योग गुरु का – सेक्स रोग !

मीठी- चुपड़ी बातें करके विवाहित महिला को एक योग गुरु ने अपने जाल में कुछ ऐसा फंसाया कि वह न पति की रही, और न ही प्रेमी की. पति को छोड़कर योग गुरु के जाल में फंस कर लंबे समय तक “लिव इन रिलेशनशिप” में रह कर महिला ने अपना सब कुछ बर्बाद कर लिया. बच्चों का जीवन तबाह कर डाला . योग गुरु जब सेक्स की योग साधना करने के बाद फुर्र हुआ तो महिला को होश आया और वह न्याय पाने के लिए पुलिस के दरवाजे पर दस्तक देने पहुंची जहां से उसे पहले बेरंग भगा दिया गया.

और‌ योग गुरु “दूसरी शादी”

छत्तीसगढ़ के न्याय धानी बिलासपुर में एक योग गुरू का चोला पहने शख्स ने महिला को पहले पति से अलग करवाकर उसका दैहिक शोषण किया. फिर उसे छोड़कर दूसरी शादी रचाने चल पड़ा. महिला की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस ने जिला कोरबा के खरमोरा में छापा मारा, तो योग गुरू दूल्हे के वेश में दुल्हन के साथ फेरे लेने की तैयारी में था, पुलिस के पहुंचते ही विवाह स्थल पर हंगामा मच गया और लोग पुलिस का विरोध करने लगे, उसके बाद भी पुलिस ने गुरु को हिरासत में ले लिया. सिविल लाइन थाना,बिलासपुर क्षेत्र में रहने वाली एक महिला वर्ष 2015 में बाबा रामदेव के आगमन पर भिलाई गई थी. उस दौरान महिला का कोरबा निवासी कथित योग गुरु दुर्गेश राठौर पिता तोताराम राठौर से परिचय हुआ. दुर्गेश ने लगातार महिला से मोबाइल पर बातचीत कर उसे प्रेम जाल में फंसा लिया.

दोनों के बीच संबंध की जानकारी होने पर महिला के पति ने सामाजिक बैठकर कराकर महिला से अलग रहने लगा. इस घटना का फायदा उठाते हुए दुर्गेश राठौर महिला एवं उनके बच्चों के साथ अलग मकान में रहकर उसका दैहिक शोषण करता रहा. इस साल दुर्गेश ने महिला के साथ घर में दीपावली मनाई और 15 नवंबर को घर कोरबा लौट गया. और दूसरी शादी की तैयारी करने लगा यह खबर महिला तक पहुंच गई और उसके बाद उसने पुलिस थाने पहुंचकर फरियाद लगाई मगर कुछ सुनवाई नहीं हो रही थी.

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और गुरु रंगे हाथों पकड़ाया

मामला जब धीरे-धीरे सर गर्म हुआ और शिकायत छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू तक पहुंची तो उन्होंने पुलिस को एक्शन लेने का फरमान जारी किया.

इधर दुर्गेश के भाई राजेश ने मोबाइल पर महिला से संपर्क किया और उसे दुर्गेश की शादी तय होने की जानकारी दे कर महिला को दुर्गेश से दूर रहने व रिपोर्ट लिखाने पर जान से मारने की धमकी दी थी. दिसंबर के प्रथम सप्ताह 5 तारीख को पुलिस ने महिला की रिपोर्ट पर दुर्गेश राठौर के खिलाफ धारा 376 के तहत जुर्म दर्ज कर लिया और खुद खबर शुरू कर दी.

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पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की तो पता चला आरोपी दुर्गेश राठौर की बारात कोरबा के खरमोरा स्थित राठौर भवन में गई है. सिविल लाइन पुलिस ने खरमोरा राठौर भवन में दबिश देकर योग गुरू दुर्गेश राठौर को हिरासत में ले लिया. जब पुलिस दुल्हे को पकड़ने गई, तो उसके घर वालों द्वारा जमकर हंगामा मचाया . भारी मशक्त के बाद सिविल लाइन पुलिस दुल्हा बने दुर्गेश राठौर को हिरासत में ले पायी.

धर्म परिवर्तन की एक गोली

धर्म परिवर्तन की एक गोली- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- निखिल अग्रवाल

निकिता और तौसीफ के मामले में प्यार या दोस्ती जैसा कुछ नहीं था. फिर भी सवाल यह उठता है कि ज्यादातर मुसलिम युवक शादी के मामले को ले कर हिंदू युवतियों से धर्म परिवर्तन की बात क्यों करते हैं? ऐसी 5 कहानियां ‘मनोहर कहानियां’ के पिछले 2 अंकों में छपी हैं. क्या ये लव जिहाद नहीं है? अगर ऐसा नहीं है तो क्यों…

बीते 26 अक्तूबर की बात है. शाम के करीब 4 बजने वाले थे. निकिता तोमर अपनी सहेली के साथ परीक्षा दे कर बल्लभगढ़ के अग्रवाल कालेज से बाहर निकल रही थी. उन का पेपर पौने 4 बजे खत्म हुआ था.

निकिता बीकौम आनर्स फाइनल ईयर की छात्रा थी. उस का पेपर अच्छा हुआ था. फिर भी वह सहेली से एकदो सवालों के आंसर को ले कर संतुष्ट हो जाना चाहती थी.

दोनों सहेलियां पेपर में आए सवालों पर बात करते हुए कालेज के बाहर सड़क पर निकल आईं. सड़क पर कोई ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. कालेज से परीक्षा दे कर बाहर निकली छात्राओं के अलावा कुछ वाहन आजा रहे थे. कुछ छात्राओं को उन के घर वाले लेने आए थे. कुछ अपने खुद के वाहन से आई थीं, तो कुछ आटोरिक्शा वगैरह से जा रही थीं.

निकिता को कालेज से लेने के लिए उस का भाई नवीन आने वाला था. इसलिए वह अपनी सहेली के साथ सड़क पर एक तरफ खड़ी हो कर भाई का इंतजार करने लगी.

उन्हें खड़े हुए एकदो मिनट ही हुए थे कि वहां एक कार आ कर रुकी. कार में 2 युवक थे. एक गाड़ी चला रहा था और दूसरा उस के पास वाली सीट पर बैठा था.

कार से एक युवक तेजी से निकला और निकिता की तरफ आया. निकिता उस युवक को देख कर घबरा गई. वह उसे पहले से जानती थी, लेकिन उस से नफरत करती थी.

युवक को अपनी तरफ आता देख कर उस ने तेजी से भागने की कोशिश की. लेकिन युवक ने उसे पकड़ लिया और खींच कर कार की तरफ ले जाने लगा. युवक की मदद के लिए कार चला रहा उस का साथी भी आ गया था.

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निकिता भले ही घबराई हुई थी, लेकिन उस ने साहस से दोनों युवकों का मुकाबला किया और खुद को उन के चंगुल से छुड़ा लिया. निकिता की सहेली और कुछ दूसरी छात्राओं ने भी निकिता को युवकों से बचाने में मदद की.

निकिता के अपहरण में कामयाब नहीं होने पर उस परिचित युवक ने अपनी पैंट की जेब से देसी पिस्तौल निकाली और उसे गोली मार दी.

गोली उस के बाएं कंधे से छाती को चीरती हुई बाहर निकल गई. गोली लगते ही वह जमीन पर गिर गई. जमीन पर खून बहने लगा. निकिता के गिरते ही दोनों युवक उसी कार में बैठ कर भाग गए. निकिता को गोली मारने के दौरान कालेज से परीक्षा दे कर निकल रही छात्राएं डर के मारे इधरउधर छिप गईं.

मामला सीधासादा नहीं था

यह घटना हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ शहर की है. शहर में दिनदहाड़े कालेज के बाहर छात्रा को गोली मारने की घटना से सनसनी फैल गई. निकिता की सहेली की गुहार पर कुछ लोग लहूलुहान हालत में पड़ी निकिता को उठा कर अस्पताल ले गए. डाक्टरों ने उसे देख कर मृत घोषित कर दिया.

पता चलने पर निकिता के मातापिता और भाई भी अस्पताल पहुंच गए. उस की मौत का पता चलने पर उन की आंखों से आंसू बह निकले. वे लोगों से पूछते ही रह गए कि कैसे हुआ.. क्या हुआ… निकिता के साथ की छात्राओं ने उन्हें सारी बात बताई, तो कोहराम मच गया.

सूचना मिलने पर पुलिस भी पहुंच गई. मामला संगीन था. पुलिस के उच्चाधिकारी भी पहले मौके पर और फिर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने निकिता के घर वालों को ढांढस बंधाया. फिर उन से हत्यारों के बारे में पूछा.

अधिकारियों के कहने पर निकिता के भाई ने तौसीफ और एक अन्य युवक के खिलाफ पुलिस को लिखित शिकायत दी. शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया. निकिता का शव पोस्टमार्टम के लिए बीके अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया.

पुलिस ने मौके से कुछ साक्ष्य जुटाए. जिन लोगों ने निकिता की हत्या होते देखी थी, उन से पूछताछ की. क्राइम ब्रांच ने भी जांचपड़ताल शुरू कर दी. घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गई.

फुटेज में पुलिस को कार का नंबर मिल गया. इस के अलावा निकिता के अपहरण का प्रयास और इस में नाकाम रहने पर उसे गोली मारने के सारा घटनाक्रम भी कैमरे में कैद हो गया था.

पुलिस में रिपोर्ट दर्ज हो गई थी, लेकिन पुलिस को निकिता की हत्या के आरोपी तौसीफ और उस के साथी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चला था. इसलिए अधिकारियों ने निकिता के पिता मूलचंद तोमर को विश्वास में ले कर निकिता की हत्या के कारणों के बारे में पूछा.

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निकिता के घरवालों ने रोतेसुबकते हुए पुलिस को बताया कि सोहना इलाके के रोजका मेव का रहने वाला तौसीफ उसे स्कूल के समय से ही परेशान करता था. तौसीफ ने 2018 में भी उस का अपहरण किया था. उस समय बल्लभगढ़ शहर थाना पुलिस में तौसीफ के खिलाफ अपहरण का मामला भी दर्ज कराया गया था.

हालांकि निकिता को पुलिस ने 2 घंटे बाद ही बरामद कर लिया था. बाद में बेटी की बदनामी के डर से उन्होंने राजीनामा कर लिया था. इस के बाद भी वह निकिता से दोस्ती के साथ धर्म बदलने का दबाव बना रहा था.

रसूखदार परिवार का था तौसीफ

पुलिस को तौसीफ के परिवार के बारे में पता चला कि वह हरियाणा के रसूखदार राजनीतिक परिवार का लड़का है. उस के दादा कबीर अहमद पूर्व विधायक हैं. चचेरा भाई आफताब आलम इस समय हरियाणा के मेवात जिले की नूंह सीट से कांग्रेस विधायक है.

तौसीफ के चाचा और आफताब के पिता खुर्शीद अहमद हरियाणा की हुड्डा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. तौसीफ के चाचा जावेद अहमद सोहना विधानसभा सीट से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.

आरोपी भले ही राजनीतिक रसूख वाला था, लेकिन कानून की नजर में अपराध तो अपराध ही होता है. फिर उस ने तो जघन्य अपराध किया था, वह भी दिनदहाड़े खुलेआम. इसी चुनौती के बीच पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी.

फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह के निर्देश पर आरोपियों की तलाश में 10 टीमें जुट गईं.

तौसीफ के मोबाइल को सर्विलांस पर ले लिया गया. उस ने मोबाइल बंद नहीं किया था. वह लगातार अपने आकाओं से बात कर रहा था. इसलिए पुलिस को उस की लोकेशन मिलती रही.

पुलिस ने बल्लभगढ़ से ले कर फरीदाबाद और पलवल से ले कर नूंह तक भागदौड़ कर तौसीफ को रात को ही नूंह से गिरफ्तार कर लिया. जाकिर का बेटा तौसीफ आजकल गुड़गांव जिले के सोहना कस्बे के कबीर नगर में रहता था. तौसीफ से पूछताछ में पता चला कि वारदात में उस के साथ नूंह के रेवासन गांव का रहने वाला रेहान भी था. पुलिस ने रेहान को भी रात को ही धर दबोचा.

मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हापुड़ के गांव रघुनाथपुर के रहने वाले मूलचंद तोमर कोई 25 साल पहले बल्लभगढ़ शहर आ कर बस गए थे. अब वे सेक्टर 23 के पास एक सोसायटी में परिवार के साथ रह रहे थे. परिवार में पत्नी विजय देवी, बड़ा बेटा नवीन और छोटी बेटी निकिता थी.

मूलचंद बल्लभगढ़ में ही एक कंपनी में नौकरी करते हैं. घर में सुखसुविधाओं के साथ हर तरह की मौज थी. कहीं कोई परेशानी नहीं. बेटा नवीन बीटेक की पढ़ाई करने के बाद सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहा था.

अपना नाम राहुल राजपूत बताया

निकिता ने 5वीं से 12वीं कक्षा तक की पड़ाई बल्लभगढ़ में सोहना रोड पर स्थित रौयल इंटरनेशनल स्कूल से की थी. तौसीफ भी उसी स्कूल में पढ़ता था. वह यहां हौस्टल में रहता था और निकिता से एक क्लास सीनियर था.

निकिता उसे जानती नहीं थी. एक बार उस ने खुद ही अपना परिचय राहुल राजपूत के रूप में दिया था. तब निकिता उसे राहुल के नाम से जानने लगी थी, लेकिन उस की राहुल में कोई दिलचस्पी नहीं थी. बाद में निकिता को पता चल गया कि राहुल का असली नाम तौसीफ है. इस के बाद वह उस से खफा हो गई.

सन 2017 में निकिता ने 12वीं की परीक्षा 95 प्रतिशत अंकों से पास की. इस के बाद उस ने बीकौम करने के लिए शहर के अग्रवाल कालेज में प्रवेश ले लिया. तब तक निकिता की उम्र 17-18 साल हो गई थी.

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तौसीफ उस से 1-2 साल बड़ा था. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह फिजियोथैरेपी का कोर्स करने लगा था. अब वह अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा था. तौसीफ के मन में स्कूल के समय से ही निकिता के प्रति आकर्षण था. वह उस से दोस्ती करना चाहता था. लेकिन निकिता उस के पहले बोले गए झूठ से खफा थी.

वैसे भी निकिता इस तरह की लड़की नहीं थी. दोस्ती व प्यार के चक्करों से वह

कोसों दूर थी और पढ़लिख कर अफसर बनना चाहती थी.

सन 2018 में निकिता कालेज में प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी. उस साल 3 अगस्त को तौसीफ निकिता की 3-4 सहेलियों को कार में बैठा कर बल्लभगढ़ छोड़ने जा रहा था.

उस ने निकिता से भी कार में साथ चलने को कहा.

लेकिन निकिता ने साफ मना कर दिया, तो उस ने उसे जबरन कार में बैठा लिया. निकिता ने इसलिए ज्यादा विरोध नहीं किया क्योंकि उस की सहेलियां भी साथ थीं. कुछ दूर आगे जा कर तौसीफ ने बहाना बना कर सहेलियों को कार से उतार दिया और निकिता को कार में अगवा कर ले गया.

निकिता के घरवालों को पता चला, तो उन्होंने बल्लभगढ़ सिटी थाने में तौसीफ के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई. उस समय पुलिस ने भागदौड़ कर के 2 घंटे में ही निकिता को बरामद कर लिया था.

उस समय अपहरण के आरोपी तौसीफ के घर वालों ने तोमर परिवार पर दबाव बनाया और वादा किया कि भविष्य में वह निकिता को कभी परेशान नहीं करेगा. निकिता के पिता मूलचंद तोमर ने आरोपी के घरवालों के दबाव और सामाजिक बदनामी के डर से उन से समझौता कर लिया था.

बाद में पुलिस ने निकिता अपहरण केस की फाइल बंद कर दी थी. तौसीफ का कुछ नहीं बिगड़ा, तो उस के हौसले बढ़ गए. वह निकिता से दोस्ती करना चाहता था. साथ ही उस का धर्म परिवर्तन करा कर उस से शादी की इच्छा भी रखता था. इस के लिए वह उस पर बारबार दबाव डाल रहा था. जबकि निकिता उसे पहले ही दुत्कार चुकी थी.

एकतरफा प्यार में मात खाए तौसीफ ने निकिता के अपहरण की योजना बनाई. इसी योजना के तहत उस ने अपने रिश्तेदार की मार्फत नूंह इलाके के रहने वाले अजरुद्दीन नामक युवक से देसी पिस्तौल हासिल की. उस ने निकिता के बारे में सारी सूचनाएं जुटाई कि उस की परीक्षाएं कबकब हैं. वह कालेज कब आतीजाती है.

उसे पता चला कि 26 अक्तूबर को निकिता की परीक्षा है. वह दोपहर करीब पौने 4 बजे परीक्षा दे कर कालेज से निकलेगी. इसी हिसाब से वह अपने साथी रेहान के साथ कार से तय समय पर अग्रवाल कालेज के बाहर पहुंच गया. कार रेहान चला रहा था और तौसीफ उस के पास आगे की सीट पर बैठा था.

निकिता पेपर दे कर कालेज से अपनी सहेली के साथ बाहर निकली, तभी तौसीफ ने कार उस के पास ले जा कर रुकवाई और खुद कार से उतर कर निकिता को कार की तरफ खींच कर अपहरण कर ले जाने का प्रयास किया, लेकिन निकिता साहस दिखाते हुए उस के चंगुल से निकल गई. इस से तौसीफ बौखला गया.

वह हर कीमत पर निकिता को हासिल करना चाहता था. अपने मंसूबों पर पानी फिरता देख कर उस ने जेब से देसी पिस्तौल निकाली और निकिता पर फायर कर दिया. गोली उस के बांए कंधे से छाती को चीरते हुए निकल गई. इस से मौके पर ही उस की मौत हो गई.

धर्म परिवर्तन की एक गोली- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- निखिल अग्रवाल

लोगों का आक्रोश

निकिता की हत्या का पता चलने पर वारदात के दूसरे दिन 27 अक्तूबर को बल्लभगढ़ में लोगों में आक्रोश छा गया. आरोपियों को सख्त सजा दिलाने की मांग को ले कर निकिता के परिजनों के साथ विभिन्न संगठनों के लोगों ने सुबह से शाम तक शहर में कई जगह जाम लगा दिए.

सुबह 9 बजे सोहना रोड पर जाम का सिलसिला शुरू हुआ. शहर में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए लोगों ने हत्या के आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग की. बाद में लोग सोहना पुल के पास धरना दे कर बैठ गए.

दूसरी तरफ गुस्साए लोग बीके अस्पताल पहुंच गए. वहां काफी देर तक शव मिलने का इंतजार करते रहे. पोस्टमार्टम के बाद भी जब पुलिस प्रशासन की ओर से निकिता के घरवालों को शव नहीं दिया गया, तो लोगों में गुस्सा भड़क गया. बीके अस्पताल चौक पर लोगों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किया. लोगों ने इसे लव जिहाद का मामला बताया.

गुडईयर के पास नैशनल हाइवे पर भी जाम लगाया गया. शहर में जगहजगह जाम लगा कर प्रदर्शन करने का सिलसिला करीब 8 घंटे तक चलता रहा. इस दौरान पूरे शहर में जगहजगह पुलिस तैनात रही. शाम करीब साढ़े 4 बजे पुलिस ने निकिता का शव उस के घरवालों को सौंपा.

निकिता के पिता ने प्रशासन के सामने चार मांगें रखी. इन में परिवार की सुरक्षा, एसआईटी से जांच और मामले की जल्द सुनवाई आदि शामिल थी.

अधिकारियों ने ये मांगें मान लीं, इस के बाद अधिकारियों के आश्वासन पर जाम लगाने और प्रदर्शन करने का सिलसिला थमा. बाद में शाम को ही परिजनों ने निकिता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया.

इस से पहले पुलिस ने निकिता की हत्या के मामले में गिरफ्तार दोनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया.

मामला तूल पकड़ने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी काररवाई की जाएगी. किसी को बख्शा नहीं जाएगा. गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह ने निकिता हत्याकांड की जांच एसआईटी को सौंप दी है.

एसीपी (क्राइम) अनिल कुमार के नेतृत्व में स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम बनाई गई है. गृहमंत्री ने पुलिस कमिश्नर को पीडि़त परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए.

हरियाणा के परिवहन मंत्री और बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा ने बीके अस्पताल जा कर निकिता के पिता मूलचंद तोमर से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि हत्या के आरोपियों को कठोर सजा दिलाई जाएगी.

खूब मचा बवाल

वारदात के तीसरे दिन 28 अक्तूबर को इस मामले को ले कर हरियाणा से ले कर उत्तर प्रदेश तक खूब बवाल मचा. निकिता के पिता मूलचंद तोमर के पैतृक गांव हापुड़ के रघुनाथपुरा में पंचायत हुई. इस में निकिता के बड़े भाई नवीन ने हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की. बाद में पंचायत के लोगों ने एसडीएम को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा.

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एसआईटी ने हत्याकांड की जांच शुरू कर दी. टीम इंचार्ज एसीपी अनिल कुमार ने अधिकारियों के साथ निकिता के पिता से मिल कर जरूरी जानकारियां हासिल कीं. अनिल कुमार ने उन्हें विश्वास दिलाया कि मामले में सभी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं. हर हाल में परिवार को न्याय दिलाया जाएगा.

इस दौरान निकिता के घरवालों ने सत्तारूढ़ दल के नेताओं और जिला उपायुक्त यशपाल यादव को खूब खरीखोटी सुनाई. उनका कहना था कि एक दिन पहले वे बेटी का शव लेने के लिए दिनभर इंतजार करते रहे और पुलिस उन्हें शव देने को तैयार नहीं थी, तब आप लोग कहां थे?  परिवार की महिलाओं ने सवाल किया कि जब सरकार बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकती, तो उन्हें कोख में ही मारने की इजाजत क्यों नहीं दे देती?

हत्या के आरोपी तौसीफ ने पुलिस की पूछताछ में कबूल किया कि निकिता ने उस से शादी करने से इनकार कर दिया था. इसलिए उस ने फैसला किया कि वह मेरी नहीं हो सकती तो उसे किसी दूसरे की भी नहीं होने दूंगा. उस ने बताया कि 2018 में भी उस ने शादी की नीयत से ही निकिता का अपहरण किया था.

पुलिस ने दोनों आरोपियों की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल की गई कार और देसी पिस्तौल भी बरामद कर ली.

इस हत्याकांड को ले कर बल्लभगढ़ शहर में विरोध प्रदर्शन होता रहा. एबीवीपी ने अग्रवाल कालेज के बाहर धरनाप्रदर्शन किया. संगठन के कार्यकर्ता सुबह 11 बजे से ले कर रात को भी धरने पर बैठे रहे.

एनएसयूआई ने फरीदाबाद में जिला उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर नारेबाजी की. कार्यकर्ताओं ने दोषियों को फांसी देने की मांग की.

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पलवल में सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन कर जुलूस निकाला. हाइवे पर जाम भी लगाया गया. राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में निकिता की हत्या के विरोध में प्रदर्शन किए गए और जुलूस निकाले गए.

विभिन्न संगठनों का धरनाप्रदर्शन 29 अक्तूबर को भी चलता रहा. निकिता को न्याय दिलाने के लिए करणी सेना भी मैदान में कूदी. करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू निकिता के निवास पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि खून के बदले खून चाहिए. मामले की फास्टट्रैक अदालत में एक महीने में सुनवाई पूरी कर हत्यारों को फांसी दी जाए.

हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने भी तोमर के मकान पर पहुंच कर सांत्वना दी. फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने ट्वीट कर निकिता को झांसी की रानी और रानी पद्मावती की तरह बहादुर बताया तथा भारत सरकार से निकिता को देवी नीरजा की तरह ब्रेवरी अवार्ड देने की मांग की.

शीघ्र होगी सजा

हरियाणा सरकार ने निकिता के परिवार को सुरक्षा के लिए 3 गनर मुहैया करा दिए हैं. इस के बावजूद तोमर परिवार दहशत में है. उन्हें आशंका है कि हरियाणा की राजनीति में दखल रखने वाले आरोपी तौसीफ के रिश्तेदार कहीं पूरे परिवार की ही हत्या न करा दें.

धर्म परिवर्तन की एक गोली – भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- निखिल अग्रवाल

गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि निकिता हत्याकांड में पुलिस जल्द से जल्द जांच पूरी कर अदालत में चालान पेश करेगी. मामले में 2018 से केस की भी जांच की जाएगी. केस की सुनवाई फास्टट्रैक अदालत में होगी. आरोपियों को जल्द से जल्द और सख्त से सख्त सजा दिलाई जाएगी.

पुलिस ने इस मामले में तीसरे आरोपी अजरुद्दीन को भी गिरफ्तार किया है. हत्या के मुख्य आरोपी तौसीफ को अजरुद्दीन ने ही देसी पिस्तौल दिलाई थी. इसी पिस्तौल से गोली मार कर निकिता की हत्या की गई थी.

कहा जा रहा है कि अजरुद्दीन ने तौसीफ के मामा के कहने पर उसे देसी पिस्तौल मुहैया कराई थी. तौसीफ का मामा इस्लामुद्दीन जून 2016 में गुरुग्राम में एक पुलिस इंसपेक्टर के अपहरण के मामले में भोंडसी जेल में 10 साल की सजा काट रहा है. इस्लामुद्दीन हरियाणा व दिल्ली का कुख्यात बदमाश है.

पुलिस ने मुख्य आरोपी तौसीफ और उस के साथी रेहान के मोबाइल फोन भी जब्त किए हैं. सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य इलैक्ट्रौनिक साक्ष्य भी जुटाए हैं. दूसरे सबूत भी एकत्र किए जा रहे हैं.

पुलिस का दावा है कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जो उन्हें सख्त सजा दिलाएंगे. बहरहाल, निकिता की हत्या के दोषियों को तो अदालत सजा देगी, लेकिन लव जिहाद और इस तरह महिलाओं की हत्या की घटना कैसे रुकेंगी, इस पर सरकार को सोचना होगा.

2009 में सामने आया था भारत में लव जिहाद का पहला मामला आजकल लव जिहाद को लेकर पूरे देश में माहौल बना हुआ है. लव जिहाद 2 शब्दों से मिल कर बना है. अंगरेजी का शब्द लव यानी प्यार, मोहब्बत, इश्क और अरबी भाषा का शब्द जिहाद, जिस का मतलब होता है किसी मकसद को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना. यानी जब एक धर्म विशेष को मानने वाला लड़का दूसरे धर्म की लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसा कर उस लड़की का धर्म परिवर्तन करवा दे तो इसे लव जिहाद कहा जाता है.

हालांकि लव जिहाद 20वीं सदी में भी  होता रहा, लेकिन तब यह ज्यादा चर्चा में नहीं आया. भारत में लव जिहाद का पहला मामला 2009 में केरल और उस के बाद कर्नाटक में सामने आया. उस समय केरल हाईकोर्ट ने एक फैसले में लव जिहाद की बात मानी थी. बाद के वर्षों में विभिन्न राज्यों में लव जिहाद के मामले सामने आए.

2017 में केरल हाईकोर्ट ने एक फैसले में लव जिहाद के आधार पर एक मुसलिम पुरुष से हिंदू महिला के विवाह को अमान्य घोषित किया, तब मुसलिम पति ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. इस पर शीर्ष अदालत ने लव जिहाद के पैटर्न की स्थापना के लिए सभी समान मामलों की जांच करने के लिए एनआईए को निर्देश दिए थे.

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लव जिहाद के बढ़ते मामलों को ले कर अब सरकारें भी चिंतित हो रही हैं. हरियाणा के बल्लभगढ़ की घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की बात कही है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज ने भी ऐसी ही बातें कही हैं. इस के अलावा मध्य प्रदेश सरकार लव जिहाद पर विधेयक लाने की तैयारी कर रही है.

राज्य सरकार अगले विधानसभा सत्र में लव जिहाद को ले कर बिल लाएगी. इस में 5 साल की सजा का प्रावधान किया जा रहा है. केस गैरजमानती धाराओं में दर्ज होगा. विधेयक में लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वाला भी मुख्य आरोपी माना जाएगा. उसे सजा भी मुख्य आरोपी की तरह होगी.

शादी के लिए धर्मांतरण कराने वालों को भी सजा होगी. कोई स्वेच्छा से शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे एक माह पहले कलेक्टर को आवेदन देना होगा. कर्नाटक सरकार ने भी लव जिहाद पर कानून लाने की बात कही थी.

बल्लभगढ़ मामले में निकिता के घर वाले इसे लव जिहाद ही बता रहे हैं. पुलिस ने इस मामले में अदालत में पहली चार्जशीट पेश कर दी है.

वारदात के 11 दिन बाद ही 6 नवंबर को पेश की गई चार्जशीट में पुलिस ने हालांकि लव जिहाद का जिक्र नहीं किया है. इस का कारण रहा कि पुलिस को तब तक निकिता और तौसीफ के मोबाइल की जांच रिपोर्ट नहीं मिली थी.

पुलिस यह पता लगा रही है कि तौसीफ ने 2018 के बाद कबकब निकिता को फोन किया और दोनों के बीच कितनेकितने समय तक बात हुई. जांच में लव जिहाद की बात सामने आने पर उसे पूरक चार्जशीट में शामिल कर अदालत में पेश किया जाएगा.

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पुलिस ने करीब 700 पेज की चार्जशीट पेश की है. इस में निकिता की सहेली, घर वालों, पुलिस अधिकारी, डाक्टर, कालेज स्टाफ, चश्मदीद गवाहों के अलावा सीसीटीवी फुटेज वालों सहित कुल 64 लोगों को गवाह बनाया गया है. सब से अहम गवाह निकिता की सहेली और उस के साथ परीक्षा देने वाले चचेरे भाई को माना जा रहा है.

चार्जशीट में कहा गया है कि तौसीफ ने वारदात से 2 दिन पहले कालेज के आसपास रैकी की थी. इस दौरान उस ने यह पता किया कि निकिता परीक्षा देने कब और किस के साथ आती है? कितने बजे कालेज से निकलती है और किस के साथ जाती है?

वर्ष 2018 में तौसीफ की ओर से किए गए निकिता के अपहरण का जिक्र भी चार्जशीट में किया गया है. उस मामले की दोबारा नए सिरे से जांच पूरी होने के बाद पूरक चार्जशीट पेश की जाएगी. पुलिस ने इस मामले की फास्टट्रैक अदालत में सुनवाई के लिए भी अदालत से अनुरोध किया है.

गाली-गलौज, गुस्सा और मौत

रोज-रोज का झगड़ा और छोटी सी बात की लड़ाई किस कदर, क्या मोड़ ले लेती है, इसका सच वही जानता है जो इसे भोग चुका है.

आज इस रिपोर्ट में हम इस गंभीर विषय पर चर्चा करते हुए आपको बताना चाहेंगे कि ऐसी परिस्थितियों में कब क्या हो जाता है और हमें किस तरह बच सकते हैं .

प्रथम घटना-

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अशोक विहार कालोनी में एक शख्स ने अपनी पत्नी की इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह आये दिन बात बे बात पति को टोकती रहती. कटु वचन के कारण अंततः यह हत्या कांड हो गया.

दूसरी घटना-

बिलासपुर के रमन कॉलोनी में एक शख्स ने अपने ही मित्र की हत्या कर दी क्योंकि वह अक्सर उसे कटु शब्दों में निंदा करते हुए छोटी-छोटी बात पर, कुछ ना कुछ कहता रहता.

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तीसरी घटना-

औद्योगिक नगर कोरबा के बालको नगर में एक शख्स ने अपने ही भाई की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह शराब पीकर मां के साथ अक्सर गाली गलौज करता था.

रोज रोज का झगड़ा

छत्तीसगढ़ के जिला बालोद में रोज-रोज की गाली-गलौज से तंग आकर एक युवक ने अपने पड़ोसी की फावड़े से मारकर हत्या कर दी. बाद में थाने पहुंचकर सरेंडर कर दिया. वहीं मारा गया युवक विवाद के चलते ही पहले जेल जा चुका था. जमानत पर छूटा तो फिर से आकर लड़ाई झगड़ा और गालियां देनी शुरू कर दी. अंततः बात इतनी बढ़ गई की मामला खून खराबे तक पहुंच गया.

जांच अधिकारी के अनुसार ग्राम कोबा निवासी रीकेश घीलेंद्र (34) का अक्सर ही शराब के नशे में अपने पड़ोसी जीवन सतनामी (42) से विवाद होता रहता था. इससे तंग आकर रीकेश ने कई बार जीवन की शिकायत भी थाने में की थी.इसके बाद भी जीवन नहीं सुधरा और फिर गाली-गलौज और मारपीट करता रहता. रीकेश की शिकायत पर पुलिस ने जीवन को गिरफ्तार कर शांति भंग में जेल भेज दिया था

मगध घटना दिनांक के दिन मृतक उसे बार-बार छेड़ता रहा गाली गलौज करता था अंततः गुस्से में रीकेश घर के अंदर से फावड़ा लेकर आया और वार कर दिया.इस संपूर्ण घटनाक्रम में महत्वपूर्ण और आश्चर्यजनक तथ्य है कि जीवन जेल से जमानत पर छूटकर आया था और आने के पश्चात फिर रीकेश के घर के बाहर खड़े होकर गालियां देनी शुरू कर दी. पहले तो रीकेश ने उसे समझाया, लेकिन जब जीवन नहीं माना तो गुस्से में रीकेश घर के अंदर से फावड़ा लेकर आ गया. इसके बाद जीवन पर हमला कर दिया.सिर पर फावड़े के एक के बाद एक कई वार से जीवन वहीं गिर पड़ा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

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छोटे-छोटे वाद-विवाद की फांस

अक्सर हम अपने आसपास, मोहल्ले में छोटी-छोटी बातों पर वाद विवाद होते देखते हैं. और इसका परिणाम कभी-कभी बहुत ही खतरनाक रूप में सामने आता है. इस महत्वपूर्ण विषय पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के अधिवक्ता बी के शुक्ला के मुताबिक मेरी 40 वर्ष की वकालत के दरमियान अनेकों ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें मैंने पैरवी की है और पाया है कि बहुत छोटी सी बात पर गांव कस्बे और शहर में भी अक्सर हत्या जैसी घटना घटित हो जाती है. हालांकि बाद में मैंने यह भी पाया है कि हत्या करने वाले दोषी इसके लिए बहुत पछतावा करते हैं.मगर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. और इस घटना कांड से जाने कितनी जिंदगियां तबाह हो जाती है.

सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर रमाकांत श्रीवास के मुताबिक गांव गांव में जब ऐसी घटनाएं होती है और हमने जब निकट से उसका सच जानना चाहा तो यह जान कर बड़ा आश्चर्य होता है कि कभी किसी महिला की हत्या सिर्फ इसलिए हो जाती है कि उसने पति के लिए मनपसंद खाना नहीं बनाया. अक्सर पड़ोसियों और अपने नाते रिश्तेदारों के बीच भी विवाद होने पर छोटी-छोटी बातों पर हत्याकांड हो जाते हैं.

मनोविज्ञान के जानकार डाक्टर जी.आर.पंजवानी के मुताबिक यह सब क्षणिक आवेश में होता है अगर उभय पक्ष शांति और सौहार्द्र सहजता से घटनाक्रम को स्वीकार करते हुए व्यवहार करे तो ऐसे बड़े हत्याकांड नहीं होंगे.

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बर्दाश्त की हद – भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

निकिता और रेखाबेन का आए दिन का झगड़ा आम सास बहू के झगड़ों और कहासुनी से अलग नहीं था. लेकिन यह झगड़ा तब सीमाएं लांघ गया जब सास रेखाबेन ने गर्भवती बहू के गर्भ में ससुर का बच्चा होने का इलजाम लगाया. जाहिर है कोई भी औरत ऐसा झूठा आरोप नहीं सह सकती. निकिता भी नहीं…

परिवार में सासबहू के झगड़े सैकड़ों सालों से चले आ रहे हैं. ये विवाद कभी खत्म नहीं हुए और न ही हो सकते हैं. सासबहू की लड़ाई को टीवी की महारानी एकता कपूर ने सीरियल के रूप में घरघर तक नए रूप में पहुंचाया.

संपन्न परिवारों में सास और बहू एकदूसरे को मात देने के लिए कुटिल चालों का तानाबाना बुनती रहती थीं, जिस के चलते टीवी सीरियल की कहानियां लंबी खिंचती जाती थीं. अब इन सीरियलों का दौर भले ही खत्म हो गया, लेकिन वास्तविक जीवन में सासबहू के झगड़े जारी हैं.

आज भी कोई इक्कादुक्का परिवार ही ऐसे होंगे, जहां सास और बहू में आपस में प्रेमप्यार बना हुआ हो. आमतौर पर सास अपनी बहू पर मनमर्जी थोपना चाहती है और बहू आजादी चाहती है. विवाद यहीं से शुरू होता है. यह विवाद कभीकभी इतना बढ़ जाता है कि या तो परिवार टूटने की नौबत आ जाती है या फिर अपराध की. कई बार ऐसे किस्से भी सुनने को मिलते हैं जब सास ने अपनी बहू को मार डाला.

कभी इस के उलट कहानी भी सामने आती है. यह कहानी गुजरात की राजधानी अहमदाबाद शहर की है. अहमदाबाद के गोता इलाके में स्थित पौश आवासीय सोसायटी रौयल होम्स में फर्स्ट फ्लोर पर बने फ्लैट में रामनिवास अग्रवाल का परिवार रहता है. उन का शहर में पत्थर, टाइल्स का बड़ा कारोबार है. बेटा दीपक भी उनके साथ व्यापार में हाथ बंटाता है.

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घरपरिवार में मौज थी. केवल 4 सदस्यों के इस परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. खुद रामनिवास अग्रवाल, उन की पत्नी रेखा बेन, बेटा दीपक और बहू निकिता उर्फ नायरा. रामनिवास की उम्र कोई 55 साल है. उन की पत्नी रेखा करीब 52 साल की थी. बेटा दीपक लगभग 30-32 साल का और बहू निकिता करीब 29 साल की.

दीपक की शादी इसी साल 16 जनवरी को निकिता से हुई थी. निकिता राजस्थान के जिला अजमेर के ब्यावर निवासी सुरेशचंद्र अग्रवाल की बेटी है. रामनिवास भी मूलरूप से राजस्थान के रहने वाले हैं.

उन का परिवार पहले पाली जिले में सुमेरपुर के पास जवाई बांध इलाके में रहता था. बाद में रामनिवास व्यापार के सिलसिले में अहमदाबाद चले गए. वहां उन का कारोबार अच्छा चल गया.

रामनिवास भले ही गुजरात में बस गए थे, लेकिन राजस्थान की माटी से उन का मोह नहीं छूटा था. इसलिए बेटे दीपक के लिए जब राजस्थान के ब्यावर से निकिता का रिश्ता आया, तो उन्होंने घरपरिवार देख कर हामी भर दी.

वैसे भी ब्यावर के रहने वाले सुरेशचंद्र अग्रवाल साधन संपन्न थे. उन का भी अच्छा कारोबार था. पैसों की कोई कमी नहीं थी. निकिता में भी कोई कमी नहीं थी. तीखे नाकनक्श वाली निकिता ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से एमकौम तक की पढ़ाई करने के बाद सिक्किम यूनिवर्सिटी से फायनेंस में एमबीए की डिगरी भी हासिल की थी.

दीपक और निकिता की शादी हो गई. शादी में सुरेशचंद्र अग्रवाल ने दिल खोल कर पैसा खर्च किया. किसी बात की कमी नहीं छोड़ी. पत्नी के रूप में सुंदर और पढ़ीलिखी निकिता को पा कर दीपक भी निहाल हो गया. दीपक भी हैंडसम था. निकिता भी पति के रूप में दीपक को पा कर खुद पर अभिमान करती थी.

अपनों ने दिया धोखा : भाग 1

दोनों का दांपत्य जीवन खुशी से चलने लगा. निकिता की भले ही शादी हो गई थी, लेकिन पीहर से उस का मोह नहीं छूटा था. वह पीहर जाती, तो महीनेबीस दिन में आती. हालांकि इस बीच मार्च में लौकडाउन हो गया था.

लौकडाउन के दौरान निकिता को करीब 3-4 महीने पीहर में ही गुजारने पड़े. उस का कहना था कि ट्रेन और बसें बंद होने तथा एक से दूसरे राज्य में लोगों की आवाजाही पर रोक होने से वह अहमदाबाद नहीं जा सकी थी.

पढ़ीलिखी बहू और गृहिणी सास की नोंकझोंक

बहू निकिता के ज्यादा समय पीहर में रहने से सास रेखा बेन को कोई सुख नहीं मिल पा रहा था. वैसे तो घर में कामकाज के लिए बाई आती थी. फिर भी रेखा बेन चाहती थी कि कोई उस की भी देखभाल करने वाला हो.

बहू उस के कामकाज में हाथ बंटाए. इस बात को ले कर रेखा और निकिता में कई बार खटपट हो जाती थी. दहेज को ले कर भी रेखा उसे ताने मारती और उस के कामकाज में मीनमेख निकालती रहती थी.

वैसे भी आमतौर पर बढ़ती उम्र के लिहाज से हर महिला चाहती है कि जैसे उस ने घर को संवारा है, वैसे ही बहू भी घरपरिवार की जिम्मेदारी संभाले, लेकिन निकिता शादी के बाद आधे से ज्यादा समय पीहर में ही रही थी. ऐसी हालत में रेखा बेन को ही घरपरिवार में खटना पड़ता था. उसी पर पति की जिम्मेदारी थी और बेटे की भी. इसी बीच, अक्तूबर के महीने में निकिता के दादा का निधन हो गया, तो वह फिर अपने मायके चली गई. इस बार भी वह मायके में कुछ ज्यादा दिन रुक गई. ससुर और पति ने कई बार फोन किए, तो वह 21 अक्तूबर को अहमदाबाद लौट आई.

ससुराल आ कर निकिता ने पति और सास को अपने गर्भवती होने की बात बताई. यह सुन कर दीपक तो खुशी से झूम उठा, लेकिन रेखा बेन के माथे पर सिलवटें पड़ गई. रेखा बेन को बहू के गर्भवती होने से कोई खुशी नहीं हुई. उसे शक था कि निकिता के पेट में बेटे दीपक का नहीं बल्कि ससुर रामनिवास का गर्भ है.

रेखा बेन को अपने पति पर भी शक था. उस का शक इसलिए भी था कि ससुर और बहू खूब हंसबोल कर बातें करते थे. मोबाइल पर चैटिंग भी करते थे. हालांकि रेखा बेन ने कभी ससुर और बहू को गलत हरकत करते हुए नहीं देखा, लेकिन उस के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाता रहता था. रेखा पहले से ही बहू से खुश नहीं थी. अब उसे उस के चरित्र पर भी शक होने लगा था. शक ऐसा कीड़ा है, जिस का कोई इलाज नहीं है. रेखा पहले तो दहेज को ले कर और उस के कामकाज तथा पीहर में ज्यादा समय रहने पर ऐतराज उठाती थी. अब वह उस के चरित्र पर भी अंगुली उठाने लगी.

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इस से सासबहू के झगड़े बढ़ गए. रेखा को जब भी मौका मिलता, वह निकिता को ताने मारने से नहीं चूकती. रोजाना दिन में 2-4 बार किसी न किसी बात पर रेखा और निकिता में कहासुनी हो ही जाती थी. रेखा बहू की शिकायत अपने बेटे और पति से करती, तो वह हंस कर टाल देते थे.

इस बीच, रामनिवास कोरोना से संक्रमित हो गया. उसे 24 अक्तूबर को निजी अस्पताल में भरती करा दिया गया. पति के कोरोना संक्रमित होने से रेखा बेन चिड़चिड़ी हो गई.

इस के बाद 27 अक्तूबर की रात करीब 8 बजे की बात है. घर पर केवल रेखा और निकिता ही थी. दीपक अपने टाइल्स, पत्थर के औफिस गया हुआ था. रेखा उस समय रसोई में रात के भोजन की तैयारी कर रही थी.

इसी दौरान रेखा अपनी बहू को ताने मारने लगी. रेखा के हाथ में लोहे का एक पाइप था. वह उस पाइप को निकिता के पेट पर धंसा कर कहने लगी, तेरे पेट में ये जो बच्चा है, वह मेरे बेटे का नहीं बल्कि मेरे पति का है.

बर्दाश्त की हद

बर्दाश्त की हद – भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

निकिता बर्दाश्त नहीं कर पाई

सास के मुंह से ऐसी बातें सुन कर निकिता को गुस्सा आ गया. उस ने रेखा के हाथ से वह पाइप छीन लिया और बिना सोचेसमझे उस के सिर में दे मारा.

50-52 साल की रेखा बेन जवान बहू का विरोध नहीं कर सकी. उस के सिर से खून बहने लगा. वह फर्श पर गिर पड़ी. इस के बाद भी निकिता का गुस्सा शांत नहीं हुआ.  उस ने पाइप से सास के सीने, पेट और चेहरे पर कई वार किए. पाइप के लगातार हमलों को रेखा सहन नहीं कर सकी. उस के शरीर से कई जगह से खून रिसने लगा और थोड़ी ही देर में उस के प्राण निकल गए.

जब निकिता का गुस्सा शांत हुआ, तो वह घबरा गई. उस की सोचनेसमझने की शक्ति जवाब दे गई थी. कुछ देर बैठ कर वह सोचती रही कि अब क्या करे? कुछ देर विचार करने के बाद उस ने सास की हत्या को आत्महत्या का रूप देने की योजना बनाई.

उस ने फ्लैट में ही रेखा के शव पर चादर डाल कर उसे जलाने का प्रयास किया. उसे यह नहीं पता था कि इंसान का शव इतनी आसानी से नहीं जलता. शव नहीं जला, तो वह हताश हो कर अपना सिर पकड़ कर बैडरूम में जा बैठी.

इस बीच, पड़ोसियों ने सासबहू के बीच झगड़े और मारपीट की तेज आवाजें सुनीं, तो उन्होंने रामनिवास के फ्लैट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन निकिता ने दरवाजा नहीं खोला. कई बार घंटी बजाने और कुंडी खटखटाने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो पड़ोसियों ने रामनिवास को फोन किया. रामनिवास अस्पताल में थे. पड़ोसी की बात सुन कर वे चिंतित हो उठे. उन्होंने बेटे दीपक को तुरंत घर जाने को कहा. दीपक उस समय अपना औफिस बंद कर चाणक्यपुरी ब्रिज स्थित मंदिर में हनुमानजी के दर्शन करने गया हुआ था. वह रात करीब साढ़े 9 बजे फ्लैट पर पहुंचा.

उस ने घंटी बजाई, लेकिन निकिता ने गेट नहीं खोला. उस ने गेट की कुंडी भी खटखटाई, लेकिन फिर भी दरवाजा नहीं खुला, तो उस ने मां और बीवी के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन दोनों ने ही फोन नहीं उठाया. उसे लगा कि निकिता ने मां से झगड़े के बाद गेट बंद कर लिया होगा और अब वह गुस्से में गेट नहीं खोल रही है.

मां की लाश देख होश उड़े

थकहार कर उस ने पड़ोसियों की सीढि़यों के रास्ते अपने फ्लैट में जाने की कोशिश की, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली. बाद में उस ने पड़ोसियों से पाइप की बनी सीढ़ी का इंतजाम किया. इस सीढ़ी पर चढ़ कर वह रसोई के रास्ते अपने फ्लैट में पहुंचा. उस की मां का कमरा बंद था. उस ने कमरा खोला, तो मां की खून से लथपथ अधजली लाश देख कर दीपक सहम गया. मां की लाश के पास ही खून से सना लोहे का एक पाइप पड़ा था. निकिता अपने बैडरूम में चुपचाप बैठी थी. उस ने उस से पूछा कि यह सब क्या और कैसे हुआ?

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निकिता ने दीपक को बताया कि मम्मीजी ने पहले उस से झगड़ा किया. फिर वे अपने कमरे में चली गईं. पता नहीं उन्होंने खुद कैसे अपना यह हाल बना लिया? शायद उन्होंने सुसाइड कर लिया.

दीपक को निकिता की बातें गले नहीं उतर रही थीं. अगर रेखा बेन सुसाइड करतीं, तो खून से लथपथ कैसे हो जातीं और फिर उन का शव कैसे जलता? दीपक ने निकिता से पूछा कि घर में कोई और आदमी आया था क्या? निकिता ने मना कर दिया.

दीपक ने रात को ही फोन नंबर 108 पर एंबुलेंस सेवा को फोन किया. एंबुलेंस के साथ आए डाक्टर और चिकित्साकर्मियों ने रेखा बेन की जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया. इस के बाद दीपक ने पुलिस को फोन किया.

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पुलिस उस के फ्लैट में पहुंच गई. पुलिस ने दीपक से पूछताछ की. दीपक ने पिता का फोन आने से ले कर सीढ़ी के रास्ते फ्लैट में चढ़ने और मां का लहूलुहान शव पड़ा होने की सारे बातें बता दीं.

पुलिस ने निकिता से पूछताछ की, तो उस ने वही बातें कहीं, जो दीपक को बताई थीं.

मौके के हालात देख कर पुलिस को भी निकिता की कहानी पर भरोसा नहीं हुआ. रात ज्यादा हो गई थी. फिर भी पुलिस ने रात को ही घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी.

बर्दाश्त की हद – भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

फुटेज में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि दीपक के फ्लैट में बाहर से कोई आदमी आया था. पुलिस ने पंचनामा बना कर शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. मामला संदिग्ध था. इस के लिए निकिता से पूछताछ जरूरी थी. पुलिस उसे थाने ले गई.

दीपक की शिकायत पर सोला थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने मौके से खून से सना लोहे का पाइप बरामद कर लिया था.

पुलिस ने थाने में निकिता से पूछताछ की. वह कहती रही कि सास और उस का झगड़ा हुआ था. इस के बाद सास अपने कमरे में चली गई और अंदर से कमरा बंद कर लिया. बाद में कैसे और क्या हुआ, इस का उसे कुछ पता नहीं है.

निकिता ने पुलिस को बताया कि उस की सास पिछले कुछ सालों से ऐसी बीमारी से पीडि़त थी कि कोई उसे छू ले, तो वह तुरंत नहाती थीं. मैडिकल की भाषा में इस बीमारी को औब्सेसिव कंपजिव डिसऔर्डर (ओसीडी) कहा जाता है. दीपक ने भी अपनी मां के ऐसी बीमारी से ग्रस्त होने की बात मानी.

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पुलिस ने दीपक से उस के घरपरिवार और सासबहू के रिश्तों के बारे में पूछा. इस में पता चला कि रेखा बेन और निकिता में दहेज और घरेलू कामकाज को ले कर झगड़े होते रहते थे. इस पर पुलिस अधिकारियों ने निकिता से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की.

आखिर दूसरे दिन 28 अक्तूबर को सुबह निकिता ने जो बताया, उसे सुन कर पुलिस के अधिकारी भी हैरान रह गए. निकिता ने बताया कि उस की सास पुराने खयालों की थी. वह उसे कभी दहेज पर तो कभी किसी दूसरी बात पर ताने मारती थी. शादी के बाद से ही सास से उस की पटरी नहीं बैठी थी.

अभी जब वह पीहर से ससुराल आई और मम्मीजी को अपने गर्भवती होने की बात बताई, तो उन की त्यौरियां चढ़ गईं. उस दिन तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. ससुरजी के अस्पताल में भरती होने के बाद मम्मीजी मेरे गर्भ को ले कर अनापशनाप बातें कहने लगीं.

उस दिन जब उन्होंने उस से गर्भ ससुर का होने की बात कही, तो गुस्से में वह अपना आपा खो बैठी और उन के हाथ से पाइप छीन कर ताबड़तोड़ हमले किए. इस से उन की मौत हो गई. निकिता ने सास की हत्या करने की बात कबूल कर ली थी.

उस ने पुलिस को बताया कि सास की हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उस ने वहां फैले खून को चादर से साफ किया. फिर शव पर चादर डाल कर आग लगा दी ताकि शव जल जाए, लेकिन शव नहीं जला. इस के बाद उस ने अपने मोबाइल से ससुर के वाट्सएप चैट और मैसेज डिलीट किए.

मोबाइल से मैसेज डिलीट करने की बात सामने आने पर पुलिस ने निकिता के साथ परिवार के चारों लोगों के मोबाइल जब्त कर लिए. इन की जांच की, तो निकिता के मोबाइल में एक मैसेज मिला. 24 अक्तूबर के इस मैसेज में ससुर रामनिवास ने लिखा था कि तुम अभी दीपक से दूर ही रहना.

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स्वीकारोक्ति के बाद

निकिता की स्वीकारोक्ति के बाद पुलिस ने निकिता और उस की सास के खून से सने कपड़े भी जब्त कर लिए. मोबाइल फोन के साथ इन कपड़ों को भी जांच के लिए विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेज दिया गया.

एफएसएल टीम ने भी मौके से साक्ष्य जुटाए. पुलिस ने दूसरे दिन डाक्टरों के मैडिकल बोर्ड से रेखा बेन के शव का पोस्टमार्टम कराया. बाद में दीपक को शव सौंप दिया गया. घर वालों ने रेखा बेन का अंतिम संस्कार कर दिया.

कोरोना जांच में निकिता निगेटिव मिली. इस के बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया. पुलिस ने निकिता को उस के फ्लैट पर ले जा कर वारदात का सीन रिक्रिएट किया.

इस दौरान पुलिस ने यह पता लगाने की कोशिश की कि निकिता और रेखा बेन के बीच झगड़ा कैसे शुरू हुआ होगा. इस के बाद निकिता ने कैसे उस की हत्या की होगी. सीन रिक्रिएट के जरिए पुलिस ने यह बात जानने की भी कोशिश की कि क्या निकिता ने अकेले ही सास की हत्या की या इस में किसी दूसरे आदमी ने भी उस की मदद की? हालांकि पुलिस को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला.

बेटी के हाथों सास की हत्या की सूचना मिलने पर राजस्थान के ब्यावर शहर से निकिता के मातापिता अहमदाबाद पहुंचे. पहले वे समधन रेखा बेन की अंतिम क्रिया में शरीक हुए. बाद में वे सोला पुलिस स्टेशन जा कर हत्या आरोपी बेटी निकिता से मिले.

उसे पुलिस हिरासत में देख कर मांबाप के आंसू बह निकले. निकिता भी रो पड़ी. सुबकते हुए उस ने अपने मातापिता से केवल इतना ही कहा, ‘मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई.’

पुलिस ने जांचपड़ताल के दौरान पड़ोसियों से भी पूछताछ की. उन्होंने बताया कि रेखा और निकिता के बीच आमतौर पर रोजाना ही किसी ना किसी बात पर झगड़ा होता था. उस दिन भी उन्होंने दोनों के बीच झगड़े और मारपीट की तेज आवाजें सुनी थीं. इस के बाद ही रामनिवास को फोन किया था.

कथा लिखे जाने तक पुलिस ने निकिता को जेल भिजवा दिया था. पुलिस यह जानने का प्रयास कर रही थी कि क्या निकिता के अपने ससुर से किसी तरह के संबंध थे? हालांकि पुलिस को एक मोबाइल चैटिंग के अलावा इस बारे में दूसरा कोई प्रमाण नहीं मिला. मोबाइल चैटिंग से भी यह बात साफ नहीं होती कि निकिता के ससुर से किसी तरह के संबंध थे.

बहरहाल, 2 महीने की गर्भवती निकिता अपनी सास की हत्या के आरोप में जेल पहुंच गई. ससुर रामनिवास पर बहू से संबंधों का आरोप लग गया. पति दीपक बीच मंझधार में फंस गया.

उस के सामने संकट आ खड़ा हुआ कि वह पिता पर शक करे या पत्नी पर. निकिता के पेट में किस का गर्भ है, यह तो वही जाने. शक की बुनियाद पर एक खातेपीते संपन्न परिवार के रिश्तों में ऐसी दरार आ गई, जो जिंदगी भर नहीं पाटी जा सकती.

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