एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला इन दिनों ऋषभ पंत के साथ झगड़े को लेकर चर्चा में बनी हुईं हैं, हाल ही में उर्वशी ने ऋषभ के साथ सोशल मीडिया पर मांफी मांगी हैं, जिसे लेकर फैंस कई सारे सवाल पूछ रहे हैं.
पहले वह ऋषभ पंत के साथ अफेयर को लेकर चर्चा में बनी हुईं थी, लेकिन अब दोनों के बीच जंग छीड़ चुका है. सोशल मीडिया पर उर्वशी और ऋषभ एक दूसरे पर कमेंट करते नजर आ रहे हैं.
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हाल ही में उर्वशी का वीडियो सोशल मीडिया पर आय़ा है जिसमें वह ऋषभ पंत से हाथ जोड़कर मांफी मांग रही हैं. एक वीडियो में जब उर्वशी से ऋषभ पंत को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो भी अफवाह फैलाई जा रही है उसके लिए ऋषभ से हाथ जोड़कर मांफी माग रही है.
बता दें कि कुछ दिनों पहले ऋषभ पंत ने उर्वशी को अपनी बहन बताते हुए कहा थी प्लीज मेरा पीछा छोड़ दों, आगे ये भी कहा था कि रक्षाबंधन आपको मुबारक हो . कृप्या मुझे बदनाम करने की कोशिश न करें, मैं परेशान हो गया हूं.
बता दें कि इन दोनों के बीच बवाल तब शुरू हुआ जब उर्वशी ने एक इंटरव्यू में ये कहा था कि आरपी नाम के क्रिकेटर ने उनसे मिलने के लिए घंटों इंतजार किया था. खैर अब यह विवाद बहुत बढ़ गया है.
बॉलीवुड के पॉवर कपल रणबीर कपूर और आलिया भट्ट इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं. दोनों अपनी फिल्म ब्रह्मशास्त्र को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. ये फिल्म तबातोड़ बॉक्स ऑफिस पर कमाई कर रही है.
नॉर्थ बेल्ट से लेकर साउथ बेल्ट के लोग इस फिल्म को खूब पसंद कर रहे हैं. इसके साथ ही रणबीर कपूर और आलिया भट्ट अपनी प्रेग्नेंसी को भ खूब एंजॉय कर रहे हैं. बता दें कि आलिया भट्ट ने जून के महीने में इस बात का खुलासा किया था कि वह मां बनने वाली हैं.
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इसके साथ ही आलिया भट्ट से जुड़ी के खास खबर सामने आ रही है कि आलिया भट्ट की सास और उनकी मां उनके लिए खास प्लान कर रही हैं. आलिया भट्ट के लिए उनकी मां और सास बेबी शॉवर प्लान कर रही हैं. जिसकी तैयारी जोरशोर से चल रही है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक आलिया और रणबीर बेबीमून के लिए इटली गए हुए थे, हालांकि इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर अभी तक नहीं आई है.
आलिया भट्ट की बेबी शॉवर मुंबई में होगी, जिसमें सिर्फ लड़कियां शामिल होंगी, रिपोर्ट के मुताबिक करीना कपूर, करिश्मा कपूर के अलावा और भी कपूर खनदान कि बेटियां और बहू शामिल होंगी. जिसका इंतजार फैंस को है.
फैंस भी आलिया के बेबी शॉवर की तस्वीर देखने के लिए बेताब हैं. आलिया के अलावा उनकी सारी फैमली भी उनके आने वाले बच्चे को लेकर काफी ज्यादा एक्साइटेड हैं.
रस्सी से झूलती मिली परिधि सभी की आंखों में खौफ उतर आया. जितेंद्र जैन ने कांपते हुए कई चाबियोंं से गौरव के कमरे का ताला खोलने की कोशिश की. लेकिन ताला नहीं खुला. आखिर ताला तोड़ना पड़ा.
अंदर पहुंचे तो भयावह दृश्य देख कर सभी सन्न रह गए. परिधि का गला कई सारी रस्सियों से कसा हुआ था और उस की जीभ बाहर निकली हुई थी. रस्सियों से बंधे हुए हाथपैरों के साथ परिधि खिड़की से लटकी हुई थी. लगता था वारदात को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई थी.
बेटी की दुर्दशा देख कर अजय वहीं लड़खड़ा गए. इस से पहले कि वो पत्नी संजना को संभालते, वो वहीं गश खा कर गिर पड़ी.घटना इतनी भयावह और दहलाने वाली थी कि पलभर में आग की तरह पूरे शहर में फैल गई. इत्तला मिलने पर कोतवाली पुलिस को घटनास्थल पर पहुंचने के लिए उमड़ती भीड़ के बीच रास्ता बनाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी.
पुलिस पहुंचने से पहले रोतेबिलखते घर वाले बच्ची को अस्पताल ले जा चुके थे, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.डाक्टर भी एक बार तो फटीफटी आंखों से परिधि की हालत को देखते रह गए. उन के मुंह से निकले बिना नहीं रहा, ‘ऐसी दरिंदगी तो कोई वहशी नरपिशाच ही कर सकता है.’
लड़की की मौत की खबर ने भड़की हुई भीड़ के गुस्से की आग में घी का काम किया. पुलिस तितरफा चक्रव्यूह में घिरी हुई थी.
एक तरफ पुलिस अधिकारियों को घटनास्थल का मुआयना कर तफ्तीश में जुटना था, दूसरी तरफ थाने का घेराव और प्रदर्शन पर उतारू लोगों की समझाइश करनी थी, तीसरी तरफ आरोपी को पकड़ने के लिए दबिश देने की काररवाई करनी थी. लेकिन समाज बंधुओं, व्यापारिक संगठनों तथा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के उग्र प्रदर्शन ने पुलिस के हाथपांव फुला दिए.
कोतवाली से अजय जैन के मकान का फासला 15 मिनट से ज्यादा का नहीं है. प्रदर्शनकारियों की उमड़ती भीड़ से पहले ही थानाप्रभारी हंसराज मीणा, सीओ अमर सिंह राठौड़, एडिशनल एसपी राजेश मील और प्रवीण जैन ने मौके पर पहुंच कर साक्ष्य जुटाए. तब तक एफएसएल टीम भी अपने काम में जुटी रही.
बेटी के शव के पास रोतेबिलखते अजय जैन और संजना से पूछताछ करना पुलिस के लिए आसान नहीं था. उन के रुंधे गले से एक ही बात निकल रही थी, ‘‘जिस पर विश्वास किया उसी ने विश्वास की हत्या कर दी.’’
फिर भी पुलिस जितना कुछ जान सकी, उस का लब्बोलुआब यह था कि रोजाना गौरव के पास परिधि की 3 और सहेलियां भी ट्यूशन पढ़ने जाती थीं, उस दिन केवल परिधि को ही बुलाया गया था. घर के लोग शादी में गए हुए थे, गौरव अकेला ही घर पर था.अजय जैन का कहना था कि गौरव को पता होगा कि परिवार को शादी में जाना था. परिवार के लोग शादी में गए हुए थे, इस का उस ने फायदा उठाया और एक्स्ट्रा क्लास का बहाना कर परिधि को अकेले ही बुला लिया.
पुलिस तफ्तीश में वहां मौजूद समाज के लोग और घर वाले इस बात पर अड़े थे कि जब तक आरोपी पकड़ा नहीं जाएगा, न तो शव का पोस्टमार्टम होने दिया जाएगा और न ही अंतिम संस्कार किया जाएगा.
बाद में एसपी केसर सिंह शेखावत ने मौके पर पहुंच कर लोगों को समझाया, तब कहीं जा कर परिधि के शव का पोस्टमार्टम हो सका. पोस्टमार्टम मैडिकल बोर्ड द्वारा कराए जाने के बाद उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
अंतिम संस्कार के समय अजय दंपत्ति का विलाप सभी को बेहाल कर रहा था. 9 जनवरी को जिस बेटी का जन्मदिन मनाया, उन्हीं हाथों से 13 फरवरी को उस का अंतिम संस्कार कर रहे थे.
को कोटा बंद का आह्वान किया. उसी बीच इस हत्याकांड के विरोध में शहर के विभिन्न स्कूलों और सापरिधि की हत्या के विरोध में समाजबंधु, व्यापारिक संगठनों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों का कोतवाली के सामने धरना बरकरार था. उन्होंने सोमवार माजिक संगठनों ने कैंडल मार्च भी निकाला.
सवाल
मैं 16 वर्षीय युवती हूं. मेरी 3 समस्याएं हैं- पहली समस्या यह है कि मेरे नीचे का होंठ बहुत मोटा है, जिस की वजह से मैं अच्छी नहीं दिखती. कोई तरीका बताएं जिस से मैं मोटे होंठ को पतला दिखा सकूं.
मेरी दूसरी समस्या मेरे ब्रैस्ट को ले कर है. मेरी ब्रैस्ट बहुत छोटी है, जिस की वजह से मैं कुछ भी पहनूं ग्रेस नहीं आता.
तीसरी समस्या मेरी वैजाइना के ढीलेपन को ले कर है. मेरे 3 सालों से एक लड़के से शारीरिक संबंध हैं, जिस की वजह से यह समस्या हो गई है. कृपया मेरी इन समस्याओं के समाधान बताएं?
जवाब
मोटे होंठ को पतला दिखाने के लिए नैचुरल लिपलाइन को छिपाएं. इस के लिए फाउंडेशन का इस्तेमाल पूरे होंठ पर करें. फिर मनचाही आउटलाइन खीचें और लाइट शेड की लिपस्टिक से फिलिंग करें. आप की दूसरी समस्या जैनेटिकली है. फिर भी आप अपना खानपान पौष्टिक व संतुलित रखें. चाहें तो पैडेड ब्रा पहनें. इस से आप की ब्रैस्ट का साइज बड़ा दिखेगा. वैसे भी अभी आप की उम्र मात्र 16 साल है. बढ़ती उम्र के साथ और विवाह व गर्भावस्था के बाद भी ब्रैस्ट के आकार में अंतर आता है.
अपनी तीसरी समस्या के लिए आप खुद जिम्मेदार हैं. आप अभी मात्र 16 साल की हैं और पिछले 3 वर्ष से आप के एक लड़के के साथ शारीरिक संबंध हैं. यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बिलकुल गलत है. फिर भी आप वैजाइना के ढीलेपन को दूर करने के लिए पैल्विक फ्लोर ऐक्सरसाइज करें. इस से वैजाइना का ढीलापन दूर होगा. इस के अतिरिक्त बाजार में वी टाइट जैल उपलब्ध है. महिला डाक्टर की सलाह से आप उस का भी प्रयोग कर सकती हैं.
सोमल ने कहा, ‘‘तारु, क्या हमारा भी बच्चा हो सकता है?’’
‘‘पता नहीं… मगर बच्चा तो मां के गर्भ में ही पलता है न… फिर कैसे होगा?’’ तारेश ने कहा.
‘‘विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, कोई तो रास्ता होगा… क्या हम सैरोगेसी तकनीक का सहारा नहीं ले सकते?’’
‘‘हो सकता है यह संभव हो, मगर इस में कई कानूनी अड़चनें भी आ सकती हैं. क्या कानून हम जैसे लोगों को सैरोगेसी की इजाजत देता है और सब से बड़ी बात यह कि हम सैरोगेट मां कहां से लाएंगे? हमारे तो सब रिश्तेदार भी हम से किनारा कर चुके हैं. खैर अभी तुम ये सब बातें छोड़ो… किसी दिन किसी विशेषज्ञ से मिलते हैं,’’ कह कर तारेश ने एक बार तो चर्चा को विराम दे दिया, मगर बात उस के दिमाग से निकली नहीं. उस ने ठान लिया कि अगर संभव हुआ तो वह सोमल की इस इच्छा को जरूर पूरा करेगा.
एक दिन तारेश किसी काम से एक नामी हौस्पिटल गया. वहां आईवीएफ सैंटर देख कर उस के पांव ठिठक गए. उसे सोमल का सपना याद आ गया. उस ने वहां की हैड डा. सरोज से अपौइंटमैंट लिया और सोमल के साथ उन से मिलने पहुंच गया.
डा. सरोज ने उन की पूरी बात ध्यान से सुनी और बताया कि सोमल का सपना आईवीएफ और सैरोगेसी तकनीक के माध्यम से पूरा हो सकता है.
दोनों के चेहरे पर आई उम्मीद की रोशनी को परखते हुए वे आगे बोलीं, ‘‘देखिए, सरकार ने हाल ही में सैरोगेसी बिल पास किया है जिस के अनुसार सिंगल पेरैंट और समलैंगिक जोड़ों को इस की इजाजत नहीं होगी. हालांकि अभी यह कानून नहीं बना है, लेकिन निकट भविष्य में यह परेशानी आ सकती है. वैसे आप ने सुना होगा कि पिछले दिनों ही फिल्म अभिनेता तुषार कपूर इसी तकनीक के माध्यम से पहले सिंगल पिता बने हैं. हमारे पास और भी कई सिंगल महिलाओं और पुरुषों ने मातापिता बनने के लिए रजिस्ट्रेशन करा रखा है. आप भी करवा सकते हैं.’’
‘‘किराए की कोख का इंतजाम कैसे होगा?’’
‘‘इस के लिए आप को अपनी किसी नजदीकी रिश्तेदार की मदद लेनी होगी.’’
‘‘मगर हमारे रिश्तेदारों ने हमारा सामाजिक बहिष्कार कर रखा है.’’
‘‘अब इतनी मेहनत तो आप लोगों को करनी ही होगी,’’ कह कर डा. ने अगले विजिटर को बुलवा लिया.
सोमल को लीना भाभी याद आ गईं. उस ने उन्हें फोन लगाया, ‘‘हाय भाभी, कैसी हैं आप?’’
‘‘सोमल बाबू को आज हमारी याद कैसे आ गई?’’ लीना ने अपनेपन से पूछा तो सोमल मुद्दे पर आ गया और कहा, ‘‘मुझे इस काम के लिए तुम्हारी मदद की जरूरत है.’’
‘‘माफ करना सोमल, मगर इस मसले पर मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती. तुम्हारे भैया इस के लिए कभी राजी नहीं होंगे और मेरे लिए अपना परिवार बहुत महत्त्वपूर्ण है.’’
लीना के टके से जवाब से सोमल की एकमात्र उम्मीद भी खत्म हो गई.
अब जो आखिरी उम्मीद उन्हें नजर आ रही थी वह था इंटरनैट. कहते हैं यहां खोजो तो सब मिल जाता है. दोनों साथी जोरशोर से इंटरनैट खंगालने लगे. इसी कवायद में उन्हें एक समाचारपत्र रिपोर्टर की कवर स्टोरी पढ़ने को मिली, जिस में उस ने लिखा था कि गुजरात में स्थित आणंद एक ऐसी जगह है जहां सैरोगेट मदर आसानी से उपलब्ध हैं और यही नहीं यहां अब तक सैरोगेसी से लगभग 1,100 बच्चों का जन्म हो चुका है. पढ़ते ही दोनों खिल उठे. फिर क्या था पहुंच गए दोनों आणंद, जहां उन के सपने पर सचाई की मुहर लगने वाली थी. यहां एक टैस्ट ट्यूब बेबी क्लिनिक के बाहर उन का संपर्क एक दलाल से हुआ जोकि सैरोगेसी के लिए किराए की कोख का इंतजाम करता था. उन की स्थिति और बच्चा पाने की प्रबल इच्छा को देखते हुए दलाल ने उन की मजबूरी का पूरापूरा फायदा उठाया और कानूनी अड़चनों का हवाला देते हुए मुंहमांगी कीमत में उन के लिए एक औरत को कोख किराए पर देने के लिए तैयार कर लिया. 2 ही दिन में सभी आवश्यक औपचारिकताएं भी पूरी करवा दीं.
1 महीने बाद उन्हें वापस आना था ताकि आगे की कार्यवाही को अंजाम दिया जा सके. दोनों खुशीखुशी वापस मुंबई आ गए.
तभी अचानक एक दिन यह हादसा हुआ और तारेश की दुनिया में अंधेरा छा गया. दोनों साथी पिता बनने की खुशी सैलिब्रेट करने और मौसम की पहली बारिश में भीगने का मजा लेने खंडाला जा रहे थे. तभी हाईवे पर तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने अनियंत्रित हो कर उन की कार को टक्कर मार दी. दोनों को जख्मी हालत में हौस्पिटल ले जाया जा रहा था, मगर रास्ते में सोमल जिंदगी की जंग हार गया. सोमल की मौत पर भी उस के घर से कोई नहीं आया.
1 महीना बीतने पर दलाल का फोन आया तो तारेश ने उसे अपने साथ हुए हादसे के बारे में बताया और सोमल के संरक्षित शुक्राणुओं की मदद से पिता बनने की इच्छा जाहिर की. दलाल ने इस बाबत कुछ और रकम का इंतजाम करने के लिए कहा. तारेश ने अपनी सारी जमापूंजी इस प्रोजैक्ट पर खर्च कर दी.
सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद महिला के अंडाणु और सोमल के स्पर्म बैंक में सुरक्षित रखे शुक्राणुओं को प्रयोगशाला में निषेचित करवा कर भ्रूण को सैरोगेट मदर के गर्भ में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया और निश्चित समय पर उस बच्ची का जन्म हुआ जिस का जैनेटिक पिता सोमल था.
तारेश जानता था कि इस बच्ची को अकेले पालना आसान काम नहीं है. मगर सोमल का सपना पूरा करना ही अब उस का एकमात्र सपना था और इस के लिए वह किसी नहीं भी हालात का सामना करने के लिए मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार था.
कौंट्रैक्ट के अनुसार 1 महीने तक बच्ची को सैरोगेट मां ने अपना दूध पिलाया और फिर बच्ची को तारेश के अनाड़ी हाथों में सौंप कर चली गई.
1 महीने की कोमल काया को ले कर तारेश सोमल के घर गया. जब उस ने सोमल के मम्मीपापा को बताया कि यह बच्ची सोमल की है तो राखी उसे गोद में लेने आगे बढ़ी. मगर मम्मीपापा के विरोध के कारण उस के बढ़ते कदम रुक गए.
तारेश ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं आप लोग मुझ से नफरत करते हैं, मगर इस बच्ची में तो आप का अपना अंश है… हालांकि मैं अकेला ही इसे बेहतर परवरिश दे सकता हूं, मगर आज अगर सोमल जिंदा होता तो वह भी यही चाहता कि उस की बच्ची को उस के दादादादी का आशीर्वाद और बूआ का स्नेह मिले…’’ कह कर तारेश कुछ देर खड़ा रहा. मगर सामने से कोई पौजिटिव जवाब न पा कर वह बच्ची को गोद में लिए बाहर की ओर पलट गया.
अभी दरवाजे से बाहर नहीं निकला था कि सोमल की मां की आवाज आई, ‘‘रुको.’’
तारेश ने मुड़ कर देखा तो बच्ची के दादादादी अपनी आंखें पोंछते हुए उस की तरफ बढ़ रहे थे.
दादा ने कहा, ‘‘बेटा तो चला गया, लेकिन उस की निशानी को हम अपने से दूर नहीं जाने देंगे. इस बच्ची को हम पालेंगे और हां, मूल न सही सूद ही सही… हम तुम्हारा एहसान नहीं भूलेंगे…’’
‘‘मगर यह बच्ची हम दोनों का सपना है,’’ तारेश को लगा मानो वह बच्ची को हमेशा के लिए खो देगा.
‘‘हांहां, तुम्हीं इस के पिता रहोगे. मगर अभी इसे एक मां की ज्यादा जरूरत है… अगर तुम्हें एतराज न हो तो यह जिम्मेदारी राखी निभा सकती है.’’
‘‘मगर आप लोग तो सचाई जानते हैं… मैं राखी को कभी पति का सुख नहीं दे पाऊंगा.’’
‘‘मैं पत्नी का नहीं मां बनने का सुख चाहती हूं,’’ इस बार राखी ने कहा और बच्ची को अपनी गोद में ले लिया. तारेश को लगा जैसे बच्ची की मासूम मुसकराहट में सोमल खिलखिला रहा है.
नेहा पहली बार लखनऊ के भूतनाथ मंदिर गई थी. उस की एक रिश्तेदार भी साथ थी. जब वह मंदिर से वापस आई, तो देखा कि उस की नई चप्पलें गायब थीं. नेहा भी जैसे को तैसा के जवाब में वहां रखी किसी और की चप्पलें पहन कर घर चली आई. घर आ कर नेहा ने यह घटना अपने परिवार वालों को बताई, तो उन्होंने उस से कहा कि जब तुम भी वही गलती कर आई, तो तुम में और दूसरे में क्या फर्क रह गया?
यह सुन कर नेहा को बहुत बुरा लगा. वह वापस मंदिर गई और वहां से लाई चप्पलें वापस रख दीं, पर उसे अपनी चप्पलें नहीं मिलीं.
दीपाली वाराणसी के मशहूर काशी विश्वनाथ मंदिर गई थी. उस के साथ 4 साल की बेटी और कुछ रिश्तेदार भी थे. उस ने एक दुकान से प्रसाद लिया और वहीं दुकान के पास ही अपनी चप्पलें उतार दीं. दीपाली का एक रिश्तेदार वहीं रुक गया.
जब दीपाली अपने परिवार के साथ वापस आई, तो उस की बेटी की नई चप्पलें गायब थीं. न तो दीपाली के रिश्तेदार को और न ही दुकानदार को चप्पलें चोरी होने की भनक लग सकी.
दीपाली की बेटी का रोरो कर बुरा हाल था. जब तक उसे नई चप्पलें नहीं दिलाई गईं, तब तक वह चुप नहीं हुई.
सुनीता लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर गई. मंदिर में जाने के पहले उस ने एक जगह पर चप्पलें उतार कर रख दीं. चप्पलें चोरी न हों, इस के लिए सुनीता ने पूरी सावधानी बरती थी. उस ने सब से किनारे अपनी चप्पलें रखी थीं.
जब सुनीता लौट कर आई, तो देखा कि एक औरत उस के जैसी चप्पलें पहन कर जा रही थी. उस ने सोचा कि एकजैसी कई चप्पलें होती हैं.
जब सुनीता अपनी चप्पलों के पास गई और वहां उस को गायब पाया, तो वह समझ गई कि उस की आंख के नीचे से ही चप्पलें गायब हो गई हैं. सुनीता के मन में यह खयाल आया कि भगवान के दर्शन करने आए थे, पर चप्पलें गुम हो गईं.
माया दिल्ली के एक दुर्गा मंदिर में दर्शन करने गई. नवरात्र का समय था. मंदिर में काफी भीड़ थी. दर्शन के लिए अंदर जाने से पहले उस ने अपनी चप्पलें एक जगह पर रख दीं. मंदिर वालों ने चप्पल रखने के लिए एक जगह बना रखी थी.
जब माया दर्शन कर के वापस आई, तो उस की चप्पलें गायब थीं. माया को बहुत बुरा लगा. वह नंगे पैर ही घर वापस आई.
जिया और उस की एक सहेली गीता शादी के पहले मंदिर दर्शन करने के लिए जाती थीं. एक दिन गीता की चप्पलें चोरी हो गईं. वह रोने लगी. रोतेरोते वह घर आई, तो उस के परिवार वालों ने कहा कि कोई बात नहीं. जिस की चप्पलें मंदिर में चोरी हो जाती हैं, भगवान उस के हर दुख को दूर करते हैं. पर यह बात गीता के पल्ले नहीं पड़ी.
योगिता कहती है कि वह कई बार मातारानी के मंदिर जाती थी. एक बार
5 मिनट के अंदर ही उस की चप्पलें गायब हो गईं. वे उस की मनपसंद चप्पलें थीं.
चेतना बताती है कि वह शिरड़ी के मंदिर गई थी. वहां उस की चप्पलें चोरी हो गई थीं.
रेनू कहती है कि वह एक बार गुरुद्वारे में लंगर खाने गई थी. बच्चे भी साथ में थे. बच्चों की नई चप्पलें निकाल कर बाहर रख दी थीं.
लंगर खा कर जब वे बाहर निकले, तो चप्पलें गायब थीं. तब से अब किसी मंदिर में जाओ,तो चप्पलों की हिफाजत में ही ध्यान लगा रहता है.
ये घटनाएं मनगढ़ंत नहीं हैं. इन में एक सामान्य सी बात यह देखने में आई कि मंदिर छोटा हो या बड़ा, चप्पल चोरी की घटनाएं हर मंदिर में होती हैं.
यही वजह है कि लोग जब मंदिर जाते हैं, तो पुरानी चप्पलें पहन कर जाते हैं. अगर चप्पलजूते नए होते हैं, तो सब से ज्यादा उन की हिफाजत की चिंता रहती है. कई बार तो लोग उन्हें कार या किसी सुरक्षित जगह रख कर जाते हैं.
यह बात केवल मंदिरों की ही नहीं है, बल्कि शोकसभाओं, गुरुद्वारों में भी चप्पलें चोरी होती हैं. जहां लोग सुख के लालच में जाते हैं, वहां दरवाजे पर ही दुख मिलता है. धर्म के समर्थक इस बात को ऐसे देखते हैं कि चप्पलजूते चोरी होने से उन के दुखदर्द दूर हो जाते हैं. वैसे, इस तरह की चोरी से एक बात साफ हो गई कि नैतिकता पूजापाठ से नहीं आती है.
मंदिरों में केवल जूतेचप्पल ही चोरी होते हों, ऐसी बात नहीं है. वहां पर पौकेटमारी और चेन स्नैचिंग जैसी घटनाएं भी खूब होती हैं.
तमाम मंदिरों में यह लिखा होता है कि यहां चोरउचक्कों से सावधान रहें. पौकेटमारी से बचने के लिए लोग मंदिरों में पर्स ले कर नहीं आते. वे चढ़ावे के लिए पैसा अलग जेब में रख कर आते हैं.
कई मंदिरों में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए यह नियम बना दिया गया कि चमडे़ से बना सामान जैसे पर्स, बैल्ट वगैरह को ले कर मंदिर न आएं. मंदिर वालों को लगता है कि पर्स चोरी की घटनाओं को रोकने का यह सब से अच्छा तरीका है.
समझने वाली बात यह है कि मंदिरों में लोग शांति और अपनी मुरादें पाने के लिए जाते हैं. जब मंदिर में ही ऐसी घटनाएं घटने लगेंगी, तो वहां जाने का क्या फायदा? केवल वे लोग ही मंदिर नहीं जाते, जिन के जूतेचप्पल चोरी होते हैं. वे लोग भी मंदिर जाते हैं, जो चोरी करते हैं.
मंदिरों में केवल बडे़ लोगों के जूतेचप्पल ही चोरी नहीं होते, बल्कि बच्चों के भी जूतेचप्पल चोरी होते हैं. कुछ गिरोह इसी काम के लिए सक्रिय रहते हैं.
ऐसे में मंदिरों में अपराध की घटनाएं बताती हैं कि लोग जिस सुखशांति की तलाश में मंदिरों में जाते हैं, वह उन को वहां भी नहीं मिलती. पूजा से ज्यादा उन का ध्यान बाहर रखे जूतेचप्पलों में लगा रहता है. दूसरी तरफ चोरों का भी ध्यान इस में लगा रहता है कि वे कब अपने हाथ का कमाल दिखाएं.
तेजस्वी प्रकाश इन दिनों अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में बनी रहती हैं, तेजस्वी इन दिनों अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में हैं. तेजस्वी प्रकाश अक्सर अपने बॉयफ्रेंड करण के साथ टाइम स्पेंड करते देखी जाती हैं.
हाल ही में तेजस्वी प्रकाश की नई तस्वीर ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा कर रख दिया है. जिसमें वह अपना डायमंड रिंग फ्लॉट करती नजर आ रही हैं.
इस तस्वीर को देखते ही फैंस ये कयास लगा रहे हैं कि तेजस्वी जल्द करण के साथ सगाई करने वाली हैं. हालांकि तेजस्वी से जब यह पूछा गया तो वह काफी ज्यादा परेशान हो गई,
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एक रिपोर्ट में तेजस्वी ने बताया कि ये एक सिर्फ फोटो थी, जिसमें वह अपनी अंगूठी दिखा रही हैं, अभी तक हमने सगाई नहीं किया है, और मैं अपनी सगाई के बारे में अभी बात भी नहीं करना चाहती हूं, वह मेरा पर्सनल है.
मैं जब भी अपनी सगाई करुंंगी वह मेरा पर्सनल डिसीजन होगा मैं लोगों के साथ अभी से शेयर नहीं करना चाहती हूं. मैं अपनी हर पर्सनल चीज के बारे में बात नहीं करना चाहती हूं.
जब भी सही समय आएगा हम अपनी सगाई कर लेंगे,जब होगा तो सबको पता चल जाएगा कि कब हमारी सगाई होगी, हम दोनों इन दिनों लगातार काम में बिजी है. हमारे हाथ में बहुत सारे प्रोजेक्ट हैं. फैंस हमें स्क्रिन पर देखना चाहते हैं. इसलिए इन दिनों हम अपने काम में व्यस्त हैं.