मेरी स्वीट मिट्ठी : नाना की रिटायरमेंट बाद क्या हुआ

मेरे नाना रिटायरमैंट के बाद सपरिवार कोलकाता में बस गए थे. उन का कोलकाता के बाहर बसी एक नामचीन डैवलपर की टाउनशिप में बड़ा सा फ्लैट था.

मेरी नानी पश्चिम बंगाल के मिदनापुर की थीं. वे अच्छीखासी पढ़ीलिखी थीं. वे महिला कालेज में प्रिंसिपल के पद पर थीं. नाना ने उन की इच्छा के मुताबिक कोलकाता में बसने का फैसला लिया था.

मैं अपनी मम्मी के साथ दुर्गा पूजा में कोलकाता गया था. मैं ने रांची से एमबीए की पढ़ाई की थी. कैंपस से ही मेरा एक मल्टीनैशनल कंपनी में सैलेक्शन हो चुका था. औफर लैटर मिलने में अभी थोड़ी देरी थी.

मिट्ठी से मेरी मुलाकात कोलकाता में दुर्गा पूजा के दौरान हुई. कौंप्लैक्स के मेन गेट पर वह सिक्योरिटी गार्डों से उलझ गई थी.

शाम के समय पास की झुग्गी बस्ती से कुछ बच्चियां दुर्गा पूजा देखने आई थीं. चिथड़ों में लिपटी बच्चियों को सिक्योरिटी गार्ड ने रोक दिया था.

टाउनशिप के बनने के दौरान मजदूरों ने वहां सालों अपना पसीना बहाया था. ये उन्हीं की बच्चियां थीं.

मिट्ठी वहां अकसर जाती थी. वह उन की चहेती दीदी थी. वह बच्चों के टीकाकरण में मदद करती थी. स्कूलों में उन को दाखिला दिलाती थी. बच्चियों को पूजा पंडाल तक ले जाने और प्रसाद दिलाने में मिट्ठी को तमाम विरोध का सामना करना पड़ा था.

मिट्ठी विजयादशमी के दिन भी दिखाई दी थी. लाल बौर्डर की साड़ी में वह बेहद खूबसूरत दिख रही थी. मिट्ठी मुझे भा गई थी.

मम्मी जल्दी मेरे फेरे कराना चाहती थीं. उन्होंने रांची शहर के कई रिश्ते भी देखे थे. नानी से सलाहमशवरा करने के लिए मम्मी मुझे कोलकाता ले कर आई थीं.

‘‘अमोल खुद अपना ‘जीवनसाथी’ चुनेगा… मेरा पोता अपने लिए बैस्ट साथी चुनेगा… एकदम हीरा…’’ नानी मेरी अपनी पसंद की बहू के हक में थीं.

‘‘गोरीचिट्टी, देशी मेम बहू बनेगी…’’ मम्मी की यही सोच थी. सुंदर, सुशील, घर के कामों में माहिर बहू उन की पसंद थी.

‘‘भाभी, हमारी बहू तो फर्राटेदार अंगरेजी में बतियाने वाली सांवलीसलोनी और स्मार्ट होगी…’’ छोटी मामी ने भी अपनी पसंद जताई थी.

‘‘मुझे मिट्ठी पसंद है…’’ मैं ने छोटी मामी को अपनी पसंद बताई.

मिट्ठी कौंप्लैक्स में ही रहती थी. मेरी मम्मी समेत परिवार के सभी लोग मिट्ठी की हरकतों से अनजान नहीं थे.

‘‘कौंप्लैक्स में मिट्ठी की इमेज ज्यादा अच्छी नहीं है. वह तेजतर्रार है… अमीरजादों के साथ आवारागर्दी करती है… मोटरसाइकिल से स्टंट करती है… बेहद बिंदास है… शौर्ट्स पहन कर घूमती है…’’ छोटी मामी ने मुझे जानकारी दी.

‘‘मुझे बोल्ड लड़कियां पसंद हैं…’’

‘‘उम्र में भी बड़ी है…’’

मैं ने उम्र की बात को भी नकार दिया.

‘‘मिट्ठी कैंपस के लड़कों के साथ टैनिस… क्रिकेट… बास्केटबाल खेलती है… मौडलिंग करती है… कंडोम की मौडलिंग… उस के मम्मीपापा ने कितनी आजादी दे रखी है…’’ मेरी बात से छोटी मामी शायद नाराज हो गई थीं.

‘‘मैं क्या सुन रही हूं…? मेरी रजामंदी बिलकुल नहीं है… नहीं… मैं मिट्ठी को बहू नहीं बना सकती…’’ मम्मी बेहद नाराज थीं. उन्होंने मुझ से दूरी बना ली थी.

मैं मिट्ठी को अपना मान चुका था. शीतयुद्ध का अंत हुआ. नानी को भनक लगी. उन्होंने सब को अपने कमरे में बुलाया. सब की बातों को बड़े ही ध्यान से सुना.

‘‘अमोल ने जिद पकड़ ली है… बदनाम लड़की से रिश्ता करने पर तुले हैं…’’ छोटी मामी ने नानी को बताया.

‘‘यह बदनाम लड़की कौन है…? कहां की है…?’’ नानी ने सवाल किया.

‘‘अपने कौंप्लैक्स की ही है… अपनी मिट्ठी… आवारागर्दी, गुंडागर्दी करती है… पूजा के पंडाल में हंगामा भी किया था… आप ने सुना होगा…’’ छोटी मामी ने मिट्ठी की खूबियों का बखान किया.

‘‘मिट्ठी तो अच्छी बच्ची है… कई बार मंदिर में मिली है… मेरे पैर छुए हैं… मैं ने आशीर्वाद दिया है… वह बदनाम कैसे हो सकती है,’’ नानी छोटी मामी से सहमत नहीं थीं.

‘‘क्या अच्छे परिवार की बच्चियां पराए जवान लड़कों के साथ क्रिकेट… बास्केटबाल और टैनिस खेलती हैं? कंडोम की मौडलिंग करती हैं? छोटे कपड़े पहनती हैं? मुंहफट और बेशर्म होती हैं?’’ मम्मी ने एकसाथ कई बातें बताईं और सवाल उठाए.

‘‘मैं ने अपने लैवल पर इन बातों की पड़ताल की है… जानकारियां इकट्ठी की हैं… मैं मिट्ठी से मिला हूं. वह मर्दऔरत के समान हक की बात करती है… वह एक समाजसेविका है… उसे कई मर्द दोस्तों का भी साथ मिला है… सब मिल कर काम करते हैं… ऐक्टिव रहने के लिए फिटनैस जरूरी है…

‘‘सामाजिक कामों के लिए रुपएपैसों की जरूरत पड़ती है. कंडोम की मौडलिंग में कोई बुराई नहीं है… बढ़ती आबादी को कंडोम से ही रोका जा सकता है… इन पैसों से बस्ती के गरीब बच्चों के स्कूल की फीस दी जा सकती है…

‘‘मिट्ठी बोल्ड है… गलतसही की पहचान और परख उसे है… वह अपने काम में जुटी है… जानती है कि वह गलत

रास्ते पर नहीं है… फुजूल की कानाफूसी और बदनामी की उसे कोई परवाह नहीं है. सब बकवास है…’’ मैं ने नानी की अदालत में मिट्ठी का पक्ष रखा.

‘‘मेरे पोते ने बैस्ट लड़की को चुना है. मिट्ठी ही मेरी बहू बनेगी…’’ नानी ने सहज भाव से अपना फैसला सुनाया. मुझे गले से लगाया… रिश्ते के लिए खुद पहल करने की बात कही.

ग्रूमिंग की ये गलतियां बिगाड़ सकती हैं आपकी पर्सनालिटी, ध्यान रखें ये खास बातें

आदमी अपनी ग्रूमिंग पर खूब ध्यान देता है लेकिन, कई बार कुछ ऐसी बड़ी गलतियां कर देता है जिसपर लोग खूब ध्यान देते है.

ग्रूमिंग बेस्ट लुक का सबसे जरूरी हिस्सा है, इसलिए आपको थोड़ा एक्टिव होना पड़ेगा.इसके लिए जरुरी है कि आप छोटीछोटी बातों पर जरूर ध्यान दें. खुद का वेल ग्रूम्ड वाली कैटेगरी में लाएं. तो यहां जानें ग्रूमिंग से जुड़ी कुछ गलतियां.

1. कान, नाक और आइब्रो के बाल

एक उम्र के बाद शरीर के कई हिस्से ऐसे होते हैं, जिनमें से बाल दिखने लगते हैं लेकिन अफ़सोस आप उनको ट्रिम करने की सोचते ही नहीं है. आपको लगता है इनको कौन ही देखेगा. लेकिन लोग देखते हैं. लोग देखते हैं कि आपने महंगे कपड़े पहने, हेयर केयर सलीके से किया लेकिन नाक, कान और आईब्रो के बालों को यों ही छोड़ दिया. ये काम कठिन नहीं है बल्कि इसे आप खुद भी कर सकते हैं. या फिर इसे शेविंग के समय सैलून में भी किया जा सकता है.

2. नाखूनों की साफई का रखें खास ध्यान

आपके नाखून की सफाई ग्रूमिंग में सबसे ज्यादा जरुरी है, कई बार लोग पूरे शरीर की साफाई कर लेते है लेकिन नाखून काटना भूल जाते हैं.

लोगों को आपके हाइजीन का अंदाजा नाखून देकर ही लग जाता है इसलिए ये जरुर कीजिए. समय-समय पर पैर और हाथ के नेल्स काटते रहिए. अगर तब भी ये अच्छे न लगें तो आप पैडीक्योर और मैडीक्योर करा सकते हैं.

3. ओरल हाइजीन का भी ध्यान रखिए

ब्रश करके आप अपने ओरल हाइजीन को भूल जाते हैं तो गलत करते हैं. दरअसल सिर्फ ब्रश करने से दांत और मुंह की सफाई नहीं हो पाती है. बल्कि आपको ब्रश के साथ फ्लोसिंग भी करनी होगी और माउथ फ्रेशनर गार्गल भी करना होगा. अगर ये सब नहीं करेंगे तो दो बार ब्रश करने के बाद भी मुंह से बदबू आएगी और आपके लुक पर फिर कोई ध्यान नहीं देगा.

4. बियर्ड की ट्रिमिंग

बियर्ड लुक को लेकर आजकल खूब क्रेज है. लोग विराट कोहली और विक्की कौशल की तरह बियर्ड लुक अपना लेना चाहते हैं. लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि ये सेलेब्रिटी भी अपने बियर्ड लुक को मेनटेन करते हैं.

वो अपनी दाढ़ी ट्रिम कराते रहते हैं ताकि ये बेतरतीब न लगे.आप ऐसा कितनी बार करते हैं या कराते भी हैं या नहीं. अगर नहीं कराते हैं तो बियर्ड लुक नहीं मिलेगा लेकिन लुक बिगड़ जरूर जाएगा. इसलिए समय-समय पर दाढ़ी को ट्रिम जरूर कराते रहें.

5. नेचुरल बियर्ड लाइन

बियर्ड की एक नेचुरल बियर्ड लाइन होती है. इस लाइन से ही बियर्ड को डेट किया जाता है. लेकिन कुछ आदमी इस लाइन से ऊपर दाढ़ी मेनटेन करते हैं. उनको लगता है डबल चिन इससे छुप जाएगी लेकिन नहीं, ऐसा नहीं है. आपका लुक इससे बिगड़ ही जाता है. इसलिए नेचुरल बियर्ड लाइन से ही दाढ़ी बनाएं.

6. बालों में कुछ भी लगाएंगे

बालों से ही तो लुक बेस्ट लगता है. ये बात सही है लेकिन कुछ पुरुष इस बात को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लेते हैं. इसलिए तो जो भी प्रोडक्ट बालों के लिए समझ आता है उसे वो लगाते चलते हैं. जबकि ये सही नहीं हैं.

7. परफ्यूम का सही इस्तेमाल

अगर आप थोड़ी भी परफ्यूम की समझ रखते हैं तो आपको पता होगा कि परफ्यूम हर मौके के हिसाब से अलग-अलग होते हैं. इसलिए जो महक आपको अच्छी लगे वो कहीं भी लगाकर चल देने से काम नहीं चलेगा. जैसे ऑफिस में आप पार्टी के लिए सही लगने वाला परफ्यूम लगा लेंगे तो सबकी नजरों में चढ़ेंगे और नाक में भी.

8. होठों की देखभाल

फेस की ग्रूमिंग में सबसे खास है होठों की ग्रूमिंग करना, ये फटे हुए न हो. स्किन के साथ होंठ का भी ध्यान रखें. लिप बाम लगाएं और इन्हें हेल्थी रखें. ये जब चमचाएंगे तो आपकी मुस्कुराहट भी खूब खुलकर आएगी. लोग आपकी मुस्कुराहट पर मर मिटेंगे, ये बात पक्की है.

कहीं आप भी तो टॉक्सिक रिश्ते में नहीं है, इन 7 संकेतों से करें पहचान

रिश्‍तों में उतार-चढ़ाव आना कौमन बात है, लेकिन जब रिश्‍ते निराशा और दुख देने लगे, तो यह टॉक्सिक रिलेशनशिप बन जाता है. टॉक्सिक रिश्ता आपको भावनात्‍मक रूप से नुकसान पहुंचाता है. ऐसे रिलेशनशिप किसी हादसे के लिए भी जिम्‍मेदार हो सकते है. टॉक्सिक रिलेशनशिप में व्‍यक्ति खुद को डरा हुआ या कमजोर महसूस करता है. उसे हर चीज में नकारात्‍मकता ही नजर आती है. जो व्‍यक्ति ऐसा महसूस करते हैं उन्‍हें कुछ संकेतों पर ध्‍यान देना चाहिए ताकि किसी बड़ी समस्‍या से आप बच सकते हैं. इन संकेतों से आप पता कर पाएंगे कि आपका रिश्ता टॉक्सिक है या नहीं?

हमेशा बुराई करना

आपका पार्टनर लगातार आपको नीचा दिखाता है या आपकी बुराई करता है या आपकी उपस्थिति, क्षमताओं या निर्णयों की आलोचना करता है और आपके आत्मसम्मान को लगातार कम करने की कोशिश करता है. तो आप एक टॉक्सिक रिलेशनशिप में जा रहे हैं.

भरोसा न होना

आपका पार्टनर कम विश्वास करने लगता है. जलन और रोजाना नए आरोप लगता है. बिना बताएं आपका पार्टनर आपका फोन, ईमेल और बाकी सोशल मीडिया हैंडेल चेक करता हो. उसे आपके हर अगले कदम पर एक शक बना रहता है.

इमोशनल एंड फिजिकल एब्यूज

रिलेशनशिप में मार-पिटाई होना यह बिल्कुल साफ करता है कि आप एक टॉक्सिक रिश्ते में है लेकिन, इमोशनल एब्यूज भी यह दिखाता है कि रिश्ता खत्म होने का कगार पर पहुंच चुका है. इसमें पार्टनर को लगातार नीचा दिखाना, अपमान करना, धमकी देना, ऐसे बर्ताव जिससे आपको दुख पहुंचता हो.

पार्टनर पर कंट्रोल करना और चालाकी करना

आपका पार्टनर आपके कामों को कंट्रोल करने की कोशिश करता है, आपको दोस्तों और परिवार से अलग रखता है. आपको क्या पसंद है वह भी वही तय करता है या फिर आप पर हद से ज्यादा हक बनाए रखने के लिए गिल्ट-ट्रिपिंग जैसी चालाकियों को आपके साथ करता है.

दूसरों संग कैसा है बर्ताव

इस बात पर ध्यान दें कि आपका साथी दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है, जैसे कि दोस्त, परिवार या उसके साथ काम करने वाले. यदि वे लगातार दूसरों को नीचा दिखाते हैं, उनका अनादर करते हैं या उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं. तो यह संकेत हैं कि उनका बर्ताव टॉक्सिक है.

गलत छवि बनाना

यदि आपका पार्टनर अपने परिवार और दोस्तों के बीच आपकी गलत इमेज बनाता है. साथ ही यह दिखाता है कि आपको न तो रिश्ते की कदर है न उसकी. तो आपको इस बारे में जरूर सोचना चाहिए.

हमेशा ड्रामा करना

अगर आपका पार्टनर हर किसी बात को लेकर लड़ाई करता है. छोटी सी छोटी बात को बहुत बड़ा बना देता. तो इससे यह साबित होता है कि वह न तो खुद खुश रह सकता है और न वो आपको रख सकता है.

जल्द लें फैसला

इन तमाम बिंदुओं में कही बातें अगर आपके और आपके पार्टनर से मिलती-जुलती हैं तो आपको या तो आराम से रिश्ते में सुधार को लेकर बात करनी चाहिए है या फिर सबकुछ भूलकर जिंदगी में आगे बढ़ जाएं.

अमेरिका से आई सिद्धू मुस्सेवाला के हत्यारे गोल्डी बराड़ की हत्या की खबर? जानें खबर में कितनी सचाई

सिद्धू मूसेवाला के जानें का दुख उनके फैंस को आज भी बहुत होता है, वही अब खबर आ रही है कि मशहूर सिंगर की हत्या करने वाला गैंगस्टर गोल्डी बराड़ की भी हत्या हो चुकी है. जी हां, ये खबर अमेरिका से आ रही है कि अमेरिका में ही गोल्डी बराड़ की हत्या कर दी गई है.

आपको बता दें कि सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने गोल्डी बराड़ को आतंकी घोषित कर दिया था. इतना ही नहीं, गैंगस्टर के नाम पर रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था. वहीं, अब गोल्डी बराड़ की हत्या हो गई है और इस बात की जानकारी अमेरिका के एक न्यूज चैनल ने दी है. इस अमेरिकी न्यूज चैनल ने दावा किया है कि गोल्डी बराड़ की अमेरिका में हत्या हो गई है और गैंगस्टर की हत्या एक गैंगवार के वजह से हुई.

मीडिया खबरों के मुताबिक, गोल्डी बराड़ की हत्या की जिम्मेदारी डल्ला-लखबीर गैंग ने ली है, जो गोल्डी बराड़ के गैंग का विरोधी है. बता दें, कि गोल्डी बराड़ का असली नाम सतिंदरजीत सिंह है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिद्धू मुसेवाला की हत्या के बाद से ही गोल्डी बराड़ कनाड़ा में छिपा हुआ था. उसकी जांच के लिए NIA ने पंजाब और हरियाणा के कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी, जिसके बाद अब अमेरिका से सामने आई गोल्डी बराड़ की हत्या ने हर किसी को हैरान कर दिया. हालांकि, अब तक गृह मंत्रालय ने अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है, जिस वजह से गैंगस्टर की मौत पर अब भी सनसनी बनी हुई है कि असल में हत्.या हुई है या नहीं?

बता दें कि गोल्डी बराड़ पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब की सिंपल फैमिली से तालुक रखता था, जिसके पिता पुलिस में दरोगा थे. वहीं, मां हाउसवाइफ हुआ करती थीं. गोल्डी बराड़ के पिता पुलिस में थे और इसी वजह से उसका अपराध की दुनिया में कदम रखना हर किसी को हैरान कर देता है, लेकिन इसके पीछे गोल्डी के चचेरे भाई गुरलाल का हाथ है. गुरलाल पंजाब विश्वविद्यालय में छात्र नेता था, जिसकी हत्या होने के बाद ही गोल्डी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा. गोल्डी अपने भाई की हत्या का बदला लेने खुले तौर पर अपराध के गंद में आया था.

शिवांगी जोशी ने ग्रीन ब्रालेट ड्रेस में दिखाया हौट लुक, फैंस ने की जमकर तारीफ

टीवी की बोल्ड एक्ट्रेस शिवांगी जोशी इन दिनों सुर्खियों में है. अपने हौट लुक से एक्ट्रेस सभी को अपना फैन बनाकर रखती है. सोशल मीडिया के जरिए शिवांगी जोशी खुद को अपडेट रखती हैं. अक्सर डांस और फोटोज शेयर करती रहती है. शिवांगी हर तरह के आउटफिट में अच्छी लगती हैं. एक्ट्रेस ने इस बार साड़ी में लोगों को इंप्रेस किया. जिसकी फोटो की झलक सोशल मीडिया पर देखने को मिली हैं.


आपको बता दें कि एक्ट्रेस शिवांगी जोशी अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम पर हमेशा फोटोज और वीडियोज शेयर करती है. जहां वे एक से बढ़कर एक पोज देती है. हाल ही में उन्होंने मौडर्न लुक कैरी किया हैं. जहां उन्होंने ग्रीन ब्रालेट के साथ प्रिंटेड प्लाजो पहना हुआ है. एक्ट्रेस ने अपना लुक कर्ली बालों के साथ पूरा किया हैं. जिसमें वह काफी सुंदर लग रही है. शिवांगी जोशी की ये फोटो क्लोज अप में ली गई है. जिसमें उनके चेहरे की स्माइल देखने लायक है. इस फोटो में शिवांगी अपने हाथों को बालों पर रखा हुआ हैं.

शिवांगी जोशी की हर तरह की फोटो में अपना किलर एटीड्यूट दिखा रही है. जिसमें एक्ट्रेस की अदाएं देखने लायक हैं. शिवांगी के फेशल एक्सप्रेशन ने हर किसी को खुश कर दिया है. फैंस उनकी फोटो को जमकर लाइक कर रहे है.


शिवांगी जोशी ने इन फोटोज के साथ कैप्शन लिखा है कि ‘शांति, प्यार और सकारात्मक ऊर्जा.’ इसके साथ ही एक्ट्रेस ने ढेर सारे इमोजी लगाए हैं. शिवांगी जोशी की इन फोटोज पर फैंस ने भर-भरकर प्यार लुटाया है. एक्ट्रेस के लिए एक फैन ने लिखा, ‘बहुत ही सुंदर.’ दूसरे फैन ने ढेर सारी फायर की इमोजी लगाई है.

बता दें कि शिवांगी जोशी आखिरी बार सीरियल बरसातें में नजर आई थीं. ये शो कुछ समय पहले ही बंद हुआ है, लेकिन बीते दिनों ही खबर आई थी कि मेकर्स जल्द ही बरसातें का दूसरा सीजन ला सकते हैं.शिवांगी जोशी का नाम इन दिनों अपने को-एक्टर कुशाल टंडन के साथ जुड़ रहा है. दावा है कि सीरियल बरसातें के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं. अब दोनों गुपचुप तरीके से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं.बीते दिनों शिवांगी और कुशाल की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें दोनों बर्फ की वादियों में काफी करीब दिखे. दावा किया गया कि दोनों बरसातें की शूटिंग के बाद अकेले वेकेशन पर गए थे.

एस्ट्रोलौजर ने कहा कि मुझे कोई प्यार करने वाला बंदा मिलेगा, उसकी खोज में मन नहीं लगता है, क्या करूं?

सवाल

मुझे एस्ट्रोलौजर की बातों पर विश्वास है. मुझे एक एस्ट्रोलौजर ने बताया कि जल्दी ही मेरे जीवन में एक लड़का आने वाला है जो मुझ से बहुत प्यार करेगा, मेरे साथ वफादार रहेगा और शादी करेगा. उस दिन के बाद मैं उसी लड़के की तलाश में हूं. जहां जाती हूं, मेरी नजरें उसी को तलाशती हैं. मैं हर वक्त उसी के बारे में सोचती हूं. जब भी कालेज जाती हूं, मेरी आंखें उसी को ढूंढ़ती रहती हैं. अब तो हालत यह है कि न खाने को मन करता है और न ही पढ़ाई में मन लगता है. क्या करूं, मुझे बताएं?

जवाब

आप आजकल की यंग पढ़ीलिखी लड़की हैं और इन ज्योतिषियों पर विश्वास करती हैं. जिन्हें अपना खुद का पता नहीं कि कल उन के साथ क्या होने वाला है, वे भला आप का क्या भविष्य बताएंगे. देखिए, हकीकत की दुनिया में जीना सीखिए. ज्योतिषियों पर विश्वास कर अपना सुखचैन मत खोइए.

आप ज्योतिष की बात पर विश्वास कर हरदम उसी लड़के के बारे में सोचती रहती हैं. आप ही सोचिए जिसे कभी आप ने देखा ही नहीं है उसे ढूंढ़ने और उस के बारे में हरदम सोचने का क्या औचित्य? सब्र करें, जब वक्त आएगा तब आप को चाहने वाला खुद ही मिल जाएगा. फिर जी भर कर उस से बातें करना. उसे प्यार करना. लेकिन अभी वास्तविकता में जीते हुए अपने कैरियर पर फोकस कीजिए, जिस से आप का ध्यान उस ओर से हटेगा और आप खुद को काफी रिलैक्स फील कर पाएंगी.

आप अपनी प्रेम समस्याएं, संपादकीय विभाग, मुक्ता, दिल्ली प्रैस भवन, ई-8, रानी झांसी मार्ग, झंडेवाला एस्टेट, नई दिल्ली-110055 पर भेजें.

लोकसभा चुनाव : मुसलिम वोटरों की खामोशी क्यों

सा ल 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सभी दल एड़ीचोटी का जोर लगा रहे हैं, मगर जीत का सेहरा किस के सिर बंधेगा, यह बड़ेबड़े राजनीतिक जानकार भी नहीं भांप पा रहे हैं. दलितों और मुसलिमों को साधने की कोशिश तो

सब की है, लेकिन उन के मुद्दे सिरे से गायब हैं. तीन तलाक को खत्म कर के भाजपा की मोदी सरकार मुसलिम औरतों की नजर में हीरो बनी थी, लेकिन अब चुनाव के वक्त तीन तलाक खारिज करने का गुणगान कर के वह मुसलिम मर्दों को भी नाराज नहीं कर सकती.

औरतें वोट डालने जाएं या न जाएं, ज्यादातर मुसलिम परिवारों में यह बात मर्द ही तय करते हैं. यही वजह है कि भाजपा की चुनावी रैलियों में तीन तलाक किसी नेता के भाषण का हिस्सा नहीं है.

उधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव मुसलिमों के दिल में जगह बनाने लिए पिछले दिनों  बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उन के घर तक जा पहुंचे थे. उन की मौत का गम मनाया था. उस के बाद मुसलिम वोट साधने के लिए लखनऊ के कई नवाबी खानदानों से भी मुलाकातें की थीं, ईद की सेवइयां चखी थीं, लेकिन इन कवायदों

का आम मुसलिम पर कितना असर होगा, वह जो बिरयानी का ठेला लगाता है या साइकिल का पंचर जोड़ता है या सब्जी बेचता है या फिर काश्तकारी करता है, इस का अंदाजा अखिलेश यादव खुद नहीं लगा पाए थे.

असल माने में तो वोट देने वाला यही तबका है. नवाबी खानदानों से तो एकाध कोई वोट डालने बूथ तक जाए तो जाए. अब कांग्रेस की बात करें तो वह अगर मुसलिमों के लिए कोई बात करती है, तो भाजपाई नेता सीधे गांधी परिवार पर हमलावर हो उठते हैं और उसे मुसलिम बताने लगते हैं, इसलिए कांग्रेस भी मुसलिमों और उन के मुद्दों को ले कर तेज आवाज में नहीं बोल रही है.

एक तरफ राजनीतिक दल पसोपेश में हैं कि मुसलिम किस के कितने करीब हैं, दूसरी तरफ मुसलिम अपने वोट को ले कर खामोशी ओढ़े हुए हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुसलिम बहुल इलाकों में भी खामोशी पसरी हुई है. इस खामोशी में किस की जीत छिपी है, यह वोटिंग का नतीजा आने के बाद ही पता चल सकेगा.

कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसा शिक्षा पर रोक लगाने की कोशिश की थी और राज्यभर के सभी 16,000 मदरसों के लाइसैंस रद्द कर दिए थे. मामला हाईकोर्ट होता हुआ सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने ‘यूपी बोर्ड औफ मदरसा ऐजूकेशन ऐक्ट 2004’ को असंवैधानिक करार देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च, 2024 के फैसले पर रोक लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से 17 लाख मदरसा छात्रों पर असर पड़ेगा और छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना उचित नहीं है.

मदरसे बंद करने के योगी सरकार की कोशिश पर सरकार में मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने सफाई पेश की. उन्होंने कहा कि सरकार चाहती थी कि मुसलिम बच्चों को भी उसी तरह सरकारी स्कूलों में हिंदी, इंगलिश, साइंस, भूगोल, इतिहास, कंप्यूटर वगैरह की तालीम मिले, जैसी हिंदू और दूसरे धर्मों के बच्चों को मिलती है. बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए मदरसा तालीम को कमतर किया जा रहा था.

बेहतर तालीम मुसलिम नौजवानों को मिले, इस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में योगी सरकार हमेशा पौजिटिव काम करती रही है. मगर सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करेगी.

सरकार की एकतरफा कार्यवाही

वहीं दूसरी ओर इस मामले में मुसलिम धर्मगुरुओं और नेताओं की कई प्रतिक्रियाएं आईं. मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. मुसलिमों के कई बड़े रहनुमाओं ने सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया कि उस ने मदरसा तालीम को बरकरार रखा.

केंद्रीय स्कूल के शिक्षक मोहम्मद अकील कहते हैं, ‘‘मदरसों में बहुत गरीब मुसलिम परिवारों के बच्चे पढ़ने जाते हैं. मुसलिम यतीमखानों के बच्चे भी वहां पढ़ते हैं. वहां उन को दोपहर का भोजन मिल जाता है. किताबें और कपड़े मिल जाते हैं.

‘‘ज्यादातर बच्चों के परिवार इतने पिछड़े, गरीब और अनपढ़ हैं कि वे अपने बच्चों को दीनी तालीम और एक वक्त की रोटी के नाम पर मसजिदमदरसों में तो भेज देंगे, मगर किसी सरकारी स्कूल में नहीं भेजेंगे.

‘‘वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने को तैयार हों, इस के लिए पहले सरकार इन परिवारों की काउंसलिंग करे, इन की जिंदगी को सुधारे, उन में तालीम की जरूरत की सम?ा पैदा करे, फिर उन के बच्चों को मदरसा जाने से रोके और सरकारी स्कूल में दाखिला दे.

‘‘ऐसे ही एक आदेश पर मदरसे बंद कर देने से आप इन बच्चों के मुंह से एक वक्त की रोटी भी छीने ले रहे हैं. सरकार का यह कदम बहुत ही गलत है. उस

को पहले हिंदुओं के गुरुकुल बंद करने चाहिए, फिर मदरसों की ओर देखना चाहिए.’’

भाजपा सरकार की मदरसा नीति पर भी मुसलिम तबका बंटा हुआ है. हो सकता है कि सरकार की मंशा मुसलिम बच्चों को बेहतर तालीम देने की हो मगर ज्यादातर इस कदम को मुसलिमों पर हमले के तौर पर ही देख रहे हैं. ऐसे में भाजपा से मुसलिम तबका इस वजह से भी छिटक गया है.

बीते रमजान के आखिरी पखवारे में हिंदुओं का नवरात्र भी शुरू हो गया था. उन के भी व्रत थे. लिहाजा, सरकार ने मीटमछली की दुकानें बंद करवा दीं. यहां तक कि ठेलों पर बिरयानी बेचने वालों को भी घर बिठा दिया गया. ईद के दिन 90 फीसदी मीट की दुकानें बंद थीं. कई मुसलिम घरों में बिना नौनवैज के ईद मनी.

मुसलिम तबके ने कोई शिकायत नहीं की, मगर कांग्रेस के समय को जरूर याद किया. ऐसा अनेक बार हुआ होगा, जब ईद और नवरात्र इकट्ठे पड़े, लेकिन कांग्रेस के वक्त ईद के रोज मीट की दुकानें बंद नहीं हुईं.

पश्चिम बंगाल में सालोंसाल मछली बिकती है, फिर चाहे नवरात्र हों या दीवाली, क्योंकि वहां के हिंदुओं का मुख्य भोजन मछली है. आखिर जिस का जैसा खानपान है, वह तो वही खाएगा, उस पर रोकटोक करने वाली सरकार कौन होती है?

मगर भाजपा सरकार मुसलिमों के खानपान पर बैन लगाने में उस्ताद है. हलाल और झटके के मामले में भी उस ने मुसलिमों को परेशान किया. ऐसे में उन के वोट भाजपा को कैसे मिल सकते हैं.

कम होते मुसलिम नुमाइंदे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जहां से सब से ज्यादा मुसलिम प्रतिनिधि संसद पहुंचते रहे हैं, उस मुसलिम बहुल इलाके में भी खामोशी है. साल 2013 के सांप्रदायिक दंगों के बाद हुए ध्रुवीकरण के माहौल

में साल 2014 के चुनाव में इस इलाके से एक भी मुसलिम प्रतिनिधि नहीं चुना गया.

साल 2019 में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने मिल कर चुनाव लड़ा, तो 5 मुसलिम सांसद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों से जीत कर संसद पहुंचे थे. सहारनपुर से हाजी फजलुर रहमान, अमरोहा से दानिश अली, संभल से

डा. शफीकुर्रहमान बर्क, मुरादाबाद से एसटी हसन और रामपुर से आजम खान ने जीत दर्ज की थी.

लेकिन साल 2024 का चुनाव आतेआते राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं. समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ ‘इंडिया’ गठबंधन में है, राष्ट्रीय लोकदल अब भाजपा के साथ है और बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नए बदले समीकरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से मुसलिम सांसद फिर से चुन कर संसद पहुंच पाएंगे? यह सवाल और गंभीर तब हो जाता है, जब कई मुसलिम बहुल सीटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मुसलिम उम्मीदवार आमनेसामने हैं.

सहारनपुर में कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद हैं, तो बहुजन समाज पार्टी ने माजिद अली को टिकट दिया है. वहीं, अमरोहा में मौजूदा सांसद दानिश अली इस बार कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं और बसपा ने मुजाहिद हुसैन को उम्मीदवार बनाया है.

संभल में सांसद रह चुके और अब इस दुनिया में नहीं रहे डा. शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया है, तो बसपा ने यहां सौलत अली को उम्मीदवार बनाया है.

मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी ने मौजूदा सांसद एसटी हसन का टिकट काट कर रुचि वीरा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि यहां बसपा ने इरफान सैफी को टिकट दिया है.

रामपुर में आजम खान जेल में हैं. समाजवादी पार्टी ने यहां मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट दिया है, जबकि बसपा से जीशान खां मैदान में हैं. कई सीटों पर मुसलिम उम्मीदवारों के आमनेसामने होने की वजह से यह सवाल उठा है कि क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एक बार फिर मुसलिम प्रतिनिधि चुन कर संसद पहुंच सकेंगे?

संसद में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व लगातार घटता जा रहा है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में ऐसा माहौल बनाया गया है कि जहां कोई मुसलिम उम्मीदवार होता है, वहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की साजिश की जाती है. यह बड़ा सवाल है कि देश की एक बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व लगातार घट रहा है.

भारतीय जनता पार्टी नारा देती है कि ‘कांग्रेस मुक्त भारत’, लेकिन असल में इस का मतलब है ‘विपक्ष मुक्त भारत’ और ‘मुसलिम मुक्त विधायिका’. मुसलिम भाजपा की सोच से वाकिफ हैं. वे खामोश हैं, मगर उन की खामोशी का यह मतलब नहीं कि सरकार बनाने या बिगाड़ने में उस का रोल नहीं होगा.

फूटती जवानी के डर और खुदकुशी की कसमसाहट

इसे जागरूकता की कमी कहें या फिर अनपढ़ता, लड़के हों या लड़कियां, एक उम्र आने पर उन के शरीर में कुछ बदलाव होते हैं और अगर ऐसे समय में सम?ादारी और सब्र का परिचय नहीं दिया जाए, तो जिंदगी में कुछ अनहोनी भी हो सकती है. ऐसे ही एक वाकिए में एक लड़की जब अपनी माहवारी के दर्द को सहन नहीं कर पाई और न ही अपनी मां को कुछ बता पाई, तो उस ने खुदकुशी का रास्ता चुन कर लिया.

यह घटना बताती है कि जवानी के आगाज का समय कितना ध्यान बरतने वाला होता है. ऐसे समय में कोई भी नौजवान भटक सकता है और मौत को गले लगा सकता है या फिर कोई ऐसी अनहोनी भी कर सकता है, जिस का खमियाजा उसे जिंदगीभर भुगतना पड़ सकता है. सबसे बड़ी बात यह है कि उस के बाद परिवार वाले अपनेआप को कभी माफ नहीं कर पाएंगे.

आज हम इस रिपोर्ट में ऐसे ही कुछ मामलों के साथ आप को और समाज को अलर्ट मोड पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. एक बानगी :

* 14 साल की उम्र आतेआते जब सुधीर की मूंछें निकलने लगीं, तो वह चिंतित हो गया. उसे यह अच्छा नहीं लग रहा था कि उस के चेहरे पर ठीक नाक के नीचे मूंछें उगें और वह परेशान हो गया.

* 12 साल की उम्र में जब सोनाली को पहली दफा माहवारी हुई, तो वह घबरा गई. वह बड़ी परेशान हो रही थी. ऐसे में एक सहेली ने जब उसे इस के बारे में अच्छी तरह से बताया, तो उस के बाद ही वह सामान्य हो पाई.

* राजेश की जिंदगी में जैसे ही जवानी ने दस्तक दी, तो उसे ऐसेवैसे सपने आने लगे. वह सोच में पड़ गया कि यह क्या हो रहा है. बाद में एक वीडियो देख कर उसे सबकुछ सम?ा में आता चला गया.

* दरअसल, जिंदगी का यही सच है और सभी के साथ ऐसा समय या पल आते ही हैं. ऐसे में अगर कोई सब्र और सम?ादारी से काम न ले, तो वह मुसीबत में भी पड़ सकता है. लिहाजा, ऐसे

समय में आप को कतई शर्म नहीं करनी चाहिए और घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इस दिशा में जागरूक होने की कोशिश करनी चाहिए.

आज सोशल मीडिया का जमाना है. आप दुनिया की हर एक बात को सम?ा सकते हैं और अपनी जिंदगी को सुंदर और सुखद बना सकते हैं. बस, आप को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए, जो आप को नुकसान पहुंचा सकता हो.

डरी हुई लड़की की कहानी दरअसल, मुंबई से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. वहां के मालवणी इलाके में रहने वाली

14 साल की लड़की रजनी (बदला हुआ नाम) ने अपनी पहली माहवारी के दौरान दर्दनाक अनुभव के बाद कथिततौर पर खुदकुशी कर ली थी. जब तक परिवार वालों ने यह देखा और सम?ा, तब तक बड़ी देर हो चुकी थी. उस की लाश घर में लटकी हुई मिली थी.

यह हैरानपरेशान करने वाला मामला मलाड (पश्चिम) के मालवणी इलाके में हुआ था, जहां रहने वाली 14 साल की एक लड़की रजनी की लाश रात में अपने घर के अंदर लोहे के एक एंगल से लटकी हुई पाई गई थी.

पुलिस के मुताबिक, वह नाबालिग लड़की अपने परिवार के साथ गावदेवी मंदिर के पास लक्ष्मी चाल में रहती थी. कथिततौर पर वह किशोरी माहवारी के बारे में गलत जानकारी होने के चलते तनाव में रहती थी. ऐसा लगता है कि उसे सही समय पर सटीक जानकारी नहीं मिल पाई होगी, तभी तो माना जा रहा है कि उस ने यह कठोर कदम उठा लिया होगा.

पुलिस के मुताबिक, देर शाम को जब घर में कोई नहीं था, तो उस लड़की ने खुदकुशी कर ली. जब परिवार वालों और पड़ोसियों को इस कांड के बारे में पता चला, तो वे उसे कांदिवली के सरकारी अस्पताल में ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मरा हुआ बता दिया.

मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अफसर ने कहा, ‘‘शुरुआती पूछताछ के दौरान लड़की के रिश्तेदारों ने बताया कि लड़की को हाल ही में पहली बार माहवारी आने के बाद दर्दनाक अनुभव हुआ था. इसे ले कर वह काफी परेशान थी और मानसिक तनाव में थी, इसलिए हो सकता है कि उस ने इस वजह से अपनी जान दे दी हो.’’

कुलमिला कर कह सकते हैं कि अगर उस लड़की को सही समय पर सही सलाह मिल जाती तो पक्का है कि वह खुदकुशी करने जैसा कड़ा कदम कभी नहीं उठाती. मांबाप को भी चाहिए कि ऐसे समय में वे बच्चों को सही सलाह दें या फिर उन्हें किसी माहिर डाक्टर के पास ले जाएं.

मेघनाद : मेघनाद और श्वेता का प्रेम संसार

‘मेघनाद…’ हमारे प्रोफैसर क्लासरूम में हाजिरी लेते हुए जैसे ही यह नाम पुकारते, ‘खीखी’ की दबीदबी आवाजें आने लगतीं. एक तो नाम भी मेघनाद, ऊपर से जनाब 6 फुट के लंबे कद के साथसाथ अच्छेखासे सांवले रंग के मालिक भी थे. उस पर घनीघनी मूंछें. कुलमिला कर मेघनाद को देख कर हम शहर वाले उसे किसी फिल्मी विलेन से कम नहीं सम झते थे.

पास ही के गांव से आने वाला मेघनाद पढ़ाई में अव्वल तो नहीं था लेकिन औसत दर्जे के छात्रों से तो अच्छा ही था.

आमतौर पर क्लास में पीछे की तरफ बैठने वाला मेघनाद इत्तिफाक से एक दिन मेरे बराबर में ही बैठा था. जैसे ही प्रोफैसर ने उस का नाम पुकारा कि ‘खीखी’ की आवाजें आने लगीं.

मेरे लिए अपनी हंसी दबाना बड़ा ही मुश्किल हो रहा था. मु झे लगा कि मेघनाद को बुरा लग सकता है, लेकिन मैं ने देखा कि वह खुद भी मंदमंद मुसकरा रहा था.

कुछ दिनों से मैं नोट कर रहा था कि मेघनाद चुपकेचुपके श्वेता की तरफ देखता रहता था. कालेज में लड़कियों की तरफ खिंचना कोई नई बात नहीं थी लेकिन श्वेता अपने नाम की ही तरह खूब गोरी और बेहद खूबसूरत थी. क्लास के कई लड़के उस पर फिदा थे लेकिन श्वेता किसी को भी घास नहीं डालती थी.

मैं ने यह बात खूब मजे लेले कर अपने दोस्तों को बताई.

एक दिन जब प्रोफैसर महेश ने मेघनाद का नाम पुकारा तो कोई जवाब नहीं आया. उन्होंने फिर से नाम पुकारा लेकिन फिर भी कोई जवाब नहीं आया.

मेघनाद कभी गैरहाजिर नहीं होता था इसलिए प्रोफैसर महेश ने सिर उठा कर फिर से उस का नाम लिया. अब तक क्लास की ‘खीखी’ अच्छीखासी हंसी में बदल गई थी.

इतने में श्वेता ने मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘‘सर, वह शायद लक्ष्मणजी के साथ कहीं युद्ध कर रहा होगा.’’

यह सुन कर सभी हंसने लगे. यहां तक कि प्रोफैसर महेश भी अपनी हंसी न रोक पाए.

तभी सब की नजर दरवाजे पर पड़ी जहां मेघनाद खड़ा था. आज उस की ट्रेन लेट हो गई थी तो वह भी थोड़ा लेट हो गया था. उस ने श्वेता की बात सुन ली थी और उस का चेहरा उतर गया था.

मुझे मेघनाद का उदास सा चेहरा देख कर अच्छा नहीं लगा. शायद उस को लोगों की हंसी से ज्यादा श्वेता की बात बुरी लगी थी.

बीएससी पूरी कर के मैं दिल्ली आ गया और फिर अगले 10 सालों में एक बड़ी मैडिकल ट्रांसक्रिप्शन कंपनी में असिस्टैंट मैनेजर बन गया.

कालेज के मेरे कुछ दोस्त सरकारी टीचर बन गए तो कुछ अपना कारोबार करने लगे.

कालेज के कुछ पुराने छात्रों ने 10 साल पूरे होने पर रीयूनियन का प्रोग्राम बनाया. अनुराग, अजहर, विनोद, इकबाल, पारुल वगैरह ने प्रोग्राम के लिए काफी मेहनत की.

प्रोग्राम में अपने पुराने साथियों से मिल कर मु झे बहुत अच्छा लगा.

यों तो प्रोग्राम में अपनी क्लास के करीब आधे ही लोग आ पाए, फिर भी उन सब से मिल कर काफी अच्छा लगा.

मेरे सहपाठी हेमेंद्र और दीप्ति शादी कर के मुंबई में रह रहे थे तो संजय एक बड़ी गारमैंट कंपनी में वाइस प्रैसीडैंट बन गया था. अतीक जरमनी में सीनियर साइंटिस्ट के पद पर था. वह प्रोग्राम में तो नहीं आ पाया लेकिन उस ने हम सब को अपनी शुभकामनाएं जरूर भेजी थीं.

वंदना एक कामयाब डाक्टर बन गई थी. हमारे टीचरों ने भी हम सब को अपनेअपने फील्ड में कामयाब देख कर अपना आशीर्वाद दिया. कुलमिला कर सब से मिल कर बहुत अच्छा लगा.

हमारे सीनियर मैनेजर मनीष सर 2 साल के लिए अमेरिका जा रहे थे. उन की जगह कोई नए सीनियर मैनेजर हैदराबाद से आ रहे थे. मेरे साथी असिस्टैंट मैनेजर ऋषि, जिन को औफिस में सब ‘पार्टी बाबू’ के नाम से बुलाते थे, ने नए सीनियर मैनेजर के स्वागत में एक छोटी सी पार्टी करने का सु झाव दिया. हम सभी को उन की बात जंच गई और सभी लोग पार्टी की तैयारियों में लग गए.

तय दिन पर नए सीनियर मैनेजर औफिस में पधारे और उन को देखते ही मेरे आश्चर्य की कोई सीमा न रही. मेरे सामने मेघनाद खड़ा था. वह भी मु झे देख कर तुरंत पहचान गया और बड़ी गर्मजोशी से आ कर मिला.

मेघनाद बड़ा आकर्षक लग रहा था. सूटबूट में आत्मविश्वास से भरपूर फर्राटेदार अंगरेजी में बात करता एक अलग ही मेघनाद मेरे सामने था. अपने पहले ही भाषण में उस ने सभी औफिस वालों को प्रभावित कर लिया था.

थोड़ी देर बाद चपरासी ने आ कर मुझ से कहा कि सीनियर मैनेजर आप को बुला रहे हैं. मेघनाद ने मेरे और परिवार के बारे में पूछा. फिर वह अपने बारे में बताने लगा कि ग्रेजुएशन करने के बाद वह कुछ साल दिल्ली में रहा, फिर हैदराबाद चला गया. पिछले साल ही उस ने हमारी कंपनी की हैदराबाद ब्रांच जौइन की थी. फिर उस ने मु झे रविवार को सपरिवार अपने घर आने की दावत दी.

रविवार को मैं अपनी श्रीमती के साथ मेघनाद के घर पहुंचा. घर पर मेघनाद के 2 प्यारेप्यारे बच्चे भी थे. लेकिन असली  झटका मु झे उस की पत्नी को देख कर लगा. मेरे सामने श्वेता खड़ी थी. मेरे हैरानी को भांप कर मेघनाद भी हंसने लगा.

‘‘हैरान हो गए क्या…’’ मेघनाद ने हंसते हुए कहा, फिर खुद ही वह अपनी कहानी बताने लगा, ‘‘दिल्ली आने के बाद नौकरी के साथसाथ मैं एमबीए भी कर रहा था. वहां मेरी मुलाकात श्वेता से हुई थी. फिर हमारी दोस्ती हो गई और कुछ समय बाद शादी. वैसे, मुझ में इन्होंने क्या देखा यह आज तक मेरी सम झ में नहीं आया.’’

श्वेता ने भी अपने दिल की बात बताई, ‘‘कालेज में तो मैं इन को सही से जानती भी नहीं थी, पता नहीं कहां पीछे बैठे रहते थे. दिल्ली आकर मैं ने इन के अंदर के इनसान को देखा और समझा. मैं ने अपनी जिंदगी में इन से ज्यादा ईमानदार, मेहनती और प्यार करने वाला इनसान नहीं देखा.’’

मेघनाद और श्वेता के इस प्रेम संसार को देख कर मुझे वाकई बड़ी खुशी हुई. सच ही है कि आदमी की पहचान उस के नाम या रंगरूप से नहीं, बल्कि उस के गुणों से होती है. और हां, अब मुझे मेघनाद नाम सुन कर हंसी नहीं आती, बल्कि फख्र महसूस होता है.

मजाक : जयंत की बेसब्री क्या रंग लाई

दिल्ली से बैंगलुरु का सफर लंबा तो था ही, लेकिन जयंत की बेसब्री भी हद पार कर रही थी. 3 साल बाद खुशबू से मिलने का वक्त जो नजदीक आ रहा था. मुहब्बत में अगर कामयाबी मिल जाए तो इनसान को दुनिया जीत लेने का अहसास होने लगता है.

ट्रेन सरपट भाग रही थी लेकिन जयंत को उस की रफ्तार बैलगाड़ी सी धीमी लग रही थी. रात के 9 बज रहे थे. उस ने एक पत्रिका निकाल कर अपना ध्यान उस में बांटना चाहा लेकिन बेजान काले हर्फ और कागज खुशबू की कल्पना की क्या बराबरी करते?

खुशबू तो ऐसा ख्वाब थी, जिसे पूरा करने में जयंत ने खुद को  झोंक दिया था. उस की हर शर्त, हर हिदायत को आज उस ने पूरा कर दिया था. अब फैसला खुशबू का था.

जयंत ने मोबाइल फोन निकाला. खुशबू का नंबर डायल किया लेकिन फिर अचानक फोन काट दिया. उसे याद आया कि खुशबू ने यही तो कहा था, ‘जब सच में कुछ बन जाओ तब मुहब्बत को पाने की बात करना. उस से पहले नहीं. मैं तब तक तुम्हारा इंतजार करूंगी.’

मोबाइल फोन वापस जेब के हवाले कर जयंत अपनी बर्थ पर लेट गया. सुख के इन लमहों को वह खुशबू की यादों में जीना चाहता था.

5 साल पहले जब जयंत दिल्ली आया था तो वह कुछ बनने के सपने साथ लाया था लेकिन दिल्ली की फिजाओं में उसे खुशबू क्या मिली, जिंदगी की दशा और दिशा ही बदल गई.

जयंत ने मुखर्जी नगर, दिल्ली के एक नामी इंस्टीट्यूट में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए दाखिला लिया तो वहां पढ़ाने वाली मैडम खुशबू का जादू पहली नजर में ही प्यार में बदल गया.

भरापूरा बदन और बेहद खूबसूरत. झील सी आंखें. घुंघराले लंबे बाल. बदन का हर अंग ऐसा कि सामने वाला देखता ही रह जाए.

जयंत ने खुशबू से बातचीत शुरू करने की कोशिश की. क्लास में वह अकसर मुश्किल सवाल रखता पर खुशबू की सब्जैक्ट पर गजब की पकड़ थी. जयंत उसे कभी अटका नहीं पाया. लेकिन उस में भी बहुत खूबियां थीं इसलिए खुशबू उसे स्पैशल सम झने लगी.

उस दिन क्लास जल्दी खत्म हो गई. खुशबू ने जयंत को रुकने का इशारा किया. थोड़ी देर बाद वे दोनों एक कौफी हाउस में थे और वहां कहीअनकही बहुत सी बातें हो गईं. नजदीकियां बढ़ने लगीं तो समय पंख लगा कर उड़ने लगा.

एक दिन मौका देख कर जयंत ने खुशबू को प्रपोज भी कर दिया, लेकिन खुशबू ने वैसा जवाब नहीं दिया जैसी जयंत को उम्मीद थी.

खुशबू की बहन की शादी थी. उस ने जयंत को न्योता दिया तो जयंत भला ऐसा मौका क्यों छोड़ता? काफी अच्छा आयोजन था लेकिन जयंत को इस सब में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी.

दकियानूसी रस्में रातभर चलने वाली थीं, इसलिए जयंत मेहमानों के रुकने वाले हाल में जा कर सो गया. लोगों की आवाजें वहां भी आ रही थीं. सब बाहर मंडप में थे.

रात में अचानक किसी की छुअन की गरमाहट से जयंत की नींद खुली. हाल की लाइट बंद थी, लेकिन अपनी चादर में लड़की की छुअन वह अंधेरे में भी पहचान गया था.

खुशबू इस तरह उस के साथ… ऐसा सोचना भी मुश्किल था. लेकिन अपने प्यार को इतना करीब पा कर कौन मर्द अपनेआप पर कंट्रोल रख सकता है?

चंद लमहों में वे दोनों एकदूसरे में समा जाने को बेताब होने लगे. खुशबू के चुंबनों ने जयंत को मदहोश कर दिया. अपने करीब खुशबू को पा कर उसे जैसे जन्नत मिल गई.

तूफान थमा तो खुशबू वापस शादी की रस्मों में शामिल हो गई और जयंत उस की खुशबू में डूबा रहा.

कुछ दिन बाद ऐसा ही एक और वाकिआ हुआ. तेज बारिश थी. मंडी हाउस से गुजरते समय जयंत ने खुशबू को रोड पर खड़ा पाया.

जयंत ने फौरन उस के नजदीक पहुंच कर अपनी मोटरसाइकिल रोकी. दोनों उस पर सवार हो इंडिया गेट की ओर निकल गए.

खुशबू को रोमांचक जिंदगी पसंद थी इसलिए वह इस मौके का लुत्फ उठाना चाहती थी. बारिश का मजा रोमांच में बदल रहा था. प्यार में सराबोर वे घंटों सड़कों पर घूमते रहे.

जयंत और खुशबू की कहानी ऐसे ही आगे बढ़ती रही कि तभी अचानक इस कहानी में एक मोड़ आया. खुशबू ने जयंत को ग्रैंड होटल में बुलाया. डिनर की यह पार्टी अब तक की सब पार्टियों से अलग थी. खुशबू की खूबसूरती आज जानलेवा महसूस हो रही थी.

‘आज तुम्हारे लिए स्पैशल ट्रीट जयंत,’ मुसकरा कर खुशबू ने कहा.

‘किस खुशी में?’ जयंत ने पूछा.

‘मु झे नई नौकरी मिल गई… बैंगलुरु में असिस्टैंट प्रोफैसर की.’

जयंत का दिल टूट गया था. खुशबू को सरकारी नौकरी मिल गई थी, इस का मतलब उस की जुदाई भी था.

जयंत ने दुखी लहजे में खुशबू को उस की जुदाई का दर्द कह सुनाया.

खुशबू ने मुसकराते हुए कहा, ‘वादा करो तुम पहले कंपीटिशन पास करोगे, नौकरी मिलने के बाद ही मुझसे मिलने आओगे… उस से पहले नहीं… न मु झे फोन करोगे और न ही चैट…

‘मैं तुम्हारी टीचर रही हूं इसलिए मुझे यह गिफ्ट दोगे. फिर हम शादी करेंगे… एक नई जिंदगी… एक नई प्रेम कहानी… मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.

‘3 साल का समय… बस, तुम्हारी यादों के सहारे निकालूंगी.’

अचानक से सबकुछ खत्म हो गया. धीरेधीरे समय बीतने लगा. जयंत ने अपना वादा तोड़ खुशबू को फोन भी किए लेकिन उस ने मीठी झिड़की से उसे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा.

जयंत को भी यह बात चुभ गई. अब पूरा समय वह अपनी पढ़ाई पर देने लगा. प्यार में बड़ी ताकत होती है इसलिए मुहब्बत की कशिश इनसान से कोई भी काम करा लेती है.

जयंत को भारतीय सर्वेक्षण विभाग में अच्छी नौकरी मिल गई. अब खुशबू को पाने में कोई रुकावट नहीं बची थी. जयंत ने अपना वादा पूरा कर लिया था.

अचानक ट्रेन रुकी तो जयंत की नींद खुली. सुबह होने को थी. बैंगलुरु अभी दूर था. जयंत दोबारा आंखें मूंदे हसीन सपनों में खो गया.

ट्रेन जब बैंगलुरु पहुंची, तब तक शाम हो चुकी थी. जयंत ने खुशबू को फोन मिलाया लेकिन फोन किसी अनजान ने उठाया. वह नंबर खुशबू का नहीं था. उस का नंबर अब बदल चुका था. दूसरे दिन वह मालूम करता हुआ खुशबू के कालेज पहुंचा.

लाल गुलाब और खुशबू के लिए गिफ्ट से भरे बैग जयंत के हाथों में लदे थे. वैसे भी जयंत को खुशबू को उपहार देने में बड़ा सुकून मिलता था. अपनी पौकेटमनी बचाबचा कर वह उस के लिए छोटेछोटे गिफ्ट लाता था जिन्हें पा कर खुशबू बहुत खुश होती थी.

खुशी से लबरेज जयंत कालेज गया. खुशबू के रूम में पहुंचा तो जयंत को देख वह उछल पड़ी. मिठाई का डब्बा आगे कर जयंत ने उसे खुशखबरी सुनाई.

खुशबू ने एक टुकड़ा मुंह में रखा और जयंत को शुभकामनाएं दीं.

जयंत में सब्र कहां था. उस ने आगे बढ़ उस का हाथ थामा और चुंबन रसीद कर दिया.

‘‘प्लीज जयंत… यह सब नहीं… प्लीज रुक जाओ,’’ अचानक खुशबू ने सख्त लहजे में जयंत को टोकते हुए रोका.

‘‘लेकिन यार, अब तो मैं ने अपना वादा पूरा कर दिया… तुम से मेरी शादी…’’ निराश जयंत ने पूछा.

‘‘सौरी जयंत… प्लीज… मैं ने शादी कर ली है. अब वे सब बातें तुम भूल जाओ..’’

‘‘क्या? भूल जाऊं… मतलब?’’ जयंत उसे घूरते हुए बोला.

‘‘हां, मु झे भूलना होगा,’’ मुसकराते हुए खुशबू बोली, ‘‘वे सब मजाक की बातें थीं… 3 साल पहले कही गई

बातें… क्या अब इतने दिन बाद… तुम्हें तो मु झ से भी अच्छी लड़कियां मिलेंगी…’’ मुसकराते हुए खुशबू बोली.

जयंत उलटे पैर लौट पड़ा. लाल गुलाब उस के भारी कदमों के नीचे कुचल रहे थे. मजाक की बातें शायद 3 साल में खत्म हो जाती हैं… माने खो देती हैं… जयंत समझने की नाकाम कोशिश करने लगा.

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