लेखक- एस. ए. ज़ैदी

जंग अभी जारी है. दुश्मन हावी है. अंतिम जीत दूर कहीं है. सभी सकते में हैं. चौतरफा नुकसान बढ़ता जा रहा है. विश्वभर के वैज्ञानिक सोल्यूशन की खोज में जुटे हैं.

मानव जाति पर न दिखने वाले शत्रु का कहर टूट पड़ा है. इस का असर उम्रदराज लोगों पर ज्यादा हो रहा है. जो बुजुर्ग इस की चपेट में आए, उन में से ज्यादातर जान गंवां बैठे.

इसी बीच, जीवनयात्रा के 100 से ज्यादा सावन देख चुके कुछ ऐसे बुजुर्गों को भी कोरोना ने शिकार बनाया जिन्होंने आखिरकार उस को मात दे ही दी.  ये कुछ बुजुर्ग इटली के रहवासी हैं.

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हालिया दिनों इन इतालवी बुज़ुर्गों की कहानी बड़े शौक़ से पढ़ी और सुनी जा रही है जो 100 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद कोरोना को मात देने में सफल रहे जबकि इटली में इस वायरस ने भारी तबाही मचाई है.

ये बुज़ुर्ग इटली के अलगअलग शहरों में रहते हैं. इनमें एक बात समान है कि इनकी याददाश्त मज़बूत है और बहुत मामूली सुविधाओं के साथ भी बहुत ख़ुश रहते हैं. कुछ को अख़बार पढ़ने का शौक़ है, कुछ को टहलने का शौक़ है और कुछ को खेल प्रतियोगिताएं देखने में मज़ा आता है.

इन बुजुर्गों में एक हैं अलबर्टो पिलोशी. ये 101 साल के हैं. इन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया और जर्मन सैनिकों के हाथों दो बार क़ैदी बने, मगर वहां से भाग निकलने में सफल रहे. ये भी कोरोना से संक्रमित हो गए और रीमीनी शहर के अस्पताल में दो हफ़्ता रहे, मगर कोरोना को भी हराकर अस्पताल से बाहर आ गए.

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