इश्क का खेल- भाग 1: क्या हुआ था निहारिका के साथ

निहारिका दिल्ली में सीबीआई ब्रांच में है. इंस्पैक्टर रुस्तम की असिस्टैंट, बहुत ही तेज दिमाग… इंस्पैक्टर रुस्तम के पास एक ही घर के 2 केस आते हैं. केस करनाल का है, जो काफी समय से उलझा हुआ है. एक 26-27 साल की शादीशुदा श्रेया ने खुदकुशी कर ली है. श्रेया का पति सुजल आस्ट्रेलिया में रहता है, लेकिन श्रेया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि वह 2 महीने के पेट से थी. श्रेया की खुदकुशी के 5 महीने बाद उस की सास यानी सुजल की मां भी खुदकुशी कर लेती हैं, लेकिन दोनों का खुदकुशी का तरीका एक ही है यानी पंखे से लटक कर मरना. दोनों की खुदकुशी करने का वही तकरीबन आधी रात का समय. यह जान कर निहारिका सोचती है कि कहीं तो कुछ गड़बड़ है.

दोनों खुदकुशी एक सी और सुजल एक साल से घर नहीं आया, फिर श्रेया पेट से कैसे हो सकती है? निहारिका बोली, ‘‘सर, सुजल एक साल से घर नहीं आया, फिर श्रेया…’’ इंस्पैक्टर रुस्तम ने कहा, ‘‘मैं भी वही सोच रहा हूं. मुझे लगता है कि इस केस को जानने के लिए करनाल जाना पड़ेगा. लेकिन मेरी टांग में फै्रक्चर भी अभी होना था. मैं वहां जा कर भी कुछ नहीं कर पाऊंगा.’’ निहारिका ने कहा, ‘‘सर, आप परमिशन दें, तो मैं जाना चाहूंगी.’’ ‘‘तुम अकेली? कोई दिक्कत तो नहीं होगी? सोच लो…’’ ‘‘नहीं सर, मुझे कोई परेशानी नहीं होगी.’’ ‘‘ठीक है, तुम जाने की तैयारी करो. और हां, मुझे हर पल की खबर देते रहना. यह मेरी पिस्टल अपने पास रख लो, मुसीबत में इस से मदद मिलेगी. मैं अभी ट्रेन की टिकट बुक कराता हूं, तुम निकलने की तैयारी कर लो.’’ ‘‘ठीक है सर.’’ इंस्पैक्टर रुस्तम ने सुबह की ट्रेन की टिकट बुक करवा दी. निहारिका करनाल जाने की तैयारी करती है.

अब उसे अकेले ही वहां काम करना है. इंस्पैक्टर रुस्तम कहते हैं कि वे रोज उस से फोन पर बात कर के सारी डिटेल्स जानते रहेंगे और सलाहमशवरा भी देते रहेंगे. केस फाइल जब निहारिका को दी जाती है, तो वह उस में दिए गए एक नंबर पर फोन करती है. उधर से आवाज आती है, ‘हैलो, कौन?’ ‘‘क्या मैं सुजल से बात कर सकती हूं?’’ ‘जी, बोल रहा हूं, आप कौन?’ ‘‘मैं सीबीआई से सबइंस्पैक्टर निहारिका बोल रही हूं. आप ने जो केस फाइल किया था, उस के बारे में कुछ डिस्कस करनी थी.’’ ‘जी जरूर… मैडम, जल्दी से जल्दी  मेरी मां और बीवी के कातिल को पकडि़ए. उस में अगर मैं कोई हैल्प कर सकता हूं तो बताएं… अभी तो मैं इंडिया आ नहीं सकता. कोरोना की वजह से सब फ्लाइट कैंसिल कर दी गई हैं.’

‘‘आप इंडिया कब आए थे और आप को किसी पर कोई खास शक…? आप की पत्नी की रिपोर्ट बताती है कि जिस समय उन का कत्ल हुआ, वे पेट से थीं. और दोनों कत्ल भी शायद एक ही शख्स ने किए हैं, क्योंकि दोनों औरतों को पहले गला घोंट कर मारा गया और उस के बाद उन्हें पंखे से लटका कर खुदकुशी का नाम दिया गया.’’ ‘यही बात तो मुझे भी कचोट रही है. मैं अपनी वाइफ के चालचलन पर शक करने का तो सोच भी नहीं सकता… या तो किसी ने उस के साथ कुछ गलत किया है, जो वह बरदाश्त नहीं कर सकी और न ही किसी से अपना दुख कह सकी, शायद इसलिए उस ने खुदकुशी कर ली. मैं एक साल पहले तब इंडिया आया था, जब मेरी मां को हार्ट अटैक आया था.

‘सोचिए, जिस इनसान के 2 सहारे चले गए हों और वह उन के आखिरी समय पर पहुंच भी न पाए, क्या बीत रही होगी उस पर. पापा वहां अकेले कैसे पहाड़ जैसा दुख झेल रहे होंगे, बिलकुल टूट गए होंगे.’ ‘‘आप चिंता मत कीजिए, हम जल्दी ही कातिल का पता लगाएंगे.’’ जब निहारिका को पक्का हो गया कि  सुजल एक साल से घर नहीं आया है और श्रेया की रिपोर्ट प्रैगनैंसी की है, तो उस की छठी इंद्री जाग जाती है. वह करनाल के लिए निकल पड़ती है. करनाल जा कर सब से पहले निहारिका सुजल के पापा आशीष बजाज के घर में नौकरी हासिल करती है, ताकि वह घर के अंदर से कुछ सुबूत ढूंढ़ सके. ‘‘निहारिका, तुम इस छोटी उम्र में इस तरह होम केयर की नौकरी क्यों करती हो? तुम्हारे घर में और कोई नहीं है क्या काम करने वाला?’’ आशीष बजाज  ने पूछा. ‘‘नहीं सर, मेरा कोई नहीं है. मेरे पति की एक हादसे में मौत हो चुकी है.

मनोहर कहानियां: अय्याशी में गई जान

27 फरवरी, 2022 को सुबह ही भाई सोनू कुमार का नंबर देखते ही सोनिया चहक उठी. उस ने फोन उठाया तो सोनू ने कहा, ‘‘आज रात मैं ने नीशू और उस की मां जयंती की हत्या कर दी. उन दोनों की लाशें घर में पड़ी हुई हैं. मैं बच्चों को साथ ले कर तेरे पास आ रहा हूं.’’

भाई का फोन रिसीव करते ही उस की खुशियां काफूर हो गईं. इस से पहले कि सोनिया उस से कुछ बात कर पाती, सोनू ने फोन काट दिया.

भाई की बात सुनते ही उस का माथा घूम गया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस का भाई जो कह रहा था, वह सच था या वह मजाक कर रहा था.

भाई की बात सुनते ही सोनिया सदमे में पहुंच गई. उस ने उस के बाद कई बार भाई के मोबाइल पर काल लगाने की कोशिश की, लेकिन उस ने रिसीव नहीं की. उस के बाद सच्चाई जानने के लिए उस ने अपने ममेरे भाई रामपाल को फोन कर भाई सोनू के घर की स्थिति जानने के लिए भेजा.

ममेरा भाई रामपाल उस के घर पहुंचा तो घर पर बाहर से ताला लगा हुआ था. उस ने उस के पड़ोसियों से सोनू के बारे में जानकारी लेनी चाही तो किसी से भी कुछ जानकारी नहीं मिल पाई. उस के बाद रामपाल सिंह सीधे जसपुर कोतवाली पहुंचा.

कोतवाली पहुंचते ही उस ने कोतवाल जे.एस. देऊपा के सामने सारी हकीकत रख दी.

एक घर में दोहरे हत्याकांड की बात सुनते ही कोतवाल देऊपा पुलिस टीम के साथ जसपुर कस्बे में मोहल्ला नत्था सिंह पंडों वाले कुएं के पास स्थित सोनू के घर पहुंचे और उन्होंने उस के बंद घर का ताला तुड़वाया.

पुलिस जैसे ही घर के अंदर घुसी, वहां का दृश्य दिल को दहलाने वाला था. एक कमरे में सोनू की 35 वर्षीय पत्नी नीशू की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. लाश के पास ही रक्तरंजित पाटल (गंडासा) पड़ा हुआ था.

दूसरे कमरे में उस की 55 वर्षीय सास जयंती की चारपाई पर लाश पड़ी हुई थी. जयंती का शव रजाई से ढंका हुआ था. दोनों की एक ही तरह पाटल से काट कर हत्या की गई थी. दोनों के गरदन और शरीर पर पाटल के कई निशान मौजूद थे.

दोनों को मौत की नींद सुलाने के बाद सोनू घर से फरार हो गया था. इस दोहरे हत्याकांड की जानकारी लगते ही पूरे शहर में सनसनी फैल गई. जिस ने भी सुना, वह घटना की जानकारी लेने के लिए सोनू के घर पहुंचने लगा.

देखते ही देखते वहां पर लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा. इस घटना की सूचना पर एसपी चंद्रमोहन सिंह, सीओ वीर सिंह भी जानकारी लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने ही इस घटना की जानकारी सोनू की ससुराल जिला मुरादाबाद, गांव टांडा अफजल ठाकुरद्वारा निवासी वीरसिंह की दी. अपनी पत्नी और बेटी की हत्या की सूचना पाते ही वीर सिंह ऊधमसिंह नगर के कस्बा जसपुर पहुंच गए.

पुलिस ने घटनास्थल की बारीकी से जांचपड़ताल करने के बाद सोनू के बारे में जानकारी ली. इस से पहले कि पुलिस सोनू के पास पहुंच पाती, वह अपने तीनों बच्चों को अपनी बहन सोनिया के पास छोड़ कर फरार हो गया था.

पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला कि सोनू की नीशू के साथ दूसरी शादी हुई थी. उस की पहली पत्नी उसे छोड़ कर चली गई थी. सोनू नेटवर्किंग करता था. जिस में वह युवकयुवतियों को भी अपने साथ जोड़ता था. उसी काम के चलते उस ने कई युवतियों से अवैध संबंध बना रखे थे.

सोनू की बीवी नीशू उस की इन हरकतों से परेशान थी. जिस के कारण वह अपनी पत्नी से नफरत करने लगा था. उसी नफरत के चलते उस ने अपनी पत्नी नीशू और सास की हत्या कर दी होगी.

सोनू कुमार के बारे में विस्तृत जानकारी जुटा कर पुलिस ने सासबहू दोनों की लाशों का पंचनामा भर कर उन्हें पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दिया था. इस डबल मर्डर मामले के जल्दी खुलासे के लिए काशीपुर एसपी चंद्रमोहन सिंह ने एसओजी टीम को भी लगा दिया.

आरोपी सोनू की गिरफ्तारी के लिए एसओजी की कई टीमें गठित की गईं. एसओजी प्रभारी कमलेश भट्ट ने सोनू के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला.

उसी दौरान पता चला कि सोनू बिजनौर के धामपुर कस्बे में देखा गया था. लेकिन मोबाइल बंद होने के कारण पुलिस उस की लोकेशन का पता नहीं कर पा रही थी.

पुलिस जांचपड़ताल के दौरान सोनू की बहन सोनिया ने पुलिस को बताया कि सोनू ने उस से बात करते वक्त कहा था कि उस ने अपनी पत्नी और सास को खत्म कर दिया है, अब वह स्वयं भी आत्महत्या करने जा रहा है. उस के बाद से ही उस का मोबाइल बंद आ रहा है.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने सोचा कि कहीं सोनू ने कुछ जहरीला पदार्थ खा कर आत्महत्या तो नहीं कर ली. उस के बाद पुलिस ने उसे हरसंभव स्थान पर खोजा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं लग सका.

पुलिस को जानकारी मिली थी कि सोनू अपनी बीवी और सास की हत्या कर अपने बच्चों को एक कार में बैठा कर अमरोहा पहुंचा था. लेकिन वह कार किस की थी, इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी. पुलिस ने हरसंभव स्थान पर उस की तलाश की, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चल सका.

रेलवे ट्रैक पर मिली लाश

उसी दौरान 28 फरवरी, 2022 को मृतका नीशू के भाई सौरभ कुमार ने सोनू कुमार के खिलाफ जसपुर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी.

सोनू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होते ही एसओजी टीम एक्शन में आ गई. पुलिस की कई टीमें जिला बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा आदि क्षेत्रों में रवाना हुईं, लेकिन कहीं से भी उस की लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाई.

पुलिस सोनू की तलाश में इधरउधर भटक रही थी, उसी दौरान पहली मार्च को गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक रेलवे ट्रैक पर रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) के जवानों को एक व्यक्ति की लाश पड़ी मिली. आरपीएफ के जवानों ने उस की सूचना कविनगर थानाप्रभारी आनंद प्रकाश मिश्र को दी.

लाश की सूचना पर कवि नगर थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस ने पहुंचते ही मृतक की जेब की तलाशी ली तो उस में एक पौकेट डायरी और आधार कार्ड मिला. उस की जेब से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिस में लिखा था, ‘मैं सोनू कुमार नीशू की मौत का जिम्मेदार हूं.’

आधार कार्ड के माध्यम से मृतक की पहचान जसपुर, उत्तराखंड निवासी सोनू के रूप में हुई.

कविनगर थानाप्रभारी आनंद प्रकाश मिश्र ने उत्तराखंड एसओजी प्रभारी कमलेश भट्ट को फोन पर मामले की जानकारी दी.

इस जानकारी के मिलते ही जसपुर कोतवाल जे.एस. देऊपा ने मृतक सोनू के घर वालों को इस की सूचना दी. सोनू के आत्महत्या करने की जानकारी मिलते ही उस के घर वाले और जसपुर पुलिस तुरंत ही गाजियाबाद पहुंची, जहां पर पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए उस की लाश उस की बहनों को सौंप दी.

सोनू के खत्म होते ही एक परिवार पूरी तरह से खत्म हो गया. मृतक सोनू के तीनों बच्चे उस की बहन के पास अमरोहा में थे. सोनू ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, ‘नीशू, मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था.’

फिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक दोनों के बीच की डोर इतनी कमजोर पड़ गई कि सोनू को इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा.

इस की जो हकीकत सामने आई, वह इस प्रकार थी.

उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर का एक कस्बा है जसपुर. इसी कस्बे में ठाकुर मंदिर के ठीक पीछे स्थित मोहल्ले में रहता था कैलाशनाथ का परिवार.

कैलाशनाथ के 5 बच्चे थे. 4 बेटियां और इकलौता बेटा निखिल उर्फ सोनू कुमार. कैलाशनाथ ने समय से ही सभी बच्चों की शादी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली थी.

बच्चों की शादी होने के बाद ही कैलाशनाथ और उन की पत्नी की मौत हो गई थी. मांबाप की मौत के बाद सोनू अपनी बीवी राजवती के साथ रह रहा था.

सोनू की शादी अब से लगभग 10 साल पहले जिला बिजनौर के गांव झालू निवासी राजवती से हुई थी. सोनू शुरू से ही तेजतर्रार था. राजवती के साथ शादी करने के कुछ समय तक तो उन दोनों के बीच सब कुछ सही रहा था. लेकिन फिर सोनू उसे परेशान करने लगा था.

सोनू शुरू से ही आवारा किस्म का युवक था. वह कामधंधा कुछ नहीं करता था. शादी के बाद उस के खर्चे बढ़े तो वह परेशान रहने लगा. घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए राजवती ने कई बार उस से कुछ काम तलाशने को कहा. लेकिन उसे कहीं भी कोई काम नहीं मिला. उस के बाद वह राजवती के पास रखे पैसे भी अपने खर्च के लिए ले लेता था.

उसी बीच राजवती एक बच्ची स्पर्श की मां भी बन गई थी. बच्ची के घर में आने के बाद आए दिन दोनों के बीच में खटपट रहने लगी थी. मियांबीवी में मनमुटाव के चलते ही कई बार राजवती अपने मायके भी चली गई थी.

घर में विवाद ज्यादा बढ़ा तो जल्दी ही दोनों के बीच तलाक की नौबत आ गई थी. उसी सब के चलते राजवती एक दिन अपने मायके चली गई, फिर वापस नहीं आई.

सोनू की हरकतों से आजिज आ कर राजवती के मायके वालों ने सोनू पर मुकदमा डाल दिया था, जिस के कारण उसे जेल की हवा भी खानी पड़ी थी.

जेल से आने के बाद वह कुछ ज्यादा ही परेशान रहने लगा था. उस का सब से बड़ा कारण था उस की बेटी स्पर्श, जो राजवती के मायके जाने के बाद उसी के पास रह रही थी. राजवती के मायके वालों ने काफी कोशिश की कि किसी भी तरह से दोनों के संबंध बने रहें. लेकिन सोनू अपनी हरकतों से बाज नहीं आया.

उस की हरकतों से परेशान हो कर राजवती ने कोर्ट के माध्यम से उस से तलाक ले लिया. बीवी से तलाक लेने के बाद वह अकेला पड़ गया था. उस की सभी बहनों की शादी हो चुकी थी. उस की बेटी स्पर्श उसी के साथ थी, जिस की परवरिश करना उस के लिए टेढ़ी खीर हो रही थी.

उसी मुसीबत के दौर में सोनू की मुलाकात बिजनौर निवासी पंकज राजपूत से हुई. पंकज राजपूत एक मार्केटिंग कंपनी में एरिया मैनेजर था. पंकज के संपर्क में आते ही उसे उसी कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिल गई. लेकिन उस की नौकरी ऐसी नहीं थी, जिस से उसे हर माह बंधाबंधाया वेतन मिल सके. वह एक मार्केटिंग कंपनी थी, जिस में कंपनी में टिके रहने के लिए एक टारगेट पूरा करना होता था.

उस मार्केटिंग कंपनी का औनलाइन काम था, जिस में कंपनी का काम करते हुए खुद अपना भविष्य बनाना होता था. अपना कैरियर बनाने के लिए सोनू को युवकयुवतियों से संपर्क करने के लिए दिनरात एक करना पड़ा.

सोनू हर रोज घर से निकलता और नएनए ग्राहकों की तलाश करता. कुछ ही दिनों में उस की मेहनत रंग लाई. जल्दी ही उस के कई युवकयुवतियों से संपर्क बन गए थे.

सोनू शुरू से ही ऐशोआराम की जिंदगी जीने वाला शख्स था. वह इस से पहले कई जगह काम कर चुका था. लेकिन वह कहीं पर भी ज्यादा दिन नहीं टिक पाता था.

मार्केटिंग का काम चालू होते ही उस के घर पर युवकयुवतियों का आनाजाना शुरू हो गया था. उसी नेटवर्किंग के काम के चलते वह महिलाओं के करीब हो जाता. उसी काम के चलते उस की मुलाकात नीशू से हुई.

सोनू की प्रेम दीवानी हो गई नीशू

नीशू देखनेभालने में सुंदर थी. नीशू ने इंटरमीडिएट पास कर लिया था. उस के बाद वह भी किसी जौब की तलाश में थी.

कुछ अनौपचारिक मुलाकातों के बाद ही सोनू ने नीशू को नौकरी दिलाने का झांसा दे कर अपने जाल में फंसा लिया था. फिर धीरेधीरे अपने दिल की पीड़ा उस के सामने रखते हुए उस के दिल में भी अपने प्रति प्यार जगा दिया था.

सोनू के संपर्क में आने के बाद नीशू उस की प्रेम दीवानी हो गई. सोनू ने नीशू के सामने अपनी पिछली जिंदगी पर परदा डालते हुए बताया कि वह अभी कुंवारा ही है. जिस के बाद नीशू पूरी तरह से अपनी जिंदगी की बागडोर उस के हाथ में थमाने पर मजबूर हो गई थी.

नीशू के संपर्क में आने के बाद सोनू भी उस के साथ अपनी जिंदगी गुजारने के सपने संजोने लगा. दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चालू होते ही सोनू कई बार नीशू को अपने साथ अपने घर पर भी ले जाता था.

उस दौरान कई बार नीशू ने सोनू से उस की नौकरी लगाने की बात कही तो उस ने साफ शब्दों में कहा कि अब उसे नौकरी की चिंता करने की जरूरत नहीं. वह जल्दी ही उस के साथ शादी कर के अपना घर बसाते ही उसे नौकरी भी दिला देगा.

इस के बाद नीशू पूरी तरह से निश्चिंत हो गई थी. सोनू ने नीशू से प्रेम जताते हुए उस के साथ अवैध संबंध भी स्थापित कर लिए थे.

कुछ समय तक तो दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चोरीछिपे चलता रहा. लेकिन समय के गुजरते उन दोनों की हकीकत नीशू के घर वालों के सामने आ गई.

नीशू की हकीकत सामने आते ही उस के घर वालों को बहुत ही बुरा लगा. लेकिन नीशू ने अपने घर वालों को समझा दिया कि वह अब बालिग हो चुकी है, अपनी जिंदगी का फैसला स्वयं ले सकती है. उस ने घर वालों से साफ कह दिया कि सोनू उस से शादी करने को तैयार है.

नीशू की यह बात उस के पिता वीर सिंह को बहुत बुरी लगी. लेकिन वह भी अपनी बेटी को बहुत प्यार करते थे. उन्हें पता था कि अगर उन्होंने अपनी बेटी के अरमानों का गला घोटने की कोशिश की तो वह कुछ भी कर सकती है. यही सोच कर उन्होंने सोनू के साथ शादी करने की हामी भर ली.

सोनू लंगोट का था कच्चा

उस के बाद वीर सिंह ने 10 अप्रैल, 2014 को आर्यसमाज रीतिरिवाज के अनुसार सोनू कुमार के साथ अपनी बेटी नीशू की शादी कर दी. नीशू और सोनू शादी कर के खुश थे. कुछ समय तक दोनों के बीच सब कुछ ठीकठाक चला. समय के साथ नीशू 2 बच्चों की मां भी बन गई.

उस की नौकरी तो नहीं लग पाई. लेकिन वह अपने 2 बच्चों स्तुति और ओम सिंह के साथसाथ सोनू की पहली बीवी की बेटी स्पर्श का भी ठीक प्रकार से लालनपालन कर रही थी.

सोनू का नेटवर्किंग का काम था. उस की कमाई अपने ग्रुप में सदस्य जोड़ने के बाद ही हो पाती थी. इसी कारण वह हर वक्त नए सदस्यों की तलाश में जुटा रहता था.

वह अपने संपर्क में आने वाले युवकयुवतियों को कंपनी में काम दिलाने का झांसा दे कर फंसा लेता, फिर उन पर काफी खर्च भी करता था. जिस से युवकयुवतियां उस के रहनसहन और ठाटबाट को देख कर जल्दी ही उस से प्रभावित हो जाते थे.

सोनू लंगोट का बहुत ही कच्चा था. कोई भी सुंदर युवती उस के संपर्क में आती तो उसे देख कर उसे पाने की लालसा जाग जाती थी. नौकरी का लालच दिखा कर वह हर युवती के साथ यौन संबंध बनाने की लालसा करने लगता था. जिस के कारण कमाई से ज्यादा वह खर्च करने लगा था.

यही कारण रहा कि जल्दी ही उसे आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा. वह पैसों के लिए तरसने लगा. उस के बाद वह नीशू से पैसों की मांग करने लगा था. यह बात नीशू के पिता वीर सिंह के सामने पहुंची तो उन्होंने भी उसे समझाने की कोशिश की.

उस की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद वीर सिंह ने गांव से ही अपने मिलने वाले से ब्याज पर एक लाख रुपए उसे दिला दिए, जो कुछ ही दिनों में उस ने खर्च कर दिए. उस के बाद वह फिर से नीशू पर और रुपयों की मांग करने लगा था.

वीर सिंह आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं था कि वह बारबार उस की सहायता करता. वीर सिंह ने सोनू को रुपए देने से इनकार किया तो उस ने नीशू के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी.

सोनू की हरकतें देख वीर सिंह का परिवार परेशान हो उठा. उस के बाद वीर सिंह ने अपनी बेटी का भविष्य देखते हुए अपनी जुतासे की जमीन बेच कर सोनू को 5 लाख रुपए दिए. लेकिन सोनू फिर भी सीधे रास्ते पर नहीं आया था.

उस ने वह रुपए भी शीघ्र ही अय्याशी में उड़ा दिए. उस पैसे के बल पर उस ने कई युवतियों के साथ अवैध संबंध बना लिए थे. दूसरी युवतियों पर रुपए खर्च करने को ले कर उस के ससुराल वाले खफा हो गए. उस के बाद वह अपनी बीवी को एक नजर तक नहीं देखना चाहता था. उस के बावजूद वह हर रोज नईनई युवतियों को घर लाने लगा था. एक दिन नीशू किसी काम से बाजार गई हुई थी. घर आई तो सोनू के साथ एक युवती भी थी, जिसे देखते ही नीशू के तनबदन में आग लग गई.

उस युवती को ले कर दोनों में काफी विवाद भी हुआ. उस की हरकतों से आजिज आ कर नीशू ने अपनी मां जयंती से शिकायत की तो उस की मां जयंती उसे बच्चों सहित अपने साथ ले गई.

कुछ दिन गुजरने के बाद सोनू फिर से अपनी ससुराल गया और भविष्य में नीशू को तंग न करने की बात कहते हुए फिर से बुला लाया. इस बार नीशू की मां जयंती भी उस के साथ आ गई थी. घर आते ही सोनू के तेवर फिर से बदल गए.

पत्नी और सास की कर दी हत्या

वह जल्दी ही अपनी हरकतों पर आ गया. अय्याशी में आड़े आने पर सोनू ने अपनी पत्नी को रास्ते से हटाने के लिए पहले ही योजना बना ली थी. जिस की नीशू को भनक तक नहीं लगी.

26 फरवरी, 2022 की रात को खाना खाने के बाद सोते वक्त मांबेटी का सोनू से किसी बात पर झगड़ा हो गया. सोनू ने उसी समय मांबेटी को मौत की नींद सुलाने का मन बना लिया था.

27 फरवरी, 2022 की सुबह 5 बजे उस ने अपने बच्चों को एक कमरे में सुला दिया. उस के बाद गहरी नींद में सो रही सास जयंती और पत्नी नीशू की पाटल से काट कर हत्या कर दी.

हत्या करने के बाद उस ने बच्चों को साथ लिया और कार में बिठा कर सीधा अमरोहा निवासी अपनी बहन सोनिया के पास चल दिया. उस ने रास्ते में ही फोन कर के जानकारी दी कि उस ने अपनी पत्नी नीशू और उस की मां जयंती की हत्या कर दी है.

अमरोहा पहुंचते ही अपने तीनों बच्चों को बहन के पास छोड़ कर कार से फरार हो गया. उसी दौरान उसे पता चला कि पुलिस उस की तलाश में आई थी. यह सुनते ही उस ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया.

अमरोहा से सोनू कार ले कर सीधा अपने दोस्त पंकज के पास पहुंचा. पंकज को गंगा जल लाने हरिद्वार जाना था. वह उस के साथ ही हरिद्वार भी गया.

हरिद्वार से वापसी में उस ने अपने दोस्त को सास और पत्नी की हत्या वाली बात बता दी. जिस से पंकज नाराज हो गया और उस ने सोनू को भलाबुरा कहते हुए रास्ते में ही उतार दिया. जिस के बाद सोनू सीधा गाजियाबाद पहुंच गया.

गाजियाबाद पहुंचने के बाद ही उसे अपने किए पर पश्ताचाप होने लगा था. उसे यह भी पता था कि वह चाहे कितनी भी भागदौड़ कर ले, पुलिस एक दिन उसे गिरफ्तार कर ही लेगी. उस के बाद उसे उम्र भर के लिए जेल में ही रहना पड़ेगा.

यही सोच कर उस ने अपनी जिंदगी का आखिरी रास्ता देखते हुए खुद भी सुसाइड करने का फैसला लिया. उसी फैसले के तहत उस ने चलती ट्रेन के आगे कूद कर अपनी जान दे दी.

सोनू के आत्महत्या करने के साथ ही एक हंसताखेलता परिवार पूरी तरह से बिखर गया. उसी के साथ एक गृहस्थी पूरी तरह से खत्म हो गई थी. फिलहाल मृतक के तीनों बच्चे उस की बहन के पास रह रहे थे.

वैसे तो सोनू ने जो जघन्य अपराध किया था, उस की कड़ी सजा थी. लेकिन उस ने मरने से पहले पौकेट डायरी के 7 पन्नों में अपने दिल की जो व्यथा लिखी थी, क्या वह उसे माफ करने लायक थी.

उस ने लिखा कि उस की मृत्यु के बाद यह डायरी जिस किसी भी भाई को मिले, कृपया इस में लिखे नंबरों पर फोन मिला कर मेरे रिश्तेदारों को सूचित कर देना.

‘नीशू, तू मेरी पत्नी थी, मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था. लेकिन तूने अपनी बहन पिंकी के कहने में आ कर मुझे यह सब कुछ करने पर मजबूर कर दिया. मुझे पता था कि तुझे और तेरी मां को पिंकी ही चढ़ाती थी, जिस के कारण बारबार समझाने के बाद भी तेरी मां मेरी एक भी बात मानने को तैयार न थी.

‘अगर पिंकी तुम लोगों को बारबार न उकसाती तो हमारे बीच बारबार लड़ाई नहीं होती. मैं सोनू तेरी मौत का जिम्मेदार हूं. मैं मजबूर हो गया था. नीशू तू मेरी पत्नी थी. मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था, फिर भी मैं ने तुझे मार दिया. मैं माफी के काबिल नहीं. मैं तेरे पास ही आ रहा हूं. हो सके तो मुझे माफ कर देना.’

सुसाइड नोट में सोनू ने जो लिखा था, उस में कितनी सच्चाई थी, यह तो पता नहीं लेकिन परिवार के खत्म होते ही सब खत्म हो गया.

CRPF जवान की पत्नी निकली बिस्तर का साथी बदलने की खिलाड़ी

उस दिन फरवरी 2022 की 21 तारीख थी. सुबह के 10 बज रहे थे. पनकी थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह थाने पर मौजूद थे. चुनाव ड्यूटी में व्यस्त रहने के कारण वह थकान महसूस कर रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह दिखने में फोर्स का लग रहा था, लेकिन घबराया हुआ था. उसे उस हालत में देख कर उन्होंने पूछा, ‘‘कहो जवान, क्या बात है. तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’

‘‘सर, मेरा नाम इंद्रपाल है. मैं सीआरपीएफ में हैडकांस्टेबल हूं. मेरी पत्नी रीता 2 बच्चों के साथ रतनपुर की एमआईजी कालोनी में रहती है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दरम्यान मेरी ड्यूटी मैनपुरी जिले के जमालपुर पोलिंग बूथ पर थी. तभी बीती रात बड़े बेटे ने मुझे फोन पर बताया कि उस की मम्मी घर से गायब है. यह सुनते ही मैं घबरा गया.

‘‘रात भर मैं सगेसंबंधियों को फोन करता रहा. लेकिन रीता के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली. उस का मोबाइल फोन भी बंद था. सुबह होते ही मैं कानपुर आ गया और सीधे आप के पास चला आया. आप रीता की गुमशुदगी दर्ज कर उसे ढूंढने में मेरी मदद करें.’’

चूकि मामला अर्द्धसैनिक बल का था, इसलिए थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने रीता की गुमशुदगी दर्ज कर ली और इंद्रपाल से कुछ आवश्यक पूछताछ की. उस के बाद वह पुलिसकर्मियों के साथ इंद्रपाल के रतनपुर कालोनी स्थित घर पर पहुंचे.

उन्होंने घर का निरीक्षण किया तो सोच में डूब गए. घर के अंदर कमरे में मेज पर बियर की 2 खाली बोतलें तथा 2 खाली गिलास रखे थे. कमरे से कुछ अश्लील सामान तथा शक्तिवर्द्धक दवाएं भी बरामद हुईं.

पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि घर के अंदर अय्याशी का खेल चलता था. पुलिस ने बरामद सामान को सुरक्षित कर लिया.

घर पर इंद्रपाल का बड़ा बेटा मौजूद था. थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि पुष्पेंद्र अंकल घर आए थे. रात 8 बजे तक वह घर पर ही थे. उस के बाद वह कमरे में जा कर सो गया. रात 12 बजे वह उठा तो मम्मी घर पर नहीं थीं. वह घबरा गया और रोने लगा. उस के बाद उस ने पापा को मम्मी के गायब होने की खबर मोबाइल फोन से दी.

‘‘यह पुष्पेंद्र कौन है?’’ अंजन कुमार सिंह ने इंद्रपाल से पूछा.

‘‘सर, पुष्पेंद्र कठेरिया, गंगागंज (पनकी) में रहता है. वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता है. रतनपुर कालोनी में उस का औफिस है. फ्लैट खरीदने के दौरान उस से परिचय हुआ था. उस के बाद वह घर आनेजाने लगा था.’’

‘‘तुम ने रीता के संबंध में पुष्पेंद्र से बात नहीं की?’’ थानाप्रभारी ने इंद्रपाल से पूछा.

‘‘सर, हम ने रात में ही उस से पूछा था, तब उस ने बताया था कि वह तो इस समय कानपुर देहात में है.’’

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने इंद्रपाल के पड़ोसियों से पूछताछ की तो पता चला कि इंद्रपाल की गैरमौजूदगी में फ्लैट पर कई लोगों का आनाजाना लगा रहता था. उस की पत्नी रीता चरित्रहीन है. पति की पीठ पीछे वह यारों के साथ गुलछर्रे उड़ाती है.

अंजन कुमार सिंह ने अनुमान लगाया कि रीता जरूर अपने किसी यार के साथ मौजमस्ती के लिए चली गई होगी. वह 1-2 दिन बाद खुद ही लौट आएगी. अत: वह इंद्रपाल को ढांढस बंधा कर वापस थाने आ गए. इस के बाद वह निश्चिंत हो गए और हाथ पर हाथ रख कर बैठ गए. उन्होंने रीता को खोजने का कोई प्रयास नहीं किया.

इधर ज्योंज्यों दिन बीतते जा रहे थे, त्योंत्यों इंद्रपाल की चिंता बढ़ती जा रही थी. वह अपने स्तर से पत्नी की खोज में जुटा था, लेकिन रीता का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था.

आखिर जब इंद्रपाल हताश हो गया तो वह परिजनों के साथ एडिशनल डीसीपी (पश्चिम) बृजेश कुमार श्रीवास्तव व एसीपी (कल्याणपुर) दिनेश कुमार शुक्ला से मिला और पत्नी को खोजने की गुहार लगाई.

इतना ही नहीं, इंद्रपाल ने थाना पनकी में भी हंगामा किया. हंगामा और अधिकारियों की फटकार से पनकी पुलिस की नींद टूटी और वह रीता की खोज में जुट गई.

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने सब से पहले रीता के मोबाइल फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो जानकारी मिली कि रीता 3 नंबरों पर ज्यादा बातें करती थी.

संदेह के घेरे में आए प्रौपर्टी डीलर और कार मैकेनिक

इन नंबरों की जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि एक नंबर उस के पति इंद्रपाल का है जबकि दूसरा नंबर प्रौपर्टी डीलर गंगागंज (पनकी) निवासी पुष्पेंद्र कठेरिया का है. आखिरी बार रीता ने जिस नंबर से बात की थी, वह नंबर कार मैकेनिक मुख्तार का था.

जांच से यह भी पता चला कि घटना वाली शाम पुष्पेंद्र व मुख्तार के मोबाइल फोन की लोकेशन रीता के घर की थी. रात 10 बजे के बाद लोकेशन कानपुर (देहात) की थी.

पुष्पेंद्र व मुख्तार संदेह के दायरे में आए तो अंजन कुमार सिंह की टीम ने दोनों को 25 फरवरी की रात 10 बजे हिरासत में ले लिया और थाने ले आए.

डीसीपी रवीना त्यागी, बृजेश श्रीवास्तव व एसीपी दिनेश शुक्ला की मौजूदगी में पुष्पेंद्र व मुख्तार से रीता के संबंध में पूछताछ शुरू हुई.

साधारण पूछताछ में दोनों पुलिस को गुमराह करते रहे, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो मुख्तार टूट गया. मुख्तार ने जो बताया, उसे सुन कर पुलिस की सांसें अटक गईं.

मुख्तार ने बताया कि रीता अब इस दुनिया में नहीं है. उस की हत्या कर शव को दफना दिया है. हत्या से पहले उस के साथ चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था.

उस के द्वारा धमकी देने पर गला दबा कर उसे मार डाला तथा शव से कीमती जेवर भी उतार लिए थे. हत्या में उस का साथी राशिद व शमशाद भी शामिल थे. मुख्तार के टूटते ही पुष्पेंद्र भी टूट गया और उस ने रीता की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.

‘‘रीता का शव तुम लोगों ने कहां दफनाया?’’ एसीपी दिनेश शुक्ला ने मुख्तार से पूछा.

‘‘साहब, कानपुर (देहात) जिले के भाऊपुर रेलवे स्टेशन के पास एक पुलिया है. उसी के नीचे रीता का शव दफन है,’’ मुख्तार ने बताया.

26 फरवरी की सुबह मुख्तार व पुष्पेंद्र को साथ ले कर पुलिस टीम भाऊपुर स्थित पुलिया के समीप पहुंची. फिर मुख्तार की निशानदेही पर दफन शव को बाहर निकलवाया.

शव बुरी तरह सड़गल चुका था और दुर्गंध आ रही थी. इस शव को इंद्रपाल ने देखा तो वह फफक पड़ा. क्योंकि शव उस की पत्नी रीता का ही था.

शव बरामद होने की खबर पा कर डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी, एडिशनल डीसीपी (पश्चिम) बृजेश श्रीवास्तव व एसीपी दिनेश शुक्ला भी मौके पर आ गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने रीता के शव का बारीकी से निरीक्षण किया. फिर काररवाई निपटा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए माती भिजवा दिया.

सामूहिक दुष्कर्म की हुई पुष्टि

अब तक पुलिस टीम रीता की हत्या के आरोपी पुष्पेंद्र व मुख्तार को तो गिरफ्तार कर चुकी थी, लेकिन मुख्तार के साथी राशिद व शमशाद को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी.

अत: उन दोनों को पकड़ने के लिए पुलिस टीम ने कानपुर (देहात) जनपद के रनिया, रूरा अकबरपुर कस्बे में ताबड़तोड़ दबिशें डालीं और रूरा कस्बा से शमशाद को गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना पनकी लाया गया.

पूछताछ में उस ने भी हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. लेकिन राशिद पुलिस के हत्थे नहीं आया. मुख्तार की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद कर ली, जिसे उस ने अपने गैराज में छिपा दी थी.

इधर रीता के शव का परीक्षण डा. शिवम तिवारी, डा. स्वाति तथा डा. अमित के पैनल ने किया. परीक्षण के बाद शव को उस के पति तथा रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि रीता की हत्या गला दबा कर की गई थी तथा उस के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. शरीर पर चोट के निशान भी पाए गए.

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने मृतका के भाई विनय कुमार की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201/376/392 तथा एससी/एसटी एक्ट के तहत पुष्पेंद्र कठेरिया, मुख्तार, राशिद तथा शमशाद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा पुष्पेंद्र, मुख्तार व शमशाद को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस पूछताछ में रंगीनमिजाज रीता की हत्या की एक सनसनीखेज कहानी सामने आई.

उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जिले का एक बड़ा कस्बा रूरा है. इस कस्बे से 3 किलोमीटर दूर हसनापुर गांव है. दलित बाहुल्य इस गांव में रामदीन अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी उमा देवी के अलावा बेटा विनय तथा बेटी रीता थी.

रामदीन के पास 5 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. खेतीबाड़ी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. रामदीन सरल स्वभाव का था.

रीता रामदीन की रूपवती बेटी थी. वह सुंदर तो बचपन से ही थी, लेकिन जब वह जवानी के बोझ से लदी, तो उस की सुंदरता में और भी निखार आ गया था. उस ने गांव के माध्यमिक विद्यालय से हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी और रूरा कस्बा के आरपीएस इंटर कालेज में दाखिला ले लिया था.

मुख्तार से हो गया रीता को प्यार

रीता बनसंवर कर कालेज जाती थी. उस के चाहने वाले वैसे तो कई युवक थे, लेकिन मुख्तार उसे कुछ ज्यादा ही चाहता था.

दरअसल मुख्तार भी हसनापुर गांव का ही रहने वाला था. वह आकर्षक चेहरे और कसी हुई कदकाठी का युवक था. एक रोज कालेज से लौट रही रीता पर उस की नजर पड़ी तो रीता उस की आंखों से उतर कर उस के मन में समा गई.

मन में गुदगुदी मची, तो वह अकसर ही उस की राहों में खड़ा रहने व उस से किसी न किसी बहाने बातचीत करने का प्रयास करने लगा.

रीता उम्र के उस मोड़ पर थी, जहां लड़कियां अकसर बहकावे में आ जाती हैं. मुख्तार की रसीली बातों में रीता भी बहक गई. आखिरकार रीता का दिल जीतने में मुख्तार कामयाब हो गया. दोनों घर और समाज के लोगों से छिपछिप कर मिलने लगे.

इसी छिपाछिपाई के खेल में एक रोज दोनों बहक गए और उन का शारीरिक मिलन हो गया. शारीरिक मिलन का सुख ही निराला होता है. एक बार सुख भोगा तो वह इस सुख को प्राप्त करने के लिए अवसर तलाशने लगे.

धीरेधीरे रीता और मुख्तार के प्यार के चर्चे पूरे गांव में होने लगे. इन चर्चों की भनक रामदीन के कानों में पड़ी तो वह परेशान रहने लगा.

इसी परेशानी में वह एक रोज माथा पकड़े बैठा था, तभी उमा की नजर पति पर पड़ी. वह बोली, ‘‘रीतू के बापू, का भवा, जो खपडि़या पकड़े हौ? तनिक हमहूं तौ जानी तोहका काहे की चिंता है?’’

रामदीन ने अपनी पत्नी पर नजर डाली, फिर उस का दर्द छलक पड़ा, ‘‘भाग्यवान, तोहरी लाडली ने बिरादरी मां हमरा सिर झुकाय दवो. हम मुंह दिखाय काबिल नाहीं रहे. मुंह पर कालिख पोत दी वाने.’’

‘‘ऐसो का गजब ढा दओ हमरी रीतू ने, जौने मां तोहार सिर झुक गवा,’’ उमा ने पूछा.

‘‘जनिहौ, तौ सुनौ. बड़े मियां का लौंडा है न मुख्तार. वाहके साथ तोहरी लाडली नैनमटक्का करत है. सैरसपाटा करत है और हमरी इज्जत नीलाम करत है.’’

‘‘का कहत हौ रीतू के बापू. हम का तौ विश्वास नाही होत हवै. कौनो ने तोहरे कान फूंके हवै.’’

‘‘नाही भाग्यवान, धुआं होत है, तवैं आग लागत है. बात फैली है, तौ सच्चाई जरूर हवै.’’

‘‘ठीक है, रीतू के बापू. सच्चाई है तौ हम खबर जरूर लीहैं. उस लौंडियां ने अम्मा का दुलार देखा हवै. अब नफरत भी दिखिहैं.’’ उमा का चेहरा तमतमा गया.

फूट गया प्यार का भांडा

उस रोज शाम 5 बजे रीता कालेज से लौटी तो उमा फट पड़ी और रीता को खूब खरीखोटी सुनाई. रीता चुप रही. क्योंकि उसे पता था कि उस के और मुख्तार के प्यार का भांडा फूट गया है.

उमा और रामदीन ने आपस में सलाहमशविरा किया फिर रीता की पढ़ाई बंद करने का हुक्म सुना दिया. इसके बाद रामदीन रीता के ब्याह के लिए वर की तलाश में जुट गया.

रीता की शादी की जानकारी मुख्तार को हुई तो एक दिन वह लोगों की नजर बचा कर रीता से मिला, ‘‘सुना है, तुम्हारे पापा तुम्हारी शादी की बात चला रहे हैं.’’

‘‘हां, यह बात बिलकुल ठीक है,’’ रीता बोली, ‘‘पर मैं भला क्या कर सकती हूं. पापा बड़े जिद्दी हैं और अपनी जिद के आगे वह किसी की भी नहीं सुनते.’’

‘‘तो चलो, हमतुम हसनापुर गांव छोड़ कर कहीं दूर निकल चलें और वहीं रह कर अपना घर बसा लें.’’

रीता सोच में पड़ गई. मुख्तार भावुक हो उठा, ‘‘अगर तुम ने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं कल ही हसनापुर छोड़ कर कहीं चला जाऊंगा और किसी तालपोखरे में डूब कर अपनी जान दे दूंगा.’’

‘‘ऐसा मत कहो मुख्तार,’’ रीता ने उस के होंठों पर हथेली रख दी, ‘‘मेरी मजबूरी समझो मुख्तार. हम हिंदू, तुम मुसलमान. घर वाले तुम से ब्याह रचाने को कभी राजी नहीं होंगे. मैं तुम से वादा करती हूं कि जितना प्यार मैं अभी तुम से करती हूं, उतना ही शादी के बाद भी करती रहूंगी. मिलन भी होता रहेगा.’’

‘‘तब ठीक है,’’ मुख्तार ने रीता की बात मान ली. फिर दोनों अपनेअपने घर चले गए.

शहर में फ्लैट ले कर रहने लगा इंद्रपाल

मुख्तार कार मोटर मैकेनिक था. रूरा के एक गैराज में वह काम करता था. रीता से उस का मिलन बंद हुआ तो वह मन लगा कर काम करने लगा. घर वालों के हाथ पर भी वह चार पैसे रखने लगा. रीता के घर वालों ने भी चैन की सांस ली. हालांकि फोन पर उन की बातें जबतब होती रहती थीं.

इधर रामदीन ने रीता के योग्य वर की तलाश शुरू की तो उसे एक लड़का इंद्रपाल पसंद आ गया. इंद्रपाल कानपुर (देहात) जिले के थाना अकबरपुर के गांव विसानपुर का रहने वाला था.

मातापिता के अलावा एक भाई रामपाल था, जो फौज में था. इंद्रपाल स्वयं भी सीआरपीएफ में था. दोनों भाई कुंवारे थे. उस के पिता लाखन इंद्रपाल की शादी के लिए लालायित थे.

रामदीन ने जब हट्टेकट्टे जवान इंद्रपाल को देखा तो उस ने उसे अपनी बेटी रीता के लिए पसंद कर लिया. रीता और इंद्रपाल ने भी एकदूसरे को देख कर पसंद कर लिया. दोनों की रजामंदी होने के बाद रामदीन ने 24 फरवरी, 2006 को रीता का विवाह इंद्रपाल के साथ कर दिया.

रीता इंद्रपाल की दुलहन बन कर अपनी ससुराल विसानपुर आ गई. ससुराल में रीता को जिस ने भी देखा, उसी ने उस के रूप की सराहना की. विसानपुर गांव में बरसों बाद रीता जैसी रूपसी बहू आई थी. इंद्रपाल भी खूबसूरत पत्नी पा कर खुश था और रीता भी सुंदर स्वस्थ पति पा कर खुश थी.

शादी के 2 साल बाद रीता ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म के 4 साल बाद रीता ने दूसरे बेटे को जन्म दिया.

2 बेटों के जन्म से इंद्रपाल और रीता के जीवन में बहार आ गई. इंद्रपाल की भी किस्मत पलटी और वह सिपाही से हैडकांस्टेबल बन गया. रीता जहां खुश थी, वहीं उस के सासससुर भी 2 बेटों के जन्म से फूले नहीं समा रहे थे.

समय बीतते जब दोनों बेटे कुछ बड़े हुए तो रीता को उन की चिंता सताने लगी. दरअसल रीता दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहती थी, जो गांव में रह कर संभव नहीं थी. अत: जब इंद्रपाल गांव आया तो उस ने अपनी बात रखी और शहर में रहने की इच्छा जताई.

इंद्रपाल ने पहले तो मना कर दिया, लेकिन बाद में उसे पत्नी की जिद के आगे झुकना पड़ा. वह रीता व बच्चों को शहर में रखने को राजी हो गया.

इस के बाद इंद्रपाल ने कानपुर शहर के पनकी थाना अंतर्गत रतनपुर में एक एमआईजी फ्लैट खरीद लिया. इस का सौदा उस ने प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र कठेरिया के मार्फत किया था.

फ्लैट खरीदने के बाद इंद्रपाल अपनी पत्नी रीता व बच्चों के साथ कालोनी में रहने लगा. कुछ दिनों बाद उस ने इंग्लिश मीडियम स्कूल में दोनों बेटों का एडमिशन करा दिया.

इधर मुख्तार को जब पता चला कि रीता अपने बच्चों के साथ रतनपुर कालोनी में रहने लगी है तो वह रीता से मिलने उस के घर आने लगा. चूंकि मुख्तार रीता का पुराना प्रेमी था, सो जल्द ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं और नाजायज रिश्ता फिर से कायम हो गया.

शादी के बाद भी प्रेमी मुख्तार की बांहों में खेलती रही रीता

मुख्तार भी अब तक गांव छोड़ कर कानपुर शहर आ गया था और पनकी क्षेत्र में गैराज चलाने लगा था. चूंकि मुख्तार कुशल कार मैकेनिक था सो उस का काम वहां भी चल पड़ा था और कमाई भी होने लगी थी.

रीता का पति इंद्रपाल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में था. उस की तैनाती विभिन्न प्रांतों में होती रहती थी. उसे जब छुट्टी मिलती थी, तभी घर आ पाता था.

रीता 2 बच्चों की मां जरूर थी. लेकिन तन्हाई उसे सताती थी. ऐसे में पुराने आशिक मुख्तार ने आना शुरू किया तो वह उसे रोक न पाई और तन्हाई दूर करने लगी.

मुख्तार का आना और देर रात तक रुकना, अड़ोसपड़ोस के लोगों को खलने लगा. वह रीता को संदेह की नजर से देखने लगे. कुछ महीने बाद इंद्रपाल घर आया तो उन्होंने उस से चुगली कर दी.

इंद्रपाल ने रीता से सवालजवाब किया तो रीता तुनक कर बोली, ‘‘जिन के पति बाहर रह कर कमाते हैं, उन की औरतों को ऐसे ताने सुनने ही पड़ते हैं. मुख्तार उस के गांव का है. उस के भाई जैसा है. घर आ कर हमारी मदद करता है. लेकिन पड़ोसियों को जलन होती है. तुम्हारे भी कान उन्होंने भरे होंगे.’’

इंद्रपाल को भी लगा कि रीता शायद सही कह रही है. उस ने यह बात वहीं खत्म कर दी. रीता ने भी मुख्तार को फोन पर जानकारी दे दी कि इंद्रपाल घर आया है, इसलिए वह घर न आए. इंद्रपाल की मौजूदगी में वह उसे फोन भी न करे.

फ्लैट खरीदने के दौरान इंद्रपाल की दोस्ती प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र कठेरिया से हो गई थी. जब वह घर आता था, तो पुष्पेंद्र से जरूर मिलता था. दोनों में खूब बातचीत होती थी और खानेपीने का दौर चलता था.

दोनों का मिलन पुष्पेंद्र के रतनपुर वाले औफिस में होता था. इंद्रपाल उस की शानोशौकत से भी प्रभावित था.

इस बार इंद्रपाल आया तो उस ने पुष्पेंद्र को अपने घर दावत पर बुलाया. पुष्पेंद्र सजसंवर कर इंद्रपाल के घर आया, तो वहां उस की मुलाकात इंद्रपाल की पत्नी रीता से हुई.

पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. खानेपीने के दौरान भी पुष्पेंद्र की नजरें रीता पर ही टिकी रहीं. वह उस की खूबसूरती का बखान भी करता रहा. रीता मन ही मन खुश होती रही और मंदमंद मुसकराती रही. इंद्रपाल कुछ दिनों बाद ड्यूटी पर चला गया, लेकिन पुष्पेंद्र का रीता के घर आना जारी रहा. वह हृष्टपुष्ट बांका जवान था और स्वभाव से मृदु व शालीन भी. उधर 2 बच्चों की मां हो कर भी रीता के रूपलावण्य में कमी नहीं आई थी.

प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र भी बन गया बिस्तर का साथी

पुष्पेंद्र उसे उठतेबैठते देखता, तो उस के मन में खोट आ जाती. वह उस से हंसीठिठोली करने लगता. धीरेधीरे रीता को भी उस की बातें अच्छी लगने लगीं.

कहते हैं, औरत एक बार पतन की राह पकड़ ले तो वह उसी राह पर बढ़ती जाती है. रीता भी ऐसी ही औरत थी. वह एक बार फिसली तो फिर फिसलती ही चली गई. उस ने न मानमर्यादा की परवाह की और न ही घर की इज्जत की. उस ने पति के साथ भी विश्वासघात किया.

पुष्पेंद्र जानता था कि पति सुख से वंचित रीता एक प्यासी औरत है. ओस की एक बूंद भी उसे तृप्त कर सकती है. वह रीता से नजदीकियां बढ़ाने लगा. वह रीता को भाभी कहता था. इस नाते खूब हंसीमजाक करता था. रीता उस के मजाक का बुरा नहीं मानती थी, बल्कि जवाब दे कर ठहाके लगाती थी.

रीता को अब उस की बातों में रस आने लगा था. आखिर एक रात भाभीदेवर के रिश्ते की दीवार ढह ही गई. दोनों को इस खेल का पछतावा भी नहीं हुआ.

रीता ने पुष्पेंद्र से जिस्म का रिश्ता बनाया तो वह मुख्तार से दूरियां बनाने की कोशिश करने लगी. मुख्तार को शक हुआ तो उस ने रीता पर निगरानी शुरू कर दी. तब उसे पता चला कि रीता ने प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र को अपने बिस्तर का साथी बना लिया है. इसी कारण वह उस से दूरियां बना रही है.

उसे रीता पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह गुस्से को पी गया. रीता के साथ पुष्पेंद्र की निकटता मुख्तार की आंखों में चुभने लगी. एक शाम मुख्तार रीता के घर आया तो घर के बाहर पुष्पेंद्र भी खड़ा था. उसे देख कर मुख्तार बोला, ‘‘आइंदा तूने इस देहरी पर कदम रखा तो मैं तेरे पैर ही काट डालूंगा, ध्यान रखना.’’

पुष्पेंद्र ने आंखें तरेर कर मुख्तार को घूरा, ‘‘तू रीता का खसम तो है नहीं. फिर तू मुझे रोकने वाला होता कौन है?’’

‘‘कौन होता हूं, यह तो मैं तुझे अभी बता सकता हूं. इस समय चुपचाप यहां से भाग जा, नहीं तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा मेरे हाथों से.’’ मुख्तार ने आस्तीनें चढ़ा लीं.

दोनों के बीच झगड़े की आवाजें सुन कर रीता भी घर से बाहर निकल आई. वह पुष्पेंद्र से बोली, ‘‘तुम यहां से चले जाओ. इस समय मेरी बात मानो.’’

पुष्पेंद्र बड़बड़ाता हुआ चला गया. तब मुख्तार रीता का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए मकान के अंदर ले गया. फिर बोला, ‘‘अब कभी वह तुम से मिलने आया तो उसे ठिकाने लगा दूंगा, तुझे भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

‘‘देखो मुख्तार, गुस्सा थूक दो और मेरी बात सुनो, तुम दोनों मेरे बिस्तर के साथी हो. न मैं तुम्हें छोड़ सकती हूं और न पुष्पेंद्र को. आपस में लड़ाई करने से कोई फायदा नहीं. आज के बाद तुम दोनों कभी भी आ सकते हो. साथ बैठ कर ड्रिंक कर सकते हो और बिस्तर के साथी भी बन सकते हो.’’

ग्रुप सैक्स का मजा लेती थी रीता

मुख्तार ने रीता की बात मान तो ली, लेकिन वह नफरत से सुलग उठा. उस ने निश्चय कर लिया कि वह इस विश्वासघाती औरत को सबक जरूर सिखाएगा.

इस के बाद मुख्तार ने पुष्पेंद्र से हाथ मिला लिया. फिर वे दोनों साथसाथ खानेपीने लगे. रीता के घर पर भी उन की महफिल सजने लगी. अय्याशी के लिए शक्तिवर्द्धक दवाओं, स्प्रे आदि का भी प्रयोग होने लगा. रीता भी ग्रुप सैक्स का भरपूर मजा लेती थी.

20 फरवरी, 2022 को पुष्पेंद्र ने कई बार रीता को फोन किया, लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. शाम 5 बजे उस ने पुष्पेंद्र की काल रिसीव की और उस से बात की.

बात करने के बाद पुष्पेंद्र बियर की 2 बोतलें ले कर रीता के घर पहुंच गया. वहां उस ने रीता के साथ बैठ कर बियर पी. रीता का बड़ा बेटा घर पर ही था. उस ने पुष्पेंद्र को मां के साथ हंसतेबतियाते भी देखा था. रात 8 बजे बेटे को नींद सताने लगी तो वह कमरे में जा कर सो गया.

कुछ देर बाद मुख्तार भी कार ले कर रीता के घर आ गया. कार किसी ग्राहक की थी, जो उस के गैराज में मरम्मत के लिए आई थी. कार में उस के 2 साथी राशिद व शमशाद भी थे. वह कार में ही बैठे रहे.

मुख्तार का रीता ने जोरदार स्वागत किया. पुष्पेंद्र भी गले मिला. उस के बाद मुख्तार और पुष्पेंद्र ने बैठ कर बियर पी. रीता ने भी उन का साथ दिया. बियर पीने के बाद मुख्तार ने बाहर घूमने और खाना खाने की बात कही. इस पर थोड़ी नानुकुर के बाद रीता घूमने जाने को राजी हो गई.

रीता के साथ कार में किया सामूहिक बलात्कार

कुछ देर बाद रीता सजधज कर कमरे से बाहर आई तो पुष्पेंद्र और मुख्तार की आंखें चौंधिया गईं. वह जेवर पहने थी और दुलहन की तरह सजी थी. जेवर देख कर मुख्तार के मन में लालच आ गया. फिर नफरत और लालच ने उसे जुर्म करने को मजबूर कर दिया.

रात 9 बजे मुख्तार उस के साथी राशिद, शमशाद व पुष्पेंद्र रीता को कार में बिठा कर घूमने निकले. वह भौंती होते हुए रूरा की तरफ बढ़े. इसी बीच मुख्तार और पुष्पेंद्र रीता से शारीरिक छेड़छाड़ करने लगे. रीता ने विरोध किया तो मुख्तार उसे नोचनेकाटने लगा.

रीता चीखी तो पुष्पेंद्र ने उस का मुंह दबोच लिया. इस के बाद चलती कार में बारीबारी से मुख्तार, पुष्पेंद्र, राशिद व शमशाद ने रीता के साथ गैंगरेप किया.

रेप के बाद मुख्तार, रीता के जेवर उतारने लगा तो रीता ने सब को जेल भिजवाने की धमकी दी.

इस धमकी से चारों डर गए. उस के बाद सब ने मिल कर रीता की गला दबा कर हत्या कर दी. फिर शव से आभूषण उतार कर रख लिए. उस का मोबाइल फोन तोड़ कर बंबी में फेंक दिया.

रीता की हत्या के बाद वे भाऊपुर पहुंचे. स्टेशन के पास पुलिया पर उन्होंने कार रोकी. फिर सब ने मिल कर शव को कार से उतारा और पुलिया के नीचे दफन कर दिया. ऊपर से ईंटें रख दीं.

शव को ठिकाने लगाने के बाद मुख्तार ने कार गैराज में खड़ी कर दी. इस के बाद सब अपनेअपने घर चले गए. दूसरे रोज मुख्तार ने लूटे गए आभूषण अपने परिचित सर्राफ को बेच दिए.

इधर रात 12 बजे बड़े बेटे की आंखें खुलीं तो वह कमरे से बाहर आया. उस ने मम्मी को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. वह जोर से रोने लगा.

उस के रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी आ गए. उस ने उन्हें सारी बात बताई, फिर पड़ोसी के फोन से अपने पापा इंद्रपाल को मम्मी के अचानक गायब होने की जानकारी दी.

जानकारी पा कर इंद्रपाल घर आया और रीता की गुमशुदगी थाना पनकी में दर्ज कराई. गुमशुदगी के 4 दिन बाद पुलिस ने रीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस के बाद यह केस खुल सका.

27 फरवरी, 2022 को पुलिस ने आरोपी मुख्तार, पुष्पेंद्र कठेरिया तथा शमशाद को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. चौथा आरोपी राशिद फरार था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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दोस्ती के जरिए प्यार में सेंध: भाग 2

संजय ने भट्ठे पर काम करने की योजना महेश के सामने रखी तो वह तुरंत ही तैयार हो गया. संजय महेश को ले कर सीधा पाकबड़ा के भट्ठे पर पहुंचा. वह उसी भट्ठे पर काम करता था. महेश ने वहां पर काम करना शुरू किया तो वहां पर उसे अच्छी आमदनी होने लगी. भट्ठे का काम भी पंसद आ गया था.

संजय भट्ठे पर बने एक कच्चे कमरे में ही रहता था. भट्ठा मालिक ने पहले ही मजदूरों के लिए कई कमरे बना रखे थे. महेश को काम पसंद आते ही संजय ने उसे अपने बगल वाला कमरा दिला दिया था.

भट्ठे पर काम करने में महेश का मन लग गया था. आमदनी भी अच्छी थी. लेकिन सारा दिन काम करने के बाद जब उसे शाम को खाना बनाना पड़ता था, उस से वह तंग आ गया था. इसी परेशानी को देखते हुए महेश ने सरस्वती को लाने का प्लान बनाया और एक दिन जा कर उसे साथ बुला लाया.

सरस्वती के वहां आते ही संजय की बांछें खिल गईं. उस की मन की सारी मुरादें पूरी हो गई थीं. महेश को भट्ठे पर लाने का उस का जो प्लान था, वह पूरा हो गया था.

 

सरस्वती भट्ठे पर आ कर अपने परिवार के साथसाथ संजय के लिए भी खाना बनाने लगी थी. खाना बनाने के साथसाथ वह महेश के काम में भी हाथ बंटा देती थी, जिस के कारण संजय का सारा दिन हंसीखुशी से गुजरता था. भले ही महेश को सारा दिन काम करने के बाद थकान हो जाती थी, लेकिन सरस्वती के सामने होते संजय की एनर्जी भी बढ़ जाती थी.

एक दिन महेश को किसी काम से अपने गांव जोगीपुर जाना पड़ा. वह सरस्वती और बच्चों को भट्ठे पर ही छोड़ गया था. उस दिन संजय को बहुत ही खुशी हुई थी. सारा दिन उस ने काम किया, लेकिन दिन कब निकला और कब छिप गया, उसे पता ही नहीं चला.

शाम हुई तो सरस्वती के अकेला होने की खुशी में उस के दिल में हलचल बढ़ती ही जा रही थी. शाम होने से पहले ही सरस्वती ने खाना भी बना लिया था. उस के बाद उस ने जल्दी ही बच्चों को खाना खिला कर सुला दिया था. बच्चों के सोते ही सरस्वती और संजय ने एक साथ खाना खाया.

सामने सरस्वती को अकेला देख कर संजय के सब्र का बांध टूटने को आतुर था. उस के चेहरे की आभा उस के दिलोदिमाग पर इस कदर हावी थी कि उस का मन बारबार कह रहा कि वह खानापीना छोड़ कर पहले उस के अधरों का रसपान करे.

सरस्वती को अकेला देखते ही उस की भूख उड़ गई थी. फिर उस ने जल्दीजल्दी थोड़ा खाना खाया. फिर बोला, ‘‘भाभी, आज मुझे भूख नहीं लग रही. मैं सोने जा रहा हूं. आज महेश तो है नहीं, इसलिए बच्चों को सावधानी के साथ ही सुलाना. अगर फिर भी कोई परेशानी हो तो मुझे उठा लेना.’’

‘‘ठीक है देवरजी, वैसे जब आप पास में हो तो मुझे क्या परेशानी होने वाली है.’’ सरस्वती ने जबाव दिया.

इस के बाद संजय अपने कमरे में

चला गया.

संजय के जाते ही सरस्वती ने फटाफट  अपना काम निपटाया. उस के बाद वह बच्चों के पास गई. दोनों बच्चे गहरी नींद में सोए पड़े थे. बच्चों को सोता देख उस ने गहरी सांस ली. फिर उस के मन में भी उथलपुथल मचने लगी थी.

उस दिन जितनी कामुकता की आग संजय के शरीर में लगी थी, उस से कई गुना तपिश सरस्वती के शरीर में पैदा हो गई थी. बच्चों को सोता छोड़ कर वह दबे पांव महेश के कमरे में पहुंची.

महेश के कमरे पर लगा टेंपरेरी दरवाजा खुला हुआ था. सरस्वती को संजय से यही उम्मीद थी. किवाड़ की आहट सुन कर संजय सोने का नाटक करते हुए खर्राटे भरने लगा. उस के बाद सरस्वती उस की पीठ के पीछे ही लेट गई. जैसे ही सरस्वती ने संजय के शरीर का स्पर्श किया, उस के शरीर के तार झनझना उठे. उस ने पल भर में ही पलटी मारी और सरस्वती को बांहों में भर लिया.

संजय अभी कुंवारा ही था. पहली बार सरस्वती को आलिंगन किया तो उस की काम वासना उस पर बुरी तरह से हावी हो गई. उसी दिन पहली बार संजय किसी औरत के संपर्क में आया था. वहीं सरस्वती भी काफी समय से इसी दिन का इंतजार कर रही थी.

उस रात संजय ने खुल कर सरस्वती के साथ मौजमस्ती की. साथ ही उस के शरीर के अंगअंग को अपने मोबाइल में कैद कर लिया था. उस वक्त सरस्वती ने भी अपने शरीर का वीडियो बनाने का विरोध नहीं किया था. संजय के साथ अपनी रात गुजारने के बाद उसे पहली बार अहसास हुआ कि वाकई महेश उस के लायक नहीं रहा.

सरस्वती ने एक बार संजय के सामने समर्पण किया तो वह हर रोज उस की आदी हो गई थी. उस के 2 दिन बाद महेश गांव से वापस आया तो सरस्वती को ज्यादा खुशी नहीं हुई.

उस दिन दोनों के बीच अवैध संबंध बनते ही प्यार भी बढ़ गया था. संजय के सामने महेश का प्यार उसे फीका महसूस होने लगा था. उस वक्त सरस्वती भले ही 2 बच्चों की मां बन चुकी थी, लेकिन उस की देह पहले के मुकाबले और भी ज्यादा खिल उठी थी. यही कारण था कि संजय उसे अपनी बीवी के रूप में देखने लगा था.

उस के बाद वह जो भी कमाई करता अधिकांश सरस्वती पर ही लुटाने लगा था. दोनों के बीच अवैध संबंधों का सिलसिला काफी समय तक चलता रहा.

संजय ने कई बार सरस्वती के सामने बात रखते हुए कहा, ‘‘हम दोनों इस तरह से कब तक छिपछिप कर मिलते रहेंगे. क्यों न हम यहां से भाग कर शादी

कर लें.’’

पहली बार तो सरस्वती ने उस से साफ कह दिया,‘‘महेश को छोड़ कर मैं तुम से शादी नहीं कर सकती. अगर तुम्हें मेरे साथ यूं ही दोस्ती निभानी है तो ठीक है, वरना तुम अपना दूसरा रास्ता देख लो.’’

दोस्ती के जरिए प्यार में सेंध: भाग 1

2 बच्चों की मां होने के बाद भी सरस्वती पति महेश के दोस्त संजय से अवैध संबंध बना कर जिंदगी के मजे ले रही थी. इसी दौरान संजय ने मोबाइल फोन से अंतरंग क्षणों की वीडियो भी बना ली. यही वीडियो बाद में ऐसा जलजला बनी कि…

2अगस्त, 2022 की रात के कोई डेढ़ बजे का वक्त रहा होगा. गांव के सभी लोग गहरी नींद में सोए हुए थे.

सरस्वती अपने घर के आंगन में अकेली ही सो रही थी. उसे अकेला सोता देख एक व्यक्ति घर में घुस आया और उस पर चाकू से हमला बोल दिया.

सरस्वती की चीखपुकार सुन कर घर के अंदर सो रहे उस के भाईबहन जाग गए. उन्होंने बाहर आ कर देखा तो वहां पर एक व्यक्ति सरस्वती पर चाकू से वार कर रहा था.

यह सब देखते ही घर में चीखपुकार मच गई. फिर भी उस के भाईबहनों ने हिम्मत जुटा कर चारों ओर से घेराबंदी करते हुए युवक को दबोच लिया. तब तक गांव के लोग भी वहां पर इकट्ठा हो गए थे. उस युवक का नाम संजय था, जो पास के गांव शादीनगर हजीरा का रहने वाला था और सरस्वती के पति महेश के साथ ही काम करता था.

घर वालों ने सरस्वती की हालत देखी तो उन का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने आरोपी संजय की खूब पिटाई की, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गया.

उसी समय मिलक थाने में फोन कर के घटना की जानकारी दे दी गई. वारदात की सूचना पा कर तुरंत ही थानाप्रभारी सत्येंद्र कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस ने सरस्वती और हमलावर दोनों की हालत बिगड़ती देख उन्हें मिलक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए भेज दिया, जहां पर डाक्टरों ने चैकअप करने के बाद दोनों की नाजुक हालत देख जिला अस्पताल, रामपुर के लिए रेफर कर दिया था.

रास्ते में ही सरस्वती की हालत बिगड़ती जा रही थी और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उस की मौत हो गई. जिला अस्पताल में सरस्वती को देखते ही डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था. जबकि आरोपी व्यक्ति को इलाज के लिए भरती कर लिया था. इस घटना की सूचना मिलते ही रामपुर के एडिशनल एसपी डा. संसार सिंह व सीओ धर्म सिंह मर्छाल भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

मौकामुआयना करने के बाद वह जिला अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने मृतका के घर वालों से इस बारे में जानकारी ली.

संजय ने सरस्वती की हत्या क्यों की? यह तो केवल संजय जानता था या फिर मृतका सरस्वती. जबकि आरोपी संजय की उस समय नाजुक हालत बनी हुई थी. पुलिस इस केस की हकीकत जानने के लिए संजय के सही होने का इंतजार करने लगी थी.

5 अगस्त, 2022 को संजय की हालत में कुछ सुधार हुआ तो पुलिस उसे पूछताछ के लिए मिलक थाने ले आई थी. थाने लाने के बाद पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने जो जानकारी पुलिस को दी. उस से एक जुनूनी प्रेम कहानी उभर कर सामने आई.

उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के थाना मिलक अंतर्गत एक गांव है खाता चिंतामन. इसी गांव में रहता था नत्थूलाल का परिवार. नत्थूलाल के परिवार की आजीविका का साधन मात्र मेहनतमजदूरी करना था. उस के परिवार में उस की बीवी और बच्चों को मिला कर कुल 8 सदस्य थे, जिन में 3 बेटे और 3 ही बेटियां थीं.

नत्थूलाल ने अपने बच्चों के जवान होते ही 2 बेटों सोनू और शीशपाल की पहले ही शादी कर दी थी. शीशपाल की शादी के बाद सरस्वती का ही नंबर था. सरस्वती ने जैसे ही जवानी की दहलीज पर कदम रखा, नत्थूलाल को उस की शादी की चिंता भी सताने लगी थी.

सरस्वती देखनेभालने में सुंदर थी. जैसेजैसे जवानी उस पर हावी होती गई, उस के रंगरूप में निखार बढ़ता ही जा रहा था. जिस के कारण उस के गांव के कई लड़कों की उस पर ललचाई नजर जमी रहती थी. नत्थूलाल अपने गांव का माहौल ठीक से जानता था, इसलिए गांव के हालात देखते हुए ही उस ने समय से पहले अपनी बेटी की शादी करने की ठानी और उस के योग्य वर की तलाश भी शुरू कर दी.

उसी दौरान एक दिन उस की मुलाकात बाजपुर थाने के जोगीपुर निवासी कपिल से हुई. बातों ही बातों में शादी की बात चली तो कपिल ने उस की बेटी सरस्वती के लिए एक लड़का बताया. वह लड़का उस के गांव के ही रहने वाले रमेशलाल का बेटा महेश था.

कपिल ने उस के परिवार की तारीफ करते हुए बताया कि उन की बेटी उस परिवार में जा कर खुश रहेगी. रमेशलाल कपिल के पड़ोसी थे और वह उस के परिवार के बारे में ठीक से जानते थे. हालांकि रमेशलाल के पास अपनी जुतासे की जमीन नहीं थी. लेकिन उन का

परिवार मेहनतमजदूरी करने के बाद भी खुशहाल था.

शादी की बात चलते ही नत्थूलाल ने कपिल के गांव जा कर महेश पर नजर डाली. नजर डालते ही उन्होंने महेश को सरस्वती के लिए चुन लिया. फिर शादी की बात पक्की होते ही दोनों परिवार वालों ने शादी की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं.

शादी का दिन रखा गया 9 मार्च, 2015. दोनों तरफ से शादी की तैयारियां पूरी होते ही विधिविधान से उन की शादी भी हो गई. महेश के साथ सात फेरे ले कर सरस्वती दुलहन बन कर उस के घर चली आई थी.

सरस्वती के साथ शादी करने के बाद महेश तो खुश था ही, साथ ही उस के घर वाले भी उस की तारीफ करते नहीं थकते थे. सरस्वती जितना ध्यान महेश का रखती थी, उस से कहीं ज्यादा उस के परिवार का भी रखती थी. इसी वजह से वह जल्दी ही अपने ससुराल वालों की चहेती बन गई थी.

महेश भले ही मजदूरी करता था, लेकिन कभी भी सरस्वती के खर्च में उस ने कमी नहीं आने दी थी. वह उस के हर शौक पूरे करता था. सरस्वती को अच्छा पहननेओढ़ने का बड़ा शौक था, जिस का महेश हमेशा ध्यान रखता था.

समय के साथ सरस्वती 2 बेटों की मां बन गई थी. जिस से उस के परिवार में और भी खुशहाली आ गई थी. उसी समय महेश में एक बुरी लत लग गई. उसे शराब पीने का चस्का लग गया.

इस के बाद वह अपनी कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा शराब पीने में खर्च करने लगा था, जिस के कारण उस

के घर की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने

लगी थी.

उस की बुरी लत को देखते हुए उस के मातापिता ने उसे समझाने की कोशिश की. लेकिन महेश को उन की नसीहत काट खाने को दौड़ने लगी थी. उस की हरकतों से आजिज आ कर आखिर उस के परिवार वालों ने उसे अलग कर दिया. परिवार वालों से अलग हो कर वह एक कमरे में ही रहने लगा. उस का खानापीना भी अलग ही बनने लगा था.

महेश के घर में सब कुछ सामान्य चल रहा था. लेकिन उस की थोड़ी सी गलती के कारण सरस्वती को परिवार वालों ने अलग कर दिया था. उस की उसी कमी के कारण पतिपत्नी में अनबन रहने लगी थी.

कपिल ने ही सरस्वती की शादी कराई थी. इसलिए उस ने कई बार कपिल से महेश की शिकायत की. लेकिन वह उस की बात भी मानने को तैयार न था.

उसी दौरान एक दिन थाना मिलकखानम क्षेत्र के शादीपुर हजीरा निवासी कपिल का साला संजय आया हुआ था. उस समय सरस्वती भी कपिल के घर गई हुई थी. उसी दौरान संजय को पता चला कि वह उसी के थाना क्षेत्र की रहने वाली है. यह बात संजय ने सरस्वती को बताई तो बह बहुत ही खुश हुई.

संजय अभी कुंवारा था. सरस्वती जब तक उस के पास रही, उसी के साथ बतियाती रही. उस के बाद जब वह जाने लगी तो संजय को बुला कर अपने घर ले गई. उस वक्त महेश घर से बाहर था. सरस्वती को अकेला पा कर संजय ने उस दिन महेश और सरस्वती के बीच चल रही सारी बातें खंगाल ली थीं. उस के बाद महेश ने उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था.

संजय जब तक कपिल के घर रहा, वह उस से मिलता रहा. लेकिन वहां से चले जाने के बाद भी वह अकसर उस से मोबाइल पर बात करता रहता था. सरस्वती देखने में सुंदर और बोलनेचालने में तेजतर्रार थी. संजय ने पहली मुलाकात में ही उसे अपने दिल में जगह दे दी थी.

संजय भी महेश की तरह ही मजदूर था. लेकिन अंतर इतना था कि महेश अनपढ़ सीधासादा और दारूबाज था. उस की बीवी हर वक्त बनठन कर रहती थी. लेकिन कभी भी उस ने उस के हुस्न की तारीफ नहीं की थी.

हालांकि शादी से 2 बच्चे होने तक वह उस के साथ खुश थी. लेकिन जब से उस की मुलाकात संजय से हुई थी, तब से महेश के प्रति उस के दिल में कुछ तीखापन आ गया था. उसे बाहर की हवा लगी तो उस का मन संजय के साथ हवाई उड़ान भरने लगा था.

 

संजय मुरादाबाद के पास कस्बा पाकबड़ा में ईंटभट्ठे पर काम करता था. वहां पर उसे अच्छी मजदूरी मिल जाती थी. लेकिन सरस्वती से मिलने के बाद उस का मन भी वहां से उचट गया था. फिर वह कुछ दिन काम करने के बाद सीधा अमरोहा जिले में स्थित जोगीपुरा गांव में अपनी बहन संतोष देवी के पास चला जाता था.

जोगीपुरा जाने के बाद वह अपनी बहन के घर कम सरस्वती के पास ज्यादा रहता था. उस का मन करता कि सरस्वती हर वक्त उस की आंखों के सामने ही रहे. संजय महेश की हर समय नशे में रहने वाली कमजोरी जान चुका था.

संजय ने उस की उसी कमी का लाभ उठाते हुए उस पर भी अपना विश्वास जमा लिया था. वह हर वक्त उस के साथ ही रहने लगा. धीरेधीरे दोनों के बीच पक्की दोस्ती हो गई. संजय अपनी मंजिल की ओर आसानी से जाने के लिए उसे शराब भी पिलाने लगा था.

महेश के साथ दोस्ती करने के बाद संजय ने एक योजना बनाई. उस ने सोचा कि किसी तरह से महेश उस के साथ ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए तैयार हो जाए तो उसे सरस्वती को ले जाने में कोई परेशानी नहीं होगी.

टैस्टेड ओके: क्या कैरेक्टर टेस्ट में पास हुए विशाल और संजय

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देशद्रोही आफरीन- भाग 3: क्या थी उसकी कहानी

‘‘उस का नाम बलवंत राय?है और वह भी अपने बाप की तरह राजनीति में कदम रखना चाहता है. उस ने अपनी छवि एक हिंदूवादी नेता के रूप में बनानी शुरू कर दी है, क्योंकि हमारे देश में लोग जातिवाद पर ही सब से ज्यादा आंदोलित होते हैं, इसलिए धर्म की राजनीति कर के वह अपने पिता की राह पर चलना चाहता है और फिलहाल उस ने कुछ गायों को खरीद कर अपने फार्महाउस पर रखवा दिया है, जिन का इस्तेमाल वह आने वाले समय में दंगे फैलाने में कर सकता है… मेरा मतलब समझ रही हैं न आप?’’

‘‘क्या तुम इसी समय मुझे बलवंत राय के बंगले पर ले जा सकते हो? हमें सुबूत इकट्ठे करने होंगे,’’ आफरीन ने कहा.

‘‘ले जा तो सकता हूं, पर जाने से पहले मैं अपने दिल की बात आप से कहना चाहता हूं,’’ अनुभव ने कहा.

‘‘कहिए,’’ आफरीन ने कहा.

‘‘दरअसल, आप जैसी इनसानियत से प्यार करने वाली लड़की मैं ने आज तक नहीं देखी. आप एक अनजान लड़की को इंसाफ दिलाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल रही हो और आप का यह जज्बा देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा है.

‘‘मैं ने हमेशा से अपने लिए आप जैसी लड़की ही चाही है और मैं आप से यह कहना चाहता हूं कि मुझे आप से प्यार है और मैं आप से शादी करना चाहता हूं,’’ एक ही सांस में कह गया था अनुभव.

अनुभव की बात सुन कर एक पल के लिए रुखसार के गाल लाल हो उठे, पर उस की जबान खामोश हो गई थी. उस के होंठों पर मुसकराहट दौड़ गई थी. आफरीन के होंठ खामोश थे, पर अनुभव को उस का जवाब मिल गया था.

वे दोनों बलवंत राय के फार्महाउस के बाहर थे. अंदर एक ओर घास का छोटा सा मैदान था, जहां पर कई गाय और बछड़े बंधे हुए थे.

आफरीन ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू किया और धीरेधीरे खिड़की के पास जा पहुंची. बलवंत राय अंदर दोस्तों के साथ बैठा हुआ शराब पी रहा था और उस के दोस्त उस की मक्खनबाजी करने में लगे थे.

‘‘देखना अगला इलैक्शन तो हमारे भैया ही जीतेंगे,’’ एक दोस्त बोला.

‘‘हां, तो राजनीति में है ही क्या… लोगों को धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर एकदूसरे से लड़वाओ और राज करो… एक जाति की लड़की का रेप करो तो दूसरी जाति वाले को फंसाओ और दूसरे धर्म की लड़की का रेप करो तो किसी और धर्म के लोगों को फंसाओ.

‘‘अभी देखो न, जब मैं ने चलती कार में उस लड़की का रेप किया तो वह लगी चिल्लाने… मैं ने भी बस चाकू से उस की जीभ काट दी… न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी…’’ बलवंत राय हंसते हुए बोला.

खिड़की के बाहर वीडियो शूट करते हुए आफरीन की आंखें हैरत से फैल गई थीं कि तभी किसी ने पीछे से आ कर उस को पकड़ लिया और उस का मोबाइल छीन लिया.

‘‘क्या रे चिकनी. क्या जासूसी कर रही थी? और तू हमारे टुकड़ों पर पालने वाला कुत्ता… तू अब हमें ही काटने की तैयारी कर रहा था,’’ बलवंत राय के सामने दोनों को ले जाने के बाद वह आगबबूला हो रहा था.

उस के एक आदमी ने उसे बताया कि आफरीन के मोबाइल में गाय और बछड़ों के वीडियो हैं और दोस्तों के साथ हो रही बातें भी रिकौर्ड हैं.

‘‘देखो छमिया. शक्ल से तो कश्मीरी लगती हो. अगर ये सब ले कर तुम पुलिस के पास चली भी जाओगी तो भी पुलिस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी. पर, आज हम तेरे इन गालों को काट कर देखेंगे कि इन में कितना रस है और फिर कल तुम पुलिस में चली जाना अपने साथ हुए रेप की खबर देने,’’ बलवंत राय ने आफरीन के गालों को सहलाते हुए कहा.

‘‘नहीं बलवंत राय, आफरीन मेरी होने वाली बीवी है. उसे कुछ मत करना, नहीं तो ठीक नहीं होगा,’’ अनुभव चीख पड़ा था.

‘‘ओह, तो लव का लफड़ा है,’’ इतना कह कर बलवंत राय ने अपनी शर्ट उतार फेंकी और आफरीन की ओर बढ़ा. उस की आंखों में हवस के कीड़े नाच रहे थे कि तभी उस के मोबाइल पर उस के विधायक पिताजी का फोन आ गया.

‘‘अरे, कुछ दिनों के लिए अपनी नीच हरकतों को बंद करो. वह जो लड़की की जबान काटने वाला केस है, वह मीडिया में पहुंच गया है और तुम्हारा नाम भी उछल रहा है. इस तरह तो मेरी कुरसी भी खतरे में पड़ जाएगी, इसलिए कुछ दिन के लिए शुद्ध भगवाधारी ब्रह्मचारी जैसी जिंदगी बिताओ, नहीं तो मैं बचा नहीं पाऊंगा तुम्हें,’’ और इतना कह कर फोन काट दिया.

बलवंत राय काफी कुछ समझ चुका था. वह बोला, ‘‘इन दोनों को बांध कर रखो. इन का इस्तेमाल हम कल होने वाली रैली में करेंगे.’’

अगले दिन ‘बिटिया बचाएंगे… देश जगाएंगे’ नाम की रैली थी. तमाम पुलिस बल इकट्ठा था. तमाम लोगों के ‘हिंदू हृदय सम्राट’ बलवंत राय जनता को संबोधित करने जा ही रहा था कि माइक पर एक महिला की तेज आवाज गूंज पड़ी, ‘‘पाकिस्तान जिंदाबाद, हिंदुस्तान मुर्दाबाद…’’

सब इधरउधर देखने लगे. भला इस रैली में ऐसा नारा कौन लगा सकता है?

एक आदमी आफरीन और अनुभव के मुंह पर टेप लगा कर स्टेज पर खींचता हुआ लाया, जिसे जनता की ओर दिखाते हुए वह आदमी बोला, ‘‘देखो साथियो, हम एकता की बात करते हैं और ये कश्मीरी लोग ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ करते हैं. इतना ही नहीं, ‘‘यह देखिए, इन के पास से गौमांस भी बरामद हुआ है,’’ यह कह कर उस आदमी ने एक बैग में गौमांस लोगों को दिखाया.

‘‘ओह तो ये लोग गाय काट कर पार्टी करते हैं. अब चलेगा इन पर प्रतिबंधित पशु काटने का केस और देशद्रोह का मुकदमा, तब अक्ल ठिकाने आ जाएगी,’’ बलवंत राय ने आफरीन को पुलिस की तरफ धकेल दिया.

अनुभव और आफरीन चिल्लाते रहे कि ये उन के खिलाफ एक साजिश है, पर भला सत्ता में बैठे विधायक के बेटे के खिलाफ उठती आवाजें कौन सुनता?

बेकुसूर को सजा दी गई. आफरीन को देशद्रोही मान कर जेल में डाल दिया गया.

और उस दिन के बाद से आफरीन और अनुभव कभी मिल नहीं सके… न जाने कितने अनुभव और आफरीन जेल में बंद होंगे…

आज आफरीन यह भी नहीं जानती कि अस्पताल में जंग लड़ती लड़की जिंदा भी है या नहीं. अलबत्ता, उसे हर पल यह जरूर जताया जाता है कि उस ने देश विरोधी नारे लगाए हैं और वह एक देशद्रोही है.

देशद्रोही आफरीन- भाग 2: क्या थी उसकी कहानी

डाक्टरों ने उस लड़की की पूरी जांच करने के बाद जो बताया, उस ने आफरीन और उस नौजवान को अंदर तक हिला दिया था.

‘‘इस लड़की के साथ रेप किया गया और जब वह शोर मचाने लगी होगी तो उन दरिंदों ने न केवल उस की जीभ काट दी, बल्कि उस को इतना मारा कि उस की रीढ़ की हड्डी और पैर टूट गए. हमारे लिए इस लड़की को जिंदा रख पाना किसी चुनौती से कम नहीं है,’’ डाक्टर ने कहा.

रात के 3 बजे चुके थे. आफरीन अब भी अस्पताल में ही थी.

‘‘जी देखिए, अब मुझे जाना होगा और मैं आप की हिम्मत की तारीफ करता हूं, जो आप ने इस लड़की की मदद के लिए जुटाई… वैसे, मेरा यह कार्ड रख लीजिए. आप को किसी भी तरह की मदद की जरूरत पड़े, तो मुझ से बात कीजिएगा,’’ वह नौजवान बोला.

एक फीकी सी मुसकराहट से आफरीन ने उस नौजवान को शुक्रिया कहा.

आफरीन भी अस्पताल में ज्यादा देर न रुकी. लड़की के घर वाले कहां हैं? कौन हैं? यह जानने के लिए पीडि़ता का होश में आना जरूरी था, पर डाक्टरों के मुताबिक अभी उस के होश में आने में समय था.

आफरीन अगले दिन काम पर नहीं गई, मन जो उचाट था. दूसरे दिन ही अस्पताल जा पहुंची और पीडि़ता का हाल जाना. पीडि़ता की आंखों में आंसू थे, जो सिर्फ दर्द बयां कर रहे थे. वह बोल तो नहीं सकती थी, पर लिख तो सकती?है, यह खयाल आते ही आफरीन ने उसे अपना पैन और कौपी दी, जिस पर पीडि़ता ने बड़ी मुश्किल से एक मोबाइल नंबर लिखा और एक कार का नंबर.

मोबाइल नंबर उस लड़की के पिताजी का था, जिन्हें आफरीन ने सीधे अस्पताल आने को कहा और कार का नंबर उस गाड़ी का रहा होगा, जिन लोगों ने उस का रेप कर के उसे बीच रास्ते में फेंक दिया होगा.

इंटरनैट और तकनीक के दौर में कार के असली मालिक का पता लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था. आफरीन ने गाड़ी के मालिक का पता लगाया तो उसे पता चला कि गाड़ी का मालिक और कोई नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक का बेटा है.

‘‘नाम इतना बड़ा और काम इतना नीच…’’ तिलमिला उठी थी आफरीन, ‘‘पर, ऐसे भेडि़यों को सजा दिला कर रहूंगी मैं.’’

‘‘पर, तू क्या सजा दिलाएगी उन लोगों को जिन्होंने एक लड़की पर बिलकुल भी दया नहीं दिखाई और उलटा उस की जीभ ही काट ली और फिर मत भूल कि तू इस बड़े और अजनबी शहर में अकेली रह रही है और यहां कोई भी नहीं है जो तेरा साथ दे, तेरे पास सुबूत भी क्या?है उस विधायक के बेटे के खिलाफ?’’ अपनेआप से ही सवाल किया था आफरीन ने.

आफरीन ने अपने हैंडबैग में हाथ डाला तो उस नौजवान का कार्ड हाथ में आ गया, जिस ने आफरीन की मदद की थी. उस का नाम अनुभव शर्मा था और वह उसी विधायक का सचिव था, जिस के बेटे ने रेप किया था.

‘‘तो मुझे सुबूत के लिए अनुभव से मिलना होगा,’’ ऐसा सोच कर आफरीन दिए गए पते पर चली गई और अनुभव से मुलाकात कर उस से मदद मांगी.

‘‘जी बिलकुल. मैं आप की पूरी तरह से मदद करूंगा, पर भला क्या मदद चाहिए आप को?’’

‘‘दरअसल, उस दिन आप ने इस लड़की को अस्पताल पहुंचाने में मेरी मदद की थी. मैं ने उस लड़की से जबरदस्ती करने वाले का पता लगा लिया है और मैं उन लोगों को सजा दिलाना चाहती हूं,’’ आफरीन ने कहा.

‘‘जी, ऐसे लोगों को सजा जरूर मिलनी चाहिए, पर वह कमीना है कौन और कहां रहता है?’’ अनुभव ने पूछा, तो बदले में आफरीन ने उस गाड़ी का नंबर आगे कर दिया, जिसे देख कर अनुभव को समझते देर नहीं लगी कि आफरीन क्या कहना चाह रही है.

‘‘पर आफरीनजी, मैं इन लोगों के लिए काम करता हूं और बदले में ये लोग मुझे पैसे देते हैं. भला मैं इन से गद्दारी कैसे कर सकता हूं?’’

अनुभव की बातें सुन कर आफरीन को धक्का सा लगा था. वह कुछ बोल तो न सकी, पर उस की कश्मीरी आंखों में झील सी लहरा आई थी.

‘‘आप मेरी मजबूरी को समझिए आफरीनजी,’’ अनुभव ने कहा.

‘‘जी हां, आप मर्दों की मजबूरी मैं खूब समझती हूं और आप भला क्यों मजबूर होंगे. वह लड़की आप की रिश्ते में कुछ भी तो नहीं लगती थी, पर भला तब भी आप अपनी मजबूरी इसी तरह तब जाहिर करते जब वह पीडि़ता आप की बहन या बेटी होती?’’ आफरीन गुस्से से बोली और वहां से उठ कर चली गई और अनुभव उसे देखता रह गया.

रेप की उस पीडि़ता के परिवार वालों का बुरा हाल था. खुद पीडि़ता जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी. पुलिस सुबूतों की कमी में खामोश थी और आफरीन के अंदर अब भी बेचैनी थी.

रात के 9 बजे अनुभव ने आफरीन को फोन कर के उस से मिलने की इच्छा जाहिर की, तो आफरीन ने बेहिचक हो कर उसे अपने फ्लैट पर बुला लिया.

‘‘आफरीन जी देखिए, उस दिन आप की बातों ने मेरे जमीर पर गहरी चोट पहुंचाई थी, पर उस दिन मैं अपनी ड्यूटी पर था और चाह कर भी आप की मदद नहीं कर सकता था. पर आज मैं उस विधायक की नौकरी को लात मार आया हूं और आप के मिशन में आप के साथ हूं. बताइए, मुझे क्या करना होगा?’’

‘‘मुझे आप सिर्फ उस विधायक के बेटे के बारे में कुछ जानकारी दीजिए, मसलन, वे लोग क्या करते हैं? कैसे आदमी हैं? वगैरह…’’

‘‘वे लोग अपनी राजनीति के लिए कुछ भी कर सकते हैं. रेप और खून करना उन के लिए आम बात है और मैं तो आप से यही कहूंगा कि उन लोगों से अपना ध्यान हटा कर आप अपना काम करें तो बेहतर होगा,’’ अनुभव ने आगे बोलना शुरू किया.

देशद्रोही आफरीन- भाग 1: क्या थी उसकी कहानी

‘‘राजनीति का एक रूप यह भी हो सकता है… और वे लोग इस हद तक भी जा सकते हैं… मैं ने कभी नहीं सोचा था,’’ जेल की एक सीलन भरी कोठरी में पड़ी हुई एक लड़की बुदबुदा उठी थी.

वह लड़की, जिस का नाम आफरीन था, को देख कर कोई भी कह सकता था कि उस के चेहरे का उजलापन चांद को भी मात करता होगा, पर अब इस उजलेपन पर अमावस की छाया पड़ गई थी और उस का चेहरा बुझ सा गया था, उस की आंखों को काले गड्ढों ने आ कर दबोच लिया था.

आफरीन के शरीर में जवानी के जितने भी प्रतीक थे, वे सारे अब उस की बदहाली बतलाते थे और भला ऐसा होता भी क्यों न. बेचारी आफरीन पर देशद्रोह का आरोप जो लगा था. जी हां, देशद्रोह का.

अपने देश भारत के दुश्मन पाकिस्तान को ‘जिंदाबाद’ कहने का आरोप लगा था आफरीन पर.

पर आफरीन ही क्यों? भला कोई भी सच्चा भारतीय ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे क्यों लगाएगा?

आफरीन का जन्म कश्मीर में हुआ था. उस के अब्बू का सूखे मेवों का कारोबार था. आफरीन की नानी पाकिस्तान के लाहौर से थीं, जो बंटवारे के बाद भारत में आ गई थीं और तब से यहीं रह रही थीं.

आफरीन का बचपन लाहौर और पाकिस्तान की बातें और कहानियां सुन कर बीता था. नानी को जब भी समय मिलता, वे अपने लाहौर की मीठी यादों में खो जातीं. आफरीन को लाहौर की हर एक छोटीछोटी बातें बतातीं और अपनी यादें बांटतीं. बचपन में आफरीन को नानी की बातों से कभी यह अहसास नहीं हुआ कि पाकिस्तान एक दुश्मन देश है.

‘अगर नानी का पाकिस्तान इतना ही अच्छा है तो इन दोनों देशों में हमेशा ही जंग क्यों जारी रहती है? क्यों दोनों ही तरफ के लोग मारे जाते हैं? कितना अच्छा हुआ होता कि पाकिस्तान का जन्म ही नहीं हुआ होता, फिर तो दोनों तरफ इतनी नफरत ही न होती,’ आफरीन ऐसी बातें अकसर सोचती थी, पर भला सियासत करने वालों को इन सब जोड़ने वाली बातों से क्या सरोकार, उन्हें तो लोगों को तोड़ कर ही अपनी सियासत चमकाने में मजा आता है.

नानी की बड़ी इच्छा थी कि वे मरने से पहले एक बार लाहौर हो आएं, पर उन की यह इच्छा तब उन के साथ ही सुपुर्देखाक हो गई, जब वे एक लंबी बीमारी के बाद इस दुनिया को छोड़ कर चली गईं.

आफरीन ने दिल्ली आ कर पढ़ाई की और वकालत करने के बाद इसे ही अपना पेशा बना लिया.

एक दिन काम में काफी बिजी रहने के बाद जब रात के 10 बज गए, तो आफरीन ने एक कैब ली और रोहतास एन्क्लेव में अपने फ्लैट की ओर जाने लगी. अभी वह अपने औफिस से कुछ ही दूरी पर पहुंची थी कि उस ने देखा कि सड़क के बीचोंबीच कोई पड़ा हुआ है.

‘‘लगता है, किसी का एक्सीडैंट हुआ है… पर कमाल है कि इतनी गाडि़यां आजा रही हैं, पर इस को मदद देने का समय किसी के पास नहीं?है,’’ आफरीन बुदबुदा उठी थी.

‘‘भैया, जरा गाड़ी रोकना,’’ गाड़ी रुकवा कर आफरीन उस आदमी के पास गई.

और उस के बाद जो आफरीन ने देखा, वह देख कर उस की चीख निकल गई. वह एक लड़की थी, जो बिलकुल नंगी हालत में सड़क पर फेंक दी गई थी. देखने से ही लगता था कि उस के साथ रेप हुआ है. लड़की के मुंह से लगातार ढेर सारा खून निकल रहा था.

आफरीन को कुछ समझ नहीं आया. वह थोड़ा घबराई थी. उस ने देखा कि अभी उस लड़की की सांसें चल रही थीं यानी अगर अभी उसे समय रहते अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उस की जान बच सकती है. आफरीन ने कैब वाले को मदद के लिए बुलाया.

‘‘अरे क्या मैडम, इस को अस्पताल ले जा कर क्यों लफड़े में पड़ती हो? और वैसे भी यह रेप का केस लगता है… मैं किसी तरह के पचड़े में नहीं पड़ना चाहता… जो आप की मरजी हो करो. मैं यहां से जा रहा हूं,’’ इतना कह कर कैब ड्राइवर तेजी से चला गया.

हैरान हो गई थी आफरीन, ‘‘क्या वाकई इनसानियत मर गई थी… एक कैब ड्राइवर एक पीडि़ता को अस्पताल तक नहीं पहुंचा रहा है…’’

आफरीन के अगलबगल से गाडि़यां निकल रही थीं, पर कोई भी रुक कर इस लड़की का हाल तक नहीं पूछना चाह रहा है, पर कुछ भी हो जाए, मैं इस लड़की को अस्पताल तो पहुंचा कर ही रहूंगी,’’ सब से पहले तो आफरीन ने मोबाइल फोन से पुलिस को फोन लगाया, तो पुलिस ने जल्द से जल्द वहां पहुंचने का यकीन दिलाया.

‘‘अगर पुलिस को आने में देर हुई तो ज्यादा खून बहने के चलते यह लड़की मर भी सकती है,’’ यह सोच कर आफरीन ने लोगों को हाथ हिला कर मदद की गुहार लगानी शुरू की, आटोरिकशा और कैब वालों को भी रोका, पर सब बेकार रहा. तकरीबन एक घंटा हो चुका था, पुलिस का कहीं अतापता नहीं था.

इस बीच आफरीन ने लड़की के मुंह से बहता हुआ खून रोकने के लिए रूमाल लड़की के मुंह पर लगाया, तो उसे एहसास हुआ कि खून की एक धार लगातार उस के मुंह से बाहर आ रही थी. वह लड़की चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रही थी. दरिंदों ने रेप करने के बाद उस लड़की की जीभ ही काट दी थी.

‘‘शायद मैं इस लड़की को बचा नहीं पाऊंगी… कोई भी मदद को नहीं रुक रहा है… पर क्या करूं… मैं इसे छोड़ कर जा भी तो नहीं सकती… मेरा जमीर मुझे इस की इजाजत नहीं दे रहा है,’’ अपनेआप से ही बातें कर रही थी आफरीन.

तभी किसी ने रोड के किनारे अपनी लंबी सी कार रोकी. उस में से एक नौजवान निकला और फौरन आफरीन के पास पहुंचा.

‘‘जी कहिए… क्या कोई हादसा हुआ?है… उफ,’’ लड़की के नंगे शरीर और बहते खून को देख कर वह नौजवान भी परेशान हो उठा था. वह जल्दी से अपनी गाड़ी में रखा हुआ एक कपड़ा निकाल कर लाया और लड़की के शरीर को ढक दिया.

‘‘लगता है, किसी ने रेप के बाद इसे फेंक दिया है. क्या आप इसे उठाने में मेरी मदद करेंगी…?’’ उस नौजवान ने आफरीन को देखते हुए कहा.

‘‘जी जरूर,’’ इतना कह कर उन दोनों ने उस लड़की को गाड़ी में लिटा दिया और अस्पताल पहुंचा दिया.

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