कहानी एक शिवानी की: भाग 2

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वह अब पूरी तरह कालगर्ल बन चुकी थी, जो पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए हर उस शख्स यानी ग्राहक का बिस्तर गर्म करने को तैयार रहती थी, जिस के पास उस के गिरोह के सदस्य ले जाते थे.

देखते ही देखते शिवानी के रंगढंग बदल गए. वह महंगी ड्रेस पहनने लगी. हाथ में 30 हजार रुपए का मोबाइल आ गया और सब से बड़ी बात ड्रग्स के लिए पैसों का जुगाड़ सहूलियत से होने लगा. इस धंधे में पूरी तरह उतरने के बाद उसे पता चला कि कई पुलिस वाले भी इस गिरोह के साथ हैं, जिन में से वह कुछ का बिस्तर गर्म भी कर चुकी थी.

अब शिवानी की जिंदगी में कुछ नहीं रह गया था. वह अपनी जवानी कैश करा रही थी तो सिर्फ नशे की खुराक के लिए, जिस के बगैर उस का दिमाग सनसनाने लगता था, शरीर सुन्न पड़ने लगता था. घबराहट और उलटियां भी होने लगती थीं. अब तो वह कई कई दिन बाहर रहने लगी थी.

फिर एक दिन…

देवानंद अभिनीत और निर्देशित 70 के दशक की चर्चित और हिट फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की जीनत अमान बन चुकी शिवानी ने अपने रोल से समझौता कर लिया था कि वह सिर्फ नशे और मौजमस्ती के लिए पैदा हुई है, इस से आगे दुनिया में कोई सच नहीं है.

यह और बात है कि फिल्म की तरह उस का कोई भाई उसे गिरोह और नशे की दलदल से वापस निकालने नहीं आया क्योंकि यह हकीकत थी, फिल्म नहीं.

पूरी तरह गिरोह का हिस्सा बन जाने के बाद औरों की तरह शिवानी को भी पता नहीं चल पाया कि आखिरकार इस का कर्ताधर्ता कौन है. वह तो एक ऐसी कठपुतली बन गई थी, जो चिक्की के इशारों पर नाचती थी. उस के लिए सुकून देने वाली इकलौती बात यही थी कि चिक्की अब भी उसे चाहता था और शादी करने को भी तैयार था.

खुद फंसने के बाद उसे यह जरूर समझ आ गया था कि ये लोग कितनी चालाकी से शिकार चुनते हैं, फिर उसे फांसते हैं और उस से पैसा कमाते हैं. नशे की दुनिया के कारोबार के इस गोरखधंधे का उद्गम स्थल कहां है, यह भी उसे नहीं मालूम था और यह सब जानने की जरूरत या इजाजत उसे भी नहीं थी. उस की दुनिया तो एक खुराक में सिमट कर रह गई थी.

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चिक्की खुद भी नशेड़ी था और एक बार इलाज के लिए उसे ग्वालियर के नशा मुक्ति केंद्र भी भेजा गया था, लेकिन वहां से वह भाग आया था और फिर नशे की दुनिया का हिस्सा बन गया था.

उस के पिता धर्मेंद्र पाठक शिवपुरी की जानीमानी शख्सियत हैं. जूली के बारे में उसे पता चला था कि जूली अपने पति को छोड़ चुकी है और रूबी हालांकि अपने परिवार के साथ रहती है, लेकिन यह रहना ठीक वैसा ही है, जैसा उस का दादी के साथ रहना.

इसी दौरान शिवानी को यह भी पता चला था कि ड्रग्स शिवपुरी की गलीगली में मिलती है और कई जगह तो बाकायदा इन की किट बिकती है, जिन में नशे के इंजेक्शन के साथ सीरींज वगैरह भी होती है. यह और ऐसे कई गिरोह खासतौर से युवाओं को कैसे फांसते हैं, इस की बेहतर मिसाल तो वह खुद ही थी.

पुलिस से की शिकायत

लक्ष्मीबाई की बूढ़ी आंखों से अब कुछ छिपा नहीं रह गया था. वह रूबी, जूली, चिक्की और गिरोह के बारे में काफी कुछ जान चुकी थीं कि इन्होंने ही उन की पोती को फंसा कर उस की जिंदगी नर्क बना दी है.

लिहाजा वह अपनी एक नजदीकी रिश्तेदार को ले कर एक दिन थाने जा पहुंचीं और फरियाद लगाई, जिस की कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्हें समझ आ गया कि इस गिरोह में पुलिस वाले भी शामिल हैं.

इधर ‘दम मारो दम मिट जाए गम…’ गाने की धुन पर झूमती शिवानी बीती 5 जुलाई को घर आई तो दादी को लगा कि वह रुकेगी, लेकिन शिवानी अपना आधार कार्ड और कुछ कपड़े ले कर वापस चली गई. तब उस के साथ जूली और रूबी के अलावा एक पुलिस वाला भी था. वह बेबसी से पोती को जाते देखती रहीं.

5 जुलाई, 2019 को कोई खास बात थी, जो शिवानी खूब सजीसंवरी थी. शाम होने तक वह नशे की 2 खुराक ले चुकी थी. दरअसल इस गिरोह के हाथ एक डील के तहत बड़ी रकम हाथ लगने वाली थी, जिस के लिए शिवानी को कई सफेदपोश लोगों को खुश करना था. शिवानी कहीं बीच में कुछ ऐसावैसा न बोल दे, इसलिए उसे तीसरी खुराक भी दे दी गई थी.

रंगीन रात परवान चढ़ पाती, इस के पहले ही ड्रग्स के ओवरडोज के चलते शिवानी की हालत बिगड़ने लगी तो बाकी लोग घबरा उठे. उन्होंने पहले तो उस के चेहरे पर पानी के छींटे मार कर उसे होश में लाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुए तो उन्हें लगा कि शिवानी का बचना अब मुश्किल है.

6 जुलाई, 2019 की सुबह जब शिवपुरी की कृष्णापुरम कालोनी में लोग बाहर आए तो यह देख सन्न रह गए कि नामी कारोबारी जगदीश मंगल के चबूतरे पर एक जवान लड़की पड़ी है. लड़की ने जींस और गुलाबी रंग का टौप पहन रखा था. उस का एक हाथ चबूतरे के नीचे हवा में झूल रहा था और मुंह से झाग निकल रहा था.

साफ समझ आ रहा था कि वह युवती जिंदा नहीं, बल्कि लाश है. जमा भीड़ में से किसी ने 100 नंबर पर पुलिस को खबर कर दी तो सिटी कोतवाली के टीआई बादाम सिंह यादव टीम सहित घटनास्थल पर जा पहुंचे. आग की तरह युवती की संदिग्ध मौत की खबर शहर भर में फैली तो कुछ ही देर में एएसपी गजेंद्र सिंह कंवर भी पहुंच गए.

सामने आई सच्चाई

इसी बीच भीड़ में से ही किसी ने युवती की शिनाख्त भी कर दी कि वह नवाब साहब रोड  पर रहने वाली शिवानी शर्मा है. इस के बाद पुलिस को कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी, क्योंकि जिस चबूतरे पर लाश पड़ी थी, उस घर में सीसीटीवी कैमरे लगे थे.

इन कैमरों की रिकौर्डिंग देख पता चला कि पिछली रात कोई डेढ़ बजे एक आटोरिक्शा जगदीश मंगल के घर के सामने रुका था. थोड़ी देर खड़ा रहने के बाद उस में से एकएक कर 4 युवक उतरे और इधरउधर देखने के बाद उन्होंने आटोरिक्शा की पिछली सीट के पायदान से एक युवती को बाहर निकाल कर चबूतरे पर लिटा दिया और वापस चले गए.

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इधर जैसे ही लक्ष्मीबाई को पोती की मौत की खबर लगी तो उन का रोरो कर बुरा हाल हो गया. हुआ वही, जिस का उन्हें अंदेशा था. रोरो कर उन्होंने पुलिस को बताया कि पिछले कुछ दिनों से शिवानी नशेडि़यों की संगत में पड़ गई थी. वह कुछ ऐसी लड़कियों के चंगुल में फंसी थी, जो ड्रग्स का कारोबार करती थीं. उन्होंने जूली उर्फ अपर्णा भार्गव और रूबी जाटव के नाम भी बताए.

लक्ष्मीबाई ने यह भी बताया कि शिवानी का प्रेम प्रसंग चिक्की पाठक से चल रहा था और दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन चिक्की के घर वाले इस के लिए राजी नहीं थे. इस के बाद भी दोनों ने छिप कर शादी कर ली थी. शिवानी पहली जुलाई को ही घर छोड़ कर चली गई थी और 5 जुलाई को थोड़ी देर के लिए घर आई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि शिवानी की हत्या इन्हीं लोगों ने की है.

चूंकि सीसीटीवी से सच बाहर आ चुका था, इसलिए पुलिस ने आईपीसी की धाराओं 302, 201, 120बी और 34 का मामला दर्ज कर आरोपियों की धरपकड़ शुरू कर दी. इसी बीच पुलिस को एक मुखबिर ने खबर दी कि आरोपी शिवपुरी से भागने की फिराक में हैं और फतेहपुर रोड पर पुलिया के पास खड़े हैं.

मुखबिर की सूचना पर तुरंत दबिश दे कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. विकास सोनी, परमार सिंह, रूबी जाटव, गोलू रजक और जूली ने बताया कि शिवानी की मौत नशे के ओवरडोज के चलते हुई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी इस की पुष्टि हुई.

इस कांड से शिवपुरी में फैलते नशे और देह व्यापार के कारोबार की जम कर चर्चा हुई. कुछ पुलिस वालों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, जिन्हें सस्पेंड कर दिया गया. चिक्की फरार हो चुका था, लेकिन 11 जुलाई, 2019 को एक पैट्रोल पंप के पास से उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

इस तरह शिवानी की जिंदगी और कहानी दोनों खत्म हुए, लेकिन एक सबक छोड़ गई कि लोग अपने बच्चों को नशे के इन सौदागारों से बचा कर रखें, नहीं तो उन का अंजाम भी शिवानी जैसा हो सकता है.  तमाम हंगामों के बाद भी पुलिस इस गिरोह के सरगनाओं के गिरेहबानों तक नहीं पहुंच पाई तो साफ दिख रहा है कि प्यादे फंसे हैं वजीर और बादशाह तो बेखौफ और बदस्तूर अपने धंधे में लगे हैं और नए शिकार ढूंढ रहे हैं.

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कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

कहानी एक शिवानी की: भाग 1

मध्य प्रदेश का शिवपुरी जिला कभी डकैतों की पनाहगाह हुआ करता था, जो ग्वालियर, भिंड और मुरैना जिलों से घिरा हुआ है. लेकिन अब वही शिवपुरी बदनाम है देह व्यापार और ड्रग्स के कारोबार के लिए. उड़ता पंजाब की तर्ज पर शिवपुरी को लोग उड़ता शिवपुरी कहने लगे हैं, क्योंकि यहां के गांवदेहातों तक में जिस्म के बाद जो चीज आसानी से जरूरतमंदों के लिए मिल जाती है, वह है ड्रग.

17 वर्षीय शिवानी शर्मा बेइंतहा खूबसूरत लड़की थी, जिस पर नजर डालने के बाद लोग पलक झपकाना भूल जाते थे. भरेपूरे और गदराए जिस्म की मालकिन इस युवती की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. जब वह बहुत छोटी थी, तब उस के पिता का निधन हो गया था. विधवा हो जाने के बाद उस की युवा मां को समझ आ गया था कि एक नन्ही बच्ची के साथ स्वाभिमान और और सम्मानपूर्वक तरीके से रह पाना किसी भी लिहाज से मुमकिन नहीं है.

फिर एक दिन वह अपने जिगर के टुकड़े को सास की गोदी में डाल कर चली गई. कहां गई, इस का ठीकठाक पता किसी को नहीं, लेकिन कुछ दिन बाद उड़तीउड़ती खबर यह आई कि उस ने दूसरी शादी कर ली है.

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इस तरह शिवानी अपनी दादी लक्ष्मीबाई की गोद में पलीबढ़ी, जिन के पास नाम के मुताबिक लक्ष्मी कहने भर को भी नहीं थी. क्योंकि अपनी और नन्ही पोती की गुजर के लिए उन्हें दूसरों के घरों में काम करना पड़ता था, तब कहीं जा कर दो वक्त की रोटी नसीब होती थी.

अभावों में पलती शिवानी बड़ी होती गई, लेकिन इन 17 सालों में जो कई बातें उसे समझ आई थीं, उन में अहम यह थी कि गरीबी दुनिया का सब से बड़ा अभिशाप है. लक्ष्मीबाई ने अपनी तरफ से उस की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी थी. उस ने शिवानी को शिवपुरी के सरस्वती स्कूल में दाखिला दिला दिया था. पढ़ाई में औसत रही शिवानी को यह भी समझ आ गया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, उस की दरिद्रता दूर नहीं होने वाली है.

अपने मांबाप की कहानी उस ने दादी और कुछ रिश्तेदारों के मुंह से सुनी थी, जो कभीकभार दिखावे के लिए आ जाते थे. नहीं तो किसी को न तो उन से मतलब था और न ही फुरसत थी. बड़ी होती शिवानी को कभी किसी ने अपनी बाहों में झुला कर अपनी प्रिंसेस बिटिया या नन्ही परी नहीं कहा था. वह तो बस हैरानी से अपने आसपास की दुनिया देखते हुए बड़ी होती गई थी.

बूढ़ी दादी की आंखों से शिवानी की मनोदशा छिपी नहीं थी, लेकिन इस के बाद भी उन्हें उम्मीद थी कि पोती सुंदर है, एक न एक दिन उस के भी दिन फिरेंगे और कोई अच्छे खातेपीते घर का लड़का उसे ब्याह कर ले जाएगा.

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ड्रग्स से कर ली सगाई

ऐसा कुछ हुआ नहीं उलटे लक्ष्मीबाई कुछ महीनों पहले उस वक्त सन्न रह गई, जब उन्हें यह अहसास हुआ कि शिवानी ड्रग्स का नशा करने लगी है. उन्हें अपने सपने टूटते नजर आए. लेकिन इस के आगे क्याक्या होना है, इस का अंदाजा वे नहीं लगा पाईं और अगर लगा भी लिया होगा तो बेबसी के चलते कसमसा कर रह जातीं.

दरअसल, ड्रग्स तो शिवानी कई दिनों से ले रही थी लेकिन लत उसे अभीअभी लगी थी और इस तरह लगी थी कि स्मैक की एक पुडि़या के लिए वह अपना जिस्म तक परोसने के लिए तैयार रहने लगी थी.

हकीकत यह थी कि जवानी की सीढि़यों पर पहला कदम रखते ही शिवानी एक ऐसे गिरोह के चक्कर में फंस गई थी, जो षडयंत्रपूर्वक उन लड़कियों को फंसाता था, जिन पर कोई पारिवारिक नियंत्रण नहीं होता था. शिवानी इस काम के लिए ड्रग माफिया को बहुत सौफ्ट टारगेट लगी थी.

कुछ दिन पहले ही शिवानी के यहां एक युवक का आनाजाना शुरू हुआ था, जिस का नाम चिक्की पाठक था. ब्राह्मण होने के नाते दादी ने चिक्की के आनेजाने को असहज ढंग से नहीं लिया. दादी के पास बैठ कर उन से घंटों बतियाने वाला चिक्की असल में मोहरा था, जिसे शिवानी को फंसाने के लिए भेजा गया था.

उम्मीद के मुताबिक शिवानी जल्द ही चिक्की के प्रेमजाल में फंस गई. फिर वह उस के साथ बाहर घूमनेफिरने जाने लगी. आने वाली जिंदगी को ले कर वह सुनहरे सपने देखने लगी. चिक्की भी उस के सपनों को हवा देता रहा.

धीरेधीरे चिक्की उसे अपनी 2 परिचितों जूली भार्गव और रूबी जाटव के यहां ले जाने लगा. इन दोनों के घर और आजाद जिंदगी देख कर शिवानी भी ऐसी ही जिंदगी के ख्वाब देखने लगी, जिस में उस का अपना घर है, चिक्की है और रोमांस ही रोमांस है.

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भोलीभाली शिवानी तब इन सब की हकीकत नहीं जानती थी. जब भी वह चिक्की के साथ इन के यहां जाती थी तो जूली और रूबी उन दोनों को एकांत में छोड़ देती थीं. आग और बारूद आमनेसामने होंगे तो वर्जनाएं टूटने में देर नहीं लगती. यही शिवानी के साथ हुआ. धीरेधीरे ही सही, चिक्की ने कब उसे पूरी तरह अपना बना लिया, इस का उसे अहसास ही नहीं हुआ.

कच्चे उम्र की शिवानी ज्यादा दिनों तक खुद को रोके नहीं रख पाई और एक दिन पूरी तरह चिक्की की हो गई. फिर यह सुख रोजरोज नएनए तरीके से उसे मिलने लगा तो वह इसकी आदी हो गई. शिवानी नाम की अनछुई कली देखते ही देखते खिला हुआ फूल बन गई.

सेक्स की लत के बाद चरणबद्ध तरीके से चिक्की, रूबी और जूली ने उसे शराब और सिगरेट पिलानी शुरू कर दी. शिवानी ने महसूस किया कि ये दोनों चीजें न केवल रोमांस और सैक्स का बल्कि जिंदगी का भी असली लुत्फ देती हैं. लिहाजा वह बेहिचक शराब पीने लगी.

घर में कोई उसे रोकनेटोकने वाला नहीं था और जो बूढ़ी दादी थीं, शिवानी के लिए उन के वहां होने न होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता था. वह तो एक ऐसी दुनिया में जा पहुंची थी, जहां प्यार, रोमांस और सैक्स के अलावा कुछ नहीं होता था.

इसी दौरान चिक्की ने उस का परिचय अपने और दोस्तों यानी गिरोह के सदस्यों रजक, विकास, गोलू और परमार से भी करवा दिया था. ये चारों भी उसे रूबी और जूली की तरह भले लगे. फिर एक दिन उसे दुनिया के सब से हसीन नशे स्मैक की खुराक दी गई.

शिवानी को लगा कि यह नशा बड़ा अद्भुत है, जिसे ले कर आदमी अपने सारे रंजोगम और परेशानियां भूल जाता है. एक ऐसा नशा जिस की तलब उतरने के बाद से ही लगने लगती है.

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धीरेधीरे ग्रुप बना कर ये सभी लोग यह नशा करने लगे, जिस में कोई बंदिश नहीं थी. थी तो सिर्फ एक ऐसी आजादी जो हर युवा का सपना होती है. एक बार इन ड्रग्स की लत शिवानी को लगी तो फिर उस ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उस ने बूढ़ी दादी के बारे में भी कुछ नहीं सोचा, जिस ने अपना बुढ़ापा जला कर उसे बड़ा किया था.

आ गई देह व्यापार में

ऐसा नहीं कि अनुभवी लक्ष्मीबाई को कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन शिवानी की हालत अब उस उफनती बरसाती नदी की तरह हो गई थी, जिसे बांधे रखने में कम से कम कोई जर्जर बांध तो कतई कामयाब नहीं होता.

जवान बेटे को खो चुकी लक्ष्मीबाई अब जवान होती पोती का हाल देख रही थीं. लेकिन कुछ कर पाने में असमर्थ थीं, क्योंकि बेटे की तरह वह उस की अमानत को नहीं खोना चाहती थीं.

जिस मकसद से शिवानी को चिक्की ने फंसाया था वह पूरा हो चुका था. बिना ड्रग्स के अब वह एक दिन भी नहीं रह पाती थी और तलब लगने पर खुद उस के या दूसरे साथियों की तरफ खिंची चली आती थी.

यह सब इतने जल्दीजल्दी और सुनियोजित तरीके से हुआ था कि शिवानी को कुछ सोचनेसमझने का मौका ही नहीं मिला था और कभी मिला भी होगा तो उसे यह भी समझ आ गया होगा कि अब कुछ नहीं हो सकता.

जो एक बार ड्रग्स के नशे की राह पर चल पड़ता है, वह चाह कर भी वापस नहीं लौट सकता. यही हाल शिवानी का था. फिर एक दिन उसे बताया गया कि जिस मौजमस्ती की लत उसे पड़ चुकी है, वह मुफ्त नहीं मिलती है, इस के लिए दाम भी चुकाना पड़ता है.

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दाम चुकाने के लिए शिवानी के पास फूटा धेला भी नहीं था, लेकिन इन्हीं लोगों ने उसे बताया कि उस के पास जो है, वह करोड़ोंअरबों का है. अगर वह चाहे तो दौलत पैरों में लोटने लगेगी.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

खून में डूबे कस्में वादे: भाग 1

दोपहर के करीब 3 बजे थे. महाराष्ट्र के शहर अंबानगरी, जिसे लोग अब अमरावती के नाम से जानते हैं, की सड़कों पर काफी भीड़ थी. सड़क किनारे गोपाल प्रभा मंगल कार्यालय है, उस के सामने जानामाना शाह कोचिंग सेंटर है, जिस की क्लास छूटी थी.

सेंटर से बाहर निकलने वाले छात्रछात्राओं की वजह से भीड़ और बढ़ गई थी. सड़क की चहलपहल से अलग साइड में खड़ा एक युवक बड़ी बेसब्री से क्लास से निकलते छात्रछात्राओं को देख रहा था.

ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी का इंतजार कर रहा हो. थोड़ी देर बाद उस का इंतजार खत्म हो गया. सारे छात्र और छात्राओं के निकलने के कुछ देर बाद 2 छात्राएं बाहर निकलीं और आपस में बातें करते हुए बस स्टौप की ओर जाने लगीं. साइड में खड़ा युवक उन के पीछे लग गया.

इस के पहले कि दोनों छात्राएं बस स्टौप तक पहुंच पातीं, युवक ने आगे आ कर उन का रास्ता रोक लिया. उस ने जिन छात्राओं का रास्ता रोका था, वह उन में से एक छात्रा से बात करना चाहता था. उन में एक छात्रा का नाम अर्पिता था और दूसरी का अपर्णा. दोनों लड़कियां फ्रैंड थीं.

अचानक इस तरह सामने आए युवक को देख कर अर्पिता के दिल की धड़कन बढ़ गई. डरीसहमी अर्पिता ने एक बार अपनी फ्रैंड अपर्णा की तरफ देखा. फिर उस ने हिम्मत जुटा कर युवक की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘तुषार, तुम यहां?’’

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‘‘गनीमत है, तुम ने मुझे पहचाना तो. मैं तो समझा था कि तुम मुझे भूल गई होगी. मैं यहां क्यों आया हूं, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो.’’ तुषार के होंठों पर कुटिल मुसकान तैर गई.

‘‘बेकार की बातें छोड़ो और हट जाओ हमारे रास्ते से. हमारी बस निकल जाएगी.’’ अर्पिता ने रोष में कहा.

‘‘बसें तो आतीजाती रहेंगी. यह बताओ कि तुम मेरे पास कब आओगी? मेरी इस बात का जवाब दिए बिना तुम यहां से नहीं जाओगी. तुम मुझ से कटीकटी क्यों रहती हो? तुम्हारे घर वाले मुझे तुम से नहीं मिलने देते. आखिर मेरी गलती क्या है, हम दोनों ने एकदूसरे से प्यार किया है, शादी की है.’’ तुषार ने अर्पिता को विनम्रता से समझाने की कोशिश की.

‘‘वह सब हमारी नादानी और बचपना था. अब उन बातों का कोई मतलब नहीं है. मैं सब भूल चुकी हूं, तुम भी भूल जाओ.’’ कह कर अर्पिता उस के बगल से हो कर निकलने लगी. लेकिन तुषार ने उसे निकलने नहीं दिया. वह उस के सामने अड़ कर खड़ा हो गया.

‘‘ऐसे कैसे भूल जाऊं, मैं तुम्हें प्यार करता हूं. तुम्हें अपनी पत्नी मानता हूं. भले ही हमारी शादी घर वालों की मरजी से न हुई हो लेकिन मंदिर में ही सही, हुई तो है. तुम मेरी पत्नी हो और पत्नी ही रहोगी.’’ तुषार ने अर्पिता से कड़े शब्दों में कहा.

‘‘देखो तुषार, तुम मेरी बातों को समझने की कोशिश करो. मैं अपना कैरियर देख रही हूं. तुम अपना कैरियर देखो, उसी में हमारी भलाई है. तुम मुझे अपने दिल से निकाल कर हकीकत की दुनिया में आ जाओ, यही दोनों के लिए अच्छा है.’’

अर्पिता की सहेली अपर्णा ने भी तुषार को समझाने की कोशिश की कि वह उसे भूल जाए. अर्पिता और अपर्णा की बातों से परेशान हो कर तुषार का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा.

‘‘तो क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ तुषार ने अर्पिता की आंखों में आंखें डाल कर पूछा.

‘‘हां, यही मेरा आखिरी फैसला है. मैं अपने परिवार और समाज के खिलाफ नहीं जा सकती. मेरा परिवार जो कह रहा है, मुझे वही करना होगा.’’ अर्पिता ने कहा.

उस का स्पष्ट जवाब सुन कर तुषार आपा खो बैठा और उस ने कपड़ों के अंदर छिपा कर लाया चाकू बाहर निकाल लिया. उस के हाथों में चाकू देख कर अर्पिता और अपर्णा दोनों बुरी तरह घबरा गईं.

इस के पहले कि वे दोनों कुछ बोल पातीं, तुषार ने अर्पिता के पेट, सीने और गले पर लगभग 18 वार कर दिए. अपर्णा ने जब अपनी फ्रैंड अर्पिता की मदद करने की कोशिश की तो तुषार ने उसे भी बुरी तरह जख्मी कर दिया. तुषार के इस हमले से दोनों जमीन पर गिर पड़ीं और मदद के लिए चीखनेचिल्लाने लगीं.

अर्पिता और अपर्णा की चीखपुकार से आनेजाने वाले लोगों के कदम रुक गए. कुछ मिनटों तक तो किसी की समझ में नहीं आया कि माजरा क्या है. लोग मूक बने खून में डूबी लड़कियों को देखते रहे. जब समझ में आया तो लोग अर्पिता और अपर्णा की मदद के लिए आगे बढ़े. लोगों को अर्पिता और अपर्णा की मदद करते देख तुषार समझ गया कि अब उस का वहां रुकना ठीक नहीं है.

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वह चाकू घटनास्थल पर फेंक कर भागने की कोशिश करने लगा. लेकिन उस के कारनामों से क्रोधित कुछ लोग उस के पीछे पड़ गए. वहां मौजूद कुछ लोगों ने आटो रोक कर अर्पिता और अपर्णा को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने अर्पिता को मृत घोषित कर दिया और घायल अपर्णा के उपचार में जुट गए.

दूसरी तरफ तुषार का पीछा कर रहे लोगों ने उसे ईंटपत्थरों से घायल कर के दबोच लिया. उन्होंने उस की जम कर पिटाई की. गुस्साए लोग उसे छोड़ने को तैयार नहीं थे.

इस घटना की खबर थोड़ी दूरी पर स्थित राजापेठ पुलिस थाने की पुलिस को लगी तो वह तुरंत हरकत में आ गई. थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने सब से पहले लोगों की गिरफ्त में फंसे तुषार को अपनी कस्टडी में लिया. थानाप्रभारी ने इस मामले की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को भी दे दी.

थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी ने अपने सहयोगियों के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया. घटनास्थल पर पड़े रक्तरंजित चाकू और रक्त सनी मिट्टी का नमूना ले कर उसे सील कर दिया गया. इस के बाद पुलिस ने वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिए. वहां से वह सीधे अस्पताल चले गए.

यह घटना 9 जुलाई, 2019 की थी. कुछ ही मिनटों में दिल दहलाने वाली इस वारदात की खबर पूरे शहर में फैल गई. मामले की जानकारी पा कर अमरावती के सीपी संजय वाबीस्कर, डीसीपी जोन-2 शशिकांत सातव और एसीपी (राजापेठ) बलिराम डाखरे भी पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंच गए.

अस्पताल पहुंच कर उन्होंने वहां के डाक्टरों से मिल कर बात की और मृत अर्पिता और घायल अपर्णा का सरसरी निगाह से निरीक्षण किया. फिर थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी को जरूरी निर्देश दे कर लौट गए.

थानाप्रभारी ने अपनी टीम के साथ मृतका अर्पिता की फ्रैंड अपर्णा का विस्तृत बयान लिया. इस के बाद हत्या का केस नामजद दर्ज कर के अर्पिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. पुलिस ने थाने लौट कर इस घटना की जानकारी अर्पिता और अपर्णा के घर वालों को दी. साथ ही केस की जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर संभाजी पाटिल व दत्ता नखड़े को सौंप दी.

इस घटना की खबर मिलते ही अर्पिता के परिवार वाले रोतेपीटते राजापेठ पुलिस थाने पहुंचे. जांच अधिकारियों ने उन्हें सांत्वना दे कर उन से पूछताछ की. अर्पिता के घर वालों ने बताया कि तुषार उन की बेटी अर्पिता से एकतरफा प्यार करता था और उस पर शादी के लिए दबाव बनाता रहता था. वह सालों से उन की बेटी के पीछे पड़ा था.

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उन्होंने बताया कि तुषार अर्पिता को अकसर छेड़ता और परेशान करता था. साथ ही धमकियां भी देता था. उस ने अर्पिता से शादी का एक फरजी वीडियो भी तैयार कर रखा था, जिसे वह सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देता था.

दोनों के परिवारों की अपनीअपनी कहानी

उन लोगों ने इस की शिकायत वडनेरा पुलिस थाने में भी की थी. लेकिन पुलिस ने उस पर कोई काररवाई नहीं की. पुलिस ने उस से वह वीडियो डिलीट करवाया और माफीनामा ले कर छोड़ दिया था.

तुषार के परिवार वालों ने भी अर्पिता पर कुछ इसी तरह का आरोप लगाया था. उन के अनुसार अर्पिता ने तुषार से प्यार किया था, उसे सपना दिखाया था. यहां तक कि दोनों ने मंदिर में जा कर शादी भी कर ली थी. तुषार का कोई कसूर नहीं था. अर्पिता ने उसे अपने प्रेमजाल में फंसा कर धोखा दिया था, जिस से हताश हो कर उस ने इस तरह का कदम उठाया.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

आधी अधूरी प्रेम कहानी: भाग 1

उत्तर प्रदेश के जिला एटा के थाना मलावन क्षेत्र के गांव बहादुरपुर का एक आदमी नहर की पटरी से होता हुआ अपने खेतों पर जा रहा था. तभी उसे नहर की पटरी के किनारे वाली झाडि़यों में किसी लड़की के कराहने की आवाज सुनाई दी. वह आवाज सुन कर चौंका. जब उस ने झाडि़यों के पास जा कर देखा तो खून से लथपथ एक युवती कराह रही थी. उस ने नीले रंग का सूट पहना हुआ था. उस आदमी ने हिम्मत कर के पूछा कौन है, लेकिन युवती की ओर से कोई जवाब नहीं आया.

उस व्यक्ति ने शोर मचाया तो उधर से गुजर रहे कुछ लोग वहां आ गए. उन्होंने जब झाडि़यों में घायल युवती को देखा तो उसे झाडि़यों से बाहर निकाला. युवती की गरदन से खून रिस रहा था.

युवती उन के गांव की नहीं थी, इसलिए वे उसे पहचान नहीं पाए. सभी परेशान थे कि युवती की ऐसी हालत किस ने की है. इसी दौरान किसी ने इस की सूचना पुलिस के 100 नंबर पर दे दी. यह बात 10 जुलाई, 2019 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे की है.

चूंकि वह क्षेत्र थाना मलावन के अंतर्गत आता था, इसलिए खबर पा कर थाना मलावन के थानाप्रभारी विपिन कुमार त्यागी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस को युवती लहूलुहान अवस्था में तड़पती मिली. युवती के गले से बहा खून उस के कुरते तक फैला हुआ था. पुलिस ने वहां जुटी भीड़ से उस की पहचान कराने की कोशिश की लेकिन गांव वालों ने बताया कि युवती उन के गांव की नहीं है.

पुलिस ने युवती को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भरती करा दिया, जहां उपचार के दौरान उसे होश आ गया. पुलिस पूछताछ में उस ने बताया कि उस का नाम निशा है और वह एटा के थाना कोतवाली देहात क्षेत्र के बारथर निवासी अफरोज की बेटी है. फिलहाल वह अपने परिवार के साथ अलीगढ़ के जमालपुर हमदर्द नगर में रह रही थी.

उस ने पुलिस को खुल कर पूरा घटनाक्रम बताया कि 6 जुलाई, 2019 को उस के मांबाप, छोटे भाई व मामा ने अलीगढ़ में उसी की आंखों के सामने उस के प्रेमी आमिर उर्फ छोटू की हत्या कर दी थी.

प्रेमी की हत्या के बाद वह अपने परिजनों के खिलाफ हो गई. इस के बाद परिजनों ने उसे मारपीट कर घर में कैद कर लिया था. उन्हें शक था कि मैं हत्या का राज जाहिर कर बखेड़ा खड़ा कर सकती हूं, इसलिए मुझे गुमराह कर उसी रात मांबाप व मामा एटा के थाना मलावन के गांव बारथर ले आए, जहां मुझे 2 दिन तक रखा गया. मुझे किसी से भी मिलने नहीं दिया गया. फिर वापस अलीगढ़ ले जाने के बहाने रास्ते में ला कर गोली मार दी और मरा समझ कर झाड़ी में फेंक कर भाग गए. निशा ने पुलिस को जो कहानी बताई, वह रोंगटे खड़े करने वाली थी.

डाक्टरों ने निशा को अलीगढ़ के जे.एन. मैडिकल कालेज के लिए रैफर कर दिया. पुलिस ने बहादुरपुर निवासी पंकज तिवारी की तरफ से निशा के पिता अफरोज, मां नूरजहां और मामा हफीज उर्फ इशहाक के खिलाफ भादंवि की धारा 307 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए मलावन पुलिस ने बारथर गांव में दबिश दी. लेकिन वहां कोई आरोपी नहीं मिला. पुलिस ने वहां रहने वाले निशा के 2 चाचाओं से पूछताछ की लेकिन वे कोई जानकारी नहीं दे सके.

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उधर 7 जुलाई की सुबह अलीगढ़ में भमोला में रेलवे ट्रैक के किनारे एक 25 वर्षीय युवक का शव मिलने से सनसनी फैल गई. सूचना पर अलीगढ़ के थाना सिविल लाइंस के इंसपेक्टर अमित कुमार पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए.

पुलिस को मृतक के गले व शरीर के अन्य भागों पर चोट के निशान मिले. पुलिस को अंदेशा था कि युवक रात के समय ट्रेन से यात्रा के दौरान रेलवे ट्रैक पर गिर गया, जिस से उस की मौत हो गई. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

पुलिस ने मृतक की तलाशी ली तो उस की पैंट की जेब से मिले आधार कार्ड के पते पर उस के घर वालों को सूचित किया. वह जमालपुर के हमदर्द नगर निवासी अकील अहमद का बेटा आमिर था.

सूचना मिलने पर उस के परिजन वहां पहुंच गए. अकील अहमद ने बताया कि शनिवार की रात को आमिर के फोन पर किसी का फोन आया था, जिस के बाद वह घर से निकल गया था. वह रात भर नहीं लौटा. फोन मिलाया लेकिन उस का फोन बंद आ रहा था.

सुबह उस का शव मिला. आमिर का मोबाइल गायब था. पिता ने इसे रेल हादसा नहीं बल्कि हत्या बताया. उन्होंने आमिर की हत्या की आशंका में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.

आमिर की हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुटी सिविल लाइंस पुलिस ने आमिर के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो एक नंबर ऐसा मिला जो अलीगढ़ के ही जमालपुर हमदर्द नगर की एक युवती का था. उस नंबर पर आमिर की सब से अधिक बातें होती थीं. प्रेम प्रसंग की जानकारी होने पर पुलिस ने छानबीन की तो घटना की परतें खुलती गईं.

अलीगढ़ पुलिस ने मृतक आमिर के घर वालों से विस्तृत जानकारी ली और इस मामले से संबंधित सारे तथ्य जुटा लिए. पुलिस ने हत्या में युवती निशा के घर वालों के शामिल होने के शक में 8 जुलाई को उन के घर पर दबिश दी लेकिन वहां ताला लटका मिला. इस के चलते पुलिस का शक पूरी तरह यकीन में बदल गया.

10 जुलाई की सुबह मलावन थाना पुलिस ने निशा को अलीगढ़ के जे.एन. मैडिकल कालेज में भरती कराया. इस से आमिर की हत्या व निशा को गोली मारने के तार आपस में जुड़ गए.

डाक्टरों ने बताया कि गोली निशा के गले के पार हो गई थी लेकिन रात भर बेहोशी की हालत में पड़ी रहने व अत्यधिक खून बह जाने से उस की हालत गंभीर हो गई थी. फिर भी वह बातचीत कर रही थी. पुलिस अधिकारियों ने निशा के बयान मजिस्ट्रैट के समक्ष दर्ज कराए. यह मामला अब तक 2 थाना क्षेत्र एटा के मलावन थाना और अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र से जुड़ गया था.

अलीगढ़ के एसएसपी आकाश कुलहरि ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिविल लाइंस पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एटा भेजा. पुलिस टीम ने निशा के पिता अफरोज के बारथर गांव में दबिश दी लेकिन वहां दरवाजे पर ताला लटका था. इस के चलते अलीगढ़ पुलिस भी खाली हाथ वापस लौट आई.

12 जुलाई को मलावन पुलिस अलीगढ़ अस्पताल पहुंची. निशा की हालत गंभीर थी. उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था.  हालत में सुधार होने पर उस ने एक बार फिर अपने मातापिता और मामा पर गोली मार कर घायल करने का आरोप लगाया. निशा के बयानों के आधार पर मलावन पुलिस ने अलीगढ़ में दबिश दी, लेकिन मातापिता व मामा का कुछ पता नहीं चला.

पुलिस ने पूछताछ के लिए निशा के 2 रिश्तेदारों को हिरासत में ले लिया, जिन से पूछताछ में पुलिस के हाथ घटना से जुड़े कई अहम सबूत मिले. अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही निशा से मिलने कोई रिश्तेदार तक नहीं आया जबकि अलीगढ़ में उस के दूसरे मामा व अन्य रिश्तेदार रहते थे.

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एसएसपी के आदेश पर अस्पताल में दोनों घटनाओं की एकमात्र चश्मदीद गवाह निशा की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. उस की सुरक्षा के लिए एक एसआई, 2 सिपाही और एक महिला सिपाही तैनात कर दिए गए.

पकड़े गए निशा के अब्बूअम्मी

हत्यारों की सुरागरसी के लिए मलावन पुलिस ने चारों ओर मुखबिरों का जाल फैला दिया था. 13 जुलाई की दोपहर को मलावन पुलिस को एक मुखबिर ने सूचना दी कि घटना के आरोपी नूरजहां और उस का पति अफरोज आसपुर से बागवाला जाने वाली रोड पर मौजूद हैं और कहीं जाने की फिराक में हैं.

इस सूचना पर थानाप्रभारी विपिन कुमार त्यागी ने पुलिस टीम के साथ उस जगह की घेराबंदी कर के अफरोज व उस की पत्नी नूरजहां को हिरासत में ले लिया. उन से वारदात में प्रयुक्त मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली गई. अफरोज की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में प्रयुक्त 315 बोर का तमंचा और कारतूस का खोखा भी बरामद कर लिया.

अगले भाग में पढ़ें आगे क्या हुआ…

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खून में डूबे कस्में वादे: भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- खून में डूबे कस्में वादे: भाग 1

22 वर्षीय तुषार अमरावती जिले के तालुका भातकुली गांव मलकापुर का रहने वाला था. उस के पिता का नाम किरण मसकरे था. वह गांव के एक गरीब किसान थे. उन का और उन के परिवार का गुजारा गांव के संपन्न किसानों के खेतों में मेहनतमजदूरी कर के होता था.  परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण तुषार ने इंटरमीडिएट के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. परिवार में उस के मातापिता के अलावा एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन थी.

सुंदर और महत्त्वाकांक्षी अर्पिता तुषार के पड़ोसी गांव कठवा वहान की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम दत्ता साहेब ठाकरे था. ठाकरे गांव के प्रतिष्ठित और संपन्न किसान थे. उन के परिवार में अर्पिता के अलावा उस की मां और एक बड़ा भाई था. अर्पिता पढ़ाई लिखाई में तो तेज थी ही, व्यवहारकुशल भी थी. तुषार मसकरे उस की खूबसूरती और व्यवहार का कायल था.

गांव में उच्चशिक्षा की व्यवस्था नहीं थी. अर्पिता दत्ता ठाकरे की लाडली बेटी थी. वह उसे उच्चशिक्षा दिलाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अर्पिता को पूरी आजादी दे रखी थी. लेकिन यह जरूरी नहीं कि आदमी जो सोचे वह हो ही जाए. दत्ता ठाकरे की भी यह चाहत पूरी नहीं हो सकी.

18 वर्षीय अर्पिता और तुषार की लव स्टोरी सन 2017 में तब शुरू हुई थी, जब दोनों ने गांव के हाईस्कूल से निकल कर तालुका के भातकुली केशरभाई लाहोटी इंटर कालेज में दाखिला लिया. दोनों एक ही क्लास में थे, दोनों के गांव भी आसपास थे. जल्दी ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं.

कालेज में कई युवकयुवतियों ने अर्पिता से दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाए, लेकिन अर्पिता ने उन्हें महत्त्व नहीं दिया. वह मन ही मन तुषार से प्रभावित थी. अर्पिता को जितना भी समय मिलता, तुषार के साथ बिताती थी. तुषार भी अर्पिता जैसी दोस्त पा कर खुश था.

कालेज आनेजाने के लिए अर्पिता के पास स्कूटी थी. तुषार का घर अर्पिता के रास्ते में पड़ता था, इसलिए वह तुषार को अकसर अपनी स्कूटी पर उस के घर तक छोड़ देती थी. इस के चलते दोनों कब एकदूसरे के करीब आ गए, उन्हें पता ही नहीं चला. पहले दोनों में दोस्ती हुई, फिर प्यार हो गया. इस बात का दोनों को तब पता चला जब उन के दिलों की बेचैनी बढ़ने लगी.

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इंटरमीडिएट करतेकरते उन की चाहत इतनी बढ़ गई कि दोनों ने अपने प्यार का इजहार कर लिया. इस के साथ ही दोनों ने साथसाथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं. इतना ही नहीं, दोनों ने सालवर्डी जा कर एक मंदिर में विवाह भी कर लिया. इस विवाह का वीडियो भी बनाया गया था.

जब तक दोनों एक ही कालेज में पढ़ते रहे, उन के प्यार और शादी की किसी को भनक तक नहीं लगी. लेकिन जब अर्पिता ग्रैजुएशन के लिए दूसरे कालेज में गई और तुषार ने पढ़ाई छोड़ दी तो उन के बीच दूरी आ गई.

इसी बीच उन के प्यार और प्रेम विवाह की खबर उन के घर वालों के कानों तक भी पहुंच गई. अर्पिता के पिता ने बेटी के अच्छे भविष्य के लिए उस का दाखिला अमरावती के मधोल पेठ स्थित महात्मा फूले विश्वविद्यालय में करा दिया था. उस ने बीकौम फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था.

दोनों के परिवार रह गए सन्न

तुषार की पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह आगे की पढ़ाई कर पाता. आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से वह गांव वालों के खेतों में किराए का ट्रैक्टर चला कर अपने परिवार की आर्थिक मदद करने लगा.

अर्पिता से दूरियां बढ़ जाने के कारण तुषार का एकएक दिन बेचैनी में गुजरता था. जल्दी ही उस का धैर्य जवाब देने लगा. जब उसे लगने लगा कि अब वह अर्पिता के बिना नहीं रह सकता तो वह फोन पर बात कर के या गांव आतेजाते अर्पिता पर दबाव बनाने लगा कि वह अपनी पढ़ाई छोड़ कर उस के पास आ जाए.

इस बात की खबर जब दोनों परिवारों तक पहुंची तो उन के होश उड़ गए. इस हकीकत जान कर तुषार के परिवार वाले सन्न रह गए तो अर्पिता के घर वालों के पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसक गई. उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस बेटी के भविष्य के लिए वह उसे उच्चशिक्षा दिलाना चाहते हैं, वह ऐसा कर बैठेगी.

मामला काफी नाजुक था. फिर भी उन्होंने अर्पिता को आड़े हाथों लिया. उसे उस के भविष्य, मानसम्मान और समाज के बारे में काफी समझायाबुझाया. साथ ही तुषार से दूर रहने की सलाह भी दी.

अर्पिता ने जब अपने परिवार की बातों पर गहराई से सोचविचार किया तो उसे अपनी भूल पर पछतावा हुआ. तुषार के साथ वह उज्ज्वल भविष्य की कल्पना नहीं कर सकती थी, न ही तुषार उस के काबिल था. सोचविचार कर अर्पिता ने तुषार से दूरी बना ली.

अर्पिता की दूरियां तुषार से बरदाश्त नहीं हुई. एक दिन वह बिना किसी डर के अर्पिता का हाथ मांगने उस के घर चला गया. उस ने उस के परिवार को धमकी देते हुए कहा कि अगर आप लोग अर्पिता का हाथ मेरे हाथ में नहीं देंगे तो वह उसे जबरन ले जाएगा. क्योंकि वह अर्पिता के साथ मंदिर में शादी कर चुका है. उस के पास शादी का वीडियो भी है. तुषार ने यह भी कहा कि अगर उस की बात नहीं मानी गई तो वह वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा.

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बात मानसम्मान की थी. उस की इस धमकी से अर्पिता का परिवार काफी डर गया. बात उन की इज्जत की थी. उन्होंने इस की शिकायत पुलिस में कर दी. पुलिस की काररवाई से तुषार को बहुत गुस्सा आया. वह अर्पिता और उस के परिवार के प्रति रंजिश रखने लगा. उस ने अर्पिता को कई बार फोन किया लेकिन उस ने फोन नहीं उठाया.

फलस्वरूप उसे अर्पिता से सख्त नफरत हो गई. अंतत: प्रेमाग्नि में जलते तुषार ने एक खतरनाक योजना बना ली. उस ने फैसला कर लिया कि अगर अर्पिता ने उस के मनमुताबिक उत्तर नहीं दिया तो वह उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगा. अर्पिता उस की पत्नी है और उस की ही रहेगी.

अपनी योजना को फलीभूत करने के लिए तुषार अपने एक दोस्त से मिला और उस से एक तेजधार वाले लंबे फल के चाकू की मांग की. उस का कहना था कि गांव के आसपास उस के बहुत सारे दुश्मन हो गए हैं, जिन से वह डरता है. दोस्त ने उस की बातों पर विश्वास कर के उस के लिए चाइना मेड एक चाकू का बंदोबस्त कर दिया.

चाकू का इंतजाम हो जाने के बाद तुषार घटना के दिन सुबहसुबह मधोल पेठ पहुंच कर अर्पिता का इंतजार करने लगा. बाद में जब उसे मौका मिला तो उस ने अर्पिता और उस की फ्रेंड पर हमला बोल दिया. इस हमले में अर्पिता की जान चली गई और उस की फ्रैंड अपर्णा बुरी तरह घायल हुई. इस के पहले कि वह भाग पाता, लोगों ने उसे दौड़ा कर पकड़ लिया.

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इस घटना के कुछ घंटों बाद इस वारदात को ले कर पूरा अमरावती शहर एक हो गया. राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संगठन एकजुट हो कर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे.

वे अभियुक्त तुषार मसकरे को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे थे. बहरहाल, तुषार मसकरे ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया था. पूछताछ के बाद उसे अदालत पर पेश कर के जेल भेज दिया गया.

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आधी अधूरी प्रेम कहानी: भाग 2

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केस का खुलासा होने पर एसएसपी एटा स्वप्निल ममगाई ने प्रैसवार्ता आयोजित की. पुलिस पूछताछ और पत्रकारों के सामने निशा के मातापिता ने आमिर की हत्या और अपनी बेटी निशा की हत्या की कोशिश करने की जो कहानी बताई, इस प्रकार थी—

25 वर्षीय आमिर 7 भाइयों में दूसरे नंबर का था. उस का बड़ा भाई सलमान पिता अकील के साथ बिजली के काम में हाथ बंटाता था. जबकि आमिर टाइल्स लगाने का काम करता था. इसी दौरान उस की मुलाकात निशा के पिता अफरोज से हुई.

अफरोज राजमिस्त्री का काम करता था. इसी के चलते आमिर का निशा के घर आनाजाना शुरू हो गया. सुंदर और चंचल निशा को देखते ही आमिर उस की ओर आकर्षित हो गया. निशा की नजरें जब आमिर से टकरातीं तो वह मुसकरा देता. यह देख निशा नजरें झुका लेती थी.

आंखों ही आंखों में दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे. जब भी आमिर निशा के पिता को काम पर चलने के लिए बुलाने आता, उस दौरान उस की मुलाकात निशा से हो जाती. धीरेधीरे दोनों बातचीत करने लगे. दोनों ने एकदूसरे को मोबाइल नंबर भी दे दिए. दोनों की अकसर बातें होती रहतीं.

बेटी के प्रेम संबंधों की जानकारी होने के बाद अफरोज आमिर से नाराज और दूर रहने लगा था. इतना ही नहीं, वह निशा के साथ भी मारपीट कर चुका था. लेकिन प्रेमी युगल दुनिया से बेखबर अपनी ही दुनिया में मस्त रहते थे.

निशा उम्र के ऐसे मोड़ पर थी, जहां उस के कदम बहक सकते थे. इस के चलते अब घर वाले 24 घंटे उस पर नजर रखने लगे थे. बंदिशों के चलते प्रेमी युगल ने रात के समय घर पर ही मिलने की गुप्त योजना बनाई थी.

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6 जुलाई, 2019 की रात अलीगढ़ में अफरोज के परिवार के सभी लोग छत पर सो रहे थे. लेकिन 20 वर्षीय निशा की आंखों की नींद तो उस के 25 वर्षीय प्रेमी आमिर ने चुरा ली थी. परिजनों की सख्ती के चलते आमिर का अफरोज के घर आना बंद हो गया था. इसलिए निशा ने चोरीछिपे आमिर को फोन कर के रात में घर आने के लिए कहा.

आमिर भी अपनी प्रेमिका के दीदार को तरस रहा था. निशा का फोन सुनने के बाद वह उस से मिलने के लिए उस के घर पहुंच गया. निशा ने उस के लिए घर का दरवाजा पहले ही खुला छोड़ दिया था.

निशा और आमिर कमरे में बैठ कर बातें करने लगे. इसी दौरान निशा के मामा हफीज उर्फ इशहाक को टौयलेट लगी तो वह छत से उठ कर नीचे जाने लगा. मगर सीढि़यों का दरवाजा बंद था. दरवाजा खटखटाने पर निशा ने काफी देर बाद दरवाजा खोला. पूछने पर निशा ने बताया कि वह भी पानी लेने छत से नीचे आई थी.

शक होने पर मामा ने आसपास की तलाशी ली तो कमरे में छिपा हुआ आमिर मिल गया. इस के बाद उस ने उसी समय अपने जीजा अफरोज, बहन नूरजहां और 14 वर्षीय नाबालिग भांजे को आवाज दे कर छत से बुला लिया. गुस्से में चारों ने लाठीडंडों से आमिर की पिटाई शुरू कर दी. फिर गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

प्रेमी के साथ मारपीट करने का निशा ने विरोध भी किया था. लेकिन हत्यारों के आगे उस की एक नहीं चली. निशा के सामने ही घर वालों ने उस के प्रेमी की हत्या कर दी थी, जिस का निशा को बहुत दुख हुआ.

अफरोज व हफीज ने शव को बोरी में बंद किया और उसे मोटरसाइकिल पर रख कर रात में ही ले गए. वे लोग भमोला रेलवे ट्रैक पर आमिर के शव को बोरी से निकाल कर फेंक आए.

पूरा घटनाक्रम निशा की आंखों के सामने घटित हुआ था. घर वालों ने सोचा कि कुछ दिन निशा यहां से बाहर रहेगी तो इस घटना को भूल जाएगी. मामला शांत होने पर उसे वापस ले आएंगे. यह सोच कर उसी रात मांबाप व मामा निशा को ले कर एटा के गांव बारथर के लिए मोटरसाइकिलों से रवाना हो गए.

बारथर में निशा गुमसुम सी रहती थी. उस की आंखों के सामने प्रेमी की पिटाई और हत्या का दृश्य घूमता रहता था. घर वाले उस से कुछ पूछते तो उस की आंखों से आंसू बहने लगते थे.

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समझाने से नहीं मानी निशा

सभी लोग उसे 2 दिनों तक समझाते रहे और किसी को कुछ न बताने का दबाव डालते रहे. लेकिन निशा के बगावती तेवर देख कर वे लोग घबरा गए. उन्होंने सोचा कि यदि निशा जिंदा रही तो आमिर की हत्या के मामले में फंसा देगी. घर वालों की बात न मानने पर मांबाप व मामा ने निशा को भी ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया. इस के लिए फूलप्रूफ योजना बनाई गई. उस की हत्या करने से पहले 3 दिन तक वह लाश ठिकाने लगाने के लिए जगह ढूंढते रहे.

9 जुलाई, 2019 की रात 8 बजे हफीज उर्फ इशहाक व मांबाप 2 मोटरसाइकिलों पर यह कह कर निकले कि सभी लोग अलीगढ़ जा रहे हैं. निशा उन के साथ थी. एक मोटरसाइकिल पर निशा और उस की मां नूरजहां बैठी, जिसे पिता अफरोज चला रहा था. दूसरी पर निशा का 14 वर्षीय भाई बैठा, जिसे मामा हफीज चला रहा था.

गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर निकलने के बाद बहादुरपुर गांव में प्रवेश करते ही दोनों मोटरसाइकिलों ने रास्ता बदल दिया. मोटरसाइकिलों के नहर की पटरी की तरफ मुड़ने पर निशा ने कहा, ‘‘ये तो अलीगढ़ का रास्ता नहीं है अब्बू्. आप कहां जा रहे हैं?’’

लेकिन कोई कुछ नहीं बोला. निशा को शक हुआ लेकिन वह बेबस थी. अफरोज व मामा ने आगे जा कर एक जगह मोटरसाइकिलें रोक दीं. तब तक रात के 9 बज चुके थे.

नहर की पटरी पर पहुंचते ही निशा को मोटरसाइकिल से उतार लिया गया और पकड़ कर एक ओर ले जाने लगे. निशा को समझते देर नहीं लगी कि आज उस के साथ कुछ गलत होने वाला है. वह चिल्लाई, लेकिन रात का समय था और दूरदूर तक वहां कोई नहीं था.

पिता और मां ने निशा के हाथ पकड़ लिए. मामा ने तमंचे की नाल उस की गरदन पर सटा कर गोली चला दी. गोली लगते ही तीखी चीख के साथ वह वहीं गिर गई. उस के गिरते ही उसे झाडि़यों में फेंक कर सभी लोग वहां से चले गए.

हत्यारोपियों ने सोचा था कि बेटी को मार कर अलीगढ़ से दूर फेंक दिया है. उस की शिनाख्त नहीं हो सकेगी और पुलिस लावारिस मान कर लाश का अंतिम संस्कार कर देगी. आमिर और निशा दोनों की हत्या राज ही बनी रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. गले में गोली लगने के बाद भी निशा बच गई और  पुलिस को सच्चाई बता दी. अन्यथा औनर किलिंग की यह घटना हादसा बन कर रह जाती.

आमिर का परिवार निशा के साथ उस के रिश्ते से बेखबर था. आमिर के पिता अकील के मुताबिक आमिर ने कभी निशा के साथ रिश्ते को ले कर घर में जिक्र नहीं किया था. आमिर का रिश्ता अगलास थाना क्षेत्र की एक युवती के साथ तय हो गया था. घर वाले उस की शादी की तैयारियों में मशगूल थे. आमिर की मौत से परिवार गम में डूब गया.

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निकाह तय होने के बाद आमिर घर वालों से खफा रहने लगा था. वह अलीगढ़ से दूर जा कर निशा के साथ अपनी अलग दुनिया बसाना चाहता था. आमिर और निशा ने इस की तैयारी भी कर ली थी. लेकिन इन का सपना पूरा होने से पहले ही टूट गया.

उधर अलीगढ़ पुलिस ने आमिर की मौत को हादसा समझ कर मुकदमा दर्ज कर लिया था. हालांकि पुलिस इस की जांच कर रही थी, लेकिन निशा के जिंदा मिलने पर पूरी घटना साफ हो गई.

इस जानकारी के बाद अलीगढ़ पुलिस ने इस मामले को हत्या में दर्ज करने के साथ ही निशा के मामा हफीज व नाबालिग भाई को क्वासी के शहंशाहबाद इलाके वाले घर से गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में इंसपेक्टर अमित कुमार एसएसआई योगेश चंद्र गौतम, एसआई चमन सिंह, नितिन राठी, कांस्टेबल पंकज कुमार, जनक सिंह और ऋषिपाल सिंह यादव शामिल थे.

अलीगढ़ के एसएसपी आकाश कुलहरि ने प्रैसवार्ता में बताया कि आरोपी चालाकी कर के बचना चाहते थे. बेटी के प्रेमी की हत्या अलीगढ़ में और बेटी की हत्या एटा जिले में कर के उन्होंने पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया था. लेकिन उन की योजना निशा के बच जाने से धरी की धरी रह गई.

बहरहाल, हफीज, अफरोज व नूरजहां को आमिर के कत्ल व निशा की हत्या के प्रयास में जेल और नाबालिग को बालसुधार गृह भेज दिया गया. इस तरह एक प्रेमकहानी पूरी होने से पहले ही खत्म हो गई.

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