कोरोना की तीसरी लहर से निपटने उत्तर प्रदेश तैयार

नोएडा . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना के खिलाफ युद्धस्तर पर और प्रभावी ढ़ंग से लड़ाई लड़ी जा रही है. यही वजह है कि राज्य में कोरोना के सक्रिय मामले तेजी से घट रहे हैं. कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए हमारी कार्य योजना पूरी तरह से तैयार हैं. पूरी सावधानी के साथ हम काम कर रहे हैं. तीसरी लहर से मुकाबले के लिए खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में समर्पित तौर पर आईसीयू बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

मुख्यमंत्री ने फिल्म सिटी नोएडा में कहा कि गांवों में हमें संक्रमण रोकना ही होगा. इसके लिए ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीट की रणनीति बनाई गई है. संक्रमित व्यक्ति की त्वरित पहचान कर अगर उसका त्वरित उपचार शुरू हो जाए, तो मामला क्रिटिकल नहीं होगा. इसलिए हम एंटीजन टेस्ट के साथ ही उन्हें मेडिकल किट दे रहे हैं. आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट भले ही बाद में आए, हम उपचार शुरू कर दे रहे हैं. मरीजों को वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि अगर मरीज की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव है और उसमें कोरोना के लक्षण हैं, तो उनकी जांच के लिए डिजिटल एक्सरे करें.

आगे भी युद्धस्तर पर वैक्सिनेशन होगा: योगी

सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में रोजाना औसतन 2.50 लाख लोगों की टेस्टिंग हो रही है. अब तक 4.5 करोड़ टेस्ट हो चुके हैं. प्रदेश में कोरोना की प्रथम लहर में हमने टीम 11 बनाकर प्रभावी नियंत्रण किया था, दूसरी लहर में टीम-9 बनाकर सबकी जवाबदेही तय की गई है. यही वजह है कि आज बीते 24 घंटे में पाजीटिव केस तकरीबन 10 हजार ही आए हैं.

पहले संक्रमण का रेट 22 फीसद था, जो घटकर पांच फीसद हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1.50 करोड़ लोगों को हम वैक्सीन दे चुके हैं और आगे भी युद्धस्तर पर वैक्सिनेशन होगा. 45 साल से ऊपर के लोगों को भारत सरकार वैक्सिन उपलब्ध करा रही है. गौतमबुद्धनगर समेत 23 ऐसे जिले हैं, जहां 18 से 44 वर्ष की उम्र के लोगों को भी वैक्सिन दिया जा रहा है, जहां संक्रमण दर अन्य जिलों से ज्यादा है. इसके बाद हमारी तैयारी गांवों की है.

हमने निर्देश दिया है कि गांवों में कामन सर्विस एरिया में वैक्सिनेशन का बंदोबस्त किया जाए, ताकि वहीं उनका पंजीकरण कर उनका वैक्सिनेशन किया जा सके. उन्हें दूर न जाना पड़े. इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि भीड़ न बढ़ने पाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं स्वयं सात मई से फील्ड में हूं और मैंने वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ और गोरखपुर के गांवों में जाकर व्यवस्था का निरीणण किया है . आगे भी यह कार्यक्रम जारी रहेगा.

इंसेफेलाइटिस के अनुभवों से लाभ लेते हुए दिए निर्देश

एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कोरोना की संभावित तीसरी लहर से मुकाबले की भी व्यापक तैयारी कर रहे हैं. प्रदेश में कई दशकों से इंसेफेलाइटिस का कहर था, हमारी सरकार ने इस पर 98 फीसद तक नियंतत्रण पा लिया है. उससे लड़ते समय हमने व्यापक कार्य योजना बनाई थी. हमारी कार्य योजना का नतीजा ही है कि पहले जहां इंसेफेलाइटिस से 1200 से 1500 बच्चों की मौत होती थी, वहीं विगत वर्ष 63 मौतें हुईं.

इसी कार्य योजना के अनुभवों का लाभ लेते हुए हमने कोरोना की तीसरी लहर से खासकर बच्चों और महिलाओं को बचाने के लिए निर्देश दिए हैं. उनके लिए डेडिकेटेड अस्पताल और आईसीयू बनाए जाने के निर्देश दे दिए गए हैं. समन्वय समिति बनाई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में मिलकर काम करती है.

नोएडा में ना हो ऑक्सीजन की कमी

सीएम योगी ने कहा कि पोस्ट कोविड में ब्लैक फंगस की समस्या आई है, हमने एडवाइजरी जारी की है. इसे रोकने के लिए कार्य योजना बनाई गई है. सीएमओ, मेडिकल कालेज और जिला अस्पतालों को एडवाइजरी भेजी है. ब्लैक फंगस को लेकर ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उन्होंने नोएडा का जिक्र करते हुए कहा कि 27 अप्रैल को जहां 10 हजार से अधिक केस थे, वहीं आज 400 से भी कम हैं.

पूरे प्रदेश में एक्टिव मामलों की संख्या बीते 24 घंटे में घटकर 1.63 लाख रह गई है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि नोएडा दिल्ली से सटा हुआ है. वहां से आवागमन होता है. ऐसे में प्रशासन से कहा गया है कि मरीजों को आक्सीजन की कमी न होने पाए.

Choti Sardarni फेम Abhilasha Jakhar बनीं मां, दिया बेटे को जन्म

कलर्स टीवी का सुपरहिट सीरियल छोटी सरदारनी (Choti Sardarni) फेम एक्ट्रेस अभिलाषा जाखड़ (Abhilasha Jakhar) ने गुड न्यूज शेयर की हैं. जी हां, एक्ट्रेस मां बन गई हैं. उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया है.

इसकी जानकारी सोशल मीडिया से मिली. मां बनने के बाद अभिलाषा जाखड़ ने खुद शेयर की. एक्ट्रेस ने अपने बेटे की पहली तस्वीर फैंस के साथ शेयर की है. उन्होंने ये भी बताया कि अभिलाषा जाखड़ और उनके बेटे की सेहत पूरी तरह से ठीक है.

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एक्ट्रेस और बच्चे की इस क्यूट तस्वीर को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं. इस तस्वीर में अभिलाषा जाखड़ अपने बेटे का हाथ थामे नजर आ रही हैं. उन्होंने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, 14 मई को हमारे घर पर एक नन्हे प्रिंस ने दस्तक दी है. अभिलाषा जाखड़ की ये पोस्ट सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है.

 

फैंस उन्हें लगातार बधाइयां और शुभकामनाएं दे रहे हैं. आपको बता दें कि अभिलाषा जाखड़ ने टीवी एक्टर विनीत कुमार चौधरी से शादी की.

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वर्कफ्रंट की बात करे तो सीरियल ‘ये है मोहब्बतें’ से अभिलाषा जाखड़  मशहूर हुई. सीरियल ये है मोहब्बतें के सेट पर ही अभिलाषा जाखड़ की मुलाकात विनीत कुमार चौधरी से हुई थी. एक्ट्रेस इन दिनों सीरियल छोटी सरदारनी में कुलवंत की बहु का किरदार निभा रही हैं.

Imlie: मालिनी की जिंदगी में होगी इस शख्स की एंट्री, आएगा धमाकेदार ट्विस्ट

स्टार प्लस का सीरियल ‘इमली’ में इन दिनों नया-नया ट्विस्ट देखने को मिल रहा है, जिससे सीरियल में खूब धमाल हो रहा है. शो के बीते एपिसोड में आपने देखा कि इस समय आदित्य, इमली और मालिनी की जिंदगी एक नया मोड़ ले रही है. त्रिपाठी परिवार को पता चल गया है कि इमली, आदित्य की पत्नी है. और ये सच जानने के बाद कहानी में नया ट्रैक आ रहा है. आइए आपको बताते हैं शो के लेटेस्ट अपडेट्स के बारे में.

सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि आदित्य मालिनी से माफी मांगेगा तो वहीं मालिनी आदित्य की बात सुनने से भी मना कर देगी. मालिनी फिर उससे झूठ बोलेगी कि उसकी जिंदगी में कोई और है. वह फैसला करेगी कि वो आदित्य को भुलाकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ेगी.

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शो के अपकमिंग एपिसोड में ये भी दिखाया जाएगा कि मालिनी का यह झूठ ‘सच’ होने वाला है. दरअसल मालिनी की जिंदगी में एक शख्स आने वाला है, जिससे उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाएगी. यह शख्स मालिनी की जिंदगी में खुशियों का रंग भरने वाला है.

 

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इस शख्स की वजह से मालिनी आदित्य को भुलाने की कोशिश करेगी. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि ये अन्जान शख्स मालिनी की जिंदगी में कैसे खुशियों का रंग भरता है.

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Crime Story: 2 करोड़ की फिरौती- भाग 1

सौजन्य: सत्यकथा

शाम को करीब 6 बजे का समय रहा होगा. सुमन रसोई में शाम का खाना बनाने की तैयारी कर रही थी. सब्जी बनाने के लिए उसे जीरा चाहिए था. जीरा खत्म हो  गया था.

सुमन ने रसोई से ही बेटे आदित्य को आवाज दी, ‘‘आदि बेटे, किराने वाले की दुकान से जीरा ला दो.’’

13 साल का आदि उस समय मोबाइल पर गेम खेल रहा था. मां की आवाज सुन कर उसे झुंझलाहट हुई. उस ने ड्राइंगरूम से ही मां को आवाज दे कर कहा, ‘‘मम्मी, दीदी को भेज दो. मैं खेल रहा हूं.’’

अपने कमरे में पढ़ रही रितु ने छोटे भाई आदि की आवाज सुन ली. उस ने कहा, ‘‘मम्मी, मैं पढ़ रही हूं. यह मोबाइल में गेम खेल रहा है. इसे ही भेज दो.’’

‘‘बेटा आदि, तुम ही दुकान पर जा कर मुझे जीरा ला दो.‘‘ सुमन ने रसोई से बाहर निकल कर उसे 50 रुपए का नोट देते हुए कहा.

आदि मना नहीं कर सका. उस ने मां से पैसे लिए और घर से निकल गया. किराने की दुकान उन के घर के पास ही थी. घर के राशन की चीजें वह उसी से लाते थे.

आदि उस किराना की दुकान पर पहुंचा ही था कि उधर से गुजरती एक स्विफ्ट कार वहां रुकी. कार में सवार लोगों ने आदि को इशारे से अपने पास बुला कर कहा, ‘‘बेटा, यहां आसपास ही मुकेश लांबा रहते हैं, क्या आप को पता है, उन का घर कहां है?’’

मुकेश लांबा का नाम सुन कर आदि बोला, ‘‘वो तो मेरे पापा हैं.’’

‘‘अरे तुम मुकेश के बेटे हो.’’ कार में सवार एक आदमी ने आदि की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘बेटा हम आप के पापा के दोस्त हैं. हमें अपने घर ले चलो.’’

पापा के दोस्त होने की बात सुन कर आदि ने कहा, ‘‘चलो, मैं आप को घर ले चलता हूं.’’ यह कह कर आदि पैदल ही कार के आगे चलने लगा.

आदि को पैदल चलते देख कार में सवार एक आदमी ने खिड़की से बाहर सिर निकाल कर उसे आवाज दे कर कहा, ‘‘बेटा, तुम हमारे साथ कार में ही बैठ जाओ.’’

वैसे तो आदि का मकान वहां से 2-3 सौ मीटर दूर ही था. फिर भी आदि उन के साथ कार में पीछे की सीट पर बैठ गया.

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कार में कुल 3 लोग थे. इन में एक कार चला रहा था. एक आगे की सीट पर और एक आदमी पीछे की सीट पर बैठा हुआ था. वे तीनों मास्क लगाए हुए थे. इसलिए उन के चेहरे साफ नजर नहीं आ रहे थे. आदि भी पीछे की सीट पर बैठ गया.

आदि के बैठते ही आगे बैठे आदमी ने कार चला रहे अपने साथी से कहा, ‘‘यार, मुकेश के घर चल रहे हैं, तो कुछ मिठाई ले चलते हैं.’’ इस बात पर पीछे बैठे उन के साथी ने भी सहमति जताई.

आदि क्या कहता, वह चुप रहा. वे लोग कार में आदि को साथ ले कर काफी देर तक इधरउधर घूमते रहे. उधर आदि जीरा ले कर घर नहीं पहुंचा तो सुमन बुदबुदाने लगी, ‘पता नहीं ये लड़का कहां किस से बातें करने में लग गया. मैं सब्जी बनाने को बैठी हूं और यह न जाने कहां रुक गया. कम से कम जीरा तो मुझे दे कर चला जाता.’

उधर वह लोग मिठाई की दुकान ढूंढने के बहाने कार को घुमाते रहे. बीच में मिठाइयों की कई दुकानें आईं, लेकिन उन्होंने मिठाई नहीं खरीदी. आखिर आदि ने उन से पूछ ही लिया कि अंकल आप को मिठाई खरीदनी है, तो कहीं से भी खरीद लो. मुझे घर जाना है. मम्मी ने मुझ से घर का कुछ सामान मंगाया है. मम्मी मेरा इंतजार कर रही होंगी.

‘‘लड़के, तू ज्यादा चपरचपर मत कर. चुपचाप बैठा रह.’’ कार में आगे की सीट पर बैठे आदमी ने उस से कहा, तो आदि सहम गया. उसे कुछ अनहोनी की आशंका हुई, लेकिन 13 साल का वह बालक क्या कर सकता था. पीछे बैठे आदमी ने उसे आंखें दिखाईं, तो वह सहम गया. कार के शीशे भी बंद थे. रात का अंधेरा भी घिर आया था.

कुछ देर बाद कार सुनसान रास्ते पर एक मकान के आगे जा कर रुकी. कार से उतर कर वे तीनों आदमी आदि को भी उस मकान में ले गए. एक आदमी ने आदि से उस की मां और पापा के मोबाइल नंबर पूछे. आदि ने दोनों के नंबर उन्हें बता दिए.

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शाम को करीब 7 बजे एक आदमी ने आदि की मां सुमन को मोबाइल पर काल कर कहा, ‘‘हम ने तुम्हारे बेटे का अपहरण कर लिया है. उसे जीवित देखना चाहती हो, तो 2 करोड़ रुपए का इंतजाम कर लो.’’

फोन सुन कर सुमन सन्न रह गई. वह काल करने वाले से बोली, ‘‘तुम कौन हो? मेरा बेटा कहां है?’’

‘‘तुम्हारा बेटा हमारे पास ही है. तुम पैसों का इंतजाम कर लो.’’ यह कह कर उस आदमी ने फोन काट दिया. दूसरी तरफ से सुमन हैलो.. हैलो.. ही करती रह गई.

बेटे आदि के अपहरण और 2 करोड़ रुपए मांगने की बात सुन कर सुमन रोने लगी. घर पर आदि के पापा मुकेश लांबा भी नहीं थे. सुमन ने रोतेरोते फोन कर उन्हें बेटे का अपहरण होने की बात बताई.

मुकेश तुरंत घर पहुंचे. उन्होंने पत्नी सुमन से सारी बातें पूछीं कि कैसे क्याक्या हुआ? आदि कहां गया था? अपहर्त्ताओं ने क्या कहा है? सुमन ने पति को सारी बातें बता दीं. यह बात 15 अक्तूबर, 2020 की है.

घटना मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर की है. शहर के धनवंतरी नगर में दुर्गा मंदिर के पास रहने वाले मुकेश लांबा माइनिंग विस्फोटक का काम करते थे. पहले वह ट्रांसपोर्ट का काम करते थे. मुकेश का कारोबार अब ठीकठाक चल रहा था. जिंदगी मजे से गुजर रही थी. घर में किसी बात की कमी नहीं थी.

अगले भाग में पढ़ें-  आदि का अपहर्त्ता कौन था

Crime Story: 2 करोड़ की फिरौती- भाग 2

सौजन्य: सत्यकथा

परिवार में कुल 4 लोग थे. मुकेश, उन की पत्नी सुमन, बड़ी बेटी रितु और छोटा बेटा आदित्य. आदित्य को प्यार से घर के लोग आदि कहते थे. बेटा और बेटी दोनों पढ़ते थे.

बेटे आदि के अपहरण की बात जान कर मुकेश परेशान हो गए. अपहर्त्ता कौन थे, यह भी पता नहीं था. वे 2 करोड़ रुपए मांग रहे थे. भले ही मुकेश का कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन 2 करोड़ की रकम कोई मामूली थोड़े ही थी. वे सोचने लगे कि क्या करें और क्या नहीं करें. उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था. आदि के अपहरण का पता चलने के बाद से मुकेश, उन की पत्नी और बेटी के आंसू नहीं रुक पा रहे थे.

मुकेश इसी बात पर सोचविचार कर रहे थे कि रात करीब 8 बजे उन के मोबाइल की घंटी बजी.

उन्होंने तुरंत काल रिसीव कर कहा, ‘‘हैलो.’’

दूसरी तरफ से धमकी भरी आवाज आई, ‘‘मुकेश, हम ने तुम्हारे बेटे का अपहरण कर लिया है. बेटे को जिंदा देखना चाहते हो तो 2 करोड़ रुपए का इंतजाम कर लो. ध्यान रखना पुलिस

को सूचना दी, तो तुम्हारा बेटा जिंदा नहीं बचेगा.’’

‘‘तुम कौन हो? मेरा बेटा कहां है और उस से मेरी बात कराओ?’’ मुकेश ने घबराई हुई आवाज में काल करने वाले से एक साथ कई सारे सवाल पूछे.

‘‘हम बहुत खतरनाक लोग हैं. तुम्हारा बेटा हमारे पास ही है, उस से बात भी करा देंगे. लेकिन तुम कल तक पैसों का इंतजाम कर लो.’’ काल करने वाले ने यह कह कर फोन काट दिया.

पहले सुमन और इस के बाद मुकेश के पास आए फोन से यह साफ हो गया था कि आदि का अपहरण हो गया है. लेकिन यह पता नहीं चला था अपहर्त्ता कौन हैं? वे 2 करोड़ रुपए की रकम मांग रहे थे, जो मुकेश की हैसियत से बहुत ज्यादा थी.

काफी सोचविचार के बाद मुकेश ने पुलिस को सूचना देने का फैसला किया और जबलपुर के संजीवनी नगर पुलिस थाने पहुंच कर उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करा दी गई.

बच्चे के अपहरण और 2 करोड़ की फिरौती मांगने का पता चलने पर पुलिस अधिकारी धनवंतरी नगर में मुकेश लांबा के घर पहुंचे और घर वालों से पूछताछ कर बालक आदि की तलाश में जुट गए.

दूसरे दिन 16 अक्तूबर को मुकेश के मोबाइल पर अपहर्त्ताओं का फिर फोन आया. उन्होंने उस से रकम के बारे में पूछा. मुकेश ने उन से कहा कि उस के पास 2 करोड़ रुपए नहीं हैं. वह मुश्किल से 8-10 लाख रुपए का इंतजाम कर सकता है.

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अपहर्त्ताओं ने कहा कि 2 करोड़ नहीं दे सकते, तो कुछ कम दे देना लेकिन 8-10 लाख से कुछ नहीं होगा. हम तुम्हें शाम को दोबारा फोन करेंगे, तब तक पैसों का इंतजाम कर लेना.

मुकेश ने अपहर्त्ताओं से हुई सारी बातें पुलिस को बता दीं. पुलिस ने उस मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया, जिस नंबर से मुकेश के पास अपहर्त्ताओं का फोन आया था. अपहर्त्ताओं ने तब तक 3 बार फोन किए थे. ये फोन एक ही नंबर से किए गए थे.

उसी दिन शाम को चौथी बार अपहर्त्ताओं का मुकेश के मोबाइल पर फिर फोन आया. मुकेश ने मिन्नतें करते हुए कहा कि मुश्किल से 8 लाख रुपए का इंतजाम हुआ है. ये पैसे तुम ले लो और मेरे बेटे को लौटा दो.

मुकेश ने कहा कि बेटे से मेरी एक बार बात तो करा दो. मुकेश के अनुरोध पर अपहर्त्ताओं ने आदि से उस की बात कराई. मोबाइल पर आदि रोतीबिलखती आवाज में कह रहा था, ‘‘पापा, इन की बात मान लो. ये लोग बहुत खतरनाक हैं, मुझे मार डालेंगे.’’

बेटे की आवाज सुन कर मुकेश को कुछ संतोष हुआ. मुकेश के काफी गिड़गिड़ाने पर अपहर्त्ता 8 लाख रुपए ले कर आदि को छोड़ने पर राजी हो गए. अपहर्त्ताओं ने मुकेश को उसी रात जबलपुर में पनागर से सिरोहा मार्ग पर एक जगह नाले के पास पैसों का बैग रख आने को कहा और यह भरोसा दिया कि पैसे मिलने के आधे घंटे बाद बच्चे को तुम्हारे घर के पास छोड़ देंगे.

अपहर्त्ताओं के 8 लाख रुपए लेने पर राजी हो जाने पर मुकेश को उम्मीद की कुछ किरण नजर आई. वह सोचने लगे कि यह बात पुलिस को बताए या नहीं. सोचविचार के बाद उन्होंने तय किया कि पुलिस को बताने में ही भलाई है, क्योंकि बेटे की वापसी का पुलिस को बाद में पता चलेगा, तो वे कई तरह के सवाल पूछेंगे. इसलिए मुकेश ने अपहर्त्ताओं से हुई सारी बात पुलिस को बता दी.

पुलिस अधिकारियों ने आपस में बातचीत कर फैसला किया कि मुकेश को 8 लाख रुपए एक बैग में ले कर तय जगह पर भेजा जाए. इस दौरान पुलिस दूर से निगरानी करती रहेगी. अपहर्त्ता जब पैसों का बैग लेने आएंगे, तो उन्हें वहीं से पकड़ लिया जाएगा.

उस रात तय समय और तय जगह पर मुकेश ने 8 लाख रुपयों से भरा बैग रख दिया. कहा जाता है कि इस दौरान आसपास पुलिस निगरानी कर रही थी. इस के बावजूद अपहर्त्ता पैसों का वह बैग ले गए और पुलिस को कुछ पता नहीं चल सका.

इधर, पैसों का बैग तय जगह पर छोड़ आने के बाद मुकेश और उस के घरवाले आदित्य के घर लौटने का इंतजार करते रहे. हरेक आहट पर उन की नजरें घर के गेट पर टिक जातीं. घर में मौजूद एक भी आदमी सो नहीं सका. पूरी रात बेचैनी से गुजर गई, लेकिन आदि नहीं आया.

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मुकेश समझ नहीं पा रहे थे कि बेटा आदि वापस क्यों नहीं आया? अपहर्त्ताओं ने अपना वादा क्यों नहीं निभाया? क्या अपहर्त्ताओं को 8 लाख रुपए कम लगे या उन्होंने आदि को मार डाला?

17 अक्तूबर को आदित्य का अपहरण हुए तीसरा दिन हो गया था. पैसे भी चले गए थे और बेटा भी वापस नहीं आया तो मुकेश अपहर्त्ताओं के मोबाइल नंबर पर काल करने की कोशिश करते रहे, लेकिन वह नंबर नहीं मिल रहा था.

मुकेश के साथ उन की पत्नी और बेटी मायूस हो गए. उन की आंखों से आंसू सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे. अब तो केवल अपहर्त्ताओं के फोन पर ही उम्मीद टिकी हुई थी. पुलिस को भी मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लेने के बावजूद अपहर्त्ताओं का पताठिकाना नहीं मिल पाया था.

अधिकारियों को इस बात पर भी ताज्जुब हो रहा था कि अपहर्त्ता मौके पर मौजूद पुलिस वालों को चकमा दे कर रकम से भरा बैग ले कर कैसे और कब निकल गए?

अगले भाग में पढ़ें-

Crime Story: 2 करोड़ की फिरौती- भाग 3

सौजन्य: सत्यकथा

जांचपड़ताल में मिले कुछ सुराग के आधार पर पुलिस ने 17 अक्तूबर की रात एक शराब की दुकान के पास 3 लोगों को नशे की हालत में पकड़ा. इन में राहुल उर्फ मोनू विश्वकर्मा, मलय राय और करण जग्गी शामिल थे. ये तीनों जबलपुर के अधारताल थाना इलाके के महाराजपुर के रहने वाले थे.

पुलिस ने इन से सख्ती से पूछताछ की, तो आदित्य के अपहरण का मामला खुल गया. पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारियों को उस समय गहरा झटका लगा, जब राहुल और मलय ने बताया कि आदि को अपहरण के दूसरे ही दिन यानी 16 अक्तूबर को ही मार दिया था. आदि को मारने का कारण रहा कि उस ने एक अपहर्त्ता राहुल को मास्क हटने पर पहचान लिया था. राहुल मुकेश लांबा को अच्छी तरह जानता था और उन के घर कई बार आजा चुका था.

अपहर्त्ताओं ने 16 अक्तूबर को मुकेश से आदि की जो बात कराई थी, वह मोबाइल में रिकौर्ड की हुई थी. आदि को वे उस से पहले ही मार चुक थे.

अपहर्त्ताओं की निशानदेही पर पुलिस ने 18 अक्तूबर, 2020 को पनागर के पास जलगांव नहर से आदि का शव बरामद कर लिया. उस के मुंह पर गमछा बंधा हुआ था. शव बरामद होने के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों का अधारताल इलाके में जुलूस निकाला.

उसी दिन पुलिस हिरासत में मुख्य आरोपी राहुल विश्वकर्मा की तबियत बिगड़ गई. पुलिस ने उसे अस्पताल में भरती कराया, लेकिन कुछ समय बाद ही उस की मौत हो गई.

आरोपियों से पुलिस की पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

राहुल और मलय दोस्त थे. राहुल मोबाइल इंजीनियर था. वह एक मोबाइल की दुकान पर काम करता था. वह मौका मिलने पर लूट, चोरी आदि भी करता था. मलय भी अपराधी किस्म का युवक था. वह भी चोरीलूट जैसे अपराध करता था.

लौकडाउन में कामधंधे बंद होने से इन दोनों के सामने भी पैसों का संकट आ गया. राहुल पर पहले से ही लोगों की उधारी चढ़ी हुई थी. लौकडाउन में कर्ज और बढ़ गया.

परेशान राहुल ने मलय के साथ मिल कर कोई बड़ा हाथ मारने की योजना बनाई. राहुल ने उसे बताया कि वह धनवंतरी नगर के रहने वाले माइनिंग कारोबारी मुकेश लांबा को जानता है. उन के पास मोटी दौलत है. वह कई बार उन के घर भी आजा चुका है. उन के बेटे का अपहरण कर मोटी रकम वसूली जा सकती है.

मलय को यह बात जंच गई. दोनों ने सोचविचार के बाद इस योजना में अपने एक अपराधी दोस्त करण जग्गी को भी शामिल कर लिया. तीनों ने योजना बना कर मुकेश लांबा के घर की रैकी करनी शुरू की. इस के लिए राहुल ने अपने दोस्त से जरूरी काम के लिए कार मांग ली थी.

15 अक्तूबर, 2020 की शाम जब वे तीनों स्विफ्ट कार से मुकेश के घर की रैकी करने आए तो राहुल को आदित्य नजर आ गया. उन्होंने उसी समय आदि का अपहरण कर लिया.

योजना के तहत ही राहुल व मलय ने आदि के अपहरण से 3 दिन पहले 12 अक्तूबर को बेलखाडू में एक आदमी से मोबाइल लूटा था. इसी मोबाइल नंबर से वे मुकेश लांबा और उस की पत्नी को फोन कर फिरौती मांगते रहे. चूंकि राहुल मोबाइल इंजीनियर था, इसलिए उस ने उस मोबाइल में ऐसी कारस्तानी कर दी कि पुलिस उस की लोकेशन ट्रेस नहीं कर पा रही थी.

16 अक्तूबर को राहुल के चेहरे से मास्क हट गया तो आदि ने उसे पहचान लिया और कहा कि अंकल आप तो हमारे घर आतेजाते हो. आदि की ये बातें सुन कर राहुल और उस के साथियों ने सोचा कि पैसा ले कर इसे छोड़ दिया तो यह हमें पकड़वा देगा. इसलिए उन्होंने उसी दिन गमछे से गला घोंट कर आदि की हत्या कर दी. इस के बाद जलगांव नहर में उस का शव फेंक आए.

अपराधी इतने शातिर रहे कि आदि की हत्या के बाद भी उस के पिता से फिरौती मांगते रहे. हत्या से पहले उन्होंने आदि की आवाज मोबाइल में

रिकौर्ड कर ली थी. यही रिकौर्डिंग अपहर्त्ताओं ने 16 अक्तूबर को मुकेश को सुनवाई थी. राहुल और मलय 16 अक्तूबर की रात पुलिस को चकमा दे कर पनागर मार्ग पर नाले के पास मुकेश की ओर से रखे गए 8 लाख रुपए का बैग भी ले गए. अगले दिन उन्होंने अपने तीसरे साथी करण से कहा कि बच्चा भाग गया. इस कारण पैसा नहीं मिल सका. यह झूठ बोल कर राहुल और मलय ने 8 लाख रुपए का आपस में बंटवारा कर लिया.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने 7 लाख 66 हजार रुपए और अपहरण व शव फेंकने के काम ली गईं 2 कार, एक बाइक और एक स्कूटी जब्त कर ली. इस के अलावा 12 अक्तूबर को लूटे गए मोबाइल फोन सहित 2 अन्य मोबाइल भी बरामद कर लिए.

मुख्य आरोपी 30 वर्षीय राहुल की पुलिस हिरासत में तबीयत बिगड़ने और बाद में अस्पताल में मौत हो जाने के मामले में सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए. 3 डाक्टरों के पैनल ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रैट उमेश सोनी की मौजूदगी में राहुल के शव का पोस्टमार्टम किया. इस दौरान वीडियोग्राफी भी कराई गई.

पोस्टमार्टम के बाद मजिस्ट्रैट ने राहुल के बड़े भाई सोनू विश्वकर्मा और दूसरे घर वालों के बयान दर्ज किए. राहुल का शव उस के घर वालों को सौंप दिया गया. राहुल के भाई का कहना था कि पुलिस ने कानून अपने हाथ में लिया और पिटाई से उस की मौत हुई.

आदि के अपहरण-मौत के मामले में पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे हैं. तमाम सूचनाएं दिए जाने के बावजूद पुलिस अपहर्त्ताओं की लोकेशन ट्रेस नहीं कर सकी. अपराधी पुलिस की मौजूदगी में ही फिरौती के 8 लाख रुपए ले गए. आदि को तलाश करने के बजाय पुलिस उस के अपहरण के दूसरे दिन जबलपुर आए डीजीपी की अगवानी में जुटी रही.

इस वारदात के विरोध में 18 अक्तूबर को धनवंतरी नगर व्यापारी संघ और महाराणा प्रताप मंडल के नेताओं ने मार्केट बंद कर सांकेतिक धरना प्रदर्शन भी किए.

मासूम आदि की मौत से उस के घर की सारी खुशियां छिन गई हैं. पिता की भविष्य की उम्मीदें चकनाचूर हो गईं. मां सुमन रात को सोते हुए बैठ जाती है और उसी समय बेटे के लिए दहाड़ें मार कर रोती है. बहन रितु अब किसे राखी बांधेगी? एक अपराधी तो चला गया. हालांकि उस की मौत के कारणों की जांच हो रही है. लेकिन दूसरे अपराधियों को कानून क्या सजा देगा.

कोरोना: स्वच्छता अभियान में जुटी महिलाएं इंसान नहीं हैं!

कोरोना संक्रमण काल में  “मिशन प्रेरक” के रूप में कार्य कर रही हजारों  महिला सफाई मजदूरों को सुरक्षा किट नहीं दी गई है. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के संबंध में  छत्तीसगढ़ प्रदेश में लागू श्रम कानूनों का पालन करने  में कोताही हो रही है. आगे चलकर यह विस्फोटक रूप धारण कर सकता है.

दरअसल, यह सफाई मजदूर न केवल वार्डों में जाकर घर-घर जाकर कचरा संग्रहण का काम करती है, बल्कि इसका पृथक्कीकरण करके निस्तारण के काम तथा गोबर संग्रहण केंद्रों में भी सहयोग करती है.
कोरोना संक्रमण के समय  कोरोना योद्धा के रूप में उनकी प्रमुख भूमिका स्वमेव उजागर है. देशभर में लॉक डाऊन के दौरान भी अपने जीवन को खतरे में डालकर ये सफाई मजदूर  सुबह से जिस तरह अपना काम कर रही हैं, वह सराहनीय  है. लेकिन  नगर निगमों में  छत्तीसगढ़ में यह आज  उपेक्षा का शिकार  है.

मिशन क्लीन सिटी योजना के अंतर्गत काम कर रही इन महिला सफाई मजदूरों को कोरोना की इस दूसरी  लहर में भी सुरक्षा किट नहीं दिया जा रहा है, जबकि मास्क, ग्लोब्स, सेनेटाइजर व साबुन कोरोना से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण है.इन सुरक्षा किटों के अभाव में दसियों कर्मचारी कोरोना का शिकार हो गई हैं, लेकिन निगम के दैनिक वेतनभोगी मजदूर होने के बावजूद निगम ने उनके इलाज व मेडिकल सुविधाएं देने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है और उन्हें बीमारी की इस अवधि का वेतन भी नहीं दिया गया है. उदाहरणार्थ औद्योगिक नगर कोरबा के  वार्ड 67 में अघन बाई बंजारे , तुलसी कर्ष , कमल महंत के अलावा अन्य वार्डों के कई कर्मचारी “कोरोना” का शिकार हुई हैं. मजदूरी न मिलने से ये परिवार आज भुखमरी की कगार पर है.

संवेदनशीलता और न्याय

सफाई मजदूरों के प्रति सरकार और  निगम प्रशासन का  असंवेदनहीन रवैया “कोरोना” से लड़ने में बाधक है. सभी सफाई मजदूरों को ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर सहित सुरक्षा किट दी जानी चाहिए तथा कोरोना से ग्रस्त मजदूरों को उनके अवकाश की अवधि का पूरा मजदूरी भुगतान किया जाना चाहिए.  निगम एक सरकारी स्वायत्त संस्था है और इस प्रदेश के श्रम कानूनों का पालन करने के लिए वह बाध्य है.  सफाई के कार्य से जुड़े मिशन प्रेरकों की समस्या को लेकर बांकी मोंगरा जोन कमिश्नर के माध्यम से निगम के महापौर और आयुक्त के नाम ज्ञापन भी दिया गया है. दरअसल होना चाहिए कि प्रदेश के सभी नगर निगम में मिशन क्लीन सिटी योजना के अंतर्गत‌ जो हजारों सफाई मजदूर दैनिक वेतनभोगियों के रूप में काम कर रहे हैं.और  यह सभी मजदूर महिलाएं है. अधिकांश मजदूर कई सालों से नियमित रूप से काम कर रहे हैं. उनकी कार्यावधि 7 घंटों से ऊपर है. निगम प्रमुख नियोक्ता है और इस नाते श्रम कानूनों को लागू करने के लिए सीधे जिम्मेदार है.

 यह महिला मजदूर अत्यन्त दूषित वातावरण में काम करती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़‌ रहा है. कोरोना संकट के समय वे अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रही हैं.इसके बावजूद उन्हें कोई सुरक्षा किट नहीं दी जा रही है, जो उनकी जीवन-रक्षा और कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए भी जरूरी है.
कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा  प्राणघातक है. लेकिन यह महिलाएं कोरोना योद्धा के रूप में बहादुरी से काम कर रही हैं। इन प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करते हुए कई सफाई मजदूर कोरोना की शिकार हुई हैं
कोरोनाग्रस्त होने के बावजूद इन सफाई मजदूरों को निगम द्वारा कोई मेडिकल सुविधाएं तो दी नहीं गई, बल्कि उनकी बीमारी की अवधि की मजदूरी भी काट ली गई है.इससे ये परिवार भुखमरी के भी शिकार हो रहे हैं. यह उनके साथ सरासर अन्याय है और निगम प्रशासन का यह रूख कोरोना से लड़ने में बाधक है।
अतः सभी मजदूरों को मासिक आधार पर सुरक्षा किट दिए जाएं. इन किटों में मास्क, दस्ताने, साबुन व सेनेटाइजर के साथ ही थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर भी शामिल हो.

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कोरोना ग्रस्त सभी सफाई मजदूरों को उनकी बीमारी की अवधि का सवैतनिक अवकाश दिया जाए तथा काटी गई मजदूरी का भुगतान किया जाए.

रेहड़ी दुकानदारों की आर्थिक मदद करेगी उत्तर प्रदेश सरकार

लखनऊ . उत्तर प्रदेश सरकार कोविड से लड़ने के साथ ही साथ कोविड के बाद आने वाले हालतों को देखते हुए दूरदर्शी फैसले लेने का काम तेजी से कर रही हैं.

कोविड संक्रमण से मुक्त कुछ लोगों में ब्लैक फंगस नाम की नई बीमारी के प्रसार की जानकारी भी मिली है. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों की परामर्शदात्री समिति से संवाद बनाते हुए इसके उपचार हेतु आवश्यक गाइडलाइंस आज ही जारी कर दी जाएं. आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. उत्तर प्रदेश को इस मामले में प्रो-एक्टिव रहना होगा.इसके बचाव, उपचार आदि की समुचित व्यवस्था पूरी तत्परता के साथ किया जाए.

ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार सम्बंध में प्रशिक्षण आवश्यक है. सभी मेडिकल कॉलेजों, सीएमओ, इलाज में संलग्न अन्य चिकित्सकों को एसजीपीजीआईपीजीआई से जोड़ते हुए इस सम्बन्ध में आवश्यक चिकित्सकीय प्रशिक्षण कराने की कार्यवाही तत्काल कराई जाए.

कतिपय जनपदों में कुछ निजी कोविड अस्पतालों द्वारा सरकार द्वारा तय दर से अधिक की वसूली करने की शिकायतें मिल रही हैं. लखनऊ में ऐसे ही कुछ अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. सभी जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि मरीज और उसके परिजनों का किसी भी प्रकार उत्पीड़न न हो. ऐसे असंवेदनशील अस्पतालों से मरीजों को अन्यत्र शिफ्ट करके, अस्पताल के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाए.

बहुत से मरीज कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं किंतु अभी भी उन्हें चिकित्सकीय निगरानी को जरूरत होती है. ऐसे मरीजों को उनकी मेडिकल कंडीशन के.आधार पर एल-1 हॉस्पिटल में ऑक्सीजन युक्त बेड पर भर्ती जरूर कराया जाए. उनके सेहत की पूरी देखभाल हो.

कोविड प्रबंधन में निगरानी समितियों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है और इन समितियों ने  प्रशंसनीय कार्य किया है. इन्हें और प्रभावी बनाने के लिए बेहतर मॉनीटरिंग की जरूरत है. प्रत्येक जिले के लिए सचिव अथवा इससे ऊपर स्तर के एक-एक अधिकारी को नामित किया जाए. जबकि न्याय पंचायत स्तर पर जनपद स्तरीय अधिकारियों को सेक्टर प्रभारी के रूप में तैनात किया जाए. यह प्रभारी अपने क्षेत्र में मेडिकल किट वितरण, होम आइसोलेशन व्यवस्था, क्वारन्टीन व्यवस्था, कंटेनमेंट ज़ोन को प्रभावी बनाने तथा आरआरटी की संख्या बढाने के लिए सभी जरूरी प्रयास करेंगे. जो अधिकारी हाल ही में कोविड संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ हुआ हो, उनकी तैनाती इस कार्य में न की जाए.

कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने और गांवों को कोरोना से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से वर्तमान में 97,000 से अधिक राजस्व गांवों में वृहद टेस्टिंग अभियान संचालित किया जा रहा है. इस अभियान के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा नीति आयोग ने भी हमारे इस अभियान की सराहना की है. व्यापक जनमहत्व के इस अभियान को कोरोना कर्फ्यू की पूरी अवधि में तत्परता के साथ संचालित किया जाए. हर लक्षणयुक्त/संदिग्ध व्यक्ति की एंटीजन जांच की जाए. आरआरटी टीम की संख्या बढ़ाई जाए.

कोविड मरीजों के लिए बेड बढ़ोतरी की दिशा में प्रयास और तेज किए जाने की आवश्यकता है. मार्च से अब तक 30000 से अधिक बेड बढ़ाये गए हैं. हर दिन इसमें बढ़ोतरी हो रही है. बीते 24 घंटे में विभिन्न जिलों में करीब 250 बेड और बढ़े हैं. भविष्य की जरूरत को देखते हुए बेड बढ़ोतरी के लिए सभी विकल्पों पर ध्यान देते हुए कार्यवाही की जाए. चिकित्सा शिक्षा मंत्री स्तर से इसकी दैनिक समीक्षा की जाए.

ऑक्सिजन प्लांट की स्थापना की कार्यवाही तेजी से की जाए. भारत सरकार द्वारा स्थापित कराए जा रहे प्लांट के संबंध में मुख्य सचिव सतत अनुश्रवण करते रहें. पीएम केयर्स के अतर्गत लग रहे ऑक्सीजन प्लांट लखनऊ, जौनपुर, फिरोजाबाद, सिद्धार्थ नगर आदि में जल्द ही क्रियाशील हो जाएंगे. सहारनपुर में प्लांट चालू हो चुका है. सीएसआर की मदद और राज्य सरकार द्वारा स्थापित कराए जा रहे प्लांट्स की कार्यवाही तेज की जाए.  कोविड के उपचार हेतु एयर सेपरेटर यूनिट, ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना आदि के संबंध में सांसद/विधायक निधि से सहयोग लिया जा सकता है.

निगरानी समितियां जिन्हें मेडिकल किट दे रही हैं, उनका नाम और फोन नम्बर आइसीसीसी को उपलब्ध कराएं. आइसीसीसी इसका पुनरसत्यापन करे. इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी के माध्यम से इसकी एक प्रति स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराया जाए, ताकि सांसद/विधायकगण मेडिकल किट प्राप्त कर स्वास्थ्य लाभ कर रहे लोगों से संवाद कर सकें. इससे व्यवस्था का क्रॉस वेरिफिकेशन भी हो सकेगा. हर संदिग्ध लक्षणयुक्त व्यक्ति की एंटीजन टेस्ट जरूर हो.

सभी जिलों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं. एसीएस स्वास्थ्य, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा प्रत्येक दशा में इन उपकरणों को क्रियाशील होना सुनिश्चित कराएं. संबंधित जिलों से संपर्क कर इस संबंध में उनकी समस्याओं का निराकरण कराएं. इसके उपरांत भी यदि वेंटिलेटर/ऑक्सीजन कंसंट्रेटर क्रियाशील न होने की सूचना प्राप्त हुई तो संबंधित डीएम/सीएमओ की जवाबदेही तय की जाएगी.

आंशिक कोरोना कर्फ्यू को दृष्टिगत रखते हुए रेहड़ी, पटरी, ठेला व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, पल्लेदार आदि के भरण-पोषण की समुचित व्यवस्था की जाए. सभी जिलों में कम्युनिटी किचेन संचालित किए जाएं. निजी स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सहयोग प्राप्त करना उचित होगा.

‘सफाई, दवाई, कड़ाई, के मंत्र के अनुरूप प्रदेशव्यापी स्वच्छता, सैनीताइजेशन का अभियान चल रहा है. लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने की जरूरत है. कोरोना कर्फ्यू को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए. स्वच्छता, सैनिटाइजेशन से जुड़े कार्यों का दैनिक विवरण स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराया जाए. ताकि आवश्यकतानुसार वह भौतिक परीक्षण कर सकें.

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