Manohar Kahaniya: 10 साल में सुलझी सुहागरात की गुत्थी- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

अपने बेटे की तसवीर के सामने खड़े जयभगवान की आखें बारबार डबडबा रही थीं. हाथ में पकड़े रूमाल से आंखों में छलक आए आंसुओं की बूंदों को साफ करते हुए वह बारबार एक ही बात बुदबुदा रहे थे, ‘‘बेटा, आज मेरी लड़ाई पूरी हो गई. तेरे एकएक कातिल को मैं ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. तू जहां भी है देखना कि तेरा ये बूढ़ा बाप तेरे कातिलों को उन के किए की सजा दिला कर रहेगा.’’

कहतेकहते जयभगवान अचानक फफकफफक कर रोने लगे. रोतेरोते उन की आंखों के आगे अतीत के वह लम्हे उमड़घुमड़ रहे थे, जिन्होंने उन की हंसतीखेलती जिंदगी को अचानक आंसुओं में बदल दिया था.

बाहरी दिल्ली के समालखा में रहने वाले जयभगवान प्राइवेट नौकरी करते थे. उन के 2 ही बेटे थे. बड़ा बेटा रवि और छोटा डैनी. 10वीं कक्षा तक पढ़े रवि ने 18 साल की उम्र में पिता का सहारा बनने के लिए ग्रामीण सेवा वाले आटो को चलाना शुरू कर दिया था.

3 साल बाद मातापिता को रवि की शादी की चिंता सताने लगी. समालखा की इंद्रा कालोनी में रहने वाला शेर सिंह जयभगवान की ही बिरादरी का था.

शेर सिंह की पत्नी कमलेश राजस्थान के अलवर जिले में टपूकड़ा की रहने वाली थी. उस ने अपनी साली शकुंतला का रिश्ता रवि से करने की सलाह दी थी. जिस के बाद दोनों पक्षों में बातचीत शुरू हुई.

कई दौर की बातचीत के बाद रवि का शेर सिंह की साली  शकुंतला से रिश्ता पक्का हो गया. शकुंतला के पिता पतराम और मां भगवती के 6 बच्चे थे, 3 बेटे और 3 बेटियां. सब से बड़ी बेटी कमलेश की शादी शेरसिंह से हुई थी. शकुंतला 5वें नंबर की थी. उस से छोटा एक और लड़का था, जिस का नाम था राजू.

दोनों परिवारों की पसंद और रजामंदी से 8 फरवरी, 2011 को सामाजिक रीतिरिवाज के साथ रवि और शकुंतला की शादी हो गई. लेकिन शादी की पहली रात को रवि कुछ रस्मों के कारण अपनी दुलहन के साथ सुहागरात नहीं मना सका.

संयोग से अगले दिन कुछ नक्षत्र योग के कारण शकुंतला को पगफेरे की रस्म के लिए अपने मायके जाना पड़ा. नक्षत्रों के फेर के कारण शकुंतला को एक महीने तक मायके में ही रहना पड़ा.

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किसी तरह एक माह गुजरा और 21 मार्च, 2011 को रवि अपनी पत्नी शकुंतला को अपनी ससुराल अलवर से अपने घर समालखा दिल्ली वापस ले आया.

शकुंतला थकी थी, लिहाजा उस रात भी रवि की पत्नी के साथ सुहागरात की मुराद पूरी नहीं हो सकी. अगली सुबह शकुंतला ने घर में पहली रसोई बना कर पूरे परिवार को खाना खिलाया, जिस के बाद जयभगवान अपनी नौकरी के लिए चले गए.

दोपहर को शकुंतला अपने पति रवि को साथ ले कर इंद्रानगर कालोनी में रहने वाली बड़ी बहन कमलेश से मिलने के लिए उस के घर चली गई. लेकिन शाम के 7 बजे तक जब बेटा और बहू घर नहीं लौटे तो जय भगवान ने बेटे रवि के मोबाइल पर फोन मिलाया. उस का फोन स्विच्ड औफ मिला.

जयभगवान छोटे बेटे को ले कर रवि के साढ़ू शेर सिंह के घर पहुंचे तो शकुंतला ने बताया कि रवि को रास्ते में ग्रामीण सेवा चलाने वाले कुछ दोस्त मिल गए थे. रवि उसे घर के पास छोड़ कर यह कह कर चला गया था कि कुछ ही देर में वापस लौट आएगा. लेकिन उस के बाद से ही वह वापस नहीं लौटा है.

जयभगवान बहू शकुंतला को उस की बहन के घर से अपने साथ घर ले आए. लेकिन पूरी रात बीत जाने पर भी रवि घर नहीं आया.

अगली सुबह 23 मार्च, 2011 को जयभगवान ने कापसहेड़ा थाने में अपने बेटे की गुमशुदगी की सूचना लिखा दी.

रवि के लापता होने की जानकारी मिलने के बाद अगले दिन शकुंतला के घर वाले भी अपने पड़ोसी कमल सिंगला को ले कर हमदर्दी जताने के लिए जयभगवान के घर पहुंचे.

उन सब ने भी जयभगवान के साथ मिल कर रवि की तलाश में इधरउधर भागदौड़ की. कई दिनों तक जब रवि का कोई सुराग नहीं मिला तो 10 दिन बाद मायके वाले शकुंतला को अपने साथ वापस अलवर ले गए.

इसी तरह वक्त तेजी से गुजरने लगा. कापसहेड़ा पुलिस ने लापता लोगों की तलाश के लिए की जाने वाली हर काररवाई की. घर वालों ने जिस पर भी रवि के लापता होने का शक जताया, उन सभी को बुला कर पूछताछ की गई. मगर कोई सुराग नहीं मिला.

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बेटे का सुराग नहीं मिलता देख जयभगवान ने उच्चाधिकारियों से भी मुलाकात की फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ. लिहाजा उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. जिस पर दिल्ली पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया.

कोर्ट के आदेश पर हुई जांच शुरू

नोटिस जारी होते ही दिल्ली पुलिस के उच्चाधिकारियों के कान खड़े हुए और इसी के आधार पर पीडि़त जयभगवान की शिकायत पर 16 अप्रैल, 2011 को रवि की गुमशुदगी के मामले को कापसहेड़ा पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (अपहरण) की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

जयभगवान से पूछा गया तो उन्होंने पुलिस के सामने शंका जाहिर की कि उन्हें शकुंतला के भाई राजू और उन के पड़ोसी कमल सिंगला पर शक है.

वह कोई ठोस कारण तो नहीं बता सके, लेकिन उन्होंने बताया कि शादी होने से पहले कमल ही शंकुतला के घर वालों के साथ हर बार उन के घर आया, जबकि वह उन का रिश्तेदार भी नहीं है.

हालांकि पुलिस के पास कोई पुख्ता आधार नहीं था, लेकिन इस के बावजूद उन दोनों को बुला कर पूछताछ की गई. मगर ऐसी कोई संदिग्ध बात पता नहीं चल सकी, जिस के आधार पर उन से सख्ती की जाती.

पुलिस ने शकुंतला, उस की बहन कमलेश, जीजा शेर सिंह और भाई राजू के साथ कमल सिंगला के अलावा भी अलवर जा कर कुछ और लोगों से पूछताछ की, लेकिन कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा.

पुलिस को आशंका थी कि कहीं रवि की शादी उस के घर वालों ने बिना उस की मरजी के तो नहीं की थी, जिस से वह पत्नी को छोड़ कर खुद कहीं चला गया हो. इस बिंदु पर भी जांचपड़ताल हुई, लेकिन पुलिस को कोई सिरा नहीं मिला.

रवि के पिता ने कमल सिंगला नाम के जिस युवक पर आरोप लगाया था, वह उस समय 19 साल का भी नहीं हुआ था. इसलिए पुलिस उस के साथ सख्ती से पूछताछ भी नहीं कर सकती थी. वैसे भी पुलिस को कमल के खिलाफ ऐसा कोई आधार नहीं मिल रहा था कि वह रवि के अपहरण का आरोपी ठहराया जा सके.

जांच में यह भी पता चला था कि वारदात वाले दिन कमल अलवर में ही था. रही बात राजू के इस वारदात में शामिल होने की तो वह भला अपनी ही बहन के पति का अपहरण क्यों करेगा, जिस की शादी एक महीना पहले ही हुई है.

दोनों के खिलाफ न तो कोई सबूत मिल रहा था और न ही रवि के अपहरण या हत्या के पीछे पुलिस को कोई आधार दिख रहा था.

पुलिस को साफ लग रहा था कि रवि की लाइफ में ऐसा कुछ जरूर है, जिसे परिवार वाले छिपा रहे हैं और उस के लापता होने का ठीकरा उस की पत्नी व दूसरे लोगों पर फोड़ रहे हैं.

पुलिस को लगा कि या तो शादी से पहले रवि का किसी दूसरी लड़की से संबध था या उस का अपने पेशे से जुड़े ग्रामीण सेवा के किसी ड्राइवर से पुराना विवाद था और शायद इसी वजह से उस की हत्या कर दी गई हो.

कापसहेड़ा पुलिस ने उस इलाके के ग्रामीण सेवा चलाने वाले कई ड्राइवरों और रवि के टैंपो के मालिक से भी कई बार पूछताछ की. उस के चरित्र और दुश्मनी के बारे में भी जानकारी हासिल की गई, लेकिन कहीं से भी ऐसा कोई सुराग हाथ नहीं लगा कि जांच को आगे बढ़ाने का रास्ता मिलता.

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इस दौरान हाईकोर्ट में सिंतबर, 2011 में पुलिस को जांच की स्टेटस रिपोर्ट देनी थी तो उस में कोई प्रगति न पा कर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को इस मामले की जांच एक सक्षम एजेंसी को सौंपने के लिए कहा.

अदालत का आदेश आने के बाद पुलिस आयुक्त ने अक्तूबर 2011 में रवि के अपहरण की जांच का जिम्मा एंटी किडनैपिंग यूनिट के सुपुर्द कर दिया. उन दिनों एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को एंटी किडनैपिंग यूनिट के नाम से जाना जाता था.

बदलते रहे जांच अधिकारी

इस मामले की जांच का काम सब से पहले इस यूनिट के एसआई हरिवंश को सौंपा गया. फाइल हाथ में लेने के बाद उन्होंने इस का गहन अध्ययन किया और उस के बाद नए सिरे से सभी संदिग्धों को बुला कर उन से पूछताछ का काम शुरू किया.

इस काम में 2 महीने का वक्त गुजर गया. इस से पहले कि वह जांच को आगे बढ़ाते अपराध शाखा से उन का तबादला हो गया.

इस के बाद जांच का काम एसआई रजनीकांत को सौंपा गया. रजनीकांत को लगा कि कमल सिंगला जैसे एक अमीर इंसान की एक निम्नमध्यमवर्गीय परिवार से ऐसी घनिष्ठता के पीछे कोई वजह तो जरूर होगी. उन्हें रवि के पिता जयभगवान के आरोपों में कुछ सच्चाई दिखी.

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Manohar Kahaniya: किसी को न मिले ऐसी मां- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

पंजाब के पटियाला जिले की घनौर तहसील के राजपुरा रोड पर बसे गांव खेड़ी गंडियां में रहने वाले दीदार सिंह के लिए शाम जीवन में अंधकार बन कर आई थी. उन के दोनों बेटे 10 साल का जश्नदीप सिंह और 6 साल का हरनदीप सिंह शाम करीब साढे़ 8 बजे घर के पास ही कोल्डड्रिंक लेने के लिए गए थे.

लेकिन जब वे आधे घंटे तक लौट कर घर नहीं आए तो उन की मां मंजीत कौर को चिंता होने लगी. थोड़ी देर बाद करीब 9 बजे मंजीत कौर के पति दीदार सिंह भी अपनी भांजी को गांव के बाहर बसअड्डे छोड़ कर घर लौटे तो उन्हें दोनों बच्चे घर में दिखाई नहीं दिए.

‘‘मंजीते… ओ मंजीते, जश्न… त हरन किधर हैं? भई दिखाई नहीं दे रहे.’’ दीदार सिंह ने बीवी मंजीत कौर से बच्चों के बारे में पूछा.

‘‘बच्चे तो एक घंटा पहले पास की दुकान से कोल्डड्रिंक खरीदने गए थे. बहुत देर से कोल्डड्रिंक पीने की जिद कर रहे थे, इसलिए मैं ने पैसे दे कर लाने के लिए भेज दिया था.’’ मंजीत कौर ने बताया.

मंजीत कौर को भी चिंता हुई. क्योंकि बच्चों को गए तो बहुत देर हो गई थी अब तक तो उन्हें आ जाना चाहिए था.

वह पति से बोली, ‘‘सुनो जी, मुझे भी अब चिंता हो रही है. पता नहीं बच्चे कहीं खेलने के लिए इधरउधर न निकल जाएं, इसलिए आप बाहर जा कर देख आओ. तब तक मैं किचन का काम निबटा लेती हूं. बच्चे आते ही खाना मांगेंगे.’’

दीदार सिंह को बच्चों के प्रति बीवी की लापरवाही पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन मन मसोस कर बड़बड़़ाता हुआ घर के बाहर निकल गया.

दीदार सिंह ने आसपास के सभी लोगों से पूछा, लेकिन कोई भी हरन व जश्न के बारे में ऐसी जानकारी नहीं दे सका, जिस से उन का कुछ पता चलता.

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जब घर आ कर दीदार सिंह ने बताया कि हरन व जश्न गांव में कहीं नहीं मिले तो मंजीत कौर के पांव तले की जमीन खिसक गई. आखिर एक मां के एक नहीं 2-2 बेटे एक साथ रात के ऐसे वक्त लापता हो जाएं तो उस का कलेजा तो फटना ही था.

घर में रोनापीटना शुरू हो गया. रोनापीटना शुरू हुआ तो आसपड़ोस के लोग जमा हो गए. गांवदेहात में अगर किसी के घर परेशानी हो तो पूरा गांव उस परेशानी को दूर करने में जुट जाता है. लिहाजा आधी रात होतेहोते पूरे गांव में हरन व जश्न के लापता होने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई. यह बात 22 जुलाई, 2019 की थी.

गांव के नौजवान और दीदार सिंह के परिवार के लोग टौर्च और मोबाइल की फ्लैश लाइट जला कर गांव के ऐसे हिस्सों में टोली बना कर ढूंढने के लिए निकल पडे़. कुछ लोग करीब 2 किलोमीटर दूर भाखड़ा नहर की तरफ भी बच्चों की तलाश करने चले गए, जहां  आमतौर पर गांव के बच्चे शाम को घूमने टहलने चले जाया करते थे.

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सुबह होते ही परिवार के लोग और गांव वाले खेड़ी गंडियां थाने पहुंच गए. उन्होंने थाने में दोनों बच्चों के लापता होने की सूचना दे कर पुलिस से बच्चों की तलाश करने का अनुरोध किया. पुलिस ने उसी दिन गुमशुदगी दर्ज कर ली.

पुलिस ने बच्चों के फोटो ले कर आसपास के इलाकों में उन के पोस्टर चिपकवा दिए. गुमशुदगी के मामलों में पुलिस आमतौर पर इस से ज्यादा कोई काररवाई करती भी नहीं है. इसी तरह 3 दिन बीत गए, लेकिन बच्चों का कहीं पता नहीं चला. अब दीदार सिंह व गांव वालों का धीरज जवाब देने लगा था.

लिहाजा पहले तो पीडि़त परिवार और सभी गांव वालों ने मिल कर खेड़ी गंडियां के बाहर राजपुरा रोड पर प्रदर्शन कर जाम कर दिया. धरनाप्रदर्शन शुरू होते ही जिले के आला अधिकारियों के कान खड़े हो गए. इलाके की सांसद परनीत कौर व कांग्रेस के विधायकों ने एसएसपी के ऊपर इस मामले का जल्द  खुलासा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था.

अगले भाग में पढ़ें-  एक बच्चे की मिली लाश

Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: भाग 1

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई इलाके की बहुचर्चित गुडि़या रेप-हत्याकांड की जांच पूरी हो चुकी थी. 21 अप्रैल, 2021 को जिला सत्र न्यायालय राजीव भारद्वाज की अदालत में सुनवाई हुई.

अदालत में सीबीआई की ओर से सरकारी वकील अमित जिंदल दमदार तरीके से अपनी दलीलें पेश कर रहे थे तो वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता महेंद्र एस. ठाकुर ताल ठोक कर मजबूती से अपने पांव जमाए हुए थे.

आरोपी था अनिल उर्फ नीलू उर्फ चरानी, जो दया का पात्र बना कठघरे में खड़ा था. इस दौरान उस के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. उस पर नाबालिग गुडि़या के रेप और मर्डर का आरोप लगा था.

उसे घटना के करीब एक साल बाद सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. नीलू के खिलाफ 29 मई, 2018 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. उस के खिलाफ चल रहे ट्रायल में कुछ बिंदुओं पर कोर्ट में बहस हुई.

बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र एस. ठाकुर ने कहा, ‘‘माई लार्ड, मुकदमे की काररवाई शुरू करने की इजाजत चाहता हूं.

‘‘इजाजत है.’’ विद्वान न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने मुकदमा शुरू करने की इजाजत दी.

‘‘मी लार्ड, जैसा कि सभी जानते हैं कि नाबालिग गुडि़या रेप एंड मर्डर केस का अदालत में मुकदमा चल रहा है और यह मुकदमा अंतिम पड़ाव पर है.’’

‘‘हां, है.’’

‘‘तो मेरा मुवक्किल सीबीआई की जांच से संतुष्ट नहीं है. सीबीआई द्वारा नमूने सही नहीं लिए गए. डीएनए, सीमन (वीर्य) से ले कर अन्य जो नमूने लिए गए, वो सीबीआई ने खुद सील किए, इन सैंपल्स को डाक्टरों को सील करना चाहिए था.

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‘‘यही नहीं, सीबीआई ने जांच के दौरान 100 से ज्यादा लोगों के ब्लड सैंपल लिए लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया, जबकि मेरे मुवक्किल नीलू को गिरफ्तार करने के बाद ब्लड सैंपल लिए. दलील ये दी गई कि सीबीआई ने ठोस सबूत की बिना पर ही अनिल उर्फ नीलू को गिरफ्तार किया. उस के बाद पूरे साक्ष्य इकट्ठे किए गए.

‘‘मी लार्ड, मेरे मुवक्किल नीलू को फंसाने और अन्य किसी अपराधी को बचाने लिए सीबीआई ने सारे सबूतों का जखीरा खुद ही तैयार किया. दैट्स आल मी लार्ड.’’

‘‘अभीअभी मेरे काबिल दोस्त ने किसी फिल्म का मजेदार डायलौग बड़े ही मसालेदार ढंग से पेश किया, जो काबिलेतारीफ है.’’ सीबीआई की ओर से सरकारी अधिवक्ता अमित जिंदल ने खड़े होते हुए कहा, ‘‘मनगढ़ंत और मसालेदार कहानियां पेश करने में मेरे दोस्त का जवाब नहीं है. मी लार्ड, सच ये नहीं है बल्कि सच ये है कि सरकारी जांच एजेंसी सीबीआई की जांच पूरी तरह सही है और सीबीआई ने हर पहलू को ध्यान में रख कर सैंपल लिए गए हैं.’’

‘‘सच ये नहीं है.’’ बचाव पक्ष के वकील ने जोरदार तरीके से प्रतिरोध किया.

तभी सरकारी वकील ने जवाब दिया, ‘‘यही सच है. केस के मद्देनजर एकएक बिंदु पर पैनी नजर रखते हुए रिपोर्ट तैयारी की गई है तो लापरवाही का सवाल ही नहीं पैदा होता. मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि सबूतों और गवाहों के मद्देनजर आरोपी नीलू

उर्फ अनिल उर्फ चरानी को फांसी की सजा सुनाई जाए.’’

बचाव पक्ष के वकील ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल का इस से पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, माई लार्ड. यह उस का पहला अपराध है, इसलिए उस के पिछले जीवन को देखते हुए उसे कम से कम सजा देने की अदालत

से मेरी गुहार है श्रीमान. और मुझे कुछ नहीं कहना है.’’

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इस के बाद सम्मान के साथ न्यायाधीश के सामने सिर झुकाते हुए एडवोकेट महेंद्र एस. ठाकुर अपनी सीट पर जा कर बैठ गए तो सरकारी अधिवक्ता अमित जिंदल भी अपनी कुरसी पर जा बैठे. कोर्ट की यह सुनवाई 21 अप्रैल को दोपहर पौने 3 बजे से शुरू हो कर 4 बजे तक चली थी.

कोर्टरूम में कुछ पल के लिए ऐसा गहरा सन्नाटा पसरा था कि एक सुई गिरने की आवाज साफ सुनी जा सकती थी. खैर, जज राजीव भारद्वाज ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनी. बहस सुनने के बाद अपने निर्णय को सुरक्षित रखते हुए 28 अप्रैल, 2021 को फैसला सुनाने का ऐलान करते हुए उस दिन की कोर्ट को मुल्तवी किया.

किसी कारणवश तय तिथि 28 अप्रैल को कोर्ट नहीं बैठ सकी, जिस से यह तिथि 11 मई तक बढ़ा दी गई कि मुलजिम की किस्मत का फैसला इस दिन सुनाया जाएगा. लेकिन लौकडाउन की वजह से वह तिथि भी टाल दी गई. फिर 18 जून को फैसला सुनाए जाने की तिथि तय हुई और ऐसा हुआ भी.

अगले भाग में पढ़ें- एसआईटी ने निर्दोषों को बनाया आरोपी

Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत- भाग 1

इसी 5 जून की बात है. गुजरात के पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई ने अपने साले जयदीप भाई पटेल को मोबाइल पर फोन कर पूछा, ‘‘भैयाजी, स्वीटी आप के पास आई है क्या?’’

जयदीप ने चौंकते हुए कहा, ‘‘नहीं जीजाजी, स्वीटी तो यहां नहीं आई, लेकिन बात क्या है?’’

‘‘दरअसल, स्वीटी रात एक बजे से आज सुबह साढ़े 8 बजे के बीच घर से कहीं चली गई. वह अपना मोबाइल भी घर पर ही छोड़ गई है.’’ अजय ने जयदीप को बताया.

‘‘जीजाजी, आप ने स्वीटी से कुछ कहा तो नहीं या घर में कोई झगड़ा वगैरह तो नहीं हुआ था?’’ जयदीप ने चिंतित स्वर में अजय से पूछा.

‘‘अरे नहीं यार, न तो घर में कोई झगड़ा हुआ और न ही मैं ने उस से कुछ कहा.’’ अजय ने अपने साले के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘वह बिना किसी को बताए पता नहीं कहां चली गई?’’

‘‘जीजाजी, मेरा भांजा अंश कहां है?’’ जयदीप ने अजय से पूछा. अंश स्वीटी का 2 साल का बेटा था.

‘‘यार, वह उसे भी घर पर ही छोड़ गई है. मुझे चिंता हो रही है कि वह अकेली कहां चली गई.’’ अजय ने कहा, ‘‘अंश अपनी मां के बिना रह भी नहीं रहा. वह लगार रो रहा है.’’

जयदीप कुछ समझ नहीं पाया कि उस की बहन स्वीटी अचानक कैसे अपने घर से बिना किसी को बताए कहीं चली गई. उस ने अजय से कहा, ‘‘जीजाजी, आप तो पुलिस में इंसपेक्टर हैं. स्वीटी का पता लगाइए. मैं भी पता करता हूं.’’

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‘‘ठीक है, कुछ पता चले, तो बताना.’’ अजय ने यह कह कर फोन काट दिया.

बहन स्वीटी के अचानक इस तरह गायब होने की बात सुन कर जयदीप परेशान हो गया. उस ने अपने कुछ रिश्तेदारों को फोन कर स्वीटी के बारे में पूछा, लेकिन उस का कहीं से कुछ पता नहीं चला.

अजय देसाई गुजरात के वडोदरा शहर में करजण इलाके की प्रयोशा सोसायटी में रहता था. वह गुजरात पुलिस में इंसपेक्टर था. अजय ने स्वीटी पटेल से 2016 में लव मैरिज की थी. उन की मुलाकात अहमदाबाद के एक स्कूल में 2015 में हुई थी.

उस स्कूल में तब माइंड पौवर नामक एक कार्यक्रम हुआ था. इसी कार्यक्रम में अजय और स्वीटी की मुलाकात हुई. दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए. स्वीटी अजय की प्रतिभा पर रीझ गई थी और अजय उस की खूबसूरती पर फिदा हो गया था.

दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं. करीब एक साल तक प्रेम प्रसंग के बाद दोनों ने साथ रहने का फैसला किया और 2016 में एक मंदिर में शादी कर ली.

स्वीटी की इस से पहले एक शादी हो चुकी थी. उस का पहला पति हेतस पांड्या आस्ट्रेलिया में रहता है. बताया जाता है कि हेतस पांड्या भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हार्दिक पांड्या का रिश्ते का भाई है. हेतस पांड्या से शादी के बाद स्वीटी के एक बेटा रिदम हुआ. अब 17 साल का हो चुका रिदम भी अपने पिता के साथ आस्ट्रेलिया में रहता है.

पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई से दूसरी शादी के बाद स्वीटी के एक बेटा हुआ. उस का नाम अंश रखा गया. जयदीप को यही पता था कि स्वीटी दूसरी शादी के बाद अपने पति अजय और 2 साल के बेटे अंश के साथ खुश है.

भाई पहुंच गया थाने

अब अचानक स्वीटी के गायब होने की सूचना से वह बेचैन हो गया. वह तुरंत तो वडोदरा नहीं पहुंच पा रहा था. इसलिए फोन पर ही अजय से संपर्क में रह कर अपनी बहन के बारे में पूछता रहा, लेकिन हर बार उसे निराशाजनक जवाब मिला.

जयदीप समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ऐसी क्या बात हुई, जो उस की बहन अचानक किसी को बताए बिना घर से चली गई?

स्वीटी पढ़ीलिखी 37 साल की मौडर्न महिला थी. जयदीप की नजर में ऐसी कोई भी बात नहीं आई थी कि वह अपने पति पुलिस इंसपेक्टर पति से किसी तरह से परेशान या नाखुश है. वह अपने छोटे से परिवार में खूब मौज में थी.

फिर अचानक 2 साल के बेटे को घर पर अकेला छोड़ कर क्यों और कहां चली गई? अपना मोबाइल भी साथ नहीं ले जाने से उस से संपर्क भी नहीं हो रहा था.

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जयदीप स्वीटी के इस तरह गायब होने का रहस्य समझ नहीं पा रहा था. उस ने मोबाइल पर ही अपने रिश्तेदारों और जानकारों से अजय और स्वीटी के रिश्तों के बारे में पूछताछ की, लेकिन ऐसी कोई बात पता नहीं चली,

जिस से स्वीटी के गायब होने का कारण समझ आता.

अजय से जब भी जयदीप ने बात की, तो वह यही कहता रहा कि हम खोजबीन कर रहे हैं, लेकिन अभी स्वीटी का कुछ पता नहीं चला है. जयदीप ने अपने जीजा को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही तो अजय ने परिवार की बदनामी की बात कहते हुए कुछ दिन रुकने को कहा.

5-6 दिन तक स्वीटी का कुछ पता नहीं चलने पर आखिर जयदीप वडोदरा आ कर अपने जीजा अजय देसाई से मिला और स्वीटी के गायब होने के बारे में सारी बातें पूछीं. अजय ने उसे बताया कि 4 जून की रात एक बजे वह स्वीटी के साथ अपने घर में सोया था.

अगले दिन 5 जून को सुबह करीब साढ़े 8 बजे उठा तो स्वीटी नहीं मिली. उस का मोबाइल भी कमरे में ही था और अंश भी बैड पर सो रहा था. पूरे घर में तलाश करने पर भी स्वीटी नहीं मिली तो आसपास उस की तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला.

जयदीप ने अपने जीजा से बातोंबातों में कुरेदकुरेद कर यह पता लगाने की कोशिश की कि उन के बीच कोई झगड़ा तो नहीं हुआ था या कोई और बात नहीं थी, लेकिन ऐसी कोई बात पता नहीं चली. अंश के बारे में अजय ने बताया कि उसे रिश्तेदार के पास भेज दिया है.

आखिर थकहार कर जयदीप ने 11 जून को वडोदरा के करजण पुलिस थाने में स्वीटी के लापता होने की सूचना दर्ज करा दी. अजय पहले करजण पुलिस थाने में ही तैनात था. बाद में उस का ट्रांसफर वडोदरा जिले के स्पेशल औपरेशन ग्रुप (एसओजी) शाखा में हो गया था.

स्वीटी के लापता होने की सूचना दर्ज होने पर पुलिस उस की तलाश में जुट गई. एक पुलिस इंसपेक्टर की पत्नी के गायब होने का मामला होने के कारण पुलिस ने कई दिनों तक आसपास के जंगलों, नदीनालों और झीलों में स्वीटी की तलाश की, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.

ड्रोन से जंगलों में की खोजबीन

पुलिस ने विभिन्न अस्पतालों में जा कर 17 लावारिस लाशों का मुआयना किया. आसपास के पुलिस थानों के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी लावारिस शव मिलने की सूचनाएं जुटाईं, लेकिन कुछ पता नहीं चला.

एकएक दिन गुजरता जा रहा था. पुलिस अजय के बयानों पर भरोसा करते हुए हरसंभव स्थानों पर स्वीटी की तलाश करती रही. डौग स्क्वायड और ड्रोन के जरिए भी आसपास के जंगलों में तलाश की गई. रेलवे लाइनों के नजदीक भी काफी खोजबीन की गई.

कोई सुराग नहीं मिलने पर करीब एक महीने बाद पुलिस ने अखबारों में स्वीटी के लापता होने के इश्तिहार छपवाए, लेकिन इस का भी कोई फायदा नहीं हुआ. पुलिस को कहीं से कोई सूचना नहीं मिली.

स्वीटी को लापता हुए एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका था. एसओजी के पुलिस इंसपेक्टर की गायब पत्नी का पता नहीं लग पाने पर पूरे गुजरात में तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं. लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे थे.

पुलिस अधिकारियों के लिए भी स्वीटी के गायब होने का रहस्य लगातार उलझता जा रहा था. अधिकारी रोजाना मीटिंग कर स्वीटी का पता लगाने के लिए अलगअलग एंगल से जांच शुरू करते, लेकिन उस का कोई नतीजा नहीं निकल रहा था.

इस बीच, पुलिस के अधिकारी बीसियों बार इंसपेक्टर अजय देसाई से भी पूछताछ कर चुके थे. उस के फ्लैट पर जा कर भी कई बार जांचपड़ताल की जा चुकी थी. सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की जांच और स्वीटी के मोबाइल से भी पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा था.

आसपास के लोगों से भी कई बार पूछताछ हो चुकी थी. पुलिस के अधिकारी समझ नहीं पा रहे थे कि स्वीटी को आसमान खा गया या जमीन निगल गई, जो उस का कुछ पता नहीं चल पा रहा.

अगले भाग में पढ़ें- लव अफेयर्स एंगल पर भी की जांच

Satyakatha: मियां-बीवी और वो- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

विवाह के बाद मानो देवेंद्र सोनी का असली रूप धीरेधीरे सामने आता चला गया. देवेंद्र चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने की तैयारी कर रहा था, मगर परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पा रहा था. इधर उस की आकांक्षाएं बहुत ऊंची थीं. अपनी ऊंची उड़ान के कारण ऐसीऐसी बातें कहता और नित्य नईनई लड़कियों से दोस्ती की बातें दीप्ति को बताता.

शुरू में तो वह नजरअंदाज करती रही, परंतु पैसों की कमी होने के बावजूद वह हमेशा अच्छेअच्छे कपड़े पहनता और नईनई लड़कियों से संबंध बनाता रहता था.

यह बात जब दीप्ति को पता चलने लगी तो दोनों में अकसर विवाद गहराने लगा. इस बीच दोनों की एक बेटी सोनिया का जन्म हुआ, जो लगभग 7 साल की हो गई थी. और बिलासपुर के एक अच्छे कौन्वेंट स्कूल में पढ़ रही थी.

रात के लगभग साढ़े 11 बज रहे थे. जिला चांपा जांजगीर के पंतोरा थाने के अपने कक्ष में थानाप्रभारी अविनाश कुमार श्रीवास बैठे अपने स्टाफ से कुछ चर्चा कर रहे थे कि उसी समय घबराए हुए 2 लोग भीतर आए.

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एक के चेहरे पर मानो हवाइयां उड़ रही थीं. उन्हें इस हालत में देख अविनाश कुमार को यह समझते देर नहीं लगी कि कोई बड़ी घटना घटित हो गई है. उन्होंने कहा, ‘‘हांहां बताओ, क्या बात है, क्यों इतना घबराए हुए हो?’’

दोनों व्यक्तियों, जिन की उम्र लगभग 30-35 वर्ष के लपेटे में थी, में से एक ने खड़ेखड़े ही लगभग कांपती हुई आवाज में बोला, ‘‘सर, मैं देवेंद्र सोनी 2-3 जिलों में कई प्रतिष्ठित लोगों के लिए अकाउंटेंट का काम करता हूं. मैं अपनी पत्नी दीप्ति के साथ कोरबा से बिलासपुर जा रहा था कि कुछ लोगों ने हम से लूटपाट की और मेरी पत्नी को…’’ ऐसा कह कर वह इधरउधर देखने लगा.

‘‘क्यों, क्या हो गया आप की पत्नी को… विस्तार से बताओ. आओ, पहले आराम से कुरसी पर बैठ जाओ.’’ अविनाश कुमार श्रीवास ने  उठ कर दोनों को अपने सामने कुरसी पर बैठाया और पानी मंगा कर के पिलाते हुए कहा.

देवेंद्र सोनी की आंखों में आंसू आ गए थे, वह बहुत घबरा रहा था. उस ने पानी पिया और धीरेधीरे बोला, ‘‘सर, मैं अपनी पत्नी दीप्ति सोनी के साथ कोरबा से बिलासपुर अपने घर जा रहा था कि खिसोरा के पास वन बैरियर के निकट जब वह लघुशंका के लिए गाड़ी से नीचे उतरा तो थोड़ी देर बाद 2 लोगों ने मेरी पत्नी और मुझे घेर लिया.

‘‘वे लोग पिस्टल लिए हुए थे. पत्नी दीप्ति के गले में रस्सी डाल कर के उसे मार कर  रुपए और लैपटौप, मोबाइल छीन कर भाग गए हैं. घटना के बाद मैं ने अपने दोस्त सौरभ गोयल, जोकि पास ही बलौदा नगर में रहता है, को फोन कर के बुला लिया. फिर दोस्त के साथ मैं थाने आया हूं.’’

अविनाश कुमार श्रीवास ने लूट और हत्या की इस घटना को सुन कर थानाप्रभारी ने तुरंत हैडकांस्टेबल नरेंद्र रात्रे व एक अन्य सिपाही को घटनास्थल पर रवाना किया और एसपी पारुल माथुर को सारी घटना की जानकारी देने के बाद वह खुद देवेंद्र सोनी और सौरभ को ले कर घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

थाना पंतोरा से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर वन विभाग का एक बैरियर है. यहां से एक रास्ता सीधा बलौदा होते हुए बिलासपुर की ओर जाता है. एक रास्ता एक दूसरे गांव की ओर. यहीं चौराहे पर देवेंद्र सोनी की काली  मारुति ब्रेजा कार पुलिस को खड़ी मिली, जिस की पिछली सीट पर दीप्ति का मृत शरीर पड़ा हुआ था.

इसी समय थानाप्रभारी अविनाश कुमार श्रीवास भी घटनास्थल पर

पहुंच गए थे. हैडकांस्टेबल नरेंद्र

रात्रे ने उन्हें बताया, ‘‘सर, जब हम यहां पहुंचे तो मृतक महिला का शरीर गर्म था, यहां पास में एक सिम मिला है.’’

अविनाश कुमार श्रीवास ने सिम अपने पास सुरक्षित रख लिया. पुलिस को एक अहम सुराग मिल चुका था.

पुलिस दल ने प्राथमिक जांच करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए बलोदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिजवा दिया. इस समय तक देवेंद्र की हालत बहुत खराब हो चली थी, वह मानो टूट सा गया था.

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दीप्ति सोनी हत्याकांड की खबर जब दूसरे दिन 15 जून, 2021 को क्षेत्र में फैली तो चांपा जांजगीर की एसपी पारुल माथुर ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इस केस की जांच के लिए एक पुलिस टीम का गठन कर दिया.

टीम में पंतोरा थाने के प्रभारी अविनाश कुमार श्रीवास, बलौदा थाने के नगर निरीक्षक व्यास नारायण भारद्वाज के अलावा आसपास के अन्य थानों के प्रभारी भी सहयोग के लिए जांच दल में शामिल कर लिए गए थे.

सभी पहलुओं पर जांच करने के बाद कई  पेचीदा तथ्य सामने आते चले गए. सब से महत्त्वपूर्ण था दीप्ति सोनी के पिता कृष्ण कुमार सोनी का बयान. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह वर्तमान में बिलासपुर के निवासी हैं और कोरबा जिले के भारत अल्युमिनियम कंपनी में कार्यरत थे. दीप्ति उन की दूसरे नंबर की बेटी थी, जिस का प्रेम विवाह देवेंद्र सोनी से हुआ था.

उन्होंने कहा कि विवाह के बाद देवेंद्र दीप्ति को अकसर प्रताडि़त किया करता था और मायके के लोगों से भी मिलने नहीं देता था. उस ने साफसाफ यह लकीर खींच दी थी कि अपने मायके वालों से उसे कोई संबंध नहीं रखना है.

दीप्ति ने उस के इस अत्याचार को भी एक तरह से स्वीकार कर लिया था और लंबे समय से मायके वालों से कोई संबंध नहीं रख रही थी. यहां तक कि अपनी बड़ी बहन सीमा और जीजा राजेश से भी कभी भी बात नहीं करती थी. क्योंकि देवेंद्र इस से नाराज हो जाता और उस ने बंदिशें लगा रखी थीं.

उन्होंने अपने बयान में यह शक जाहिर किया कि हो सकता है देवेंद्र का दीप्ति की हत्या में हाथ हो. कृष्ण कुमार सोनी ने जांच अधिकारियों से आग्रह किया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और आरोपियों को किसी भी हालत में न छोड़ा जाए.

इस महत्त्वपूर्ण बयान के बाद पुलिस की निगाह में देवेंद्र सोनी संदिग्ध के रूप में सामने आ गया. पुलिस ने इस दृष्टिकोण से जांचपड़ताल शुरू की. साथ ही देवेंद्र के दिए गए बयान की सूक्ष्म पड़ताल की गई.

अगले भाग में पढ़ें- देवेंद्र ने पूरी हत्याकांड की पटकथा बनाई

Crime Story: नैनीताल की घाटी में रोमांस के बहाने मिली मौत

लेखक- शाहनवाज

राजधानी दिल्ली के गोविंदपुरी में किराए पर रहने रहने वाले राजेश और बबीता के बीच लगभग हर दिन की तरह उस रोज भी झगड़ा शुरू हो गया था. उन की रोजरोज की तूतूमैंमैं के झगड़े से मकान में रहने वाले दूसरे किराएदार तंग आ चुके थे. समय सुबह के साढ़े 7 बजे का था. तारीख थी 7 जून. लौकडाउन का दौर चल रहा था, किंतु अनलौक की कुछ छूट भी मिली हुई थी.

लोगों का अपनेअपने कामधंधे पर आनेजाने का सिलसिला शुरू हो चुका था. जबकि कमरे में राजेश अपने बिस्तर पर औंधे मुंह लेट कर फोन पर फेसबुक चला रहा था. शायद वह कोई वीडियो देखने में मग्न था.

यह उस के रोज के रूटीन में शामिल हो चुका था. वह कभी वाट्सऐप मैसेज कर रहा होता या फिर यूट्यूब का वीडियो देख रहा होता था. इसी को ले कर उस की पत्नी बबीता चिढ़ती रहती थी.

उस रोज भी बबीता यह देख कर भड़क गई थी. तीखे शब्दों में गुस्से से चीखती हुई बोली, ‘‘कुछ कामधंधा भी करना है या सारा दिन बिस्तर पर पड़ेपड़े दांत निपोरते रहते हो? जब देखो तब फोन पर लगे रहते हो. कम से कम मेरे काम में तो हाथ बंटा दो.’’

बिस्तर पर पड़ेपड़े राजेश बोला, ‘‘कर लूंगा न काम, चिल्ला क्यों रही है. कौन सा भूखा रखा हुआ है मैं ने.’’

राजेश की इस बात से खीझते हुए बबीता ने कहा, ‘‘हांहां, क्यों नहीं. याद है कि नहीं? लौकडाउन में मेरी मां नहीं होती तो भूखे मर जाते. तुम से शादी कर मैं ने सच में अपनी जिंदगी बरबाद कर ली है.’’

‘‘तो नहीं करती शादी मुझ से. किसी ने जबरदस्ती थोड़े न की थी.’’ राजेश ने बबीता की बातों का जवाब देते हुए कहा.

यह सुन कर बबीता का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘जबरदस्ती? याद दिलाऊं क्या? जबरदस्ती किस ने की थी? अगर तुम से शादी नहीं की होती तो जेल में सड़ रहे होते.’’

बबीता की इस बात से राजेश का दिमाग झनझना गया. वह तुरंत बिस्तर पर उठ बैठा. गुस्से में एक ओर मोबाइल पटकता हुआ खड़ा हो गया.

एक पल के लिए अतीत आंखों के आगे घूम गया. अचानक गुस्से में उस ने बबीता का मुंह दबा दिया. नाराजगी जताते हुए बोला, ‘‘तुझे कितनी बार मना किया है. आइंदा अपना मुंह खोलने से पहले सोच लिया करो. याद रखना पहले क्या किया था और मैं अब क्या कर सकता हूं.’’

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बबीता भी राजेश की इस धमकी से कहां चुप रह जाने वाली थी. राजेश के हाथ से मुंह छुड़ा कर कड़ाई के साथ जवाब देते हुए बोली, ‘‘तुम्हारी इस धमकी से डरने वाली नहीं हूं मैं, बड़े आए धमकी देने वाले. अगर आगे से ऐसी धमकियां दीं तो तुम याद रखना कि मैं क्या कर सकती हूं.’’

कहते हुए बबीता ने बाथरूम में जा कर फटाफट अपने कपड़े बदले. बैड के पास रखा अपना हैंडबैग उठाया. गुस्से में कपड़े के एक थैले में अपने 3-4 जोड़ी कपड़े भरे. पैरों में सैंडल डाली और बिना राजेश को बताए घर से निकल गई.

राजेश सामने खड़ाखड़ा देखता रह गया. उस ने बबीता से यह पूछने की हिम्मत भी नहीं की कि वह कहां जा रही है. राजेश को पता था कि बबीता अपने मायके जा रही है. वह अकसर ऐसा ही करती थी.

दोनों की शादी के बाद जब कभी उन के बीच झगड़ा होता और बबीता रूठ कर या झगड़ कर अपनी मां के पास चली जाती थी. 4-5 दिनों बाद खुद ही वापस आ भी जाती थी.

दरअसल, 25 वर्षीय राजेश रोय और 29 वर्षीय बबीता दोनों एकदूसरे को साल 2020 की शुरुआत से ही जानते थे. उस समय भारत में कोरोना की वजह से लौकडाउन नहीं लगा था. राजेश तब दिल्ली में जनकपुरी के नजदीक सिटी माल में सेल्समैन का काम करता था.

नए साल के मौके पर जब बबीता अपने दोस्तों के साथ शौपिंग करने के लिए सिटी माल गई थी तो उस की जानपहचान वहां काम कर रहे राजेश से हुई थी.

राजेश के हावभाव और बातचीत करने के अंदाज पर बबीता फिदा हो गई थी. जबकि वह उस से उम्र में बड़ी थी. न जाने उसे क्या सूझी कि वह बारबार माल जाने लगी. राजेश ने भी महसूस किया कि बबीता उस से ही मिलने आती है.

जल्द ही दोनों की जानपहचान दोस्ती में बदल गई. 2 महीने के दौरान उन के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गईं. यौवनावस्था की उम्र में एक समय ऐसा भी आया, जब उन के प्रेम पर वासना हावी हो गई. दोनों खुद को रोक नहीं पाए और उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

मांबाप की लाडली बेटी होने कारण बबीता कुछ अधिक ही आजाद खयाल की हो गई थी. मातापिता ने शादीब्याह के मामले में उस पर अपनी मरजी नहीं थोपी थी. वह केवल इतना चाहते थे कि बबीता की शादी जानपहचान में ही हो तो अच्छा है. बबीता भी यही चाहती थी.

मार्च, 2020 के अंतिम सप्ताह में कोरोना प्रकोप के चलते लौकडाउन लग गया था. 2 प्रेमी अपनेअपने घरों में कैद हो चुके थे. मिलने के लिए उन की बचैनी और बेकरारी बढ़ती जा रही थी. वे फोन पर बातें कर अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे. इसी बीच बबीता ने पेट से होने की बात राजेश को बताई.

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राजेश यह सुनते ही नाराज  हो गया. उस ने बच्चे को अपनाने से साफ इनकार कर दिया. इस से बबीता के मन को काफी ठेस पहुंची. राजेश ने लौकडाउन के दौरान बबीता से बच्चा गिराने की भी बात कही, लेकिन वह इस के लिए हिम्मत नहीं जुटा सकी.

जून 2020 में लौकडाउन में कुछ राहत  मिलने पर एक दिन राजेश बबीता को घुमाने के बहाने गुड़गांव के एक प्राइवेट अस्पताल में ले गया. वहां उस ने गर्भपात की दवा दिलवाई. बबीता इस के तैयार तो नहीं थी, लेकिन उस ने राजेश की जिद को मान लिया और दवा खा ली. कुछ ही दिनों में बबीता का गर्भपात हो गया.

उस के बाद राजेश ने बबीता से बातचीत करना कम कर दिया. वह बबीता से अपने रिश्ते खत्म करना चाहता था. राजेश बबीता के फोन काल इग्नोर करने लगा था. उस के मैसेज का भी कोई जवाब नहीं देता था.

बबीता भी समझने लगी थी कि राजेश उस से पीछा छुड़ाना चाहता है. बबीता को यह बात अच्छी नहीं लगी. वह खुद को धोखा खाया हुआ महसूस कर रही थी.

एक दिन जब बबीता की राजेश से बात हुई तो उस ने सीधे शब्दों में पूछ ही लिया, ‘‘राजेश, हमारे बीच में जो कुछ हुआ और मुझे जो सहना पड़ा है, उस की जिम्मेदारी तुम्हारी भी है. तुम आखिर चाहते क्या हो, सीधेसीधे जवाब दो.’’

बबीता का सवाल सुन कर राजेश ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. घुमाफिरा कर  बोला, ‘‘देखो बबीता, हमारे बीच जो कुछ हुआ, उसे हमेशा के लिए भूल जाओ. नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करो. मुझ से भी कोई उम्मीद मत रखना.’’

यह कहते हुए राजेश ने फोन काट दिया. राजेश की बात सुन कर बबीता को धक्का लगा. उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि जिस इंसान के साथ उस ने गहरे संबंध बनाए, वही अब उसे भूल जाने की बात कह रहा है.

धोखा खाई बबीता ने गुस्से में 14 जुलाई, 2020 को दिल्ली के डाबड़ी मोड़ थाने में राजेश के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. जिसे संज्ञान में लेते हुए पुलिस ने भादंवि की धारा 376 के तहत राजेश को गिरफ्तार कर 8 अगस्त, 2021 को जेल भेज दिया.

राजेश के जेल जाने पर उस के घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने बबीता के घर वालों से राजेश को छुड़ाने के लिए काफी मिन्नतें कीं. केस वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन बबीता और उस के घर वालों ने इस मामले में किसी भी तरह की बात करने से इनकार कर दिया.

कुछ दिनों बाद राजेश के घर वालों ने बबीता के मांबाप से उस की शादी राजेश से करने की गुजारिश की. इस पर वे तैयार हो गए.

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कुछ शर्तों के आधार पर बबीता ने 19 अक्तूबर, 2020 को राजेश के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले ली. शादी का एक एफिडेविट भी जमा करवा दिया. इस तरह से कोर्टमैरिज की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिसंबर, 2020 में राजेश और बबीता की शादी डाबड़ी मोड़ के नजदीक आर्यसमाज मंदिर में हो गई, उस के बाद  दोनों दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में रहने लगे.

कहते हैं न प्रेम की डोर अगर एक बार टूट जाए तो उसे जोड़ना मुश्किल होता है. यदि उसे जोड़ लिया जाए, तब भी उस में बनने वाली गांठ संबंध की मधुरता में हमेशा खलल डालती रहती है. यही कारण था कि राजेश और बबीता शादी के बाद भी मधुर संबंध नहीं बना पाए.

उन के बीच मोहब्बत की मिसाल जैसा प्रेम पनप ही नहीं पाया. छोटीछोटी खुशियां नोकझोंक में दफन होने लगीं. कारण दोनों के बीच अकसर झगड़े होते रहते थे.

बातबात पर झगड़े से नाराज हो कर बबीता अपने मायके चली जाया करती. राजेश का काम तो लौकडाउन में छूट ही चुका था, लेकिन अब उसे कहीं और काम मिल भी नहीं रहा था.

ऐसे में किराए पर रहना अब राजेश के लिए भारी पड़ने लगा था. ऊपर से घरेलू खर्चे अलग थे. राजेश की बचीखुची बचत भी अब खत्म होने वाली थी. इस बारे में जब बबीता ने अपनी मां लक्ष्मी देवी को राजेश की इस हालत के बारे में बताया तब उन्होंने राजेश को अपने इलाके में ही किराए पर एक कमरा दिलवा दिया. उस का किराया पहले से कम था. इस राहत के बावजूद राजेश तंगी से जूझ रहा था.

सास को समझता था झगड़े की जड़ लक्ष्मी देवी ने कुछ समय तक अपनी बेटी की आर्थिक मदद की. वह डाबरी मोड़ के पास महिंद्रा पार्क में रहती थी. बबीता वहीं अपनी मां के घर चली जाती थी. राजेश इस बात से और ज्यादा परेशान होने लगा था कि बबीता बातबात पर झगड़ा कर के अपनी मां के घर चली जाती है.

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राजेश इस झगड़े की असली जड़ लक्ष्मी देवी को मानता था. झगड़ा होने पर उसे सबक सिखाने को ले कर धमकाता रहता था. कई बार कह भी चुका था कि वह जेल से बाहर अपने अपमान का बदला लेने के लिए आया है. इस बारे में बबीता अपनी मां को भी बताती थी.

बबीता के पिता डालीराम का निधन हो चुका था. बबीता ही लक्ष्मी देवी के जीने की सहारा थी और उस का पूरा ध्यान रखती थी.

राजेश कुछ समय तक महिंद्रा पार्क में रहा, लेकिन 3-4 महीने बाद दोनों फिर से गोविंदपूरी शिफ्ट हो गए. 7 जून, 2021 को भी झगड़े के बाद बबीता अपने मायके चली गई.

बारबार की इस समस्या से राजेश काफी परेशान हो गया था. 3-4 दिन तक बबीता की हरकतों से छुटकारा पाने के बारे में सोचता रहा. उस ने 11 जून की सुबह 10 बजे बबीता को फोन कर कहा, ‘‘बबीता, गांव में मेरी मां की तबीयत बहुत खराब है. गांव चलना है.’’

बबीता ने इस की जानकारी अपनी मां को दी. लक्ष्मी देवी भी उन के बीच झगड़ों से काफी परेशान हो गई थी. वह भी सोच में पड़ गई कि क्या करे, क्या नहीं? वह समझ नहीं पर रही थी कि आखिर उन के बीच झगड़ा कैसे खत्म हो पाएगा? सिर पर हाथ रख कर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद लक्ष्मी देवी ने बबीता के हाथ से फोन ले कर राजेश को मिलाया. बोली, ‘‘सुनो राजेश, तुम्हारे कारण मेरी बेटी बारबार मायके आ जाती है. तुझे जरा भी शर्म है या नहीं. मेरी बेटी को ले जाना है तो थाने आ. यहां आ कर ले जा.’’

राजेश गुस्से का घूंट पी कर रह गया. चुपचाप गोविंदपुरी से डाबड़ी मोड़ थाने पहुंचा. थाने में उस ने बताया कि बबीता उस की पत्नी है. वह उस अपने साथ गांव ले जाना चाहता है, जहां उस की मां बीमार है.

बेटी से नहीं हुई बात

बबीता ने राजेश द्वारा धमकियां देने की शिकायत भी की, लेकिन पुलिस ने राजेश का पक्ष मजबूत पाया और उसे बबीता को साथ ले जाने को कह दिया.

वहीं से राजेश बबीता को ले कर आटो से दिल्ली के आनंद विहार बसअड्डा चला गया. राजेश का गांव उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के छोटे से कस्बे तिलियापुर में था.

अगले दिन 12 जून को दोपहर करीब 2 बजे लक्ष्मी देवी ने बबीता को हालचाल जानने के लिए फोन किया. लेकिन बबीता का फोन बंद था. उन्होंने सोचा कि शायद रास्ते में होंगे और फोन की बैटरी खत्म हो गई होगी.

उस दिन तो जैसेतैसे लक्ष्मी देवी ने अपना मन मना लिया. उस के अगले दिन भी जब बबीता का फोन बंद पाया तब उसे अपनी बेटी को ले कर तरहतरह की शंकाए होने लगीं. इसी तरह से 14 और 15 जून को भी जब बबीता का फोन बंद मिला, तब लक्ष्मी देवी की बेचैनी और बढ़ गई.

16 जून, 2021 को लक्ष्मी देवी ने डाबड़ी मोड़ थाने के थानाप्रभारी सुरेंद्र संधू को बबीता के लापता होने जानकारी दी और रिपोर्ट दर्ज करने का आग्रह किया. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने राजेश को फोन मिलाया और बबीता के बारे पूछा.

राजेश ने बबीता के साथ होने से इनकार कर दिया. राजेश ने पुलिस को बताया कि उसे नहीं पता बबीता कहां है. 11 जून को थाने से निकलने के बाद बबीता अपनी मां के साथ ही घर चली गई थी. यह सुन कर लक्ष्मी देवी दंग रह गई. पुलिस 2 तरह के बयान से हैरत में पड़ गई. एक तरफ बबीता की मां लक्ष्मी देवी का अपने दामाद राजेश पर आरोप था कि बबीता 11 जून को उसी के साथ उत्तराखंड के लिए निकली थी. दूसरी तरफ राजेश अपनी सास लक्ष्मी देवी पर आरोप लगा रहा था

कि बबीता अपनी मां के साथ महिंद्रा पार्क अपने घर गई थी. दोनों में से कौन सही है, इस का पता लगाने के लिए पुलिस ने एक टीम बनाई.

बबीता की चिंता में मां लक्ष्मी देवी की रातों की नींद हराम होने लगी. उन्होंने एक वकील की मदद से जिला कोर्ट द्वारका में राजेश के खिलाफ सीआरपीसी धारा 97 का इस्तेमाल करते हुए अपनी बेटी को अपहरण कर बंदी बना लेने की अपील दर्ज कर दी.

मामले की गंभीरता को देखते हुए द्वारका कोर्ट ने पुलिस को जांच जल्द से जल्द निपटाने के आदेश दिए. कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए डीसीपी संतोष कुमार मीणा ने डाबड़ी मोड़ के थानाप्रभारी सुरेंद्र संधू को इस केस में तुरंत काररवाई करने के निर्देश दिए.

थानाप्रभारी ने 8 जुलाई, 2021 को एसआई नरेंदर सिंह के हाथों इस केस की जिम्मेदारी सौंपी. नरेंदर सिंह ने काल डिटेल्स और टैक्निकल टीम की मदद से 11 जून से राजेश और बबीता के फोन की आखिरी लोकेशन का पता लगाया.

उन्हें पता लगा कि राजेश के फोन की आखिरी लोकेशन 11 जून को दिल्ली में थी. अगले दिन उस की लोकेशन उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में मिली. जबकि बबीता के फोन की लोकेशन लगातार बदल रही थी. जो पहले दिल्ली, फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश और अंत में उत्तराखंड के नैनीताल की मिली.

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राजेश को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. उस ने पूछताछ के दौरान पहले तो एसआई नरेंदर सिंह और पुलिस टीम को गुमराह करने की कोशिश की.

उस ने बताया कि 11 जून को बबीता अपनी मां के साथ महिंद्रा पार्क अपने घर चली गई थी. किंतु जब उसे यह बताया गया कि बबीता के फोन की अंतिम लोकेशन नैनीताल में थी, तब यह सुन कर वह हकला और सकपका गया.

फिर क्या था, उस से सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. गहन पूछताछ के सवालों के सामने राजेश टिक नहीं पाया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने नैनीताल ले जा कर बबीता की हत्या कर दी है और उस की लाश खाई में फेंक दी थी. उस ने सिलसिलेवार ढंग से हत्याकांड से ले कर लाश को ठिकाने लगाने की बात इस प्रकार बताई—

11 जून की शाम के करीब 6 बजे जब बसअड्डे से बस उत्तराखंड के लिए रवाना हो रही थी, तब उस ने प्लान के मुताबिक अपना फोन बंद कर लिया था. बस दिल्ली से निकल कर उत्तर प्रदेश से होते हुए अगले दिन 12 जून की सुबह करीब 9 बजे उत्तराखंड के नैनीताल पहुंचा.

राजेश और बबीता दोनों नैनीताल बसअड्डे पर उतरे. वहां थोड़ा आराम किया और पैदल ही आगे की ओर निकल गए.

नैनीताल से करीब 12 किलोमीटर पैदल चलने के बाद रास्ते में पड़ने वाले हनुमान मंदिर पर दोनों ने चाय पी, थोड़ा आराम किया और फिर आगे की ओर निकल पड़े.

नैनीताल हल्द्वानी रोड पर स्थित हनुमान मंदिर पर आराम करने के बाद करीब 40-50 मीटर उसी रास्ते पर आगे चलते रहे. फिर राजेश बल्दियाखान गांव के पास रिया गांव की तरफ जाने वाली सड़क पर सुस्ताने के बहाने से रुका. वह जगह काफी सुनसान थी. उस के साथ बबीता भी रुक गई.

दोनों रास्ते के किनारे बनी पुलिया नंबर 162 पर 10-15 मिनट तक बैठे रहे. उस पुलिया के नीचे 7-8 फीट गहरा एक गड्ढा था. वह जगह दूर से नहीं दिखती थी.

बातोंबातों में राजेश उस गहरे गड्ढे में उतर गया. उस ने बबीता का हाथ पकड़ कर उसे नीचे आने का इशारा किया. जब बबीता ने पूछा कि यहां क्यों, तब उस ने नए अंदाज में प्यार का इजहार करने की बात कही. बबीता राजेश की बातों में आ गई और वह गड्ढे में उतर आई.

जैसे ही बबीता गड््ढे में उतरी, राजेश ने पहले उसे गले लगाया. एक पल के लिए बबीता शांत हो गई. राजेश ने वक्त बरबाद न करते हुए अचानक से बबीता का गला दबोच लिया.

बबीता ने गला छुड़ाने की कोशिश की लेकिन राजेश की पकड़ मजबूत थी. कुछ ही पलों में बबीता की सांसें उखड़ने लगीं. कुछ मिनटों में जब बबीता का शरीर पूरी तरह से शांत हो गया तो निर्जीव हो चुके शरीर को राजेश ने वहीं छोड़ दिया.

उस के बाद राजेश गड्ढे से बाहर आ कर अपने गांव जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ गया. थोड़ा चलने के बाद पीछे से आ रही गाड़ी पर सवार हो गया. अपने गांव पहुंचने से पहले आनंदनगर के पास शक्ति फार्म के धान के खेतों में बबीता का फोन फेंक दिया. 12 जून की दोपहर करीब 2 बजे के आसपास वह अपने गांव पहुंच गया.

राजेश के यह सब कबूलने के बाद बबीता की लाश तलाशने के लिए दिल्ली पुलिस की टीम ने 2 दिनों का सर्च औपरेशन चलाया. लाश ढूंढने के लिए दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड की स्थानीय तल्लीताल पुलिस की मदद ली.

पुलिस की सर्च टीम ने 26 जुलाई, को बबीता की लाश पुलिया नंबर 162 से ढूंढ निकाली.

27 जुलाई को एसआई नरेंदर सिंह ने आरोपी राजेश को गिरफ्तार कर लिया. फिर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

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10 मई, 2017 की सुबह कानपुर के थाना काकादेव के थानाप्रभारी मनोज कुमार सिंह रात में पकड़े गए 2 अपराधियों से पूछताछ कर रहे थे, तभी उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन रिसीव कर के उन्होंने कहा, ‘‘थाना काकादेव से मैं इंसपेक्टर मनोज कुमार सिंह बोल रहा हूं, आप कौन?’’

‘‘सर, मैं लोहारन भट्ठा से बोल रहा हूं. जीटी रोड पर स्थित रामरती के होटल पर एक युवक की हत्या हो गई है.’’ इतना कह कर फोन करने वाले ने फोन तो काट ही दिया, उस का स्विच भी औफ कर दिया.

सूचना हत्या की थी, इसलिए मनोज कुमार सिंह ने पहले तो इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी, उस के बाद खुद पुलिस बल के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. रामरती का होटल जीटी रोड पर जहां था, सिपाहियों को उस की जानकारी थी.

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इसलिए पुलिस वालों को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. पुलिस के पहुंचने तक वहां काफी लोग इकट्ठा हो गए थे. मनोज कुमार सिंह भीड़ को हटा कर वहां पहुंचे, जहां लाश पड़ी थी. एक अधेड़ उम्र महिला लाश के पास बैठी रो रही थी.

मनोज कुमार सिंह ने महिला को सांत्वना देते हुए लाश से अलग किया. उन्होंने उस से पूछताछ की तो उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम रामरती है. मैं ही यह होटल चलाती हूं. जिसे मारा गया है, उस का नाम छोटू है. यह मेरा मुंहबोला भाई है. रात में किसी ने इस का कत्ल कर दिया है.’’

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लाश की शिनाख्त हो ही गई थी. मनोज कुमार सिंह ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. मृतक छोटू की लाश तख्त पर पड़ी थी. किसी भारी चीज से उस के सिर पर कई वार किए गए थे, जिस से उस का सिर फट गया था.

शायद ज्यादा खून बह जाने से उस की मौत हो गई थी. खून से तख्त पर बिछा गद्दा, चादर, कंबल और तकिया भीगा हुआ था. तख्त के पास एक बाल्टी रखी थी, जिस का पानी लाल था. इस से अंदाजा लगाया गया कि हत्या करने के बाद हत्यारे ने बाल्टी के पानी में खून सने हाथ धोए थे.

मनोज कुमार सिंह घटनास्थल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसएसपी सोनिया सिंह और सीओ गौरव कुमार वंशवाल भी आ गए. अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. उन्होंने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और रामरती से पूछताछ की.

फोरैंसिक टीम ने कई जगहों से फिंगरप्रिंट लिए. उस के बाद खून से सनी चादर, तकिया, कंबल, एक जोड़ी चप्पल और मृतक के बाल जांच के लिए कब्जे में ले लिए. पुलिस ने अन्य औपचारिक काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए लालालाजपत राय अस्पताल भिजवा दिया.

मनोज कुमार सिंह ने हत्या का खुलासा करने के लिए रामरती और आसपास वालों से पूछताछ की. इस पूछताछ में पता चला कि होटल में रात को 2 लड़के और सोए थे. मनोज कुमार सिंह ने तुरंत उन दोनों लड़कों बुधराम और सलाउद्दीन को हिरासत में ले लिया.

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थाने ला कर दोनों लड़कों से सख्ती से पूछताछ की गई. तमाम सख्ती के बावजूद दोनों लड़कों ने छोटू की हत्या करने से साफ मना कर दिया. उन का कहना था कि वे रात में होटल पर सोए जरूर थे, लेकिन उन्हें हत्या के बारे में पता ही नहीं चला. काफी सख्ती के बावजूद जब दोनों ने हामी नहीं भरी तो मनोज कुमार सिंह को लगा कि ये दोनों निर्दोष हैं. उन्होंने उन्हें छोड़ दिया. इस के बाद उन्होंने हत्यारे का पता लगाने के लिए अपने मुखबिरों को लगा दिया.

12 मई, 2017 को मुखबिर से पता चला कि छोटू की हत्या नाजायज रिश्तों में रुकावट बनने की वजह से हुई है. लोहारन भट्ठा का ही रहने वाला संजय रामरती की बेटी सुनयना से प्यार करता था. दोनों के प्यार में छोटू बाधक बन रहा था, इसलिए अंदाजा है कि संजय ने ही छोटू की हत्या की है.

मुखबिर की बात पर विश्वास कर के मनोज कुमार सिंह ने रामरती की बेटी सुनयना से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि वह संजय से प्यार करती थी. उस के प्यार में छोटू मामा बाधक बन रहे थे. उन के मिलने को ले कर अकसर संजय और मामा में कहासुनी होती रहती थी. मामा की शिकायत पर उसे मां की डांट सुननी पड़ती थी.

सुनयना के इस बयान पर मनोज कुमार सिंह को पक्का यकीन हो गया कि छोटू की हत्या संजय ने ही की थी. संजय को गिरफ्तार करने के लिए उन्होंने संजय के घर छापा मारा तो वह घर पर नहीं मिला. उन्होंने उस के बारे में पता करने के लिए मुखबिरों को लगा दिया. इस के बाद मुखबिरों की सूचना पर उन्होंने उसे गोल चौराहे से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए स्वरूपनगर स्थित सीओ औफिस ले आए.

सीओ गौरव कुमार वंशवाल की उपस्थिति में संजय से छोटू की हत्या के बारे में पूछताछ शुरू हुई तो उस ने हत्या करने से साफ मना कर दिया. लेकिन जब उस से थोड़ी सख्ती की गई तो उस ने छोटू की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि वह सुनयना से बहुत प्यार करता था. लेकिन सुनयना का मामा छोटू दोनों को मिलने नहीं देता था. इसीलिए उस ने उसे मौत की नींद सुला दिया था. अपराध स्वीकार करने के बाद संजय ने वह हथौड़ा, जिस से उस ने छोटू की हत्या की थी और खून से सने अपने कपड़े घर से बरामद करा दिए थे.

चूंकि संजय ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था और हथियार भी बरामद करा दिया था, इसलिए थाना काकादेव पुलिस ने रामरती को वादी बना कर अपराध संख्या 337/2017 पर आईपीसी की धारा 302 के तहत संजय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. संजय से की गई पूछताछ में प्यार के जुनून में की गई छोटू की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर महानगर के थाना काकादेव का एक मोहल्ला लोहारन भट्ठा है. इस के एक ओर जीटी रोड है तो दूसरी ओर चर्चित जेके मंदिर है. वैसे यह मोहल्ला गंगनहर की जमीन पर अवैध रूप से बसा है. यहां ज्यादातर गरीब और निम्मध्यवर्ग के लोग रहते हैं. इसी मोहल्ले में धर्मेंद्र अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रामरती के अलावा बेटी सुनयना थी.

धर्मेंद्र का जीटी रोड पर चायपान का होटल था, जिसे उस की पत्नी रामरती चलाती थी. वह काफी व्यवहारकुशल थी, इसलिए उस का यह होटल खूब चलता था. इसी होटल की कमाई से वह अपने पूरे परिवार का खर्चा चलाती थी.

रामरती के इसी होटल पर छोटू काम करता था. वह मूलरूप से आजमगढ़ का रहने वाला था. मांबाप की मौत के बाद रोजीरोटी की तलाश में वह कानपुर आ गया था. कई दिनों तक भटकने के बाद उसे रामरती के होटल पर ठिकाना मिला था. उस ने अपने काम और व्यवहार से रामरती का दिल जीत लिया, जिस से रामरती ने उसे अपना मुंहबोला भाई बना लिया.

इस के बाद तो छोटू का घर में अच्छाखासा दखल हो गया. रामरती कोई भी काम उस से पूछे बिना नहीं करती थी. रामरती ने छोटू को भाई बना लिया तो उस की बेटी सुनयना उसे मामा कहने लगी थी.

सुनयना, रामरती की एकलौती बेटी थी. 16 साल की होतेहोते वह युवकों की नजरों का केंद्र बन गई. मोहल्ले के जिस गली से वह निकलती, लड़के उसे देखते रह जाते. विधाता ने उसे अद्भुत रूप दिया था. मोहल्ले के लोग कहते थे कि यह कीचड़ में कमल की तरह है.

सुनयना भी जवानी का नशा महसूस करने लगी थी. हिरनी की तरह कुलांचे भरती जब वह घर से निकलती तो मोहल्ले वाले उसे ताकते ही रह जाते. उसे लगता कि लोगों की नजरें उस की देह को भेद कर उसे सुख दे रही हैं. उस समय वह अपने अंदर सिहरन सी महसूस करती. उस की इच्छा होती कि कोई उस का हाथ थाम कर उसे कहीं एकांत में ले जाए और उस से ढेर सारी प्यार की बातें करे.

सुनयना के ही मोहल्ले के दूसरे छोर पर संजय रहता था. उस के पिता बाबूराम नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे. वह 3 भाईबहनों में सब से छोटा था. वह प्राइवेट नौकरी करता था. उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं थी, इसलिए खूब बनसंवर कर रहता था. उसे भजन और कीर्तन सुनने का बहुत शौक था, इसलिए अकसर वह राधाकृष्ण (जेके) मंदिर जाता रहता था.

किसी दिन मंदिर में संजय की नजर सुनयना पर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया. सुनयना भी खूब सजधज कर मंदिर आई थी. पहली ही नजर में संजय का दिल सुनयना पर आ गया. वह उसे तब तक ताकता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.

सुनयना संजय के मन को भाई तो वह उस का दीवाना हो गया. अब वह उस के इंतजार में मंदिर के गेट पर खड़ा रहने लगा. सुनयना उसे दिखाई पड़ती तो वह उसे चाहतभरी नजरों से ताकता रहता. उस की इन्हीं हरकतों से सुनयना समझ गई कि यह कोई प्रेम दीवाना है, जो उसे चाहतभरी नजरों से ताकता है. लेकिन उस ने उस की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

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जबकि संजय सुनयना के लिए तड़प रहा था. हर पल उस के मन में सुनयना ही छाई रहती थी. उस का काम में भी मन नहीं लग रहा था. एक तरह सुनयना के बगैर उसे चैन नहीं मिल रहा था. उसे पाने की तड़प जब संजय के लिए बरदाश्त से बाहर हो गई तो उस ने सुनयना के बारे में पता किया. पता चला कि वह उस रामरती की बेटी है, जिस का जीटी रोड पर चायपान का होटल है.

संजय रामरती के होटल पर चाय पीने जाने लगा. अपनी लच्छेदार बातों से जल्दी ही उस ने रामरती से नजदीकी बना ली. यही नहीं, उस ने उस के मुंहबोले भाई छोटू से भी दोस्ती गांठ ली. दोनों में खूब पटने लगी.

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रामरती और छोटू से मधुर संबंध बना कर संजय रामरती के घर भी जाने लगा. वहां वह बातें भले ही किसी से करता था, लेकिन उस की नजरें सुनयना पर ही टिकी रहती थीं. सुनयना ने जल्दी ही इस बात को ताड़ लिया. संजय की नजरों में अपने लिए चाहत देख कर सुनयना भी उस के प्रति आकर्षित होने लगी. अब वह भी संजय के आने का इंतजार करने लगी.

दोनों ही एकदूसरे की नजदीकी पाने के लिए बेचैन रहने लगे. लेकिन यह सब अभी नजरों ही नजरों में था. संजय को भी सुनयना के इरादे का पता चल गया था. जब भी उस की चाहत भरी नजरें सुनयना के मुखड़े पर पड़तीं, सुनयना मुसकराए बिना नहीं रह पाती. वह भी उसे तिरछी नजरों से ताकते हुए उस के आगेपीछे घूमती रहती.

सुनयना की कातिल नजरों और मुसकान का मतलब संजय अच्छी तरह समझ रहा था. लेकिन उसे अपनी बात कहने का मौका नहीं मिल रहा था. जबकि सुनयना अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहती थी.

संजय अब ऐसे मौके की तलाश में रहने लगा, जब वह अपने दिल की बात सुनयना से कह सके. चाह को राह मिल ही जाती है. एक दिन संजय को मौका मिल गया. उस ने अपने दिल की बात सुनयना से कह दी. सुनयना तो कब से उस के मुंह से यही सुनने का इंतजार कर रही थी.

उस दिन के बाद संजय और सुनयना का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. सुनयना कोई न कोई बहाना बना कर घर से निकलती और संजय से जा कर मिलती. संजय उसे साथ ले कर सैरसपाटे के लिए निकल जाता. वह अकसर सुनयना को मोतीरेव ले जाता और वहां दोनों साथसाथ सिनेमा देखते. कभी मोतीझील के रमणीक उद्यान में बैठ कर प्यार भरी बातें करते और साथ जीनेमरने की कसमें खाते.

कहते हैं, बैर, प्रीति, खांसी और खुशी कभी छिपाए नहीं छिपती. यही हाल संजय और सुनयना के प्यार का भी यही हुआ. एक दिन कारगिल पार्क में मोहल्ले के एक युवक ने संजय और सुनयना को आपस में हंसतेबतियाते देख लिया. उस ने यह बात होटल पर जा कर सुनयना के मामा छोटू को बता दी. छोटू तुरंत घर गया. घर से सुनयना गायब थी, जिस से छोटू को विश्वास को गया कि सुनयना संजय के साथ है. उस ने सारी बात रामरती को बताई, जिसे सुन कर रामरती सन्न रह गई.

शाम को सुनयना घर लौटी तो मां का तमतमाया चेहरा देख कर वह समझ गई कि कुछ गड़बड़ जरूर है. वह रसोई की तरफ बढ़ी तो रामरती ने उसे टोका, ‘‘पहले मेरे पास आ कर बैठ और सचसच बता कि तू कहां गई थी?’’

मां की बात सुन कर सुनयना का हलक सूख गया. उस ने धीरे से कहा, ‘‘मां, मैं साईं मंदिर गई थी.’’

‘‘झूठ, तू साईं मंदिर नहीं, बल्कि संजय के साथ पार्क में बैठ कर प्यार की बातें कर रही थी.’’

‘‘नहीं मां, यह सच नहीं है. किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं.’’

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‘‘फिर झूठ.’’ गुस्से में रामरती ने सुनयना के गाल पर 2 तमाचे जड़ दिए. वह गाल सहलाती हुई कमरे में चली गई.

दूसरी ओर छोटू ने संजय को आड़े हाथों लिया, ‘‘देख संजय, सुनयना मेरी भांजी है. उस की तरफ आंख उठा कर भी तूने देखा तो तेरी आंखें निकाल लूंगा. आज के बाद मेरीतेरी दोस्ती खत्म. तू मेरे घर के आसपास भी दिखा तो तेरे हाथपैर तोड़ डालूंगा.’’

रामरती ने भी संजय को खूब खरीखोटी सुनाई. इस के बाद संजय और सुनयना का मिलना बंद हो गया. रामरती और छोटू सुनयना पर कड़ी नजर रखने लगे. सुनयना जब कभी घर से बाहर जाती, उस के साथ रामरती या छोटू होता. छोटू ने अपने कुछ खास लोगों को भी संजय और सुनयना की निगरानी में लगा दिया था. छोटू किसी भी तरह संजय को सुनयना से मिलने नहीं दे रहा था.

4 मई, 2017 को किसी तरह सुनयना को मौका मिल गया तो वह शास्त्रीनगर के सिंधी कालोनी पार्क पहुंच गई. फोन कर के उस ने संजय को वहीं बुला लिया. संजय और सुनयना पार्क में बैठ कर बातें कर रहे थे, तभी पीछा करता हुआ छोटू वहां पहुंच गया. उस ने पार्क में ही संजय को पीटना शुरू कर दिया. संजय किसी तरह खुद को छुड़ा कर भागा. सुनयना को पकड़ कर छोटू घर ले आया और रामरती से शिकायत कर के उसे भी पिटवाया. यही नहीं, उस ने आननफानन में दूसरे दिन ही सुनयना का रिश्ता तय कर दिया.

संजय और सुनयना की पिटाई ने आग में घी का काम किया. संजय समझ गया कि जब तक सुनयना का मामा छोटू जिंदा है, तब तक वह अपना प्यार नहीं पा सकता. वह यह भी जान गया था कि छोटू ने सुनयना का रिश्ता इसलिए तय कर दिया है, ताकि वह उस से दूर चली जाए. छोटू उस के प्यार में दीवार बन कर खड़ा था, इसलिए छोटू को ठिकाने लगाने का निश्चय कर वह उचित मौके की तलाश में लग गया.

10 मई, 2017 की रात 10 बजे छोटू होटल बंद कर के सोने की तैयारी कर रहा था, तभी उधर से संजय निकला. छोटू को देख कर उस का खून खौल उठा. रात 12 बजे तक वह शराब के नशे में धुत हो कर जेके मंदिर के बाहर टहलता रहा. उस के बाद घर गया और लोहे का हथौड़ा ले कर छोटू के होटल पर जा पहुंचा.

छोटू गहरी नींद में सो रहा था. संजय ने उसे दबोच लिया और छाती पर सवार हो कर हथौड़े से उस के सिर पर वार पर वार करने लगा. हथौड़े के वार से छोटू का सिर फट गया और खून का फव्वारा फूट पड़ा. कुछ देर तड़प कर छोटू ने दम तोड़ दिया. हत्या करने के बाद संजय ने बाल्टी में रखे पानी में हाथ धोए और घर जा कर कपडे़ बदल लिए. खून से सना हथौड़ा और कपड़े उस ने बड़े बक्से के पीछे छिपा दिए.

रामरती सुबह होटल पर पहुंची तो छोटू तख्त पर मृत मिला. वह चीखने लगी. थोड़ी ही देर में तमाम लोग वहां जमा हो गए. उसी भीड़ में से किसी ने पुलिस को घटना की सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी मनोज कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने जांच शुरू की तो मोहब्बत के जुनून में की गई हत्या का खुलासा हो गया.

13 मई, 2017 को थाना काकादेव पुलिस ने अभियुक्त संजय को कानपुर की अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक उस की जमानत नहीं हुई थी

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Satyakatha- ऊधमसिंह नगर में: धंधा पुराना लेकिन तरीके नए- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

सेंटर में आने वाले ग्राहकों का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं था. जबकि उन की बिलिंग होती थी. उसे किसी रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता था. फिर भी पुलिस ने जांच में पता लगाया कि सेंटर को प्रतिदिन 50 हजार की कमाई होती थी.

स्पा सेंटर से बरामद सभी युवतियों ने स्वीकार किया कि वे किसी न किसी मजबूरी की वजह से मसाज की आड़ में देह बेचने का काम करती हैं.

इसी के साथ उन्होंने सेंटर के मालिक पर आरोप भी लगाया कि उन्हें बहुत कम पैसा मिलने के कारण मजबूरी के चलते बेसमेंट में रहना होता है, जहां काफी मुश्किल होती है.

पुलिस पूछताछ के बाद सीओ के निर्देश पर सभी युवतियों को मुखानी स्थित वन स्टौप सेंटर में भेज दिया गया. उसी दौरान 7 अगस्त, 2021 को पुलिस को पता चला कि स्पा सेंटर की आड़ में कई जगहों पर देह व्यापार चल रहा है.

इस सूचना के आधार पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट प्रभारी ने सीओ अमित कुमार के साथ मीटिंग कर इस अपराध को जड़ से मिटाने का निर्णय लिया. इस की जानकारी एसएसपी दलीप

सिंह को दे कर अनुमति मांगी गई. अनुमति मिलते ही अमित कुमार ने ठोस कदम उठाए.

उस योजना को अंजाम देने के लिए पुलिस ने नगर में चल रहे स्पा सेंटरों पर मुखबिरों का जाल बिछा दिया. पुलिस को जहां से भी जानकारी मिलती, वहां तुरंत छापेमारी की जाने लगी.

इस सिलसिले में मैट्रोपोलिस सिटी बिग बाजार स्थित सेवेन स्काई स्पा सेंटर में कुछ संदिग्ध युवकयुवतियां दबोचे गए. एक कमरे के केबिन से 2 युवकों को 3 युवतियों के साथ, जबकि दूसरे कमरे में बने केबिनों में 2-2 युवकयुवतियां मसाज में तल्लीन पकड़े जाने पर दबोचा गया. सभी अर्धनग्नावस्था में थे.

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सेंटर की गहन छानबीन में प्रयोग किए गए और नए महंगे कंडोम बरामद हुए. रिसैप्शन काउंटर से भी कंडोम बरामद किए गए.

कस्टमर एंट्री रजिस्टर से पुलिस को ग्राहकों के एंट्री की तारीख और समय का पता चला. सेंटर की संचालिका सोनू थी. उस ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि स्पा सेंटर का मालिक हरमिंदर सिंह हैं, उन के निर्देश पर ही सेंटर में सब कुछ होता रहा है. सेंटर से बरामद 5 युवतियों ने स्वीकार किया कि उन्हें एक ग्राहक के साथ हमबिस्तर होने पर 500 रुपए मिलते थे.

इस मामले को पंतनगर थाने में दर्ज किया गया. गिरफ्तार युवकयुवतियों और सेंटर के मालिक हरमिंदर सिंह के खिलाफ रिपोर्ट लिख ली गई. बिलासपुर जिला रामपुर निवासी हरमिंदर सिंह फरार था. पुलिस उस की तलाश में लगा दी गई थी. इसी तरह ऊधमसिंह नगर में चल रहे स्पा सेंटर पर भी 13 अगस्त को छापेमारी की गई.

उस के बाद वहां बसंती आर्या ने सभी स्पा सेंटरों व होटल मालिकों को आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए.

उन से कहा गया कि सभी ठहरने वाले ग्राहकों के आईडी की फोटो कौपी रखें और उन के नाम व पते रिसैप्शन सेंटर पर जरूर दर्ज करें. साथ ही होटल में सभी जगह पर सीसीटीवी कैमरे चालू हालत में रखने अनिवार्य कर दिए गए.

कहते हैं, जहां चाह वहां राह, तो इस धंधे को स्मार्टफोन से नई राह मिल गई है. देह व्यापार में लिप्त काशीपुर की सैक्स वर्करों ने स्मार्टफोन को ग्राहक तलाशने का जरिया बना लिया है. पुरुष भी धंधेबाज औरतों की तलाश आसानी से करने लगे हैं.

देह व्यापार में लिप्त महिलाएं मोबाइल पर चंद अश्लील बातें कर अपने ग्राहकों को फंसा लेती हैं. पैसे का लेनदेन भी उसी के जरिए हो जाता है.

वाट्सऐप और वीडियो कालिंग तो इस धंधे के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस पर वे अपनी अश्लील फोटो या वीडियो भेज कर उन को लुभा लेती हैं.

फिर वह ग्राहक की सुविधानुसार कुछ समय के लिए किराए पर ले रखे कमरे पर ही उसे बुला लेती हैं या उस के बताए ठिकाने पर पहुंच जाती हैं.

जो महिलाएं कल तक मंडी से जुड़ी हुई थीं, वे अब इसी तरीके से अपना धंधा चला रही हैं, यही उन की रोजीरोटी का साधन बन चुका है.

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जांच में यह भी पता चला कि काशीपुर में कुछ ऐसी बस्तियां हैं, जहां पर कई औरतें अपना धंधा चला कर मोटी कमाई कर रही हैं. उन में कुछ औरतें अधेड़ उम्र की हैं, वे  नई लड़कियों के लिए ग्राहक ढूंढने के साथसाथ उन की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाती हैं. ऐसी औरतें ही किराए का मकान या कमरा ले कर रखती हैं. उन में वह खुद रहती हैं.

किसी ग्राहक की मांग आते ही वह उन से सौदा तय कर आगे के काम में लग जाती हैं. उन्हें थोड़े समय के लिए अपना घर उपलब्ध करवा देती हैं.

ग्राहक को 15 मिनट से ले कर आधे घंटे तक का समय मिलता है. इसी समय के लिए 300 से 500 रुपए वसूले जाते हैं.  इस आय में आधा हिस्सा लड़की को मिलता है. कभीकभी लड़की को ज्यादा भी मिलता है.

यह ग्राहक की संतुष्टि और उस से मिलने वाले अतिरिक्त बख्शीश पर निर्भर करता है. इस गिरोह में घरेलू किस्म की औरतें, स्टूडेंट या पति से प्रताडि़त या उपेक्षित सफेदपोश संभ्रांत किस्म की महिलाएं शामिल होती हैं, जिन के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता कि उस पर भी गंदे धंधे के दाग लगे हुए हैं. उन की पब्लिसिटी पोर्न वेबसाइटों के जरिए भी होती रहती है.

इस तरह के देह व्यापार का धंधा काशीपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड में अपने पैर पसारता जा रहा है. बताते हैं कि यहां लड़कियां तस्करी के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती हैं, जिन में अधिकतर मजबूर महिलाएं और युवतियां ही होती हैं.

इसी साल जुलाई माह की भी ऐसी एक घटना 21 तारीख को रुद्रपुर में सामने आई. एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट के प्रभारी को ट्रांजिट कैंप गंगापुर रोड के पास मोदी मैदान में खड़ी एक संदिग्ध कार के बारे में सूचना मिली. मुखबिर ने एक कार यूके06एए3844 में कुछ पुरुष और महिलाओं के द्वारा अश्लील हरकतें करने की जानकारी दी.

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Satyakatha: स्पा सेंटर की ‘एक्स्ट्रा सर्विस’- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

राजेश अभी भी घबराया हुआ था. उस के जीवन में ऐसा कुछ पहली बार हो रहा था. हालांकि घबराहट की उस घड़ी में भी राजेश मन ही मन बेहद खुश था. उस ने सभी युवतियों पर फिर से नजर दौड़ाई और उन सब में से जो सब से खूबसूरत महिला थी, उसे पसंद कर लिया. उस का नाम रीटा था. राजेश ने रीटा की तरफ इशारा करते हुए पूनम से पूछा, ‘‘पूनमजी, क्या ये स्पैशल मसाज कर सकती हैं?’’

इस से पहले कि पूनम राजेश के सवाल का जवाब देती, रीटा बोल पड़ी, ‘‘जी सर, आप मेरे साथ आइए.’’

यह सुन कर पूनम ने रीटा को राजेश के सामने कहा, ‘‘ठीक है, सर को तुम रूम में ले जाओ और हां, सर का खास ध्यान रखना. क्योंकि यह यहां पहली बार मसाज कराने आए हैं.’’

रीटा ने पूनम की बातों पर हामी भरी और वह राजेश को अपने साथ सेंटर की पहली मंजिल पर बने एक केबिन में ले गई. रीटा ने राजेश को जूते उतार कर अंदर आने को कहा.

राजेश कमरे में अंदर आते ही चुपचाप दरवाजे के पास खड़ा हो कर कमरे में मौजूद चीजों को एक नजर देखने लगा. कमरे में दुकान के रिसैप्शन से भी कम रौशनी थी, लेकिन चीजें दिखाई दे रही थीं.

उस ने देखा कि वह कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था. कमरे के बीचोंबीच एक सिंगल बैड था, जहां वह लेटने वाला था. इस के अलावा कमरे के एक कोने में एक लंबा सा टेबल था, जहां पर मसाज के लिए सभी तरह का सामान रखा हुआ था.

रीटा ने दरवाजे के बगल में खड़े राजेश को आवाज लगाते हुए कहा, ‘‘सर, यह आप का टावल है. आप बाथरूम में जा कर नहा लीजिए और इस टावल में खुद को लपेट कर इस बिस्तर पर लेट जाइए. मैं 15 मिनट के बाद आऊंगी. तब तक आप रेडी हो जाइए.’’

राजेश ने रीटा की बातों को चुपचाप सुना और उस की बातों पर हामी भरी. राजेश बिना किसी देरी के कमरे के अंदर मौजूद बाथरूम में गया, अपने कपड़े एक तरफ टांगे, बाथरूम का झरना खोला और नहाया. 5 मिनट में नहा कर और तैयार हो कर वह रूम में वापस गया.

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उस ने देखा कि रीटा अभी वापस नहीं लौटी थी. मन में उत्सुकता का समंदर ले कर राजेश कमरे में उस बिस्तर पर सीने के बल लेट गया और रीटा का इंतजार करने लगा.

करीब 10 मिनट के बाद रीटा कमरे में आई और बोली, ‘‘सर, अगर आप तैयार हैं तो क्या मैं मसाज शुरू कर सकती हूं?’’

राजेश ने रीटा के सवाल का जवाब दिया और कहा, ‘‘जी रीटाजी, मैं तैयार हूं. आप शुरू कर सकती हैं.’’

रीटा राजेश की ओर आई और टेबल के ऊपर पड़े तेल की बोतल उठा कर राजेश के पीठ पर उड़ेलने लगी. हलके गरम तेल की छुअन राजेश अपने पीठ पर महसूस कर रहा था.

तेल उड़ेलने के बाद रीटा ने जब अपने नाजुक हाथ राजेश की पीठ पर मलने शुरू किए तो राजेश के पूरे बदन में झुरझुरी सी फैल गई.

राजेश के जीवन में यह पहली बार था, जब कोई महिला उस के शरीर को छू रही थी. राजेश अपनी आंखें बंद कर के रीटा की स्पैशल मसाज का पूरा मजा लेने लगा.

उस के शरीर के कुछ हिस्सों में तनाव पैदा हो गया था, जिसे जबजब रीटा जानेअनजाने अपने हाथों से छू लेती तो राजेश के पूरे बदन में मानो करंट सा दौड़ जाता.

रीता ने अपने हाथों से राजेश के बदन के हर हिस्से पर तेल लगा दिया था. अब बारी मालिश की थी. जब रीटा ने राजेश के गरदन और कंधे पर अपने हाथ मालिश के लिए फेरने शुरू किए तो राजेश को हल्काहल्का दर्द महसूस होने लगा.

लेकिन इस दर्द का एहसास तीखा नहीं था, बल्कि मीठा था. रीटा के हाथों को महसूस करते हुए राजेश कब गहरी नींद में चला गया, उसे होश ही नहीं था.

राजेश के सो जाने के बाद रीटा ने उस के शरीर के हर हिस्से की अपने हाथों से मालिश की. मालिश के बाद रीटा ने हल्के गरम पत्थर राजेश की पीठ और गरदन पर रख दिए, जोकि इसी स्पैशल मसाज का हिस्सा थे.

जब राजेश की आंखें खुलीं और वह नींद से जागा तो उसे अपनी पीठ और गरदन पर गरमाहट महसूस हुई और रीटा उस के सामने चुपचाप बैठी थी. राजेश ने गरदन उठाई और रीटा से कहा, ‘‘अरे रीटाजी, मसाज हो गई है क्या?’’

रीटा ने राजेश के सवाल का जवाब देती हुए कहा, ‘‘नहीं सर, अभी एक और सेशन बाकी है. आप काफी देर से सो रहे थे तो मैं ने आप को डिस्टर्ब नहीं किया.’’

यह सुन कर राजेश ने कहा, ‘‘जी मैडम. मैं काफी गहरी नींद में सो गया था. कसम से मजा आ गया. पहली बार बौडी मसाज करवा रहा हूं. मुझे अंदाजा ही नहीं था कि इस में इतना मजा आता है.’’ कह कर राजेश चुप हो गया.

जब गरम पत्थर को हटाने का समय हो गया तो रीटा कुरसी से उठी और एकएक कर राजेश के शरीर से पत्थर हटाते हुए बोली, ‘‘सर, क्या आप एक्स्ट्रा सर्विस लेना चाहते हैं?’’

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राजेश ने रीटा का सवाल सुन तो लिया था लेकिन उसे समझ नहीं आया कि ये एक्स्ट्रा सर्विस भला कौन सी बला है. तब राजेश ने रीटा से सवाल किया, ‘‘एक्स्ट्रा सर्विस मतलब? मैं ने तो स्पैशल मसाज के पैसे काउंटर पर दे दिए थे.’’

रीटा ने राजेश के सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘नहीं सर, स्पैशल मसाज तो एक अलग चीज है, एक्स्ट्रा सर्विस में हम आप के शरीर के कुछ खास हिस्सों की खास मसाज करते हैं. जिस के पैसे आप को काउंटर पर नहीं, बल्कि हमें देने होते हैं.’’

राजेश रीटा की बातों का इशारा समझने लगा था. वह रीटा से बोला, ‘‘मुझे आप की एक्स्ट्रा सर्विस के कितने पैसे और देने होंगे?’’

रीटा ने राजेश के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘सर ये डिपेंड करता है कि आप कैसी सर्विसेज लेना चाहते हैं.’’

राजेश की उत्सुकता अब सातवें आसमान पर पहुंच चुकी थी. उस के शरीर का रोमरोम मानो खड़ा हो गया था. उस ने रीटा को धीमी आवाज में कहा, ‘‘ठीक है, आप अपनी सारी एक्स्ट्रा सर्विस मुझे दे दीजिए.’’

रीटा ने बिना वक्त बरबाद किए, राजेश को पीठ के बल लेटने को कहा. अब रीटा की हल्के गुलाबी रंग की यूनिफार्म भी ढीली हो गई थी. राजेश अपने सामने रीटा की ढीली पड़ती यूनिफार्म से उस के अंगों को साफ देख पा रहा था.

देखते ही देखते एक्स्ट्रा सर्विस के नाम पर राजेश ने वो सब हासिल कर लिया था, जिस से वह अब तक अछूता था. राजेश और रीटा दोनों के शरीर आपस में जुड़ गए थे. ऐसा लग रहा था जैसे वे दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हों.

कुछ समय बाद जब रीटा की नसें ढीली पड़तीं तो वो राजेश की पीठ में अपने नाखून गड़ा देती. उन के बीच का यह शारीरिक मेल काफी लंबा चला. अंत में जब उन दोनों के बीच सब कुछ खत्म हो गया तो राजेश फिर एक बार बाथरूम में जा कर नहाया. उस ने अपने कपड़े पहने.

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Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: भाग 2

अदालत के दाईं ओर बने कटघरे में मुलजिम नीलू उर्फ अनिल उर्फ चरानी मुंह लटकाए खड़ा था और उस के चेहरे का रंग पीला पड़ा था. जज राजीव भारद्वाज अपनी न्याय की कुरसी पर विराजमान थे. अदालत कक्ष में दोनों पक्षों यानी बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र एस ठाकुर और सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित जिंदल मौजूद थे.

न्यायाधीश ने सुनाई सजा

मुकदमे की काररवाई शुरू की गई. जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी गईं. इस मामले में सीबीआई ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए. मामले के 14 में से 12 बिंदू नीलू के खिलाफ गए थे और 2 बिंदू आरोपी के पक्ष में. गौरतलब बात यह है कि आरोपी की हत्या वाली जगह पर मौजूदगी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट आरोपी के खिलाफ रहीं.

‘‘मिट्टी के सैंपल, शरीर पर निशान भी नीलू के दोषी होने को साबित करते हैं. नीलू के पक्ष में यह रहा कि पुलिस या सीबीआई उस की आपराधिक पृष्ठभूमि साबित नहीं कर सकी.

‘‘इस जघन्य अपराध के आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू को भादंवि की धारा 372 (2) (आई) और 376 (ए) के तहत बलात्कार का दोषी माना जाता है. साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत उसे हत्या और धारा 4 के तहत दमनकारी यौन हमला करने की सजा का दोषी माना जाता है. चूंकि पीडि़ता नाबालिग थी इसलिए

अदालत उसे पोक्सो एक्ट का दोषी भी करार देती है.’’

न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने आगे कहा, ‘‘सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट के तथ्यों को आधार मानते हुए यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि दोषी अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी को नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में मरते दम तक आजीवन कारावास और हत्या के मामले में आजीवन कारावास सहित 10 हजार रुपए जुरमाना लगाती है.

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‘‘जुरमाना न भरने की सूरत में दोषी को एक साल का अतिरिक्त कारावास काटना होगा. आरोपी की सजा फैसले के दिन से मानी जाएगी. आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी को न्यायिक हिरासत में लेते हुए यह अदालत उसे जेल भेजने की आदेश देती है अत: आरोपी को तत्काल पुलिस कस्टडी में लिया जाए. आज के मुकदमे की काररवाई यहीं खत्म की जाती है.’’

न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने 10 मिनट में फैसला सुना कर उस दिन की अदालत की काररवाई को विराम दिया और न्याय की कुरसी से उठ कर अपने कक्ष में चले गए. इस के बाद शिमला पुलिस ने अभियुक्त अनिल कुमार को हिरासत में लिया और उसे जेलले गई.

आइए पढ़ते हैं कि गुडि़या रेप और मर्डर केस की दिल दहला देने वाली सनसनीखेज कहानी. इस दर्दनाक और शर्मनाक घटना ने देश तक को हिला कर रख दिया था, जिस में पुलिस महानिरीक्षक से ले कर कांस्टेबल सहित 9 पुलिसकर्मियों तक को जेल की हवा खानी पड़ी थी. आखिर क्या हुआ था इस कहानी में, आइए पढ़तें हैं.

16 वर्षीय गुडि़या मूलरूप से शिमला के विधानसभा चौपाल के छोग की रहने वाली थी. पिता शिवेंद्र कुमार और मां अर्पिता की 5 संतानों में वह चौथे नंबर पर बेटियों में सब से छोटी थी लेकिन बेटा अमन से बड़ी थी. बड़ी होने के नाते गुडि़या अपने मांबाप और बहनों की लाडली और भाई की दुलारी थी.

स्कूल से घर नहीं लौटी गुडि़या

नाम के अनुरूप गुडि़या थी ही गुडि़या जैसी एकदम मासूम, चपल, चंचल और बेहद खूबसूरत, शिमला की खूबसूरत वादियों की तरह जिसे हर कोई प्यार किए बिना थकता नहीं था. मांबाप की लाडली गुडि़या उतनी ही अव्वल थी पढ़ने में.

पढ़लिख कर वह जीवन में बड़ा अफसर बनने की जिजीविषा रखती थी. तो मांबाप भी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. बच्चों की बेहतर परवरिश और शिक्षा पर वह पानी की तरह पैसे बहाते थे.

शिवेंद्र कुमार एक बड़े किसान थे. उन का अपने क्षेत्र में बड़ा नाम था. नाम के साथसाथ बड़ी पहचान भी थी. उन के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, इसीलिए बच्चों की शिक्षा पर वह खूब पैसे खर्च करते थे.

लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, जो होना है वह तो हो कर ही रहता है. ऐसा ही कुछ शिवेंद्र के साथ भी हुआ.

उन्हें क्या मालूम था कि उन के साथ बड़ा भयानक और कड़वा मजाक होने वाला है जिस का जख्म समय के मरहम के साथ तो भर जाएगा, लेकिन उस के निशान ताउम्र नासूर की तरह सालता रहेगा.

वह तारीख थी 4 जुलाई, 2017. गुडि़या, महासू के सीनियर सैकेंडरी हायर स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ती थी. उन दिनों शाम साढ़े 4 बजे उस के स्कूल की छुट्टी हुआ करती थी. उस दिन भी उस के स्कूल की नियत समय पर छुट्टी हुई थी.

छुट्टी होते ही गुडि़या स्कूल से घर के लिए निकल गई थी लेकिन देर शाम तक वह घर नहीं पहुंची थी. बेटी के घर न पहुंचने पर मां अर्पिता को चिंता हुई.

उन्होंने फोन कर के पति को बताया, ‘‘शाम होने वाली है, बेटी अभी तक घर नहीं लौटी. मुझे चिंता हो रही है, जरा स्कूल फोन कर के पता करिए, आखिर बेटी कहां रह गई.’’

पत्नी की बात सुन कर औफिस गए शिवेंद्र भी परेशान हो गए. शिवेंद्र ने पत्नी से कहा अभी स्कूल के प्रधानाचार्य को फोन कर के पता करता हूं. तुम चिंता मत करो.

फिर उन्होंने फोन काट दिया और स्कूल के प्रधानाचार्य को फोन मिला कर बेटी के बारे में पूछा.

शिवेंद्र की बात सुन कर प्रधानाचार्य भी हैरान रह गए थे. उन्होंने गुडि़या के पिता को बताया कि बेटी गुडि़या स्कूल आई थी और समय से घर के लिए निकल गई थी.

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प्रधानाचार्य से बात करने के बाद शिवेंद्र की चिंता और बढ़ गई. उन्होंने नातेरिश्तेदारों के यहां फोन कर के बेटी के बारे में पूछा लेकिन वह वहां भी नहीं पहुंची थी. अब घर वाले यह सोच कर परेशान होने लगे कि गुडि़या गई तो गई कहां? मन में यह सवाल उठते ही शिवेंद्र की धड़कनें तेज हो गईं.

उन्हें ये समझते देर न लगी कि कहीं बेटी के साथ कोई अनहोनी तो न हो गई. औफिस से देर रात घर लौटे शिवेंद्र पत्नी के साथ सोफे पर बैठेबैठे बेटी के घर लौटने के इंतजार में मुख्यद्वार को टकटकी लगाए ताकते रहे और बेटी की चिंता में पूरी रात दोनों पतिपत्नी ने आंखों में काट दी थी.

जंगल में नग्नावस्था मिली थी लाश

इस बीच शिवेंद्र ने कोटखाई थाने में तहरीर दे कर बेटी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी थी. इंसपेक्टर राजिंदर सिंह मुकदमा अपराध संख्या 97/2017 पर गुमशुदगी दर्ज कर के जरूरी काररवाई में जुट गए थे.

अगले भाग में पढ़ें- विद्रोह और जन आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार

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