रानी चटर्जी ने किया जबरदस्त ट्रांसफोर्मेशन, 79 किलो वजन को दी मात

भोजपुरी इंडस्ट्री की सबसे टॉप एक्ट्रेस रानी चटर्जी अक्सर किसी न किसी वजह से सुर्खियों में छाई रहती हैं. एक्ट्रेस इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं अपने फैंस के साथ तस्वीरें और वीडियोज शेयर कर रही हैं. रानी चटर्जी का ग्लैमरस अंदाज लोगों को काफी पसंद आता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि रानी चटर्जी की हर अदा पर लाखों लोग फिदा हैं. लेकिन एक समय ऐसा था जब रानी का लोग मजाक उड़ाते हैं. रानी के बढ़ते वजन को देखकर लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि उनका करियर अब खत्म हो जाएगा. हालाकि रानी ने समय रहते ही अपने आपको पूरी तरह से बदल लिया है.


दरअसल, कुछ सालों पहले रानी चटर्जी का वजन अचानक से बढ़ गया था. इस वजह से उनका करियर खतरे में पड़ गया था. रानी चटर्जी का बढ़ता वजन देख लोग उनसे सवाल पूछते थे. कई लोग तो रानी चटर्जी को ट्रोल भी करने लगे थे. हालांकि भोजपुरी अदाकारा रानी चटर्जी ने अपनी मेहनत और लगन से सभी का मुंह बंद कर दिया था. रिपोर्ट्स की मानें तो भोजपुरी एक्ट्रेस रानी चटर्जी ने कुछ दिनों में ही अपना वजन कम कर लिया था. रानी चटर्जी का नया अवतार देख फैंस गदगद हो गए थे. बता दें कि अब रानी चटर्जी हर रोज जिम में घंटों पसीना बहाती हैं.


बताते चलें कि भोजपुरी एक्ट्रेस रानी चटर्जी सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. उनकी फोटोज और वीडियोज इंटरनेट पर आते ही छा जाते हैं. रानी चटर्जी के हर लुक पर फैंस अपनी जान छिड़कते हैं. साड़ी से लेकर बोल्ड अवतार तक, एक्ट्रेस रानी चटर्जी की ड्रेसिंग सेंस लोगों को खूब पसंद आती है.

खुशियां आई घर : बांटने से खुशियां बढ़ती है

विश्वनाथ ने अपने घर में बगिया लगाई हुई थी. एक आम पर कच्ची कैरियां लदी थीं. गरीब घर के मोहित और राधिका ने कैरियां तोड़ कर खा लीं. यह देख कर विश्वनाथ को अपना बचपन याद आ गया, जब वे किसी को अपने मकान के पेड़ से फल नहीं तोड़ने देते थे. क्या उन्होंने मोहित और राधिका को सजा दी?

विश्वनाथ पटना शहर में बने आलीशान घर में अकेले ही रहते थे. उन के बच्चे विदेश में अपनी ही दुनिया में मस्त थे. विश्वनाथ ने भी अपनेआप को बिजी रखने के लिए घर के पिछले हिस्से में कई तरह के फलदार पेड़ लगा रखे थे.

विश्वनाथ सुबहसुबह रोजाना एक घंटा बगिया में काम करते थे. उन की मेहनत रंग लाई. इस बार आम का पेड़ कैरियों से लद गया था.

झुग्गियों में रहने वाले मोहित और राधिका कालोनी में लोगों की कारों की सफाई करने का काम करते थे.

एक दिन दोपहर में वे दोनों जब विश्वनाथ के घर के पिछवाड़े में लगे आम के पेड़ की छांव में सुस्ताने बैठ गए, तो उन का ध्यान ऊपर गया.

कच्ची कैरियों को देख कर राधिका का मन ललचा उठा, ‘‘मोहित, मेरे लिए एक आम तोड़ दो.’’

‘‘नहीं, किसी से बिना पूछे फल नहीं लेते,’’ मोहित बोला.

‘‘तू तो ऐसे कह रहा है, जैसे पूछने से तुझे तोड़ने देंगे…’’

‘‘इतना ही खाना जरूरी है, तो खरीद कर क्यों नहीं खाती…’’

‘‘मोहित, मैं तुझे धन्ना सेठ नजर आती हूं क्या? इतना कमा लेती तो दुकान से बढि़या कपड़े न खरीद लेती. बालटी उठाउठा कर कमर दोहरी हो जाती है, तब कहीं 10-20 रुपए हाथ आते हैं. उन को भी मां को देना पड़ता है, तब कहीं मेरे घर चूल्हा जलता है.’’

‘‘राधिका, मेरा भी तो यही हाल है, वरना कसम से खरीद कर खिला देता तुझे कच्ची कैरी.’’

‘‘चलचल, तू तो रहने ही दे. तुझ से न हो पाएगा, मैं ही कुछ करती हूं,’’ राधिका ने इधरउधर नजर दौड़ाई. उसे एक लकड़ी दूर पड़ी हुई दिखाई दी. वह उसे उठा कर ले आई और निशाना साध कर लकड़ी फेंकी, पर वह कैरी तक पहुंच ही नहीं पाई.

राधिका गुस्से में मुंह फुला कर वहां से चल दी.

‘‘ओहो, राधिका… कहां चल दी…’’

‘‘जहन्नुम में…’’

‘‘रुको जरा… मैं भी आ रहा हूं…’’

‘‘ओहो, तुम भी… न, तुम मेरे पीछे मत आओ.’’

‘‘यह सड़क तुम्हारी नहीं है…

सभी के लिए बनी है…’’

‘‘ओह… ठीक है…’’

‘‘अब यह फिक्र जताने की नौटंकी मेरे सामने मत करना, वरना कट्टी… राधा रानी, गुस्सा थूक दो. चलो, मैं तुम्हें उसी पेड़ से कैरी तोड़ देता हूं…’’

‘‘सच में देगा… झठ तो नहीं बोल रहा…’’

‘‘चलो, न तोड़ कर दूं तब कहना…’’

राधिका मुड़ कर फिर पेड़ के नीचे पहुंच गई.

मोहित ने डंडा उठा कर कई बार कैरी पर निशाना साधा और जोर से डंडा फेंक कर मारा. झट से 2 कच्चे आम राधिका की झोली में आ गिरे.

राधिका खुशी से नाच उठी और वहीं बैठ कर आम खाने लगी.

‘‘मुझे भी तो दे आम… अकेले ही खा जाएगी क्या…’’

‘‘मरा क्यों जा रहा है… लड़कियां कच्चे आम खाती हैं, लड़के नहीं खाते…’’

‘‘तुझ से किस ने कहा कि लड़के कच्चे आम नहीं खाते…’’

‘‘मेरी मां भाई को खाने से मना करती है…’’

‘‘वैसे, तेरा भी अभी कच्चे आम खाने का समय नहीं आया है…’’

सोलह बरस की राधिका का मुंह शर्म से लाल हो गया, ‘‘चल हट, बेशर्म कहीं का…’’

पास बैठे मोहित ने राधिका के माथे पर हवा से लहराती बालों की लट को आहिस्ता से अपने हाथों से संवार दिया.

राधिका ने मोहित को धीरे से धक्का दिया, ‘‘दूर से बात करो…’’ और दोनों खिलखिला कर हंस दिए.

मोहित और राधिका उठ कर झुग्गियों की तरफ बढ़ गए.

विश्वनाथ कुछ देर पहले बगिया में आए थे और दोनों को बातें करते देख पेड़ की ओट में हो गए. उन की तरफ दोनों की पीठ थी, इसलिए वे उन का चेहरा नहीं देख पाए. वे मुसकराते हुए अंदर चले गए.

अगले दिन विश्वनाथ दोपहर में बारबार खिड़की से झांक कर देख रहे थे कि अब वह लड़का आए और देखें कौन है, लेकिन उस दिन कोई नहीं आया.

अगले दिन विश्वनाथ बगीचे में टहल रहे थे कि तभी आम के पेड़ पर हलचल हुई. वे एक पेड़ की आड़ से देखने लगे. लड़के ने डंडी मारी और कुछ आम जमीन पर गिर पड़े. साथ खड़ी लड़की ने लपक कर वे उठा लिए.

अब अकसर वे दोनों उसी आम के पेड़ के नीचे समय बिताते नजर आते. विश्वनाथ को मोहित में अपना पोता नजर आता था. उन्हें दूर से देख कर ही मन को एक अजीब सी शांति मिलती थी.

एक दिन बरामदे में बैठे विश्वनाथ सोचने लगे… आज से 40 साल पहले वे पिताजी के साथ कानपुर में रहते थे. रेलवे के क्वार्टरों में पीछे बगीचा था. घर रेलवे स्टेशन के पीछे ही बना था, तो रेल की पटरियों पर कबाड़ बीनने वाले बच्चे घूमते हुए आते और दोपहर में मौका पा कर फल तोड़ लिया करते.

पिताजी से शिकायत करते तो वे यही कहते, ‘खाने की चीज है, खाने दो… बेचारे खरीद कर तो खा नहीं सकते…’

विश्वनाथ को इस बात पर बहुत गुस्सा आता था. वे भुनभुनाते हुए पढ़ने बैठ जाते, लेकिन उन का ध्यान अमरूद के पेड़ पर ही रहता? और जब भी वे बच्चों को देखते, उन्हें भगा कर ही दम लेते.

एक दिन पिताजी ने विश्वनाथ को टोका, ‘विशू, अमरूद पक कर गिरते जा रहे हैं. तुम भी इतना खाते नहीं हो… बेचारे बच्चों को ही खाने दो…’

लेकिन विश्वनाथ को तो जिद हो गई थी कि इन बच्चों को नहीं खाने देना है. नतीजतन, अमरूद पकपक कर गिरने लगे और सड़ने लगे. पिताजी ने तुड़वा कर पड़ोसियों को देने के लिए कहा, तो विश्वनाथ को वह भी पसंद नहीं आया.

तब पिताजी ने कहा, ‘बेटा, बांटने से खुशियां बढ़ती हैं.’

लेकिन विश्वनाथ को समझ में कुछ नहीं आता था. वे गुस्से से पैर पटकते हुए अंदर चला जाते और फल की टोकरी उठा कर बेमन से सभी पड़ोसियों को बांट आते थे. पर, आज बच्चों को फल तोड़ते देख कर विश्वनाथ को गुस्सा नहीं आया.

पिछले कुछ दिनों तक बच्चे पेड़ के पास दिखाई नहीं दिए. विश्वनाथ का मन बेचैन रहा. इस बीच आम पक गए थे. आज ही माली ने सुबह तोड़ कर रख दिए.

विश्वनाथ ने माली के साथ पड़ोसियों को आम बंटवा दिए और कुछ माली काका को दे दिए. कुछ आम उन बच्चों के लिए भी रखवा लिए.

‘‘माली काका, अगर आप को एक लड़का और लड़की साथ में दिखाई दें, तो उन्हें घर बुला लेना.’’

‘‘जी साहब, नजर आए तो जरूर बुला लेंगे,’’ कह कर माली निराईगुड़ाई करने लगा.

‘‘राधिका, एक भी आम पेड़ पर नहीं है,’’ मोहित ने कहा.

‘‘वह देख माली काका… हमें यहां देख लेंगे तो पकड़े जाएंगे… चल जल्दी…’’ राधिका बोली.

आवाज सुन कर माली ने पीछे मुड़ कर  देखा और बोले, ‘‘यहां आओ…’’

‘‘जी, हम ने कोई आम नहीं तोड़ा है…’’ मोहित ने कहा.

‘‘अरे, तुम दोनों को हमारे साहब बुला रहे हैं… अंदर आ जाओ…’’

‘‘मोहित, मत जाना… दाल में कुछ काला है,’’ राधिक मोहित के कान में फुसफुसाई.

‘‘जो होगा देखा जाएगा… ओखली में सिर दिया है, तो डरना क्या…’’

‘‘मोहित, आज बड़ी कहावतें याद आ रही हैं. अगर मार पड़ी न तो नानी भी याद आ जाएगी.’’

मोहित और राधिका डरते हुए माली काका के पीछेपीछे चल दिए. घर में घुसे तो बैठक में एक बुजुर्ग बैठे थे. उन्होंने एकसाथ ‘दादाजी नमस्ते’ कहा.

विश्वनाथ ने उन दोनों को बैठने का इशारा किया.

राधिका अपने कपड़े समेट कर जमीन पर बैठ गई, जबकि मोहित अभी भी खड़ा हुआ था.

‘‘मोहित… यही नाम है न तुम्हारा?’’

‘‘जी हां, मेरा नाम मोहित है… आप को कैसे पता चला?’’

‘‘आम के पेड़ पर बने दिल में लिखा देखा था तुम दोनों का नाम.’’

राधिका और मोहित शरमा गए.

‘‘शरमाओ मत… बैठ जाओ…’’

मोहित भी राधिका के पास बैठ गया.

‘‘माली काका, इन बच्चों को आम काट कर खाने को दो.’’

‘‘जी मालिक, अभी लाया…’’ माली काका प्लेट में आम काट कर ले आए और बच्चों के सामने प्लेट रख दी.

‘‘बच्चो, आम खाओ…’’

राधिका मोहित की तरफ हैरानी से देखने लगी.

मोहित ने प्लेट से आम का टुकड़ा उठा कर राधिका को दिया. दोनों बैठ कर आम खाने लगे. विश्वनाथ को आज से पहले कभी ऐसे सुकून का अनुभव नहीं हुआ था.

‘‘माली काका, इन बच्चों को घर ले जाने के लिए भी आम दे दो,’’ विश्वनाथ ने कहा.

माली ने आम दे कर बच्चों को विदा कर दिया. जाते हुए बच्चों को देख कर विश्वनाथ हाथ हिलाते रहे और बोले, ‘‘बच्चो, जब भी समय मिले, मुझ से मिलने आते रहना.’’

‘‘राधिका, आज तो बच गए… मार नहीं पड़ी. अभी तक तो यही होता था कि कोई भी हमें चपत लगा देता था.’’

‘‘आज तो कमाल ही हो गया. कितने अच्छे वाले दादाजी हैं. मैं यों ही डर ही रही थी.’’

बच्चों के चले जाने के बाद विश्वनाथ आरामकुरसी पर बैठ कर मुसकरा पड़े.

देखतेदेखते कब 3 बरस बीत गए, पता ही नहीं चला. मोहित और राधिका को कालोनी के सैक्रेटरी से कह कर विश्वनाथ ने कम्यूनिटी हाल की देखरेख की नौकरी दिलवा दी थी. तब से दोनों मन लगा कर काम कर रहे थे.

एक दिन मोहित अपनी शादी का कार्ड देने के लिए आया, ‘‘दादाजी,

मैं राधिका से शादी कर रहा हूं. आप हम दोनों को आशीर्वाद देने जरूर आइएगा. आप की बात सैक्रेटरी साहब नहीं टालते हैं. सैक्रेटरी साहब ने हमारी के शादी के लिए कम्यूनिटी हाल दे दिया है.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छा हुआ. सारा इंतजाम कालोनी वालों के सहयोग से हो गया है. मैं तुम दोनों बच्चों को आशीर्वाद देने जरूर आऊंगा.’’

शादी वाले दिन विश्वनाथ जब कम्यूनिटी हाल पहुंचे, तो उन्हें देखते ही राधिका और मोहित स्टेज से उतर कर आए और उन के पैर छुए और उन्हें आदर समेत स्टेज पर ले गए.

दोनों के सिर पर हाथ रखते ही विश्वनाथ की खुशी से आंखें भर आईं. राधिका दुलहन के रूप में बहुत सुंदर लग रही थी.

विश्वनाथ ने नई जिंदगी की शुरुआत के लिए राधिका और मोहित के नाम 50,000 रुपए का चैक उपहार में दिया.

विश्वनाथ घर आते हुए सोच रहे थे, ‘पिताजी, आप ठीक कहते थे… बांटने से खुशियां बढ़ती हैं.’

ड्रग्स ऐंड डार्लिंग : क्या थे रिया के इरादे

‘‘अरे, रिया… सिगरेट…?’’ समीर रिया के हाथों में सिगरेट देख चौंका.

‘‘तुम मेरे हाथ में सिगरेट देख कर ऐसे क्यों चौंक गए समीर? कानून की कौन सी किताब में लिखा है कि लड़कियां सिगरेट नहीं पी सकतीं? लड़के सरेआम सिगरेट का धुआं उड़ाते घूमेंगे और लड़कियां 2-4 कश भी नहीं मार सकतीं? वाह, क्या कहने लड़कों की सोच के…’’

हमेशा की तरह रिया ने समीर को चुप कर दिया. वह बड़े शहर की मौडर्न बिंदास लड़की थी. वह समीर जैसे गांव के लड़के से बात कर लेती थी, यही बड़ी बात थी.

नोएडा के एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज में बिजनौर से आए लड़कों का एक ग्रुप था, जिस में समीर भी शामिल था. वे सब लड़कियों से अकसर दूर ही रहते थे. असली बात यह थी कि गांव के लड़कों को शहर की इन मौडर्न बिंदास लड़कियों से बात करने का सलीका ही नहीं आता था.

गांव की लड़कियों और इन शहरी लड़कियों में जमीनआसमान का फर्क था. शहर की इन बिंदास लड़कियों को देख कर लगता था, जैसे ये किसी और ही ग्रह से आई हों.

‘‘लो समीर, तुम भी मारो कुछ कश. क्या जनाना से बने घूमते हो? अरे, सिगरेट पीना तो मर्दों की पहचान होती है,’’ रिया ने कहा.

‘‘नहीं रिया, तुम्हें पता है कि मैं सिगरेट नहीं पीता.’’

‘‘अरे नहीं पीते, तभी तो कह रही हूं कि पी लो. नए जमाने के साथ चलना सीखो. जिंदगी की ऐश लेना सीखो यार,’’ इतना कहतेकहते रिया ने समीर के होंठों पर सिगरेट रख दी. कश खींचते ही उसे खांसी आ गई. लेकिन धीरेधीरे रिया ने उसे सिगरेट पीना सिखा ही दिया.

कभीकभी रिया समीर को ऐसी सिगरेट पिलाती थी, जिसे पी कर वह मदहोश हो जाता था. कितना मजा था, ऐसी सिगरेट पीने में. बारबार ऐसी ही सिगरेट पीने का मन करता था.

एक दिन रिया लाल आंखें लिए समीर के होस्टल में आई. लड़कियों का लड़कों के होस्टल में जाना कोई हैरान कर देने वाली बात नहीं थी. इस इंजीनियरिंग कालेज में लड़कियों को लड़कों के होस्टल में जाने की छूट थी, पर लड़कों को गर्ल्स होस्टल में जाने की छूट नहीं थी.

रिया आज कुछ अजीब सी हालत में लग रही थी. ‘हायहैलो’ के बाद वे दोनों सिगरेट पीने लगे. 2-4 कश के बाद ही अजीब सा मजा आने लगा.

समीर ने रिया से कहा, ‘‘रिया, आज तो सिगरेट में कुछ अजीब सी मस्ती लग रही है.’’

‘‘तो जल्दीजल्दी पी लो न मेरी जान,’’ रिया ने कहा.

‘‘अरे रिया, यह तुम्हें क्या हो रहा है? तुम ने पहले तो मुझे कभी ‘मेरी जान’ नहीं कहा… और आज तुम ने यह कैसी हालत बना रखी है रिया. ये नशीली सी आंखें…’’ समीर ने फूंक ली गई सिगरेट को डस्टबिन में फेंकते हुए कहा.

रिया ने समीर से नशीली आंखों और लड़खड़ाती आवाज में कहा, ‘‘सब तुम्हारे लिए बेबी. और देखो समीर, आज मुझे रिया मत कहो. मुझे डार्लिंग कहो बेबी,’’ कहतेकहते रिया ने अपनी दोनों बांहें समीर के गले में डाल दीं और उस के होंठों को बेतहाशा चूमने लगी.

‘‘अरे रिया, यह क्या कर रही हो?’’ समीर ने पूछा.

लेकिन लगता था कि आज रिया किसी और ही मूड में थी. वह समीर पर हावी हो चुकी थी. समीर को भी बहकने में देर न लगी. वह रिया को उठा कर बिस्तर पर ले गया.

रिया पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी. उस ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. समीर उस की कमसिन जवानी देख कर बहक गया. उस ने रिया को बिस्तर पर पटक दिया. कुछ ही देर में वे दोनों मजे की हद पर पहुंच गए.

इस के बाद तो नशा, शराब और शबाब समीर की कालेज लाइफ का एक अहम हिस्सा बन गया. पैसे की उसे कोई कमी नहीं थी. गांव में काफी जमीन थी. गन्ने की बंपर खेती हो तो किसान मालामाल. रिया ने उसे कब ड्रग्स की लत लगा दी थी, पता ही नहीं चला.

फिर एक दिन अचानक रिया बिना बताए गायब हो गई. उस का मोबाइल फोन लगातार बंद आ रहा था. समीर ने पूरे कालेज में उस के जानपहचान वालों से पता किया, लेकिन कोई कुछ भी बताने को तैयार न था.

समीर ड्रग्स लेने का आदी हो चुका था. उसे यह तब पता चला, जब बिना ड्रग्स के वह तड़पने लगा, सिर पटकने लगा. सिगरेट का नशा कुछ भी नहीं था. कई सिगरेट पीने के बाद भी वह मजा नहीं आता था, जो ड्रग्स लेने में आता था. उस ड्रग का जरीया केवल रिया थी, उसे कहां तलाशा जाए, कुछ पता ही नहीं था.

जब बिना ड्रग्स के समीर से रहा नहीं गया, तब एक दिन रिया की तलाश में वह रिया के शहर अलीगढ़ पहुंच गया. समीर को उस का सही पता तो मालूम नहीं था, लेकिन उम्मीद थी कि कोशिश करने पर वह मिल भी सकती है.

समीर को ऐसा लगता था कि रिया के बिना तो रहना मुमकिन है, लेकिन ड्रग्स के बिना नहीं. कमी तो रिया की भी खल रही थी, लेकिन उस से ज्यादा ड्रग्स की.

यह उम्र ही ऐसी होती है कि ड्रग्स और सैक्स की लत अगर एक बार लग जाए, तो फिर रहा नहीं जाता. लड़की तो दूसरी भी पटाई जा सकती थी, लेकिन समीर के लिए ड्रग्स को पाना मुश्किल था. उसे आज अफसोस हो रहा था कि उस ने रिया से कभी यह क्यों नहीं पता किया था कि ड्रग्स कहां से मिलती हैं.

लेकिन अब पछताने से कोई फायदा नहीं था. 3-4 दिन अलीगढ़ में रिया की नाकाम खोज के बाद समीर वापस नोएडा आ गया. उस का वजन नशे की लत के चलते पहले से काफी कम हो गया था. भूख भी काफी कम हो गई थी. एक सिगरेट बुझाती तो वह दूसरी जला लेता. पढ़नालिखना तो सब सिगरेट के धुएं के छल्ले बन कर उड़ गया था. जिंदगी में कुछ बचा था तो रिया की यादों में खोए रहना और नशे के लिए तड़पना.

ऐसा कब तक चलता? आखिर कालेज वालों ने समीर की ऐसी हालत देख कर उस के परिवार को समय रहते सूचना दे दी. पिताजी उसे घर ले गए. उस की हालत देख कर उन के होश उड़े हुए थे.

समीर को तुरंत बिजनौर के एक नामीगिरामी डाक्टर को दिखाया गया. पिताजी की गैरहाजिरी में डाक्टर ने पूछा, ‘‘कौन सी ड्रग्स लेते थे?’’

अब समीर डाक्टर से क्या छिपाता. उस ने कहा, ‘‘पता नहीं. सिगरेट के साथ लेता था. चरस, गांजा या हेरोइन, पता नहीं.’’

‘‘किस के साथ लेते थे ड्रग्स? कोई लड़कीवड़की का भी चक्कर था क्या?’’

डाक्टर के यह पूछने पर समीर को ऐसा लगा मानो डाक्टर उस के दिमाग में घुस जाना चाहता हो. डाक्टर फ्रैंडली था और वह जानता था कि अपने मरीज से बातें कैसे उगलवानी हैं. समीर ने रिया और अपनी प्रेमकहानी टुकड़ोंटुकड़ों में सुना दी.

कहानी सुन कर डाक्टर मुसकराया और बोला, ‘‘तुम गांव के लड़के शहरी चकाचौंध में एकदम अंधे हो जाते हो. लेकिन दोस्त, यह तुम्हारे अकेले की कहानी नहीं है, बल्कि बहुत से लड़कों की कहानी है.’’

डाक्टर की दवा और उन के दोस्ताना बरताव ने समीर को कुछ ही दिनों में भलाचंगा कर दिया. लेकिन समीर के परिवार वाले उसे वापस नोएडा भेजने के लिए तैयार नहीं थे. वह एकलौती औलाद था और घर में किसी चीज की कोई कमी न थी. जमीनजायदाद काफी थी, नौकरचाकर ही सब काम करते थे.

समीर गांव में हंसीखुशी अपना समय गुजार रहा था कि अचानक एक दिन अनजान नंबर से फोन आया. उधर से रिया ने ‘हैलो’ कहा.

समीर ने तपाक से पूछा, ‘‘अरे रिया, कहां हो तुम? मैं ने तुम्हें कहांकहां नहीं ढूंढ़ा… मैं इतना परेशान और तुम मौज उड़ाती घूम रही हो? मेरा हालचाल भी नहीं जाना… मर के बचा हूं मैं. अब तो बता दो, कहां हो तुम?’’

रिया धीमी आवाज में बोली, ‘अस्पताल में हूं. नशे और डिप्रैशन का इलाज चल रहा है. मैं भी जिंदगी और मौत के बीच चल रही हूं. मुझे माफ कर देना समीर. मैं ने तुम्हें नशे की जानलेवा लत लगाई. दोस्त होने के नाते वादा करो, अब तुम कभी नशा नहीं करोगे.’

रिया की आवाज बेदम सी लग रही थी. समीर ने उस की हिम्मत बढ़ाने की कोशिश की और कहा, ‘‘मैं वादा करता हूं रिया कि अब कभी कोई नशा नहीं करूंगा. सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाऊंगा. बस, तुम जल्दी से ठीक हो जाओ.’’

उधर से बहुत हलकी सी आवाज आई ‘बाय’ और फोन कट गया.

नीरो अभी जिंदा है

बचपन में एक कहावत सुनी थी कि रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था, मगर जब इतिहास पढ़ना शुरू किया तो इस कहावत की जड़ तक पहुंचने की कोशिश की. कहावत से आगे एक तानाशाह राजा की कारिस्तानी पता चली.

हुआ यों कि सम्राट नीरो ने एक बहुत बड़ी पार्टी का आयोजन किया था. तेसतीस के बाग में पार्टी रखी गई थी और रोम साम्राज्य के तमाम बड़े लोगों को न्योता दिया गया था. उस समय उस बगीचे में शाम को रोशनी का इंतजाम नहीं हो पाया था.

रोशनी का बंदोबस्त किस तरह किया जाए, इस के लिए सम्राट नीरो चिंता में पड़ गया. देशभर के इज्जतदार लोगों के बीच अपनी इज्जत का सवाल था. रोशनी व चमकदमक हर हाल में जरूरी थी.
सम्राट नीरो को आइडिया आया और जेल प्रहरियों व अनाथाश्रम संचालकों को निर्देश दिया गया कि जितने भी जेलों में व गरीब और लाचार लोग अनाथाश्रम में पड़े हैं, उन सब को बगीचे के चारों तरफ खड़ा कर के उन को आग के हवाले कर दो, ताकि पूरा बगीचा रोशन हो जाए और देशभर के नामचीन लोगों के बीच उस की इज्जत बरकरार रहे.

मेरे मन में सवाल यह नहीं था कि कितने लोगों को फूंका गया था या वे मरने वाले लोग कौन थे? सवाल यह था कि उस पार्टी में शामिल लोग कौन थे, जो अपना ईमान और इनसानियत सबकुछ ठेंगे पर रख कर पार्टी का लुत्फ उठाते रहे थे?

सवाल यह नहीं था कि विभिन्न आरोपों में जेलों में बंद पड़े लोगों को फूंक दिया गया और न न्यायपालिका बोल पाई और न ही आम जनता. सवाल यह भी था कि जब बेबस और बेसहारा लोगों को उस पार्टी के लिए फूंका जा रहा था, तो किसी ने विरोध क्यों नहीं किया?

जब मैं इतिहास के इन छिपे पन्नों की सचाई खोज रहा था, तो मेरे मन में सवाल यह नहीं था कि गड़े मुरदे उखाड़ कर वर्तमान व भविष्य के लिए बदले व नफरत की फसल की बोआई करूं, बल्कि मेरा ध्यान उसी सवाल पर लगा था कि उस पार्टी में वे मेहमान कौन थे?

देश के किसानों और कमेरों के निकलते जनाजे के बीच खुद को लाचार पाया, तो उस को भूल कर आज भाषण सुनने लग गया. मेरी दुविधा या सवाल यह नहीं है कि देश में किसानों की बरबादी कैसे हुई, बल्कि मेरा सवाल यह है कि किसानों की चिताएं जब बगीचे के चारों तरफ खड़ी कर के फूंकी जा रही हैं, तो इन की पार्टी में शामिल मेहमान कौन हैं?

आज पूरे 20 मिनट भाषण सुना, तो मुझे यकीन हो गया कि नीरो मरा नहीं था, वह अभी जिंदा है.
मेरा सवाल यह नहीं है कि नीरो ऐसा क्यों कर रहा है? मेरा सवाल यह नहीं है कि नीरो की पार्टी की इज्जत के लिए कौन लोग जिंदा फूंके जा रहे हैं?

मेरा असली सवाल यह है कि नीरो की पार्टी में शामिल वे मेहमान कौन हैं, जो तानाशाह राजशाही में बगावत  करने वाले जेलों में बंद आरोपी को फूंक रहे हैं, मगर ह्विस्की का मजा उठा रहे हैं?

वे मेहमान कौन हैं, जो भूखप्यास, सर्दीगरमी में दिल्ली बौर्डर पर बैठे किसानों को पार्टी की इज्जत के लिए जिंदा फूंकने की तैयारी कर रहे हैं, मगर उन के ऐशोआराम में कोई रुकावट नहीं पड़ने देना चाहते.
मेरा सवाल यह नहीं है कि नीरो की पार्टी के चलते वैश्विक महामारी कोरोना में देश क्यों फूंका जा रहा है, बल्कि मेरा असली सवाल यह है कि पार्टी का लुत्फ उठाने वाले कौन लोग हैं?

किसान, बीमार, मजदूर के मुद्दों में कुछ बदलाव हो सकता है, मगर उन का दर्द एक ही है कि वे दिल्ली में बैठे नीरो की पार्टी को रोशन करने के लिए जिंदा फूंके जा रहे हैं. अब मैं बताता हूं कि नीरो की पार्टी के मेहमान कौन थे. सम्राट नीरो, उस के मंत्रिमंडल के सदस्य, सरकारी अफसर, जज, पत्रकार, साहित्यकार, कलाकार, पढ़ाने वाले, क्रांतिकारी विचारक और समाज के बुद्धिजीवी लोग.

जो पार्टी में शामिल नहीं थे, वे जलते गरीबों के बुतों के बीच से ह्विस्की की गिलास लेदे रहे थे और जैसे ही एक लाश जल कर गिरती, वैसे ही अंदर से बाहर की तरफ ऐशोआराम की दवा फेंक दी जाती थी. कुसूर भूतकाल के नीरो का नहीं था और न ही वर्तमान के नीरो का है. कुसूर न किसानों और मजदूरों का है और न ही महामारी से पीडि़तों का है.

नीरो की पार्टी में शामिल कौन लोग हैं, बस इतना देखते रहिए. देशभर में तकरीबन 700 हाईटैक दफ्तर बनाए जा चुके हैं और काम जारी है, बाकी जनता आपस में सहयोग कर के देख ले, शायद बचने का और कोई रास्ता निकल आए.

समाधान: अंजलि की कैसी थी तानाशाही

Story in Hindi

अट्रैक्शन बढ़ाने के लिए करें ये 8 Exercises

जवान होती युवतियों के लिए उन के शरीर की बनावट व कसावट बड़े मायने रखती है, जिस की बदौलत कोई भी युवती किसी युवक को अपनी तरफ न केवल आकर्षित कर सकती है, बल्कि उस के कैरियर को भी प्रभावित करती है. ऐसे में युवतियों के शरीर की कसावट ही उन की सुंदरता का निर्धारण करती है. किसी भी युवती की सुंदरता उस के नितंब के आकार व कसावट, त्वचा, कमर व स्तनों के चुस्तदुरुस्त होने से ही आंकी जा सकती है. शरीर के इन अंगों में ढीलापन किसी भी युवती के लिए दूसरे को अपनी ओर सैक्सुअली अट्रैक्ट करने में बाधक बनता है.

ज्यादातर युवतियां आकर्षक दिखने के लिए भारीभरकम पैसा खर्च कर फिटनैस विशेषज्ञों का सहारा लेती हैं. कई जगह जौब पर ऐसी ही युवतियों को रखा जाता है, जिन की फिगर देखने में जीरो साइज यानी उन के शरीर की बनावट ऐसी हो जो आसानी से किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने की क्षमता रखती हो. इस के लिए युवती के स्तनों में कसाव, नितंबों का भरा होना, चेहरे पर निखार, चरबी मुक्त पतली कमर होना बहुत जरूरी है. फिटनैस विशेषज्ञ निरुपम श्रीवास्तव का कहना है कि सैक्सुअली आकर्षक दिखने वाली युवतियों के शरीर के कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन के लोग दीवाने होते हैं. इन में कसे व उठे नितंब वाली युवतियों की न केवल फैशन में बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में भी डिमांड है. वे आम जीवन में भी काफी लोकप्रिय होती हैं. पतली कमर, कसे स्तन व छरहरा बदन हर किसी को अपना दीवाना बना सकते हैं. सैक्सुअली अट्रैक्ट मानी जाने वाली फिगर को 36-24-36 इंच में मापा जाता है यानी युवती के सब से सैक्सी अंगों का यह आकार स्तन, कमर व नितंबों से मापा जाता है. वहीं अब ग्लैमर, फैशन व फिल्म इंडस्ट्री में 31-23-32 का आकार अच्छा समझा जाने लगा है.

फिटनैस विशेषज्ञ अनुराधा दूबे का कहना है कि सैक्सुअली आकर्षण बढ़ाने के लिए हर युवती को शरीर के इन अंगों का खासा ध्यान रखना पड़ता है. इस के लिए संतुलित खानपान से ले कर व्यवस्थित दिनचर्या की जरूरत होती है. लेकिन जिस की सब से ज्यादा जरूरत होती है, वह है फिगर को सैक्सी बनाए रखने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण व्यायाम, जिन से हर युवती खुद को आकर्षक बना सकती है. इस से न केवल मसाज पार्लर व फिटनैस सैंटर जाने से छुटकारा मिलेगा बल्कि आप अपने बदन को सैक्सी व छरहरा भी बना पाएंगी. सैक्सी दिखने के लिए त्वचा में कसाव के साथ निखार आना भी बेहद जरूरी है. वहीं नितंबों व स्तनों में कसाव, सुडौलता व कमर का पतला होना भी जरूरी होता है. ऐसी फिगर के लिए यहां बताए जा रहे 10 व्यायाम कर आप खुद को सैक्सुअली अट्रैक्ट बना सकती हैं.

1. एयर बाइक

यह व्यायाम त्वचा में कसावट लाने व निखार बढ़ाने के लिए किया जाता है. इस व्यायाम को करने के लिए सब से पहले आप पीछे की तरफ कमर के बल लेटें. इस के बाद दोनों कुहनियों को मोड़ते हुए हथेलियों को सिर के नीचे लगाएं. इस के बाद घुटनों को अपनी तरफ खींचें. फिर पुन: व्यायाम की दूसरी स्थिति में जाने के लिए आप कंधों को दूसरी तरफ ऊपर उठा कर अपनी दाईं कुहनी को बाएं घुटने की तरफ तब तक खींचें जब तक कि दोनों आपस में मिल न जाएं. इस के बाद इसी प्रक्रिया को बाईं कुहनी और दाएं घुटने के साथ करें. इस व्यायाम को कई बार करने से ढीली त्वचा में कसावट व चमक दोनों बढ़ जाती हैं.

2. लैग्स अप स्ट्रैट आर्म क्रंच

इस व्यायाम को करने से आप के ऐब्स व त्वचा दोनों में निखार आता है. इस को करने के लिए सब से पहले आप जमीन पर कमर के बल लेट जाएं और टांगों को 90 डिग्री तक ऊपर की तरफ उठाएं. टांगों को उठाते समय अपने दोनों हाथों में डंबल पकड़ना न भूलें. टांगों को ऊपर उठाने के दौरान डंबल्स भी धीरेधीरे हाथों से ऊपर उठाएं. डंबल्स को जहां तक आसानी से उठा पाएं वहां तक उठाने के बाद उस स्थिति को कुछ सैकंड तक ऐसे ही रहने दें. इस के बाद धीरेधीरे कंधों को ढीला छोड़ दें. इस प्रक्रिया को आप बारबार दोहराएं.

3. लाइंग लैग रेसेज

यह व्यायाम पेट की मांसपेशियों में कसावट लाने के लिए सब से उपयुक्त माना जाता है. इस व्यायाम को शुरू करने के लिए सब से पहले आप कमर के बल जमीन पर लेट कर अपनी टांगों व हाथों को टाइट करें. टांगों को फर्श से ऊपर 90 डिग्री पर उठाएं. इस दौरान जितना हो सके टांगों को टाइट रखें. इस के बाद टांगों को टाइट अवस्था में ही धीरेधीरे नीचे लाएं जब तक कि फर्श से सट न जाएं. इस प्रक्रिया को कई बार दोहराने से पेट व त्वचा में कसावट आती है.

4. सीजर जंप्स

नितंबों को सुडौल बनाने के लिए यह व्यायाम सब से अच्छा माना जाता है. इस के लिए आप को सीधे खड़े हो कर पैरों को फैलाना होता है, जिस से कि बीच में बहुत गैप हो. अब अपने पैरों की उंगलियों को एक तरफ मोड़ कर बैठने की कोशिश करें, लेकिन पूरी तरह बैठें नहीं. हाफ वे सिटिंग की मुद्रा में जितनी देर संभव हो, रहें. अब दोबारा उठ कर इसे करने की कोशिश करें. इस व्यायाम को बारबार करने से नितंबों की मांसपेशियों में कसावट आती है और नितंब आकर्षक दिखने लगते हैं.

4. वौल सिट

यह व्यायाम भी नितंबों को सैक्सी लुक देने के लिए किया जाता है. इस व्यायाम को शुरू करने के लिए सब से पहले अपनी पीठ को दीवार की तरफ ले जाएं और इस तरह बैठें जैसे कुरसी पर बैठते हैं. परंतु इस कसरत के दौरान सचमुच कुरसी का प्रयोग न करें, क्योंकि इस से आप को कोई फायदा नहीं होगा. इस प्रक्रिया के दौरान भी आप को अपना पेट कड़ा रखना होगा और आप का सारा भार पैरों पर होना चाहिए. अगर आप इस कसरत की आदी हो गई हैं तो अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए अपना एक पैर आगे कर के रखें. दर्द कम करने के लिए हर 15 सैकंड में पैरों को स्विच करते रहें. इस से आप के नितंब अट्रैक्टिव नजर आएंगे.

4. स्ट्रेट लैग पल्स

इस व्यायाम को करने के लिए चलने की मुद्रा में कुछ इस तरह खड़े हों कि आप का दायां पैर आगे और बायां पीछे हो. अब बारबार पैर को जमीन से छूने की कोशिश करते हुए बैठें और एकसाथ अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखें. इस मुद्रा में 2-3 मिनट रहने के बाद खड़ी हो जाएं. इस कसरत को जितनी देर हो सके उतनी देर करें. इस प्रक्रिया में आप की रीढ़ की हड्डी सीधी और आप का पेट कड़ा होना चाहिए.

5. पुशअप

स्तनों को आकर्षक बनाने के लिए यह सब से अच्छा व्यायाम माना जाता है. इस व्यायाम में शरीर को हवा में उठाया जाता है. इस व्यायाम को करने के लिए  समतल जगह का चुनाव करना जरूरी होता है, पुशअप्स करने से पहले थोड़ा वार्मअप करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह स्ट्रैंथ ट्रेनिंग ऐक्सरसाइज का एक प्रकार भी है, जो बिना जिम के किया जाता है. वार्मअप करने से आप का शरीर इस ऐक्सरसाइज के लिए थोड़ा तैयार हो जाता है. वार्मअप करने के बाद पुशअप्स की शुरुआत कीजिए. इस व्यायाम को शुरू करने के लिए पेट के बल सीधे हो कर मैट पर लेट जाइए. इस दौरान आप का पूरा शरीर सीधा होना चाहिए. पुशअप्स के दौरान सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका आप के हाथपैरों की होती है, क्योंकि आप के पूरे शरीर का भार इन पर होता है. पुशअप्स से पहले शरीर का भार हाथों और पैरों के पंजों पर रखिए. घुटने भी सीधे रहें.

फिर अपने पूरे शरीर को हवा में कीजिए. अगर आप ने पुशअप्स के दौरान सांस अंदरबाहर करने का सही तरीका अपनाया तो पुशअप्स की गिनती आसानी से बढ़ा सकती हैं. शरीर को नीचे ले जाते वक्त सांस बाहर छोड़ें और उठाते वक्त सांस को अंदर की तरफ खींचिए. यदि पुशअप्स की शुरुआत करने जा रही हैं तो एक बार में ही ज्यादा करने से बचें. इस के 3 सैट बना लीजिए, 10-10 के 3 सैट से इस की शुरुआत कीजिए. बाद में अपनी क्षमतानुसार इस की संख्या बढ़ाइए.

6. डंबल्स

स्तनों को सुडौल बनाने के लिए यह व्यायाम सब से उपयुक्त माना जाता है. इस व्यायाम को करने के लिए सर्वप्रथम आप चटाई पर लेट जाएं और दोनों हाथों में एकएक डंबल ले लें. इस के बाद हाथों को सीधा करें. इस से आप की मांसपेशियों को बल मिलेगा. 2 मिनट तक ऐसा करने के बाद हाथों को अपने शरीर के दोनों तरफ ले जाएं. इस दौरान कुहनी को मोड़ें नहीं और न ही फर्श या चटाई पर टिकाएं. इस के बाद हाथों को फर्श से कुछ इंच ऊपर ही रखें. 10 मिनट तक इसी अवस्था में रहें और फिर हाथों को नीचे की तरफ लें. इस व्यायाम को प्रतिदिन 10 बार करने से स्तनों में आकर्षण के साथ कसावट आती है.

7. स्क्वैट्स

कमर के लिए यह सब से सरल व्यायाम है. इस व्यायाम को शुरू करने के लिए सीधी खड़ी हो जाएं और हाथों को अपने सामने की तरफ सीधे लेते हुए बिना घुटनों को ढीला छोड़ें, धीरेधीरे फिर वापस उसी स्थिति में आएं. यह ऐक्सरसाइज न केवल आप के हिप्स के फैट को कम करने में मदद करती है बल्कि पैरों की मांसपेशियों को भी टोन करती है.

8. साइकिलिंग

यह एक तरह से कमर, जांघों, कूल्हों और पिंडलियों की मांसपेशियों की कसरत होती है, जिस में इस्तेमाल होने वाली साइकिल पर रोजाना 2 से 3 मिनट तक व्यायाम करने से आप काफी कैलोरी बर्न कर सकती हैं. 45 मिनट की साइकिलिंग करें या फिर बाहर भी साइकिल चला कर कसरत कर सकती हैं. इस व्यायाम को करने से आप के शरीर का फैट कम हो जाता है.

वह मोबाइल ऐप पर चलाती थी जिस्म का कारोबार

Crime News in Hindi: धारा 370 हटने और स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों में लगी दिल्ली में हाई अलर्ट था.पुलिस चाकचौबंद और मुस्तैद थी. 14 अगस्त को दिल्ली महिला आयोग की हेल्पलाइन पर एक महिला की घबराई सी आवाज आई,”हमारी सहायता कीजिए, हम कहीं के नहीं रहेंगे.मेरी 20 साल की बेटी घर से गायब है…” महिला आयोग की टीम तुरंत हरकत में आई और उस महिला की तहरीर पर कृष्णा नगर थाने में मामला दर्ज कराया गया.चूंकि दिल्ली में हाई अलर्ट था और पुलिस प्रशासन कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती थी लिहाजा कृष्णा नगर थाने की एक टीम लङकी के घर गई तो वहां उस की छोटी बहन ने पूछताछ में बताया कि उस की बहन की एक दोस्त है, जो ‘कुछ’ जानती है पर बता नहीं रही.पुलिस की टीम तुरंत उस लङकी से मिली. पहले तो उस ने कुछ भी बताने से इनकार किया पर पुलिस के समझानेबुझाने पर उस ने राज पर से परदा हटाया तो पुलिस भी सन्न रह गई.

लड़की ने क्या बताया

उस लड़की ने बताया,”नंद नगरी में एक औनलाइन सैक्स रैकेट चल रहा है, जहां तकरीबन 20-22 लङकियों से जिस्मफरोशी का काम कराया जाता है ” उस ने बताया,”वह तकरीबन 2-3 सप्ताह वहां थी और उस से सोशल मीडिया पर रात 10 से सुबह 6 बजे तक वीडियो कौल करवाई जाती थी”

पुलिस ने बिछाया जाल

पूछताछ के बाद हरकत में आई पुलिस ने तुरंत जाल बिछा दिया.तफ्तीश के बाद जो खुलासा हुआ उस  से पुलिस वाले भी एकबारगी चक्कर खा गए. सैक्स रैकेट एक घर में चलाया जा रहा था, जिसे अंजाम दे रही थी एक महिला.उस के इस काम में साथ दे रहा था उस का पति असगर जो जरूरतमंद अथवा जल्दी पैसा कमाने और ऐश की जिंदगी जीना चाहने वाली लङकियों को अपने जाल में फांसता था.

मोबाइल ऐप्स पर चलाते थे धंधा

धंधा तेज चले इस के लिए यह दंपति मोबाइल फोन पर ऐप्स भी रजिस्टर्ड करवा रखा था.इस ऐप के माध्यम से ग्राहक उन से संपर्क करते थे और फिर चलता था सैक्स और जिस्म की नुमाइश का खेल.

पकड़ में आए आरोपी

पुलिस ने आरोपियों की पहचान 27 वर्षीय नजमा, उस का पति असगर (30) व कमर रजा (30) के तौर पर की. पुलिस ने इन के पास से कई मोबाइल और सिमकार्ड भी बरामद किए हैं.

आरोपियों ने पुलिसिया दबिश और पूछताछ में बताया कि जिस्म की चाहत लिए ग्राहकों को ऐप्स के द्वारा ही लड़कियों की तसवीरें दिखाई जाती थीं.जिस की बोली अधिक होती उसे वैसी ही लङकी का साथ मिलता था.

दिनरात के इस धंधे में ग्राहकों को न्यूड वीडियो कौल भी करवाई जाती थी, जिस का समय होता था रात के 10 बजे से सुबह के 6 बजे तक.इस दौरान लङकी अपने ग्राहक की डिमांड पर न सिर्फ अश्लील बातें करती थी, पूरी तरह न्यूड भी हो जाती थीय

आरोपी अब हिरासत में

अब सभी आरोपियों पर पुलिस ने धाराएं लगा कर जेल भेज दिया है. पर सवाल यह उठता है कि पुलिस तफ्तीश में जिस राज पर से परदा हटा वह हैरान करने वाला जरूर है, क्योंकि इस धंधे में शामिल ज्यादातर लड़कियां तकरीबन 20-22 साल की उम्र की थीं.अगर इन के पास पैसों की दिक्कत थी तो फिर उन के पास कीमती स्मार्ट फोन और महंगे सामान कहां से आए, यह जाननेसमझने की जिम्मेदारी उन के अभिभावकों पर भी थी.

मेरी पत्नी सेक्स के दौरान कुछ ऐसा करती है जिससे शर्मिंदगी का एहसास होता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 25 साल का नौजवान हूं. मेरी शादी को 6 महीने हुए हैं. मेरी पत्नी बिस्तर पर एकदम उतावली हो जाती है और मुझे भी ऐसा ही करने के लिए मजबूर करती है. ऐसा करने से कई बार शरीर पर बिस्तरबाजी के दौरान किए गए प्यार के निशान बन जाते हैं, जो बाद में शर्मिंदगी का एहसास कराते हैं. क्या सभी नए जोड़े बिस्तर पर ऐसा ही उतावलापन दिखाते हैं या मेरी पत्नी को कोई बीमारी है?

जवाब

दोनों ही बातें हो सकती हैं. आमतौर पर सभी नए जोड़े बिस्तर में जाते ही बेकाबू हो जाते हैं. कुछ मामलों में पति या पत्नी जरूरत से ज्यादा हौट या सैक्सी होते हैं, जो दूसरे के लिए परेशानी की वजह बन जाते हैं
प्यार के निशान बनने दें, वे हर्ज की बात नहीं. लेकिन पत्नी को कंट्रोल करने के बजाय मैनेज करें. फोरप्ले को लंबा खींचें और कुछ ऐसा करें कि पहले ही राउंड में पत्नी को सुख मिले, फिर सैक्स करें.
इस दौरान पत्नी को अपनी भी  इच्छा बताएं और उस से ज्यादा मेहनत करवाएं. धीरेधीरे वह आप का बरताव सम झने लगेगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

शौचालय नहीं तो शादी नहीं

Scoiety News in Hindi: मध्य प्रदेश में इंदौर के बुरहानपुर इलाके में शादी के बाद ससुराल पहुंची एक दुलहन का स्वागत एक नई रीति से हुआ. ससुराल पहुंचते ही दूल्हा उस का हाथ पकड़ कर सब से पहले शौचालय दिखाने ले गया, क्योंकि शादी से पहले लड़की की शर्त थी कि लड़के के घर में अगर शौचालय नहीं होगा, तो वह शादी नहीं करेगी. इसी शर्त को मानते हुए दूल्हे शेख एजाज शेख अनवर ने अपनी दुलहन परवीन बानो के लिए पहले घर में शौचालय बनवाया, फिर निकाह किया. बात सही भी है, क्योंकि परवीन बानो की यह लड़ाई अपने बुनियादी हक को ले कर थी.

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर इलाके में भी एक दुलहन ने शादी के बाद विदाई से सिर्फ इस वजह से इनकार कर दिया, क्योंकि उस की ससुराल में शौचालय नहीं था. अब ससुराल वाले शौचालय बनाने का इंतजाम कर रहे हैं, ताकि बहू को घर लाया जा सके.

घर में शौचालय की कमी के चलते घर से बाहर शौच जाने वाली लड़कियों और औरतों के साथ बलात्कार होने की खबरें आती रहती हैं. ऐसे में उन के द्वारा इस तरह के फैसले लेना एक हिम्मत भरा कदम है.

भारत में शौचालय कम और मोबाइल फोन ज्यादा हैं. हैरानी की बात है कि औरतों की सब से बुनियादी जरूरत के प्रति अभी भी इतनी अनदेखी क्यों होती है?

ज्यादा देर तक पेशाब रोकने और कम पानी पीने के चलते लड़कियों के शरीर में खतरनाक बीमारियों के पैदा होने का डर कई गुना बढ़ जाता है. गुरदे की तरहतरह की बीमारियां, पेशाब की नलियों में रुकावट या फिर पेशाब से जुड़े कई तरह के इंफैक्शन का लैवल औरतों में इसी वजह से बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.

एक स्टडी में सामने आया है कि भारत में 16 साल की उम्र से पहले 4 फीसदी लड़कों के मुकाबले 11 फीसदी लड़कियों में पेशाब संबंधी इंफैक्शन पाया है.

शौचालय बनाना तो 10वां हिस्सा काम है. फिर कारपोरेशनों और पंचायतों को घरघर पानी का इंतजाम करना होगा और पूरे इलाके में सीवर डलवाने होंगे. यह कौन और क्यों करेगा? दलितों का काम यहां के सवर्ण करने को तैयार ही नहीं हैं.

सर्द मौसम और सैक्स के टिप्स

Sex Tips in Hindi: हर मौसम में प्रेमीप्रेमिका के प्यार का अपना अलग ही अंदाज होता है. बारिश के मौसम में, सर्दी के सर्द मौसम में प्रेमीप्रेमिका के बीच रंगीनियत अधिक बढ़ जाती है. सर्दियों की गुलाबी ठंड में दोनों आपस में एकदूसरे की बांहों में गरमाहट का एहसास पाना चाहते हैं. साथ ही, ऐसे में सहवास का मजा और बढ़ जाता है.सैक्सोलौजिस्ट डा. चंद्रकिशोर कुंदरा के मुताबिक, ‘‘ठंड के मौसम में पशुपक्षी से ले कर इंसान तक सभी ज्यादा से ज्यादा सहवास करने के इच्छुक होते हैं.’’  इसीलिए अपनाएं कुछ हौट टिप्स जिन के माध्यम से आप सैक्स का भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं :

गरम बाथ का मजा लें

प्रेमीप्रेमिका अकसर पिकनिक पर जाते हैं. पिकनिक स्पौट पर बने रूम में बाथटब है तो ठंड के मौसम में हलके गरम पानी का मजा बाथटब में उठा सकते हैं. बाथटब में कुनकुने पानी में चंदन और गुलाब की कुछ बूंदें डालें व बाथरूम को सुगंधित कैंडल से सजा दें. आप का यह तरीका ऐक्साइटमैंट में नया जोश भर देगा. प्यार में नया तरीका व नई उमंग प्रेमीप्रेमिका के संबंधों में ऊर्जा का संचार करेगी.

कैंप फायर का आनंद लें

ठंड के मौसम में कैंप फायर का मजा ही कुछ अलग है. प्रेमीप्रेमिका अकसर ठंड के मौसम में हिल स्टेशन जाते हैं. ऐसे में अलाव जला कर अपने हमदम के साथ बैठ कर आग सेंकने का मजा उठाएं, इस का अलग ही आनंद है. ठंड में यह कैंप फायर दोनों तरफ अलग ही आग लगा देती है. अनोखे अंदाज में प्रेमीप्रेमिका शारीरिक आनंद उठाते हैं.

नृत्य करें

गुलाबी ठंड के मौसम में रोमांटिक गाना बजाएं और स्लो मोशन में प्रेमीप्रेमिका एकसाथ एकदूसरे की कमर में हाथ डाल कर डांस करें. संगीत की धुन पर आप दोनों के कदम अपनेआप थिरकने लगेंगे. इस से प्यार की तलब और बढ़ेगी. ध्यान रखें कि गाना प्रेमीप्रेमिका की पसंद का हो.

थोड़ी शरारत करें

हलकीफुलकी शरारत से मुहब्बत का इजहार और भी गहरा हो जाता है. प्रेमीप्रेमिका दोनों एकदूसरे के साथ शरारत और मनुहार करें, छेड़छाड़ करें, एकदूसरे को अचानक बांहों में भर लें, किस करें, साथी को फोर प्ले के लिए तैयार करें. यह छेड़छाड़ प्रेमीप्रेमिका के रिश्तों को मजबूत बनाएगी.

स्पर्श करें

स्पर्श, अभिव्यक्ति का सब से अच्छा माध्यम माना जाता है. प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे को प्यारभरा स्पर्श दें ताकि ठंड के मौसम में केवल प्यार और सहवास का आनंद उठा सकें.

एक हो जाएं

गुलाबी ठंड का मौसम बेहद हसीन होता है. इस दौरान प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारना चाहते हैं. सिंगल ब्लैकफिट का प्रयोग करें. सर्द मौसम सैक्स के लिहाज से सब से उपयुक्त है. इस मौसम में एकदूसरे से दूर रहना प्रेमीप्रेमिका के लिए असंभव होता है, ऐसे में जब मौका भी हो तो कहने ही क्या, तो आजमाइए ये हौट टिप्स और उठाइए बिंदास प्रेम का लुत्फ.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें