प्रेम गली अति सांकरी: भाग 1

Writer- जसविंदर शर्मा 

एक सौतन के साथ अपने पति को शेयर करने में कितनी हिम्मत चाहिए, यह मैं अब जान पाई हूं. बचपन से ही मैं ने मां को तिलतिल मरते देखा है, पापा से हर दिन लड़ते देखा है और अपने हक के लिए दिनरात कुढ़ते देखा है. जब एक म्यान में दो तलवारें ठूंस दी जाएंगी तो वे एकदूसरे को काटेंगी ही. उसी तरह एक पत्नी के होते हुए दूसरी पत्नी लाई जाएगी तो उन के दिलों में हड़कंप मचना स्वाभाविक है.

पापा को सच में मां से प्यार या सहानुभूति होती तो वे मां की सौतन को घर लाने के बारे में सोचते ही न. जब सबकुछ बरसों तक अनैतिक चलता रहा, फिर माफी मांगने से मेरी मां भला उन्हें कैसे माफ करती. प्रेम में क्षमा न तो दी जा सकती है और न ही मांगने से मिलती है. प्रेम या तो होता है या नहीं होता. कभी खुशी कभी गम वाली बीच की स्थिति में हजारों लोग जीते हैं, उन में प्रेम नहीं बल्कि सैक्स एकदूसरे का काम चलाता है. सैक्स को प्रेम मान लेना शादी की असफलता की बहुत भारी भूल है.

औरतें स्वभाव से भावुक होती हैं. हरेक बात अपने आसपास के लोगों से शेयर कर लेती हैं. हम लोग अभी बच्चे ही थे कि मां और पापा में किसी तीसरी औरत को ले कर ठन गई थी. मां ने उसे कभी नाम से नहीं पुकारा. मां हमेशा उसे ‘वह’ कहती थीं. उसे हमेशा नफरत और हिकारत की नजरों से देखतीं. ‘वह’ पापा के औफिस में काम करती थी. पापा औफिस में सीनियर औफिसर थे. हर तरफ उन का दबदबा था.

जब मैं 7 साल की थी तब पापा मुझे कभीकभार अपने साथ औफिस ले जाते थे. पापा मुझे अपने औफिस की अन्य महिला सहयोगियों से मिलवाते. वे मेरा खूब स्वागत करतीं. मुझ से प्यारभरी बातें करतीं.

‘वह’ उन सब में सब से अलग थी. मुझे उस के पास छोड़ कर पापा बहुत खुश होते. वह मुझे देखते ही खिल जाती थी. ‘वह’ मुझे गोद में उठा लेती. मेरा मुंह बारबार चूमती और मुझे चौकलेट ले कर देती या कैंटीन से कोल्ड डिं्रक मंगवाती. पूरे दफ्तर में मुझे ‘वह’ सब से ज्यादा प्यारी लगती थी.

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एक दिन मैं उस की गोद में बैठी थी. ‘वह’ पापा के कैबिन में कुरसी पर बैठी थी. पापा भी पास ही खड़े थे. उस ने मुझ से पूछा, ‘क्या तुम भी मेरे साथ रहना पसंद करोगी, अगर तुम्हारे पापा मेरे साथ मेरे घर में रहने लगें तो?’ बहुत ही बेढंगा प्रस्ताव था उस का. मैं चक्कर में पड़ गई, हां कहूं या ना. मैं सकपका गई और घबरा कर उस की गोदी से नीचे उतर गई थी.

मां अकसर मेरी बड़ी बहन से ‘उस के’ बारे में बातें करती थीं. मैं तब समझती थी कि मां उस से जलती हैं. ‘वह’ सुंदर थी, उस के पास कीमती गहने थे, वह आकर्षक थी और हमेशा नए फैशन के कपड़े पहनती थी. मैं सोचती थी कि ‘वह’ मुझ से खास स्नेह रखती थी, इसलिए मां को चिंता थी कि कहीं ‘वह’ मुझे उस से छीन न ले.

असली बात मुझे तब पता चली जब मैं थोड़ी बड़ी हुई. मां और पापा के झगड़े भयानक तेवर लेने लगे थे. उन के बहस के केंद्र में हमेशा ‘वह’ होती. मां पापा को कोसतीं, गुस्से में कहतीं कि उन के दफ्तर की स्त्रियों से संबंध हैं. कई दिनों तक मां और पापा रूठे रहते जिस का असर हम दोनों बहनों पर पड़ता.

पापा की उस प्रेमिका ने हमारे घर में तूफान ला दिया था. हर वक्त घर में कोहराम मचा रहता था. पापा हमेशा कसमें खाते कि उन का ‘उस से’ कोई संबंध नहीं है. मां इधरउधर दफ्तर के लोगों से पूछताछ करतीं. वे लोग उन्हें सच क्यों बताने लगे.

कुछ दिन पापा मां के प्रति वफादार रहते मगर उस के बाद उन का असली रंग सामने आ जाता. मां जासूसी करतीं. वे पापा को पकड़ ही लेतीं. कभी पापा ‘उस के’ साथ कैफे में मिल जाते तो कभी किसी सिनेमाहाल के बाहर.

मामला घूमनेफिरने या फिल्म देखने तक ही सीमित नहीं रहा. पापा उस के साथ शुरूशुरू में रातभर कहीं रहने लगे तो मां ने आसमान सिर पर उठा लिया. घर में खाना न बनता. मां चीखतींचिल्लातीं, घर की कई चीजें तोड़ देतीं. हम बच्चों को बेवजह पीटने लगतीं.

पापा सिर झुकाए सब कुछ सहते, चुपचाप सिगरेट फूंकते रहते. बहुत देर तक टैनिस की बौल की तरह इधर से उधर टप्पे खाखा कर मां गला फाड़फाड़ कर अंत में थक जातीं मगर पापा को कोई फर्क न पड़ता.

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अगले कुछ दिनों में मां को कीमती उपहार दे कर, आगे से सुधरने का वचन दे कर पापा मां को मना लेते. कुछ दिन मां खुश रहतीं मगर फिर कोई न कोई बात मां के कानों में पड़ ही जाती. फिर वही सबकुछ दोहराया जाता. मां की गालियां सुन कर भी पापा ने अपनी मिस्ट्रैस को छोड़ा नहीं.

उस दिन तो ‘उस ने’ बड़ी हिम्मत दिखाई. ‘वह’ एक दिन हमारे घर के दरवाजे पर आ खड़ी हुई. मैं ने दरवाजे के बाहर उसे अपनी तरफ मुसकराते देखा. घर में एक मैं ही थी जिस के मन में ‘उस के’ प्रति कोई प्रतिकार या नफरत की भावना नहीं थी.

उस के पेट के निचले हिस्से में आए उभार को देख कर मैं खुश हो उठी. मुझे मालूम था कि बच्चे मां के पेट में ही पलते व बढ़ते हैं. मां ने कुछ सप्ताह पहले ही मेरे छोटे भाई को जन्म दिया था.

मैं आश्वस्त थी कि पापा की मित्र भी जल्दी ही एक प्यारे से बच्चे को जन्म देगी. अब तक मैं ‘उसे’ पापा के औफिस की परिचित व मित्र मानती थी, जैसे हम बच्चों के स्कूल में लड़केलड़कियां मित्र होते हैं. यह तो काफी दिनों बाद मुझे बताया गया कि ‘उसे’ पापा ने ही गर्भवती बनाया था और एक विवाहित आदमी के लिए ऐसा काम अनैतिक व घृणित था. उस के बाद मैं ने ‘उसे’ नफरत की निगाहों से देखना शुरू कर दिया था.

उस दिन ‘वह’ पक्के इरादे के साथ हमारे घर आई थी. वह दरवाजे पर आश्वस्त हो कर खड़ी थी. उस ने मुझ से पापा के बारे में पूछा. उस के कसे हुए चुस्त कपड़े देख कर मैं उस की तरफ आकर्षित हुई. मैं हैरान थी कि ‘वह’ हमारे घर के अंदर क्यों नहीं आ रही थी.

Satyakatha-मनीष गुप्ता केस: जब रक्षक बन गए भक्षक- भाग 1

सौजन्य: सत्यकथा

Writer- शाहनवाज

26सितंबर, 2021 को सुबह के करीब 8 बज रहे थे. बर्रा, कानपुर के रहने वाले 35 वर्षीय मनीष गुप्ता गहरी नींद से अभी सो कर उठे ही थे कि उन के फोन की घंटी बजी. उन के फोन पर गुड़गांव के रहने वाले उन के दोस्त और बिजनैस पार्टनर प्रदीप सिंह की काल आई थी.

उन्होंने बिस्तर में लेटे हुए ही नींद से भरी आंखें खोलते हुए फोन रिसीव किया और खंखारते हुए बोले, ‘‘हैलो.’’

दूसरी तरफ से प्रदीप बोले, ‘‘हां भाईसाहब, अभी तक सो कर उठे नहीं क्या?’’

यह सुन कर मनीष की आधी खुली आंखें पूरी खुल गईं और उन्होंने अपने कानों से फोन हटा कर मोबाइल की स्क्रीन पर नजर डाली, यह देखने के लिए कि फोन किस ने किया है.

उन्होंने स्क्रीन पर नाम देखा व तुरंत दोबारा कानों पर फोन लगा कर बोले, ‘‘अरे प्रदीप तू है. कहां तक पहुंचे तुम लोग? कानपुर पहुंचने में टाइम लगेगा क्या?’’

प्रदीप ने मनीष के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘अरे हम लोग पहुंचने वाले हैं. 2 घंटे और लग जाएंगे. तू हमें कहां मिलेगा ये बता?’’ मनीष ने जवाब दिया.

‘‘मैं रेलवे स्टेशन पर आ जाऊंगा तुम्हें पिक करने के लिए,’’ कहते हुए मनीष ने फोन काटा और बिस्तर से उठ कर अपने दैनिक क्रियाकलाप में लग गए.

समय होने पर मनीष ने बिना देरी किए उन के आने के ठीक आधे घंटे पहले रेलवे स्टेशन जाने के लिए अपने घर से निकल गए.

मनीष गुप्ता कानपुर में अपने इलाके में प्रौपर्टी डीलिंग का काम किया करते थे. हालांकि वह शुरू से प्रौपर्टी डीलर नहीं थे. पिछले साल जब देश भर में कोरोना की वजह से लौकडाउन लगाया गया, उस दौरान मनीष अपने परिवार के साथ नोएडा में रहते थे और वहां पर एक प्राइवेट बैंक के कर्मचारी थे.

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लौकडाउन में जब छूट मिली तो वह अपने परिवार, जिस में उन की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता और उन का 5 साल का बेटा था, के साथ अपने होमटाउन कानपुर में शिफ्ट हो गए थे और यहां उन्होंने प्रौपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया.

प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते हुए उन की जानपहचान सैकड़ों लोगों से हुई, लेकिन उन में से मनीष के कुछ खास दोस्त भी बने, जिस में से एक प्रदीप भी थे.

प्रदीप भी मनीष की तरह ही गुड़गांव में प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते थे और मनीष के जोर देने पर वह अपने एक और दोस्त हरवीर सिंह के साथ उन से मिलने और घूमनेफिरने के लिए कानपुर आ रहे थे.

प्रदीप और मनीष का प्लान सिर्फ कानपुर में घूमनेफिरने का नहीं था, बल्कि वे तीनों गोरखपुर भी जाने वाले थे.

गोरखपुर में मनीष और प्रदीप का एक और दोस्त चंदन पांडेय था. चंदन पिछले कई दिनों से प्रदीप को गोरखपुर आने का न्यौता दे रहा था. चंदन मनीष को पिछले 4-5 सालों से जानता था और प्रदीप से उस की मुलाकात मनीष ने ही करवाई थी, जिस के बाद वे काफी अच्छे दोस्त बन गए थे.

चंदन ने गोरखपुर की काफी तारीफ की थी और कहा था कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां बहुत विकास हुआ है. मनीष, प्रदीप, हरवीर का इरादा गोरखपुर में 2-3 दिन रहने, चंदन से मिलने और घूमनेफिरने का था.

26 सितंबर के दिन प्रदीप और हरवीर के कानपुर आने के बाद मनीष ने उन्हें कानपुर का टूर करवाया. मनीष दिन भर अपने दोनों दोस्तों के साथ कानपुर की मशहूर जगहों पर घूमे. उन्होंने साथ में अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाया, घूमेफिरे और खूब मस्ती की.

रात होने पर मनीष ने कानपुर में एक अच्छे पारिवारिक होटल में प्रदीप और हरवीर के लिए कमरा बुक किया, उन्हें होटल के कमरे तक ले गया, कुछ देर बातचीत की और अगले दिन आने का वादा कर के मनीष वहां से अपने घर जाने के लिए निकल गए.

अगले दिन वे सुबह ही गोरखपुर के लिए निकलने वाले थे. इसलिए मनीष अगले दिन सुबह के 9 बजे ही होटल में पहुंच गए. प्रदीप और हरवीर दोनों ने रात को अच्छीखासी नींद ली, उन्होंने रेस्ट कर के दिन भर की अपनी थकान मिटाई और नहाधो कर तैयार हो लिए.

सुबह करीब 10 बजे वे गोरखपुर जाने के लिए होटल से निकल गए. कानपुर से गोरखपुर का रास्ता करीब 8 घंटों का था.

27 सितंबर की शाम 6 बजे तक तीनों गोरखपुर पहुंच गए. उन्होंने चंदन को इस बात की सूचना पहले ही दे दी थी. तीनों दोस्त थकेहारे गोरखपुर पहुंचे थे तो चंदन ने उन्हें और परेशान नहीं किया.

चंदन ने अपने इलाके में गोरखपुर के तारामंडल में स्थित होटल कृष्णा पैलेस में तीनों के रुकने का इंतजाम करा दिया. तीनों एक ही साथ होटल के एक ही कमरे में ठहरे.

गोरखपुर में तारामंडल का यह इलाका आसपास के इलाकों में सब से पौश इलाकों में एक माना जाता है. चारों ने मिल कर होटल में ठहरने से पहले बाहर खाना खाया. रात को साढ़े 11 बजे चंदन उन्हें होटल में ड्रौप कर सुबह जल्दी आने का वादा कर के अपने घर के लिए निकल गया.

चंदन अभी अपने घर के रास्ते में ही था कि उसे स्थानीय पुलिस रामगढ़ताल से फोन आया. उस ने अपनी बाइक रोड के किनारे रोकी और फोन उठा कर बोला, ‘‘हैलो.’’

दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘हां भई, तेरे साथ के 3 दोस्त अभी कहां हैं?’’ यह सुन कर चंदन डर गया, उस ने फोन करने वाले इंसान की पहचान पूछी तो उसे पता चला कि ये थाने से फोन था.

होटल में की मनीष गुप्ता की जम कर पिटाई

दूसरी तरफ बात करने वाली पुलिस ने चंदन को हड़काते हुए, तीनों जिस होटल में जिस कमरे में रुके थे, उस की जानकारी ले ली. यह सब जानने के बाद चंदन ने अभी फोन डिसकनेक्ट किया भी नहीं था कि दूसरी तरफ से उसे गालियां देने की आवाज आई.

यह सुन कर चंदन डरते हुए अपने घर की ओर चल पड़ा. लेकिन घर पहुंच कर उसे दाल में कुछ काला होने की भनक लगी. चंदन ने अपने मन का डर खत्म करते हुए बाइक घुमाई और सीधा होटल की ओर चल पड़ा, जहां पर उस के तीनों दोस्त ठहरे हुए थे.

उधर रात के करीब 12 बजे होटल कृष्णा पैलेस का रूम नंबर 512 खटखटाया गया. मनीष, प्रदीप और हरवीर तीनों नहाधो कर सो चुके थे. मनीष तो बेहद गहरी नींद में थे. लेकिन खटखटाहट की आवाज सुन कर हरवीर और प्रदीप जाग गए.

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Manohar Kahaniya: करोड़ों की चोरियां कर बना रौबिनहुड- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

फिर एक से एक महंगी बाइक खरीदी और लाखों रुपए की कीमत की लग्जरी कारें खरीदीं. बाद में उस ने अपने गैंग में गांव के कुछ युवकों को भी शामिल कर लिया और उन्हें अपने साथ घुमाने लगा.

गांव के युवकों पर वह पानी की तरह रुपए खर्च करता, जिस से वह भी उस की तरह जिंदगी बसर करने के लिए उस के चोरी के धंधे से जुड़ते चले गए. धीरेधीरे महंगी कार खरीदने के बाद उसे विदेशी गाडि़यां खरीदने का शौक लग गया.

जगुआर से जाता था चोरी करने

साल 2012 में वह पहली बार तब खबरों में आया जब उस ने दरभंगा में एक नाचने वाली पर लाखों रुपए उड़ाए. बाद में 2013 में कानपुर पुलिस उसे 30 लाख की ज्वैलरी चोरी के मामले में गिरफ्तार करने गांव आई तो वह पुपरी थाने से भाग गया.

फिर वह 2014 में चुनाव के दौरान अपनी महंगी गाड़ी में 4 लाख रुपए के साथ पकड़ा गया था. इस के बाद धीरेधीरे लोगों को पता चलने लगा कि वह एक अपराधी है और बड़े महानगरों में रहने वाले लोगों के घरों में चोरियां करता है.

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कविनगर (गाजियाबाद) में चोरी की वारदात से कुछ दिन पहले बिहार जाते हुए इरफान की जगुआर कार सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गई थी. इस के बाद उस ने अपनी पत्नी गुलशन के नाम से नई स्कौर्पियो कार खरीद ली. कपिल गर्ग के घर चोरी करने के लिए इरफान इसी स्कौर्पियो से अपने ड्राइवर शोएब के साथ आया था.

इरफान ने दिल्ली में नोटबंदी से पहले एक जज के घर 65 लाख रुपए की चोरी की थी. जब वह चोरी करने के लिए घर में घुसा तो अलमारी में नोटों की गड्डियां मिलीं. उस ने 2 बैगों में नोट भरे, लेकिन वह एक ही बैग उठा पाया और ले कर चला गया. चोरी के बाद नोट गिने तो 65 लाख रुपए निकले. बाद में पता चला कि जज ने केस ही दर्ज नहीं कराया था.

इरफान अपराध की दुनिया का अब वह नाम बन चुका नाम था, जो चोरी के मामले में एक्सपर्ट बन चुका था. वह बंटी चोर की तरह अकेले ही चोरी की वारदात को अंजाम दिया करता था.

चोरी की वारदात को अंजाम देने के समय इरफान अपने साथ महज पेचकस रखता था. पूरे तरीके से काले कपड़े पहन कर घर में प्रवेश किया करता था. आमतौर वह नंगे पांव ही घरों में घुसता था.

वह दीवार पर नंगे पैर चढ़ कर कोठियों में ऐसे घुस जाता था जैसे स्पाइडरमैन फिल्म का हीरो दीवारों पर चढ़ता है. वह कभी भी मेनगेट से नहीं जाता, बल्कि पिछली दीवार से चढ़ कर चोरी करता था.

कविनगर के कारोबारी कपिल गर्ग की कोठी में भी वह पीछे के रास्ते से ही अकेले घुसा था. पिछले 10 सालों से चोरी की वारदात करने के बावजूद इरफान आज तक किसी भी वारदात में रंगेहाथ नहीं पकड़ा गया. वारदात के दौरान न तो किसी कोठी के गार्ड ने उसे पकड़ा और न ही कोठियों में पलने वाले कुत्तों ने उस पर हमला किया.

इरफान चोरी के दौरान कीमती गहनों और नकदी पर ही हाथ साफ करता था. घर के सामान में वह कीमती इलैक्ट्रौनिक सामानों को ही अपने साथ ले जाता था.

इरफान जब चोरी करने के लिए जाता तो वह यह नहीं देखता कि घर किस का है और उस के आसपास कौन रहता है. बस उस के दिल से अगर ये आवाज निकल जाती कि फलां घर पर हाथ साफ करना है तो वह बेधड़क उस घर में रखे कीमती सामान पर हाथ साफ कर देता.

देश के बड़े शहरों में थे इस शातिर चोर की गैंग के सदस्य

2 साल पहले उस ने गोवा के राज्यपाल के घर के पास से एक व्यापारी के घर से लाखों रुपए की नकदी और गहने चुरा लिए क्योंकि उस के दिल से आवाज निकली कि इस घर में मोटा माल मिलेगा.

इरफान की खूबी थी कि किसी भी वारदात को करने से पहले खुद कभी रेकी नहीं करता था. हां, देश के कई बड़े शहरों में फैले उस के गैंग के सदस्य जरूर रेकी कर के उसे जरूर बता देते थे कि अमुक घर में मोटा माल मिल सकता है या उस में रहने वाले लोग घर से बाहर हैं.

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लेकिन तब भी इरफान तब तक चोरी नहीं करता था, जब तक मौके पर जा कर उस के दिल से आवाज नहीं निकलती. वह अपनी महंगी गाड़ी से निकलता और दिल की गवाही देते ही वारदात को अंजाम दे देता था. उस का अंदाजा इतना सटीक था कि वह आज तक जिस घर में गया, लाखों रुपया ले कर ही निकला.

इरफान उर्फ उजाला लग्जरी गाडि़यों से अपने ड्राइवर व साथियों के साथ चोरी करने निकलता. कविनगर में चोरी करने के बाद वह अपने गांव सीतामढ़ी, बिहार चला गया था. वहां उस ने कुछ दिनों के लिए चुराई गई ज्वैलरी अपने खेत के गड््ढे में दबा दी थी. इस के बाद ज्वैलरी को बिहार के मुजफ्फरपुर व दरभंगा के सुनारों के यहां गिरवी रख कर मोटी रकम ले ली थी.

कुछ ज्वैलरी उस ने बेच भी दी थी. इस के बाद वह अलीगढ़ चला गया, जहां 3 सुनारों को उस ने चोरी के कुछ जेवर बेचे. 1-2 दिन अपनी माशूका रूपाली के पास रहा उस के बाद वहीं से नेपाल भाग गया.

इस दौरान उस के लोग चोरी के मामले में गिरफ्तार हो चुकी गुलशन, बहन लाडली व माशूका रूपाली की जमानत कराने में जुटे रहे. इरफान लगातार अपने लोगों के संपर्क में था.

इरफान ने पूछताछ में बताया कि वह तो बस गरीबों की मदद करने के लिए चोरी करता है, लेकिन पुलिस तो उस से भी बड़ी चोर है. जिस का उदाहरण देने के लिए इरफान ने गाजियाबाद पुलिस को एक किस्सा सुनाया. उस ने बताया कि बंगलुरु में उस ने चोरी की एक वारदात को अंजाम दिया था, जिस में उसे मात्र डेढ़ लाख रुपए मिले थे.

इस वारदात के बाद उस ने हैदराबाद में चोरी की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया. लेकिन तब तक बंगलुरु पुलिस ने उसे अपने इलाके में हुई चोरी की वारदात में गिरफ्तार कर लिया और उस के घर से 40 लाख रुपए बरामद हुए. लेकिन यह रकम को बंगलुरु पुलिस ने बरामदगी में नहीं दिखाई थी और डेढ़ लाख रुपए की चोरी का खुलासा कर दिया.

इरफान ने दिल्ली में चोरी की कई वारदातों को अंजाम दिया, लेकिन वह केवल 2 बार पकड़ा गया. पहली बार 2017 में इरफान को दक्षिणपूर्वी दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

दरअसल इस मामले में गिरफ्तारी की भी एक दिलचस्प कहानी है. 24 मई, 2017 को उस ने न्यू फ्रैंड्स कालोनी में रहने वाले राजीव खन्ना के घर में लाखों रुपए के सोने और हीरे के आभूषण चोरी किए थे. इस मामले में स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने सीसीटीवी फुटेज तथा मौके पर मिले एक मोबाइल फोन से सुराग लगा कर इरफानव उस के एक साथी को गिरफ्तार कर लिया था.

दरअसल, इस वारदात में इरफान गलती से अपना मोबाइल घटनास्थल पर भूल गया था. यही मोबाइल फोन उस की गिरफ्तारी का सबब बन गया. हालांकि इस वारदात के बाद उस ने अपने व अपने घर वालों तक के फोन नंबर बदलवा दिए थे, मगर अंत में पकड़ा गया.

दूसरी बार इरफान उर्फ उजाला को जनवरी 2021 में दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच की इंटरस्टेट यूनिट के एसीपी संदीप लांबा व इंसपेक्टर गुरमीत की टीम ने गिरफ्तार किया था. तब उस ने दिल्ली एनसीआर सहित आधा दरजन राज्यों में चोरी करने का खुलासा किया था.

उस ने पुलिस को बताया था कि उस के गैंग के सदस्य दिल्ली, यूपी, बिहार, पंजाब आदि राज्यों में फैले हुए हैं. दिन के समय वे गरीबों की मदद के लिए चंदा मांगने के बहाने रेकी करते थे और जो घर बंद मिलता, उस के बारे में उसे बता देते थे.

इरफान उर्फ उजाला ने करीब 3 साल पहले दिल्ली में ताबड़तोड़ चोरी की घटनाएं कर दिल्ली पुलिस की नींद उड़ा दी थी. बाद में जब लांबा की टीम ने उसे पकड़ा तो उन्होंने इरफान को कुरान शरीफ की कसम दिला कर दिल्ली में चोरी न करने का वादा लिया. तब उस ने भरोसा दिया था कि वह आज के बाद दिल्ली में कभी चोरी नहीं करेगा.

दिल्ली पुलिस को किए वादे पर इरफान खरा भी उतर रहा था. इसीलिए इरफान ने दिल्ली को छोड़ कर गाजियाबाद को अपना निशाना बना लिया था.

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Satyakatha: सिंह बंधुओं से 200 करोड़ ठगने वाला ‘नया नटवरलाल’ सुकेश चंद्रशेखर- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

Writer- निखिल

फोन पर अनूप कुमार ने कहा कि मैं स्पीकर फोन पर हूं. मेरे साथ गृहमंत्री अमित शाह साहब हैं. अनूप ने कहा मेरे जूनियर अभिनव के टच में रहो और मुझे अपने पति के केस से जुड़े सभी दस्तावेज भेजो ताकि उन की जेल से जल्द रिहाई की व्यवस्था हो सके और वे कोविड के इस दौर में सरकार के साथ काम कर सकें.

बाद में अभिनव ने खुद को अंडर सेक्रेटरी बताते हुए अदिति सिंह से टेलीग्राम पर संपर्क किया. उस ने कहा कि सरकार उन का पूरा सपोर्ट करेगी. लेकिन वह यह बात किसी को नहीं बताएं, क्योंकि उस पर खुफिया एजेंसियों की नजर है.

इसीलिए सरकार के बड़े लोग लैंडलाइन फोन से बात करते हैं या टेलीग्राम पर संपर्क रखते हैं, क्योंकि वाट्सऐप भी अब सुरक्षित नहीं है. अभिनव ने यह भी बताया कि कई कारोबारी घराने उस के प्रोटेक्शन में हैं.

इस तरह संपर्क कर अभिनव अदिति सिंह का भरोसा जीतता गया. उसे उन की कंपनियों और तमाम कारोबार सहित घरपरिवार की पूरी जानकारी थी.

एक दिन अनूप का फोन आया. उस ने अदिति से कहा कि पार्टी फंड में 20 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे. इस के बाद उन्हें अमित शाहजी या रविशंकर प्रसादजी से पार्टी औफिस अथवा नार्थ ब्लौक में मिलना होगा.

अनूप ने पार्टी फंड का पैसा विदेश भेजने को कहा. बाद में उस ने कहा कि हमारा आदमी आप से यह पैसा ले जाएगा.

अदिति के लिए 100-50 करोड़ रुपए बड़ी बात नहीं थी. वह अपने पति को जेल से बाहर निकालने के लिए सही या गलत तरीके से हर कीमत देने को तैयार थीं.

पैसे का इंतजाम होने पर रोहित नाम का एक युवक सेडान गाड़ी से एक महिला के साथ आया और उन से 20 करोड़ रुपए ले गया. बाद में फिर एक बार अनूप का फोन आया. उस ने कहा कि पार्टी आप से खुश है. इस बार उस ने 30 करोड़ रुपए और मांगे.

अदिति ने पूछा कि ये पैसे किस काम के लिए होंगे, तो उसे धमकाया गया कि उन के पति पर सरकार नए केस लगा देगी और उन की जमानत में ज्यादा मुश्किलें आ जाएंगी.

अदिति ने 30 करोड़ रुपए भी दे दिए. फिर एक दिन अनूप का फोन आया. उस ने कहा कि गृह सचिव अजय भल्ला आप से बात करेंगे. अजय भल्ला ने कहा कि आप के पति को आप से जल्दी ही मिलवाया जाएगा.

इस तरह कभी किसी मंत्री और कभी किसी टौप ब्यूरोक्रेट के नाम से फोन आते रहे. ये लोग अदिति को उन के पति की जेल से रिहाई की दिलासा दिलाते रहे और बदले में किसी न किसी बहाने से मोटी रकम मांगते रहे.

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सरकार के भरोसे अपने पति की रिहाई की उम्मीद में अदिति ने अपनी जमापूंजी, निवेश और जेवरात आदि दांव पर लगा कर इन लोगों को एक साल में अलगअलग किस्तों में 200 करोड़ रुपए दे दिए.

इतनी रकम लेने के बाद भी ये लोग उसे धमकाते रहे और विदेश में पढ़ रहे बच्चों को देख लेने की धमकी देते रहे.

सरकार के सपोर्ट के बावजूद एक साल बाद भी कुछ नहीं होने पर अदिति ने अनूप कुमार, अभिनव, अजय भल्ला आदि से हुई बातों को याद कर उन पर गौर किया. उसे महसूस हुआ कि ये सब लोग दक्षिण भारतीय हैं. उन की बातचीत का लहजा दक्षिण भारत का था.

अदिति को ठगी होने का शक हुआ, तो उस ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी से शिकायत की. ईडी के अधिकारी ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को यह जानकारी दी.

इसी साल अगस्त के पहले सप्ताह में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को इस मामले की भी जांच सौंपी गई. जांच में पता चला कि अदिति सिंह को दिल्ली की रोहिणी जेल से फोन किए गए थे.

पुलिस ने 8 अगस्त को रोहिणी जेल में छापा मार कर सुकेश को गिरफ्तार कर लिया. उस के पास से 2 स्मार्टफोन बरामद हुए. सुकेश से पूछताछ के आधार पर दिल्ली के रहने वाले 2 भाइयों दीपक रामदानी और प्रदीप रामदानी को गिरफ्तार किया गया. वे ठगी की साजिश में भागीदार थे.

सुकेश से पूछताछ में ठगी के मामले में जेल अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई. इस पर जेल प्रशासन ने 23 डिप्टी सुपरिटेंडेंट के तबादले कर दिए. और 6 जेल अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया.

पुलिस ने जेल अधिकारियों से पूछताछ के बाद एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट सुभाष बत्रा और एक असिस्टेंट जेल सुपरिटेंडेंट धर्मसिंह मीणा को गिरफ्तार कर लिया.

सुकेश की ठगी की काली कमाई को कमीशन ले कर सफेद करने के मामले में दिल्ली के एक निजी बैंक के वाइस प्रेसीडेंट मैनेजर कोमल पोद्दार और उस के 2 सहयोगियों अविनाश कुमार व जितेंद्र नरूला को गिरफ्तार किया गया.

इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने 23 अगस्त को सुकेश और उस की फिल्म अभिनेत्री पत्नी लीना मारिया पाल सहित उन के साथियों के विभिन्न ठिकानों पर छापे मारे.

इन के चेन्नई में समुद्र के ठीक सामने बने आलीशान बंगले पर ईडी अधिकारियों ने जब छापेमारी की, तो दौलत की चकाचौंध देख कर उन की आंखें फटी रह गईं.

इन छापों में 16 लग्जरी और महंगी कारें, 82 लाख रुपए से ज्यादा नकदी और 2 किलोग्राम सोने के जेवरात के अलावा कपड़े, जूते व चश्मों सहित काफी कीमती सामान जब्त किया गया.

चेन्नई में समुद्र के ठीक सामने बना सुकेश लीना का बंगला किसी रिसौर्ट से कम नहीं है. इस बंगले में ऐशोआराम की चीजें मौजूद थीं. करोड़ों रुपए के इंटीरियर डेकोरेशन, होम थिएटर और तमाम सुखसुविधाएं थीं. बंगले में बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, बेंटले, फैरारी, रोल्स रायस घोस्ट और रेंज रोवर जैसी करोड़ों रुपए की गाडि़यां मिलीं.

कीमती फरनीचर से सुसज्जित बंगले में दुनिया के नामी ब्रांड फरागमो, चैनल, डिओर, लुइस वुइटटो, हरमेस आदि के सैकड़ों जोड़ी जूते तथा बैग मिले.

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फर्श पर वर्साचे जैसे महंगे ब्रांड के कारपेट और इटालियन संगमरमर बिछा था. ईडी को शक है कि यह बंगला सुकेश व लीना की बेनामी संपत्ति का हिस्सा है.

इस छापे के कुछ दिन बाद ईडी ने मनी लांड्रिंग के मामले में पुलिस से मिली सूचनाओं के आधार पर बौलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज से भी पूछताछ की. श्रीलंकाई मूल की जैकलीन ने कुछ महीने पहले ही मुंबई में जुहू इलाके में महंगा बंगला खरीदा था. इस बंगले की कीमत 175 करोड़ रुपए बताई जाती है.

कहा जाता है कि दिल्ली की जेल में बंद सुकेश की जैकलीन से दोस्ती थी. वह जेल में रहते हुए भी अपने संपर्कों के जरिए उसे महंगे गिफ्ट, चौकलेट और फूल भिजवाता था.

अदिति सिंह से 200 करोड़ की ठगी मामले की जांचपड़ताल चल ही रही थी कि इसी बीच उन की जेठानी यानी मलविंदर मोहन सिंह की पत्नी जपना सिंह ने भी सुकेश के खिलाफ 4 करोड़ रुपए ठगने की शिकायत अगस्त के अंतिम सप्ताह में दिल्ली पुलिस में दर्ज कराई.

जपना सिंह से भी जेल में बंद उस के पति की जमानत कराने के नाम पर रकम ठगी गई थी. यह रकम हांगकांग के एक खाते में ट्रांसफर कराई गई थी.

दिल्ली पुलिस ने 5 सितंबर को सुकेश की ठगी के मामले में उस की अभिनेत्री पत्नी लीना मारिया पाल को गिरफ्तार कर लिया.

बौलीवुड फिल्म ‘मद्रास कैफे’ में जौन अब्राहम के साथ काम कर चुकी लीना मूलरूप से केरल की रहने वाली है. उस की स्कूली पढ़ाई दुबई में हुई. वह बीडीएस ग्रैजुएट है.

भारत में आने के बाद वर्ष 2009 में मोहनलाल स्टारर फिल्म ‘रेड चिलीज’ से अपना करियर शुरू करने वाली लीना बौलीवुड फिल्म ‘बिरयानी’, ‘हसबैंड इन गोवा’ और ‘कोबरा’ के अलावा कई भाषाई फिल्मों में भी काम कर चुकी है.

अगले भाग में पढ़ें- उसने लोगों को नौकरियों का झांसा दे कर भी 75 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम ठगी

Satyakatha- मुंबई का असली सिंघम: समीर वानखेड़े

सौजन्य: सत्यकथा

मुंबई नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे ने पिछले 2 सालों में करीब 17 हजार करोड़ रुपए की ड्रग्स बरामद कर ड्रग पैडलरों की नींद हराम कर दी. 

आज बौलीवुड के फिल्म स्टार्स की लेट नाइट पार्टी को युवाओं की पार्टी कहा जाने लगा है. इस की वजह यह है कि आजकल जो पार्टियां हो रही हैं, वे हौट सैक्स, शराब और ड्रग के साथ होती हैं. इन में नई उम्र के फिल्म स्टार्स, प्रोड्यूसर्स, फाइनेंसर और मुंबई, दिल्ली, दुबई के संपन्न घरों के 20-22 साल के टीनएजर होते हैं. पार्टी में आने वाले ये टीनएजर लास वेगास, पेरिस और लंदन की सैक्स पार्टी की नईनई स्टाइल अपनाते हैं. इस में ‘गे’ और ‘लेस्बियन’ भी शामिल होते हैं.

पार्टी में आने वाली फिल्म कलाकारों की बेटियां तो नाममात्र के ही कपड़े पहने होती हैं. मजे की बात यह है कि पहले इन पार्टियों के बारे में सुना जाता था या कभीकभार किसी अखबार में पढ़ने को मिल जाता था.

पर अब तो इन पार्टियों के तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते मिल जाते हैं, जिन में हाथों में टकीला, रम और दुनिया की प्रसिद्ध शराबों की प्यालियां थामे एकदूसरे से बेशरमी से चिपके खड़े युवकयुवतियों के मदहोश स्थिति में ग्रुप फोटो देते दिखाई देते हैं.

ऐसी पार्टियों में जिन्हें ड्रिंक्स, ड्रग्स और सैक्स में अधिक रुचि होती है, वे यह पहले से ही तय कर के आते हैं. कुछ लोग तो जब पार्टी में भाग ले कर घर चले जाते हैं, तब आधी रात को 2 बजे के बाद सैक्स और शराब की रेलमपेल के साथ असली पार्टी जमती है, जो सुबह तक चलती है.

बड़े स्टार, राजनेता, अधिकारी, कारपोरेट हस्तियां या कुख्यात डौन की संतानें इस तरह की पार्टियों में होते हैं. इसलिए अधिकतर इस तरह की पार्टियों पर पुलिस छापा नहीं मारती.

इस की वजह यह होती है कि छोटेमोटे पुलिस अधिकारियों की हिम्मत ही नहीं होती वहां जाने की. पर बौलीवुड में इधर कुछ सालों से हलचल मची है, इस का एकमात्र कारण हैं मुंबई नारकोटिक्स विभाग के जोनल डायरेक्टर ‘सिंघम’ के रूप में माने जाने वाले तेजतर्रार अधिकारी समीर वानखेडे.

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फिल्मी डौन (शाहरुख खान) को पकड़ना भले ही 11 मुल्कों की पुलिस के लिए असंभव रहा हो, पर फिल्मी दुनिया के बादशाह, बाजीगर और किंग माने जाने वाले शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को पकड़ने का काम भले ही कोई पुलिस वाला नहीं कर सका, पर एनसीबी के मुंबई के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे ने उसे पकड़ कर दिखाया ही नहीं, बल्कि जेल तक पहुंचा दिया.

एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे ही एक ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने न सिर्फ शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार कर जेल भेजा बल्कि दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर और सारा अली खान को ड्रग के सेवन और वे यह ड्रग वे कहां से लेती हैं, इस बारे में पूछताछ के लिए अपने औफिस में बुलाने की हिम्मत दिखाई थी.

उन की छवि एक सख्त अधिकारी की है. उन के सामने कितना भी बड़ा सेलिब्रिटी क्यों न हो, बिना किसी दबाव के वह अपना काम करते हैं. उन्हीं के नेतृत्व में एनसीबी ने बौलीवुड की सेलिब्रिटीज पर काररवाई की है.

सुशांत सिंह राजपूत केस और अब बौलीवुड के किंग खान यानी शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान केस में चर्चा में रहने वाले एनसीबी के जोनल डायरेक्टर इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के 2008 बैच के अधिकारी समीर वानखेडे का जन्म सन 1984 में मायानगरी मुंबई में हुआ था. उन के पिता भी एक पुलिस अधिकारी थे.

स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास की और आईआरएस अधिकारी बन गए. बौलीवुड के गोरखधंधों, घोटालों और दंभ पर उन्हें खासी नाराजगी है.

इस के पहले उन की पोस्टिंग मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर डिप्टी कस्टम कमिश्नर के रूप में हुई थी. यहां उन्होंने बेहतरीन काम किया और नियमों को सख्ती से लागू किया.

मुंबई का छत्रपति शिवाजी इंटरनैशनल एक ऐसा एयरपोर्ट है, जहां लगातार सेलिब्रिटीज का आनाजाना लगा रहता है. लेकिन कभी उन पर यह फर्क नहीं पड़ा कि सामने कौन है.

उन्होंने विदेश से आनेजाने वाले बौलीवुड सेलिब्रिटीज के कस्टम चुकाए बिना कीमती सामानों, करेंसी, सोना, ज्वैलरी और गहनों को पकड़ कर दंड के साथ रकम वसूली थी.

तुनकमिजाज और पौवर का रौब दिखाते हुए ऊपर से कराए गए फोन पर वानखेडे ने कभी ध्यान नहीं दिया. पौप गायक मिका सिंह को विदेशी मुद्रा के साथ उन्होंने ही गिरफ्तार किया था.

नारकोटिक्स विभाग में पोस्टिंग होने के बाद पिछले साल नवंबर में जब वह अपने 5 अफसरों के साथ देर रात गोरेगांव में केरी मेंडिस नामक ड्रग पैडलर को पकड़ने जा रहे थे, तब उन पर लगभग 60 ड्रग पैडलरों ने जानलेवा हमला किया था.

यह भी माना जाता है कि फिल्मी दुनिया को ड्रग सप्लाई करने का मुख्य चेन यही गैंग है. मुंबई पुलिस को साथ ले कर बाद में उन्होंने केरी मेंडिस को गिरफ्तार किया था.

41 वर्षीय समीर वानखेडे फिल्म और क्रिकेट के बेहद शौकीन हैं. पर इस क्षेत्र में जो गंदगी घुसी है, उस के खतरनाक सूत्रधारों से उन्हें बेहद नफरत है.

एयरपोर्ट पर भी नहीं बख्शा किसी को

मुंबई एयरपोर्ट पर जब वह डिप्टी कमिश्नर बन कर आए तो उन्होंने अपने साथ काम करने वाले छोटे से छोटे कर्मचारी से कह दिया था कि एयरपोर्ट पर कोई भी सेलिब्रेटी आए तो उस का आटोग्राफ या उस के साथ सेल्फी कतई नहीं लेना है.

उस से प्रभावित हुए बिना सामान्य यात्री की अपेक्षा अधिक शक की नजरों से उन के सामान को, उन के पहने हुए गहनों को, एसेसरीज को चैक करना है.

बिल मांगने और शंका होने पर जरा भी दबाव में आए बगैर उन्हें अलग केबिन में ले जा कर पूछताछ करनी है. अगर कस्टम ड्यूटी भरने की बात आए तो दंड के साथ वसूल करनी है.

एयरपोर्ट पर नियम है कि हर यात्री को अपना सामान खुद ही ट्रौली में रख कर एयरपोर्ट से बाहर निकलना होता है. सेलिब्रिटी या रौबदार यात्री अपना सामान अपने साथ यात्रा करने वाले अपने व्यक्तिगत स्टाफ को सौंप कर बाहर निकलते हैं.

समीर वानखेडे ने सेलिब्रिटीज के लिए भी नियम बना दिया कि सेलिब्रिटी भी अपना सामान अपने साथ ले कर एयरपोर्ट के हर एग्जिट पौइंट से निकलेंगे.

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कभीकभी यह होता था कि सेलिब्रिटी अपने असिस्टैंट के नाम पर शंकास्पद सामान,  यह कह कर खुद को निर्दोष साबित करने की चालाकी करते थे कि यह असिस्टैंट का बैग है. समीर वानखेडे ने इस पर रोक लगा दी थी.

एक बार एक बड़े क्रिकेटर और उस की पत्नी तथा एक फिल्म स्टार ने एयरपोर्ट पर पूछताछ के दौरान वानखेडे से अपमानजनक भाषा में बात करते हुए बहस करने के साथ धमकी दी थी कि उन के सीनियर को फोन कर के उन की नौकरी खतरे में डाल देंगे.

तब समीर वानखेडे ने उन से सख्त शब्दों में कहा था कि इस समय एयरपोर्ट पर सब से सीनियर अधिकारी वह खुद ही हैं. अगर आप ने सहयोग नहीं किया तो मैं तत्काल आप को गिरफ्तार कर सकता हूं. वानखेडे के इतना कहने के बाद सारे सेलिब्रिटी बकरी बन कर उन का सहयोग करने लगे थे.

एक बार ऐसा हुआ था कि साउथ अफ्रीका से एक क्रिकेटर भारत खेलने आया था. रात 3 बजे उस की फ्लाइट मुंबई एयरपोर्ट पर उतरी. सामान क्लीयरेंस काउंटर पर साउथ अफ्रीका के उस क्रिकेटर ने समीर वानखेडे को फोन देते हुए कहा था कि ‘भारत की टीम का बहुत ही सीनियर क्रिकेटर इस पर लाइन पर है और आप से बात करना चाहता है.’

फिल्म अभिनेत्री से की शादी

भारत के उस क्रिकेटर, जिस के देश में करोड़ों प्रशंसक हैं और समीर वानखेडे खुद भी उस के प्रशंसक हैं, उस ने फोन पर कहा था कि ‘साउथ अफ्रीका से आया क्रिकेटर मेरा दोस्त है. वह वाइन की 18 बोतलें ले कर आया है. इसे ड्यूटी के झंझट से मुक्त कर के एयरपोर्ट के बाहर जाने दीजिए.’

तब समीर वानखेडे ने कुछ कहे बगैर फोन रख दिया था. वाइन की 18 बोतलों में से नियम के अनुसार वाइन की 2 बोतलों की ड्यूटी छोड़ कर बाकी की 16 बोतलों पर ड्यूटी वसूल की थी. साउथ अफ्रीका के क्रिकेटर को झेंपते हुए वह ड्यूटी उसी समय भरनी पड़ी थी.

समीर वानखेडे के अनुसार अजय देवगन एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जो सचमुच प्रामाणिक आदमी हैं. कभी टैक्स न भरने की वजह नहीं बताते और न ही धौंस जमाते हैं. वह सचमुच सिंघम जैसे ही वास्तविक जीवन में भी हैं. उसी तरह मराठी अभिनेत्री क्रांति रेडकर की भी इमेज थी.

एयरपोर्ट पर आनेजाने के दौरान ही अभिनेत्री क्रांति रेडकर उन के दिल को भा गई थीं और ऐसी ही लड़की से उन्हें विवाह करने की इच्छा हुई थी. उन्होंने क्रांति से दोस्ती की और उस से विवाह की बात की तो क्रांति सहर्ष तैयार हो गई. सन 2017 में दोनों ने विवाह कर लिया.

क्रांति भी मुंबई में ही पैदा हुई हैं. इस बात की कम ही लोगों को जानकारी है कि समीर की पत्नी क्रांति रेडकर एक मशहूर अभिनेत्री हैं.

क्रांति ने अजय देवगन के साथ फिल्म ‘गंगाजल’ में काम किया था. इस के अलावा वह कई टीवी सीरियलों में भी काम कर चुकी हैं. क्रांति ने हिंदी फिल्मों की अपेक्षा मराठी फिल्मों और सीरियलों में ज्यादा काम किया है. इस के अलावा उन्होंने अंगरेजी फिल्मों में काम करने के साथसाथ निर्देशन की भी कोशिश की है.

मुंबई एयरपोर्ट के बाद समीर वानखेडे की पोस्टिंग महाराष्ट्र सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट में हुई थी. उस समय महाराष्ट्र राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था कि कर चोरी में 200 सेलिब्रिटीज सहित 2500 बड़े लोगों के खिलाफ जांच शुरू हुई थी.

एनआईए में भी किए थे अच्छे काम

2 सालों में उन्होंने सर्विस टैक्स की चोरी के 87 करोड़ रुपए अकेले मुंबई से वसूल किए थे. उन के कामों को ही देखते हुए ही पहले उन्हें आंध्र प्रदेश फिर दिल्ली भेजा गया था.

नैशनल इनवैस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) में भी उन की पोस्टिंग हुई थी. आतंकवादी हमले की योजना का खुलासा करने वाली जानकारी उन्होंने एंटी टेरर विभाग को देनी थी. इस दौरान उन्होंने कई जानकारियां किस तरह दीं, यह गुप्त रखा गया है.

इस के बाद समीर वानखेडे को बौलीवुड में ड्रग रैकेट खत्म करने की जिम्मेदारी के साथ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर के रूप में पोस्टिंग दी गई.

सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत में ड्रग एंगल उन्हें दिखाई दिया तो उन्होंने रिया चक्रवर्ती, दीपिका पादुकोण, सारा अली, रकुल प्रीत सिंह सहित कई अभिनेत्रियों को पूछताछ के लिए अपने औफिस में बुलाया.

इस के बाद बौलीवुड में तहलका मच गया. 100 से अधिक ड्रग पैडलरों को उन्होंने जेल में डाला है. 25 से अधिक हस्तियां जमानत पर हैं.

वह देश के करोड़ों लोगों को यह संदेश देने में कामयाब हुए हैं कि आप जिन्हें पूजते हैं, वे स्टार्स, सेलिब्रिटी कितने दंभी, देशद्रोही और आपराधिक चेहरे वाले हैं.

ड्रग का रैकेट चलाने वाले भारत के ही दुश्मन देशों या गैंगस्टरों से जुड़े हुए हैं और उन से तमाम स्टार्स जुड़े हैं.

समीर ने अपनी पत्नी या परिवार के हर सदस्य से कह रखा है कि उन के नाम से आने वाली कोई भी पार्सल उन की गैरमौजूदगी में न लिया जाए. क्योंकि उन्हें घूस लेने के आरोप में फंसाने का षडयंत्र उन के दुश्मन कभी भी रच सकते हैं.

समीर और उन की पत्नी क्रांति को जिया और ज्यादा नाम की 2 जुड़वां बेटियां हैं.

कौमेडी कलाकार भारती के घर से भी की थी ड्रग बरामद

ऐसा नहीं है कि समीर वानखेडे सनसनी फैलाने वाले मेगा स्टार्स को ही पकड़ कर हीरो बनना चाहते हैं. उन्होंने टीवी कौमेडी शो की कलाकार भारती सिंह के घर छापा मार कर ड्रग बरामद किया था. भारती सिंह और उस का पति इस समय जमानत पर हैं.

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समीर का काम देर रात के बाद का ही है, इसलिए वह मात्र 2 घंटे ही सो पाते हैं. कभी भी उन पर जानलेवा हमला हो सकता है, फिर भी वह अपने फर्ज में पीछे नहीं हटते. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर के रूप में उन की पोस्टिंग को 2 साल से अधिक हो गए हैं. इस दौरान उन्होंने 17 हजार करोड़ का ड्रग पकड़ा है.

पिछले एक साल में उन्होंने 105 से अधिक मुकदमे दर्ज करा कर 300 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं. जिन में से गिनती के 4-5 मामले ही बौलीवुड के हैं. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि वह मात्र बौलीवुड को ही टारगेट करते हैं. पर मात्र बौलीवुड के मामले ही पब्लिसिटी पाते हैं.

आर्यन की गिरफ्तारी के 2 दिन पहले ही उन के विभाग ने 5 करोड़ की ड्रग के साथ कुछ लोगों को पकड़ा था, तब मीडिया का ध्यान उन की ओर नहीं गया. अब तक उन की टीम के द्वारा करीब एक दरजन गैंगों को पकड़ा गया है.

समीर वानखेडे तो अपना काम पूरी ईमानदारी, हिम्मत और प्राथमिकता से कर रहे हैं. कोर्ट में केस किस तरह कमजोर हो जाता है, इस की हताशा उन्होंने कभी अपने काम पर नहीं आने दी है. वह तो अपने लक्ष्य पर लगे रहते हैं.

Satyakatha: ब्लैकमेलर प्रेमिका- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

मृतका के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स के मुताबिक दोनों के बीच हर रोज बात होती थी. संदेह के आधार पर ही पुलिस टीम ने 10 जुलाई की रात 12 बजे महेशचंद्र शर्मा को उस के बेटे अमित शर्मा समेत घर से हिरासत में ले लिया.

बिठूर थाना ला कर उन से पूछताछ की गई. पहले तो उन्होंने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, किंतु सख्ती बरतने पर दोनों टूट गए और शशि गौतम की हत्या का भेद खोल दिया.

महेशचंद्र ने बताया कि बीते कई सालों से शशि के साथ उस के नाजायज संबंध बने हुए थे, जबकि वह शशि से उम्र में काफी बड़ा था.

अवैध रिश्तों की वजह से वह शशि की हर जरूरतों का मददगार बना हुआ था. उस ने शशि के कहने पर उस के लिए मकसूदाबाद में मकान तक बनवा दिया था. गांव में जमीन खरीद कर दी थी.

बोलतेबोलते महेशचंद्र ने शशि के प्रति नाराजगी दिखाते हुए बताया कि बीते एक साल से वह उसे ब्लैकमेल करने लगी थी. अकसर पैसों की मांग करती रहती थी. नहीं देने पर जलील करती हुई गंदेभद्दे शब्दों के साथ गालियां देती थी.

इस कारण वह उस से तंग आ गया था. उस के व्यवहार से ऊब होने लगी थी. कई बार उस की हरकतों की वजह से आत्महत्या तक करने की भी सोच लेता था. फिर तुरंत खुद को समझाता हुआ दूसरे विकल्प पर विचार करने लगता.

शशि के साथ संबंध कायम रखने के कारण वह पिछले कुछ समय से बेहद तनाव में रहने लगा था. नाजायज रिश्ते और शशि द्वारा ब्लैकमेल किए जाने की जानकारी उस के बेटे अमित को भी थी.

महेश ने बताया कि इसी तनाव की स्थिति से बाहर निकलने के लिए उस ने अपने बेटे अमित से सुझाव मांगा. अमित भी अपने पिता की स्थिति और उन की परेशानी को काफी समय से देख रहा था. उस ने इस के लिए पूर्व दस्यु सुंदरी सीमा यादव की मदद लेने की सलाह दी.

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उस ने पिता को सुझाव दिया कि क्यों न उस के आदमियों से शशि की हत्या करवा दी जाए. यह बात महेश को पसंद आ गई. यह कहने पर पुलिस ने अमित से पूछताछ की. उस ने पुलिस को बताया कि वह कई बार अपनी आंखों के सामने शशि द्वारा पिता से पैसे मांगते और उन्हें जलील होते देख चुका था.

उस के द्वारा आए दिन पैसा वसूल करना उसे खलता था. इस कारण उस ने ही सीमा यादव से मुलाकात की और शशि की हत्या के लिए 50 हजार रुपए की सुपारी दे दी. बदले में दस्यु सुंदरी ने अपने पूर्व साथी अनुज, सत्यम शर्मा व अमर यादव को शशि के घर भेज कर उस की हत्या करवा दी.

शशि की हत्या के मामले में पूर्व दस्यु सुंदरी सीमा यादव का नाम आने पर पुलिस सन्न रह गई, क्योंकि सीमा यादव को गिरफ्तार करना मामूली बात नहीं थी. फिर भी पुलिस टीम ने जाल फैलाया और सीमा के रिश्तेदार अनुज यादव समेत उस के साथी सत्यम शर्मा को दबोच लिया. उन की गिरफ्तारी प्रधानपुर गांव से हुई.

उस के बाद अनुज के सहयोग से पुलिस टीम ने नाटकीय ढंग से सीमा यादव और अमर यादव को भी गिरफ्तार कर लिया.

इस तरह 48 घंटे में ही पुलिस टीम को हत्या व षडयंत्र में शामिल सीमा यादव, अनुज यादव, अमर यादव, सत्यम शर्मा, महेशचंद्र शर्मा व अमित शर्मा को गिरफ्तार करने में सफलता मिल गई थी.

पुलिस टीम ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल मोटरसाइकिल, .315 बोर का तमंचा, रस्सी, खून से सनी अनुज की शर्ट, मृतका शशि का मोबाइल फोन और सुपारी की करीब 14 हजार रुपए की रकम बरामद कर ली.

हत्यारोपियों के बयान के आधार पर थानाप्रभारी ने मृतका शशि के भाई अनिल गौतम को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/120बी के तहत महेश चंद्र शर्मा, अमित शर्मा, सत्यम शर्मा, अनुज यादव, अमर यादव और तथा सीमा यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. उस के बाद पुलिस जांच में ब्लैकमेलर प्रेमिका की जो सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है—

कानपुर (देहात) जनपद के शिवली थाना अंतर्गत सिंहपुर में किसान रामदास गौतम की बेटी शशि उर्फ अंगूरी थी. शशि बेहद खूबसूरत थी. जवानी के दिनों में उस की खूबसूरती और भी निखार पर थी.

रामदास ने समय रहते शशि का विवाह संतोष गौतम से कर दिया था. संतोष औरैया जिले के अटौली गांव का रहने वाला था. उस के पिता जयराम गौतम भी खेतीबाड़ी करते थे. संतोष भी पिता के साथ खेतों पर काम करता था.

शशि और संतोष की वैवाहिक जिंदगी 5 सालों तक मजे में गुजरी. इस बीच शशि 3 बेटों अमित, मंगली व शनि की मां बन गई. परिवार बढ़ने पर घर का खर्च भी बढ़ गया.

शशि बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए पैसे की तंगी में आ गई. साधारण खर्च के लिए भी उस की सासससुर के आगे हाथ फैलाने की नौबत आ गई.

कई बार इस के लिए उन से झिड़की भी खानी पड़ती. वह छोटीछोटी जरूरतों के लिए तरसने लगी. शशि ने पति पर दबाव डालना शुरू किया कि वह घरजमीन का बंटवारा कर ले और नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत करे. इस पर संतोष राजी नहीं हुआ. वह मांबाप से अलग नहीं रहना चाहता था.

बंटवारे को ले कर शशि ने घर में कलह शुरू कर दी थी. पतिपत्नी के बीच खूब झगड़े होने लगे थे. कभीकभी बात इतनी बढ़ जाती कि संतोष शशि को बुरी तरह पीट देता. झगड़े में शशि सासससुर को भी नहीं बख्शती थी. वह उन्हें जम कर भलाबुरा सुनाती थी.

इस के बाद घर में कलह का माहौल बन गया था. इस कारण संतोष ने शराब पीनी शुरू कर दी थी. पतिपत्नी के बीच झगड़े की एक और वजह संतोष का हर रोज शराब पी कर घर आना भी बन गया.

शशि टोकती तो वह मारपीट पर उतर आता. प्रतिदिन शराब पी कर आना संतोष के मातापिता को भी नहीं पसंद था. वह उन के समझाने पर भी नहीं मानता था. अंतत: शशि ने बच्चों सहित पति का घर छोड़ दिया. यह बात वर्ष 2013 के नवंबर माह की है.

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वह तीनों बेटों के साथ मायके सिंहपुर आ गई. अपने मातापिता के सामने पति प्रताड़ना की झूठी कहानी गढ़ दी. मातापिता उस की बातों में आ गए और उसे मायके में आश्रय दे दिया.

दूसरी तरफ संतोष को विश्वास था कि जब शशि का गुस्सा ठंडा हो जाएगा, तब वह ससुराल वापस आ जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक दिन खुद शशि और बच्चों को बुलाने गया, लेकिन शशि ने साफ इनकार कर दिया.

उस के मातापिता ने भी बेटी का ही पक्ष लिया. संतोष किसी तरह से काफी मिन्नत कर अपने मंझले बेटे को अपने घर ले आया. इस तरह बड़ा बेटा अमर व छोटा बेटा सनी शशि के साथ रहने लगे.

उस के बाद से शशि मायके में बेफिक्री से रहने लगी. बनसंवर कर खेतखलिहानों का चक्कर लगाना उस की दिनचर्या बन चुकी थी. सब से हंसतेबोलते समय गुजरने लगा.

गांव के मर्दों से भी खुल कर बातें करने पर वहां की दूसरी औरतें टोकती थीं. उन का असर शशि पर जरा भी नहीं होता, उल्टे टोकाटाकी करने वाली औरतों को ही जवाब दे देती थी.

शशि के घर से कुछ दूरी पर ही प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर महेशचंद्र शर्मा रहते थे. उन की नौकरी के अलावा खेतीबाड़ी भी थी, जिस से उन की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. बेटा अमित विवाहित था, पत्नी के स्वर्गवासी होने की स्थिति में महेश अपनी तन्हा जिंदगी गुजार रहे थे, तभी शशि का उन की जिंदगी में आना सुखद संयोग बन गया.

अगले भाग में पढ़ें- महेश चंद्र ने शशि का गांव से बाहर रहने का इंतजाम करवा दिया

कैक्टस के फूल- भाग 1: क्यों ममता का मन पश्चात्ताप से भरा था?

 Writer- इंदिरा राय

सौरभ के अंतर को कैक्टस के कांटों ने बींध दिया था, तभी उस ने नींद की गोलियां खाने जैसा दुस्साहसी कदम उठाया, लेकिन ममता के पश्चात्ताप से वे कांटे फिर से फूल बन कर उन को सहलाने लगे थे.

तीसरी मंजिल पर चढ़ते हुए नए जूते के कसाव से पैर की उंगलियों में दर्द होने लगा था किंतु ममता का सुगठित सौंदर्य सौरभ को चुंबक के समान ऊपर की ओर खींच रहा था.

रास्ते में बस खराब हो गई थी, इस कारण आने में देर हो गई. सौरभ ने एक बार पुन: कलाई घड़ी देखी, रात के साढ़े 8 बज चुके हैं, मीनीचीनी सो गई होंगी. कमरे का सूना सन्नाटा हाथ उचकाउचका कर आमंत्रित कर रहा था. उंगली की टीस ने याद दिलाया कि जब वे इस भवन में मकान देखने आए थे तो नीचे वाला हिस्सा भी खाली था किंतु ममता ने कहा था कि अकेली स्त्री का बच्चों के साथ नीचे रहना सुरक्षित नहीं, इसी कारण वह तिमंजिले पर आ टंगी थी.

बंद दरवाजे के पीछे से आने वाले पुरुष ठहाके ने सौरभ को चौंका दिया. वह गलत द्वार पर तो नहीं आ खड़ा हुआ? अपने अगलबगल के परिवेश को दोबारा हृदयंगम कर के उस ने अपने को आश्वस्त किया और दरवाजे पर धक्का दिया. हलके धक्के से ही द्वार पूरा खुल गया. भीतर से चिटकनी नहीं लगी थी. ट्यूब- लाइट के धवल प्रकाश में सोफे पर बैठे अपरिचित युवक के कंधों पर झूलती मीनीचीनी और सामने बैठी ममता के प्रफुल्लित चेहरे को देख कर वह तिलमिला गया. वह तो वहां पत्नी और बच्चों की याद में बिसूरता रहता है और यहां मसखरी चल रही है.

उसे आया देख कर ममता अचकचा कर उठ खड़ी हुई, ‘‘अरे, तुम.’’

बच्चियां भी ‘पिताजीपिताजी’ कह कर उस के पैरों से लिपट गईं. पल भर को उस के घायल मन पर शीतल लेप लग गया. अपरिचित युवक उठ खड़ा हुआ था, ‘‘अब मैं चलता हूं.’’

‘‘वाह, मैं आया और आप चल दिए,’’ सौरभ की वाणी में व्यंग्य था.

‘‘ये कपिलजी हैं, मेरे स्कूल में अध्यापक हैं,’’ ममता ने परिचय कराया.

‘‘आज ममताजी स्कूल नहीं गई थीं, वहां पता चला कि मीनी की तबीयत खराब है, उसी को देखने आया था,’’ कपिल ने बिना पूछे अपनी सफाई दी.

‘‘क्या हो गया है मीनी को?’’ सौरभ चिंतित हो गया था.

‘‘कुछ विशेष नहीं, सर्दीखांसी कई दिनों से है. सोचा, आज छुट्टी ले लूं तो उसे भी आराम मिलेगा और मुझे भी.’’

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सौरभ का मन बुझता जा रहा था. वह चाहता है कि ममता अपनी छुट्टी का एकएक दिन उस के लिए बचा कर रखे, यह बात ममता से छिपी नहीं है. न जाने कितनी बार कितनी तरह से वह उसे बता चुका है फिर भी…और बीमार तो कोई नहीं है. अनमनेपन से कुरसी पर बैठ कर वह जूते का फीता खोलने लगा, उंगलियां कुछ अधिक ही टीसने लगी थीं.

‘‘चाय बनाऊं या भोजन ही करोगे,’’ ममता के प्रश्न से उस ने कमरे में चारों ओर देखा, कपिल जा चुका था.

‘‘जिस में तुम्हें सुविधा मिले.’’

पति की नाराजगी स्पष्ट थी किंतु ममता विशेष चिंतित नहीं थी. अपने प्रति उन की आसक्ति को वह भलीभांति जानती है, अधिक देर तक वह रूठे रह ही नहीं सकते.

बरतनों की खटपट से सौरभ की नींद खुली. अभी पूरी तरह उजाला नहीं हुआ था, ‘‘ममता, इतने सवेरे से क्या कर रही हो?’’

‘‘अभी आई.’’

कुछ देर बाद ही 2 प्याले चाय ले कर वह उपस्थित हो गई, ‘‘तुम्हारी पसंद का नाश्ता बना रही हूं, कल रात तो कुछ विशेष बना नहीं पाई थी.’’

‘‘अरे भई, नाश्ता 9 बजे होगा, अभी 6 भी नहीं बजे हैं.’’

‘‘स्कूल भी तो जाना है.’’

‘‘क्यों, आज छुट्टी ले लो.’’

‘‘कल छुट्टी ले ली थी न. आज भी नहीं जाऊंगी तो प्रिंसिपल का पारा चढ़ जाएगा, परीक्षाएं समीप हैं.’’

‘‘तुम्हें मालूम रहता है कि मैं बीचबीच में आता हूं फिर उसी समय छुट्टी लेनी चाहिए ताकि हम सब पूरा दिन साथसाथ बिताएं, कल की छुट्टी लेने की क्या तुक थी, मीनी तो ठीक ही है,’’?सौरभ ने विक्षुब्ध हो कर कहा.

‘‘कल मैं बहुत थकी थी और फिर आज शनिवार है. कल का इतवार तो हम सब साथ ही बिताएंगे.’’

सौरभ चुप हो गया. ममता को वह जानता है, जो ठान लिया तो ठान लिया. उस ने एक बार सामने खड़ी ममता पर भरपूर दृष्टि डाली.

10 वर्ष विवाह को हो गए, 2 बच्चियां हो गईं परंतु वह अभी भी फूलों से भरी चमेली की लता के समान मनमोहिनी है. उस के इस रूप के गुरुत्वाकर्षण से खिंच उस की इच्छाओं के इर्दगिर्द चक्कर काटता रहता है सौरभ. उस की रूपलिप्सा तृप्त ही नहीं होती. इंजीनियरिंग पास करने के बाद विद्युत बोर्ड में सहायक अभियंता के रूप में उस की नियुक्ति हुई थी तो उस के घर विवाह योग्य कन्याओं के संपन्न अभिभावकों का तांता लग गया था. लंबेचौड़े दहेज का प्रलोभन किंतु उस की जिद थी कन्या लक्ष्मी हो न हो, मेनका अवश्य हो.

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जब भी छुट्टियों में वह घर जाता उस के आगे चित्रों के ढेर लग जाते और वह उन सब को नकार देता.

उस बार भी ऐसा ही हुआ था.

खिसियाई हुई मां ने अंतिम चित्र उस के हाथ में थमा कर कहा था, ‘‘एक फोटो यह भी है किंतु लड़की नौकरी करती है और तुम नौकरी करने वाली लड़की से विवाह करना नहीं चाहते.’’

बेमन से सौरभ ने फोटो को देखा था और जब देखा तो दृष्टि वहीं चिपक कर रह गई, लगा उस की कल्पना प्रत्यक्ष हो आई है.

Manohar Kahaniya: प्यार के जाल में फंसा बिजनेसमैन- भाग 4

दूसरी तरफ उस का पति ललित अकसर फोन कर रुपए की मांग करने लगा. रुपए नहीं देने पर उस के और मानसी के संबंधों का भेद जगजाहिर करने की धमकियां देने लगा.

यहां तक कि उस ने संजीव को कहा जब तक पैसे मिलते रहेंगे उस का मुंह बंद रहेगा, जैसे ही इस में देरी होगी, वह उस के अवैध संबंधों की सारी सच्चाई उस की पत्नी और बच्चों को बता देगा.

संजीव ने लाख विनती की, उस का ललित और मानसी पर कोई असर नहीं हुआ. उन के लिए संजीव महज सोने का अंडा देने वाली मुरगी बन चुका था. पैसों के लालच में डूब चुके ललित और मानसी की ब्लैकमेलिंग के अलावा उस पर बिजनैस संबंधी कई देनदारियों के तकादे आने लगा.

परेशान हो कर किया सुसाइड

वह काफी विचलित हो गया था. इसी तनाव से जूझता 10 अगस्त, 2021 की शाम को घर से किसी आवश्यक काम से जाने को कह कर  निकला था. उस ने यह भी कहा कि उसे आने में देरी हो सकती है.

वह अपने हीरामोती लेन वाले आवास से निकल कर कुआं चौक नंदई स्थित अपने दूसरे मकान में आ गया. उस मकान को संजीव बेच चुका था, मगर उस के पास एक चाबी थी. वहां कुछ समय अपने जीवन का आखिरी समय गुजारा और रात को 11 बजे फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली.

इस से पहले उस ने 5 अलगअलग चिट्ठियां लिखीं. वे चिट्ठियां परिजनों और परिचितों के नाम थीं. उन में एक पूर्व सांसद मकसूदन यादव के नाम भी थी.

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दूसरे दिन जब संजीव जैन घर नहीं आया, तो सुबह घर परिवार में पत्नी और बच्चे चिंतित हो गए. उस की खोजबीन की जाने लगी. फोन पर काल का जवाब नहीं मिल पाया. किसी ने बताया पुराने मकान के पास उस की कार खड़ी है. घर वालों ने सोचा कि संजीव अपने उसी घर पर होगा.

दोपहर तक जब संजीव घर नहीं आया, तब परिवार के लोग और मित्र नंदई के मकान पर गए. वहां मकान भीतर से बंद मिला. उन्होंने एक कमरे का दरवाजा तोड़ा, संजीव फांसी से झूलते हुए मिला.

यह सभी के लिए स्तब्ध करने का दृश्य था. इस की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई. थाना बसंतपुर पुलिस ने घटनास्थल पर आ कर मामले की सूक्ष्म विवेचना शुरू कर दी. घटनास्थल पर संजीव जैन के छोटे भाई विनय जैन को एक लिफाफे में सुसाइड नोट मिले.

सुसाइड नोट पढ़ कर मालूम हुआ कि वह किस तरह ब्लैकमेलिंग के शिकार हो रहे थे. सुसाइड नोट में ही उन्होंने अपने अवैध संबंध की बात लिखी थी. मानसी और ललित द्वारा बारबार पैसे मांगे जाने का भी जिक्र किया था. उस ने अपनी आत्महत्या का कारण उन लोगों द्वारा ब्लैकमेल करना ही लिखा था.

अगले रोज राजनंदगांव सहित छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख समाचारपत्रों में भाजपा नेता संजीव जैन की आत्महत्या का समाचार प्रमुखता से प्रकाशित हुआ और यह चर्चा का सबब बन गया कि कैसे एक नामचीन, राजनीति में दखल रखने वाली शख्सियत सैक्स और भयादोहन का शिकार हो रहा था.

एसपी राजनंदगांव डी. श्रवण ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एएसपी प्रज्ञा मेश्राम के नेतृत्व में बसंतपुर थाने की एक टीम गठित की. उन्हें मामले को शीघ्र खुलासा करने के सख्त निर्देश दिए.

मामले का दायित्व मिलने के बाद एएसपी प्रज्ञा मेश्राम व थानाप्रभारी आशीर्वाद रहटगांवकर को सुसाइड नोट के आधार पर जांच तेज करने की निर्देश दिए. पुलिस ने संजीव जैन के परिजनों के बयान लिए.

बयान और सुसाइड नोट के आधार पर जांच जब आगे बढ़ने लगी तब यूनियन बैंक और फेडरल बैंक के माध्यम से कुछ ठोस जानकारियां सामने आईं.

यह भी खुलासा हुआ कि मानसी नामक महिला से संजीव जैन के अंतरंग संबंध

हुआ करते थे. इस की पुष्टि सुसाइड नोट से भी हुई. मानसी और उस की ससुराल वाले हुए गिरफ्तार मानसी का नाम सामने आने पर जांच शुरू की. वह रायपुर, छत्तीसगढ़ और मेरठ, उत्तर प्रदेश से लापता मिली. बैंक के अकाउंट की जांच की तो यह जानकारी सामने आ गई कि बीते 8 सालों में एक करोड़ सत्तर लाख रुपए संजीव जैन के खाते से मानसी यादव, उस के पति ललित सिंह, ललित सिंह के छोटे भाई कौशल सिंह और कौशल सिंह की पत्नी शिल्पी सिंह के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर हुए.

पुलिस के सामने सब कुछ आईने की तरह साफ था, मगर आरोपी उन की पकड़ से दूर थे. मानसी के पते पर पुलिस लगातार छापे मार रही थी, मगर न तो मानसी मिल रही थी और न ही उस का पति ललित सिंह.

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संजीव मामले के आरोपियों के पकड़ में नहीं आने पर पुलिस की लगातार किरकिरी हो रही थी. तभी अचानक 12 सितंबर को प्रज्ञा मेश्राम को एक काल आई.

काल मुखबिर की थी, जिस ने बताया कि मानसी रायपुर में अपनी बहन मधु यादव के यहां डगनिया में तीज के मौके पर पहुंची है. इस सूचना के आधार पर एएसपी प्रज्ञा मेश्राम ने रायपुर पुलिस की मदद से मानसी यादव को हिरासत में ले लिया.

वहीं ललित सिंह और शिल्पी सिंह भी गिरफ्त में आ गए. कौशल सिंह गिरफ्तारी से बचा हुआ था. पुलिस ने दोनों पतिपत्नी और शिल्पी सिंह को बसंतपुर थाने ला कर के पूछताछ की.

उन्होंने सारे घटनाक्रम को पुलिस के समक्ष सिलसिलेवार ढंग से बता दिया. इसी के साथ उन्होंने अपना अपराध कुबूल कर लिया.

तीनों के इकबालिया बयान के बाद 13 सितंबर, 2021 को पुलिस ने धारा 306, 34 भारतीय दंड विधान के तहत मामला दर्ज कर लिया और उसी शाम मीडिया के समक्ष पूरे मामले का खुलासा कर दिया.

केस का खुलासा थानाप्रभारी आशीर्वाद रहटगांवकर, एसआई कमलेश बंजारे, कांस्टेबल विभाष सिंह, देवेंद्र पाल, महिला कांस्टेबल अश्वनी निर्मलकर, साइबर सेल प्रभारी द्वारिका प्रसाद लाउत्रे, कांस्टेबल हेमंत साहू, आदित्य सिंह, मनीष मानिकपुरी, मनीष वर्मा, अवध किशोर साहू, मनोज खूंटे ने किया. दूसरे दिन तीनों आरोपियों को प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी, राजनंदगांव के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.

—अपराध कथा पुलिस सूत्रों से बातचीत पर आधारित

बैलेंसशीट औफ लाइफ- भाग 3: अनन्या की जिंदगी में कैसे मच गई हलचल

कर के मुझे छेड़ा कि यह अनन्या कहीं तुम ही तो नहीं, मैं ने उस समय हंसी में टाल दिया था पर मैं अनुज से बातें करने के बाद समझ गया था कि तुम्हारे बारे में ही लिखा गया है पर ऐसी बातों को तूल देने में मैं कोई समझदारी नहीं समझता. जो हुआ सो हुआ. इसलिए, तुम से यह बात नहीं की. तुम भी इस बात को इग्नोर कर दो.’’

‘‘मगर सुमित, मैं ऐसे व्यक्ति को सबक सिखाना चाहती हूं, जो अपनी कहानी की पब्लिसिटी के लिए कई लड़कियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है. यह तो तुम इतने अच्छे इंसान हो मगर जरा सोचो, कोई और हो तो क्याक्या हो सकता है. मेरे मन को तभी सुकून मिलेगा जब मैं उसे ऐसा सबक सिखाऊंगी कि पब्लिसिटी को तरसते लोग आजीवन याद रखे…मैं दिल्ली जाना चाहती हूं, सुमित.’’ ‘‘उस के लिए तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जो तुम्हें उसे कहना है, फोन पर कह लो. वैसे क्या कहना है?’’

‘‘उस का फोन नंबर कहां है हमारे पास? मैं उसे मानहानि के केस की धमकी दे कर उस का अपमान करना चाहती हूं.’’ ‘‘ठीक है, तुम चाहो तो गीता से बात भी कर सकती हो. वैसे हमें सिर्फ डराना और मानसिक परेशानी ही तो देनी है उसे. हमें उस का पैसा तो बिलकुल भी नहीं चाहिए. मुझे आराम से गीता का नंबर मिल सकता है. मेरे बौस की रिश्तेदार है वह. सुना है अच्छे स्वभाव की है. जरा भी घमंड नहीं है.’’

‘‘ठीक है, सुमित, मुझे उस का नंबर दे दो. वह शायद मुझे भी पहचान ही जाए. तुम मेरे साथ हो तो अब मुझे किसी भी बात की चिंता नहीं है.’’ ‘‘पर मेरी एक शर्त है.’’

‘‘क्या?’’ ‘‘मुझे तुम्हारे चेहरे पर दुख या उदासी न दिखे.’’ अनन्या मुसकराती हुई सुमित से लिपट गई अब उस का मन हलका हो गया था. मन पर रखा एक भारी पत्थर जैसे हट गया था.

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अगले दिन सुमित ने अनन्या के फोन पर गीता का नंबर भेज दिया. अनन्या ने लंच टाइम में एक शांत जगह जा कर गीता का नंबर मिलाया. गीता ने फोन उठाया तो अनन्या ने कालेज के दिनों का अपना परिचय दिया, गीता को सब याद आ गया. बोली, ‘‘कैसी हो? मेरा नंबर कैसे मिला?’’ ‘‘कहां से मिला, वह छोड़ो गीता, बस यह पूछने का मन हुआ कि अपने पति की आत्मकथा पढ़ी होगी तुम ने कैसी लगी?’’

गीता का स्वर कुछ धीमा हुआ, ‘‘क्यों? अपना नाम आने पर परेशान हो?’’ ‘‘मुझे राघव का नंबर दे सकती हो? इतने सच दुनिया के सामने रखने पर उसे गर्व हो रहा होगा न. बधाई तो बनती है न?’’

‘‘मैं समझी नहीं. वैसे राघव इस समय मेरे सामने ही बैठा है.’’ ‘‘यह तो बहुत अच्छा है. क्या तुम फोन स्पीकर पर कर सकती हो? प्लीज.’’

गीता ने फोन स्पीकर पर कर लिया. अनन्या की ठहरी हुई, गंभीर आवाज स्पीकर पर गूंज उठी, ‘‘मैं ने फोन इसलिए किया है राघव कि तुम्हें पहले स्वयं ही बता दूं कि मैं तुम पर मानहानि का दावा करने जा रही हूं 2 करोड़ का. अपनी कहानी में तुम ने जिस तरह मेरे बारे में लिखा है, मैं तुम्हें छोड़ूगी नहीं. ‘‘गीता तुम्हारे जैसे लालची पति को जीवनसाथी बना कर कितनी खुश है, यह तो वही जानती होगी पर लड़कियों की भावनाओं के साथ खेलने वाले इंसान की पब्लिसिटी पाने की ऐसी आदत पर उसे शर्म तो जरूर आती होगी, तुम ने तो उसे भी शर्मिंदा किया है.

‘‘गीता, तुम तो एक औरत हो, इस हरकत में अपने पति का साथ कैसे दे पाई? वह लेखिका जिस से राघव ने यह किताब लिखवाई है, जानती हो, कौन है? वह भी इस का शिकार रही है, यह आदमी तुम्हारे पैसे से उस का मुंह बंद कर सकता है पर मैं इसे सबक सिखा कर रहूंगी. तुम्हारे पैसे ने राघव को तुम्हारा पति तो बना दिया पर चरित्र?’’

गीता के मुंह से हलकी सी आवाज निकली, ‘‘तुम्हारा पति क्या कहेगा?’’

‘‘उस ने यही कहा कि ऐसे आदमी को सजा मिलनी चाहिए जो लड़कियों के साथ खेले, फिर दुनिया के सामने अपने पौरुष का ऐसा डंका पीटे कि लड़कियां टूट जाएं, यह सर्वथा अनुचित है. और वाह, क्या नाम रखा है, ‘बैलैंसशीट औफ लाइफ’ नफेनुकसान के हिसाबकिताब में माहिर, रुपएपैसे के लालच में उलझा हुआ एक चरित्रहीन व्यक्ति अपनी कहानी को और नाम भी क्या दे सकता था? तुम लोगों के बच्चे तो बड़े हो कर अपने पिता के चरित्र पर बड़ा गर्व करेंगे. वाह.’’

गीता ने कहा, ‘‘अनन्या, मुझे थोड़ा समय दो.’’ अनन्या ने फिर फोन काट दिया. इतनी देर तक राघव सिर पर हाथ रखे ही बैठा रहा. उस में गीता से आंखें मिलाने का साहस नहीं था. गीता ने यह किताब लिखवाने के लिए पहले ही मना किया था पर राघव ने उस की एक न सुनी थी. आज वह एक सफल बिजनैसमैन था, गीता के मातापिता गुजर चुके थे. वह अब सारी प्रौपटी की एकमात्र अधिकारी थी.

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गीता ने राघव की छिटपुट गलतियां कई बार माफ की थीं, पर आज गीता ने राघव को जिन जलती नजरों से देखा, राघव उन नजरों को सह न सका. चुपचाप बैठा रहा. गीता नि:शब्द उसे पहले घूरती रही, फिर इतना ही कहा, ‘‘यह बुक मार्केट से तुरंत वापस ले लो. एक भी कौपी कहीं न दिखे और फौरन सब से माफी मांगो नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा,’’ कह कर गीता अपना पर्स उठा कर वहां से चली गई. राघव को इस के सिवा कोई और रास्ता सूझ भी नहीं रहा था. गीता उस के साथ बहुत अनर्थ कर सकती है, यह वह जानता था. वह जो भी था, गीता की दौलत के दम पर था. वह गीता को नाराज नहीं कर सकता था. अत: उस ने गीता को फौरन फोन किया, ‘‘आईएम वैरी सौरी, डियर तुम ने जैसा कहा है वैसा ही होगा.’’

राघव ने उसी समय अपने सैक्रेटरी को बुला कर गीता के कहे अनुसार आदेश दिए. अगली सुबह अनन्या राहुल को तैयार कर रही थी. तभी अपने फोन पर कुछ पढ़ता हुआ सुमित हंस पड़ा. अनन्या ने आंखों से ही कारण पूछा तो सुमित ने अपना फोन उस की ओर बढ़ा कर कुछ पढ़ने का इशारा किया. ट्विटर पर राघव का माफीनामा था और लिखा था कि इस बुक को मार्केट से विदड्रा कर रहा है.

सुमित ने अनन्या के कंधे पर हाथ रख कर पूछा, ‘‘खुश?’’ ‘‘थैंक्यू वैरी मच, सुमित. तुम्हारे जैसा जीवनसाथी पा कर मैं धन्य हो गई.’’

सुमित ने उस के माथे को चूम लिया. अचानक अनन्या ने अपने फोन को उठा कर कोई नंबर मिलाया तो सुमित ने पूछा, ‘‘किसे?’’ ‘‘गीता को थैंक्स कहना है कि उस ने एक स्त्री के मन की बात को समझा. उस ने जो गरिमा दिखाई, बहुत अच्छा लगा. वैसे भी ऐसे पति के साथ निभाना आसान तो नहीं होगा. उसे थैंक्स कहना फर्ज है मेरा.’’

‘हां’ में सिर हिलाता हुआ सुमित उसे प्यार भरी नजरों से देख रहा था.

Manohar Kahaniya: बीवी और मंगेतर को मारने वाला ‘नाइट्रोजन गैस किलर’- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

Writer- शाहनवाज

पिता की चिंता महसूस कर नवनिंदर हकपका गया. जवाब में उस ने कहा, ‘‘सतश्रीअकाल पापाजी. दरअसल, आज सुबह सोनू के साथ मार्किट शौपिंग के लिए जाना था लेकिन छोटी सी एक बात पर वह रूठ गई. गुस्सा हो कर वह घर से निकल गई, वह भी बिना अपना फोन लिए. मैं ने उस का फोन देखा भी नहीं था. मैं भी उसे तब से फोन मिला रहा हूं, लेकिन अभी देखा कि वह अपना फोन ले जाना भूल गई है. आप चिंता न करें. वह जल्द ही घर लौट आएगी. तब मैं आप की बात उस से करवा दूंगा.’’

अपनी बेटी और होने वाले दामाद के बीच झगड़े की इस बात को सुन कर सुखचैन सिंह के मन का सुख और चैन मानो कहीं गायब सा हो गया. उन के दिल में अपनी बेटी को ले कर बेचैनी पैदा हो गई.

वह हर पल सोनू के बारे में ही सोचे जा रहे थे कि आखिर एक बड़े से शहर में उन की बेटी बिना फोन लिए कहां भटक रही होगी या उस के साथ कुछ अनहोनी न हो जाए.

14 अक्तूबर, 2021 को जब सोनू के घर वालों को यह बात पता चली, उस के बाद से नवनिंदर को हर घंटे फोन आता. लेकिन सोनू के वापस आने की उन्हें कोई खबर नहीं मिली.

सोनू के लापता होने को 24 घंटे हो गए तो घर वालों को अपनी बेटी की चिंता होने लगी कि सोनू का भाई दविंदर सिंह और पिता सुखचैन सिंह अगले दिन 15 अक्तूबर की सुबहसुबह करीब 5 बजे बठिंडा से पटियाला नवनिंदर से मिलने के लिए पहुंच गए.

नवनिंदर ने उन्हें अपने और सोनू के बीच होने वाले झगड़े के बारे में बताया लेकिन नवनिंदर की बात सुन कर उन के मन को शांति नहीं हुई. मामले को गंभीर होता देख, दविंदर, सुखचैन सिंह और नवनिंदर, तीनों पटियाला के अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन जा पहुंचे.

अर्बन एस्टेट थाने के थानाप्रभारी रौनी सिंह ने सुखचैन सिंह की शिकायत पर सोनू की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर जल्द ही काररवाई शुरू कर दी. ऐसे में सोनू को ढूंढने के लिए सब से पहले जिस शख्स से पूछताछ होनी थी, वह नवनिंदर ही था.

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पुलिस ने नवनिंदर से उन के बीच होने वाले झगड़े की वजह पूछी. जब नवनिंदर ने झगड़े का कारण बताया तो उसे सुन कर पुलिस के मन में पहली नजर में ही उस के ऊपर शक होने लगा. नवनिंदर ने बताया कि मार्किट में एक चीज को खरीदने के लिए उस ने सोनू को मना कर दिया था, जिस के बाद वह रूठ गई थी. होटल में उन के बीच इसी बात को ले कर हलकी नोकझोंक भी हुई थी.

नवनिंदर की ये बातें सुन कर थानाप्रभारी के मन में सवाल उठने शुरू हो गए थे. वह सोचने लगे कि जिस जोड़ी की भला कुछ दिनों के बाद शादी होने वाली हो, उन के बीच इस बात पर झगड़ा होना और घर से निकल जाना, कैसे संभव हो सकता है.

ये वजह उन्हें कुछ हजम नहीं हुई. तो ऐसे में नवनिंदर से पुलिस की पूछताछ करने वाली टीम ने कुछ और जरूरी सवालजवाब किए.

पुलिस वालों ने नोटिस किया कि नवनिंदर ने उन के जितने सवालों का जवाब दिया, उन से उन्हें नवनिंदर पर शक गहराता जा रहा था. ऐसी स्थिति में थानाप्रभारी ने सोनू के पिता और भाई को तसल्ली दी और जल्द ही सोनू के बारे में पता लगाने का आश्वासन भी दिया. और इस मामले को ले कर पुलिस ने तुरंत काररवाई करनी शुरू कर दी.

पुलिस टीमें जुटीं जांच में

पुलिस की कई टीमें इस काम में जुट गईं. एक टीम पटियाला में सोनू को ढूंढने में लगी थी तो दूसरी टैक्निकल टीम उस की लास्ट लोकेशन और उस से पहले वह कहांकहां गई, उस के बारे में पता करने में व्यस्त थी.

ऐसे में थानाप्रभारी के नेतृत्व में एक टीम ऐसी बनाई गई जोकि सोनू के मंगेतर नवनिंदर की हिस्ट्री का पता लगाने के लिए थी. इस टीम में खुद थानाप्रभारी शामिल थे.

एक तरफ पुलिस की सभी टीमें सोनू का पता लगाने का काम कर रही थीं तो दूसरी तरफ समय बीतने के साथसाथ सोनू के घर वालों के सब्र का बांध टूटता जा रहा था. घर वालों के मन में सोनू को ले कर बेचैनी और चिंता ने इस कदर घर कर लिया था कि जिसे निकाल बाहर फंकना बेहद मुश्किल था. अगले 4-5 दिनों तक पुलिस से सोनू के परिवार वालों को कोई जवाब नहीं मिला, लेकिन अंदर ही अंदर पुलिस की टीमें अपना काम कर रही थीं.

20 अक्तूबर, 2021 के दिन थानाप्रभारी ने बठिंडा से सोनू के घर वालों को पटियाला अर्बन एस्टेट पुलिस थाने में बुलाया. पुलिस ने नवनिंदर के बारे में कुछ ऐसी चीजों का पता लगा लिया था, जिस का सोनू के घर वालों को पता होना जरूरी था.

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खबर मिलते ही सुखचैन सिंह, दविंदर और साथ में कुछ और लोग अर्बन एस्टेट पुलिस थाने जल्द से जल्द पहुंच गए. उन के पहुंचते ही थानाप्रभारी ने उन्हें अपने औफिस में बुलाया और उन के होने वाले दामाद नवनिंदर के बारे में कुछ ऐसे खुलासे किए, जिसे सुन कर सोनू के घर वालों के होश उड़ गए थे. पता चला कि नवनिंदर की पहली शादी 12 फरवरी, 2018 को गांव बिशनपुरा, जिला संगरूर, पंजाब की रहने वाली सुखदीप कौर से हो चुकी थी. सुखदीप उच्चशिक्षित परिवार से ताल्लुक रखती थी और वह खुद भी ट्रिपल एमए थी. लेकिन 19 सितंबर 2021 को उस की रहस्यमयी हालत में मौत हो गई. रहस्यमयी इसलिए क्योंकि उस की मौत कैसे हुई, इस का किसी के पास कोई प्रूफ नहीं था.

पुलिस की टीम ने जब संगरूर में सुखदीप के घर पर जा कर उस की मृत्यु का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि सुखदीप की मौत हार्ट अटैक से हुई थी. जब उन से पूछा गया कि उन्हें इस बात पर कैसे यकीन है कि सुखदीप की मौत हार्ट अटैक से हुई तो उन्होंने बताया कि उस के पूरे शरीर पर किसी चीज का निशान नहीं था, जिस से उन्हें किसी और बात पर शक हो.

मंगेतर ही निकला कातिल

परिवार ने यह भी बताया कि सुखदीप 5 महीने की प्रेग्नेंट भी थी. सिर्फ यही नहीं, पुलिस टीम ने नवनिंदर के बारे में कुछ और भी पता लगाया जोकि हैरान करने वाला था. फरवरी 2018 में सुखदीप से पहली शादी के बाद उस ने पहली अक्तूबर, 2018 को भवानीगढ़ संगरूर की रहने वाली लखविंदर कौर से भी शादी की थी. इस की जानकारी सुखदीप के घर वालों को नहीं हुई.

अगले भाग में पढ़ें- नाइट्रोजन गैस को बनाया मौत का हथियार

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