भारी पुलिस सुरक्षा के बीच 3 डाक्टरों के एक पैनल ने श्वेता और उस के मासूम बेटे श्रीयम के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम के बाद दोनों शव मृतका के पति रोहित के बजाय मृतका के मातापिता को सौंप दिए गए.
सुरेश कुमार मिश्रा बेटी श्वेता व नाती श्रीयम के शव सर्वोदय नगर (कानपुर) स्थित अपने घर ले आए. वहां भैरवघाट पर उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
अंतिम संस्कार का दृश्य बड़ा ही हृदय विदारक था. शव यात्रा के समय 22 महीने के श्रीयम का शव श्वेता की गोद में था. ठीक इसी तरह उन्हें चिता पर लिटाया गया. श्वेता का एक हाथ बेटे के ऊपर था. ठीक वैसे ही जैसे कोई सो रही मां अपने बेटे को अपनी बांहों की सुरक्षा देती है. श्मशान घाट पर जिस ने भी यह दृश्य देखा उस का कलेजा फट गया. लोग तो अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक सके.
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उधर डबल मर्डर की गुत्थी सुलझाने के लिए जयपुर पुलिस अधिकारियों ने मृतका के पति रोहित तिवारी पर शिकंजा कसा और उस से सख्ती से पूछताछ की. पुलिस अधिकारी उसे एयर पोर्ट ले गए और घटना वाले दिन यानी 7 जनवरी की सीसीटीवी फुटेज खंगाली.
पता चला कि उस रोज रोहित तिवारी सुबह 9 बजे एयरपोर्ट पहुंचा था और पत्नी की हत्या की सूचना मिलने के बाद एयरपोर्ट से घर को निकला था. फुटेज से यह भी पता चला कि रोहित घटना के समय वहां एक बैठक में मौजूद था.
उस के मोबाइल की लोकेशन भी दिन भर एयरपोर्ट की ही मिल रही थी. सारे सबूत रोहित के पक्ष में जा रहे थे जिस से पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी. यद्यपि पुलिस अधिकारियों को पक्का यकीन था कि दोहरी हत्या में रोहित का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हाथ हो सकता है.
पुलिस ने रोहित पर कड़ा रुख अपनाया तो पुलिस पर दबाव बनाने के लिए उस ने कोर्ट का रुख किया. 9 जनवरी को रोहित ने जयपुर की निचली अदालत में अपने वकील दीपक चौहान के मार्फत प्रार्थना पत्र दे कर पुलिस पर प्रताडि़त करने का अरोप लगाया.
कोर्ट ने इस मामले में प्रताप नगर थानाप्रभारी को 10 जनवरी को प्रकरण से जुड़े तथ्यों के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया.
रोहित की इस काररवाई से पुलिस बौखला गई. जिस मोबाइल फोन से रोहित के मोबाइल पर मैसेज किया गया था, पुलिस ने उस मोबाइल फोन की जांच में जुट गई. जांच से पता चला कि श्वेता अपने मोबाइल फोन में पैटर्न लाक लगाती थी, जिसे कोई दूसरा नहीं खोल सकता था.
इस का मतलब मैसेजकर्ता ने श्वेता का सिम निकाल कर किसी दूसरे मोबाइल में डाला था. मैसेज करते समय इस मोबाइल फोन की लोकेशन जयपुर के सांगानेर की मिली. पुलिस फोन के आईएमईआई नंबर के सहारे उस दुकानदार तक पहुंची, जहां से वह हैंडसेट खरीदा गया था.
वहां से मोबाइल खरीदार के बारे में जानकारी नहीं मिली तो उस फोन के आईएमईआई (इंटरनैशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी) नंबर को ट्रेस कर पुलिस मैसेजकर्ता तक पहुंच गई.
पुलिस मैसेजकर्ता को उस के घर से पकड़ कर थाने ले आई. उस ने अपना नाम सौरभ चौधरी निवासी भरतपुर (राजस्थान) तथा हाल पता सांगानेर बताया. उस से जब श्वेता व उस के मासूम बेटे श्रीयम की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने ऐसा कुछ करने से इनकार किया.
लेकिन जब उस के साथ सख्ती की गई तो वह टूट गया और दोहरी हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. सौरभ चौधरी ने बताया कि रोहित तिवारी ने ही उसे 20 हजार रुपए दे कर पत्नी व बेटे की हत्या की सुपरी दी थी. मतलब दोहरी हत्या की साजिश रोहित ने ही रची थी.
सौरभ से पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने 10 जनवरी, 2020 को रोहित तिवारी को भी बंदी बना लिया. थाने में जब उस का सामना सौरभ चौधरी से हुआ तो उस का चेहरा लटक गया और उस ने सहज ही पत्नी श्वेता की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
डबल मर्डर के हत्यारों के पकड़े जाने की जानकारी पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव और डीसीपी (पूर्वी) डा. राहुल जैन को हुई तो वह थाना प्रताप नगर आ गए. उन्होंने आरोपियों से पूछताछ की, फिर प्रैसवार्ता कर घटना का खुलासा कर दिया.
चूंकि हत्यारोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी ने भादंवि की धारा 302/201 तथा 120बी के तहत सौरभ चौधरी तथा रोहित तिवारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर एक ऐसे पति की कहानी सामने आई जिस ने दूसरी शादी रचाने के लिए अपनी पत्नी व बच्चे के कत्ल की साजिश रच डाली.
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उत्तर प्रदेश के कानुपर महानगर के काकादेव थाना अंतर्गत एक मोहल्ला है सर्वोदय नगर. सुरेश कुमार मिश्रा अपने परिवार के साथ इसी सर्वोदय नगर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी माधुरी मिश्रा के अलावा एक बेटा और 3 बेटियां थीं. सुरेश कुमार मिश्रा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में अधिकारी थे, जो अब रिटायर हो चुके हैं. उन का आलीशान मकान है, मिश्राजी अपनी 2 बेटियों की शादी कर चुके थे.
श्वेता सुरेश कुमार मिश्रा की सब से छोटी बेटी थी. वह अपनी दोनों बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी. जब वह आंखों पर काला चश्मा लगा कर घर से बाहर निकलती थी तो लोग उसे मुड़मुड़ कर देखते थे, लेकिन वह किसी को भाव नहीं देती थी. श्वेता ने कानपुर छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय से बीए किया था.
वह आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी ताकि अपने पैरों पर खड़ी हो सके, लेकिन पिता सुरेश कुमार मिश्रा कोई अच्छा घरवर ढूंढ कर उस के हाथ पीले करना चाहते थे. उन्होंने उस के लिए वर की खोज भी शुरू कर दी. उसी खोज में उन्हें रोहित तिवारी पसंद आ गया.
रोहित के पिता उमाशंकर तिवारी मूल रूप से औरैया जनपद के गांव कंठीपुर के रहने वाले थे, लेकिन वह दिल्ली के गांधी नगर के रघुवरपुरा स्थित माता मंदिर वाली गली में रहते थे. उमाशंकर तिवारी के परिवार में पत्नी कृष्णादेवी के अलावा बेटा रोहित तथा 2 बेटियां थीं. बेटियों की शादी वह कर चुके थे.
रोहित अभी कुंवारा था. रोहित पढ़ालिखा हैंडसम युवक था. वह इंडियन आयल कारपोरशन में मैनेजर था. उस की पोस्टिंग दिल्ली में ही थी. सुरेश कुमार मिश्रा ने रोहित को देखा तो उसे अपनी बेटी श्वेता के लिए पसंद कर लिया.
फिर 24 जनवरी, 2011 को रीतिरिवाज से रोहित के साथ श्वेता का विवाह धूमधाम से कर दिया. उस की शादी में उन्होंने लगभग 30 लाख रुपए खर्च किए थे.
शादी के बाद श्वेता और रोहित ने बड़े प्रेम से जिंदगी का सफर शुरू किया. हंसतेखेलते 2 साल कब बीत गए दोनों में किसी को पता ही न चला. लेकिन इन 2 सालों में श्वेता मां नहीं बन सकी. सूनी गोद का दर्द जहां श्वेता और रोहित को था, वहीं श्वेता के सासससुर को भी टीस थी. सास कृष्णादेवी तो श्वेता को ताने भी देने लगी थी.
इतना ही नहीं, श्वेता को कम दहेज लाने की भी बात कही जाने लगी. उस के हर काम में कमी निकाली जाने लगी. यहां तक कि उस के खानपान और पहनावे पर भी सवाल उठाए जाने लगे. उसे तब और गहरी चोट लगी जब उसे पता चला कि उस के पति रोहित के किसी अन्य लड़की से नाजायज संबंध हैं, जो उस के साथ कालेज में पढ़ती थी.
वर्ष 2013 में जब श्वेता की प्रताड़ना ज्यादा बढ़ गई तो वह ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी. यहां वह 7 महीने तक रही. उस के बाद एक प्रतिष्ठित कांग्रेसी नेता ने बीच में पड़ कर समझौता करा दिया. उस के बाद सुरेश कुमार मिश्रा ने श्वेता को ससुराल भेज दिया.
ससुराल में कुछ समय तक तो उसे ठीक से रखा गया. लेकिन उसे फिर से प्रताडि़त किया जाने लगा. मांबाप की नुकताचीनी पर रोहित उसे पीट भी देता था. कृष्णा देवी तो सीधेसीधे उसे बांझ होने का ताना देने लगी थी. ननद नूतन और मीनाक्षी भी अपने मांबाप व भाई का ही पक्ष ले कर प्रताडि़त करती थीं.
ससुराली बातों की प्रताड़ना से दुखी हो कर श्वेता ने एक रोज अपनी बड़ी बहन सपना को एक खत भेजा, जिस में उस ने अपना दर्द बयां करते हुए लिखा, ‘सपना दीदी, रोहित तथा उस के मांबाप मुझे बहुत परेशान करते हैं. चैन से जीने नहीं देते. सब पीटते हैं, मुझे नीचा दिखाते हैं. खाने को भी नहीं देते. यहां तक कि मेरे पहनावे पर सवाल उठाते हैं.
‘‘मुझे यह भी पता चला है कि रोहित के एक युवती से संबंध हैं. वह उस के कालेज समय की दोस्त है. वह उसी से प्यार करता है. यही वजह है कि वह मुझे प्रताडि़त करता है. उसे मेरी हर बात बुरी लगती है. मामूली बातों पर मारपीट कर घर से जाने को कहता है. सासससुर भी उसी का साथ देते हैं. नौकरानी की तरह दिन भर घर का काम करवाते हैं. यदि मेरे साथ कोई अप्रिय वारदात हो जाए तो ये सभी जिम्मेदार होंगे.’’