सत्यकथा: 50 से ज्यादा प्रेमिकाओं वाला सेक्स एडिक्ट

जयपुर पुलिस 23 फरवरी, 2022 को रोशनी नाम की युवती की हत्या के मामले में 28 वर्षीय विक्रम बैरवा उर्फ मिंटू की तलाश कर रही थी. वह करघनी के आर्मी नगर मोहल्ले में एक किराए के मकान में विक्रम के साथ लिवइन रिलेशन में रह रही थी. उस की मौत की खबर सुनने के बाद से ही विक्रम फरार हो गया था. पुलिस को उसे दबोचने मे काफी पापड़ बेलने पड़े थे.

मोबाइल नंबर से उस की जो लोकेशन मिलती, पुलिस जब वहां पहुंचती तो पुलिस के पहुंचने के पहले विक्रम वहां से फरार हो जाता था. काफी मशक्कत के बाद आखिर डेढ़ महीने बाद 8 अप्रैल को उसे अलवर जिले के कठुमर से गिरफ्तार कर लिया. उस वक्त वह उस इलाके के टपूकड़ा में एक दंपति के घर पर ठहरा हुआ था.

जयपुर के करघना थाने की पुलिस टीम उसे अपने थाने ले आई. उस से गहन पूछताछ हुई. पूछताछ में उस ने न केवल 26 वर्षीया रोशनी की हत्या की बात कुबूल कर ली, बल्कि ग्वालियर से जुड़े हत्याकांड और गैंगरेप में शामिल होने की भी बात स्वीकार की. इस के अलावा उस ने झांसा दे कर झूठे प्रेम में लड़कियों को फंसाने के चौंकाने वाले कई खुलासे भी किए.

उस के बाद विक्रम बैरवा उर्फ मिंटू के कुख्यात कारनामों की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह काफी हैरान करने वाली निकली, जिस की शुरुआत 7 साल पहले तभी से हो गई थी, जब उस ने घरबार छोड़ दिया था.

आजादखयाल और बेफिक्री की मौजमस्ती जैसी जिंदगी के शौक के अलावा उस की एक कमजोरी सैक्स की चाहत थी. उस की बुरी आदतें दिनप्रतिदिन बढ़ती चली गईं.

बात अक्तूबर 2021 की है. विक्रम मानसरोवर, जयपुर के एक होटल में ठहरा हुआ था. शाम होने पर कमरे से बाहर सजसंवर कर निकला. रिसैप्शन पर आ कर रूम की चाबी देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया. काउंटर पर बैठी लड़की अपना सिर उठाते ही बिंदास बोल पड़ी, ‘‘क्या गजब का तेज परफ्यूम है!’’

‘‘अच्छा नहीं है?’’ विक्रम मुसकराते हुए बोला.

‘‘मैं खराब तो नहीं बोली,’’ लड़की ने तुरंत जवाब दिया.

‘‘बड़ी हाजिरजवाब हो. यहां की ड्यूटी है क्या? जो सुबह बैठे थे वह कहां गए?’’ विक्रम ने पूछा.

‘‘अच्छा तो मैनेजर साहब, अभी आने वाले हैं. मुझे यहां बैठा दिया और 2 मिनट में आता हूं बोल कर पास में ही गए हैं,’’ लड़की बोली.

‘‘बैठा दिया… इस का मतलब?’’ विक्रम ने सवाल किया.

‘‘मैं यहां की स्टाफ नहीं हूं. लीजिए वह आ गए,’’ लड़की बोली और काउंटर से बाहर निकल आई. अपना छोटा सा बैग उठाया और कमर लचकाती हुई तेजी से रिसैप्शन से बाहर निकल गई.

‘‘गजब की लड़की है, कुछ तो बोलती बताती. मेरे पीछे कौन आया, क्या हुआ?’’ मैनेजर अपने आप से बोल पड़ा.

‘‘बड़ी तेज लगती है.’’

‘‘ऐसा ही समझ लीजिए. आज के वाट्सऐप इंस्टाग्राम के जमाने की है. 2 दिन से नौकरी मांग रही है. एक बात बताऊं, आप की परफ्यूम बड़ी अच्छी है. किसी को भी अपनी ओर खींच लेने वाली है. धांसू.’’ मैनेजर बोला.

‘‘लेकिन उस लड़की को तो इतनी तीखी लगी कि वह तेजी से भाग गई,’’ विक्रम मजाकिया अंदाज में बोला.

‘‘अच्छा उसे छोडि़ए साहब, मेरे लायक कोई और सेवा हो तो बताइए.’’ मैनेजर बोला.

‘‘एक सेवा तो चाहिए आप की, यदि आप करवा सकें तो… उस के बगैर मेरी रात ही नहीं कटेगी,’’ विक्रम बोला.

‘‘बताइए तो सही,’’ मैनेजर छूटते ही बोला.

विक्रम अपना मुंह मैनेजर के कान के पास ले जा कर बोला, ‘‘आज रात के लिए कोई इंतजाम हो जाएगा क्या? एकदम उसी जैसी छमकती हुई देसी, जैसी यहां से गई.’’ विक्रम बोला.

‘‘मैं समझ गया साहब, आप फौजी हो न! हो जाएगा, बेफिक्र रहिए.’’

‘‘जो लगेगा बता दो, अभी ट्रांसफर कर देता हूं.’’ विक्रम बोला.

‘‘आप अभी जहां जा रहे हैं, वहां से हो आइए. रात के ठीक 9 बजे आप के कमरे में होगी 3 से 4 घंटे के लिए.’’ मैनेजर ने बोलते हुए अपने मोबाइल पर 2000 टाइप कर स्क्रीन विक्रम की आंखों के सामने कर दी.

‘‘ओके, तुम तो बहुत समझदार निकले. हो जाएगा. कहां ट्रांसफर करना है, उस का नंबर बता दो.’’ विक्रम बोला.

‘‘ठीक है,’’ मैनेजर के आश्वासन मिलने के बाद विक्रम ने काउंटर पर से अपना मोबाइल ले कर जेब में रखा और गेट से बाहर हो गया.

रात के करीब सवा 9 बज चुके थे. विक्रम बड़ी बेसब्री में था. मैनेजर के आश्वासन के इंतजार का पलपल काटे नहीं कट रहा था. बारबार टीवी का चैनल बदल रहा था. उस ने सोचा जा कर नीचे मैनेजर से मिला जाए या फिर इंटरकौम से बात की जाए.

कुछ सेकेंड रुक कर उस ने इंटरकौम की ओर अपना हाथ बढ़ाया ही था कि रूम की बैल बज उठी. वो तुरंत बोल पड़ा, ‘‘खुला है. आ जाओ.’’

दरवाजा खुलते ही एक लड़की ने अंगरेजी में कहा, ‘‘मैं अंदर आ जाऊं, मैनेजर साहब ने भेजा है.’’

‘‘अरे तुम? तुम तो वही हो, जो…’’ विक्रम फटीफटी आंखों से लड़की को देखते हुए सहसा बोल पड़ा.

‘‘हां, तुम भी तो वही हो…परफ्यूम वाले.’’

‘‘तुम तो छिपी रूस्तम निकली. तो तुम कालगर्ल हो?’’ विक्रम बोला.

‘‘हूं नहीं, मजबूरी में बनना पड़ा है. क्या करूं?’’ लड़की बोली.

इस तरह दोनों के बीच बातें होने लगीं. कुछ समय में ही दोनों दोस्त बन गए. बातोंबातों में लड़की ने अपना नाम रोशनी बताया. उस ने यह भी बताया उस ने यह कदम मजबूरी में उठाया है.

विक्रम उस का दूसरा ग्राहक है. वह जेल में बंद अपने पिता को बाहर निकालने के लिए पैसा जमा कर रही है, ताकि मुकदमा जीत सके.

विक्रम को रोशनी के दिल की बातें चुभ गईं. दोनों पूरी रात कमरे में रहे. उन की नींद सुबह मैनेजर की काल से खुली. बांहों में समाई रोशनी को विक्रम ने खुद से अलग किया. रोशनी हड़बड़ाती हुई उठी. कलाई घड़ी देखी, ‘‘अरे, सुबह के 6 बज गए!’’

रोशनी ने 5-7 मिनट में ही फटाफट कपड़े पहने, अपना मेकअप ठीक किया. बैग उठा कर चलने लगी. विक्रम ने उसे गले लगा लिया. चूमता हुआ बोला, ‘‘वादा करो, आज के बाद से यह काम नहीं. हम लोग साथ रहेंगे. तुम्हारी समस्या मेरी समस्या है. हम लोग मिल कर उसे दूर करेंगे. मैं आर्मी का आदमी हूं. जो कहता हूं करता हूं.’’

‘‘इस के लिए पहले तुम्हें मेरे घर चलना होगा,’’ रोशनी बोली.

‘‘कोई बात नहीं मैं पक्का 8 बजे होटल छोड़ दूंगा. तुम अपने घर का एड्रैस मुझे दो, मैं वहां मिलता हूं,’’ विक्रम ने कहा.

‘‘मेरा एड्रैस फिलहाल जयपुर का बस अड्डा है. हमें हरदोई जाना होगा. कपड़ेलत्ते इसी होटल के एक कमरे में हैं. वह जा कर ले लेती हूं. यहां से साथ चलेंगे.’’

दोनों उसी रोज जयपुर से हरदोई के लिए रवाना हो गए. देर रात तक दोनों हरदोई पहुंच गए. रोशनी ने अपने घर वालों से विक्रम का परिचय एक इनकम टैक्स इंसपेक्टर के रूप में करवाया. उस ने बताया कि पिता को जेल से छुड़वाने में यह मदद करेंगे. साथ ही उस ने यह भी बताया कि पिता के छूटने के बाद वह उस से शादी कर लेगी.

रोशनी के घर वालों ने विक्रम की खूब आवभगत की. उस की मां खुश थी कि उन्हें घर बैठे अच्छी नौकरी करने वाला दामाद मिल गया. विक्रम ने जब देखा कि हवा उस की ओर बह रही है, तब उस ने कोर्टमुकदमे के खर्च के नाम पर कुछ कैश और लाखों रुपए के गहने ले लिए.

अगले रोज दोनों चंडीगढ़ और अन्य शहर होते हुए जयपुर आ गए. वहां उन्होंने आर्मीनगर में थानेदार राजेंद्र यादव के मकान में पहली मंजिल पर एक कमरा किराए पर ले लिया. उन्होंने मकान मालिक को स्पष्ट बता दिया कि वे लिवइन रिलेशन में हैं. उन की शादी तय हो चुकी है. कोर्ट का मामला निपटने तक रहेंगे.

कुछ दिनों में ही उन के बीच खटपट होने लगी. दरअसल विक्रम सैक्स का एडिक्ट था. वह सैक्स के दरम्यान रोशनी को यातनाएं दिया करता था. इसे ले कर रोशनी परेशान रहने लगी थी.

इस कारण उस का ध्यान रोशनी के पिता संबंधी काम से हट गया था. पैसा खत्म होने पर विक्रम उस पर घर से और पैसे मंगवाने की जिद करने लगा था.

तब तक रोशनी को भी उस की असलियत मालूम हो गई थी. इसे ले कर वह पुलिस में शिकायत करने की धमकी भी दे चुकी थी.

रात में उन के बीच इन्हीं सब के लिए बहस हो जाती थी. उसी दौरान एक रोज रोशनी ने कह दिया कि उस के साथ रातें गुजारने से तो अच्छा है दूसरे मर्दों के साथ रातें गुजारे, उन लोगों से पैसा तो मिलेगा.

यह बात 22 फरवरी, 2022 की थी. रोशनी के मुंह से कालगर्ल बनने की बात सुन कर विक्रम आगबबूला हो गया था और उस ने उसी रात तकिए से मुंह दबा दिया. जब वह बेसुध हो गई तब उस ने चुन्नी से उस का गला घोट दिया. उस की हत्या करने के बाद वह उस पर कंबल ओढ़ा कर फरार हो गया. यह सब घटना 15 दिनों में ही हो गई.

अगले रोज सुबह यादव के परिवार वालों ने रोशनी को मृत पाया. इस की सूचना उन्होंने करघनी थाने के प्रभारी बनवारी लाल मीणा को दी. यादव भी उसी थाने में एसआई थे. मामला तुरंत उच्च अधिकारियों तक जा पहुंचा.

यादव ने विक्रम को फोन कर रोशनी के मृत पाए जाने की जानकारी दी. उस ने तुरंत थाने आने की बात तो की, लेकिन वह नहीं आया और उस ने अपना फोन भी स्विच्ड औफ कर लिया.

विक्रम ने इस मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की थी. लेकिन फोरैंसिक जांच टीम ने पहली ही नजर में इसे हत्या करार दिया था. शिनाख्त के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. उस के बाद हत्यारे की तलाश की जाने लगी.

विक्रम के लापता होने पर सौ फीसदी संदेह उस पर ही था. किंतु उस का मोबाइल बंद होने से उस की ट्रैसिंग नहीं हो पा रही थी. संयोग से यादव ने कमरा किराए पर देने के समय उस की और मृतका की पुलिस वेरिफिकेशन तक नहीं करवाई थी.

लाश बरामदगी वाले कमरे में उन के कुछ कागजात में रोशनी और विक्रम के घर का पता मिल गया था. जांच टीम ने रोशनी के घर वालों को हरदोई से बुला कर उन्हें लाश सौंप दी.

पुलिस की एक टीम विक्रम की तलाशी के लिए उस के पैतृक स्थान दौसा जिलांतर्गत धर्मपुरा गांव भेजी गई. वहां विक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

गांव के लोगों से मालूम हुआ कि वह कई सालों से गांव नहीं आया था. उस के बाद पुलिस ने विक्रम के मोबाइल नंबर को सर्विलांस में लगा दिया गया.

रोशनी के बारे में पुलिस को पता चला कि उस के पिता जयपुर जेल में हत्या के आरोप में बंद थे. जबकि रोशनी 4 सालों से जयपुर की एक स्पा में काम कर रही थी.

उस के घर वालों ने बताया कि विक्रम जब उस के घर आया था, तब उस ने खुद को बड़ेबड़े अधिकारियों तक पहुंच होने की बात बताई थी.

घर वाले उस की बातों में आ गए थे और उस ने जैसा कहा वैसा किया था. यही नहीं विक्रम ने रोशनी के पिता को जेल से रिहा करवाने का दावा किया था. इस के लिए मोटी रकम खर्च करने की बात की थी. इसी आश्वासन पर उस ने एक लाख रुपए कैश और करीब 5 लाख रुपए के जेवर ले लिए थे.

विक्रम के बारे में तहकीकात में मालूम हुआ कि वह कुछ दिनों तक चंडीगढ़ में प्राइवेट नौकरी करता था. उस की कदकाठी अच्छी थी. लंबा कद और गठा हुआ शरीर होने का फायदा उठाता था.

उस ने फौजी कट बाल कटवा रखे थे, जिस से लोग उसे सेना का जवान समझ लेते थे. बातें करने में माहिर और मिलनसार प्रवृत्ति का था. रौबरुतबे से वह किसी को भी बड़ी आसानी से अपने झांसे में ले लेता था.

रोशनी की मौत के एक माह बाद भी जयपुर पुलिस विक्रम को अपने कब्जे में नहीं ले पाई थी. जबकि उस की तलाश में दिल्ली, सीकर, अलवर, दौसा के अलावा कई छोटीबड़ी जगहों पर पुलिस छानबीन कर चुकी थी.

आखिर में उस की गिरफ्तारी सर्विलांस में लगे उस के मोबाइल फोन नंबर से ही हुई. उस आधार पर अनवर जिले के वह टपूकड़ा में एक दंपति के घर से पकड़ा गया था.

उस की गिरफ्तारी के बाद जयपुर पुलिस ने राहत की सांस ली थी. डीसीपी (वेस्ट) ऋचा तोमर, एडिशनल डीसीपी जयपुर (वेस्ट) राम सिंह शेखावत, एसीपी (झोवाड़ा) प्रमोद कुमार स्वामी और करघनी थाने के प्रभारी बनवारी लाल मीणा ने विक्रम बैरवा से कड़ी पूछताछ की.

इसी सिलसिले में रोशनी की हत्या के जुर्म के अलावा 2 अन्य वारदातों का भी राज सामने आ गया.

एक मामला अलवर का था. साल 2019 में विक्रम ने 2 दोस्तों के साथ मिल कर एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर लिया था. इस की रिपोर्ट अलवर के सदर थाने में दर्ज है. उस के साथ उस ने गैंगरेप किया था. उस मामले में भी वह फरार चल रहा था.

इस से भी खतरनाक एक मामला गुजरात की पूजा शर्मा के साथ का था. उस के बारे में थाने में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार विक्रम ने उस का 4 अप्रैल को अपहरण कर ग्वालियर ले गया था.

इस में पूजा के प्रेमी संजय ने भी साथ दिया था. दोनों ने उस का सामूहिक बलात्कार कर हत्या कर दी थी. पूजा की भी गला घोट कर हत्या की गई थी.

उस के बाद उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए ग्वालियर में रेलवे की पटरी पर डाल दिया था. उस ने पूजा की मौत को आत्महत्या दिखाने की कोशिश की थी. इस में वह बच निकला था, लेकिन रोशनी के मामले में नहीं बच पाया.

ठीक इसी तरह से विक्रम जिस लड़की की चाहत को दिल और दिमाग में बिठा लेता था, उसे हासिल कर के छोड़ता था. चाहे लड़की स्टूडेंट हो, घरेलू महिला हो, कालगर्ल हो या फिर नौकरीपेशा क्यों न हो. वह सैक्स का भूखा इंसान था.

इस तरह विक्रम ने मुंबई, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अलगअलग जगहों पर रह कर प्राइवेट काम किया और 50 से अधिक लड़कियों को प्रेमजाल में फंसा चुका था.

यह अलग बात है कि उन में अधिकतर सैक्स वर्कर थीं. उन से वह न केवल सैक्स संबंध बनाता था, बल्कि पैसे भी ऐंठता था. कथा लिखे जाने तक विक्रम बैरवा उर्फ मिंटू से ग्वालियर और अलवर पुलिस पूछताछ कर रही थी.

खुदकुशी: सोनी का आखिर क्या दोष था

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खुदकुशी- भाग 4: सोनी का आखिर क्या दोष था

रात होतेहोते जब वह किसी तरह घर पहुंची तो उस की मां बहुत चिंतित नजर आ रही थीं. सोनी के पापा अभी तक औफिस से लौटे नहीं थे. सोनी की मां ने जब सोनी को देखा तो वह डर गईं. सोचने लगीं कि उस की मासूम सी बच्ची के साथ न जाने कौन सा हादसा हो गया. सोनी को वे उस के कमरे में ले गईं, उसे पानी पीने को दिया, फिर उस के सिर को सहलाते हुए पूछा कि क्या बात है, क्या हुआ, सबकुछ सचसच बताओ बेटी. सोनी समझ नहीं पा रही थी कि उस के साथ जो हुआ वह क्या था. ऐसा उस ने कभी कल्पना में भी नहीं सोचा था कि उस के साथ जो हुआ वह सब उसे अपनी मां और पापा को बताना पड़ेगा. हालांकि दर्द से वह लगभग कराह रही थी. उस ने अपनी मां को बाथरूम में जा कर दिखाया, देखते ही उस की मां बेहोश हो गईं. सोनी ने हिम्मत कर अपनी मां के सिर पर पानी के छींटें दिए, सिर सहलाया, तब जा कर कहीं उस की मां होश में आई और होश में आते ही रोने लगीं, पूरा वृत्तांत सुनने के बाद सोनी की मां तो लगभग अर्द्धमूर्छित अवस्था में पहुंच चुकी थीं.

किसी तरह सोनी को फर्स्टऐड दे कर, उसे आराम करने को कह, दूसरे कमरे में निढाल सी पड़ गई थीं सोनी की मां. डाक्टर को दिखाने की खबर सोनी के भविष्य को बदनुमा न बना दे, यही सोच रही थीं सोनी की मां. अगर इस बात की जरा भी भनक किसी को लगी तो कौन करेगा सोनी से ब्याह? इसी तरह के खयाल सोनी की मां के मन में चल रहे थे कि कौल बेल बजी. सोनी की मां की तंद्रा टूटी. सोनी की मां ने जा कर दरवाजा खोला, सोनी के पापा आ गए थे, आते ही सोनी के बारे में पूछा, सोनी की मां ने कहा कि वह अपने कमरे में सो गई है. सोनी की मां ने सोनी के साथ हुए हादसे को छिपा लिया था. बेटी के साथ हुए गैंगरेप को शायद बरदाश्त नहीं कर पाएंगे सोनी

के पिता. रात को अपनी मां से हुई बातचीत से सोनी इतना तो समझ चुकी थी कि उस ने पूजा और सीमा के साथ मिल कर अनजाने में ही सही ऐसा गलत कदम उठाया है कि जिस की भरपाई इस जन्म में तो संभव नहीं. सोनी सोच रही थी कि उस के साथ जो कुछ हुआ और उस की मां ने जो कुछ बताया, इस से तो यही नतीजा निकलता है कि मैं बहुत बुरी लड़की हूं, मेरी सभी सहेलियां बुरी हैं, उन लोगों से मुझे दूरी बना कर रखनी चाहिए थी, पर ऐसा करने पर मेरी पढ़ाई, कहीं जाना, ऐग्जाम देना सब बंद हो जाता. पागल की तरह सोचे जा रही थी सोनी.

दूसरे दिन घर पर सन्नाटा छाया रहा, न जाने सोनी की मां ने सोनी के पिता को क्या कह दिया था इस संबंध में कि वे सिर्फ सोनी के कमरे के बाहर ही एक मिनट रुक कर औफिस चले गए. सोनी घर से दोपहर के वक्त चुपचाप, बिना कुछ बोले निकल कर चल दी और पास ही के थाने में जा कर थानेदार को पूरा वृत्तांत सुना दिया. हालांकि सोनी की कहानी उस की जबानी सुनते हुए थानेदार के साथसाथ अन्य पुलिसकर्मी भी मजा ले रहे थे.

पूरी बात सुनने के बाद थानेदार ने पूछा कि जब घटना हुई उस वक्त तुम ने थाने में आ कर रिपोर्ट क्यों नहीं लिखवाई. जवाब में सोनी कुछ न बोल सकी सिर्फ इतना ही कहा कि मैं आने की हालत में नहीं थी. थानेदार ने उसे जाने को कहा और कार्यवाही करने की बात कही. सोनी घर चली गई. पूजा और सीमा ने उसे इन दोचार दिनों में कभी कौंटैक्ट करने की कोशिश नहीं की. वीरेंद्र और उस के साथियों ने हालांकि एक बार सोनी को थाने से निकलते देखा था.

वीरेंद्र एक अमीरजादा था, ऐयाशी के साथसाथ वह शराब और शबाब का भी आदी था. अपनी पहुंच लगा कर वह साफ बच निकला. लिहाजा, मुकदमा क्षेत्राधिकार के बिंदु पर दर्ज नहीं किया गया और सोनी को थानेदार ने बतलाया कि घटना जहां हुई थी उसी इलाके के थाने में मुकदमा दर्ज हो सकता है और इतने विलंब से तो उस इलाके के भी थाने में मुकदमा अब दर्ज नहीं होगा. सोनी बिना घर में बताए इस थाने से उस थाने के चक्कर लगाती रही परंतु जैसा पुलिस का हाल है कि रसूख वालों की ही वह सुनती है औरों की नहीं इसलिए सोनी कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवा पाई बल्कि थानेदार ने उसे ही भलाबुरा कहा और यह साबित करने की कोशिश करते रहे कि वह एक मनगढ़ंत घटना बयान कर रही है जैसा उस ने बताया वैसा कुछ हुआ ही नहीं. जबकि सोनी की मां चाहती थीं कि वह फिर से सामान्य जिंदगी के लिए खुद को तैयार करे और इस के लिए वे अपनी बेटी को समझाती रहती थीं कि वह घर से निकले. कहीं अगर जाना भी हो तो उसे साथ ले ले. परंतु सोनी पर इस का कोई असर नहीं पड़ रहा था, वह सजा दिलवाना चाहती थी वीरेंद्र और उस के साथियों को और साथ में पूजा और सीमा को भी. न्याय न पाने का सदमा उसे अपने साथ हुए हादसे से भी ज्यादा लगा. उस ने उस रात एक कागज पर लिखा, ‘मैं बहुत बुरी लड़की हूं. वीरेंद्र और उस के साथी हर सीमा को लांघ चुके थे. मेरे मां और पापा मुझ से बहुत प्यार करते हैं. मैं नहीं जानती थी कि मेरे लिए क्या बुरा और क्या अच्छा है.

मुझे पूजा और सीमा ने कई गलत रास्ते दिखाए लेकिन मैं ने उन्हें नहीं अपनाया पर न जाने उस दिन पूजा और सीमा ने ऐसा क्या कह दिया वीरेंद्र और उस के साथियों को कि मैं उस दिन के हादसे के बाद वैसी नहीं हूं जैसी मैं थी अगर उन लोगों को पुलिस सजा देती तो शायद मुझे जीने की कोई वजह मिल जाती. तब मैं यह साबित कर सकती कि मैं निर्दोष हूं पर ऐसा नहीं हुआ. अब जीने की कोई वजह मेरे पास नहीं है, मैं अपने मांपापा को समाज में शर्मिंदा होते नहीं देख सकती. इसलिए मैं हमेशा के लिए जा रही हूं… सोनी.’ सोनी की लाश उस के कमरे के पंखे से झूल रही थी. पहले तो पुलिस ने खोजबीन में सक्रिय होने की तत्परता दिखाई पर सुसाइड नोट पढ़ने के बाद सोनी के मातापिता ने कोई उत्सुकता नहीं दिखाई हत्यारों को पकड़वाने में. हत्यारे तो अभी भी खुले घूम रहे थे. सोनी के मातापिता अपनी इज्जत को सरेआम नीलाम होते नहीं देखना चाहते थे. पत्थर रख लिया था दोनों ने अपने सीने पर और खून का घूंट पी कर भी चुप थे. पुलिस अपने कर्तव्य के प्रति सचेत नहीं थी कि अनुसंधान करे कि सोनी ने क्यों खुदकुशी की और सोनी को खुदकुशी करने के लिए मजबूर करने वाले हत्यारों को खोज निकाले और सजा दे.

शायद सोनी के मातापिता परिवार की इज्जतप्रतिष्ठा को दावं पर नहीं लगाना चाहते थे इसलिए वे भी खामोश थे अपनी बेटी की तरह, जो खामोश हो चुकी थी हमेशा के लिए

खुदकुशी- भाग 3: सोनी का आखिर क्या दोष था

एक दिन पूजा ने झल्ला कर पूछ डाला, ‘‘क्या समझने की कोशिश करेगी अपने मांबाप से,’’ पूजा ने थप्पड़ उठाया था मारने को पर रुक गई. सोनी सहम गई थी परंतु उस ने कहा, ‘‘पूछूंगी कि तुम्हारे ऊपर वह लड़का क्यों सोया हुआ था और एक भी कपड़ा नहीं था तुम दोनों के बदन पर.’’

पूजा कांप गई थी यह सोच कर कि सोनी अपने मातापिता से अगर ऐसी बातें पूछेगी तो वे लोग फिर हमारे मातापिता से इस संबंध में बात करेंगे. फिर सीमा के मातापिता तक भी बात पहुंचेगी. इतना सब सोच कर पूजा का गुस्सा ठंडा हो गया. उस ने सोनी को समझाया और रेस्तरां ले गई. सोनी को इतना तो समझ में आ गया कि इस तरह के सवाल पूजा से पूछने पर वह उसे होटल या रेस्तरां जरूर ले जाएगी. सोनी के लिए यह वाकेआ एक खेल बनता जा रहा था पर वह नहीं समझ रही थी कि यह खेल कितना खतरनाक हो सकता है. अब सोनी के दिमाग में यह बात आने लगी कि जब पूजा नहीं चाहती कि उस ने जो देखा है, किसी से कहे, तो सीमा और वे लड़के जो उस दिन कमरे में थे, भी नहीं चाहेंगे कि उस ने जो देखा है वह किसी से कहे. इस बात को आजमाने के लिए सोनी कभी सीमा से और कभी उन लड़कों से यही कहती और बदले में रेस्तरां या होटल जाती, बाइक पर घूमती. अनजाने में सोनी ब्लैकमेलिंग का खतरनाक खेल खेलने लगी थी.

पूजा और सीमा अब सोनी की धमकियों से तंग आ चुकी थीं. इस बीच उस दृश्य से भी ज्यादा रोमांचक दृश्यों को अंजाम दे चुकी थीं पूजा और सीमा अनेक कमरों में. फिर उसी एक खास दृश्य का उन लोगों के लिए क्या अर्थ रह जाता था, लेकिन सोनी ने तो सिर्फ एक ही दृश्य देखा था इसलिए वह उसी से चिपकी थी. पूजा से ज्यादा नजदीक थी सोनी, सीमा के साथ बातचीत हुआ करती थी सोनी की पर सीमा पूजा की सहेली थी. पूजा सोचती थी, कोई अन्य इस तरह उसे ब्लैकमेल कर रहा होता तो उसे समझाती पर अपनी सहेली सोनी का वह क्या करे. अपने तथाकथित प्रेमियों से भी इस का जिक्र उस ने किया था और एक दिन वह हादसा हुआ जो उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. पूजा ने अपने तथाकथित प्रेमियों से कहा कि वे लोग सोनी को किसी भी तरह से मनवा लें कि वह अब कभी भी इस बात का जिक्र नहीं करेगी परंतु सोनी इस बात को उतनी गंभीरता से नहीं ले रही थी. पूजा को इस बात के लीक होने से डर था कि उसे मिली हुई आजादी छिन जाएगी जो उसे कतई मंजूर नही था. वह स्वच्छंद रहना चाहती थी, साधारण लड़की की तरह जिंदगी जीना उसे पसंद नहीं था. सोनी को पूजा इसलिए एक असाधारण लड़की में तबदील कर देना चाहती थी. बस क्या था पूजा के प्रेमियों ने मतलब यही निकाला कि सोनी को सबक सिखाना है किसी भी कीमत पर.

एक दिन शाम को वह लड़के सोनी को चौकलेटस्नैक्स वगैरा दे कर समझाने की कोशिश करते रहे परंतु सोनी न समझी. उसे समझ में नहीं आया कि जिन लड़कों के साथ वह बाइक पर घूमती है, वे उस को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं. पूजा के प्रेमियों को किसी नासमझ लड़की को सैक्स संबंधों के बारे में समझाने, समाज पर उस का असर, मांबाप पर उस का प्रभाव, को तफसील से समझाने की सलाह तो थी नहीं, उजड्ड गंवार की तरह उन का व्यवहार था. सोनी बारबार यह जानना चाहती थी कि पूजा और सीमा के साथ उन्होंने होटल के बंद कमरे में ऐसा क्या किया कि आज उसे यहां सुनसान जगह पर बुला कर इतना समझायाबुझाया जा रहा है. बहुत मुमकिन था कि अगर पूजा और सीमा उन लड़कों के साथ जो जिस्मानी रिश्ता कायम करती थीं, उसे सोनी को खुल कर समझा दिया जाता तो शायद सोनी को बहुत कुछ खुदबखुद समझ आ जाता और वह इतनी भी नासमझ नहीं थी, आखिर सयानी हो चुकी थी. एक मनोवैज्ञानिक तरीका होना चाहिए सैक्स से अनभिज्ञ ऐसी लड़कियों को समझाने का और खासकर ऐसी स्थिति में तो बहुत ही सावधानी की जरूरत होती है परंतु वे मूढ़मगज लड़के क्या जानें, बस, एक ही भाषा वे जानते थे, शक्ति प्रदर्शन और डराने की भाषा.

इधर सोनी जो उन लोगों से हिलीमिली हुई थी उन लोगों की बात को गंभीरता से नहीं ले रही थी और साथ ही साथ सोनी जैसे यह नहीं समझ पाई थी कि 2 नंगे जिस्म एकदूसरे से लिपटे हुए क्यों थे, उसी तरह यह भी नहीं समझ पाई थी कि उसे भी नंगा किया जा सकता है और पूजा और सीमा के साथ जो वे लड़के करते आ रहे हैं वह उस के साथ भी हो सकता है. इसी तरह वह यह भी नहीं समझ पा रही थी कि सैक्स अगर गहराई तक उतर जाए तो फर्क पड़ता है, लड़के और लड़की दोनों को. लड़कों को बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी सोनी से, वह तो चूंकि पूजा ने कहा था कि सोनी को सबक सिखा दें इसलिए इतनी मशक्कत की जा रही थी. कितना दर्दनाक रहा होगा वह पल जब एकएक कर लड़के सोनी को सैक्स की गहराई समझाते रहे वह भी वहशियों की तरह. पहले तो सोनी के मुंह को जबरन बंद कर दिया गया. उस के बाद सोनी के जिस्म से एकएक कर कपड़े उतार दिए गए और उसे जमीन पर लिटा कर वीरेंद्र के 2 रंगरूटों ने उस के हाथों और पांवों को पकड़ लिया. अब सोनी बोल नहीं पा रही थी, बोल रही थी सिर्फ उस की आंखें, जो आंसुओं से डबडबाई हुई थीं, पहले वीरेंद्र ने उसे सैक्स की गहराई को समझाया. फिर उस ने सोनी के पैरों को दबोच कर रखा. दूसरे ने भी वही किया और तीसरे ने.

सोनी की आंखें भी बंद हो चुकी थीं, खून से लथपथ जांघों के बीच सोनी ने असहनीय दर्द महसूस किया था और बेहोश हो गई थी, लड़के उस के मुंह की पट्टी खोल कर उसे अकेला छोड़ चले गए थे. लड़के बताए गए रेस्तरां पहुंच गए, जहां पूजा और सीमा उन का इंतजार कर रही थीं. पूजा ने पूछा था कि क्यों इतनी देर हो गई उन लोगों को तो वीरेंद्र ने घमंड से पूजा और सीमा को कहा कि अब सोनी कभी भी उन बातों को नहीं दोहराएगी, उसे सबक सिखा चुके हैं हम. सोनी को जब होश आया तो वह खुद को क्षतविक्षत महसूस कर रही थी. नंगा शरीर, जांघों के बीच से रिसता खून, उसे समझ नहीं आ रहा था कि पूजा और सीमा ने इतनी बड़ी साजिश क्यों की, उस के साथ. क्यों उस के शरीर को लड़कों से नुचवा दिया. सिर घूम रहा था सोनी का, ये सब सोच कर. किसी तरह उस ने पास रखे कपड़े पहने और बहुत आहिस्ताआहिस्ता चलने की कोशिश करने लगी.

खुदकुशी- भाग 2: सोनी का आखिर क्या दोष था

पूजा और सीमा जब भी कालेज जातीं तो उन की निगाहें वीरेंद्र, गोपी या राजू को ढूंढ़ती रहतीं और जैसे ही क्लास खत्म होती दोनों अपनेअपने साझा बौयफ्रैंड्स को ले कर किसी गुप्त ठिकाने पर पहुंच जातीं. विवाह के बाद भी कोई इतने नियमित यौन संबंध नहीं बनाता जितने ये लड़कियां बिन ब्याहे बनाने की आदी हो गई थीं. हर दिन जैसे खाना, पीना, पढ़ना होता था उसी तरह पूजा और सीमा के लिए शारीरिक संबंध बनाना था. पर उन की समस्या तब शुरू होती थी जब कालेज में छुट्टियां रहती थीं और तब वे अपनी सहेली सोनी के सहारे अपने अनैतिक यौन संबंधों को अंजाम देती थीं. पूजा और सीमा बहुत कुछ करने की महत्त्वाकांक्षी थीं. अपने कमरे में सनी लियोन, मर्लिन मुनरो, पूनम पांडे की लेटैस्ट नैट पर पोस्ट हुई तसवीरों का प्रिंटआउट लेतीं और दीवारों पर चिपकाती थीं. यौन संबंध बनाने के बाद से पूजा और सीमा ने दीवारों पर नंगधड़ंग मर्दों के भी पोस्टर लगा छोड़े थे. सोनी जब भी उन के होस्टल के कमरे में जाती थी तो उस का सिर घूम जाता था, वह पूछती भी थी कि ऐसी तसवीरें क्यों लगा रखी हैं, तो पूजा और सीमा कहतीं कि ये कमरा तो प्रयोगशाला है यहां भावना को परखनली में डाल कर सैक्सी बनाया जाता है और परिणाम होटल के कमरे में वीरेंद्र के साथ प्राप्त किया जाता है. सोनी की समझ से बाहर थीं ये सब बातें, वह सुन कर भी कुछ समझ नहीं पाती इसलिए बहुत गंभीरता से इन बातों को लेती भी नहीं थी.

खेलने का शौक पूजा को कुछ ज्यादा ही था, वह फुटबौल और बौलीबौल की कालेज टीम की कप्तान थी और कालेज की तरफ से खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने, दूसरे शहरों में आयाजाया करती थी. शारीरिक खेल की लत भी उसे इन खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के दौरान ही लगी. सीमा पूजा की तरह कप्तान तो नहीं थी पर खेल में वह भी रुचि रखती थी और पूजा के साथ दोस्ती गांठ कर कई फायदे उठाती थी. सीमा पूजा की अच्छी प्रशंसक थी और पूजा का अनुकरण भी करती थी. शौर्ट्स और टीशर्ट्स पहन कर खेलने वाली लड़कियों को तो मेल टीचर्स तक खा जाने वाली निगाहों से देखा करते हैं तो उन हमउम्र लड़कों का क्या जो कालेज की खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने सिर्फ इसलिए जाते हैं कि उन्हें लड़कियों का संसर्ग प्राप्त हो सके. नतीजतन, छोटे शहरों की परंपरानुसार विवाह के पहले शारीरिक संबंध बनाने वाली लड़कियों का जो होता है वही हुआ. पूजा धीरेधीरे बदनाम होने लगी और यही बदनामी की बात सोनी को समझ में नहीं आती थी. पूछने पर उसे कुछ बताया भी नहीं जाता था. लिहाजा, वह चुप रहती थी.

सोनी की समस्या तब शुरू हुई जब वह इंतजार करना छोड़ कर एक दिन अचानक उस कमरे में घुस गई जहां पूजा अपने प्रेमी के साथ हमबिस्तर थी. उस दिन सीमा के एक दूर के रिश्तेदार के खाली पड़े घर में 3 लड़के थे, जिन में वीरेंद्र भी एक था जो एकएक कर अपना काम निबटाने में लगे थे. सोनी भी वहीं थी, एक आता, दूसरा जाता, यद्यपि सोनी अनजान थी परंतु जिज्ञासा उसे हो ही रही थी कि आखिर एकएक कर लड़के अंदर जाते हैं जहां पूजा है और थोड़ी देर बाद बाहर आ जाते हैं. सीमा का उस दिन देह सुख का प्रोगाम नहीं था इसलिए वह घर के बगीचे में चली गई थी और पेड़ों के साए में आहिस्ताआहिस्ता चहलकदमी कर रही थी. सोनी से रहा नहीं गया, तीसरा लड़का जब कमरे में दाखिल हुआ तो सोनी ने सोचा कि इस बार वह जा कर उन लोगों की बातें सुनेगी. लौट कर आए 2 लड़के उतनी मुस्तैदी से उस की निगरानी कर भी नहीं रहे थे और ऐसा करना स्वाभाविक भी था, क्योंकि वे लोग निबट चुके थे. बस, फिर क्या था सोनी निढाल पड़े दोनों लड़कों की आंख बचा कर कमरे में अचानक घुस गई और जो देखा उस के लिए बिलकुल अचंभित करने वाला था. इस से पहले न सोनी ने ऐसा कुछ देखा था और न ही ऐसा कुछ सोच सकी थी लेकिन निर्वस्त्र तो वह खुद को भी नहीं देख सकती थी, तो फिर अपनी सहेली पूजा को. वह बाहर भागी लेकिन उस की आंखों में एक खौफ था, नंगेपन का खौफ, बाहर कमरे में लड़के उसे दबोच चुके थे और इस से पहले कि वह कुछ कहती या करती, पूजा कपड़े पहन कर आ गई थी और बिना कुछ कहे उस का हाथ पकड़ कर बाहर की ओर चल दी थी.

पूजा थकी हुई जरूर लग रही थी लेकिन लंबे, कसरती, खिलाड़ी बदन से अभी भी एकदो लड़कों से वह बिस्तर पर निबट सकती थी. लंबे समय के अभ्यास से उस ने अच्छा स्टैमिना प्राप्त कर लिया था. रास्ते में सोनी कुछ बोल नहीं रही थी और न ही पूजा से आंखें मिला पा रही थी. गलती पूजा ने की थी, शर्म सोनी को आ रही थी. न जाने सोनी में कैसे यह एहसास जाग गया था कि वह कुछ ऐसा देख चुकी है जो उसे नहीं देखना चाहिए था. नहीं जानते हुए भी वह उतने बेबाक ढंग से अपनी सहेली पूजा की ओर नहीं देख पा रही थी. जैसी उस की आदत थी लेकिन पूजा के पास वक्त कम था, थोड़ी ही देर में सोनी का घर आ जाता और न जाने सोनी अपने पापामम्मी के सामने अपनी कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करती इसलिए उसे रास्ते में ही समझा देना जरूरी था. बात की शुरुआत करते हुए पूजा ने कहा, ‘‘तुम ने जो भी देखा वह किसी को बताना, नहीं क्योंकि कोई इस बात को सही ढंग से समझेगा नहीं और हम लोगों का होस्टल से निकलना बंद हो जाएगा. जो लड़के मेरे साथ थे उन में से कोई भी कुछ नहीं पूछेगा लेकिन अगर तुम ने मुंह खोला, तो प्रश्नों की बौछार लगा दी जाएगी. चरित्र पर प्रश्न उठेगा, समाज की मर्यादा का प्रश्न उठेगा, घरपरिवार की इज्जत का प्रश्न उठेगा. इन सभी प्रश्नों के उत्तर सिर्फ हम लोगों को ही देने हैं, वीरेंद्र, गोपी व राजू को नहीं. उन से कोई कुछ नहीं पूछेगा,’’ सोनी सिर्फ सुने जा रही थी, कुछ बोल नहीं रही थी.

सोनी घर पर भी चुप ही रही परंतु पूरे वाकये में कुछ न कुछ गलत होते उस ने देखा था, ऐसा उसे लग रहा था. दिन बीतने के साथसाथ अब पूजा के लिए एक नई मुसीबत शुरू हो गई थी कि सोनी उस किस्से के बारे में बारबार पूछती रहती थी और नहीं बताने की सूरत में उसे एक दबी हुई धमकी दे डालती थी कि वह अपने मातापिता से कह कर इसे समझने की कोशिश करेगी.

इश्क का खेल: क्या हुआ था निहारिका के साथ

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खुदकुशी- भाग 1: सोनी का आखिर क्या दोष था

आज के समाज में लड़की समय के बीतने से जवान नहीं होती बल्कि उसे घूरघूर कर जवान कर दिया जाता है. सोनी, पूजा, सीमा इन्हीं लड़कियों में से हैं जिन्हें लोगों ने समय से पहले जवान कर दिया था. अभी ये तीनों टीनएजर्स हैं और छोटे शहर के तथाकथित आधुनिक समाज की आधुनिक लड़कियां हैं जो बौयफ्रैंड बनाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती हैं. सोनी नहीं समझ सकी थी कि उस के जानेपहचाने लड़के जिन्हें वह अपना बौयफ्रैंड समझती थी, उसे इतना तंग और अपमानित कर देंगे कि एक दिन उसे दुनिया छोड़नी पड़ेगी. वह जिन्हें अपने आसपास हर वक्त देखती थी, जिन के साथ प्राय: घूमने, ट्यूशन पढ़ने व कालेज जाती थी वही उसे अपनी जान देने को मजबूर कर देंगे. वह सोच रही थी कि आखिर ये सभी लड़के पूजा के साथ भी तो इधरउधर घूमते नजर आते थे. पूजा ही तो उसे भेजा करती थी उन लड़कों में से कभी एक के पास और कभी दूसरे के पास. उस वक्त तो वे लड़के उस के साथ बड़े रहमदिल की तरह पेश आते थे, उस की किताबें ले लेते थे, उसे बाइक पर कहीं दूर लंबे सफर पर भी ले जाते थे. ये लोग उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकते, मजाक कर रहे हैं, फिर छोड़ देंगे, वह समझती थी. लेकिन उन लड़कों के उस के साथ शारीरिक रोमांस को वह समझ नहीं पाई थी. वह खुश होती थी. जब दोएक सहेलियों के साथ वह होटल या रेस्तरां में जाती थी तो कभी बिलविल के चक्कर में वह नहीं पड़ी. बस चाट खाई, आइसक्रीम खाई, चाइनीज फूड लिया, इतने से ही उसे मतलब रहता था. यह तो वह जानती थी कि उस की सहेली पूजा होटल के अंदर किसी कमरे में अपने किसी बौयफ्रैंड से मिलने गई है, बातें करती होगी ऐसा सोचती थी वह. वह यह नहीं सोचती थी कि बातों के अलावा भी कोई और संबंध एक जवान होती लड़की एक लड़के से बना सकती है.

दीनदुनिया से बेखबर सोनी ऐसे परिवार में पलीबढ़ी थी जहां सिर्फ प्यार ही था. मातापिता का प्यार, भाई का प्यार, चाचाचाची का प्यार, दादादादी का प्यार. कला की छात्रा रही सोनी सैक्स के बारे में सिर्फ इतना ही जानती थी जितना एक सभ्य युवती जानती है. शादी के पहले सैक्स की कोई जरूरत ही नहीं होती ऐसी युवतियों को. सोनी वैसी लड़कियों में से थी जो शादी के बाद अपनी सुहागरात में सैक्स के टिप्स अपनी भाभियों, बड़ी बहनों या फिर कामसूत्र की पुस्तकों से लिया करती हैं. गहराई तक जाने वाला सैक्स जो हमारे समाज में शादी के बाद ही जाना जाता है या यों कहिए जानना चाहिए, सोनी नहीं जानती थी. अगर सोनी गलत संगत में नहीं पड़ी होती तो शायद जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही होती. सोनी को यह नहीं मालूम था कि लड़के तो लड़के, मर्द किसी भी उम्र की लड़कियों के वक्ष और नितंबों को किस कारण से घूरते हैं. सोनी को यह भी नहीं मालूम था कि उस के साथ रहने वाले लड़के उसे अपनी तीसरी आंख से पूर्ण नंगा कर कई बार देख चुके हैं. सोनी कभीकभी अपनी सहेलियों से पूछती थी कि वे क्यों उसे मना करती हैं होटल और रेस्तरां में घटने वाली तमाम बातों को मम्मीपापा को न बताने को, जिस पर उस की सहेलियां उत्तर देने के बजाय उसे धमकी देती थीं कि वे कभी उसे कहीं भी नहीं ले जाएंगी. बाइक पर घूमने का मौका फिर कभी नहीं मिलेगा. सोनी चुप हो जाया करती थी और घर पर भी कुछ नहीं कहती या पूछती थी. फिर भी सयानी होती लड़की थी, कालेज में, महल्ले में अपनी सहेलियों और उन के बौयफ्रैंड्स के बारे में कई उलटीसीधी बातें सुनती थी तो उस का जिक्र वह अपनी सहेली पूजा से अवश्य करती, लेकिन वह उसे टाल जाती.

पूजा और सीमा होस्टल में अपने घर से दूर रह कर पढ़ाई कर रही थीं. खुले व विद्रोही विचारों वाली पूजा और सीमा में खूब पटती थी, वे लड़कों से मजा लेने की हिमायती थीं और लड़कों से खूब खर्च भी करवाती थीं और उन के साथ हमबिस्तर भी होती थीं. पूजा और सीमा का मानना था कि जब उन के बौयफ्रैंड्स वीरेंद्र, गोपी और राजू को उन के साथ शारीरिक संबंध बनाने में कोई रोकटोक नहीं है तो उन लोगों को भी समाज या आसपास के लोग कैसे रोक सकते हैं. पूजा को फुरसत ही नहीं थी कि वह अपने बौयफ्रैंड के साथ हुए शारीरिक संबंधों के बारे में सोचे कि उस की इन हरकतों से उस के सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है या उस के परिवार को इस का क्या खमियाजा भुगतना पड़ सकता है. समाज उस के प्रति क्या धारणा बना रहा है, उस के अनैतिक संबंध के प्रति, तो फिर वह सोनी के दिलोदिमाग में क्या चल रहा है, इस की चिंता क्यों करती. देह सुख की लत लग गई थी पूजा और सीमा को. यही देह सुख सोनी को भी प्रदान करना चाहती थीं पूजा और सीमा इसलिए धीरेधीरे सोनी को भी देह सुख हासिल करने की प्रक्रिया में डाल रही थीं. पूजा और सीमा के लिए देह सुख दुनिया का सब से बड़ा सुख था उसे वे किसी भी कीमत पर हासिल करने की चाहत रखती थीं. पूजा और सीमा कहा करती थीं कि देह सुख दुनिया का सब से बड़ा सुख है. तख्त ओ ताज पलट गए इसी देह सुख प्राप्ति में.

देशविदेश के कई नामीगिरामी साहित्यकार, कवि, वैज्ञानिक जिन के लिए हमारे मन में बड़ी इज्जत हो सकती है जैसे फ्रांस के चर्चित लेखक वाल्जाक ने अपनी उम्र से बड़ी महिला डी बर्नी के साथ वर्षों यौनाचार किया, टैलीफोन के आविष्कारक अलैक्जेंडर ग्राहम बेल अपनी छात्रा मैविल हार्वर्ड के साथसाथ उस की मदद से कई अन्य छात्राओं के साथ भी लगातार यौनाचार करते रहे. अंगरेज कवि लौर्ड वायरन जिन की कविताएं हम अंगरेजी साहित्य में पढ़ते हैं अपने मित्र कैरो की सास के साथ यौनाचार करते रहे, प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपनी पत्नी को धोखा दे कर नर्स एल्सा लोवेंथल से जीवनभर यौनाचार किया, साम्यवाद के जनक कार्ल मार्क्स ने अपनी नौकरानी के साथ न सिर्फ यौनाचार किया बल्कि उसे गर्भवती भी बना दिया था. यौनाचार से पूरा इतिहास भरा पड़ा है अगर लिखने बैठ जाऊं तो इन साहित्यकारों, कवियों, वैज्ञानिकों के यौनाचार पर पुस्तक लिख सकती हूं, पूजा ने अपनी जानकारी पर गर्व करते हुए कहा था, सीमा ने भी हामी भर दी थी.

मनोहर कहानियां: सूटकेस में बंद हुई प्यार की दास्तान

बात 24 मार्च, 2022 की है. रात के 8 बज गए थे. हरिद्वार के पीरान कलियर में स्थित दून साबरी गेस्टहाउस का मैनेजर कमरेज उस रोज दोपहर बाद ठहरे लोगों की डिटेल रजिस्टर में एंट्री कर रहा था. तभी अचानक उस की नजर एक नीले रंग के बड़े सूटकेस पर पड़ी, जिसे एक युवक लगभग घसीटते हुए ला रहा था. युवक की बौडी लैंग्वेज से सूटकेस के भारीपन का अंदाजा लगाया जा सकता था. वह युवक बड़ी मुश्किल से उसे ला रहा था.

सूटकेस को देख कर कमरेज को याद आया कि करीब 4-5 घंटे पहले ही यह युवक इस सूटकेस और एक युवती के साथ गेस्टहाउस में आया था. दोनों स्कूटी से आए थे. युवती एक हाथ से सूटकेस को सहारा देते हुए पकड़े थी, जबकि दूसरे हाथ में केक का एक छोटा डिब्बा था. दोनों को मुश्किल से संभाले थी.

संयोग से रजिस्टर में 6 एंट्री के पहले ही कमरेज ने दोनों के नाम लिखे थे. युवक ने अपना नाम गुलबेज और युवती का नाम काजल लिखवाया था. उन्होंने पता हरिद्वार के ज्वालापुर का दिया था.

इस पर मैनेजर कमरेज को आश्चर्य हुआ था कि कोई व्यक्ति उसी शहर का हो और गेस्टहाउस में ठहरे. किंतु उस के स्कूटी से आने के कारण समझा कोई लोकल होगा. कई बार घरेलू आयोजनों की वजह से कुछ लोग कुछ घंटे के लिए होटल या गेस्टहाउस का कमरा बुक करवा लेते हैं.

खैर, उस वक्त कमरेज को युवक पर संदेह हुआ, क्योंकि उस ने तब तक गेस्टहाउस नहीं छोड़ा था और अपना सामान ले कर जा रहा था. उस के दिमाग में सवाल कौंध गया, ‘आखिर वह सूटकेस ले कर कहां जा रहा है? वह भी अकेले और उस की स्कूटी कहां गई, जिस पर वह आया था?’

संदेह का एक कारण और भी था कि पहले गुलबेज गेस्टहाउस में युवती के साथ आया था. वह सूटकेस लिए थे, जिस के उठाने या ले जाने से हलका प्रतीत हो रहा था. युवती उसे बड़ी आसानी से एक सहारे से स्कूटी पर पकड़ कर लाई थी.

कमरे तक सूटकेस को युवक बड़ी आसानी से खुद ले गया था. किंतु जब वह वापस जा रहा था, तब सूटकेस काफी भारी भी लग रहा था और साथ में युवती भी नहीं थी.

कमरेज ने तुरंत पास बैठे लड़के से कहा, ‘‘सोनू जा, भाग कर देख तो थर्ड फ्लोर के कोने वाला कस्टमर कमरा खाली कर गया क्या?’’

सोनू कस्टमर के कमरे की तरफ भागा. कमरा खुला मिला. कमरेज ने इधरउधर नजर दौड़ाई, लेकिन युवती कमरे में कहीं नजर नहीं आई.

मैनेजर भी काउंटर छोड़ कर मेन गेट तक आ गया. सोनू भी जल्द भागता आ कर बताया, ‘‘कमरे में तो कोई नहीं है. कमरे का दरवाजा भी पूरा खुला है.’’

यह सुन कर कमरेज को दाल में कुछ काला नजर आया. लपक कर युवक के पास जा पहुंचा. मैनेजर ने युवक से कड़कती आवाज में पूछा, ‘‘अरे भाई, बगैर बताए सूटकेस ले कर कहां जा रहे हो?’’

‘‘जी…जी…’’ युवक सकपका गया. कुछ ज्यादा नहीं बोल पाया.

‘‘जी, जी क्या करते हो? तुम्हारे साथ जो लड़की आई थी वह कहां है? तुम ने गेस्टहाउस चैक आउट किया? सूटकेस में क्या रखा है, जो इतना भारी हो गया?’’ कमरेज ने लगातार कई सवाल दाग दिए.

युवक कोई जवाब दिए बिना कमरेज को देखने लगा.

‘‘मुझे क्या देखते हो? मैं जो पूछ रहा हूं उस का जवाब दो और इस सूटकेस में क्या है? इतना भारी क्यों है?’’

‘‘जी..जी कुछ नहीं, मेरा कुछ सामान है?’’ युवक घबराहट के साथ बोला.

‘‘सामान! कैसा सामान? चलो खोल कर दिखाओ,’’ कमरेज बोला.

‘‘कुछ नहीं, मेरा ही सामान है.’’ बोलते हुए युवक ने हाथ से सूटकेस छोड़ दिया. सीधा खड़ा सूटकेस वहीं जमीन पर घप्प की आवाज के साथ गिर पड़ा. युवक भागने के लिए ज्यों ही मुड़ा, कमरेज ने लपक कर उस की पीठ पर टंगा बैग पकड़ लिया.

अपनी ओर खींचते हुए बोला, ‘‘अरे बदमाश कहीं का, भागता कहां है? चल पहले तू सूटकेस खोल कर दिखा वरना… अभी पुलिस को फोन करता हूं.’’

युवक की गरदन पर कमरेज ने पकड़ मजबूत बना ली. वहीं से सोनू को आवाज लगाई, ‘‘अरे सोनू, पुलिस को जल्दी फोन मिला, बोलना अर्जेंट है.’’

गुलबेज से युवती के बारे में पूछा तो वह सकपका गया और उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. कमरेज का शक गुलबेज पर और गहरा हो गया. उस ने गुलबेज को डांटते हुए सूटकेस खोलने को कहा.

सूटकेस में निकली लाश

डरतेडरते गुलबेज ने कांपते हाथों से सूटकेस के लौक में चाबी लगाई. जब सूटकेस खुला, तब उस के अंदर का हाल देख कर कमरेज की आंखें फैल गईं. सूटकेस में उस के साथ आई युवती काजल की ठूंसी हुई लाश थी.

कमरेज ने गुलबेज का कालर पकड़ कर कड़कती आवाज में पूछा, ‘‘यह तूने क्या कर दिया? यह लड़की तेरी क्या लगती थी?’’

‘‘जीजी पुलिस को मत बुलाना, मैं बताता हूं. सब कुछ बताता हूं. हमारे आप के बीच बात रहे तो अच्छा है.’’ गुलबेज दोनों हाथ जोड़ कर कमरेज से मिन्नतें करने लगा.

‘‘बता यह लड़की कौन है?’’

‘‘यह मेरी प्रेमिका थी. घर वाले इस की मेरे साथ शादी करने के खिलाफ थे, हम लोग यहां जन्मदिन मनाने आए थे, लेकिन दुखी प्रेमिका ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली. मैं भी इसे गंगनहर में फेंक कर आत्महत्या कर लूंगा…’’ युवक बोला.

गुलबेज की बातें सुन कर कमरेज को और भी आश्चर्य हुआ. वह सोच में पड़ गया एक की जान जा चुकी है और दूसरा अपनी जान लेने को तुला है. गंगनहर में कूद कर आत्महत्या की योजना बनाए हुए है.

तब तक सूटकेस में युवती की लाश मिलने की सूचना आसपास फैल गई थी. कुछ लोगों की भीड़ लग गयी थी.

यह घटना उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के थाना पीरान कलियर क्षेत्र की थी. मशहूर दरगाह पीरान कलियर में देशविदेश से हजारों जायरीन प्रतिदिन जियारत करने पहुंचते हैं. कलियर दरगाह का क्षेत्र मुसलिम बाहुल्य है. कलियर पुलिस को सूटकेस में युवती का शव मिलने की सूचना मिल चुकी थी.

थानाप्रभारी धर्मेंद्र राठी उस वक्त थाने में मौजूद थे. वह सूचना पाते ही सक्रिय हो गए. वह एसआई गिरीश चंद्र, शिवानी नेगी, देवेंद्र चौहान, कांस्टेबल सोनू कुमार और इलियास के साथ 10 मिनट में ही गेस्टहाउस पहुंच गए. साथ ही राठी ने इस की सूचना सीओ (रुड़की) विवेक कुमार और एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोवाल को भी दे दी.

राठी ने सब से पहले गेस्टहाउस के मैनेजर कमरेज से जानकारी ली. सूटकेस में पड़ी लाश पर एक नजर डाली और अपने सहयोगियों से इस की बारीकी से तहकीकात करने को कहा. कमरेज ने राठी को बताया कि उसी रोज दोपहर 3 बजे गुलबेज एक युवती काजल के साथ स्कूटी से गेस्टहाउस आया था.

पुलिस ने की छानबीन

तब गुलबेज के पास एक बड़ा सूटकेस और एक केक का डिब्बा भी था. गुलबेज ने कमरा लेते समय बताया था कि वह अपनी प्रेमिका काजल के साथ जन्मदिन मनाने आया है. काजल को ज्वालापुर (हरिद्वार) की निवासी बताया था. उन्हें थर्ड फ्लोर के किनारे का कमरा अलौट कर दिया गया था. उस ने बताया था कि जन्मदिन मनाने के लिए उस के कुछ गेस्ट भी आएंगे.

इसी के साथ कमरेज ने राठी को गुलबेज द्वारा सूटकेस ले कर जाने, संदेह होने पर उसे जबरन खुलवाने और उस में रखी काजल की लाश होने के बारे में बताया.

अब बारी थी गुलबेज से पूछताछ करने की. राठी ने उस से लाश के बारे में पूछताछ शुरू की. गुलबेज ने पुलिस को बताया कि पिछले 8 सालों से काजल के साथ उस के प्रेम संबंध थे. वे काफी अरसे से शादी करना चाहते थे, मगर काजल के घर वाले विरोध कर रहे थे. काजल इस कारण दुखी थी. दोनों यहां जहर खा कर आत्महत्या करने के लिए गेस्टहाउस में आए थे.

काजल ने जहर खाने में जल्दबाजी कर दी थी, जबकि हम दोनों को एक साथ ही जहर खाना था. उस के जहर खाने से पहले ही काजल ने जहर खा लिया और वह मर गई.

गुलबेज ने बताया कि उस के बाद ही उस ने पहले लाश को सूटकेस में भर कर गंगनहर में फेंकने की योजना बनाई. लाश सहित सूटकेस को गंगनहर में फेंकने के बाद वह खुद गंगनहर में छलांग लगा कर आत्महत्या करने वाला था.

थानाप्रभारी धर्मेंद्र राठी द्वारा गुलबेज से पूछताछ के दरम्यान ही सीओ विवेक कुमार और एसपी प्रमेंद्र डोवाल भी आ गए. दोनों अधिकारियों ने भी मौके का निरीक्षण किया. कमरेज, सोनू और गुलबेज से मामले की जानकारी ली.

मौके की काररवाई करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दी. उस के बाद डोबाल ने गुलबेज को थाना कलियर ले जा कर उस से गहन पूछताछ की जिम्मेदारी थानेदार गिरीश चंद को दे दी.

रमसा गुलबेज से नहीं करना चाहती थी शादी

रात के 12 बजे गुलबेज से काजल की मौत के बारे में नए सिरे से पूछताछ की जाने लगी. वहां भी उस ने वही पहले वाली साथसाथ जहर खा कर आत्महत्या करने की कहानी दोहराई.

काफी देर तक गुलबेज ने पुलिस को झांसा देने की कोशिश की. तभी थानाप्रभारी ने सख्ती दिखाते हुए उस से पूछा, ‘‘जब तुम दोनों को जहर खा कर ही मरना था, तब बड़ा सूटकेस क्यों ले कर आया था?’’

इस सवाल का जवाब वह नहीं दे पाया.

इसी के साथ उन्होंने उस से कहा कि लड़की की मौत का कारण तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जल्द ही पता चल जाएगा. इस से पहले उस के खिलाफ आत्महत्या करने, लाश को ठिकाने लगाने, सबूत मिटाने आदि की कानूनी धाराओं से वह नहीं बच पाएगा. तब भी उसे जेल तो जाना ही पड़ेगा.

यह सुन कर वह थानाप्रभारी राठी के आगे गिड़गिड़ाने लगा. फिर अपना जुर्म कुबूलते हुए गुलबेज ने जो कुछ बताया, वह पहले वाली कहानी से बिलकुल अलग था. इस पूछताछ में पता चला कि मृतका काजल नहीं, बल्कि रमसा थी. वह थाना मंगलौर के मोहल्ला लालबाड़ा की रहने वाली थी. उस ने दून साबरी गेस्टहाउस में कमरा नं 301 लेते समय मैनेजर को काजल नाम की फरजी आईडी दी थी.

यह सच था कि गत 8 सालों से रमसा से उस के प्रेम संबंध चल रहे थे. रमसा के घर वाले उस के साथ शादी नहीं करना चाहते थे. रमसा स्थानीय कालेज की बीकौम की छात्रा थी.  घटना के दिन दोपहर 3 बजे वह रमसा को स्कूटी पर बैठा कर कलियर के गेस्टहाउस में मंगलौर से लाया था. रमसा गुलबेज की दूर की रिश्तेदार भी थी.

आरोपी गुलबेज की ज्वालापुर में मोबाइल रिचार्ज की दुकान है. उस के पिता सनव्वर ज्वालापुर में ही कौस्मेटिक सामान की दुकान चलाते हैं. परिवार में अपने 3 भाइयों व एक बहन में गुलबेज सब से बड़ा है. दूसरी ओर रमसा भी अपने घर में 2 बहनों व 2 भाइयों में सब से बड़ी थी.

गेस्टहाउस के कमरे में गुलबेज ने केक काट कर रमसा का जन्मदिन मनाया था. उस के बाद रमसा के सामने शादी करने का प्रस्ताव रखा था. शादी करने से रमसा ने साफ इनकार कर दिया था.

काफी मनाने पर भी जब रमसा नहीं मानी थी, तब गुलबेज को गुस्सा आ गया था. उस के बाद ही उस ने गुस्से में वहां रखे तकिए से उस का मुंह दबा कर मार डाला था.

रमसा की कुछ मिनटों में ही दम घुटने से मौत हो गई थी. गुलबेज ने यह भी स्वीकार कर लिया कि उस ने जहर खा कर आत्महत्या करने की झूठी कहानी बताई थी. रमसा मातापिता के शादी में बाधा बनने की कहानी भी मनगढ़ंत थी. दरअसल रमसा का ही उस से शादी करने का मन नहीं था.

हत्या करने की पहले से बना ली थी योजना

गुलबेज ने बताया कि उसे रमसा द्वारा शादी से इनकार किए जाने की आशंका पहले से थी. इस कारण ही वह पूरी योजना बना कर गेस्टहाउस में ठहरा था.

उस की हत्या गेस्टहाउस में करने के बाद उस का शव ले जाने के लिए नीले रंग का सूटकेस पहले से ही ले कर आया था. काजल के नाम से रमसा की फरजी आईडी भी तैयार की थी.

इस के बाद थानाप्रभारी राठी ने गुलबेज के बयान दर्ज कर लिए. मृतका रमसा की हत्या की सूचना पुलिस ने तत्काल उस के पिता राशिद निवासी लालबाड़ा, मंगलौर को दे दी.

बेटी की नृशंस हत्या की सूचना पा कर राशिद परिजनों सहित रोतेबिलखते थाना कलियर पहुंचे. राशिद ने थानाप्रभारी को बताया कि रमसा अपने पड़ोस में हो रही एक शादी में शामिल होने के लिए घर से निकली थी.

देर रात तक जब वह घर वापस नहीं लौटी थी, तब उन्होंने रमसा के लापता होने की सूचना मंगलौर कोतवाली में लिखवाई थी.

इस के बाद कलियर पुलिस ने राशिद की ओर से रमसा की हत्या का मुकदमा गुलबेज ज्वालापुर हरिद्वार के खिलाफ दर्ज कर लिया था. अगले दिन एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोवाल ने मीडिया को रमसा की हत्या का खुलासा किया.

25 मार्च, 2022 को कलियर पुलिस ने आरोपी गुलबेज पुत्र सनव्वर को अदालत में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. रमसा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उस की मौत का कारण दम घुटना बताया गया. कथा लिखे जाने तक आरोपी गुलबेज जेल में बंद था. रमसा की हत्या के मामले की विवेचना थानाप्रभारी धर्मेंद्र राठी कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जगदीश प्रसाद शर्मा ‘देशप्रेमी’

सत्यकथा: ममता पर भारी पड़ा अंधविश्वास

दक्षिणी दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में गश्त लगा रही पुलिस कंट्रोल रूम की टीम को 21 मार्च की शाम साढ़े 4 बजे सूचना मिली कि कोई 2 महीने की बच्ची लापता है. यह सूचना बच्ची के पिता गुलशन कौशिक ने दी थी.

पीसीआर वैन पर तैनात पुलिसकर्मी ने सूचना पाते ही इस की जानकारी स्थानीय थाना समेत डीसीपी (दक्षिण) बेनिता मैरी जैकर तक को दे दी. एक बच्ची के लापता होने की खबर मिलते ही मालवीय नगर थाना पुलिस कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गई.

पुलिस के पहुंचने से पहले ही परिवार के सभी सदस्य बच्ची की तलाश में जुट गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर 4 माह की बच्ची कहां हो सकती है? जरूर कोई ले गया होगा?

लेकिन कौन? ये सवाल गंभीर और चिंताजनक था. कारण, उस वक्त बच्ची के पिता और दूसरे सदस्य मकान के पास में ही स्थित डिपार्टमेंटल स्टोर में थे. यह उन की अपनी दुकान है, जहां परिवार के सभी सदस्य बारीबारी से बैठते हैं.

परिवार के बुजुर्ग सदस्य घर में नीचे सो रहे थे. घर में बच्ची के गुम होने का शोरशराबा सुन कर उन की नींद खुल गई थी.

बच्ची की तलाश में कुछ पड़ोसी भी शामिल हो गए थे. उन्हीं में से एक ने बताया कि उस ने दोपहर करीब 3 बजे डिंपल द्वारा अपने 4 साल के बेटे की पिटाई की आवाज सुनी थी. इस पर सभी का ध्यान डिंपल और उस के बेटे की ओर गया, जो उस वक्त नजर नहीं आ रहे थे.

कुछ लोग उसे देखने के लिए छत पर गए. डिंपल ने खुद को बेटे के साथ एक कमरे में बंद कर रखा था. लोगों ने दरवाजा पीटा. भीतर से डिंपल ने जब दरवाजा नहीं खोला तब उसे तोड़ दिया गया.

कमरे में डिंपल चुपचाप सहमी बैठी थी. जबकि बच्चा बेहोश पास में ही लेटा था. उसे अस्पताल ले जाया गया. गुम बच्ची डिंपल के पास भी नहीं थी. डिंपल से बच्ची के बारे में पूछा गया, तब उस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. सभी लोग इधरउधर उसे तत्परता से ढूंढने लगे.

जिस की जिधर नजर गई, वे बच्ची को ढूंढने लगे. पलंग के ऊपर, पलंग के नीचे. तकिए के पीछे, तकिए के नीचे. अलमारियों में, उस के ऊपर, स्टूल के नीचे. कमरे का कोनोकोना छान मारा, मगर बच्ची कहीं नहीं नजर आई.

घर के किसी सामान की तरह से उस की तलाश हर जगह की जा रही थी. कुछ लोग बच्ची को मकान के बाहर गलियों में भी खोजने लगे थे, जबकि कुछ ने घर में पानी के टैंकों में झांक कर देखा.

कबाड़ के पड़े कुछ सामान में भी बच्ची की तलाश की जाने लगी. परिवार के एक सदस्य की नजर खराब माइक्रोवेव ओवन पर टिक गई. जो अपनी जगह से खिसका हुआ गिरने की स्थिति में था.

ओवन को ध्यान से देखा तो पाया कि उसे अपनी जगह से खिसकाया गया है. उस के ऊपर रखा गया एक छोटा तख्ता वहां से हटा हुआ था. वह स्टूल की मदद से ओवन की ऊंचाई तक पहुंचा. उस के खोलते ही वह सदस्य सन्न रह गया, बच्ची कपड़े में लिपटी ओवन में ही थी.

चिल्लाते हुए उस ने बच्ची को बाहर निकाला और नीचे आ गया. तब तक नीचे पुलिस टीम भी पहुंच चुकी थी. पुलिस बच्ची की मां डिंपल से पूछताछ कर रही थी. छोटे तौलिए में लिपटी बच्ची को देख कर मौजूद सभी लोग तरहतरह की बातें करने लगे.

वह एकदम से बेजान थी. उस में कोई हरकत नहीं हो रही थी. उस का शरीर और चेहरा देख कर ही लग रहा था कि वह मर चुकी थी.

यह देख कर डिंपल के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था. वह बुत बनी हुई थी. उस के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया था. ऐसा लग रहा था जैसे उस के शरीर में खून ही न हो. कुछ बोल नहीं पा रही थी.

पुलिस ने बच्ची को तुरंत अस्पताल भिजवा दिया. उस मासूम का नाम अनन्या था. अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने बता दिया कि उस बच्ची की मौत हो चुकी है. मामला संदिग्ध था, इसलिए पुलिस को डिंपल और उस के पति से पूछताछ करनी थी, लिहाजा पुलिस दोनों को थाने ले आई.

थाने में दोनों से पूछताछ की. बड़ी मुश्किल से डिंपल ने जुबान खोली. उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपनी बेटी की गला घोट कर हत्या की थी. वह भी 2 दिन पहले.

डिंपल ने अपनी मासूम बेटी की हत्या की जो वजह बताई, वह आज के आधुनिक समाज और दिल्ली के महानगरीय रहनसहन के लिए चौंकाने वाली थी.

दरअसल, डिंपल की गुलशन कौशिक नाम के युवक से 7 साल पहले शादी हुई थी. वह 3 साल बाद एक बेटे की मां बन गई थी. बेटा पा कर वह बेहद खुश थी. उस के 4 साल बाद उस ने एक बेटी को जन्म दिया था, जिस का नाम अनन्या रखा. उस के जन्म पर मिठाई भी बांटी गई थी.

परिवार में सभी सदस्य बेटी के पैदा होने पर खुश थे, लेकिन डिंपल का मन उदास था. वह बेटा चाहती थी. हालांकि उस ने अपने मन की बात किसी को नहीं बताई थी. फिर भी वह मन ही मन घुटती रहती थी.

चिराग दिल्ली स्थित भैरो चौक पर मकान नंबर 656 में डिंपल के अलावा गुलशन, उस के मातापिता और भाई भी रहते थे. पुलिस पूछताछ में आरोपी डिंपल ने बताया कि वह दुधमुंही अनन्या को डायन समझती थी. कारण, उस के पैदा होते ही उस का बेटा चिड़चिड़ा हो गया था. वह ठीक से खाना भी नहीं खाता था.

अनन्या को दूध पिलाने के चक्कर में बेटा उपेक्षित हो गया था. इस कारण वह कई बार मासूम बच्ची को अपना दूध तक नहीं पिलाती थी. भूखी अनन्या जब लगातार रोती रहती थी, तब उसे लगता था कि उस की बेटी राक्षसी प्रवृत्ति की है और वह आगे चल कर उस के बेटे को मार सकती है.

अंधविश्वास की इस भावना से ग्रसित डिंपल ने एक दिन बेटी का मुंह दबा कर मार डाला. उस की सांस रुकने से मौत हो गई. यह काम उस ने दूसरी मंजिल पर किया था.

जब वह वाशिंग मशीन में कपड़े धो रही थी, तभी उस ने भूख से रो रही बेटी का मुंह और नाक दबा दी थी. इतना ही नहीं कट्टर दिल मां ने दुधमुंही बच्ची के शव को चलती वाशिंग मशीन में डाल दिया था. उस के शव को कुछ देर मशीन में घुमाने के बाद बाहर निकाला था. तब तक बच्ची मर चुकी थी.

उस के बाद बच्ची का शव पहली मंजिल पर अपने बैडरूम में ले आई थी. उसे बैड पर इस तरह लिटा दिया था, मानो सो रही हो.

कुछ समय बाद जब परिवार के लोगों ने बच्ची के बारे में पूछा, तब उस ने कहा कि अभी दूध पी कर सो गई है. उस की तबीयत ठीक नहीं लग रही थी. नाक बह रही थी. उस ने गरम सरसों के तेल की मालिश कर उसे सुला दिया है.

बच्ची की तबीयत खराब होने की वजह से घर वालों ने भी उस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

पुलिस ने जब डिंपल से पूछा कि उस ने बेटी की हत्या करने के बाद वाशिंग मशीन में क्यों डाला था, तब उस ने तुरंत अपना बयान बदल दिया. बोली कि उस ने बेटी को मशीन में नहीं डाला, बल्कि बेटी उस के हाथों से छूट गई और गलती से मशीन में गिर गई थी.

हालांकि पुलिस को यह बात गले नहीं उतरी थी, क्योंकि बच्ची को वाशिंग मशीन में कुछ देर तक घुमाने के बाद निकाला गया था.

डिंपल मासूम बच्ची के शव को तो किसी तरह परिवार के लोगों से छिपाने में 2 दिनों तक कामयाब रही, लेकिन एक दिन उस के बेटे ने ही उस के बेसुध पड़े होने को ले कर शोर मचाना शुरू कर दिया. वह दादी…दादी चिल्लाने लगा कि उस की बहन नहीं रो रही है.

तब डिंपल डर गई. उस ने गुस्से में बेटे की ही पिटाई कर दी और उसे कमरे में बंद कर बच्ची को ले जा कर माइक्रोवेव ओवन में छिपा दिया. उसे ओवन में छिपाने के बाद कमरे में आई. तब तक बेटा रोरो कर बेहोश हो गया था.

मां द्वारा बेटे के पीटने की आवाज सुन कर ही एक पड़ोसी ने उस के रोने की शिकायत डिंपल की सास से कर दी थी. सास नहीं समझ पाई कि जो औरत अपने बेटे से बहुत प्यार करती है, वह भला उसे क्यों पीटेगी?

इसी बीच उसे ध्यान आया कि उस ने तो अनन्या को 2 दिन से गोद में लिया ही नहीं. प्यार दुलार नहीं किया. उस ने तो उस की कल से तेल मालिश नहीं की है. कहीं उस की तबीयत ज्यादा खराब तो नहीं हो गई, जिस से डिंपल परेशान हो गई हो.

सास ने डिंपल को आवाज दी और अनन्या के बारे में पूछा. उसे उस के पास लाने को भी कहा. इस पर डिंपल ने इतना कहा कि वह सो रही है. जबकि सास उसे डाक्टर को दिखाने की जिद करने लगी.

वह तुरंत दुकान पर बेटे गुलशन के पास चली गई. उसे अनन्या की तबीयत खराब होने की बात बताई.

गुलशन तुरंत घर के अंदर आ गया. उस ने डिंपल को डांटते हुए कहा कि अनन्या की तबीयत खराब थी, तब उस ने उसे बताया क्यों नहीं? कहां है उसे ले कर आओ, अभी डाक्टर के पास ले चलते हैं.

इस पर डिंपल वहीं ठिठकी रही. धीमे से बोली, ‘‘अनन्या नहीं मिल रही है?’’

यह सुन कर गुलशन और उस की मां का माथा ठनका, ‘‘नहीं मिल रही है, इस का क्या मतलब है? कौन ले गया उसे?’’

‘‘पता नहीं?’’ डिंपल सहमीसहमी बोली.

‘‘पता नहीं क्या? तुम कैसी मां हो? तुम से 2 महीने की बच्ची नहीं संभलती है. उस की तबीयत खराब है मुझे बताया तक नहीं. और अब कह रही हो नहीं मिल रही है,’’ गुलशन गुस्से में बोलने लगा, ‘‘घर पर आज कौन आया था? कहीं तुम ने उसे बाहर के दरवाजे के पास तो नहीं छोड़ दिया था. हो सकता है कोई बच्चा चोर उठा ले गया हो…’’

‘‘हो सकता है गुलशन बेटा. पुलिस में फोन कर अभी तुरंत,’’ डिंपल की सास बोली.

मां के कहने पर ही गुलशन कौशिक ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर बच्ची के गुम होने की शिकायत की. उस शिकायत के बाद घर में कोहराम मच गया.

परिवार के दूसरे सदस्य घर और बाहर बच्ची की तलाश में जुट गए. जबकि डिंपल चुपके से अपने बेहोश बेटे के पास चली गई और कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया था.

कथा लिखे जाने तक पुलिस डिंपल से पूछताछ कर रही थी. जबकि उस के पति गुलशन कौशिक को बेकुसूर मान कर छोड़ दिया था.

इश्क का खेल- भाग 3: क्या हुआ था निहारिका के साथ

‘‘मिस्टर सुजल, आप के पापा ही आप की मां और बीवी के कातिल हैं. इतना ही नहीं, इन्होंने 2 दिन पहले दिल्ली में भी एक कत्ल किया है.’’ ‘‘यह आप कैसे कह सकती हैं. मेरे पापा ऐसा नहीं कर सकते.’’ इसी बीच रुस्तम सर ने पूछा, ‘‘निहारिका, जरा तफतीश से बताओ कि कौन है खूनी और क्यों?’’ निहारिका बोली, ‘‘मिस्टर बजाज, जो एक बहुत ही नेकदिल इनसान समझे जाते हैं, पर असल में बहुत ही रंगीनमिजाज  और वहशी किस्म के इनसान हैं. दिल्ली में इन की कोई मीटिंग कभी हुई ही नहीं. वहां इन्होंने एक औरत रखैल बना कर रखी हुई है और ये अपनी बहू पर भी बुरी नजर रखते थे.  ‘‘बहू पेट से हो गई, तो उसे रास्ते से हटा दिया. जब बीवी को इन पर शक हुआ और उन्होंने बेटे को सब सच बताने की धमकी दी, तो इन्होंने उन को भी मारने का प्लान बनाया.

‘‘सुबह दिल्ली में मीटिंग के नाम से गए, वहां होटल में कमरा लिया, रात को 10 बजे वहां से निकल कर घर आए, खिड़की के रास्ते से अपने कमरे गए, पहले तो बीवी को गला घोंट कर मार दिया और बाद में उन्हें पंखे से लटका कर उसी समय वापस दिल्ली होटल पहुंच गए.’’ सुजल रोते हुए बोला, ‘‘पापा, यह सब आप ने…’’ ‘‘अभी आगे और सुनिए. अब इन का दिल मुझ पर आ गया और दिल्ली वाली रखैल की भी उम्र हो चली थी, उस से मन भर चुका था इन का.

2 दिन पहले ये फिर से दिल्ली गए और इसी तरह से वहां उस का भी काम तमाम कर दिया… ‘‘क्यों बजाज साहब, ठीक कहा न मैं ने? अब बाकी की जिंदगी जेल में चक्की पीसते हुए बिताना,’’ निहारिका बोली. इस पर इंस्पैक्टर रुस्तम ने कहा, ‘‘निहारिका, कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है. आशीष बजाज मुझे कातिल नहीं लगते.’’ ‘‘सर, मैं ने पूरी तरह से केस को समझ कर, उसे सुलझा कर आप सब को बुलाया है. आप मेरा विश्वास कीजिए. आशीष बजाज को गिरफ्तार कीजिए…’’ सुजल कहता है, ‘‘पापा, आप चुप क्यों हैं? कुछ तो कहिए? आप ने क्यों किया ऐसा?’’ ‘‘सुजल, मेरे बच्चे… मैं ने कुछ नहीं किया है. मुझे नहीं पता कि यह सब क्या है. मैं दिल्ली में मीटिंग के लिए ही गया था और जाता भी रहता हूं… और निहारिका में मुझे श्रेया की छवि नजर आती है, बस इसलिए इस से प्यार से बात करता था.’’ आशीष बजाज को पुलिस ले कर चली गई.

2 दिन बाद आशीष बजाज के घर पर फिर से पुलिस की गाड़ी नजर आई. डोरबैल बजी. सुजल ने दरवाजा खोला. सामने पुलिस और पापा को देख कर वह हैरान रह गया और बोला, ‘‘आप इस कातिल को यहां क्यों लाए हो? इस घर में कातिल के लिए कोई जगह नहीं है.’’ इस पर निहारिका बोली, ‘‘सच कहा आप ने. इस घर में कातिल के लिए कोई जगह नहीं है. तो चलिए मिस्टर सुजल, हम आप को लेने आए हैं.’’ ‘‘यह आप क्या कह रही हैं… कातिल तो आप के साथ है,’’ सुजल ने कहा. ‘‘जी नहीं मिस्टर सुजल, कातिल आशीष बजाज नहीं, बल्कि आप हैं…’’ निहारिका बोली. इस पर सुजल हंसते हुए कहता है, ‘‘कभी कहते हैं कि कातिल आशीष बजाज हैं, कभी कहते हैं कि मैं हूं… कल किसी और का नाम ले लोगे… और  अगर मैं कातिल हूं भी तो आप के पास क्या सुबूत है?’’ ‘‘तो सुनिए… जब पहली बार मैं ने आप को फोन किया था, तो उस में प्राइवेट नंबर लिखा आया. मुझे शक हुआ और साइबर ब्रांच से आप की काल डिटेल निकलवाई तो पता चला कि आप तो इंडिया में हैं और यह नंबर यहीं पर इस्तेमाल किया जा रहा है. ‘‘सुबूत नंबर 2 यह है कि आप की शादी मांपापा की मरजी से हुई है, जबकि आप अपने प्यार के लिए तड़प रहे थे, इसलिए अपनी गर्लफ्रैंड जूली, जो एक नर्स है, से श्रेया की पेट से होने की झूठी रिपोर्ट बनवा कर उसे बदचलन साबित करने की कोशिश की.

जब उस ने आवाज उठानी चाही तो हमेशा के लिए उसे खामोश कर दिया. ‘‘उस के बाद जब आप की मां को शक हुआ और उन्होंने आवाज उठाई तो उन्हें भी खामोश कर दिया गया. ‘‘उस के बाद दिल्ली में मिस्टर आशीष बजाज की मुंहबोली बहन, जिन का इस दुनिया में कोई भी नहीं है, बजाज साहब उन की मदद करते थे… आप को पता चला कि वे कुछ प्रापर्टी उन के नाम करने वाले हैं, इसलिए तुम ने उन का भी तब खून कर दिया, जब आशीषजी दिल्ली गए थे, ताकि शक उन पर जाए.

‘‘अब तुम अपने पापा को भी खत्म करना चाहते थे, क्योंकि तुम्हें पता था कि अपने जीतेजी वे तुम्हारी शादी जूली से नहीं होने देंगे. ‘‘और सुबूत चाहिए…? तुम और तुम्हारी गर्लफ्रैंड दोनों मिल कर इस काम को अंजाम देने वाले थे, इसलिए हम ने यह प्लान बनाया और  मिस्टर बजाज को अपने साथ ले गए, ताकि इन की जान बच जाए. ‘‘और सुबूत चाहिए तो सुनो, तुम ने अपने पापा की शर्ट के बटन तोड़ कर हर लाश के पास सुबूत के तौर पर छोड़े, ताकि बड़ी आसानी से उन पर शक जाए, लेकिन यहां तुम मात खा गए. तुम ने उन की एक ही शर्ट के बटन लिए, जो वे पहनते ही नहीं, क्योंकि उन्हें वह शर्ट पसंद नहीं है.

‘‘तुम एक और जगह मात खा गए. खून करने के बाद तुम ने हर बार जूली को फोन किया और बताया कि तुम बहुत नर्वस हो. इसी चक्कर में तुम्हें पता नहीं चला और फोन की रिकौर्डिंग औन हो गई और सारी बातें रिकौर्ड हो गईं. चलो, अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई जगह नहीं है.’’ सुजल को हवलदार हथकड़ी पहना रहा है और तभी सुजल की गर्लफ्रैंड का फोन आ गया.  सुजल बोला, ‘‘जल्दी आओ जूली. पुलिस आई है मेरे घर पर. हमारा राज खुल चुका है. मैं ने सरैंडर कर दिया है. बेहतर है कि तुम भी कर दो.’’ इस तरह उन दोनों पर केस चल  रहा है.

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