Crime Story: जेठ के चक्कर में पति की हत्या- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

उत्तम के पास से मोबाइल फोन, पर्स व अन्य दस्तावेज आरोपियों ने ले लिए थे, ताकि उस की शिनाख्त न हो सके. इस के बाद राकेश और उस के साथियों ने गला घोंट कर उत्तम को मार कर लाश बोरे में भर कर उदयसागर झील में फेंक दी. उत्तम का काम तमाम कर तपन असम गया और रूपा को उत्तम के मर्डर की बधाई दी.

रूपा बहुत खुश हुई. उस ने बधाई में जेठ को अपने साथ सुलाया. वे मौज करने लगे और फिर घर वालों से कह दिया कि कोरोना से उत्तम की मौत राजस्थान में हो गई. अस्पताल वालों ने उस की लाश नहीं सौंपी तो वहीं पर उस का अंतिम संस्कार कर दिया. घर वालों को उत्तम की मौत का बड़ा दुख हुआ और उन्होंने विधिविधान से सारे संस्कार किए.

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रूपा दिखावे के लिए आंसू बहाती रही ताकि परिजनों को लगे कि वह अपने पति के जाने से बहुत दुखी है. वहीं रूपा रात होने पर जेठ के साथ कमरे में बंद हो जाती. सारी रात पति की मौत की खुशी शारीरिक संबंध बना कर व्यक्त करती.

रूपा के बूढ़े सासससुर दिन अस्त होते ही घर में कैद हो जाते थे. रूपा और तपन जी भर कर मौज कर रहे थे. मार्च 2021 का आधा महीना बीत गया था. मगर उत्तम की मृत्यु का प्रमाणपत्र नहीं मिलने पर रूपा को अपने पति के एलआईसी इंश्योरेंस एवं अन्य बीमा कंपनियों से रकम नहीं मिल पा रही थी. साथ ही पति के नाम पैतृक संपत्ति भी रूपा के नाम नहीं हो रही थी.

तब रूपा ने अपने जेठ प्रेमी से कहा, ‘‘उत्तम का मृत्यु प्रमाणपत्र कोरोना बीमारी की वजह से बनवाओ. मृत्यु प्रमाणपत्र के बिना एक रुपया भी नहीं मिलेगा. मेरे पास साढ़े 12 लाख रुपए थे वो मैं ने तुम्हें दे दिए हैं. जल्द से जल्द किसी तरह प्रमाणपत्र बनवाओ.’’

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सुन कर तपन बोला, ‘‘अभी मैं राकेश को बोलता हूं. तुम चिंता मत करो. राकेश मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा देगा.’’

कह कर तपन ने राकेश को फोन कर उत्तम दास का कोरोना से मौत होने का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने को कहा. राकेश को तपन ने कहा कि जो पैसा लगेगा वह दे देगा. इस के बाद राकेश ने सुरेंद्र को साथ लिया और दोनों लोग पंचायतों के चक्कर काटने लगे.

राकेश वगैरह के पास उत्तम के नाम की कोई मैडिकल रिपोर्ट और अन्य कोई प्रमाण नहीं थे. इस कारण मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं बन रहा था. तब वे लोग पैसे दे कर प्रमाणपत्र बनवाने का जुगाड़ भी लगाने लगे थे. ऐसे में ये लोग स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार की निगाह में चढ़ गए. प्रह्लाद ने टीम प्रभारी डीएसपी हनुमंत सिंह भाटी को इस बारे में जानकारी दी और फिर निगाह रख कर इन्हें धर दबोचा.

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इस की जानकारी एक मुखबिर ने स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद को दी और फिर सब पकड़ लिए गए. पूछताछ होने पर सातों आरोपियों रूपा, उस के जेठ तपन दास, राकेश लोहार, सुरेंद्र, संजय, अजय और जयवर्द्धन को प्रतापनगर थाना पुलिस ने उदयपुर कोर्ट में 10 अपै्रल, 2021 को पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

आंखें- भाग 3: ट्रायल रूम में ड्रेस बदलती श्वेता की तस्वीरें क्या हो गईं वायरल

वह घाटकोपर पहुंची. वहां सिनेमा व टीवी कलाकारों को ड्रैस, कौस्टयूम्स आदि किराए पर देने वाली कई दुकानें थीं. उस ने एक दुकान से सफेद विग, पुराने जमाने की साड़ी और एक प्लेन शीशे वाला चश्मा लिया और पहना. इस से वह संभ्रांत परिवार की प्रौढ स्त्री लगने लगी. वह जब बाहर निकली और कार के शीशे में अपना रूप देखा तो मुसकरा पड़ी. वहां से जुहू पहुंच उस ने कार एक पार्किंग में खड़ी की और उसी शोरूम में पहुंची. शोरूम 4 मंजिला था और दर्जनों कर्मचारी थे. अब पता नहीं किस की हरकत थी. तभी उसे याद आया कि स्कर्ट टौप सैकंड फ्लोर से खरीदा था. वह सैकंड फ्लोर पर पहुंची. वहां सब कुछ जानापहचाना था. सेल्स काउंटर खाली था. 2 लड़के एक तरफ खड़े गपशप मार रहे थे.

‘‘यस मैडम,’’ उस के पास आते ही विनोद बोला. श्वेता ने उस की आवाज को पहचान लिया. यही मोबाइल फोन पर बोलने वाला था.

‘‘मुझे भारी कपड़े का लेडीज सूट चाहिए. सर्दी में हवा से सर्दी लगती है.’’

सुरेश और विनोद मोटे कपड़े से बने कई सूट उठा लाए. एक सूट उठा उस ने पूछा, ‘‘यहां ट्रायल रूम कहां है?’’

सुरेश ने एक तरफ इशारा किया तो पहले से देखे ट्रायल रूम की तरफ वह बढ़ गई. फिर कैबिन बंद कर नजर डाली कि यहां कैमरा कहां हो सकता था. शायद टू वे मिरर के उस पार हो. स्थान और अपराधियों का पता तो चल गया था. अब इन को रंगे हाथ पकड़ना था. फिर वह बिना कुछ ट्राई किए वह बाहर निकल आई.

‘‘सौरी, फिट नहीं आया.’’

‘‘और देखिए.’’

‘‘नहीं अभी टाइम नहीं है,’’ यह कह कर वह सूट काउंटर पर रख कर सधे कदमों से बाहर चली आई. घाटकोपर जा कर सब सामान वहां वापस किया फिर घर चली आई.

शाम को प्रशांत वापस आया.

‘‘तबीयत कैसी है?’’

‘‘ठीक है, आज मैं ने रैस्ट के लिए छुट्टी ले ली थी.’’

अगले दिन वह औफिस गई. वहां सारा दिन काम में लगी रहने पर भी सोचती रही कि अपराधियों को कैसे पकड़े. पतिदेव को साथ ले? अगर अपराधी पकड़े जाते हैं तब क्या होगा? उन से कैसे निबटेगी? पुलिस तब भी बुलानी पड़ेगी. तब क्या अभी से पुलिस से मिल कर कोई कारगर योजना बनाए?

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वह शाम तक उधेड़बुन रही. फिर शाम को कार में बैठतेबैठते इरादा बना लिया. उस के 100 नंबर पर रिंग करने पर तुरंत उत्तर मिला.

एक लेडी बोली, ‘‘फरमाइए क्या प्रौब्लम है?’’

‘‘एक ऐसी प्रौब्लम है जिसे फोन पर नहीं बता सकती.’’

‘‘तब आप पुलिस हैडक्वार्टर आ जाइए. वहां पहुंच कर आप मिस शुभ्रा सिन्हा, स्पैशल स्क्वैड पूछ लीजिएगा.’’

श्वेता कभी पुलिस हैडक्वार्टर नहीं आई थी. मगर कभी न कभी पहल तो होनी ही थी. वह पुलिस हैडक्वार्टर पहुंची. फिर कार पार्क कर रिसैप्शन काउंटर पर पहुंची.

स्पैशल स्क्वैड चौथी मंजिल पर था. श्वेता वहां पहुंची तो देखा कि शुभ्रा सिन्हा 2 सितारे लगी चुस्त शर्ट और पैंट पहने बैठी थीं. वह लगभग श्वेता की ही उम्र की थी. दरवाजा बंद कर उस ने गंभीरता से सारा मामला समझा. फिर प्रशंसात्मक नजरों से उस की

तरफ देखते हुए कहा, ‘‘कमाल है, आप ने मात्र 24 घंटे में पता लगा लिया कि बदमाश कौन हैं. अब आगे क्या स्ट्रैटेजी सोची है आप ने?’’

‘‘मैं वहां नया रूप धारण कर ड्रैस ट्रायल करूंगी. तब पुलिस धावा बोले और उन को रैड हैंडेड पकड़ ले.’’

‘‘ठीक है.’’

फिर कौफी पीतेपीते दोनों सहेलियों के समान योजना पर विचार करने लगीं. कौफी पी कर श्वेता वापस चली आई. अगले दिन सिविल ड्रैस में साधारण स्त्री की वेशभूषा में अन्य लेडी पुलिसकर्मियों के साथ ग्राहक बन शुभ्रा सिन्हा शोरूम देख आईं. 3 दिन बाद श्वेता एक ब्यूटीपार्लर पहुंची. वहां नए किस्म का हेयरस्टाइल बनवा, चमकती कीमती शरारा ड्रैस पहने वह शोरूम में पहुंच गई.

‘‘नया विंटर कलैक्शन देखना है.’’

‘‘जरूर देखिए मैडम,’’ कह कर सुरेश ने तरहतरह के परिधान काउंटर पर फैला दिए. तभी शुभ्रा सिन्हा भी काउंटर पर आ कर फैले नए आए परिधान देखने लगीं.

एक शरारा और चोली को उठाते श्वेता ने कहा, ‘‘इस का ट्रायल लेना है. ट्रायल रूम किधर है?’’

सुरेश ने कैबिन की तरफ इशारा किया और विनोद की तरफ देखा. उस का आशय समझ विनोद काउंटर से निकल पिछवाड़े चला गया. कैबिन का दरवाजा बंद कर श्वेता ने ट्रायल के लिए लाया परिधान एक हैंगर पर टांग मिरर की तरफ देखा. फिर नीचे झुक कर अपने सैंडल उतारने लगी. सैंडल उतार एक तरफ किए. फिर अपनी चोली के बटन खोलने का उपक्रम किया.

स्टोर रूम में छिपे नजारा कर रहे विनोद ने मुसकरा कर कैमरे का फोकस सामने कर क्लिक के बटन पर हाथ रखा. तभी श्वेता ने हाथ पीछे कर नीचे झुकाया और एक सैंडल उठा कर उस से तगड़ा वार शीशे पर किया.

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तड़ाक की आवाज के साथ शीशे के परखच्चे उड़ गए. सकपकाया सा सामने दिखता विनोद पीछे को हुआ तभी शुभ्रा सिन्हा ने कैबिन का दरवाजा खोल हाथ में रिवौल्वर लिए कैबिन में कदम रखा और रिवौल्वर विनोद की तरफ करते रोबीली आवाज में कहा, ‘‘हैंड्सअप.’’

फिर चंद क्षणों में सारे शोरूम में खाकी वरदी में दर्जनों पुलिसकर्मी, जिन में लेडीजजैंट्स दोनों थे फैल गए. कैमरे के साथ विनोद फिर सुरेश और फिर सिलसिलेवार ढंग से सिकंदर व फोटोग्राफर सब पकड़े गए. दर्जनों न्यूड फिल्में भी मिलीं. सब को केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया. मामले को पुलिस ने इस तरह हैंडल किया कि श्वेता और किसी अन्य स्त्री का नाम सामने नहीं आया. प्रशांत अपनी पत्नी द्वारा इस तरह की विशेष समस्या को अकेले सुलझा लेने से हैरान थे. प्यार से उन्होंने कहा, ‘‘माई डियर, आप तो होममिनिस्टर के साथ शारलाक होम्ज भी हैं.’’ श्वेता मंदमंद मुसकरा रही थी.

Imlie को भूल जाएगा आदित्य, चली जाएगी याददाश्त?

सीरियल ‘इमली’ में इन दिनों खूब धमाल हो रहा है. शो के बीते एपिसोड में दिखाया गया कि सत्यकाम को लगता है कि आदित्य ने इमली को धोखा दिया है. सत्यकाम ने फैसला लिया है कि वह आदित्य से बदला लेगा. ऐसे में शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए जानते हैं, आगे क्या होने वाला है शो में.

शो में दिखाया गया कि सत्यकाम ने आदित्य को जिंदा ही जमीन में गाड़ दिया है. तो एक तरफ इमली वहां दौड़ते हुए जाएगी. और सत्यकाम से पूछेगी कि आदित्य कहां है. इतना ही नहीं इमली, सत्यकाम से बंदूक छीनकर धमकी देगी कि अगर आदित्य के बारे में पता नहीं चला तो वह अपनी जान दे देगी.

 

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तो वहीं सत्यकाम इमली को आदित्य के बारे में सब कुछ बता देगा. इमली आदित्य की जान बचाने के लिए हर कोशिश करेगी. आदित्य क होशी में लाने के लिए हर जतन करेगी. लेकिन अगले ही पल उसे अनु की कही हुई बातें याद आ जाएंगी.

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फिर इमली आदित्य से दूर हो जाएगी. शो के अपकमिंग एपिसोड में और भी भयंकर ट्विस्ट आने वाले हैं. जी हां,  दिखाया जाएगा कि घर लौटते वक्त आदित्य का एक्सीडेंट हो जाएगा. जानकारी के अनुसार आदित्य की याददाश्त चली जाएगी और वो सब कुछ भूल जाएगा.

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सीरियल के लास्ट एपिसोड में आपने देखा कि आदित्य ने  मालिनी को सारी बातें बता दी है. वह मालिनी से ये भी कह दिया है कि वो इमली से प्यार करता है. आदित्ये की बात सुनकर मालिनी शॉक्ड हुई. और वह आदित्य को केस की धमकी भी दी पर आदित्य ने बता दिया कि इमली उसकी पहली पत्नी है.

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टीआरपी चार्ट में धमाल मचाने वाला सीरियल गुम है किसी के प्यार में इन दिनों महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो के बीते एपिसोड में आपने देखा कि अब विराट और एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं. तो वहीं पाखी उन्हें एक साथ देखकर जल-भुन जाती है. इसी बीच विराट के सामने एक ऐसा सच आने वाला है, जिससे कहानी में नया मोड़ देखने को मिलेगा.

सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि पुलकित और देवयानी त्रिपाठी हाउस जाएंगे. विराट उन्हें देखकर बहुत खुश होता है. देवयानी हर किसी के पास जाती लेकिन भवानी पुलकित और देवयानी को आशीर्वाद देने से मना कर देगी.

 

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तो दूसरी तरफ अश्विनी सई से वादा करेगी कि कोई उसके साथ हो ना हो लेकिन वो हमेशा उसके साथ है. अश्विनी की बातों को सुनकर सई इमोशनल हो जाएगी. ऐसे में सई की हिम्मत बढ़ेगी और वह भवानी का सच सामने लाने के लिए कोशिश करेगी.

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सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. जी हां, सई को जल्द ही पता चलेगा कि देवयानी का बच्चा मरा नहीं है बल्कि भवानी ने उसे एक अनाथालय में छिपा दिया है. जब सई इस बारे में भवानी से बात करेगी तो वह शॉक्ड हो जाएगी. सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि सई भवानी के मुंह से कैसे सच उगलावती है.

सीरियल के पिछले एपिसोड में आपने देखा कि सई ने बिना किसी से पूछे घर पर पुलकित और देवयानी को बुलाया है. दोनों को देखकर हर कोई चौंक जाता है. पर विराट उन्हें देखकर काफी खुश दिखाई देता है.

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Crime Story: मधु के मन का जहर- भाग 1

सौजन्य: मनोहर कहानियां

उस दिन अप्रैल 2021 की 3 तारीख थी. पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहांपुर के कस्बा थाना तिलहर अंतर्गत गांव राजनपुर के मोड़ पर सड़क किनारे सैंट्रो कार के नीचे एक अज्ञात युवक की लाश दबी पड़ी थी. रात 10 बजे के करीब किसी ने तिलहर थाना पुलिस को घटना की सूचना दे दी.

सूचना पा कर इंसपेक्टर हरपाल सिंह बालियान अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. प्रथमदृष्टया मामला ऐक्सीडेंट का लगा. लाश दाईं ओर दोनों पहियों के बीच में पड़ी थी. सिर में काफी चोट थी. कार की तलाशी ली गई तो कार से गिलास, खानेपीने का सामान, 3 मोबाइल फोन और गाड़ी के कागजात बरामद हुए.

इसी बीच रजाकपुर गांव के कुछ लोग वहां पहुंच गए. परमजीत नाम के युवक ने लाश की शिनाख्त अपने बड़े भाई 38 वर्षीय धनपाल गंगवार के रूप में की. पूछताछ में परमजीत ने बताया कि धनपाल पत्नी मधु और 2 बेटों के साथ गुड़गांव में रहता था, होली पर 3 साल बाद अपने घर आया था.

वह शाम को पत्नी व बच्चों को तिलहर के बाजार में खरीदारी कराने के लिए ले कर आया था. साढ़े 5 बजे धनपाल ने पत्नी मधु और बच्चों को भाई प्रेमपाल के साथ वापस घर भेज दिया था और खुद तिलहर में रुक गया था. जब काफी रात हो गई, धनपाल नहीं लौटा तो उस की तलाश शुरू की.

इसी बीच कार से मिले मोबाइल पर किसी की काल आ गई. इंसपेक्टर बालियान ने काल रिसीव की. काल कनेक्ट होते ही दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘कहां है तू, तेरा पता ही नहीं रहता.’’

काल करने वाली कोई महिला थी. इंसपेक्टर बालियान ने उन्हें पूरी बात बताई. उस महिला ने कहा कि सैंट्रो कार उस के पति की है, जिसे उस का भाई मुकेश यादव वृंदावन जाने की बात कह कर ले गया था.

इस का मतलब यह था कि कार में मुकेश यादव था, जोकि घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गया था. मामला साधारण सड़क दुर्घटना का न हो कर हत्या का लग रहा था, जिसे साजिश के तहत सड़क दुर्घटना दिखाने की कोशिश की गई थी. फिलहाल इंसपेक्टर बालियान ने जरूरी काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी और कार को थाने में खड़ा करा दी.

अगले दिन सुबह मृतक धनपाल के छोटे भाई परमजीत गंगवार ने तिलहर थाने पहुंच कर इंसपेक्टर बालियान को तहरीर दी, जिस में उस ने मुकेश यादव पर अपने भाई की हत्या का आरोप लगाया था. उस की तहरीर के आधार पर इंसपेक्टर बालियान ने मुकेश यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

परमजीत ने इंसपेक्टर बालियान से अपनी भाभी मधु पर भी भाई की हत्या में हाथ होने का शक जताया था, लेकिन तहरीर में उस का जिक्र नहीं किया था. पति की मृत्यु के बाद भी मधु के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, जबकि जिस का पति मार दिया जाए, वह महिला रोरो कर आसमान सिर पर उठा लेती है.

इंसपेक्टर बालियान ने परमजीत से मधु का नंबर मांगा तो परमजीत ने अपनी भाभी मधु से उस का नंबर मांगा तो मधु ने साफ कह दिया कि उस के पास कोई नंबर नहीं है. जो मोबाइल उस के पास है, वह उस ने केवल गाना सुनने के लिए ले रखा है. परमजीत को मधु पर विश्वास नहीं हुआ. किसी तरह उस के करीबियों से बात कर के उस का नंबर निकलवाया.

मधु पर हुआ शक

इंसपेक्टर बालियान ने मधु के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. डिटेल्स से मधु और मुकेश के नंबरों पर हर रोज काफी बार बात करने की पुष्टि हुई. घटना की रात भी दोनों के बीच बात हुई थी.

6 अप्रैल को इंसपेक्टर बालियान ने मधु को उस की ससुराल से गिरफ्तार कर लिया. मधु से पूछताछ के बाद उन्होंने मुकेश यादव को मधु के मायके शाहजहांपुर के कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव से गिरफ्तार कर लिया.

उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के तिलहर थाना क्षेत्र के गांव रजाकपुर में रहता था धनपाल गंगवार. धनपाल के पिता का नाम खलासीराम और माता का नाम शांति देवी था. खलासीराम सेना में कार्यरत थे.

रिटायर होने के बाद 1989 में उन की मृत्यु हो गई. उस समय धनपाल बहुत छोटा था. धनपाल कुल 6 भाई थे. 2 बड़े भाई हरपाल और जसपाल व 3 छोटे भाई धर्मपाल, प्रेमपाल और परमजीत थे. हरपाल विवाह के बाद पंजाब चला गया. जसपाल विवाह के बाद गांव में ही रह कर खेती करने लगा.

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11 साल पहले धनपाल का रिश्ता शाहजहांपुर के मीरनपुर कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव निवासी मधु से हुआ था. मधु के पिता रामपाल पेशे से किसान थे. मधु की एक बड़ी बहन और 3 भाई थे.

काम के लिए वह गुड़गांव चला गया. वहां उस ने ओरियंट कंपनी में नौकरी कर ली, साथ ही हरीनगर में अनाज मंडी के पास में 4500 रुपए में किराए पर कमरा ले लिया. फिर एक दिन वापस आ कर अपने साथ पत्नी मधु को भी गुड़गांव ले गया.

समय बीतता गया. समय के साथ मधु ने 2 बच्चों कृष्णा (9 वर्ष) और क्रश (4 वर्ष) को जन्म दिया.

पत्नी से होने लगी खटपट

धनपाल सुबह साढ़े 7 बजे घर से कंपनी जाता था और शाम 8 बजे घर में घुसता था. लगभग 12 घंटे की ड्यूटी करने के बाद वह थकाहारा घर आता था. धनपाल था तो मजबूत कदकाठी का, लेकिन रोज की यह ड्यूटी उस के बदन को तोड़ कर रख देती थी. ऐसे में जो धनपाल अभी तक शराब को हाथ तक नहीं लगाता था, वह शराब पीने भी लगा.

अगले भाग में पढ़ें- मुकेश से  मधु कैसे जुड़ी 

Crime Story: मधु के मन का जहर- भाग 3

सौजन्य: मनोहर कहानियां

मगर गलत काम कभी छिपा है जो उन का छिप जाता. धनपाल को दोनों के संबंधों की बात पता चल गई. धनपाल ने मुकेश के घर आने पर रोक लगा दी. लेकिन मुकेश और मधु का चोरीछिपे मिलना जारी रहा. इसे ले कर धनपाल और मधु में रोज झगड़े होने लगे.

मुकेश और मधु ने अपने संबंधों के बीच धनपाल को दीवार बनते देखा तो धनपाल नाम की इस दीवार को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. दोनों ने इस के लिए साथ बैठ कर योजना भी बना ली.

धनपाल विवाह के बाद साल-डेढ़ साल में शाहजहांपुर स्थित अपने घर के चक्कर लगा लेता था. लेकिन जब से बेटा स्कूल जाने लगा था, तब से वह 2-3 साल में ही घर का चक्कर लगा पाता था. 3 साल बाद इस बार धनपाल ने होली पर घर आने का फैसला लिया. इस में मधु ने खुद सहमति दी थी. इस से पहले वह ससुराल के नाम से ही बिदक जाती थी.

रच ली पूरी साजिश

गुड़गांव में पूरी योजना पर कार्य करने के बाद 14 मार्च, 2021 को मधु शाहजहांपुर के मीरनपुर कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव स्थित अपने मायके आ गई. 27 मार्च को धनपाल रजाकपुर स्थित अपने घर आ गया. 2 अप्रैल को मधु मायके से अपनी ससुराल आ गई. 3 अप्रैल को धनपाल मधु और बच्चों के साथ तिलहर में ईरिक्शा से बाजार गया. ईरिक्शा धनपाल के छोटे भाई प्रेमपाल का था और उसे वही चला कर ले गया.

बाजार घूमने के बाद धनपाल ने मधु और बच्चों को प्रेमपाल के साथ वापस घर भेज दिया, वह खुद तिलहर में रुक गया. दरअसल मुकेश ने धनपाल को फोन किया था कि वह उस से मिलने आ रहा है, मिल कर दारू पार्टी करने की बात कही थी. धनपाल ने एक बार भी नहीं सोचा और उसे आने की सहमति दे दी.

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मुकेश अपने बहनोई की सैंट्रो कार से तिलहर पहुंचा. मुकेश को कार में बैठाने के बाद वह एक सुनसान स्थान पर ले गया. कार में पहले से ही मुकेश ने खानेपीने की चीजें और शराब खरीद कर रख ली थी.

मुकेश ने धनपाल को खूब शराब पिलाई. धनपाल की आंख बचा कर उस की शराब में नींद की गोलियां भी मुकेश ने मिला दीं. जब धनपाल बेहोश हो गया, तब मुकेश उसे कार से राजनपुर गांव के मोड़ पर ले गया. उस समय रात के 9 बज रहे थे.

मुकेश ने धनपाल को कार से नीचे उतारा और साथ लाए हथौड़े से उस के सिर पर कई वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. मामले को ऐक्सीडेंट का रूप देने के लिए धनपाल की लाश को कार से कुचलने की कोशिश की. इस कोशिश में उस की कार कच्ची मिट्टी में फंस गई. मुकेश घबरा गया. कोई वहां आ न जाए उसे इस बात का डर भी सता रहा था.

जब कार किसी तरह से नहीं निकल सकी तो कार को वहीं छोड़ कर वह फरार हो गया. मुकेश ने मधु को फोन कर के धनपाल का काम तमाम कर देने की सूचना भी दे दी. जिस के बाद मधु ने अपना दूसरा मोबाइल गुप्त स्थान पर छिपा दिया.

देर रात तक धनपाल नहीं लौटा तो घर वालों को चिंता हुई. परमजीत ने सोचा कि शराब पी कर धनपाल कहीं बेसुध तो नहीं पड़ा. उस ने तिलहर थाने के एक परिचित सिपाही को फोन कर के पूछा कि कहीं कोई बंदा शराब पीए हुए तो नहीं मिला. इस पर सिपाही ने उसे राजनपुर मोड़ पर हादसा होने की जानकारी दी. जो हुलिया बताया, वह धनपाल से मिलता था. इस के बाद परमजीत, उस की मां वहां पहुंच गए. मधु भी वहां पहुंच गई.

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मुकेश और मधु का गुनाह छिप न सका और दोनों पुलिस की गिरफ्त में आ गए. मधु को मुकदमे में आईपीसी की धारा 120बी का अभियुक्त बनाया गया. इंसपेक्टर हरपाल सिंह बालियान ने अभियुक्त मुकेश की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा भी बरामद कर लिया.

बाकी कार और मोबाइल तो पहले ही बरामद हो गए थे. मधु का मोबाइल नहीं बरामद हो सका. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.  द्य

—कथा पुलिस सूत्रों व परमजीत से पूछताछ पर आधारित

Crime Story: मधु के मन का जहर- भाग 2

सौजन्य: मनोहर कहानियां

शराब पी कर घर जाता तो मधु से उस का झगड़ा होता. झगड़े में वह मधु को पीट भी देता था. वैसे भी मधु धनपाल पर हावी रहने की कोशिश करती थी, लेकिन धनपाल को यह मंजूर नहीं था.

शराब पीने के बाद तो इंसान वैसे भी निडर हो जाता है. किसी तरह से दोनों के  झगड़ों के बीच उन की जिंदगी कटती रही. मधु को अब धनपाल भाता नहीं था. उस के साथ रहना मधु की मजबूरी थी. वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी.

एक साल पहले धनपाल ने गुड़गांव में ही घर के पास रहने वाले मुकेश यादव को घर पर डीटीएच कनेक्शन के लिए बुलवाया. धनपाल मुकेश को आतेजाते दुकान पर बैठे देखता था. मुकेश डीटीएच का काम करने के साथ ही दूध, दही, मट्ठा और लस्सी का भी काम करता था.

मुकेश गुड़गांव के थाना फरूखनगर में खेंटावास में रहता था. वह विवाहित था. उस के एक बेटा भी था. मुकेश काफी स्मार्ट था. अपने व्यवहार से वह किसी को अपना मुरीद बना लेता था.

मुकेश डीटीएच का कनेक्शन करने आया तो घर पर केवल मधु थी. उस ने मधु से बात करनी शुरू की तो मधु को ऐसा लगा जैसे वह उस से पहली बार न मिल कर कई बार मिल चुकी हो. मधु को उस की बातों में रस आया तो वह भी उस से बतियाने लगी.

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मुकेश से जुड़ा कनेक्शन

उस दिन कहने को पहली मुलाकात थी दोनों की, लेकिन उन के बीच काफी बातें हुईं जोकि पहली मुलाकात में नहीं हुआ करतीं. मुकेश डीटीएच का कनेक्शन कर के चला गया, लेकिन मधु की आंखों के सामने अब भी मुकेश का चेहरा घूम रहा था. मुकेश आया तो था डीटीएच का कनेक्शन लगाने, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह मधु के दिल से अपने दिल का कनेक्शन कर गया था.

इस के बाद तो मुकेश जबतब मधु से मिलने आने लगा. घर पर कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था. मुकेश जब भी आता तो साथ में दूध, दही, लस्सी में से कुछ न कुछ ले आता और मधु को दे देता. मधु उस के तरीके को भलीभांति समझ रही थी कि वह कैसे उस के दिल तक पहुंचना चाहता है. मधु इस बात से नाराज नहीं हुई, बल्कि खुश होने लगी. उसे नए ठौर की जरूरत थी, वह खुद चल कर उस के पास आ गया था.

मुकेश की अपनी पत्नी से नहीं बनती थी. उस की पत्नी अकसर मायके में ही रहती थी. यही वजह थी कि मुकेश मधु की तरफ आकर्षित हो गया था. उस के साथ अपनी जिंदगी बिताने का सपना देख रहा था. मधु और मुकेश दोनों ही अपने जीवनसाथी से खुश नहीं थे, इसलिए एकदूसरे के करीब आने में उन्हें देर नहीं लगी.

एक दिन मुलाकात के दौरान मुकेश ने मधु से कहा, ‘‘भाभी, लगता है आप अपना ध्यान नहीं रखतीं?’’

‘‘क्यों…अच्छीखासी तो हूं.’’ मधु ने कहा.

‘‘नहीं, तुम्हारा चेहरा मुरझाया सा रहता है, चेहरे पर जो चमक होनी चाहिए, वह गायब रहती है. शरीर भी पहले से काफी कमजोर हो गया है. आप को क्या चिंता है जो अपना यह हाल कर लिया है?’’

इस पर मधु कुछ देर शांत रही, फिर अपना दर्द बयां करते हुए बोली, ‘‘अब तुम ने पूछा है तो बता देती हूं. इस परदेश में दूसरा कोई है नहीं, जिस को अपना दर्द बता सकूं.’’

‘‘क्यों, धनपाल तो है.’’ मुकेश ने पूछा.

‘‘दर्द देने वाला दर्द ही देगा, दवा नहीं. इसलिए…’’

‘‘ओह.. तो यह बात है. वैसे आप से अलग मेरा मामला भी नहीं है. मैं भी अपनी पत्नी से परेशान हूं.’’ दुखी लहजे में मुकेश ने कहा.

दोनों ने किया प्यार का इजहार

फिर कुछ देर शांत रहने के बाद मुकेश बोला, ‘‘तो क्यों न भाभी, हम एकदूसरे के दर्द की दवा बन जाएं.’’ उपाय सुझाते हुए मुकेश ने अपने दिल की बात मधु तक पहुंचाने की कोशिश की.

‘‘क्या मतलब..?’’ जान के भी अंजान बनती हुई मधु पूछ बैठी.

‘‘यही कि हम दोनों एकदूसरे का हाथ थाम लें और हमेशा के लिए एक हो जाएं. मैं तो तुम्हें बेइंतहा चाहता हूं, बस तुम एक बार हां कह दो तो मैं सारी खुशियां तुम्हारे कदमों में डाल दूंगा.’’

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‘‘तुम ने तो अपने दिल के साथसाथ मेरे दिल की भी बात कह दी. मैं भी तुम्हें चाहती हूं और तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहती हूं. अगर तुम तैयार हो तो…’’

‘‘मैं तो कब से इस पल के इंतजार में था. मैं हर पल तैयार हूं. आई लव यू मधु.’’ उस ने कह दिया.

यह पहला मौका था, जब मुकेश ने उसे भाभी नहीं मधु कह कर पुकारा था. मधु के दिल के तार झनझना उठे. एक नए एहसास से उस का दिल पुलकित हो उठा. वह भी बेसाख्ता बोल उठी, ‘‘आई लव यू टू मुकेश.’’

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मधु के इजहार करते ही मुकेश ने उसे बांहों के घेरे में ले लिया. उस के बाद उन के बीच कोई शारीरिक दूरी न रही. वे एकदूसरे में इस कदर समाए कि अपनी इच्छापूर्ति के बाद ही अलग हुए. इस के बाद तो उन के बीच का यह रिश्ता दिनोंदिन परवान चढ़ने लगा.

अगले भाग में पढ़ें- रची गई साजिश

Serial Story: जड़ों से जुड़ा जीवन- भाग 1

लेखक-  वीना टहिल्यानी

‘डैड इस समय घर में,’ यह सोच कर ही मिली का दिल बैठ गया. स्कूल से घर लौटने का सारा उत्साह जाता रहा. दिन के दूसरे पहर में, डैड का घर में होने का मतलब है वह बैठ कर पी रहे होंगे.

शराब पी लेने के बाद डैड और भी अजनबी हो जाते हैं. उन के मन के भाव उन की आंखों में उतर आते हैं. तब मिली को डैड से बहुत डर लगता है. सामने पड़ने में उलझन होती है.

मिली ने धीरे से दरवाजा खोला. दरवाजे की ओर डैड की पीठ थी. हाथ में गिलास थामे वह टेलीविजन देख रहे थे. दबेपांव मिली सीढि़यां चढ़ कर अपने कमरे में पहुंच गई और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. बैग को कमरे में एक ओर पटका और औंधेमुंह बिस्तर पर जा पड़ी. कितनी देर तक मिली यों ही लस्तपस्त पड़ी रही.

अचानक मिली को हलका सा शोर सुनाई दिया तो वह चौंक कर उठ बैठी. शायद आंख लग गई थी. नीचे वैक्यूम क्लीनर के चलने की धीमी आवाज आ रही थी.

‘अरे हां,’ मिली के मुंह से अपनेआप बोल फूट पड़े, ‘आज तो फ्राइडे है… साप्ताहिक सफाई का दिन.’ उस ने खिड़की से नीचे झांका तो पोर्च  में मिसेज स्मिथ की छोटी कार खड़ी थी. डैड की गाड़ी गायब थी, शायद वह कहीं निकल गए थे.

मिली ने झटपट ब्लेजर हैंगर में टांगा. जूते रैक पर लगाए और गरम पानी के  बाथटब में जा बैठी.

नहाधो कर मिली नीचे पहुंची तो मिसेज स्मिथ डिशवाशर और वाशिंग मशीन लगा कर साफसफाई में लगी थी.

शुक्रवार को मिसेज स्मिथ के आने से मिली डिशवाशिंग से बच जाती है वरना स्कूल से लौट कर लंच के बाद डिशवाशर लगाना, बरतन पोंछना व सुखाना उसी का काम है.

मिली को बड़े जोर से भूख लग आई तो उस ने फ्रिज खोल कर अपनी प्लेट सजाई और माइक्रोवेव में उसे लगा कर खिड़की के पास आ कर खड़ी हो गई. सुरमई सांझ बिलकुल बेआवाज थी.

ऐसी खामोशी में मिली का मन अतीत की गलियों में भटकने लगा और गुजरा समय कितना कुछ आंखों के आगे तिर आया.

बरसों बीत गए. मिली तब यही कोई 5 साल की रही होगी. सब समझते हैं कि मिली सबकुछ भूल चुकी है पर मिली कुछ भी तो नहीं भूल पाई है.

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वह देश, वह शहर और उस की गलियां व घर और इन सब के साथ फरीदा अम्मां की यादें जुड़ी हैं. और उस के ढेरों साथी, बालसखा, उस की यादों में आज भी बने हुए हैं.

तब वह मिली नहीं, मृणाल थी. उस के हुड़दंग करने पर फरीदा अम्मां उसे लंबेलंबे बालों से पकड़तीं और उस की पीठ पर धौल जड़ देतीं. बचपन की बातें सोचते ही मिली को पीठ पर दर्द का एहसास होने लगा और अनायास ही उस का हाथ अपने बौबकट बालों पर जा पड़ा. डाइनिंग टेबल पर मुंह में फिश-चिप्स का पहला टुकड़ा रखते ही मिली की जबान को माछेरझोल का स्वाद याद हो आया और याद आ गईं कोलकाता की छोटीछोटी शामें, बाल आश्रम के गलियारों में गुलगपाड़ा मचाते हमजोली, नाराज होती फरीदा अम्मां, नन्हेमुन्नों को पालने में झुलाती, सुलाती वेणु मौसी.

तब लंबेलंबे गलियारों व बरामदों वाला बाल आश्रम ही उस का घर था. पहली बार स्कूल गई तो घर और आश्रम में अंतर का भेद खुला. साथ ही उसे यह भी पता चला कि उस के मातापिता नहीं थे, वह अनाथ थी.

उस दिन स्कूल से लौट कर अबोध मिली ने पहला प्रश्न यही पूछा था, ‘फरीदा अम्मां, मेरी मां कहां हैं?’

फरीदा बरसों से अनाथाश्रम में काम कर रही थीं. एक नहीं अनेक बार वह इस सवाल का पहले भी सामना कर चुकी थीं. मिली के इस प्रश्न से वह एक बार फिर दुखी व बेचैन हो उठीं. उन के उस मौन पर मिली ने अपने सवाल को नए रूप में दोहराया, ‘फरीदा अम्मां, मेरा घर कहां है? मां मुझे यहां क्यों छोड़ गईं?’

नन्हे सुहेल को गोद में थपकी देते हुए फरीदा ने सहजता से उत्तर दिया, ‘रही होगी बेचारी की कोई मजबूरी…’

‘यह मजबूरी क्या होती है, अम्मां?’ उलझन में पड़ी मिली ने एक और प्रश्न किया.

मिली के एक के बाद एक प्रश्नों से फरीदा अम्मां झल्ला पड़ीं. तभी सुहेल जाग कर जोरजोर से रोने लगा था. सहम कर मृणाल ने अपना मुंह फरीदा की गोद में छिपा लिया और सुबकने लगी.

फरीदा ने पहले तो सुहेल को चुप कराया फिर मिली को बहलाया और उस के सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, ‘रो मत, बिटिया…मैं जो हूं तेरी मां…चलोचलो, अब हम दोनों मिल कर तुम्हारी किताब का नया पाठ पढ़ेंगे…’

मृणाल को अब खेलतेखाते उठते- बैठते बस एक ही इंतजार रहता कि मां आएगी…उसे दुलार कर गोद में बिठाएगी. स्कूल तक छोड़ने भी चलेगी-सोहम की मां जैसे. विदुला की मम्मी तो उस का बस्ता भी उठा कर लाती हैं…उस की भी मां होतीं तो यही सब करतीं न…पर…पर…वह मुझे छोड़ कर गईं ही क्यों?

फिर एक दिन लंदन से ब्र्र्राउन दंपती एक बच्चा गोद लेने आए और उन्हें मिली उर्फ मृणाल पसंद आ गई. सारी औपचारिकताएं पूरी होने पर काउंसलर उसे पास बैठा कर सबकुछ स्नेह से समझाती हैं:

‘मिली, तुम्हारे मौमडैड आए हैं. वह तुम्हें अपने साथ ले जाएंगे, खूब प्यार करेंगे. खेलने के लिए तुम्हें ढेरों खिलौने देंगे.’

मिली चौंक कर चुपचाप सबकुछ सुनती रही थी. फरीदा अम्मां भी यही सब दोहराती रहीं पर मिली खुश नहीं हो पाई. बाहर से देख कर लगता, मिली बहल गई है पर भीतर ही भीतर तो वह बहुत भयभीत है.

ऐसा पहले भी हो चुका है, कुछ लोग आ कर अपना मनपसंद बच्चा अपने साथ ले जाते हैं. अभी कुछ महीने पहले ही कुछ लोग नन्ही ईना को ले गए थे. ईना कितनी छोटी थी, बिलकुल जरा सी. वह हंसीखुशी उन की गोद में बैठ कर हाथ हिलाती चली गई थी पर मिली तो बड़ी है. सब समझती है कि उस का सबकुछ छूट रहा था. फरीदा अम्मां, घर, स्कूल संगीसाथी.

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मृणाल का रोना फरीदा अम्मां सह नहीं पातीं. आतेजाते अम्मां उसे बांहों में भर कर गले से लगाती हैं, फिर जोर से खिलखिलाती हैं. मिली भी उन का भरपूर साथ देती है, आतेजाते उन की गोद में छिपती है, उन के आंचल से लिपटती है.

जाने का दिन भी आ गया. सारी काररवाई  पूरी हो गई. अब तो बस, नए देश, नए नगर जाना था.

चलने से पहले अंतिम बार फरीदा ने मृणाल को गोद में बैठा कर गले से लगाया तो मिली फुसफुसाते, गिड़गिड़ाते हुए बोली, ‘फरीदा अम्मां, जब मेरी असली वाली मां आएंगी तो तुम उन्हें मेरा पता जरूर दे देना…’ इतना कहतेकहते मिली का गला रुंध गया था.

मिली का इतना कहना था कि फरीदा अम्मां का सब्र का बांध टूट गया और दोनों मांबेटी एकदूसरे से लिपट कर रो पड़ी थीं.

आखिर फरीदा ने ही धीरज धरा. अपनी पकड़ को शिथिल किया. फिर आंचल से आंसू पोंछे. भरे गले से बच्ची को समझाया, ‘जा बेटी, जा…बीती को भूल जा…अब यही तेरे मातापिता हैं… बिलकुल सच्चे…बिलकुल सगे. तू तो बड़ी तकदीर वाली है बिटिया जो तुझे इतना अच्छा घर मिला, अच्छा परिवार मिला… यहां क्या रखा है? वहां अच्छा खाएगी, अच्छा पहनेगी, खूब पढ़ेगी और बड़ी हो कर अफसर बनेगी…मेरी बच्ची यश पाए, नाम कमाए, स्वस्थ रहे, सुखी रहे, सौ बरस जिए…जा बिटिया, जा…मुड़ कर न देख, अब निकल ही जा…’ कहतेकहते फरीदा ने उसे गोद से उतारा और मिली उर्फ मृणाल की उंगली मिसेज ब्राउन को पकड़ा दी.

नई मां की उंगली पकड़ कर मिली, मृणाल से मर्लिन बन गई. नया परिवार पा कर कितना कुछ पीछे छूट गया पर यादें हैं कि आज भी साथ चलती हैं. बातें हैं कि भूलती ही नहीं.

घर के लाल कालीन पर पैर रखते ही मिली को लाल फर्श वाले बाल आश्रम के लंबे गलियारे याद आ जाते जिन पर वह यों ही पड़ी रहती थी…बिना चादरचटाई के. उन गलियारों की स्निग्ध शीतलता आज भी उस के पोरपोर में रचीबसी है.

मिली को शुरुआत में लंदन बड़ा ही नीरव लगा था. सड़कों पर कोलकाता जैसी भीड़ नहीं थी और पेड़ भी वहां जो थे हरे भरे न थे. सबकुछ जैसे स्लेटी. मिली को कुछ भी अपना न दिखता. दिल हरदम देश और अपनों के छूटने के दर्द से भरा रहता. मन करता कि कुछ ऐसा हो जाए जो फिर वह वापस वहीं पहुंच जाए.

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मौम उस का भरसक ध्यान रखतीं. खूब दुलार करतीं. डैड कुछ गंभीर से थे. कुछकुछ विरक्त और तटस्थ भी. उसे गोद लेने का मौम का ही मन रहा होगा, ऐसा अब अनुमान लगाती है मिली.

यहां सब से भला उस का भाई जौन है. उस से 8 साल बड़ा. खूब लंबा, ऊंचा, गोराचिट्टा. मिली ने उसे देखा तो देखती ही रह गई.

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