बंटी नादान बच्चा नहीं था. दोनों हाथों में लड्डू देख वह खुद पर काबू नहीं रख सका. उस ने सुनयना के साथ शादी करने की हामी भर ली. बबीता भी यही चाह रही थी कि उस के गले में फंसी हड्डी किसी तरह से निकल जाए. बंटी उस के कब्जे में आ गया तो फिर उस के लिए एक रास्ता बन जाएगा.
बंटी जानता था कि घर के हालात के मद्देनजर उस की शादी होना इतना आसान नहीं है. सुनयना के साथ शादी की बात सुन कर बंटी फूला नहीं समा रहा था. उसी शाम उस ने यह शादी वाली बात अपने पिता को बताई, तो अजय यादव को कुछ अजीब सा लगा.
अजय यादव यह तो पहले ही जानता था कि बबीता ने उस के लड़के पर अपना कब्जा जमा रखा है. अब वह अपनी बहन से बंटी की शादी करा कर कौन सा नाटक करने जा रही है. उसे मालूम था कि बबीता तेजतर्रार औरत है जरूर उस के मन में कोई षडयंत्र चल रहा होगा. यही सोच कर अजय यादव ने बंटी को समझाते हुए उन लोगों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी. लेकिन बंटी तो जैसे बबीता के प्यार में पागल हो चुका था.
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वह बबीता के साथ संबंध बनाए रखने के लिए सुनयना के साथ शादी करने पर अड़ गया. बंटी ने यह बात बबीता को बताई कि उस के घर वाले सुनयना के साथ शादी करने के लिए राजी नहीं हैं. सुन कर बबीता को गुस्सा आ गया. वह तुरंत अजय यादव से मिली.
बबीता ने अजय यादव को धमकाया कि शायद तुम्हें बलात्कार की सजा मालूम नहीं है. तुम्हारे बेटे ने मेरी बहन के साथ बलात्कार किया है. इस बात को मैं और तुम्हारा बेटा ही जानता है.
बलात्कार वाली बात सुनते ही अजय यादव का गला सूख गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि बबीता जो कह रही है वह कहां तक सच है. उस ने उसी समय बंटी से पूछा तो उस ने चुप्पी साध ली. वह जानता था कि बबीता जो भी कर रही है उसी के हित में है. उस दिन के बाद अजय यादव ने बंटी और बबीता के बीच दखलअंदाजी करना बंद कर दिया.
घटना से लगभग 7 महीने पहले अजय यादव ने अपनी बेटी लक्ष्मी का बर्थ डे मनाने का मन बनाया. उसी दिन बबीता अपनी बहन सुनयना को साथ ले कर अजय यादव के घर पहुंच गई. उस दिन सुनयना दुलहन के कपड़ों में थी. इस से पहले अजय यादव कुछ समझ पाता बबीता ने उस से शादी की तैयारी करने को कहा.
शादी वाली बात सुनते ही अजय यादव हक्काबक्का रह गया. लेकिन उस समय अजय में बबीता की बात का विरोध करने का साहस नहीं था. इसीलिए उस ने आननफानन में एक पंडित को बुलवा कर बंटी के साथ सुनयना की शादी करा दी. सुनयना की शादी का कन्यादान भी शंभू गिरि ने ही किया.
बंटी और सुनयना की शादी हो जाने के बाद बबीता अपने पति शंभू गिरि को साथ ले कर अपने कमरे पर आ गई. उस के बाद बबीता जब भी चाहती, अपनी बहन की खैरखबर लेने के बहाने बिना किसी रोकटोक के बंटी के घर आनेजाने लगी. अब अजय का मुंह भी पूरी तरह बंद हो गया था.
शादी वाली रात ही बंटी सुनयना की हकीकत समझ गया था. जब उसे मालूम हुआ कि सुनयना मंदबुद्धि है तो उसे बहुत दुख हुआ. लेकिन वह बबीता के प्यार में पागल था. उस ने सोचा कि वह घर का थोड़ा बहुत काम तो करती ही रहेगी. बाकी उस के तन की प्यास बुझाने के लिए बबीता है ही.
लेकिन सुनयना की हकीकत पता चलते ही अजय को झटका लगा. उस ने सोचा भी नहीं था कि वह अपने बेटे की जिद के आगे ऐसी मुश्किल में फंस जाएगा. उस की बीवी पहले से ही कम सुनती थी, घर में बहू आई तो वह भी पागल जैसी.
जैसेजैसे वक्त आगे बढ़ता गया, सुनयना का पागलपन खुल कर सामने आता गया. कभीकभी तो वह रात में ही दीवार पर लगी रेलिंग को फांद कर घर से गायब हो जाती थी. फिर उसे ढूंढ कर लाना पड़ता था.
सुनयना की हरकतों से आजिज आने के बाद बंटी ने बबीता से शिकायत करते हुए कहा कि तुम ने अपनी पागल बहन के साथ शादी करा के मुझे किस मुसीबत में डाल दिया.
बंटी ने बबीता से कहा कि इस से पहले वह हमें किसी मुश्किल में डाले उसे तुम अपने घर ले जाओ. बबीता ने बड़ी मुश्किल से उस की शादी कर पीछा छुड़ाया था, अब यह बात बबीता के पति शंभू गिरि के सामने आई तो उस ने उसे बिहार छोड़ आने को कहा. लेकिन बबीता उसे बिहार छोड़ने को तैयार न थी.
उसे दुविधा थी तो इस बात की कि अगर वह बिहार चली गई तो उस का बंटी से मिलनाजुलना बंद हो जाएगा. वह किसी भी कीमत पर बंटी से संबंध खत्म करना नहीं चाहती थी.
जिस समय की यह बात है उस समय पूरे देश में कोरोना कहर ढा रहा था. देश में लौकडाउन लगने के कारण सब लोग घर से निकलने से बचते थे. दिन के 12 बजतेबजते पूरा शहर सुनसान नजर आने लगता था.
उसी लौकडाउन का लाभ उठाने के लिए बबीता ने बंटी के साथ मिल कर एक षडयंत्र रचा. जिस के तहत सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे यानी दोनों ने सुनयना को मौत के घाट उतारने की योजना बना डाली.
योजना के तहत 24 मई, 2020 को बबीता सुनयना को साथ ले कर घर से निकली और फिर उसे सरकारी अस्पताल के पास बैठा कर बंटी के कमरे पर पहुंच गई. पूर्व नियोजित योजनानुसार दोनों सुनयना को काशीपुर की गड्ढा कालोनी में कमरा दिखाने की बात कह कर रामनगर रेलवे ट्रैक की ओर निकल गए. उस समय दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था.
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फिरोजपुर गांव के पास पहुंचतेपहुंचते सुनयना ने पानी पीने की इच्छा जाहिर की तो बंटी ने उसे पास में खड़े एक हैंडपंप से पानी पिलाया. उस के बाद उन्होंने सुनयना से कहा कि गड्ढा कालोनी पास ही है. सुनयना ने कभी गड्ढा कालोनी का नाम तक नहीं सुना था. फिर भी वह उन्हीं दोनों पर विश्वास कर के आगे बढ़ती गई.
जंगल के पास पहुंचते ही बबीता वहीं एक पेड़ के नीचे बैठ गई. उस के बाद मौका पाते ही बंटी ने सुनयना को कब्जे में कर के उस का गला दबाने की कोशिश की. लेकिन सुनयना उस के चंगुल से छूट कर भाग गई. जब बंटी को लगा कि अगर वह वहां से भागने में कामयाब हो गई तो उन का सारा खेल सामने आ जाएगा.
बंटी ने फिर से कोशिश की और पूरा जोर लगाते हुऐ उसे 50 मीटर की दूरी पर धर दबोचा. उसी समय अपना बचाव करते हुए सुनयना ने बंटी के चेहरे पर नाखून भी मारे. लेकिन बंटी ने दरिंदगी दिखाते हुए सुनयना का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.
सुनयना की हत्या करने के दौरान उस का और बंटी का मास्क भी टूट गया था. जिसे बंटी ने वहीं पर फेंक दिया था. घर से निकलने से पहले ही पूर्व योजनानुसार बबीता एक थैले में सुनयना के कपड़े भी रख लाई थी. ताकि उस के खत्म होने के बाद बहाना बनाया जा सके कि सुनयना अकसर अपने कपड़े साथ ले कर घर से गायब हो जाती थी. उस की हत्या का आरोप उन पर न आने पाए.
बबीता ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह जो खेल अपनी बहन की जिंदगी के साथ खेल रही है वही उस के जी का जंजाल बन जाएगा. इस वारदात का खुलासा करते ही एएसपी राजेश भट्ट ने इस केस के खुलासे में लगी पुलिस टीम को डेढ़ हजार रुपए का ईनाम दिया.
इस केस के खुलने पर पुलिस ने 30 मई, 2020 भादंवि की धारा 302/201 के तहत बंटी यादव और बबीता को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया.