#coronavirus: यमराज की अपील

लेखक- राजेश चौरसिया

  • सड़कों पर उतरे यमराज..
  • पुलिस ने यमराज से दिलवाई समझाईश..
  • पुलिस की लॉक डाउन को लेकर अनोखी पहल..
  • लोगों को लॉक डाउन के प्रति सजग रहने करने प्रयास..

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देशभर में फैली कोरोना महामारी से बचने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे भारत में लॉक डाउन कर दिया है और पुलिस प्रशासन लोक डाउन को सफल बनाने के लिए लोगों को नए नए अंदाज में समझा दे रही है. कहीं पुलिस गाना गाकर लोगों को घरों के अंदर रहने के लिए कह रहे हैं तो कहीं अलग ही कुछ कलाएं दिखाकर लोगों को समझा बुझा रहे हैं ऐसा ही मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पन्ना पुलिस ने लोगों को समझाएं इसके लिए सड़कों पर साक्षात यमराज को उतारा है और बखूबी यमराज भी पन्ना की सड़कों में घूमकर लोगों को लॉक डाउन के नियम व घर में रहने की समझाइश दे रहे हैं जरा देखिए यमराज जी किस तरह पन्ना की जनता को समझा रहे हैं.

yamraj

यमराज (मोहन लाल जड़िया यमराज के किरदार में) कह रहे हैं कि मैं पन्ना की  जनता से नाराज हूं क्योंकि आप लोग लॉक डाउन के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं अगर आप लोगों को करो ना जैसी महामारी से बचना है तो आप अपने घरों में रहिए अपने हाथों को बार-बार दोगे और एक दूसरे से डिस्टेंस बनाकर रखिए अगर ऐसा नहीं किया आपने तो मुझे मजबूरन आप लोगों को अपने साथ ले जाना पड़ेगा हा हा हा हा हा हा.

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अक्षय कुमार ने Corona के खिलाफ काम कर रहे लोगों को बोला थैंक्यू, बताया रियल आर्मी

कोरोना के चलते लगाए गए लॉक डाउन में लोगों को खाने- पीनें की चीजों की कमी न हो, घर से बिना निकले ही जरुरी दवाएं घर पर ही मिल जाएँ, घर के सामने गंदगी न हो समय से कूड़ा उठ जाए, बीमार पड़ने पर अस्पताल में हमारी सही से देखभाल हो. इस लॉक डाउन में में कोई भूखा न सोने पाए ऐसे लोगों को समय से पका पकाया भोजन मिल जैसे तमाम काम हैं जिसे पूरा करनें के लिए इस जोखिम में भी लाखों लोग 24 घंटें काम कर रहें. वह भी खुद के परिवार से दूर रहते हुए. ये सब काम ये लोग इस लिए कर रहें हैं की आप और आप का परिवार सुरक्षित रहे. इस लिए इस मुहिम में लगे लोगों को कोरोना वारियर्स नाम दिया गया है.

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कोरोना की जंग जीतने में लगे ऐसे लोगों का हौसला कम न हो इसके लिए तमाम लोग आगे आकर उनका हौसला भी बढ़ा रहें हैं. इसमें चाहे आम आदमी हो या सेलेब्रेटीज सभी नें कोरोना वारियर्स के जज्बे को सलाम किया है. अमिताभ बच्चन भी कोरोना वारियर्स के जज्बे को सलाम कर चुके हैं. इस कड़ी में एक नाम और भी जुड़ गया है वह नाम बॉलीवुड के महान नायक अक्षय कुमार का. उन्होंने अपने इन्स्टाग्राम एकाउंट पर एक वीडियो अपलोड कर ऐसे वारियर्स को असली आर्मी बताते हुए उनके जज्बे को सलाम किया हैं.

उन्होंने अपने वीडियो में कहा की “कल मेरी बात मुंबई पुलिस की एक ऑफिसर से हो रही थी वह मेरा दोस्त है. उसकी कही एक लाइन ने मुझे सोचने पर मजबूर मजबूर कर दिया. कह रहा था की अक्षय कमाल है ना कि आप लोग अपने घर से बाहर निकलने से डर रहें हैं और हम हैं अपने घर जाने से डर रहे हैं. सारा दिन सड़क पर रहते हैं इतनें लोगों से मिलते हैं कई बीमारियां अपने घर वालों को ना दे दे इसलिए हम घर नहीं जाते,दस-दस दिन बारह –बारह दिन.

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मैं बहुत दिन देर तक सोचता रहा हमें अंदाजा भी नहीं है कि हम सेफ रहे हैं इसके लिए कितने लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर हमारे लिए दिन रात काम कर रहे हैं. हमारी पुलिस फ़ोर्स, नगर नगर निगम के वर्कर्स, डाक्टर्स, नर्सेज, अलग-अलग एनजीओ के वालंटियर्स,हमारे सरकार के लोग, राशन वाले, सब्जी वाले, दूध वाले, बिल्डिंग का जो वाचमैन है वह भी. और भी ऐसे जरूरी काम करने वाले बहुत से लोग है मैं समझता हूँ की पूरी आर्मी हैं जो चौबीस घंटें काम कर रही है. ताकि हम और हमारे परिवार सुरक्षित रहें.

और हम लोग क्या कर रहे हैं घर बैठ कर फिल्में भी देख रहे हैं, वेब सीरीज देख रहें हैं बस. यार एक थैंक्यू तो बनता हैं. दिल से थैंक यू भाई मेरे. अगले ट्वीट में इसके बाद जो ट्वीट डालूंगा मैं सबको अपने और अपने परिवार वालों की तरफ से दिल से थैंक यू करुंगा. अगर आप चाहें मेरा अगला ट्वीट कॉपी पेस्ट कर सकते हैं. सिर्फ अपना नाम और सिटी रिप्लेस करके कोई भी सोशल मीडिया जिस पर हों फेसबुक हो ट्विटर हो इंस्टाग्राम हो पर शेयर करे. हैज टैग दिल से थैंक्यू के साथ”.

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इसके पोस्ट के बाद उन्होंने दिल से थैंक्यू वाला ट्विट भी किया है. जिसमें उन्होंने अपना नाम और शहर का नाम लिखते हुए कहा है मेरे और सिर्फ परिवार के तरफ से  … पुलिस, नगर निगम के कार्यकर्ता, डॉक्टर, नर्स, गैर-सरकारी संगठन, स्वयंसेवक, सरकारी अधिकारी, विक्रेता, भवन के रखवाली करने वाले लोगों को दिल से थैंक्यू”. (Name : Akshay Kumar,City : Mumbai, Mere aur mere parivaar ki taraf se…Police, Nagar Nigam ke workers, doctors, nurses, NGOs, volunteers, government officials, vendors, building ke guards ko #DilSeThankYou) जिसे लोग कॉपी करके अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर कर रहें हैं.

पकी फसल पर भारी पड़ रहा है Corona का कहर

लेखक- लोकमित्र गौतम

देश का उद्योग और सेवा क्षेत्र तो कोरोना के कहर के चलते पहले से ही हाहाकार के दौर से गुजर रहा था. लेकिन लगता है अब कोरोना वायरस कृषि क्षेत्र में भी बुरी तरह से कहर बरपाकर ही रहेगा.कहने को तो कृषि कार्य को लॉकडाउन से छूट दी गयी है, लेकिन संकट यह है कि रबी फसल में सबसे ज्यादा होने वाली गेंहूँ की फसल को खेतों से काटने,थ्रेसर में कतरने और अनाज को मंडी तक पंहुचाने के लिए सर्वाधिक गेहूं उत्पादक राज्यों में इस समय लेबर ही नहीं हैं.अकेले पंजाब को इस समय गेहूं की फसल को काटने के लिए 6 लाख से ज्यादा लेबर्स की जरूरत है.अगर इसमें हरियाणा और सर्वाधिक गेहूं उत्पादन करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश को भी जोड़ लें तो इन तीनों राज्यों में कम से कम 20 लाख मजदूरों की जरूरत है.लेकिन यूपी में तो फिर भी लेबर मिल सकती है,लेकिन पंजाब और हरियाणा की बहुत बुरी हालत है.इन दोनों ही राज्यों में भयानक लेबर संकट पैदा हो गया है.

चूंकि यह संकट मार्च के दूसरे हफ्ते से ही दिखने लगा था.इसलिए चना,मसूर और लाही तो किसानों ने किसी तरह काट ली है और करीब करीब फसल घर भी आ गयी है.लेकिन गेहूं जो कि रबी की कुल फसल में करीब 70% तक होती है,कोरोना के चलते संकट में फंस गयी है.इस साल वैसे भी किसानों ने गेहूं की फसल करीब 5.68 लाख हेक्टेयर में बोई थी जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 8 फीसदी ज्यादा रकबा था.इसलिए इस साल उत्पादन भी 80 से 90 लाख टन ज्यादा होने की उम्मीद थी.गौरतलब है कि हिन्दुस्तान में 2019 में करीब 10 करोड़ 62 लाख टन गेहूं की पैदावार हुई थी,जिसके इस साल करीब 11 करोड़ टन के ऊपर जाने की उम्मीद है. लेकिन अब डर लगने लगा है.क्योंकि गेहूं की फसल खेतों में पकी खडी है.मगर दूर दूर तक पंजाब में लेबर नहीं दिख रही और मंडिया भी बंद हैं.

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वैसे हरियाणा सरकार ने घोषणा की है कि अगर हर पंचायत में नहीं संभव हुआ तो कम से तीन पंचायतों के बीच एक फसल खरीद केंद्र स्थापित किया जायेगा. ताकि किसानों को अपनी फसल लेकर बहुत दूर न जाना पड़े.वैसे देश में अनाज का अच्छाखासा बफर स्टॉक है .फिर भी मंडी तक अनाज पहुंचने में देर होगी तो खुले बाजार में खाद्यान्न का संकट खडा हो जाएगा.इसलिए किसानों की मांग है कि उन्हें अपने घर से मंडियों तक अनाज को पहुंचाने की व्यवस्था सरकार करे वरना खाद्य पदार्थों की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है.

कृषि फसल को कोरोना संकट से बचाना इसलिए जरूरी है क्योंकि तमाम इंडस्ट्री पहले ही कोरोना के चलते पस्त हो चुकी हैं.एविएशन इंडस्ट्री को करीब चार अरब डॉलर का नुकसान अब तक हो चुका है. हॉस्पिटैलिटी,टूरिज्म सेक्टर की हालात भी देखने लायक नहीं बची.होटल और रेस्टोरेंट चेन बुरी ध्वस्त हो गयी है. ये क्षेत्र तो कोरोना के खात्मे के कई महीनों बाद तक भी सन्नाटे में ही रहने वाले हैं. ऑटो इंडस्ट्री की भी बहुत बुरी हालत है. इसे भी करीब दो अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ सकता है. हालांकि कृषि फसल को मंदी से वास्ता नहीं है.यहां सबसे बड़ा संकट लेबर और मंडियों तक पहुंचने के ट्रांसपोर्ट का संकट है.लॉक डाउन के चलते एक जगह के उत्पाद दूसरी जगह तो बिलकुल ही नहीं पहुँच पा रहे हैं.मसलन दिल्ली की सब्जी मंडी तक दूर के उत्पाद नहीं पहुँच पा रहे.नतीजा अलीगढ़ फरुक्खाबाद,कन्नौज आदि में जो दिल्ली के लिए सब्जियां बोई गयी हैं,सब अब किसानों को डुबाने वाली हैं.

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वैसे लॉकडाउन में किसानों के लिए किसान हेल्पलाइन बनाई गयी है और पहले से भी एक हेल्पलाइन मौजूद है.लॉकडाउन अवधि के लिए किसानों की सुविधा के लिए तमाम किसान कॉल केंद्र भी बनाये गए हैं.लेकिन हम सब जानते हैं इस देश में आपदा प्रबन्धन कितने गैर जिम्मेदार ढंग से होता है.इसलिए खेती-किसानी के लिए गृह मंत्रालय के मुताबिक़ चाहे जो आदेश हों व्योहार में तो ये सब पुलिस की मर्जी से ही नियंत्रित होते हैं. चूँकि लौकडाउन में मजदूर घर से बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं.साथ ही यूपी जैसे गेंहूँ के सबसे बड़े उत्पादक राज्य में पर्याप्त संख्या में कंबाइन हार्वेस्टर भी उपलब्ध नहीं है,इससे एक बात बहुत स्पष्ट है कि फसल की कटाई में विलंब होगा साथ ही इससे काफी कुछ अनाज भीं बर्बाद होगा क्योंकि फसल बहुत ज्यादा पक चुकी होगी.

डगमगाती इंसाफ की देवी, मनपसंद फैसला नहीं तो बिफरा वकील

इंसाफ के मंदिर में बैठ जज साहब ने ज्यों ही अपना फैसला सुनाया, एक वकील साहब इतना भड़क गए कि गालीगलौज पर उतर आए. उन्होंने गुस्से में जज साहब से यहां तक कह दिया कि उन्हें कोरोना हो जाए.

भरी अदालत में इस तरह का वाक़िआ शायद ही देखने को मिले, जब वकील ही जज पर इस तरह का लांक्षन लगाए.

वकील ने गुस्से में आ कर जज साहब को ही श्राप दे डाला कि उन का भविष्य अंधकारमय हो जाए और उन्हें कोरोना वायरस लग जाए.

जी हां, यह मामला 7 अप्रैल, 2020 को कलकत्ता हाईकोर्ट का है. वकील के इस ‘निकृष्ट आचरण’ से नाराज जज ने उस के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की अनुशंसा की है.

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कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता ने अदालत की गरिमा को बनाए रखने में नाकाम और इस गरिमा वाले पेशे के सदस्य के अनुसार आचरण न करने पर वकील विजय अधिकारी को नोटिस भेजे जाने की तारीख के 15 दिनों के भीतर अवमानना नियम के तहत जवाब देने को कहा है.

बता दें कि कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने और पूरे देश में लॉक डाउन हो जाने की वजह से कलकत्ता हाईकोर्ट 15 मार्च से सिर्फ जरूरी मामलों की ही सुनवाई कर रहा है. 25 मार्च से अदालत ऐसे मामलों की सुनवाई सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर रहा है.

वकील विजय अधिकारी ने कर्ज अदायगी न करने पर एक राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा उस के क्लाइंट की बस नीलामी पर रोक लगाने की याचिका जस्टिस दीपांकर दत्ता की अदालत में दी थी.

जब जस्टिस दीपांकर दत्ता को पता चला कि बस को बैंक द्वारा 15 जनवरी को ही जब्त किया गया है, तो उन्होंने इस मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया.

इस बाबत जब जस्टिस दीपांकर दत्ता ने अपना आदेश देना शुरू किया तो नाराज वकील विजय अधिकारी बारबार उन्हें टोकते रहे, हल्ला करते रहे और अपनी टेबल पीटना शुरू कर दिया, यहां तक कि माइक को टेबल पर पटक दिया.

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जस्टिस दीपांकर दत्ता ने अपने आदेश में कहा, “वकील विजय अधिकारी को बारबार संयमित आचरण के लिए चेतावनी दी गई, लेकिन उन्होंने इन पर ध्यान नहीं दिया, उन्हें यह कहते सुना गया कि वह मेरा भविष्य अंधकारमय बना देंगे और इसलिये उन्होंने मुझे श्राप दिया कि मुझे कोरोना वायरस संक्रमण लग जाए.”‘

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने आगे कहा, “वकील विजय अधिकारी को स्पष्ट रूप से बता दिया गया कि न तो मुझे अपने भविष्य के अंधकारमय होने का डर है और न ही मैं वायरस से संक्रमित होने में डरता हूं…अदालत की गरिमा मेरे दिमाग में सर्वोच्च है और इसे बरकरार रखने के लिए उन के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही का निर्देश दिया जा सकता है.”

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने यह निर्देश भी दिया कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद जब अदालत खुलेगी तो यह मामला उचित खंडपीठ द्वारा सुना जाएगा, जिस के पास आपराधिक अवमानना के मामले सुनने का अधिकार होगा.

जज साहब ने तो वकील के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल कर दी, पर वकील की उद्दंडता को वे भूल नहीं पाएंगे और वकील साहब को भरी अदालत में सख्ती से पूछा जाएगा कि उन्होंने अदालत की अवमानना क्यों की. अदालत के कठघरे में खड़े वकील की बोलती बंद होना तय है.

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यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि वकील अपनी सफाई में क्या कहते हैं. कौन सी तिकड़म भिड़ाते हैं कि बच जाएं, पर इस तरह की हरकतें वाकई शर्मनाक हैं.

#coronvirus: 100 साल के बुजुर्गों ने जीती जंग

लेखक- एस. ए. ज़ैदी

जंग अभी जारी है. दुश्मन हावी है. अंतिम जीत दूर कहीं है. सभी सकते में हैं. चौतरफा नुकसान बढ़ता जा रहा है. विश्वभर के वैज्ञानिक सोल्यूशन की खोज में जुटे हैं.

मानव जाति पर न दिखने वाले शत्रु का कहर टूट पड़ा है. इस का असर उम्रदराज लोगों पर ज्यादा हो रहा है. जो बुजुर्ग इस की चपेट में आए, उन में से ज्यादातर जान गंवां बैठे.

इसी बीच, जीवनयात्रा के 100 से ज्यादा सावन देख चुके कुछ ऐसे बुजुर्गों को भी कोरोना ने शिकार बनाया जिन्होंने आखिरकार उस को मात दे ही दी.  ये कुछ बुजुर्ग इटली के रहवासी हैं.

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हालिया दिनों इन इतालवी बुज़ुर्गों की कहानी बड़े शौक़ से पढ़ी और सुनी जा रही है जो 100 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद कोरोना को मात देने में सफल रहे जबकि इटली में इस वायरस ने भारी तबाही मचाई है.

ये बुज़ुर्ग इटली के अलगअलग शहरों में रहते हैं. इनमें एक बात समान है कि इनकी याददाश्त मज़बूत है और बहुत मामूली सुविधाओं के साथ भी बहुत ख़ुश रहते हैं. कुछ को अख़बार पढ़ने का शौक़ है, कुछ को टहलने का शौक़ है और कुछ को खेल प्रतियोगिताएं देखने में मज़ा आता है.

इन बुजुर्गों में एक हैं अलबर्टो पिलोशी. ये 101 साल के हैं. इन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया और जर्मन सैनिकों के हाथों दो बार क़ैदी बने, मगर वहां से भाग निकलने में सफल रहे. ये भी कोरोना से संक्रमित हो गए और रीमीनी शहर के अस्पताल में दो हफ़्ता रहे, मगर कोरोना को भी हराकर अस्पताल से बाहर आ गए.

दूसरी बुजुर्ग हैं आदा ज़ानोसो. इन की उम्र 16 अगस्त, 2020 को 104 साल हो जाएगी. ये दुबली नज़र आती हैं लेकिन इरादे की बड़ी पक्की हैं. ये तूरीनो शहर के क़रीब एक वृद्धाश्रम में रहती हैं. ज़ानोसो विश्व मीडिया के ध्यान का केन्द्र बनी थीं क्योंकि मार्च में कोरोना से संक्रमित होने के बाद ये अस्पताल में भर्ती हुईं और दो सप्ताह में ठीक होकर डिसचार्ज हो गईं. इनके घर वाले कहते हैं कि ये मज़बूत इरादे की मालिक हैं और इनका स्वभाव बहुत अच्छा है. ये हमेशा कुछ न कुछ पढ़ती रहती हैं.

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तीसरी बुजुर्ग हैं इतालीका ग्रोन्डोना. इनको संगीत से लगाव है. ये 102 साल की हैं. मैच देखने में इन्हें बहुत आनंद आता है. ये हर खेल देखती हैं मगर फ़ुटबाल बिल्कुल पसंद नहीं है. इनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि ये खानेपीने की भी बहुत शौक़ीन हैं. इन्हें फ़रवरी में कोरोना हो गया मगर ठीक होकर अस्पताल से बाहर आ गईं.

‌एक अन्य बुजुर्गलुम्बार्डिया के करीमोना शहर के रहने वाले माइकल एंजेलो स्कोटीला हैं. ये 97 साल के हैं. ये भी कोरोना से संक्रमित होने के बाद दो हफ़्ता अस्पताल में रहे और अब ठीक होकर बाहर आ चुके हैं. ये नौसेना में कमांडर रह चुके हैं. इन्हें पढ़ने और टीवी देखने का बहुत शौक़ है.

बौलीवुड एक्टर्स को आया गुस्सा किसी नें मोदी तो किसी नें ट्रंप पर उतारा

इन दिनों अमेरिका में कोरोना के दुनिया भर से ज्यादा मरीज हैं और दिनों-दिन संक्रमितों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. अमेरिका में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. अमेरिका में कोरोना के संक्रमितों और उससे होने वाली मौतों को रोकनें में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) पूरी तरह से नाकाम नजर आ रहें हैं. अमेरिका में कोरोना के इलाज में मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का बेहतर प्रभाव देखा जा रहा है.

जिसका भारत के पास पर्याप्त मात्रा में स्टाक उपलब्ध है. क्यों  की भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का उत्पादन दुनियां भर में सबसे ज्यादा किया जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) 20 करोड़ गोलियों का उत्पादन किया जाता है. हाल ही में भारत सरकार ने दो कंपनियों को 10 करोड़ अतिरिक्त गोलियों के उत्पादन का आर्डर दिया है. लेकिन भारत सरकार नें भारत के विशाल जनसंख्या को देखते हुए कोरोना के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल हो रही मलेरिया रोधी दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) के निर्यात पर रोक लगा रखी है.

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इसको लेकर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) नें भारत सरकार द्वारा लगाई गई रोक को हटाने की मांग की है. जिससे वह हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) की पर्याप्त मात्रा भारत से ले सकें. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) नें अपने बयान के दौरान यह भी कहा की भारत ने प्रतिबंध नहीं हटाया तो वह इसका जवाब देंगे. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump Twitter) के दिए इस बयान के बाद  बॉलीवुड एक्टर्स नें अपना गुस्सा जाहिर किया है.

बौलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर डायरेक्टर ओनिर (Onir) ने अमेरिका के  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के इस बयान पर अपना गुस्सा दिखाते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा “तथाकथित दोस्ती के लिए यह बहुत ज्यादा है. ट्रंप अनुग्रह करने में असमर्थ है. वह धमकाते हैं और साथ ही अहंकारी हैं.” So much so to the so called “Friendship “ Trump is incapable of being gracious . He is a bully and arrogance and ignorance supports it. ओनिर (Onir Twitter) द्वारा जाहिर किये गए गुस्से को यूजर्स जायज ठहरा रहें हैं इस पर लोगों की कई तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रहीं हैं.

बौलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में एक सफल फ़िल्म निर्देशक, निर्माता, पटकथा लेखक और अभिनेता के रूप में पहचान बनानें वाले अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) नें भी डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. और अपने जबाब में ट्विट कर लिखा चाचू की यह हिम्मत कि वो ताऊ बनने की कोशिश करें !!!! पप्पा को ग़ुस्सा आया ना तो बस …..यूजर्स नें डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को लेकर अनुराग कश्यप के इस ट्विट पर खूब भड़ास निकाली हैं कई नें तो भद्दी भद्दी गलियाँ तक लिख डाली है.

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हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवा को लेकर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा दिए गए धमकी पर बॉलीवुड एक्टर विपिन शर्मा (Vipin Sharma) ने ट्वीट किया और लिखा “तो उन सभी पैसों का क्या हुआ जो हमने अपनी गरीब जनता को छुपाने और उनके स्वागत के लिए खर्च किये थे.” So what happened to all the money we spent on hiding our poor population and wasting millions to welcome him.

टीवी एक्ट्रेस कविता कौशिक (Kavita Kaushik) ने भी ट्रम्प के धमकी पर अपना गुस्सा ट्वीट करते हुए निकाला और लिखा  “मैं कह रही हूं, यह ब्रॉकली समोसा के कारण हुआ है. उन्हें निहारी और कोरमा देना चाहिए था, फिर देखते दोस्ती.” Its the broccoli samosas I’m telling you! Should’ve just given him Nihari n korma ,phir dekhte dosti…

इसके अलावा कविता नें एक और ट्विट किया और लिखा “हम बालक व्यस्त थे अपने अपनों को डराने में, कोई बाहर वाला घर के बड़े को ही धमका गया!” इस ट्विट पर कई यूजर्स नें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) पर भी जम कर अपना गुस्सा निकाला है.

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अभिनेत्री पूजा भट्ट (Pooja Bhatt)  हर गलत मुद्दे पर खुल कर बोलनें वालों में शुमार हैं. वह ऐसे मुद्दों पर बोलने और लिखनें से ज़रा भी नहीं हिचकतीं हैं. उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के धमकी भरे बयान के बाद अपना रिएक्शन देते हुए लिखा, “ताकत या ठगी? मझे लगता है कि एक ही सिक्के के दो पहलू. इसके अलावा अन्य देशों को भी किसी चीज के माध्यम से धमकाना ठीक नहीं है. अकेले एक महामारी को छोड़ दो…” Power & thuggery? Two sides of the same coin I guess. Besides,it’s not ok to bully other nations through anything,let alone a pandemic. The US &  @realDonaldTrump  obviously missed that memo at their last power breakfast.

ANI न्यूज़ एजेंसी का डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर ट्विट

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Lockdown के समय पूरी फिल्म इंडस्ट्री आई एक साथ, शौर्ट फिल्म बना कर किया Motivate

इस लौक डाउन में सब कुछ सिमट कर रह गया है सारे कारोबार बंद हैं. सरकारें लोगों से घर से बाहर न निकलनें की अपील कर रहीं हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी की भी बात माननें को तैयार नहीं हैं. ऐसे लोग अनायास ही घर से बाहर निकल आतें हैं और जब पुलिस या अधिकारी इनसे घर के अन्दर रहनें की गुहार करतें हैं तो  ये लोग इन लोगों से बहस पर उतर आते हैं. ऐसे में लॉक डाउन का पालन ना करनें वालों के साथ सुरक्षा कर्मियों द्वारा कड़ाई से पेश आना मजबूरी बन जाती है.

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देश की फिल्म इंडस्ट्री भी लॉक डाउन के प्रभाव से अछूती नहीं हैं. बौलीवुड से लेकर साउथ तक भोजपुरी से लेकर पंजाबी तक और मराठी से लेकर रीजनल लैन्गेवेज बनने वाली सभी भाषाओं के फिल्मों की शूटिंग कैंसिल चल रहीं हैं. जिन फिल्मों के रिलीज की डेट तय थी उसकी रिलीजिंग डेट आगे बढ़ा दी गई है. फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े सभी सेलेब्रेटीज अपनें घरों से बाहर नहीं निकल रहें हैं. देश में कोरोना के केस में जिस तरह से इजाफा हो रहा है इसको लेकर सरकार के साथ-साथ फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग भी चिंतित हैं.

कोरोना के फैलाव को रोकनें के लिए सरकारों के अलावा सेलिब्रिटीज भी अपनें-अपनें तरीकों से जागरूकता फैला रहें हैं. इस कड़ी में वालीवुड और साऊथ के कलाकारों नें कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से अपने घरों में रहते हुए ही एक शार्ट मूवी बना डाली है इस शॉर्ट मूवी का नाम फैमिली है. इस शार्ट मूवी में सदी के महानायक अमिताब बच्चन से  लेकर साउथ रजनीकांत, प्रियंका चोपड़ा, चिरंजीवी, आलिया भट्ट और रणबीर कपूर जैसे एक साथ नजर आ रहें हैं. इस शार्ट मूवी को 6 अप्रैल की रात को 9 बजे सोनी टीवी ने रिलीज किया है जिस पर दर्शकों का जबरदस्त रिस्पांस देखनें को मिल रहा है.

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इन कलाकारों नें घर के भीतर से किया है काम

कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता फैलानें वाली फैमिली नाम से बनी इस शार्ट मूवी में जिन कलाकारों नें काम  किया है वह लोग इसे फिल्मानें नें के लिए अपनें घरों से बाहर नहीं आये. बल्कि इसे सभी कलाकारों नें अपने घरों के भीतर रहते हुए शूट किया है. फिल्म की शुरुआत अमिताभ बच्चन से होती है जिसमें उनका काला चश्मा नहीं मिल रहा है. इसके बाद उस काले चश्में की खोज शुरू होती है. उस चश्में तक पहुंचते पहुँचते इस शार्ट मूवी में अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, प्रियंका चोपड़ा, चिरंजीवी, आलिया भट्ट, मामूथी, दिलजीत दोसांझ, मोहनलाल, रणबीर कपूर, सोनाली कुलकर्णी. शिवा राजकुमार, और प्रोसेनजीत चटर्जी, जैसे सितारों दिखाई पड़ते है. इस फिल्म में कोरोना वायरस को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए अलग-अलग फिल्म इंडस्ट्री के ये सितारे साथ नजर आए.

इस शौर्ट फिल्म में खासियत ये है कि इसे सभी ने अपने घरों से शूट किया है.इस शार्ट मूवी में सभी कलाकारों नें ऐसे काम किया है की आपको इन्हें देखकर बिल्कुल नहीं लगेगा कि ये लोग साथ में नहीं हैं. फिल्म के अंत में जब अमिताभ बच्चन का काला चश्मा मिलता है तो अमिताभ बच्चन लोगों से घर से बाहर ना आने की अपील करते हुए दिखाई पड़े.

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फिल्म को बनाने का इनका रहा आईडिया

कोरोना जागरूकता को बनाये गए इस शार्ट मूवी के निर्माण के पीछे पीछे प्रसून पांडे का आइडिया रहा है. उनके साथ इस फिल्म में वालीवुड फिल्म इंडस्ट्री से लेकर माराठी, पंजाबी और साउथ के कलाकारों नें अमिताभ बच्चन का साथ दिया है. माना जा रहा है की यह फिल्म जागरूकता फैलाने के साथ ही लोगों का मनोरंजन भी करेगी.

फिल्म के अंत में अमिताभ नें दिहाड़ी मजदूरों के सहयोग के लिए कही बड़ी बात

फिल्म में होम क्वॉरेंटाइन और साफ़-सफाई से जुड़े सन्देश के साथ ही अमिताभ बच्चन नें दिहाड़ी मजदूरों के सहयोग के लिए बड़ी बात कही. उन्होंने फिल्म के अंत में कहा की “इस फिल्म को बनाने के पीछे का एक और मकसद है. हमारे देश का फिल्म उद्योग एक है हम सब एक परिवार हैं. लेकिन हमारे पीछे एक और बहुत बड़ा परिवार है जो हमारे लिए काम करता है और वह हमारे वर्कर्स और दिहाड़ी मजदूर जो इस लॉक डाउन के वजह से संकट में हैं.  हम सब नें मिल कर स्पांसर्स और टीवी चैनल के साथ मिल कर धनराशि इकट्ठा की है और इस संकट की घड़ी में यह जो धनराशि है देश भर के फिल्म उद्योग के वर्कर्स और दिहाड़ी मजदूरों को राहत के तौर पर देंगे.”

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Coronavirus: लोगों को इंस्पायर करने के लिए अक्षय कुमार ने बनाया ये VIDEO, मिला बॉलीवुड का साथ

कोरोना की महामारी के चलते दुनियां के लगभग हर देश के लोग सोशल डिस्टेसिन्ग के लिए मजबूर हो गये हैं. भारत में कोरोना के चलते पूरा देश सन्नाटे में है. देश का हर तबका आशंकाओं और निराशा से जूझ रहा है. देश के दिहाड़ी मजदूरों के सामनें खाने का संकट मुहं बाए खडा है. देश को इस स्थिति से ऊबारने के लिए लगाए गए लॉक डाउन से कई लोग घरों से बाहर न निकलने के चलते मानसिक रूप से परेशानियों से जूझ रहें हैं.

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कोरोना संकट से जूझ रहे देशवासियों में आशा की किरण जगाने के लिए बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार नें बॉलीवुड एक्टर्स के साथ ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ नाम से एक वीडियो सांग रिलीज किया है. उनके इस वीडियो सांग के जरिये इस महामारी के बीच एकता और एकजुटता को दिखाने की कोशिश की गई है. इस वीडियो सांग (VIDEO SONG) को ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ (Muskurayega India ) नाम से जैकी भगनानी की जस्ट म्यूजिक ( JJUST MUSIC) के यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है. इस वीडयो के कैप्सन में लिखा है “यह वीडियो सभी के चेहरों पर मुस्कान लाने और एकजुटता की भावना को बनाए रखनें के लिए किया गया”.

इस वीडियो सांग में मौजदा दौर के सभी स्टार्स पड़ रहे दिखाई

‘मुस्कुराएगा इंडिया’ वीडियो सांग ( (VIDEO SONG) को बहुत ही भावुक तरीके से फिल्माया गया है. जिसमें मौजूदा दौर के सभी एक्टर्स दिखाई पड़ रहें हैं. इसमें अक्षय कुमार, जैकी भगनानी, कार्तिक आर्यन, टाइगर श्रॉफ, आयुष्मान खुराना, कृति सनोन, भूमि पेडनेकर, राज कुमार राव, विक्की कौशल, कियारा आडवाणी, तापसी पन्नू, सिद्धार्थ मल्होत्रा, रकुल प्रीत सिंह, अनन्या पांडे, आरजे मलिष्का और शिखर धवन का खुबसूरत समन्वय दिखाई पड़ रहा है.

सभी स्टार्स नें अपनें घरों से किया है शूट

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‘मुस्कुराएगा इंडिया’ नाम के वीडियो सांग ( (VIDEO SONG) में जितने भी स्टार्स दिख रहें हैं उन सभी नें लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए अपने-अपने हिस्से के वीडियो की शूटिंग खुद अपने घरों में की बालकनी, छत, आंगन में आकर की है. आयुष्मान खुराना नें अपने फोन को सेल्फीस्टिक पर लगाकर अपने हिस्से का वीडियो शूट किया है.

गाने में इनकी रही है भूमिका

कोरोना के चलते निराशा में आशा की किरण जगाते इस गानें को अपने स्वर से सजाया है विशाल मिश्रा नें और संगीत भी  विशाल मिश्रा का ही है. इस गीत को लिखा है कौशल किशोर नें गिटार और बास पर भी विशाल मिश्रा विशाल ने धुन सजाई है. इसके निर्माण और व्यवस्था की जिम्मेदारी विशाल मिश्रा मिक्स द्वारा निभाई गई है. संगीत सहायक की भूमिका शुभम श्रीवास्तव, कुमार गौरव सिंह द्वारा निभाई गई है.

गाने के रिलीजिंग के मौके पर अक्षय कुमार नें कही यह बड़ी बात

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इस गाने को लॉन्च करते हुए अक्षय कुमार ने ट्विट कर कहा “यह एक ऐसा समय है जब हमारे दिन अनिश्चिताओं से भरे हुए हैं, हमारी जिंदगी थम सी गई है. ऐसे में उम्मीदों का ये गाना रिलीज किया जा रहा है.” (At a time like this when our days are clouded with uncertainty and life has come to a standstill, bringing you a song of hope. #MuskurayegaIndia song out at 6 PM today.). उन्होंने यह भी कहा की “हम सभी को एकजुट होने की जरूरत है. और फ़िर #MuskurayegaIndia! भारत” All we need is a united stand. Aur phir #MuskurayegaIndia! Flag of India Do share with your family and friendsHeart suit.

भावुक करने वाले सीन्स को किया गया है शामिल

3 मिनट 25 सेकेण्ड के वीडियो सांग ( (VIDEO SONG) की शुरुआत पीएम मोदी के कोरोना से लड़ाई जीतने वाले वीडियो मैसेज के साथ की गई. इस गाने में कोरोना से जंग लड़ रहे देश के डाक्टर्स, पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों को भी दिखाया गया है, जो अपने जिन्दगी परवाह न करते हुए लोगों के लिए दिन रात सेवा में लगे हैं. इनमें कोरोना से जूझ रहे मरीजों, गरीब बच्चों मुस्कराते हुए ग्रामीणों, के साथ ही गाँव के सीन्स भी शामिल किये गए हैं. इस वीडियो सॉंग में लोगों को जीत की ख़ुशी के साथ हँसते गाते भी दिखाया गया है गाने का अंत जनगण मन के धुन से किया गया है जो भावुक कर देता हैं.
इस गाने की सफलता के लिए जो बड़ी बात है वह यह है की इसे प्रधानमन्त्री नें भी ट्विट किया है और लिखा है “फिर मुस्कुराएगा इंडिया… फिर जीत जाएगा इंडिया…” India will fight. India will win! Good initiative by our film fraternity. इसके अलावा कई बड़े चेहरों नें इस गाने को ट्विट किया है और शेयर भी किया है.

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डोनाल्ड ट्रंप की नरेन्द्र मोदी को धमक! : पंचतंत्र की कथा

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति का इसी वर्ष फरवरी में जब भारत में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के दरमियान ऐतिहासिक स्वागत हुआ था तब ऐसा प्रतीत हुआ था मानो भारत और अमेरिका जनम जनम के दोस्त हैं अभिन्न मित्र हैं मगर किसे पता था कि प्रख्यात विष्णु शर्मा  के “पंचतंत्र” के पात्रों की भांति अमेरिका और भारत को भी परीक्षा की घड़ी से गुजरना होगा. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आगाज हुआ था और चंद दिनों बाद ही जब  कोरोना का हमला हुआ है ऐसे में  इस मित्रता और दोस्ती की हकीकत दुनिया भी सच्चाई के सामने जगजाहिर हो गई. अमेरिका कोरोना कोविड 19 महामारी कि भयावह  स्थितियों से गुजर रहा है ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी से बात की और मदद मांगी.

है ना पंचतंत्र की कहानी जैसा कुछ…. जब जंगल का राजा शेर अपने  जंगल के किसी खरगोश, सियार से मदद मांगे और पंचतंत्र में क्या होता है आप याद करें. शायद आप  तो पंचतंत्र की वह एक कहानी भूल गए हैं .खैर….वह फिर  आगे! अभी तथ्यों से दो चार  हों.

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दोस्त दोस्त ना रहा!

और देखिए विधि का प्रारब्ध! एक बार फिर दोस्त दोस्त ना रहा की सच्चाई सामने आती चली गई.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी से  फोन पर निवेदन किया  और कोरोना  को काबू लाने वाली  हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन  की मांग कर डाली.  अब जैसा कि होना था नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति की इस गंभीर बात को कान नहीं दिया. अंततः डोनाल्ड ट्रंप को, जैसा कि अक्सर गुस्सा आता है, गुस्सा आ ही गया,  और अपने दोस्त मोदी को धमकी दी दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धमक भरे भाव में कहा – अगर भारत कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा का निर्यात नहीं करता है तो उसे अमेरिका का रोष झेलना पड़ेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान उस वक्त सामने आया  जब इस घातक वायरस से यूएस में त्राहिमाम मचा हुआ है. कई लाख  लोग कोरोना से  संक्रमित हैं, वहीं नित्य  हजारों लोगों की मौत हो रही  है.  कोरोना  वैक्सीन बनाने  दुनियाभर के वैज्ञानिक रात दिन  एक किये  हुए हैं लेकिन आज तलक किंचित  सफलतानहीं मिल सकी  पाई है.

भाई चारा भूलना !

निसंदेह भारत विश्व का  गुरु रहा है, हमारे वेद,पुराण धार्मिक ग्रंथ सदैव लोगों की मदद की प्रेरणा देते रहें हैं . अगर कोई दुश्मन भी मदद मांगता है तो आड़े वक्त में मदद की जाती है. ऐसे में अमेरिका तो अब भारत का परम मित्र ही बन चुका है. घटनाक्रम कुछ यूं था कि

ट्रम्प ने  विगत शनिवार 4 अप्रेल को कहा था- मैंने मोदी से फोन पर बात की, उनसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा की खेप देने को कहा है.

मगर 48 घंटे बीतने के बाद भी भारत मौन था. निसंदेह ऐसे संकट के समय में भारत की सरकार को यह निर्णय लेने में दिक्कत आ रही थी कि आखिर अमेरिका को मदद की जाए या नहीं. इधर यह भी सच्चाई है कि अमेरिका में कोरोना विषाणु को लेकर खतरा बढ़ता जा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मलेरिया निरोधक  हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की खेप भेजने की गुहार लगाई थी, लेकिन अब कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने धमकी  दे दी.

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर लगा बैन नहीं हटाता अमेरिका को  उसका निर्यात नहीं करता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने तल्खी भरे स्वर में कहा कि  कोई कारण नहीं दिखता कि भारत ने अमेरिका के दवा के ऑर्डर को रोककर पर क्यों रखा है?

संबंधों की तल्खी का नुकसान

यह सच है कि कोरोना महामारी आज अपने उफान पर है मगर  यह समय भी निकल जाएगा. भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि इस महामारी के समय में हमें दुनिया से मदद लेनी भी है और मदद देनी भी है. और जब यह सच सामने आ चुका है

की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन  कोरोना से लड़ने में कारगर है और वह हमारे पास उपलब्ध है तो उसे उपलब्ध नहीं कराना कितनी अनुचित बात हो सकती है. व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा था -‘‘मैंने अभी मोदी के फैसले के बारे में नहीं सुना, मैं जानता हूं कि उन्होंने दूसरे देशों में दवा के निर्यात को रोक रखा है. मेरी हाल ही में उनसे अच्छी बात हुई थी.भारत  अमेरिका के रिश्ते काफी बेहतर हैं. अब यह देखना होगा कि वे हमें दवा भेजने की अनुमति देते हैं या नहीं।’’

इधर ट्रम्प से बातचीत के बाद नरेन्द्र  मोदी ने कहा था कि अमेरिका के दवा भेजने के ऑर्डर पर विचार करेंगे.यह दुनिया जानती है कि कोरोना कोविड 19 महामारी कहर बनकर अमेरिका पर टूट पड़ी है दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका जिसके पास जाने कितना पैसा और सामरिक अस्त्र शस्त्र हैं आज लाचार हो चुका है.

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इटली और स्पेन के बाद अमेरिका में मौतों का आंकड़ा सबसे अधिक है . ऐसे में अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप  का नाराज होना दुनिया ने देखा और अंततः पंचतंत्र की प्राचीन कहानी की भांति वही हुआ जो होना था.डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी के बाद भारत सरकार ने अमेरिका को मानवता के नाते उक्त दवाहाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन को निर्यात करने का आंशिक रूप से फैसला किया है, जो निसंदेह मानवीय दृष्टिकोण से जायज है.

#coronavirus: मां बेटियां कर रहीं मुफ्त मास्क निर्माण

लेखक- राजेश चौरसिया

      • बुंदेलखंड में मातृशक्ति का राष्ट्र को समर्पित कार्य..
      • छतरपुर घर बैठकर मुफ्त में बना रहीं बेटियां मास्क..
      • राष्ट्रहित में धन की जगह श्रमदान कर रहीं महिलायें..
      • माँ बेटियां मिलकर बनातीं हैं रोजाना 1000+ मास्क..

विश्व आपदा, कोरोना महामारी, और लॉग डाउन के चलते देशभर में सम्पन्न लोग जरूरतमंदों को उनकी जरूरतों और अपनी हैसियत के मुताबिक मदद कर रहे हैं जो कि ज़मीनी स्तर पर कारगर साबित हो रही है. जिसके अलग-अलग जगहों से पृथक पृथक परिणाम निकलकर सामने आये हैं. ऐसे ही कई मामले बुंदेलखंड से भी निकलकर आये और देखने को मिले हैं.

मामला मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले का है जहां अर्थ/पैसे से सक्षम न हो पाने के बाबजूद भी लोग राष्ट्रहित में अपना हुनर और श्रम समर्पित कर सहयोग कर रहे हैं. जहां रुपयों पैसों से सहयोग न कर पाने के बदले राष्ट्र और जन हित में अपना हुनर रूपी श्रम की पूंजी न्योछावर कर रहे हैं.

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डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक इस कोरोना वायरस से बचाव ही इसका सबसे बड़ा उपाय और है. जिसके चलते अचानक सैनिटाइज, ग्लब्स, और मास्क की मांग में हजारों गुना उछाल आया है. जिसके चलते इनका सहजता से मिला पाना संभव नहीं हो पा रहा. मास्कों की अचानक बेतहाशा मांग के चलते हा-हा-कार सा मचा हुआ है जिससे इनका मिलना मुश्किल से हो पा रहा है. दूसरी ओर गरीब मजबूर जरूरतमंद लोग इन्हें ख़रीदपाने में भी सक्षम नहीं हैं. जिसके चलते सक्षम और जनसेवी लोगों ने इन्हें लोगों को मुफ्त बांटने का बीड़ा उठाया है.

छतरपुर शहर निवासी मातृशक्ति (रचना नामदेव) और बहनें मानसी, साक्षी, दिव्या मिलकर इस विश्व आपदा और राष्ट्रहित/जनहित के कार्य को अंजाम दे रहीं हैं. छतरपुर शहर के हटवारा मोहल्ला स्थित नामदेव परिवार अपने घर पर माँ अपनी तीन बेटियों के साथ मिलकर मास्क निर्माण के काम में जुटीं हुईं हैं. इनकी मानें तो यह रोजाना 1000 से ऊपर तक मास्क बनाकर तैयार करतीं हैं. और माश्क बनाने का यह काम वे बिल्कुल मुफ्त कर रहीं हैं. यह परिवार अब तक 10,000 (दस हज़ार) से ज़्यादा तक मास्क बना चुका है.

रचना नामदेव की मानें तो वह एक स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई है जिसके तहत वह सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कर अपना और आने परिवार का जीविकोपार्जन करती हैं. उनके साथ उनकी बेटियाँ (मानशी, अंचल, रानू) भी स्कूल और पढ़ाई से फ्री होकर पार्ट टाइम (फ्री-टाईम) में उनका हाथ बाँटवातीं हैं. इस वक्त वैसे भी स्कूल कॉलेज सब बंद हैं तो वह 100 % फ्री ही हैं जो इस समय उनके काम में हाथ बंटा रहीं हैं.

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रचना की मानें तो उनके पास नगर की प्रथम महिला अर्चना गुड्डू सिंह का मास्क बनाने के काम को लेकर ऑफर आया (कि उन्हें मास्क निर्माण कर लोगों में मुफ्त बांटने हैं) जिसको उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया. परंतु साथ ही एक शर्त भी रक्खी कि उनके जनहित के इस कार्य में वह उनके साथ हैं वह रूपये पैसों से तो सक्षम नहीं हैं पर वह अपना हुनर और श्रम देकर राष्ट्र और जनहित के कार्य में शामिल हैं. अर्थात वह उनसे माश्क बनाने के एवज में एक पैसा भी नहीं लेंगीं. मास्क बनाने की सामग्री, कपड़ा, धागा, डोरी, ईलास्टिक के अलावा वह कुछ भी न लेंगीं.

रचना बतातीं हैं कि विश्व आपदा और इस महामारी पर लोग अपनी सक्षमता के हिसाब से सहयोग कर रहे हैं. हम धनबल से तो लोगों की मदद तो नहीं कर सकते क्यों कि वह हमारे पास है ही नहीं तो हम अपने हुनर और मेहनत के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से देश और जनसेवा में मदद कर रहे हैं.

बोलीं अर्चना गुड्डू सिंह..

वहीं जब हमने अर्चना गुड्डू सिंह से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि हम इस आपदा में जरूरतमंद लोगों को राजनीति से इतर राशन, पानी से लेकर उनकी हर जरूरत का सामान मुहैया करा रहे हैं इसके साथ हम संक्रमण रोकने में बेहद जरूरी मास्क सेनिटाईज, ग्लब्ज़ बांट रहे हैं. जिसके लिए हम कई स्व सहायता समूह के जरिये इनका निर्माण करवा रहे हैं. इनसे रोजाना निर्मित होने वाले मास्कों को हम वार्ड-वार्ड भ्रमण कर बांटने का काम कर रहे हैं जो पिछले कई दिनों से अनवरत जारी है जो कोरोना और लॉग डाउन समाप्ति तक जारी रहेगा.

मामला चाहे जो भी हो पर विश्व आपदा पर राष्ट्रप्रेम देशभक्ति जनसेवा की इस तरह की मिशाल अब तक कहीं से सामने नहीं आई कि जहां एक ओर खुद जरूरतमंद परिवार मदद के लिये आगे आ रहा है. भले ही वह पैसों से सक्षम अमीर न हों पर दिल से अमीर हैं तभी तो अपना हुनर और श्रम राष्ट्रहित में जनसेवा कर समर्पित कर रहे हैं.

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अर्थात हम ऐसीं मातृ शक्ति माँ-बेटियों को तहेदिल से सलाम करते हैं.. जय हिंद.. जय भारत..”

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