
गांवों में वैसे भी रात जल्दी हो जाती है और जब दिसंबर की सर्द रात हो तो गांव की गलियों में सन्नाटा पसरना आम बात है. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के कौंधियारा ब्लौक के बड़गोहना गांव में भी ऐसा ही कुछ माहौल था. ज्यादातर घरों की बत्तियां बंद थीं और लोग बिस्तरों में दुबक कर ठंड से मुकाबला कर रहे थे.
लेकिन सर्द हवा से सांयसांय करती गांव की एक गली में 16 साल की नाबालिग लड़की मोबाइल फोन से किसी से हंसहंस कर बातें कर रही थी. वह इस बात से बेखबर थी कि उस को किसी ने देख लिया है. उस लड़की की बातचीत का अंदाज बता रहा था कि दूसरी तरफ वाला शख्स उस का प्रेमी ही हो सकता है.
मांबाप की गैरमौजूदगी में उस लड़की के सिर पर इश्क का भूत सवार था. उस की उम्र 16 साल जरूर थी, लेकिन मोबाइल फोन पर मुहैया इंटरनैट से उस ने सैक्स की काफी जानकारी हासिल कर ली थी, इसीलिए उस ने सर्द रात में अपने सूने घर में प्रेमी को आने का न्योता दे दिया.
19 साल का प्रेमी शिवशंकर उर्फ छोटू तो ऐसे मौके की तलाश में था. उस लड़की मीना का फोन आते ही वह झटपट मोटरसाइकिल से उस के घर पहुंच गया. कई किलोमीटर की दूरी उस ने इतने कम समय में पूरी कर ली कि अपने सामने खड़े प्रेमी को देख कर भी मीना को आसानी से यकीन नहीं हुआ.
मीना ने अपने छोटे भाई अमन को पहले ही किसी तरह गहरी नींद में सुला दिया था. जवानी की दहलीज पर खड़े दोनों बहुत देर तक अपने को रोक नहीं पाए. इश्क की पेंगें बढ़ाते हुए वे उस में इतना खो गए कि उन को होश ही नहीं रहा कि घर में कोई और भी है. शिवशंकर भी अपनी माशूका को सामने पा कर अपनी सुधबुध खो बैठा था.
इधर बातचीत और हंसीमजाक की आवाज सुन कर 14 साल के अमन की आंख खुल गई. वह अपने घर में बहन के साथ किसी अनजान को देख कर सबकुछ जल्दी ही समझ गया. उम्र में छोटा होने के बाद भी भाई को बहन की यह हरकत नागवार लगी और वह बहन का विरोध करने लगा. डांटफटकार के बाद भी वह चुप नहीं हुआ और आंखों देखी सारी बात पिता को बताने के लिए कहने लगा.
छोटे भाई की इस घमकी के बाद उस की बड़ी बहन डर गई, लेकिन उसे अपने प्यार में बाधा बन रहे भाई की ये बातें अच्छी नहीं लगीं. इस के बाद उस ने जो किया वह जान कर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे.
मीना ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर पहले अपने छोटे भाई पर लोहे की एक छड़ से हमला किया और बाद में पीटपीट कर उस का कत्ल कर दिया.
मीना के घर वालों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार ऐसा क्यों हो गया और किस ने मासूम लड़के को जान से मार दिया. इस वारदात की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और लाश को पोस्टमौर्टम के लिए भेज दिया. इस के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर की.
पुलिस जांचपड़ताल में जो मामला सामने आया उस से सब की आंखें खुली की खुली रह गईं. अमन के पिता गुलाब खेती करते हैं. वे अपनी पत्नी को ले कर अपनी ससुराल गए थे और रात में वहीं पर रुक गए थे. घर पर उन का 14 साल बेटा अमन और 16 साल की बेटी मीना थी.
कौंधियारा पुलिस को जब एक 14 साल के लड़के की घर के भीतर हत्या की खबर मिली तो वह भी चकरा गई. पुलिस जब गुलाब के घर पहुंची तो 14 साल के मासूम अमन की खून से लथपथ लाश बिस्तर पर पड़ी थी. पुलिस को भी पहले समझ नही आ रहा था कि एक मासूम का कत्ल क्यों और कौन करेगा, वह भी घर के भीतर, जब घर में केवल भाईबहन ही हों?
पुलिस ने लाश को कब्जे में ले कर पोस्टमौर्टम के लिए भेज दिया और इस के बाद मामले की जांच शुरू कर की. घर और गांव वालों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि किसी ने नाबालिग लड़के को मार दिया. एक 14 साल के मासूम से किस की दुश्मनी हो सकती है?
इस से पहले सुबह आरोपी लड़की ने सब को चीखते हुए बताया था कि अमन को किसी ने मार दिया है. वैसे, पुलिस को शुरुआती जांच में ही बहन पर शक हो गया था. इस के बाद क्राइम ब्रांच ने जब लड़की का मोबाइल फोन सर्विलांस पर ले कर काल डिटेल निकाली तो सारा भेद खुल गया.
पुलिस की पूछताछ में लड़की घबरा गई, लेकिन उस ने अपने बयान बारबार बदल कर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश भी की. बाद में घर की तलाशी पर पुलिस को एक मोबाइल फोन मिला जिस से वह लड़की केवल अपने प्रेमी शिवशंकर उर्फ छोटू निवासी बस्तर करछना से बात करती थी.
गांव के एक बुजुर्ग ने भी पुलिस को बताया कि रात को 12 बजे के आसपास वह लड़की किसी से फोन पर बात कर रही थी. बातचीत में मशगूल मीना उन बुजुर्ग को नहीं देख सकी थी.
पुलिस को रात में शिवशंकर के मोबाइल फोन की लोकेशन बड़गोहना गांव में ही मिली. वह मौके से फरार हो चुका था, लेकिन क्राइम ब्रांच ने तेजी दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की गई लोहे की छड़ भी हत्यारोपियों की निशानदेही पर बरामद कर ली.
जिस प्यार को पाने के लिए एक बहन ने अपने छोटे भाई की बलि दे दी उसी प्रेमी के साथ अब वह जेल में अपने गुनाहों की सजा पाने के लिए भेज दी गई है.
सौजन्य-मनोहर कहानियां
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के थाना निगोहां के गांव भगवानगंज के रहने वाले सरकारी नौकरी से रिटायर सत्यनारायण ने अपनी बहू रागिनी के रंगढंग से क्षुब्ध हो कर कहा, ‘‘बहू, जब तुम्हारा पति बाहर रहता है तो मायके के ऐसे लोगों को घर में न रोका करो, जो तुम्हारे करीबी न हों. देखने वालों को यह अच्छा नहीं लगता. लोग तरहतरह की बातें करते हैं.’’
सत्यनारायण की बहू रागिनी जिला रायबरेली के थाना बछरावां के गांव भक्तिनखेड़ा की रहने वाली थी. 14 जून, 2012 को सत्यनारायण के बेटे दिलीप के साथ उस की शादी हुई थी. तब से वह ससुराल में ही रहती थी. उस का मायका ससुराल के नजदीक ही था, इसलिए अकसर उस से मिलने के लिए घर के ही नहीं, गांव के लोग भी आते रहते थे. उन में से कुछ लोगों की रिश्तेदारी उस के ससुराल के गांव में थी, इसलिए जब भी उस के मायके का कोई आता, वह रागिनी से भी मिलने चला आता.
इसीलिए ससुर की बात का जवाब देते हुए रागिनी ने कहा, ‘‘पिताजी, मायके के लोग हम से मिलने पहले भी आते थे. जब पहले नहीं रोका तो अब उन्हें कैसे रोक सकते हैं. अगर किसी को आने से मना करेंगे तो लोग क्या कहेंगे. और रही बात गांव वालों की तो उन का क्या, वे तो कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं.’’
दरअसल, पहले सत्यनारायण को बहू के मायके से कोई आता था तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती थी, लेकिन जब 10 महीने पहले उन की पत्नी कलावती की मौत हो गई तो घर में रागिनी अकेली ही रह गई. 61 साल के सत्यनारायण एक साल पहले ही नौकरी से रिटायर हुए थे. रागिनी के डेढ़ साल का बेटा भी था.
रागिनी का पति दिलीप उन्नाव जिले के जुनाबगंज के एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करता था. बहू के अकेली होने की वजह से सत्यनारायण को किसी से उस का मिलना अच्छा नहीं लगता था. इसीलिए वह बहू को बारबार मना करते थे कि वह अपने मायके वालों को अपने घर में न रोके.
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उन्होंने कहा, ‘‘बहू, गांव वालों का सब से अधिक ऐतराज मोनू के आने पर है. उसी को ले कर लोग तरहतरह की बातें करते हैं. वह गांव के दूसरे लोगों के पास बैठ कर उलटीसीधी बातें करता है.’’
‘‘पिताजी, गांव वालों के पास कोई कामधाम तो होता नहीं, इसलिए वे दूसरों के घरों में झांकते रहते हैं और तरहतरह की बातें करते रहते हैं. दूसरों के बारे में बातें बनाने में उन्हें मजा आता है.’’ गुस्से से रागिनी बोली.
उस के बात करने के तरीके से सत्यनारायण समझ गए कि रागिनी उन की बात मानने वाली नहीं है. इन्हीं बातों को ले कर ससुरबहू के बीच मतभेद बढ़ने लगे. फिर दोनों में झगड़ा होने लगा. बात बढ़ी तो गांव वालों को भी पता चल गया.
सत्यनारायण ने ही नहीं, रागिनी ने भी यह बात अपने दोस्त मोनू को बताई. मोनू जिला रायबरेली की तहसील महराजगंज के गांव पारा का रहने वाला था. एक दिन फिर वह रागिनी से मिलने आया तो उस ने कहा, ‘‘मोनू, तुम्हारे आने से मेरे ससुर को परेशानी होती है. उन्हें गांव वालों से पता चला है कि मेरे और तुम्हारे बीच गलत संबंध हैं.’’
‘‘यह तो चिंता वाली बात है. अब हम कैसे मिल पाएंगे. लगता है, हमें कोई और रास्ता निकालना होगा.’’
‘‘रास्ता क्या निकालना है. हम ने उन से साफसाफ कह दिया है कि हम गलत नहीं हैं, इसलिए मैं किसी को घर आने से रोक नहीं सकती. तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.’’ रागिनी ने कहा.
25 साल की रागिनी देखने में बहुत सुंदर तो नहीं थी, पर वह मोनू के साथ लंबे समय से रह रही थी, इसलिए दोनों के बीच नाजायज रिश्ते बन गए थे. रागिनी की शादी के बाद वह उस की ससुराल भी उस से मिलने आने लगा था. रागिनी की सास की मौत हो गई तो उस का आनाजाना बढ़ गया. उस का पति दिलीप नौकरी की वजह से अधिकतर बाहर ही रहता था. वह घर में अकेली होती थी, जिस से उसे मोनू से मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती थी. जब इस खेल के बारे में सत्यनारायण को पता चला तो उन्होंने ऐतराज किया. उन्हें लगा कि बहू को समझाने से बात बन जाएगी, इसीलिए उन्होंने यह बात अपने बेटे दिलीप को भी नहीं बताई.
रागिनी ने ससुर की बात अनसुनी कर दी
ससुर के कहने पर भी रागिनी ने मोनू को घर आने से मना नहीं किया. इस बात से नाराज हो कर सत्यनारायण ने कहा, ‘‘बहू, मैं सोच रहा था कि मेरे समझाने से तुम मान जाओगी और उसे घर आने से मना कर दोगी. लेकिन मेरी बात तुम्हारी समझ में नहीं आ रही है. लगता है, मुझे सख्ती करनी पड़ेगी. मैं चाहता हूं कि तुम मान जाओ और उसे आने से मना कर दो. यह मैं तुम से आखिरी बार कह रहा हूं.’’
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‘‘पिताजी, लगता है आप के कान किसी ने भर दिए हैं. मोनू से मेरा कोई गलत संबंध नहीं है. आप को गलतफहमी हुई है.’’ रागिनी ने ससुर को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया.
बहू के तेवर देख कर सत्यनारायण सकते में आ गए. अब उन्हें अपनी ही नहीं, बेटे की भी चिंता होने लगी. दरअसल सत्यनारायण के कोई औलाद नहीं थी. वह लखनऊ के कमिश्नर औफिस में नौकरी करते थे. नातेरिश्तेदार चाहते थे कि वह किसी बच्चे को गोद ले लें क्योंकि उन्हें पता था कि सत्यनारायण सरकारी नौकरी करते हैं. उन के पास खूब पैसा है, जिसे वह गोद लेंगे, वह मौज करेगा.
सत्यनारायण को लगता था कि लोग उन की संपत्ति के लालच में अपना बच्चा उन्हें गोद देना चाहते हैं, जबकि उन की पत्नी कलावती चाहती थी कि वह किसी रिश्तेदार का ही बच्चा गोद लें. लेकिन वह इस के लिए राजी नहीं थे. उन्होंने पत्नी को समझाया. इस के बाद दोनों ने मिलजुल कर फैसला लिया कि वे अनाथालय से बच्चा गोद लेंगे.
सत्यनारायण ने दिलीप को अनाथालय से गोद लिया था. उसे खूब पढ़ायालिखाया. दिलीप को काफी दिनों तक इस बात का पता नहीं था कि वह गोद लिया बच्चा है. वह अपने मांबाप को बहुत प्यार करता था. कलावती बीमार रहने लगीं तो उन्होंने दिलीप की शादी रागिनी से कर दी थी.
शादी के 3 सालों बाद रागिनी को बेटा हुआ, सब बहुत खुश हुए. लेकिन यह खुशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी, क्योंकि कलावती की मौत हो गई थी. बेटेबहू के लिए उन्होंने बढि़या मकान पहले ही बनवा दिया था. पत्नी की मौत के बाद वह अकेले पड़ गए थे. बुढ़ापे में अब उन्हें बेटे और बहू का ही सहारा था.
रागिनी के व्यवहार से घर में कलह शुरू हो गई थी. वह ससुर से खुल कर लड़ने लगी थी. इस बात को ले कर सत्यनारायण को बहुत तकलीफ थी. अपनी यह तकलीफ वह गांव वालों से व्यक्त भी करने लगे थे. गांव वालों ने उन्हें समझाया तो उन्होंने कहा, ‘‘बहू मेरी हत्या भी करा सकती है.’’
गांव वालों को लगा कि बुढ़ापे की वजह से वह ऐसा सोच रहे हैं, इसलिए किसी ने उन की बात को गंभीरता से नहीं लिया.
25 सितंबर की सुबह गांव के बाहर खेत में सत्यनारायण की लाश पड़ी मिली. इस बात की सूचना उन के बेटे दिलीप और पुलिस को दी गई. घटनास्थल पर पहुंच कर दिलीप पिता की लाश से लिपट कर रोने लगा. वह बारबार यही कह रहा था कि रागिनी ने इन्हें मरवा दिया.
आखिरी रागिनी आ गई शक के घेरे में
घटना की सूचना पा कर थाना निगोहां के थानाप्रभारी चैंपियनलाल पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. सभी का कहना था कि बहू ने ही सत्यनारायण की हत्या कराई है. चैंपियनलाल नहीं चाहते थे कि कोई निर्दोष जेल जाए, इसलिए बिना सबूतों के वह रागिनी को जेल भेजने के पक्ष में नहीं थे. क्योंकि रागिनी खुद को निर्दोष कह रही थी.
चैंपियनलाल ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो उन्हें लाश के पास से लाल रंग की चूडि़यों के टुकड़े मिले. चूडि़यों के उन टुकड़ों को देख कर उन्हें लगा कि इस हत्या में रागिनी का हाथ हो सकता है, इसलिए उन्होंने उन टुकड़ों का रागिनी के हाथ में पहनी चूडि़यों का मिलान कराया तो वे रागिनी की चूडि़यों से मिल गए.
यही नहीं, चूड़ी टूटने से रागिनी के हाथ में खरोंच के निशान भी पाए गए. इस के बाद उन्होंने रागिनी से पूछताछ शुरू की तो रागिनी ने ससुर की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर हत्या की पूरी कहानी सुना दी.
24 सितंबर को मोनू रागिनी से मिलने आया तो इस की जानकारी सत्यनारायण को हो गई. उन्होंने गुस्से में कहा, ‘‘अब तक मैं चुप था, लेकिन अब मुझे यह सब दिलीप से बताना ही पड़ेगा.’’
इस से रागिनी डर गई, क्योंकि अब उस का भेद पति को पता चल जाता. डर की वजह से उस ने ससुर से किसी भी तरह की बहस नहीं की. चुपचाप उन की बात सुन ली. लेकिन उस ने मन ही मन तय कर लिया कि अब यह शिकायत का सिलसिला बंद होना चाहिए. उस ने फोन कर के यह बात मोनू को बता दी.
उसी समय दोनों ने तय कर लिया कि आज रात वे शिकायतों का कांटा हमेशाहमेशा के लिए निकाल फेंकेंगे. उस रात गांव में आर्केस्ट्रा हो रहा था. सत्यनारायण उसे देखने के लिए निकले, तभी रागिनी ने दिलीप से कहा कि वह शौच के लिए बाहर जा रही है.
घर से बाहर आ कर रागिनी ने दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया इस के बाद मोनू को फोन कर के कहा कि बुड्ढा घर से निकल गया है. मोनू अपने साथी के साथ आ गया. मोनू और उस के साथी ने सत्यनारायण को पकड़ लिया. सत्यनारायण मजबूत कदकाठी के थे, इसलिए वे दोनों उन्हें काबू नहीं कर पा रहे थे. उन्होंने मोनू के गले में अंगौछा डाल कर उसे गिरा दिया.
जब रागिनी को लगा कि ये दोनों बुड्ढे को काबू नहीं कर पाएंगे, तो वह भी उन के साथ लग गई. तीनों ने मिल कर सत्यनारायण को गिरा दिया और उन्हें मार डाला. लाश को वहीं छोड़ कर तीनों अपनेअपने घर चले गए. रागिनी घर आई तो दिलीप ने पिता के बारे में पूछा. रागिनी ने कहा कि वह आर्केस्ट्रा देखने गए हैं.
काफी रात बीतने पर भी सत्यनारायण घर नहीं आए तो दिलीप वहां गया, जहां आर्केस्ट्रा हो रहा था. पिता वहां नहीं मिले तो देर रात तक वह उन्हें खोजता रहा. परेशान हो कर वह घर आ गया. सुबह गांव वालों से पता चला कि पिता की हत्या हो गई है तो उस की समझ में आ गया कि रागिनी ने ही पिता को मरवाया है.
5 घंटे के अंदर ही थाना निगोहां पुलिस ने जिस तरह से सबूतों के साथ हत्या का खुलासा किया, उस से लोगों में एक भरोसा जाग गया. रागिनी और मोनू को गिरफ्तार कर के पुलिस ने जेल भेज दिया. रागिनी के जेल जाने के बाद दिलीप के सामने सब से बड़ी समस्या यह थी कि वह छोटे से बच्चे का पालनपोषण कैसे करे. क्योंकि बिना मां के बच्चे का पालनपोषण करना ही परेशानी की बात है.
– कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चाओं पर आधारित
आज समय है सावधान रहने का! सावधानी चाहे वह युवती हों, पुरुष हों या उम्रदराज महिलाएं अगर आपकी मित्रता… फ्रेंडशिप जिसका आज कल बड़ा चलन में है, थोड़ी भी चुक नहीं हुई कि सामने वाला भयादोहन या फिर ब्लेक मेलिंग पर उतर आता है.
इसलिए आपको सावधान करते हुए एक ऐसी रिपोर्ट हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं जो आपको सचेत करती है और बताती है कि कैसे आजकल समाज में ब्लैक मेलिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा है. अक्सर लोग इतने सफल हो जाते हैं. कुछ ही मामले ऐसे होते हैं जिनमें ब्लैकमेल करने वाले पुलिस गिरफ्त में आ पाते हैं.
पहला घटनाक्रम-
एक ब्लैकमेलर ने पहले महिला पर चिकनी चुपड़ी बातों से प्रेम जाल फेंका. जब महिला प्रेम जाल में फंसी गई, तो दोनों अक्सर बातचीत करने लगे. आरोपी ने मौका देखकर महिला को ब्लैकमेल किया. महिला से तकरीबन साढ़े 5 लाख रुपये ठग लिया. महिला ने तंग आकर राजहरा थाने में शिकायत दर्ज कराई.
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दूसरा घटनाक्रम-
छत्तीसगढ़ के न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर में एक महिला ने पुरुष से संबंध बनाएं और वीडियो बनाकर अपने साथियों के साथ भयादोहन पर उतर आई.शिकायत के पश्चात पुलिस ने जांच की और दोषी पाया.
तीसरा घटनाक्रम-
छत्तीसगढ़ के जिला अंबिकापुर में एक युवक ने कई लड़कियों से दोस्ती गांठी और लड़कियों के अश्लील वीडियो, फोटो बनाएं लाखों रुपए की ब्लेक मेलिंग की अंततः जेल की सलाखों में पहुंच गया.
इस तरह अनेक घटनाएं हमारे आसपास घटित हो रही हैं. दरकार है समझदारी और विवेक की . अगर हम और हमारे आस-पास कोई मित्र, संबंधी जरा भी भटका नहीं की, ब्लैक मेलिंग का शिकार हुआ समझिए.
वीडियो कॉल बना, ब्लैक मेलिंग का जरिया…
छत्तीसगढ़ के राजहरा में घटित एक सनसनीखेज घटना इन दिनों चर्चा में है. यहां एक युवक ने एक युवती से मित्रता की फिर उसका एक वीडियो कॉल के दरमियान अश्लील फोटो बना लिया और शुरू हो गया ब्लैकमेल करने.
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आरोपी आकाश जायसवाल उर्फ गोल्डी ने पहले बीमार होने का बहाना किया. फिर महिला से 3 लाख 60 हजार रुपये ले लिया. कुछ दिनों के बाद महिला ने रकम वापस मांगी. तो आरोपी ने महिला की अश्लील तस्वीर उसके सामने रखकर “सोशल मीडिया” पर वायरल करने की धमकी देने लगा. यही नहीं कथित आरोपी ने फिर 1 लाख 90 हजार रुपये महिला से वसूल लिया. कुल मिलाकर आरोपी ने साढ़े 5 लाख रुपये और जेवरात ठग लिया.
आरोपी ने महिला से लिए सोने के जेवरात को 50 हजार रुपये में एक बैंक में गिरवी रख दिया था, जिसे पुलिस ने बैंक के लॉकर से बरामद किया है. वही आरोपी ने महिला से मिली रकम से एक अदद कार भी खरीदी थी, जिसकी कीमत 4 लाख 50 हजार रुपये बताई जा रही है.
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यहां सबसे सनसनीखेज तथ्य यह सामने आया है
महिला की आरोपी ने वीडियो कॉल के दौरान अश्लील फोटो ले ली थी. यानी महिला को पता ही नहीं चला और वह शिकार बन गई.आगे आरोपी फोटो वायरल करने की बार-बार धमकी दे कर जान से मारने की धमकी भी देता था.
टिन की छत के बने तंबूनुमा बदबूदार देशी थिएटर के बाहर कुछ लोगों की भीड़ जमा थी. उन में अधेड़ उम्र के ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा थी, जो बस्ती के पास के बड़े शहर में मजदूर थे या फिर रिकशा वगैरह चला कर अपना पेट पालते थे. कुछ ने तो दिन में ही शराब पी रखी थी.
उस वीडियो थिएटर में सीडी से बड़े टैलीविजन पर फिल्म दिखाई जाती थी. बाहर एक हिंदी फिल्म ‘बदले की आग’ का पोस्टर लगा था. बस्ती के बाहर की तरफ बने इस थिएटर में स्कूल से गुठली मार कर कुछ बच्चे भी फिल्म देखने चले आए थे.
जब थोड़ी भीड़ बढ़ी तो सब से पैसे ले कर उन्हें भीतर तंबू में बिठा दिया गया. फिल्म के शुरू होते ही वहां थोड़ी रोशनी हुई. पर यह क्या, फिल्म ‘बदले की आग’ न जाने कैसे ‘जिस्म की आग’ में बदल गई. हिंदी के बदले कोई इंगलिश फिल्म चालू हो गई और देखने वालों की बांछें खिल गईं.
चंद मिनट बाद ही फिल्म में एक गोरी विलायती औरत किसी अफ्रीकन मर्द के साथ बिस्तर पर थी. इस के बाद उन के बीच सैक्स का ऐसा खुला खेल चला कि देखने वालों का जिस्म भी खुल गया.
सवा घंटे की उस फिल्म में मर्दऔरत के जिस्मानी रिश्तों का पलंगतोड़ मजा था कि वह थिएटर ही गरमा गया. मतलब, लोगों ने ब्लू फिल्म यानी पोर्न फिल्म का मजा लिया था और अपने पूरे पैसे वसूल किए थे.
दुनियाभर में इन पोर्न फिल्मों का बहुत बड़ा बाजार है. इन के कलाकार भी बहुत मशहूर हैं. हालिया चर्चा में रही मिया खलीफा और हिंदी फिल्मों में ऐंट्री कर चुकी सनी लियोनी ऐसी ही पोर्न स्टार रह चुकी हैं.
सवाल उठता है कि ये फिल्में बनती कैसे हैं? इस का जवाब है कि विदेश में इन्हें बनाने के लिए तगड़ा पैसा खर्च होता है. पोर्न कलाकारों के जिस्म और उन की अदाओं के मुताबिक पैसा मिलता है. इन की सेहत और शरीर की साफसफाई पर बड़ा ध्यान दिया जाता है.
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एक पोर्न फिल्म बनाने पर कई दिन भी लग जाते हैं. इन में भी आम फिल्मों की तरह पैसा लगाने वाले, डायरैक्टर, कैमरामैन, स्क्रिप्ट लिखने वाले के साथसाथ कलाकारों की टीम होती है. सीन को एकदम रीयल दिखाने के लिए कलाकारों को सीन सम?ाए जाते हैं. ऐसे में कुछ मुश्किलें भी सामने आती हैं, जैसे पूरी शूटिंग के दौरान कई घंटों तक पोर्न फिल्म के मर्द कलाकार का जोश में रहना जरूरी होता है.
लड़कियां भी काफी मेहनत करती हैं. शूटिंग के पहले उन्हें खाना खाने की मनाही होती है, ताकि शूटिंग के समय उन का पेट सपाट और सुडौल दिखे. पर चूंकि उन्हें पैसा अच्छा मिलता है, तो यह सब उन्हें करना पड़ता है.
आज जबकि ऐसी पोर्न फिल्मों का भारत भी एक बड़ा बाजार है और जब से वैब सीरीज के नाम पर यहां भी सैक्स सीन और गालियां दिखानेसुनाने की छूट मिली है, तब से इन की आड़ में देशी पोर्न फिल्में भी बनने लगी हैं, जो चोरीछिपे बनाई जाती हैं. जो काम चोरीछिपे होता है, वहां अपराध होने में कितनी देर लगती है.
इसी अपराध की दुनिया बड़ी भयावह है और जल्दी से जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में लोग ऐसे काले काम कर देते हैं, जिन के बारे में सोच कर भी रोंगटे खड़े हो जाएं.
ऐसा ही एक मामला तब दुनिया के सामने आया, जब मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने 5 फरवरी, 2021 को पोर्न फिल्म बनाने वाली एक प्रोडक्शन कंपनी का परदाफाश किया. यह कंपनी फिल्मों में काम करने की चाहत रखने वाले लोगों से शौर्ट फिल्म में काम करने का एग्रीमैंट कराती थी, फिर शूटिंग के दौरान अगर कोई न्यूड शूट के लिए मना करता था तो करार तोड़ने पर जुर्माने की धमकी दे कर उसे ऐसे सीन करने के लिए मजबूर किया जाता था.
पुलिस ने इस सिलसिले में मालाड (पश्चिम) में मढ़ के ग्रीन पार्क बंगले पर छापा मार कर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आरोपियों में 40 साल की फोटोग्राफर यासमीन खान और ग्राफिक डिजाइनर प्रतिभा नलावडे भी शामिल थीं. प्रतिभा नलावडे पोर्न फिल्म की प्रोडक्शन इंचार्ज भी थीं.
पकड़े गए बाकी 3 लोगों में से मोनू जोशी कैमरामैन और लाइटमैन का काम करता था, जबकि भानु ठाकुर और मोहम्मद नासिर ऐक्टर थे.
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मुबंई पुलिस क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल के मुताबिक, इस गिरोह की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ने ‘हौटहिट मूवीज’ नाम का एक एप भी बना रखा है, जिस में वे लोग अपनी पोर्न फिल्मों को अपलोड करते थे. इस एप के लिए वे देखने वाले से सबस्क्रिप्शन फीस लेते थे.
पुलिस ने इस गिरोह के पास से स्क्रिप्ट के साथ 6 मोबाइल फोन, एक लैपटौप, लाइट स्टैंड, नामी कंपनी के कैमरे समेत तकरीबन 5,68,000 रुपए का सामान जब्त किया. इस के अलावा पोर्न फिल्म के धंधे से कमाए गए 36,60,000 रुपए भी बरामद किए.
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने एक मिडिलमैन उमेश कामत को भी गिरफ्तार किया, जिस का काम मुंबई में शूट की गई पोर्न फिल्मों को विदेशों से कब और कैसे अपलोड कराना है, यह सब देखना था.
मोटा है मुनाफा
प्रौपर्टी सैल के एक बड़े अफसर केदारी पवार ने बताया कि उन्हें ऐसी जानकारी मिली थी कि एक गिरोह मुंबई में इस धंधे से करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहा है. जानकारी मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने एक टीम बना कर मालवणी मढ़ इलाके में बने ग्रीन विला नाम के बंगले पर दबिश दी और पोर्न मूवी की शूटिंग के दौरान 5 लोगों को गिरफ्तार किया और एक 23 साल की लड़की को उन के चंगुल से छुड़ाया.
केदारी पवार ने आगे बताया कि ये लोग ऐसे नौजवानों को टारगेट करते थे जो काफी स्ट्रगल कर रहे हैं. ये आरोपी उन लोगों को बौलीवुड, टैलीविजन सीरियल या फिर किसी बड़ी वैब सीरीज में अच्छा रोल दिलाने का सपना दिखाते थे और फिर उन्हें अपने साथ काम करने के लिए मना लेते थे.
आधी फिल्म तक ये लोग अच्छी कहानी बता कर शूट करते थे और उस के बाद सैकंड हाफ में बोल्ड सीन शूट के नाम पर पोर्न सीन शूट करने लगते थे.
पुलिस की मानें, तो पकड़ी गई 40 साल की फोटोग्राफर यासमीन खान खुद पहले फिल्मों और टैलीविजन सीरियल में छोटेमोटे रोल कर चुकी है. यही वजह है कि उस के पास ऐसी लड़कियों की लिस्ट है, जो लोग बौलीवुड या फिर टैलीविजन सीरियल में एक चांस मिलने को ले कर सालों से जद्दोजेहद कर रही हैं.
यासमीन खान इन लड़कियों को शौर्ट फिल्म के नाम पर औफर देती थी. इस के बाद वह इन स्ट्रगलर को 20 मिनट की फिल्म बनाने के हिसाब से एक स्क्रिप्ट सुनाती थी, लेकिन किसी भी न्यूड सीन की जानकारी नहीं देती थी. इस के बाद वह इस छोटी फिल्म की शूटिंग के लिए कलाकारों को 25,000 से 30,000 रुपए देने का वादा करती थी.
इस के बाद यासमीन खान इन कलाकारों से एक एग्रीमैंट पर दस्तखत कराती थी, जिसे उन्हें पूरा पढ़ने भी नहीं दिया जाता था. इस एग्रीमैंट पर दस्तखत मिलने के बाद उन कलाकारों को शूटिंग के लिए मालवणी मढ़ इलाके में बने किसी बंगले पर बुलाया जाता था, फिर जैसेजैसे शूटिंग आगे बढ़ती थी, वैसेवैसे उन कलाकारों को कपड़े निकालने को कहा जाता था.
अगर कोई कलाकार ऐसा करने से मना करता, तो उसे एग्रीमैंट दिखा कर और बात न मानने पर उस पर कानूनी कार्यवाही करने की धमकी दी जाती थी.
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एक और खुलासा
इस सनसनीखेज मामले में ?ारखंड की एक लड़की ने मुंबई पुलिस को बताया कि जब उस ने पोर्न फिल्म की शूटिंग करने से इनकार कर दिया, तो आरोपियों ने उसे धमकाया कि उस ने जो एग्रीमैंट किया है, उस में साफ लिखा हुआ है कि अगर वह ऐसा नहीं करेगी, तो उसे बतौर जुर्माना 10 लाख रुपए देने पड़ेंगे और साथ ही उस के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज की जाएगी.
वह लड़की झारखंड और कुछ दूसरे शहरों में मौडलिंग के कई कंपीटिशन में हिस्सा ले चुकी थी. 29 दिसंबर, 2020 को उस के पास संतोष नाम के एक आदमी का फोन आया था और उसे बताया गया कि उन लोगों ने उसे एक वैब सीरीज के लिए चुन लिया है, जिस की शूटिंग लोनावाला में है. एक दिन की शूटिंग के लिए उस लड़की को बतौर मेहनताना 25,000 से 30,000 रुपए दिए जाएंगे.
संतोष से हुई बातचीत के बाद उस लड़की के पास अलीशा का फोन आया. उस ने बताया कि इस वैब सीरीज का प्रसारण ‘हौटहिट मूवीज’ पर होगा, जो एक पेड ओटीटी एप है.
झारखंड की उस मौडल लड़की ने बताया कि अगले दिन उस के पास फोन आया कि किसी वजह से लोनावाला की शूटिंग कैंसिल हो गई है, जो अब मालाड के मड आईलैंड में होगी. उसे वहां बुलाया गया और इंगलिश भाषा में लिखे हुए एक एग्रीमैंट पर उस से दस्तखत करवाए गए और हिंदी भाषा में मतलब भी सम?ाया गया.
लड़की ने बताया कि वैब सीरीज की शूटिंग शुरू होने के कुछ मिनट बाद उस पर गलत सीन करने का दबाव डाला गया. उस ने मना किया, तो उसे धमकाया गया. लड़की ने फिर वैसे ही सीन किए, जैसे उसे बताए गए थे.
उस लड़की ने बताया कि 31 दिसंबर, 2021 को अलीशा का फोन आया कि तुम्हारे अकाउंट में रकम ट्रांसफर नहीं हो रही है. लड़की ने फिर किसी परिचित का बैंक औफ बड़ौदा, लखनऊ ब्रांच का अकाउंट नंबर दिया. उस अकाउंट में रकम भेजी गई.
कहां है चूक
वैब सीरीज में जिस तरह एडल्ट सीन करने की छूट मिली हुई है, उसी के चलते पोर्न फिल्म या वीडियो बनाने वालों को हिम्मत मिलती है. नए कलाकार भी जब तक पकड़े नहीं जाते हैं, तब तक ऐसी फिल्मों में काम करते रहते हैं, क्योंकि उन्हें एकमुश्त अच्छा पैसा जो मिलता रहता है, जो उन्हें मुंबई में टिके रहने के लिए बहुत जरूरी है.
बहुत से नए कलाकार तो अपने खर्चे निकालने के लिए देह धंधे के बाजार में उतर जाते हैं. पोर्न फिल्मों में चूंकि लोग उन्हें स्क्रीन पर ऐसे सीन करते देखते हैं, तो बनाने वालों को भी मोटा मुनाफा मिल जाता है. इस लालच में वे ऐसे गंदे काम करते हैं. पुलिस की एक दबिश से या कुछ लोगों के पकड़े जाने से यह गोलमाल खत्म हो जाएगा, ऐसा दावा करना जल्दबाजी होगी.
गहना वशिष्ठ भी धरी गई. इस कांड में तब और ज्यादा दिलचस्प मोड़ आया, जब टैलीविजन हीरोइन और मौडल गहना वशिष्ठ को मुंबई क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने 6 जनवरी, 2021 की शाम को गिरफ्तार किया. आरोप था कि वैब सीरीज ‘गंदी बात’ में भी काम कर चुकी गहना वशिष्ठ नए कलाकारों को अच्छा रोल दिलाने का ?ांसा दे कर उन्हें पोर्न वीडियो में काम करने को कहती थी और फिर उस वीडियो को 2 अलगअलग वैबसाइटों पर अपलोड कर लाखों रुपए कमाती थी.
पुलिस के एक बड़े अफसर ने बताया कि गहना वशिष्ठ का ‘जीवी स्टूडियो’ नाम का एक प्रोडक्शन हाउस है, जिस के तहत वह ऐसे गंदे वीडियो शूट करती थी. पुलिस की मानें, तो साल 2019 से गहना वशिष्ठ इस तरह के वीडियो बनवा रही है. पुलिस को अब तक ऐसे तकरीबन 90 पोर्न वीडियो मिले हैं, जिसे गहना ने शूट कराया है.
क्राइम ब्रांच के एक अफसर ने बताया कि 3 फरवरी, 2021 को गहना वशिष्ठ के घर पर दबिश दी गई थी, जिस के बाद उस के घर से 3 मोबाइल फोन, एक लैपटौप और बैंक से संबंधित कुछ दस्तावेजों को जब्त किया गया.
पुलिस ने गहना वशिष्ठ से की गई जांच के दौरान पाया कि उस के पास 2 वैबसाइट हैं, जिन पर वह इस तरह के वीडियो अपलोड करती थी. उस के बनाए गए पोर्न वीडियो को देखने के लिए चैनल को सब्सक्राइब करना पड़ता है, जिस के लिए 2,000 रुपए लगते हैं.
कहते हैं किसी अपराध के पीछे जर, जोरू और जमीन निश्चित रूप से होते हैं. इस प्राचीन सच के एक बार पुनः सत्य होने के प्रमाण मिल गए. जब एक पत्नी ने अपने अधेड़ पति की हत्या कुछ ऐसे ही कारणों से करवाई और अंततः पुलिस के हाथों पकड़े जाने पर आज जेल में हवा खा रही है.
छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर कोरबा के थाना कटघोरा अंतर्गत वन विभाग में कार्यरत एक डिप्टी रेंजर की हत्या के मामले को आखिरकार सुलझा लिया गया. अवैध संबंधों को लेकर की गयी ये हत्या सुपारी देकर कराइ गई थी. मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. सनसनीखेज तथ्य यह की हत्या की ये सुपारी किसी और को नहीं बल्कि देह व्यापार करने वाली एक महिला को दी गई .
इस मामले का खुलासा करते हुए हमारे संवाददाता को एसडीओ पुलिस रामगोपाल करियारे ने बताया – डिप्टी रेंजर कंचराम पाटले कटघोरा वन मंडल में पदस्थ था और ड्यूटी के लिए तो घर से निकला, मगर वापस नहीं लौटा.
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दूसरे दिन उसकी लाश पुराने बैरियर के पास सड़क के किनारे मिली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर ने मौत की वजह पॉइजनिंग और रक्तश्राव और बताया. पुलिस जांच में धीरे-धीरे जो तथ्य सामने आए वह चौक आने वाले थे.
‘चुड़िहायी” पत्नी की भूमिका
पुलिस जांच में अंततः छत्तीसगढ़ की चूड़ी प्रथा के अंतर्गत पत्नी बनाकर लाई एक महिला को संदिग्ध पाया गया.
आगे देखिए! किस तरह पत्नी की भूमिका निभा रही महिला ने डिप्टी रेंजर की संपत्ति, उसकी नौकरी यानी कुल मिलाकर पति को रास्ते से हटाने क्या क्या धत्त कर्म किया.
पुलिस को पता चला कि कंचराम पाटले को किसी का फोन आया और वह ड्यूटी पर जाने की बात कहकर निकल पड़ा. पुलिस की साइबर टीम ने पाटले को आये मोबाइल कॉल के आधार पर मृतक कंचराम पाटले की चुड़ियाही पत्नी संतोषी पाटले और उसके जीजा नरेंद्र टंडन को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की. खुलासा हुआ कि कंचराम पाटले ने अपनी पहली पत्नी की मौत के बाद संतोषी पाटले से चूडियाही विवाह कर लिया था. मगर संतोषी का अपने जीजा नरेंद्र टंडन से पूर्व में ही अवैध संबंध था जिसकी जानकारी कंचराम पाटले को हो गयी थी जिसके पश्चात घर में विवाद की स्थिति रहने लगी थी. प्रदीप जी स्वभाव और हाथ से निकलने से चिंतित संतोषी ने अपने जीजा से मिलकर एक षड्यंत्र बुना.
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कंचराम पाटले और संतोषी के दो बच्चे हुए, वहीँ उसकी पहली पत्नी से एक पुत्री हुई थी जिसकी उम्र 24 वर्ष है, उसकी मिर्गी की बीमारी को लेकर कंचराम पाटले परेशान रहा करता था. वन विभाग में नौकरी करने वाले कंचराम पाटले के पास काफी संपत्ति थी, जिस पर उसके साढ़ू नरेंद्र टंडन की नजर गड़ गई. उसने संतोषी को लालच दिलाया की अगर कंचराम पाटले को रस्ते से हटा दिया जाये तो संतोषी को पेंसन के साथ नौकरी भी मिल जाएगी.
यह बात संतोषी को जच गई और वह अपने ही पति को रास्ते से हटाने के लिए षड्यंत्र बुनती चली गई.
पुलिस ने इस वारदात में लिप्त देह व्यापर से जुडी एक महिला पूर्णिमा साहू को सुपारी किलर का नाम दिया है, जिससे नरेंद्र टंडन के मित्र राजेश जांगड़े उर्फ़ राजू ने संपर्क किया. इसके बाद हत्या का षड्यंत्र रचा गया.महीने भर बाद पूरी कहानी तैयार करके कंचराम पाटले को संतोषी ने कटघोरा आकर फोन किया और कहा कि वह उसकी बेटी के मिर्गी के इलाज के लिए एक वैद्य लेकर आयी है. कंचराम पाटले उसके झांसे में आ गया , और उसके बताये गए जगह पर पहुँच गया. यहाँ योजना के मुताबिक कंचराम पाटले को एक कार में बिठाया गया और उसे पानी में सुहागा घोल कर पिला दिया गयाऔर उसके नाक मुंह को दबा दिया गया. बेहोश होते ही उसे सड़क के किनारे फेंक दिया गया. यहाँ उसके ऊपर टंगिये से हमला किया गया. परिणाम स्वरूप कंचराम की मौत हो गयी.
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झाड़-फूंक कर खात्मे का भरोसा!
हत्या की इस वारदात के मास्टर माइंड नरेंद्र टंडन द्वारा दो लाख पच्चास हजार रूपये में सुपारी किलर पूर्णिमा साहू से सौदा कर हत्या की योजना बनाई गई.
इसके लिए उन्होंने कोरबी बलौदा निवासी राजेश जांगड़े उर्फ राजू 42 वर्ष के जरिए सरकंडा निवासी देहव्यापार में लिप्त पूर्णिमा से संपर्क किया उसने कंचराम के संबंध में पूरी जानकारी लेकर उसे झाड़फूक के जरिए मरवाने का विश्वास दिलाया. अपने प्रेमी कमल कुमार धुरी सरकंडा, ऋषि कुमार उर्फ गुड्डू सरकंडा और देह व्यापार में सहयोगी रामकुमार श्रीवास कोनी को योजना में शामिल कर लिया. घटना दिवस की शाम महिला अपने तीनों साथी के साथ कार में बिलासपुर से कटघोरा पहुंची. बाइक में नरेंद्र टंडन और राजेश जांगड़े भी वहां पहुंचे थे. और वारदात को अंजाम दिया.
इस मामले में पुलिस ने मृतक की पत्नी संतोषी पाटले, राजेश कुमार उर्फ़ राजू,कमल कुमार धुरी, ऋषि कुमार उर्फ गुड्डू और रामकुमार श्रीवास को गिरफ्तार करके हत्या के आरोप में जेल भेज दिया है.
10 मई, 2017 की सुबह कानपुर के थाना काकादेव के थानाप्रभारी मनोज कुमार सिंह रात में पकड़े गए 2 अपराधियों से पूछताछ कर रहे थे, तभी उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन रिसीव कर के उन्होंने कहा, ‘‘थाना काकादेव से मैं इंसपेक्टर मनोज कुमार सिंह बोल रहा हूं, आप कौन?’’
‘‘सर, मैं लोहारन भट्ठा से बोल रहा हूं. जीटी रोड पर स्थित रामरती के होटल पर एक युवक की हत्या हो गई है.’’ इतना कह कर फोन करने वाले ने फोन तो काट ही दिया, उस का स्विच भी औफ कर दिया.
सूचना हत्या की थी, इसलिए मनोज कुमार सिंह ने पहले तो इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी, उस के बाद खुद पुलिस बल के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. रामरती का होटल जीटी रोड पर जहां था, सिपाहियों को उस की जानकारी थी.
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इसलिए पुलिस वालों को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. पुलिस के पहुंचने तक वहां काफी लोग इकट्ठा हो गए थे. मनोज कुमार सिंह भीड़ को हटा कर वहां पहुंचे, जहां लाश पड़ी थी. एक अधेड़ उम्र महिला लाश के पास बैठी रो रही थी.
मनोज कुमार सिंह ने महिला को सांत्वना देते हुए लाश से अलग किया. उन्होंने उस से पूछताछ की तो उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम रामरती है. मैं ही यह होटल चलाती हूं. जिसे मारा गया है, उस का नाम छोटू है. यह मेरा मुंहबोला भाई है. रात में किसी ने इस का कत्ल कर दिया है.’’
लाश की शिनाख्त हो ही गई थी. मनोज कुमार सिंह ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. मृतक छोटू की लाश तख्त पर पड़ी थी. किसी भारी चीज से उस के सिर पर कई वार किए गए थे, जिस से उस का सिर फट गया था.
शायद ज्यादा खून बह जाने से उस की मौत हो गई थी. खून से तख्त पर बिछा गद्दा, चादर, कंबल और तकिया भीगा हुआ था. तख्त के पास एक बाल्टी रखी थी, जिस का पानी लाल था. इस से अंदाजा लगाया गया कि हत्या करने के बाद हत्यारे ने बाल्टी के पानी में खून सने हाथ धोए थे.
मनोज कुमार सिंह घटनास्थल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसएसपी सोनिया सिंह और सीओ गौरव कुमार वंशवाल भी आ गए. अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. उन्होंने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और रामरती से पूछताछ की.
फोरैंसिक टीम ने कई जगहों से फिंगरप्रिंट लिए. उस के बाद खून से सनी चादर, तकिया, कंबल, एक जोड़ी चप्पल और मृतक के बाल जांच के लिए कब्जे में ले लिए. पुलिस ने अन्य औपचारिक काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए लालालाजपत राय अस्पताल भिजवा दिया.
मनोज कुमार सिंह ने हत्या का खुलासा करने के लिए रामरती और आसपास वालों से पूछताछ की. इस पूछताछ में पता चला कि होटल में रात को 2 लड़के और सोए थे. मनोज कुमार सिंह ने तुरंत उन दोनों लड़कों बुधराम और सलाउद्दीन को हिरासत में ले लिया.
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थाने ला कर दोनों लड़कों से सख्ती से पूछताछ की गई. तमाम सख्ती के बावजूद दोनों लड़कों ने छोटू की हत्या करने से साफ मना कर दिया. उन का कहना था कि वे रात में होटल पर सोए जरूर थे, लेकिन उन्हें हत्या के बारे में पता ही नहीं चला. काफी सख्ती के बावजूद जब दोनों ने हामी नहीं भरी तो मनोज कुमार सिंह को लगा कि ये दोनों निर्दोष हैं. उन्होंने उन्हें छोड़ दिया. इस के बाद उन्होंने हत्यारे का पता लगाने के लिए अपने मुखबिरों को लगा दिया.
12 मई, 2017 को मुखबिर से पता चला कि छोटू की हत्या नाजायज रिश्तों में रुकावट बनने की वजह से हुई है. लोहारन भट्ठा का ही रहने वाला संजय रामरती की बेटी सुनयना से प्यार करता था. दोनों के प्यार में छोटू बाधक बन रहा था, इसलिए अंदाजा है कि संजय ने ही छोटू की हत्या की है.
मुखबिर की बात पर विश्वास कर के मनोज कुमार सिंह ने रामरती की बेटी सुनयना से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि वह संजय से प्यार करती थी. उस के प्यार में छोटू मामा बाधक बन रहे थे. उन के मिलने को ले कर अकसर संजय और मामा में कहासुनी होती रहती थी. मामा की शिकायत पर उसे मां की डांट सुननी पड़ती थी.
सुनयना के इस बयान पर मनोज कुमार सिंह को पक्का यकीन हो गया कि छोटू की हत्या संजय ने ही की थी. संजय को गिरफ्तार करने के लिए उन्होंने संजय के घर छापा मारा तो वह घर पर नहीं मिला. उन्होंने उस के बारे में पता करने के लिए मुखबिरों को लगा दिया. इस के बाद मुखबिरों की सूचना पर उन्होंने उसे गोल चौराहे से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए स्वरूपनगर स्थित सीओ औफिस ले आए.
सीओ गौरव कुमार वंशवाल की उपस्थिति में संजय से छोटू की हत्या के बारे में पूछताछ शुरू हुई तो उस ने हत्या करने से साफ मना कर दिया. लेकिन जब उस से थोड़ी सख्ती की गई तो उस ने छोटू की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि वह सुनयना से बहुत प्यार करता था. लेकिन सुनयना का मामा छोटू दोनों को मिलने नहीं देता था. इसीलिए उस ने उसे मौत की नींद सुला दिया था. अपराध स्वीकार करने के बाद संजय ने वह हथौड़ा, जिस से उस ने छोटू की हत्या की थी और खून से सने अपने कपड़े घर से बरामद करा दिए थे.
चूंकि संजय ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था और हथियार भी बरामद करा दिया था, इसलिए थाना काकादेव पुलिस ने रामरती को वादी बना कर अपराध संख्या 337/2017 पर आईपीसी की धारा 302 के तहत संजय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. संजय से की गई पूछताछ में प्यार के जुनून में की गई छोटू की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—
कानपुर महानगर के थाना काकादेव का एक मोहल्ला लोहारन भट्ठा है. इस के एक ओर जीटी रोड है तो दूसरी ओर चर्चित जेके मंदिर है. वैसे यह मोहल्ला गंगनहर की जमीन पर अवैध रूप से बसा है. यहां ज्यादातर गरीब और निम्मध्यवर्ग के लोग रहते हैं. इसी मोहल्ले में धर्मेंद्र अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रामरती के अलावा बेटी सुनयना थी.
धर्मेंद्र का जीटी रोड पर चायपान का होटल था, जिसे उस की पत्नी रामरती चलाती थी. वह काफी व्यवहारकुशल थी, इसलिए उस का यह होटल खूब चलता था. इसी होटल की कमाई से वह अपने पूरे परिवार का खर्चा चलाती थी.
रामरती के इसी होटल पर छोटू काम करता था. वह मूलरूप से आजमगढ़ का रहने वाला था. मांबाप की मौत के बाद रोजीरोटी की तलाश में वह कानपुर आ गया था. कई दिनों तक भटकने के बाद उसे रामरती के होटल पर ठिकाना मिला था. उस ने अपने काम और व्यवहार से रामरती का दिल जीत लिया, जिस से रामरती ने उसे अपना मुंहबोला भाई बना लिया.
इस के बाद तो छोटू का घर में अच्छाखासा दखल हो गया. रामरती कोई भी काम उस से पूछे बिना नहीं करती थी. रामरती ने छोटू को भाई बना लिया तो उस की बेटी सुनयना उसे मामा कहने लगी थी.
सुनयना, रामरती की एकलौती बेटी थी. 16 साल की होतेहोते वह युवकों की नजरों का केंद्र बन गई. मोहल्ले के जिस गली से वह निकलती, लड़के उसे देखते रह जाते. विधाता ने उसे अद्भुत रूप दिया था. मोहल्ले के लोग कहते थे कि यह कीचड़ में कमल की तरह है.
सुनयना भी जवानी का नशा महसूस करने लगी थी. हिरनी की तरह कुलांचे भरती जब वह घर से निकलती तो मोहल्ले वाले उसे ताकते ही रह जाते. उसे लगता कि लोगों की नजरें उस की देह को भेद कर उसे सुख दे रही हैं. उस समय वह अपने अंदर सिहरन सी महसूस करती. उस की इच्छा होती कि कोई उस का हाथ थाम कर उसे कहीं एकांत में ले जाए और उस से ढेर सारी प्यार की बातें करे.
सुनयना के ही मोहल्ले के दूसरे छोर पर संजय रहता था. उस के पिता बाबूराम नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे. वह 3 भाईबहनों में सब से छोटा था. वह प्राइवेट नौकरी करता था. उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं थी, इसलिए खूब बनसंवर कर रहता था. उसे भजन और कीर्तन सुनने का बहुत शौक था, इसलिए अकसर वह राधाकृष्ण (जेके) मंदिर जाता रहता था.
किसी दिन मंदिर में संजय की नजर सुनयना पर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया. सुनयना भी खूब सजधज कर मंदिर आई थी. पहली ही नजर में संजय का दिल सुनयना पर आ गया. वह उसे तब तक ताकता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.
सुनयना संजय के मन को भाई तो वह उस का दीवाना हो गया. अब वह उस के इंतजार में मंदिर के गेट पर खड़ा रहने लगा. सुनयना उसे दिखाई पड़ती तो वह उसे चाहतभरी नजरों से ताकता रहता. उस की इन्हीं हरकतों से सुनयना समझ गई कि यह कोई प्रेम दीवाना है, जो उसे चाहतभरी नजरों से ताकता है. लेकिन उस ने उस की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
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जबकि संजय सुनयना के लिए तड़प रहा था. हर पल उस के मन में सुनयना ही छाई रहती थी. उस का काम में भी मन नहीं लग रहा था. एक तरह सुनयना के बगैर उसे चैन नहीं मिल रहा था. उसे पाने की तड़प जब संजय के लिए बरदाश्त से बाहर हो गई तो उस ने सुनयना के बारे में पता किया. पता चला कि वह उस रामरती की बेटी है, जिस का जीटी रोड पर चायपान का होटल है.
संजय रामरती के होटल पर चाय पीने जाने लगा. अपनी लच्छेदार बातों से जल्दी ही उस ने रामरती से नजदीकी बना ली. यही नहीं, उस ने उस के मुंहबोले भाई छोटू से भी दोस्ती गांठ ली. दोनों में खूब पटने लगी.
रामरती और छोटू से मधुर संबंध बना कर संजय रामरती के घर भी जाने लगा. वहां वह बातें भले ही किसी से करता था, लेकिन उस की नजरें सुनयना पर ही टिकी रहती थीं. सुनयना ने जल्दी ही इस बात को ताड़ लिया. संजय की नजरों में अपने लिए चाहत देख कर सुनयना भी उस के प्रति आकर्षित होने लगी. अब वह भी संजय के आने का इंतजार करने लगी.
दोनों ही एकदूसरे की नजदीकी पाने के लिए बेचैन रहने लगे. लेकिन यह सब अभी नजरों ही नजरों में था. संजय को भी सुनयना के इरादे का पता चल गया था. जब भी उस की चाहत भरी नजरें सुनयना के मुखड़े पर पड़तीं, सुनयना मुसकराए बिना नहीं रह पाती. वह भी उसे तिरछी नजरों से ताकते हुए उस के आगेपीछे घूमती रहती.
सुनयना की कातिल नजरों और मुसकान का मतलब संजय अच्छी तरह समझ रहा था. लेकिन उसे अपनी बात कहने का मौका नहीं मिल रहा था. जबकि सुनयना अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहती थी.
संजय अब ऐसे मौके की तलाश में रहने लगा, जब वह अपने दिल की बात सुनयना से कह सके. चाह को राह मिल ही जाती है. एक दिन संजय को मौका मिल गया. उस ने अपने दिल की बात सुनयना से कह दी. सुनयना तो कब से उस के मुंह से यही सुनने का इंतजार कर रही थी.
उस दिन के बाद संजय और सुनयना का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. सुनयना कोई न कोई बहाना बना कर घर से निकलती और संजय से जा कर मिलती. संजय उसे साथ ले कर सैरसपाटे के लिए निकल जाता. वह अकसर सुनयना को मोतीरेव ले जाता और वहां दोनों साथसाथ सिनेमा देखते. कभी मोतीझील के रमणीक उद्यान में बैठ कर प्यार भरी बातें करते और साथ जीनेमरने की कसमें खाते.
कहते हैं, बैर, प्रीति, खांसी और खुशी कभी छिपाए नहीं छिपती. यही हाल संजय और सुनयना के प्यार का भी यही हुआ. एक दिन कारगिल पार्क में मोहल्ले के एक युवक ने संजय और सुनयना को आपस में हंसतेबतियाते देख लिया. उस ने यह बात होटल पर जा कर सुनयना के मामा छोटू को बता दी. छोटू तुरंत घर गया. घर से सुनयना गायब थी, जिस से छोटू को विश्वास को गया कि सुनयना संजय के साथ है. उस ने सारी बात रामरती को बताई, जिसे सुन कर रामरती सन्न रह गई.
शाम को सुनयना घर लौटी तो मां का तमतमाया चेहरा देख कर वह समझ गई कि कुछ गड़बड़ जरूर है. वह रसोई की तरफ बढ़ी तो रामरती ने उसे टोका, ‘‘पहले मेरे पास आ कर बैठ और सचसच बता कि तू कहां गई थी?’’
मां की बात सुन कर सुनयना का हलक सूख गया. उस ने धीरे से कहा, ‘‘मां, मैं साईं मंदिर गई थी.’’
‘‘झूठ, तू साईं मंदिर नहीं, बल्कि संजय के साथ पार्क में बैठ कर प्यार की बातें कर रही थी.’’
‘‘नहीं मां, यह सच नहीं है. किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं.’’
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‘‘फिर झूठ.’’ गुस्से में रामरती ने सुनयना के गाल पर 2 तमाचे जड़ दिए. वह गाल सहलाती हुई कमरे में चली गई.
दूसरी ओर छोटू ने संजय को आड़े हाथों लिया, ‘‘देख संजय, सुनयना मेरी भांजी है. उस की तरफ आंख उठा कर भी तूने देखा तो तेरी आंखें निकाल लूंगा. आज के बाद मेरीतेरी दोस्ती खत्म. तू मेरे घर के आसपास भी दिखा तो तेरे हाथपैर तोड़ डालूंगा.’’
रामरती ने भी संजय को खूब खरीखोटी सुनाई. इस के बाद संजय और सुनयना का मिलना बंद हो गया. रामरती और छोटू सुनयना पर कड़ी नजर रखने लगे. सुनयना जब कभी घर से बाहर जाती, उस के साथ रामरती या छोटू होता. छोटू ने अपने कुछ खास लोगों को भी संजय और सुनयना की निगरानी में लगा दिया था. छोटू किसी भी तरह संजय को सुनयना से मिलने नहीं दे रहा था.
4 मई, 2017 को किसी तरह सुनयना को मौका मिल गया तो वह शास्त्रीनगर के सिंधी कालोनी पार्क पहुंच गई. फोन कर के उस ने संजय को वहीं बुला लिया. संजय और सुनयना पार्क में बैठ कर बातें कर रहे थे, तभी पीछा करता हुआ छोटू वहां पहुंच गया. उस ने पार्क में ही संजय को पीटना शुरू कर दिया. संजय किसी तरह खुद को छुड़ा कर भागा. सुनयना को पकड़ कर छोटू घर ले आया और रामरती से शिकायत कर के उसे भी पिटवाया. यही नहीं, उस ने आननफानन में दूसरे दिन ही सुनयना का रिश्ता तय कर दिया.
संजय और सुनयना की पिटाई ने आग में घी का काम किया. संजय समझ गया कि जब तक सुनयना का मामा छोटू जिंदा है, तब तक वह अपना प्यार नहीं पा सकता. वह यह भी जान गया था कि छोटू ने सुनयना का रिश्ता इसलिए तय कर दिया है, ताकि वह उस से दूर चली जाए. छोटू उस के प्यार में दीवार बन कर खड़ा था, इसलिए छोटू को ठिकाने लगाने का निश्चय कर वह उचित मौके की तलाश में लग गया.
10 मई, 2017 की रात 10 बजे छोटू होटल बंद कर के सोने की तैयारी कर रहा था, तभी उधर से संजय निकला. छोटू को देख कर उस का खून खौल उठा. रात 12 बजे तक वह शराब के नशे में धुत हो कर जेके मंदिर के बाहर टहलता रहा. उस के बाद घर गया और लोहे का हथौड़ा ले कर छोटू के होटल पर जा पहुंचा.
छोटू गहरी नींद में सो रहा था. संजय ने उसे दबोच लिया और छाती पर सवार हो कर हथौड़े से उस के सिर पर वार पर वार करने लगा. हथौड़े के वार से छोटू का सिर फट गया और खून का फव्वारा फूट पड़ा. कुछ देर तड़प कर छोटू ने दम तोड़ दिया. हत्या करने के बाद संजय ने बाल्टी में रखे पानी में हाथ धोए और घर जा कर कपडे़ बदल लिए. खून से सना हथौड़ा और कपड़े उस ने बड़े बक्से के पीछे छिपा दिए.
रामरती सुबह होटल पर पहुंची तो छोटू तख्त पर मृत मिला. वह चीखने लगी. थोड़ी ही देर में तमाम लोग वहां जमा हो गए. उसी भीड़ में से किसी ने पुलिस को घटना की सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी मनोज कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने जांच शुरू की तो मोहब्बत के जुनून में की गई हत्या का खुलासा हो गया.
13 मई, 2017 को थाना काकादेव पुलिस ने अभियुक्त संजय को कानपुर की अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक उस की जमानत नहीं हुई थी
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
सौजन्य- मनोहर कहानियां
18 नवंबर, 2016 की रात के यही कोई डेढ़ बजे मुंबई से सटे जनपद थाणे के उल्लासनगर के थाना विट्ठलवाड़ी के एआई वाई.आर. खैरनार को सूचना मिली कि आशेले पाड़ा परिसर स्थित राजाराम कौंपलेक्स की तीसरी मंजिल स्थित एक फ्लैट में काले रंग के बैग में लाश रखी है. सूचना देने वाले ने बताया था कि उस का नाम शफीउल्ला खान है और उस फ्लैट की चाबी उस के पास है. 35 साल का शफीउल्ला पश्चिम बंगाल के जिला मुर्शिदाबाद की तहसील नगीनबाग के गांव रोशनबाग का रहने वाला था. रोजीरोटी की तलाश में वह करीब 8 साल पहले थाणे आया था, जहां वह उल्लासनगर के आशेले पाड़ा परिसर स्थित राजाराम कौंपलेकस के तीसरी मंजिल स्थित फ्लैट नंबर 308 में अपने परिवार के साथ रहता था. वह राजमिस्त्री का काम कर के गुजरबसर कर रहा था.
उस के फ्लैट से 2 फ्लैट छोड़ कर उस का मामा राजेश खान अपनी प्रेमिकापत्नी खुशबू उर्फ जमीला शेख के साथ रहता था. 10-11 महीने पहले ही खुशबू राजेश खान के साथ इस फ्लैट में रहने आई थी. वह अपना कमातीखाती थी, इसलिए वह राजेश खान पर निर्भर नहीं थी. राजेश खान कभीकभार ही उस के यहां आता था. ज्यादातर वह पश्चिम बंगाल स्थित गांव में ही रहता था.
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18 नवंबर की दोपहर शफीउल्ला अपने फ्लैट पर जा रहा था, तभी इमारत की सीढि़यों पर उस की मुलाकात राजेश खान से हो गई. उस समय काफी घबराया होने के साथसाथ वह जल्दबाजी में भी था. लेकिन शफीउल्ला सामने पड़ गया तो उस ने रुक कर कहा, ‘‘शफी, अगर तुम मेरे साथ नीचे चलते तो मैं तुम्हें एक जरूरी बात बताता.’’
‘‘इस समय तो मैं कहीं नहीं जा सकता, क्योंकि मुझे बहुत तेज भूख लगी है. जो भी बात है, बाद में कर लेंगे.’’ कह कर शफीउल्ला जैसे ही आगे बढ़ा, राजेश खान ने पीछे से कहा, ‘‘यह रही मेरे फ्लैट की चाबी, रख लो. तुम्हारी मामी मुझ से लड़झगड़ कर कहीं चली गई है. मैं उसे खोजने जा रहा हूं. मेरी अनुपस्थिति में अगर वह आ जाए तो यह चाबी उसे दे देना. बाकी बातें मैं फोन से कर लूंगा.’’
राजेश खान से फ्लैट की चाबी ले कर शफीउल्ला अपने फ्लैट पर चला गया तो राजेश खान नीचे उतर गया. करीब 12 घंटे बीत गए. इस बीच न राजेश खान आया और न ही उस की पत्नी खुशबू आई. शफीउल्ला को चिंता हुई तो उस ने दोनों को फोन कर के संपर्क करना चाहा. लेकिन दोनों के ही नंबर बंद मिले.
शफीउल्ला सोचने लगा कि अब उसे क्या करना चाहिए. वह कुछ करता, उस के पहले ही रात के करीब एक बजे उस के फोन पर राजेश खान का फोन आया. उस के फोन रिसीव करते ही उस ने पूछा, ‘‘तेरी मामी आई या नहीं?’’
‘‘नहीं मामी तो अभी तक नहीं आई. यह बताओ कि इस समय तुम कहां हो?’’ शफीउल्ला ने पूछा.
‘‘तुम्हें राज की एक बात बताता हूं. अब तुम्हारी मामी कभी नहीं आएगी, क्योंकि मैं ने उसे मार दिया है. इस में मुझे तुम्हारी मदद चाहिए. मेरे फ्लैट के बैडरूम में बैड के नीचे काले रंग का एक बैग पड़ा है, उसी में तुम्हारी मामी की लाश रखी है. तुम उसे ले जा कर कहीं फेंक दो. जल्दबाजी में मैं उसे फेंक नहीं पाया. इस समय मैं ट्रेन में हूं और गांव जा रहा हूं.’’
खुशबू की हत्या की बात सुन कर शफीउल्ला के होश उड़ गए. उस ने उस बैग के बारे में आसपड़ोस वालों को बताया तो सभी इकट्ठा हो गए. उन्हीं के सुझाव पर इस बात की सूचना शफीउल्ला ने थाना विट्ठलवाड़ी पुलिस को दे दी थी.
एआई वाई.आर. खैरनार ने तुरंत इस सूचना की डायरी बनवाई और थानाप्रभारी सुरेंद्र शिरसाट तथा पुलिस कंट्रोल रूम एवं पुलिस अधिकारियों को सूचना दे कर वह कुछ सिपाहियों के साथ राजाराम कौंपलेक्स पहुंच गए. रात का समय था, फिर भी उस फ्लैट के बाहर इमारत के काफी लोग जमा थे. उन के पहुंचते ही शफीउल्ला ने आगे बढ़ कर उन्हें फ्लैट की चाबी थमा दी.
फ्लैट का ताला खोल कर वाई.आर. खैरनार सहायकों के साथ अंदर दाखिल हुए तो बैडरूम में रखा वह काले रंग का बैग मिल गया. उन्होंने उसे हौल में मंगा कर खुलवाया तो उस में उन्हें एक महिला की लाश मिली.
बैग से बरामद लाश की शिनाख्त की कोई परेशानी नहीं हुई. शफीउल्ला ने उस के बारे में सब कुछ बता दिया. लाश बैग से निकाल कर वाई.आर. खैरनार जांच में जुट गए. वह घटनास्थल और लाश का निरीक्षण कर रहे थे कि थानाप्रभारी सुरेंद्र शिरसाट, एसीपी अतितोष डुंबरे, एडिशनल सीपी शरद शेलार, डीसीपी सुनील भारद्वाज, अंबरनाथ घोरपड़े के साथ आ पहुंचे.
फोरैंसिक टीम के साथ पुलिस अधिकारियों ने भी घटनास्थल और लाशों का निरीक्षण किया. अपना काम निपटा कर थोड़ी ही देर में सारे अधिकारी चले गए.
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लाश के निरीक्षण में स्पष्ट नजर आ रहा था कि मृतका की बेल्ट से जम कर पिटाई की गई थी. उस के शरीर पर तमाम लालकाले निशान उभरे हुए थे. कुछ घावों से अभी भी खून रिस रहा था. उस के गले पर दबाने का निशान था. लाश और घटनास्थल का निरीक्षण कर के सुरेंद्र शिरसाट ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए उल्लासनगर के मध्यवर्ती अस्पताल भिजवा दिया.
घटनास्थल की पूरी काररवाई निपटा कर सुरेंद्र शिरसाट थाने लौट आए और सहयोगियों से सलाहमशविरा कर के इस हत्याकांड की जांच एआई वाई.आर. खैरनार को सौंप दी.
वाई.आर. खैरनार ने मामले की जांच के लिए अपनी एक टीम बनाई, जिस में उन्होंने एआई प्रमोद चौधरी, ए. शेख के अलावा हैडकांस्टेबल दादाभाऊ पाटिल, दिनेश चित्ते, अजित सांलुके तथा महिला सिपाही ज्योति शिंदे को शामिल किया.
पुलिस को शफीउल्ला से पूछताछ में पता चल गया था कि राजेश खान ने कत्ल कर के गांव जाने के लिए कल्याण रेलवे स्टेशन से ज्ञानेश्वरी एक्सप्रैस पकड़ ली है. अब पुलिस के लिए यह चुनौती थी कि वह गांव पहुंचे, उस के पहले ही उसे पकड़ ले. अगर वह गांव पहुंच गया और उसे पुलिस के बारे में पता चल गया तो वह भाग सकता था.
इस बात का अंदाजा लगते ही पुलिस टीम ने जांच में तेजी लाते हुए राजेश खान के मोबाइल की लोकेशन पता की तो वह जिस ट्रेन से गांव जा रहा था, वहां से उसे गांव पहुंचने में करीब 10 घंटे का समय लगता.
पुलिस टीम किसी भी तरह उसे हाथ से जाने देना नहीं चाहती थी, इसलिए वाई.आर. खैरनार ने सीनियर अधिकारियों से बात कर के राजेश खान की गिरफ्तारी के लिए एआई ए. शेख और हैडकांस्टेबल माने को हवाई जहाज से कोलकाता भेज दिया. दोनों राजेश के पहुंचने से पहले ही हावड़ा रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए और उसे गिरफ्तार कर लिया.
26 साल के राजेश खान को मुंबई ला कर पूछताछ की गई तो उस ने खुशबू से प्रेम होने से ले कर उस की हत्या तक की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—
राजेश खान पश्चिम बंगाल के जनपद मुर्शिदाबाद की तहसील नगीनबाग के गांव रोशनबाग का रहने वाला था. गांव में वह मातापिता एवं भाईबहनों के साथ रहता था. गांव में उस के पास खेती की जमीन तो थी ही, बाजार में कपड़ों की दुकान भी थी, जो ठीकठाक चलती थी. उसी दुकान के लिए वह कपड़ा लेने थाणे के उल्लासनगर आता था. वह जब भी कपड़े लेने उल्लासनगर आता था, अपने भांजे शफीउल्ला से मिलने जरूर आता था.
24 साल की खुशबू उर्फ जमीला से राजेश खान की मुलाकात उस की कपड़ों की दुकान पर हुई थी. वह उसी के गांव के पास की ही रहने वाली थी. उस की शादी ऐसे परिवार में हुई थी, जिस की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. वह जिन सपनों और उम्मीदों के साथ ससुराल आई थी, वे उसे पूरे होते नजर नहीं आ रहे थे. खुली हवा में सांस लेना घूमनाफिरना, मनमाफिक पहननाओढ़ना उस परिवार में कभी संभव नहीं था.
इसलिए जल्दी ही वहां खुशबू का दम घुटने लगा. खुली हवा में सांस लेने के लिए उस का मन मचल उठा. दुकान पर आनेजाने में जब उस ने राजेश खान की आंखों में अपने लिए चाहत देखी तो वह भी उस की ओर आकर्षित हो उठी.
चाहत दोनों ओर थी, इसलिए कुछ ही दिनों में दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. जल्दी ही उन की हालत यह हो गई कि दिन में जब तक दोनों एक बार एकदूसरे को देख नहीं लेते, उन्हें चैन नहीं मिलता. उन के प्यार की जानकारी गांव वालों को हुई तो उन के प्यार को ले कर हंगामा होता, उस के पहले ही वह खुशबू को ले कर मुंबई आ गया और किराए का फ्लैट ले कर उसी में उस के साथ रहने लगा. मुंबई में उस ने उस से निकाह भी कर लिया.
मुंबई पहुंच कर खुशबू ने आत्मनिर्भर होने के लिए एक ब्यूटीपार्लर में नौकरी कर ली. इस से राजेश खान चिंता मुक्त हो गया. वह महीने में 10-15 दिन मुंबई में खुशबू के साथ रहता था तो बाकी दिन गांव में रहता था.
मुंबई आ कर खुशबू में काफी बदलाव आ गया था. ब्यूटीपार्लर में काम करने के बाद उस के पास जो समय बचता था, उस समय का सदुपयोग करते हुए अधिक कमाई के लिए वह बीयर बार में काम करने चली जाती थी. पैसा आया तो उस ने रहने का ठिकाना बदल दिया. अब वह उसी इमारत में आ कर रहने लगी, जहां शफीउल्ला अपने परिवार के साथ रहता था. वहां उस ने सुखसुविधा के सारे साधन भी जुटा लिए थे.
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खुशबू के रहनसहन को देख कर राजेश खान के मन संदेह हुआ. उस ने उस के बारे में पता किया. जब उसे पता चला कि खुशबू ब्यूटीपार्लर में काम करने के अलावा बीयर बार में भी काम करती है तो उस ने उसे बीयर बार में काम करने से मना किया. लेकिन उस के मना करने के बावजूद खुशबू बीयर बार में काम करती रही. इस से राजेश खान का संदेह बढ़ता गया.
18 नवंबर की सुबह खुशबू बीयर बार की ड्यूटी खत्म कर के फ्लैट पर आई तो राजेश खान को अपना इंतजार करते पाया. उस समय वह काफी गुस्से में था. उस के पूछने पर खुशबू ने जब सीधा उत्तर नहीं दिया तो वह उस पर भड़क उठा. वह उस के साथ मारपीट करने लगा तो खुशबू ने साफसाफ कह दिया, ‘‘मैं तुम्हारी पत्नी हूं, गुलाम नहीं कि जो तुम कहोगे, मैं वहीं करूंगी.’’
‘‘खुशबू, तुम मेरी पत्नी ही नहीं, प्रेमिका भी हो. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. तुम अपनी ब्यूटीपार्लर वाली नौकरी करो, मैं उस के लिए मना नहीं करता. लेकिन बीयर बार में काम करना मुझे पसंद नहीं है. मैं नहीं चाहता कि लोग तुम्हें गंदी नजरों से ताकें.’’
‘‘मैं जो कर रही हूं, सोचसमझ कर कर रही हूं. अभी मेरी कमानेखाने की उम्र है, इसलिए मैं जो करना चाहती हूं, वह मुझे करने दो.’’ कह कर खुशबू बैडरूम में जा कर कपड़े बदलने लगी.
राजेश खान को खुशबू से ऐसी बातों की जरा भी उम्मीद नहीं थी. वह भी खुशबू के पीछेपीछे बैडरूम में चला गया और उसे समझाने की गरज से बोला, ‘‘इस का मतलब तुम मुझे प्यार नहीं करती. लगता है, तुम्हारी जिंदगी में कोई और आ गया है?’’
‘‘तुम्हें जो समझना है, समझो. लेकिन इस समय मैं थकी हुई हूं और मुझे नींद आ रही है. अब मैं सोने जा रही हूं. अच्छा होगा कि तुम अभी मुझे परेशान मत करो.’’
खुशबू की इन बातों से राजेश खान का गुस्सा बढ़ गया. उस की आंखों में नफरत उतर आई. उस ने चीखते हुए कहा, ‘‘मेरी नींद को हराम कर के तुम सोने जा रही हो. लेकिन अब मैं तुम्हें सोने नहीं दूंगा.’’
यह कह कर राजेश खान खुशबू की बुरी तरह से पिटाई करने लगा. हाथपैर से ही नहीं, उस ने उसे बेल्ट से भी मारा. इस पर भी उस का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो फर्श पर पड़ी दर्द से कराह रही खुशबू के सीने पर सवार हो गया और दोनों हाथों से उस का गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया.
खुशबू के मर जाने के बाद जब उस का गुस्सा शांत हुआ तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे जेल जाने का डर सताने लगा. वह लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगा. काफी सोचविचार कर उस ने लाश को फ्लैट में ही छिपा कर गांव भाग जाने में अपनी भलाई समझी. उस का सोचना था कि अगर वह गांव पहुंच गया तो पुलिस उसे कभी पकड़ नहीं पाएगी.
उस ने बैडरूम मे रखे खुशबू के बैग को खाली किया और उस में उस की लाश को मोड़ कर रख कर उसे बैड के नीचे खिसका दिया. वह दरवाजे पर ताला लगा कर बाहर निकल रहा था, तभी उस का भांजा शफीउल्ला उसे सीढि़यों पर मिल गया, जिस की वजह से खुशबू की हत्या का रहस्य उजागर हो गया.
घर की चाबी शफीउल्ला को दे कर वह सीधे कल्याण रेलवे स्टेशन पहुंचा और वहां से कोलकाता जाने वाली ज्ञानेश्वरी एक्सप्रैस पकड़ कर गांव के लिए चल पड़ा.
राजेश खान से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के खिलाफ अपराध संख्या 324/2016 पर खुशबू की हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. मामले की जांच एआई वाई.आर. खैरनार कर रहे थे.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
और पुलिस हो गई सतर्क
पुलिस द्वारा वाहन स्वामी के माध्यम से कार को बुधवारी, गांधी चौक के पास घेराबंदी कर पकड़ा गया. वाहन में आरोपी संजय पटेल पिता भगतराम पटेल उम्र 24 साल निवासी ढोढ़ीपारा चौकी सीएसईबी जिला कोरबा एवं अजय पटेल पिता रामचन्द पटेल उम्र 22 साल निवासी ग्राम जुराली थाना कटघोरा जिला कोरबा मिले. वाहन की तलाशी लेने पर प्रार्थी दिलीप राणा के गैरेज से चोरी किया हुआ दो गैस पाईप, एक कटिंग टॉर्च, एक रेग्युलेटर, मीटर घड़ी तथा सिलेण्डर चाबी, एक घरेलु गैस सिलेण्डर, दस्ताना, पेचकस, सलाईरिंज पाना, टी पाना, लोहे का रॉड एवं एक छोटा ऑक्सीजन सिलेण्डर बरामद हुआ, जिसे जब्त कर लिया गया.
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यूट्यूब से सीखा एटीएम को काटना
लोग अपराध कैसे सीखते हैं यह भी इस सनसनीखेज वारदात के परिदृश्य में समझा जा सकता है. युवा वर्ग पैसों के लिए अब यूट्यूब को नकारात्मक भाव से लेते हुए उसकी वीडियो को देख अपराध करना भी सीख समझ रहा है. हमारी इस कथा में भी यह सत्य सामने आ गया कि यूट्यूब की वीडियो देखकर एटीएम को काटने की प्लानिंग दिमाग में कथित आरोपी को सुझी थी.
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आप की उम्र चाहे जितनी हो, मगर आप इस दुनिया में कब और कहां ठगी के शिकार हो जाते हैं, कौन जानता है? प्रश्न है सजग रहने का जागृत रहने का और अपनी आंखें खुले रखने का.
इस आलेख में हम आपको एक ऐसे विधुर की कहानी बताने जा रहे हैं जो रिटायरमेंट के बाद जब दूसरी शादी की सोचने लगा. आगे बढ़ा तो किस तरह ठगों ने उसे लाखों रुपए का चूना लगा दिया.यह सच्ची कहानी है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की. जहां शादी का विज्ञापन देखकर एक महिला व उसके कथित फर्जी रिश्तेदारों ने मिलकर देश की नवरत्न कंपनी कहे जाने वाले सार्वजनिक संस्थान एनटीपीसी के रिटायर डिप्टी मैनेजर से 8 लाख 86 हजार रुपए की ठगी कर ली.
जब दूसरे विवाह की बात चली तो वधू पक्ष ने अपनी आर्थिक स्थिति खराब बता मकान बेचने का झांसा दिया और अपने खाते में पैसे जमा करा लिए. मामला की सरकंडा थाने में प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कराई गई . ठगी गीतांजली सिटी फेस-2 निवासी नरेंद्र कुमार सूद पिता स्व.राजेंद्र कुमार 61 वर्ष के साथ हुई. आप एनपीसीसी में डिप्टी मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं.उनकी पत्नी का निधन हो गया है। उन्होंने दूसरी शादी करने की इच्छा से अखबार में वधु की आवश्यकता के लिए विज्ञापन प्रकाशित करवाया.
15 मार्च 2020 को यह प्रकाशित हुआ था और उसी रात 8 बजे श्रीमान सूद के मोबाइल पर एक नंबर से कॉल आया. जब उन्होंने कॉल रिसीव किया तो दूसरी तरफ से महिला ने अपना नाम अन्नू सिंह बताया और प्रकाशित विज्ञापन के संदर्भ देकर शादी करने की इच्छा जताई और बताया घर में मुखिया और कर्ताधर्ता के रूप में आंटी हैं जिनका नाम एलिजाबेथ सिंह हैं. अन्नू सिंह ने कहा कि उसका एक बड़ा भाई आदित्य सिंह उर्फ आदि हैं. आदित्य सिंह ने भी कहा कि उसे यह रिश्ता बहुत पसंद हैं.
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अन्नू सिंह ने 17 मार्च 2020 को अपना फोटो वाट्सअप से भेजा और बताया कि आंटी व भईया को रिश्ता पसंद है. कुछ दिनों के बाद जीत के बाद जब आत्मीयता बढ़ी तो अन्नू सिंह व आदित्य सिंह ने कॉल कर कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है अगर उन्हें 50 लाख रुपए एकमुश्त दे देगें तो वे इसे किसी व्यापार में निवेश कर तीन माह के भीतर पूरा पैसा 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटा देगें. बड़ी रकम होने की वजह से नरेंद्र कुमार सूद ने असमर्थता जताई और इनकार कर दिया.
इसके बाद ठगों ने दूसरा जाल फेंका, आदित्य सिंह ने कहा कि यदि पैसा उधारी में नहीं दे रहे हैं तो उनका पैतृक मकान खरीद लीजिए और कहा कि यदि वे उनका मकान खरीद लेते हैं तो उनके साथ रहने का मौका मिलेगा. बिलासपुर में अकेले रहते हो इससे अच्छा होगा कि भोपाल में आकर रहो पैतृक मकान का पता अशोका गार्डन थाने के पीछे, मकान न0 556/234, गली नंबर दो, भोपाल बताया गया.
सुखमय जीवन की चाहत
पत्नी के निधन के पश्चात अक्सर लोग दूसरा विवाह कर लेते हैं. इसमें कोई बुराई भी नहीं है. मगर सावधानी जरूर आवश्यक है. इस सच्चे अपराधिक घटनाक्रम में भी अगर नरेंद्र कुमार थोड़ी भी सजगता रखते तो लाखों रुपए का चूना नहीं लग पाता. आगे जब बातचीत हुई तो महिला ने खुद को तलाकशुदा और गरीब बताते हुए बताया कि दहेज के चलते उसकी दूसरी शादी नहीं हो पा रही है. अन्नू सिंह ने अपना फोटो वॉट्सएप किया. फिर आदित्य सिंह ने कॉल किया और कहा कि लॉकडाउन हटते ही शादी कराएंगे. कुछ दिन बाद फिर कॉल कर बिजनेस के लिए 50 लाख रुपए मांगे गए.
इतनी बड़ी रकम एकमुश्त देने से नरेंद्र सूद ने इनकार कर दिया. इस पर आरोपियों ने फिर कॉल कर कहा कि उधारी नहीं दे सकते तो हमारा भोपाल में अशोका गार्डन के पीछे स्थित पैतृक मकान खरीद लीजिए.
उसकी कीमत एक करोड़ रुपए है, पर 70 लाख रुपए में आपके नाम कर देंगे. इससे हम सबको भी साथ रहने का मौका मिल जाएगा. इस पर फिर नरेंद्र सूद ने एकमुश्त रकम देने से मना किया तो आरोपियों ने उनसे किस्त में रुपए देने की बात कही.
आरोपियों ने ठगी की शुरुआत बड़ी चालाकी से करते हुए वॉट्सएप के जरिए भेजे 50 रुपए के स्टांप पर मकान का सौदा तय किया. उनकी बातों में आकर नरेंद्र ने उनकी आंटी के बताए बैंक खाते में पहले 16 हजार, फिर 45 हजार, 50 हजार, 1.5 लाख, 3 लाख और फिर 3.25 लाख रुपए सहित कुल 8.86 लाख रुपए खाते में ट्रांसफर कर दिए.
इसके बाद एक दिन आदित्य ने फिर कॉल कर बताया कि अन्नू कोरोना संक्रमित हो गई है. इसलिए बातचीत संभव नहीं है.
आरोपियों में से एक महिला ने खुद को तलाकशुदा और गरीब बताते हुए शादी की इच्छा जाहिर की थी. शादी तय होने पर ठगों ने अपना मकान बेचने की बात कही और फिर किस्तों में रुपए खाते में ट्रांसफर करा लिए. और जब ठगे जाने का नरेंद्र कुमार को एहसास हुआ तो बहुत समय हो चुका था.