो कतई नहीं है.

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बेहतर यही होगा कि सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझावों को मानें और तभी इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है. धार्मिक अंधविश्वास के चक्कर में तो कतई न पड़ें.

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