उर्फी ने किया शौक्ड, टॉपलेस होकर प्लास्टिक से ढकी बौड़ी

टीवी एक्ट्रेस फेम उर्फी जावेद अपनी यूनिक ड्रेस को लेकर हमेशा मीडिया की लाइमलाइट में रहती हैं. उर्फी जावेद कब किस चीज से अपनी ड्रेस तैयार कर लें कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है. उर्फी जावेद अक्सर अपने अतरंगी ड्रेसिंग सेंस की झलक सोशल मीडिया पर दिखाती रहती हैं. ऐसा उर्फी ने एक बार फिर सबको हैरान कर दिया है. एक ऐसा वीडियो शेयर किया है. जिसे देख सभी शौक्ड़ है.

 

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जी हां, टौपलेस होकर उर्फी ने चम्मचों से अपने बदन को ढ़का है. उर्फी जावेद ने प्लास्टिक के चम्मच का इस्तेमाल कर अपने बदन को कवर किया है. उर्फी जावेद के वीडियो पर लोग जमकर रिएक्शन दे रहे हैं. उर्फी जावेद के फैंस जहा उनकी क्रिएटिविटी की तारीफ कर रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया के तमाम यूजर्स ने उन्हें ट्रोल किया है.

उर्फी जावेद ने शुक्रवार को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि वह अपने साथियों के साथ प्लास्टिक के स्पून की ड्रेस बना रही हैं. इसके बाद उर्फी जावेद टॉपलेस होकर प्लास्टिक स्पून से बनी यूनिक ड्रेस को पहने नजर आ रही हैं. उर्फी जावेद ने अपनी नई ड्रेस के वीडियो के साथ लिखा है, ‘स्पूनफुल’ उर्फी जावेद का बोल्ड अंदाज वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उर्फी जावेद के इस वीडियो पर लोग कमेंट कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा है, ‘समंदर के प्लास्टिक कचरे से बनी जलपरी.’ एक यूजर ने लिखा है, ‘ये जरूर दूसरे गोला से आई है.’ एक यूजर ने लिखा है, ‘बेशर्मी की झाड़ू.’ एक यूजर ने लिखा है, ‘भिखारी.

 

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वर्क फ्रंट की बात करें तो उर्फी जावेद ने साल 2016 में टीवी इंडस्ट्री में शो ‘बड़े भैया की दुल्‍हनिया’ से अपने करियर की शुरुआत की थी. उर्फी जावेद ने कई टीवी शोज में काम किया है.उर्फी जावेद कई रियलिटी शोज में भी नजर आ चुकी हैं. हालांकि, उर्फी जावेद के अपने यूनिक ड्रेसिंग और फैशन सेंस से काफी ज्यादा पॉपुलैरिटी मिली है.

मन्नारा चोपड़ा को सताने पर बोलीं प्रियंका चोपड़ा की मां, ईशा-अंकिता को लगाई फटकार

इन दिनों बिग बौस सीजन 17 का अच्छा खासा बज बन हुआ है टीवी से लेकर सोशल मीडिया पर कंटस्टेंट को लेकर बवाल मचा हुआ है, वही इस बात से तो सभी वाकिफ है. इस शो में ग्लोबल स्टार प्रियंका चोपड़ा की कजिन मनारा चोपड़ा इन दिनों बिग बॉस 17 में छाई हुई हैं. एक्ट्रेस मनारा चोपड़ा का गेम दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है. जिसके बाद एक्ट्रेस ने फिनाले वीक में भी अपनी जगह बना ली है. इसी बीच प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा भी अपने घर की बेटी के समर्थन में आ खड़ी हुई हैं.

 

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आपको बता दें कि बीते दिनों टॉर्चर टास्क के बाद मनारा चोपड़ा और बाकी घरवालों के बीच बड़ा झगड़ा देखने को मिला था. जिसमें मनारा चोपड़ा अपने दोस्त मुनव्वर फारुकी को बचाने के लिए उनकी गोद में बैठी नजर आई थी. जिस पर टीम बी के सदस्य अंकिता, ईशा और आयशा खान ने काफी बवाल मचाया था. इस घटना का एक एडिटेड वीडियो अब मनारा चोपड़ा ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया. इस वीडियो को शेयर कर अदाकारा की टीम ने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘शर्म करो सभी. हम इसे गेम नहीं कहते. हम हर किसी की असलियत यहां देख रहे हैं.’

मनारा चोपड़ा के इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए इस वीडियो पर लोगों ने जमकर कमेंट्स कर रहे है. इसमें  प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा का भी नाम है. उन्होंने इस वीडियो पर कमेंट कर लिखा, ‘हे भगवान. वो बिल्कुल जंगली की तरह बर्ताव कर रहे हैं.’ मनारा चोपड़ा के इंस्टाग्राम पर शेयर किया ये वीडियो अब एंटरटेनमेंट न्यूज वर्ल्ड में छाया हुआ है.

 

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प्रियंका चोपड़ा की मामी की बेटी मनारा चोपड़ा अब शो के फिनाले में पहुंच गई हैं. वो टॉर्चर टास्क में अपनी परफॉर्मेंस से लोगों का दिल जीत ले गईं. इसके साथ ही अब वो टॉप 5 कंटेस्टेंट्स की लिस्ट का हिस्सा बन गई हैं. मनारा चोपड़ा को उनके परिवार से लेकर फैंस भी खूब सपोर्ट कर रहे हैं. इसके साथ ही अब हर किसी की नजर मनारा चोपड़ा पर टिकी है. क्या वो बिग बॉस 17 का विनर बन पाएंगी या नहीं. ये बात हर किसी के बीच उत्सुकता पैदा कर रही है.

तंत्रमंत्र से पत्नी की मौत

कई बार कोई जानलेवा बीमारी किसी इनसान को तंत्रमंत्र के रास्ते पर ले जाती है. आज हम भले ही मौडर्न जमाने में जीने की बातें करते हों, फिर भी समाज में अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी हैं कि लोग कई बार इलाज कराने के बदले तंत्रमंत्र के चक्कर में पड़ जाते हैं और आखिर में नतीजा उन की बरबादी के रूप में ही सामने आता है.

एक ऐसे ही मामले में गरीब आटोरिकशा ड्राइवर को पैर की बीमारी से पीडि़त अपनी पत्नी का 6 महीने तक इलाज कराने पर भी जब कोई नतीजा हाथ न लगा, तो उस ने तंत्रमंत्र का सहारा लिया, जो उस की पत्नी के लिए जानलेवा साबित हुआ.

दरअसल, आनंदनगर चार रास्ता के कृष्ण अपार्टमैंट्स में रहने वाले देशराजभाई सरोज की पत्नी खुशियाल

6 महीने से पैर के दर्द से परेशान थी. पहले तो फैमिली डाक्टर से दवा ली, बाद में प्राइवेट अस्पताल मेें इलाज कराया, लेकिन पैर के दर्द से राहत न मिली.

इस से देशराज और खुशियाल बहुत परेशान हो गए. इस दौरान उन को किसी ने बताया कि शायद गठिया का दर्द होगा. उन को पता चला कि जूना वाडज में गठिया की बीमारी का इलाज होता है.

देशराज अपनी पत्नी खुशियाल को रविवार के दिन सुबह जूना वाडज में गठिया के इलाज के लिए ले गया. वहां मिले आदमी ने खुशियाल को शाहपुर में कालू शहीद की दरगाह पर ले जाने की सलाह दी.

देशराज और खुशियाल को तो जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया. कालू शहीद की दरगाह पर खुशियाल के ऊपर तंत्रमंत्र का काम शुरू हो गया.

खुशियाल को एक कमरे में ले जाया गया. कमरे का दरवाजा बंद कर दिया गया. बाद में अंदर जलते कोयले में लाल रंग का कोई पाउडर डाल कर इलाज  शुरू हुआ.

इस दौरान खुशियाल बेहोश हो गई. थोड़ी देर बाद उस आदमी ने खुशियाल को घर ले जाने को कहा और यह भी कहा कि वह जल्दी ही ठीक हो जाएगी.

देशराज अपनी पत्नी खुशियाल को आटोरिकशा में घर ले जा रहा था, तब रास्ते में ही उस की हालत बिगड़ने लगी.

खुशियाल का इलाज पहले जिस अस्पताल में चल रहा था, उसे वहां ले जाया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर ने खुशियाल को मरा हुआ बता दिया.

यह सुन कर देशराज की तो मानो दुनिया ही लुट गई. अपनी पत्नी की मौत से दुखी और गुस्साए देशराज ने आनंदनगर पुलिस स्टेशन में तंत्रमंत्र करने वाले शख्स के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई.

देशराज को इंसाफ मिलेगा या नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन उस ने तंत्रमंत्र के चक्कर में पड़ कर अपनी पत्नी को जरूर खो दिया.

तालिबान ने लड़कियों से ज्यादा पढ़ने का हक छीना

भा रत की केंद्र सरकार कितना ही गरीबों की भलाई की स्कीमों का ढोल पीट ले, पर एक कड़वी हकीकत यह भी है कि आज भी गरीबी और सामाजिक भेदभाव के चलते दलित और आदिवासी बच्चियों की पढ़ाई छोड़ने की दर सब से ज्यादा है. सरकारी स्कूलों में ऐसी बच्चियों के साथ मिड डे मील परोसने तक में भेदभाव किया जाता है.

कितनी हैरत और शर्म की बात है कि देश आजाद होने के इतने साल बाद आज भी कोई बच्चा नाम और जाति सब से पहले सीखता है और दूसरे बच्चे किस जाति के हैं, यह भी वह अपनेआप सीख जाता है. यही फर्क आगे स्कूली जीवन में भी दिखता है, तभी तो वंचित समाज की लड़कियां जल्दी पढ़ाई छोड़ देती हैं और उन के घर बैठने से या तो वे बाल मजदूरी करती हैं या फिर जल्दी ही कम उम्र में ब्याह दी जाती हैं.

पर भारत का पड़ोसी देश अफगानिस्तान तो एक कदम और आगे निकल गया है. आप ही सोचिए कि सालभर पढ़ाई करने के बाद जब कोई बच्चा इम्तिहान पास करता है, तो नई जमात में पहुंचने का जोश और खुशी हद पर होती है. भविष्य के सुंदर सपने आंखों में तैरते हैं, मगर अफगानिस्तान में छठी जमात पास करने वाली लड़कियों की आंखों में आंसू हैं. वजह, अफगानिस्तान का दमनकारी तालिबानी शासन छठी जमात के बाद लड़कियों को आगे पढ़ने की इजाजत नहीं देता.

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रहने वाली 13 साला सेतायेश साहिबजादा अपने भविष्य को ले कर चिंतित है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए स्कूल न जा पाने के चलते उदास है.

सेतायेश साहिबजादा कहती है, ‘‘मैं अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती. मैं टीचर बनना चाहती थी, लेकिन अब मैं पढ़ नहीं सकती, स्कूल नहीं जा सकती.’’

13 साल की बहारा रुस्तम काबुल के बीबी रजिया स्कूल में 11 दिसंबर, 2023 को आखिरी बार स्कूल गई थी. उसे पता है कि उसे अब आगे पढ़ने का मौका नहीं दिया जाएगा. तालिबान के राज में वह फिर से क्लास में कदम नहीं रख पाएगी. उस की सारी सहेलियां छूट जाएंगी. अब वह उन के साथ खेल नहीं पाएगी. उन से अपने सुखदुख नहीं बांट पाएगी.

लड़कियों की पढ़ाई पर रोक

अफगानी लड़कियां तालिबानी शासन, जो शरीयत पर चलता है, के तहत छठी जमात पास करने के बाद घरों में कैद कर दी जाएंगी. उन की शादी हो जाएगी, फिर वे बच्चे पैदा करेंगी, नौकरों की तरह ताउम्र किसी दूसरे के घर के काम करेंगी, मारीपीटी जाती रहेंगी, फिर एक दिन मर कर जलील जिंदगी से छुटकारा पा लेंगी.

अफगानी औरतें एक ऐसी जिंदगी जी रही हैं, जहां वे अपना कोई फैसला नहीं ले सकती हैं. किसी के आगे अपनी कोई राय नहीं रख सकती हैं. अपनी मरजी से कोई काम नहीं कर सकती हैं. उन्हें कोई हक नहीं है. वे सार्वजनिक जगहों पर नहीं जा सकतीं. उन्हें नौकरियों से बैन कर उन के घरों तक ही सिमटा दिया गया है.

अफगानिस्तान में इस साल लड़कियों व औरतों की एक पीढ़ी से पढ़ाईलिखाई का हक छीन लिया गया है. अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो अफगानिस्तान में महिला डाक्टर, महिला नर्सें नहीं होंगी. महिलाओं की गर्भ संबंधी दिक्कतों का इलाज, बच्चे की डिलीवरी सब अशिक्षित घरेलू दवाएं करेंगी. वे बचेंगी या मरेंगी, इस की चिंता किसी को नहीं है. शरीयत का शासन अफगानी औरतों की जिंदगी को उस काल में धकेल रहा है, जब इनसान जंगलों में रहा करता था.

धर्म की सत्ता

धर्म की बुनियाद पर खड़े हुए देश और दुनिया में जहां भी धर्म सत्ता चला रहा है, उस देश और समाज में औरतों की औकात दासी की है. वे सिर्फ आदमी के हुक्म की गुलाम हैं. आदमी औरत को घर में कैद कर के रखे, जब चाहे उस के जिस्म को रौंदे, सालदरसाल उस से बच्चे पैदा करवाए, यह आदमी के लिए धर्मसम्मत है. वह हुक्म देता है कि औरत उस का घर साफ करे, उस के लिए लजीज खाना पकाए, बरतन मांजे, उस के बच्चे पाले, उस के घर वालों की खिदमत करे और अगर उस ने इस में कहीं कोई कोताही दिखाई, तो आदमी हंटरों की मार से उस का पूरा जिस्म लहूलुहान कर दे या उसे गोली से उड़ा दे, इस की इजाजत धर्म देता है.

औरत के लिए धर्म से बड़ा दुश्मन कोई नहीं है. अपनी बीवी का दूसरे मर्द से बलात्कार कराने का रास्ता धर्म बताता है. अपनी पत्नी को गर्भावस्था में छोड़ देने और उसे जंगल जाने के लिए मजबूर करने पर धर्म पुरुष की बुराई नहीं करता, बल्कि उसे पुरुषोत्तम बना देता है. एक स्त्री को भरी सभा में नंगा करने पर तमाम धार्मिक लोगों की जबान तालू से चिपक जाती है.

बड़ेबड़े हथियार उठाने वाले सूरमाओं के हाथों को लकवा मार जाता है, नसों का खून बर्फ हो जाता है. धर्म के हाथों औरत की इस बदहाली की कहानियों से धर्मग्रंथ भरे पड़े हैं और मूर्ख औरतें ऐसे धर्मग्रंथों को सिर पर उठाए फिरती हैं.

अफगानिस्तान में जब तालिबानी अपना दबदबा कायम करने की कोशिशों में थे, तब शरीयत का शासन चाहने वालों में औरतें भी शामिल थीं. हैरानी होती है कि जिस धर्म को हथियार बना कर प्राचीनकाल से मर्द औरत पर हावी रहा, उस पर जोरजुल्म करता रहा, उस को अपना गुलाम बनाए रखा, उस धर्म का त्याग करने के बजाय औरत दिनरात उस के महिमामंडन और प्रसार में क्यों लगी है?

दुनियाभर में चाहे कोई भी धर्म हो, औरतें बढ़चढ़ कर खुशीखुशी सारे कर्मकांडों को पूरा करती हैं. क्या औरतों को आज तक यह समझ में नहीं आया कि धर्म की जंजीरों में उन की खुशहाली और आजादी दम तोड़ रही हैं? क्या औरत कभी यह बात समझोगी कि अनपढ़ लोग कभी भी आजाद और खुशहाल नहीं हो सकते? फिर वह अफगानिस्तान हो या भारत.

मैं मैरिड हूं पर अपने कॉलेज फ्रेंड से बात करती हूं, क्या मैं सही कर रही हूं?

सवाल

कालेजटाइम से एक लड़के से प्यार करती थी. मुझे वह सपनों का राजकुमार लगता था लेकिन उस से कभी अपनी फीलिंग्स बता नहीं सकी. जैसे ही मेरी कालेज की पढ़ाई खत्म हुई, घरवालों ने मेरी शादी करवा दी. मेरे पति बहुत अच्छे हैं, मुझे हद से ज्यादा प्यार करते हैं. मैं भी उन के साथ बहुत मजे में जी रही थी कि एक दिन हमारे फ्रैंड्स व्हाट्सऐप ग्रुप में वह लड़का भी शामिल हो गया. धीरेधीरे वह मुझे पर्सनल व्हाट्सऐप मैसेज भेजने लगा.

वह मुझसे खुलने लगा है. मुझे उस का खुलापन भाने लगा है. दिल में फिर से वही पुरानी कालेज वाली प्यार की उमंगें जागने लगी हैं. वह भी अब शादीशुदा है लेकिन उस का कहना है कि अगर हमें एकदूसरे से बात करना अच्छा लगता है तो इस में बुराई क्या है और महीने में एकदो बार मिल कर अपने दबे अरमान पूरे कर लें तो क्या हर्ज है. मुझमें इतनी हिम्मत नहीं कि इतना बड़ा कदम उठाऊं. लेकिन मन में दबा प्यार बारबार जोखिम उठाने को प्रेरित कर रहा है. आप ही बताएं कि क्या करूं? क्या सही है और क्या गलत?

जवाब

यह बात तो हम भी मानते हैं कि जिंदगी में हुआ पहला प्यार भुलाया नहीं जाता, मगर आप जिंदगी में बहुत आगे निकल चुकी हैं. शादीशुदा हैं और आप खुद कह रही हैं कि पति आप से बेहद प्यार करते हैं तो फिर क्यों अपने हाथों अपनी प्यारभरी गृहस्थी में जहर घोलना चाहती हैं. आप का फ्रैंड कैसा है, कैसा नहीं, हमें नहीं पता लेकिन इतना जरूर है कि वह जानते  हुए भी गलत काम कर रहा है और आप को भी उकसा रहा है.

यदि वह वाकई एक समझदार व्यक्ति है तो उसे आप के साथ हैल्दी फ्रैंडशिप वाला रिलेशन रखना चाहिए. दोस्त वे होते हैं जो दोस्त को सही राह दिखाएं. आप दोनों की अपनीअपनी गृहस्थी है, उस में खुश रहें. हैल्दी फ्रैंडशिप रखें जो जीवन की एकरसता दूर कर मन को सुकून और प्रेरणा दे.

शारीरिक रूप से जुड़ कर आप इस रिश्ते के साथसाथ अपने वैवाहिक रिश्ते के साथ भी अन्याय करेंगी. इसलिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं, साफसाफ और बिना देर किए अपने फ्रैंड को अपना फैसला सुना दें और अपनी खुशहाल शादीशुदा जिंदगी पर अपना ध्यान केंद्रित करें. वहीं अपनी खुशियों को तलाशें. मृगतृष्णा के पीछे मत भागिए. सम झदारी इसी में है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

 सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

 

9 टिप्स: सैक्स लाइफ को ऐसे बनाएं बेहतर

Sex Tips: ऐसा अकसर देखने में आता है कि पतिपत्नी सहवास के दौरान एकदूसरे की इच्छा और भावना को नहीं समझते. वे बस एक खानापूर्ति करते हैं. लेकिन वे यह बात भूल जाते हैं कि खानापूर्ति से सैक्सुअल लाइफ तो प्रभावित होती ही है, पतिपत्नी के संबंधों की गरमाहट भी धीरेधीरे कम होती जाती है. ऐसा न हो इस के लिए प्यार और भावनाओं को नजरअंदाज न करें. अपने दांपत्य जीवन में गरमाहट को बनाए रखने के लिए आगे बताए जा रहे टिप्स को जरूर आजमाएं.

पत्नी की इच्छाओं को समझें

सागरपुर में रहने वाली शीला की अकसर पति के साथ कहासुनी हो जाती है. शीला घर के कामकाज, बच्चों की देखभाल वगैरह से अकसर थक जाती है, लेकिन औफिस से आने के बाद शीला के पति देवेंद्र उसे सहवास के लिए तैयार किए बिना अकसर यौन संबंध बनाते हैं. वे यह नहीं देखते कि पत्नी का मन सहवास के लिए तैयार है या नहीं.

सैक्सोलौजिस्ट डा. कुंदरा के मुताबिक, ‘‘महिलाओं को अकसर इस बात की शिकायत रहती है कि पति उन की इच्छाओं को बिना समझे सहवास करने लगते हैं. लेकिन ऐसा कर के वे केवल खुद की इच्छापूर्ति करते हैं. पत्नी और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती. आगे चल कर इसी बात को ले कर आपसी संबंधों में कड़वाहट पैदा होती है.

‘‘पति को चाहिए कि सैक्स करने से पहले पत्नी की इच्छा को जाने. उसे सैक्स के लिए तैयार करे. तभी संबंधों में गरमाहट बरकरार रहती है.’’

करें प्यार भरी बातें

एक हैल्दी सैक्सुअल लाइफ के लिए बेहद जरूरी है कि यौन संबंध बनाने से पहले पत्नी से प्यार भरी बातें जरूर की जाएं. कोई समस्या हो तो उस का हल निकालें. पत्नी से बातोंबातों में पता करें कि वह सैक्स में क्या सहयोग, क्या नवीनता चाहती है.

जयपुर के संजय और रूपाली का विवाह 2007 में हुआ. शादी के कुछ सालों तक संजय रूपाली के साथ खुल कर यौन संबंध बनाते रहे. लेकिन इधर 1 साल से वे रूपाली के साथ सैक्स संबंध बनाने से कतराने लगे हैं. रूपाली कहती है कि संजय गाहेबगाहे शारीरिक संबंध बनाते तो हैं, लेकिन बाद में उस से अलग हो कर सोने लगते हैं.

दरअसल, संजय की नजरों में यौन संबंध केवल पुरुष की भूख है, इसलिए रूपाली चाह कर भी संजय को भरपूर सहयोग नहीं कर पाती है.

मनोचिकित्सक डा. दिनेश त्यागी का मानना है कि एक अच्छे सहवास सुख के लिए आवश्यक है कि पतिपत्नी आपस में सैक्स के दौरान प्यार भरी बातें करें. यदि ऐसा नहीं हो तो पत्नी को लगता है कि पति को केवल सैक्स की ही भूख है, प्यार की नहीं. इसलिए प्यार भरी बातों को नजरअंदाज न करें.

स्थान व समय को बदलें

दिल्ली के ही नवीन का कहना है कि यदि वे रोजरोज पत्नी के साथ यौन संबंध नहीं बनाएंगे तो दूसरे दिन औफिस में तरोताजा हो कर काम नहीं कर पाएंगे. लेकिन उन की पत्नी को कोई मजा नहीं आता है, क्योंकि यह रोज के ढर्रे जैसी बात बन गई है. उस में कोई भी नवीनता नहीं रहती.

डा. कुंदरा कहते हैं कि सहवास का भरपूर आनंद उठाने के लिए कभी सोफा, कभी फर्श, कभी कालीन तो कभी छत पर और अगर घर में झूला लगा हो तो झूले पर, नहीं तो लौन पर चटाई बिछा कर सैक्स का आनंद लिया जा सकता है. पत्नियां सैक्स को प्यार से जोड़ती हैं. प्यार के इस अनुभव को वे घर के अलगअलग स्थानों पर अलगअलग समय पर नएनए तरीके से करना चाहती हैं. लेकिन अकसर पति यह बात समझ कर भी नहीं समझते.

शुरुआत धीरे धीरे करें

डा. कुंदरा यह भी कहते हैं कि कई पत्नियों की यह शिकायत रहती है कि उन के पति सहवास की शुरुआत धीरेधीरे न कर के उन्हें बिना उत्तेजित किए जल्दीबाजी में करते हैं. जबकि सहवास की शुरुआत धीरेधीरे विभिन्न सैक्स मुद्राओं जैसे गालों को काटना, सैक्स के हिस्सों पर थप्पड़ लगाना आदि को अपना कर ही करनी चाहिए और उस के बाद ही सैक्स सुख का आनंद लेना चाहिए.

फोर प्ले का आनंद उठाएं

पति को चाहिए कि वह पत्नी के साथ चुंबन, आलिंगन, उसे सहलाना, केशों में उंगलियां फेरना, अंगों को स्पर्श करना वगैरह की अहमियत को समझे. ऐसा कर के वह पत्नी को उत्तेजित कर के मानसिक और शारीरिक रूप से सहवास के लिए तैयार करे. पत्नी का और्गेज्म तक पहुंचना जरूरी होता है. और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाने के कारण घर में अकसर तनाव का माहौल पैदा हो जाता है, जो आपसी संबंधों में दिक्कतें भी पैदा करता है. एक सर्वे के मुताबिक 55% लोगों का मानना है कि सैक्स के दौरान जो आनंदमयी क्षण आते हैं, उन का अनुभव बेहद महत्त्वपूर्ण है.

बराबर का साथ दें

डा. कुंदरा के अनुसार, ‘‘सैक्सुअल लाइफ बेहद रोमांटिक तभी बन पाती है, जब पतिपत्नी सैक्स संबंध बनाते समय बराबर का साथ दें. सहवास के दौरान 70% महिलाएं बिस्तर पर चुपचाप ही पड़ी रहती हैं. पुरुष ऐसी महिलाओं को पसंद नहीं करते. सहवास के दौरान बराबर का साथ पति पसंद करते हैं. यदि पत्नी ऐसा करती है तो सैक्स का आनंद और भी ज्यादा बढ़ जाता है.’’

दिल्ली की जनकपुरी की रेशमा 48 साल की और उन के पति 54 साल के हो गए हैं, लेकिन हफ्ते में 1-2 बार दोनों खुल कर यौन संबंध बनाते हैं. एकदूसरे के लिए रोमांटिक बने रह कर वे खुल कर उस का आनंद उठाते हैं.

फालतू बातों को तूल न दें

मैरिज काउंसलर एन.के. सूद कहते हैं कि पतिपत्नी जब भी यौन संबंध बनाएं, पत्नी घर की समस्याओं या शिकायतों का पिटारा खोल कर न बैठे. सारिका जब भी रमेश के साथ सहवास करती थी, कोई न कोई शिकायत ले कर बातें शुरू कर देती थी. इस से रमेश असहज हो जाता था. आगे चल कर इन की समस्या इतनी बढ़ गई कि इन्हें आपसी संबंधों को सहज बनाने के लिए मैरिज काउंसलर की सहायता लेनी पड़ी.

संबंधों में गरमाहट बनी रहे इस के लिए ऐसी बातों को तूल न दे कर सैक्स लाइफ को ऐंजौय करें. पति का साथ दें, उन के साथ बिस्तर पर सक्रिय बनी रहें.

सैक्सी कपड़ों में लुभाएं

कोटा में रहने वाली राधा गोरी और खूबसूरत नैननक्श वाली है. लेकिन वह अपने पति महेंद्र के पास उन्हीं कपड़ों में जाती है, जो उस ने सुबह से पहने होते हैं. राधा को तरोताजा न देख कर महेंद्र सहवास में ढंग से सहयोग नहीं कर पाते हैं.

पति को लुभाने व उत्तेजित करने के लिए सैक्सी ड्रैस व हौट लुक में अपने पार्टनर को ऐसा सरप्राइज दें कि यौन संबंधों में नवीनता तो आए ही, सहवास सुखद भी बने. ऐसा होने से पतिपत्नी का आपसी विश्वास व प्यार भी बराकरार रहता है.

नए नए प्रयोग करें

डा. कुंदरा कहते हैं कि अकसर पुरुष सैक्स को ले कर ज्यादा ही उत्साहित होते हैं. वे नएनए आसनों का प्रयोग कर सहवास को सुखद बनाते हैं. लेकिन पत्नी यदि किसी तरीके को अनकंफर्टेबल महसूस करे तो पति को बताए जरूर.

बहुत सी महिलाएं यौन संबंध बनाते वक्त नएनए प्रयोगों से घबराती हैं. वे ऐसा न कर के पति के साथ सहवास में प्रयोग करें. उम्र कोई बाधा नहीं, दिलदिमाग और शरीर को स्वस्थ रखने और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने में नए प्रयोग हमेशा मददगार ही साबित होते हैं.

अपने जैसे लोग : नीरज के मन में कैसी थी शंका

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मुहब्बत पर फतवा: रजिया की कहानी

रजिया को छोड़ कर उस के वालिद ने दुनिया को अलविदा कह दिया. उस समय रजिया की उम्र तकरीबन 2 साल की रही होगी. रजिया को पालने, बेहतर तालीम दिलाने का जिम्मा उस की मां नुसरत बानो पर आ पड़ा.

खानदान में सिर्फ रजिया के चाचा, चाची और एक लड़का नफीस था. माली हालत बेहतर थी. घर में 2 बच्चों की परवरिश बेहतर ढंग से हो सके, इस का माकूल इंतजाम था. अपने शौहर की बात को गांठ बांध कर नुसरत बानो ने दूसरे निकाह का ख्वाब पाला ही नहीं. वे रजिया को खूब पढ़ालिखा कर डाक्टर बनाने का सपना देखने लगीं.

‘‘देखो बेटी, तुम्हारी प्राइमरी की पढ़ाई यहां हो चुकी है. तुम्हें आगे पढ़ना है, तो शहर जा कर पढ़ाई करनी पड़ेगी. शहर भी पास में ही है. तुम्हारे रहनेपढ़ाने का इंतजाम हम करा देंगे, पर मन लगा कर पढ़ना होगा… समझी?’’ यह बात रजिया के चाचा रहमत ने कही थी.

दोनों बच्चों ने उन की बात पर अपनी रजामंदी जताई. अब रजिया और उस के चाचा का लड़का नफीस साथसाथ आटोरिकशे से शहर पढ़ने जाने लगे. दोनों बच्चे धीरेधीरे आपस में काफी घुलमिल गए थे. स्कूल से आ कर वे दोनों अकसर साथसाथ रहते थे.

अचानक एक दिन बादल छाए, गरज के साथ पानी बरसने लगा. रजिया ने आटोरिकशे वाले से जल्दी घर चलने को कहा. इस पर आटोरिकशा वाले ने कुछ देर बरसात के थमने का इंतजार करने को कहा, पर रजिया नहीं मानी और जल्दी घर चलने की जिद करने लगी.

भारी बारिश के बीच तेज रफ्तार से चल रहा आटोरिकशा अचानक एक मोड़ पर आ कर पलट गया. ड्राइवर आटोरिकशा वहीं छोड़ कर भाग गया.

रजिया आटोरिकशा के बीच फंस गई, जबकि नफीस यह हादसा होते ही उछल कर दूर जा गिरा. उस ने बहादुरी से पीछे आ रहे अनजान मोटरसाइकिल वाले की मदद से आटोरिकशे में फंसी रजिया को बाहर निकाला.

‘‘मामूली चोट है. उसे 2-3 दिन अस्पताल में रहना होगा,’’ डाक्टर ने कहा.

‘‘ठीक है. आप भरती कर लें डाक्टर साहब,’’ रजिया के चाचा रहमत ने कहा.

नफीस अपने परिवार वालों के साथ रजिया की तीमारदारी में लग गया. परिवार वाले दोनों के प्यार को देख कर खुश होते.

‘‘नफीस, अब तुम सो जाओ. रात ज्यादा हो गई है. मुझे जब नींद आ जाएगी, तो मैं भी सो जाऊंगी,’’  रजिया ने कहा.

‘‘नहीं, जब तक तुम्हें नींद नहीं आएगी, तब तक मैं भी जागूंगा,’’ नफीस बोला.

नफीस ने रजिया की देखरेख में कोई कसर नहीं छोड़ी. उस की इस खिदमत से रजिया उसे अब और ज्यादा चाहने लगी थी.

‘‘अम्मी देखो, मैं और नफीस मैरिट में पास हो गए हैं.’’

अम्मी यह सुन कर खुश हो गईं. थोड़ी देर के बाद वे बोलीं, ‘‘अब तुम दोनों अलगअलग कालेज में पढ़ोगे.’’

‘‘पर, क्यों अम्मी?’’ रजिया ने पूछा.

‘‘तुम डाक्टर की पढ़ाई करोगी और नफीस इंजीनियरिंग की. दोनों के अलगअलग कालेज हैं. अब तुम दोनों एकसाथ थोड़े ही पढ़ पाओगे. नफीस के अब्बू उसे इंजीनियर बनाना चाहते हैं. हां, पर रहोगे एक ही शहर में,’’ अम्मी ने रजिया को प्यार से समझाया.

‘‘ठीक है अम्मी,’’ रजिया ने छोटा सा जवाब दिया.

उन दोनों का अलगअलग कालेज में दाखिला हो गया. दाखिला मिलते ही वे दोनों अलगअलग होस्टल में रहने लगे. एक रात अचानक 11 बजे नफीस के मोबाइल फोन की घंटी बजी.

‘‘नफीस, सो गए क्या?’’ रजिया ने पूछा.

‘‘नहीं रजिया, तुम्हारी याद मुझे बेचैन कर रही है. साथ ही, अम्मीअब्बू और बड़ी अम्मी की याद भी आ रही है,’’ कह कर नफीस सिसक उठा.

‘‘जो हाल तुम्हारा है, वही हाल मेरा भी है. कैसे बताऊं कि दिनरात तुम्हारे बिना कैसे गुजर रहे हैं,’’ रजिया बोली.

वे दोनों बहुत देर तक बातें करते रहे और फिर ‘शब्बाखैर’ कह कर सो गए.

‘‘मैडम, यह मेरे देवर का लड़का नफीस है. अब तक इन दोनों बच्चों ने साथसाथ खेलकूद कर पढ़ाई की है. अब ये परिवार से दूर अलगअलग रहेंगे. अगर नफीस अपनी बहन से मिलने आता है, तो इसे आप मिलने की इजाजत दे दें. इस बाबत आप वार्डन को भी बता दें, तो आप की मेहरबानी होगी,’’ रजिया की अम्मी ने कालेज की प्रिंसिपल से कहा.

‘‘ठीक है, पर हफ्ते में सिर्फ छुट्टी के दिन रविवार को ही मिल सकते हैं,’’ प्रिंसिपल ने कहा.

‘‘जी ठीक है, हमें मंजूर है.’’

रविवार का इंतजार करना नफीस को भारी पड़ता था. रविवार आते ही वह रजिया से मिलने उस के होस्टल मोटरसाइकिल से पहुंच जाता था. वे दोनों घंटों बैठ कर बातें करते थे.

जातेजाते नफीस होस्टल के गेटकीपर को इनाम देना नहीं भूलता था. वह वार्डन को भी तोहफे देता था.

एक बार नफीस अपने दोस्त के साथ रजिया से मिलने पहुंचा और बोला, ‘‘रजिया, यह मेरा दोस्त अमान है. हम दोनों एक ही कमरे में रहते हैं.’’

‘‘अच्छा, आप कहां के रहने वाले हैं?’’ रजिया ने अमान से पूछा.

‘‘जी, आप के गांव के पास का.’’

इस तरह नफीस ने अमान का परिचय करा कर उस की खूब तारीफ की.

अब तो अमान भी रजिया से मिलने नफीस के साथ आ जाता था. वे एकदूसरे से इतने घुलमिल गए, जैसे बरसों की पहचान हो. ‘‘रजिया, क्या तुम नफीस को चाहती हो?’’ अमान ने अकेले में रजिया से पूछा.

‘‘हां, कोई शक?’’ रजिया बोली.

‘‘नहीं,’’ अमान ने कहा.

अमान इस फैसले पर नहीं पहुंच पा रहा था कि उन का प्यार दोनों भाईबहन जैसा था या प्रेमीप्रेमिका जैसा.

समय का पहिया घूमा. रजिया के एकतरफा प्यार में डूबा अमान उसे पा लेने के सपने संजोने लगा. इम्तिहान खत्म हो गए थे. बुलावे पर रजिया की मां उसे घर में अपने देवर के भरोसे छोड़ कर मायके चली गई थीं.

टैलीविजन देखने के बहाने नफीस देर रात तक रजिया के कमरे में रहा. ज्यादा रात होने पर रजिया ने कहा, ‘‘तुम यहीं बाहर बरामदे में सो जाओ. मुझे अकेले में डर लगता है.’’

नफीस बरामदे में अपना बिस्तर डाल कर सोने की कोशिश करने लगा, पर आंखों में नींद कहां. वह तो रजिया के प्यार के सपने बुनने लगा था. रात बीतती जा रही थी.

नफीस को अचानक अंदर से रजिया के कराहने की आवाज आई. वह बिस्तर से उठ बैठा. दरवाजे के पास जा कर जोर से दरवाजा खटखटाया. दरवाजा पहले से खुला था. वह अंदर गया.

नफीस ने घबरा कर पूछा, ‘‘क्या हुआ रजिया?’’

‘‘पेट में दर्द हो रहा है,’’ रजिया ने कराहते हुए कहा.

‘‘मैं अम्मी को बुला कर लाता हूं,’’ सुन कर नफीस ने कहा.

‘‘नहीं, अम्मी को बुला कर मत लाओ. मैं ने दवा खा ली है. ठीक हो जाऊंगी. किसी को भी परेशान करने की जरूरत नहीं है… तुम मेरे पास आ कर बैठो. जरा मेरे पेट को सहलाओ. इस से शायद मुझे राहत मिले.’’

नफीस उस के पेट को सहलाने लगा. नफीस के हाथ की छुअन पाते ही रजिया के मन में सैक्स उभरने लगा.

इधर नफीस भी आंखें बंद कर के पेट सहलाता जा रहा था, तभी रजिया ने नफीस का हाथ पकड़ कर अपने उभारों पर रख दिया. नफीस के हाथ रखते ही वह गुलाब की तरह खिल उठी.

‘‘जरा जोर से सहलाओ,’’ रजिया अब पूरी तरह बहक चुकी थी. उस ने एक झटके से नफीस को खींच कर अपने बगल में लिटा लिया और ऊपर से रजाई ढक ली.

और वह सबकुछ हो गया, जिस की उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.

उधर अमान को भी रजिया की जुदाई तड़पा रही थी. जब उस से रहा नहीं गया, तो वह नफीस से मिलने के बहाने उस के गांव जा पहुंचा. नफीस ने उस की खूब खातिरदारी की. वह रजिया से भी मिला.

अमान ने रजिया से उस का मोबाइल नंबर मांगा, पर रजिया ने बहाना बना कर नहीं दिया, न ही फोन पर बात करने को कहा. अमान भारी मन से लौट गया.

पढ़ाई का यह आखिरी साल था. नफीस की उम्र 21 साल की होने जा रही थी, वहीं रजिया 18वां वसंत पार कर 19वें की ओर बढ़ रही थी. उस की बोलचाल किसी को भी अपना बनाने के लिए दावत देती थी.

बादलों के बीच चमकती बिजली सी जब वह घर से बाहर निकलती, तो कई उस के दीवाने हो जाते. कालेज खुल चुके थे. वे दोनों अपनेअपने होस्टल में पहुंच चुके थे.

एक दिन रजिया ने अपनी प्रिंसिपल से कहा, ‘‘मैडम, हमें बाहर खाना खाने के लिए 2 घंटे का समय मिलना चाहिए, क्योंकि होस्टल में शाकाहारी खाना मिलता है और हम…’’

‘‘ठीक है, रविवार को चली जाया करो,’’ प्रिंसिपल ने अपनी रजामंदी दे दी.

इस के बाद नफीस और रजिया मोटरसाइकिल पर सवार हो कर एक होटल पहुंच गए. नफीस ने पहले ही वहां एक कमरा बुक करा रखा था.

अब तो सिलसिला चल पड़ा और वे दोनों अपने तन की प्यास बुझाने होटल आ जाते थे. एक दिन अमान भी होटल में नफीस और रजिया को देख कर पहुंच गया. ‘‘मैनेजर, अभीअभी एक लड़का और एक लड़की आप के होटल में आए हैं. वे किस कमरे में ठहरे हैं?’’ अमान ने पूछा.

‘‘मुझे पता नहीं. कई लोग आतेजाते हैं. आप खुद देख लो,’’ मैनेजर ने कहा.

अमान ने सारा होटल देख डाला, पर उसे वे दोनों नहीं मिले. अब अमान की जिज्ञासा और बढ़ गई.

अगले दिन अमान ने नफीस से पूछा, ‘‘कल मैं ने तुम्हें और रजिया को एक होटल में जाते हुए देखा था, पर तुम वहां अंदर कहीं नहीं दिखे.’’

नफीस चुपचाप सबकुछ सुनता रहा, पर बोला कुछ नहीं.

अमान के जाने के बाद नफीस रजिया से मिला और बोला, ‘‘रजिया, ऐसा लगता है, जैसे अमान हमारी जासूसी कर रहा है. वह हमें ढूंढ़तेढूंढ़ते होटल में जा पहुंचा था.’’

‘‘हमें अब दूरी कम करनी होगी, नहीं तो बवाल खड़ा हो जाएगा,’’ रजिया डरते हुए बोली.

समय तेजी से आगे बढ़ता जा रहा था. कैसे एक साल बीत गया, पता नहीं चला. अमान ने सोचा कि अगर रजिया को पाना है, तो नफीस से दोस्ती बना कर रखनी होगी.

इम्तिहान शुरू हो गए थे. आज रजिया का आखिरी पेपर था. दूसरे दिन घर वापस आना था. अमान का रजिया से मिलने का सपना टूटने लगा.

प्यार से बेखबर रजिया के पेट में नफीस का 4 महीने का बच्चा पल रहा था. कहा गया है कि आदमी जोश में होश खो बैठता है. डाक्टरी की पढ़ाई करने के बाद भी रजिया अपना बचाव नहीं कर पाई.

‘‘मेरी बात ध्यान से सुनिए. अगर आप ने पेट गिराने की कोशिश की, तो लड़की की जान जा सकती है. आगे आप जानें. आप मरीज को घर ले जाइए,’’ डाक्टर ने रजिया का मुआयना कर के कहा.

डाक्टर की बात सुन कर रजिया की अम्मी, चाचाचाची सकते में आ गए. रजिया को घर ले आए. सभी ने रजिया से पूछा कि किस का पाप पेट में पल रहा है, पर वह खामोश रही. आंसू बहाती रही. नफीस पर कोई शक नहीं कर रहा था.

बात धीरेधीरे गांव में फैल गई. हर किसी की जबान पर रजिया का नाम था. अगर उसे शहर में पढ़ने को नहीं भेजते, तो ऐसा नहीं होता.

अमान पर शक की सूई घूमी, उस से ही निकाह कर दिया जाए. एक रिश्तेदार कासिद को उस के घर भेजा गया, पर वह पैगाम ले कर खाली हाथ लौटा. गांव की जमात इकट्ठा हुई. पंचायत बैठी. मौलाना ने सब के सामने खत पढ़ कर सुनाने को कहा. लिखा था:

‘आप की जमात का पैगाम मिला, पर हम एक बेहया और बदचलन लड़की से अपने लड़के का निकाह कर के खानदान पर दाग नहीं लगाना चाहते. न जाने किस कौम की नाजायज औलाद पाल रखी है उस ने.’

मौलाना कुछ देर खामोश बैठे रहे. कुछ सोचने के बाद मौलाना ने अपना फैसला सुनाया, ‘‘बात सही लिखी है. जमात आज से इन का हुक्कापानी बंद करती है. जमात का कोई भी शख्स इन से कोई ताल्लुक नहीं रखेगा.

‘‘लड़की को फौरन गांव से बाहर कर दिया जाए. मुहब्बत करने चली थी, मजहब के उसूलों का जरा भी खयाल नहीं आया उसे. यही मुहब्बत करने वालों की सजा है.’’ मौलाना का मुहब्बत पर फतवा सुन कर रजिया का खानदान सहम गया. जमात उठ गई.

रजिया के घर मायूसी पसरी थी. रात में सभी फिक्र में डूबे थे. जब सुबह आंख खुली, तो रजिया को न पा कर सब उस की खोजखबर लेने लगे. नफीस और रजिया मौलाना के फतवे को ठोकर मारते हुए दूर निकल गए थे, अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने के लिए.

26 जनवरी स्पेशल: मैन इन यूनिफौर्म- एक सैनिक की आपबीती!

धायं…धायं…धायं. 3 गोलियां मुझे ठीक पेट के ऊपर लगीं और मैं एक झटके से गिर पड़ा. गोली के झटके ने और जमीन की ऊंचीनीची जगह ने मुझे तेजी से वहां पहुंचाया, जिसे नो मैंस लैंड कहते हैं. मैं दर्द के मारे कराह उठा. पेट पर हाथ रखा तो देखा, खून रुकने का नाम नहीं ले रहा था. अपना ही खून देख कर, मेरी आंखें मुंदने लगीं. कोई चिल्लाया, ‘मेजर, हम आप को अस्पताल ले चलते हैं. देखा, तो मेरा दोस्त था. मेरे पास आ कर बोला, ‘‘चल यार, यहां क्यों मर रहा है, मरना है तो अस्पताल में मर.’’ मैं ने हंसने की कोशिश की. उस की आंखों से आंसू मेरे चेहरे पर गिरने लगे.

मेरी आंखें बंद हो गईं तो कई बिंब मेरे जेहन में तैरने लगे. मैं मुसकरा उठा, कहीं पढ़ा था कि मरने के ठीक 15 मिनट पहले सारी जिंदगी की रील फ्लैशबैक की तरह घूम जाती है. मैं ने एंबुलैंस की खिड़की से बाहर देखा, नो मैंस लैंड पीछे छूट रहा था. ‘यह भी अजीब जगह है यार’, मैं ने मन ही मन कहा, ‘दुनिया में सारी लड़ाई सिर्फ और सिर्फ जमीन के लिए है और यहां देखो तो कहते हैं नो मैंस लैंड.’

एक और चेहरा सामने आ रहा था. वह था मां का. एक हाथ से मेरा चेहरा थाम कर दूसरे हाथ से मुझे खाना खिला रही थीं और बारबार कह रही थीं कि मेरा राजा बेटा, सिपाही बनेगा. मुझे जोरों से दर्द होने लगा. अगला दृश्य मेरे स्कूल का था, जहां 15 अगस्त को मैं गा रहा था, ‘नन्हामुन्हा राही हूं, देश का सिपाही हूं…’ स्कूल के हैडमास्टर ने मेरे सिर पर हाथ फेरा. मैं ने मां को देखा वे अपने आंसू पोंछ रही थीं. मेरे पिताजी भी फौज में थे. जिंदगी का वीडियो बहुत ज्यादा फास्ट फौरवर्ड हुआ, अगले बिंब में सिर्फ युद्घ की फिल्में थीं जिन्होंने मेरे खून में और ज्यादा जलजला पैदा कर दिया.

फिर एक लड़की दिखने लगी जिस के बारे में मैं अकसर सोचता था. वह मुझे इंजीनियर के रूप में देखना चाहती थी. मैं आर्मी औफिसर बनना चाहता था. एक उलटी सी आई, और बहुत सा खून मेरे जिस्म से निकला. मेरे दोस्त ने मेरा हाथ थपथपाया, ‘‘कुछ नहीं होगा, यार.’’

अगले बिंब में थीं उस लड़की की चिट्ठियां और कुछ फूल जो सूख गए थे किताबों में रखेरखे, उन्हें उसे वापस करते हुए मैं राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी की ओर चल पड़ा.

अगले बिंब में हम सारे दोस्त अपने देश की सरहद पर, दुश्मन की कल्पना कर रहे थे.

क्या जज्बा था हम सब यारों में, हमारे लिए देश ही पहला लक्ष्य था, देश ही आखिरी लक्ष्य था और, मैं आप को बताऊं, हम सब सीमा पर अपने दुश्मनों की आहट का इंतजार कर रहे थे.

अगले ही पल दिखने लगा कि मेरी मां की आंखों में आंसू थे गर्व के, 3 साल के बाद की परेड में वे मेरे साथ थीं और मैं उन के साथ था. हम ने एकसाथ आसमान को देख कर कहा, हम ने आप का सपना साकार किया. अगला बिंब एक तार का आना था, जिस में मेरी मां के गुजरने की खबर थी. मेरी जिंदगी का सब से बड़ा और मुख्य स्तंभ गिर गया था. मुझे फिर उलटी आई. मेरे दोस्त के आंसू सूख गए थे. मुझे पकड़ कर उस ने कहा, ‘‘तेरे पीछे मैं भी आ रहा हूं. तू ऊपर अकेले मजे लेगा. ऐसा मैं होने नहीं दूंगा.’’ मैं ने किसी तरह मुसकराने की कोशिश की.

सब से प्यारा दृश्य मेरे सामने आया, मेरी बेटी खुशी का. उसे मेरी फौज की बातें बहुत अच्छी लगती थीं. मेरी छुट्टियों का उसे और मुझे बेताबी से इंतजार रहता था. मेरी पत्नी का चित्र भी था, जो हमेशा सूखी आंखों से मुझे विदा करती थी. उसे डर लगता था कि मैं… मुझे कुछ हो जाएगा तो इस बार उस का डर सच हो गया था. मेरी बेटी की बातें, कितनी सारी बातें… मेरी आंखों में पहली बार आंसू आए, मुझे रोना आया. मैं ने आंखें खोल कर दोस्त से कहा, ‘‘यार, खुशी…काफी,’’ वह भी चुप बैठा था, वह भी रोने लगा.

अब कोई बिंब आंखों के सामने आकार नहीं ले पा रहा था. एक गाना याद आ रहा था, ‘कर चले हम फिदा…अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो…’ मैं ने दोस्त से कहा, ‘‘यार, ये सिविलियन कब हमारी तरह बनेंगे. हम देश को बचाते हैं, ये फिर वहीं ले आते हैं जिस के लिए हम अपनी जान…’’ और एक जोर से हिचकी आई, मैं ने दोस्त का हाथ जोर से दबाया और फिर एक घना अंधेरा.

दूसरी सुबह, कोई बहुत ज्यादा बदलाव नजर नहीं आया. इस देश में जिस के लिए उस ने जान दे दी, सीमा पर दुश्मन अब भी मौजूद थे. अखबार में कहीं एक छोटी सी खबर थी उस के बारे में. राजनेता बेमतलब के बयान दे रहे थे. क्रिकेट मैच में किसी खिलाड़ी के क्षेत्ररक्षण की तारीफ की खबर थी. कोई यह भी तो जाने कि कैसे एकएक इंच जमीन का क्षेत्ररक्षण करते हुए कितने सैनिक जान दे देते हैं.

मीडिया का कोई राज उजागर हुआ था, किसी सैलिब्रिटी की मौत हुई थी जिसे मीडिया लगातार कवरेज दे रहा था. किसी रिऐलिटी शो में किसी लड़की के अफेयर की बात थी. मतलब कि सारा देश ठीकठाक ही था. समझ नहीं आ रहा था कि उस ने जान क्यों दी. उस की पत्नी चुप हो गई थी. अब उस के आंसू नहीं बह रहे थे. उस का दोस्त बारबार रो देता था. और खुशी… वह सब से पूछ रही थी, ‘‘पापा को क्या हुआ, कब उठेंगे, हमें खेलना है.’’

जानिए कब आ रही है एनिमल पार्क, रश्मिका मंदाना ने किया चौकाने वाला खुलासा

बौलीवुड स्टार रणबीर कपूर और रश्मिका मंदाना की फिल्म एनिमल बीते साल रिलीज हुई थी. इस फिल्म में बॉबी देओल और अनिल कपूर भी नजर आए थे. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ऐसा धमाल मचाया था कि सभी लोग दंग रह गए. रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल को दुनियाभर में लोगों ने प्यार दिया. लेकिन अब इसी बीच एनिमल फिल्म के सीक्वल की चर्चा भी तेज हो गई है. जी हां, एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना ने मीडिया से बातचीत की है, जिसमें उन्होंने ब्लॉकबस्टर फिल्म एनिमल के सक्वील ‘एनिमल पार्क’ को लेकर अपडेट दिया है.


फिल्म एनिमल के सक्वील एनिमल पार्क के लिए लोग काफी ज्यादा एक्साइटेड हैं. फैंस चाहते हैं कि मेकर्स जल्द से जल्द इसपर काम शुरू करें. इस बीच बॉलीवुड एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना ने मीडियो को एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने कई बड़े खुलासे किए हैं. रश्मिका ने एनिमल पार्क पर भी अपनी चुप्पी तोड़ी है. रश्मिका ने कहा कि संदीप रेड्डी वांगा अभी एनिमल पार्क पर काम शुरू नहीं कर रहे हैं. पहले वो स्पिरिट नाम के प्रोजेक्ट को पूरा करने वाले हैं. इसके बाद संदीप एनिमल पर काम शुरू करेंगे. रश्मिका ने कहा कि संदीप अलग तरह के इंसान हैं. वह क्या करते हैं क्या सोचते हैं ये मुझे नहीं पता. एनिमल पार्क के लिए उन्होंने कुछ आइडियाज शेयर किए हैं. हालांकि अभी इसपर बात करना सही नहीं है. संदीप इस फिल्म के साथ धमाका करने वाले हैं.


बताते चलें कि रणबीर कपूर और रश्मिका मंदाना की फिल्म एनिमल ने इंडियन बॉक्स ऑफिस पर 600 करोड़ से ज्यादा की कमाई की है. वहीं वर्ल्डवाइड इस मूवी ने 900 करोड़ का आंकड़ा पार कर दिया है. रणबीर कपूर और रश्मिका मंदाना की फिल्म एनिमल ब्लॉकबस्टर साबित हुई है. रणबीर कपूर और रश्मिका मंदाना की एक्टिंग को लोगों ने काफी पसंद किया है.

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