छत्तीसगढ़ में नकली नोटों के कई प्रकरण सामने आ रहे हैं. खास बात यह कि इस में युवाओं की भागीदारी ज्यादा दिख रही है जो एक चिंता का सबब हो सकती है. और यह संकेत भी कि किस तरह देश में बेरोजगारी का भयावह समय आ गया है कि नवजवान युवक किस तरह जीवन यापन के लिए नकली नोटों के गैरकानूनी धंधे में लग गए हैं.
शायद उन्हें यह नहीं मालूम कि नकली नोट का यह धंधा कितना अहितकारी हो सकता है.
इस रिपोर्ट में नकली नोट में संलिप्त पाए गए लोगों के सच को आपके सामने प्रस्तुत करने का एक प्रयास इस रिपोर्ट में करते हैं.
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पहला घटनाक्रम-
औद्योगिक नगर कोरबा के एक बाजार में दो युवक पहुंचे और सौ का नोट देकर 10 रूपए की सब्जी खरीदने का प्रयास किया. दरअसल, नोट नकली था और 10 रुपये की सब्जी खरीदने पर 90 रुपये हासिल करने की नीयत से आए थे. नकली नोट खपाने में सफल नहीं हुए और देखते ही देखते सब्जी विक्रेताओं ने उन्हें घेर लिया. माहौल विपरीत देख युवक वहां से नौ दो ग्यारह हो गया. मगर उसका एक साथी पकड़ा गया उसके पास से 100 के दो नकली नोट मिले.
द्वितीय घटनाक्रम-
छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिला पेंड्रा मरवाही में कुछ आदिवासी युवक जोकि कंप्यूटर फोटोकॉपी की दुकान चलाया करते थे. इन लोगों ने एक दिन फोटोकॉपी मशीन से सौ रूपए के नकली नोट प्रिंट निकाल लिए और उन्हें बाजार में चलाने लगे और आखिरकार पकड़े गए.
तृतीय घटनाक्रम-
जिला चांपा जांजगीर में युवकों ने कलर फोटोकॉपी मशीन से 500 के नकली नोट छापे और बाजार में सामानों की खरीदी शुरू की एक दिन पकड़े गए और आज जेल की हवा खा रहे हैं.
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