24.75 करोड़ में बिक कर इस कंगारू ने बनाया इतिहास, यह कीवी खिलाड़ी हुआ फुस

हाल ही में वनडे का क्रिकेट वर्ल्ड कप भारत में खत्म हुआ था, जिस में भारत ने लगातार 10 मैच जीत कर दर्शकों का दिल अपने नाम कर लिया था, पर फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया ने भारत को आसानी से हरा कर खिताब अपने नाम कर लिया था. इस बार पैट कमिंस की अगुआई में वर्ल्ड कप खेल रही आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम कागजों पर ज्यादा मजबूत नहीं दिख रही थी और सैमीफाइनल मुकाबले तक जाने की राह भी ज्यादा आसान नहीं दिख रही थी, पर जैसे ही वह सैमीफाइनल तक पहुंची, तो फिर उस ने अपना असली रंग दिखाते हुए भारत के रंग में भंग डाल दिया.

अब पैट कमिंस को उस जीत का आईपीएल की नीलामी में बहुत बड़ा इनाम मिला है. उन्होंने साढ़े 20 करोड़ रुपए में बिक कर नया इतिहास बना दिया है. सनराइजर्स हैदराबाद ने इतनी बड़ी रकम चुका कर उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया है.

इस बार की नीलामी में पैट कमिंस का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था. उन्हें खरीदने के लिए रौयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइजर्स हैदराबाद में बोली के दौरान काफी जद्दोजेहद हुई थी, जिस में सनराइजर्स हैदराबाद ने बाजी मारी.

पर अभी पिक्चर बाकी थी. इसी आस्ट्रेलियाई टीम के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क को कोलकाता नाइट राइडर्स ने पौने 25 करोड़ रुपए में खरीद कर सब को चौंका दिया. वैसे तो आईपीएल का मतलब इंडियन प्रीमियर लीग है, पर जिस तरह से खिलाड़ियों पर पैसा बरसता है, इसे लोग ‘इंडियन पैसा लीग’ भी कहने लगे हैं.

19 दिसंबर, 2023 को दुबई के कोला एरिना हुई आईपीएल की बोली में न्यूजीलैंड के स्टार आलराउंडर डेरिल मिचेल को चेन्नई सुपर किंग्स ने 14 करोड़ रुपए की मोटी रकम दे कर खरीदा. डेरिल मिचेल का बेस प्राइस एक करोड़ रुपए था.

इसी तरह वैस्टइंडीज के तेज गेंदबाज अल्जारी जोसेफ पर रौयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने साढ़े 11 करोड़ रुपए की बोली लगाई और अपनी टीम में शामिल किया. उन का बेस प्राइस एक करोड़ रुपए था.

ऐसा पहली बार हुआ है जब देश के बाहर यह नीलामी की गई है. इस साल की मिनी औक्शन में कुल 333 खिलाड़ियों की नीलामी लगने वाली थी, जिस में 10 टीमों में कुल 77 जगहें भरी जानी थीं. इन में से 30 स्लौट विदेशी खिलाड़ियों के लिए थे.

एक टीम में ज्यादा से ज्यादा 25 खिलाड़ी और कम से कम 18 खिलाड़ी हो सकते थे, तो फ्रैंचाइजी अपनी सहूलियत के मुताबिक खिलाड़ी चुन सकते थे. इस नीलामी में उतरने वाले 333 खिलाड़ियों में से कुल 214 भारतीय और 119 विदेशी खिलाड़ी थे.

अगर भारतीय खिलाड़ी की बात करें तो भारतीय टीम के आलराउंडर हर्षल पटेल को पंजाब किंग्स ने पौने 12 करोड़ रुपए की मोटी रकम दे कर खरीदा. उन का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था.

भारतीय टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव को गुजरात टाइटंस ने 5 करोड, 80 लाख रुपए में खरीदा. उन का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था. नएनवेले खिलाड़ी शिवम मावी को लखनऊ सुपर जायंट्स ने 6 करोड़, 40 लाख रुपए में खरीदा.

इस बार न्यूजीलैंड के भारतीय मूल के आलराउंडर खिलाड़ी रचिन रविंद्र पर सब की निगाहें थीं और लग रहा था कि वे भी बिकने का कोई नया इतिहास बना देंगे, पर ऐसा हो नहीं पाया. 5 बार की आईपीएल चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स ने रचिन रविंद्र को एक करोड़, 80 लाख रुपए में खरीदा. उन का बेस प्राइस 50 लाख रुपए था. भारत के करन नायर, मनीष पांडे के अलावा आस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ, जोश हेजलवुड के साथसाथ दूसरे देशों के कई खिलाड़ियों को इस बार कोई खरीदार नहीं मिला.

उपहार

बैजू की साली राधा की शादी बैजू के ताऊ के बेटे सोरन के साथ तय हो गई. बैजू और उस की पत्नी अनोखी नहीं चाहते थे कि यह शादी हो, पर सोरन के बड़े भाई सौदान ने राधा के भाई बिल्लू को बिना ब्याज के कर्ज दे कर यह सब जुगाड़ बना लिया था.

अब ऊपरी खुशी से बैजू और अनोखी इस शादी को कराने में जुट गए. शादी से पहले ही राधा ने जीजा से अपने लिए एक रंगीन टीवी उपहार में मांग लिया.

बैजू ने दरियादिली से मान लिया, पर जब अनोखी ने सुना, तो वह जलभुन गई. घर आते ही वह आंखें तरेर कर बोली, ‘‘अपने घर में कालासफेद टैलीविजन नहीं और तुम साली को रंगीन टीवी देने चले हो.

‘‘चलो, सिर्फ साली को देते तो ठीक था, लेकिन उस की शादी में टीवी देने का मतलब है कि सोरन के घर टीवी आएगा. हम टीवी दे कर भी बिना टीवी वाले रहेंगे और सोरन बिना पैसा दिए ही टीवी देखने का मजा उठाएगा.

‘‘तुम आज ही जा कर राधा से टीवी के लिए मना कर दो, नहीं तो मेरीतुम्हारी नहीं बनेगी.’’

बैजू अनोखी की बात सुन कर सकपका गया. उसे तो खुद टीवी देने वाली बात मंजूर नहीं थी, लेकिन राधा ने रंगीन टीवी उपहार में मांगा, तो वह मना न कर सका.

समाज के लोग कहेंगे कि मर्द हो कर अपनी जबान का पक्का नहीं है. यह भी कहेंगे कि वह औरत की बातों में आ गया. सब उसे जोरू का गुलाम कहेंगे.

बैजू इतना सोच कर अपनी बीवी के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘अनोखी, मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं. इतने पर भी तू न माने, तो मैं तेरे पैरों में गिर जाऊंगा. इस बार की गलती के लिए मुझे माफ कर दे. आगे से मैं तुझ से पूछे बिना कोई काम न करूंगा.

‘‘मैं ने राधा को टीवी देने की बात कह दी है, अब मैं अपनी बात से पीछे नहीं हट सकता. तू खुद ही सोच कि क्या मेरी बदनामी में तेरी बदनामी नहीं होगी? लोग मुझे झाठा कहेंगे, तो तुझे भी तो झाठे की बीवी कहेंगे. महल्ले की औरतें ताने मारमार कर तेरा जीना मुहाल कर देंगी. मुझे मजबूर मत कर.’’

अनोखी थोड़ी चालाक भी थी. उसे पता था कि कहने के बाद टीवी न देने से महल्ले में कितनी बदनामी होगी. वह अपने पति से बोली, ‘‘ठीक है, इस बार मैं तुम्हें माफ कर देती हूं, लेकिन आगे से किसी की भी शादी में ऐसी कोई चीज न देना, जो हमारे घर में न हो…

‘‘और तुम यह मत समझाना कि मैं बदनामी से डरती हूं. मैं तो केवल तुम्हारे मनुहार की वजह से यह बात मान गई हूं.’’

राधा और सोरन की शादी हुई. बैजू ने अपने दिल पर पत्थर रख कर रंगीन टीवी का तोहफा शादी में दे दिया.

अनोखी भी टीवी की तरफ देखदेख कर अपना दिल थाम लेती थी. मन होता था कि उस टीवी को उठा कर अपने घर में रख ले, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी.

अनोखी का सपना था कि उस के घर में भी रंगीन टीवी हो. उस टीवी पर आने वाले सासबहू की लड़ाई से लबरेज धारावाहिक धूमधाम से चलें. लेकिन ये सब अरमान सीने में ही दबे रह गए.

राधा सोरन के घर में आ कर रहने लगी. थोड़े ही दिनों में राधा ने सोरन से कह कर जीजा का दिया रंगीन टीवी चलाना शुरू कर दिया. टीवी इतनी तेज आवाज में चलता कि बगल में बने बैजू के घर में बैठी अनोखी के कानों तक सासबहू के भड़कते संवाद गूंजते.

अनोखी का दिल होता कि जा कर टीवी देख ले, लेकिन उस ने कसम खाई थी कि जब तक वह अपने घर में भी रंगीन टीवी न मंगवा लेगी, तब तक राधा के घर टीवी पर कोई प्रोग्राम न देखने जाएगी.

राधा ने एक दिन अपनी सगी बहन अनोखी से कहा भी, ‘‘जीजी, तू मेरे घर पर टीवी देखने क्यों नहीं आती? कहीं तुझे भी महल्ले के लोगों की तरह मुझ से जलन तो नहीं होती?’’

अनोखी इस बात को सुन कर खून का घूंट समझ कर पी गई. उस ने राधा को कोई जवाब न दिया, लेकिन दोचार दिनों में ही आसपड़ोस की औरतों से उसे सुनने को मिला कि राधा सब से कहती है, ‘‘मेरी बड़ी बहन मुझ से दुश्मन की तरह जलती है. क्योंकि मेरे घर में रंगीन टीवी है और उस के घर कालासफेद टीवी भी नहीं है.’’

अनोखी इस बात को भी खून का घूंट समझ कर पी गई. लेकिन एक दिन अनोखी का लड़का रोता हुआ घर आया. जब अनोखी ने उस से रोने की वजह पूछी, तो उस ने बताया, ‘‘मां, मौसी ने मुझे टीवी नहीं देखने दिया.’’

अपने लड़के से यह बात सुन कर अनोखी का अंगअंग जल कर कोयला हो गया. आखिर उस के पति का दिया टीवी उसी का लड़का क्यों नहीं देख सकता? शाम तक अनोखी इसी आग में जलती रही.

जब बैजू घर आया, तो उस ने तुगलकी फरमान सुना दिया, ‘‘तुम अभी जा कर उस टीवी को उठा लाओ. आखिर तुम ने ही तो उस को दिया है. जब हमारा दिया हुआ टीवी हमारा ही लड़का न देख सके, तो क्या फायदा… और वह राधा की बच्ची सारे महल्ले की औरतों से मेरी बदनामी करती फिरती है. तुम अभी जाओ और टीवी ले कर ही घर में कदम रखना.’’

अनोखी की लाल आंखें देख बैजू सकपका गया. अनोखी को जवाब भी देने की उस में हिम्मत न हुई. वैसे, गुस्सा तो बैजू को भी आ रहा था. वह सीधा सोरन के घर पहुंच गया.

राधा टीवी देख रही थी. बैजू को देखते ही वह मुसकरा कर बोली, ‘‘आओ जीजा, तुम भी टीवी देख लो.’’

बैजू थोड़ा नरम हुआ, लेकिन अनोखी की याद आते ही फिर से गरम हो गया. वह थोड़ी देर राधा को देखता रहा, फिर बोला, ‘‘राधा, यह टीवी तुम्हें वापस करना होगा. मैं ने ही तुम्हें दिया था और मैं ही वापस ले जाऊंगा.’’

बैजू के मुंह से टीवी की वापसी वाली बात सुन कर राधा के रोंगटे खड़े हो गए. वह बोली, ‘‘जीजा, तुम्हें क्या हो गया है? आज तुम ऐसी बातें क्यों करते हो? यह टीवी तो तुम ने मुझे उपहार में दिया था.’’

बैजू कुछ कहता, उस से पहले ही महल्ले की कई औरतें और लड़कियां राधा के घर में आ पहुंचीं. उन्हें रंगीन टीवी पर आने वाला सासबहू का सीरियल देखना था.

शायद बैजू गलत समय पर राधा से टीवी वापस लेने आ पहुंचा था. इतने लोगों को देख बैजू के होश उड़ गए. भला, इतने लोगों के सामने उपहार में दिया हुआ टीवी कैसे वापस ले जाएगा. महल्ले की औरतों को देख कर राधा की हिम्मत बढ़ गई.

एक औरत ने राधा से पूछ ही लिया, ‘‘क्या बात है राधा बहन, इस तरह उदास क्यों खड़ी हो?’’

राधा शिकायती लहजे में उन सब औरतों को सुनाते हुए बोली, ‘‘देखो न बहन, जीजा ने पहले मुझे शादी के समय उपहार में यह टीवी दे दिया, लेकिन अब वापस मांग रहे हैं. भला, यह भी कोई बात हुई.’’

राधा की यह बात सुन कर बैजू सकपका गया. अब वह क्या करे. टीवी वापस लेने में तो काफी बदनामी होने वाली थी. उस ने थोड़ी चालाकी से काम लिया. वह गिरगिट की तरह एकदम रंग बदल गया और जोर से हंसता हुआ बोला, ‘‘अरे राधा, तुम तो बड़ी बुद्धू हो. मैं तो मजाक कर रहा था.

‘‘तुम मेरी सगी और एकलौती साली हो, भला तुम से भी मैं मजाक नहीं कर सकता. तुम बड़ी भोली हो, सोचती भी नहीं कि क्या मैं यह टीवी वापस ले जा सकता हूं… पगली कहीं की.’’

बैजू की इस बात पर राधा दिल पर हाथ रख कर हंसने लगी और बोली, ‘‘जीजा, तुम ने तो मेरी जान ही निकाल दी थी. फिर तुम बिना साली के भटकते फिरते. जिंदगीभर तुम किसी लड़की से जीजा सुनने को तरसते.’’

इस बात पर सभी औरतों की हंसी छूट पड़ी. सारा माहौल फिर से खुशनुमा हो गया. बैजू को एक पल भी वहां रहना अच्छा नहीं लग रहा था. वह राधा से बोला, ‘‘अच्छा राधा, अब मैं चलता हूं. मैं तो यह देखने आया था कि टीवी सही चल रहा है कि नहीं.’’

राधा अपने जीजा के मुंह से इतनी फिक्र भरी बात सुन खुश हो गई और बोली, ‘‘जीजा, तुम आए हो तो शरबत पीए बिना न जाने दूंगी. एक मिनट बैठ जाओ, अभी बना कर लाती हूं.’’

राधा ने खुशीखुशी शरबत बना कर बैजू को पिला दिया. शरबत पीने के बाद बैजू उठ कर अपने घर को चल दिया. उसे पता था

कि अनोखी उस का क्या हाल करेगी. कहेगी कि साली की मुसकान से घायल हो गए. उस की मीठीमीठी बातों में फंस गए. उस ने शरबत पिला कर तुम को पटा लिया. उस के घर में ही जा कर रहो, अब तुम मेरे पति हो ही नहीं.

लेकिन बैजू भी क्या करता. भला उपहार को किस मुंह से वापस ले ले, वह भी इतनी औरतों के सामने. ऊपर से जिस से उपहार वापस लेना था, वह उस की सगी और एकलौती साली थी.

बैजू ने सोच लिया कि वह बीवी का हर जुल्म सह लेगा, लेकिन दिया हुआ उपहार वापस नहीं लेगा.

जिदगी एक बांसुरी है

जोकी हाट का ब्लौक दफ्तर. एक गोरीचिट्टी, तेजतर्रार लड़की ने कुछ दिन पहले वहां जौइन किया था. उसे आमदनी, जाति, घर का प्रमाणपत्र बनाने का काम मिला था. वह अपनी ड्यूटी को मुस्तैदी से पूरा करने में लगी रहती थी. सुबह के 10 बजे से शाम के 4 बजे तक वह सब की अर्जियां लेने में लगी रहती थी.

आज उसे यहां 6 महीने होने को आए हैं. अब उस के चेहरे पर शिकन उभर आई है. होंठों से मुसकान गायब हो चुकी है. ऐसा क्या हो गया है?

अजय भी ठहरा जानामाना पत्रकार. खोजी पत्रकारिता उस का शगल है. अजय ने मामले की तह तक जाने का फैसला किया. पहले नाम और डेरे का पता लगाया.

नाम है सुमनलता मुंजाल और रहती है शिवपुरी कालोनी, अररिया में.

अजय ने फुरती से अपनी खटारा मोटरसाइकिल उठाई और चल पड़ा. पूछतेपूछते वहां पहुंचा. आज रविवार है, तो जरूर वह घर पर ही होगी.

डोर बैल बजाई. वह बाहर निकली. अजय अपना कार्ड दिखा कर बोला, ‘‘मैं एक छोटे से अखबार का प्रतिनिधि हूं मैडमजी. मैं आप से कुछ खास जानने आया हूं.’’

‘फुरसत नहीं है’ कह कर वह अंदर चली गई और अजय टका सा मुंह ले कर लौट आया.

अजय दूसरे उपाय सोचने में लग गया. 15 दिन की मशक्कत के बाद उसे सब पता चल गया. सुमनलता को किसी न किसी बहाने से उस के अफसर तंग करते थे.

अजय ने स्टोरी बना कर छपवा दी. फिर तो वह हंगामा हुआ कि क्या कहने. दोनों की बदली हो गई. अच्छी बात यह हुई कि सुमनलता के होंठों पर पुरानी मुसकान लौट आई.

एक दिन अजय कुछ काम से ब्लौक दफ्तर गया था. उस ने आवाज दे कर बुलाया. अजय चाहता तो अनसुना कर सकता था, पर फुरसत पा कर वह मिला. औपचारिक बातें हुईं. उस ने अजय को घर आने का न्योता दिया और उस का फोन नंबर लिया. बात आईगई हो गई.

3 दिन बाद रविवार था. शाम को अजय को फोन आया. अजनबी नंबर देख कर ‘हैलो’ कहा.

उधर से आवाज आई, ‘सर, मैं मिस मुंजाल बोल रही हूं. आप आए नहीं. मैं सुबह से आप का इंतजार कर रही हूं. अभी आइए प्लीज.’

मिस मुंजाल यानी ‘वह कुंआरी है’ सोच कर अजय तैयार हुआ और चल पड़ा. एक बुके व मिठाई ले ली. डोर बैल बजाते ही उस ने दरवाजा खोला.

साड़ी में वह बड़ी खूबसूरत लग रही थी. वह चहकते हुए बोली, ‘‘आइए, मैं आप का ही इंतजार कर रही थी.’’

अजय भीतर गया. वहां एक औरत बनीठनी बैठी थी. वह परिचय कराते हुए बोली, ‘‘ये मेरी मम्मी हैं. और मम्मी, ये महाशय पत्रकार हैं. मेरे बारे में इन्होंने ही छापा था.’’

अजय ने उन के पैर छू कर प्रणाम किया. वे उसे आशीर्वाद देते हुए बोलीं, ‘‘सदा आगे बढ़ो बेटा. आओ, बैठो.’’

तभी मिस मुंजाल बोलीं, ‘‘आप ने मुझे अभी तक अपना नाम तो बताया ही नहीं?’’

वह बोला, ‘‘मुझे अजय मोदी कहते हैं. आप सिर्फ मोदी भी कह सकती हैं.’’

‘‘मैं अभी आती हूं,’’ कह कर वह अंदर गई. पलभर में वह ट्रौली धकेलती हुई आई. उस पर केक सजा हुआ था. देख कर अजय को ताज्जुब हुआ.

उस ने खुलासा किया, ‘‘आज मेरा जन्मदिन है.’’

अजय ने पूछा, ‘‘मेहमान कहां हैं?’’

वह मुसकराते हुए बोली, ‘‘आप ही मेहमान हैं मिस्टर अजय मोदी.’’

‘‘ओह,’’ अजय ने इतना ही कहा.

मोमबत्ती बुझ कर उस ने केक काटा. पहला टुकड़ा अजय को खिलाया. अजय ने भी उसे और उस की मम्मी को केक खिलाया. फिर बुके व मिठाई के साथ बधाई दी और कहा, ‘‘मैं बस यही ले कर आया हूं. पहले पता होता, तो तैयारी के साथ आता.’’

उस ने इशारे से मना किया और बोली, ‘‘आज प्रोफैशनल नहीं पर्सनल मूमैंट को जीना है.’’

अजय चुप हो गया. रात के 8 बजे वह लौटा, तो वे दोनों अजनबी से एक गहरे दोस्त बन चुके थे.

2 महीने बाद अजय का प्रमोशन हो गया, तो सोचा कि उस के साथ ही सैलिबे्रट करे. फोन किया. उस ने बधाई दी. उस की आवाज में कंपन और उदासी थी.

अजय ने कहा, ‘‘आप आज शाम को तैयार रहना.’’

शाम में वह तैयार हो कर शिवपुरी पहुंचा. वह सजसंवर कर तैयार थी. दोनों मोटरसाइकिल पर बैठ कर चल पड़े.

अजय ने रास्ते में बताया कि वे दोनों पूर्णिया जा रहे हैं. वह कुछ नहीं बोली. होटल हर्ष में सीट बुक थी. खानेपीने का सामान उस की पसंद से और्डर किया. पनीर के पकौड़े, अदरक की चटनी कौफी…

अजय ने कहा, ‘‘मिस मुंजाल, आज हम लोग स्पैशल मूमैंट्स को जीएंगे.’’

वह गजब की मुसकान के साथ बोली, ‘‘जैसा आप कहें सर.’’

अजय ने प्यार से पूछा, ‘‘मिस मुंजाल, मुझे ‘सर’ कहना जरूरी है?’’

वह भी पलट कर बोली, ‘‘मुझे भी ‘मिस मुंजाल’ कहना जरूरी है?’’

अजय ने कहा, ‘‘ठीक है. आज से केवल अजय कहना या फिर मोदी.’’

वह बोली, ‘‘मुझे भी केवल सुमन या लता कहना.’’

फिर वह अपने बारे में बताने लगी कि वह हरियाणा के हिसार की है. नौकरी के सिलसिले में बिहार आ गई, पर अब मन नहीं लग रहा है. एलएलएम कर रही है. बहुत जल्द ही वह यहां से चली जाएगी. उसे वकील बनने की इच्छा है.

फिर अजय ने बताया, ‘‘मैं भी बहुत जल्द दिल्ली जौइन कर लूंगा. हैड औफिस बुलाया जा रहा है.’’

फिर उस ने मुझे एक छोटा सा गिफ्ट दिया. बहुत खूबसूरत ‘ब्रेसलेट’ था, जिस पर अंगरेजी का ‘ए’ व ‘एस’ खुदा था.

मैं ने भी एक सोने की पतली चेन दी. उस में एक लौकेट लगा था और एक तरफ ‘ए’ व दूसरी तरफ ‘एस’ खुदा था.

वह बहुत खुश हुई. ब्रेसलेट पहना कर उस ने अजय का हाथ चूम लिया और सहलाने लगी. वह भी थोड़ा जोश में आ गया. उस ने भी उसे चेन पहनाई और गरदन चूम ली. वह सिसकने लगी.

अजय ने वजह पूछी, तो बोली, ‘‘तुम पहले इनसान हो, जिस ने मेरी बिना किसी लालच के मदद की थी.’’

अजय ने कहा, ‘‘एलएलएम करने तक तुम यहीं रहो. कुछ गलत नहीं होगा. मैं हूं न.’’

उस ने ‘हां’ में सिर हिलाया. रात होतेहोते अजय ने उसे उस के डेरे पर छोड़ दिया. विदा लेने से पहले वे दोनों गले मिले.

अजय दूसरे ही दिन गुपचुप तरीके से बीडीओ साहब से मिला. अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और उस की ड्यूटी बदलवा दी.

इस बात को 10 साल गुजर गए. अजय अपने असिस्टैंट के साथ एक मशहूर मर्डर मिस्ट्री की सुनवाई कवर करने पटियाला हाउस कोर्ट गया था. कोर्ट से बाहर निकल कर वह मुड़ा ही था कि कानों में आवाज सुनाई पड़ी, ‘‘मिस्टर मोदी, प्लीज रुकिए.’’

अजय ने देखा कि एक लड़की वकील की ड्रैस में हांफती हुई चली आ रही थी. पास आ कर उस ने पूछा, ‘‘ऐक्सक्यूज मी प्लीज, आर यू मिस्टर अजय मोदी?’’

अजय ने कहा, ‘‘यस. ऐंड यू?’’

उस ने कहा, ‘‘मैं रीना महिंद्रा. आप प्लीज मेरे साथ चलिए. मेरी सीनियर आप को बुला रही हैं.’’

अजय हैरान सा उस के साथ चल पड़ा. पार्किंग में एक लंबी नीली कार खड़ी थी. उस के अंदर एक औरत वकील की ड्रैस में बैठी थी.

अजय के वहां पहुंचते ही वह बाहर निकली और उस के गले लग गई.

अजय यह देख कर अचकचा गया. वह चहकते हुए बोली, ‘‘कहां खो गए मिस्टर मोदी? पहचाना नहीं क्या मुझे? मैं सुमनलता मुंजाल.’’

अजय बोला, ‘‘कैसी हैं आप?’’

वह बोली, ‘‘गाड़ी में बैठो. सब बताती हूं.’’

अजय ने अपने असिस्टैंट को जाने के लिए कहा और गाड़ी में बैठ गया. उस ने भी रीना को मैट्रो से जाने के लिए कहा और खुद ही गाड़ी ड्राइव करने लगी.

वह लक्ष्मी नगर के एक फ्लैट में ले आई. अजय को एक गिलास पानी ला कर दिया और खुद फ्रैश होने चली गई.

कुछ देर बाद टेबल पर नाश्ता था, जिसे उस ने खुद बनाया था. फिर वह अपनी जिंदगी की कहानी बताने लगी.

‘‘आप ने तो चुपचाप मेरी ड्यूटी बदलवा दी. कुछ दिन बाद ही मुझे पता चल गया. सभी ताने मारने लगे. मुझ से सभी आप का रिलेशन पूछने लगे, तो मैं ने ‘मंगेतर’ बता दिया.

‘‘काफी समय बीत जाने पर भी जब आप नहीं मिले और न ही फोन लगा, तो मैं परेशान हो गई. पता चला कि आप दिल्ली में हो और अखबार भी बंद हो गया है.

‘‘मैं समझ गई कि आप जद्दोजेहद कर रहे होंगे. इधर मेरी मां को लकवा मार गया. मेरी एलएलएम भी पूरी हो गई थी. उस नौकरी से मैं तंग आ ही चुकी थी.

‘‘मां के इलाज के बहाने मैं दिल्ली चली आई. एक महीने बाद मेरी मां चल बसीं. फिर मेरा संघर्ष भी शुरू हो गया. दिल्ली हाईकोर्ट जौइन कर लिया और धीरेधीरे मैं क्रिमिनल वकील के रूप में मशहूर हो गई.’’

अजय मुसकरा कर रह गया.

उस ने पूछा, ‘‘आप बताओ, कैसी कट रही है?’’

अजय ने बताया, ‘‘दिल्ली आने के कुछ महीनों बाद ही अखबार बंद हो गया. मैं ने हर छोटाबड़ा काम किया. ठेला तक चलाया. अखबार बेचा. फिर एक दिन एक रिपोर्टिंग कर एक अखबार को भेजी और उसी में मुझे काम मिल गया. आज तक उसी में हूं.’’

‘‘बीवी बच्चे कैसे हैं?’’

अजय ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘‘मैडम मुंजाल, जब अपना पेट ही नहीं भर रहा हो, तो फिर वह सब कैसे?’’

वह मुसकराते हुए बोली, ‘‘तब तो ठीक है.’’

अजय बोला, ‘‘सच कहूं, तो तुम्हारी जैसी कोई मिली ही नहीं और न ही मिलेगी. जहां इतनी कट गई है, तो आगे भी कट ही जाएगी.’’

वह बोली, ‘‘अच्छी बात है.’’

अजय ने पूछा, ‘‘तुम्हारे बालबच्चे कहां और कैसे हैं?’’

वह फीकी मुसकान के साथ बोली, ‘‘एक भिखारी दूसरे भिखारी से पूछ रहा है, तुम ने कितना पैसा जमा किया है.’’

फिर वह चेन दिखाते हुए बोली, ‘‘याद है न… ये चेन आप ने ही पहनाई थी. मैं ने तब से ही इसे अपना ‘मंगलसूत्र’ मान लिया है. समझे…’’

‘‘और फिर मैं हरियाणवी हूं. पति के शहीद होने पर भी दूसरी शादी नहीं करते, यहां तो मेरा ‘खसम’ मोरचे पर गया था, शहीद थोड़े ही हुआ था.’’

अजय उस की प्यार वाली बात सुन कर फफकफफक कर रोने लगा. वह उस के आंसू पोंछते हुए बोली, ‘‘कितना झंडू ‘खसम’ हो आप मेरे? मर्द हो कर रोते हो?’’

अजय ‘खसम’ शब्द पर मुसकराते हुए बोला, ‘‘आई एम सौरी माई लव. यू आर ग्रेट ऐंड आई लव यू वैरी मच.’’

वह भी मुसकराते हुए बोली, ‘‘अच्छा, इसलिए पलट कर मेरी खबर तक नहीं ली.’’

इस के बाद अजय को अपनी बांहों में कसते हुए वह बोली, ‘‘मैं इस ‘अनोखे मंगलसूत्र’ को दिखादिखा कर थक चुकी हूं, मोदी डियर. अब सब के सामने मुझे स्वीकार भी कर लो प्लीज.’’

वे दोनों अगले हफ्ते ही एक भव्य समारोह में एकदूसरे के हो गए.

कहा भी गया है कि जिंदगी एक बांसुरी की तरह होती है. अंदर से खोखली, बाहर से छेदों से भरी और कड़ी भी, फिर भी बजाने वाले इसे बजा कर ‘मीठी धुन’ निकाल ही लेते हैं.

जब टेनिस प्लेयर की वजह से जेल जाने को मजबूर हुए खेसारी लाल यादव

भोजपुरी इंडस्ट्री के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav) आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चा में रहते हैं. खेसारी लाल ने अपनी कड़ी मेहनत से भोजपुरी इंडस्ट्री में अलग पहचान बना ली है. दिल्ली में सड़क किनारे बेचा लिट्टी-चोखा बेचने वाला लड़का आज करोड़ों दिलों पर राज करता रहता हैं. खेसारी लाल ने अपनी सिंगिंग और एक्टिंग के दम पर यूपी-बिहार समेत पूरे भारत में अपनी पहचान बनाई है. हालांकि खेसारी लाल का विवादों से गहरा नाता है. कभी पवन सिंह के साथ कोल्ड वॉर तो कभी काजल राघवानी संग प्यार का रिश्ता. इन सभी चीजों के चलते खेसारी लाल को लोगों ने कंट्रोवर्सी किंग का नाम दे दिया है. एक बार टेनिस खिलाड़ी की वजह से खेसारी लाल को जेल भी जाना पड़ा था.

 

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दरअसल, भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव ने टेनिस प्लेयर सानिया मिर्जा के ऊपर एक गाना बनाया था जिसका नाम ‘टेनिस वाली सानिया दूल्हा खोजलीं था. उस वक्त यह सॉन्ग काफी फेमस हुआ था. हालांकि सानिया को खेसारी का ये अंदाज पसंद नहीं आया था. इसी वजह से सानिया ने खेसारी के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया था, जिस वजह से खेसारी को जेल जाना पड़ा था.

 

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बताते चलें कि भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव (Khesari lal Yadav) ने सलमान खान के शो बिग बॉस 13 में हिस्सा लिया था. इस शो में खेसारी ने जमकर धमाल मचाया था. हालांकि आगे चलकर वो बाहर हो गए थे. लोगों का ये मानना है कि अगर खेसारी गेम को अच्छे से खेलते तो वो आराम से बिग बॉस 13 को अपने नाम कर सकते थे. खेसारी लाल की फैन फॉलोइंग काफी तगड़ी है. इस मामले में वो बॉलीवुड के सितारों को भी टक्कर देते हैं.

50 की उम्र में मलाइका ने रेड साड़ी में दिखाया हुस्न, फोटो हुई वायरल

बौलीवुड की आइटमगर्ल मलाइका अरोड़ा भले ही अब फिल्मों में ज्यादा एक्टिव न हों, लेकिन मीडिया की लाइमलाइट में वे हमेशा बनी रहती हैं. फिलहाल वे एक टीवी शो ‘झलक दिखला जा 11’ को ले कर भी सुर्खियों में बनी हुई हैं, जहां वे जज बनी हुई हैं. हाल में वे ‘झलक दिखला जा’ के सैट पर भी नजर आई थीं, जहां उन्होंने रेड साड़ी में जलवे दिखाए.

 

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मलाइका अरोड़ा डांसिंग रिएलिटी शो ‘झलक दिखला जा 11’ के सैट पर नजर आई हैं. मलाइका अरोड़ा की कई तसवीरें क्लिक हुई हैं, जिन में उन्होंने रेड कलर की साड़ी पहनी हुई थी. मलाइका अरोड़ा की साड़ी में कई पोज दिए और अदाएं देख फैंस उन पर कमैंट कर रहे हैं.

मलाइका अरोड़ा की तसवीरों पर एक यूजर ने लिखा है, ‘रेड में पटाखा लगती है.’ मलाइका अरोड़ा की तसवीरों पर एक यूजर ने लिखा है, ’50 में भी चमकती है.’ एक यूजर ने लिखा है, ‘रेड कलर में वाओ.’

 

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जहां एक ओर मलाइका अरोड़ा अपनी तसवीरों पर फैंस के अच्छे कमैंट पा रही हैं, वहीं दूसरी ओर मलाइका अरोड़ा को लोगों ने ‘बुड्ढी’ कह कर ट्रोल भी किया है. मलाइका अरोड़ा अपनी एज और फैशन को ले कर ट्रोल होती रहती हैं. हालांकि, मलाइका अरोड़ा ट्रोलर्स को सीरियसली नहीं लेती हैं.

मलाइका अरोड़ा ने बीते अक्टूबर में अपना 50वां जन्मदिन मनाया था. मलाइका अरोड़ा इस उम्र में भी नई हीरोइनों को टक्कर देती हैं. वे इन दिनों डांसिंग रिएलिटी शो ‘झलक दिखला जा 11’ को जज करती नजर आ रही हैं. शो के सेट से उन की फोटोज और वीडियोज आती रहती हैं.

 

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मलाइका अरोड़ा की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वे फिलहाल बौलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर को डेट कर रही हैं. इन दोनों की उम्र में काफी अंतर है. लोग तो यह भी दबी जबान में कह रहे हैं कि जल्दी ही वे दोनों शादी कर सकते हैं.

आवारा : खोखले उसूलों से लड़ता एक नौजवान

Family Story in Hindi: हाजी साहब के 2 बेटे थे. बड़ा इसलाम व छोटा सलमान. हाजी साहब के पुरखे नवाब थे, इसलिए अभी भी उन का रुतबा नवाबों से कम न था. जमीनजायदाद की भी कमी न थी, इसलिए गांव में ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके में उन का रोब था. इसलाम और सलमान की उम्र में सिर्फ एक साल का फर्क था. दोनों ने एकसाथ पढ़ाई शुरू की थी और गांव के ही स्कूल से 10वीं जमात पास की थी. दोनों भाई पढ़ने में होशियार थे. उन के चेहरे बहुतकुछ आपस में मिलतेजुलते थे. धीरेधीरे अब वे जवानी की दहलीज पर पैर रख चुके थे.

हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म होते ही हाजी साहब ने उन्हें आगे पढ़ने के लिए बनारस भेज दिया. दोनों भाई कालेज के होस्टल में अलगअलग कमरों में रहने लगे थे.

हाजी साहब उन्हें घर से अलगअलग पैसे भेजते थे, ताकि दोनों में तकरार न हो. बड़ा भाई इसलाम, जहां सिर्फ पढ़ाई में ही दिलचस्पी रखता था, वहीं छोटा भाई सलमान पढ़ाईलिखाई के साथसाथ खेलकूद, सिनेमा वगैरह में भी दिलचस्पी रखता था.

वक्त बीतने पर वे दोनों बीए में दाखिला ले चुके थे. उन की पढ़ाई का आखिरी साल था. दोनों पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देने लगे थे.

सलमान जब पढ़ाई से ऊब जाता, तो फिल्म देख लिया करता. उस समय सलमान खान की फिल्म ‘सनम बेवफा’ लगी हुई थी. सलमान उस फिल्म को देखने के लिए मचल उठा.

लेकिन जब सलमान सिनेमाघर पहुंचा, खिड़की पर भारी भीड़ देख कर नाउम्मीद हो गया, लेकिन थोड़ी देर बाद उस ने ब्लैक में टिकट खरीद लिया.

सलमान खुशीखुशी सिनेमाघर के भीतर पहुंच कर सीट पर जा बैठा. फिल्म शुरू हो चुकी थी.

सलमान को हैरानी हो रही थी कि इतनी भीड़ के बावजूद उस के बाईं ओर वाली सीट अभी भी खाली थी.

तभी टिकट चैकर ने टौर्च की रोशनी दिखा कर एक बुरकापोश औरत को उस के बगल वाली सीट पर बैठने का इशारा किया.

सलमान की नजरें उस औरत पर टिक गईं. वह जैसे ही उस के बगल में बैठी, खुशबू का एक झोंका उस की नाक में समा गया. सलमान अब उस औरत का चेहरा देखने को उतावला हो उठा.

अचानक उस औरत ने जब अपना बुरका उठाया, तो सलमान ने अंधेरे के बावजूद यह महसूस किया कि वह कोई औरत नहीं, बल्कि 16-17 साल की एक खूबसूरत लड़की थी.

फिल्म खत्म होते ही सलमान उस लड़की के पीछे हो लिया. उस ने उसे मन का मीत बनाने की ठान ली थी.

वह लड़की एक रिकशे में बैठ चुकी थी. सलमान भी दूसरे रिकशे में बैठ कर उस का पीछा करने लगा.

थोड़ी देर बाद लड़की का रिकशा तवायफ गली की ओर मुड़ चुका था. सलमान एकबारगी चौंका, लेकिन वह उसे पाने के लिए सबकुछ करने को तैयार था.

उस लड़की का रिकशा एक खूबसूरत मकान के आगे रुक चुका था. लड़की ने पैसे दिए और मकान के अंदर चली गई.

रिकशे वाले से ही सलमान को पता चला कि वह लड़की सलमा बाई है और उस जैसी खूबसूरत तवायफ पूरे बनारस में नहीं है.

सलमान को न तो सलमा बाई के पेशे से मतलब था और न ही जातिधर्म से, वह तो उस का दीवाना हो चुका था. उस ने मन में ठान लिया था कि नतीजा चाहे कुछ भी क्यों न निकले, अगर निकाह करेगा तो सिर्फ सलमा बाई से, नहीं तो अपनी जान दे देगा.

सलमान का सलमा बाई के कोठे पर आनाजाना शुरू हो गया. सलमा बाई भी उसे चाहने लगी थी. दोनों एकदूसरे पर जान छिड़कने को तैयार थे. इस बात की खबर सलमान के अब्बाअम्मी के पास भी पहुंच चुकी थी.

‘कैसा आवारा लड़का इस खानदान में पैदा हो गया,’ यह कह कर वे दोनों उसे कोसने लगे थे.

इसलाम ने भी सलमान को बहुत समझाया, समाज के तौरतरीके बताए, लेकिन सलमान पर इस का कोई असर न हुआ.

इस पर सलमान कहता, ‘‘भाईजान, जरा उस लड़की को तो देखिए. क्या उसे इस समाज में जीने का हक नहीं है? आखिर यह समाज ही तो उस का जन्मदाता है.

‘‘इस समाज ने आज तक सदियों से चली आ रही बुराई को इसीलिए तो खत्म नहीं किया कि फिर वह अपनी हवस कहां शांत करेगा. इस गली में समाज के गरीब और अमीर, सभी लोग हवस की झोली फैलाए खड़े रहते हैं.

‘‘इस समाज के ठेकेदारों ने ही अपने फायदे के लिए कुछ उसूल बना दिए हैं. औरत को हमेशा हम ने भोगने वाली चीज समझ, उस के दर्द को कभी नहीं समझ.

‘‘मैं इस समाज के रीतिरिवाजों और खोखले उसूलों के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ूंगा, चाहे इस का नतीजा जो भी निकले.’’

इसलाम सलमान की यह दलील सुन कर चुप हो गया.

एक दिन तो हद हो गई, जब सलमा को ले कर सलमान अपने गांव की हवेली पर पहुंचा. अब्बा और अम्मी ने उसे एक पल भी घर में ठहरने नहीं दिया.

लेकिन सलमान भी हार नहीं मानने वाला था. वह गांव के ही बचपन के दोस्त राम के घर जा पहुंचा. राम ने उस की काफी तारीफ की, क्योंकि उस ने भी एक तवायफ से शादी कर के समाज के सारे उसूलों को ठेंगा दिखाया था.

राम ने सलमान के निकाह के सारे इंतजाम किए, लेकिन मुल्ला निकाह कराने को तैयार नहीं हुआ. वह बोला, ‘‘मैं एक तवायफ का निकाह करा कर खुद की नजरों में नहीं गिरना चाहता.’’

राम भी हार मानने वाला नहीं था. उस ने अपने एक दोस्त रहीम को निकाह कराने के लिए तैयार किया, क्योंकि वह सारे नियम जानता था. दोनों का निकाह हो गया. राम ने ही उन्हें खेती करने को अपनी जमीन दे दी.

वक्त के साथ सलमा ने एक बेटे को जन्म दिया. बच्चे को पा कर वे दोनों खुशी से फूले न समाए.

जब यह खबर हवेली पहुंची, तो अब्बा और अम्मी की भी खुशियों का ठिकाना न रहा.

पोते की खबर पाते ही वे उस से मिलने को तड़प उठे. जब उन से नहीं रहा गया, तो वे समाज के सारे नियमों को ताक पर रख कर बहूबेटे को घर ले आए.

आबरू : घर से क्यों भागी निशा

Social Story in Hindi: न जाने कितने लोगों ने हुस्न की उस मलिका को अपना दिल देना चाहा होगा, लेकिन चांद हर किसी को नहीं मिलता. जब वह तंग टीशर्ट और मिनी स्कर्ट पहनती थी, तो देखने वालों का दिल मचल जाता था. जहां एक ओर निशा नशीली आंखों वाली खूबसूरत लड़की थी, वहीं दूसरी ओर हरी चमकीली आंखों वाली रिया की अदा भी मोहक थी. घर से भागी हुई निशा को जब कोई महफूज ठिकाना नहीं मिला, तो उस ने खुराना फर्म में 5 हजार रुपए महीने की नौकरी कर ली. धीरेधीरे निशा का फर्म के मालिक निशांत से मेलजोल का सिलसिला बढ़ने लगा और वह उस की ललचाई निगाहों में बसने लगी.

यह फर्म विदेशों में माल सप्लाई करती थी. उस माल की जांचपड़ताल के लिए विदेशी अफसर 2-4 महीने में दिल्ली पहुंच कर पूरा हिसाबकिताब करते थे.

20 साला रिया भी खुराना फर्म में पहले से काम करती थी. एक दिन जब निशा देर से दफ्तर पहुंची, तो रिया उस पर ताना मारते हुए बोली, ‘‘आ गई हुस्नपरी. भला यहां कौन तुम से देर

से आने की वजह पूछने की हिम्मत करेगा? तुम बौस की चहेती जो बनती जा रही हो.’’

‘‘जलन होती है क्या?’’ निशा ने तिलमिला कर कहा.

‘‘लगता है, तुम बुरा मान गई. मैं तो यों ही मजाक कर रही थी. दरअसल, बौस के कमरे से 2 बार बुलावा आ चुका है. उन्हें किसी फाइल की जरूरत है, जो तुम्हारी टेबल की दराज में बंद है.

‘‘चाबी तुम्हारे पास है, इसलिए उसे खोला कैसे जा सकता था. अब तुम आ गई हो, तो झटपट निकाल कर ले जाओ.’’

‘‘मैं जरा बाथरूम में जा कर मुंह धो लूं. बस में इतनी भीड़ थी कि पसीने से तरबतर हो गई हूं,’’ इतना कह कर निशा बाथरूम से जल्दी निबट कर बौस के केबिन की ओर गई. चपरासी ने मुसकरा कर दरवाजा खोल दिया.

निशा के अंदर जाते ही किसी दूसरे को बौस से मिलने का मौका कम ही मिलता था. अंदर क्या गुल खिलता था, यह बात शायद रिया जानती थी.

केबिन में घुसते ही होंठों पर मुसकराहट लाते हुए निशा बोली, ‘‘सर, मुझे कुछ देर हो गई. कैसे याद किया?’’

बौस ने निशा की ओर देखा. उस ने अपने काले घुंघराले लंबे बालों को कसने के लिए पतला आसमानी रंग का रेशमी फीता बांध रखा था. उस के टौप के ऊपरी 2 बटन खुले थे.

‘‘आओआओ, वहां क्यों खड़ी हो? कुरसी पर बैठो,’’ बौस बोला.

सामने कुरसी पर अदा के साथ बैठते हुए निशा बोली, ‘‘क्या करूं सर, खचाखच भरी बस सामने से निकल गई, चढ़ने का मौका ही नहीं मिला.’’

‘‘कोई बात नहीं. तुम जा कर कुछ देर आराम कर लो, फिर कल वाली दी गई फाइल ले कर आना.’’

कोई दूसरा होता, तो बौस भड़क कर सारा गुस्सा उस पर उतार देते, लेकिन मामला एक हसीना का था, इसलिए वे चुप रह गए.

अपनी सीट पर बैठते ही निशा ने टेबल की दराज खोली, फाइल निकाली. उसी समय बगल में बैठी रिया ने हंसते हुए पूछा, ‘‘क्या कहा बौस ने?’’

‘‘बोलता क्या, मु?ा पर नजरें टिकाईं, तो सबकुछ भूल गया,’’ निशा बोली.

‘‘वह तो मैं जानती थी. तेरी नजरों के तीर ने जब उसे पहले ही घायल कर दिया, तो बोलने के लिए गले की आवाज का रुक जाना कोई बड़ी बात नहीं.’’

‘‘तुम्हें क्यों जलन होती है रिया?’’

‘‘जब किसी से इश्क होता है, तो होंठ सिल जाते हैं और निगाहें बोलना शुरू कर देती हैं. तुम कुछ दिनों में बौस को पहचान लोगी.’’

‘‘मुझे तो नहीं लगता कि बौस की नीयत में कुछ खोट है,’’ निशा बोली.

‘‘यह तुम्हारा भरम है. सच जल्दी ही तुम्हारे सामने आ जाएगा.’’

शाम के 6 बजे तक दफ्तर से तकरीबन सभी लोग जा चुके थे. निशा ने रिया से कहा, ‘‘चलो, हम चल कर किसी पास के रैस्टोरैंट में कुछ खापी लेते हैं. वहीं पर बातें भी होती रहेंगी.’’

‘‘ठीक है,’’ और दोनों बाहर जाने की तैयारी करने लगीं, तभी बौस ने निशा को अपने कमरे में बुलाया.

‘‘लो, बौस को तुम्हारी याद आ गई. अब तो घंटेभर से पहले तुम्हें फुरसत नहीं मिलेगी. तुम बौस से निबटती रहना, मैं अपने क्वार्टर पर जा रही हूं. फिर किसी दिन रैस्टोरैंट में चलेंगे,’’ इतना कह कर रिया चली गई.

‘‘कैसे याद किया सर?’’ निशा ने बौस के कमरे में जा कर पूछा.

‘‘बैठो. आज तुम्हें कुछ जरूरी काम से देर तक रुकना पड़ेगा. तुम थकी होगी, इसलिए मैं ने कौफी मंगाई है.’’

निशा ने अपना हैंडबैग अलग रखा और बौस की टेबल के सामने कुरसी पर इतमीनान से बैठ गई.

थोड़ी देर बाद किसी होटल का बैरा कौफी सैट और नाश्ता डाइनिंग टेबल पर सजाने लगा. साथ में अंगरेजी शराब की बोतल, कांच के गिलास और बर्फ भी थी.

दूसरे दिन रिया ने निशा से 2 घंटा देर से आने की वजह जाननी चाही, तो वह चुप रही. उस दिन बौस भी बहुत देर से दफ्तर पहुंचा था.

‘‘मेरी जान, तुम ने बौस के साथ रातभर क्या गुल खिलाया?’’

‘‘जो भी समझ लो.’’

‘‘उस ने तुम्हें रात को कितने बजे छोड़ा?’’

‘‘3 बज रहे थे. बौस मुझे खुद अपनी कार से घर तक छोड़ने गए थे.’’

‘‘यह तो होना ही था. रातभर काफी परेशान किया होगा, जैसा कि तुम्हारे मुरझाए चेहरे से लग रहा है.’’

‘‘घर पहुंच कर मुझे देर तक नींद नहीं आई. तुम्हारी चेतावनी भी याद आने लगी थी.’’

‘‘और क्या हुआ?’’

‘‘हम दोनों शाम को रैस्टोरैंट में बातें करेंगे. मुझे कुछ जरूरी काम सौंपा गया है,’’ निशा ने धीमी आवाज में कहा.

रिया दिनभर यह जानने को बेचैन थी कि बौस ने निशा पर किस तरह फंदा डाला और उस के साथ क्याक्या हुआ, लेकिन निशा टालती रही.

शाम को दफ्तर खत्म होने के बाद जब लोग घर जाने की तैयारी करने लगे, तब चपरासी ने रिया को खबर दी, ‘‘बौस आप को बुला रहे हैं.’’

उसे जाते देख कर निशा ने कहा, ‘‘लो, आज तुम्हारी बारी है. अच्छी तरह निबट लेना. मैं तो चली.’’

जब रिया बौस के केबिन में पहुंची, तो बौस ने कहा, ‘‘रिया, स्कौटलैंड से वहां की बड़ी फर्म का सचिव पीटर फेरी हमारी कंपनी के माल और फाइलों की जांच करने आया है. दिन में मैं ने उसे फैक्टरी में घुमाफिरा कर तो खुश कर दिया, लेकिन रात में वह होटल नाज में फाइलों की चैकिंग करेगा.

‘‘उस का कमरा नंबर 120 है. तुम्हें फाइलों की चैकिंग इस तरह करानी है, ताकि उसे कोई गड़बड़ी न मिले. तुम

इस मामले में काफी होशियार हो. पिछली रात मैं ने निशा से सारी फाइलें ठीक करा दी हैं.’’

‘‘सर, अगर आप निशा को ही मेरी जगह भेज देंगे, तो अच्छा रहेगा. विदेश से आए लोगों के पास हर बार मुझे ही जाना पड़ता है,’’ रिया ने अपनी बात रखी.

‘‘इसलिए कि तुम उन्हें बेहतर तरीके से खुश करती रही हो. निशा तो अभी ठीक से सीख भी नहीं पाई है.’’

‘‘उन में कुछ लोग ज्यादा ही परेशान  करते हैं,’’ रिया ने कहा.

‘‘नौकरी करनी है, तो यह सब भी बरदाश्त करना पड़ेगा. तुम्हें 10 हजार की तनख्वाह यों ही नहीं दी जाती. मेरा ड्राइवर तुम्हें तुम्हारे घर से होटल पहुंचाएगा. वहां का काम खत्म होने पर वह तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देगा.

‘‘तुम्हारे खानेपीने का इंतजाम पीटर फेरी के साथ ही रहेगा. अगर वह तुम्हारी सेवा से खुश हो गया, तो अपनी फर्म को और ज्यादा माल विदेश भेजने में सहूलियत होगी,’’ बौस ने समझाया.

‘‘अब मैं जाऊं सर?’’ रिया ने पूछा.

‘‘जाओ. खयाल रखना,’’ बौस ने मुसकरा कर उसे विदा किया.

दूसरे दिन रिया दफ्तर नहीं आई. रातभर उसे होटल नाज में रहना पड़ा था.

तीसरे दिन रिया चहकते हुए निशा से बोली, ‘‘मैं बहुत खुश हूं. मैं तुम से अपनी खुशी का इजहार रैस्टोरैंट में करना चाहती हूं. चलो, वहां चलें.’’

‘‘लेकिन…’’

‘‘इस समय मूड मत खराब करो,’’ कहते हुए रिया निशा को खींच कर रैस्टोरैंट ले गई.

रैस्टोरैंट में रिया ने निशा के लिए कौफी और अपने लिए ह्विस्की और नाश्ते का और्डर दिया.

‘‘आज मैं दफ्तर नहीं जाऊंगी. तुम जा कर बौस को बता देना कि मैं बहुत थकी हुई हूं. वे समझ जाएंगे कि मुझे स्कौटलैंड से आए पीटर फेरी की रातभर सेवा करनी पड़ी थी.’’

‘‘अब मैं समझ,’’ निशा हंसते हुए रिया से बोली.

रिया ने मुसकराते हुए बताया, ‘‘यार, पीटर फेरी तो गजब का मर्द निकला. मैं ने आज तक ऐसा दिलदार मर्द नहीं देखा. वह पूरी रात मेरे जिस्म से खेलता रहा.

‘‘मैं ने उसे कई बार फाइल पढ़ने के लिए कहा, लेकिन नशे में वह केवल हर पन्ने पर सही का निशान लगाते हुए दस्तखत करता रहा.

‘‘वह बारबार मेरी तारीफों के पुल बांधता रहा. उस की बातें सुन कर मैं भी मन ही मन खुश थी. हर औरत अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर मर्द पर ज्यादा मेहरबान होती है.

‘‘न जाने कब किस मोड़ पर किसी से प्यार हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता. हम लाख अपने दिल को समझाएं, नियम और मर्यादा में खुद को बांध कर रखें, मगर दिल अगर किसी पर मरमिटना चाहे, तो दिमाग कुछ नहीं सुनतासोचता.

‘‘उस मर्द के बच्चे ने मेरा सारा जिस्म निचोड़ डाला. जवानी एक ऐसा नशा होती है, जिस में औरत हो या मर्द, दोनों में मदहोशी बनी रहती है.

‘‘सच कहूं, पीटर फेरी इतना खुश था कि वह जातेजाते मेरे पर्स में 20 हजार रुपए रख गया और दोबारा मुझ से ही मिलने का वादा लेता गया.’’

इस के बाद कुछ देर तक दोनों में खामोशी रही, फिर रिया ने निशा से पूछा, ‘‘यार, तुम्हारी रात बौस के साथ कैसी कटी थी?’’

‘‘मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था, क्योंकि जिस दिन ऐसी नौबत आएगी, मैं नौकरी से इस्तीफा दे दूंगी. वैसे, मैं तुम्हें बता दूं कि बौस मेरे साथ शादी करना चाहता है.

‘‘उस रात वह मुझे बारबार यही समझाता रहा कि उस से शादी कर के मैं बेहद खुश रहूंगी, क्योंकि अभी तक उसे ऐसी कोई लड़की पसंद नहीं आई, जिसे वह अपना हमसफर बना सके.

‘‘उस ने मुझे यह भी बताया कि तुम ने उस पर कई बार डोरे डालने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रही.

‘‘सच पूछो, तो तुम ऐसे ही काम निबटाने के लिए फर्म में रखी गई हो. जैसेजैसे फर्म की आमदनी बढे़गी, तुम्हारी तनख्वाह भी बढ़ेगी.

‘‘एक बात याद रखना. इस नौकरी को छोड़ने के बाद तुम्हें ऐसा सुनहरा मौका नहीं मिलेगा. विदेशी लोग तो कभीकभी आते हैं, लेकिन तुम ने दूसरों को ज्यादा जोश दिखाया, तो कहीं की नहीं रहोगी, इसलिए बेहतर होगा कि किसी को अपना जीवनसाथी बना कर इस काम को छोड़ दो.

‘‘कुछ नहीं तो अपने बौस पर ही फंदा कसना शुरू करो. शायद वह तुम्हारे बस में आ जाए, क्योंकि इस कला में तुम काफी माहिर हो.’’

‘‘वह ऐसा नहीं है, जिस पर मेरे हुस्न का जादू चल सके,’’ रिया बोली.

‘‘फिर तुम ने कैसे सोच लिया कि मैं एक ही रात में उस की गुलाम बन गई थी. वह चाहता तो नशे में मेरे साथ बदसुलूकी कर सकता था, पर हिम्मत नहीं बटोर सका.

‘‘जिंदगी में हर किसी का एक सपना होता है. उसे पूरा करने के लिए कुछ लोग तुम्हारा रास्ता चुनते हैं, तो कुछ मेरी तरह कड़ी मेहनत करते हैं,’’ इतना कह कर निशा वहां से चली गई.

चार रोटियां : ललिया के आंचल की चार रोटियां

Story in Hindi

सोशल मीडिया की दोस्ती और अनजाना क्राइम

Crime News in Hindi: अपना समय गुजारने के लिए कुछ महिलाएं सोशल मीडिया (Soical Media) से जुड़ जाती हैं, जो धीरेधीरे उन्हें अच्छा लगने लगता है. मीनू जैन के साथ भी ऐसा ही हुआ. लेकिन यह… मीनू जैन अपने पति रिटायर्ड विंग कमांडर वी.के. जैन (Retired Wing Commander V.K. Jain) के साथ दिल्ली में द्वारका के सेक्टर-7 स्थित एयरफोर्स ऐंड नेवल औफिसर्स अपार्टमेंट में रहती थीं. उन के परिवार में पति के अलावा एक बेटा आलोक और बेटी नेहा है. आलोक नोएडा स्थित एक मल्टीनैशनल कंपनी (Multinational company) में काम करता है, जबकि शादीशुदा नेहा गोवा में डाक्टर है. विंग कमांडर वी.के. जैन एयरफोर्स से रिटायर होने के बाद इन दिनों इंडिगो एयरलाइंस (Indigo Airlines) में कमर्शियल पायलट हैं.

25 अप्रैल, 2019 को वी.के. जैन अपनी ड्यूटी पर थे. फ्लैट में मीनू जैन अकेली थीं. शाम को मीनू जैन को उन के पिता एच.पी. गर्ग ने फोन किया तो बातचीत के दौरान मीनू ने उन्हें बताया कि आज उस की तबीयत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए वह आराम कर रही है. दरअसल, उन के पिता उन से मिलने आना चाहते थे. लेकिन जब मीनू ने उन से आराम करने की बात कही तो उन्होंने वहां से जाने का इरादा स्थगित कर दिया.

अगले दिन सुबह एच.पी. गर्ग ने बेटी की खैरियत जानने के लिए उस के मोबाइल पर फोन किया. काफी देर तक घंटी बजने के बाद भी जब मीनू ने उन का फोन रिसीव नहीं किया तो वे परेशान हो गए. कुछ देर बाद वह अपने बेटे अजीत के साथ बेटी के फ्लैट की ओर रवाना हो गए.

मीनू का फ्लैट तीसरे फ्लोर पर था. उन्होंने वहां पहुंच कर देखा तो दरवाजा अंदर से बंद था. कई बार डोरबेल बजाने के बाद भी जब फ्लैट के अंदर से मीनू ने कोई जवाब नहीं दिया तो वह परेशान हो गए. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि मीनू को ऐसा क्या हो गया, जो दरवाजा नहीं खोल रही.

इस के बाद एच.पी. गर्ग ने पड़ोसी योगेश के फ्लैट की घंटी बजाई. योगेश ने दरवाजा खोला तो एच.पी. गर्ग ने उन्हें पूरी बात बताई. स्थिति गंभीर थी, इसलिए उन्होंने अजीत और उस के पिता को अपने फ्लैट में बुला लिया. इस के बाद योगेश की बालकनी में पहुंच कर अजीत अपनी बहन मीनू के फ्लैट की खिड़की के रास्ते अंदर पहुंच गया.

जब वह बैडरूम में पहुंचा तो वहां बैड के नीचे मीनू अचेतावस्था में पड़ी थी. पास में एक तकिया पड़ा था, जिस पर खून लगा हुआ था. यह मंजर देख कर वह घबरा गया. उस ने अंदर से फ्लैट का दरवाजा खोल कर यह जानकारी अपने पिता को दी.

एच.पी. गर्ग और योगेश ने फ्लैट में जा कर मीनू को देखा तो वह भी चौंक गए कि मीनू को यह क्या हो गया. चूंकि वह क्षेत्र थाना द्वारका (दक्षिण) के अंतर्गत आता है, इसलिए पीसीआर की सूचना पर थानाप्रभारी रामनिवास इंसपेक्टर सी.एल. मीणा के साथ मौके पर पहुंच गए.

मौके पर उन्होंने क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को बुलाने के बाद उच्चाधिकारियों को भी सूचना दे दी. डीसीपी एंटो अलफोंस भी घटनास्थल पर पहुंच गए. चूंकि मामला एयरफोर्स के रिटायर्ड अधिकारी के परिवार का था, इसलिए उन्होंने स्पैशल स्टाफ की टीम को भी बुला लिया.

क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम का काम निपट जाने के बाद थानाप्रभारी रामनिवास और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर नवीन कुमार की टीम ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. मीनू की हालत और तकिए पर लगे खून को देख कर लग रहा था कि मीनू की हत्या तकिए से सांस रोक कर की गई है.

मीनू का मोबाइल फोन और उस की कीमती अंगूठी गायब थी. इस के बाद जब फ्लैट की तलाशी ली गई तो रोशनदान का शीशा टूटा हुआ मिला. फ्लैट के बाकी कमरों का सारा सामान अस्तव्यस्त था. कुछ अलमारियां खुली हुई थीं और उन में रखे सामान बिखरे हुए थे. किचन के वाश बेसिन में चाय के कुछ कप रखे थे. एक कप में थोड़ी चाय बची हुई थी.

यह सब देख कर पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि हत्यारे जो कोई भी हैं, मीनू जैन उन से न केवल अच्छी तरह परिचित थीं, बल्कि हत्यारों के साथ उन के आत्मीय संबंध भी रहे होंगे. क्योंकि किचन में रखे चाय के कप इस ओर इशारा कर रहे थे. थाना पुलिस ने मौके की जरूरी काररवाई करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. फिर एच.पी. गर्ग की शिकायत पर हत्या तथा लूटपाट का मामला दर्ज कर लिया गया.

द्वारका जिले के डीसीपी एंटो अलफोंस ने इस सनसनीखेज हाईप्रोफाइल मामले की तफ्तीश के लिए एसीपी राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की. इस टीम में इंसपेक्टर नवीन कुमार, इंसपेक्टर रामनिवास तथा इंसपेक्टर सी.एल. मीणा, एसआई अरविंद कुमार आदि को शामिल किया गया.

अगले दिन मृतका मीनू के पति वी.के. जैन ड्यूटी से वापस लौटे तो पत्नी की हत्या की बात सुन कर आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने फ्लैट में रखी सेफ आदि का मुआयना किया तो उस में रखी ज्वैलरी और कैश गायब था. उन्होंने पुलिस को बताया कि उन के फ्लैट से करीब 35 लाख रुपए के कीमती जेवर और कुछ कैश गायब है. इस के अलावा मीनू के दोनों मोबाइल फोन भी गायब थे.

स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर नवीन कुमार ने एसीपी राजेंद्र सिंह के निर्देशन में काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने मीनू के दोनों मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा एयरफोर्स ऐंड नेवल औफिसर्स अपार्टमेंट सोसायटी के गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली.

सीसीटीवी फुटेज में 2 कारें संदिग्ध नजर आईं, जिन में एक स्विफ्ट डिजायर थी. दोनों कारों की जांच की गई तो पता चला स्विफ्ट डिजायर कार का नंबर फरजी है. टीम को इसी कार पर शक हो गया. जब गेट पर मौजूद गार्ड से स्विफ्ट डिजायर कार के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि 25 अप्रैल, 2019 की दोपहर को करीब 2 बजे एक अधेड़ आदमी मीनू जैन से मिलने आया था. जब उस से रजिस्टर में एंट्री करने के लिए कहा गया तो उस ने तुरंत मीनू जैन को फोन मिला दिया. मीनू ने बिना एंट्री किए उसे अंदर भेजने को कहा.

इस पर गार्ड ने उस व्यक्ति को मीनू के फ्लैट का पता बता कर उन के पास भेज दिया. शाम को दोनों घूमने के लिए सोसायटी से बाहर भी गए थे. यह सुन कर उन्होंने अनुमान लगाया कि मीनू जैन की हत्या में इसी आदमी का हाथ रहा होगा.

फोन की लोकेशन जयपुर की आ रही थी

मीनू जैन के दोनों मोबाइल फोन की काल डिटेल्स से पता चला कि उन का एक फोन घटना वाली रात की सुबह तक चालू था, उस के बाद उसे स्विच्ड औफ कर दिया गया था. जबकि दूसरा फोन चालू था, जिस की लोकेशन जयपुर की आ रही थी.

पुलिस के लिए यह अच्छी बात थी. पुलिस टीम गूगल मैप की मदद से 29 अप्रैल को जयपुर पहुंच गई. फिर दिल्ली पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से जयपुर के मुरलीपुरा इलाके में स्थित स्काइवे अपार्टमेंट में छापा मारा. वहां से दिनेश दीक्षित नाम के एक शख्स को हिरासत में ले लिया. उस के पास से सफेद रंग की वह स्विफ्ट डिजायर कार भी बरामद हो गई जो उस अपार्टमेंट के बाहर खड़ी थी.

जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने 25 अप्रैल, 2019 की देर रात दिल्ली में मीनू जैन की हत्या और उस के फ्लैट में लूटपाट करने की बात स्वीकार कर ली.

पुलिस की तहकीकात और आरोपी दिनेश दीक्षित के बयान के अनुसार, मीनू जैन की हत्या के पीछे जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

52 वर्षीय मीनू जैन के पति वी.के. जैन एयरफोर्स में विंग कमांडर पद से रिटायर होने के बाद इंडिगो एयरलाइंस में बतौर पायलट तैनात थे. वह कामकाज के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते थे. उन के दोनों बच्चे बड़े हो चुके थे.

बेटा नोएडा में एक मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करता था, जो वीकेंड में अपने मम्मीपापा से मिलने द्वारका आ जाता था. बेटी मोना (काल्पनिक नाम) डाक्टर थी, जो गोवा में रहती थी. ऐसे में मीनू जैन घर पर अकेली रहती थीं. वह अपना समय बिताने के लिए सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहती थीं.

सोशल मीडिया में बने प्रोफाइल पसंद आने पर बड़ी आसानी से नए दोस्त बन जाते हैं. बाद में दोस्ती बढ़ जाने के बाद आप उन से अपने विचार शेयर कर सकते हैं. अगर बात बन जाती है तो चैटिंग करने वाले आपस में अपने पर्सनल मोबाइल नंबर का आदानप्रदान भी कर लेते हैं. इस प्रकार दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ जाता है. मीनू जैन और दिनेश दीक्षित के मामले में भी ऐसा ही हुआ.

खिलाड़ी था दिनेश दीक्षित

जयपुर निवासी 56 वर्षीय दिनेश दीक्षित बेहद रंगीनमिजाज व्यक्ति था. उस ने 2 शादियां कर रखी थीं. उस की एक बीवी अपने 2 बेटों के साथ गांव में रहती थी, जबकि दूसरी बीवी के साथ वह जयपुर में किराए के एक फ्लैट में रहता था. बताया जाता है कि सन 2015 में ठगी के एक मामले में वह जेल भी जा चुका है. 2 साल जेल में रहने के बाद वह सन 2017 में जेल से बाहर आया था. इस के बाद वह अच्छी नस्ल के कुत्ते बेचने का बिजनैस करने लगा था.

इसी दौरान उस की मुलाकात दिल्ली के एक सट्टेबाज से हुई, जिस की बातों से प्रभावित हो कर वह क्रिकेट के आईपीएल मैचों में सट्टा लगाने लगा. इस धंधे की शुरुआत में उसे कुछ फायदा तो हुआ लेकिन बाद में उसे काफी नुकसान हुआ. वह कई लोगों का कर्जदार हो गया. इस कर्ज से उबरने के लिए उस ने अमीर औरतों को अपने जाल में फंसा कर उन से रुपए ऐंठने की योजना बनाई.

इस के बाद उस ने एक सोशल साइट के माध्यम से खूबसूरत और मालदार शादीशुदा औरतों से दोस्ती करनी शुरू कर दी. जल्द ही उस की दोस्ती कई ऐसी औरतों से हो गई, जो खाली समय में सोशल साइट पर दोस्तों के साथ अपना टाइमपास किया करती थीं.

करीब 5 महीने पहले सोशल साइट पर दिनेश दीक्षित और मीनू जैन दोस्त बन गए. अब जब भी खाली वक्त मिलता, दोनों सोशल साइट पर चैटिंग करते रहते थे. इस से उन का मन बहल जाता था और बोरियत महसूस नहीं होती थी. शीघ्र ही उन की दोस्ती गहरी हो गई.

मीनू जैन के पति चूंकि इंडिगो एयरलाइंस में पायलट थे, इसलिए वह घर से अकसर बाहर ही रहते थे. इस बात का फायदा उठा कर मीनू जैन ने पति की अनुपस्थिति में दिनेश दीक्षित को अपने फ्लैट में बुलाना शुरू कर दिया.

भोलीभाली मीनू जैन फंस गईं दिनेश दीक्षित के जाल में

दिनेश ने देखा कि मीनू जैन साफ दिल की भोलीभाली औरत हैं तो वह मन ही मन उन्हें लूटने की योजना बनाने लगा. करीब 5 महीने की दोस्ती के दौरान मीनू जैन को दिनेश दीक्षित पर इस कदर विश्वास हो गया कि जब भी उन के पति और बच्चे घर पर नहीं रहते, वह उसे मैसेज कर के अपने पास बुला लेतीं और फिर दोनों अपने दिल की तमाम हसरतें पूरी कर लिया करते थे.

25 अप्रैल, 2019 को भी वी.के. जैन अपने फ्लैट पर नहीं थे. पति की अनुपस्थिति का फायदा उठाते हुए मीनू जैन ने दिनेश दीक्षित को फ्लैट पर आने का मैसेज भेजा तो वह अपनी सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार से दोपहर के वक्त सोसायटी के गेट पर पहुंच गया.

जब सोसायटी के गेट पर मौजूद गार्ड ने उस का पता पूछा तो उस ने मीनू जैन को फोन कर गार्ड से उन की बात करा दी. मीनू जैन के कहने पर गार्ड ने उस की कार का नंबर रजिस्टर में नोट करने के बाद उसे अंदर जाने को कह दिया.

दिनेश दीक्षित मीनू जैन के फ्लैट में पहुंचा तो उसे सामने देख कर वह बहुत खुश हुईं. चाय और नमकीन लेने के बाद दोनों ही बातों में मशगूल हो गए. लगभग पौने 9 बजे मीनू और दिनेश दोनों डिनर के लिए कार से सोसायटी के बाहर निकले.

करीब आधे घंटे के बाद लौटते समय दिनेश ने मूड बनाने के लिए वोदका की एक बोतल और कुछ स्नैक्स खरीद लिए. सोसायटी में पहुंच कर दोनों ने ड्रिंक करनी शुरू कर दी. अपनी योजना को अंजाम देने के लिए दिनेश दीक्षित ने मीनू जैन को अधिक मात्रा में वोदका पिलाई और खुद कम पी.

रात करीब 2 बजे मीनू जैन शराब के नशे में धुत हो कर शिथिल पड़ गईं तो दिनेश दीक्षित ने मौका देख कर तकिए से उन का मुंह दबा दिया. जब मीनू ने छटपटा कर दम तोड़ दिया तो उस ने बड़े इत्मीनान से उन की सेफ में रखे करीब 50 लाख रुपए के आभूषण और नकदी निकाल ली.

मीनू जैन की अंगुली में एक बेशकीमती अंगूठी थी. उस ने वह अंगूठी भी उतार कर अपने पास रख ली. इस के अलावा उन के दोनों मोबाइल फोन भी उठा लिए. रात भर वह मीनू की लाश के पास बैठ कर शराब पीता रहा और तड़के 5 बजे फ्लैट से सारा लूट का सामान ले कर रोशनदान से बाहर निकल गया. फिर अपनी स्विफ्ट कार से जयपुर के लिए रवाना हो गया.

गुड़गांव के टोल टैक्स से आगे निकलने के बाद उस ने मीनू जैन के एक मोबाइल फोन को स्विच्ड औफ कर दिया. जबकि दूसरे फोन को वह स्विच्ड औफ करना भूल गया. जयपुर पहुंचने के बाद वह पूरी तरह निश्चिंत था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकेगी. लेकिन 29 अप्रैल, 2019 को इंसपेक्टर नवीन कुमार की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उस के पास से मीनू जैन के यहां से लूटा गया सारा सामान बरामद कर लिया गया.

दिनेश दीक्षित से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे द्वारका (साउथ) थाने के थानाप्रभारी रामनिवास को सौंप दिया. थाना पुलिस ने दिनेश दीक्षित से पूछताछ के बाद उसे द्वारका कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि पूरी होने के बाद उसे फिर से द्वारका कोर्ट में पेश कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. कथा लिखने तक दिनेश दीक्षित जेल में बंद था. केस की विवेचना थानाप्रभारी रामनिवास कर रहे थे.  द्य

—घटना में शामिल कुछ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं.

मुझे मेकअप प्रोडक्ट शेयर करना बिलकुल पसंद नहीं है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी एक काफी करीबी दोस्त है. बचपन से ले कर कालेज तक हम ने अपनी हर चीज शेयर की है. बाकी सब तो ठीक है लेकिन उस का मेरा मेकअप प्रोडक्ट शेयर करना मुझे बिलकुल पसंद नहीं. मैंने यह बात उसे बातोंबातों में कई बार बोल भी दी है लेकिन वह नहीं मानती. साफ बोल दूं तो कहीं वह बुरा न मान जाए. क्या करूं, सलाह दें.

जवाब

दोस्ती में अपने सीक्रेट्स और चीजें शेयर करना अच्छी बात है लेकिन मेकअप प्रोडक्ट शेयर करना स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. इस के अलावा मेकअप प्रोडक्ट शेयरिंग से जुड़ी अन्य बीमारियों में हर्पीस भी शामिल है, जो घावों और खुजली, चकत्ते और सूजन का कारण बनता है. जैसे, आंखों का काजल, आईलाइनर और मस्कारा शेयर करने से लाल आंखें, आंखों में खुजली, जलन, आंख से पानी आना आदि समस्याएं हो सकती हैं. वहीं, लिपस्टिक शेयर करने से हर्पीस समेत कई अन्य इन्फैक्शन हो सकते हैं.
मेकअप ब्रश और ऐप्लिकेटर आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे में बैक्टीरिया ले जा सकते हैं, आप अपनी दोस्त को साफसाफ शब्दों में यह बात समझाएं. समझदार होगी तो आप का कहना जरूर मानेगी. तब भी न माने तो कह दें कि आप को स्किन प्रौब्लम हो रही है, इसलिए मेकअप प्रोडक्ट्स शेयर नहीं कर सकती. तब वह बुरा माने या अच्छा, चिंता मत करिए. वैसे, समझदार फ्रैंड है, तो बुरा बिलकुल नहीं मानेगी.

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