मैं तुम्हारा खर्च उठा रहा हूं, तुम्हारे बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ा रहा हूं. तुम्हें महंगेमहंगे गिफ्ट, जेवर, कपड़े ला कर देता हूं. गाड़ी है, ड्राइवर है. बड़ी कोठी में रह रही हो. इस से अधिक तुम्हें और क्या चाहिए?
पत्नी हो, पत्नी बन कर रहो. यदि यहां नहीं रहना है तो चली जाओ अपने गांव. लेकिन एक बात अच्छी तरह समझ लो कि मेरे बच्चे यहीं रहेंगे.
इतनी बातें कहसुन कर सोम क्लब या न जाने कहां चले गए. वे सहम कर चुप हो गई थीं. बच्चे तो उन की जान थे. वही तो उन के जीवन का संबल और आधार थे. उन्हीं के लिए तो वे जी रही थीं. उन की चुप्पी और सहनशीलता को देख सोम का हौसला बढ़ता गया. अब एक लड़की नइमा के साथ वे खुल्लमखुल्ला घूमने लगे थे. कई बार उसे वे घर भी ले कर आ जाते. कई बार वे रात में भी घर न आते.
श्यामलीजी चुप रहतीं, उन की पीड़ा आंसू बन कर आंखों से बहती. एकांत उन के हर दुख का साक्षी रहता. विद्रोह करना उन का स्वभाव नहीं था. वे समझ रही थीं कि यदि वे कुछ भी बोलेंगी तो उन का घरौंदा टूट जाएगा. उन के बच्चे अनाथ हो जाएंगे. अपनी बेचारगी पर वे कई बार स्वयं को धिक्कारती भी थीं, परंतु घर टूट जाने के डर से वह हिम्मत नहीं जुटा पाती थीं. नन्हीं राशि जब उन के आंसू पोंछती और उन्हें चुप हो जाने को कहती, तो उन को अपने आंसू रोकने मुश्किल हो जाते.
बुजुर्ग मैनेजर ने उन के पास भी 2-3 बार फोन कर के कहा कि सोम नकली दवाइयों का कारोबार बढ़ाते जा रहे हैं, साथ ही ड्रग्स का धंधा भी.
यदि इसी तरह से चलता रहा तो जल्द ही किसी मामले में फंस जाएंगे. वे चिंतित हो उठी थीं. उन के अपने प्यारे बच्चों और स्वयं का भविष्य दांव पर लगा था. उन्होंने दूसरे सेल्समैन लड़कों से बात कर के पता किया तो मालूम हुआ कि सच में सोम रास्ता भटक गए हैं.
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आखिर एक दिन एक हादसा हो ही गया. उन के स्टोर से खरीदी नकली दवा से एक बच्चे की मौत हो गई. मामले ने तूल पकड़ा. वे लोग लाठियां ले कर आ गए और फिर दुकान में तोड़फोड़ कर दी. सोम की भी खूब पिटाई की. पुलिस आ गई. पुलिस को कुछ लेदे कर किसी तरह मामला शांत करवाया. पर इसी बीच बच्चे के पिता ने ‘ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमैंट’ में मेल कर दिया था. और वहां की टीम रेड करने आ गई. इस अचानक हमले का किसी को कोई अनुमान या तैयारी नहीं थी. नकली और ऐक्सपायरी दवा के साथसाथ ड्रग्स का भी स्टौक पकड़ा गया.
मामला संगीन था. लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने के आरोप में सोम गिरफ्तार हो गए और मैडिकल स्टोर को सील कर दिया गया. वकीलों पर पैसा पानी की तरह बहाया गया.
बेल होने में लगभग 3 महीने लग गए. घर खर्चे की दिक्कत होने लगी. एकएक कर सारे नौकर हटा दिए गए. यहां तक कि बच्चों के लिए दूध की भी परेशानी होने लगी थी. सामान बेच कर कुछ दिन काम चला.
इतनी विषम परिस्थिति कभी होगी, इस का उन्हें कतई अनुमान भी नहीं था. जब सोम जमानत के बाद घर आए, तो उन को पहचानना मुश्किल था. रंग काला पड़ गया था और शरीर कृषकाय हो चुका था. वे किसी का सामना नहीं करना चाहते थे. यहां तक कि बच्चों से भी बात नहीं करते थे. चुपचाप अपने कमरे में लेट कर छत को निहारते रहते.
सोम नया रास्ता तलाशने के बजाय निराशा के गर्त में डूब कर डिप्रैशन का शिकार बन गए. जख्मों को कुरेदने के लिए सांत्वना के नाम पर रिश्तेदारों और परिचितों के ताने और उलटेसीधे व्यंग्य वाणों के कारण सब का जीना दूभर हो गया था.
अब यह श्यामलीजी के लिए परीक्षा की घड़ी थी. अब आवश्यक हो चुका था कि वे स्वयं आगे बढ़ कर घर के हालात को सुधारने के लिए कुछ करें.
एक ओर नैराश्य में जकड़ा हुआ सोम दूसरी ओर 12 वर्ष की राशि तो 11 वर्ष का शुभ, ऐसे कठिन समय में घर का मोरचा संभाला. वे सोम का हौसलाअफजाई करतीं. बच्चों का भी उन्होंने पूरा ध्यान रखा.
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मित्रों के सहयोग से एक नामी बुटीक में ड्रैस डिजाइनर की नौकरी मिल गई. जल्द ही बुटीक की मालकिन कल्पनाजी ने उन की प्रतिभा को पहचान लिया, उन के डिजाइन किए हुए कपड़े कस्टमर को पसंद आने लगे. 1 साल में ही बुटीक का बिजनैस काफी बढ़ गया, साथ में उन की सैलरी भी बढ़ गई.
जीवन पटरी पर लौटने लगा था. उन्हें नौकरी करते हुए लगभग 2 वर्ष हो चुके थे. अब वे अपना बुटीक खोलना चाह रही थीं. लेकिन पैसे की कमी बाधा बनी हुई थी.
उन्होंने ‘महिला गृह उद्योग’ योजना के अंतर्गत बैंक से लोन के लिए आवेदन किया और जल्दी ही घर के एक कमरे में अपना बुटीक शुरू कर दिया. 4 सिलाई मशीनें और कुछ कारीगर लड़कियों को रख कर काम शुरू कर दिया. देखते ही देखते उन की मेहनत और क्रिएटिविटी की क्षमता ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए.
आज उन के बुटीक की शहर में 2 ब्रांच और खुल गई हैं. करीब 40 लोगों को उन्होंने रोजगार दे रखा है.
राशि की आवाज ने उन की तंद्रा भंग कर दी, ‘‘मां, आज कहां खो गई हैं? घर नहीं चलना है क्या?’’
वे वर्तमान में लौटी ही थीं कि उन का मोबाइल बज उठा, ‘‘मैडम श्यामली?’’
‘‘यस.’’
‘‘महिला दिवस पर ‘विषम परिस्थितियों में स्वयं को सिद्ध करने के लिए’ आप को ‘विजय नगरम् हाल’ में मेयर के द्वारा सम्मानित किया जाएगा. कल हम लोग निमंत्रणपत्र ले कर आप के पास आएंगे.’’
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‘‘धन्यवाद,’’ कहते हुए श्यामलीजी भावुक हो उठी थीं. चूंकि फोन स्पीकर पर था, इसलिए सभी ने इस खबर को सुन लिया था.
सोम भी भावुक हो उठे थे. उन्होंने प्यार से बांहों के घेरे में उन्हें ले लिया, ‘‘श्यामली, तुम्हें मैं वह प्यार और सम्मान नहीं दे पाया, जिस के योग्य तुम थीं. इसलिए अब पूरा लखनऊ शहर तुम्हें सम्मानित करेगा.’’
आज बरसों बाद सोम के प्यार भरे आलिंगन से वे अभिभूत हो उठी थीं. उन्होंने भी प्यार से सोम को अपनी बांहों में कैद कर लिया. बेटी राशि पर निगाह पड़ते ही उन का मुखमंडल शर्म से लाल हो उठा.
सोम फोन पर श्यामलीजी के मम्मीपापा को निमंत्रण दे रहे थे. आज उन के सारे विषाद धुल गए थे.