गाइनिकोमेस्टिया: मैन बूब्स होने के क्या है कारण, जानें

मेन बुब्स या गाइनिकोमेस्टिया एक ऐसी समस्या है जो आज कल काफी पुरुषों में देखी जाने लगी हैं इस समस्या का मुख्य कारण एस्ट्रोजन और टेस्टासिटरौन हार्मोन के असन्तुलन से होता हैं. समय रहते अगर आप डाक्टर से सलाह ले लेते है तो इस समस्या से निजाद मिल जाता हैं. पुरुषों में स्तन के टिशु बहुत कम मात्रा में होते हैं, जबकि स्त्रियों में किशोरावस्था ये हार्मोन के प्रभाव से अच्छी तरह विकसित होते हैं. लोग इस समस्या को मेडिकली ना लेकर इसे किसी दूसरी चीजों से जोड़ देते हैं. जिससे ना चाहते हुए भी हम शर्मिंदगी महसूस करते हैं. हालांकि ये स्त्रियों जैसे बड़े नहीं होते नहीं होते लेकिन फिर भी आकार में परिवर्तन होने के कारण ये सभी की नजरों में आले लगते हैं. कुछ ऐसी चीजें जिसे आप अनुबव कर सकते है- छाती फूलना, स्तन ग्रन्थि के टिशुओं में सूजन, स्तन टिशू में चमड़ी फैलने से दर्द हो सकता है जोकि इंटर्नल इन्फेक्शन को भी दर्शाता हैं.

क्या है कारण गाइनिकोमेस्टिया के

स्त्री और पुरुषों में टेस्टोस्टिरोन और इस्ट्रोजन हार्मोन की वजह से ही यौनांगों का विकास और रखरखाव होता है. पुरुषों टेस्टास्टिरोन से पुरुषत्व जैसे, पेशिय घनता, शरीर के बालों और स्त्रियों में एस्ट्रोजन के अधीन स्त्रीत्व जैसे, स्तन विकास, होते हैं. पुरुषों में एस्ट्रोजन की अपेक्षा टेस्टास्टिरोन के स्तर में  कमी होने से गाइनिकोमेस्टिया होता है. हार्मोन का सन्तुलन कई कारणों से बिगड़ सकता है. ये कारण प्राकृतिक हार्मोन का परिवर्तन, औषधियां या कुछ शारीरिक अवस्थाएं हो सकते हैं. कुछ रोगियों में कई बार गाइनिकोमेस्टिया के कारण का पता नहीं भी लग पता है.

गाइनिकोमेस्टिया होने पर करें एक्सरसाइज

कुछ एक्सरसाइजों का नियमित अभ्यास करने से पुरुषों में बढ़े हुए स्तनों की समस्या से निपटा जा सकता है. ये एक्सरसाइज हैं सीने को हष्ट-पुष्ट आकार देने वाली पुश अप एक्सरसाइज, शरीर को ताकत देने वाली और सीने व कंधे को बेहतरीन शेप देने वाली चिन अप एक्सरसाइज, सीने की चौड़ाई को बढ़ा वाली डंबल फ्लाइज एक्सरसाइज और बेंच प्रेस एक्सरसाइज.

पुरुष स्तनों के लिए लिपोसक्शन 

सामान्य ग्रंथियों होने और फैट की वृद्धि ही गाइनिकोमेस्टिया होती है. लिपोसक्शन की मदद से स्तनों को पुरुषों जैसा सामान्य आकार दिया जा सकता है. ऐसे करने के लिये अतिरिक्त फैट को इस स्थान से निकाल दिया जाता है. ज्यादातर मामलों में लिपोसक्शन की मदद से परिवेश घेरे के रंजित (पिमेंटिड) भाग के किनारों पर चीरे लगाकर अतिरिक्त ग्रंथियों के ऊतकों को हटाने का काम किया जाता है. जब पुरुषों में स्तन वृद्धि के कारण त्वचा खींच जाती है तो अतिरिक्त त्वचा को हटाना जरूरी हो जाता है. इसके अलावा पुरुष स्तनों के आकार को कम करने के लिए तुमेसेन्ट (Tumescent) लिपोसक्शन को भी लोकल ऐनिस्थीश़िया की मदद से किया जाता है.

तो अगर आप भी इस समस्या से परेशान हो तो घवराईएं नहीं. शर्मिंदा होने के बजाएं आप डाक्टर से सलाह ले और अपना इलाज शुरु कराएं.

थकान को ना करें अनदेखा, हो सकती हैं ये 5 बीमारियां

थकान एक ऐसी समस्या है जो आज के समय में सभी उम्र के लोगों मे देखने को मिलती हैं. किसी काम में मन नही लगना या फिर शरीर में सुस्ती रहने से लाइफ में ज्यादा मजा नही रह जाता हैं. अधूरी नींद या तनाव से होने वाली थकान, पूरी नींद लेने से खत्म हो जाती है पर थकान अगर किसी बीमारी की वजह से है तो वो आसानी से ठीक नहीं होती. थकान को हमेशा ज्यादा काम करने या नींद ना पूरी होने से जोड़ कर हम ना तो  डाक्टर से सलाह लेते है और ना हि इसके बारे में विचार करते है बल्कि इसको अनदेखा कर देते है पर क्या आप जानते है की थकान होना किसी बीनारी का संकेत भी हो सकता हैं. आज हम आपको बताएंगे की थकान से जुड़ी कौन कौन सी समस्या हो सकती हैं.

थायराइड भी हो सकता है कारण

थायराइड हौर्मोन का स्तर कम होने पर भी शरीर की ऊर्जा का स्तर बिगड़ सकता है. सामान्य तौर पर थायराइड की समस्या औरतों को होती हैं, मगर कई बार ये दिक्कत पुरुषों को भी आ सकती है. पुरुषों में अगर ऐसी समस्या होती है तो समय पर ध्यान देना जरुरी है वरना ये गंभीर समस्या भी हो सकती है.

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टेस्टोस्टेरोन का रखे ध्यान

टेस्टोस्टेरोन नाम के हौर्मोन का स्तर पुरुषों में वयस्कता और किशोरवस्था के प्रारंभिक चरणों में सबसे अधिक सक्रिय होता है. जैसे-जैसे पुरूषों की उम्र बढ़ती है खासकर जब उनकी उम्र 40 के आसपास होती है तो, उनके टेस्टोस्टेरोन का स्तर प्रति वर्ष 1% कम होता जाता है. साफ तौर पर नही कहा जा सकता है की इस हौर्मोन के गिरने की वजह क्या है, उम्र बढ़ने की वजह से इसका स्तर गिर रहा है या ह्य्पोगोनाडिस्म जैसी बीमारी भी इसकी वजह हो सकती है.टेस्टोस्टेरोन में गिरावट से सेक्स ड्राइव यानि सेक्स में रुचि कम हो जाती है और नींद संबंधी विकार भी हो सकते हैं, जो थकान और कम ऊर्जा के  लिए भी जिम्मेदार होते हैं. इसलिआए अगर अपमें भी ऐसे कोई लक्षण दिख रहे है तो इसको अनदेखा ना करें.

कही डिप्रेशन ना हो इस समस्या का कारण

आज के दौर में किसी को भी डिप्रेशन हो सकता है. डिप्रेशन के लक्षण में उदासी ,सुस्त रहना, निराश रहना, नींद ना आना , किसी काम में मन न लगना और ऊर्जा स्तर भी कम हो सकता है. जिसे भी डिप्रेशन की समस्या हो उसे अपना इलाज़ जरूर कराना चाहिए वरना यह खतरनाक हो सकता है और यहां तक कि मरीज आत्महत्या की भी कोशिश कर सकता है.

नींद संबंधी बीमारी होना

नींद न आना या नींद की गुणवत्ता की कमी के कारण भी ऊर्जा के स्तर में कमी आती है. कम ऊर्जा के स्तर के लिए नींद भी जिम्मेदार होती है अगर आप नाईट शिफ्ट करते हैं,  देर रात तक जागते हैं तो भी ये दिक्कत आती है. ये एक समान्य बात है क्योंकि आज के इस व्यास्थ में समय में लोग काम में ज्यादा परेशान रहते हैं.

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अच्छा खाना और एक्सरसाइज ना करना

व्यायाम और सही खान-पान की कमी के कारण भी थकान और ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है. नियमित रूप से व्यायाम करने से अच्छी नींद आती है और जीवनशैली में भी सुधार आता है. सही और पौष्टिक आहार सबके लिए जरुरी है मगर इस समस्या में इसका खास ध्यान रखना चाहिए. आप इन बातों पर ध्यान रखें जिससे आप इन समस्या से परेशान ना हो.

तो ये है थकान के कुछ कारण किसे अनदेखा करना आपके लिए खतरनाक हो सकता हैं.

कई रोगों का आसान इलाज है पान के पत्ते का सेवन

पान का नाम जैसे ही आता है तो दादा के डब्बे से निकलता सरोता और साथ में चुना कथ्था याद आ ही जाता है. अंदर से दादी का पानी में भीगा हुआ पान का पत्ता लेकर हाजिर हो जाना उन कुछ यादों सा होता है जो रोजाना की बात होता हैं. पान का भारत में उन संस्कृति में शामिल है जो हर गली, मौहल्ले को एक धागे में बांधता हैं. हमारे देश में पान और सुपारी का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं में भी किया जाता है क्योंकि इसे शुभ माना जाता है. इसी में अगर हम आपसे कहे की पान खाना कई रोगों से निजाद दिलाता है तो क्यां आप मानेंगे. चलिए जानते है की पान कैसे आपनी सेहत के लिए फायदेमंद हैं…

विटामिन्स से भरपूर है पान

पान के पत्तियां विटामिन सी, थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और कैरोटीन जैसे विटामिन से भरपूर होते हैं और इसे कैल्शियम का एक बड़ा स्त्रोत भी माना जाता हैं. हालांकि ये जरूर है कि पान के पत्ते को तंबाकू और अन्य कैंसर पैदा करने वाले सामग्रियों के साथ खाने से मुंह के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है. एक रिसर्च के अनुसार ये होंठ, मुंह, जीभ और ग्रसनी के कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं. केवल पान का पत्ता खाना स्वस्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.

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कैंसर और डायाबिटीज जैसे रोग के लिए फायदेमंद  

पान के पत्ते की बात करें तो इसमें फाइटोकेमिकल्स, फ्लेवोनोइड, टैनिन, अल्कलौइड, स्टेरौयड और क्विनोन जैसे शक्तिशाली एंटीऔक्सिडेंटस और एंटी इंफ्लेमेटरी यौगिक शामिल हैं. जो कैंसर और डायाबिटीज जैसे खतरनाक बामारियों को रोकने में आपकी मदद करता है. कुछ आयुर्वेदिक रिसर्च के अनुसार ये कार्डियोवस्कुलर रोग, उच्च कोलेस्ट्रौल और हाई ब्लड प्रेशर की रोकथाम में भी काफी मददगार होता है.

सर्दी जुखाम में पान के पत्ते का इस्तेमाल

लोग पान के पत्ते का उपयोग काफी लंबे समय से सर्दी और खांसी को दूर करने के लिए करते आ रहे हैं. पत्तियों को पहले सरसों के तेल में भिंगा कर गर्म किया जाता है और फिर उसे छाती पर लगाया जाता है इससे फेफड़ों में जमे कफ से काफी राहत मिलता है.

सूजन को करें कम

पान के पत्ते में एंटीऔक्सिडेंट्स और एंटी इंफ्लेमेटरी यौगिक (Compound) पाये जाते हैं जो आपके मसूड़े में गांठ या फिर सूजन हो जाने पर दर्द से राहत दिलाने में मददगार होते हैं. पान में ऐसे पोषक तत्व पाये जाते हैं जो सूजन को कम करने का काम करते हैं.

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थकान से दिलाए राहत

थकान, नींद न आना या फिर आंखों में किसी कारण से समस्या होने पर, जब आंखें लाल हो जाती है. तब आप पान के पत्ते को उबाल लें और उसे ठंडा करके, पानी के छींटे आंखों पर मारें इससे आपके आंखों को काफी राहत मिलती है और शरीर का थकान भी दूर हो जाता है.

तो ये है पान के पत्तों के कुछ फायदे जिसे जानना आपके लिए जरुरी था. तो आगे से अगर आप किसी को पान खाते देखे तो उनको सलाह दे की वो अकेला पान का पत्ता खाए ताकी उनका स्वस्थ अच्छा रहें.

इस घरेलू नूस्खे से दूर करें सांसों की बदबू

मुंह की बदबू एक ऐसी समस्या जो एक समस्या ना रहकर शर्मिंदगी का कारण बन जाती हैं जिसके चलते कौन्फिडेंस खत्म हो जाता हैं. मुंह से बदबू आने का सामान्य कारण तो पेट अच्छे से साफ ना होता हैं पर और भी कारण हैं जिसके चलते आपको ये समस्या हो सकती हैं.बहुत से लोगों के मुंह से आने वाली बदबूदार सांसो के कारण मुंह पर हाथ लगाकर हंसना बोलना पड़ता है. ऐसे में आप उससे बचने के लिए माउथवौश की मदद लेते हैं. लेकिन कई माउथवौश में एल्‍कोहल और कई और अप्राकृतिेक तत्‍व होते हैं, जो कि मुंह में प्राकृतिक पीएच लेवल पर बुरा प्रभाव डालते हैं. इस समस्या को लेकर बहुत कम लोग ही किसी डाक्टर से सलाह लेते हैं क्योंकि उनको शर्म आती हैं. इस लिए अगर घरेलू इलाज से कुछ हद तक फायदा पहुंचे तो बुरा नही होगा. आज हम लेकर आए है ऐसे ही कुछ घरेलू इलाज जिसको यूज करने से आप मुंह की बदबू से निजाद पा सकते हैं.

होममेड माउथवौश का करें यूज

बदबूदार सांसों से बचने के लिए सबसे बेहतर और सबसे अच्छा विकल्प है कि आप खुद घर पर अपना होममेड माउथवौश बनाएं. यह आपकी बदबूदार सांसो को दूर करने में आपकी मदद करेगा. इस माउथ वौश को बनाने के लिए आपको नारियल तेल, नमक और पुदीना की आवश्‍यकता पड़ेगी. यह माउथवौश आपके मुंह के लिए सुपर स्वस्थ है.

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कैसे बनाएं होममेड माउथवौश

पानी- 2 कप

नारियल का तेल – 2 बड़े चम्मच

हिमालयी गुलाबी नमक – 1 टी स्‍पून

पुदीने का तेल – 3-4 बड़े चम्मच

एक कांच के कंटेनर में 2 कप पानी, 2 बड़े चम्मच नारियल का तेल, 1 टी स्‍पून हिमालयी गुलाबी नमक, 3-4 बड़े चम्मच पुदीने का तेल डालें और इन सभी को मिलाएं. नमक अच्‍छी तरह से घुल जाना चाहिए. यदि नारियल का तेल जम जाता है, तो जार को गर्म पानी के ऊपर चलाएं.

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ऐसे करें यूज

होममेड माउथवौश को मुंह में डालने के बाद थूकने से पहले कम से कम 30 सेकंड के लिए रखें और इससे कुल्‍ला करें. सुबह या दिन जब भी आप अपनी सांस को तरोताजा करना चाहते हैं, इसका उपयोग करें. यह माउथवौश  एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, टौक्सिन-मुक्त होने के साथ सस्ता भी है, जो बिना किसी रसायन के आपके मुंह, दांतों और मसूड़ों को स्‍वस्‍थ व सुरक्षित रखने में मददगार है.

 

साधारण छाती का दर्द हो सकता है एनजाइना, जानें कैसे

छाती का दर्द सभी को अमूमन होता ही है और इस को हम बहेत आसानी से गैस या अपच के दर्द से जोड़ देता है. अगर आप भी ज्यादातर छाती के दर्द से परेशान है तो जितनी जल्जी हो सके आप डाक्टर से संपर्क करें क्योंकि ये दर्द समान्य नही बल्कि एनजाइना को  एनजाइना पेक्टोरिस भी कहते है हो सकता है. एनजाइना एक प्रकार का छाती का दर्द है जो हृदय में रक्त के प्रवाह में कमी के कारण होता है. एनजाइना कोरोनरी धमनी (coronary artery) की बीमारी का एक लक्षण है. एनजाइना देखा जाए तो सामान्य है, फिर भी यह अन्य प्रकार के सीने में दर्द, जैसे कि अपच के दर्द या परेशानी से अलग करना मुश्किल हो सकता है. अगर आपको छाती में दर्द होता है, तो तुरंत डाक्टर की सलाह लें, इसमें बिल्कुल देरी ना करें.

पेशेंट कैसे महसूस करते है एनजाइमा को

अगर आप किसी एनजाइना पेशेंट से पहुछेंगे तो वो कहेगा-  कि उनके सीने को निचोड़ा जा रहा है या ऐसा महसूस कर रहा है जैसे उनके सीने पर भारी वजन रखा गया है. एनजाइना एक नए प्रकार का दर्द है जिसे केवल डौक्टर ही पहचान सकता है.

कैसे पहचाने एनजाइना

सीने में दर्द या बेचैनी, जो संभवतः दबाव, निचोड़ और जलन होना.

सीने में दर्द के साथ आपकी बाहों, गर्दन, जबड़े, कंधे या पीठ में दर्द होना.

जी मिचलाना.

थकान.

सांसों की कमी.

पसीना आना.

सिर चकराना.

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क्या है एनजाइना के कारण

एनजाइना आपके हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह में कमी के कारण होता है. आपके रक्त में औक्सीजन होता है, जिसे आपके हृदय की मांसपेशियों को जीवित रहने की आवश्यकता होती है. जब आपके हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त औक्सीजन नहीं मिलता, तो यह इस्किमिया नामक एक स्थिति का कारण बनता है. आपके हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह में कमी का सबसे आम कारण कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) है.

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एंजाइना का खतरा होता है इन कारण से

ये बीमारी आमतौर पर पुरुषों में ज्‍यादा पाई जाती है. खासकर, जो लोग तम्‍बाकू या धूम्रपान करते हैं. डायबिटीज के कारण भी इस बीमारी के होने की आशंका ज्‍यादा रहती है. हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्‍ट्रौल इस बीमारी को बढ़ावा देती है. एक्‍सरसाइज न करने वालों को भी एंजाइना का खतरा रहता है. इसके अलावा अधिक उम्र में और जेनेटिक कारणों से ये बीमारी हो सकती है.

इन 5 लक्षणों को ना करें अनदेखा, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

फेफड़ों यानी लंग्स की बीमारी होना आज के टाइम में कोई नई बात नहीं हैं. इस प्रदूषित वातावरण में सांस संबंध परेशानियों से बचने के लिए लंग्स का खास ध्यान रखना जरुरी हैं. लाइफस्‍टाइल और खानपान के कारण फेफड़े के रोगियों की संख्‍या में लगातार इजाफा हो रहा है. हर साल लाखों लोग फेफड़े सम्‍बन्धित बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं. लेकिन केवल ये दो कारण ही इस बीमारी के लिए जिम्‍मेदार नहीं हैं. कई ऐसे कारण है जिसके चलते आप लंग्स की बीमारी से परेशान हो सकते हैं. कई बार देखा जाता है की खांसी, सीने में दर्द, कफ, और बलगम को सामान्‍य बीमारी की तरह लेते हैं पर ऐसा करना खतरे की घंटी को अनदेखा करना हो सकता हैं क्योंकि ये टीबी और फेफड़ों के कैंसर का कारण भी हो सकता हैं.

सूजन की समस्‍या

अगर आपके हाथों, पैरों और एड़ी में सूजन हो जाती है तो इसको अनदेखा ना करें. हालांकि सूजन दिल की बीमारी के कारण होती है. अक्‍सर दिल और फेफड़े दोनों समस्‍याओं के लक्षण एक जैसे होते हैं क्‍योंकि ये दोनों बीमारियां एक-दूसरे अंगों को प्रभावित करती हैं.

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सांस लेने में दिक्कत आना

अगर सांस लेने के दौरान खरखराहट या जोर-जोर से आवाज आने लगे तो यह फेफड़ों की बीमारी के संकेत हैं. जब श्‍वसन मार्ग संकुचित होता है, टिशूज में सूजन या अत्‍यधिक म्‍यूकस के कारण सांस लेने में समस्‍या आती है तब यह स्थिति होती है. इसे वीजिंग भी कहते हैं.

खून वाली खासी आना

फेफड़ों की बीमारी होने पर खांसी के साथ खून भी आ सकता है. खून के थक्‍के, म्‍यूकस के साथ खून, या फिर सिर्फ खून आ सकता है. इसे हीमोपटाइसिस कहते हैं जो कि फेफड़े की गंभीर बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से एक है.

खांसी आना

फेफड़ों की समस्‍या होने पर लगातार खांसी आती है. खांसी अधिक आना फेफड़ों की बीमारी के संकेत हैं. लगातार खांसी आने की वजह से बुखार, डिस्पिनिया, म्‍यूकस में खून की समस्‍या हो सकती है.

सांस लेने में समस्‍या होना

सांस लेने में समस्‍या को रेस्पिरेटरी फेल्‍योर भी कहते हैं, यह फेफड़ों की गंभीर बीमारी का एक महत्‍वपूर्ण संकेत है. एक्‍यूट रेस्पिरेटरी फेलियोर अत्‍यधिक संक्रमण, फेफड़ों की सूजन, धड़कन के ठहरने या फेफड़े की गंभीर बीमारी के कारण हो सकता है. फेफड़े जब खून को पर्याप्‍त मात्रा में औक्‍सीजन नहीं पहुंचा पाते और कार्बन डाइऔक्‍साइड को सामान्‍य तौर पर हटा नहीं पाते तो गंभीर समस्‍या होती है, जिसके परिणाम स्‍वरूप सांस लेने में समस्‍या होती है.

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तो ये थे कुछ ऐसे लक्षण जिसको आप कभी नजरअंदाज ना करें वरना ये आपकी जान का सबब बन सकता हैं.

दालचीनी और शहद की चाय से घटाएं अपना वजन, जाने कैसे

वजन को कंट्रोल में रखना आज सभी के लिए काफी जरुरी हो गया है. जंग फूड और तेल मसालेदार खाना जितना सेहत के लिए परेशानी पेदा करता है उतना ही ये शरीर में फेट को बढ़ाता है. इस बिजी लाइफ स्टाइल के चलते कुछ लोग तो कसरत के लिए भी टाइम नहीं निकाल पाते. जिसके कारण वो मोटापे के शिकार हो जाते है. बढ़ते वजन के कारण शरीर को कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा, फिटनेस के दिवाने और स्लिम-ट्रिम रहने की चाहत रखने वाले वजन कम करने के कई तरीके आजमाते हैं. कई बार सफलता, तो कई बार असफलता हाथ लगती है. पर अगर आप घरेलू नुस्खों पर यकीन रखते है तो अपको दालचीनी और शहद की चाय का सेवन करना चाहिए, ये आपके वजन को तेजी से कम करने में मदद करेगी. साथ ही ये चाय आपको कई रोगों से भी दूर रखेंगी. तो चलिए कुछ और भी जानते है इस चाय के बारे में…

दालचीनी और शहद की चाय

दालचीनी और शहद की चाय की बात की जाए तो ऐसा मान सकते हैं कि यह वजन को कम करने वाली जादुई चाय है. जिसे हर फिटनेस क्रेजी को लेना चाहिए क्‍योंकि आपके एक्‍सट्रा फैट को कम करने का एक प्राकृतिक तरीका है. दालचीनी और शहद की चाय एक नेचुरल हेल्‍थ टौनिक है.

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 कैसे बनाए ये चाय

सबसे पहले आप एक कप पानी उबालें.

अब गर्म पानी में 1/2 टी स्‍पून दालचीनी पाउडर मिलाएं और इसे थोड़ा ठंडा कर लें.

इसके बाद गुनगुने दालचीनी वाली चाय में 1 चम्मच कच्चा, और्गेनिक शहद को अच्छी तरह से मिलाएं.

इसके बाद आप इसका सेवन करें, रोजाना सुबह दालचीनी और शहद से बनी चाय आपको चुस्‍त-दुरूस्‍त और फिट रखेगी. आपके वजन को कम और बढ़ते वजन को कंट्रोल रखने के लिए यह एक जादुई चाय है.

 क्या है दालचीनी इसके फायदे

दालचीनी में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीपैरासिटिक गुण होते हैं, जो कि शरीर में फैट को बढ़ने से रोकने और वजन को कम करते हैं. यह आपकी भूख को शांत और पेट को भरा हुआ महसूस कराने में मदद करती है, इसके अलावा दालचीनी आपके शरीर में इंसुलिन कार्य को बेहतर बनाता है, जो शरीर में मौजूद अनावश्यक वसा पर अंकुश लगाता है. दालचीनी आपके पेट को स्‍वस्‍थ रखने में मददगार है और यह फैटी एसिड को कम स्‍टोर करती है.

क्या है शहद के फायदे

शहद विटामिन्स और मिनरल्‍स से भरपूर होता है, जो कि खून को साफ करता है और शरीर में कैलोरी की जांच करता है. यह माना जाता है कि शहद शरीर में जमा फेट वसाको कम करने और शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों निकालने की क्षमता रखता है. शहद न केवल आपके मोटापे को कम करने में मदद करता है, बल्कि स्वस्थ, सुंदर बनाने में भी मदद करता है. शहद एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं. वजन कम करने के लिए शहद को रोजाना सुबह गुनगुने पानी या फिर दालचीनी और शहद से बनी चाय का सेवन फायदेमंद है.

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तो ये है दालचीनी और शहद की चाय के फायदें. तो अब से आप रेगुलर चाय की बजाये दालचीनी और शहद वाली चाय पीना शुरु किजिए जो आपको चुस्त दुरुस्त रखने में मदद करेंगी.

लौकडाउन स्पेशल : पिता बनने के लिए नींद लेना है जरुरी

नींद किसे अच्छी नहीं लगती. रोज औफिस से घर जाने का सुकून हम सभी महसूस करते हैं. इस भागदौर भारी जिंदगी में कुछ पल अराम के मिल जाए तो सभी खुश होते है पर अगर किसी टेंशन के चलते आप नींद ना ले पा रहे हो तो? अगर आप पिता बनना चाहते है और आप नींद ना आने की समस्या से गुजर रहे है तो आपको इस पर ध्यान देने की जरुरत है क्योंकि नींद ना आना आपको पिता बनने से रोक सकता है.जो लोग पिता बनना चाह रहे हैं उन्हें स्वस्थ शुक्राणुओं के लिए समय से सोना चाहिए. एक रिसर्च में पाया गया कि जो लोग रात 8 से 10 बजे के बीच सो जाते हैं उनके शुक्राणुओं में गतिशीलता ज़्यादा होती हैं. ये तेजी से गति करते हुए अंडे को निषेचित करते हैं.

अपने खानपान के साथ अगर आप नींद पर भी ध्यान देंगे तो आपको इस समस्या से दो चार नही होने पड़ेगा. रात में सोने से पहले देर रात फोन यूज करना या देर से सोना परेशानी पेदा कर सकता हैं. जो पुरूष देर रात तक जागते रहते हैं या काफी देर से सोते हैं उनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्‍या कम होती है और शुक्राणु जल्‍दी नष्‍ट हो जाते हैं.

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नींद लेना क्यों हैं जरुरी

रिसर्च से पता चला कि 6 घंटे या इससे कम सोने वाले पुरूषों के शुक्राणुओं की स्थिति और भी ज्‍यादा खराब होती है. वहीं 9 घंटे सोने वाले पुरूषों के शुक्राणु ज्‍यादा स्‍वस्‍थ होते हैं. ज्‍यादा देर से सोने और सही तरह आराम नहीं करने से शरीर में एंटीस्पर्म एंटीबौडी का लेवल बढ़ता है, यह एक प्रोटीन है जो इम्यून सिस्टम में बनता है और स्वस्थ शूकाणुओं को खत्म करता है. इस तरह की स्‍टडी पहले भी हो चुकी है जिसमें ये बात हद तक स्‍पष्‍ठ हुई है.

लौकडाउन स्पेशल : पेट की चर्बी करनी हो दूर, तो करें ये काम

मोटापा एक ऐसी समस्या है जिसे लेकर सभी परेशान है. डाइट पर कंट्रोर ना होना, बीजी रूटीन, और आस पास का वातावरण इसकी असल वजह है. हमारे शरीर में पेट की चर्बी घटाता सबसे मुश्किल होता है. बेली फैट बहुत जिद्दी होता है और इसे कम करने में काफी वक्त लगता है. इसे आंत के फैट के रूप में भी जाना जाता है, जो पेट, आंत, लिवर जैसे कुछ महत्वपूर्ण अंगों के पास मौजूद होता है. आपकी बौडी के फैट का करीब 10 फीसदी हिस्सा वास्तव में आंतों का फैट होता है. यह फैट विश्लेषकों या एमआरआई स्कैन जरीए मांपा जाता है और इसका इवोल्यूशन 1 से 59 के पैमाने पर किया जाता है. इंसुलिन प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने से लेकर ब्लड प्रेशर में वृद्धि और कोलोरेक्टल कैंसर के कारण पेट की चर्बी आपके स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है, अगर हम कहे की नींद लेना आपकी चर्बी कम कर सकता है तो क्या आम मानेंगे?

क्यों बढ़ती है पेट की चर्बी

पेट की बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, जिसमें बहुत अधिक शुगर वाले खाद्य पदार्थ, ट्रांस फैट और शराब का सेवन शामिल हैं. इनका सेवन आपके पेट की चर्बी को बढ़ाता है. इतनी ही नहीं खराब जीवनशैली, कम प्रोटीन वाले आहार और रजोनिवृत्ति (Menopause) भी शामिल है.

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बेली फैट घटाने के तरीके…

नींद लें और स्वस्थ रहें

नींद हमारे संपूर्ण विकास के लिए बेहद जरूरी है. व्यक्ति को दिन में कम से कम सात घंटे की नींद बेहद जरूरी होती है. पर्याप्त नींद नहीं लेने से नींद में सांस लेने की समस्या जैसी स्वास्थ्य दिक्कत होने लगती है, जिसके कारण आपके पेट के आस-पास चर्बी जमा होने लगती है. इसलिए नींद लेना बेहद जरुरी है.

शराब से दूर रहकर करें चर्बी दूर

एक रिसर्च के मुताबिक ज्यादा शराब पीने से आपकी कमर के आस-पास चर्बी में बेतहाशा वृद्धि होती है. इसका मतलब है कि अगर आपको अपना बेली फैट घटाना है तो शराब में कटौती कर आप अपने बेली फैट को कम कर सकते हैं.

टेंशन से रहे दूर

टेंशन किसी भी समस्या का हल नहीं होता पर टेंशन आपको जरुर बहुत सारी बिमारियां दे देता है. लेकिन आप जीवनशैली में कुछ बदलाव कर इसे काफी हद तक कम जरूर कर सकते हैं. ऐसा करने से आप न केवल शांत रहेंगे बल्कि दिन में मिलने वाला तनाव से भी दूर रहेंगे.

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शुगर से रहें दूर

शुगर फ्रुक्टोज से भरपूर होती है, जो पेट की चर्बी में वृद्धि के साथ जुड़ी हई है. आप सोच रहे होंगे कि रिफाइनड शुगर खाने से यह समस्या हो सकती है, लेकिन आप गलत हैं. वास्तव में, अधिक मात्रा में हेल्दी शुगर लेने से पेट की चर्बी बढ़ सकती है.

19 दिन 19 टिप्स: खाने में शामिल करें ये 4 चीजें और पाएं सिक्स पैक एब्स

जिम  में घटों पसीना बहाने के बाद भी अगर आप सिक्स पैक एब्स नही बना पा रहे है तो  शायद इसकी वजाह है आपका खानपान है. दरअसल बौडी  को शेप में लाना तो ज्यादा मुश्किल नही होता पर अगर शेप के बाद आप एब्स या मसल्स को और बिल्ड करना चाहते है तो आपको खाने पर विषेश ध्यान देने की जरुरत है. आप वर्कआउट तो बिल्कुल सही कर रहे हो लेकिन आपका ध्यान अपनी डाइट पर पूरी तरीके से नही है तो आपको एब्स शायद ना मिले. इसलिए आज हम आपके लिए लाए है खाने के कुछ ऐसे आइटम्स की लिस्ट जिसे ट्राय करने से आप सिक्स पैक एब्स जल्द पा लेंगे.

सेब

आपने यह मशहूर पंक्ति तो सुनी ही होगी कि दिन का एक सेब आपको डॉक्टर से दूर रख सकता है. लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं कि यह कैसे आपके पेट के आस-पास वाली चर्बी को भी गायब कर सकता है. जी हां ये बिल्कुल सच है. वेक फॉरेस्ट बैपटिस्ट मेडिकल सेंटर में किए गए एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि प्रत्येक दिन घुलनशील फाइबर में 10 ग्राम वृद्धि करने से पेट के आस-पास की चर्बी पांच वर्षों में 3.7 फीसदी तक कम हो सकती है. एक बड़े सेब में पांच ग्राम फाइबर होता है करीब 85 फीसदी पानी और दोनों ही आपका पेट भरे रखने में मदद करते हैं.

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शकरकंद

शकरकंद का स्वाद वास्तव में काफी अच्छा तो होता ही है साथ ही इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. इस फूड को  कार्बोहाइड्रेट के किंग के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये धीरे-धीरे पचते हैं और लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करते हैं. शकरकंद विटामिन और मिनरल से भरे होते हैं और हमारे शरीर को ऊर्जा देते हैं. ये आपको लंबे समय तक भूख लगने से छुटकारा देते हैं, जिसके कारण आप अस्वस्थकर भोजन से दूर रहते हैं.

ब्रोकोली

ब्रोकोली विटामिन सी से भरपूर होता है. विटामिन सी एक ऐसा पोषक तत्व है, जो तनावपूर्ण हालात के दौरान कोर्टिसोल स्तर को कम कर सकता है. ब्रोकोली में सल्फोराफेन नाम का फाइटोन्यूट्रिएंट भी होता है, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाता है और बॉडी फैट को कम करने में मदद करता है. ब्रोकोली फाइबर से भरा एक कम कैलोरी वाला फूड है, जो आपका पेट भरा रखता है और वजन घटाने में मदद करता है.

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अंडे

हाई प्रोटीन के अलावा अंडे एब्स बनाने के लिए सबसे अच्छे फूड में से एक है. अंडे में कोलाइन होता है, जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और फैट कम करने में मदद करता है. अंडे अच्छी गुणवत्ता वाला प्रोटीन पाने के लिए सबसे सस्ता और आसान तरीका है. वे लोग, जो सुबह अंडे खाते हैं उनमें अन्य चीजें खाने वालों की तुलना में कम भूख लगती है.’

तो ये है वो कुछ चीजें जो रोजाना आप अपने किचन में देकते तो होंगे पर आपके इसके फायदे के बारे में पाता नहीं होगा. तो देर पत करे और इन सभी खाने को रेगुलर डाइट में फोलों करें.

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