Crime: प्राइवेट पार्ट, एक गंभीर सवाल

एक गंभीर सवाल कि क्या ऐसे आदमी, आदमी क्या बल्कि हैवान कहना ही ज्यादा सटीक होगा, की कोई इज्जत हो सकती है और वह माफी का हकदार होना चाहिए, जिस ने शक की आग में जलते हुए बेरहमी से अपनी बीवी के प्राइवेट पार्ट को सूईधागे से सिल कर दिल दहला देने वाला काम कर दिया हो?

तय है कि हर किसी का जवाब यही होगा कि नहीं. न तो ऐसे आदमी की कोई इज्जत हो सकती है और न ही उसे किसी भी कीमत पर बख्शा जाना चाहिए. उसे तो कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए, जिस से दूसरे शक्की शौहर सबक लें और बीवियों व उन के प्राइवेट पार्ट पर कहर ढाने से पहले कानून का खौफ खाते हुए हजार बार सोचें.

इस वारदात में वारदात से ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि खुद बीवी पुलिस से गुहार लगाती नजर आई कि साहब, मेरे शौहर को कड़ी सजा मत देना, मामूली डांट लगा कर छोड़ देना. और तो और उस का नाम भी उजागर मत करना, नहीं तो हमारी बदनामी होगी.

बेवकूफी की बात यह कि पुलिस वालों ने उस की बात मान भी ली और अभी तक मुजरिम का नाम उजागर नहीं किया. इस से पुलिस वाले तो कठघरे में हैं ही, लेकिन पीडि़ता भी कम जिम्मेदार नहीं है. वह उन औरतों में से है, जो लातघूंसे खा कर और पति की हैवानियत ?ोल ली है.

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सितम सिंगरौली का

मध्य प्रदेश के सिंगरौली की निशा बाई (बदला नाम) ने 28 अगस्त, 2021 को ससुराल में रह रही अपनी बेटी को आपबीती बताई, तो वह भागीभागी मायके आई और मां को सीधे पुलिस स्टेशन ले गई, जहां निशा बाई की बात सुन और हालत देख कर पुलिस वाले भी सकते में आ गए.

निशा बाई के मुताबिक, उस के शौहर को शक था कि उस के गांव के ही एक आदमी से नाजायज ताल्लुक हैं. इस बात पर आएदिन दोनों में ?ागड़ा हुआ करता था और शौहर उस की जम कर कुटाई करता था.

तकरीबन एक हफ्ता पहले भी ऐसा ही हुआ और पति ने गुस्से में आ कर उस का प्राइवेट पार्ट सूईधागे से सिल दिया था.

निशा बाई दर्द से कराहती और चिल्लाती रही, लेकिन उस राक्षस को रहम नहीं आया. पुख्ता सिलाई के लिए उस ने तांबे के तार का इस्तेमाल किया. चूंकि पति नीमहकीमी भी करता था, इसलिए उस ने दर्द की दवा भी उसे खिला दी.

इस के बाद भी निशा बाई 7 दिनों तक दर्द से छटपटाती रही, लेकिन शौहर के गुस्से का खौफ ऐसा था कि वह घर में पड़ीपड़ी अपनी किस्मत को कोसती रही, पर 8वें दिन जब दर्द बरदाश्त से बाहर हो गया तब कहीं जा कर उस ने बेटी को खबर दी.

पुलिसिया पूछताछ में हैरानी वाली बात यह भी उजागर हुई कि 52 साल की निशा बाई की शादी को तकरीबन  35 साल हो चुके हैं. उस के शौहर की उम्र 57 साल है.

यह जान कर तो लोगों के दिमाग का फ्यूज ही उड़ गया कि पति ने 3 साल में चौथी बार उस का प्राइवेट पार्ट सिला था. लोकलाज के डर से वह खामोशी से जुल्मोसितम सहती जा रही थी और इस बार भी पति के लिए माफी चाहती है, तो उस से हमदर्दी के साथसाथ उस की अक्ल पर तरस भी आता है कि अपने ऊपर हुए अत्याचारों के लिए वह भी कम जिम्मेदार नहीं है.

निशा बाई के बेटेबहुएं और बेटियां भी चाहते हैं कि पिता को कम से कम सजा हो यानी औरत पर अत्याचार के मामले में पूरे परिवार की राय एकसमान है, जो शह देने वाली ही मानी जाएगी.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद निशा को अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उस के प्राइवेट पार्ट के टांके काटते हुए उस का इलाज किया.

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रामपुर की रमा

इस तरह की दरिंदगी का एक और मामला 21 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश के रामपुर से सामने आया था. जवान रमा (बदला नाम) की शादी 2 साल पहले ही हुई थी.

शादी के बाद से पति रमा पर वही शक करता रहा था, जो निशा पर उस के शौहर ने किया था कि उस के किसी गैरमर्द से नाजायज संबंध हैं. दोनों में रोज कलह इस बात को ले कर होती थी और रोज ही रमा की पिटाई उस का शौहर करता था.

वारदात के दिन तो हद हो गई, जब पति ने रमा की पिटाई के बाद उस का प्राइवेट पार्ट तांबे के तार से सिल दिया और उस में एक कील भी फंसा दी.

मिलक थाना इलाके के ठिरिया विष्णु गांव की रमा थाने पहुंची और पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई.

जब रमा को इलाज के लिए अस्पताल मे भरती किया गया, तो पता चला कि वह पेट से है. इस पर लोगों का गुस्सा और बढ़ गया. जिस ने भी सुना, उस ने वहशी पति के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग की. खुद रमा भी बिफरी हुई थी और पति के लिए सख्त सजा की मांग करती नजर आई.

निशा बाई की तरह उस ने हैवान पति के लिए कोई रहम दिखाने की बात नहीं कही, बल्कि उस का हुक्कापानी भी बंद करने की ख्वाहिश जताई जिस से पति को सम?ा आए कि ऐसे दरिंदों को तो समाज में रहने का हक ही नहीं है.

इस ने तो ताला जड़ा

इन दोनों मामलों ने बरबस ही  10 साल पहले के एक और नृशंस मामले की याद दिला दी, जिस में एक और शौहर ने बीवी रोमा के प्राइवेट पार्ट पर ताला लगा कर रखा था. इंदौर के मुसाखेड़ी में जो हुआ था, उसे सुन कर रोंगटे आज भी खड़े हो जाते हैं.

एक आटो गैराज में काम करने वाला पति सोहनलाल सुबह जब गैराज जाता था, तो पत्नी के प्राइवेट पार्ट पर ताला लगा कर जाता था. ताकि उस की गैरमौजूदगी में बीवी किसी से सैक्स न कर ले. यह सिलसिला 2 साल चला. सिंगरौली और रामपुर के शौहरों ने तार कसा था, लेकिन सोहनलाल ने तो तार डाल कर ताला लगाया था, जिस की चाबी वह अपने साथ ले जाता था.

परेशान हो कर मरती क्या न करती की तर्ज पर रोमा ने एक दिन जहर खा लिया. थोड़ी देर में उसे बेहोश होते देख उस के पांचों बच्चों ने शोर मचा दिया तो पड़ोसी आए.

रोमा की हालत देख कर पड़ोसियों की रूह कांप उठी और तुरंत ही उसे अस्पताल ले जाया गया. पुलिस को भी खबर दी गई. होश में आने के बाद रोमा ने अपनी कहानी सुनाई तो सोहनलाल को गिरफ्तार कर लिया गया.

बीवियां भी ढा रही कहर

8 अगस्त, 2021 को बिहार के पटना के फुलवारीशरीफ में पत्नी वैशाली (बदला नाम) का विवाद आएदिन शौहर से होता रहता था. ये दोनों अलाव कालोनी में रहते हैं.

घटना की रात दोनों साथ सोए थे, लेकिन पति जल्द ही गहरी नींद में चला गया था, क्योंकि वैशाली ने उस के खाने में कुछ मिला दिया था. उस की असल मंशा शौहर का प्राइवेट पार्ट काट कर उसे सबक सिखाने की थी, जो उस ने सिखाया भी और सो रहे पति का अंग चाकू से काट डाला.

दर्द से छटपटाते शौहर की नींद खुली, तो माजरा सम?ा कर उस के होश उड़ गए, क्योंकि हाथ में चाकू लिए वैशाली नागिन सी फुफकार रही थी और इधर उस की लुंगी खून से सनी जा रही थी.

घबराया शौहर दौड़ता हुआ फुलवारीशरीफ थाने पहुंचा और सारा किस्सा बताया. तब तक उस के अंग से काफी खून बह चुका था. पुलिस ने तुरंत ही उसे नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा और वैशाली को गिरफ्तार कर लिया.

पहले अंग काटा, फिर मार डाला

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के शिकारपुर में 25 जून, 2021 को हाजरा नाम की बीवी ने तो क्रूरता के मामले में मर्दों को भी पछाड़ दिया. उस ने पेशे से वकील अपने शौहर रफीक अहमद का अंग बेरहमी दिखाते हुए चाकू से काट डाला और इस पर भी जी नहीं भरा  तो घायल शौहर को पीटपीट कर मार  ही डाला.

गिरफ्तार होने के बाद हाजरा ने बताया कि रफीक रंगीनमिजाज आदमी था, जिस से वह परेशान रहती थी. बकौल हाजरा, रफीक 2 शादियां कर चुका था और अब तीसरी शादी करने जा रहा था. इस बात से वह दुखी थी. सम?ाने पर रफीक उसे मारतापीटता था, इसलिए गुस्से में उस ने फसाद की जड़ ही खत्म कर दी.

निशाने पर प्राइवेट पार्ट ही क्यों

इन पांचों मामलों में निशाने पर प्राइवेट पार्ट रहा. चूंकि औरत का अंग शरीर के अंदर होता है, इसलिए उसे काटा नहीं जा सकता, तो शौहरों ने उसे सिल दिया या फिर ताला लगा दिया. इस के उलट बीवियों ने आसानी से शौहरों को प्राइवेट पार्ट गाजरमूली की तरह काट डाला, क्योंकि वह बाहर होता है. रोज सब्जीभाजी काटने वाली बीवियों को काटने की खासी प्रैक्टिस थी, इसलिए उन्हें यह रास्ता आसान लगा.

शक हो या गुस्सा ये दोनों ही शादीशुदा जिंदगी को नरक बना देते हैं. शौहर बीवी को अपनी जायदाद सम?ाता है, इसलिए वह शक ज्यादा करता है और बीवी उस की गैरमौजूदगी में किसी और से सैक्स न कर ले, इसलिए उस के प्राइवेट पार्ट को सिलता है और उस पर ताला भी लगाता है, लेकिन यह न केवल जुर्म है, बल्कि वहशीपन और दरिंदगी की हद है.

यही बात बीवियों पर लागू होती है, जो शौहर को सबक सिखाने के लिए उसे नामर्द बनाने की हद तक बेरहम  हो जाती हैं. मकसद उन का भी यही रहता है कि शौहर किसी दूसरी औरत से हमबिस्तरी करने लायक ही न रहे यानी शक्की शौहर और गुस्सैल बीवी प्यार करते हैं, तो केवल प्राइवेट पार्ट से और बदला लेने या सबक सिखाने के लिए उसी को निशाना बनाने लगे हैं, जबकि थोड़ी अक्ल और सब्र से काम लिया जाए तो वे जुर्म से खुद को बचा सकते हैं.

आमतौर पर शक तो फुजूल ही निकलता है, जो बीवी के चालचलन में नहीं, बल्कि शौहर के दिमाग में होता है. कई बार तो यह बचपन से ही दिमाग में पल रहा होता है कि औरत होती ही  चालू है.

कहते हैं कि शक का इलाज तो लुकमान हकीम के पास भी नहीं था, फिर आजकल के शौहरों की औकात क्या, जो शक के चलते बीवी का कत्ल तक आसानी से कर देते हैं.

लेकिन इलाज है. शौहर को शक हो, तो उसे बीवी को छोड़ देना चाहिए. उसे मारनेपीटने से समस्या हल नहीं होती.  उस के किसी से संबंध हैं, यह बात साबित होने पर ही सजा देनी चाहिए, लेकिन खुद हिंसक और हैवान जज बन कर नहीं, बल्कि अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए. वहां थोड़ी देर जरूर लगती है, लेकिन शौहर एक गुनाह करने से बच जाता है.

वैसे भी औरत के प्राइवेट पार्ट को सिलना तालिबानियों जैसी क्रूरता है, फिर उन में और इन में में फर्क क्या. यही बात बीवियों की क्रूरता पर भी लागू होती है.

Manohar Kahaniya: सेक्स चेंज की जिद में परिवार हुआ स्वाहा- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- शाहनवाज

अलग तरह की होती थी फीलिंग

कार्तिक उस के सब से अच्छे दोस्तों में से एक बन गया था. उसे उस के साथ वक्त गुजारना अच्छा लगने लगा. दोनों मिल कर क्लास के बाद दिल्ली के अलगअलग जगहों पर घूमने निकल जाते, अच्छे होटल में खाना खाते. कभी स्टारबक्स, कभी मैकडोनल्डस, कभी केएफसी, कभी बर्गर किंग तरह तरह की जगहों पर अकसर वक्त गुजारते.

वह जब कभी भी कार्तिक के साथ मिलता तो उस के शरीर में एक अलग तरह की सिहरन दौड़ जाती थी. उस का चेहरा और उस की बातें, उस की आंखों और दिल को सुकून देती थीं. कार्तिक के लिए उस के मन में एक अजीब तरह की फीलिंग महसूस होने लगी थी.

अभिषेक मन में कार्तिक को छूने की, उस के करीब रहने की बातें घूमती रहती थीं. वह भी उसे एक अच्छा दोस्त समझता था. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि जो फीलिंग्स वह कार्तिक के लिए अपने मन में रखता है, क्या वह भी उसे उसी तरह से देखता है या नहीं.

2 सालों तक वह दिल्ली में कार्तिक के साथ इसी तरह से मिला करता था. लेकिन एक दिन अभिषेक ने कार्तिक को अपने घर पर आने का न्यौता दिया. वह उस के घर पर आया. उस के पूरे परिवार से मिला. उस के घर पर सभी को पता था कि वे दोनों बेहद अच्छे दोस्त हैं.

ऐसे ही एक दिन जब कार्तिक उस के घर पर आया तो वह दोनों लैपटोप पर फिल्म देख रहे थे. वह अभिषेक से चिपक कर बैठा था. उस का ध्यान फिल्म पर बिलकुल भी नहीं था. न जाने उसी वक्त उसे क्या हुआ कि उस ने कार्तिक को उस की गरदन पर चूम लिया.

खुद को लड़की मानता था अभिषेक

अभिषेक की इस हरकत का कार्तिक ने बुरा नहीं माना बल्कि उस ने उस का हाथ पकड़ लिया और उस ने भी अभिषेक की गरदन पर चूम लिया.

इस अहसास को अभिषेक ने इस से पहले कभी महसूस नहीं किया था. कुछ इस तरह से उस के और कार्तिक के बीच संबंध बनने शुरू हुए. जिस के बाद वे दोनों अकसर होटल में मिलते और अपनी जरूरतों को पूरा करते.

3 साल का उन का कैबिन क्रू का कोर्स खत्म हुआ तो अभिषेक अपने घर आ गया. तब उस का दिल्ली जा पाना और कार्तिक से मिलना मुश्किल हो गया. तब वह कार्तिक को मिलने के लिए अकसर रोहतक में बुला लिया करता था.

पहले के मुकाबले उन की मुलाकात अब ज्यादा दिनों में होती. बढ़ते गैप के साथसाथ उन दोनों के मन में एकदूसरे के लिए फीलिंग्स और भी ज्यादा बढ़ने लगीं. कार्तिक के बिना उस के लिए एक पल भी गुजारना मुश्किल होने लगा था. अगर वह नहीं मिल पाते तो घंटों फोन पर एकदूसरे से बातें करते.

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कार्तिक से मिलने के बाद अभिषेक ने खुद को अन्य लोगों से अलग महसूस किया. अकसर उस के मन में आता कि बेशक वह लड़का है, लेकिन अंदर से वह खुद को लड़की मानने लगा था.

घर में अकेले होता था तो वह अपनी बहन नेहा के कपड़े पहन कर और मेकअप कर के देखता कि कैसा दिखाई देता है. वह पूरी तरह से खूद को बदलाबदला सा महसूस करता. अभिषेक की अब हलके और चटक रंग के कपड़ों में दिलचस्पी बढ़ने लगी थी. उस की पसंद में पूरी तरह से बदलाव आ गया था.

ऐसे ही साल 2020 के अगस्त के महीने में अभिषेक ने यह तय कर लिया था कि वह खुद को अंदर से जैसा महसूस करता है, वैसा ही वह हकीकत में बनेगा. यानी वह लड़की बनना चाहता था. इस संबंध में उस ने इंटरनेट पर सर्च करना शुरू कर दिया. उसे पता चला कि औपरेशन के जरिए एक इंसान अपना लिंग बदल सकता है.

अभिषेक इस बारे में पूरी जानकारी हासिल करना चाहता था, इसीलिए वह घंटों इंटरनेट पर इसी के संबंध में सर्च करता रहता, पढ़ता रहता और वीडियोज देखता.

वह भारत में सैक्स चेंज का औपरेशन करने वाले क्लिनिक या हौस्पिटल के बारे में पता करने लगा. धीरेधीरे उस ने इस औपरेशन में आने वाला खर्चा, सारी सावधानियां, सभी ऐहतियात सब के बारे में पता कर लिया.

अब वह अपने जीवन में एक अहम पड़ाव पर आ कर फंस गया था, उसे एक ऐसा फैसला करना था जिस के बाद उस की पूरी जिंदगी बदल जाती. उस ने दिनरात इस के बारे में सोचा. उस ने इस की भनक कार्तिक को बिलकुल भी नहीं होने दी, क्योंकि वह उस के साथ रिश्ते में बंधने के लिए उसे सरप्राइज देना चाहता था.

अंत में उस ने फैसला कर ही लिया कि उसे क्या चाहिए. उस ने अपने लिए खुद को चुना, कार्तिक को चुना क्योंकि वही उस की खुशियां बनने वाला था. उस ने औपरेशन के लिए खुद को तैयार कर लिया, लेकिन उस के लिए उसे पैसों की जरुरत थी.

नए साल 2021 की शुरुआत में ही अभिषेक ने अपने पापा से 5 लाख रुपए मांगे. उसे लगा कि हर बार की तरह वह इस बार भी नहीं पूछेंगे कि उसे इतने पैसे किसलिए चाहिए. लेकिन इस बार इतनी बड़ी रकम मांगने पर उन्होंने उस से पूछ ही लिया कि उसे ये पैसे किसलिए चाहिए.

तब अभिषेक ने उन से झूठ बोला कि उसे किसी काम के लिए चाहिए तो उन्होंने साफ मना कर दिया. फिर अभिषेक ने पैसों के लिए अपनी मम्मी के पास जा कर एप्रोच किया. मम्मी उसे पैसों के लिए कभी भी मना नहीं करती थीं, लेकिन इतनी बड़ी रकम सुन कर उन्होंने भी मना कर दिया था.

बहन को बता दी मन की बात

वह पैसों का जुगाड़ नहीं कर पा रहा था. उसे इस औपरेशन के लिए जल्द से जल्द पैसे चाहिए थे. कार्तिक से दूरी वह अब बरदाश्त नहीं कर पा रहा था. हार मान कर उस ने यह बात अपनी बहन नेहा को बता दी कि उसे किसलिए पैसों की जरूरत है.

अभिषेक को लगा कि एक लड़की और मेरी बहन होने के नाते वह उस की फीलिंग्स की कदर करेगी और उस की बातों को समझेगी. लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ.

जिस रात उस ने नेहा को पैसे मांगने का कारण बताया उस के अगले दिन नेहा ने उस की गैरमौजूदगी में पापा और मम्मी को ये बात बता दी कि अभिषेक पैसे किसलिए मांग रहा है.

उस दिन अभिषेक बाहर किसी काम से निकला था, लेकिन जब वह घर लौटा तो पापा और मम्मी का चेहरा देख कर उसे अंदाजा हो गया था कि नेहा ने इन्हें सब कुछ बता दिया है. पापा और मम्मी ने उसे अपने कमरे में बुलाया और उन्होंने उसे यह खयाल अपने दिमाग से निकाल देने की नसीहत दी.

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लेकिन अभिषेक नहीं माना. उस ने उन के सामने ही उन की बातों को मानने से इंकार कर दिया. गुस्से में मम्मी तो कमरे से निकल गईं, लेकिन पापा ने उस दिन उसे बहुत मारा. इस के साथ ही उन्होंने अपनी सारी प्रौपर्टी नेहा के नाम कर देने की धमकी भी दे डाली.

पापा ने कभी भी अभिषेक पर हाथ नहीं उठाया था लेकिन जब उन्होंने उस दिन उसे पीटा तो उस ने उसी दिन यह तय कर लिया था कि उसे अब किसी भी हालत में अपना सैक्स बदलना है.

उस दिन के बाद अभिषेक पर घर में हर काम के लिए बंदिशें लगने लगीं. उसे अपने कमरे के दरवाजे को अंदर से बंद करने के लिए मना कर दिया गया. कुछ दिनों के लिए उस का फोन छीन लिया गया. घर में इंटरनेट कनेक्शन भी कटवा दिया गया. इतना ही नहीं, उस ने सारे दोस्तों को घर पर आनेजाने के लिए मना कर दिया गया. उसे घर पर हर कोई अजीब नजरों से देखने लगा. यहां तक कि नानी को भी इसलिए बुलाया गया था ताकि वह उसे इस के लिए समझाए कि सैक्स चेंज कराना अच्छी बात नहीं है.

अभिषेक को उस के ही घर में ऐसी पैनी और शक भरे अंदाज में देखा जाता था जैसे उस ने यह सोच कर ही कोई बहुत बड़ा गुनाह कर लिया हो. उसे अपने ही घर में घुटन होने लगी थी.

अगले भाग में पढ़ें- पिता की पिस्तौल ही बनी कालदूत

Crime Story: पत्नी ने घूंघट नहीं निकाला तो बेटी को मार डाला

बात साल 2019 की है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में हुए एक कार्यक्रम में लोगों से सवाल पूछा था कि समाज को किसी महिला को घूंघट में कैद करने का क्या अधिकार है? जब तक घूंघट नहीं हटेगा, महिलाएं कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगी.

नारी अधिकारों के लिए काम कर रहे एक संगठन के उस कार्यक्रम में अशोक गहलोत ने आगे कहा था कि कुछ ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अब भी घूंघट करती हैं. महिलाओं को हिम्मत और हौसले के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा. सरकार आप के साथ खड़ी मिलेगी.

पर राजस्थान के अलवर जिले के गादोज गांव में दकियानूसी सोच वाले एक आदमी को शायद मुख्यमंत्री की ऐसी बातें पसंद नहीं थीं, तभी तो उस ने पत्नी के घूंघट नहीं निकालने की बात पर ?ागड़ा किया और अपनी 3 साल की मासूम बेटी को पीटने लगा.

मां उसे बचाने लगी तो उस दरिंदे ने मासूम बेटी को जमीन पर पटक कर उस की हत्या कर डाली.

इतना ही नहीं, आरोपी और उस के परिवार वालों ने तड़के सुबह बिना किसी को खबर हुए बच्ची का अंतिम संस्कार भी कर डाला.

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यह घटना मंगलवार, 17 अगस्त, 2021 की रात की थी. अगले दिन मायके वालों के आने पर बच्ची की मां मोनिका यादव बहरोड़ थाने पहुंची और अपने पति प्रदीप यादव के खिलाफ मामला दर्ज कराया.

मोनिका ने रिपोर्ट में बताया कि उस का पति प्रदीप यादव घर के भीतर हमेशा घूंघट निकालने की कहता है और वह घूंघट भी करती है. मगर कभी जरा घूंघट कम हो तो ?ागड़ा और मारपीट करने लगता है.

मंगलवार की रात को भी घूंघट निकालने को ले कर प्रदीप ने मोनिका से ?ागड़ा शुरू कर दिया और बाद में अपनी 3 साल की बेटी प्रियांशी को थप्पड़

मार दिया.

मोनिका ने विरोध किया, तो उस की गोद से बच्ची को खींच कर कमरे में ले गया. वहां पीटने के बाद उसे उछाल कर कमरे के आंगन में फेंक दिया.

बच्ची ने फर्श पर गिरते ही दम तोड़ दिया. इस के बाद पति और ससुराल वालों ने बुधवार तड़के सुबह उस का अंतिम संस्कार कर दिया. आरोपी वारदात के बाद फरार हो गया.

पीडि़ता मोनिका ने पुलिस को आगे बताया कि साल 2013 में उस की शादी प्रदीप यादव के साथ हुई थी. वह एक फैक्टरी में काम करता है और 12वीं जमात तक पढ़ा है. शादी में मोनिका के परिवार ने जरूरी सामान के साथ ही एक मोटरसाइकिल भी दी थी, लेकिन प्रदीप दहेज की मांग को ले कर अकसर ही उस से ?ागड़ा करता था.

मोनिका और प्रदीप यादव की  2 बेटियां थीं. जब साल 2018 में छोटी बेटी प्रियांशी का जन्म हुआ था, तब मोनिका के मायके वालों ने घर में कलह खत्म करने के लिए प्रदीप को कार दी थी. इस के बावजूद वह नहीं सुधरा, तो रेवाड़ी में 2 बार मामले दर्ज कराए गए. हालांकि बाद में इन में सम?ाता हो गया था.

राजस्थान में यह कोई एकलौता मामला नहीं है, जब किसी महिला, चाहे वह छोटी बच्ची हो या बड़ी औरत, के साथ किसी तरह का जुल्म न हुआ हो.

साल 2020 के पहले 8 महीनों में प्रदेश में महिलाओं से मारपीट, शोषण, बलात्कार और महिला संबंधी दूसरे अपराधों के 22,000 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे. 339 दहेज हत्याएं भी हुई थीं, जो पिछले सालों की तुलना में कहीं ज्यादा थीं.

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दहेज के लिए परेशान करने पर खुदकुशी करने या खुदकुशी की कोशिश करने के 125 मुकदमे दर्ज हो चुके थे.

महिलाओं पर अत्याचार करने और उत्पीड़न के 8,500 मुकदमे दर्ज हुए थे. साल 2019 की तुलना में ये कम थे, लेकिन साल 2018 की तुलना में कहीं ज्यादा थे. बलात्कार के 3,500 और छेड़छाड़ और जबरदस्ती करने के 5,800 मुकदमे दर्ज हुए थे. अपहरण और दूसरी तरह के अपराधों की संख्या 3,800 से भी ज्यादा थी.

नैशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता राज्यवर्धन सिंह राठौर ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आज महिलाओं के ऊपर अत्याचार के मामलों में राजस्थान देश में पहले नंबर पर पहुंच गया है.

अब दोबारा घूंघट पर बात करें, तो राजस्थान सरकार ने इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए ‘अबै घूंघट नी’ नाम की एक मुहिम चलाई थी, पर करणी सेना ने इस का विरोध कर दिया.

करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामड़ी ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा, ‘घूंघट एक प्रथा है. हम महिलाओं से जबरदस्ती नहीं करवाते हैं. वे सिर्फ आंखों की शर्म के लिए घूंघट लगाती हैं. जेठ, ससुर जहां होते हैं, वहां पर महिलाएं घूंघट करती हैं. इस घूंघट और हमारी संस्कृति को देखने के लिए विदेशी पर्यटक दूरदूर से आते हैं.’

इतना ही नहीं, सुखदेव सिंह गोगामड़ी ने आगे कहा, ‘अशोक गहलोत को परदा हटाना है, तो पहले मुसलिम महिलाओं का बुरका हटाओ. घूंघट लगा कर आज तक एक भी वारदात नहीं  हुई है, जबकि बुरका पहन कर तो आतंकवादी गतिविधियां हुई हैं.’

घूंघट मामले पर राजपूत सभा के अध्यक्ष गिर्राज सिंह लोटवाडा का कहना है कि यह निजी सोच का मसला है. घूंघट को ले कर समाज में किसी तरह की अनिवार्यता नहीं है. सरकार अगर इसे ले कर अभियान चलाती है तो चलाए, लेकिन अभी ऐसे अभियानों से ज्यादा जरूरत दूसरे कई विषयों की है, जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, जिन में से बड़ी बात शिक्षा और रोजगार की है.

जब प्रदेश के रसूखदार लोगों की घूंघट पर ऐसी राय है, तो गांवदेहात के उन लोगों का क्या कहा जाए, जो औरत को पैर की जूती सम?ाते हैं.

प्रदीप यादव ऐसे ही लोगों की भीड़ का हिस्सा हैं, जो पत्नी को अपने इशारों पर चलाने को ही मर्दानगी सम?ाते हैं. उस की पत्नी ने गलती से परदा नहीं किया तो उस ने घर में बवाल मचा दिया. यहां तक कि अपनी बेटी को ही मार डाला.

उस की कहीं यह सोच तो नहीं थी कि बेटी ही तो है, मामला गरम है तो इसे ही बलि का बकरा बना दो. पहले पढ़ाईलिखाई और बाद में शादी का खर्च कम हो जाएगा. 2 में से एक बेटी कम हो जाएगी. राजस्थान में बेटी पैदा होना भी मर्दानगी पर धब्बा माना जाता है. क्यों?

Manohar Kahaniya: खोखले निकले मोहब्बत के वादे- भाग 4

सौजन्य- मनोहर कहानियां

गीता के परिजनों ने पुलिस को बताया था कि उस का पति मनोरंजन तिवारी उस के साथ लड़ाईझगड़ा करता था, इसलिए उन की बेटी डेढ़ साल से उस से अलग रह रही थी और खुद कमा कर अपना पेट पालती थी.

परिवार वालों ने यह भी बताया था कि मनोरंजन ने गीता को कई बार धमकी दी थी. गीता की हत्या के बाद जिस तरह मनोरंजन अपना घर व दुकान छोड़ कर भाग गया था, उस से साफ था कि गीता की हत्या में उसी का हाथ है.

लिहाजा पुलिस ने उस के फोन को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ हो चुका था.

काफी मशक्कत के बाद पुलिस को मनोरंजन तिवारी के ओडिशा स्थित घर का पता मिल गया. पुलिस की एक टीम वहां पहुंची तो पता चला कि वह अपने घर भी नहीं पहुंचा था. तब निराश हो कर पुलिस टीम ओडिशा से वापस लौट आई.

इस के बाद पुलिस ने काफी दिनों तक तिवारी को इधरउधर तलाश किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिला. आखिर पुलिस ने उस के खिलाफ अदालत से कुर्की वारंट हासिल कर उस के ओडिशा स्थित घर की कुर्की कर ली.

बाद में पुलिस ने अदालत में प्रार्थना पत्र दे कर उसे भगौड़ा घोषित कर दिया. पुलिस ने पहले उस की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया. बाद में 2 साल बाद ईनाम की धनराशि 50 हजार रुपए कर दी.

पुलिस दल ने 2-3 बार मनोरंजन की तलाश में ओडिशा में छापे मारे, लेकिन वह कभी भी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा. वक्त तेजी से गुजरता रहा.

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इंदिरापुरम थाने में एक के बाद एक कई थानाप्रभारी बदल गए. हर अधिकारी आने के बाद गीता हत्याकांड के फरार आरोपी

मनोरंजन की फाइल देखता, एक नई पुलिस टीम का गठन होता और फिर उस की फाइल धूल फांकने लगती. इसी तरह 9 साल बीत गए.

जुलाई 2021 में इंदिरापुरम सर्किल में सीओ अभय कुमार मिश्रा और इंदिरापुरम थानाप्रभारी के रूप में इंसपेक्टर संजय पांडे की नियुक्ति हुई. दोनों ही अधिकारियों को पुराने मामलों को सुलझाने में महारथ हासिल थी.

उन्होंने जब गीता हत्याकांड की फाइल देखी तो उन्होंने इस बार फाइल को अलमारी में रखने की जगह इस मामले को चुनौती के रूप में ले कर फरार मनोरंजन तिवारी को गिरफ्तार करने की रणनीति बनाई.

दरअसल, सीओ अभय कुमार मिश्रा के एक परिचित अधिकारी जगतसिंहपुर जिले में तैनात हैं, जहां का मनोरंजन तिवारी मूल निवासी है.

अभय मिश्रा को अपराधियों के मनोविज्ञान से इतना तो समझ में आ रहा था कि इतना लंबा वक्त बीत जाने के बाद हो न हो, मनोरंजन तिवारी को अपने परिवार के साथ जरूर कुछ संपर्क होगा.

भले ही वह उन के साथ नहीं रहता हो, मगर उन से संपर्क जरूर करता होगा. अगर थोड़ा सा प्रयास किया जाए तो वह पकड़ में जरूर आ सकता है. लिहाजा अभय कुमार मिश्रा ने ओडिशा के जगतसिंहपुर में तैनात अपने परिचित अधिकारी को गीता हत्याकांड की सारी जानकारी दे कर मनोरंजन को गिरफ्तार कराने में मदद मांगी.

संबधित अधिकारी ने स्थानीय स्तर पर अपनी पुलिस को मनोरंजन तिवारी के गांव अछिंदा में घर के आसपास सादे लिबास में तैनात कर दिया.

वहां तैनात पुलिस टीम को पता चला कि पास के गांव में एक मंदिर का पुरोहित, जिस का नाम मनोज है, वह अकसर मनोरंजन तिवारी के घर आताजाता रहता है. लेकिन चेहरे मोहरे व हुलिए से वह एकदम मनोरंजन तिवारी जैसा है. जगतसिंहपुर पुलिस ने जब यह बात इंदिरापुरम सीओ अभय कुमार मिश्रा को बताई तो वे समझ गए कि हो न हो मनोरंजन तिवारी अपने गांव के आसापास ही कहीं वेशभूषा बदलकर रह रहा है.

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पुलिस ने 9 साल बाद ढूंढ निकाला मनोरंजन को अभय मिश्रा ने इंदिरापुरम थानाप्रभारी संजय पांडे को तत्काल एक टीम गठित कर ओडिशा रवाना करने का आदेश दिया. आदेश मिलते ही इंसपेक्टर संजय पांडे ने अभयखंड चौकीप्रभारी एसआई भुवनचंद शर्मा, नरेश सिंह और कांस्टेबल अमित कुमार की टीम गठित की.

टीम को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर ओडिशा रवाना कर दिया गया, जहां पुलिस टीम ने जगतसिंहपुर में स्थानीय बालिंदा थाने की पुलिस से संपर्क साधा. सीओ अभय मिश्रा के परिचित अधिकारी के निर्देश पर स्थानीय पुलिस पहले ही मनोज पुरोहित के बारे में तमाम जानकारी जुटा चुकी थी.

25 जुलाई, 2021 को इंदिरापुरम थाने से गई पुलिस टीम ने बालिंदा थाने की पुलिस टीम की मदद से मनोरंजन तिवारी को दबोच लिया. वह मनोज तिवारी के नाम से मंदिर का पुरोहित बन कर रह रहा था और वेषभूषा बदलने के लिए उस ने दाढ़ी तक बढ़ा ली थी.

लेकिन जब उस ने अपने मातापिता के घर आनाजाना शुरू कर दिया तो लोगों को उस पर शक हो गया. हालांकि जब पुलिस टीम ने उसे पकड़ा तो उस ने पुलिस को बरगलाने का प्रयास किया. लेकिन थोड़ी सी सख्ती के बाद ही उस ने कबूल कर लिया कि वही मनोरंजन तिवारी उर्फ मनोज तिवारी है. आवश्यक लिखापढ़ी व कानूनी काररवाई के बाद पुलिस टीम अगले दिन गीता हत्याकांड के 9 साल से फरार चल रहे आरोपी मनोरंजन को गिरफ्तार कर गाजियाबाद ले आई.

इंसपेक्टर संजय पांडे और सीओ अभय कुमार मिश्रा के अलावा एसपी (सिटी हिंडन पार) के सामने मनोरंजन तिवारी ने कबूल किया कि उसी ने सोचसमझ कर गीता की हत्या की थी.

तिवारी ने बताया कि 2011 में उस के साथ विवाद के बाद जब गीता अलग हो कर किराए का कमरा ले कर रहने लगी और कहीं नौकरी करने लगी तो उस के संबंध सचिन यादव नाम के एक ठेकेदार से हो गए थे. जब उसे इस बात की खबर लगी तो वह मन मसोस कर रह गया.

भले ही गीता से उस का झगड़ा हो गया था और वह अलग रहता था लेकिन इस के बावजूद भी वह उस से मोहब्बत करता था. यह बात उसे मंजूर नहीं थी कि बिना तलाक लिए गीता किसी गैरमर्द के बिस्तर की शोभा बने.

मनोरंजन अकसर गीता पर नजर रखने लगा. उस ने गीता को एकदो बार समझाया भी कि अगर वह किसी गैर के साथ संबध रखेगी तो वह उस की जान ले लेगा. लेकिन गीता ने उस की बात को हंसी में उड़ा दिया. उस ने उलटा मनोरंजन को धमकी दी कि अगर वह उस के रास्ते में आएगा तो सचिन उसी का काम तमाम कर देगा.

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मनोरंजन समझ गया कि गीता पर गैरमर्द से आशिकी का भूत सवार हो चुका है. वह जानता था कि यादव बिरादरी के जिस शख्स से इन दिनों गीता की आशिकी चल रही है, वह न सिर्फ स्थानीय है बल्कि ऐसे लोगों के लिए खून कराना कोई बड़ी बात नहीं.

मनोरंजन की सचिन यादव से तो कोई दुश्मनी नहीं थी. इसलिए मनोरंजन ने तय कर लिया कि इस से पहले कि गीता अपने आशिक से कह कर उस पर वार कराए, वह उसी का काम तमाम कर देगा. मनोरंजन ने साजिश रची. गीता की हत्या के बाद गाजियाबाद से फौरन भागने की उस ने पूरी प्लानिंग बना ली.

29 सितंबर, 2012 की शाम को गीता जब अपने काम से घर लौट रही थी. मनोरंजन ने उसे रोक लिया और गोली मार दी. गोली गीता को ऐसी जगह लगी थी कि उस की मौके पर ही मौत हो गई. इत्मीनान होने के बाद मनोरंजन मौके से फरार हो गया.

गीता की हत्या करने के फौरन बाद उस ने अपने परिवार वालों को इस बात की सूचना दे दी थी और उन्हें सतर्क कर दिया था कि पुलिस अगर उन तक पहुंचे तो वे उसके बारे में अंजान बने रहें.

कई महीनों तक इधरउधर रहने के बाद पुलिस की गतिविधियां जब शांत हो गईं तो वह एक रात अपने परिवार वालों से जा कर मिला. उस ने उन्हें बता दिया कि अब वह पड़ोस के ही गांव के मंदिर में नाम व वेशभूषा बदल कर पुरोहित के रूप में रहेगा और उन से अकसर मिलता रहेगा.

कहते हैं कि अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून व पुलिस के हाथ एक दिन उस की गरदन तक पहुंच ही जाते हैं चाहे वह सात समंदर पार जा कर छिप जाए.

मनोरंजन तिवारी को इस बात का भ्रम था कि ओडिशा गाजियाबाद से इतनी दूर है कि 9 साल बीत जाने पर पुलिस बारबार उस की तलाश में न तो उस के गांव आएगी और न ही इतनी बारीकी से तहकीकात करेगी.

लेकिन यह उस की भूल साबित हुई. क्योंकि पुलिस चाहे किसी भी प्रदेश की हो, लेकिन कानून के गुनहगार को पकड़ने के लिए प्रदेश की दूरियां मिनटों में खत्म हो जाती हैं.

—कथा पुलिस की जांच, अभियुक्त से पूछताछ व परिजनों से मिली जानकारी पर आधारित

Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

रेखा ने घटना के बारे में आगे बताया,  ‘‘उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. तीनों मेरे पति को पकड़ कर ले जाने लगे. मैं रोती रही, विनती करती रही. नहीं माने, तब चीखपुकार करने लगी. राह चलते लोगों ने रुक कर मेरे पति को उन के चंगुल से छुड़ाया. फिर वे धमकी देते हुए अपनी कार से चले गए.’’

रेखा की बातों पर हुआ शक

इस के साथ ही रेखा ने थानाप्रभारी को बच्चे के गायब होने की भी कहानी सुनाई, ‘‘बाबूजी, इलाके में बच्चा चोरी की घटना पहले भी हुई है. इसलिए मैं वैसी ही अनहोनी की आशंका से डरी हुई थी. नींद आंखों से कोसों दूर थी. परिवार के सभी लोग सो गए थे. मुझे याद है कि अजान की आवाज आई. उस समय तक मैं जाग रही थी.

‘‘सुबह के 4 बजे होंगे. उस के कुछ देर बाद ही मेरी आंख लग गई. सुबह करीब 6 बजे आंख खुली तब मेरी बगल में सो रही 2 साल शिवानी गायब थी. यह देख कर मेरे होश उड़ गए.’’

‘‘फिर क्या हुआ?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘फिर क्या साहब, मैं ने झटपट पति को जगाया. वहीं जेठ लीलाधर और परिवार के दूसरे लोगों को आवाज दी. सभी बच्चे की खोज में जुट गए. घंटों तलाश करने के बाद भी बच्ची का कोई सुराग नहीं लगा. उसी दिन मैं अपने मरद के साथ आप के पास शिकायत लिखवाने आई थी. आप ने बच्चा खोजने का भरोसा दिया था और मैं अपने काम पर लग गई.’’ रेखा ने बताया.

साथ ही उस ने सवाल किया कि यदि मेरे लापता बच्चे के बारे में कोई जानकारी मिली हो तो बताइए साहब.

‘‘तुम्हारा चोरी बच्चा लड़का था या लड़की?’’ विनोद कुमार ने अचानक बात बदलते हुए पूछ दिया.

‘‘लड़का था साहब.’’ रेखा तपाक से बोल पड़ी.

यह सुन कर विनोद कुमार मुसकराते हुए बोले, ‘‘…लेकिन अभी थोड़ी देर पहले तुम ने बताया कि गायब बच्चा शिवानी है. वह लड़का है या लड़की?’’

यह सुनते ही रेखा सकपका गई. एकदम चुप हो गई. मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी.

‘‘अच्छा छोड़ो इस बात को, ये बताओ कि जिन से तुम्हारे पति का झगड़ा हुआ, उन्हें पहले से तुम जानती थी या राजा उसे जानता था?’’ थानाप्रभारी ने फिर बात बदल दी.

‘‘रेखा इस सवाल का भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई. कभी उस ने कहा कि उन्हें उस ने पहली बार देखा था. कभी उस ने कहा कि वे राजा के पास पहले भी कई बार आ चुके थे.’’

थानाप्रभारी के सवालों और बातों में उलझी रेखा ने जो भी बताया अकबकाहट में कहा. उस की बातों से साफ पता नहीं चल पाया कि उस रोज आखिर तीनों युवकों का राजा के साथ झगड़ा किस बात को ले कर हुआ था. वे सभी राजा पर इतने आक्रामक क्यों बन गए थे. थानाप्रभारी विनोद कुमार को इतना जरूर अंदाजा लग गया कि रेखा बहुत कुछ छिपा रही है या फिर उस की जानकारी आधीअधूरी है. उन्होंने सहज भाव से कहा, ‘‘रेखा, देखो, घबराने की कोई बात नहीं है. तुम्हारा बच्चा जल्द मिल जाएगा. उसे चुराने वाले का पता चल चुका है.  कल अपने पति राजा के साथ दिन में ठीक 11 बजे आ जाना.’’

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इसी के साथ थानाप्रभारी ने चेतावनी भी दी कि वह अपने घर से कहीं न जाए. अगर उस ने ऐसा किया तो उस की खैर नहीं है, क्योंकि उस पर पुलिस के आदमी सादे कपड़ों में नजर रखे हुए हैं.

अगले दिन 26 जुलाई, 2021 को पुलिस द्वारा तय समय पर रेखा और राजा थाने में आ गए. संयोग से तब तक थानाप्रभारी विनोद नहीं आए थे. दोनों को एक सिपाही ने वहीं इंतजार करने को कहा.

थानाप्रभारी विनोद कुमार के आने में डेढ़ घंटे की देरी हो गई थी. पुलिस पेट्रोलिंग गाड़ी से थानाप्रभारी विनोद उतरे. उन के साथ 2 कांस्टेबल 3 युवकों को पकड़े हुए थे. उन की कमर में रस्सियां एक साथ बंधी हुई थी.

दोनों कांस्टेबल रस्सी के दोनों छोर को मजबूती से हाथ में लपेटे हुए थे. युवकों के चेहरे गमछे से बंधे हुए थे. उन्हें खींच कर थाने के भीतर लाया गया. यह सब रेखा और राजा गौर से देख रहे थे.रेखा पर जैसे ही थानाप्रभारी की नजर पड़ी उस ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया. साथसाथ राजा ने भी वैसा ही किया. थानाप्रभारी कोई जवाब दिए बगैर अपने केबिन में चले गए. उन के पीछेपीछे कांस्टेबल रस्सी में बंधे तीनों युवकों को भी खींचते हुए ले गया.

एक थप्पड़ ने खोला राज थोड़ी देर में विनोद कुमार ने रेखा को बुलाया. राजा को बाहर ही रुकने को कहा. थानाप्रभारी ने रेखा की ओर गुस्से से देखते हुए कहा, ‘‘राजा तुम्हारा कौन है?’’

‘‘क्या पूछ रहे हैं साब, राजा मेरा मरद है.’’ रेखा का यह बोलना था कि वहीं पास खड़ी एक लेडी कांस्टेबल ने रेखा के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा. थप्पड़ खाते ही वह गिर पड़ी, उठते ही उस महिला सिपाही को गुर्रा कर देखा. तभी विनोद कुमार बोल पड़े, ‘‘उसे मत देखो, वह हमारी पुलिस है और मेडल जीतने वाली महिला पहलवान भी है. तुम सचसच बताती हो या और थप्पड़ खाने हैं.’’

‘‘क्या सच बताऊं साहब, राजा ही तो मेरा मरद है. मैं ने अपने बच्चा चोरी की शिकायत लिखाई है.’’ रेखा बिफरती हुई बोली.

इतना कहना था कि विनोद ने पास खड़े एक युवक के चेहरे पर लिपटा गमछा एक झटके में हटा दिया. चीखते हुए बोले, ‘‘तो फिर ये कौन है?’’

युवक का चेहरा देखते ही रेखा के चेहरे का रंग फीका पड़ गया. विनोद बोले, ‘‘बच्चा चोरी की घटना के दिन राजा के साथ झगड़ा इसी के साथ हुआ था न.’’

रेखा को काटो तो खून नहीं. वह हां…ना कुछ बोल नहीं पा रही थी. विनोद ने बाहर बैठे राजा को बुलवाया. उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा चोरी हुआ बच्चा लड़का था या लड़की?’’

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‘‘लड़का, उस दिन शिकायत में लिखवाया तो था.’’ राजा बोला.

‘‘लेकिन, रेखा तो कहती है तुम्हारे घर से शिवानी गायब हुई थी,’’ विनोद बोले.

‘‘उसे क्या पता साहब,’’ राजा का यह कहना था कि थानाप्रभारी ने उसे भी एक थप्पड़ मारते हुए कहा, ‘‘उसे कैसे मालूम होगा, वह तुम्हारी बीवी जो नहीं है.’’

थानाप्रभारी विनोद कुमार राजा और रेखा से मुखातिब हुए. उन्होंने कहा, ‘‘तुम लोग अब आंखों में धूल झोंकना बंद करो. न तो तुम्हारा कोई बच्चा गायब हुआ है और न ही तुम दोनों पतिपत्नी हो. उलटे तुम लोगों ने बच्चा चुरा कर कहीं और बेचने की कोशिश की है.’’

अगले भाग में पढ़ें-  सभी आरोपी धर दबोचे

Crime: माशुका के खातिर!

अपराध का एक कारण प्रेम और प्रेमिका भी होता है. आमतौर पर देखा जाता है कि समाज में घटित होने वाले अनेक छोटे या फिर गंभीर अपराध तक आलम सिर्फ और सिर्फ माशुका ही होती है. इसके खातिर जाने कितने तरह के छोटे बड़े अपराध समाज में घटित होते रहते हैं, आज हम इस आलेख में आपको कुछ ऐसे अपराधों के संबंध में बताएंगे जो समाज को सचेत करते हैं ताकि ऐसे अपराधिक धुरी से बच सकें.
पहला मामला- माशुका ने बातों बातों में ज्वेलरी की भूमिका बांधी तो श्याम ने दूसरी रात को एक ज्वेलरी दुकान में घुसकर चोरी की और सोने के के बाद माशूका को ला कर दिए मगर दूसरे ही दिन पुलिस ने उसे धर दबोचा.
दूसरा मामला-प्रेमिका ने प्रेमी से रुपयों की मांग की तू प्रेमी अपने एक दोस्त के साथ एटीएम मशीन को तोड़ने पहुंच गया और रंगे हाथ पुलिस के द्वारा पकड़ लिया गया.
तीसरा मामला-फिल्मी गाने जब तेरी से दवाई स्कीम की क्या तुम्हारे पास कभी कोई चार पहिया वाहन होगा जिसमें हम घूमेंगे तो फिर मिलने चार पहिया वाहन पार कर दिया और पकड़ा गया.
ऐसे जाने कितने मामले हमारे आसपास घटित हो रहे हैं जो यह बताते हैं कि प्रेमी प्रेमिका के लिए या फिर प्रेमिका प्रेमी के लिए क्या कुछ कर  जाते हैं मगर अपराध तो अपराध होता है जिसका परिणाम होता है सजा ही होती है.
भूमिका के लिए कार पार कर दी!

इसे आप कोई फिल्मी कहानी समझें मगर यह सच है कि माशूका को लुभाने के लिए आशिक ने दुस्साहसिक कदम उठा लिया और यही कदम उसके जीवन की सबसे बड़ी भूल बन गया. दरअसल, माशुका‌ ने बातों बातों  में  प्रेमी से लांग ड्राइव पर चलने के लिए कहा तो फटे हाल प्रेमी ने एक अदद कार ही चुरा ली. और जब वह प्रेमिका को लेकर लांग ड्राइव पर निकला तो प्रेमी-प्रेमिका पुलिस द्वारा धर दबोचे गए . पुलिस ने प्रेमी के साथ उसके एक मददगार दोस्त को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है.
एक सच्ची कहानी है इसका नायक है राहुल नामक युवक जिसने अपनी माशूका को घुमाने के लिए फतेहपुर से कार चुराई थी. लेकिन उसने एक बेवकूफी कर दी की कार का नंबर नहीं बदला. उधर, फतेहपुर में कार मालिक ने पुलिस में शिकायत कर दी. इधर पुलिस सक्रिय हो गई. जब कार चुराने का आरोपी राहुल अपनी प्रेमिका और एक दोस्त के साथ चकेरी की तरफ घुमने जा रहा था‌ उन्हें हाईवे पर पुलिस ने कार का नंबर देखकर  रोका. चेकिंग के दौरान युवक पकड़ लिया गया. गिरफ्तारी के वक्त कार में प्रेमिका और उसका एक दोस्त भी मौजूद था.

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समझदारी के साथ सावधानी भी जरूरी

यह कहा जा सकता है कि आज पुलिस और न्यायालय में इस तरह के अनेक मुआमलें आ रहे हैं जो समाचार पत्रों में सुर्खियां भी बटोरते हैं  मगर इसका हल क्या हो इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जाता.
इस रिपोर्ट के माध्यम से हम युवा पीढ़ी को यह संदेश दे रहे हैं की प्रेम में आप इतना मत डूब जाइए कि कानून को अपने हाथ में ले लें और अपने भविष्य को बर्बाद कर लें. क्योंकि यह उम्र कुछ ऐसी होती है जब आदमी को जीवन की सच्चाई का आभास नहीं होता कानून का ज्ञान नहीं होता और वह अपराध कर बैठता है.

मगर जब पुलिस द्वारा धर दबोचा जाता है तो आरोपी युवक की आंखें खुलती है और प्रेमिका भी पछताती है कि मैंने क्यों ऐसी चीज मांग ली जो उसके प्रिय के बस में नहीं थी. कुल मिलाकर  समझदारी दोनों पक्षों के लिए आवश्यक है.

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विधि विद्वान अधिवक्ता डॉ उत्पल अग्रवाल के मुताबिक हाल ही में एक प्रकरण मेरे पास भी ऐसा ही आया था जिसमें प्रेमी के लिए प्रेमिका ने अपने घर के जेवरात और रुपए चुरा लिए थे और मामला पुलिस से होते हुए न्यायालय पहुंचा था. दरअसल, ऐसे मामले युवावस्था में प्रेम की झोंके में घटित हो जाते हैं जो स्वयं को सिर्फ अपमानित कराते हैं. समझदारी का तकाजा यही है कि युवा प्रेम के भंवर में फंस करके कभी भी कानून को अपने हाथों में ना लें.

Satyakatha: फरीदाबाद में मस्ती की पार्टी

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

कोरोना लौकडाउन के बाद धंधेबाजों ने देह व्यापार के तरीके जरूर बदल दिए हैं, लेकिन उन का मकसद एक ही होता है, लड़कियों के साथ एंजौय करना. कोरोना वायरस का असर कम होते ही देह कारोबार के अड्डे आबाद होने लगे. लोगों का आवागमन शुरू हुआ नहीं कि सेक्स वर्कर लड़कियां, उन के दलाल और मानव तसकरी जैसे धंधे में लगे लोगों की सक्रियता बढ़ गई. दिल्ली से सटे फरीदाबाद में ऐसे मामलों की सूचना मिलते ही पुलिस बल ने भी मुस्तैदी दिखाते हुए देह के धंधेबाजों को धर दबोचा. मौके से महीने भर में दर्जनों लड़कियां भी पकड़ी गईं.

फरीदाबाद में नीलम बाटा रोड से करीब 8 किलोमीटर दूर बल्लभगढ़ के रहने वाले 48 वर्षीय आलोक को उन के जन्मदिन के बारे मे खास दोस्त प्रदीप ने याद दिलाया. वे तो भूल ही गए थे कि 4 दिनों बाद उन का जन्मदिन आने वाला है. वह फरीदाबाद के बाटा की मार्किट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट (प्रधान) हैं.

अपना रोज का काम निपटा कर 25 जुलाई, 2021 की रात को अपनी गाड़ी में घर की ओर निकले थे. कान में इयरबड्स लगाए म्यूजिक का आनंद ले रहे थे और गाड़ी भी ड्राइव कर रहे थे. तभी उन के कान में किसी के फोन की रिंग सुनाई दी. उन्होंने सामने रखे मोबाइल पर नजर डाली. काल उन के खास दोस्त प्रदीप की थी.

‘‘हैलो भाई, कैसा है तू? 2 हफ्ते हो गए, कोई खबर नहीं मिल रही है. कहां बिजी है आजकल?’’ आलोक शिकायती लहजे में बोले.

‘‘मैं ठीक हूं. बता तू कैसा है? और सुन लौकडाउन खत्म होने के बाद लगता है बिजी मैं नहीं तू हो गया है’’ प्रदीप भी उसी अंदाज में बोले.

‘‘बस कर यार! कुछ दिनों से मार्केट में काम थोड़ा बढ़ गया था, इसीलिए फोन करने का मौका नहीं मिला. तू बता घरपरिवार में बाकि सब कैसे हैं?’’ आलोक ने पूछा.

प्रदीप जवाब देते हुए बोले, ‘‘मैं बिलकुल ठीक हूं. घर पर भी सब ठीक है. तू ये बता कि 29 को क्या कर रहा है?’’

‘‘क्यों 29 को क्या है?’’ प्रदीप ने सस्पेंस के साथ कहा, ‘‘भाई, 29 को तेरा जन्मदिन है. भूल गया है क्या?’’

प्रदीप की बात सुन कर आलोक के दिमाग में अचानक बत्ती जल उठी. उसे अपने जन्मदिन की न केवल तारीख याद आ गई, बल्कि इस मौके पर दोस्तों के साथ मौजमस्ती की पुरानी यादें ताजा हो गईं.

बोला, ‘‘अरे हां! भाई सच कहूं तो अगर तू याद नहीं दिलाता तो मुझे याद ही नहीं था. पिछले साल भी कोरोना के चलते इस मौके पर कुछ ज्यादा नहीं कर पाया, लेकिन इस बार सारी कसर निकाल दूंगा. बड़ी पार्टी दूंगा, पार्टी.’’

प्रदीप और आलोक दोनों स्कूल के दिनों के दोस्त थे. वे काफी गहरे दोस्त थे. लेकिन शादी के बाद दोनों अपनीअपनी घरगृहस्थी में व्यस्त हो गए थे. हालांकि उन के बीच फोन पर बातें होती रहती थीं.

फिर भी जब कभी वे किसी विशेष मौके पर मिलते थे, तब एकदूसरे की खैरखबर लेने के साथसाथ खूब जम कर मस्ती करते थे. उस रोज भी दोनों ने फोन पर ही जन्मदिन सेलिब्रेशन के मौके को यादगार बनाने की योजना बना ली थी.

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बाटा टूल मार्केट में आलोक की तूती बोलती थी. हर दुकानदार के लिए वह बहुत ही खास और प्रिय थे. सभी उन की काफी इज्जत करते थे. मार्केट में यदि किसी को कोई भी औजार क्यों न खरीदना हो, प्रधान आलोक के रहते ही संभव हो पाता था.

इलाके के नेताओं से भी आलोक की अच्छी जानपहचान थी. एसोसिएशन का प्रधान होने की वजह से उन का अच्छा खासा पौलिटिकल कनेक्शन भी था.

अगले रोज 26 जुलाई को सुबह करीब 10 बाजे आलोक एसोसिएशन के औफिस पहुंच गए. उन्होंने सब से पहले प्रदीप को फोन कर आने का समय पूछा. उस के बाद वे छोटेमोटे काम निपटाने लगे.

आधे घंटे में ही प्रदीप आ गया. आलोक ने उस की खातिरदारी चायनमकीन से की. उस के द्वारा जन्मदिन की बात छेड़ने पर कुछ अलग करने की भी योजना बताई.

‘‘रात भर में तूने कुछ और प्लानिंग कर ली क्या?’’ प्रदीप ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘हां यार, सोच रहा हूं इस बार की बर्थडे पार्टी यादगार हो, पहले के मुकाबले सब से अलग रहे.’’ आलोक बोले.

यह सुन कर प्रदीप चौंक गया. पूछा, ‘‘क्या मतलब? कैसी अलग होगी पार्टी, जरा मुझे भी तो बताओ’’

आलोक इत्मीनान से दबी आवाज में बोले, ‘‘यार सोच रहा हूं इस बार पार्टी में नाचगाने वाली कुछ लड़कियों को भी बुलाया जाए. उन से ही शराब की पैग सर्व करवाई जाए.’’

‘‘लड़कियां! क्या कह रहा है तू?’’ प्रदीप चौंकता हुआ बोला.

‘‘लड़कियों को बुलाने से पार्टी की रौनक और मजा ही कुछ और होगा. मैं ने प्लानिंग कर ली है. कोरोना के चलते जिंदगी के सारे मजे खत्म से हो गए थे.

इसलिए मैं ने सोचा है कि अपने सारे दोस्तों और जिन के साथ बिजनैस करता हूं सभी को इस पार्टी में इनवाइट करूं. इसी बहाने सब से मुलाकात भी हो जाएगी और इसी के साथ बिजनैस में हुए घाटे की भरपाई करने के लिए कुछ टाइम भी मिल जाएगा.’’

यह सुन कर प्रदीप के मन में मानो खुशी के बुलबुले फूटने लगे. वह आलोक से बोला, ‘‘अरे यार, मैं ने तो यह सोचा ही नहीं था. लेकिन पार्टी के लिए आएंगी कहां से? कोई जुगाड़ है?’’

प्रदीप के इस सवाल का जवाब आलोक ने बड़ी बेफिक्री के साथ दिया. भरे अंदाज में दिया और कहा, ‘‘अरे मैं ने सारी प्लानिंग अपने दिमाग में कर के रखी है. दिल्ली वाली निशा के बारे में याद नहीं है क्या तुझे? वही जिस के पास हम शादी के बाद अकसर जाते थे? अब वो लड़कियां सप्लाई करती है. दलाल बन गई है. अच्छी जानपहचान है उस से मेरी. मैं आज ही लड़कियों के लिए फोन कर के कह दूंगा.’’

आलोक और प्रदीप ने औफिस में घंटों बैठ कर 29 जुलाई के लिए प्लानिंग कर ली. नीलम बाटा रोड पर ऐसा कोई भी दुकानदार नहीं था, जो आलोक को नहीं जानता हो. इसी का फायदा उठाते हुए आलोक ने उसी रोड पर मौजूद ‘द अर्बन होटल’ के मालिक को फोन कर 28 और 29 जुलाई के लिए होटल बुक कर लिया.

होटल के मालिक की आलोक से अच्छी जानपहचान थी. होटल में कमरे समेत पार्टी के लिए बने खास किस्म के हौल की भी बुकिंग हो गई.

अब बारी थी खास दोस्तों के लिस्ट बनाने की, जिन्हें आलोक बुलाना चाहता था. लिस्ट बनाने में प्रदीप ने मदद की. सभी दोस्तों को फोन से 28 जुलाई के लिए मैसेज भी कर दिया. आलोक ने अपने जरुरी बिजनैस क्लाइंट्स को भी इस पार्टी में शामिल होने का न्यौता दे दिया. उस ने निशा को फोन कर के 15 लड़कियों को पार्टी में भेजने के लिए कहा. इस तैयारी के साथसाथ होटल मैनेजमेंट को ही कैटरिंग के इंतजाम की जिम्मेदारी दे दी.

प्रदीप के मन में अभी भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी. उस से रहा नहीं गया तो उस ने उस के कान के पास मुंह सटा कर कहा,‘‘इस का मोटा खर्चा तू अकेले कैसे उठाएगा?’

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आलोक मुसकराया, सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘तू आगेआगे देखता जा मैं क्या करता हूं. इसी पार्टी से तुम्हारी झोली भी भर दूंगा.’’

‘‘वो कैसे?’’ प्रदीप बोला.

‘‘मैं ने कमरे यूं ही नहीं बुक करवाए हैं? तुम सिर्फ मेरे इशारे पर नजर रखना.’’ आलोक ने बताया.

इस तरह से 28 जुलाई की शाम भी आ गई. जन्मदिन की पूर्व संध्या पर मेहमानों के लिए विशेष आयोजन किया गया था. पार्टी का इंतजाम था, जो आधी रात तक चलना था.

रात के 12 बजे के बाद आलोक ने जन्मदिन का केक काटने का इंतजाम किया था. आमंत्रित मेहमान धीरेधीरे कर हौल के किनारे लगे सोफों पर आ गए. सभी पूरी तैयारी के साथ आए थे, उन के चेहरे पर मास्क जरूर लगे थे, लेकिन वे पहचाने जा रहे थे.

आलोक और प्रदीप दोस्तों से मिलने में व्यस्त हो गए. वे अच्छे सजावटी कपड़े में एकदम अलग दिख रहे थे. वे कभी रिसैप्शन पर जाते तो कभी हौल में आमंत्रित दोस्तों से बातें करने लगते. दूसरी तरफ प्रदीप उन के बताए इशारे पर अपना काम करने में लगा हुआ था.

हौल में जगहजगह गोल टेबल और कुरसियां लगी थीं. दीवारों को तरहतरह के सजावटी फूलों, सामानों से सजाया गया था. मध्यम रोशनी माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए काफी था. देखते ही देखते रात के 8 बज गए.

तभी एक काल को देख कर आलोक हौल के एक कोने में चले गए. काल निशा की थी. उस ने बताया कि उस की भेजी सभी लड़कियां 2 गाडि़यों में 5 मिनट के भीतर पहुंचने वाली हैं.

आलोक ने निशा को कहा कि वे लड़कियों को पीछे के दरवाजे से आने के लिए बोले. तुरंत वे रिसैप्शन पर गए. होटल के मैनेजर से इशारे में बात की और उन के साथ प्रदीप को लगा दिया. थोडी देर में प्रदीप ने आलोक को आ कर बताया कि उस ने सभी लड़कियों को उन के कमरे में ठहरा दिया है.

उस ने वहां के इंतजाम के बारे में जानकारी देने के साथसाथ आलोक को बैग दिखाया. ‘थम्स अप’ करता हुआ जाने लगा. आलोक ने टोका, ‘‘उधर नहीं, गाड़ी के पार्क में जा. बैग वहीं गाड़ी में छोड़ कर आना.’’

निशा ने अपने साथ ले कर आई सभी लड़कियों को कुछ खास हिदायतें दीं. उन्हें उन के कमरे में भेज कर मेकअप आदि कर तैयार होने को कह दिया.

कब किसे हौल में आना है और किसे किस कमरे में ठहरना है. इस बारे में निशा ने लड़कियों को अलगअलग समझाया. उन्हें लोगों के साथ शालीनता के साथ पेश आने को भी कहा.

साढ़े 9 बजे के आसपास हौल का माहौल और भी रंगीन हो चुका था. कुछ लड़कियां हौल में आ चुकी थीं. अतिथियों में कोई भी महिला नहीं थीं.

लड़कियों को देखते ही बड़ेबड़े स्पीकर पर तेज और पार्टी वाले गाने बजने के साथ सीटियों की आवाजें भी सुनाई देने लगीं. हर टेबल पर शराब परोसने की शुरुआत हुई. कुछ लोग नशे में डांसिंग प्लेटफार्म की ओर बढ़ गए.

जल्द ही लड़कियों को जिस काम के लिए बुलाया गया था, वे काम में लग गईं. नशे में चूर अतिथियों ने जिस किसी लड़की को अपनी ओर खींचना चाहा उस ने जरा भी विरोध नहीं किया.

पसंद की लड़की का हाथ पकड़ा. जेब से 2000 वाले गुलाबी नोट निकाले और उस के लोकट कपड़े में डाल दिए.

लड़की झट से नोट निकालती, अंगुलियों में दबाती और सीढि़यों की ओर बढ़ जाती. पीछे से अतिथि महोदय झूमतेमटकते रह जाते. लड़की सीढि़यों पर बैठी निशा को अंगुलियों में फंसे नोट थमाती और अतिथि के साथ होटल के कमरे की ओर बढ़ जाती.

इस दृश्य से इतना तो साफ हो गया था कि जन्मदिन के बहाने से बुलाए गए अतिथियों का स्वागत लड़कियों के साथ यौन संतुष्टि से किया जा रहा था. इस मौके के इंतजार में न केवल ग्राहक बने अतिथि थे, बल्कि वे लड़कियां भी थीं, जिन का धंधा पिछले कुछ समय से मंदा पड़ गया था.

इस पूरी पार्टी में आलोक और प्रदीप दोनों कहां गायब हो गए थे किसी को भी कोई खबर नहीं थी.

संभवत: दोनों ने अपनी पसंद की लड़की के साथ अलगअगल कमरे में खुद को बंद कर लिया हो. यानी देह व्यापार का धंधा पूरे शबाब पर था.

इस की भनक फरीदाबाद में पुलिस को भी लग गई. अनलौक के नियमों के उल्लंघन करने वालों पर नजर रखने के लिए कोतवाली पुलिस स्टेशन द्वारा फैलाए गए मुखबिरों ने इस की सूचना अधिकारियों तक पहुंचा दी थी. रात के करीब एक बजे अश्लील पार्टी के बारे में जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने एसीपी रमेशचंद्र को सूचना दे कर बिना किसी देरी के जल्द से जल्द होटल में रेड मारने की तैयारी कर दी. सभी आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए थाने में एक टीम का गठन किया.

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जल्द से जल्द प्लान के मुताबिक टीम बिना सादा कपड़ों में होटल के बाहर पहुंची. होटल के बाहर से ही तेज गानों की आवाज आ रही थी.

प्लानिंग के मुताबिक थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने हैडकांस्टेबल मनोज के साथ एक और कांस्टेबल को सादे कपड़ों में होटल के अंदर जाने को कहा. उन के अंदर जाने से पहले राठी ने अपनी जेब से 2000 का नोट निकाला और नोट के एक किनारे पर छोटे अक्षरों में अपने हस्ताक्षर कर के उन्हें दिया.

यह सारा काम प्लान के अनुसार ही था. वे दोनों पुलिस कर्मचारी बिना किसी झिझक के होटल के अंदर पहुंचे.होटल के रिसेप्शन पर बैठे व्यक्ति को उन पर किसी तरह का शक नहीं हुआ. वे दोनों सीधे होटल के हौल में जा पहुंचे.

सीढि़यों से उतरते हुए उन्होंने एक युवती को सीढि़यों के पास बैठे देखा. बाद में पता चला कि वह निशा थी. वह भी उस की बगल से एक खाली टेबल और कुरसियों पर जा कर बैठ गए. उस समय हौल में बहुत कम लोग थे.

हर टेबल पर शराब के ग्लास थे. प्लेटों में स्नैक्स बिखरे पडे़ थे. हौल के एक किनारे पर 2-4 लड़कियां आपस में बातें कर रही थीं, कुछ लोग डीजे पर बजते हुए गाने पर डांस कर रहे थे.

थोड़ी देर बाद हैडकांस्टेबल मनोज ने प्लान के अनुसार साइन किया हुआ 2000 का नोट हवा में लहराया तो लड़कियों के झुंड में से एक लड़की पैसे लेने के लिए उन के टेबल पर पहुंच गई.

मनोज ने इशारे से लड़की को कमरे में ले जाने का इशारा किया. लड़की ने भी इशारे से उन्हें रुकने को कहा और निशा के पास चली गई. साइन किया हुआ नोट उस ने निशा के हाथों में थमा दिया, फिर लड़की ने मनोज को वहीं से आने का इशारा किया.

हेड कांस्टेबल ने कान में लगे ब्लूटूथ संचालित बड्स और बटन में छिपे मोबाइल माइक को औन कर दिया. उस के औन होते ही बाहर खड़ी पुलिस फोर्स को सूचना मिल गई. देखते ही देखते हेड कांस्टेबल के लड़की के साथ कमरे तक पहुंचने से पहले ही पुलिस की छापेमारी शुरू हो गई.

थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने होटल में रेड के दौरान सब से पहले हौल में बजने वाले तेज गानों को बंद करवाया और वहां मौजूद सभी लोगों को हिरासत में ले लिया. उसी दौरान होटल के कमरों से कई लड़कियां और अतिथि अर्धनग्नावस्था में दबोच लिए गए.

रात के 12 बजे तक चली छापेमारी की इस काररवाई में करीब 4 दरजन लोगों को हिरासत में लिया गया.

उन्हें 7 जिप्सियों में भर कर थाने लाया गया. उन से पूछताछ में ही खुलासा हुआ कि यह सैक्स रैकेट एक पार्टी में शमिल होने के नाम पर चलाया गया था.

इस में होटल के मालिक की भी मिलीभगत थी. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस की रेड की बात जब तक आलोक तक पहुंची तब तक काफी देर हो चुकी थी. उसे भी एक कमरे से एक लड़की के साथ पकड़ लिया गया. उसे कमरे का दरवाजा तोड़ कर बाहर निकाला गया था. प्रदीप भी उस के बगल वाले कमरे से पकड़ा गया.

पुलिस सभी आरोपियों को थाने ले गई. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह होटल में कमेटी के ड्रा का आयोजन कर रहे थे. सभी से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

इस के अलावा कोतवाली पुलिस ने 2 अगस्त को क्षेत्र के ही श्री बालाजी होटल में दबिश दे कर 13 लड़कियों सहित 37 लोगों को गिरफ्तार किया. यहां की गेट टुगेदर पार्टी के बहाने एंजौय का कार्यक्रम था.

Satyakatha- ऊधमसिंह नगर में: धंधा पुराना लेकिन तरीके नए- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

सदियों पहले उस दौर की बात है, जब देश में राजेरजवाड़ों का अपना साम्राज्य हुआ करता था. समूचे इलाके में उन की तूती बोलती थी. उन के मनोरंजन के 2 ही मुख्य साधन हुआ करते थे. एक, जंगली जानवरों का शिकार करना और दूसरा, सुंदर स्त्री की लुभावनी अदाओं के नाचगाने का आनंद उठाने के अलावा यौनाचार में लिप्त हो जाना.

ऐसा ही कुछ आज के उत्तराखंड स्थित ऊधमसिंह नगर के काशीपुर में था. तब काशीपुर के कई मोहल्ले तो इस के लिए दूरदूर तक विख्यात थे. उस मोहल्ले की मुख्य सड़क के दोनों ओर वेश्याएं रहती थीं.

देह व्यापार में लिप्त ऐसी औरतें अब वैश्या कहलाना पसंद नहीं करतीं, उन्हें सैक्स वर्कर कहा जाता है. यहां पर कई छोटेबड़े नगरों के लोग अपनी कामपिपासा शांत करने आते थे. बाद में ऐसी औरतों की संख्या बढ़ने पर उन के धंधे को जबरन बंद करवाना पड़ा.

सामाजिक दबाव और प्रशासन की सख्ती के आगे इन वेश्याओं को नगर छोड़ कर जाने पर मजबूर होना पड़ा था. उस के बाद उन्होंने मेरठ शहर के लिए पलायन कर लिया था. उन्हीं में कुछ वेश्याएं ऐसी भी थीं, जिन्होंने नगर के आसपास रह कर गुप्तरूप से चोरीछिपे धंधे में लिप्त रहीं. वही सिलसिला बदस्तूर आज भी जारी है.

पुलिस समयसमय पर उन के ठिकानों पर छापामारी करती रहती है. उन्हें हिरासत में ले कर नारी सुधार गृह या जेल भेज दिया जाता है.

बात 30 जुलाई की है. पुलिस को जानकारी मिली थी कि काशीपुर के ढकिया गुलाबो मोहल्ले का एक दोमंजिला मकान काफी समय से देह व्यापार का ठिकाना बना हुआ है. इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए सीओ अक्षय प्रह्लाद कोंडे के निर्देश पर एक पुलिस टीम गठित की गई.

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टीम में महिला इंसपेक्टर धना देवी, कोतवाली एसएसआई देवेंद्र गौरव, टांडा चौकी इंचार्ज जितेंद्र कुमार, कांस्टेबल भूपेंद्र जीना, देवानंद, कांस्टेबल गिरीश कांडपाल, दीपक, मुकेश कुमार शामिल थे.

पुलिस टीम ने काफी सावधानी से छापेमारी को अंजाम दिया. सभी पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में थे. छापेमारी में उन्हें बताए गए ठिकाने से 4 महिलाएं और 2 पुरुषों को धर दबोचने में सफलता मिली.

वे मकान के अलगअलग कमरों में आपत्तिजनक स्थिति में पाए गए थे. देह व्यापार मामले में आरोपी को रंगेहाथों पकड़ना जरूरी होता है. वरना वे संदेह के आधार पर आसानी से छूट जाते हैं. इस छापेमारी में देहव्यापार की सरगना फरार हो गई. पकड़े गए आरोपियों को पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया.

वैसे काशीपुर में इस तरह की छापेमारी पहली बार नहीं हुई थी. पहले भी कई बार इलाके में देह व्यापार के ठिकानों पर छापेमारी हो चुकी थी. देह के गंदे धंधे में लगे लोग हमेशा अड्डा बदलते रहते हैं.

देह व्यापार के धंधे में आधुनिकता और बदलाव कई रूपों में सामने आया है, जिस का एक मामला हल्द्वानी पुलिस के सामने 3 अगस्त को आया. पुलिस को सूचना मिली कि हाइडिल गेट स्थित स्पा सेंटर में काफी समय से देह व्यापार का खुला खेल चल रहा है.

इस सूचना के आधार पर हल्द्वानी सीओ शांतनु पराशर ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम को साथ ले कर स्पा सेंटर पर छापा मारा. छापेमारी के दौरान एक युवक को युवती के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया.

स्पा सेंटर में पुलिस की रेड पड़ते ही हलचल मच गई. सेंटर की संचालिका दिल्ली निवासी सुमन और स्वाति वर्मा फरार हो गईं. जबकि सेंटर के मैनेजर पश्चिम बंगाल के वरुणपारा वारूईपुरा, निवासी नादिया पकड़े गए.

छापेमारी के दौरान स्पा सेंटर से देह व्यापार से संबंधित कई आपत्तिजनक वस्तुएं भी बरामद हुईं. यहां तक कि उस के बेसमेंट से 9 लड़कियां निकाली गईं.

उन में 2 उत्तर प्रदेश, एक मध्य प्रदेश, एक मणिपुर, 2 पश्चिम बंगाल और 3 हरियाणा की थीं. पकड़ा गया युवक आशीष उनियाल काठगोदाम का रहने वाला निकला. वह एक निजी कंपनी में काम करता था.

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स्पा सेंटर में सुनियोजित तरीके से देह व्यापार का धंधा चलाया जा रहा था. धंधेबाजों ने बड़े पैमाने पर मसाज की आड़ में यौनाचार के सारे इंतजाम कर रखे थे.

वहां से पकड़ी गई सभी युवतियों के रहने की व्यवस्था सेंटर के बेसमेंट में की गई थी. उन के खानेपीने की पूरी सुविधाएं वहीं की गई थीं.

ग्राहक को स्पा सेंटर आने से पहले ही वाट्सऐप पर युवती की फोटो दिखा कर उस का सौदा कर लिया जाता था. ग्राहक को युवतियों के टाइम के हिसाब से अपौइंटमेंट तय किया जाता था.

स्पा सेंटर आते ही ग्राहक को रिसैप्शन पर बाकायदा बिल चुकाना होता था, जो स्पा से संबंधित होते थे. उस के बाद उसे कमरे में बने केबिन में जाने की इजाजत मिलती थी.

अपने फिक्स टाइम पर ग्राहक स्पा सेंटर पहुंच जाता था. उन्हें स्पीकर पर आवाज लगाई जाती थी. उस के साथ फिक्स युवती को इस की सूचना पहले होती थी और कुछ समय में ही अपने ग्राहक के पास चली जाती थी. एक युवती को एक दिन में 3 सर्विस देनी होती थी.

अगले भाग में पढ़ें- क्या  देह व्यापार का धंधा बंद हुआ?

Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

विनोद कुमार ने सीसीटीवी कैमरे की ओर हाथ उठाते हुए आगे कहा, ‘‘तुम लोगों के कारनामे का मेरे पास पूरा सबूत है. तुम्हारे घर के आसपास की पूरी वीडियो रिकौर्डिंग है. तुम लोगों ने किसकिस से फोन पर क्या बातें कीं, उस की भी हमारे पास रिकौर्डिंग का आ चुकी है.’’

उस के बाद थानाप्रभारी ने तीनों युवकों के चेहरों से गमछा हटाते हुए कहा, ‘‘… और सब से बड़े सबूत के तौर पर हम ने आज ही इन शातिरों को पकड़ा है, जिसे तुम लोगों ने चोरी का बच्चा बेचा था. गलती यह हुई कि उसे लड़की दे दी, जबकि उस की मांग लड़के की थी. इसी बात को ले कर ही तीनों का तुम से झगड़ा हुआ था.’’

इस खुलासे के बाद बच्चा चोरी की वारदातों के ले कर जो बातें सामने आईं, वह काफी चौंकाने वाली निकलीं—

हफ्तों तक राजा और रेखा पतिपत्नी बन बच्चा चोरी की शिकायत के साथ थाने का चक्कर लगाते रहे. यहां तक कि उन्होंने एसएसपी से मिल कर भी अपना बच्चा चोरी होने की जानकारी दी. एसएसपी कलानिधि नैथानी ने दोनों को तसल्ली दी और बच्चा बरामदगी का पूरा यकीन दिलाया. उस के 2 दिन बाद क्राइम मीटिंग में भी एसएसपी नैथानी ने बच्चा चोरी के मामले की चर्चा की. पता चला कि 2 बच्चे इसी तर्ज पर और चोरी हुए हैं, जो बहुत ही गरीब बंजारों के हैं.

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बच्चा चोरी के मामले के खुलासे के लिए एक टीम गठित कर दी गई. इस में एसआई धर्मेंद्र कुमार के साथ सर्विलांस टीम और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को भी जोड़ दिया गया. इन के कोऔर्डिनेशन व समीक्षा के लिए एसपी (सिटी) कुलदीप गुनावत व सीओ (तृतीय) श्रेताभ पांडेय को जिम्मेदारी सौंपी गई.

सभी आरोपी धर दबोचे

पुलिस ने आसपास के सारे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाल निकाली. सैकड़ों मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा दिया. मुखबिरों का जाल भी बिछा दिया. इस तरह बच्चा चोरी मामले का काफी डेटा पुलिस टीम के पास एकत्रित हो गया.

25 जुलाई, 2021 की देर रात मुखबिर की सटीक सूचना पर थानाप्रभारी विनोद कुमार महुआखेड़ा में मय फोर्स के वोरना तिराहे पर पहुंच गए. श्रेताभ पांडे भी टीम के साथ थे. सूचना के आधार पर 3 सवारों वाली बाइक को विशेष रूप से रोकरोक कर चैकिंग किया जाने लगा. कुछ देर में ही शिकार हाथ लग गया. 3 सवारों वाली एक बाइक को रोका तो उस के चालक ने भागने का प्रयास किया. लेकिन वह पुलिस टीम से घिर चुका था.

नतीजा तीनों भाग नहीं पाए. पुलिस ने उन्हें दबोच लिया. पुलिस ने पूछताछ की तो बच्चा चोर गिरोह का खुलासा हुआ.

पकड़े गए 3 लोगों में एक का नाम दुर्योधन दूसरे का नाम अनिल तीसरे का नाम शुभम बताया गया. दुर्योधन ठाकुरदास का बेटा है. गंगानगर कालोनी गांधी पार्क अलीगढ़ में रहता है. वह अनारपुर थाना मिरहची एटा का है. अनिल मूलत: मध्य प्रदेश में जिला सागर स्थित बजरिया गडरिया का है. शुभम हसायन हाथरस का निवासी है.

तीनों की दोस्ती जब दिल्ली में हुई थी, तब वे एक फैक्ट्री में काम किया करते थे. दुर्योधन की मुलाकात बबली से हुई. बातोंबातों में बबली ने एक दिन कहा कि उन के एक दूर के रिश्तेदार बहुत अमीर हैं. उन के कोई बच्चा नहीं है, अगर उन्हें कोई बच्चा मिल जाए तो वह मोटी रकम मुझे देंगे. दुर्योधन ने अनिल और शुभम से संपर्क किया और बच्चा चोरी की योजना बनाई. उन्हें यह धंधा काफी लाभकारी लगा. बच्चे के खरीदार एक बच्चे के ही लाखों रुपए देने को तैयार थे. बच्चों की चोरी कर ये अमीर घरानों के लोगों को बेचने लगे. बच्चे गरीब परिवारों के चुराए जाते थे. उन्होंने रेखा और राजा को भी इस काम के लिए तैयार कर लिया था. दोनों बंजारा समुदाय के थे.

अलगअलग क्षेत्र और जिले से 5 बच्चे पुलिस ने बरामद किए. इन बच्चों को बेचने में सहयोग करने और खरीदने वालों की पुलिस ने धरपकड़ शुरू कर दी. इस तरह पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ्तार किया. इन में महिलाएं भी थीं. महिलाओं में बबली, नेहा, चांदनी और रेखा इस गिरोह में शामिल थीं.

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सभी से पूछताछ करने के बाद गंगानगर कालोनी निवासी बबली के घर से 2 बच्चे , बाबा कालोनी निवासी आकाश के पास से एक बच्चा, खैर के संजय गोयल से एक बच्चा, दिल्ली गेट जाहिद के घर से एक बच्चा बरामद किया गया. एक बच्चे को मुंबई में बेचने की जानकारी मिली. पुलिस ने मुंबई जा कर छानबीन की, लेकिन बताए गए स्थान पर बच्चा बरामद नहीं हो सका.

पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Manohar Kahaniya: पत्नी की मौत की सुपारी- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेकिन इतनी मार खाने के बाद भी आरती कहती रही कि यह सब झूठ है. उसे गलतफहमी हुई है. जबकि श्यामशरण ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया. अब आए दिन उन दोनों का झगड़ा मोहल्ले वालों के लिए मुफ्त का तमाशा बन गया था.

रोजरोज की पिटाई से आहत हो कर आरती एक दिन अपने दोनों बच्चों को ले कर मायके ग्वालियर आ गई. कुछ माह बाद श्यामशरण आरती को लेने ग्वालियर आया. लेकिन आरती ने उस के साथ जाने को साफ मना कर दिया.

पति ने फोड़ दिया सिर

धीरेधीरे कई साल बीत गए. लेकिन आरती पति के घर नहीं लौटी. श्यामशरण को बच्चों से मोह था. कभीकभी वह बच्चों से मिलने जाता, लेकिन आरती बच्चों से नहीं मिलने देती.

अनिल शर्मा चाहते थे कि दोनों में सुलह हो जाए और आरती अपने बच्चों के साथ ससुराल चली जाए. वह सोचते थे कि आखिर जवान बेटी कब तक पिता की छाती पर मूंग दलेगी.

अनिल कुमार शर्मा ने इस दिशा में प्रयास शुरू किया तो दिसंबर 2020 में आरती और श्यामशरण आपसी सुलह को राजी हो गए. आरती अपने पिता के साथ ससुराल पहुंची.

वहां दोनों के बीच बात शुरू हुई. आरोपप्रत्यारोप के बीच दोनों की भौंहें टेढ़ी हो गईं. गुस्से में श्यामशरण ने सिलबट्टे से आरती के सिर पर प्रहार कर दिया, जिस से उस का सिर फट गया और खून बहने लगा.

आरती अपने हाथ में खून ले कर गुस्से से बोली, ‘‘मिस्टर शर्मा, तुम्हें इस खून की कीमत चुकानी पड़ेगी. खून का बदला खून से न लिया तो आरती मेरा नाम नहीं.’’

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इस के बाद वह पिता के साथ घर चली गई. उस के फटे सिर में 10 टांके लगाने पड़े थे. लेकिन उस के पिता ने दामाद के खिलाफ रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराई थी.

आरती अब सोचने लगी थी कि उसे बच्चों के भविष्य के लिए अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा. इसी उद्देश्य से वह कानपुर शहर आ गई. फिर एक रिश्तेदार के माध्यम से नौबस्ता थाने के सागरपुरी (गल्लामंडी) में एक मकान किराए पर ले कर रहने लगी.

इस के बाद उस ने इसी मकान में एक आइसक्रीम फैक्ट्री शुरू कर दी. उस की मेहनत और लगन रंग लाई और उस का धंधा अच्छा चलने लगा.

उस की आइसक्रीम की बुकिंग शादीविवाह व छोटेमोटे अन्य समारोह के लिए होने लगी. जल्दी ही आरती की पहचान उद्यमी महिला के रूप में हो गई.

पति ने बनाई हत्या की योजना

आरती हंसमुख थी. सामने वाले को प्रभावित करने में वह माहिर थी. सजधज कर भी वह रहती थी. होंठों पर लिपस्टिक और आंखों का कजरा, उस की खूबसूरती में चारचांद लगाते थे.

वह रंगीनमिजाज भी थी, जिस से कई युवक उस के दोस्त बन गए थे. उन के साथ वह होटल, क्लब जाती, शराब पीती और मौजमस्ती करती. अब उसे रोकनेटोकने वाला कोई न था.

इधर श्यामशरण को जब से आरती ने बदला लेने की धमकी दी थी, तब से उस की रातों की नींद हराम हो गई थी. उसे लगने लगा था कि यदि आरती जीवित रही तो वह उस की हत्या करा देगी. लिहाजा श्यामशरण ने पत्नी आरती की हत्या कराने का फैसला ले लिया.

इस के लिए उस ने भरुआ सुमेरपुर कस्बा के ईदगाह कालोनी निवासी कुख्यात अपराधी नईम उर्फ रिंकू उर्फ भोलू से संपर्क साधा और 3 लाख 20 हजार रुपए में आरती की हत्या की सुपारी दी.

नईम ने अपने साथी शाहरुख तथा प्रतापगढ़ के राजा शुक्ला गैंग के शूटर विकास हजारिया तथा राहुल राजपूत को शामिल किया. विकास कबरई (बांदा) का रहने वाला था, जबकि राहुल राजपूत प्रतापगढ़ का.

14 मई, 2021 को ईद वाले दिन नईम उर्फ रिंकू के घर सभी बदमाश इकट्ठे हुए और श्यामशरण शर्मा की मौजूदगी में आरती की हत्या की योजना बनी. श्यामशरण ने शूटरों को आरती का फोटो तथा मोबाइल नंबर दिया.

इस के बाद शाहरुख ने फरजी आईडी पर एक सिम ऐक्टीवेट कराया और उस ने आरती से बात की. उस ने आइसक्रीम की क्वालिटी तथा रेट पूछे.

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उस ने कहा कि 20 मई को उस के यहां शादी है, उस के लिए 2-3 तरह की आइसक्रीम चाहिए. इस पर आरती ने जवाब दिया कि सभी क्वालिटी की आइसक्रीम आप को उचित रेट पर मिल जाएगी.

18 मई, 2021 की शाम 7 बजे नौबस्ता समाधि पुलिया के पास चारों शूटर इकट्ठे हुए. शूटर विकास हजारिया और राहुल राजपूत कार से आए थे. जबकि शाहरुख और नईम मोटरसाइकिल से. चारों ने मिल कर एक बार फिर से विचारविमर्श किया. फिर शाहरुख और नईम करसुई पुल की ओर रवाना हो लिए.

विकास हजारिया ने लगभग साढ़े 7 बजे उसी फरजी सिम से आरती से बात की और करसुई पुल के पास आइसक्रीम का और्डर और एडवांस देने को बुलाया.

आरती ने सोचा कि कोई बड़ी पार्टी है. अत: वह अपनी स्कूटी पर सवार हो कर करसुई पुल के पास पहुंच गई.

अब तक वहां चारों शूटर पहुंच चुके थे. नईम उर्फ भोलू आरती से बातचीत करने लगा. तभी पीछे से शूटर विकास हजारिया तथा राहुल राजपूत ने आरती पर फायर झोंक दिए. दोनों गोलियां पीठ में लगीं. तीसरा फायर शाहरुख ने सामने से किया. गोली आरती के सीने में लगी. आरती वहीं गिर पड़ी और दम तोड़ दिया. हत्या करने के बाद चारों शूटर फरार हो गए.

कुछ देर बाद एक युवक ने थाना बिधनू पुलिस को सूचना दी तो थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह मौके पर आ गए.

26 मई, 2021 को थाना बिधनू पुलिस ने आरोपी श्यामशरण शर्मा, शाहरुख तथा नईम उर्फ रिंकू उर्फ भोलू को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

कथा लिखने तक 2 अन्य आरोपी विकास हजारिया तथा राहुल राजपूत फरार थे. पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही थी.द्य

—कथा पुलिस सूत्रोंं पर आधारित

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