2 करोड़ की प्रीत: भाग 3

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

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रिंकू को बुलाते वक्त वह इस बात का ध्यान रखती थी कि उस का और चेतन का आमनासामना न हो.  वह यह भी नहीं चाहती थी कि चेतन और उस के संबंधों का राज रिंकू पर खुले, क्योंकि रिंकू भी उस पर खुले हाथ से पैसा खर्च कर रहा था.

रिंकू भी प्रीति की कसी देह और अदाओं पर मर मिटा था. उस का इरादा विदेश में कहीं बस कर कारोबार करने का था. यह बात जान कर प्रीति को लगा कि अब वक्त आ गया है कि चेतन से जितना हो सके, पैसा झटक लो और फिर रायपुर से उड़नछू हो जाओ.

लेकिन एक दिन उस वक्त गड़बड़ हो गई जब सरप्राइज देने की गरज से रिंकू हरियाणा से बिना बताए प्रीति के घर जा पहुंचा और वह भी सीधे बैडरूम में, जहां चेतन और प्रीति गुत्थमगुत्था पड़े थे.

पोल खुल गई तो प्रीति घबरा उठी कि रिंकू अब पता नहीं क्या करेगा. चेतन बहुत कुछ समझने की कोशिश करते हुए चुपचाप कपड़े पहन कर चले गए तो प्रीति ने रिंकू को सब कुछ साफसाफ बता देने में ही बेहतरी समझी.

उसे उम्मीद या डर था कि रिंकू उस पर गरजेगाबरसेगा, बेवफाई का इल्जाम लगा कर उलटे पांव हरियाणा लौट जाएगा लेकिन रिंकू उस का भी उस्ताद निकला. उस ने उसे अपनी बांहों के शिकंजे में कस कर धीरे से कहा कि जब उसे लूट ही रही हो तो पूरा लूट लो फिर हम दोनों इत्मीनान से विदेश में जा कर बस जाएंगे.

देखतेदेखते बंटी और बबली की इस नई जोड़ी ने मिल कर चेतन को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. प्रीति ने चेतन से यह कहा था कि 50 लाख और दे दो क्योंकि मुझे वीजा बनवाना है. विदेश जा कर तुम्हारामेरा रिश्ता और सब कुछ खत्म हो जाएगा फिर तुम इत्मीनान से अपना घर और कारोबार देखना. क्योंकि मैं रिंकू से शादी करने वाली हूं.

लेकिन चेतन के पास अब कुछ नहीं बचा था. प्रीति की प्रीत की असलियत सामने थी और अब तो उस में रिंकू भी शामिल हो गया था. पाईपाई को मोहताज हो चले चेतन को मध्य प्रदेश के सेक्स स्कैंडल से हिम्मत बंधी तो वह सीधे एडीशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर के चैंबर में जा पहुंचे और अपनी आपबीती सुना कर इंसाफ की मांग की.

यूं फंसी पुलिसिया जाल में

प्रफुल्ल ठाकुर ने चेतन की कहानी इत्मीनान और विस्तार से सुनी और उन्हें उस पर तरस और गुस्सा दोनों आए. चूंकि अपनी कहानी के साथसाथ चेतन ब्लैकमेलिंग के सारे सबूत उन्हें दे चुके थे कि उन्होंने कबकब कितने पैसे प्रीति को दिए, इसलिए उन्होंने प्रीति के खिलाफ रायपुर के पंडरी थाने में रिपोर्ट दर्ज करा कर जाल बिछा दिया.

दरअसल, प्रीति ने चेतन को 50 लाख रुपए की आखिरी किस्त के बाबत 26 सितंबर की तारीख दी थी, इसलिए उसे रंगेहाथों पकड़ने का मौका पुलिस ने नहीं छोड़ा. इस के पहले प्रीति चेतन की 2 और महंगी कारें रिंकू के सहयोग से छीन कर अपने कब्जे में ले चुकी  थी. जाहिर है, विदेश जाने से पहले वह इन्हें भी बेच देने का मन बना चुकी थी.

26 सितंबर को पुलिस के प्लान के मुताबिक चेतन ने प्रीति को फोन कर पैसों का इंतजाम हो जाने की खबर दी तो प्रीति के पर फड़फड़ाने लगे कि अब मकसद पूरा हो गया. रकम देने रायपुर की जगह कंचना रेलवे क्रौसिंग तय हुई. बातचीत में प्रीति ने बताया भी कि वह पैसे लेने अकेली आएगी और चेतन चाहेगा तो उसे आखिरी बार वह शारीरिक सुख भी देगी जो पहली बार बिलासपुर में दिया था.

प्रफुल्ल ठाकुर ने आननफानन में महिला पुलिसकर्मियों को सादे कपड़ों में कंचना रेलवे क्रौसिंग के आसपास तैनात किया और चेतन को एक सूटकेस में नोटों के आकार के कागज के टुकड़े भर कर दे दिए.

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शाम को जैसे ही प्रीति ने चेतन से रुपयों का सूटकेस लिया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. इस पर प्रीति सकपका उठी, जिसे सपने में भी चेतन के पुलिस के पास जाने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन जो भी था, वह सामने था. पंडरी थाने में पहले तो वह ब्लैकमेलिंग की बात से मुकर गई लेकिन जल्द ही टूट भी गई. उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

ताबड़तोड़ काररवाई हुई और प्रीति के फ्लैट पर छापा मार कर पुलिस ने नकदी और वे जेवरात भी बरामद किए जो वक्तवक्त पर चेतन उसे उपहार में देते रहे थे.

प्रीति के कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटौप भी जब्त कर फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिए गए. फिर पुलिस रिंकू के पीछे पड़ गई जो प्रीति की गिरफ्तारी की खबर सुन कर फरार हो गया था. इस कहानी के लिखे जाने तक रिंकू गिरफ्तार नहीं हो पाया था.

मांबाप भी थे शामिल

छानबीन आगे बढ़ी तो यह भी स्पष्ट हुआ कि ऐसा होना मुमकिन ही नहीं था कि मांबाप को यह न मालूम हो कि प्रीति यह पैसा कैसे कमा रही थी. जब चेतन का उन के फ्लैट पर आनाजाना था और इस के बाद रिंकू का भी तो पुलिस को यकीन हो गया कि प्रीति के पिता रमाकांत तिवारी भी इस ब्लैकमेलिंग में शामिल हैं और वह भी बेहद शर्मनाक तरीके से.

अब तक पुलिस का अंदाजा था कि प्रीति के तार मध्य प्रदेश के सेक्स स्कैंडल से जुड़े होंगे, लिहाजा पुलिस प्रीति और रमाकांत को ले कर इंदौर आई जहां सेक्स स्कैंडल का खुलासा हुआ था. लेकिन धीरेधीरे यह स्पष्ट हो गया कि इन दोनों मामलों का सीधे कोई लेनादेना नहीं था. हां, इतना जरूर है कि रमाकांत तिवारी को ठेकेदारी में जबरदस्त घाटा हुआ था इसलिए प्रीति ने मांबाप को रायपुर बुला कर कपड़े की दुकान खुलवा दी थी, जोकि एक कांग्रेसी नेता की थी.

छानबीन में यह भी पता चला कि रमाकांत तिवारी की अनूपपुर और मनेंद्रगढ़ में खासी इज्जत है और उन के परिवार के एक दिग्गज भाजपाई नेता से भी संबंध हैं. लेकिन इन सब बातों का ब्लैकमेलिंग से संबंधित होना नहीं पाया गया.

इधर प्रीति की मां मीडिया के सामने बेटी के बेगुनाह होने की बात यह कहते हुए करती रहीं कि वह बेकसूर है उसे फंसाया गया है और जो पैसा था वह प्रीति के मंगेतर रिंकू का दिया हुआ था. इस बात में कोई दम नहीं था क्योंकि चेतन प्रीति को दिए गए पैसों का ब्यौरा मय सबूत के पुलिस को दे चुके थे. (देखें बॉक्स)

यानी रिंकू के साथसाथ प्रीति के मातापिता भी चेतन को ब्लैकमेलिंग में शामिल थे. फिर अकेली प्रीति को कैसे गुनहगार ठहराया जा सकता है. अब प्रीति और रमाकांत ब्लैकमेलिंग के आरोप में जेल में हैं और चेतन ने मुकम्मल बदनामी झेलने के बाद चैन की सांस ली है कि चलो पिंड छूटा.

शायद वे इकलौते शख्स होंगे जो मध्य प्रदेश के सेक्स स्कैंडल के आभारी होंगे, जिस के चलते वे पुलिस के पास जा कर ब्लैकमेलर्स गैंग से टकराने और निपटने की हिम्मत जुटा पाए.

लेकिन एक बात जिस से वे भी मुकर नहीं सकते, वह यह है कि शुरुआत में वे अपनी बेवकूफी और हवस के चलते प्रीति की प्रीत में फंसे थे. तब प्रीति की मंशा भी उन्हें ब्लैकमेल करने की नहीं, बल्कि सिर्फ मौजमस्ती की थी. लेकिन बाद में हालात ऐसे बनते गए कि उसे ब्लैकमेलिंग पर उतारू होना पड़ा. पिता को ठेकेदारी में घाटा और रिंकू का साथ भी इस खेल में अहम रहा.

यह सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेलिंग कांड दिलफेंक मर्दों के लिए एक सबक है, जो देह की चिकनी सड़क पर पांव रखते ही फिसल जाते हैं और फिर गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा अपनी करतूतें ढंकने के लिए ब्लेकमेलर्स पर लुटाने को मजबूर हो जाते हैं.

किस्तों में कंगाल हुआ करोड़पति 

जिस नाजायज रिश्ते को छिपाने के लिए चेतन ने 2 करोड़ रुपए प्रीति पर लुटा डाले, उसे देख लगता है कि अगर उन के पास और पैसा होता तो वे यूं ही लुटते रहते. लगता ऐसा भी है कि ब्लैकमेलिंग की घोषित शुरुआत 2015 से हुई, जिस का आभास चेतन को हो चला था, इसलिए वे प्रीति को दी जाने वाली रकम का हिसाबकिताब रखते थे और उन की हर मुमकिन कोशिश डिजिटल पेमेंट की होती थी, जिस से सनद रहे और वक्तबेवक्त काम आए और ऐसा हुआ भी.

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प्रीति बाद में इतनी जबरदस्ती पर उतारू हो गई थी कि उस ने चेतन की 3 कारें उड़ा ली थीं. इसी साल जनवरी में चेतन ने शंकर नगर स्थित अपना आलीशान मकान 1 करोड़ 42 लाख रुपए में प्रीति मारवाह को बेचा था, जिस में से अधिकतर पैसा उस उधारी को चुकाने में चला गया जो उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों से प्रीति को देने के लिए ली थी.

चेतन ने पुलिस को 46 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के सबूत दिए जो उन्होंने प्रीति के खाते में ट्रांसफर किए थे. इस के अलावा लगभग 30 लाख रुपए की ज्वैलरी वे उसे ब्लैकमेलिंग में दे चुके थे, जिसे पुलिस ने प्रीति के फ्लैट से जब्त भी किया.

घूमनेफिरने और होटलबाजी पर भी चेतन ने तबियत से पैसा फूंका था, जिस के चलते वे कंगाली के कगार पर आ गए थे. अगर यह मान भी लिया जाए कि 5 साल में उन्होंने अपनी अय्याशी पर करीब 2 करोड़ रुपए लुटाए, साथ ही वह ब्लैकमेलिंग के चक्कर में प्रीति पर सालाना 40 लाख रुपए खर्च कर रहे थे.

इस के बाद भी यह नाजायज रिश्ता छुपा नहीं रह सका, उलटे खुद चेतन को ही इसे उजागर करना पड़ा.

पुलिस के अलावा आम लोगों का भी यह अंदाजा सही लगता है कि कई पैसे वाले मर्द इस तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार हैं, लेकिन डर के चलते खामोश रहने मजबूर रहते हैं.

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

2 करोड़ की प्रीत: भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

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मनचाहा मजा दे कर प्रीति रायपुर से वापस बिलासपुर लौट तो गई लेकिन चेतन के दिल और जिंदगी में मुकम्मल खलबली मचा गई. जाने के बाद दोनों के बीच फोन और सोशल मीडिया पर बातचीत होती रही और दोनों उस रात की यादें और अनुभव साझा करते रहे.

फंसे फिर धंसते गए

चेतन का मन अब चैटिंग से नहीं भर रहा था, लिहाजा उस रात जैसा लुत्फ हर कभी उठाने के लिए वे खुद बिलासपुर जाने लगे. वे भी वहां के महंगे होटलों में ठहरते थे, इस से एक फायदा यह था कि ऐसे होटलों में कोई आप के प्राइवेट मामलों में दखल नहीं देता कि कौनकौन आजा रहा है और कमरे के अंदर क्या हो रहा है. प्रीति होटल के उन के रूम में आती थी दोनों मौजमस्ती भरा मनचाहा सेक्स करते थे और एकाध दो दिन बाद चेतन रायपुर लौट जाते थे.

जाने से पहले वे प्रीति को बेशकीमती तोहफे दिलाते थे और उस पर दिल खोल कर खर्च करते थे. यही प्रीति चाहती भी थी. उस का मकसद मुफ्त के मजे लेना और पैसा हथियाना था. लेकिन इस दौरान वह चेतन को यह अहसास जरूर कराती रहती थी कि वह कोई ऐसीवैसी बाजारू लड़की नहीं है, बस उसे तो उन से प्यार हो गया है.

चेतन के मन में कोई संशय न रहे इस बाबत भी प्रीति ने साफ कर दिया था कि वह जानती है कि उन की पत्नी है, छोटी सी बेटी है, अपनी इज्जत है, घरगृहस्थी और कारोबार है. वह इस में कभी अड़ंगा नहीं बनेगी, उसे तो बस अपने हिस्से का वक्त और प्यार चाहिए.

बिस्तर में कुलांचे भरने वाली प्रीति की यह अदा भी चेतन को आश्वस्त करती थी कि वह उन्हें चाहती है. खुद के बारे में भी वह बता चुकी थी कि उस के पिता मनेंद्रगढ़ में ठेकेदारी करते हैं और उन के पास पैसों की कोई कमी नहीं है.

वह चेतन को बताती थी कि तुम में जाने क्या है जो मैं कइयों को ठुकरा कर तुम पर मर मिटी. खैर, मर ही मिटी हूं तो जब तक तुम चाहोगे तुम्हारी रहूंगी और नहीं चाहोगे तो भी तुम्हारे नाम की माला जपती रहूंगी.

चेतन के पास पैसों की कोई कमी तो थी नहीं, कारोबार मुनाफे में चल रहा था लिहाजा लाख 2 लाख रुपए तो वे अपनी इस समर्पित प्रेमिका पर यूं ही उड़ा देते थे. देखा जाए तो प्रीति एक तरह से चेतन की रखैल बन गई थी. उधर चेतन को बेफिक्री यह थी कि इस से उन का कुछ नहीं बिगड़ रहा था, बल्कि स्वर्ग जैसा जो सुख मिल रहा था, उस का कोई मोल नहीं था. लिहाजा प्रीति पर पैसे लुटाने की तादाद बढ़ती जा रही थी.

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अब तक शायद प्रीति के मन में भी यही था कि जितना हो सके मालमत्ता लपेट लो बाद की बाद में देखी जाएगी. वह चेतन को अपने हुस्न जाल और सैक्सी अदाओं से फंसाए रखने का कोई टोटका नहीं छोड़ती थी. उस के लिए चेतन एक तरह से सोने का अंडा देने वाली मुर्गी था.

प्रीति की पैसों की जरूरत तो पूरी हो रही थी, लेकिन वह जानती थी यह अस्थाई है और अगर यह स्थाई हो जाए तो फिर जिंदगी भर कुछ नहीं करना पड़ेगा. इधर कालेज छोड़ने का वक्त भी नजदीक आ रहा था. ऐसे में अगर वह अनूपपुर वापस चली जाती तो चेतन के साथसाथ उस की दौलत भी छूट जाती.

लिहाजा उस ने एक दिन दुखी होने का नाटक करते हुए चेतन को वे बातें बता दीं जिन का अपना एक मकसद भी था. चेतन को भी यह जान कर झटका लगा कि अगर प्रीति घर वापस चली गई तो सब कुछ आज जैसा आसान नहीं रह पाएगा. लेकिन क्या किया जाए, इस का हल उन्हें नहीं सूझ रहा था.

प्लान के मुताबिक यह समस्या भी प्रीति ने ही यह कहते हुए दूर कर दी कि अगर तुम मुझे रायपुर में फ्लैट दिला दो तो मैं वहीं रह जाऊंगी. फिर हमारी मौजमस्ती में कोई अड़चन पेश नहीं आएगी. इस सुझाव पर चेतन को भी लगा कि सौदा घाटे का नहीं है क्योंकि अभी वे होटलों में ठहरने, खानेपीने और तोहफों पर जो खर्च कर रहे हैं, वह बच जाएगा और प्रीति से मिलने जाने में कोई डर नहीं रहेगा.

लिहाजा उन्होंने प्रीति को रायपुर के गायत्री नगर इलाके में 50 लाख रुपए का फ्लैट दिला दिया और अपनी एक हुंडई कार भी दे दी, जिस से उसे उन की गैरहाजिरी में घूमनेफिरने में कोई परेशानी न हो. प्रीति फ्लैट में शिफ्ट हो गई और चेतन के पैसों पर ऐश की जिंदगी गुजारने लगी. जब भी जरूरत होती वह चेतन से खर्च के नाम पर पैसे मांग लेती थी और चेतन भी मांगा हुआ पैसा उसे दे देते थे.

जिंदगी अब मजे से गुजर रही थी, चेतन का जब मन होता था तब वे प्रीति के साथ मौजमस्ती करने चले जाते थे. अब मन में रहासहा डर भी खत्म हो गया था. क्योंकि लंबे समय से वे यही कर रहे थे और किसी को हवा भी नहीं लगी थी. प्रीति भी इस बात का ध्यान रखती थी कि जब चेतन कारोबार में व्यस्त हों या फिर घर पर हों, तब उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना है.

मांबाप भी जान गए प्रीति की हकीकत

अब तक मांबाप से झूठ बोल कर तरहतरह के बहाने बनाने वाली प्रीति को अब अपना भविष्य गारंटीड दिख रहा था, इसलिए साल 2015 में उस ने अपनी मम्मीपापा को भी रायपुर बुला लिया. इन दोनों ने बेटी से उस की आलीशान जिंदगी के बारे में क्या पूछा और जवाब में उस ने क्या बताया यह तो पता नहीं, लेकिन उन की समझ यह जरूर आ गया था कि यह सब चेतन की मेहरबानियां हैं, लिहाजा जब यह नाजायज दामाद आए और प्रीति के बैडरूम में जाए तब उन्हें उन को डिस्टर्ब नहीं करना है.

चेतन के लिए यह सोने पे सुहागा जैसी बात थी, क्योंकि प्रीति अब परिवार सहित रह रही थी जो उन के लिए एक तरह का सुरक्षा कवच ही था.

चेतन प्रीति के लिए एक ऐसी एटीएम मशीन बन गया था जिस में वह अपनी सैक्सी अदाओं का पासवर्ड डाल कर मनचाहा पैसा निकाल लेती थी, जिस पर अब उस के मांबाप भी ऐश कर रहे थे.

अब तक चेतन प्रीति की प्रीत पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए उड़ा चुके थे और 5 साल का लंबा वक्त गुजर जाने के बाद उन्हें लगने लगा था कि प्रीति के चक्कर में अब व्यापार पहले सा नहीं चल रहा है और घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है.

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दूसरी ओर प्रीति की मांगें और फरमाइशें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही थीं. आखिर वह चेतन की ब्याहता पत्नी तो थी नहीं, जो इस और ऐसी बातों का खयाल रखती. उसे तो बस पैसों से मतलब था.

जब चेतन इस मतलब को और पूरा करने में असमर्थता जताने लगे तो प्रीति को समझ आ गया कि अब वक्त आ गया है कि आखिरी दांव खेला जाए. एक दिन जब चेतन ने उस के फ्लैट पर और पैसे देने से कुछ गिड़गिड़ाते और कुछ सख्ती दिखाते हाथ खड़े कर दिए तो प्रीति ने अपना असली रंग दिखाते हुए उन के सामने वे वीडियो दिखा दिए, जिन में दोनों तरहतरह से रतिक्रीड़ाएं करते नजर आ रहे हैं. ये वीडियो वक्तवक्त पर प्रीति छुपे कैमरे से बनाती रही थी.

चेतन के होश उस वक्त और फाख्ता हो गए, जब प्रीति ने खुली धौंस दे डाली कि अगर पैसे नहीं दिए तो ये वीडियो तुम्हारी पत्नी को दिखा दूंगी और पूरे रायपुर में वायरल भी कर दूंगी. मेरा जो बिगड़ेगा मैं भुगत लूंगी, तुम अपनी सोचो और बताओ क्या करना है.

अब चेतन की चेतना जागी कि वे सरासर ब्लैकमेल किए जा रहे हैं. साथ ही यह बात भी उन की समझ में आ रही थी कि कल तक रखैल की तरह खुशीखुशी तैयार रहने वाली प्रीति क्यों कुछ महीनों से उन से शादी करने को कह रही थी. वह जानती थी कि चेतन पत्नी, बच्ची और सामाजिक प्रतिष्ठा की वजह से कभी शादी के लिए तैयार नहीं होंगे, लिहाजा उन पर मानसिक दबाव बनाया जाए.

एंट्री रिंकू शर्मा की

आज नहीं तो कल, चेतन पैसे देना बंद कर देगा यह बात भी प्रीति को समझ आ गई थी. लिहाजा कुछ दिन पहले ही उस ने फेसबुक पर एक दूसरा मुर्गा खोज लिया था. इस नए आशिक का नाम था रिकचंद शर्मा उर्फ रिंकू. हरियाणा के इस कारोबारी को भी प्रीति ने वैसे ही फांसा था जैसे 6 साल पहले चेतन को फांसा था.

अब तक प्रीति चेतन को इतना निचोड़ चुकी थी कि यह करोड़पति कंगाली के कगार पर आ पहुंचा था. चेतन ने प्रीति की मांग पूरी करने के लिए रिश्तेदारों से भी पैसा उधार लिया था और व्यापारियों से भी. इतना ही नहीं, उन्होंने शंकरनगर के इलाके का अपना आलीशान मकान भी 1 करोड़ 42 लाख रुपए में बेच दिया था, जिस का बड़ा हिस्सा उधारी चुकाने में चला गया था.

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इस के बाद भी वह फाइनल सेटलमेंट के तौर पर आखिरी किस्त के 50 लाख रुपए की मांग कर यह भरोसा दिला रही थी कि इस के बाद वह विदेश चली जाएगी और फिर कभी चेतन को ब्लैकमेल नहीं करेगी.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

शक्की पति की मजबूर पत्नी: भाग 3

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दरअसल, 6 साल पहले रिंकू ने अपने 6 साथियों के साथ मिल कर एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. उस के बाद रिंकू ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उस ने ताबड़तोड़ कई बड़े अपराध किए. जल्द ही वह अपराध की दुनिया में कुख्यात हो गया. पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए उस पर बड़ा ईनाम रख दिया.

रिंकू के अपराधी बन जाने के बाद उस के घर वालों ने भी उसे अपनी जिंदगी और संपत्ति से बेदखल कर दिया. जब घर वालों ने रिंकू का परित्याग कर दिया तो उस ने उधर मुड़ कर नहीं देखा. वह रायपुर थाने के शास्त्रीनगर कालोनी में किराए का कमरा ले कर छिपछिपा कर रहने लगा.

अशोक को पता था कि उस के मना करने के बावजूद रिंकू घर आता है और घंटों तक कामना के पास रहता है. यह बात उसे नागवार लगती थी. वह नहीं चाहता था कि रिंकू उस के घर आए और पत्नी से मिले.

इसी बीच अशोक को कहीं से भनक लगी कि कामना और रिंकू के बीच लंबे समय से अवैध संबंध हैं. इसी के चलते रिंकू कामना से मिलने घर आता है और उस के साथ लंबा समय बिताता है.

रिंकू को ले कर पतिपत्नी के बीच विवाद हो गया. कामना ने पति को लाख सफाई दी कि रिंकू के साथ उस का कोई अनैतिक संबंध नहीं है, लेकिन वह इस बात पर यकीन करने के लिए तैयार ही नहीं था. हकीकत भी यही थी कि कामना और रिंकू के बीच कोई अवैध संबंध नहीं था.

पहले रिंकू को लगाया ठिकाने

अशोक के मन में रिंकू नाम की शक की चिंगारी भड़की तो वह शोलों का रूप लेती गई. शक की आग में जलते अशोक ने एक खतरनाक फैसला ले लिया. यह फैसला था रिंकू को रास्ते से हटाने का. उस ने कामना को इस की भनक तक नहीं लगने दी.

योजना के अनुसार, 3 नवंबर, 2018 को अशोक ने रिंकू को अपने जन्मदिन की पार्टी में सहस्त्रधारा रोड स्थित एक मित्र के आवास पर बुलाया, जहां पर रात में पार्टी हुई. उस पार्टी में अशोक के दोस्त दीपक शर्मा, उस का छोटा भाई गौरव शर्मा और परवेज उर्फ बसरू निवासी सरधना, मेरठ शामिल थे.

इस पार्टी में कामना को नहीं बुलाया गया था. दीपक, गौरव और परवेज 4 नवंबर की सुबह रिंकू को नौकरी दिलाने के बहाने अपने साथ ले कर राजस्थान चले गए. जाने के लिए अशोक ने उन्हें कार बुक करा दी थी. रास्ते में परवेज ने धोखे से रिंकू को शराब में जहर दे दिया.  बाद में उसे गला दबा कर मारने के बाद तीनों ने उस की लाश चुरू की झाडि़यों में फेंक दी और देहरादून लौट आए. रिंकू चूंकि घर से बेदखल था, इसलिए किसी ने उसे ढूंढने की कोशिश नहीं की.

अशोक ने कामना के आसपास से भले ही रिंकू नाम के कांटे को सदा के लिए निकाल फेंका था, लेकिन वह अब भी शक की आग में जल रहा था. अशोक के शक करने की बीमारी से दोनों के बीच मतभेद गहरा गए थे. एक छत के नीचे रहते हुए भी उन में बहुत कम बात होती थी, सिर्फ जरूरत भर की.

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इस बार अशोक को पता चला कि कामना का किसी फाइनेंसर के साथ चक्कर है. इसे ले कर उन के बीच जो बचेखुचे रिश्ते थे, वे भी खत्म हो गए. परिवार के टूटने से कामना बुरी तरह टूट गई थी. पति को उस ने लाख सफाई देनी चाही, लेकिन वह अपनी गृहस्थी बचाने में कामयाब नहीं हुई.

जो अशोक कभी उसे दिल की गहराइयों से चाहता था, उसी को कामना की सूरत से भी घृणा हो गई थी. बेइंतहा प्यार अब बेइंतहा नफरत में बदल गया था. 5 सालों के भीतर इश्क का आशियाना तिनकातिनका हो कर बिखर गया था. अकेलापन दूर करने के लिए अशोक के दिल में फिर से रेखा के लिए प्यार उमड़ आया. वह एक बार फिर रेखा की बांहों में जा गिरा. अशोक रेखा का पहला प्यार था, वह भी उसे भुला नहीं पाई थी. जब अशोक उस की पनाह में आया तो उस ने उसे दिल में जगह दे दी.

कामना से पति की यह बातें छिपी नहीं रह सकीं. जब उसे पति की सच्चाई पता चली तो घर में महाभारत छिड़ गया. गुस्से में आ कर अशोक ने यहां तक कह दिया कि जाह्नवी उस की बेटी नहीं है, बल्कि किसी और की नाजायज औलाद है. कामना को पति की यह बात दिल में चुभ गई. इस बात को ले कर दोनों के बीच खूब झगड़े हुए.

अशोक रोजरोज की चिकचिक से ऊब गया था और डिप्रेशन में रहने लगा था. अब कामना उसे फूटी आंख नहीं सुहाती थी. अंतत: उस ने पत्नी को रास्ते से हटाने की योजना बना डाली. उस ने 2 लाख में पत्नी की हत्या की सुपारी दे दी. यह काम मेरठ के कस्बा सरधना निवासी दीपक, गौरव और परवेज को करना था. योजना बनी कि घटना को अंजाम देने के बाद हत्या का दोष रिंकू के सिर मढ़ दिया जाएगा. पुलिस रिंकू की तलाश में मारीमारी फिरती रहेगी.

सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा था. गौरव शर्मा ने बतौर पेशगी अशोक से एक लाख रुपए ले लिए थे. बाद में उस ने उस से 50 हजार रुपए और लिए. उन रुपयों में से उस ने 30 हजार रुपए का एक रिवौल्वर खरीदा. 28 अगस्त, 2019 की शाम गौरव अपने साथियों दीपक और परवेज को ले कर मेरठ से देहरादून पहुंचा, लेकिन उस दिन सही मौका न मिलने से ये लोग अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके.

29 अगस्त की रात कामना घर का कामकाज निपटा कर बेटी के साथ जल्द सो गई थी. अशोक भी जल्दी घर आ गया था. पत्नी के गहरी नींद में डूबते ही अशोक ने करीब 11 बजे गौरव को फोन कर घर बुला लिया.

गुमराह नहीं हो पाई पुलिस

तीनों बदमाश एक होटल में कमरा ले कर ठहरे थे ताकि किसी को उन पर शक न हो. अशोक की ओर से हरी झंडी मिलते ही साढ़े 11 बजे दीपक शर्मा, गौरव शर्मा और परवेज अशोक के घर पहुंच गए. अशोक के घर में चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. गौरव ने देखा तो सहम गया. उस ने अशोक से कैमरे औफ करने के लिए कहा तो उस ने कैमरे बंद कर दिए.

खैर, अशोक ने तीनों को ड्राइंग रूम में बैठाया. गौरव ने उस से कामना के बारे में पूछा तो उस ने कमरे की ओर इशारा कर के बता दिया कि वह कमरे में सो रही है. उस के साथ बेटी भी सो रही है. उसे कुछ नहीं होना चाहिए. इशारे से अशोक ने उसे समझाया तो उस ने सिर हिला कर भरोसा दिया कि बच्ची को कुछ नहीं होगा.

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तीनों बदमाश दबे पांव उस कमरे में पहुंचे, जहां कामना गहरी नींद में सो रही थी. गौरव ने कमर से पिस्टल निकाला और उस के सिर के पीछे सटा कर ट्रिगर दबा दिया. गोली उस की दाईं आंख को चीरती हुई पार हो गई और बैड में जा धंसी. कुछ पल के लिए कामना हिली, फिर शांत हो गई.

पुलिस को गुमराह करने के लिए अशोक ने गौरव से उस पर भी फायर करने के लिए कह दिया था ताकि लगे कि बदमाश लूट की नीयत से घर में घुसे थे. विरोध करने पर उन्होंने कामना और उस के पति को गोली मार दी, जिस में कामना की मौत हो गई और यह बच गया. अशोक के कहने पर गौरव ने उसे पीछे से गोली मारी. गोली अशोक की पीठ और पेट को चीरती हुई दीवार में धंसी.

उस के बाद गौरव, दीपक और परवेज सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर उखाड़ अपने साथ ले गए ताकि पुलिस उन तक किसी भी कीमत पर न पहुंच सके, लेकिन वे अपने मकसद में सफल नहीं हो सके. पुलिस काल डिटेल्स और सर्विलांस के जरिए कातिलों तक पहुंच ही गई. अशोक ने रिंकू को फंसा कर पुलिस को उलझाने की जो तरकीब निकाली थी, वह धरी की धरी रह गई.

पुलिस ने रिंकू और कामना की हत्या के लिए दीपक शर्मा, गौरव शर्मा, अशोक रोहिल्ला और परवेज के खिलाफ हत्या और आपराधिक षडयंत्र रचने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. रिंकू की लाश का पता लगाने के लिए पुलिस तीनों आरोपियों दीपक, गौरव और परवेज को ले कर राजस्थान के चुरू गई, लेकिन उस की लाश नहीं मिल सकी.

शक की बीमारी ने न जाने कितनी गृहस्थियां उजाड़ी हैं. अशोक के साथ यही हुआ. अगर उस ने विवेक से काम लिया होता तो कामना जिंदा होती और वह जेल के बाहर. – रेखा और सुरेश परिवर्तित नाम है.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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शक्की पति की मजबूर पत्नी: भाग 2

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पूछताछ के दौरान पुलिस को अशोक यह नहीं बता सका कि रिंकू ने कामना की हत्या और उसे मारने की कोशिश क्यों की? आखिर कामना से उस की क्या दुश्मनी थी? अशोक के बयान ने पुलिस को उस पर शक करने को मजबूर कर दिया.

पुलिस सच की तलाश में जुटी थी और गहराई में जाने के लिए उस ने कामना और अशोक के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स खंगाली, जिस से यह पता लग सके कि घटना वाली रात दोनों ने किसकिस से बात की थी. इसी दरमियान मृतका कामना के भाई ने पुलिस को बहनोई अशोक के बारे में एक ऐसी चौंकाने वाली जानकारी दी, जिस ने जांच की दिशा ही बदल दी.

पुलिस ने जब अशोक के नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि घटना वाली रात उस की आखिरी बात मेरठ के सरधना निवासी दीपक शर्मा से हुई थी. उधर रिंकू वर्मा को पकड़ने के लिए भी पुलिस की खोजबीन जारी थी.

इस प्रयास में पुलिस ने रिंकू के कुछ साथियों को पकड़ लिया. उन से रिंकू के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई तो पता चला कि रिंकू सालों से नजर नहीं आया. किसी को भी उस का पता नहीं था.

रिंकू के साथियों से मिली जानकारी और कामना के भाई द्वारा बताई गई बातों से पुलिस को यकीन हो गया कि कामना की हत्या के पीछे उस के पति अशोक रोहिल्ला का ही हाथ है. पुलिस को अशोक के खिलाफ कई ठोस सबूत मिल गए थे. अब बस इंतजार था अशोक के स्वस्थ होने का.

2 दिनों बाद नेहरू कालोनी के थानेदार दिलबर नेगी सबूतों के साथ अस्पताल पहुंचे. अशोक आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट हो चुका था. थानेदार नेगी बात घुमानेफिराने की बजाए सीधेसपाट शब्दों में बोले, ‘‘तुम्हारा खेल खत्म हुआ अशोक. अब हमें बता दो कि तुम ने अपनी पत्नी की हत्या क्यों कराई? तुम तो जानते हो कि कानून के हाथ कितने लंबे होते हैं. तुम्हारे तीनों कमीने नगीने कानून के फंदे में फंस गए हैं.’’

हत्यारा अशोक ही था

एसओ नेगी की बात सुन कर अशोक को सांप सूंघ गया. वह अवाक सा दिलबर नेगी का मुंह ताकता रह गया. नेगी ने आगे कहा, ‘‘तुम्हारे बचने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. सारे सबूत तुम्हारे खिलाफ हैं. पुलिस को सच्चाई पता चल चुकी है.’’

अशोक को काटो तो खून नहीं, गरमी में भी चेहरा सर्द हो गया. वह समझ गया था कि पुलिस को सच्चाई का पता चल चुका है. झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं था. अंतत: उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया कि उस ने ही 2 लाख की सुपारी दे कर अपनी पत्नी की हत्या कराई थी. उस ने इस की जो कहानी सुनाई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी.

स्वास्थ्य लाभ होने तक पुलिस आरोपी अशोक रोहिल्ला को गिरफ्तार नहीं कर सकी. लेकिन उसे हिरासत में ले कर उस के इर्दगिर्द पुलिस बल बढ़ा दिया गया ताकि वह भाग न सके. कामना रोहिल्ला हत्याकांड की कहानी कुछ इस तरह सामने आई –

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35 वर्षीय अशोक रोहिल्ला मूलरूप से मेरठ के सरधना का रहने वाला था. वह देहरादून में रह कर ट्रांसपोर्ट का बिजनैस करता था. माल ढुलाई के लिए उस के पास कई निजी ट्रक थे. ट्रांसपोर्ट कारोबार में उसे अच्छी कमाई होती थी. अशोक के मांबाप और भाईबहन मेरठ में ही रहते थे. अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा वह घर खर्च में लगा देता था. उस का भरापूरा समृद्धशाली परिवार था. रुपएपैसों से भी और मानसम्मान से भी.

अशोक भाईबहनों में दूसरे नंबर का था. बचपन से ही मेहनतकश इंसान. मेहनत के बलबूते पर ही उस ने इतनी कम उम्र में बुलंदियों को छुआ था. पैसा आने के बावजूद उस में अभिमान नाम की कोई चीज नहीं थी. बड़ा हो या छोटा, वह सभी का सम्मान करता था.

कारोबार के चलते अशोक रोहिल्ला का ज्यादातर समय देहरादून में बीतता था. बात 2009 की है. देहरादून के जिस इलाके में अशोक का ट्रांसपोर्ट का कारोबार था, उस के औफिस के ठीक सामने एक दुकान पर पीसीओ था.

दुकान पर कभी औसत कदकाठी और साधारण शक्लसूरत की लड़की रेखा बैठती थी, तो कभी उस का भाई सुरेश. अशोक को जब भी कहीं बात करनी होती थी तो वह सुरेश के पीसीओ से ही बात करता था.

वह उस वक्त बात करने जाता था, जब वहां रेखा होती थी. धीरेधीरे अशोक और सुरेश के बीच दोस्ती हो गई. अशोक ने सुरेश से दोस्ती रेखा का सान्निध्य पाने के लिए की थी.

अशोक जवान था और खूबसूरत भी. उम्र के जिस पायदान पर वह खड़ा था, वहां किसी लड़की का सान्निध्य पाने की चाहत स्वाभाविक थी. रेखा जवान हो चुकी थी. उस के अंगअंग से कौमार्य की खुशबू आती थी. रेखा के कौमार्य की खुशबू जब अशोक के दिलोदिमाग तक पहुंची तो वह सुधबुध खो बैठा.

रेखा ने अशोक के मनोभावों को पढ़ लिया था. वह खुद भी सजीले जवान अशोक से प्रभावित थी. प्रेम का बीज दोनों के मन में अंकुरित हो गया था. अभी अशोक और रेखा दिल की जमीन पर मोहब्बत की फसल उगा ही रहे थे कि दोनों के बीच चुपके से एक नई कहानी ने जन्म ले लिया.

एक स्थाई ग्राहक कामना रेखा के पीसीओ पर अकसर बात करने आया करती थी. वह बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन उस में ऐसा कुछ जरूर था कि लोग उस की ओर आकर्षित हो जाते थे.

अशोक ने जब से कामना को देखा था, वह रेखा को भूल कर उस पर लट्टू हो गया था. जबकि अशोक अच्छी तरह जानता था कि कामना उस के दोस्त सुरेश की प्रेमिका है, फिर भी वह उसे जुनून की हद तक चाहने लगा. अशोक ने उसे हर हाल में अपनी बनाने की सोच ली.

अशोक रोहिल्ला बिजनैसमैन था. उस ने बिजनैसमैन वाला दिमाग इस्तेमाल किया. धीरेधीरे उस ने कामना को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की तो वह इस में सफल हो गया.

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अशोक ने कामना को बनाया जीवनसाथी

कामना के जिंदगी में आते ही अशोक ने रेखा से मुंह मोड़ लिया था. बहरहाल, अशोक कामना को और कामना उसे प्यार करने लगे. अशोक की बांहों में जाते ही कामना ने पहले प्रेमी सुरेश को अपनी जिंदगी से मक्खी की तरह निकाल दिया. प्रेमिका की बेवफाई को वह सहन न कर सका तो देहरादून छोड़ कर हमेशा के लिए कहीं और चला गया.

अशोक और कामना खुले आसमान में कुलांचे भरने लगे. मोहब्बत की डगर पर चलतेचलते दोनों ने एकदूसरे के बिना जीने की कल्पना ही छोड़ दी. 6 सालों तक लुकाछिपी का खेल खुल कर खेलने के बाद अशोक और कामना ने 2014 में कोर्टमैरिज कर ली.

अब दोनों प्रेमीप्रेमिका से पतिपत्नी बन गए. अदालती विवाह करने के बाद अशोक और कामना नेहरू कालोनी इलाके की पौश कालोनी कामना माता मंदिर रोड पर किराए का फ्लैट ले कर रहने लगे. बाद में दोनों के परिवार वालों ने उन्हें स्वीकार कर लिया और धूमधाम से दोनों की शादी संपन्न हुई.

अशोक का जमाजमाया कारोबार था. दिन में वह अपने काम पर चला जाता था. दूसरी ओर कामना अकेली घर में बोर हो जाती थी. कामना ने इस खाली वक्त का इस्तेमाल करने के लिए बुटीक खोलने का फैसला किया. इस बारे में उस ने अशोक से बात की तो उस ने भी हां कर दी और पैसा लगाने को भी तैयार हो गया.

बुटीक चलाने के लिए उसे जिस भी चीज की जरूरत होती, अशोक ला कर दे देता था. पति के सहयोग से कामना ने मोहल्ले में ही बुटीक खोल लिया. थोड़ी सी मेहनत के बाद उस का बुटीक चल निकला.

2 साल बाद कामना ने एक बेटी को जन्म दिया. दोनों ने बड़े लाड़प्यार से उस का नाम जाह्नवी रखा. जाह्नवी के आने से कामना की जिंदगी और व्यस्त हो गई थी. देखभाल के लिए बेटी को वह अपने साथ बुटीक ले आती थी.

अशोक और कामना की जिंदगी बड़े मजे से कट रही थी. पतिपत्नी दोनों कमा रहे थे. अशोक की बुआ का बेटा रिंकू उर्फ अजय वर्मा अकसर भाईभाभी से मिलने उन के घर आता था. इत्तफाक की बात यह थी कि वह जब भी आता था, उस की मुलाकात अशोक से नहीं हो पाती थी. क्योंकि वह काम के सिलसिले में घर से बाहर रहता था. देवर के रिश्ते को महत्त्व देते हुए कामना उस की खूब खातिरदारी करती थी.

जब अशोक को पता चला कि रिंकू उस की अनुपस्थिति में घर पर पत्नी से मिलने आता है, तो वह पत्नी पर भड़क गया. उस ने कामना से कहा कि जब भी वह घर आए तो उसे बैठाने के बजाए बाहर से ही विदा कर दिया करे. रिंकू अपराधी किस्म का इंसान है.

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पुलिस ने उस पर बड़ा ईनाम रख रखा है. उस की वजह से हम भी मुसीबत में आ सकते  हैं. कामना ने पति की बात सुन तो ली लेकिन उस पर अमल नहीं कर पाई. इस के बावजूद अशोक ने खुद भी साफतौर पर रिंकू को घर आने से मना कर दिया.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

शक्की पति की मजबूर पत्नी: भाग 1

देहरादून के ट्रांसपोर्टर अशोक रोहिल्ला का घर माता मंदिर रोड पर था, जो थाना नेहरू कालोनी क्षेत्र में आता था. रोहिल्ला परिवार में 3 ही सदस्य थे, खुद अशोक रोहिल्ला, उस की पत्नी कामना रोहिल्ला और 3 साल की बेटी जाह्नवी. कामना ने कालोनी में ही बुटीक खोल रखा था. जाह्नवी छोटी थी, इसलिए उसे वह दिन भर साथ रखती थी.

29 अगस्त, 2019 की बात है. रात गहराते ही अशोक और कामना खाना  खा कर सोने चले गए थे. जाह्नवी पहले ही सो चुकी थी. रात के 11 और 12 बजे के बीच अशोक के घर से 2 गोलियां चलने की आवाज आई. गोलियों की आवाज सुन कर पड़ोसी घबराए, उन्हें लगा कि लूटपाट के लिए अशोक के घर में बदमाश घुस आए हैं. अशोक या उस की पत्नी ने विरोध किया होगा, जिस की वजह से बदमाशों ने गोलियां चला दी होंगी.

हकीकत जानने के लिए एक पड़ोसी घर के बाहर निकला तो उस ने स्ट्रीट लाइट की रोशनी में देखा कि अशोक अपनी कार ड्राइव करते हुए कहीं जा रहा है. वह घबराया सा लग रहा था.

पासपड़ोस के लोग अशोक के घर के सामने एकत्र हो गए. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है. हकीकत जानने की उत्सुकता सभी के मन में थी, इसलिए हिम्मत कर के कुछ अशोक के घर के अंदर घुस गए. अंदर सभी लाइटें जल रही थीं.

घर का सारा सामान यथावत था. ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा था कि वहां कुछ हुआ है. उन लोगों ने अशोक के बैडरूम में झांका तो सन्न रह गए. बैड पर कामना की खून से लथपथ लाश पड़ी थी.

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उस के सिर से बहता खून फर्श पर फैलता जा रहा था. कामना के पास ही उस की बेटी जाह्नवी सोई थी. उस वक्त सभी को लगा कि कामना की हत्या अशोक ने ही की होगी, इसीलिए वह भाग गया.

लाश देखते ही अंदर गए लोग कमरे से बाहर आ गए. उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर घटना की सूचना दे दी. थोड़ी देर बाद नेहरू कालोनी थाने के थानेदार दिलबर नेगी पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर आ गए. उस वक्त रात का डेढ़ बजा था.

थानेदार दिलबर नेगी ने मौकाएवारदात का निरीक्षण किया. कमरे की एकएक चीज अपनी जगह मौजूद थी. खास बात यह थी कि इस हादसे से अनभिज्ञ कामना की बेटी जाह्नवी मां की लाश के पास सोई थी. देखने से ऐसा कतई नहीं लग रहा था कि वारदात को लूट, चोरी या डकैती के लिए अंजाम दिया गया था. क्योंकि ऐसा होता तो घर की सभी चीजें यथास्थिति में नहीं होतीं.

पुलिस को पड़ोसियों से पूछने पर पता चला कि कामना का पति अशोक गोली चलने के बाद तेजी से कार ले कर कहीं भाग गया था, जिसे एक पड़ोसी ने देखा था.

चकरा गई पुलिस

एसओ दिलबर नेगी ने घटना की सूचना सीओ (डालनवाला) जया बलूनी, एसपी (सिटी) श्वेता चौबे और एसएसपी अरुण मोहन जोशी को दे दी. घटना की सूचना मिलने के आधे घंटे के भीतर सीओ जया बलूनी और एसपी सिटी श्वेता चौबे मौके पर पहुंच गईं. जिस कमरे में बैड पर कामना की लाश पड़ी थी, उस से करीब 5 मीटर दूर बड़ी मात्रा में ताजा खून पड़ा था.

पुलिस ने इस से अनुमान लगाया कि संभव है गोली अशोक को भी लगी हो या फिर उस ने पत्नी की हत्या कर के खुद को गोली मार ली हो. यह भी सोचा गया कि लूटपाट की नीयत से कमरे में घुसे बदमाशों से हाथापाई के बीच गोली चली हो, जिस से गोली लगने से कामना की मौत हो गई हो और अशोक को गोली लगी हो.

क्राइम सीन देख कर पुलिस का दिमाग चकरा गया था. स्पष्ट तौर पर यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि मामला है क्या. अशोक के सामने आने पर ही असलियत सामने आ सकती थी. पुलिस अशोक का पता लगाने में जुटी थी.

पड़ोसियों से अशोक का मोबाइल नंबर मिल गया तो उसे फोन कर के उस की सही लोकेशन पूछी गई, उस ने बताया कि वह श्रीमंत इंदिरेश अस्पताल में भरती है. उस ने पुलिस को यह भी बताया कि लूट की नीयत से घर में घुसे बदमाशों ने पत्नी की हत्या कर के उसे भी पीठ में गोली मार दी थी.

अशोक रोहिल्ला की बातें पुलिस को हजम नहीं हुईं. पुलिस यह सोच कर परेशान थी कि बदमाशों ने गोली दोनों को मारी थी तो अशोक पत्नी को अस्पताल ले जाने के बजाए उसे घर पर ही छोड़ कर इलाज के लिए खुद अस्पताल क्यों चला गया?

मामला जरूर कुछ और था. जांचपड़ताल के बाद ही सच्चाई सामने आ सकती थी. रात में ही इस घटना की सूचना कामना के मायके वालों को दे कर उन्हें बुला लिया गया.

पुलिस अशोक की सच्चाई का पता लगाने के लिए श्रीमंत इंदिरेश अस्पताल पहुंची, जहां वह आईसीयू में भरती था. गोली लगने से उस के शरीर से काफी खून बह चुका था और उस की हालत गंभीर बनी हुई थी. अशोक ही एक ऐसा चश्मदीद था, जिस ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा था.

मतलब उस ने हत्यारे को अपनी आंखों से देखा था. संभव था कि हत्यारे ने अपनी पहचान छिपाने के लिए अशोक पर भी यह सोच कर गोली चलाई हो कि उस की मौत के बाद पुलिस उस तक कभी नहीं पहुंच पाएगी.

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अशोक रोहिल्ला जिंदा है, यह सोच कर पुलिस ने थोड़ी राहत की सांस ली. बहरहाल, मौके पर जांच में जुटी पुलिस ने एक बार फिर से कामना की लाश की पड़ताल की.

जांच के दौरान पता चला कि हत्यारे ने कामना को सिर के पीछे से गोली मारी थी. कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे, लेकिन डीवीआर मौके से नदारद थी. इस का मतलब था कि हत्यारा अपनी पहचान छिपाने के लिए डीवीआर भी साथ ले गया था ताकि पुलिस उस तक पहुंच न सके.

क्राइम सीन की पड़ताल से एक बात तो तय थी कि हत्यारा जो भी रहा हो, पेशेवर नहीं था. अगर वह पेशेवर होता तो अपना काम कर के भाग जाता, न कि डीवीआर साथ ले जाता. यानी हत्यारा जो भी था, रोहिल्ला परिवार को जानने वाला था.

दूसरे अगर वह कामना को गोली मारता तो सीधे उस के माथे पर जा कर लगती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ था. इस का मतलब कामना, उस के पति और बच्चे के अलावा कोई और भी वहां था, जिस ने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था.

कामना की बेटी उसी की बगल में सोई हुई थी. हत्यारे ने उस नन्ही सी जान को छुआ तक नहीं था. उस का जो भी मकसद रहा हो, उस का निशाना कामना और अशोक ही थे. एक की उस ने जान ले ली थी और दूसरा अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा था.

बहरहाल, पुलिस ने कानूनी काररवाई पूरी की. मृतका का भाई रमेश आ चुका था. पुलिस ने 3 साल की जाह्नवी को उसे सौंप दिया. कामना की लाश पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेज दी गई.

कागजी काररवाई पूरी करतेकरते सुबह के करीब साढ़े 4 बज गए थे. यह घटनाक्रम 29/30 अगस्त, 2019 की रात का था. 31 अगस्त को कामना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कामना को काफी नजदीक से गोली मारे जाने का उल्लेख था, लेकिन गोली उस के सिर में नहीं मिली थी. गोली दाईं आंख को चीरते हुए निकल गई थी, जबकि पुलिस को घटनास्थल से कोई गोली बरामद नहीं हुई थी.

अशोक का बयान जरूरी था

पुलिस अशोक के स्वास्थ्य की पलपल की जानकारी ले रही थी. उस के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा था. पुलिस को अशोक के आईसीयू से जनरल वार्ड में पहुंचने की प्रतीक्षा थी. पुलिस को आशंका थी कि हो सकता है हत्यारा उस पर दोबारा हमला करने की कोशिश करे. इसीलिए उस की सुरक्षा के लिए 24 घंटे 2 पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए. पहली सितंबर, 2019 को अशोक रोहिल्ला को आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया तो थानेदार दिलबर नेगी उस से पूछताछ करने इंदिरेश अस्पताल पहुंचे.

अब अशोक पूरी तरह खतरे से बाहर था. गोली उस के पेट को छूती हुई निकल गई थी. एसओ नेगी ने उस से घटना के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि 29 अगस्त की रात करीब साढ़े 11 बजे बुआ का बेटा रिंकू उर्फ अजय वर्मा उस से मिलने आया था. रिंकू अमन विहार, थाना रायपुर में रहता है. उस के साथ 2 और लोग थे.

रिंकू और उस के दोस्तों को ड्राइंगरूम में बैठा कर वह अंदर कमरे में चला गया. रिंकू के पानी मांगने पर वह किचन में पानी लेने चला गया. तभी रिंकू बैडरूम में गया और वहां 3 साल की बेटी के साथ सो रही कामना के सिर से रिवौल्वर सटा कर गोली मार दी.

गोली की आवाज सुन कर वह जैसे ही वहां पहुंचा तो रिंकू ने उस पर भी फायर झोंक दिया. गोली लगते ही वह जान बचा कर वहां से से भाग निकला और अस्पताल जा पहुंचा. उस के बाद क्या हुआ, उसे कुछ पता नहीं.

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रिंकू वर्मा का नाम सुनते ही पुलिस के हाथपांव फूल गए. वह रायपुर थाने का हिस्ट्रीशीटर था. उस के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास के कई मुकदमे दर्ज थे. पुलिस के लिए वह वांछित अपराधी था. उसे पकड़ने के लिए उस पर बड़ा ईनाम रखा गया था.

रिंकू अपने पास मोबाइल नहीं रखता था, इसलिए पुलिस उस तक नहीं पहुंच पा रही थी. दोहरे हत्याकांड ने एक बार फिर पुलिस की नाक में दम कर दिया.

अशोक रोहिल्ला के बयान के आधार पर पुलिस ने कामना रोहिल्ला की हत्या और अशोक की हत्या के प्रयास की धारा के साथ रिंकू उर्फ अजय वर्मा को नामजद कर रिपोर्ट रोजनामचे में दर्ज कर ली. रिंकू के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस उसे पकड़ने के लिए सक्रिय हो गई. अशोक के बयान को ले कर पुलिस फिर उलझ गई थी.

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गुनहगार पति: भाग 3

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लेकिन दिल तो दिल है, वह कब किस पर आ जाए, कोई नहीं जानता. जब अजितेश से रहा नहीं गया तो एक दिन उस ने भावना से दिल की बात कह दी, ‘‘भावना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारा प्यार पाने को मैं बेचैन हूं. तुम मेरे दिल में रचबस गई हो.’’

अजितेश की बात सुन कर भावना बोली, ‘‘अजितेश, तुम शादीशुदा हो. फिर मेरा प्यार क्यों पाना चाहते हो. रही बात प्यार की, वह मैं तुम्हें पहले से ही करती हूं.’’

‘‘दिव्या और मेरे प्यार के बीच दरार पड़ गई है. मैं उस से नफरत करने लगा हूं. दिव्या खूबसूरत जरूर है पर 3 साल बाद भी वह मां नहीं बन सकी.’’ वह बोला.

भावना आर्या अजितेश को पहले से ही प्यार करती थी. अत: जब उसे वजह पता चली तो उस ने उस का प्यार स्वीकार कर लिया. इस के बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों साथसाथ घूमने जाने लगे और लंच व डिनर साथ लेने लगे. जवानी के जोश में दोनों ने मर्यादा की दीवार भी गिरा दी. इतना ही नहीं, उन्होंने एक साथ रहने का भी फैसला कर लिया.

अजितेश और भावना के बीच नाजायज रिश्ता बना तो अजितेश घर में देरसवेर आने लगा. कभी वह पत्नी का बनाया हुआ खाना खाता तो कभी बिना खाए ही सो जाता. दिव्या कुछ कहती तो वह उस पर बरस पड़ता. दिव्या कहीं बाहर चल कर मूड फ्रैश करने को कहती तो मना कर देता.

अब उस ने दिव्या की फरमाइश पूरी करनी भी बंद कर दी थीं. दिव्या की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अजितेश को हो क्या गया है.

एक दिन अखिल घर आया तो दिव्या ने उसे अजितेश के दुर्व्यवहार के संबंध में बताया और लेट घर आने के बारे में पूछा.

अखिल ने पहले तो बात टालने का प्रयास किया, लेकिन जब दिव्या ने कसम दिलाई तो अखिल ने सच्चाई बता दी, ‘‘दीदी, भैया आजकल न्यूज चैनल में मेकअप आर्टिस्ट भावना आर्या के प्यार में उलझे हैं. वह उसी के साथ आजकल मौजमस्ती करते हैं.’’

अखिल की बात सुन कर दिव्या अवाक रह गई. उसे अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा. क्योंकि कोई भी औरत भूख, गरीबी तो सह सकती है, लेकिन पति का बंटवारा सहन नहीं कर सकती. तो भला दिव्या यह सब कैसे सहन कर लेती.

इसलिए उस ने अजितेश और भावना के अवैध संबंधों का विरोध करना शुरू कर दिया. इस विरोध के कारण घर में कलह होने लगी. लेकिन दिव्या के विरोध के बावजूद अजितेश ने भावना का साथ नहीं छोड़ा.

दिव्या पढ़ीलिखी और संस्कारवान थी, इसलिए उस ने अजितेश को प्यार से समझाया और पिता की इज्जत का वास्ता दिया. साथ ही भावना को भी उस ने आड़े हाथों लिया. उस ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई. दिव्या की खरीखोटी से भावना तिलमिला उठी. उस ने अजितेश से दिव्या की शिकायत की.

अक्तूबर के पहले सप्ताह में दिव्या नोएडा से अपनी ससुराल इटावा आ गई. दरअसल दिव्या की सास अपने बड़े बेटे के पास नासिक चली गई थी, अत: ससुर प्रमोद कुमार मिश्रा ने उसे घर की देखभाल के लिए बुलवा लिया था. घर में प्रमोद मिश्रा की बूढ़ी मां थीं, जिन की देखभाल के लिए दिव्या का वहां रहना जरूरी था.

दिव्या ससुराल जरूर आ गई थी, लेकिन वह अजितेश से मोबाइल पर संपर्क बनाए रखती थी. बातचीत के दौरान वह पति को भावना से दूर रहने की नसीहत देती रहती थी. अजितेश दिव्या को आश्वासन दे देता कि उस ने भावना से दूरी बना ली है. जबकि हकीकत इस के उलट थी. दोनों मस्ती में चूर थे.

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7 अक्तूबर, 2019 की दोपहर दिव्या ने पति को फोन किया तो फोन भावना ने रिसीव किया. दिव्या समझ गई कि भावना और अजितेश एक साथ रूम में हैं, अत: उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. दिव्या ने फोन पर ही भावना को खूब फटकारा और यहां तक कह दिया कि उस के शरीर में ज्यादा गरमी है तो कोठे पर क्यों नहीं बैठ जाती.

तीखी नोकझोंक के बाद दिव्या ने  फोन बंद कर दिया. चंद मिनट बाद ही दिव्या के पास अजितेश का फोन आ गया. उस ने दिव्या को फटकार लगाते हुए कहा कि उसे भावना से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी.

दिव्या के व्यंग बाणों से भावना का दिल छलनी हो गया था. उस ने उसी दिन निश्चय कर लिया कि अब या तो दिव्या अजितेश के साथ रहेगी या फिर वह.

उस ने इस बारे में अजितेश से बात की, ‘‘देखो अजितेश, एक म्यान में दो तलवारें कभी नहीं रह सकतीं. दिव्या और मैं भी एक साथ नहीं रह सकते. इसलिए अब तुम्हें हम दोनों में से किसी एक को चुनना होगा. 2 दिन बाद तुम मुझे अपने निर्णय से अवगत करा देना.’’

अजितेश भावना के प्यार में आकंठ डूबा था. उस ने पत्नी के बजाए प्रेमिका को चुना. 2 दिन बाद भावना मिली तो उस ने उसे अपने निर्णय से अवगत करा दिया. इस के बाद अजितेश और भावना ने सिर से सिर जोड़ कर दिव्या की हत्या का षडयंत्र रचा.

इस षडयंत्र में अजितेश ने रुपयों का लालच दे कर दोस्त अखिल कुमार को भी शामिल कर लिया. दरअसल दिव्या अखिल को अपना मुंहबोला भाई मानती थी और उस पर विश्वास भी करती थी. इस नाते अखिल दिव्या तक आसानी से पहुंच सकता था.

योजना के तहत अजितेश ने एक नया सिम और मोबाइल खरीद कर अखिल कुमार को दे दिया. साथ ही इस नए मोबाइल पर ही बात करने को कहा. हत्या की पूरी योजना समझाने के बाद 14 अक्तूबर, 2019 की सुबह अजितेश ने अखिल को दिव्या की हत्या करने के लिए बस द्वारा इटावा भेज दिया.

लालच में अखिल हो गया हत्या करने को तैयार

लगभग 7 घंटे का सफर तय करने के बाद दोपहर 12 बजे अखिल कुमार इटावा पहुंच गया. इस बीच अजितेश अपनी पत्नी दिव्या और पिता प्रमोद से मोबाइल पर बात करता रहा ताकि दोनों की लोकेशन मिलती रहे. इस लोकेशन से अजितेश अखिल को भी अवगत कराता रहा.

लगभग एक बजे अखिल कुमार कटरा बलसिंह स्थित दिव्या के मकान पर पहुंचा और डोरबेल बजा दी. दिव्या ने तीसरी मंजिल से नीचे झांक कर देखा तो गेट पर उस का मुंहबोला भाई अखिल खड़ा था.

वह उसे देखते ही खुश हो गई और नीचे उतर आई. गेट खोल कर वह अखिल को अपने कमरे में ले आई. उस समय दिव्या के ससुर प्रमोद कुमार घर पर नहीं थे. वह स्कूल के कार्यक्रम में गए थे और बूढ़ी ददिया सास सो रही थीं.

दिव्या ने 2 कप चाय बनाई और अखिल के साथ चाय पीने लगी. इस बीच उस ने अपनी शादी का एलबम अखिल को दिखाया तथा अखिल से कहा कि वह अपने भाई को समझाए कि वह भावना के प्यार के जाल में न फंसे. लेकिन अखिल तो कुछ और ही सोच रहा था. उस की निगाह कमरे में रखे चीनी मिट्टी के फूलदान पर पड़ी. मौका पाते ही उस ने फूलदान उठाया और दिव्या के सिर पर दे मारा.

फूलदान के प्रहार से दिव्या का सिर फट गया. फिर दिव्या को समझते देर नहीं लगी कि अखिल को उस की हत्या के लिए भेजा गया है. इसलिए बचाव के लिए वह अखिल से भिड़ गई लेकिन अधिक खून बहने से वह बेहोश हो कर गिर पड़ी. इस बीच अखिल ने अजितेश को मैसेज भेजा कि दिव्या की सांसें चल रही हैं.

इस पर अजितेश ने मैसेज का जवाब दिया कि सांसें थाम दो. तब अखिल ने दिव्या का सिर जमीन पर पटकपटक कर सांसें थाम दीं. दिव्या की हत्या करने के बाद वह आराम से गेट खोल कर घर से निकल गया. बस स्टाप पहुंच कर वह नोएडा के लिए रवाना हो गया.

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इधर 2 बजे प्रमोद कुमार मिश्रा घर आए. उन्होंने खाना देने के लिए दिव्या को आवाज दी तथा फोन भी लगाया. लेकिन कोई रिस्पौंस नहीं मिला. तब उन्हें लगा कि शायद बहू सो गई है. तब वह भी आराम करने के लिए बिस्तर पर लेट गए.

एक घंटे बाद वह जागे तो मेनगेट खुला था. वह समझ गए कि घर के अंदर कोई आयागया है. पता करने के लिए वह कमरे में पहुंचे तो बहू दिव्या खून से लथपथ पड़ी थी.

हत्यारोपी अजितेश मिश्रा, अखिल कुमार तथा भावना आर्या से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें 18 अक्तूबर, 2019 को इटावा कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट श्री जे.पी. शर्मा की अदालत में पेश किया, जहां से तीनों को जिला कारागार भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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गुनहगार पति: भाग 2

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अब तक पुलिस टीम को दिव्या की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक दिव्या की मौत सिर में गंभीर चोट लगने से हुई थी. उस का गला भी कसा गया था. बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई थी, फिर भी स्लाइड बना ली गई थी.

पुलिस टीम को मृतका के पति पर शक था. अत: पुलिस टीम ने अजितेश और दिव्या के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर गहनता से छानबीन की तो पता चला अजितेश 4 मोबाइल नंबरों पर ज्यादा बातें करता था, जिस में एक नंबर उस की पत्नी दिव्या का था, दूसरा उस के पिता प्रमोद मिश्रा का था. तीसरे और चौथे नंबर संदिग्ध थे.

इन संदिग्ध नंबरों के विषय में पूछने पर अजितेश ने बताया कि ये नंबर एफएम टीवी न्यूज चैनल में उस के साथ काम करने वाली भावना आर्या तथा दोस्त अखिल कुमार के हैं. इस में भावना आर्या के फोन पर अजितेश की लगभग हर रोज बातें होती थीं.

टीवी चैनल की मेकअप आर्टिस्ट से था चक्कर

कहीं भावना व अजितेश के बीच नाजायज संबंधों का मकड़जाल तो नहीं? इस की जानकारी करने पुलिस टीम 16 अक्तूबर, 2019 को एफएम टीवी न्यूज चैनल के सेक्टर-63 नोएडा स्थित औफिस पहुंची और कई लोगों से पूछताछ की. पता चला कि भावना आर्या और अजितेश के बीच कुछ ज्यादा ही गहरे प्रेम संबंध हैं.

इन संबंधों के कारण पतिपत्नी के बीच तनाव बढ़ गया था. अखिल दोनों के प्यार की धुरी बना हुआ था. यह जानकारी भी मिली कि अजितेश की पत्नी दिव्या अखिल को अपना मुंहबोला भाई मानती थी और उसे राखी बांधती थी.

यह पता चलते ही पुलिस टीम ने भावना आर्या और अखिल कुमार को उन के कार्यालय से हिरासत में ले लिया और उन्हें ले कर इटावा आ गई. पुलिस ने सिविल लाइंस कोतवाली में अजितेश को भी बुलवा लिया. अजितेश का सामना भावना आर्या और अखिल से हुआ तो उस का चेहरा फीका पड़ गया.

पुलिस टीम ने सब से पहले अखिल से पूछताछ की. अखिल पहले तो पुलिस टीम को बरगलाता रहा और कहता रहा कि दिव्या उस की मुंहबोली बहन थी. भला एक भाई अपनी बहन की हत्या कैसे कर सकता है.

लेकिन जब पुलिस टीम ने उस पर सख्ती की तो वह टूट गया. उस ने दिव्या की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि हत्या का षडयंत्र अजितेश और उस की प्रेमिका भावना आर्या ने रचा था. पैसों का लालच दे कर उसे दिव्या की हत्या के लिए इटावा भेजा गया था. अखिल ने स्वीकार कर लिया कि दिव्या की हत्या उस ने ही की थी.

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अखिल के बाद अजितेश और भावना ने भी जुर्म कबूल कर लिया. भावना ने बताया कि वह अजितेश से प्यार करती थी. दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन अजितेश की पत्नी दिव्या उस के प्यार में बाधक थी, इसलिए षडयंत्र रच कर उस को मरवा दिया.

अजितेश ने बताया कि उस की शादी को 3 वर्ष बीत चुके थे, लेकिन दिव्या संतान सुख नहीं दे पाई, जिस से वह उस से दूर भागने लगा. इसी बीच साथ काम करने वाली भावना से उस की दोस्ती हुई. दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों शादी करने को राजी हो गए. लेकिन इस में पत्नी दिव्या दीवार बन गई थी, इसलिए उसे रास्ते से हटा दिया गया.

न्यूज एंकर और उस की प्रेमिका ने स्वीकारा जुर्म

पुलिस टीम ने दिव्या हत्याकांड का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा को दे दी. मिश्राजी ने आननफानन में प्रैसवार्ता आयोजित कर अभियुक्तों को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. प्रैसवार्ता में एसएसपी ने घटना का खुलासा करने वाली टीम को 15 हजार रुपए पुरस्कार देने की भी घोषणा की.

चूंकि कातिलों ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था, अत: पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 120बी के तहत अजितेश मिश्रा, भावना आर्या तथा अखिल कुमार सिंह को नामजद कर के उन्हें विधिसम्मत बंदी बना लिया. पुलिस जांच से पति द्वारा पत्नी की हत्या किए जाने की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

उत्तर प्रदेश के इटावा शहर के सिविल लाइंस थाना अंतर्गत एक मोहल्ला कटरा बलसिंह पड़ता है. शहर के बीचोंबीच स्थित इस मोहल्ले में प्रमोद कुमार मिश्रा अपने परिवार के साथ रहते थे.

उन के परिवार में पत्नी सुधा के अलावा 3 बेटे थे, जिस में अजितेश सब से छोटा था. प्रमोद कुमार मिश्रा कर्वा खेड़ा जनता माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे, किंतु अब रिटायर हो चुके थे. मोहल्ले में उन की अच्छी प्रतिष्ठा थी. उन का अपना 3 मंजिला मकान था. उन की आर्थिक स्थिति भी मजबूत थी.

प्रमोद कुमार मिश्रा स्वयं उच्चशिक्षा प्राप्त थे, अत: उन्होंने तीनों बेटों को उच्चशिक्षा दिलाई थी. उन के 2 बेटे पढ़लिख कर नासिक में नौकरी करने लगे थे. उन्होंने दोनों बेटों की शादी भी अच्छे घरानों में की थी. होली दीवाली जैसे बड़े त्यौहारों पर बेटेबहू इटावा आते थे और घर में खुशियां मनाते थे.

अजितेश अपने अन्य भाइयों की अपेक्षा ज्यादा स्मार्ट तथा तेजतर्रार था. अजितेश पढ़लिख कर एफएम टीवी न्यूज चैनल नोएडा में काम करने लगा था. वह वहां न्यूज एंकर था. अजितेश कमाने लगा तो प्रमोद मिश्रा ने उस की शादी इटावा की ही फ्रैंड्स कालोनी निवासी राजीव तिवारी की बेटी दिव्या से सन 2015 में कर दी. दिव्या एमए की पढ़ाई कर रही थी. दिव्या बेहद खूबसूरत थी.

खूबसूरत पत्नी पा कर जहां अजितेश खुश था, वहीं उस के मातापिता भी फूले नहीं समा रहे थे. दिव्या ने ससुराल आते ही घर संभाल लिया था. वह पति का तो खयाल रखती ही थी, सासससुर की सेवा में भी कोई कोरकसर नहीं छोड़ती थी. वह अपनी ददिया सास का भी पूरा खयाल रखती थी.

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दिव्या कुछ महीने ससुराल में रही, उस के बाद नोएडा चली गई और पति अजितेश के साथ रहने लगी. दिव्या और अजितेश का वैवाहिक जीवन सुखमय बीतने लगा. अजितेश को जब समय मिलता, वह दिव्या को सैरसपाटे के लिए भी ले जाता था.

दिव्या अखिल को मानती थी भाई

दिव्या के नोएडा स्थित घर पर अखिल कुमार सिंह का आनाजाना लगा रहता था. अखिल कुमार दिव्या के पति अजितेश के साथ चैनल में काम करता था. दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी.

अखिल दिव्या को बहन मानता था. दिव्या ने भी उसे मुंहबोला भाई बना लिया था. अखिल मूलरूप से अमर नगर, फरीदाबाद का रहने वाला था और अजनारा हाउस, ग्रेटर नोएडा में रहता था. दिव्या अखिल को अपना विश्वासपात्र मानती थी.

सुखमय जीवन व्यतीत करते 3 साल कब बीत गए, इस का अजितेश और दिव्या को पता ही नहीं चला. लेकिन इन 3 सालों में दिव्या मां नहीं बन सकी थी. जहां दिव्या के मन में गोद सूनी होने का दर्द था तो वहीं अजितेश के मन में भी मलाल था कि वह अभी तक बाप नहीं बन सका.

ऐसा नहीं था कि दिव्या ने अपना इलाज न कराया हो पर वह संतान सुख प्राप्त नहीं कर सकी थी. दिव्या जब भी ससुराल जाती तो सास उसे टोकती, ‘‘बहू, तू खुशखबरी कब देगी. खुशखबरी सुनने के लिए मेरे कान तरस रहे हैं.’’

दिव्या लजातेसकुचाते हुए सास को जवाब दे देती. धीरेधीरे अजितेश के मन में यह बात घर कर गई कि शायद दिव्या अब कभी मां नहीं बन पाएगी. इस टीस ने दोनों के प्यार में दरार पैदा कर दी. अब अजितेश दिव्या से दूर भागने लगा. मन ही मन वह उस से नफरत करने लगा.

अजितेश और भावना इस तरह आए नजदीक

उन्हीं दिनों अजितेश की नजर खूबसूरत भावना आर्या पर पड़ी. भावना आर्या के पिता ललित नारायण आर्या नई दिल्ली स्थित नैशनल स्टेडियम में नौकरी करते थे. भावना आर्या उन की लाडली बेटी थी. वह पढ़ीलिखी और तेजतर्रार थी. भावना भी एमएम टीवी न्यूज चैनल में मेकअप आर्टिस्ट थी. अजितेश और भावना एकदूसरे को अच्छी तरह से जानते थे. अकसर दोनों के बीच बातें होती रहती थीं.

इन्हीं बातों के चलते अजितेश भावना को चाहने लगा. वैसे तो वह कई सालों से उसे देखता आ रहा था, लेकिन उस के मन में भावना के प्रति प्यार तब जागा, जब संतान न होने पर पत्नी से उस की दूरियां बढ़ीं.

टीवी चैनल में मेकअप आर्टिस्ट होने की वजह से भावना का रहनसहन और व्यवहार उसी तरह का हो गया था. वह बनसंवर कर घर से आती थी तो देर रात को ही घर लौटती.

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भावना की खूबसूरती अजितेश को अपनी ओर आकर्षित करने लगी थी. दिल के हाथों मजबूर अजितेश भावना का सामीप्य पाने को बेचैन रहने लगा था. इस के लिए वह भावना से नजदीकियां बढ़ाने लगा था, लेकिन वह उस से दिल की बात कह नहीं पा रहा था.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

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गुनहगार पति: भाग 1

उस दिन अक्तूबर 2019 की 14 तारीख थी. इटावा कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अनिलमणि त्रिपाठी अपने कार्यालय में बैठे थे. शाम करीब 4 बजे एक उम्रदराज व्यक्ति उन के पास आया. उस के चेहरे से भय व दुख साफ झलक रहा था. त्रिपाठी ने उसे सामने पड़ी कुरसी पर बैठने का इशारा किया फिर पूछा, ‘‘आप कुछ परेशान दिख रहे हैं. बताइए, क्या बात है?’’

‘‘सर, मेरा नाम प्रमोद कुमार मिश्रा है और मैं शहर के कटरा बलसिंह मोहल्ले में रहता हूं. मेरी बहू दिव्या मिश्रा की किसी ने हत्या कर दी है.’’ उस ने बताया.

शहर के बीचोंबीच स्थित मोहल्ले में दिनदहाड़े महिला की हत्या की बात सुन कर कोतवाल अनिलमणि त्रिपाठी चौंक पड़े. उन्होंने महिला की हत्या की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी, फिर आवश्यक पुलिस के साथ कटरा बलसिंह मोहल्ला स्थित प्रमोद कुमार मिश्रा के मकान पर पहुंच गए.

उस समय घर के बाहर भीड़ जुटी थी. प्रमोद कुमार मिश्रा कोतवाल को तीसरी मंजिल पर स्थित उस कमरे में ले गए, जहां उन की बहू दिव्या की लाश पड़ी थी. लाश खून से लथपथ थी.

उस के सिर के पिछले भाग में चोट का गहरा निशान था. लाश के पास ही चीनी मिट्टी का बना फूलदान टूटा पड़ा था. संभवत: उसी गुलदस्ते से प्रहार कर उस की हत्या की गई थी. कमरे का सामान अस्तव्यस्त था. देखने से प्रतीत होता था कि दिव्या ने हत्यारे से संघर्ष किया था.

कोतवाल अनिलमणि त्रिपाठी अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एएसपी (सिटी) डा. रामयश सिंह, एएसपी (ग्रामीण) रामबदन सिंह तथा सीओ चंद्रपाल सिंह वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक तथा डौग स्क्वायड टीम को भी मौके पर बुला लिया.

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पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. इसी दौरान अधिकारियों ने मृतका की देह में कुछ हरकत महसूस की. जीवित होने की संभावना पर दिव्या को आननफानन में जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया.

फोरैंसिक टीम ने जहां घटनास्थल की गहन जांच कर फिंगरप्रिंट लिए, वहीं खोजी कुत्ता घटनास्थल पर पड़े खून को सूंघ कर कमरे में चक्कर लगाता रहा फिर मकान के नीचे उतरा और लडैती भवन तक गया. उस के बाद वापस आ गया. खोजी कुत्ता मददगार साबित नहीं हुआ.

पुलिस अधिकारियों को पूछताछ से पता चला कि दिव्या मिश्रा, टीवी एंकर अजितेश मिश्रा की पत्नी थी. घटना के समय अजितेश मिश्रा नोएडा में था. पिता प्रमोद मिश्रा ने फोन कर के उसे दिव्या की मौत की सूचना दे दी.

प्रमोद ने दिव्या के मायके वालों को भी उस की मौत की खबर दे दी थी. खबर पा कर दिव्या का भाई, पिता, नानी आदि जिला अस्पताल पहुंच गए. सब दिव्या की मौत पर आंसू बहा रहे थे.

जिला अस्पताल में सिटी मजिस्ट्रैट सत्येंद्र नाथ पांडेय की उपस्थिति में दिव्या के शव का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. रात 10 बजे शव का पोस्टमार्टम डा. पल्लवी दीक्षित, डा. उदय प्रताप तथा डा. ऋषि यादव ने किया. लेकिन पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को नहीं सौंपा गया. क्योंकि पुलिस को अभी कुछ और जांच करनी थी. हालांकि शव लेने मृतका का पति अजितेश आ गया था.

दरअसल, उस दिन एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा विभाग की लखनऊ में आयोजित की गई क्राइम मीटिंग में गए थे. वापस आने पर उन्हें हत्याकांड की जानकारी हुई तो वह रात 10 बजे घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने पुन: फोरैंसिक टीम को बुलाया और जांच कराई.

मिश्रा रात 2 बजे तक घटनास्थल पर रहे और एकएक बिंदु की बारीकी से जांच की. जांच प्रभावित न हो इसलिए दिव्या का शव परिजनों को नहीं सौंपा गया था. उन के द्वारा जांच कराए जाने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया.

शव का दाह संस्कार करने के बाद प्रमोद कुमार मिश्रा सिविल लाइंस कोतवाली पहुंचे और अज्ञात के खिलाफ बहू की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. एसएसपी ने इस हाईप्रोफाइल केस की जांच के लिए सीओ (सिटी) चंद्रपाल सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई. विशेष टीम में कोतवाल अनिलमणि त्रिपाठी, स्वाट टीम प्रभारी सत्येंद्र सिंह यादव के अलावा तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का एक बार फिर से निरीक्षण किया, फिर घर के मुखिया प्रमोद कुमार मिश्रा से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि वह कर्वा खेड़ा जनता माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे, जहां से एक साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे. घर में पत्नी के अलावा बहू दिव्या मिश्रा तथा बूढ़ी मां रहती थी. पत्नी कुछ दिन पहले बड़े बेटे के पास चली गई थी.

स्कूल से सेवानिवृत्त होने के बाद प्रमोद कुमार सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहने लगे थे. वह सुबह 11 बजे नाश्ता कर के घर से निकलते, फिर डेढ़दो बजे तक घर वापस आते थे. शाम को फिर 5 बजे घर से निकलते और रात 8 बजे घर वापस आ जाते थे. उन के कमरे का दरवाजा बाहर की ओर खुलता था. उसी से वह आतेजाते थे. मकान के मुख्य दरवाजे से उन का ज्यादा वास्ता नहीं रहता था.

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14 अक्तूबर, 2019 को वह 11 बजे नाश्ता कर के घर से कर्वा खेड़ा स्कूल जाने को निकले. स्कूल स्टाफ ने उन्हें किसी जरूरी काम के लिए बुलाया था. स्कूल का काम निपटा कर वह अपराह्न लगभग 2 बजे घर आए. उन्होंने खाना देने हेतु बहू दिव्या को आवाज लगाई, लेकिन बहू ने कोई जवाब नहीं दिया. फिर उन्होंने उस से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की, लेकिन उस ने मोबाइल रिसीव नहीं किया. इस से उन्हें लगा कि शायद बहू सो गई है. वह भी आराम करने लगे.

लगभग 3 बजे उन की आंखें खुलीं तो निगाह मेनगेट पर चली गई, जो खुला हुआ था. वह समझ गए कि घर में किसी का आनाजाना हुआ है. घर में कौन आयागया, यह पता लगाने के लिए वह तीसरी मंजिल पर पहुंचे. बहू दिव्या का कमरा खुला था. उन्होंने आवाज लगाई. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. तब उन्होंने कमरे में प्रवेश किया.

कमरे के अंदर का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. बहू दिव्या फर्श पर खून से लथपथ पड़ी थी. फूलदान टूटा हुआ था. चिल्लाते हुए वह बाहर आए और पड़ोसियों को जानकारी दी. उस के बाद वह थाने पहुंचे.

प्रमोद मिश्रा की बात सुनने के बाद सीओ चंद्रपाल सिंह ने पूछा, ‘‘आप को किसी पर शक है? या फिर आप के घर किसी विशेष व्यक्ति का आनाजाना था?’’

‘‘सर, दिव्या किसी अनजान व्यक्ति के लिए गेट नहीं खोलती थी. मेरी गैरमौजूदगी में अगर कोई आता भी था तो वह यह कह कर वापस कर देती थी कि पापा घर पर नहीं हैं.’’

‘‘हत्या कहीं लूट के इरादे से तो नहीं की गई?’’ सीओ चंद्रपाल सिंह ने उन से पूछा.

‘‘नहीं सर, घर में लूट नहीं हुई. घर का कीमती सामान, आभूषण तथा नकदी सब सुरक्षित है. मैं ने सब चैक कर लिया है.’’ प्रमोद मिश्रा ने बताया.

पति आया शक के दायरे में घर में घटना के समय प्रमोद मिश्रा की वृद्ध मां मौजूद थीं. वह चलनेफिरने और बोलनेचालने में भी लाचार थीं. उन्हें दिखाई भी कम देता था. ऐसी स्थिति में पुलिस ने उन से पूछताछ करना उचित नहीं समझा.

पुलिस टीम ने प्रमोद मिश्रा के पड़ोसियों से भी पूछताछ की. लेकिन हत्या के संबंध में वह कोई जानकारी नहीं दे सके. टीम ने मृतका दिव्या के भाई सचिन कुमार तथा अन्य परिजनों से पूछताछ की, लेकिन वह भी कोई खास जानकारी नहीं दे पाए.

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दिव्या का पति अजितेश मिश्रा पुलिस टीम को जांच में सहयोग नहीं कर रहा था. टीम के सदस्य जब भी उस से पूछताछ करने की कोशिश करते, वह बेहोश हो जाने का नाटक करता. उस के इस नाटक से पुलिस टीम को शक हुआ. वैसे भी पुलिस टीम को किसी करीबी पर ही शक था.

अत: पुलिस टीम ने कुछ सख्त रुख अपनाया. तब वह बोला, ‘‘सर, दिव्या को मैं बेहद प्यार करता था. वह भी मुझे बहुत चाहती थी. वह मेरे साथ नोएडा में ही रहती थी. कुछ दिनों पहले मेरी मां जब बड़े भाई के पास नासिक चली गईं, तब मैं ने ही दिव्या को अपनी दादी और पापा की देखभाल के लिए नोएडा से घर भेज दिया था. पता नहीं मैं ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो उन्होंने मेरी पत्नी को मुझ से छीन लिया. पत्नी के जाने के बाद मेरा तो जीवन ही बरबाद हो गया.’’

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

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