शाम 7 बजे शिवानी बाजार से घर आई. उस ने सामान वाला थैला कमरे में रखा फिर चारों ओर नजर दौड़ाई. जब उसे छोटा बेटा मृत्युंजय दिखाई नहीं पड़ा, तब उस ने बड़े बेटे से पूछा, ‘‘गोलू, मृत्युंजय कहां है? नजर नहीं आ रहा है.