मल्लिकार्जुन खड़गे : ‘इंडिया’ का कितना मजबूत दलित चेहरा

वोट के लिहाज से देखें, तो ओबीसी के बाद सब से ज्यादा तादाद दलित वोटर की है. यही वजह है कि ‘इंडिया’ गठबंधन लगातार इस कोशिश में था कि बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती को गठबंधन का हिस्सा बनाया जा सके.

इस पर कांग्रेस में 2 विचार थे. राहुल गांधी चाहते थे कि अखिलेश यादव ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा रहें, वहीं प्रियंका गांधी और उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता चाहते थे कि मायावती को ‘इंडिया’ गठबंधन से जोड़ा जाए.

‘इंडिया’ गठबंधन की दिल्ली में मीटिंग के बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के अपने नेताओं की मीटिंग भी बुलाई थी. इस मीटिंग में कांग्रेस प्रदेश में अपनी जमीनी हालत देखना चाहती थी. प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने 2 बातें प्रमुख रूप से कहीं. पहली यह कि गांधी परिवार के तीनों सदस्य उत्तर प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ें. दूसरी बात यह कि अखिलेश यादव के मुकाबले मायावती से गठबंधन फायदेमंद रहेगा.

मायावती का अड़ियल रुख

इस मीटिंग से कांग्रेस को लगा कि उत्तर प्रदेश में वह बेहद कमजोर है. बिना गांधी परिवार और गठबंधन के वह आगे नहीं बढ़ना चाहती. मीटिंग में प्रदेश कांग्रेस के एक भी नेता ने यह नहीं कहा कि वह मुख्यमंत्री बनने के लिए मेहनत कर सकता है.

कांग्रेस ने जब उत्तर प्रदेश की तुलना तेलंगाना से कर के देखी, तो लगा कि कांग्रेस वहां भी सत्ता से बाहर थी. इस के बाद भी वहां कांग्रेस के पास 6 नेता ऐसे थे, जो मुख्यमंत्री बनने के लिए मेहनत कर रहे थे.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अपनी कमजोरी का पता चल गया. मायावती को ले कर दुविधा यह है कि वे खुल कर बात नहीं करतीं. प्रियंका गांधी उन से मिल कर ‘इंडिया’ गठबंधन में उन्हें लाना चाहती थीं, लेकिन मायावती की तरफ से कोई सिगनल नहीं मिला. चुनाव करीब आने और 3 राज्यों में हार के बाद कांग्रेस दबाव में थी. ऐसे में उस ने यह फैसला कर लिया कि अब मायावती वाला चैप्टर बंद कर दिया जाए.

डर क्या है

अब चुनाव के पहले मायावती ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगी. मायावती ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर के यह जरूर कहा कि ‘राजनीति में संबंध ऐसे रखने चाहिए कि जरूरत पड़ने पर सहयोग लिया जा सके’.

इस का मतलब यह लगाया जा रहा है कि मायावती चुनाव के बाद सीटों के नंबर के मुताबिक अपना साथी चुन सकती हैं.

मायावती के इस ऊहापोह की वजह समाजवादी पार्टी है. 2 जून, 1995 को उत्तर प्रदेश के स्टेट गैस्ट हाउस कांड की खौफनाक यादें अभी भी उन के मन पर छाई हैं. सामाजिक स्तर पर भी ओबीसी और एससी वोटर के बीच उसी तरह की हालत है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और मायावती के बीच सम?ाता हुआ था, पर उस का अंत भी बुरा ही रहा.

मायावती खुद को समाजवादी पार्टी से कमतर नहीं आंकतीं. साल 2019 में जब सपाबसपा गठबंधन हुआ था, तो मायावती ने बसपा के लिए सपा से एक सीट ज्यादा ली थी. ‘इंडिया’ गठबंधन में मायावती के हिस्से सीटें कम आतीं. वे अखिलेश यादव से कमजोर दिखना नहीं चाहतीं. इस वजह से वे ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा नहीं बनीं.

चुनाव बाद के लिए मायावती ने हर समझेते के रास्ते खुले रखे हैं. कहीं न कहीं प्रधानमंत्री पद की इच्छा मायावती के भी मन में है. लिहाजा, मायावती चुनाव के पहले अपने पत्ते नहीं खोलना चाहतीं.

मल्लिकार्जुन कितने मजबूत

मायावती के विकल्प के रूप में ‘इंडिया’ गठबंधन ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम पीएम फेस के रूप में आगे किया है. यह फैसला जिस रणनीति के तहत हुआ, उस पर मेहनत करना ‘इंडिया’ गठबंधन की जिम्मेदारी है. केवल दलित होने के चलते नाम घोषित होने से दलित वोट नहीं मिलने वाले. पंजाब विधानसभा का चुनाव इस का उदाहरण है.

पंजाब में विधानसभा चुनाव के पहले चरनजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस ने सोचा था कि दलित वोट उन को मिल जाएंगे. कांग्रेस ने इस के लिए मेहनत नहीं की. लिहाजा, पंजाब में कांग्रेस चुनाव हार गई.

मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे करने से दलित वोट नहीं मिलेंगे. इस के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन को पूरी ईमानदारी के साथ काम करना होगा. केवल कांग्रेस के चाहने से भी यह नहीं होगा.

यह बात सच है कि कांग्रेस मल्लिकार्जुन खड़गे की बहुत इज्जत करती है. कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके और सांसद राहुल गांधी हमेशा खुद मल्लिकार्जुन खड़गे की कार में उन के पीछे बैठते हैं, जिस से पार्टी और लोगों को यह संदेश जाए कि खड़गे ‘डमी कैंडिडेट’ नहीं हैं. पार्टी चलाने में वे आजाद हैं.

दिक्कत यह है कि देश के तमाम राज्यों में कांग्रेस मजबूत नहीं है. ऐसे में वह अपने सहयोगी दलों पर निर्भर है. साल 2024 के आम चुनाव में अगर ‘इंडिया’ गठबंधन सरकार बनाने की हालत में आता भी है, तो राहुल गांधी पीएम नहीं बनेंगे. राहुल गांधी यह सोच कर चल रहे हैं कि अभी उन की उम्र जिस दौर में है, वहां उन के पास पीएम बनने के लिए 10 साल का समय है.

ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे ही पीएम बनेंगे, यह तय है. ‘इंडिया’ गठबंधन तभी सरकार बना पाएगा, जब कांग्रेस के पास अपने 120 से 150 के बीच सांसद आएं. ऐेसे में मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम का चेहरा बनाने से काम नहीं चलने वाला. उस के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन और उस में शामिल हर दल को पूरी ईमानदारी से यह सोच कर मेहनत करनी होगी कि मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री बनाना है.

BB17: बिग बौस में मचा घमासान, मीडिया के सामने अंकिता- मन्नारा में छिड़ी जंग

रिएलिटी शो बिग बौस 17 इन दिनों ग्रैंड फिनाले के नजदीक पहुंच गया है. 28 जवनवरी की रात ये फैसला आ जाएगा कि कौन होगा सीजन 17 का विनर. वही, इसी वीक शो में कंटेस्टेटं का सामना मीडिया से कराया गया है. जहां सवाल-जवाब किए गए है. इसी बीच अंकिता लोखंडे और मन्नारा चोपड़ा मीडिया के सामने बुरी तरह कैट फाईट करती हुई नजर आई.

 

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आपको बता दें कि शो का लेटेस्ट एपिसोड का प्रोमो सामने आया है. जिसमे दिखाया गया है कि टॉप फाइव कंटस्टेंट से मीडिया ने खूब सवाल किए. ये टॉप कंटेस्टेंट्स है. मुनव्वर फारूकी, अंकिता लोखंडे, अभिषेक कुमार, विक्की जैन और अरुण माशेट्टी. वहीं, अंकिता लोखंडे और मन्नारा चोपड़ा मीडिया के सामने ही बुरी तरह लड़ती दिखीं.

प्रोमो वीडियो में प्रेस कॉन्फ्रेंस दिखाई गई है. जहां जर्नलिस्ट एक-एक करके घरवालों से सवाल कर रहे हैं. एक जर्नलिस्ट विक्की जैन से पूछती है, ‘आपने मुनव्वर फारूकी को कहा था कि मेरे यहां 200 लोग काम करते हैं आपको किस चीज का घमंड है. अंकिता लोखंडे के पति का या फिर कोयले की खान का.’ तब विक्की कहती हैं, ‘मुझे दोनों चीजों का है.’ इसी तरह मुनव्वर फारूकी से भी सवाल किए जाते है.


इसके बाद बाद मीडिया मन्नारा चोपड़ा से पूछती है, ‘इस सीजन में सबसे ज्यादा आप डेसपिरेड नजर आईं है. आपने खानजादी के कैरेक्टर पर भी सवाल किया था. तब मन्नारा जवाब में कहती हैं, ‘उस वक्त मैंने क्या कहा. मुझे सच में याद नहीं है.’ तभी बीच में अंकिता लोखंडे बोलती हैं, ‘जब भी कोई मन्नारा को किसी से परेशानी होती है, तो मन्नारा उसके खिलाफ इतना घटिया बोलती है जिसकी हद नहीं है.’ तभी मन्नारा आगे आती हैं और बोलती हैं, ‘विक्की भैया की सॉक्स चाटो. ये सब आपने कहा है मुझे. तो आप खुद कुछ मत बोलिए. यही से दोनों की जबरदस्त बहस शुरु हो जाती है.

बताते चले कि 28 को ग्रैंड फिनाले से पहले मिड वीक इविक्शन होने वाला है. मुनव्वर फारूकी, अंकिता लोखंडे, अभिषेक कुमार, विक्की जैन और अरुण माशेट्टी में से कोई एक इविक्ट हो जाएगा. दावा है कि विक्की जैन और अरुण माशेट्टी में से कोई एक इविक्ट हो जाएगा. कई फैंस अरुण का नाम लिख रहे हैं.

TMKOC: पोपटलाल की जल्द होने वाली है शादी, शो में आएंगी ये खूबसूरत एक्ट्रेस

टीवी का सबसे हंसी-माजक वाला शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ लोगों के सर चढ़ कर बोलता है. शो के सभी किरदार लोगों को खूब पसंद आते है.  शो में अबतक पोपटलाल सबके लिए हंसाने वाले किरादर रहे है जिनकी शादी को लेकर भी माजक बनाया जाता है. लेकिन अब पोपटलाल की जिंदगी में नई बहार आने वाली है जी हां, उनकी जिंदगी में हसीना की एंट्री होने वाली है. जो सीधा उनके दिल पर वार करेंगी.

 

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आपको बता दें कि तारक मेहता का उल्टा चश्मा में एक्ट्रेस पूजा शर्मा की एंट्री हुई है. शो में अनोखी के किरदार में नजर आएंगी, जो पोपटलाल के अपोजिट नजर आने वाली हैं. हाल ही में उन्होंने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस पॉपुलर शो के लिए वे कैसे सेलेक्ट हुईं थी. बातचीत के दौरान पूजा शर्मा ने कहा कि ‘मुझे शो के मेकर्स का कॉल आया था और उन्होंने बताया कि शो में मेरा सिर्फ छोटा सा रोल होगा. मैं वैसे तो ऐसे रोल्स के लिए मना कर देती हूं लेकिन ये टीवी का इतना पॉपुलर शो है, इसलिए मैंने अपने किरदार के लिए फौरन हामी भर दी. शो में मुझे सिर्फ 6 एपिसोड के लिए कास्ट किया गया है.’

पूजा आगे कहती हैं कि शो का ऑडिशन देने के 1 घंटे बाद ही मुझे मेकर्स का कॉल आ गया कि मैं फाइनल हो चुकी हूं. ये सुनकर मैं बहुत खुश हुई थी. वहीं पूजा ने श्याम पाठक यानी पोपटलाल के बारे में बात करते हुए कहा कि जब मैं उनसे पहली बार मिली तो मैंने उन्हें बताया कि मैं इसस तरह का कॉमेडी शो पहली बार कर रही हूं. इसके लिए मुझे आपके हेल्प की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने शो के हर सीन में मेरी मदद की और उनके बताए गए निर्देशों की वजह से मैंन ये किरदार अच्छे से निभा पाई.

 

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बता दें कि पूजा और श्याम के बीच एक चीज कॉमन भी है. ये दोनों ही सेम फील्ड से पढ़ाई की है. इस बात का खुलासा खुद पूजा ने किया. उन्होंने बताया कि ‘हम दोनों सी ए की तैयारी की है और दोनों ने सी ए के एग्जाम में इंटर लेवल तक क्वालिफाइड हैं.’

वैसे तो शो में कई बार पोपटलाल की शादी का ट्रैक देखने को मिला है. अब मेकर्स एक बार फिर शो में इस ट्रैक को लेकर आ रहे हैं. ऐसे में देखना ये होगा कि पोपटलाल घोड़ी चढेंगे की नहीं.

हिजड़ों की गुंडागीरी, हो जाएं सावधान

हिजड़ा समाज सभी जगह अपनी मनमानी करने के लिए बहुत बदनाम है. अंधश्रद्धा में डूबा हमारा समाज भी न जाने क्यों इन से इतना डरता है कि जानेअनजाने में ही इन की हर बात चुपचाप सहन कर लेता है. शायद लोगों को डर रहता है कि कहीं इन का दिया हुआ शाप लग गया, तो जिंदगी ही बरबाद हो जाएगी. यही वजह है कि हिजड़े भी इसी बात का भरपूर फायदा उठाने लगे हैं.

ये हर जगह दादागीरी करते दिखाई देते हैं. ये कभी सिगनल पर पैसा मांगते खड़े मिल जाते हैं, कभी बसों में, तो कभी ट्रेन में. कभीकभी तो ये घरों में घुस कर तीजत्योहार पर पैसा मांगने चले आते हैं.

अगर इन को न कह दिया जाए, तो ये गालीगलौज पर उतर आते हैं. रास्ते में ये उलटीसीधी व बेहूदा हरकतें करने लगते हैं और लोग डर के मारे इन की बात मान कर खिसकने में ही अपनी भलाई समझते हैं.

जवानी में तो हर तरह की दादागीरी से हर हिजड़े का काम हो जाता है, लेकिन ढलती उम्र में जिंदगी दोजख सी हो जाती है. अपने गुजारे के लिए तो इन्हें भीख मांगने तक की नौबत आ जाती है. अपने ही समाज से ये दुत्कार दिए जाते हैं. इन्हें नौजवान हिजड़ों की दया पर जीना पड़ता है.

इस के नतीजे में इन के द्वारा सैक्स, चोरी, लूटपाट, अपहरण जैसे किस्से ज्यादा बढ़ने लगे हैं.

हाल ही में भावनगर के तलाजा तालुका के सोसिया और कठवा गांव में हिजड़ों ने 2 नौजवानों को बहलाफुसला कर उन का अपहरण कर लिया. बाद में उन्हें भुज ले जा कर प्राइवेट अस्पताल में हिजड़ा बना दिया.

पूरे भावनगर इलाके में चर्चा का मुद्दा बनी इस वारदात में सोसिया गांव के 18 साला लालजी बाबूभाई वेगड और कठवा गांव के 18 साला मुकेश भगवानभाई सरवैया को रामदेवपीर व्याख्यान मंडल के सदस्य जतीन चीथरभाई गोहिल ने रामदेवपीर के आख्यान के बहाने भुज चलने को कहा. साथ में भावनगर से फिरोज और कड़ला नाम के 2 और हिजड़ों को भी ले लिया.

भुज ले जा कर उन्हें कैद में रखा. वहां से सानिया नाम के एक दूसरे हिजड़े की मदद से किसी प्राइवेट अस्पताल में डाक्टर से उन को हिजड़ा बनवा दिया. बाद में जोरजबरदस्ती से सौ रुपए के स्टांप पेपर पर उन दोनों से लिखवा लिया कि वे खुद अपनी मरजी से हिजड़े बने हैं.

15 दिनों तक उन की कैद में बंद दोनों नौजवान जैसेतैसे इन के चंगुल से भाग कर भावनगर लौट आए. परिवार के लोग इन दोनों को इलाज के लिए भावनगर के सर टी. अस्पताल ले कर गए, तब जा कर बात का भांड़ा फूटा.

भावनगर की पुलिस गुनाहगारों को पकड़ने में नाकाम रही, तब जा कर केस भुज ट्रांसफर किया गया.

भुज पुलिस ने सानिया हिजड़े को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले की तहकीकात अभी चल रही है. पुलिस को इस मामले में और लोगों के भी शामिल होने का शक है. पुलिस जानना चाहती है कि इन लोगों के अंगों को कहां रखा गया है? अस्पताल और डाक्टर के बारे में भी पता लगाना बाकी है.

यह समाज में किसी भी शख्स का दिल दहला देने वाली घटना है. पुलिस की लापरवाही और ढीली कार्यवाही से ही ऐसे असामाजिक लोगों को खुली छूट मिलती है.

गुजरात में चोरी, बलात्कार, अपहरण, हत्या, गुंडागीरी के किस्से रोजाना बढ़ते जा रहे हैं. केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेने वाले मुख्यमंत्री अपने राज्य की तरफ कब देखेंगे?

महंगाई की आह, सरकार तानाशाह

आज औसत भारतीय की जिंदगी में समस्याओं की बाढ़ ही है. आएदिन नित नई समस्याएं आती हैं और परेशान भारतीयों को और ज्यादा हैरान कर के चली जाती हैं. पर, कुछ समस्याएं तो हमारी जिंदगी में घर कर के बैठ जाती हैं. आज महंगाई एक ऐसी ही समस्या है, जो लगातार विकट रूप लेती जा रही है.

महंगाई कई बुरे नतीजों को जन्म देती है. जरूरी चीजों के दाम बढ़ने से आम जनता को जिंदगी गुजारना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है. मध्यम तबके की समस्याएं भयानक रूप ले लेती हैं. छाती फाड़ कर काम करने पर भी गरीबों को पेटभर भोजन नहीं मिलता है. आम परिवारों के बच्चों को पोषक आहार न मिलने से उन का उचित विकास नहीं हो पाता है.

गरीब परिवार के लड़केलड़कियों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ती है. लड़कियों के हाथ समय पर पीले नहीं हो पाते हैं. मध्यम तबके के लोग कर्ज के बोझ से दब जाते हैं. चोरी, रिश्वतखोरी, डकैती, तस्करी, गुंडागीरी जैसी सामाजिक बुराइयों के पीछे महंगाई का ही हाथ होता है. मगर, सरकार चैन की नींद सो रही है.

सवाल हर जगह से उठाए जा रहे हैं, क्योंकि यह लोकतंत्र है, मगर हाय रे… एक तो करेला, दूसरे नीम चढ़ा. हमारी सरकार और नादान कैबिनेट के पास चीजें महंगी होने की बेवकूफाना वजहें मौजूद हैं, मगर उन्हें रोकने का एक भी उपाय नहीं है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का वह बयान ही ले लीजिए, जो एक समय में देशविदेश में खूब वायरल हुआ था. तब संसद में प्याजलहसुन की कीमत आसमान छूने के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा था, “मैं क्या करूं, अगर लहसुन 500 रुपए किलो है. हमारे घर में तो सदियों से लहसुन कोई नहीं खाता.”

अच्छा अब उन बाबा रामदेव का क्या करें, जो बहुत सारी बीमारियों से बचने पर बात करते हुए लहसुन खाने को कहते हैं और लहसुन का तेल बना कर बदन की मालिश करने को कहते हैं? वैसे, एक बेतुका बयान बाबा रामदेव ने भी दिया था, जो खूब वायरल हुआ था कि ‘दाल तो पानी जैसी पतली ही खानी चाहिए, गाढ़ी दाल नुकसान करती है’.

आज बाजार में सब्जियों, फलों, दूध और उस से बने सामान, अंडे, मछली और मीट की कीमतें पिछले 10 साल की तुलना में कई गुना ज्यादा बढ़ गई हैं. इस महंगाई का असर सब से ज्यादा गरीब तबके पर पड़ता है.

सोचिए कि महज 100 रुपए रोजाना की आमदनी पर गुजारा करने वाले देश के 120 करोड़ निचले तबके के लोग अपना पेट कैसे भरते होंगे? जाहिर है कि इन तमाम लोगों को शायद एक समय या दोनों समय खाली पेट ही तरसना पड़ता होगा.

दिल्ली में साधारण सी दुकानों में भी चाय का एक कप 10 रुपए से कम पर नहीं मिलता. अब तो आलू और प्याज की कीमतें भी बढ़ गई हैं. दूध, दही, पनीर, अंडे, मछली और मीट के दामों ने मध्यम वर्ग के लोगों की जिंदगी भी मुश्किल बना दी है. यह न तो भीख मांग सकता है, न चोरी कर सकता है, न बोल सकता है, न ही आह भर सकता है, पर सरकार की आंखों पर ऐसा परदा पड़ा है कि वह हर चीज से बेखबर है.

सरकार की लोकल लैवल पर ही स्टौक जमा करने वालों और आढ़तियों से पूरी जुगलबंदी रहती है और हमारे भारत मे तो कारोबारियों की यह खास धूर्तता है कि बाजार में एक बार खुदरा कीमतें बढ़ने के बाद वे भरसक इस कोशिश में लगे रहते हैं कि दाम कम न हों. मसलन, आप ही बताएं कि आज तक क्या दूध, मक्खन, पनीर, घी के दाम कभी कम हुए हैं?

यह सरकार अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में बारबार लोगों को कितना झूठा दिलासा देती रही है कि बस अब कुछ समय के बाद कीमतें गिरने लगेंगी, मगर कीमतें सरकार को मुंह चिढ़ाती रहती हैं और सरकार चुपचाप देखती रहती है.

अब एक और नौटंकी शुरू हो जाती है कि सरकार के पाले और पुचकारे हुए धर्मगुरु मैदान में अपनी मां समान सरकार की इज्जत बचाने के लिए सामने आ जाते हैं और ऐसे ऊलजुलूल बयान देने लगते हैं कि जनता को ज्यादा नहीं खाना चाहिए, पर नादान लोग ज्यादा खुराक लेने लगे हैं, इसलिए मांग की तुलना में सप्लाई कम हुई है.

यह कुछ वैसा ही कहना है, जो अमेरिका जैसे पश्चिमी देश कहते रहे हैं कि भारत और चीन में लोग पहले की तुलना में ज्यादा खाने लगे हैं, इसलिए महंगाई बढ़ रही है. यह देखसुन कर बहुत हंसी और गुस्सा दोनों ही आते हैं, पर सवाल वहीं का वहीं रह जाता है कि समस्या तो सामान की बाजार में उपलब्धता का है, उस की सप्लाई का है, जिसे प्रभावित कर कीमतें बढ़ाई जाती हैं.

इस सब के बावजूद आज भी सरकार अगर ईमानदारी से चाहे तो इसी पल से कीमतों को कंट्रोल कर सकती है, मगर इस के लिए उसे अपने कुछ अति मुंह लगे अंबानी और अडानी जैसों को डपट कर, फटकार कर खूब कड़े कदम उठाने पड़ेंगे.

हमारे यहां पाखंड भरा वादा कारोबार, आयातनिर्यात में दिशाहीनता, बेहिसाब जमाखोरी और जबरदस्त कालाबाजारी की समस्याएं भी दीमक बन रही हैं. सरकार यहां भी सुधार कर सकती है. इस से मंहगाई पर कुछ तो अंकुश लगेगा. कहीं दाल 200 रुपए किलो तक स्थिर हो गई तो आने वाली पीढ़ियां दाल का नाम और रंग तक नहीं जान सकेंगी, जबकि भारत एक कृषि प्रधान देश है.

आखिर कब पड़ती है किसी और की जरूरत

Sex News in Hindi: वैवाहिक जीवन (Married Life) में सैक्स की अहम भूमिका होती है. लेकिन यदि पति किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर (Abnormal Sexual Disorder) से ग्रस्त हो, तो पत्नी की जिंदगी उम्र भर के लिए कष्टमय हो जाती है. (Sexologist) सैक्सोलौजिस्ट डा. सी.के. कुंदरा ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन की क्लीनिक में शादी के बाद कृष्णानगर की मृदुला अपनी मां के साथ आई. हुआ यह था कि शादी के बाद मृदुला एकदम बुझीबुझी सी मायके आई, तो उस की मां उसे देख कर परेशान हो गईं. लेकिन मां के लाख पूछने पर भी उस ने कोई वजह नहीं बताई. उस ने अपनी सहेली आशा को बताया कि वह अब ससुराल नहीं जाना चाहती, क्योंकि उस के पति महेश उस से संबंध बनाने के दौरान उस के यौनांग में बुरी तरह से चिकोटी काटते हैं और पूरे शरीर को हाथ फेरने के बजाय नाखूनों से खरोंचते हैं. जिस से घाव बन जाते हैं, हलका खून निकलता है. उसे देख कर महेश खुश होते हैं. फिर संबंध बनाते हैं. यह कह कर मृदुला रोने लगी. डा. कुंदरा ने आगे बताया कि आशा ने जब उस की मां को यह बात ताई तो वे मृदुला को ले कर मेरे पास आईं.

मृदुला की तरह कई महिलाएं अपनी पीड़ा को व्यक्त नहीं कर पाती हैं. मृदुला का पति ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से ही पीडि़त था. इस स्थिति में स्त्री के लिए पूरी जिंदगी ऐसे पुरुष के साथ बिताना असंभव हो जाता है. उसे ऐसे किसी व्यक्ति की जरूरत महसूस होने लगती है, जो उस के मन की बात को समझे और उसे क्या करना चाहिए, इस के बारे में बताए.

कारण

सैक्सोलौजिस्ट डा. रामप्रसाद शाह के मुताबिक, ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से व्यक्ति कई कारणों से ग्रसित होता है:

सैक्सफेरामौन: यानी गंध के प्रति कामुकता. ऐेसे पुरुष स्त्री देह की गंध से उत्तेजित हो कर सैक्स करते हैं. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह गंध से ऐसा व्यक्ति उत्तेजित हुआ हो, उसे हासिल करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है.

ऐक्सेसिव डिजायर: दीपक की उम्र 60 साल से ऊपर है. इस के बावजूद भी वह घर से बाहर सब्जी बेचने वाली, घरों में काम करने वाली और सस्ती कालगर्ल से कभीकभी सुबह तो कभी रात भर रख कर संबंध बनाता है. संबंध बनाने के लिए वह शराब का भी सहारा लेता है. घर वाले उस से परेशान रहते हैं, इसलिए उस से अलग और दूर रहते हैं. ऐसे शारीरिक संबंध बनाने वाला व्यक्ति ऐक्सेसिव डिजायर  पीडि़त होता है.

फेटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन चीजों के प्रति आकर्षित रहता है, जो उस की सैक्स इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होती हैं. जैसे सैक्सी किताबें, महिलाओं के अंडरगारमैंट्स और दोस्तों से सैक्स की बातें करना.

लक्ष्मी नगर की निशा का कहना है कि उस के पति दिनेश हमेशा दोस्तों के साथ किनकिन महिलाओं के साथ सहवास कबकब और कैसेकैसे किया जैसी बातें हमेशा करते हैं. उस के बाद वह निशा से संबंध बनाने की कोशिश करते हैं. ऐसे व्यक्ति महिलाओं को छिप कर देखने के साथ उन के साथ संबंध बनाने के लिए आतुर भी रहते हैं.

बस्टियैलिटी: ऐसे पुरुष पर सैक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी से भी सहवास करने में नहीं झिझकता. जयपुर का रमेश अपनी इसी आदत की वजह से अपनी साली की 14 साल की लड़की से शारीरिक संबंध बना बैठा. ऐसे पुरुषों द्वारा अकसर रिश्तों की मर्यादा को ताक पर रख कर ऐसे संबंध बनाए जाते हैं. ऐसे में असहाय महिलाएं, लड़कियां, यहां तक कि पशु भी गिरफ्त में आ जाते हैं.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस से ग्रस्त व्यक्ति अपने गुप्तांग को महिला या छोटेछोटे बच्चेबच्चियों को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी के साथ संतुष्टि भी मिलती है. लेकिन इस से अप्रत्यक्ष रूप से ही सही हानि होती है इसलिए इसे अब गैरकानूनी की धारा में रखा जाता है. इस में जुर्माना और कैद भी है.

पीडोफीलिया: इस सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त पुरुष अकसर छोटी उम्र की लड़कियों व लड़कों से संबंध बना कर अपनी कामवासना को संतुष्ट करता है. नरेंद्र की उम्र 50 के ऊपर हो चुकी थी पर वह बारबार 14 से 15 साल की नाबालिग लड़की से शारीरिक संबंध बनाने की लालसा रखता था. आखिर उस ने नाबालिग से संबंध बना ही डाला और कई दिनों तक सहवास करता रहा. अंत में पकड़े जाने पर नेपाल की जेल में 14 साल की सजा काट रहा है.

वैवाहिक रेप

हालांकि यह अजीब सा लगता है कि विवाह के बाद पति द्वारा पत्नी का रेप. लेकिन इस में कोई दोराय नहीं कि आज भी कई विवाहित महिलाओं को इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है, क्योंकि अकसर पति अपनी पत्नी की इच्छाओं, भावनाओं को भूल कर जबरन यौन संबंध बनाता है. यह यौन शोषण और बलात्कार की श्रेणी में आता है. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नी को अधिकार है कि वह ऐसा होने पर कानूनी तौर पर तलाक ले सकती है.

समाधान

सैक्सोलौजिस्ट डा. रामप्रसाद शाह का कहना है कि ऐसी स्थिति में नईनवेली दुलहन को संयम से काम लेना चाहिए. वह पति की उपेक्षा न कर के व ताना न दे कर प्यार से उसे समझाए.

सामान्य सहवास के लिए प्रेरित करे. ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक द्वारा इलाज किया जा सकता है. ऐसे मरीज की काउंसलिंग की जाती है और बीमारी किस हद तक है पता चलने पर सलाह दी जाती है. अगर पति तब भी ठीक न हो और मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाए, तो पत्नी तलाक ले कर अपनी जिंदगी को नई दिशा दे सकती है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरो ट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क में रासायनिक कोशिकाओं में कमी, जींस की विकृति आदि इस समस्या की वजहें होती हैं और अकसर 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति इस के शिकार होते हैं. गलत संगत, अश्लील किताबें पढ़ना, ब्लू फिल्में देखना आदि भी इस में सहायक होते हैं.

मैं तीसरा बच्चा चाहती हूं पर बच्चा ठहर नहीं रहा है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी 2 बेटियां हैं. बड़ी 14 साल की और छोटी 11 साल की. घर में सब ताना मारते हैं कि बेटा क्यों नहीं है. मैं तीसरा बच्चा चाहती हूं, पर बच्चा ठहर नहीं रहा है. मैं क्या करूं?

जवाब-

आजकल के जमाने में 2 बच्चे पालने में ही पसीने छूट जाते हैं. लड़के की चाहत में और जोखिम न उठाएं. अगर पेट से हो भी गईं और तीसरी औलाद भी लड़की हुई तो आप क्या करेंगी? आप लोगों के ताने नजरअंदाज करते हुए अपनी दोनों लड़कियों को ही पढ़ालिखा कर काबिल बनाएं.

बदनसीब बाप : साबिर क्यों था अपने बेटों का कुसूरवार

साबिर बिजनौर जिले के एक शहर में अपने परिवार के साथ रहता था. घर में बीवी शबनम और 2 बेटों तसलीम और शमीम के अलावा कोई और नहीं था.

साबिर का लकड़ी पर नक्काशी करने का कारोबार था. वह लकड़ी की जूलरी बनाता और उन पर नक्काशी कर के खूबसूरत डिजाइन तैयार करता था, जिसे वह ऐक्सपोर्ट कर के अच्छाखासा पैसा कमा लेता था.

घर में किसी चीज की कोई कमी न थी. उस के दोनों बेटे भी बड़े होशियार थे और बचपन से ही उस के काम में हाथ बंटाते थे. यही वजह थी कि जवान होतेहोते वे भी अच्छे कारीगर बन गए थे.

साबिर बचपन से ही अपने बड़े बेटे तसलीम से ज्यादा प्यार करता था. इस की वजह यह थी कि छोटा बेटा शमीम पिछले कुछ समय से आवारा लड़कों की संगत में रहता था और खूब फुजूलखर्ची करता था, जबकि तसलीम अपने बाप की हर बात मानता था और बिना उन की मरजी के कोई काम नहीं करता था.

ज्योंज्यों छोटा बेटा शमीम बड़ा होता जा रहा था, उस के खर्चे भी बढ़ते जा रहे थे. आवारा दोस्तों ने उसे निकम्मा बना दिया था. बाप की डांटडपट से तंग आ कर वह अपने दोस्तों के साथ मुरादाबाद चला गया और काफी अरसे तक वहीं रहा. वह जो कमाता था उसे अपने आवारा दोस्तों के साथ रह कर घूमनेफिरने पर खर्च कर देता था.

बड़ा बेटा तसलीम अपने अब्बा के साथ रह कर उन के हर काम में हाथ बंटाता था, जिस की वजह से उन का कामधंधा जोरों पर था और खूब तरक्की हो रही थी. अब्बा ने अपने भाई की बेटी सायरा से तसलीम का रिश्ता तय कर दिया था.

कुछ महीनों के बाद तसलीम की शादी थी, इसलिए छोटा बेटा शमीम भी घर आया हुआ था. घर में खुशी का माहौल था, पर शमीम मुरादाबाद जा कर और ज्यादा बिगड़ गया था. वह बदचलन भी हो गया था.

घर में मेहमानों का आनाजाना शुरू हो गया था. शादी में कुछ दिन बाकी रह गए थे. शमीम अपने चाचा के घर अपनी होने वाली भाभी सायरा से मिलने गया था.

जब शमीम घर पहुंचा, तो घर पर कोई नहीं था. बस, सायरा ही अकेली वहां थी, बाकि सब लोग शादी की खरीदारी के लिए बाजार गए थे.

सायरा शमीम को जानती थी, इसलिए उस ने शमीम को अंदर आने दिया और उसे बैठा कर चाय बनाने रसोईघर में चली गई.

कुछ देर बाद जब सायरा चाय बना कर वापस आई, तो पसीने की बूंदें उस के चेहरे पर मोतियों की तरह चमक रही थीं. रसोईघर की गरमी की वजह से उस का चेहरा सुर्ख हो गया था. गुलाबी होंठ ऐसे खिल रहे थे, जैसे कोई गुलाब हो.

शमीम सायरा को एकटक देखता रहा. इतनी हसीन लड़की को देख कर उस के अंदर का शैतान जाग उठा.

शमीम के दिल में हलचल मच चुकी थी. उस ने बिना वक्त गंवाए सायरा को अपनी बांहों में भर लिया और उस के होंठों पर चुंबनों की बौछार कर दी. उस की यह हरकत देख कर सायरा ने शोर मचाना शुरू कर दिया.

आवाज सुन कर आसपास के लोग आ गए और शमीम को पकड़ कर उस के घर ले गए और पूरा वाकिआ साबिर को बताना शुरू कर दिया.

साबिर ने शमीम को डांटते हुए घर से धक्के मार कर भगा दिया और बाद में अपनी जायदाद से भी बेदखल कर दिया. उस ने अपना घर अपने बड़े बेटे तसलीम के नाम कर दिया.

अगले दिन तसलीम की बरात जाने वाली थी. घर के सभी लोग अपनेअपने काम में मसरूफ थे कि तभी घर के पास एक गली से तसलीम के चीखने की आवाज आई.

लोग उधर दौड़े तो देखा कि तसलीम खून में लथपथ पड़ा कराह रहा था और उस के पास हाथ में चाकू लिए शमीम खड़ा हुआ चिल्ला रहा था, ‘‘मेरा हिस्सा तू कैसे ले सकता है? यह घर मेरा भी है. तू अकेला इस का मालिक कैसे बन सकता है? मैं अपने हिस्से के लिए किसी की भी जान ले सकता हूं…’’

किसी ने फौरन पुलिस को फोन कर दिया और कुछ लोगों ने हिम्मत कर के शमीम को पकड़ लिया.

तसलीम को अस्पताल में भरती कराया गया, पर कुछ ही देर में ही उस ने दम तोड़ दिया.

शमीम को पुलिस ने गिरफ्तार कर हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया.

बदनसीब बाप की दोनों औलादें उस से जुदा हो गईं. एक जेल पहुंच गया और दूसरा दुनिया ही छोड़ कर चला गया.

साबिर इस घटना के लिए खुद को कुसूरवार मान रहा था और लोगों से कहता फिरता था, ‘‘मैं ने खुद अपने बेटे को मार डाला. छोटे बेटे का हिस्सा अगर बड़े बेटे के नाम न करता, तो आज वह उस के खून का प्यासा न होता और ऐसा कदम न उठाता…’’

अंधा प्यार : क्या जायज था राबिया का गुलछर्रे उड़ाना

राजू की शादी खुशी से तकरीबन एक साल पहले हुई थी. खुशी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के एक गांव में अपने परिवार के साथ रहती थी. राजू से शादी होने के बाद वह उस के साथ मुंबई आ गई थी.

राजू काम में ज्यादा बिजी रहता था, पर जब भी वह घर आता, तो हर वक्त खुशी को अपनी बांहों मे भरे रहता था और उसे कभी यह अहसास नहीं होने देता था कि वह घर पर कम वक्त देता है.

राजू खुशी का बहुत ध्यान रखता था. घर के कामों में भी पूरी मदद करता था. उसे जिस चीज की जरूरत होती, उसे फौरन हाजिर करता था.

खुशी एक दिन नहा कर बाथरूम से निकल ही रही थी कि वह फिसल कर गिर पड़ी और उस के पैर की हड्डी टूट गई. डाक्टर ने उस के पैर पर प्लास्टर चढ़ा दिया और डेढ़ महीना बिस्तर से उठने को मना कर दिया.

घर आ कर खुशी ने राजू से कहा, ‘‘क्यों न एक महीने के लिए अपनी मां को यहां बुला लूं?’’

राजू ने कहा ‘‘हमारा घर छोटा है, इस में तुम्हारी मां कैसे एडजस्ट करेंगी?’’

खुशी बोली, ‘‘वह सब तुम मु झ पर छोड़ दो. हम तीनों यहीं सो जाया करेंगे.’’

राजू ने कुछ सोच कर कहा, ‘‘ठीक है, जैसी तुम्हारी मरजी. हम तो तुम्हारे गुलाम हैं. तुम्हें जैसा अच्छा लगे वही करो.’’

कुछ ही दिनों में खुशी की मां राजू के घर आ गईं. रात में तीनों फर्श पर बिस्तर बिछा कर सो गए. एक तरफ खुशी की मां, बीच में खुशी और दूसरी तरफ राजू. इस तरह तीनों ने एडजस्ट कर लिया. अगले दिन से ही खुशी की मां राबिया ने घर का सारा कामकाज संभाल लिया.

राजू की सास राबिया में एक अजीब सी कशिश थी. खुशी और उन्हें देख कर कोई भी यह नहीं कहता था कि वे दोनों मांबेटी हैं, बल्कि ऐसा लगता था, जैसे वे बहनें हों.

राबिया देखने में भी खुशी से बहुत ज्यादा खूबसूरत थीं. गदराया बदन, गुलाबी गाल, सुर्ख होंठ उन की खूबसूरती में चार चांद लगाए रहते थे.

रात का समय था. वे तीनों सो रहे थे. इसी बीच खुशी को बाथरूम जाना था. राबिया उसे सहारा दे कर बाथरूम ले गईं और उस के आने के इंतजार में बिस्तर पर आ कर लेट गईं.

नींद में करवट बदलते वक्त राजू का हाथ अपनी सास की छाती से छू गया. राजू ने उन्हें खुशी सम झ कर अपनी बांहों में भर लिया और उन के बदन को सहलाने लगा.

राबिया राजू के मजबूत हाथों की छुअन पाते ही मदहोश होने लगीं. उन्हें एक अजीब सा मजा महसूस होने लगा और धीरेधीरे उन्होंने अपने बदन को राजू की बांहों में धकेल दिया.

राजू हरकत कर रहा था और राबिया पूरी तरह मदहोश हो रही थीं. उन्होंने राजू को अपनी बांहों में पकड़ लिया और उस के होंठों पर अपने होंठ रख कर चुंबनों की बौछार कर दी.

इसी बीच राजू की नींद खुल गई. बांहों में अपनी सास राबिया को देख पहले तो वह थोड़ा हिचकिचाया, पर जल्द ही राबिया ने उस के बदन को चूम कर उस की हिचकिचाहट दूर कर दी.

अभी वे दोनों एकदूसरे के बदन से लिपटे हुए ही थे कि खुशी ने आवाज लगाई, ‘‘अम्मी, मु झे सहारा दो.’’

खुशी की आवाज सुन कर वे दोनों हड़बड़ा कर एकदूसरे से अलग हुए और दोनों के बदन की जलती हुई आग जहां की तहां थम कर रह गई.

उस रात राबिया ठीक से सो नहीं पाईं. उन्हें रहरह कर राजू के मजबूत हाथों की पकड़ सताने लगी थी.

राबिया एक जवान औरत थी. उन के बदन की आग को बूढ़ा शौहर ठंडा नहीं कर पाता था, क्योंकि उम्र के ज्यादा अंतर के हिसाब से राबिया की जवानी जब उफान पर थी, तब उन का शौहर बूढ़ा हो चुका था.

अगले दिन जब राबिया सुबह उठीं, तो उन्होंने तिरछी नजरों से राजू को देखा, जो नजरें चुरा कर उन्हें ही घूर रहा था. राबिया ने आज राजू को नाश्ता देते वक्त अपनापन जाहिर किया और उसे बड़े प्यार से नाश्ता कराया.

दोनों तरफ से नजरों ही नजरों में एकदूसरे के लिए चाहत गोते मार रही थी और दोनों मिलने के लिए मौके की तलाश में थे. जब रहा नहीं गया, तब राबिया ने राजू से कह दिया, ‘‘मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. मु झे किसी भी कीमत पर तुम्हारा प्यार चाहिए. उस के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं.’’

राजू ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं आज नींद की गोली लाता हूं. तुम उसे खुशी के दूध में मिला कर दे देना. जब वह गहरी नींद में सो जाएगी, तब हम एक हो जाएंगे.’’

राबिया ने रात को खुशी के दूध में नींद की गोली डाल दी और उसे वह दूध पिला दिया. जब खुशी गहरी नींद में सो गई, तब राबिया बिना वक्त गंवाए राजू के पास आ गईं और उस पर चुंबनों की बौछार करने लगीं.

आज वे रिश्तों की हर हद को पार करने का इरादा कर चुकी थीं. बरसों से थमी अपने जिस्म की आग को वे राजू जैसे जवां मर्द से ठंडा करने के लिए बेताब हो रही थीं. इस बेताबी में उन्होंने राजू के जिस्म के हर हिस्से को चूमचूम कर लाल कर दिया.

राजू राबिया का गोरा और गदराया बदन देख कर ऐसा दीवाना हुआ कि वह भी सासदामाद के रिश्ते को भूल गया और राबिया को अपनी बांहों में भर कर उन के अंगों से खेलने लगा.

राजू की इस हरकत से राबिया मदहोश होने लगीं. राजू ने पूरी ताकत से राबिया को जकड़ कर ऐसा सुख दिया, जो उन्हें अभी तक नहीं मिला था.

अब तो वे दोनों एकदूसरे के ऐसे दीवाने हो गए कि जब भी वक्त मिलता, वे एक हो जाते.

कहते हैं कि गलत काम करने में भले ही कितनी भी सावधानी बरतें, मगर एक न एक दिन वह गलत काम सामने आ ही जाता है. ऐसा ही कुछ राबिया और राजू के साथ भी हुआ.

खुशी का पैर अब सही हो चुका था. उसे चलनेफिरने में कोई तकलीफ नहीं थी. राबिया को वहां 4 महीने गुजर चुके थे. उन का मन अब वहां से जाने को नहीं कर रहा था.

खुशी ने एक दिन राबिया से पूछा, ‘‘अम्मी, आप का टिकट निकलवा दूं? कब जाने का इरादा है? घर पर अब्बा भी अकेले हैं.’’

राबिया बोलीं, ‘‘तुम मु झे अपने घर से भगाना चाहती हो क्या? जब तक तुम बिलकुल सही नहीं हो जाती, मैं तुम्हें छोड़ कर नहीं जाऊंगी.’’

खुशी बोली, ‘‘मैं तो अब ठीक हो गई हूं. चलफिर भी सकती हूं.’’

इस पर राबिया ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं तुम्हें बताती हूं.’’

राबिया राजू को छोड़ कर जाना नहीं चाहती थीं. राजू ने इन 4 महीनों में राबिया को जो जिस्मानी सुख दिया था, वे उसे खोना नहीं चाहती थीं. उन के बेजान जिस्म को राजू ने अपने प्यार से तराश कर एक नई महक भर दी.

आज राबिया अपने दामाद राजू की इतनी दीवानी हो चुकी थीं कि जो उन्हें उस से दूर करने की कोशिश करता, वे उसे अपना सब से बड़ा दुश्मन सम झने लगी थीं.

राजू भी अपनी सास का ऐसा दीवाना बना हुआ था कि अब उसे अपनी बीवी से भी कोई लगाव नहीं था. वह तो बस अपनी सास राबिया के गोरे और गदराए बदन का दीवाना बना बैठा था.

शाम का समय था. हलकीहलकी बारिश हो रही थी. राजू भीग चुका था. आज वह काम से जल्दी घर आ गया था. उस ने घर की डोरबैल बजाई. सामने राबिया खड़ी थीं. उन के बाल बिखरे हुए थे.

बाल हटाते हुए जैसे ही राबिया ने अपना मुसकराता हुआ चेहरा राजू के सामने किया, राजू दीवानों की तरह देखता ही रह गया और बोला, ‘‘वाह, क्या नजारा है. ऐसा लग रहा है, जैसे कोई चांद बादलों को चीरता हुआ सामने आ गया हो.’’

राजू अंदर आया. उस के कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे. शरीर का हर अंग साफसाफ नजर आ रहा था. राबिया बोलीं, ‘‘जल्दी कपड़े बदलो, नहीं तो बीमार पड़ जाओगे.’’

राजू ने इधरउधर देखा. खुशी वहां नहीं थी. वह वहीं कपड़े उतारने लगा. राबिया तौलिए से उस के बाल सुखाने लगीं. राबिया के छूने से राजू का हर अंग मचलने लगा. दोनों एकदूसरे का प्यार पाने के लिए उतावले हो उठे.

जल्द ही राजू और राबिया ने अपनेअपने कपड़े उतारे और एकदूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. जल्दीजल्दी में घर का दरवाजा बंद करने का भी उन्हें खयाल न रहा. वे दोनों एकदूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे और अपनी रासलीला में इतने मगन थे कि उन्हें कुछ होश न था.

इतने में खुशी वहां आ गई. उस ने जैसे ही दरवाजा धकेला, तो अंदर का नजारा देख उस के होश उड़ गए.

खुशी अपनी मां पर चिल्लाते हुए बोली, ‘‘तुम्हें मेरा ही घर मिला था बरबाद करने को. अपने ही दामाद से नाजायज रिश्ता बनाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई.’’

इस के बाद खुशी राजू पर बरसते हुए बोली, ‘‘तुम्हें अपनी मां जैसी सास के साथ यह सब करते हुए शर्म आनी चाहिए. लानत है तुम जैसे शौहर पर, जो अपनी सास के साथ ऐसा घिनौना रिश्ता बना रहे हो. अभी मैं तुम दोनों की काली करतूत अब्बा को बताती हूं,’’ कहते हुए खुशी अपने अब्बा के पास फोन करने ही वाली थी कि राबिया ने खुशी के सिर पर पास रखे गमले से ऐसी चोट की कि वह नीचे गिर पड़ी.

राजू ने फौरन खुशी के हाथ से फोन छीन लिया और उस का गला दबाने लगा.

राबिया खुशी के हाथपैर पकड़ कर चिल्लाने लगी, ‘‘राजू, मार दो इसे. इस के जीतेजी हम एक नहीं हो सकते. अगर यह जिंदा रही, तो हमारी असलियत सब को बता देगी,’’ और उस के बाद राजू और राबिया ने मिल कर खुशी को मौत के घाट उतार दिया.

खुशी की लाश घर में पड़ी थी. उसे देख कर वे दोनों इस चिंता में थे कि अब इस का क्या करें और कैसे पुलिस से बचें? देह की प्यास बु झाने के चक्कर में उन दोनों ने अपने रिश्ते को तो शर्मसार किया ही, साथ ही एक मां ने अपने नाजायज रिश्ते के चलते अपनी ही बेटी का खून कर दिया.

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