फरीदाबाद में आज 4-5 दिनों के बाद सुबह दरवाजे पर अखबार की 'धपाक' हुई तो एक सुकून सा मिला कि अब छपी हुई खबरों से देशदुनिया को जानेंगे, पर जब खबरें पढ़ी तो लगा जैसे किसी क्लिनिक में रखी कोई हैल्थ मैगजीन को पलट रहा हूं. हर पन्ने पर कोरोना महामारी से जुड़ी खबरें.

लेकिन एक छोटी सी खबर के बड़े असर ने सोचने पर मजबूर कर दिया. मामला हरियाणा के बल्लभगढ़ के छांयसा इलाके में गढ़खेड़ा गांव का है जहां 27 मार्च को 40 साल के एक आदमी ने कोरोना के डर से फांसी लगा कर अपनी जिंदगी खत्म कर ली, जबकि उसे या उस के परिवार में तो किसी को यह बीमारी हुई भी नहीं थी.

पद्म सिंह नाम का वह किसान हर रोज कोरोना की खबरें जानसुन कर बहुत ज्यादा परेशान हो गया था. उस के घर वालों ने खूब समझाया भी, पर उस ने यह बचकाना कदम उठा लिया जिस से उस का पूरा परिवार अब सदमे में है.

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सवाल उठता है कि अभी जब कोरोना बीमारी का कोई इलाज नहीं है, कोई पुख्ता दवा नहीं है, तो इस बीमारी से जूझ रहे लोगों की मानसिक हालत कैसी होती होगी? और उन लोगों की सोचिए जो ऐसे लोगों की जान बचाने के लिए दिनरात लगे हुए हैं.

पद्म सिंह मानसिक रूप से कमजोर था और कोरोना से होने वाली संभावित तबाही से बुरी तरह घबरा गया था, पर हमारे देश से हजारों किलोमीटर दूर अमेरिका में इस बीमारी से पीड़ित नैशनल बास्केटबाल एसोसिएशन के 2 नामचीन खिलाड़ी रूडी गोबर्ट और डोनोवन मिचेल ठीक हो गए हैं.

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