
जब दो प्रेमियों के बीच पाबंदियां लगीं तो वे बुरी तरह छटपटाने लगे. दरअसल रीना अक्षय के दिलोदिमाग पर नशा बन कर छा चुकी थी. उस की सांवली सूरत ने अक्षय पर जादू सा कर दिया था. वही हाल रीना का भी था. वह भी अक्षय से एक पल को भी जुदा नहीं होना चाहती थी.
दोनों की प्रेम लगन बढ़ती गई तो उन्होंने मिलने का एक अनोखा रास्ता खोज लिया. एक दिन अक्षय ने रीना को संदेश भिजवाया कि वह रात को 10 बजे के बाद घर के बाहर गली में उस का इंतजार करेगा.
ग्रामीण परिवेश के लोग रात को जल्द सो जाते हैं और सुबह जल्दी उठते हैं. रीना के घर वाले भी जब रात 10 बजे तक गहरी नींद सो गए तो वह दबे पांव कुंडी खोल कर घर के बाहर चली गई, जहां अक्षय उस का इंतजार कर रहा था.
दोनों ने गिलेशिकवे दूर किए और घर से कुछ दूरी पर स्थित सहकारी भवन में पहुंच गए. वहां किसी के आने या देख लेने की आशंका नहीं थी. अपनी हसरतें पूरी करने के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए. उन के आनेजाने की किसी को भनक तक नहीं लगी. इस के बाद तो उन का वहां मिलने का सिलसिला ही चल पड़ा.
अक्षय और रीना मिलने में भले ही सतर्कता बरतते थे, लेकिन इस के बावजूद वे पकड़े गए. दरअसल एक रात रीना ने जैसे ही दरवाजे की कुंडी खोली, तभी श्याम नारायण की आंखें खुल गईं. वह उठे तो उन्हें दरवाजे पर एक साया दिखाई दिया. वह उस जगह पहुंचे तो रीना खड़ी थी.
श्याम नारायण को समझते देर नहीं लगी कि रीना घर के बाहर जा रही थी. उन्होंने सामने गली की ओर नजर डाली तो वहां एक युवक खड़ा था. वह उस की ओर लपके तो वह वहां से भाग कर अंधेरे में गुम हो गया. श्याम नारायण को समझते देर नहीं लगी कि भागने वाला युवक अक्षय था.
श्याम नारायण का गुस्सा सातवें आसमान जा पहुंचा. उन्होंने रीना का हाथ पकड़ा और घसीटते हुए घर के अंदर ले आए. उन्होंने उस की जम कर पिटाई की. रीना रात भर कराहती रही.
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सुबह होते ही श्याम नारायण पड़ोसी उदयराज के घर जा पहुंचे. उन्होंने उदयराज को धमकाया कि वह अपने आवारा लड़के अक्षय को समझा लें, वह हमारी बेटी रीना को बरगला रहा है. जिस दिन वह रीना के साथ दिख गया, उस दिन बहुत बुरा होगा.
उदयराज सुलझा हुआ इंसान था. उस ने श्याम नारायण की शिकायत बेहद गंभीरता से ली और भरोसा दिया कि वह अक्षय को डांटडपट कर तथा समझा कर रीना से दूर रहने की नसीहत देगा. साथ ही उस ने श्याम नारायण को भी सलाह दी कि वह भी रीना को प्यार से समझाए कि वह अक्षय से बात न करे.
दोपहर बाद अक्षय घर आया तो उदयराज ने उसे आड़े हाथों लिया. उस ने अक्षय को डांटा तथा रीना से दूर रहने की नसीहत दी. इस पर अक्षय ने पिता को बताया कि वह रीना से प्यार करता है और रीना भी उसे चाहती है. वे दोनों शादी करना चाहते हैं.
बेटे की यह बात सुनकर उदयराज ने उसे बहुत लताड़ा. उन्होंने साफ कह दिया कि दोनों का गोत्र एक है, इसलिए उन की शादी नहीं हो सकती.
उधर रीना और अक्षय प्यार के उस मोड़ पर पहुंच गए थे, जहां से उन का वापस आना नामुमकिन था. इसलिए घर वालों की नसीहत का उन पर स्थाई असर नहीं हुआ. चोरीछिपे दोनों मिलते रहे. उन्हें जब जैसे घरबाहर जहां भी मौका मिलता, मिल लेते.
घर वालों की सतर्कता रह गई धरी की धरी
लेकिन सतर्कता के बावजूद एक रात वे दोनों फिर पकड़े गए. हुआ यह कि श्याम नारायण और उन के बेटे रिश्तेदारी में एक शादी समारोह में शामिल होने मीरजापुर गए थे. घर पर सुमन और रीना ही रह गई थी.
शाम को रीना ने खाना बनाया. उस ने पहले मां को खाना खिलाया फिर खाना खा कर घर का काम निपटाया. इस के बाद वह मां के साथ चारपाई पर लेट गई. सुमन तो कुछ देर बाद सो गई लेकिन रीना की आंखों से नींद कोसों दूर थी. उसे रहरह कर प्रेमी अक्षय की याद आ रही थी.
रीना की जब बेचैनी बढ़ी तो वह छत पर पहुंच कर टहलने लगी. उसी समय उस की निगाह अक्षय पर पड़ी. वह भी अपनी छत पर चहलकदमी कर रहा था. उसे देखते ही रीना की उस से मिलने की कामना बढ़ गई. उस ने एक कंकड़ फेंक कर अक्षय का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. जब अक्षय ने उस की तरफ देखा तो उस ने उसे अपनी छत पर आने का इशारा किया.
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इशारा पाते ही अक्षय अपनी छत से नीचे उतर आया. इस के बाद रीना छत से उतर कर नीचे आई और दरवाजे की कुंडी खोल कर अक्षय को अपनी छत पर ले गई. वहां दोनों मौजमस्ती में लग गए.
उसी दौरान रीना की मां सुमन की आंखें खुलीं. चारपाई पर रीना को न देख कर उस का माथा ठनका. उस ने रीना की घर में खोज की. जब वह नहीं दिखी तो वह छत पर पहुंची. छत का दृश्य देख कर सुमन आश्चर्यचकित रह गई. छत पर रीना और अक्षय आपत्तिजनक अवस्था में थे.
सुमन को देख कर अक्षय तो जैसेतैसे कपड़े लपेट कर अपने घर चला गया, पर रीना कहां जाती. सुमन उस के बाल पकड़ कर खींचते हुए छत से नीचे लाई. फिर उस के गाल पर 4-5 तमाचे जड़ दिए और खूब खरीखोटी सुनाई.
सुमन शब्दों के तीर से रीना का सीना छलती करती रही और रीना अपराधबोध से सब सहती रही. सुबह मांबेटी में इतनी नफरत भर गई कि दोनों ने एकदूसरे का मुंह देखना तक मुनासिब नहीं समझा.
दोनों ही अलगअलग कमरे में पड़ी रोती रहीं. उस रोज घर में खाना भी नहीं बना. दूसरे दिन श्याम नारायण अपने बेटों के साथ वापस घर आ गए. घर में कलह न हो इसलिए सुमन ने पति को यह जानकारी नहीं दी.
सुमन अब रीना पर पैनी नजर रखने लगी थी. दिन की बात तो छोडि़ए, रात को भी वह उस की निगरानी रखती थी. लेकिन शातिर रीना मां की आंखों में धूल झोंक कर प्रेमी से मिल ही लेती थी. परंतु अपनी निगरानी से सुमन यह समझने लगी थी कि रीना और अक्षय का मेलजोल अब बंद हो गया है.
23 जून, 2019 को पड़ोस के गांव में एक यज्ञ का आयोजन था. श्याम नारायण तथा उन के बेटे इस आयोजन में शामिल होने के लिए रात 8 बजे अपने घर से चले गए. सुमन भी खाना खा कर चारपाई पर पसर गई. कुछ देर बाद वह गहरी नींद में सो गई.
रीना ने उचित मौका देखा और अपने प्रेमी अक्षय को घर बुला लिया. इस के बाद वह कमरे में जा कर प्रेमी के साथ मौजमस्ती में लग गई.
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इसी बीच श्याम नारायण यज्ञ आयोजन से घर वापस आ गया. दरअसल उन्हें नींद आ रही थी. घर पहुंच कर उन्होंने दरवाजे पर दस्तक दी तो दरवाजा खुल गया. कमरे के अंदर का दृश्य देख कर श्याम नारायण का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
कमरे के अंदर रीना और अक्षय आपत्तिजनक स्थिति में थे. श्याम नारायण ने अक्षय को जोर से लात जमाई तो वह लड़खड़ा कर उठा और वहां से अर्धनग्न अवस्था में ही वहां से भाग गया. इस के बाद उन्होंने रीना की जम कर पिटाई की और भद्दीभद्दी गालियां दीं.
बाप की पिटाई ने आग में घी डालने जैसा काम किया. रीना के मन में अब बाप के प्रति नफरत की आग भड़क उठी. उस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह प्रेमी की मदद से बाप को सबक जरूर सिखाएगी. उस ने यह भी निश्चय कर लिया कि यदि दोबारा बाप ने हाथ उठाया तो वह मुंहतोड़ जवाब देगी.
26 जून, 2019 की सुबह जब पिता व भाई खेत पर काम करने चले गए और मां खाना बनाने में लग गई तब रीना दबे पांव घर से निकली और बिना किसी डर के उस ने गली के मोड़ पर खड़े अक्षय से मुलाकात की. वह गंभीर हो कर बोली, ‘‘अक्षय, मैं तुम से बेहद प्यार करती हूं और तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रहना चाहती. लेकिन मेरा बाप हम दोनों के प्यार में रोड़ा बन रहा है. मैं चाहती हूं कि…’’
‘‘क्या चाहती हो तुम?’’ अक्षय उस की बात पूरी होने से पहले ही बोल पड़ा.
‘‘यही कि इस रोड़े को हमेशा के लिए हटा दो ताकि हमारी मुलाकात में कोई अड़चन न आए.’’ वह बोली.
‘‘तुम ठीक कह रही हो रीना. मैं तुम्हारा साथ जरूर दूंगा. मैं भी उस की लात अभी तक भूला नहीं हूं. जो उस ने मेरी पीठ पर जमाई थी.’’ अक्षय ने कहा.
इस के बाद रीना और अक्षय ने मिल कर श्याम नारायण की हत्या की योजना बनाई. योजना के तहत अक्षय पवई गया और एक मैडिकल स्टोर से नींद की गोलियां ला कर रीना को दे दीं.
योजना के तहत रीना ने 27 जून, 2019 की शाम खाना बनाने के बाद नशीली गोलियां खाने में मिला दीं. इस के बाद उसे छोड़ कर परिवार के सभी सदस्यों ने खाना खाया और अलगअलग चारपाई पर जा कर सो गए.
श्याम नारायण मिश्रा घर के बाहर मड़ई (झोपड़ी) में सोने चले गए. वह वहीं सोते थे. थोड़ी देर बाद नींद की गोलियों के असर से परिवार के लोग गहरी नींद में चले गए. लेकिन रीना की आंखों में नींद नहीं थी. वह तो प्रेमी के आने का इंतजार कर रही थी.
रात करीब 12 बजे अक्षय रीना के घर के बाहर आया. रीना को संकेत देने के लिए उस ने रीना के घर के बाहर सड़क किनारे लगा हैंडपंप चलाया. रीना हैंडपंप की आवाज सुन कर बाहर निकल आई और अक्षय को घर में ले गई. अक्षय ने रीना से पूछा कि मर्डर किस हथियार से करना है. इस पर रीना घर से फावड़ा व खुरपी ले आई.
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फिर दोनों श्याम नारायण की चारपाई के पास पहुंचे. रीना ने गहरी नींद में सो रहे पिता पर एक नजर डाली, फिर दोनों श्याम नारायण पर टूट पड़े. अक्षय ने फावड़े से श्याम नारायण के सिर, चेहरे व शरीर के अन्य हिस्सों पर प्रहार किया. वहीं रीना ने खुरपी से बाप के गले पर प्रहार कर जख्मी कर दिया. श्याम नारायण के लहूलुहान होने पर खून के छींटे दोनों के कपड़ों पर भी पडे़. कुछ देर तड़पने के बाद श्याम नारायण ने दम तोड़ दिया.
हत्या कर शव लगाया ठिकाने
हत्या करने के बाद रीना और अक्षय ने लाश ठिकाने लगाने की सोची. रीना के घर के बगल में एक संकरी गली थी, जिस के बीच नाली थी. दोनों ने इसी नाली में लाश छिपाने की योजना बनाई. योजना के तहत रीना ने दोनों हाथ तथा अक्षय ने दोनों पैर पकड़े और शव संकरी गली में बनी नाली में फेंक दिया. शव के ऊपर उन्होंने खरपतवार डाल दी, जिस से शव न दिखे.
शव ठिकाने लगाने के बाद रीना व अक्षय ने खून सना फावड़ा व खुरपी घर के अंदर भूसे की कोठरी में छिपा दी तथा घटनास्थल से खून आदि साफ कर दिया. रीना ने पिता का मोबाइल, चार्जर तथा चुनौटी (तंबाकू, चूना रखने की डब्बी) रसोई में ले जा गैस के पास रख दी. फिर बाथरूम में खून सने कपड़े उतारे और हाथों में लगा खून साफ किया. कपड़े उस ने घर में ही छिपा दिए और चारपाई पर जा कर लेट गई.
उधर अक्षय ने हैंडपंप से खून सने हाथ साफ किए तथा खून सने कपड़े उतार कर दूसरे पहन लिए. खून सने कपड़े उस ने गांव के बाहर झाडि़यों में छिपा दिए. इस के बाद वह इत्मीनान से घर के बाहर पड़ी चारपाई पर आ कर सो गया.
सुबह अलसाई आंखों से सुमन देर से जागी. वह चाय बनाने रसोई में पहुंची तो वहां पति का मोबाइल, चार्जर व चुनौटी रखी थी. सामान देख कर वह असमंजस में पड़ गई, फिर सोचा कि शायद वह भूल गए होंगे.
चाय बना कर वह बाहर आई तो देखा पति चारपाई पर नहीं हैं. उस ने घर के अंदर सो रहे बेटों तथा बेटी रीना को उठाया और बताया कि उन के पापा पता नहीं कहां चले गए हैं? कुछ ही देर बाद श्याम नारायण मिश्रा के गायब हो जाने का हल्ला पूरे गांव में मच गया.
श्याम नारायण मिश्रा की तलाश शुरू हुई तो उसी खोजबीन में किसी ने उन की लाश घर के बगल में संकरी गली में नाली में पड़ी देखी. लाश के ऊपर जो घासफूस डाली गई थी, जो पानी में बह गई थी.
लाश मिलते ही घर में कोहराम मच गया. सुमन मिश्रा दहाड़ें मार कर रोने लगी. परिवार के अन्य सदस्य भी रोनेपीटने लगे. इसी बीच गांव के किसी व्यक्ति ने थाना पवई पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी संजय कुमार पुलिस टीम के साथ सौदमा गांव आ गए.
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उन्होंने घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को भी दे दी, फिर शव को नाली से बाहर निकलवाया. श्याम नारायण मिश्रा की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. उन के शरीर पर किसी धारदार हथियार से प्रहार कर मौत के घाट उतारा गया था. उन के सिर, चेहरा व शरीर के अन्य भागों पर एक दरजन से अधिक चोटें थीं.
थानाप्रभारी अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी त्रिवेणी सिंह, एसपी (यातायात) मोहम्मद तारिक तथा सीओ (फूलपुर) शिवशंकर सिंह आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा परिजनों से पूछताछ की. अधिकारियों ने थानाप्रभारी को आदेश दिया कि वह शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजें और घटना का जल्द खुलासा करें.
आदेश पाते ही थानाप्रभारी ने शव को पोस्टमार्टम हेतु भिजवाया और मृतक की पत्नी सुमन, बेटी रीना तथा बेटों रत्नेश, रमेश व पिंकू से पूछताछ की. सभी ने हत्या से अनभिज्ञता जाहिर की.
इसी बीच थानाप्रभारी को पता चला कि मृतक की बेटी रीना और पड़ोसी युवक अक्षय के बीच प्रेम संबंध हैं, जिस का श्याम नारायण विरोध करते थे. हत्या का रहस्य इन्हीं दोनों के पेट में छिपा है. यदि दोनों से सख्ती से पूछताछ की जाए तो भेद खुल सकता है.
दोनों प्रेमी हुए गिरफ्तार
यह जानकारी मिलते ही पहली जुलाई, 2019 को थानाप्रभारी संजय कुमार ने रीना और उस के प्रेमी अक्षय को हिरासत में ले लिया. थाना पवई ला कर जब दोनों से श्याम नारायण की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछा गया तो दोनों टूट गए और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
रीना की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त फावड़ा, खुरपी तथा खून सने कपड़े बरामद कर लिए.
अक्षय की निशानदेही पर पुलिस ने उस के खून से सने कपड़े बरामद कर लिए जिन्हें उस ने झाडि़यों में छिपा दिया था. मृतक का मोबाइल, चार्जर, चुनौटी भी पुलिस ने बरामद कर ली. बरामद सामान को पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर जाब्ते में शामिल कर लिया.
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चूंकि अभियुक्तों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी संजय कुमार ने मृतक की पत्नी सुमन मिश्रा की तरफ से रीना और अक्षय के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें बंदी बना लिया.
अभियुक्तों से एसपी त्रिवेणी सिंह ने भी पूछताछ की और उन्हें मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा किया. 2 जुलाई, 2019 को थाना पवई पुलिस ने अभियुक्त रीना व अक्षय को आजमगढ़ कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां
पति की बात सुन कर सविता सन्न रह गई, फिर बोली, ‘‘पिताजी ने हमारी शादी में अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा खर्च किया था. मेरी शादी के लिए उन्होंने अपनी जमीन तक बेच दी थी. अब मैं उन से रुपयों की डिमांड नहीं कर सकती. आप को भी ऐसी डिमांड नहीं करनी चाहिए.’’
सविता की ‘ना’ सुनते ही पवन को गुस्सा आ गया. वह सविता से गालीगलौज करने लगा. इसी बीच पवन की मां दयावती आ गई. उस ने आग में घी का काम किया. उस रोज बात इतनी ज्यादा बढ़ गई कि पवन ने सविता की पिटाई कर दी.
कुछ दिनों बाद दीपावली पर भाईदूज के दिन बड़ा भाई गोविंद सविता से टीका करवाने उस की ससुराल आया. उस ने सविता को दुखी देखा तो उसे अपने साथ ही लिवा ले गया. मायके में सविता ने मातापिता को अपनी व्यथा सुनाई. उस ने बताया कि पवन को नई कार बुक कराने के लिए 2 लाख रुपए चाहिए.
सविता की मां कलावती को यह सुन कर गुस्सा आ गया. उस ने सविता को ससुराल जाने से मना कर दिया. एक सप्ताह बाद पवन सविता को विदा कराने पहुंचा तो कलावती ने उसे भेजने से इनकार कर दिया. साथ ही असमर्थता भी प्रकट कर दी थी, ‘‘दामादजी, हम रुपयों का बंदोबस्त नहीं कर पाएंगे.’’
बाद में पवन के वादा करने पर कि वह आगे कोई मांग नहीं करेगा और सविता को भी ससुराल में कोई परेशानी नहीं होगी, कलावती ने सविता को विदा कर दिया.
दरअसल यह समझौता रिश्तेदार मनोज कुमार ने बीच में पड़ कर कराया था. मनोज की मध्यस्थता से ही पवन और सविता की शादी हुई थी.
कहने को तो पवन इस बात का आश्वासन दे कर सविता को विदा करा कर ले आया कि सविता को आइंदा कोई परेशानी नहीं होने देगा. लेकिन हुआ इस के विपरीत. पवन को सविता द्वारा मायके में शिकायत करना नागवार लगा. वह उसे किसी न किसी बहाने प्रताडि़त करने लगा. बात उस दिन और अधिक बिगड़ जाती, जिस दिन मां दयावती पवन के कान भर देती.
ऐसे ही एक रोज जब पवन हैवान बना तो सविता ने इस की जानकारी फोन से अपनी मां को दे दी. इस पर कलावती ने बेटी की ससुराल कन्नौज आ कर पवन और उस की मां को खूब खरीखोटी सुनाई. यह बात पवन को बहुत बुरी लगी.
वह मां के अपमान से तिलमिला उठा. उस का कलावती से झगड़ा हुआ. कलावती ने धमकी दी कि यदि तुम लोगों ने बेटी को प्रताडि़त करना बंद नहीं किया तो वह पूरे परिवार को फंसा देगी. सब जेल जाओगे.
कलावती की इस धमकी से पूरा परिवार सहम गया. एक ओर जहां सविता की जेठानियों ने उस से किनारा कर लिया, वहीं दयावती भी अपने बड़े बेटे राजीव के साथ रहने लगी. राजीव की पत्नी रोमी से उस की पटरी खाती थी. सविता को उम्मीद थी कि सास जेठानी के साथ रहेगी तो झगड़ा नहीं होगा. पर ऐसा नहीं हुआ. पवन पहले की अपेक्षा उसे और अधिक प्रताडि़त करने लगा.
एक सुबह सविता बाथरूम में नहा रही थी और पवन कमरे में लेटा था तभी सविता के मोबाइल की घंटी बजी. पवन ने स्क्रीन पर नजर डाली तो वीरेंद्र का नाम आ रहा था. पवन ने फोन रिसीव करते हुए हैलो कहा तो काल करने वाले ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.
कुछ देर बाद सविता बाथरूम से नहा कर निकली तो पवन ने पूछा, ‘‘यह वीरेंद्र कौन है? वह तुम्हें फोन कर रहा था.’’
‘‘मुझे पता नहीं कौन है?’’ सविता ने सफाई दी.
‘‘पता नहीं या झूठ बोल रही हो. कहीं तुम्हारे मायके का यार तो नहीं है?’’ पवन ने शक जाहिर किया.
‘‘किसी का गलती से फोन लग गया होगा और तुम मुझ पर बदचलनी का आरोप लगाने लगे. शरम आनी चाहिए तुम्हें.’’ सविता पति पर बिफर पड़ी.
पवन को भी गुस्सा आ गया. वह उसे गरियाते हुए बोला, ‘‘हरामजादी, एक तो बदचलन, दूसरे सिर उठा कर मुझे बेशरम कह रही है.’’ पवन ने उसे लातघूंसों से पीटना शुरू कर दिया. वह चीखतीचिल्लाती रही पर सासजेठानी में से कोई भी उसे बचाने नहीं आया.
दूसरे रोज सविता रूठ कर मायके चली गई. इस बार वह अपनी मासूम बेटी रानू को भी साथ ले गई थी.
घर कलह का असर बेटी पर न पड़े, इसलिए सविता ने उसे मायके में रखने का निर्णय कर लिया था. मायके में वह एक सप्ताह तक रही, फिर जब गुस्सा ठंडा पड़ा तो बेटी को मायके में छोड़ कर ससुराल आ गई.
पवन गुस्से से भरा बैठा था. सविता लौट कर आई तो बोला, ‘‘इतनी जल्दी क्यों लौट आई, मायके के यारों के साथ कुछ दिन और मन बहला लेती. ऐसी मौज हमारे घर कहां मिल पाएगी. यहां तो मर्यादा में ही रहना होगा.’’
पति की बात सुन कर सविता को गुस्सा तो बहुत आया, पर झगड़ा टालने के लिए वह गुस्सा पी गई और पवन को जवाब नहीं दिया.
सविता की चुप्पी का पवन ने गलत अर्थ लगाया. उसे पक्का यकीन हो गया कि सविता बदचलन है. यारों से मिलने के लिए ही वह बारबार मायके जाती है.
पवन के मन में अब पत्नी की बदचलनी का भी भूत सवार हो गया था. वह सविता पर बदचलनी का लांछन लगा कर उसे पीटने लगा. शराब के नशे में कभीकभी वह हैवान भी बन जाता था. पर अब उन दोनों के झगड़े के बीच परिवार का कोई अन्य सदस्य नहीं आता था.
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मार्च, 2020 में देश में कोरोना महामारी के चलते लौकडाउन हो गया, जिस से सारी व्यावसायिक गतिविधियां ठप हो गईं. पवन का धंधा भी बंद हो गया. बुकिंग बंद होने से उसे अपनी कार घर में खड़ी करनी पड़ी.
आमदनी घटी तो घर में झगड़ा और बढ़ गया. सविता खर्च के लिए पैसा मांगती तो पवन मना कर देता. इस बात पर दोनों में झगड़ा होता. ऐसे में सविता दखलअंदाजी करने के लिए अपनी मां कलावती को घर बुला लेती. पवन को अपनी सास कलावती की दखलअंदाजी पसंद नहीं थी.
जब कलावती अपनी बेटी का पक्ष ले कर पवन पर तीखे शब्दों का प्रयोग करती, तो पवन बौखला उठता. उस का सास से भी झगड़ा हो जाता. ऐसे में वह आपा खो बैठता और सविता को सास के सामने ही पीटता.
20 अगस्त, 2020 की सुबह सविता ने घर खर्च की मांग की तो पवन ने मना कर दिया. इस बात को ले कर दोनों में फिर झगड़ा हुआ. सविता ने फोन कर मां कलावती को बुला लिया.
रोजरोज की किचकिच से कलावती भी परेशान हो गई थी. लिहाजा वह बेटी को ले कर सरायमीरा पुलिस चौकी पहुंच गई. वहां पुलिस ने पवन को बुला कर पत्नी और सास के सामने जलील किया. साथ ही हिदायत दे कर समझौता भी करा दिया. इस के बाद सब वापस घर आ गए.
पत्नी व सास का पुलिस चौकी जाना फिर पुलिस द्वारा जलील करना पवन को नागवार लगा. वह अपमान से भर उठा. इसी बात को ले कर 20 अगस्त की रात 12 बजे पवन और सविता में फिर झगड़ा होने लगा. कलावती बेटी का पक्ष ले कर पवन पर हमलावर होने लगी.
पवन पहले ही गुस्से से भरा बैठा था. वह सविता को पीटने लगा. कलावती बेटी को बचाने आई तो पवन कमरे में रखा हंसिया उठा लिया और मांबेटी पर प्रहार करने लगा.
पवन का रौद्र रूप देख कर सविता और कलावती जान बचाकर छत पर भागीं. पवन पीछा करता हुआ छत पर ही आ गया.
वह हैवान बन चुका था. हंसिया से वार पर वार कर उस ने सविता व उस की मां कलावती को मौत की नींद सुला दिया. इस पर भी जब उस का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो उस ने मांबेटी को दूसरी मंजिल की छत से नीचे फेंक दिया.
डबल मर्डर करने के बाद पवन छत से उतर कर नीचे आया. उस ने पत्नी व सास के शवों पर नफरत भरी निगाह डाली फिर आलाकत्ल हंसिया सहित कन्नौज कोतवाली की राह पकड़ ली.
कोतवाली पहुंच कर उस ने पुलिस के सामने डबल मर्डर का जुर्म कबूल कर आत्मसमर्पण कर दिया.
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इधर चीखपुकार सुन कर पवन के घर वाले जाग गए थे. पवन के जाते ही वे घर से बाहर निकले तो सामने मांबेटी की लाशें देख कर सन्न रह गए. इस के बाद घर में कोहराम मच गया. 21 अगस्त, 2020 को थाना कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त पवन उर्फ मुरारी को कन्नौज कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
पवन उर्फ मुरारी जिस वक्त कन्नौज कोतवाली पहुंचा, तब रात के 3 बज रहे थे. एसएसआई आर.पी. सिंह रात की ड्यूटी पर थे. पवन उन के सामने जा पहुंचा और बोला, ‘‘साहब, मैं डबल मर्डर कर के आया हूं. मुझे गिरफ्तार कर लो.’’
‘‘डबल मर्डर?’’ सिंह चौंके, ‘‘कौन हो तुम? किस का खून किया है?’’
‘‘साहब, मेरा नाम पवन है. मैं कलेक्ट्रेट के पीछे हौदापुरवा मोहल्ले में रहता हूं. मैं ने अपनी पत्नी सविता और सास कलावती का खून किया है. दोनों की लाशें घर के बाहर पड़ी हैं.’’
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‘‘तुम यह सब नशे में तो नहीं बक रहे हो?’’ आर.पी. सिंह ने उस से पूछा. ‘‘साहब, हंसिया साथ लाया हूं. मैं ने उन्हें इसी से मारा डाला. देखो, मेरा हाथ और चेहरा भी खून से रंगा है.’’ पवन ने खून सना हंसिया फर्श पर रखते हुए कहा.
अब शक की कोई गुंजाइश नहीं थी. उन्होंने 2 सिपाहियों को बुला कर पवन को हिरासत में ले लिया और आलाकत्ल हंसिया सुरक्षित कर लिया.
इस के बाद एसएसआई ने यह सूचना कोतवाल विकास राय को दी. राय नाइट गश्त से आधा घंटा पहले ही लौटे थे.
थानाप्रभारी विकास राय ने डबल मर्डर का जुर्म कबूल करने वाले पवन उर्फ मुरारी से पूछताछ की फिर वरिष्ठ अधिकारियों को घटना से अवगत कराया और पुलिस टीम ले कर घटनास्थल हौदापुरवा मोहल्ले पहुंच गए.
उस समय वहां भीड़ जुटी थी और कोहराम मचा था. राय ने रोपीट रही महिलाओं को वहां से हटाया, फिर निरीक्षण में जुट गए. घटनास्थल का दृश्य बड़ा ही भयावह था. सविता और कलावती की खून से लथपथ लाशें घर के बाहर पड़ी थीं.
उन की गरदन, पीठ और पेट पर गहरे घाव थे. दोनों की हत्या छत पर की गई थी और लाशों को दूसरी मंजिल से नीचे फेंका गया था. सविता की उम्र 24 साल के आसपास थी, जबकि उस की मां कलावती 50 वर्ष उम्र पार कर चुकी थी.
यह बात 21 अगस्त, 2020 की है. भोर का उजाला फैल चुका था और पवन द्वारा अपनी पत्नी और सास की हत्या की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई थी.
सूचना पा कर मृतका सविता के भाई गोविंद, सोहनलाल तथा पिता जगत राम भी आ गए थे. थानाप्रभारी विकास राय अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह तथा सीओ (सिटी) शेषमणि उपाध्याय भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी घटनास्थल पर बुलवा लिया.
पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. वे उस छत पर भी गए, जहां मांबेटी की हत्या कर उन्हें नीचे फेंका गया था. फोरैंसिक टीम ने जांच कर हत्या से जुड़े साक्ष्य जुटाए.
घटनास्थल पर हत्यारोपी पवन उर्फ मुरारी की मां दयावती तथा भाभी रोमी मौजूद थीं. पुलिस अधिकारियों ने उन से पूछताछ की तो रोमी ने बताया कि सविता और उस के पति पवन के बीच किसी बात को ले कर पिछले 2 दिनों से झगड़ा हो रहा था.
कल दोपहर सविता की मां कलावती आ गई थी. उस के बाद झगड़ा और बढ़ गया था. पवन को सास का आना और उन दोनों के झगड़े में हस्तक्षेप करना नागवार लगा. झगड़े के बाद मांबेटी पवन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने थाने भी गई थीं, पर उन की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी.
थाने से लौटने के बाद सविता का पवन से फिर झगड़ा हुआ. झगड़े में कलावती फिर से कूद पड़ी और बेटी का पक्ष ले कर पवन को भलाबुरा कहने लगी. चूंकि पतिपत्नी का झगड़ा आम बात थी, इसलिए हम लोग हस्तक्षेप नहीं करते थे.
रात 2 बजे चीखपुकार मची तो हम लोगों की नींद खुल गई. उसी दौरान छत से कोई चीज गिरने की आवाज आई. देखा तो सविता और कलावती की लाशें घर के बाहर पड़ी थीं. वे दोनों डर की वजह से छत से कूदीं या फिर पवन ने ढकेला, इस बारे में कुछ नहीं पता. मौकाएवारदात पर मृतका सविता का भाई गोविंद तथा पिता जगतराम भी मौजूद थे.
सीओ शेषनारायण उपाध्याय ने उन से घटना के संबंध में पूछताछ की तो गोविंद ने बताया कि उस का बहनोई पवन बहन को प्रताडि़त करता था. उसे सविता के चरित्र पर शक था. उस के पिता ने 10 लाख रुपए में 10 बीघा जमीन बेची थी. उन पैसों से खूब धूमधाम से सविता की शादी की थी.
इस के बाद भी उस का पेट नहीं भरा. वह सविता पर मायके से रुपए लाने का दबाव डालता था. बात न मानने पर उसे मारतापीटता और झगड़ा करता था. झगड़ा निपटाने में मां को हस्तक्षेप करना पड़ता था, जिस से वह मां से भी खुन्नस खाता था. इसी खुन्नस में पवन ने मां और बहन की हत्या कर दी.
पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका सविता तथा कलावती के शव पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के जिला अस्पताल भिजवा दिए. साथ ही सुरक्षा के तौर पर आरोपी के घर पुलिस का पहरा बिठा दिया.
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शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद पुलिस अधिकारी थाना कोतवाली पहुंचे कातिल पवन पहले ही आत्मसमर्पण कर चुका था. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछा, ‘‘तुम ने अपनी पत्नी व सास की हत्या क्यों की?’’
‘‘साहब, उन दोनों ने मेरी जिंदगी में जहर घोल रखा था. जिस से मेरा जीना तक मुहाल हो गया था. रोजरोज की टेंशन से परेशान हो कर मुझे यह करने के लिए मजबूर होना पड़ा.’’
चूंकि पवन अपना जुर्म कबूल चुका था, अत: थानाप्रभारी विकास राय ने मृतका सविता के भाई गोविंद को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत पवन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पवन को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया.
पवन से की गई पूछताछ और पुलिस जांच में डबल मर्डर की जो कहानी प्रकाश में आई, वह घर की कलह व अवैध संबंधों पर आधारित निकली.
कन्नौज, उत्तर प्रदेश का औद्योगिक नगर है. यहां का इत्र व्यवसाय पूरी दुनिया में मशहूर है. इसलिए कन्नौज को सुगंध की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. इसी कन्नौज का एक मोहल्ला हौदापुरवा है, जो कन्नौज कोतवाली के क्षेत्र में आता है. हौदापुरवा पहले कन्नौज से सटा एक गांव था, लेकिन जब कन्नौज को जिले का दरजा मिला और विकास हुआ तो हौदापुरवा शहर का मोहल्ला बन गया.
इसी हौदापुरवा मोहल्ले में विकास कुमार सिंह का अपना दोमंजिला मकान था. उस के परिवार में पत्नी दयावती के अलावा 3 बेटे राजीव, वीर सिंह व पवन उर्फ मुरारी थे. तीनों की शादी हो चुकी थी. राजीव पशुपालन विभाग में काम करता था और अपने परिवार के साथ मकान की पहली मंजिल पर रहता था. वीर सिंह परिवार के साथ भूतल पर रहता था. वह जनरल स्टोर चलाता था.
सब से छोटा पवन उर्फ मुरारी अपने भाइयों से ज्यादा स्मार्ट तथा पढ़ालिखा था. वह अपने मातापिता के साथ मकान की दूसरी मंजिल पर रहता था और अपनी कार बुकिंग पर चलाता था. पवन व सविता की शादी 6 जून, 2014 को हुई थी.
ससुराल में शुरूशुरू में सविता के दिन ठीकठाक गुजरे. फिर धीरेधीरे उस पर गृहस्थी का पूरा बोझ लाद दिया गया. घर के सारे काम करने के अलावा पति व सास की सेवा भी उसे ही करनी पड़ती थी. धीरेधीरे सास के ताने व जेठानियों के व्यंग्य शुरू हो गए थे. सविता सब कुछ सहती रही. जबतब वह अकेले में आंसू बहा कर मन हलका कर लेती थी. पति पवन अपनी मां का ही पक्ष लेता था.
विवाह के 2 साल बाद सविता ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम रानू रखा गया. रानू के जन्म से सविता के जीवन में नई ज्योति तो जली, साथ ही जिम्मेदारियां भी बढ़ गईं. घर के कामों के अलावा उसे अपनी नवजात के लिए भी समय निकालना पड़ता था. नतीजा यह हुआ कि सास की खींचातानी बढ़ गई.
दरअसल सास दयावती को इस बात का मलाल था कि उस के बेटे को शादी में उस की हैसियत के मुताबिक दहेज नहीं मिला. दहेज कम मिलने को ले कर वह सविता को ताने दे कर प्रताडि़त करती रहती थी.
एक रोज पवन ने सविता से कहा, ‘‘हमारी कार अब खटारा हो गई है, जिस से बुकिंग कम मिलने लगी है. अगर तुम मायके से 2 लाख रुपया ले आओ, तो हम नई कार फाइनैंस करा लें. इस से हमारी बुकिंग बढ़ जाएगी और अच्छी कमाई भी होने लगेगी.’’
छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास का अंधेरा फैलता चला जा रहा है. इसके लिए शासन-प्रशासन सबसे अधिक दोषी है. क्योंकि आजादी के इतने साल बाद भी यहां शिक्षा की, जागरूकता की इतनी ज्यादा कमी है कि अभी भी गांव-गांव में “बैगा गुनिया” लोगों का इलाज करते हैं. लोगों की इन पर आस्था और विश्वास है. ऐसे में जब कभी विश्वास की नाव डगमगाती है तो बैगा गुनिया ही मारे जाते हैं. मजे की बात यह है कि वह बैगा गुनिया जो गांव का सबसे गुनी व्यक्ति माना जाता है जिसके हाथों में गांव की डोर होती है जब किसी बात को लेकर अंधविश्वास के घेरे में आकर लोगों के हाथों मारा जाता है, तब भी गांव वाले यह नहीं सोचते कि जो व्यक्ति अपनी जान नहीं बचा सका, वह गांव के लोगों को भला कैसे भूत प्रेत आदि से बचा सकता है. दरअसल, पूरा मामला अंधविश्वास के मायाजाल का है. जिसका लाभ बैगा गुनिया उठाते हैं. कुल मिलाकर एक धंधा बन चुका है जिसे गांव गांव में मान्यता है . बहरहाल यह नाकामी नि: संदेह छत्तीसगढ़ सरकार की है.
आइए! आज आपको हम ले चलते हैं छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल जहां नारायणपुर जिले के बेनूर थाना क्षेत्र में एक बैगा को घर से ले जाकर अंधविश्वास के फेर में हत्या कर दी गई. लंबे समय तक पुलिस आरोपियों को ढूंढती रही नगर मामला सुलझ नहीं पा रहा था, अंततः पुलिस को अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने में बड़ी सफलता मिली तो कई राज खुलकर सामने आ गए.
बैगा के हत्या की अंधी गुत्थी
11 जून 2020 को सोमनाथ मंडावी उम्र 25 वर्ष निवासी स्कूलपारा चियानार द्वारा थाना बेनूर में रिपोर्ट दर्ज कराई गई कि 10 जून 2020 की रात्रि करीबन 2 बजे अज्ञात व्यक्ति घर आकर उसके पिता रामजी मंडावी को उठाए वे एक बैगा थे लोगों का इलाज करते थे इस बिनाह पर उन्हें ले जाया गया और रामजी मंडावी (उम्र 50) घर नहीं लौटे तब अगली सुबह जब पतासाजी की गई तो उनका शव भाटपाल जाने वाले मार्ग पर पुलिया के नीचे पड़ा मिला.
अपराध की सूचना पर मामले में लगातार पतासाजी कर अंधे कल्ल के मामले को सुलझाने का अथक प्रयास करने के बावजूद भी पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लग पा रहा था.प्रकरण में कुछ संदिग्ध मोबाईल नम्बरों का टावर इंप ऐनालिशिस के आधार पर संदेह होने पर मानु करंगा एवं कानसाय नेताम से कड़ाई से पूछताछ की गई. उन्होंने अपराध घटित करना स्वीकार किया और इस तरह घटना का खुलासा चार माह पश्चात अक्टूबर 2020 हुआ.
हत्या की वजह अंधविश्वास
गिरफ्तारी के पश्चात मानूराम करंगा ने बताया कि वर्ष 2019 में मेरा छोटा सा बच्चा जो एक सप्ताह का था एवं मेरे सबसे छोटे भाई मानसिंग की पत्नी जो पेट से थी दोनों के “बच्चों की मौत” एक ही दिन हो गई. एवं वर्ष बाद 2020 में होली त्यौहार के कुछ दिन बाद अचानक मेरे भाई मानसिंग की भी मौत हो गयी थी.
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जिस कारण अपने पड़ोस में रहने वाले सिरहा ( बैगा) रामजी मंडावी के पर “जादू-टोना” करने (पांगने) का शक हुआ था. मानू करंगा और उसका छोटा भाई मानसाय करंगा दोनों ने मिलकर सिरहा रामजी मंडावी को मारने की योजना बनाई और मानसाय ने अपने रिश्तेदार कानसाय नेताम को भी साथ मिलाकर 10 जून 2020 को कानसाय अपने साथी मनीराम गावड़े, रजमेन राम मरकाम, जसलाल कुलदीप के साथ रात में सिरहा रामजी मंडावी के घर पहुंचकर रामजी मण्डावी को घर से ले गये और अपने पास रखे बदूंक से मारने का प्रयास किया, अचानक बदूंक नहीं चलने पर आरोपियों द्वारा बदूंक के कुंदा से मारकर हत्या कर दी गई और शव को भाट्याल पुलिया के नीचे फेक दिया.बेनूर पुलिस द्वारा आरोपियों के कब्जे से घटना में प्रयुक्त मोबाईल, सिम, बदूंक व मृतक से छीना हुआ टार्च एवं स्कूटी नीले रंग की जप्त की है.
घटना के सभी छः आरोपियों को न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया है.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन ठग गिरोह का भंडाफोड़ कर उन्हें जेल की सीखचों में डाल दिया है. न्याय धानी बिलासपुर जिले के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल बताते हैं कि एक अभियान चलाकर अंतरराष्ट्रीय ठग गिरोह का पर्दाफाश करने में सफलता हासिल की है.
दरअसल,पाकिस्तानी सरगना बड़े मामू (असगर) छोटे मामू (असरफ) और सलीम मिलकर डिजिटल करेंसी की हेराफेरी कर ठगी के कारोबार को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में और अन्य दूसरे देशों में भी अंजाम देते थे. ठगी के इस मामले के तार पाकिस्तान के अलावा सऊदी अरब और मलेशिया से भी जुड़े हैं. सनसनीखेज तथ्य है कि इस नेटवर्क के अनेक गुर्गे देश के अनेक राज्यों में मौजूद हैं और “ऑनलाइन ठगी” से जुटाए रूपए उन्हें भेजा करते थे.
जैसा कि आज डिजिटल ठगी का दौर चल रहा है लोगों के फोन पर लगातार कॉल आ रहे हैं और उन्हें ठगा जा रहा है ऐसे में छत्तीसगढ़ की बिलासपुर पुलिस का यह प्रयास अपने आप में महत्वपूर्ण है.इसका सीधा संदेश यह है कि पुलिस और सरकार अगर चाहे तो ठगों को दूसरे देशों के होने के बाद भी उन पर अंकुश लगा सकती है.
ठगी नाक का सवाल बनी!
बिलासपुर पुलिस के लिए यह अंतरराष्ट्रीय ठग नाक के बाल की तरह एक चैलेंज बन गए थे. दरअसल, हुआ यह कि बिलासपुर जिले में पदस्थ जनक राम पटेल नामक एक नगर सैनिक को 65 लाखों रुपए, इस गिरोह ने लालच देकर ठग लिए. जब नगर सैनिक ने मामले की रिपोर्ट बिलासपुर सिविल थाने में दर्ज कराई तो पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल के लिए यह एक चैलेंज थी. उन्होंने एक टीम बनाई और धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय गिरोह तक पुलिस पहुंच गई और अंततः पांच लोगों को गिरफ्तार करके बिलासपुर लाया गया.
उल्लेखनीय है कि बिलासपुर पुलिस ने मुंबई, उड़ीसा और मध्यप्रदेश में अभियान चलाकर ठगों को गिरफ्तार किया है. ठगों के पास से लैपटॉप, मोबाइल और 15 लाख रूपए नगद, अनेक एटीएम कार्ड तथा बैंक की पास बुक बरामद किए गए हैं. इसके अतिरिक्त विभिन्न बैंको में ठगों के खाते में 27 लाख रूपए जमा होने की जानकारी पुलिस के पास है.
पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने संवाददाता को बताया कि बिलासपुर जिले के सीपत थाना क्षेत्र के अंतर्गत हरदाडीह निवासी जनक राम पटेल 35 साल को इस वर्ष जनवरी माह के अंतिम सप्ताह और फरवरी माह के प्रथम सप्ताह के मध्य पाकिस्तानी मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप कॉल और चैटिंग के माध्यम से ठगों से बातचीत हुई थी. पटेल को झांसा दिया गया कि वह जियो से मालिक मुकेश अम्बानी बोल रहे हैं और जियो के लकी ड्रा के नाम पर उनकी 25 लाख रूपये की लाटरी निकल आई है. अगर वह सोनी टीवी पर चलने वाले आगामी सितंबर 2020 में अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम में भाग्यशाली विजेता बनकर दो करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि जीतना चाहता है तो कुछ रकम उसे विभिन्न खातों में जमा करनी होगी. नगर सैनिक उनके झांसे में आ गया और उसने इस वर्ष एक फरवरी से आठ सितम्बर तक कुल 65 लाख रूपए ठगों के अलग-अलग खातों में जमा कर दिए. कुछ समय बाद उसे एहसास हुआ कि उसे ठग लिया गया है तो नगर सैनिक ने अपने उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई.
पुलिस वाले भी हो रहे ठगी के शिकार
नगर सैनिक की शिकायत पर पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की तब जानकारी मिली कि जनक राम पटेल से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के लगभग 12 विभिन्न खातों में पैसे जमा कराए गए हैं. यह तथ्य भी सामने आया कि इस दौरान सबसे बड़ी रकम करीब 50 लाख रूपए मध्यप्रदेश के रीवा जिले के विराट सिंह के विभिन्न बैंकों के खातों में जमा की गई थी. विराट सिंह यह रकम फोन पे और पेटीएम के माध्यम से वर्ली मुंबई निवासी राजेश जायसवाल के खातों और डिजिटल पेमेंट सोल्यूशन उड़ीसा आदि में ऑनलाइन स्थानांतरित करता था.
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आखिरकार पुलिस दल ने रीवा से विराट सिंह को पकड़ लिया. विराट सिंह ने बताया कि वह पाकिस्तान के छोटे मामू उर्फ़ असरफ और बड़े मामू उर्फ़ असगर तथा सलीम के सरपरस्ती में काम करता है. विराट सिंह ने बताया कि वह अपना कमीशन लेकर कर बाकी रकम बताए गए खातों में भेज देता है. विराट इस रकम को देश भर के अलग-अलग प्रान्तों, हैदराबाद, कर्नाटक, बेंगलोर, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, असम और दिल्ली के खातों में ट्रांसफर करता था.
आरोपी विराट सिंह की निशानदेही पर खाता धारक शिवम् ठाकुर और संजू चौहान को मध्यप्रदेश के देवास से गिरफ्तार किया गया. वहीं पुलिस ने मुंबई जाकर राजेश जायसवाल को भी गिरफ्तार कर लिया जो रकम को डिजिटल करेंसी बिट क्वाइन में तब्दील कर भेजता था.
पुलिस ने उड़ीसा में डिजिटल पेमेंट सोल्यूशन के संचालक सीता राम गौड़ा को भी हिरासत में लिया है जिसने अपने खाते में लगभग 15 लाख रूपये की रकम को जमा किया था. पुलिस ने इस रकम को सीज किया है.
यही नहीं 24 परगना पश्चिम बंगाल, गोपालगंज, बिहार, पश्चिम बंगाल के बाखर हाट और कृष नगर, पश्चिम गाजियाबाद, हुगली, सूरत, उत्तराखंड आदि स्थानों के कई आरोपियों की पहचान की जा चुकी है. अब इस ठगी के कुछ आरोपियों के हाथ आने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस के समक्ष एक बहुत बड़ी चुनौती है की किस तरह इस अंतरराष्ट्रीय ठगों के मुख्य सरगनाओं व गिरोह के सदस्यों को पकड़ती है. मामला संवेदनशील है क्योंकि मामला पाकिस्तान आदि देशों से जुड़ा हुआ है.
(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)
समय बीतता रहा. धीरेधीरे दोनों के प्यार की खुशबू स्कूलकालेज के साथसाथ गांव की गलियों में फैलने लगी. एक कान से दूसरे कान होती हुई यह बात रामप्रसाद के कानों तक पहुंची तो वह सन्न रह गया.
उस ने बेटी को डांटने के बजाए प्यार से समझाया, ‘‘सुलेखा, जब तक तेरा बचपन रहा, मैं ने तुझ पर कोई पाबंदी नहीं लगाई. लेकिन अब तू सयानी हो गई है, इसलिए अंकित के साथ चोरीछिपे बतियाना छोड़ दे. तुझे और अंकित को ले कर लोग तरहतरह की बातें करने लगे हैं. इसलिए मेरी इज्जत की खातिर तू उस का साथ छोड़ दे. इसी में हम सब की भलाई है.’’
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‘‘पापा, लोग यूं ही बातें बनाते हैं. हमारे बीच कोई गलत संबंध नहीं हैं. मैं अंकित से पढ़ाई के बारे में बातचीत कर लेती हूं.’’ सुलेखा ने झूठ बोला.
रामप्रसाद ने सुलेखा की बातों पर विश्वास कर लिया. इस के बाद कुछ रोज सुलेखा अंकित से कटी रही. हालांकि चोरीछिपे दोनों मोबाइल पर बतिया लेते थे. उस के बाद वह पुराने ढर्रे पर आ गई.
एक दिन सुलेखा घर में अकेली थी, तभी अंकित आ गया. उसे देखते ही सुलेखा चहक उठी. सूना घर देख कर अंकित ने उसे अपने आगोश में भर लिया, ‘‘लगता है, तुझे मेरा ही इंतजार था.’’
‘‘क्यों, तुम्हें मेरा इंतजार नहीं रहता क्या?’’ सुलेखा ने आंखें नचाते हुए कहा, ‘‘छोड़ो मुझे, दरवाजा खुला है.’’
अंकित को लगा मौका अच्छा है. सुलेखा भी मूड में थी. उस ने फौरन दरवाजा बंद किया और लौट कर जैसे ही सुलेखा का हाथ पकड़ा, वह अमरबेल की तरह उस से लिपट गई. फिर दोनों सुधबुध खो बैठे.
अवैध संबंधों का सिलसिला इसी तरह चलता रहा. लेकिन यह रिश्ता कब तक छिपा रहता. एक दिन सुलेखा की मां सीता अपनी बड़ी बेटी बरखा के साथ पड़ोसी के घर गई थी. कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम था. एकांत मिलते ही दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. उसी समय अचानक सीता आ गई.
सुलेखा और अंकित को आलिंगनबद्ध देख कर सीता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. अंकित को खरीखोटी सुनाते हुए वह उसे थप्पड़ जड़ कर बोली, ‘‘आस्तीन के सांप, मैं ने तुझे बेटा समझा था. तुझ पर भरोसा किया था, लेकिन तूने मेरी ही इज्जत पर डाका डाल दिया.’’
अंकित सिर झुकाए वहां से चला गया तो सीता सुलेखा पर टूट पड़ी. उसे लातघूंसों से मारते हुए बोली, ‘‘आज के बाद अगर तू कभी अंकित से मिली तो मुझ से बुरा कोई न होगा.’’
सीता देवी ने सुलेखा के गलत राह पर जाने की जानकारी पति रामप्रसाद व बेटे सनी कुमार को दी तो उन दोनों ने सुलेखा को मारापीटा तथा घर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी.
जब पाबंदियां सुलेखा को बेचैन करने लगीं तब उस ने अंकित की चचेरी बहन आरती का सहारा लिया. चूंकि आरती सुलेखा की सहेली थी, सो वह उस की मदद को राजी हो गई. आरती अपने फोन पर अंकित और सुलेखा की बात कराने लगी. मां या बहन बरखा जब कभी सुलेखा का फोन चैक करतीं तो पता चलता कि फोन पर आरती से बात हुई थी.
सुलेखा का चाचा राजीव उर्फ राजी गांव का दबंग आदमी था. जब उसे पता चला कि उस की भतीजी सुलेखा गैरजाति के लड़के अंकित के प्यार में दीवानी है तो उसे बहुत बुरा लगा. उस ने अंकित और उस के घर वालों से मारपीट की. साथ ही हिदायत दी कि वह सुलेखा से दूर रहे वरना अंजाम ठीक नहीं होगा. राजीव ने सुलेखा को भी प्रताडि़त किया तथा उस पर पाबंदी बढ़ा दी.
अंकित और सुलेखा प्यार के उस मुकाम पर पहुंच चुके थे, जहां से वापस लौटना नामुमकिन था. पाबंदी के बावजूद वे एकदूसरे से मिल लेते थे. ऐसे ही एक रोज जब अंकित की मुलाकात सुलेखा से हुई तो वह बोला, ‘‘सुलेखा, तुम्हारी जुदाई मुझ से बरदाश्त नहीं होती और घर वाले मिलने में बाधक बने हुए हैं. इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ भाग चलो. हम दोनों कहीं दूर जा कर अपना आशियाना बना लेंगे.’’
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अंकित की बात सुन कर सुलेखा गंभीर हो गई, ‘‘तुम्हारे साथ भागने से मेरे परिवार की बदनामी होगी. मेरी एक गलती चाचा, पापा और परिवार पर भारी पड़ेगी. मेरी सगी बहन बरखा व चचेरी बहनें भी कुंवारी रह जाएंगी. इस के लिए मजबूर मत करो.’’
‘‘सोच लो सुलेखा, यह हमारी जिंदगी का सवाल है. मैं तुम्हें कुछ वक्त देता हूं. इतना जान लो कि तुम मुझे नहीं मिली तो मैं कुछ भी कर गुजरूंगा.’’ अंकित ने कहा और चला गया.
पर इस के पहले कि सुलेखा कुछ निर्णय कर पाती, मार्च के अंतिम सप्ताह में देश में लौकडाउन की घोषणा हो गई. ऐसी स्थिति में घर से भागना खतरे से खाली न था, अत: अंकित ने इंतजार करना ही उचित समझा.
इधर न जाने कैसे सुलेखा के चाचा राजीव उर्फ राजी को यह पता चल गया कि अंकित और सुलेखा घर से भागने की फिराक में हैं.
इस के पहले कि सुलेखा घर से भागे और उस के परिवार पर दाग लगे, राजीव ने दोनों को ही मिटाने की ठान ली. इस के बाद उस ने अपने भाई रामप्रसाद, बेटे सौरभ कुमार और भतीजे सनी के साथ एक योजना बनाई.
योजना के तहत सौरभ ने 30 मार्च, 2020 की शाम 7 बजे सुलेखा के प्रेमी अंकित को फोन कर के अपनी दुकान पर बुलाया. जब अंकित दुकान पर पहुंचा तो वह दुकान बंद कर रहा था.
सौरभ अंकित को सुलेखा के संबंध में कुछ जरूरी बात करने के बहाने गांव के बाहर अपने गेहूं के खेत पर ले गया. वहां राजीव, रामप्रसाद और सनी पहले से घात लगाए बैठे थे. अंकित के पहुंचते ही उन सब ने मिल कर उसे दबोच लिया और मुंह दबा कर मार डाला.
अंकित को मौत की नींद सुलाने के बाद राजीव अपने भतीजे सनी के साथ घर पहुंचा. सुलेखा उस समय अपनी बहन बरखा के साथ बतिया रही थी. उन दोनों ने सुलेखा से बात की और फिर अंकित और सुलेखा को आमनेसामने बैठा कर बात करने और कोई ठोस निर्णय लेने की बात कही.
सुलेखा इस के लिए राजी हो गई. इस के बाद वे उसे बहला कर गेहूं के खेत पर ले आए. सुलेखा ने पूछा, ‘‘अंकित कहां है?’’
‘‘वह वहां पड़ा सो रहा है. उसे जगा कर बात करो.’’ राजीव के होठों पर कुटिल मुसकान तैर रही थी.
चंद कदम चल कर सुलेखा अंकित के पास पहुंची और उसे हिलायाडुलाया, पर वह तो मर चुका था. सुलेखा को समझते देर नहीं लगी कि घर वालों ने उस के प्रेमी अंकित को मार डाला है. अब वे उसे भी नहीं छोडेंगे.
वह बदहवास हालत में घर की ओर भागी. लेकिन अभी वह खेत की मेड़ भी पार नहीं कर पाई थी कि रामप्रसाद और सौरभ ने उसे सामने से घेर लिया, ‘‘भागती कहां है कुलच्छिनी. अब तुझे भी नहीं छोडेंगे.’’
इसी के साथ रामप्रसाद, राजीव, सनी और सौरभ ने मिल कर सुलेखा को जमीन पर पटक दिया. फिर रामप्रसाद ने मुंह दबा कर बेटी की सांसें बंद कर दीं. हत्या करने के बाद उन लोगों ने बारीबारी से दोनों के शव अंकित के ही कुएं में डाल दिए. ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि लोगों को लगे कि दोनों ने आत्महत्या की है.
इधर जब अंकित देर रात तक घर नहीं लौटा तो उस के घर वालों ने उस की खोज शुरू की. अंकित को खोजते हुए उस की मां दिलीप कुमारी रामप्रसाद के घर गई तो उस ने इलजाम लगाया कि अंकित उस की बेटी को भगा ले गया है.
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दिलीप कुमारी ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही तो रामप्रसाद अपने बेटे सनी कुमार, भाई राजीव व भतीजे सौरभ के साथ घर से गायब हो गया.
दिलीप कुमारी रिपोर्ट लिखाने गई थी, पर पुलिस ने उस की रिपोर्ट दर्ज नहीं की. 2 अप्रैल, 2020 को घटना का खुलासा तब हुआ जब सुदामा नाम का मजदूर पानी लेने कुएं पर गया. पुलिस ने 8 अप्रैल, 2020 को अभियुक्त राजीव उर्फ राजी, सौरभ कुमार, रामप्रसाद तथा सनी से पूछताछ के बाद इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से चारों को जिला जेल भेज दिया गया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित